RE: Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्...
एक महीने बाद 2 दिन के लिए मैं घर गया,
माँ बोली- अब शादी कर ले !
मैंने हँसते हुए कहा- माँ लगता है तुम राजश्री से मेरी शादी करवा के मानोगी।
राजश्री मेरी माँ की सहेली की बेटी थी। 4 साल पहले जब मैं MBA की पढ़ाई में 4 महीने के लिए विदेश गया था तब पिताजी की पोस्टिंग नासिक हो गई थी, राजश्री और उसकी माँ हमारी पड़ोसन थीं।
माँ के पैर की हड्डी टूट गई थी, सारा काम दोनों माँ बेटी ने संभाल लिया था। मेरे वापस आने से पहले ही मेरे पिताजी ने ट्रान्सफर वापस औरंगाबाद करा लिया था। राजश्री के मां बाप से एक बार मैं भी मिला था लेकिन राजश्री को मैंने कभी नहीं देखा था।
मैंने जब आज राजश्री की बात की तो माँ थोड़ा गंभीर हो गईं
माँ बोलीं- हमारी और रीता आंटी की बहुत इच्छा थी कि तेरी और राजश्री की शादी हो जाए। मैंने तेरी एक फोटो भी उन्हें भेजी थी। लेकिन राजश्री एक टपोरी लड़के के साथ भाग गई और उसने शादी कर ली।
भाईसाहब को हार्ट अटेक पड़ गया। रीता ने राजश्री से रिश्ता तोड़ लिया। रीता मन से उसकी याद नहीं निकाल पाई, उसकी याद मैं रीता अब बहुत बीमार रहने लगी है।
माँ आंसू पोंछती हुई बोली- बेटा समय बदल गया है, तुझे शादी अपने मन से करनी हो तो अपने मन से कर लेना, अगर हम लोगों को तेरी शादी करवानी हो तो हमें बता देना। हम तुझ पर शादी थोंपेंगे नहीं।
मैंने एक सीटी बजाई और बोला- माँ, तुम तो सेंटी होने लगीं, मैं बाहर घूम कर आता हूँ, फिलहाल शादी बाय बाय।
मैं वापस पूना आ गया लेकिन चारु की याद दिल से नहीं निकल पाई। एक दिन दिल कड़ा करके मैंने अपनी माँ को बता दिया कि एक लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मैंने यह नहीं बताया कि चारु विधवा है माँ ने हाँ भर दी।
शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए।
चारु की आँखों में उदासी छा रही थी। मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामने उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, चारु सकपका गई।
मैंने भाभी को बता दिया कि मैं चारु से शादी कर रहा हूँ। 24 साल की चारु की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन चारु शादी करने को राजी नहीं थी।
चारु बोली- मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे।
मैने कहा- ठीक है, औरंगाबाद चलो।
सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि चारु विधवा है। 24 साल की चारु लड़की ही लगती थी।
मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, चारु को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। चारु का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, चारु ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो।
अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी। माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे।
अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया। माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया।
मुझे लगा कि यह कहानी चारु या राजश्री के घर जाने पर ही सुलझेगी। मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा। चारु बुरी तरह से रो रही थी।
चारु बोली- मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी।
मैंने उससे कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा।
चारु से मैंने कुछ बातें पूछीं उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध आकाश से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था।
तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था आकाश को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं आकाश के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी।
बोलते बोलते चारु का पूरा आंचल आंसुओं से भीग गया था।
मैंने कहा- सील और शक्ल याद करके बने संबंध कुछ दिन के ही होते हैं, असली संबंध तो हम एक दूसरे से मानसिक रूप से कितना जुड़ते हैं, उससे होते हैं और न तुम आकाश को बदल पाईं न आकाश खुद को इसलिए यह संबंध तो स्थायी था ही नहीं।
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