Hindi Kamuk Kahani एक खून और
06-25-2020, 01:50 PM,
#31
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
डोरबैल की तेज चीख सुनकर केन जागा।
जागा तो जागकर उठ बैठा।
उसे सिर में हथौड़े से बजते महसूस हुए तो उसने दोनों हाथों से अपना सिर थाम लिया।
डोरबैल दोबारा चीखी।
केन ने अपने ऊपर से चादर हटाई और पूर्ववत सिर थामे पलंग से नीचे उतर आया।
डोरबैल लगातार मुतवातर चीखे जा रही थी।
“अब इस वक्त कौन आ मरा?”—केन ने अपना ड्रेसिंग गाऊन पहनते हुए सोचा—“पता नहीं कितने बजे हैं?”
उसने बड़ी मुश्किल से—जबरन—अपनी आँखें खोलीं और पलंग के सिरहाने रखी घड़ी पर निगाह डाली।
सवा आठ बज रहे थे।
“हे भगवान ये तो सुबह हो गई।”—उसने सोचा और गौर किया सुबह की हल्की धूप भीतर कमरे तक आ पहुँची थी।
डोरबैल—जो एक पल के लिए शान्त हुई थी—फिर चीखी।
“ये क्या मुसीबत है।”—पलंग पर पड़ी कॉरेन ने पूछा।
केन ने तत्काल उसकी दिशा में देखा।
पलंग पर लेटी कॉरेन अपनी आँखें मिचमिचा रही थी।
केन घबरा गया।
बाहर कोई था जो लगातार—बिना रुके—डोरबैल बजा रहा था और भीतर कॉरेन पिछली सारी रात बिताकर अभी भी वहीं उसके साथ, उसके बिस्तर पर मौजूद थी। पिछली रात का हरेक दृश्य उसकी आँखों के आगे आ गया।
“बाहर दरवाजे पर कोई है।”—उसने धीमे स्वर में कहा—“तुम फौरन कहीं छुप जाओ।”
“ओ—डरपोक केनी।”—कॉरेन ने पलंग से नीचे उतरते हुए फब्ती कसी।
केन ने उसके इस तंज को अनदेखा किया और बाहर जाकर दरवाजा खोला।
बाहर—जैकोबी के साथ लेपस्कि मौजूद था।
केन ने उन्हें घूरा।
यकायक उसके सिर में बज रहे हथौड़ों की गति तेज हो गई।
“क्या हुआ?”—उसने नाराज होते हुए पूछा।
“माफ करना मिस्टर बैन्डन।”—लेपस्कि ने उसकी हालत का अंदाजा लगाते हुए कहा—“हम दरअसल उन गोल्फ बटनों के बारे में कुछ और पूछताछ करना चाहते हैं।”
“ओह,”—केन ने कहा—“वैसे मैं खुद तुम्हें फोन करने वाला था।”
“अच्छा—क्या हुआ?”—लेपस्कि ने हैरान होते हुए पूछा।
“मैंने पिछली शाम घर आकर जब फुर्सत से चैक किया तो बटन मिल गए थे।”
“बटन मिल गए!”—लेपस्कि और अधिक हैरान हो उठा—“क्या हम उन्हें देख सकते हैं?”
“भीतर आओ।”—केन ने पलभर के लिए भीतर मौजूद कॉरेन के बारे में सोचा और फिर दरवाजे के सामने से हट गया।
दोनों पुलिसिए भीतर आ गए तो केन ने पीछे दरवाजा बन्द किया और उन्हें लिविंग रूम में ले जाकर वहीं मौजूद सोफे पर बैठने का इशारा कर भीतर बैडरूम में चला गया। लेपस्कि ने फुर्ती से उठकर भीतर बैडरूम में निगाह डाली। बैडरूम खाली था लेकिन बैड की हालत बता रही थी कि पिछली रात उस पर बकायदा दो आदमजातों के बीच बड़ी गंभीर—बड़ी गंभीर और खूब लम्बी चली—कुश्ती खेली गई थी।
केन के बाहर लौट आने से पहले ही लेपस्कि दोबारा अपनी जगह पर आ बैठा।
केन बैडरूम से लौटा तो उसके हाथ में बटन मौजूद थे।
“ये लो।”—उसने लेपस्कि से कहा—“और भगवान के लिए अब मेरा पीछा छोड़ो।”
लेपस्कि ने बटनों को लेकर गिना—बटन पूरे थे।
“मिस्टर ब्रैन्डन।”—उसने कहा—“एक छोटी सी तकलीफ आपको और देनी पड़ेगी।”
“कहो।”—केन ने लम्बी सांस खींचते हुए कहा—“अब वो भी कहो।”
“दरअसल आप जानते हैं कि ये यहाँ हमारे शहर में हुए एक हौलनाक कत्ल का बेहद गंभीर मामला है और ऐसे में हमारा पूरा पुलिस महकमा—अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ—इस कत्ल की गुत्थी को सुलझाने में लगा है। अपनी ओर से हम हर वो मुमकिन कोशिश कर रहे हैं कि जिससे उस वहशी कातिल को पकड़ा जा सके।”
“मैं जानता हूँ लेकिन इस बात को दोहराने की वजह?”
“मिस्टर ब्रैडन”—लेपस्कि ने कहा—“कत्ल के केस में अक्सर तहकीकात करते-करते कभी-कभी कई अजीब और नामालूम बातें सामने आ जाती हैं। ये बटन जो अपने आप में बेहद अनोखे और गैरमामूली समझे जा रहे हैं—इस कत्ल के केस को सुलझाने में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं सो मैं इन्हें—इन डुप्लिकेट बटनों को—और आपकी जैकेट को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ।”
“लेकिन....”—केन हिचकिचाया।
“आप चिंता न करें—मैं इन्हें जल्द ही वापिस कर दूँगा।”—लेपस्कि ने बेहद सधे स्वर में कहा।
केन उस घाघ पुलिसिए को खूब पहचानता था।
उसका यूँ जैकेट और बटन माँगना उसके लिए फिर कोई मुसीबत खड़ी कर सकते थे।
“ओह—मिस्टर ब्रैन्डन”—लेपस्कि ने जोर डाला—“मैं एक जिम्मेदार पुलिस वाले की हैसियत से आपसे इल्तजा करता हूँ कि आप हमारा सहयोग करें।”
कोई और चारा नहीं था।
वो पुलिसिया मानने वाला नहीं था।
“ठीक है।”—केन ने ताव खाते हुए कहा और भीतर से जैकट लाकर उन्हें सौंपते हुए बोला—“ले जाओ—वैसे भी मैं खुद अब इस मनहूस जैकेट को दोबारा देखना नहीं चाहता सो....”—वो लगभग चीखा—“अपना काम खत्म करके इसे वापिस मुझे लौटाने के बजाए कहीं भी फेंक देना।”
“ओह नो—मैं इसे जल्द ही लौटा दूँगा।”—लेपस्कि ने उठते हुए कहा।
जैकोबी ने अपने साथी को फॉलो किया।
दोनों बाहर निकल आए तो केन ने पीछे से भड़ाक से दरवाजा बन्द करके लॉक कर लिया।
केन उन पुलिसियों से बेहद नाराज था लेकिन जानता था कि उसकी नाराजगी के प्रदर्शन ने अगर उन पुलिसियों को नाराज किया तो उसकी खैर नहीं थी।
वैसे ही वो दोनों उसके पीछे पड़े हुए थे।
बड़बड़ाता केन वापिस बैडरूम में पहुँचा तो पाया कि कॉरेन—जो उन पुलिसियों के उस अचानक पड़े फेरे में वहीं बैडरूम के अटैच्ड बाथरूम में जा छुपी थी—अब बाहर निकल आई थी और खुशकिस्मती से अपने पूरे कपड़े पहने हुए थी।
इस वक्त वो वहाँ बैडरूम में लगे एक शीशे के आगे खड़ी हुई—बेट्टी की कंघी से अपने बाल संवार रही थी।
कॉरेन के हाथ में अपनी बीवी की कंघी देखकर केन और चिढ़ गया लेकिन बोला कुछ नहीं।
“गए तुम्हारे दोस्त।”—कॉरेन ने पूछा—“हो गई उन मरदूदों को तसल्ली!”
“हाँ वो चले गए।”—केन ने संक्षिप्त-सा जवाब दिया और अपनी पिछली रात के लिए सफाई देने की गर्ज से कहा—“वो....कल रात मैं नशे में था और शायद इसीलिए अपनी सुध-बुध खो बैठा।”
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06-25-2020, 01:50 PM,
#32
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
“ठीक है—ठीक है।”—कॉरेन हँसी—“अब अपनी अंतरात्मा की ऐसी भोली आवाज को ब्रेक दो और मुझ पर रहम करो। वैसे भी तुमने रात भर मुझे सोने नहीं दिया।”
“कॉरेन....मैं....दरअसल।”—केन ने शर्मिन्दा होकर दिखाया।
“छोड़ो—मैंने कहा था कि भरने के बाद जाम फिर झलकने लगता है।”
केन और चिढ़ गया।
क्या मनहूस सुबह थी।
बल्कि मनहूस रात के बाद ये अगली सुबह भी मनहूस ही थी।
बिना कुछ कहे—बिना कॉरेन पर निगाह डाले—वो बाथरूम में जा घुसा और दफ्तर चलने की गर्ज से तैयार होने लगा।
जब तक वो बाहर निकला कॉरेन कॉफी तैयार कर चुकी थी।
“आओ—कॉफी लो।”—उसने अपनी कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा।
“अरे—तुम अभी यहीं हो।”—केन ने नाराज होते हुए कहा—“अभी गईं नहीं?”
