Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
03-19-2020, 11:59 AM,
#21
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 11

एडवाकेट विवेक अग्निहोत्री ..शहर के एक बहुत बड़े लॉयर(वकील) थे,साथ ही मेरे नाना जी के पुराने वकील भी थे,हमारे घर अक्सर आया करते थे लेकिन मैं कभी उनसे पर्सनली नही मिला था बस पहचानता था ….

उन्होंने मुझे अदंर बुलाया …

“आओ राज आओ “

हम दोनो ने हाथ मिलाया और मैं उनके सामने एक चेयर में बैठ गया ..

“आखिर बात क्या है वकील साहब “

“कॉल मि अंकल ...तुम्हारे नाना जी मेरे पिता के दोस्त थे और मैं तुम्हारी माँ और पिता का दोस्त रहा हु ,पर्सनली लेकिन प्रोफेसनली मैं वकील हु और वकील किसी का दोस्त नही होता ..”

“ओके अंकल तो अपने मुझे यंहा क्यो बुलाया और कल रात …”

“राज तुम एक बड़े मुसिबत में फंसे हो खासकर जब से तुम जंगल से आये हो बहुत कुछ बदल गया ,बातो को समझने के लिए हमे अतीत में थोड़ा पीछे जाना होगा ….”

मैंने हा में सर हिलाया और उन्होंने बोलना शुरू किया ..

“तुम्हे पता होगा की तुम्हारे नाना रत्नानी जी का एक बहुत बड़ा बिजनेस अम्पायर था ,और तुम्हारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी ,तुम्हारे नाना और तुम्हारे दादा दोस्त थे इसलिए उन्होंने तुम्हारे माँ पिता की शादी करवा दी,तुम्हारे पिता भी अपने पिता के इकलौते बेटे थे इस तरह से दो बड़े बिजनेस एम्पायर एक हो गए ..

चंदानी ग्रुप और रत्नानी ग्रुप …

लेकिन ….तुम्हरे दादा जी और नाना जी दोनो को इस बात का इल्म हो गया था की तुम्हारे पिता जी एक ऐय्याश किस्म के इंसान है,और तुम्हरी माँ बहुत ही सीधी साधी महिला है,इसलिए उन्होंने एक वसीयत तैयार की …

वसीयत मैंने और मेरे पिता जी ने मिलकर बनाई थी ,उस समय दोनो ग्रुप्स की कुल सम्प्पति उस समय लगभग 200 करोड़ की थी जो की आज 1200 करोड़ हो चुकी है ,अब तुम्हारे पूरी संम्पति का कुल 60% तुम्हारे दादा जी के तरफ से आया है जबकि 40% नाना जी की तरफ से ,दादा की वसीयत बोलती है की उनका जो पोता होगा उसे जवान होने पर ये संपत्ति दे दी जाय,जो की तुम हो ..

वही नाना की वसीयत के अनुसार तुम्हारी माँ के सारे बच्चों के जवान होने पर , सम्प्पति बराबर बटेगी ..और अब सभी बच्चे जवान हो चुके है ...मतलब की अब तुम्हारे पिता का सम्प्पति पर कोई भी अधिकार नही रह जाता,ये बात तुम्हारे पिता को भी पता है लेकिन अभी तक उन्होंने शायद तुम्हे ये बताया नही है …”

उनकी बात सुनकर मैं बुरी तरह से चौक गया था ,इतनी दौलत और हमे पता भी नही है ……..

“तो प्रॉब्लम क्या है ???”

“प्रॉब्लम है की इस दौलत को पाने के लिए कुछ लोग उस समय से प्रयास कर रहे है जब से तुम जन्म लिए ,देखो नाना की दौलत से तो तुम्हे कोई भी महरूम नही कर सकता क्योकि तुम अपनी माँ के बेटे हो और वसीयत के हिसाब से दौलत तुम्हारे और तुम्हारी बहनो में समान रूप से बांटी जाएगी ,लेकिन दादा जी की जो दौलत है जो की कुल संम्पति की करीब 60% है उसपर सिर्फ तुम्हारा या चन्दू का हक है “

इस बार मुझे जोर का झटका लगा

“वाट मतलब ..”

“मतलब साफ है की चन्दू भी रतन चंदानी का बेटा है और कोर्ट में एक DNA टेस्ट और सब कुछ साफ हो जाएगा ..”

“मलतब सम्प्पति दो हिस्सो में बटेगी ..”

“नही सिर्फ एक, चन्दू और उसके सहयोगी तुम्हे फूटी कौड़ी नही देते ,तुम्हारी जैसी पर्सनाल्टी थी उन्हें तुमसे कोई भी खतरा नही था तब तक की तुम जंगल से नही आ गए ,अब तुम उनके लिए खतरा बन गए हो ..तो तुम्हे रास्ते से हटाना उनके लिए जरूरी हो गया है …”

अब मुझे समझ आया की आखिर चन्दू ने ये क्यो कहा था की जब से मेरा जन्म हुआ है तब से हमारी दुश्मनी है ..

“उसके सहयोगी कौन है और निशा के जरिये मुझे कैसे फसाया जा रहा था…??”

इस बार विवेक अंकल के चहरे में थोड़ी टेंशन आ गई ….

“क्या हुआ अंकल बताइये ना की आखिर चन्दू को कौन सपोर्ट कर रहा है जो मुझे रास्ते से हटाना चाहता है..”

अंकल धीरे से बोलने लगे ..

“चन्दू को दौलत दिलाने का पूरा जिम्मा मेरा था ..’

“वाट’

जैसे मैं कुर्सी से उछल ही गया ..

“राज मेरी बात सुनो,मैं तुम्हे कभी भी मरना नही चाहता था मेरी तो बस इतनी सी प्लानिंग थी की तुम्हे दबा कर रखा जाय और जब समय आये तो तुम कमजोर पड़ जाओ ,तुम्हे इतना हुमिलेट कर दिया जाय की तुम घर छोड़ कर भाग जाओ,उसके लिए हमारे पास एक दूसरा प्लान भी था ,जब तुम जंगल में खो गए तो हमे लगा की वक्त से पहले ही हमारा काम हो गया ….लेकिन ऐसा नही हुआ,तुम वापस आ गए और जब वापस आये तो तुम वो इंसान ही नही थे जिसे हम मेनुपुलेट कर सके ….”

मैं गहरे सोच में पड़ गया था ,ये मेरे साथ क्या हो रहा है...अंकल ने बोलना जारी रखा ..

“देखो मुझे तुम्हारे पिता के आचरण के बारे में पहले से ही पता था और फिर जब तुम्हारे दादा और नाना ने वसीयत बनाई तो मेरे दिमाग में एक प्लान बन गया,वसीयत के अनुसार जब तक तुम लोग पूरी तरह से जायजाद पाने के लायक नही हो जाते तब तक हमे वो वसीयत छुपा कर रखनी थी ,मलतब तुम्हारे पिता को भी इसके बारे में पता नही था,उन्हें हमने तुम्हारी बड़ी बहन के लायक होने पर हमने बताया ...और इसी बात का फायदा उठाकर मैंने तुम्हारे घर में दो औरतो को भेज दिया ,कांता और शबीना ये दोनो पहले मेरे पास ही काम किया करती थी ,उनके पति कुछ करोड़ की बात सुनकर ही लार टपकाने लगे थे और वो भी इस प्लान का हिस्सा बन गए ,मुझे पता था की तुम्हारे पिता जरूर इनसे नाजायज संबंध बनाएंगे और उससे तुम्हारे दादा के एक वारिस मिलने की पूरी संभावना मुझे थी और वो चन्दू के रूप में पूरी हुई ,लेकिन कुछ महीने बाद ही तुम्हारा भी जन्म हो गया,मैंने इंतजार करने की सोची…

तुम्हारे प्रति तुम्हारे पिता का बर्ताव और तुम्हारा दब्बूपन देख मुझे बहुत खुशी होती क्योकि तब तुम्हे आराम से मेनुपुलेट किया जा सकता था,लेकिन …..”

“लेकिन मैं जंगल से वापस आया और आपके सभी किये कराए पर पानी फिर गया यही ना ...इन सबमे मेरी बहनो का क्या रोल है…”

“मुझे एक घर का आदमी चाहिए था मेरे प्लान को पूरी तरह से सक्सेस करने के लिए ,चन्दू ने ये जिम्मा ले लिया जब उसे कुछ महीनों पहले ही इन सबके बारे में पता चला….मुझे नही पता की वो कौन है लेकिन तुम्हारे तीनो बहनो में से एक चन्दू की दीवानी जरूर है ..”

ये सुनकर मेरा दिल ही बैठ गया ..

“निशा .??”

“मुझे नही पता क्योकि उसने कभी बताया नही ,लेकिन उसने ये जरूर बताया की तुम्हे घर से बाहर कैसे निकाला जाए ..और उसका जरिया निशा ही थी ,निशा तुम्हारे ऊपर डोरे डालेगी और तुम्हे उत्तेजित करेगी और किसी कमजोर पल में तुम बहक जाओगे ,और इसी का फायदा उठाकर चन्दू तुम्हरे पिता को ये बात बता देगा और फिर वही तमाशा होगा तुम्हारा पिता तुम्हे मार मार कर घर से बाहर निकाल देगा क्योकि वो सबसे ज्यादा निशा से ही प्यार करता है तो तुम्हारा रास्ता साफ ,तुम्हरा पिता चन्दू को अपना बेटा घोसित करता जिसके लिए मैं उसे उकसाता ताकि पूरी प्रोपर्टी बर्बाद ना हो जाए और फिर सब कुछ चन्दू का और नान की प्रोपर्टी तुम्हारे 3 बहनो में ही बट जाती,तुम कभी उसपर क्लेम करने की सोच भी नही पाते क्योकि तुम्हे इन सब चीजो का पता भी नही था और ना चल पाता,फिर जब प्रोपर्टी एक बार हाथ में लग गई तो तुम्हारी उस बहन का चन्दू से शादी करवा दिया जाता,तुम्हारे माँ बाप कुछ भी नही कर पाते क्योकि पूरी प्रोपर्टी चन्दू की हो ही चुकी होती,नाना की प्रोपर्टी का एक हिस्सा उस बहन का होता,बाकी दो बहने अपना हिस्सा लेकर अलग हो चुकी होती,तो बात खत्म थी ,कोई कुछ नही कह पाता और करोड़ो की दौलत के हम मालिक बन जाते…..”

इतना कहकर वो चुप हो गए …….

“वाह क्या प्लान था ..लेकिन अब मुझपर इतनी दया क्यो …की आप खुद ही सब कुछ मुझे बता रहे है..”

उन्होंने एक गहरी सांस छोड़ी ..

