Hindi Antarvasna - चुदासी
11-13-2021, 01:35 PM,
RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
पप्पू ने मेरी चूत पे चुंबन किया तो मेरे सारे बदन में करेंट दौड़ गया।

मैं लेटी हुई थी इसलिए पप्पू को मेरी चूत चाटते हुये देख नहीं सकती थी, जो मैं देखना चाहती थी। मैंने मेरा सिर उठाया और नीचे दो तकिये रख दिये जिससे मेरा सिर ऊंचा हो गया और मैं पप्पू के चेहरे को साफ-साफ । देखने लगी। मैं ऐसे क्यूट से लड़के को मेरी चूत चाटते हुये देखना चाहती थी। आज तक मैं जब भी जिससे भी चुदी थी, हर बार मैंने पूरा मजा लिया था, फिर भी सभी ने मुझे उनकी मनमानी से चोदा था। आज मैं पप्पू से मेरे तरीकों से चुदवाना चाहती थी, मैं पप्पू को मेरा स्लट बनाना चाहती थी।

मैं- “जीभ निकालकर चाटो पप्पू..."

मेरे इतना कहते ही पप्पू ने अपनी जबान निकाली और चूत के बाहरी भाग को चाटा।

मैंने उसका सिर पकड़कर मेरी चूत पर थोड़ी देर दबाया और फिर छोड़ दिया और कहा- “क्यों तड़पा रहे हो पप्पू?”

मेरे छोड़ते ही पप्पू ने एक लंबी सांस ली और चूत को उंगलियों से अलग-अलग दिशा में खींचकर जबान अंदर । डालकर चाटने लगा। शायद उसका मुँह चूत पर दबाने से उसकी झिझक कम हो गई थी। आज मुझे दोगुना मजा मिल रहा था, देखने का और चटवाने का। पप्पू ने पूरी मस्ती से थोड़ी देर मेरी चूत चाटी, उसके बाद मैंने उसे । मेरे ऊपर आने को कहा। पहले तो मैं पप्पू का लण्ड चूसना चाहती थी, लेकिन अब डर रही थी की कहीं वो झड़ न जाय।

मैंने सोचा था की मुझे पप्पू का लण्ड पकड़कर मेरी चूत में डलवाना पड़ेगा। नीरव और अंकल से चुदवाते वक़्त मुझे उनका लण्ड मेरी चूत के द्वार पर रखना पड़ता है। इसके पहले मैंने पप्पू से चुदवाया था तो, तब उसका लण्ड भी मैंने पकड़कर ही इलवाया था।

“आहह.." पप्पू का लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।

जल्दी सिख गया था वो, मुझे उसका लण्ड पकड़कर डलवाने की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ पल रुककर पप्पू हिलाने लगा, पहले धीरे-धीरे और फिर बहुत तेजी से। मैं उसकी पीठ सहलाने लगी। उबलती जवानी के करण पप्पू बहुत ही जोरों से चोद रहा था, उसके जितनी तेजी से मैं मेरी गाण्ड उठा नहीं पा रही थी।

चुदवाते हुये मैं सिसकारी के साथ- “चोदो... चोदो... जोर से चोदो पप्पू...” ऐसा कब बोलने लगी, वो मुझे पता ही नहीं चला। मैं पप्पू को किस करते हुये उसके होंठ चूसने लगी।

मैंने मेरी जबान बाहर निकाली जिसे पप्पू उसके दोनों होंठों बीच दबाकर चूसने लगा, बाद में उसने उसकी जबान निकाली और उससे मेरी जबान को सहलाने लगा। हमारी गरम सांसों से रूम का तापमान बढ़ गया था। मैंने पप्पू को कंधे से कसकर पकड़ा और मेरी दोनों टांगों को अलग-अलग दिशा में खींचकर जोर लगाकर मेरी गाण्ड को उछालने लगी। पप्पू की स्पीड से लग रहा था की वो भी बहुत उत्तेजित हो गया है। थोड़ी देर ऐसे ही हमारी चदाई का दौर चलता रहा और बाद में हम दोनों एक साथ झई।

झड़ते वक़्त मैंने पप्पू को कसकर पकड़ रखा था, मैं चाहती थी कि उसका सारा वीर्य मेरी चूत में जाय, एक बूंद भी बाहर ना निकले। क्या मालूम कौन सी बूंद से गर्भ ठहर जाय, क्योंकि मुझे पप्पू जैसा क्यूट बच्चा चाहिए।
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11-13-2021, 01:35 PM,
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था। मेरी और पप्पू की चुदाई खतम होते ही मैंने उसे कपड़े पहनने को कहा और मैंने भी पहन लिए, और बाद में मैंने चाय बनाई और हम दोनों ने साथ मिलकर पी।

बाद में पप्पू ने खुशबू की बात निकाली- “निशा, किसी भी तरह खुशबू को समझाओ कि उसके बिना मैं जी नहीं पाऊँगा..."

पप्पू की बात सुनकर मैं उससे क्या कहूँ वो मुझे समझ में नहीं आ रहा था। थोड़ी ही देर में वो उसकी बात से पलट चुका था- “कुछ देर पहले तो तू कह रहा था की मुझे उससे शादी नहीं करनी...”

पप्पू- “वो तो मैं गुस्से में बोल गया था...”

मैं- “ऐसे कैसे गुस्से में बोल गये?”

पप्पू- “तुम्हारे साथ सेक्स करते हुये मैं उसी के बारे में सोच रहा था। मैं उसके बिना जी नहीं सकता निशा...”

मैं- “क्या तुम मेरे साथ सेक्स करते हुये उसके बारे में सोच रहे थे?” मैंने उसकी बात ऊंची आवाज में रिपीट की।

पप्पू- “हाँ..."