“ओह—शटअप केन”—कॉरेन गुर्राई—“मैं तुम जैसे मर्दों को खूब जानती हूँ। पहले तो सारे पाप करेंगे और फिर मन भर जाते ही साधु होने का ढोंग रचने लगेंगे।”
“मेरा वो मतलब नहीं था।”—केन ने संभलते हुए कहा।
“मुझे मतलब समझाने की जरूरत नहीं। मैं बखूबी जानती हूँ कि तुम्हारा क्या मतलब था।”
“कॉरेन....।”
“छोड़ो—जाओ जाकर बिस्तर ठीक करो और अपनी पिछली रात की उछलकूद की निशानियाँ निपटाओ।”
“हाँ—करता हूँ पर जरा पहले कॉफी पी लूँ—मुझे इसकी ज्यादा जरूरत है।”
“और हाँ”—कॉरेन ने खींसे निपोरते हुए कहा—“चादर लाण्ड्री में भेजनी होगी।”
“ठीक है।”
दोनों ने अगले कुछ मिनट बिना कहे कॉफी समाप्त करने में गुजारे।
“आओ चलो।”—कॉरेन ने अपनी कॉफी खत्म करके कप नीचे रखा।
“मैं तुम्हारी मदद करती हूँ।”
केन को ध्यान आया कि नौ बजे उसकी मेड ने भी आना था। वो फटाफट खड़ा हुआ और आनन-फानन में अपना बैडरूम दुरुस्त करने में लग गया।
पलंग पर नई चादर डाली।
पुरानी चादर का बंडल बनाया।
तकिए वगैरह यथास्थान जमाए और कुछ पल गौर से हर चीज चैक की—कि कुछ रह तो नहीं गया था।
ठीक।
सब बढ़िया था।
अब सब ठीक था।
“अरे—अब चलो भी।”—कॉरेन ने उसे कहा।
“हाँ।”—वो बोला और मेन डोर की ओर चल पड़ा।
“अरे बेवकूफ आदमी!”—कॉरेन ने पीछे से आवाज लगाई— “पहले खिड़की से देख तो लो कि बाहर कोई है तो नहीं।”
केन हड़बड़ाया।
इतनी छोटी सी बात उसे नहीं सूझी थी।
खुद पर शर्मिन्दा होता हुआ उसने खिड़की पर पहुँचकर बाहर झाँका।
उसका एक पड़ोसी अपने बगीचे में क्यारी खोदने में व्यस्त था।
सत्यानाश!
अब कॉरेन को बाहर कैसे निकाले?
वो बाहर निकलते ही उस पड़ोसी की निगाह में आ जाती।
वो सहम गया।
“क्या हुआ?”—कॉरेन ने उसकी हालत देखी और आगे बढ़कर खुद खिड़की के बाहर झाँका।
वो पड़ौसी उसे भी दिखाई दिया।
“मरो मत”—कॉरेन ने कहा—“तुम यहाँ से बाहर निकलो और गैराज में कार तक पहुँचो। तब तक मैं भीतर ही भीतर गैराज में जाकर वहीं कार में ही पिछली सीट के सामने फर्श पर लेट जाऊँगी। मुझे एक चादर दो—मैं उसे अपने ऊपर डाल लूँगी।”
और कोई रास्ता नहीं था।
मजबूरन केन को यह मशवरा मानना पड़ा और यूँ उसके एम्प्लायर—शहर के नामी-गिरामी ऊँची हस्तियों में शुमार उसके बॉस, मिस्टर स्टर्नवुड—की बेटी की वहाँ उस जगह से रवानगी—ऐसी खुफिया रवानगी—का रास्ता बना।
दोनों तय तरीके से बंगले से सुरक्षित—कॉरेन के बिना पड़ोसी की निगाह में आए—बाहर निकले। केन ने कार को हाईवे की राह डाला और कॉरेन को उठकर बैठने को कहा।
कॉरेन ने चादर हटाई और उठकर वहीं पिछली सीट पर ही बैठ गई।
बाकी पूरे रास्ते दोनों ने खामोशी से सफर काटा।
“तुम जाकर दफ्तर खोलो।”—कार के रुकते ही कॉरेन ने कहा—“और मैं इन चादरों को लान्ड्री में दे आती हूँ।”
केन ने हामी भरी और कार से उतर गया।
कॉरेन की प्रेजेन्स ऑफ माईन्ड उससे कहीं बेहतर थी—और केन को इस बाबत कतई कोई मुगालता नहीं था। जहाँ छोटी-छोटी दिक्कतों के आगे वो घबरा जाता था वहीं कॉरेन बड़ी बेबाकी से, बड़ी बहादुरी से उन्हीं परेशानियों के बीच में से अपना रास्ता बना लेती थी।
और वैसे भी—उसका सिर अभी भी दर्द से फटा जा रहा था। ऊपर से उसकी पिछली रात की करतूत पर उसकी कांशिश उसे धिक्कार रही थी।
केन सीधे दफ्तर में पहुँचा और पिछले दिन की डाक थामे अपने टेबल पर पहुँचा।
उसने बड़े मरे मन से काम करना शुरू किया और अभी पहली डाक बस खोली ही थी कि फोन की घण्टी बज उठी।
उसने हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठाया।
“हैलो।”—वह बोला।
“केन?”—दूसरी ओर से बेट्टी का स्वर उभरा।
“हॉय बेट्टी।”—वह बोला।
“ओह डार्लिंग—डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है।”—बेट्टी ने अस्थिर स्वर में कहा—“डैडी अपनी आखिरी सांसें ले रहे हैं और लगातार तुम्हें ही याद कर रहे हैं।”
केन का चेहरा फक पड़ गया।
बेट्टी के पिता को वो अपने पिता की तरह मानता रहा था।
“मैं अगली फ्लाईट से वहाँ पहुँच रहा हूँ।”—उसने बेट्टी को ढांढस बंधाया—“आई एम सो सॉरी हनी।”
“मैंने अभी चैक किया था—अगली फ्लाईट साढ़े दस बजे है।”
“ठीक है—मैं आ रहा हूँ।”—कहकर उसने रिसीवर वापिस यथास्थान रखा और उठ खड़ा हुआ।
तभी कॉरेन भीतर दाखिल हुई।
“मैंने वो चादरें वहाँ लान्ड्री में....”—वह बोलते-बोलते रुकी और केन के फक चेहरे को देखकर बोली—“अरे अब कौन-सा पहाड़ टूट पड़ा?”
“मेरे ससुर मर रहे है।”—केन ने धीमे से कहा—“मुझे जाना होगा।”
“ओह!”
“मैं सोमवार तक लौटने की कोशिश करूँगा।”
“तुम जाने को कह रहे हो और आज यहाँ लू ने भी अपनी दस हजार की रकम लेने आना है।”
“भाड़ में जाए हरामजादा!”—केन ने कहा और दफ्तर के बाहर निकल गया।
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06-25-2020, 01:50 PM,
#33
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
भारी बदन वाली केटी व्हाईट इस वक्त रेत पर बैठी अपने सामने रात से जलते अलाव को देख रही थी।
रात से यह सुबह का वक्त था और वहाँ कॉलोनी के लोग नाश्ता वगैरह करके या तो सामने फैले समन्दर में तैरने चले गए थे या फिर छोटी-मोटी कमाई करने अपने-अपने काम पर—लेकिन लू बून अभी अपने केबिन में ही था और केटी वहाँ बैठी उसके बारे में सोचती हुई उसके नाश्ते पर आने का इंतजार कर रही थी।
उसे लू पसंद था।
वो नौजवान था।
खूबसूरत था।
और उसे ऐसे ही जवां मर्द पसंद थे।
केटी अपने ख्यालों में इतना आगे पहुँच गई कि उसे खुद को लू की बाँहों में होने का अहसास हुआ।
उसे ये रोमांटिक अहसास रोमांचित करने लगा।
“केटी—क्या सो गई हो?”—आवाज आई।
केटी ने चौंककर आवाज की दिशा में देखा तो पाया कि सामने मिसकोलो खड़ा था।
“हाँ...सपनों में खो गई थी।”—केटी ने उठते हुए कहा—“अभी सफाई शुरू करती हूँ।”
“ठीक है।”—मिसकोलो ने परेशान होते हुए कहा।
“क्या बात है? तुम परेशान क्यों हो?”—केटी ने पूछा।
“हाँ केटी—मैं वाकई में परेशान हूँ।”
“क्या कोई खास बात हो गई है?”
“दरअसल वही कत्ल का मामला अभी भी मुझे हलकान किए हुए है।”—मिसकोलो ने लम्बी साँस छोड़ते हुए कहा—“ऐसे खतरनाक सिलसिले में हमारी तस्वीर को यूँ टी.वी. स्क्रीन पर दिखाया जाना हमारे हक में नहीं जाने वाला, मुझे पक्का यकीन है कि कल वहाँ लू के केबिन में पहुँचने वाले पत्रकार ने पीछे अपने उस मिनी ट्रक में कोई कैमरा इंस्टाल किया हुआ था। वो पत्रकार—जिसका नाम हैमिल्टन है—इस पूरे मामले में अपनी रिपोर्ट कुछ इस तरीके से पेश कर सकता है कि चारों ओर सनसनी फैल जाए—जिससे चिढ़कर यहाँ का प्रशासन हमें यहाँ से चले जाने का नोटिस थमा सकता है।”
“ओह!”—केटी ने निराशा में कहा।
“और अगर ऐसा हुआ तो मुझे चिन्ता इस बात की है कि हम आगे जायेंगे कहाँ?”
“कहीं भी चले जाएंगे—बहुत जगह है।”—केटी ने सांत्वनापूर्वक कहा और पूछा—“टाईम क्या हो गया?”