“कल रात चन्दू ने मुझे फोन किया ,बहुत दारू पी हुई थी उसने,वो मेरे साथ काम करने से मना करने लगा ,साथ ही मुझे ये भी बताया की आज तुम्हारे घर में बवाल होगा,वो अपने प्लान पर काम करेगा और साथ ही ये भी कहा की उसे अब मेरी कोई जरूरत नही है,उसे मुझसे ताकतवर लोग मिल चुके है जो तुम्हे मारना चाहते है ,अब वो तुम्हे मार डालेगा और जायजाद अपने नाम करवाएगा ….मैं खून खराबा नही चाहता राज...पहले भी नही चाहता था ,मैं काफी देर तक सोच में ही पड़ा रहा की आखिर क्या करू...मैंने सोचा की मैं खुद को इन सबसे दूर रखु लेकिन ...लेकिन किसी ने मुझे फोन कर कहा की अगर मैंने तुम्हे ये सब नही बताया तो वो मुझे मार देगी ..”

ये मेरे लिए एक और झटका था ..

“वाट..कौन ..”

“मुझे नही पता लेकिन मैं बुरी तरह से डर गया था,पहले चन्दू मरने मारने की बात कर रहा था और अब ये लड़की ..असल में उस लड़की को भी नही पता था की असल बात क्या है उसने पहले मुझसे कहा की मैं तुम्हे वार्न करू और फिर तुम्हे अपने पास बुलाकर पूरी बात बताऊ,उसके बाद वो मुझसे मेरे घर में आकर मिली और काफी देर बात करके पूरी जानकारी ली ..”

“आखिर वो दिखती कैसी है...कितने उम्र की रही होगी ..”

“ज्यादा उम्र की तो नही थी लेकिन जब वो मेरे घर आयी थी तो उसके साथ कुछ लोग और भी थे,बड़े ही खतरनाक लग रहे थे,उसने मुझसे कहा की मैं इस मामले से दूर रहू और वसीयत के पेपर्स तुम्हें सौप दु ,ताकि वो चन्दू के हाथ ना लगे ..मुझे लगता है की कोई बड़ी ताकते इन सबमे शामिल हो गई है ,वो लड़की एक फाइटर लग रही थी ,चहरा मासूम था लेकिन ...बहुत ही दमदार थी,वही चन्दू भी कह रहा था की उसे ताकतवर लोग मिल गए है जो तुम्हे मार देंगे,मुझे कुछ समझ नही आ रहा है राज की आखिर ये हो क्या रहा है लेकिन जो भी हो तुम सम्हालकर रहना .”

उनकी बात सुनकर मैं जोरो से हंसा

“जो शख्स मुझे बर्बाद करने को तुला था वो आज मेरी सलामती की बात कर रहा है ……”

मैं खड़ा हुआ

“वो पेपर्स मुझे चाहिए “

“वो ...उसे तो मैंने अपने बैक के लॉकर में रखा हुआ है ,”

“तो बैक चलते है “

“आज तो रविवार है बैंक बंद होगा,कल बैक खुलते ही मैं वो पेपर्स तुम्हारे हवाले कर दूंगा ..”

“हम्म्म्म “

मैं पलटा और बाहर की तरफ जाने लगा तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया ..

मैं फिर से विवेक की तरफ पलटा ..

“कही वो लड़की ये तो नही “

मैंने मोबाइल से एक फ़ोटो निकाल कर उन्हें दिखाई जिसे देखकर उनकी आंखे चौड़ी हो गई…

“हा यही है यही है “

मेरे होठो में मुस्कान और दिल में शंका के कई बादल एक साथ उमड़ पड़े थे ,क्योकि ये तस्वीर काजल मेडम की थी ..

सुंदर चहरे वाली फाइटर ……..

**************
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03-19-2020, 12:01 PM,
#22
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 12

दिमाग शांत हो चुका था ,जब विचारो की भीड़ आपको परेशान करे तो अक्सर ऐसा होता है की आप सोचना ही छोड़ देते है ,मैं आसमान में तारो को निहारता हुआ घर के छत में लेटा हुआ था,मैं यंहा बहुत कम ही आता हु ,आज जब दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था तो मुझे यंहा की याद आयी……

मैं बैठा बैठा सभी चीजो को सोच रहा था,बचपन से लेकर आज तक की सभी यादों को एक एक कर याद कर रहा था ,फिर कैसे मैं जंगल में गया और फिर बाबा जी से मिला,कैसे रश्मि से मेरा इश्क हुआ और कैसे काजल मेडम मुझे मिली ,कैसे निशा ने मुझे प्यार दिखाया और अब निशा और चन्दू का ये रूप……

चन्दू अपने बाप को लेकर गायब था लेकिन निशा यही थी ,काजल मेडम ने अपना नया रूप दिखाया था …….

थोड़ी देर की शांति के बाद मेरे दिमाग में एक नाम आया बाबा जी का ताबीज…

मैंने इसे पहना था लेकिन अभी इसका उपयोग नही किया,उन्होंने कहा था की जरूरत पड़े तो इसे चाट लेना ,मैंने कभी इसे चाटा नही था ,क्यो ना अभी इसे चाटा जाए …??

शायद मैं इसकी शक्तियों से अनजान ही हु ,शायद मैं अपनी ही शक्तियों से अनजान हु ……

मैंने उस लकड़ी के टुकड़े को अपने हाथो में रखा और बाबा जी को याद करके उसे चाट लिया ……

कुछ सेकंड तक कुछ भी नही हुआ फिर अचानक ……

मेरा सर घूमने लगा था,रात का समय था लेकिन कहि कहि से तेज प्रकाश सी आती हुई मालूम हुई ,ऐसा लगा जैसे किसी ने बहुत तेजी से घूमते हुए यंत्र में बिठा दिया है….

मैं बुरी तरह से डर गया था ये क्या हो रहा है ,ऐसा लगने लगा जैसे मेरा दिमाग ही फट जाएगा ,अचानक से बहुत तेज प्रकाश दिखाई दिया मैंने आंखे बंद कर ली लेकिन वो प्रकाश तेजी से मेरे पास ही आ रहा था ,मैं चीखना चाह रहा था लेकिन नही चीख पा रहा था की अचानक उस प्रकाश ने मुझे पूरी तरह से घेर लिया और वो खत्म हो गई …….

“भइया ..भइया ..”


मुझे कोई सुध नही था की मैं कब तक बेहोश पड़ा था ...ये निशा की आवाज थी मैं चौक कर उठा …

“अरे क्या हुआ आपको ऐसे क्यो हड़बड़ा रहे हो “

मैंने जब निशा को और चारो ओर देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गया ,मैं अपने कमरे में था ,अपने बिस्तर में पड़ा हुआ था ..

मैं आश्चर्य से चारो ओर देखने लगा की आखिर मैं कहा हु ये क्या हो रहा है मेरे साथ …….

“भईया भइया आप ठीक तो है ना “

निशा के चहरे में चिंता साफ साफ झलक रही थी ,तो टॉमी भी बिस्तर में मेरे बाजू में बैठा हुआ मुझे ही देख रहा था …..

“मैं यंहा कैसे आया ,और मेरे कपड़े ..”

मैं अभी बस एक टॉवल में था ऐसा लगा जैसे अभी नहा कर निकला हु ,निशा जोरो से हंस पड़ी …

“लगता है रश्मि के प्यार ने आपका दिमाग सरका दिया है ,अभी तो थोड़ी देर पहले डिनर करके आप यंहा आये हो और शायद अभी नहा कर निकले हो ,मैं तो अभी यंहा आयी आप सो रहे थे..”

मैं आश्चर्य से भर गया था ,

”लेकिन….. लेकिन मैं तो .”.

मैंने याद करने की कोशिस की मैं तो अभी छत में था …

निशा थोड़ी घबराई

“भइया आप ठीक तो है ना,डॉ को बुलाऊँ क्या ..”

“नही नही मैं ठीक हु”

,मेरा ध्यान निशा के पहने कपड़ो पर गया ,मुझे कुछ कुछ याद आने लगा था ,ये तो वही कपड़े थे जो उसने उस दिन पहने थे जब उसने पहली बार मुझसे मेरे प्रति आकर्षण वाली बात की थी…
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03-19-2020, 12:01 PM,
#23
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
मैंने अपने दिमाग पर जोर डाला की आखिर उस दिन हुआ क्या था ,मुझे याद आया की मैं उस दिन डिनर करके अपने कमरे में आय था ,नहाने के बाद दर्पण के सामने खड़ा अपने विकसित हो रहे बाजुओ को देखा था ,इस बात से मुझे अपने इस ताबीज पर बहुत ही प्यार आय था और मैंने इसे प्यार से चुम लिया था …

ओह माय गॉड मैंने इसे हल्के से चूमा था बस ,बिल्कुल ही अनजानें में ,मेरे जीभ में अभी भी चंदन की हल्की सी खुशबू मौजूद थी,क्या मैंने अनजाने में इसे चाट लिया था ???,उसके बाद मैं बिस्तर में आकर लेट गया था कुछ ही सेकंड के लिए मेरा सर घुमा और फिर मैं उठाकर अपने नाइट वाले कपड़े पहन कर लेट गया था,कुछ देर बाद निशा कमरे में आ गई थी ,उसने रश्मि वाली बात की और फिर अपने आकर्षण की बात की (अपडेट 7)...

“आज तारीख क्या है ..”

मेरी बात से निशा चौकी लेकिन उसने तारीख बता दी मैं कुछ देर तक बस चुप ही हो गया था,मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर हुआ क्या है फिर मेरे दिमाग ने चीजो को समझना शुरू किया कही ये इस लकड़ी का ही जादू तो नही जिसने मुझे भविष्य दिखा दिया …

मुझे अब भी कुछ समझ नही आ रहा था ,मैंने अपना मोबाइल निकाला उसमें ना तो विवेक अग्निहोत्री का कोई काल आया था ना ही कोई मेसेज था ,टाइम और समय वही थे जो उस दिन था ,मैं सर पकड़ कर बैठ गया था …

“भइया बताओगे की आखिर हुआ क्या है “

मैं जोरो से हंस पड़ा था निशा और भी गंभीर हो गई और थोड़ी डर भी गई ……

“आप मुझे डरा रहे हो ..”

मैं अब उसे क्या कहता की मुझे आने वाले दो दिनों का भविष्य दिखाई दिया है ,आज रात निशा मुझसे अपने आकर्षण के बारे में बात करने वाली थी ,फिर कल सुबह मैं काजल मेडम से इस बारे में सलाह लेता,शाम को चन्दू के साथ दारू पीकर पिता जी की चुदाई देखता और फिर रात निशा के साथ आगे बढ़ता,और विवेक का काल,दूसरे दिन विवेक से मिलना और फिर शाम को विवेक की हत्या की खबर ….यानी मेरे पास ज्यादा समय नही था अगर ये सपना नही था तो ….वरना मैं अंधेरे में ही तीर चला रहा होऊंगा…

“भइया आप कुछ बोल क्यो नही रहे हो “

मैंने निशा को देखा ,ये ही वो लड़की है जो मुझे धोखा दे रही है ...शायद ,क्योकि अभी मुझे कुछ पता नही था ..