मैं- “निकल तू यहां से, भाग... अच्छा है तूने कपड़े पहने हैं नहीं तो मैं तुझे नंगा ही बाहर निकाल देती...” मेरी आवाज और ऊंची हो गई थी। शायद पप्पू ने सोचा नहीं था की मैं इतनी गुस्सा हो जाऊँगी।

पप्पू- “सारी निशा, प्लीज़्ज़... यार, आजकल मेरा लक काम नहीं कर रहा, कल खुशबू को बुरा लग गया, आज तुझे। यार, मेरा ये मतलब नहीं था प्लीज़..."

मैं- “थोड़ी देर बाद नहीं सोच सकता था? मुझसे सेक्स करते वक़्त तुम्हें और कोई खयाल भी कैसे आ सकता है?” मैं अब थोड़ी शांत हो गई थी।

पप्पू- “सारी निशा, कुछ कर यार, मैं उसके बिना जी नहीं पाऊँगा..”

मैं उसकी बात सुनकर उसके सामने देखने लगी। सच में बहुत बिंदास है ये लड़का, सब कुछ चाहिए इसे- प्यार भी और सेक्स भी। जिसके साथ सेक्स करता है उसी से अपने प्यार से मिलने की बात करता है।
मैं- “ओके, मुझे खुशबू का नंबर दो..”

पप्पू- “98* * * * * * * *
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11-13-2021, 01:35 PM,
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पप्पू ने जो नंबर कहा वो मैंने मेरे मोबाइल में सेव करके उसे फिर से दिखाया- “बराबर है ना?"

पप्पू- “हाँ..."

मैं- “अब तुम जाओ, मेरे मम्मी-पापा कभी भी आ सकते हैं."

पप्पू- “जाता हूँ, पर खुशबू को समझाना किसी भी तरह प्लीज़..”

मैं- “पहले तुम जाओ...” मैंने चिढ़कर कहा।

पप्पू- “ओके, जान..." इतना कहकर पप्पू मेरे नजदीक आया और मुझे किस करने लगा।

और मैं हट गई- “कोई जरूरत नहीं मुझे किस करके प्यार जताने की, निकल यहां से...”

मेरी बात पप्पू को बुरी तो जरूर लगी होगी फिर भी वो झूठ मूठ का हँसता हुवा चला गया। थोड़ी देर पहले बुरा तो मुझे भी लगा था।

मैंने मेरा मोबाइल हाथ में लिया और खुशबू को काल लगाया और उसे घर आने को कहा। थोड़ी ‘हाँ ना' करने के बाद खुशबू मेरे घर आने को तैयार हो गई। एक घंटे तक समझाने के बाद मैं खुशबू को मेरी बात समझाने में सफल हुई। बीच में एक-दो बार हम लड़ भी पड़े। मैंने उस पर आरोप भी लगाए की वो मेरी बात इसलिए नहीं मान रही की ‘वो अब इमरान के बिना नहीं रह सकती।

मेरी बात सुनकर खुशबू बहुत गुस्सा हुई थी। मैंने उसे पप्पू की मम्मी की हालत के बारे में भी बताया। मेरी बात सुनकर खुशबू ने कहा था- “पप्पू की मम्मी बाथरूम में फिसल गई थी, तो उसने मुझे फोन क्यों नहीं किया की अब तू घर से निकलना नहीं?”

खुशबू की बात सही भी थी मैंने उससे कहा- “वो घबराहट में भूल गया था तुम्हें फोन करने को...”

खुशबू को पप्पू पर विस्वास नहीं हो रहा था। अंत में मैंने उसे ये बात कहकर मनाया की- “इमरान से तो पप्पू अच्छा ही है, साहिल से शादी करना मतलब इमरान के जाल में फँसना, उससे तो पप्पू लाख गुना अच्छा है...”

खुशबू मेरी बात मान गई।

उसके बाद मैंने उससे पूछा- “कल क्या हवा था? तुझे किसने देख लिया था बस स्टेंड पे? कल तेरे अब्बू ने पूछा तो होगा ना की तू किसके साथ भागी हो? कौन है वो लड़का तो तूने क्या कहा था?”

खुशबू ने अब्दुल को पप्पू के बारे में कुछ नहीं बताया था। उसने कहा था- “मुझे साहिल पसंद नहीं था, इसलिए मैं घर छोड़कर चली गई थी, मैं अकेली ही भागी थी...”

खुशबू की बात अब्दुल ने सही भी मान ली थी।

खुशबू ने ये भी बताया की- “उसके अब्बू का एक आदमी है जो खुशबू को बस स्टेंड पर मिल गया, जिसे देखकर खुशबू डर गई तो उसे शक हुवा और साथ में खुशबू के हाथ में बैग देखकर उसका शक यकीन में बदल गया...”
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11-13-2021, 01:35 PM,
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मैं- “अरे बुद्धूराम, ये रोनी सूरत छोड़ और हँस। मैं मजाक कर रही हूँ, मैं तो कब की भूल गई कल की बातें..”

शायद पप्पू कुछ देर मेरी बात समझा नहीं और जब समझा तब वो भी खिलखिलाकर हँसने लगा- “थॅंक्स निशा। यार, मैं तो कल से बहुत डर रहा था...”

मैं- “दोस्ती में नो सारी, नो थॅंक्स..” मैंने डायलोग मारा।

पप्पू- “हाँ। आज से नो सारी, नो थैक्स..” कहते हुये पप्पू ने दरवाजा खोलते हुये मेरे गालों पर किस किया।

मैं- “एक मिनट मेरी बात सुनकर जा...”

पप्पू- “कहो...”

मैं- “कल तूने मेरे साथ सेक्स करते हुये खुशबू के बारे में भले ही सोचा, लेकिन आज के बाद तू किसी से भी सेक्स करेगा ना तब तुम मेरे बारे में जरूर सोचेगा, और मुझे जरूर याद करेगा। ये मुझे पूरा यकीन है...”

मेरी बात सुनकर पप्पू मुश्कुराया और मुझे जाने को कहा- “मैं पाँच मिनट बाद निकलता हूँ, आप अभी जाओ...”