“दस बज चुके हैं।”—मिसकोलो ने जवाब देते हुए कहा— “और हमें यहाँ इस जगह दो साल हो गए हैं। हम अब—जब इस जगह पर खूब रच बस गए हैं—इसे छोड़कर अगर किसी और जगह जाने को मजबूर हुए तो बड़ी दिक्कतें पेश आएँगी।”
“हाँ वो तो है।”—केटी ने कहा।
“हमें यहाँ से—इस जगह को छोड़कर—मजबूरन छोड़कर—जाना रास नहीं आने वाला।”
केटी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
और कुछ मिनटों में वहाँ लू ने आना था और उस वक्त वो लू के साथ वहाँ अकेले रहना चाहती थी।
“तुम स्वीमिंग करने नहीं जा रहे?”—उसने मिसकोलो से बेसब्री से कहा।
“ओह हाँ—मैं चलता हूँ।”—वह बोला—“शायद तुम्हें किसी का इंतजार है।”—उसने आगे बढ़ते हुए कहा—“वैसे बून कह रहा था कि कल वो यहाँ से जा रहा है।”
“शायद वो लौटकर फिर वापिस आ जाए।”
“हाँ—शायद।”—मिसकोलो ने कहा और वहाँ से चला गया।
केटी पीछे अब फिर अकेली थी।
उसने फिर से लू के बारे में सोचना शुरू कर दिया।
वो बस आता ही होगा।
धीरे-धीरे उसकी बेताबी बढ़ने लगी। उसे लगा कि लू शायद अभी भी बिस्तर पर पड़ा ऊंघ रहा होगा और बहुत मुमकिन था कि वो अपना नाश्ता वहीं बिस्तर पर लेना पसंद करे।
वो नया ख्याल उसे और पसंद आया।
लू अपने केबिन में अकेला होगा और ऐसे में उसका वहाँ नाश्ता लेकर जाना....।
वो रोमांचित हो उठी।
उसने फौरन उस आईडिया पर अमल किया और एक आदमी के नाश्ते का इंतजाम करके लू के केबिन के बाहर आ पहुँची।
उसने दोबारा दरवाजे पर दस्तक दी।
कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
“शायद अभी भी नींद में हो?”—उसने सोचा और इस बार कदरन ज्यादा जोर से दरवाजा खटखटाया और कहा—“लू मैं तुम्हारा नाश्ता लाई हूँ।”
इस पर भी भीतर कोई हलचल, कोई हिलडुल न होती देखकर केटी ने दरवाजे को हल्का सा धकेला तो उसे खुला पाया।
उसने केबिन का दरवाजा धीरे-धीरे खोल लिया।
सूरज की धूप, उस केबिन के तख्तों से गुजरकर, कई लकीरों के रूप में भीतर आ रही थी।
और भीतर—
मेज पर खून से सना—लू का कटा हुआ सिर रखा था जिस पर मक्खियाँ भिनभिना रही थीं।
केटी के हाथ से नाश्ते की प्लेट छूटकर नीचे जा गिरी।
बाहर, समन्दर तट पर चले जा रहे मिसकोलो को केटी की एक भयानक आतंकपूर्ण चीख सुनाई दी।
वह तुरन्त पलटा और लू के केबिन की ओर भागा।
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06-25-2020, 01:50 PM,
#34
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
पुलिस की टीम ने वहाँ डेरा जमा रखा था।
और उसी टीम में टैरी डाऊन भी था जो पुलिस फोटोग्राफर था। अपनी उस नौकरी में उसने अक्सर बड़ी भद्दी और दिल दहलाऊ घटनाओं को कवर किया था लेकिन ये मौजूदा मामला अलग था।
इतना अलग कि टैरी डाऊन ने वहाँ मौकाए वारदात पर तस्वीरें खींचने की अपनी ड्यूटी जैसे तैसे भुगती और फौरन ही लू बून की क्षत-विक्षत लाश से दूर-हटकर बाहर झाड़ियों की ओर भागता चला गया।
और वो अकेला नहीं था जिसकी ऐसी बुरी दुर्गति हो रही थी।
बेगलर, हेस और यहाँ तक कि लेपस्कि जैसे सख्तजान पुलिसिए भी खुद को बामुश्किल संभाले हुए उस वक्त लू बून के केबिन के बाहर खड़े डा. लुईस और उनके सहकर्मियों का इंतजार कर रहे थे।
“यह यकीनन उसी पागल हत्यारे का काम है।”—बेगलर ने पसीना पोंछते हुए कहा—“और उस पर कत्ल करने का भूत सवार है।”
“यह बेहद खतरनाक है।”—लेपस्कि ने कहा।
“क्या तुमने कल टी.वी. पर हैमिल्टन की रिपोर्ट देखी थी?”—हेस ने पूछा—“उसने टी.वी. पर आकर बिल्कुल साफ लफ्जों में खम ठोक कर ये दावा किया था कि लू बून उस पहले वाले कत्ल की रात वहीं मौका-ए-वारदात पर न सिर्फ मौजूद था बल्कि शायद उसने उस रात कातिल को भी देखा था। हैमिल्टन का यही दावा शायद उस विक्षिप्त हत्यारे ने भी देख लिया था और नतीजतन लू बून को खुद के लिए खतरा मानते हुए उसने इसे ठिकाने लगा दिया।”
“मारा तो ठीक—लेकिन मार कर यूँ काट डालने की क्या जरूरत थी?”
“वो इसलिए कि इससे—शायद इसी से उसे वो अपनी मानसिक भूख मिटती देखता था। शायद विक्षिप्तता के उस दौर में लाश की यूँ दुर्गति करना उसे संतोष देता हो।”
“वो सिर्फ पागल नहीं है बल्कि बेहद ऊँचे दर्जे का पागल है। वो पाश्विक प्रवृत्ति का ऐसा जुनूनी कातिल है जिसे कत्ल करने का कोई जुनून, कोई नशा है।”
“सही कहा।”
तभी डा. लुईस केबिन से बाहर निकला तो तीनों उसकी ओर उन्मुख हुए।
“किसी नतीजे पर पहुँचे डॉक्टर?”—हेस ने पूछा।
“ये एक हौलनाक कत्ल है।”—डा. लुईस ने बड़े अनमने ढंग से अपने कंधे झटकाते हुए कहा—“और पुलिस महकमे के साथ अपने खूब लम्बे एसोसिएशन के दौरान मैंने कभी इस किस्म के वहशी कत्लों का सामना नहीं किया। अभी वो पिछला कत्ल होकर हटा ही था कि ये एक और....”
“आपकी इस मामले में कोई फाईनल, कोई पक्की रिपोर्ट तो आगे आते-आते आएगी लेकिन फौरी तौर पर आपका इस बाबत क्या कहना है?”—लेपस्कि ने डा. लुईस को टोकते हुए कहा।
“वैल”—डॉ. लुईस ने इशारा समझा—“मोटे तौर पर मेरा अंदाजा यह है कि ये कत्ल बीती रात दो बजे के करीब का हो सकता है। कातिल ने शायद दरवाजा खटखटाया होगा और लू बून के दरवाजा खोलते ही उसने उस पर चौड़े फल वाला कोई पैना चाकू—या ऐसा ही कोई और हथियार—उसे भोंक दिया। ऐसे जबर्दस्त सटीक वार से मौत फौरन हुई लगती है जिसके बाद शायद कातिल ने बड़े इत्मिनान से अपना वक्त लिया और लाश के सिर को उसके धड़ से अलग कर उसे वहाँ उधर मौजूद मेज पर रख दिया। इसके बाद उसने धड़ को भी आगे—गन्ने काटने जैसे किसी औजार से क्षत विक्षत कर दिया।”
“बड़ी हौलनाक घटना है।”—हेस ने कहा।
“बेशक—और इससे मेरा ये ख्याल भी पुख्ता होता लगता है कि कातिल सिर्फ पागल नहीं है। वो नीम पागल है, वो वहशी है जिसे केवल कत्ल करने भर से संतोष नहीं मिलता बल्कि उसकी भूख, उसकी मानसिक वितृष्णा उसके शिकार की लाश को आगे यूँ काट-पीटकर टुकड़े-टुकड़े कर देने पर ही ठण्डी पड़ती है। वो ऐसा मैनियाक है जो किसी को केवल मुर्दा बना देने पर ही नहीं रुक जाता बल्कि उससे कहीं आगे जाकर बकायदा उस मुर्दे की दुरगत करने पर ही रुकता है।”
“आप लाश को वहाँ से उठवा रहे हैं?”—हेस ने पूछा—“हमें केबिन चैक करना है।”
“आदमी लगे हुए हैं—ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।”—डॉ. लुईस ने कहा।
“मैं मिसकोलो से पूछताछ करना चाहूँगा।”—लेपस्कि ने हेस से कहा—“वो लड़की जिसने लाश यहाँ केबिन में बरामद की थी—इस घटना के बाद ऐसे सदमे में है कि फिलहाल बात करने की हालत में ही नहीं है।”
“ठीक है।”—हेस ने कहा और डॉ. लुईस से पूछा—“क्या हम उसे सिडेटिव देकर अस्पताल भेज सकते हैं?”
“मैं अभी इंतजाम करता हूँ।”—डॉ. लुईस ने कहा और वहाँ से हट गया। लेपस्कि मिसकोलो के पास पहुँचा और उसके सामने जाकर वहीं नीचे रेत पर ही बैठ गया। और कई लोग अभी भी वहाँ इधर-उधर बिखरे खड़े थे और फुसफुसाहट में बतिया रहे थे।
“उसका कत्ल बीती रात करीब दो बजे हुआ होने का अंदाजा है।”—लेपस्कि ने कहा—“क्या उस वक्त तुमने वहाँ केबिन में कोई आहट, कोई आवाज वगैरह सुनी थी?”
“मैं उस वक्त सोया पड़ा था। सुबह सबसे पहले केटी ने ही ये हादसा देखा था।”—मिसकोलो ने कहा।
“क्या तुम में से किसी ने कुछ देखा था?”—लेपस्कि वहाँ खड़े लोगों से संबोधित हुआ।
“मैंने सुना था।”—एक लम्बे पतले युवक ने आगे आकर कहा।
एक अन्य पुलिस वाला—डस्टी—भी वहाँ आ पहुँचा और अपनी नोटबुक खोल नोट लिखने लगा।
“तुम कौन हो?”—लेपस्कि ने उस नवयुवक से पूछा।
“मेरा नाम बो वाकर है और मैं यहाँ ऐसे ही सैर सपाटा करने के मकसद से पहुँचा हुआ हूँ।”—वह बोला।
“तुमने बीती रात कुछ सुना था?”
“हाँ।”
“लू बून के केबिन में कुछ सुना था?”
“हाँ—मैंने बीती रात उस केबिन में घटी उठापटक सुनी थी।”
“किस वक्त?”
“रात के दो बजकर चालीस मिनट हुए थे।”
“तुम्हें वक्त का ऐसा पक्का अंदाजा क्यों है?”
“मेरे पिता ने मेरी इक्कीसवीं सालगिरह पर ये घड़ी तोहफे में दी है।”—उसने अपनी कलाई घड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा—“और मुझे इसमें वक्त देखना बड़ा पसंद है।”
“ओह—तो तुमने बीती रात दो बजकर चालीस मिनट पर क्या सुना था?”
“जी वो हुआ ये कि....”
“रुको”—लेपस्कि ने उसे टोका—“पहले ये बताओ कि तुम ऐसे बेवक्त खुद कैसे जागे हुए थे।”
“मैं पहले से जागा नहीं हुआ था बल्कि उस वक्त रात के उस पहर पेशाब करने इत्तेफाकन उठ गया था।”
“ठीक”—लेपस्कि ने कहा—“तो जब तुम उठे फिर....”
“उस वक्त रात के उस पहर भी लू के केबिन में रोशनी थी।”
“तुमने देखा था?”
“हाँ—मैंने केबिन में रोशनी देखी थी और उसी दौरान दो बार ऐसी आवाजें सुनीं जैसी कसाई के गोश्त काटते समय पैदा होती हैं।”
“अब ये तुम कैसे कह सकते हो कि वो आवाज कसाई के गोश्त काटने जैसी आवाज थी?”