“निशा आज थोड़ा थका हुआ हु ,क्या कल बात करे “

उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा उसका चहरा मायूस था …

“ठीक है ..”

वो वापस चली गई थी …

अगर ये सच में भविष्य था तो ये लकड़ी काम करती है लेकिन ये क्या काम करती है ये मुझे कैसे पता चलेगा …???

मैंने अपनी आंखे बंद कर ली और सोने की कोशिस करने लगा…

किसी के गालो के चाटने से मेरी नींद टूटी , जैसा की अक्सर टॉमी किया करता था…

“भइया भइया …”ये निशा की आवाज थी

मेरी आंखे खुली तो सामने निशा का चहरा था ..

“मैं आपको पूरे घर में ढूंढ रही हु और आप यंहा छत में सोये है ..”

उसकी बात सुनकर मैं फिर से हड़बड़ाते हुए उठा …

मेरे जीभ से अब चन्दन की खुशबू गायब थी …

तारे अब भी आसमान में चमक रहे थे,वही मौसम ,मैं फिर से डरने लगा था अब ये क्या है……..

“क्या हुआ भइया….?...आप परेशान लग रहे हो ..”

“कुछ नही बस..”

“तू कितने समय से है यंहा पर “

“कुछ 2 मिनट ही हुए होंगे आपको जगाते …”

ये दो मिनट से मुझे जगा रही थी और मैंने इसकी आवाज अभी सुनी ,मतलब जब पहली बार मैंने इसकी आवाज सुनी थी तब से मैं ये सपना देख रहा हु ,लेकिन सपने में तो कोई आधे घण्टे जितना समय मैंने बिताया था ,हो सकता है क्योकि मैं जानता था की सपने में दिमाग कुछ ही सेकंड में पूरे दिन तक को दिखा सकता है ,कुछ घण्टो में हम पूरी जिंदगी जी लेते है …

यानी ये सपना था ,लेकिन कितना रियल था ,मतलब इस लकड़ी ने काम किया या नही ???

मैं बुरी तरह से कन्फ्यूज़ हो गया था आखिर साला ये हो क्या रहा है …???

“भइया आप ठीक तो हो ना “

“बस कुछ टेंशन है ..चलो कमरे में चलते है ..”

वो चुप चाप मेरे साथ कमरे में आ गई

“क्या हुआ आप इतने परेशान क्यो लग रहे हो “

“आज तारीख क्या है ??”

वो चौकी और उसने आज की ही तारीख बताई मतलब रविवार की ..मैं कुछ देर पहले ही छत गया था ,वंहा लकड़ी की ताकत जानने के लिए इसे चाट दिया,मुझे कुछ अजीब दृश्य दिखाई दिए और फिर बूम...एक सपना जो बेहद ही रियल था …….

“ओके ..”

“क्या हुआ है आपको सब ठीक तो है ना”

अब मैं पूरी तरह से उस सपने और उसके डर से बाहर आ चुका था ..

“हम्म चन्दू और रामु काका कल रात से गायब है ,किसी को नही पता की वो कहा गए …”

“तो आप क्यो परेशान हो रहे हो,गए होंगे कही आ जाएंगे…”

निशा मेरे गोद में आकर बैठ गई,और अपने होठो को मेरे होठो के पास ला दिया ,वो एक आमंत्रण था …

मैंने उसकी आंखों में देखा ……..

“निशा विवेक अग्निहोत्री को जानती हो “

“हा वो हमारे वकील है ना,आज माँ बहुत परेशान लग रही थी उनकी खबर से वो छत से गिर गए ना,पापा और माँ उनके ही घर तो गए है आज “

निशा का स्वभाव बिल्कुल ही नार्मल था,कही से नही लग रहा था की ये लड़की मुझे फंसा रही होगी ,बिल्कुल नेचुरल,इसके दो ही मतलब हो सकते थे,पहला की ये बेहद ही शातिर है और बेहद ही अच्छी अभिनेता है और दूसरा की ये सच में मासूम है और कोई इसकी आड़ ले कर गेम खेल रहा है …….

मैं उसे ही देख रहा था जैसे मैं उसके अंदर जा कर सब कुछ पता करना चाहता था …

“क्या हुआ भइया…..??..अरे आप उनको लेकर क्यो परेशान हो रहे हो ,आपने तो कभी उनसे बात भी नही की है ,ना ही कभी अच्छे से मिले हो ..”

“मैं उनको लेकर नही तुझे लेकर परेशान हु “

वो चौकी

“क्यो आखिर ???”

“मैं तेरा भाई हु और तू मुझसे ही प्यार करने लगी,हमारा रिश्ता तो ऐसे नाजायज हुआ ना…”

उसने अपना मुह सिकोड़ लिया

“आप फिर से चालू मत हो जाओ ,मैं आपकी हु बस मैं इससे ज्यादा कुछ नही जानती ,जायज नाजायज की फिक्र आप और नेहा दीदी करो “

“नेहा दीदी “मेरे मुह से अचानक निकल गया

“हा वो भी हमेशा यही कहते रहती है की मेरा आपसे प्यार करना नाजायज है और खुद चन्दू से छिप छिप कर मिलती है ,वो भी तो हमारा भाई ही है ना फिर उनका रिश्ता कैसे जायज हुआ और हमारा नाजायज ..”

इस बार मेरे दिलो दिमाग में बम ही बम फूटने लगे थे…

“मतलब नेहा दी और चन्दू ..???”

मैंने संभावना व्यक्त की

“ओह माय गॉड मैंने ये क्या बोल दिया,अगर नेहा दी को पता चल गया तो वो मुझे मार ही डालेगी “

निशा ने अपने सर को पकड़ लिया

“भइया प्लीज किसी को कुछ मत बोलना और प्लीज चन्दू से झगड़ा मत करना ,वो दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है ,प्लीज् प्लीज प्लीज ‘निशा ने मेरे सामने अपने हाथ जोड़ लिए…

“कब से चल रहा है ये ..”

“कुछ महीनों से ,सच में उन दोनो ने कुछ नही किया है अभी तक “

वो झट से बोली

“तुझे कैसे पता “

“बस पता है …”वो थोड़ी देर चुप ही रही ..

“मैं उनकी जासूसी जो करते रहती हु “

वो हल्के से हंसी…

“ह्म्म्म और नेहा दीदी को हमारे बारे में कब से पता है ??”

“कुछ सालो से ...मैं तो आपकी बहुत पहले से दीवानी हु “

उसने आंखे मटकाई मेरे दिमाग में सब कुछ क्लियर था …

नेहा दीदी निशा के मेरे ऊपर आकर्षण के बारे में जानती थी,और फिर जब चन्दू उससे मिला, चन्दू ने उन्हें अपने शीशे में उतारा और चन्दू को भी ये बात पता चली ,,शायद उन्होंने ही निशा को भड़काया था की वो मुझे जलील किया करे ,क्योकि कुछ महीनों से उसका मुझे जलील करना बहुत ही बढ़ गया था और तरीका कुछ गंदा हो गया था,पहले तो बस वो मुझसे नफरत सी करती थी जैसे प्यार के ना मिलने पर टूटे दिल का आशिक करता है ,मुझे अब उसकी कही हर पुरानी बात का मतलब समझ आ रहा था...उसका वो मुझसे बिना बात के लड़ना फिर नफरत से देखना,असल में वो नफरत नही थी वो प्यार का टूटना था …….

वो मुझे हसरत से देखती थी जो मुझे नफरत लगता था …

फिर चन्दू और नेहा के कहने पर उसने मुझे जलील करना शुरू कर दिया,और शायद कार में हुई घटना भी नेहा का ही प्लान था …

फिर जब मैं वापस आया तो मेरे बदले रूप से नेहा और चन्दू घबरा गए तो उन्होने फिर से निशा को आगे किया मुझसे माफी मांगने और सब कुछ अपने पक्ष में करने के लिए….

मुझे समझ तो आ गया था लेकिन अभी भी मैं कन्फर्म नही था …

“तो नेहा दीदी ही तुझे मुझे जलील करने को कहती थी ..”

वो चुप हो गई

“नही वो अक्सर चन्दू ही कहता था की अगर तू उसे जलायेगी तो शायद वो ठीक हो जाएगा,उससे वो तुझे पाने को बेताब हो जाएगा ,कभी कभी नेहा दीदी भी उसका सपोर्ट किया करती थी,सॉरी भइया मैंने आपको बहुत दर्द दे दिया ..”

उसके आंखों में आंसू आ गए थे ,लेकिन मुझे उसपर बेहद ही प्यार आया ,मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया ..

“चल कोई बात नही ,लेकिन भूल कर भी ये बात नेहा दीदी को पता नही चलानी चाहिए की तूने मुझे उनके बारे में सब कुछ बता दिया है ,ना ही ये की तूने मुझे ये बताया है की नेहा दी हमारे बारे में जानती हैं “

“क्या वो क्यो ???”

“पहले मेरे सर की कसम खा ..”

“नही पहले बताओ “

“मेरी जान प्लीज “मैंने उसे प्यार से कहा वो थोड़ी मुस्कराई और मेरे सर पर हाथ रख दिया

“ठीक है नही बताउंगी लेकिन क्यो”

“क्योकि मैं नही चाहता की वो मुझे भी तेरी तरह पागल समझे “

मैं हंस पड़ा और वो मुझे गुस्से में मारने लगी..

“मैं आपको पागल लगती हु “

इस बार मैंने उसके सर को पकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को डाल दिया ,उसे जैसे एक झटका सा लगा और थोड़ी देर में वो शांत हो गई और मेरे बांहो में खुद को पूरी तरह से छोड़ दिया …
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03-19-2020, 12:01 PM,
#24
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होठो को चूमता रहा …

“ठीक है अब जाओ जाकर सो जाओ मुझे भी जल्दी उठाना होता है “

उसने मुझे एक नाराज आंखों से देखा

“भइया प्लीज यही सोने दो ना “

“आज नही, तू सोएगी तो फिर मुझे तंग करेगी आज के लिए किस दे दिया ना बस हो गया “

“नही भइया प्लीज …”

उसने बड़े ही प्यार से कहा

“नो …चल अब जा “

मैं उसे उठाकर दरवाजे तक ले आया ...वो बुझे मन से जाने लगी लेकिन फिर मुड़कर दौड़ी और मेरे होठो में हल्का सा किस कर दिया

“आई लव यू “वो हँसते हुए भागते हुए अपने कमरे में चली गई ..

उसकी इस हरकत से मेरे होठो में एक मुस्कुराहट आ गई और फिर अचानक नेहा दीदी और चन्दू का चहरा मेरे आंखों के सामने झूलने लगा ……..
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03-19-2020, 12:01 PM,
#25
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 13

सुबह मैं बहुत बेचैन सा मेडम के पास पहुचा ,वो मुझे कुछ बोल पाती उससे पहले ही मैंने उनका हाथ पकड़कर बाहर चलने को कहा..