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खाना खाने के बाद मैंने अब्दुल से बात करने के लिए उसके घर जाने का ठान लिया। मैं थोड़ा ज्यादा सज-सवंर के उसके घर गई। अब्दुल ने ही दरवाजा खोला और पीछे ही खुशबू खड़ी थी। मैं अब्दुल को स्माइल देकर खुशबू के साथ उसके रूम में गई। मुझे देखकर अब्दुल के मुरझाये चेहरे पर थोड़ी सी चमक आई। थोड़ी देर में खुशबू से आधी-टेढ़ी बातें करती रही, हम दोनों में से किसी ने भी पप्पू की बात नहीं निकाली। मैं डर रही थी की अब्दुल घर में है और कहीं हमारी बात सुन लेगा तो मुशीबत हो जाएगी और शायद खुशबू को भी वही डर होगा। कोई सेटिंग नहीं दिखी मुझे अब्दुल से बात करने की तो मैं खुशबू के रूम से बाहर निकली, मेरे घर जाने के लिए।

मुझे देखकर अब्दुल ने खुशबू को कहा- “पहली बार घर पे आई है बिटिया रानी, खुशबू ठंडा देना..”

अब्दुल की बात मुझे जंच गई। मैं तो चाहती थी ही उससे अकेले में बात करने को। मैं जाकर अब्दुल के पास। वाली कुर्सी पे बैठ गई और खुशबू अंदर ठंडा लेने गई। तभी मेरे दिमाग में आया की ठंडा तो आधे मिनट में आ जाएगा इसलिये मैंने कहा- “चाय बनाना खुशबू, शर्दी में ठंडा नहीं पीना...”

और फिर मैंने अब्दुल तरफ नजर करके धीरे से कहा- “शायद मैं कल दोपहर को जाने वाली हूँ...”

अब्दुल- “कल दोपहर को...”

मैं- “बाद में तुम मेरे मम्मी-पापा को परेशान मत करना..”

अब्दुल- “तुम नहीं दोगी तो करूंगा?”

मैं- “मैं कहां ना कह रही हूँ?"

अब्दुल- “रुक जाओ...”

मैं- “मेरे पति का फोन आया है...” मैं झूठ बोल रही थी।

अब्दुल- “ओके, एक काम करो शाम को आ जाओ होटेल युवराज पर..” अब्दुल ने कुछ सोचते हुये कहा।

मैं- “चार बजे..." मैंने थोड़ा जल्दी का समय दिया।

अब्दुल- “ओके...”

तभी खुशबू चाय लेकर आ गई जो पीकर मैं वहां से निकल गई। वैसे मेरा काम भी तो हो गया था। मैं अब पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी। अब पप्पू और खुशबू को भागने में कोई रुकावट मुझे नजर नहीं आ रही थी। प्राब्लम थी तो सिर्फ एक... मुझे किसी भी तरह वहां अब्दुल को दो-तीन घंटे रोकने का था।
तभी खुशबू के मोबाइल में काल आया- “दीदी एक और मुशीबत आन पड़ी है...”

मैं- “मुशीबत...”

खुशबू- “हाँ दीदी, थोड़ी देर पहले मुझे मालूम पड़ा की अब्बू चार बजे कहीं जाने वाले हैं...”

मैं- “वो तो अच्छा है ना... तुम घर से बिंदास निकल सकोगी.”

खुशबू- “लेकिन दीदी उस वक़्त अब्बू ने घर पे मेरा ध्यान रखने के लिए इमरान चाचू को आने को कहा है...”

खुशबू की बात सही थी, उस पर मुशीबत पे मुशीबत आ रही थी। खुशबू की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गई की अब क्या करें? वो जानती नहीं थी की उसके अब्बू क्यों बाहर जाने वाले हैं? उसे कोई मतलब भी तो नहीं था।

मैं- एक काम कर खुशबू, तुम तुम्हारे अब्बू को बोल दो की आप बाहर मत जाओ, और अगर जाना है तो किसी को घर पे छोड़कर मत जाओ। आपको मुझ पर विस्वास न हो तो आप किसी को भी मेरा ध्यान रखने के लिए नीचे, चौकीदार के पास बिठाकर जाओ, घर पे नहीं...”

खुशबू- “पर दीदी इससे क्या होगा?”

मैं- “होगा ये की तेरे अब्बू बाहर जाएंगे तो किसी को घर में नहीं नीचे बिठा के जाएंगे तुम निकलते वक़्त साड़ी पहनकर सिर पे पल्लू लगाकर निकल जाना..."

खुशबू- “ये तो ठीक है दीदी पर अब्बू बाहर नहीं गये तो?”

मैं- “तो अपनी फूटी किश्मत पे रोना, साड़ी चाहिए तो मेरे पास से ले जाना, बाइ..” मैंने खुशबू की कोई बात सुने बगैर फोन काट दिया।

हम लोग जिस तरह से मोबाइल पे बात कर रहे थे, उससे एक बात तो तय थी ही की खुशबू के भागने के बाद अब्दुल उसके मोबाइल की काल डिटेल चेक करवाएगा तब सबसे पहले मैं ही हँसने वाली थी।
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11-13-2021, 01:35 PM,
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साढ़े तीन बजे थे। मैंने मम्मी को पहले से ही बता दिया था की कल फिल्म की टिकेट नहीं मिलने की वजह से मैं आज जाने वाली हूँ, और मम्मी ने मेरी बात मान भी ली थी। मैंने सुबह ही मेरी चूत पर से बाल निकाल दिए थे। मैंने सज-सवंर के अपने आपको आईने में देखा तो मैं मेरे हुस्न को देखकर देखती ही रह गई। मैंने हर चीज रेड कलर की पहनी थी, रेड साड़ी के साथ अंदरूनी कपड़े भी रेड ही थे, लिपस्टिक, बिंदी भी रेड ही लगाई थी।
मैंने। कयामत लग रही थी मैं। मैंने घर से बाहर निकलकर रोड पे आकर आटो किया और उसे होटेल युवराज पे लेने को कहा।

आटो वाला अधेड़ उमर का था, वो शायद मुझे उसके आटो में बिठाकर अपने आपको खुशनसीब समझ रहा था। क्योंकि वो मस्ती से आटो चलाते हुये कोई पुराना गीत गा रहा था- “लाल छड़ी मैदान खड़ी, क्या खूब लड़ी... क्या खूब लड़ी, हम दिल से गये हाय हम जां से गये हाय...”