“वो इसलिए कि मेरा बाप भी कसाई है और उस वजह से मैं इस तरह की आवाज को पहचानता हूँ।”
“और ये बीती रात दो बजकर चालीस मिनट की बात है?”
“हाँ—और मैंने क्या कहा?”
“मैंने सुना तुमने क्या कहा”—लेपस्कि बोला—“खैर तुम आगे बताओ।”
“आगे....आगे बताने को कुछ नहीं है।”
“क्या मतलब?”
“मतलब ये कि मैंने जिस वजह से रात की उस घड़ी उठा था, उस वजह से निजात पाकर मैं वापिस अपने बिस्तर पर जा लेटा था।”
“और जब तुम अपनी नेचर कॉल से फुर्सत पाकर वापिस अपने बिस्तर पर पहुँचे, उस वक्त भी लू के केबिन में रोशनी थी?”
“हाँ।”
“तुम्हें यकीन है?”
“बखूबी याद है—अभी कुछ घण्टे पहले ही की तो बात है।”
“तुम यहाँ इस कॉलोनी में कब तक ठहरोगे?”
“अगले महीने तक।”
“बढ़िया”—लेपस्कि ने संतुष्टिपूर्वक कहा—“मैं तुम्हारी इस मदद के लिए शुक्रिया अदा करता हूँ। लेकिन मैं आगे भी तुमसे एक और बार बात करना चाहूँगा—सो मुझसे मिले बिना यहाँ से चले मत जाना।”
“ठीक है।”—बो ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा।
“और सुनो।”—लेपस्कि ने गंभीरतापूर्वक कहा—“फिलहाल प्रेस या किसी के भी सामने तुमने अपना मुँह नहीं खोलना है, वरना तुम्हारा हश्र भी लू बून वाला हो सकता है।”
“मतलब?”—बो ने हड़बड़ाते हुए पूछा।
“मतलब यही कि हमें शक है कि लू बून की हत्या यहाँ बीती रात इसलिए की गई है कि कातिल को उस पर शक था। हम नहीं चाहते कि वो विक्षिप्त हत्यारा एक और खून करने में कामयाब हो।”
“मतलब तो यही हुआ न कि मेरी जान खतरे में है।”—वह बोला।
“सावधान रहो—और अपना मुँह बंद रखो।”—लेपस्कि ने कहा और डस्टी को निर्देश दिया—“इसका स्थाई रेसिडेंशल एड्रेस नोट करना न भूलना।”
“यस सर।”—डस्टी बोला।
लेपस्कि ने बो का कंधा थपथपाया और वापिस लू बून के केबिन की ओर बढ़ गया।
केबिन में डॉक्टर लुईस की होमीसाईड डिपार्टमेन्ट की टीम अभी भी अपने काम में जुटी हुई थी।
हेस वहीं पास में खड़ा सिगार फूँक रहा था।
लेपस्कि ने उसे जाकर रिपोर्ट दी और बताया कि बीती रात कैसे बो वाकर नाम के एक युवक ने उस तरह कसाई के गोश्त काटने की आवाजें आती सुनी थीं।
“हम्म”—हेस ने कहा—“तो इसका मतलब कि कत्ल बीती रात दो बजे से दो चालीस के बीच हुआ है।”
“जी सर—फिलहाल तो ऐसा ही लगता है।”
“ये एक महत्वपूर्ण बात है।”—हेस ने कहा—“और आगे हमारे काम आने वाली है।”
तभी होमीसाईड डिपार्टमेन्ट का एक आदमी केबिन से बाहर निकला और उनके पास पहुँचा।
“ये केबिन में मौजूद एक बैग से बरामद हुए हैं।”—उसने हेस को दो लिफाफे थमाते हुए कहा।
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06-25-2020, 01:51 PM,
#35
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
हेस ने लिफाफे ले लिए और उन्हें खोला।
एक लिफाफा मिसेज केन ब्रैन्डन के नाम था और दूसरा मिस्टर जेफरसन स्टर्नवुड के नाम।
हैरान होते हुए हेस ने लिफाफों में मौजूद रुक्कों को पढ़ा—वो रुक्के जो दरअसल ब्लैकमेलिंग के मकसद से तैयार किए गए थे। केन और कॉरेन को ब्लैकमेल करने और उनसे दस हजार डॉलर की रकम हासिल होने की उम्मीद लिए लू बून मरा जा चुका था।
“तो ये हरामजादा उन दोनों को ब्लैकमेल कर रहा था।”—हेस ने दोनों रुक्कों को वापिस लिफाफों में डालते हुए कहा—“और ये इस कमबख्त की मौत की वाहिद वजह हो सकती है।”
“यानि कि लू बून का कत्ल केन ब्रैन्डन ने कॉरेन के साथ मिलकर इसलिए किया कि वो उन्हें ब्लैकमेल करने पर तुला हुआ था।”
“भई”—हेस ने कहा—“मोटिव तो है ही।”
“नहीं सर।”—लेपस्कि ने असहमति जताते हुए कहा—“मेरे गले ये बात नहीं उतरती कि केन जैसा आदमी किसी का कत्ल करके उसकी लाश को यूँ कसाई की तरह काटकर टुकड़े-टुकड़े कर दे।”
“भई—मोटिव तो है न उसके पास।”
“सर मोटिव है—लेकिन वो मोटिव, वो उद्देश्य महज कत्ल की वजह हो सकता था, कत्ल के बाद लाश को यूँ क्षत-विक्षत कर देने की वजह नहीं। ये काम तो किसी नीम पागल का है, किसी मैनियाक किसी सैडिस्ट का है जिसे केवल कत्ल करके नहीं बल्कि कत्ल कर चुकने के बाद लाश की उस किस्म की दुरगत करने में तसल्ली मिलती थी।”
“और केन ऐसा नीम पागल नहीं है?”
“लगता तो नहीं। लगता तो बिल्कुल भी नहीं।”
“हम्म....वैसे क्या पता कि किसी के दिमाग में कब कैसा फितूर जाग जाए और वही फितूर वही जुनून के तहत वो क्या कर गुजरे।”—हेस ने जिद की—“लेकिन फिर भी तुम्हारी बात में वजन है। मुझे लगता है—इस बाबत चीफ से बात करना ठीक रहेगा।”
“ठीक है सर।”—लेपस्कि ने कहा।
अगले बीस मिनट बाद दोनों पुलिस अफसर चीफ से मिलने पुलिस हैडक्वार्टर पहुँच चुके थे।
वहाँ पहुँचते ही जैकोबी ने लेपस्कि को एक ओर ले जाकर खबर दी कि वहाँ उसके पीछे लेवाइन ने उससे फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की थी।
“क्या कोई खास बात कहना चाहता था?”—लेपस्कि ने पूछा।
“हाँ—लेकिन सिर्फ आपसे।”—जैकोबी बोला।
“चीफ है?”
“नहीं—फिलहाल मेयर से मिलने गया हुआ है।”
“बढ़िया—इसका मतलब है कि मेरे पास लेवाइन को कॉल कर सकने लायक कुछेक मिनट हैं।”—लेपस्कि ने अधीरतापूर्वक कहा—“आओ—उसे फोन लगाते हैं।”
जैकोबी ने लेवाइन के नम्बर पर कॉल लगाई।
“मिस्टर लेवाइन”—संपर्क स्थापित होते ही जैकोबी बोला—“आप मिस्टर लेपस्कि से बात करना चाहते थे—लीजिए वो फोन पर हैं।”
“ओह शुक्रिया।”—लेवाइन ने कहा।
“मिस्टर लेवाइन....?”—लेपस्कि ने कॉल पर आते हुए कहा।
“जी मिस्टर लेपस्कि।”
“आपने मुझे कॉल की थी?”
“जी हाँ—मैं आपसे एक बात शेयर करना चाहता था।”
“जी कहिए।”
“जी—दरअसल आज सुबह मैंने रैक में देखा तो पाया कि मेरी बनाई एक जैकेट में से एक बटन गायब था।”
“गायब था?”
“जी—मेरा मतलब है कि उस बटन को वहाँ जैकेट पर से किसी ने काटकर अलग निकाल लिया था।”
लेपस्कि फौरन सतर्क हुआ।
“और वो बटन कैसा था?”—उसने पूछा।
“जी वो ठीक वैसा ही बटन था—गोल्फ बॉल डिजाईन वाला—जो आजकल इतनी चर्चा में है।”
“और उसे—उस खास बटन को वहाँ आपके यहाँ रैक में मौजूद किसी जैकेट में से बकायदा काटकर अलग निकाल लिया गया है।”
“जी हाँ।”
“आपकी जानकारी में लाए बिना?”
“जी हाँ।”
“ओके....”—लेपस्कि ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कहा—“क्या आप वो जैकेट दो-चार दिन के लिए हमें दे सकते हैं?”
“सॉरी—उसे तो मैंने दुरुस्त करके आज सुबह बेच भी दिया है।”
“बेच भी दी?”
“जी हाँ।”—लेवाइन ने धीमे स्वर में कहा—“मैंने उसमें दूसरा बटन लगाया ही था कि एक कस्टमर—जो उसी वक्त वहाँ पहुँचा था—ने उसे पसंद कर तभी के तभी खरीद भी लिया था।”
“इतनी तुरत-फुरत।”
“अब मैं क्या कहूँ। हुआ तो ये तुरत-फुरत में ही।”
“ओह!”—लेपस्कि निराशा भरे स्वर में बोला—“खैर—वो ग्राहक कौन था जिसे आपने वो जैकेट बेची?”
“जी—मैं नहीं जानता वो कौन था।”
“क्या मतलब?”
“मतलब ये कि वो कैश कस्टमर था जिसने मेरी दुकान पर आकर अपनी पसंद की जैकेट चुनी और कैश पैमेन्ट कर दिया। तो यूँ मुझे उसका नाम पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी।”
“हम्म....नाम न सही उसका हुलिया वगैरह तो बता सकते हैं आप?”
“जी—देखने में तो वो कोई सज्जन, कोई भद्र पुरुष ही जान पड़ता था जो खुद को यहाँ टेक्सास शहर से आया होना बता रहा था।”
“दिखने में कैसा था? कद काठी कैसी थी?”