“अरे ये क्या बत्तमीजी है …….”

“मुझे साफ साफ बताइये की आप कौन है ..??”

“वाट क्या बोल रहे हो ??”

“क्या आप चन्दू पर नजर रखे हुए हो …”

“मलतब ???”

वो मेरी बात सुनकर बौखला गई थी

“मेडम देखिए प्लीज् मुझे सच सच बताइये की ये लकड़ी क्या है ..और आप कौन हो,आप कल विवेक अंगिहोत्री से मिली थी राइट ..”

इस बार काजल मेडम शांत थी …

“तो उस वकील ने तुम्हे मेरे बारे में भी बता दिया “

“जब उसने कहा की वो लड़की कोई सुंदर सी फाइटर थी तो मेरे दिमाग में पहला नाम आपका ही आया था “

मेडम हल्के से हंसी

“अब प्लीज आप बताने का कष्ट करेंगी की ये हो क्या रहा है,आप मेरी रक्षा क्यो कर रही है ,और क्या इन सबमे बाबा जी या इस लकड़ी का कोई लेना देना है “

“इस लकड़ी के साथ क्या किया तुमने “

“कल रात मैंने इसे चांटा था जैसा बाबा जी ने कहा था की जब भी किसी मुसीबत में होंगे तो इसे चांट लेना “

वो हल्के से हंसी

“फिर क्या हुआ “

“मैंने एक अजीब सा सपना देखा की मैं ……….”

मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया ….

“ओ माय गॉड ,मैंने सोचा नही था की ये हो जाएगा ,डॉ इज़ सच अ जीनियस “

“वाट???? कौन डॉ और क्या हो जाएगा ???“

“न्यूरोगिला ट्राय बेसाईल फास्फेट शार्ट में बोले तो NTBF ..”

“मतलब…”

मैं बुरी तरह से कन्फ्यूज़ था

“मतलब उन्होंने ये बना दिया “

“किन्होंने “

“डॉ ने, डॉ चूतिया …”

मेडम की बात से मैं बुरी तरह से झल्ला गया था

“कौन डॉ चूतिया…”

मैं झल्ला कर बोला

“तुम्हारे बाबा ..और हमारे डॉ साहब ,हमारे मार्शल आर्ट के ग्रेंड मास्टर ,इस संस्था के प्रमुख ...डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले ,उर्फ डॉ चूतिया……..”

मैं बुरी तरह से चौक गया था,मुझे समझ नही आ रहा था की ये हो क्या रहा है …

“लेकिन वो तो एक सिद्ध संत है …”

“हा बिल्कुल ,वो जंगलो में इस दवाई को बनाने के लिए तपस्या ही तो कर रहे थे इतने दिनों से ,जो तुम्हारे गले में है वो उनके 5 सालो की मेहनत का नतीजा है….एक खास फार्मूले में कई महीने से डूबी हुई चंदन की एक लकड़ी का टुकड़ा ...ये जादुई लकड़ी है …”

अब मुझे कुछ कुछ समझ में आ रहा था की आखिर यंहा हो क्या रहा है …

“तो आपको बाबा जी ने भेजा है मेरी मदद के लिए “

“हा वो देखना चाहते थे की आखिर उनके शिक्षा का तुमपर क्या असर होता है ,और ये भी की इस ड्रग का तुमपर क्या असर होता है,लेकिन तुमने कभी इसे चाटा ही नही “

“लेकिन इसे चाटने के बाद तो मैं सो गया था…”

“वो इसलिए क्योकि ये पहली बार था,तुम्हारे दिमाग के चलने की स्पीड अचानक से कई गुना तेज हो गई जिसकी तुम्हे आदत ही नही है इसलिए तुम्हरे दिमाग ने शरीर के डिफेंस सिस्टम के तहत तुम्हे बेहोश कर दिया जैसे कोई बेहद डरावनी चीज देखने के बाद या फिर किसी बहुत बड़े सदमे के बाद लोग बेहोश हो जाते है क्योकि उसे जागते हुए वो सह नही पाते तो दिमाग का डिफेंस सिस्टम आपकी चेतना को खत्म कर देता है ताकि आप पागल ना हो जाए …..”

“लेकिन वो सपना …”

“शायद तुमने जब इसे चाटा था तो तुम निशा के बारे में ही सोच रहे थे राइट…या तुम्हारे दिमाग मे उसे लेकर कुछ द्वंद चल रहा होगा..तो तुम्हारे दिमाग ने तुम्हे वंहा पहुचा दिया ,तुम्हारी ही यादों का सहारा, तुम्हे सपना दिखाने के लिए लिया गया ,जो चीज तुम्हारे साथ बीती थी लेकिन तुम उसे सच समझने लगे और उसे अपने हिसाब से चलाने की कोशिस करने लगे ,इसे विज्ञान की भाषा में लुसिड ड्रीमिंग कहा जाता है(आप अधिक जानकारी के लिये lucid dreaming गूगल कर सकते है) ,जब आप सपने में होते हो लेकिन उस सपने को कंट्रोल कर सकते हो ,असल में आपको पता चल जाता है की आप सपना देख रहे हो ,इसके लिए बहुत प्रेक्टिस करनी पड़ती है ,कभी कभी ये अचानक भी हो जाता है,लेकिन तुम्हारे केस में तुम भूल गए की ये सपना है तुम्हे वो सब सच ही लगने लगा फिर भी तुम इसे कंट्रोल कर पाए इस दवाई के कारण …”

“अगर मैं अब इसे चाट लू तो ..”

“नही मेरे ख्याल से तुम्हारा दिमाग अभी तैयार नही हो पाया है .इससे पहले तुम्हे कुछ दूसरी ड्रग्स देनी होगी ताकि तुम इसके शक्ति को कंट्रोल कर सको ,तुम सोच नही सकते की डॉ ने तुम्हे क्या दे दिया है “

“मैं सच में नही सोच सकता की ये मेरे साथ क्या हो रहा है कहि ये भी सपना तो नही है “

काजल मेडम जोरो से हसने लगी और मेरे गालो में एक जोर की चिकोटी काट दी …

“आउच ..”

“अब समझ आया ,चलो जब तुम्हे ये पता चल ही गया तो कही बैठकर बात करते है तुमसे बहुत सारी बात करनी है ……..”

******

हम एक आरामदायक जगह में बैठे थे ये वही जगह थी जन्हा बैठकर मैंने उनसे आकर्षण के बारे में गुरुज्ञान लिया था …

“मुझे शुरू से जानना है “

मैंने रिक्वेस्ट की

“हम्म असल में हम ये संस्था चलाते है ,सेल्फ डिफेंस सिखाते है और साथ ही कई और विज्ञान,और समाज सेवा के कार्य भी करते हैं, हमारे कई स्कूल कालेज और हॉस्पिटल भी हैं,इसकी शुरुवात हमारे गुरुदेव डॉ साहब ने की थी ,हमसे कई लोग जुड़ते गए जिसमे कई वैज्ञानिक थे,कुछ दार्शनिक,मनोवैज्ञानिक,फाइटर्स ,आदि आदि ..

ये एक चैन सा बन चुका है,पूरे देश और विदेशो में फैल चुका है ..

खैर छोड़ो …
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03-19-2020, 12:02 PM,
#26
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
हुआ ये की उन्हें ये आईडिया किसी वैज्ञानिक के अधूरे प्रयोग से आया की एक ऐसी दवाई बनाई जा सकती है जिससे मानव मस्तिष्क की क्षमता को बहुत ज्यादा बड़ा दिया जाए,जैसा तुम्हे पता होगा की हम अपने दिमाग का कुछ ही परसेंट यूज़ कर पाते है ,बाकी दिमाग निष्क्रिय भी चला जाता है,वही कई वैज्ञानिक ये भी मानते है की जितना परसेंट बताया जाता है वो भी गलत है क्योकि अभी तक कभी तक किसी ने पूरा दिमाग यूज़ ही नही किया,मतलब की दिमाग की क्षमता का कोई ओर छोर ही अभी तक नही पता तो इसे परसेंट मे कैसे बताया जाय की अभी मनुष्य कितने परसेंट तक इस्तमाल करता है राइट...दिमाग की एक ख़ासियत ये भी है की इसे जितना उपयोग किया जाए वो उतना ही तेज होता जाता है,इन सब को सोचकर प्रयोग किये गए,और डॉ साहब सब कुछ छोड़ कर जंगलो में चले गए,हम कुछ लोगो को ही पता है की वो आखिर कहा है,हम उनसे सेटेलाइट फोन के मध्यम से संपर्क में है और उन्हें जरूरी चीजे उपलब्ध करवाते है…”

“लेकिन अगर वो कोई पहुचे हुए संत नही है तो फिर उहोने शंख बजाकर चीते को कैसे भगा दिया ..”

मेरा एक स्वाभाविक सा प्रश्न था ……

“अगर वो चीता रहा ही नही हो तो ..”

“क्या??????????”

मैं चौका

“लेकिन मैंने तो उसे अपनी आंखों से देखा था ,उसकी दहाड़ भी सुनी थी “

काजल मेडम हंस पड़ी ..

“हा बिल्कुल सुनी थी ,लेकिन ……..क्या तुमने कभी प्रोजेक्शन टेक्निक का नाम सुना है “

“हा थोड़ा बहुत ..”

“बस वो लाइट का प्रोजेक्शन था जो हमने डॉ की सेफ्टी के लिए लगाया था ,साथ में ही कुछ स्पीकर्स जिसकी दहाड़ तुमने सुनी “

मैं आंखे फाड़े उन्हें देख रहा था ….

“डॉ साहब ने उसी समय तुम्हारे भीतर छुपे हुए फाइटर को पहचान लिया था,जब उन्होंने तुम्हे निडर उस चीते के सामने देखा तो वो समझ गए थे की तुम जीवन को खोने के डर से मुक्त हो चुके हो ,तुम्हारे अंदर की निडरता और साहस को वो पहचान चुके थे,लेकिन फिर जब तुमने उन्हें अपनी कहानी सुनाई तो उनके दिल में तुम्हारे लिए एक दया का भाव जागा,वो चाहते थे की तुम खुद को पहचानो की तुम वो नही हो जो तुमन खुद को सोच रखा है….तुम ताकतवर भी हो ,और निडर भी ,बस जरूरत थी तुम्हारे भीतर की ताकत और साहस का तुम्हे अहसास दिलाने की ,तो उन्होंने तुम्हे मनोवैज्ञानिक तरीके से ट्रेन किया,उसके लिए तुम्हे भरोसा दिलाने के लिए ये लकड़ी तुम्हे दे दी ,और इसकी ताबीज बना कर तुम्हे पहना दिया,ताकि तुम्हे यही लगे की तुम्हारे भीतर से जो आ रहा है वो असल में एक सिद्ध बाबा के ताबीज का कमाल है …

साथ ही उन्होंने तुम्हे और भी कई गुर अनजाने में ही सीखा दिए जैसे पहाड़ो में चढ़ना ,दूर तक दौड़ना,ये तुम्हारे स्ट्रेंथ और कंफीडेंस को बढाता है,तुम चीते के सामने खड़े हो गए इससे तुम्हारे अंदर का फाइटर जागा जो किसी भी कंडीसन में हार नही मानता...तुम्हे योग ,आसन ,प्राणायाम और ध्यान सिखाया जिससे तुम हर दिन और बेहतर बनते जाओ,और सबसे बड़ी बात उन्होंने जो तुम्हे दे दी वो थी खुद पर विस्वास करने की कला …..