आटो होटेल युवराज के पास पहुँचा तब मैंने दूर से ही अब्दुल को देख लिया था। जैसे ही मैं आटो से उतरी तो उसने आकर आटो वाले को 100 का नोट दिया और निकलने को कहा। आटो वाला सलाम मरके निकल गया, उसे 20 की जगह 100 मिले थे, सलाम तो मारेगा ही।

अब्दुल ने रूम पहले से बुक करवा के चाबी ले रखी थी। हम सीधे ही लिफ्ट में दूसरे माले पे रूम नंबर 208 में गये। रूम के अंदर दाखिल होते ही अब्दुल ने मुझे उसकी मजबूत बाहों में भींच लिया। मैं भी उसे खुशी-खुशी लिपट पड़ी। क्योंकि अब्दुल का छे फूट से ऊपर का क़द, गोरा चेहरा, चौड़ा सीना, सफेद दाढ़ी से वो मुझे पहले से ही अच्छा तो लगता ही था, हाँ उसकी तोंद थोड़ी ज्यादा ही बाहर थी, पर इतनी उमर में ये तो होता ही है।

अब्दुल- “जन्नत की हूर लग रही हो तुम...” कहते हुये अब्दुल मेरी गर्दन को चूमने लगा।

मैं उसके सफेद बालों को सहलाने लगी। अब्दुल के हाथ मेरी गाण्ड का जायजा ले रहे थे, मेरा ब्लाउज बैक लोकट था। अब्दुल ने उसके हाथों को ऊपर किया और मेरी साड़ी को आगे करके वो मेरी नंगी पीठ को सहलाने । लगा। उसने उसके हाथों को मेरी पीठ पे भींचा जिससे मेरा बदन आगे हुवा और मैं अब्दुल के सीने में और भिंच गई।

अब्दुल- “तुम इन कपड़ों में इतना जंच रही हो की तुम्हें नंगा करने का जी नहीं करता...” अब्दुल ने इतना कहकर मेरे होंठों पर उसके होंठ रख दिए। वो पीछे से मेरी पीठ को भींच रहा था उसकी तरफ, और साथ में मेरे होंठों । को उसके होंठों से दबाने लगा। वो मानो मेरे होंठों को ऐसे चूस रहा था की वहां से कोई रस निकल रहा हो, जिसे वो निचोड़कर पीना चाहता हो।

थोड़ी देर बाद जब अब्दुल ने मुझे छोड़ा तब मैंने कहा- “यहीं खड़े रहकर सब करना है क्या?”

मेरी बात सुनकर वो मुश्कुराया और मुझे उसकी बाहों से अलग किया और मेरे दोनों हाथों को उसके हाथ में लेकर वो पीछे कदम चलने लगा। रूम काफी बड़ा था, उसके एक साइड में बेड था, बेड के पास जाते ही अब्दुल उस पर बैठ गया और मुझे खींचकर उसकी गोद में बिठा लिया। मैंने मेरा चेहरा अब्दुल की तरफ किया तो वो फिर से मेरे होंठों को चूसने लगा। मैंने मेरे हाथों को उसके गले का हार बना दिया।

अब्दुल- “तुम इतनी अच्छी लग रही हो की..." अब्दुल बार-बार मेरी तारीफ कर रहा था। वो बात करते हुये कुछ पल रुका और फिर बोला- “मैं नहीं निकाल सकता तुम्हारे कपड़े...”

उसकी बात मैं समझी नहीं, कपड़े निकाले बिना तो कैसे होगा मैं सोचने लगी।
मुझे असमंजस में देखकर अब्दुल ठहाके लगाकर हँसा और बोला- “टेन्शन मत लो रानी, नंगी तो तुम होगी लेकिन मैं नहीं करूंगा...” इतना कहकर अब्दुल रुक गया।

वो टेन्शन मत लो कहकर मुझे टेन्शन दे रहा था। वो अच्छा आदमी नहीं है ये मैं जानती थी। वो जो काम । (बिजनेस) करता है वो भी अच्छा नहीं था। उसके साथ जो भी लोग काम करते हैं, वो सब मवाली थे और खुद वो भी तो उन सबका बास था। मुझे उसकी बातों से डर लगने लगा कि कही वो किसी और को तो नहीं बुलाएगा ना? मुझे सोचते हुये देखकर वो और जोर से हँसने लगा और उसकी हँसी देखकर में और डर गई।
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11-13-2021, 01:35 PM,
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अब्दुल- “कहा ना टेन्शन मत लो, तुम खुद तुम्हारे कपड़े निकालोगी."

उसकी बात सुनते ही मुझे शांति हुई और मेरा डर गायब हो गया।

अब्दुल- “निकालोगी ना रानी?”

मैं- “हाँ..” मैंने हाँ बोलते हुये सिर भी हिलाया।

अब्दुल- “वहां सामने जाकर निकालने हैं. एक तरफ खाली जगह ज्यादा थी उस तरफ इशारा करके अब्दुल ने कहा और फिर वो मेरे ऊपर झुक के मेरे होंठों को चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद अब्दुल ने उसका चेहरा ऊपर किया, और कहा- “डान्स करते हुये निकालना.."

मैं- “नहीं, ऐसे ही निकाल देंगी...” मैं धीरे से फुसफुसाई।

अब्दुल- “डान्स करते हुये निकालना है, समझी..” अब्दुल ने उसकी बात दोहराई।

मैंने फिर से 'ना' कहा, मेरी ना सुनकर अब्दुल ने मेरा बायां उरोज जोरों से दबाया और बोला- “मर्दो को लुभाकर उससे चुदवाओ, खूब सुख मिलेगा...”