लेवाइन ने बताया।
“मिस्टर लेवाइन”—लेपस्कि ने अंत में पूछा—“क्या आप महज बटन देखकर बता सकते हैं कि वो बटन जैकेट पर आपका टांका ओरिजनल बटन है या आपकी जैकेट के साथ सप्लाई किया जाता उन स्पेयर बटनों के स्टॉक का हिस्सा है जो कि आप अपनी हर जैकेट के साथ देते करते हैं।”
“नहीं”—लेवाइन ने हैरान होते हुए कहा—“ये कैसे मुमकिन है। आखिरकार बटन तो बटन ही है।”
लेपस्कि ने लम्बी सांस छोड़ी और वार्तालाप समाप्त किया।
“तुम ब्रैन्डन की जैकेट और उस डुप्लिकेट बटन को लेकर लैब पहुँचो।”—लेपस्कि ने जैकोबी को स्थिति समझाते हुए कहा—“हो सकता है कि यूँ वहाँ लैब में जांच होने पर ये पता लगाया जा सके कि वो सारे बटन एक ही स्टाक का हिस्सा हैं या अलग-अलग वक्त पर बनाए गए समान डिजाईन वाले बटन हैं।”
“ठीक है।”—जैकोबी ने कहा और चला गया।
पीछे लेपस्कि ने लेवाइन को दोबारा कॉल लगाई।
“मिस्टर लेवाइन”—संपर्क स्थापित होने पर उसने पूछा—“क्या पिछले दो दिनों में मिस्टर केन ब्रेन्डन आपकी दुकान पर आए हैं?”
“जी नहीं।”—लेवाइन ने बताया।
“शायद उस वक्त आए हों जबकि आप वहाँ अपने काऊण्टर पर मौजूद न रहे हों?”—लेपस्कि ने एक बार फिर कोशिश की।
“जी नहीं—ये मुमकिन ही नहीं है।”—लेवाइन ने कहा—“मैं अपना काऊण्टर यूं अन-अटैण्डेड कभी नहीं छोड़ता।”
“ओह!”—लेपस्कि ने कहा और रिसीवर रख दिया।
अब आगे उसे चीफ का इंतजार करना था।
चीफ जो मेयर से मिलने बाहर निकला हुआ था।
लेपस्कि अपनी मेज के पीछे अपनी कुर्सी पर जा बैठा और डिटेक्टिव हेल को भी वहीं बुलवा लिया।
उनका वो इंतजार पौने बारह बजे तक चला।
तब तक जब तक कि चीफ वापिस अपने ऑफिस नहीं लौट आया।
“ओके ऑफिसर्स।”—चीफ ने अपनी कुर्सी पर बैठकर अपना स्मोकिंग पाईप भरते हुए पूछा—“तो क्या प्रोग्रेस है?”
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06-25-2020, 01:51 PM,
#36
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
“लू बून की हत्या का सही वक्त पता लग गया है।”—लेपस्कि ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा—“केबिन में हमें जितने भी फिंगरप्रिन्ट मिले हैं उन्हें चैक किया जा रहा है।”
“हूँ।”—पुलिस चीफ टेरेल ने कहा।
“हमारा अंदाजा है कि लू बून की लाश को यूँ काटते-छांटते वक्त कातिल शायद पूरी तरह से नंगा था जिसने अपने बदन पर लगे खून को वहीं केबिन के अटैच्ड शॉवर रूम में जाकर बकायदा अच्छी तरह नहा-धोकर साफ किया था। जाहिर है इस वजह से उसके कपड़ों पर शायद खून नहीं लगा होगा।”
“ये कातिल मेरे कैरियर की सबसे बड़ी चुनौती, सबसे बड़ा चैलेंज बनता जा रहा है।”
“सर—हमारा खुद का भी यही मानना है।”
“और आगे क्या कुछ मिला?”—टेरेल ने पूछा—“उधर केबिन की तलाशी हो गई?”
“यस सर”—लेपस्कि बोला—“वहाँ तलाशी में हमें एक बैग में से दो नोट, दो रुक्के बरामद हुए हैं जो लू बून को ब्लैकमेलर के तौर पर स्थापित करते हैं।”
“यानि लू बून किसी को ब्लैकमेल कर रहा था?”
“किसी को नहीं—केन ब्रैन्डन और कॉरेन स्टर्नवुड को।”
“वो दो रुक्के उनके नाम हैं?”
“नहीं—वो दो नोट दरअसल केन ब्रैन्डन की बीवी और कॉरेन स्टर्नवुड के पिता के नाम हैं जिनमें उन दोनों के नाजायज रिश्ते की तरफ इशारा किया गया है।”
“तो ये कत्ल का मकसद, हत्या का मोटिव बनता है।”—टेरेल ने कहा।
“बनता तो है सर,”—लेपस्कि ने हिचकिचाते हुए कहा— “लेकिन मेरा जाती ख्याल है कि क्रेन ब्रैन्डन में ऐसा वहशियाना एक्ट कर सकने का माद्दा नहीं है।”
“यानि केन ब्रैन्डन कातिल नहीं है।”
“साथ में कॉरेन भी नहीं।”
“हम्म....”—टेरेल ने कहा—“आगे देखेंगे। तुम अपनी बात पूरी करो।”
लेपस्कि ने लेवाइन की फोन कॉल और उसके दुकान के रैक में जैकेट से काटे गए बटन की बाबत बताया।
“और ये काम मिस्टर ब्रैन्डन का हो सकता है।”—लेपस्कि ने अंत में कहा।
“ठीक है।”—टेरेल ने कहा—“अब मेरी सुनो।”
“यस सर।”
“शहर के मेयर मिस्टर हेडली जानना चाहते हैं कि हम इन कत्ल की दोनों सनसनीखेज घटनाओं को हल करने में कहाँ तक पहुँचे हैं। मैंने उनसे मिस्टर स्टर्नवुड और ब्रैन्डन के बारे में बताया है और इस मामले में खास मिस्टर स्टर्नवुड की बेटी के मामले में उन्होंने मुझे चेताया है। उनका कहना है कि जब तक ब्रैन्डन के नीम पागल होने का अकाट्य सबूत न मिल जाए, उस पर कोई हाथ न डाला जाए, मिस्टर स्टर्नवुड इन दिनों किसी तगड़े सिटी लोन को बैक कर रहा है और ऐसे में अगर हमने उसकी लड़की के नाम से जुड़ा कोई स्कैण्डल खड़ा किया तो ....।”—टेरेल ने लम्बी सांस छोड़ते हुए कहा—“मुझे अपने लिए नई नौकरी ढूँढनी पड़ जाएगी।”
“लेकिन ब्रैन्डन के पास कत्ल का तगड़ा उद्देश्य है।”—अब तक वार्तालाप में मूक पार्टिसिपेन्ट रहे हेस ने कहा।
“हो सकता है।”—टेरेल ने कहा—“लेकिन तुम इस पूरे मामले में हैमिल्टन वाला पहलू भूल रहे हो जिसने बकायदा टी.वी. पर लू बून की तस्वीर फ्लैश करके ये दावा किया कि उसने उस पहले कत्ल वाली रात कातिल को देखा था।”
“यस सर।”
“हैमिल्टन का ये दावा लू बून की मौत की वजह बना हो सकता है।”
“यस सर—आई एग्री टू दैट।”
“लेकिन अगर लैब में जांच से पता चला कि ब्रैन्डन के बटनों में से एक दरअसल दूसरी जगह से काटा हुआ है तो....”—लेपस्कि ने पूछा।
“उस सूरत में भी केवल यही साबित होगा कि ब्रैन्डन अपनी कुलीग और मिस्टर स्टर्नवुड की बेटी—कॉरेन स्टर्नवुड—के साथ अपने अफेयर के मामले को छुपाना चाहता है।”—टेरेल ने धैर्यहीन स्वर में कहा—“ब्रैन्डन पर दबाव डालने से पहले हमारे हाथ में उसके खिलाफ पुख्ता और ठोस सबूत होने चाहिए।”
“इसका मतलब फिलहाल हमें ब्रैन्डन पर हाथ नहीं डालना है।”—हेस ने खींजते हुए कहा।
“डू आई हैव टू ड्रा ए डायग्राम?”—टेरेल बोला।
“नो सर....”—हेस हड़बड़ाया—“आफकोर्स नॉट सर। वी गॉट इट।”
“लाईक दैट?”—टैरेल ने पूछा।
“यस सर—जस्ट लाईक दैट।”
“गुड”—टेरेल संतुष्टि के साथ बोला।
“लेकिन इसका मतलब”—लेपस्कि बोला—“कि हम घूमफिरकर फिर वहीं खड़े हैं जहाँ से चले थे।”
“नहीं”—टेरेल बोला—“हमें साईरस ग्रेग वाली जैकेट का अभी पता नहीं चला है सो वो एक लाईन है जिसे अभी प्रापर्ली फॉलो किया जाना बाकी है।”
“यस सर”—लेपस्कि ने कहा—“मिसेज ग्रेग और उनके बटलर का दावा है कि उन्होंने वो जैकेट सॉल्वेशन आर्मी को डोनेट कर दी थी वहीं सॉल्वेशन आर्मी के डिपो का इंचार्ज—क्रैडाक—कसम उठाकर कहता है कि वो जैकेट उसके पास कभी नहीं आई।”
“लेपस्कि”—टेरेल ने कहा—“तुम्हारे पास ब्रैन्डन की जैकेट है।”
“यस सर—मैंने उसे लैब भेजा है।”
“बढ़िया—उस जैकेट को लैब से वापिस मंगाकर हैमिल्टन के पास ले जाओ और उससे कहो कि वो उस जैकेट की तस्वीर को बकायदा टी.वी. पर फ्लैश करे। आगे उस जैकेट की तस्वीरें अखबारों में भी छपवाओ....इससे कुछ तो सरगर्मी होगी।”
“जी सर।”
“हो सकता है कि कातिल उस जैकेट को यूँ देखकर कोई हरकत करे और हमारे जाल में आ फंसे।”
“लेकिन सर”—लेपस्कि ने हिचकिचाते हुए कहा—“यह दूर की कौड़ी है। हत्यारा केन ब्रैन्डन की जैकेट से बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।”
“हो सकता है तुम्हारी बात सही हो,”—टेरेल ने कहा—“लेकिन एक चांस तो लिया ही जा सकता है। क्यों?”