तुम जब वापस आये तो तुमने सब कुछ किया लेकिन अपनी शक्ति का गलत उपयोग करने की कोशिस नही की ,कोई और होता तो कब का इस लकड़ी को चाट चुका होता,डॉ को तुमपर यकीन था की तुम ऐसा नही करोगे इसलिए इसे तुम्हारे साथ लाने दिया,जब तुम पहली बार उनसे मिले तभी से उन्होंने हमे इस काम में भिड़ा दिया था की तुम्हारे बारे में पता कीया जाए,तुम्हारे आने तक हमारे पास तुम्हारी सभी बायोडेटा मौजूद थी ,हम तब से ही चन्दू और एडवेकेट अग्निहोत्री पर नजर रखे थे ,हमने दोनो का फोन भी टेप किया जिससे आगे हमे ये पता चला की वो तुम्हे फसाने के फिराक में है ,मुझे तुम्हे ट्रेन करना था क्योकि डॉ ने कह रखा था की मैं तुम्हारी हिफाजत भी करू और साथ ही तुम्हे आने वाली मुश्किलों को के लिए तैयार भी रखु,क्योकि …..”

वो इतना कह कर चुप हो गई

“क्योकि क्या मेडम ..”

काजल ने एक बार करवट बदली थोड़ी बेचैन हो गई ..

“क्योकि ये अब सिर्फ तुम्हारे और चन्दू की बात नही रह गई है,हमारे समान्तर एक और ग्रुप भी एक्टिव है जिसका प्रमुख है डागा ,डेनिश चरण डागा जो DCD के नाम से फेमस है, या ये कहु की अंडरवर्ड में बदनाम है ...वो एक कातिल है ,स्मगलर है ,और एक ग्रुप का लीडर है जो हमारे ग्रुप की सबसे बड़ी दुश्मन है …..

उनके एजेंट भी जगह जगह फैले हुए है ,और वो अभी डॉ को ढूंढने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे है,यही कारण है की डॉ एक ऐसी जगह में छिपे है जिसका किसी को अंदाज भी नही हो सकता,वो भी इस दवाई की शक्ति को जानते है और इसे पाना चाहते है…….

अब मुद्दे की बात करे तो उन्हें ये पता चल गया है की हमारा ग्रुप तुम्हे प्रोटेक्ट कर रहा है,और मैं तुम्हे ट्रेन कर रही हु ,लेकिन उन्हें इस लकड़ी के बारे में नही पता ….हा उनके पास एक दूसरी थ्योरी जरूर है...वो है तुम्हारा पैसा …

तुम्हारे नाम पर अरबो की प्रोपर्टी है जिसका तुम्हे ढंग से पता भी नही है,उस ग्रुप को ये नही पता की तुम असल में डॉ के पास रह कर आये हो इसलिए तुम्हे हम प्रोटेक्ट कर रहे है बल्कि उन्हें ये लगता है की हम तुम्हारी दौलत के पीछे है ,सोचो अगर तुम हमारे साथ हो तो तुम हमे कितनी वित्तीय मदद कर सकते हो ,और इससे हमारा ग्रुप और भी ताकतवर हो जाएगा,और इसके लिए हम तुम्हे तुम्हारी प्रोपर्टी दिलाने में मदद करेंगे ….अब अगर ऐसा है तो उन्हें कोई ऐसा चाहिए था जो हमारे मंसूबो को नाकाम करे ,और उन्होंने चन्दू को खोज लिया,वो चन्दू के जरिये वो प्रोपर्टी पाना चाहते है ताकि वो पैसा जो हमारे ग्रुप को मिलना था वो अब डागा को मिल जाए ,वो उससे तबाही मचा देगा….हथियार खरीदेगा ..उन्हें वसीयत की कमजोरियों के बारे में पता चल गया है और इसीलिए उन्होंने पहले वकील को ही मार दिया,मैं नही चाहती थी की तुम्हे मेरे बारे में पता चले इसलिए मैंने तुम्हे काल नही किया बल्कि विवेक से करवाया….अब मुश्किल और बढ़ गई है क्योकि तुम मुझे पहचानते हो,और तुम्हे हमारी और अपनी हकीकत भी पता चल चुका है ,ये तुम्हारे लिए मुश्किल पैदा करने वाली है तो तुम्हे अब अपने ट्रेनिंग को अलग लेवल तक ले जाना होगा...ऐसा ना हो की बाबा के सिद्ध ना होने की बात सुनकर तुम्हारा कंफीडेंस गिर जाए और तुम पहले वाले राज बन जाओ ..”

मेडम की बात सुनकर मैं मुस्कुराया ..

“नही मेडम ,बाबाजी ने सॉरी डॉ ने जिस तरह से मेरे अंदर की ताकत का मुझे अहसास दिलाया है मैं इसे कभी नही खो सकता,और आपकी बात से और सच्चाई जानकर मैं और भी आत्मविस्वास से भर गया हु,आपके लिए वो शायद डॉ हो लेकिन मेरे लिए तो वो मेरे बाबा ही है,वो सिद्ध जिसने मुझे अपनी पहचान दिलाई ,मुझे जहन्नुम से निकाल कर जन्नत का रास्ता बताया..मैं उनकी दी शिक्षाओं को भूल नही सकता ..”

ये बोलते बोलते मेरा गला भर गया था ,मेरे दिल में बाबाजी उर्फ डॉ साहब के लिए सम्मान और भी गहरा हो गया था,उन्होंने मुझपर इतना भरोसा किया था की अपनी सालो की मेहनत मेरे हवाले कर दिया था,जब उन्होंने मुझ में कुछ देखा था तो मुझे भी खुद को साबित करना होगा,मैं उनका विस्वास नही तोड़ सकता था…..

“मेडम मैं तैयार हु ,मैं कठिन से कठिन ट्रेनिंग करूँगा “

मेरी बात सुनकर मेडम मुस्कुराई

“तुम्हे एक ही चीज की सबसे ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत है ,वो है इस दवाई को झेलने की शक्ति ,और इसकी ताकत का सही उपयोग करने का दिमाग ,वो शांत दिमाग से ही पॉसिबल हो पायेगा ...आगर तुम्हे ये कर लिया तो तुम अकेले सबपर भारी पड़ोगे…हम तुम्हे आज से ही कुछ अलग अलग दवाइयों के डोस देना शुरू करेंगे ..”

“मैं तैयार हु मेडम “

मेडम फिर से मुस्कुराई

“अब समय आ गया है की तुम रश्मि को आई लव यू बोल दो “

मैं उनके अचानक से टॉपिक बदलने पर चौका

“वाट अब रश्मि बीच में कहा से गई “

वो हँसने लगी

“क्योकि तुम्हे उसकी जरूरत पड़ने वाली है जो मेडिसिन तुम्हारे ऊपर चलेंगी और साथ ही ये लकड़ी का असर ये तुम्हारे सभी तरह के ताकत को बड़ा देगा...समझ रहे हो “

मैंने ना में सर हिलाया

“ये तुम्हारे शारीरिक ताकत ,मानसिक ताकत को बढ़ाएगा..तुम्हारी इमेजिनेशन की ताकत बहुत ज्यादा हो जाएगी जिसका उदाहरण तुम देख ही चुके हो ,सपना वो इमेजिनेशन ही तो है...साथ ही तुम्हारे cognation की ताकत,तुम्हरा perseption ,बैलेंसिंग ,कंसन्ट्रेशन सब कुछ ,तुम्हारे मसल्स की पवार तुम्हारी लर्निंग अब्लीटी ...और रश्मि की तुम्हे जन्हा जरूरत पड़ेगी..तुम्हारा टेस्टोस्टेरॉन लेवल,और तुम्हारी सेक्सुअल पॉवर…..राज इसे सम्हाल पाना बहुत मुश्किल होने वाला है तुम्हारे लिए...बाकी सब के लिए हमारे पास एक्सरसाइज है ,योग है ,ध्यान है लेकिन इसके लिए तो तुम्हे एक रियाल लड़की की ही जरूरत है ..”

मेडम हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी …

लेकिन मैं नही मेरे दिमाग में और भी कुछ चल रहा था ..

“आप फिक्र मत करे मेडम ,रश्मि के अलावा भी बहुत लोग है मेरे पास ,कुछ को प्यार दिखाना है ,तो कुछ से बदला लेना है ..”
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03-19-2020, 12:02 PM,
#27
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 14

मैंने सोचा नही था डॉ का ग्रुप इतना संगठित होगा,मेरा प्रिंसपल भी इसका सदस्य था,मेरे एग्जाम होने वाले थे और मेरे ऊपर टेस्ट शुरू हो चुके थे,चन्दू का पता नही था लेकिन उसे ढूंढने की पूरी कोशिस जारी थी वही वकील साहब के घर से लॉकर की चाबी मिल चुकी थी ,साले ने उसे कॉन्डोम के डिब्बे में छिपा के रखा था,काजल के आदमी को बाकायदा उसकी बीवी को पटाने और उसके साथ रात गुजरने के लिए नियुक्त किया गया था ताकि वो घर में घुसकर चाबी का पता लगा सके ,मजे की बात ये थी की बीबी ने जब कॉन्डोम का डिब्बा खोला तो वो वही मिल गया ...और मजे की बात ये भी थे की डागा गैंग ने सारा घर छान मारा था लेकिन उस डिब्बे को छोड़ दिया था…..

हमारे पास वसीयत थी जिसे मेडम ने हिफाजत से रख लिया था उसकी एक कॉपी मुझे दी गई थी जो मेरे कमरे में सुरक्षित थी ,इसे अभी क्लेम करने से मना किया गया था क्योकि चन्दू बीच में आकर आधी प्रोपर्टी पर हक जमा सकता था क्लियर था की चन्दू के साथ वही करना होगा जो वो मेरे साथ करना चाहता था …

दवाइयों की टेस्टिंग से मेरे अंदर कुछ परिवर्तन आने लगे थे,जैसे मेरे मसल्स तेजी से बढ़ रहे थे,आवाज भारी हो रही थी ,एक महीने में ही मैं एक मुस्कन्डा दिखाने लगा था ,साथ ही साथ मेरे अंदर ऐसे मानसिक चेंज भी आ रहे थे जो किसी को नही दिखते थे,लेकिन टेस्ट करने पर पोसिटिव रिजल्ट ही था…….