मैं- “मुझे नहीं आता..”

अब्दुल- “जैसा आता है वैसा करो, हमें कहां उसकी फिल्म बनानी है..” अब्दुल उसकी बात छोड़ नहीं रहा था, तभी घड़ी के डंके सुनाई दिए, पाँच बज गये थे।

मुझे खुशबू का खयाल आया की वो निकल गई होगी अब उसके घर से, तभी मुझे उसका अंतिम फोन याद आया, क्या मालूम हो सकता है वो भी मेरी तरह इमरान की बाहों में भी तो हो सकती है?

अब्दुल- “क्या कहती हो रानी, नाचोगी ना?” अब्दुल ने पूछा।।

मुझे अभी और दो घंटे निकालने थे यहां, ये सोचते हुये मैंने 'हाँ' कह दी। मैं बेड के सामने जो खाली जगह थी उसके बीचोबीच जाकर खड़ी हो गई। मैंने मेरे पल्लू को एक हाथ के ऊपर ले लिया जिससे मेरा ब्लाउज पूरा दिखने लगा। फिर मैंने साड़ी को प्लेट समेत निकाली और फिर कमर के चौतरफा पेटीकोट में खोंसी थी वहां से निकाली और फिर एक कोने में फेंकी। अब मैं ब्लाउज और पेटीकोट में हो गई तो मैंने अब्दुल के तरफ देखा, वो थोड़ा नाराज लगा।

अब्दुल- “खड़े रहकर नहीं निकालना है, डान्स करते हुये निकालो...”

मैंने मेरे हाथों को गोल बनाकर जितने हो सकते थे उतने ऊपर किया और बाद में बायें पैर को मोड़कर दायें पैर की जांघ पे रखा और डान्स की मुद्रा बनाई। मैंने फिर से अब्दुल की तरफ देखा तो उसकी आँखों में मेरे प्रति प्रशन्नता के भाव साफ दिखाई देने लगे।

मैंने मेरा पैर नीचे किया और दोनों पैरों को बारी-बारी थिरकाने लगी, पहले बायें पैर को जमीन पे पाँच बार थिरकाती और फिर दायें पैर को, कभी एक पैर को आगे करके उंगलियों पे नाचती, कभी दूसरे पैर के पीछे की एंडी पर नाचती। मैंने मेरे हाथों की दो उंगलियां को एक दूसरे से लगाकर दूसरी उंगली को सीधी रखकर मेरे जोबन से मेरे चहरे तक लेकर कमर को मटकती हुई मैं थिरकने लगी। फिर मैंने मेरे दोनों हाथों को मेरे स्तन पर रखे, और धीरे-धीरे मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगी।

सारे हुक खुलते ही मेरी ब्रा उजागर हो गई। मैंने ब्लाउज निकालकर अब्दुल की तरफ फेंका। वो ब्लाउज पकड़कर सँघने लगा। मैंने मेरे दोनों हाथों को जांघ पे भिड़ाए, जिससे मैं अब्दुल की तरफ थोड़ा झुक गई। मैं मेरी कमर के ऊपर के भाग को गोल-गोल उसकी तरफ घुमाने लगी। फिर मैं मेरी कमर को हाथ ऊपर-नीचे करके हिलाने लगी। मैंने अब्दुल की तरफ देखा तो, वो उत्तेजित होकर उसकी नाक फुला रहा था। मैंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा और कमर हिलाती हुई धीरे-धीरे खींचने लगी, पूरा नाड़ा खुलते ही मैंने उसे छोड़ दिया और पेटीकोट जमीन पे गिर गया और मेरी गोरी-गोरी टाँगें अब्दुल के सामने आ गईं।

मैं अब सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी। मैं नाचती हुई अब्दुल के पास गई, अब्दुल ने अपने हाथों को झूला बनाकर मुझे उठाया और फिर मुझे झुलाते हुये किस करके मुझे नीचे उतारा। मैं उसके हाथों को पकड़कर थोड़ा आगे ले गई

और फिर उसके चारों तरफ घूमती हुई नाची और फिर मैं अब्दुल की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। उसने मेरी ब्रा को खोल दिया। मैं ब्रा को हाथों से पकड़कर थोड़ा आगे सरकी और फिर अब्दुल की तरफ हुई और फिर मैंने मेरे हाथ ऊपर उठा लिए जिससे ब्रा जमीन पे गिरी और मेरे मम्मे अब्दुल के सामने आ गये।
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11-13-2021, 01:36 PM,
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अब्दुल नथुने फुलाता हुवा एक हाथ की मुट्ठी बनाकर दूसरे हाथ की हथेली पे मारता हुवा मेरी तरफ आया। मैं रूम में भागने लगी, इस तरफ से उस तरफ, उस तरफ से इस तरफ। थोड़ी ही देर में अब्दुल ने मुझे पकड़ लिया और फिर उठाकर बेड पे लेटा दिया और झुक के मुझे चुंबन करते हुये मेरी पैंटी निकालने लगा। मेरी पैंटी निकलते ही उसने मेरी चूत को सहलाया। सहलाते ही जैसे उसे मालूम पड़ा की मेरी चूत सफाचट है तो उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक आ गई। वो झुक के ध्यान से मेरी चूत की तरफ देखने लगा और मैं बेड के ऊपर लगाई हुई घड़ी की तरफ, जिसमें पाँच बजकर बीस मिनट हुये थे।

अब्दुल थोड़ा पीछे होता हुवा मेरी चूत के सामने उसका चेहरा ले गया- “हाई तेरी बुर पागल बना देगी मुझे...” ये बोलकर अब्दुल ने अपनी उंगली अंदर डाली, पूरी उंगली अंदर जाने के बाद उसने उस पर थोड़ा दबाब दिया।

जिससे मेरे मुँह में से दर्द के मारे हल्की सी चीख निकल गई।

अब्दुल- “कितने साल हुये तेरी शादी को?”