“जी सर—यूँ एक चांस तो लिया ही जा सकता है, लिया जायेगा। मैं खुद उस जैकेट को लेकर ऐसे इंतजाम करता हूँ।”
“फौरन।”
“यस सर—फौरन।”
“बढ़िया”—टेरेन बोला—“नाओ टेक ए वॉक।”
दोनों अफसर लेपस्कि और हेस—फौरन अपनी जगह पर खड़े हुए और चीफ का अभिवादन कर बाहर आ गए।
लेपस्कि खुश हो रहा था।
उसने हैमिल्टन से मिलकर जैकेट को टी.वी. पर फ्लैश किए जाने का इंतजाम करना था।
और ये उसके लिए टी.वी. पर आने का मौका था।
कॉरेल—उसकी बीवी—उसे टी.वी. स्क्रीन पर देखकर खुशी से नाचने लगेगी।
उसके पड़ोसी भौंचक्के रह जाएंगे।
और उसके सहयोगी जलभुन जाएंगे।
बढ़िया—बढ़िया।
टी.वी. पर आने का ख्याल उसे रोमांचित किए जा रहा था।
¶¶
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06-25-2020, 01:51 PM,
#37
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
बुढ़ाता विलेन्सकी एक अरसे से पुलिस महकमे के अंतर्गत क्राईम इन्वेस्टिगेशन लैब में काम कर रहा था और अपने तजुर्बे के दम पर उसने कई उलझे केसों की गुत्थियों को सुलझाने में मदद की थी। उसने बड़ी नापसन्दगी के भाव से अपने सामने खड़े लेपस्कि की ओर देखा।
“बटनों का कुछ पता चला?”—लेपस्कि ने उससे जैकेट वापिस मांगते हुए पूछा।
“सब पता चल गया।”—विलेन्सकी ने कहा—“तुम लोग सिर्फ टाँगों से काम लेते हो, आँखों से नहीं। अगर तुमने आँखों से काम लिया होता तो फौरन पता कर लेते कि उन सब बटनों पर सीरियल नम्बर पड़े हुए हैं।”
“क्या वाकई में?”
“हाँ—और उसी वजह से ये बात पकड़ में आई है कि तुम्हारे दिए बटनों में एक बटन ऐसा भी है जो आगे न तो बैन्डन की जैकेट के बटनों से मेल खा रहा है और न ही उसके डुप्लिकेट बटनों से।”
“ओह!”
“हाँ—अगर उस बटन का सीरियल नम्बर हम मिस्टर लेवाइन की जैकेट के बटनों से मिलान कर पाते तो बेहतर होता।”
“उससे क्या होगा?”
“उससे ये होगा कि हम बेहद आसानी से इस तथ्य को स्थापित कर पायेंगे कि बैन्डन ने या किसी और ने उस एक सिंगल आऊट किए एक अलग सीरियल नम्बर लिखे बटन को कहीं और से, किसी और जैकेट से हासिल किया और अपने डुप्लिकेट बटनों के सैट में मिलाकर उन्हें तुम्हारे आगे परोस दिया।”
“ओह यस!”—लेपस्कि ने सिर हिलाते हुए कहा—“अब तुम वो जैकेट दो।”
“वो तो मैं दे ही रहा हूँ।”—विलेन्सकी ने कहा—“लेकिन मैं एक और बात कहना चाहता था।”
“क्या?”
“दरअसल बटनों में इस किस्म की हेरफेर के स्थापित हो जाने के बावजूद अभी आगे ब्रैन्डन को उनके दम पर कातिल साबित नहीं किया जा सकेगा।”
“क्या मतलब?”—लेपस्कि ने मुट्ठियाँ भींचते हुए कहा।
“मतलब ये कि मौका-ए-वारदात पर जो बटन मिला है और जिसे आगे डिटेक्टिव हेस ने मुझे दिया था—उसका सीरियल नम्बर एकदम अलग है। वो कोई और सीरियल का नम्बर है जो न तो ब्रैन्डन की जैकेट और उसके डुप्लिकेट बटनों से मिलता है और न मिस्टर लेवाइन के बटनों से।”
“ठीक है—ठीक है।”—लेपस्कि जो इस वक्त सिर्फ टी.वी. स्क्रीन पर आने की बाबत सोच रहा था, इसे अनसुना सा करते हुए बोला—“तुम जरा वो जैकेट इधर करो, मुझे टी.वी. स्टूडियो जाना है।”
विलेस्की ने एक अलमारी से जैकेट बरामद की और उसे थमा दी। लेपस्कि ने जैकट ली और लैब से बाहर निकल आया जहाँ एक टेलीफोन बूथ पर नजर पड़ते ही उसे याद आया कि उसने खुद के टी.वी. पर आने के बारे में कैरोल को तो खबर ही नहीं की थी। वह एक टेलीफोन बूथ में जा घुसा और अपने घर का नम्बर मिला दिया।
“सुनो।”—दूसरी ओर कैरोल का फोन उठाते ही उसने कहना चाहा—“आज....”
“लेपस्कि”—कैरोल ने उसकी बात काटते हुए कहा—“वो महिताबेल वाले क्लूज का तुमने कुछ किया?”
“कौन से क्लूज?”
“महिताबेल के बताये क्लूज। भूल भी गए?”
“कौन से—याद दिलाओ तो।”
“अरे वो लाल सुर्ख चाँद, काला आकाश और सन्तरी सागर तट वाला।”
“अच्छा वो!”—लेपस्कि को याद आया।
“हाँ वो....वो लम्बा वाला वो।”—कैरोल ने पूछा—“कुछ किया उसका?”
“हाँ कर रहा हूँ, काम जारी है लेकिन तुम ये सब छोड़ो और मेरी सुनो। मैं आज ....।”
“क्या मतलब? क्या कर रहे हो उन क्लूज का? कैसा काम जारी है?”
“मतलब अपनी बोलते रहना।”—लेपस्कि ने चिढ़कर कहा—“मेरी मत सुन लेना।”
“क्या? क्या बताना चाहते हो?”
“तुम बोलने दो तो बताऊँ ना। मुँह खोलते ही तो बात काट देती हो।”
“अच्छा अब बताओ भी।”—कैरोल ने कहा।
“बात दरअसल ये है कि आज रात नौ बजे पैट हैमिल्टन के टी.वी. शो में मैं भी हिस्सा ले रहा हूँ।”
“ओह टॉम।”—यकायक कैरोल के स्वर में मिश्री घुल गई—“क्या वाकई? सच कह रहे हो न?”
“एकदम सच।”
“टॉम....मुझे तुम पर गर्व है।”
“और हाँ—तुम जरा पड़ोसियों को भी खबर कर दो। उन हरामखोरों को भी पता चले कि मेरी मेरे महकमे में क्या औकात है। कमीने मुझे टी.वी. पर देखकर जल-जल मरेंगे।”
“ठीक है टॉम।”
“याद से।”
“हाँ-हाँ, तुम परेशान मत हो। पैट हैमिल्टन शो, रात नौ बजे—है न?”
“हाँ।”
“ठीक है—मैं सबको बता दूंगी।”
“ठीक है—याद से बता देना। मैं सीधे टी.वी. स्टूडियो ही जा रहा हूँ, वक्त कम है।”
“ओके टॉम।”
“ओके बाय”—कहकर लेपस्कि ने कनैक्शन काट दिया और टी.वी. स्टूडियो की ओर रवाना हो गया।
लेपस्कि सैकण्ड फ्लोर पर हैमिल्टन के पास पहुँचा तो पाया कि वो वहाँ दो आदमियों के साथ बात करने में व्यस्त था। उसके फ्री होने के इंतजार में लेपस्कि जैकेट हाथों में लिए वहीं खड़ा-खड़ा पहलू बदलता रहा।
हैमिल्टन से इस बारे में पहले ही बात हो चुकी थी और वो अपने प्रोग्राम में इस जैकेट को दिखाकर प्रशासन का सहयोग करने को तैयार हो गया था।
“ओह—हाय लेपस्कि।”—आखिरकार हैमिल्टन ने फ्री होकर लेपस्कि की ओर बढ़ते हुए कहा।
“हाय पैट”—लेपस्कि बोला—“मैं जैकेट लाया हूँ।”
“हाँ, मैं इसी के इंतजार में था।”—हैमिल्टन बोला—“आओ चलें।”
“ऐसे ही....मेरा मतलब मुझे टी.वी. स्क्रीन पर लाने से पहले किसी मेकअप वगैरह की जरूरत नहीं?”—लेपस्कि ने हैरानी से पूछा।
“उसकी जरूरत नहीं—तुम ऐसे ही ठीक हो।”—हैमिल्टन बोला—“आओ।”
दोनों स्टूडियो के उस हिस्से में पहुँचे जहाँ तेज रोशनियाँ फैली हुई थीं। वहाँ कई कैमरे कई कोणों की तस्वीर उतारते इधर-उधर लगे हुए थे और उस पूरे सैटअप को संभालने के लिए वहीं टेक्नीशियनों की एक छोटी फौज मौजूद थी।
“मैं आज सबसे पहले तुम्हारी न्यूज ही दिखाने जा रहा हूँ।”—हैमिल्टन बोला—“तुम सिर्फ ये जैकेट पकड़े रहना और जो कमेन्ट्री देनी है मैं दे दूँगा।”
“ठीक है।”—लेपस्कि ने कहा।
“अब तुम जैकेट लेकर वहाँ डायस के पास पहुँचो।”— हैमिल्टन ने उसे एक ओर इशारा करते हुए कहा—“जल्दी करो, शो का टाईम हो गया है और हम ऑन एयर होने वाले हैं।”
“मैं हैट पहन लूँ?”—लेपस्कि ने पूछा।
“सभी पुलिसवाले पहनते हैं।”—हैमिल्टन ने सांस छोड़ी—“तुम भी पहन लो....लेकिन जरा जल्दी करो।”
लेपस्कि ने अपनी हैट पहनी और फटाफट अपनी पोजीशन ले ली। वहीं मौजूद एक टैक्नीशियन ने उसे बताया कि उसने जैकेट कैसे पकड़नी थी।
लेपस्कि ने पकड़ी।
कैमरे उसकी ओर घूमे।
लेपस्कि ने अपना सीना फुला लिया।
“ओके....”—हैमिल्टन ने उस पर नजर डाली—“मैं तुम्हें इशारा कर दूँगा”—फिर उसने दीवार घड़ी पर निगाह डाली और बोला—“वक्त हो गया है।”
स्टूडियो में मौजूद हर शख्स अब सतर्क हो गया था।
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06-25-2020, 01:51 PM,
#38
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
हैमिल्टन फटाफट एक प्लेटफार्म पर बनाए गए एक बड़ी मेज के पीछे अपनी कुर्सी पर पहुँचा।
तुरन्त एक कैमरा उसकी ओर केन्द्रित हुआ।