बहुत मुश्किल से सही लेकिन निशा और रश्मि को अपने हवस से दूर ही रखा था क्योकि अभी तक ये मुझपर हावी नही हुए थे,निशा को मैंने अपने साथ सोने से सख्त मना कर रखा था वो मुझसे गुस्सा भी थी लेकिन अभी मैं उसके साथ कुछ नही करना चाहता था कम से कम जब तक टेस्ट पूरे ना हो जाए...रश्मि को दूर रखना आसान ही था…

लेकिन ,मेरी नजर शबीना और कांता पर टिकी थी ,काजल के लोग के अलावा मैंने पिता जी से कहकर कुछ सिक्योरिटी के लोग भी एक्सट्रा ला लिए थे,घर के किसी नॉकर को बाहर जाने की सख्त मनाही कर दी थी ताकि कांता और शबीना और अब्दुल भाग ना जाए,उनके अलावा बस एक नॉकर जो की मेरा ही आदमी था वंहा बिठा दिया था जो बाहर से समान लाने का काम करता था,ये सब घर वालो को अजीब लग रहा था लेकिन मेरे पिता को इससे कोई प्रॉब्लम नही थी ,बात ऐसी थी की मैंने वसीयत की एक कॉपी उनके डेक्स में रखवा दी थी ..

उन्हें पता था की मैं पूरी दौलत को क्लेम करने वाला हु ,और उसके बाद उनके पास कुछ भी नही रह जाएगा …

मैंने उनसे कुछ भी नही कहा ना ही माँ से कुछ कहा लेकिन पिता जी को मेरे हावभाव से समझ जरूर आ गया था की अब से इस घर का मालिक मैं हु ना की वो …….और वो मुझसे उलझना नही चाहते थे,ना ही मैं ये चाहता था …….

पूरा महीना हो चुका था और मेरे सेक्स की आग बढ़ने से मुझे बहुत परेशानी हो रही थी ,मैं हिलाना भी नही चाहता था ..

एक दिन मैंने अपनी सील खोलने की ठान ली ,लेकिन समस्या थी की किस्से शुरुवात की जाए क्योकि मैं जानता था की एक बार शुरू हो गया तो मेरे लिए रुकना मुश्किल होने वाला है,इसीलिए मैंने अभी तक इसे सम्हाल कर रखा था….

मेरे दिमाग में पहला नाम आया रश्मि का साथ ही निशा भी तो बेताब थी ,लेकिन मै दोनो के साथ नही करना चाहता था कारण था की दोनो ही कुँवारे थे और मैं इतनी ताकत के साथ उनके साथ कैसा व्यवहार करूँगा मुझे खुद नही पता था ,मुझे कोई एक्सपीरियंस चाहिए था……

और दुश्मन की माँ से ज्यादा अच्छा कौन हो सकता है ,ऐसे भी मैं साले की माँ चोदना चाहता था क्यो ना असल जिंदगी में भी उसकी माँ चोदी जाए……

लेकिन कैसे ..???

जबदस्ती ????

नही यार ये मुझसे नही होगा …..

फिर मेरे दिमाग में एक क्लिक हुआ ...

और मैं एक शाम अपने पार्किंग में गया …

वंहा पापा नही थे लेकिन कांता और शबीना मौजूद थे शायद पिता जी का ही इंतजार था,मैं उस कमरे की खिड़की के पास ही खड़ा था की पिता जी आते हुए दिखे मैं उनके पास चला गया ..

“आप यंहा ..”

वो मुझे देख कर हड़बड़ाए..

“हा वो कार कार लेने आया था वो काम से बाहर जाना है “

“लेकिन आपकी कार तो बाहर ही खड़ी है…”

“नही वो ये वाली कार उन्होंने वंहा खड़ी एक कार की ओर इशारा किया “

“हम्म तो जाइये ले जाइये “

उन्होंने अजीब निगाहों से मुझे घूरा लेकिन बिना कुछ बोले उस कार में जाकर बैठ गए जिसे उन्होंने पता नही कितने सालो से नही चलाया था ...उनके जाने के बाद मेरे होठो में मुस्कान आ गई,और मैंने सोचा क्यो ना लकड़ी का यूज़ करके देखा जाए,मैंने उस दिन के बाद से फिर कभी इसका उपयोग नही किया था लेकिन अब मुझे उसके जैसी मिलती जुलती दवाइयों की आदत हो गई थी,और शरीर भी लगभग तैयार ही था…..

मैंने लड़की निकाली और उसे चूस लिया…..
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03-19-2020, 12:02 PM,
#28
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में कोई करेंट सी दौड़ रही हो ,मेरे नशो में खून नही करेंट सा दौड़ाने लगा था,ये अहसास पहले हुए अहसास जैसा नही था,मुझे कोई डर नही लग रहा था बस अजीब सा मजा आ रहा था...मेरे सामने सब कुछ थोड़े देर के लिए रंगीन सा हो गया,मुझे एक ड्रग्स की याद आयी जो मुझे टेस्टिंग में खिलाया गया था क्योकि कुछ ड्रग्स जो लोग नशे के लिए खाते है उन्हें भी खिला कर उनके नशे की जानकारी मुझे दी गई थी और ये भी बताया गया था की उसे कैसे हेंडल करना है...मुझे वैसा ही कुछ फील हुआ ,चारो तरफ जैसे रंगीन कार्टून चल रहा हो,मैं उस कमरे तक पहुचा,उन्हें देखकर मुझे कार्टून कैरेक्टर सविता भाभी की याद आ गई..मैं जोरो से हंसा ..

“अरे बेटा तुम ..”वो चौकी थी लेकिन मेरा ध्यान कांता के साड़ी से झांकते बड़े बड़े वक्षो पर जा टिका था ..

“हा आज पापा नही आएंगे तो उनके जगह उन्होंने मुझे भेजा है “

“क्या???”

वो दोनो चौक गई

मेरा गाला थोड़ा सुख रहा था मैंने पास रखी पूरी बोतल ही पी ली अब मुझे थोड़ा सामान्य सा लगा ,कार्टून वाली फाइलिंग अब जा चुकी थी ,लेकिन साला उनके वक्षो के उभार देखकर मेरा लिंग पूरी ताकत से खड़ा हो गया था ,ऐसा लग रहा था जैसे मैंने यंहा आकर गलती कर दी ,निशा या रश्मि पर ही ट्राय करना था अगर ये मुझे नही दी तो लग जायगा ,क्योकि मैं पागल हो रहा था और मेरा लिंग ऐसे तना था की अगर कुछ देर और हो गई तो शायद ये फट ही जाएगा ,नशे तन गई थी ..मुझसे और बर्दास्त नही हुआ और मैंने अपने शार्ट और अंडरवियर को उतार नीचे फेक दिया,अब मेरा लिंग पूरे सबाब में उनके सामने झूल रहा था,वो आंखे फाडे उसे ही देख रही थी ,वो थोड़ा धनुषाकार ऊपर को मुड़ा हुआ था और उसके शिर्ष पर मेरा अन छुवा सूपड़ा मसरूम जैसा दिखाई दे रहा था…

उन्होंने अपनी थूक अपने गले के अंदर की ..

“बेटा ये क्या कर रहे हो “हिम्मत करके शबीना ने कहा

“अरे माँ चूदाये बेटा...साली जल्दी से इसे मुह में लो देख नही रही हो कैसे गर्म हो रहा है ये थोड़ी देर और हुई तो फट जाएगा ,और आज से तुम मेरे बाप की नही मेरी रांड हो क्योकि अब इस घर का मालिक वो नही मैं हु ..चलो जल्दी वरना नंगा करके बालो से खिंचता हुआ घर से बाहर निकालूंगा ..साली कमिनियो मुझे घर से निकालने के लिए आई थी ना तुम लोग ..”

उन दोनो के चहरे फक्क पड़ गए थे वो अवाक से मुझे ही देख रहे थे...असल में मैंने भी ये नही सोचा था की मैं इनसे ऐसे पेश आऊंगा लेकिन पता नही इस साले लकड़ी के टुकड़े को डॉ ने कौन सी दवाई में डूबा कर बनाया था एक अजीब सा उन्माद मेरे अंदर आ गया था …

वो डर कर कापने लगी ..

“डरो मत मेरी बात मानो मैं कुछ नही करूँगा ,ऐसे भी मेरा लिंग मेरे बाप से बड़ा ही है तुम्हे मजा आएगा ...है ना ..”

उन्होंने हा में सर हिलाया…

कांता झुकी और अपने घुटनो के बल बैठ गई ...उसने मेरे लिंग को अपने हाथ में थाम लिया जो की उसके दोनो हाथो से भी बाहर था ..

“बाप रे ये तो आजतक का सबसे बड़ा लौड़ा है जो मैंने देखा है और वो भी इतना तना हुआ “

वो ललचाई आंखों से देखने लगी और फिर मेरे सुपडे के ऊपर की चमड़ी जिसे मैंने आज तक नही हटाया था उसे हटाने की कोशिस करने लगी ..

“आह..’

मुझे एक तेज दर्द हुआ

“अरे ये तो बिल्कुल ही अनछुआ है रे..’

कांता ने खुश होकर शबीना को बताया दोनो के मुह से जैसे लार ही टपक गया था ,

“तो कौन सील तोड़ेगा “

दोनो ने एक दूसरे को देखा

“तू साली रांड “

मैंने कांता के सर को पकड़कर उसे अपने लिंग के पास टिका दिया उसने भी अपने होठो को खोलकर बड़े ही प्यार से उसे चूसना शुरू किया और अपने थूक से भिगोकर मेरी चमड़ी को धीरे धीरे पीछे करने लगी ,थोड़ी देर में चमड़ी पूरी तरह से पीछे हो गई थी ,मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ लेकिन उस मजे के सामने उस दर्द की कोई औकात नही थी ...मैंने शबीना को इशारे से अपने शार्ट को देने बोला और उसकी जेब में रखा अपना मोबाइल निकाल लिए और कांता की फ़ोटो उतारने लगा ..

“नही बेटा”

उसने मुह हटाया ही था की मैंने फिर जोरो उसके सर को दबा दिया

“मैं तेरा मालिक हु तू नही समझी जो चाहे करूँगा “

वो समझ चुकी थी की उसकी एक नही चलने वाली ,उसने फिर से लिंग की चुसाई शुरू कर दी ...मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था ,मुझे नही पता था की ये भी एक मजा है लेकिन सच कहु तो मुझे इतना आनन्द मिल रहा था की मुझे लगा मैं इसका एडिक्टेड ही हो जाऊंगा ,इसके सामने दुनिया की सारी दौलत और ताकत झूठी मालूम होने लगी थी …

मेरी आंखे बंद थी और वो चूसे जा रही थी एक समय ऐसा आया की वो थक गई ,अब मैं उसके सर को पकड़े जोरो से आगे पीछे कर रहा था,उसके मुह से गु गु की आवाज आने लगी ..