मैं- "7 साल...”

अब्दुल- “कम चुदी चूत चोदने में बहुत मजा आता है...” फिर अब्दुल ने उसकी उंगली को मेरी चूत में से। निकालकर कहा- “औरत चुदक्कड़ है की नहीं वो उसकी चूत की महक से मालूम होता है...” अब्दुल ने चूत के
अंदर उसकी जबान डालते हुये कहा।

मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। आजकल सेक्स मेरा सबसे पसंदीदा खेल बन चुका है और उसमें चूत चटवाना सबसे मदमस्त खेल है मेरे लिए। अब्दुल ने अपनी जबान मेरी चूत में से बाहर निकाली और फिर चूत के बाहर, चौतरफा जो थोड़ा उभरा हुवा भाग होता है उसे चाटा। थोड़ी देर चाटकर उसने फिर से चूत को चौड़ा किया और अंदर जबान डालकर चाटने लगा। मैंने अब्दुल के बालों को मुट्ठी में जकड़ लिया, मेरे दोनों पैर खुद-ब-खुद ज्यादा चौड़े हो गये।

अब्दुल की जबान शायद लंबी थी, वो बहुत अंदर तक जाती थी, मेरे मुँह से फूट-फूटकर सिसकारियां निकल रही। थीं। मैं कभी मेरे पैरों को ज्यादा चौड़ा करने की कोशिश करती थी, तो कभी पैरों को बेड पर पटकती थी। अब्दुल एक सेकेंड भी रुके बिना मेरी चूत चोद रहा था। हाँ... अब वो मेरी चूत को उसकी जबान से चाट नहीं रहा था, चोद ही रहा था।

मैं अब मेरे बदन पर काबू खो चुकी थी, जोरों से आवाज लगाती हुई चीखें निकालने लगी थी। और अब्दुल के बालों को जोर-जोर से खींच रही थी, तो बीच में कभी बालों को छोड़कर उसके सिर पे मुक्के भी मार लेती थी। मेरी सांसें इतनी भारी हो गई की मैं अब्दुल के सिर को पकड़कर नीचे धकेलने की नाकाम कोशिश करने लगी। सिर को धकेल ना सकी तो जोर-जोर से उसके सिर को मारने लगी।

मैं- “अयाया चोद अब्दुल ओहह... मैं छूट गई हूँ आहह..”

अब्दुल ने मेरी चूत में से उसकी जबान बाहर निकाली- “हाई रे रानी, चोदने का दिल ही नहीं करता...”

मैं आँखें बंद करके कुछ देर तक ऐसे ही लेटी रही। बाद में आँखें खोलकर देखा तो अब्दुल मुश्कुराता हुवा मुझे ही देख रहा था।

अब्दुल ने उसके पैंट की जीप खोल दी थी, और बोला- “मेरा लण्ड निकालो..."

मैं मुश्कुराई और फिर बोली- “मैं नहीं निकालूंगी...”

अब्दुल- “तो, मैं निकालता हूँ...”

मैं- “हाँ, तुम्हीं निकालो पर डान्स करते हुये, तुम भी अपने कपड़े डान्स करते हुये निकालो...” मैंने कहा।

अब्दुल- “तुम मुझे नाचने को कह रही हो?” अब्दुल का चेहरा देखने लायक था इस वक़्त।

मैंने कहा- “हाँ..."

अब्दुल- “पागल तो नहीं हो गई हो ना?” उसने कड़क लब्जों में पूछा।

मैं- “क्यों?”

अब्दुल- “तुम मुझे नाचने को कैसे बोल सकती हो?” अब्दुल ने कुछ गुस्से से कहा।

मैं- “तुमने मुझे कहा था, तो मैं नाची थी ना?” मैंने शांति से कहा।

अब्दुल- “तो अब तुम्हारे कहने पर मैं नाचूं?” अब्दुल का गुस्सा तो बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन वो किसी तरह उसके गुस्से पर काबू रख रहा था।

मैं- “हाँ.."

अब्दुल- “औरतें नाचती हैं, मर्द नहीं नाचते..” अब्दुल ने कहा।

मैं- “वो जमाना चला गया, आजकल के मर्द नाचते हैं औरतों के लिए, अब तो मर्द पैसे लेकर भी नाचने लगे हैं।

औरतों के सामने..” मैंने कहा।

अब्दुल- “तुम मुझसे डान्स कराके बदला तो नहीं ले रही हो ना?” अब्दुल ने सवाल किया।
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11-13-2021, 01:41 PM,
RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
मैं- “वो जमाना चला गया, आजकल के मर्द नाचते हैं औरतों के लिए, अब तो मर्द पैसे लेकर भी नाचने लगे हैं।

औरतों के सामने..” मैंने कहा।

अब्दुल- “तुम मुझसे डान्स कराके बदला तो नहीं ले रही हो ना?” अब्दुल ने सवाल किया।

मैं- “मैंने डान्स किया था, तब तुम्हें मजा आया था ना...” मैंने सामने सवाल किया।

अब्दुल- “हाँ..."

मैं- “मैं बदला नहीं मजा चाहती हूँ, मैं देखना चाहती हूँ की तुम मर्द हमें नचाकर क्या पाते हो? मैं वो पाना चाहती हूँ...”

अब्दुल- “रानी, मुझे नाचना नहीं आता...” अब्दुल ने वक़्त की नजाकत समझकर थोड़ा ठंडा होते हुये कहा।

मैं- “हमें कहां उसकी मूवी बनानी है, जैसा आता है वैसा नाचो...” मैंने कहा। मैंने उससे वो बात कही थी जो थोड़ी देर पहले उसने मुझसे कही थी।

मेरी बात सुनकर वो मंद-मंद हँसा और फिर मेरे बाजू में बैठ गया।

मैं- “औरतों को लुभाकर चोदो, ज्यादा सुख मिलेगा...”