“गेट रेडी”—किसी टैक्नीशियन की आवाज आई—“अगले दस सैकण्ड में हम ऑन एयर लाईव होंगे।”
हैमिल्टन तैयार था।
लेपस्कि तो पहले ही तैयार था।
स्टूडियो में उल्टी गिनती शुरू हुई।
दस....नौ....आठ....सात ....।
लेपस्कि बड़ा व्याकुल हो रहा था। टी.वी. स्क्रीन पर आने के ख्याल से ही वह बेहद रोमांचित था।
अब वो यकीनन अपने इलाके में एक हीरो की मानिंद देखा जाएगा।
वाह-वाह।
तीन....दो....एक—ऑन एयर।
हैमिल्टन पर केन्द्रित कैमरा जूम हुआ तो हैमिल्टन ने बोलना शुरू किया।
“मैं पैट हैमिल्टन आपका अपने इस शो में स्वागत करता हूँ। आज हम बात करेंगे....।”
लेपस्कि हैमिल्टन के शब्द सुन रहा था लेकिन उसके दिमाग में घर पर टी.वी. देख रही कैरोल और उसके पड़ोसियों की तस्वीरें फ्लैश हो रही थीं।
वो सब कितने प्रभावित, कितने इंप्रैस हो रहे होंगे।
“हम चाहते हैं कि आप सब इस जैकेट को देखें।”—लेपस्कि को हैमिल्टन के शब्द सुनाई दिए—“हम चाहते हैं कि हमारे दर्शकों में से कोई ऐसा हो जो इस जैकेट की सही शिनाख्त कर सके और अगर ऐसा हो पाया तो यह हमारे शहर के पुलिस महकमे के लिए एक बड़ी मदद होगी। याद रखिए, एक वहशी कातिल अपनी सनक में आज भी हमारे इस शहर की किन्हीं गलियों में अपने अगले शिकार की तलाश में घूम रहा है। हम नहीं चाहते कि वो हमारे शहर की शान्ति को भंग करे, हम बिल्कुल नहीं चाहते कि अब आगे उस वहशी सनकी कातिल को कोई और शिकार मिले और इसके लिए इस जैकेट की शिनाख्त होना बेहद जरूरी है।”
एक दाढ़ी वाले टैक्नीशियन ने लेपस्कि को कुछ इशारा किया तो लेपस्कि एकाएक समझ ही न सका कि उसे अपने चेहरे पर कैसे भाव पैदा करने हैं। अपने हिसाब से उसने अपने चेहरे पर कठोरता के भाव उभार लिए। वो उस वक्त शहर के पुलिस विभाग का नुमाईंदा था।
सख्त, अनुशासित, सेवादार।
कैमरा उसकी ओर जूम हुआ तो दाढ़ी वाले ने उसे दोबारा कोई संकेत किया।
शायद ये कठोरता के भाव सही नहीं थे।
लेपस्कि ने अपने चेहरे पर मित्रवत भाव पैदा किए।
“अगर आप में से कोई भी इस जैकेट को पहचानता हो”—हैमिल्टन कमैन्ट्री कर रहा था—“तो बिना देर किए फौरन पुलिस हैडक्वार्टर से संपर्क स्थापित करें।”
इसके साथ ही लेपस्कि पर केन्द्रित कैमरा दूसरी ओर घूम गया।
उसी दाढ़ी वाले ने लेपस्कि को ‘थम्पस अप’ का संकेत किया।
काम हो गया था।
लेपस्कि टी.वी. स्क्रीन पर फ्लैश हो गया था।
मुदित मन से लेपस्कि ने जैकेट की तह बनाई और स्टूडियो से बाहर निकल गया।
उसने आज टी.वी. स्क्रीन पर आकर ‘एक मिनट की प्रसिद्धि’ हासिल कर ली थी।
और इस एक ख्याल से उसके पाँव मानो जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे। उसने बाहर सड़क पर आते ही इधर-उधर निगाह डाली।
सड़क किनारे एक ओर एक टेलिफोन बूथ मौजूद था। उसने फटाफट वहाँ पहुँचकर अपने घर का नम्बर डायल कर दिया।
जब तक कैरोल ने दूसरी ओर से फोन न उठा लिया वह बेचैनी से पहलू बदलता रहा।
“हैलो।”—दूसरी ओर से कैरोल ने फोन रिसीव किया।
“ओह हाय बेबी!”—लेपस्कि ने पूछा—“कैसा लगा?”
“क्या कैसा लगा?”—कैरोल ने लेपस्कि की आवाज पहचानते हुए पूछा।
“ओह बेबी—बताओ न कैसा लगा? पसंद आया?”
“अरे क्या कैसा लगा?”—कैरोल चीख पड़ी।
“क्यों—तुमने मेरा प्रोग्राम नहीं देखा?”
“मेरी बात सुनो”—कैरोल बोली—“मैंने अपने पड़ोस की तीन फैमिलीज़ को अपने यहाँ इनवाईट किया था और इस इनविटेशन की रू मैं मैंने उन्हें अपने यहाँ मौजूद जिन की आखिरी बोतल सर्व करने के बाद अब”—कैरोल ने गहरी सांस ली—“मजबूरी में तुम्हारी वो कट्टी सार्क की बोतल खोलकर सर्व की है।”
“अरे भाड़ में जाए वो।”—लेपस्कि ने चिढ़कर कहा—“मुझे ये बताओ कि मैं टी.वी. स्क्रीन पर कैसा लग रहा था?”
“मुझे क्या पता?”—कैरोल भड़कते हुए बोली।
“क्यों तुमने हैमिल्टन का शो नहीं देखा?”
“देखा था।”
“तब तुम्हें स्क्रीन पर मैं दिखाई नहीं दिया”—लेपस्कि ने पूछा—“या तुम सब उस वक्त तक नशे में धुत्त हो चुके थे?”
“न तो हम नशे में धुत्त थे और न ही तुम स्क्रीन पर दिखाई दिए—हाँ, दो हाथों में थमी एक जैकेट का क्लोज अप जरूर दिखाई दिया था और अगर उस जैकेट को थामे दो हाथ तुम्हारे थे तो....।”—कैरोल ने व्यंग किया—“तुम्हें उन हाथों को धो लेना चाहिए था। वहाँ स्क्रीन पर बड़े गन्दे लग रहे थे।”
“सिर्फ हाथ दिखाई दिए?”
“हाँ।”
अब लेपस्कि को समझ में आया कि क्यों उसका मेकअप नहीं किया गया था?
और क्यों हैमिल्टन को उसके हैट पहनने-न पहनने की कोई फिक्र नहीं थी?
लेपस्कि ने एक गहरी सांस ली।
उसने बिना कुछ बोले कॉल डिस्कनैक्ट की, रिसीवर को यथा स्थान टिकाया और बूथ से बाहर निकलकर अपनी कार की ओर चल दिया।
अचानक उसने खुद को बेहद थका हुआ महसूस किया।
वो बेहद निराश था।
हैमिल्टन ने उसे स्क्रीन पर दिखाया ही नहीं था और यूँ उसकी वो—एक मिनट की ख्याति—भी दरअसल छलावा ही साबित हुई थी।
भारी कदमों से चलता हुआ वो अपनी कार में आ बैठा। उसने कार स्टार्ट की और वापिस हैडक्वार्टर पहुँचा। उसने जैकोबी के दफ्तर में प्रवेश करते ही देखा कि वहाँ होमीसाईड डिपार्टमेन्ट के तीन अन्य अफसर और डिटेक्टिव डस्टी मौजूद थे।
और वो सभी अलग-अलग टेलिफोनों में बिजी थे।
“टॉम”—बेगलर ने उससे जैकेट वापिस लेते हुए कहा— “शो में इस जैकेट के दिखाए जाते ही अचानक सरगर्मी बढ़ गई है और हमारे पास हर तरफ से कई सूचनाएं आ रही हैं। ऐसा लगता है कि इस शहर का हरेक आदमी इस जैकेट के बारे में कुछ न कुछ बताना चाहता है।”
लेपस्कि मुस्कुरा भर दिया।
वो जैकेट ऑन एयर फ्लैश हुई थी।
और वो जैकेट उससे ज्यादा मकबूल थी।
Reply
06-25-2020, 01:51 PM,
#39
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
“इन सूचनाओं को कनसॉलिडेट करते-करते शायद हमें सारी रात यहीं रहना पड़ेगा।”—बेगलर ने कहा।
तभी एक अन्य टेलिफोन की घण्टी बजी तो बेगलर उसके पास से हट गया और अपनी पैड और पैन्सिल संभालते हुए टेलिफोन की ओर बढ़ गया। किसी अन्य फोन पर जैकोबी किसी महिला को ये समझाने की कोशिश कर रहा था कि शो में दिखाई गई वो जैकेट दरअसल बिक्री के लिए मौजूद नहीं थी और उस पूरे एक्शन का मकसद कुछ और था। जैकोबी उस औरत को समझा रहा था कि ऐसी जैकेट को वो औरत कहीं और से हासिल कर अपने पति को उसके जन्मदिन का तोहफा दे सकती थी लेकिन खास वही—ऑन एयर दिखाई गई जैकेट—खरीदी नहीं जा सकती थी।
सूचनाएँ आ रही थीं और उनमें से शायद कोई काम की भी निकल सकती थी।
लेकिन अधिकतर कॉल बेमकसद थीं और बकायदा वक्त की बर्बादी थी।
सटीक सूचना अभी दूर थी।
लेपस्कि ने एक गहरी सांस खींची और वहाँ से लौट गया।
¶¶
Reply
06-25-2020, 02:02 PM,
#40
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
अपनी लम्बी-चौड़ी और खूब भारी एन्टीक चेयर पर बैठे क्लॉड केनड्रिक ने इतनी जोर से सांस छोड़ी कि सामने मेज पर फैले कागज फड़फड़ा गए। बेहद निराश भाव से उसने अपने दफ्तर जिसे वह रिसेप्शन रूम कहता था—में चारों ओर निगाह दौड़ाई। कमरे में एक दीवार पर समंदर की ओर झाँकती एक लम्बी-चौड़ी पिक्चर विंडो थी जिस पर कई कलाकृतियों को सजाया गया था। दफ्तर की बाकी दीवारों पर भी इसी तरह कई मूल्यवान पेंटिंग्स लटकी हुईं थीं।
क्लॉड कैनड्रिक।
पैरेडाईज ऐवन्यु पर मौजूद उस आर्ट गैलरी का मालिक क्लॉड कैन्ड्रिक। उसका खुद का व्यवहार ऐसा था कि वो अपने आप में एक अलग ही शै, एक अलग ही कैरेक्टर माना जाता था।
ऊंचा कद।
लम्बा-चौड़ा थुल-थुल शरीर और उम्र बासठ साल।