वो मेरे पैरो को मार रही थी लेकिन मुझे कोई फर्क नही पड़ रहा था,बल्कि उसे तड़फता देख मुझे और भी मजा आया मैंने उसका एक वीडियो भी बना लिया था ..

“बेटा बस भी करो मर जाएगी ये, सांस नही ले पा रही है ..”

शबीना आगे आकर बोली..मैंने कान्ता को छोड़ दिया था वो खांस रही थी ...उसके मुह से लार टपक रहा था और वो अपनी सांसे लेने की कोशिस कर रही थी ..

“चल जान अब तू आज “

मैं जाकर बिस्तर में लेट गया और शबीना की ओर इशारा किया ..

वो मुस्कराते हुए मेरे पास आयी और अपनी साड़ी उतार कर एक ओर फेक दिया ..

“चूस इसे कपड़े मत उतार..’

मेरी आंखे आधी बन्द हो गई थी जैसे मैं नशे में था..

“बेटा मैं तो तुझे अपने जन्नत की सैर करवाना कहती हु और तू फिजूल चीजो में लगा है “उसने बहुत ही इठलाते हुए कहा

अपने हाथो से उसने मेरे लिंग को थोड़ा मसला और अपने पेटीकोट का नाडा खोलकर मेरे ऊपर आकर बैठ गई …….

शबीना काकी ने अपने हाथो से मेरे लिंग को अपनी भीगी योनि में प्रवेश करवाया ……

“वाह...वाह ..”

मैं आनंद के उस अनुभव को बयान नही कर पाऊंगा की मुझे कितना आनंद उस मिलन से मिल रहा था ,

“आह बेटा तूने तो मुझे पूरा भर दिया फिर भी तू अभी बाकी है ..”

शबीना की आह आयी उसने मेरे लिंग को पूरा अपने अंदर नही लिया बल्कि थोड़ा सा उठकर अपने कमर को नीचे किया ..

“आह मादरचोद ये क्या मजा है ,मैं पागल हो जाऊंगा “

मैं आनंद के अतिरेक में रो सा पड़ा था और शबीना की कमर को पकड़कर जोरो से नीचे धक्का दे दिया..

“हाय मार डाला ,आदमी हो की शैतान हो ,सांड की आत्मा आ गई है क्या तुम्हारे अंदर साला घोड़े का लंड ले के आ गया है और हमारी फाड़ रहा है,”

शबीना के आंखों में आंसू आ गए थे जिसे देखकर मुझे बहुत मजा आया,मेरे कमर को नीचे करने से अचानक ही मेरा पूरा लिंग उसके योनि के अंदर समा गया था ….मुझसे अब रुका नही जा रहा था ,मैं उसके कमर को पकड़ कर जोरो से ऊपर नीचे करने लगा साथ ही अपने कमर को भी ऊपर उठा उठा कर उसे धक्के मारने लगा लेकिन उसकी फ़टी तब जब मैंने उसे अपने नीचे लिटा लिए और उसके पैरो को पूरी तरह से फैला दिया ,मेरा पिस्टन चालू हो चुका था ,जो किसी सुपरफास्ट जैसे चल रहा था ,..

“आह दाई मार डाला साले ने आह ...रुक जा कमीने रुक जा इतना तो तेरे बाप ने आजतक नही चोदा..है भगवान बचा ले मुझे..”

शबीना ना जाने क्या क्या बोल रही थी,ऐसे उसकी योनि का रस भी चूह रहा था जिससे फच फच की आवाजे तेजी से निकल रही थी लेकिन फिर भी जब जब मैं अपने पूरे ताकत से धक्का लगता वो उछल सी जाती, वही कान्ता ये सब आंखे फाड़े देख रही थी ..

मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया और उसके बालो को खीचकर उसे अपने नीचे लिटा लिया मैंने उसके होठो में अपने होठो को डाल दिया और जोरो से चूसने लगा ,मैं उसके होठो को मानो खा ही जा रहा था…

“माँ….आआआआआआहहहहहहह “

चीखते हुए शबीना शान्त हो गई उसने कांता के बालो को जोरो से खींचा था ,अब वो मुर्दो जैसी हो गई थी लेकिन,पूरी योनि इतनी गीली थी जैसे अभी अभी उसने यंहा पेशाब कर दिया हो ,मैंने पढा था की इसे लड़कियों का ओर्गास्म कहते थे,हिंदी में चरम सुख..

“अब मेरी बारी..”

कान्ता जैसे ललचाई सी बोल उठी ..

“क्यो नही मादरचोद “

मैं शबीना के ऊपर से उठकर कान्ता के ऊपर चढ़ गया वो अब तक पूरी नंगी हो चुकी थी जबकि शबीना ने बस अपना पेटीकोट ही निकाला था ..मैं उसके योनि में अपने हाथो से ही लिंग का प्रवेश करवाया ...मैं भी अब तक थोड़ा शांत हो चुका था ,मैंने फिर से उसके कुछ फोटो लिए इस बार उसने कोई भी विरोध नही किया जबकि उसने मेरा साथ ही दिया …

धक्के लगाते लगाते दोनो को मैंने दो बार झडा दिया था लेकिन साला मेरा निकलने का नाम ही नही ले रहा था,वो दोनों भी पस्त किसी मुर्दे की तरह हो चुकी थी ,..

“बेटा माफ कर दो हमे ,अब नही ले पाएंगे “

शबीना ने हाथ जोड़ते हुए कहा …

मुझे भी उनपर दया आ गई ,लेकिन अब इसका क्या करू ये साला तो मुझे पागल बना देगा ..मैंने खड़े लिंग को देखा वो इन दोनो के कामरस के पूरी तरह से भीग चुका था और चमक रहा था ,इसकी शोभा इसका शिरमौर मेरा लाल सूपड़ा लग रहा था...मैंने इसकी भी एक फोटो उतार ली ..और काजल मेडम को फोन लगा दिया

“राज क्या हुआ सब ठीक तो है ना “

“मेडम मैं पागल हो जाऊंगा कुछ करो “

“क्या हुआ ??”

वो चिंतित हो गई

“पिछले दो घण्टो से मेरी माँ की उम्र की 2 रांडो को रगड़ रहा हु वो थक गई लेकिन मेरा निकल नही रहा है मैं पागल हो गया हु,कही इन दोनो को कर कर के मार ना डालु..”

मेरी बात सुनकर वो तुरंत बोल उठी

“तुम धंधे वाली के पास गए हो …????”

“अरे नही पहचान की औरते है,चन्दू की माँ और उसकी सहेली ..”

“हे भगवान “

मेडम जोरो से हँसने लगी थी ..

“मेडम प्लीज हँसने का वक्त नही है ,मैं पागल हो जाऊंगा..”

“ओके ओके जाओ और नीबू चुसो फिर ट्राय करना “

“ओके..”

तभी मुझे एक आइडिया आया ,

चन्दू अपना मोबाइल बंद रखे था,लेकिन उसका ईमेल आईडी मेरे पास था,मैंने सारे फ़ोटो और वीडियो उसे सेंड कर दिया साथ ही एक मैसेज भेजा…

'इस चुद को पहचान, इसी चुद से तेरा जन्म हुआ है,और इस लौड़े के पहचान इसका ही तू कभी मजाक उड़ाया करता था,आज यही लौड़ा तेरी माँ के चुद के रस से चमक रहा है…

कहा छिपा बैठा है बे कायर मादरचोद ,तू बिल में छिपा बैठा रहा और मैं यंहा तेरी माँ को रोज किसी सस्ती रांड की तरह चोदूगा'

मेरे होठो में एक मुस्कान आई जब मैंने सेंड का बटन दबाया...

मैं नीबू लेने के लिए अपना शार्ट पहन कर निकला ही था की मेरी नजर निशा पर पड़ी उसकी आंखें आंसुओ से भरी थी …….
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03-19-2020, 12:03 PM,
#29
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 15

निशा को देखकर नही उसके आंखों में आंसू को देखकर मेरी हवा टाइट हो रही थी …

“क्या हुआ निशा ..?”

मैं जानता था की निशा ने वो सब देख लिया है जो मैं अंदर कमरे में कर रहा था ,असल में मैं भी पापा की तरह ही खुल्लमखुल्ला ये सब कर रहा था …..

वो बिना कुछ बोले ही भागी...मैंने भी खुद को थोड़ा सम्हाला और उसके पीछे भागा वो अपने कमरे में घुस गई थी ,मैं भी अंदर चला गया ……

“तू ऐसे रो क्यो रही है..??”

“तो क्या करू...रश्मि के साथ कुछ करते तो ठीक भी था लेकिन उन लोगो के साथ...छि वो हमारे माँ के उम्र के है...आप भी अपने बाप की ही औलाद निकले,मैं ही गलत थी आपके बारे में सोचती थी की आप अलग हो लेकिन ….नही ...अब जाओ यंहा से ,ताकत मिलने पर सभी उसका गलत ही फायदा उठाते है…..”

अब मैं इसे क्या समझाता की मैं वंहा क्यो गया था ..

“निशा मैं तुझे क्या समझाऊ की मैं वंहा क्यो गया था ..”

इस बार वो मुझे घूरने लगी ..

“अब ये मत कहना की उन्होंने आपको सेडयूस किया होगा..”

“नही असल में पहले मैंने ही उनके ऊपर जोर डाला था ,लेकिन मेरी बात तो सुन ..ये एक तरह का बदला था..”

वो मुझे अजीब नजर से देखने लगी ..

“मतलब …”

“मतलब की ये लोग मुझे मारने का प्लान बना रहे थे..”

“क्या…?”

“हा निशा ...कान्ता और शबीना को यंहा इसीलिए लाया गया था की ताकि वो पापा का पाप अपने पेट में ले ले,और उससे जो बच्चे जन्म ले उन्हें हमारे प्रोपर्टी में हिस्सेदारी मिलेगी ….”

“क्या???मैं समझी नही ..”

“चल मेरे साथ “

मैं उसे अपने कमरे में ले गया और वसीयतों की कॉपी दिखाई ,और पूरी बात समझाई की कैसे वकील ने हमारे साथ गेम खेला और कैसे चन्दू मुझे मारने का प्लान कर रहा है ,और कही छिप गया है लेकिन मैंने लकड़ी ,अपने ट्रेनिंग और काजल मेडम की बाते उससे शेयर नही की ……

“ओह मेरे भइया, चन्दू इतना कमीना निकल जाएगा मुझे अंदाजा भी नही था “वो मेरे गले से लग गई

लेकिन फिर मुझसे अलग हुई..