मेरी बात सुनकर अब्दुल खड़ा हुवा और मैं डान्स करने के लिए जहां जाकर खड़ी हुई थी वहां जाकर वो खड़ा हो गया। वो वहां जाकर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा।

मैं- “ऐसे नहीं, नाचते हुये निकालो...”

अब्दुल को सच में डान्स करना नहीं आता था, उसकी स्टाइल देखकर ऐसा लग रहा था, उसने उसका हाथ ऊपर किया, यंत्रवत रोबोट की तरह।

मैंने अभी तक जो धैर्य बना रखा था वो अब छूट गया और मैं जोरों से खिलखिलाकर हँसने लगी। मुझे हँसता । देखकर अब्दुल आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगा। मैं खड़ी होकर उसके पास गई और उसके गले में हाथ डालकर उसके पाँव पर मेरे पैर रखकर थोड़ी सी ऊपर होकर मैं उसके होंठों पर मेरे होंठ रखकर उसे चुंबन करने लगी।

मैं- “मुझे नाचते हुये मर्द नहीं पसंद..” मैंने कहा और फिर मेरा हाथ नीचे करके मैंने अंडरवेर के साथ उसका लण्ड सहलाया। मैंने अब्दुल से अलग होकर उसके पैंट का बक्कल खोला और अंडरवेर के साथ निकाल दिया।
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11-13-2021, 01:41 PM,
RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
तब तक अब्दुल ने उसकी शर्ट निकाल दी थी। अब अब्दुल बिल्कुल दिगम्बर अवस्था में मेरे सामने था। अब्दुल का लण्ड भी रामू के लण्ड की तरह बड़ा ही था, लेकिन उसके सिवा और कोई समानता नहीं थी। अब्दुल का। लण्ड गोरा था, और उसने वहां से बाल भी निकाले हुये थे। मैंने अब्दुल का लण्ड मुट्ठी में लेकर दबाया।

अब्दुल- “सारा रस दबाकर निकाल देना चाहती हो क्या?” अब्दुल ने प्यार से मेरे गालों पर आई हुई बाल की लट को मेरे कान के पीछे करके पूछा।

मैं- “तुम्हारा रस इतनी आसानी से नहीं निकलेगा, मैं जानती हूँ...” कहकर मैं झुक के, घुटनों पे अब्दुल के सामने बैठ गई। अब्दुल ने शायद उसके बदन पर बाडी स्प्रे लगाया हुवा था। उसके लण्ड से नापसंद आने वाली बदबू की जगह खुशबूदार महक आ रही थी, जो मुझे लण्ड चूसने के लिए उत्तेजित कर रही थी। मैंने मेरे दोनों हाथों की हथेली से अब्दुल का लण्ड पकड़ा और फिर हाथ को ऊपर-नीचे करके हथेली से लण्ड को सहलाया, उसका लण्ड पूर्ण रूप में ही था फिर भी मेरे सहलाने से वो और बड़ा हो गया।

अब्दुल- “आहह... मार डालेगी तू मुझे?” अब्दुल की आवाज के साथ सिसकारी भी निकली।

मैंने अब उसके लण्ड को एक हाथ में ले लिया और उसे चूमा। फिर मुझे ज्यादा देरी करना ठीक नहीं लगा तो मैंने लण्ड को मुँह में लेकर चूसा तो अब्दुल के मुँह से फिर से सिसकारियां निकल गई। मैंने अब्दुल का लण्ड मेरे मुँह में से निकाला और फिर एकदम पीछे से कुल्फी की तरह पकड़ा, और फिर मैं उसे चूसने लगी। जितना हो सके उतना ज्यादा अंदर लेकर बाहर निकालने लगी, तो मेरे मुँह की लार लण्ड पे लग रही थी। जब मैं लण्ड । को मुँह से निकालती थी तब लार का एक लौंदा लण्ड पे लगा हुवा होता था, और दूसरा मेरे मुँह में होता था। मैं बार-बार अब्दुल का लण्ड मुँह में लेकर बाहर निकालने लगी।

इस उत्तेजित अवस्था में अब्दुल सिसकारियां निकालने के सिवा कुछ नहीं कर रहा था। कभी-कभार बीच-बीच में, मैं झुकी हुई थी इसलिए शायद मेरे बाल आगे आ जाते थे, तब वो मेरे बाल पकड़कर पीछे कर देता था। थोड़ी देर चूसने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा, तब मैंने अब्दुल का लण्ड ज्यादा अंदर लेना बंद कर दिया और उसके सुपाई को चाटने लगी तो अब्दुल और उत्तेजित हो गया।

कुछ देर बाद अब्दुल ने कहा- “नीचे की गोलियां भी चूसो..."

मैंने अब्दुल के लण्ड का सुपाड़ा चाटते हुये ही उसकी गोलियां पकड़ी और फिर झुक के उसे मुँह में पकड़ लिया, लण्ड को मैंने उधर करके पकड़ा हुवा था इसलिए गोलियां चूसने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।

लेकिन मेरी इस हरकत ने अब्दुल को खूब गरम कर दिया। वो मेरे बालों को उसके हाथों में जकड़ के खींचने लगा। मैंने उसकी गोटियां छोड़ दीं और फिर से उसके लण्ड को चूसने लगी। अब्दुल मेरे मुँह को उसके दोनों हाथों से पकड़कर धीरे-धीरे धक्का लगाते हुये जोरों से सांस लेते हुये हाँफते हुये सिसकारियां लेने लगा। धीरे-धीरे वो उसके हाथों का दबाव ज्यादा ही मेरे चेहरे पर देने लगा।

इतनी देर से खुला रहने की वजह से मेरा मुँह अब दुखने लगा था तो मैंने अब्दुल के लण्ड को फिर से मुट्ठी में जोर से दबाया और उसके छेद पर जीभ से सहलाया तो अब्दुल के लण्ड से वीर्य की एक जोर की पिचकारी छूटी, जो सीधी मेरे मुँह में गई, क्योंकि मैं उसके लण्ड के छेद को चाट रही थी।

पाँच बजकर पैतालिस मिनट हुई थी। अब्दुल बाथरूम में गया हुवा था। मैं नंगी ही बेड पर लेटी हुई खुशबू के बारे में सोच रही थी। मालूम नहीं क्या हुवा होगा? खुशबू और पप्पू कहां होंगे? खुशबू उसके घर से निकल पाई होगी की नहीं? अब्दुल उसकी बात माना होगा तो खुशबू निकल सकी होगी ये भी फाइनल था, लेकिन एक बात और भी थी कि अगर खुशबू उसके घर से निकल गई होगी तो अभी तक इमरान नीचे खड़ा रहकर, जो उसका ध्यान रख रहा होगा वो अभी तक देखने नहीं गया होगा की खुशबू उसके घर में है की नहीं?