और ऊपर से वो होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक और लगा लेता था। साथ में अपने गंजे सिर को ढंकने की गर्ज से एक मिसफिट संतरी रंग की विग और पहनता था। किसी महिला से वार्तालाप के वक्त वो अक्सर अपनी उस बेहूदा विग को ऐसे उठाता था जैसे कोई अपने हैट को उठाता था।
और उसके ये अंदाज ही उसे सबसे अलग—सबसे जुदा दिखाते थे। लेकिन फिर अपने उस हास्यास्पद रखरखाव के बावजूद वो अपने धन्धे में माहिर था और एन्टीक्स, ज्वैलरी और मार्डन आर्ट का लाजवाब पारखी भी।
दुर्लभ बल्कि दुर्लभतम कलाकृतियों से भरी उसकी आर्ट गैलरी—जिसे वो कई नौकरों की मदद से चलाता था—केवल उस शहर की ही नहीं बल्कि आसपास के कई शहरों में खूब ख्यातिप्राप्त थी।
और उसकी उस हासिल ख्याति में इस एक बात का भी दखल था कि वो बेहिचक लेकिन बेहद सावधानी से चोरी की कलाकृतियों की खरीद-फरोख्त भी कर लिया करता था। उसके पास ऐसे कई साहबे दौलत, साहबे जायदाद ग्राहक थे जिन्हें दूसरी जगह मौजूद किसी खास कलाकृति को बकायदा या बेकायदा किसी भी कीमत पर अपने निजी कलैक्शन में लाने का शौक था।
बल्कि सनक थी।
पागलपन था।
ऐसे धनवान ग्राहक कैन्ड्रिक को अपनी इच्छित कलाकृति पर उसकी मांगी मनमानी कीमत अदा करते थे।
उस सुहानी सुबह अपने दफ्तर में बैठा कैन्ड्रिक अपने बिजनेस की छमाही बैलेंस शीट को बार-बार देख रहा था और निराश हो लम्बी सांसें छोड़ रहा था। उसे अपने बिजनेस में अब वो कामयाबी हासिल नहीं थी जैसी वो कभी किसी दौर में सहज ही पा लेता था। उसका बिजनेस घट रहा था और पिछले छः महीने की बैलेंस शीट उसके उस मौजूदा धन्धे में उसके रोते-धोते परफार्मेन्स की दास्तान थी।
लेकिन इसके पीछे वजह भी थी।
उसके कई दौलतमन्द कस्टमर अब मर चुके थे और नई पीढ़ी को उसके पास मौजूद उन एन्टीक्स और क्लासिकल पेंटिंग्स में कोई दिलचस्पी नहीं थी। आज की नई पीढ़ी ड्रग्स, शराब, महंगी कार और सैक्स में ज्यादा दिलचस्पी रखती थी।
उनके लिए कलात्मक वस्तुएं बोर थीं और ड्रग्स ‘इन’ चीज थी। ऐसे माहौल में कैन्ड्रिक के धन्धे को सिकुड़ना था ही और वो सिकुड़ ही रहा था।
आज वो अपने दौलतमन्द ग्राहकों की फेहरिस्त में उन नामों पर निशान लगा रहा था जो मर चुके थे और उसी प्रक्रिया में जैसे ही उसके सामने साईरस ग्रेग का नाम आया—उसने एक लम्बी आह सी भरी। वो इतना बेहतरीन ग्राहक था कि अक्सर नकली पिकासो की पेंटिंग्स के भी मुँहमांगे दाम देता था। वो बढ़िया ग्राहक था लेकिन अब उसकी मौत के बाद उसका खाता बन्द था।
कैन्ड्रिक अपने उन्हीं जिन्दा-मुर्दा ग्राहकों की लिस्ट में उलझा हुआ था कि जब उसका मुंहलगा हेड सैल्समैन लुईस भीतर दाखिल हुआ।
“डार्लिंग”—लुईस ने भीतर आते हुए कहा—“क्रिसपिन ग्रेग आया है और ऑयल पेंटिंग्स में दिलचस्पी दिखा रहा है। मुझे लगा कि तुम उससे मिलना चाहोगे।”
“हाँ जरूर।”—कैन्ड्रिक ने खुद को कुर्सी से बाहर निकाला और हजारों डॉलर की कीमत वाले बेनेटियन मिरर के सामने खड़े होकर अपना बेहूदा विग दुरुस्त किया, अपनी जैकेट को झटककर सीधा किया, दर्पण में खुद को निहारा और बोला—“किस्मत की बात है कि मैं अभी उसी के बारे में सोच रहा था।”
वह अपने दफ्तर से बाहर निकला और अपनी विशाल आर्ट गैलरी में आ गया।
वहाँ उसका एक कारिन्दा एक लम्बे दुबले-पतले ग्राहक—जिसकी पीठ कैन्ड्रिक की ओर थी—को ऑयल पेंटिंग्स काले मखमली कपड़े पर रखकर कुछ यूँ दिखा रहा था कि मानो वो पेंटिंग्स नहीं हीरे-जवाहरात हों।
“मिस्टर ग्रेग।”—कैन्ड्रिक ने संयमित स्वर में कहा।
लम्बा-पतला आदमी पलटा।
कैन्ड्रिक ने देखा कि उसके ऐश ब्लॉड बाल छोटे-छोटे लेकिन करीने से कटे हुए थे। ठीक-ठाक नयन-नक्श वाले उस आदमी का भावहीन पीला चेहरा ऐसा था कि मानो सालों से सूरज के दर्शन न किए हों।
कैन्ड्रिक हड़बड़ा सा गया।
उसने मिस्टर ग्रेग के पिता के साथ कई डीलिंग्स—बड़ी कामयाब डीलिंग्स—की थीं और उसी रूप में उसे अब जूनियर ग्रेग से वैसे ही व्यक्तित्व की उम्मीद थी।
लेकिन ये ‘मिस्टर’ जूनियर ग्रेग एक अलग शख्सियत के मालिक थे जो उसके पिता से कतई मैच नहीं करती थी।
“वैल”—कैन्ड्रिक ने बोलना शुरू किया—“मेरा नाम क्लॉड कैन्ड्रिक है और आपके स्वर्गवासी पिता भी मेरे बढ़िया ग्राहकों में थे। आपको आज यहाँ देखकर दिल खुश हो गया।”
क्रिसपिन ने सिर हिलाया।
केवल सिर हिलाया—कहा कुछ नहीं।
न चेहरे पर कोई मुस्कुराहट उभरी, न उसने हाथ मिलाने का कोई उपक्रम किया।
लेकिन कैन्ड्रिक निराश न हुआ।
उसे अपने दौलतमन्द ग्राहकों के ऐसे सर्द व्यवहार को बर्दाश्त करने का लम्बा तजुर्बा था।
“मैं सिर्फ कुछ ऑयल पेंटिग्स लेने आया था।”—क्रिसपिन ने कहा।
“मुझे यकीन है कि आपकी जरूरत की हर चीज आपको यहाँ हमारे पास मिलेगी मिस्टर ग्रेग।”
“श्योर”—कहकर क्रिसपिन पुनः पलटा और अपनी पसंद की पेंटिंग्स की ओर इशारा करते हुए बोला—“ये, ये और ये—इन सभी को पैक कर दो।”
“अवर प्लेजर सर”—सैल्समैन ने सिर नवांकर कहा और उन पेंटिंग्स को उठाकर काऊण्टर के दूसरे सिरे पर जाकर पैकिंग में लग गया।
“मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने चिकने-चुपड़े स्वर में कहा—“मैं जानता हूँ कि आप खुद एक कलाकार हो लेकिन फिर भी भारी अफसोसजनक बात है आप पहले कभी हमारे यहाँ तशरीफ नहीं लाए। इस बात के बावजूद नहीं लाए कि आपके पिता के साथ हमारे बड़े मधुर संबंध थे और उनकी डिमाण्ड की गईं कई कलाकृतियों का हमने ही इंतजाम किया था।”
“मैं एक आर्टिस्ट हूँ लेकिन मुझे केवल अपनी खुद की कला, खुद के बनाए आर्ट में ही दिलचस्पी है।”—क्रिसपिन ने दो टूक स्वर में कहा—“किसी दूसरे फनकार की आर्ट में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं।”
“जी हाँ जरूर-जरूर”—कैन्ड्रिक यूँ मुस्कुराया जैसे कोई बड़ी मछली अपनी खुराक बनने जा रही किसी छोटी मछली को देखकर मुस्कुराती होगी—“आपके रोशन ख्याल वाकई किसी सच्चे कलाकार के हैं और मुझे बेहद खुशी होगी अगर कभी आपकी बनाई पेंटिंग्स को देखने का मौका हासिल हो सके। मेरी अभी हाल ही में मशहूर आर्ट क्रिटिक लोबेनस्टन से बात हुई थी तो उसने भी मुझे बताया था कि आपकी माँ ने उससे आपके आर्ट वर्क के बारे में सलाह-मशवरा किया था। लोबेनस्टन एक कला पारखी है और इस धंधे में उस जैसी आँख किसी और की नहीं।” जबकि असलियत यह थी कि कैन्ड्रिक की नजरों में लोबेनस्टन एक बेकार, नातजुर्बेकार और आर्ट को परखने में अनाड़ी था—“और उसने मुझे बताया था कि कैसे तुम्हारी बनाई कई पेंटिंग्स अपने आप में एक बेजोड़ आर्ट वर्क हैं।”
यह भी एक झूठ था।
सफेद झूठ।
क्योंकि लोबेनस्टन ने तो उल्टा उसे ये कहा था कि क्रिसपिन का आर्ट बेहूदा था जिसकी कोई कमर्शियल वैल्यू नहीं थी। बाजार में उसकी पेंटिंग्स की कुल बख़त, कुल औकात कुछ कौड़ियों से ज्यादा नहीं थी।
“उसने कहा था कि”—कैन्ड्रिक ने आगे कहा—“आपका टैलेन्ट, आपकी कल्पना और क्रियेटिव आईडियाज अनोखे, अद्भुद और हैरान कर देने वाले हैं। आपके आर्ट वर्क में जिस तरह रंगों का सम्मिश्रण उभरकर आता है वह यूनिक है, बेजोड़ है जो न सिर्फ विलक्षण है बल्कि देखने वाले को एक अलग ही दुनिया में ले जाने का माद्दा रखता है। अब ऐसे धुरन्धर आलोचक की बात सुनने के बाद तो मेरी खुद की बड़ी तमन्ना थी कि कभी आपसे मुलाकात हो तो मैं आपको आपकी उस आर्ट-वर्क को प्रमोट करने का ऑफर दे सकूँ।”
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