अगर देखने गया होता तो उसका फोन अब्दुल के पास आ गया होता की “खुशबू भाग गई है लेकिन अभी तक कोई फोन नहीं आया था। शायद खुशबू घर पे ही होगी और ये भी हो सकता है कि वो इस वक़्त इमरान के नीचे सो रही होगी? मुझे रह-रहकर डर लगने लगा था की कहीं मेरी मेहनत से पानी फिर ना जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा था मुझे।
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11-13-2021, 01:41 PM,
RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
अब्दुल- “कुछ खाएगी?” अब्दुल ने बाथरूम में से निकलते हुये कहा।

मैं- “नहीं...” अब्दुल खाने में अपने लिए नानवेज़ मंगा ले तो? ये सोचकर मैंने ना कह दिया।

अब्दुल- “कुछ पीना है?”

मैं- “नहीं” फिर से वोही टेन्शन हुवा मुझे, कहीं वो उसके लिए शराब मंगा ले तो?

अब्दुल आकर मेरे बाजू में लेट गया और मेरी गाण्ड को सहलाने लगा। मैंने उसके सिकुड़े हुये लण्ड, जो इस स्थिति में भी 3-4 इंच का था, को पकड़ा। ये देखकर वो मुश्कुराया- “इतनी जल्दी ये खड़ा नहीं हो सकता, चलो निकलते हैं..."

मैं- “कहीं बाहर जाना है, क्या?” मैंने खड़े होकर उसकी जांघ पर बैठते हुये पूछा।

अब्दुल- “तेरी जैसी हसीना साथ हो तो जल्दी किस बात की...” अब्दुल ने मेरे बायें उरोज को छेड़ते हुये कहा।

मैं- “तो फिर ठहरो ना...”

अब्दुल- “निकलते हैं, घर पे खास महेमान आने वाले हैं..." अब्दुल ने अब उसके हाथ की एक उंगली मेरे कपोल पर रखते हुये कहा।

मैं- “उसको कल आने को कह दो, ऐसा हसीन मोका फिर कब मिलेगा?” मैंने मादक आवाज में कहा।

अब्दुल ने कुछ बोले बगैर उसकी उंगली जो गाल पर थी वो नीचे सरकाई मेरी आँखों पर, वहां से मेरी नाक पर ली। वो जैसे मेरे चेहरे का माप ले रहा हो ऐसे उसने उंगली दो-तीन बार मेरी नाक पर ऊपर-नीचे की। फिर उंगली मेरे होंठ पर रख दी, वो मेरे होंठों को उसकी उंगली से सहलाने लगा।

मैंने मेरा मुँह खोला और अब्दुल की आधी उंगली मुँह में ले ली। मैं मेरे होंठों के बीच उसे दबाकर चूसने लगी। थोड़ी देर पहले जिस तरह अब्दुल मेरे होंठों को चूस रहा था उसी तरह मैं अब उसकी उंगली चूस रही थी। और अब्दुल मेरे मम्मों को सहला रहा था। मैंने मेरे दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड़ लिया और उसे खड़ा करने की कोशिश करने लगी। थोड़ी देर बाद अब्दुल के लण्ड में कुछ जान आई तो मैं उसके पैरों पर लेट गई। फिर मैंने झुक के उसके लण्ड को मुँह में ले लिया।

अब्दुल के लण्ड के सुपाड़े पर वीर्य लगा हुवा था, जिसकी महक मेरी नाक में घुस गई थी। लण्ड को मुँह में लेते ही वीर्य भी मेरे थूक के साथ मिल गया। मैंने मेरे दोनों हाथों को ऊपर किया और अब्दुल का लण्ड चूसते हुये मैं उसके सीने को सहलाने लगी। मैं अब्दुल की जांघ पर लेटी हुई थी, इसलिए मेरी चूत उसके पैर के पंजों पर आ रही थी।

अब्दुल अपने पंजों की उंगली से मेरी चूत को कुरेदने लगा, जिससे मैं मस्त होने लगी और मेरी चूत में पानी रिसने लगा। अब्दुल का लण्ड पूरा मुँह में लेकर, अंदर ही रखकर मैं उसके छेद को जीभ से चाटने लगी। गुब्बारे में हवा भरते ही वो जिस तरह फूलता है, उसी तरह अब्दुल का लण्ड मेरे मुँह में फूलने लगा, और बहुत जल्द वो इतना बड़ा हो गया की मेरा मुँह भर गया। मैंने ऊपर अब्दुल की तरफ देखा।

अब्दुल- “ये मेरा नहीं तेरा कमाल है। दस साल से मैंने चौबीस घंटे से पहले दूसरी बार चुदाई नहीं की, जो आज करूंगा...” अब्दुल ने ये कहकर मुझे धीरे से ऊपर खींचकर उसकी बाहों में लेना चाहा तो मैं भी बिना रुके ऊपर । की तरफ जाकर उसके होंठों से लग गई। अब्दुल मेरे होंठों को चूसते हुये मुझे उसकी बाहों से अलग करके उसके बाजू में लेटकर ऊपर आ गया। अब वो ऊपर था और मैं उसके नीचे थी। उसने मेरे होंठों को छोड़कर मेरे उरोजों को मुँह में भर लिया।
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