“लेकिन इससे आपको ये हक नही मिल जाता की मेरा हक आप किसी दुसरो में बांटो,हा रश्मि की बात अलग है “

मुझे समझ आ चुका था की वो किस बारे में बात कर रही है ..

“कौन सा हक “

“इसका हक”

उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया जो की अभी अभी थोडा ढीला हुआ था ..

मैं हंस पड़ा

“तू मेरी बहन है मैं तेरे साथ ये सब नही करूँगा ,ये सब पाप है ..”

“भाड़ में गया पाप-वाप मुझे तो चाहिए…”

वो मेरे ऊपर कूद पड़ी थी और मुझे किस करने लगी ,हमारे होठ मिल गए और मेरा लिंग फिर से फुंकार मारने लगा…

ये अजीब बात थी की अब मुझे ज्यादा मजा आ रहा था,मुझे निशा के कोमल शरीर को छूने में उनसे खेलने में और उन्हें प्यार करने में ज्यादा मजा आ रहा था…..

मैं उसे सहलाने लगा था उसकी सांसे भी तेज हो चुकी थी ..

लेकिन मेरे मन में बार बार ये सवाल आ रहा था की क्या जो मैं करने जा रहा हु वो सही है ……??????

निशा मेरी बहन थी लेकिन जब से हमने होश सम्हाला था तब से बहन भाई वाली बॉन्डिंग हममे नही थी शायद यही वो कारण था की वो मेरे प्रति सेक्सुअली अट्रेक्ट हो रही थी ,मुझे उसके प्रति कोई सेक्सुअल अट्रेक्शन तो नही था लेकिन ……

लेकिन उसके शरीर की वो हल्की गर्मी मुझे पसंद आ रही थी ,मर्द था तो औरत के स्पर्श से उत्तेजना तो आनी ही थी ,क्योकि ये सच था की हमारे बीच कोई इमोशनल बॉन्डिंग नही बनी थी ,और जो थी भी वो कमजोर ही थी …..

निशा मुझे टूटकर चाहती थी और यही बात मुझे उसके और भी पास ले जा रही थी ,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैंने कान्ता और शबीना का क्या हाल किया था और ये तो वरजिन है शायद..??

“रुक रुक ..”मैंने उसे अपने से थोड़ा अलग किया

“क्या हुआ भइया …”उसकी सांसे तेज थी ..

“मैं एक हैवान हु निशा ,तू शायद मुझे नही झेल पाएगी “

उसने मेरे आंखों को बड़े ही गहराई से देखा ,

“आपने उनके साथ जो किया वो मैंने देखा था ,हा आप एक हैवान हो ,हवस से भरे हुए एक राक्षस जिसे शांत नही किया जा सकता लेकिन …...लेकिन आप उनके साथ सिर्फ अपनी हवस और फस्ट्रेशन मिटा रहे थे लेकिन मेरे साथ…...मेरे लिए आप मेरे देवता हो ,मेरी जान हो ,मेरे प्यारे भाई हो ,मेरा पहला प्यार हो ,मैं आपके जिस्म से नही बल्कि आपके रूह से भी उतनी ही मोहब्बत करना चाहती हु “

उसने अपनी उंगलिया मेरे माथे से लेकर मेरे होठो तक चलाई ...और मेरे होठो में लाकर उसे रोक दिया,वो अभी भी मेरे ऊपर ही थी ,हल्के लूज टीशर्ट के अंदर उसने कोई भी अंतःवस्त्र नही पहने थे ,ना अपनी छोटी सी केपरी के अंदर कोई पेंटी जैसी चीज,जिससे उसके जिस्म का अहसास मुझे साफ साफ हो रहा था ..

उसने अपनी उंगलियो से मेरे होठो को बड़े ही प्यार से छुवा और हल्के हल्के से उन्हें सहलाने लगी ,मेरे साथ वो हुआ जिसके बारे में मैंने कभी सोचा ही नही था ,मैं उसके उन उंगलियों के अहसास में ही खो सा गया …

अजीब बात थी की उसकी आंखे नम हो रही थी लेकिन होठो में हल्की सी मुस्कान थी ,वो बिल्कुल ही शांत थी जो की मैं भी था….

“भइया मैं आपको अपना प्यार देना चाहती हु ,आप पर अपना हक जताना चाहती हु,आपकी हो जाना चाहती हु,शायद दुनिया के लिए ये पाप हो या कुछ और हो ,आप शायद इसे मेरे जिस्म की भूख ही समझे लेकिन यकीन मानिए की मेरे अंदर जो चल रहा है वो मैं ही जानती हु ...मैं अपना सब कुछ आप को दे देना चाहती हु ,आप इसे किसी हैवान की तरह भोगे की प्रेमी की तरह प्रेम करे ये आपके ऊपर है ,मेरा जिस्म और मेरी रूह मैं आपके हवाले करती हु …”

उसने अपने होठो को मेरे होठो से सटा दिया …

इस बार उसके होठो में कुछ अलग ही बात थी ,वो समर्पण था ,कोई जल्दबाजी नही थी कोई छिनने की भावना नही थी ,बस प्रेम का अहसास था,और उस अहसास से मैं भी जुदा नही रहना चाहता था ,मैं उस अहसास में डूब सा गया…

उस संवेदनशीलता में अपने को खो देना मुझे किसी सौभाग्य से कम नही लग रहा था ……..

मैं हल्के हल्के से उसके नाजुक होठो को अपने होठो से चुम रहा था वो अपने को और भी मेरे अंदर समाने की कोशिस कर रही थी …

मेरा लिंग अपनी ही धुन में अकड़ा हुआ था लेकिन मुझे इतनी भी फिक्र नही थी की मैं उसे कहि डालकर रगड़ू…

असल में मैं उसकी ओर ध्यान ही नही दे पा रहा था वो बस निशा के जिस्म से रगड़ खा रहा था लेकिन उससे ज्यादा मजा और खो जाने का अहसास मुझे निशा के होठो से ही मिल जा रहा था,

मैंने उसे अपने बांहो में भर लिया ,वो हल्की सी भरी हुई जरूर थी लेकिन मेरे सुडौल बांहो और मजबूत नंगी चौड़ी छाती में वो जैसे खो सी गई थी ,वो अब अपना सर मेरे छातियों में उगे बालो पर रगड़ रही थी ,मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरी छाती में कोई मासूम सा बच्चा सो रहा हो ,मैं उसे कोई भी दुख नही देना चाहता था ,प्यार करने के लिए मैं बस उसके फुले हुए गालो को अपने दांतो से हल्के से कांट लेता …..

मेरा लिंग अपनी ये अवहेलना नही सह पाया और कब मुरझा गया मुझे पता भी नही चला ….

हम बहुत देर तक वैसे ही सोये रहे ……

“भइया…”

“ह्म्म्म”

“आपके शैतान को क्या हुआ आप तो बोल रहे थे की मैं उसे नही झेल पाऊंगी वो तो सो गया “

उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराए बिना नही रह पाया …

“ह्म्म्म शायद वो तेरे सामने शैतानी नही कर सकता ..”

वो भी मस्कुराते हुए मुझे देखने लगी ..

“मेरे पास एक जेल है ,पहली बार के लिए मैंने लाया था…..मैं चाहती हु की आज आप मुझे पूरी तरह से अपना बना लो “

अब मैं क्या कहता की मुझे तो उसका यू ही बांहो में लेटना ही किसी सेक्स से ज्यादा सुख दे रहा था ,मैंने कुछ भी नही कहा वो अपने कमरे में गई और एक ट्यूब ले आयी और मुझे थमा दिया …..

“अब मैं आपके हवाले हु “

सच बताऊ तो मुझे बिल्कुल भी समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू ,कैसे शुरुआत करू…..वो मुझे इस हालत में देखकर हँसने लगी ….

“पूरे बुद्धू ही हो …”

और मेरे ऊपर कूद गई ,हमारे होठ फिर से मिल गए थे ,इस बार उसने बहुत ही उत्तेजना के साथ मेरे होठो को चूमना शुरू किया,मैं भी उसके साथ हो लिया,उसने मेरा हाथ अपने वक्षो पर टिका दिया और मेरे हाथ कसते चले गए ,मैं उसके उरोजों को हल्के हल्के से दबा रहा था,और वो कसमसा रही थी ,मेरे लिंग ने धीरे धीरे फुदकना शुरू कर दिया था खासकर जब निशा के जांघो के बीच की घाटी से वो टकरा जाता तो जैसे एक झटका मरता,वो अकड़ गया था और जैसे जैसे वो अकड़ रहा था,मेरा और निशा का किस और भी ज्यादा उत्तेजक और तेज हो रहा था …

मैं निशा के बालो को पकड़कर उसे अपने नीचे लिटा दिया ,अब मैं पूरे जोश में आ चुका था,

एक बार मैंने उसके चहरे को देखा,उसकी आंखे आधी बंद हो चुकी थी सांसे तेज थी ,आंखों का काजल थोड़ा फैल गया था ,चहरा पूरा लाल हो चला था और होठ गीले थे,जो मुझे अपने ओर आमंत्रित कर रहे थे,मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया लेकिन इस बार अपने हाथ को उसके टीशर्ट से अंदर धकेल दिया ..

जो की उसके नंगे वक्षो पर जाकर रुके….

ऐसा स्पर्श मैंने जीवन में पहली बार अनुभव किया था ,वो बहुत ही मुलायम थे ,जैसे कोई रेशम हो ,चिकने ऐसे जैसे मक्खन हो ,मेरे हाथ फिसले और मैं उन्हें हल्के हल्के ही सहलाने लगा ….

अब मेरी भी सांसे तेज हो रही थी ,लिंग अपने पूरे सबाब में आ चुका था ,जो की सीधे निशा के जांघो के बीच रगड़ खा रहा था …

वो झीना सा कपड़ा उसकी योनि से रिसते हुए द्रव्य को रोकने में नाकामियाब था और मुझे पूरे गीलेपन का अहसास हो रहा था जो की मेरे लिंग तक जा पहुचा था ,

“भाई अब ..कर भी दो ना “

निशा बड़ी ही मुश्किल में बोल पाई थी …..

मैंने उसके टीशर्ट और केपरी को उसके जिस्म से आजाद कर दिया,अब वो मेरे सामने पूरी नग्न सोई थी और मैं उसके ऊपर अपने के मात्रा कपड़े को आजाद कर नग्न था …

हम दोनो के ही जिस्म एक दूसरे से रगड़ कहा रहे थे ,मैं तो उस ट्यूब के बारे में भूल भी गया था ,हवस और ये मजा मेरे अंदर उतरने लगा था ……..

कान्ता और शबीना से हुए कांड के बाद मेरे लिंग की चमड़ी अच्छे से खुल चुकी थी इसलिए मैं निशा के योनि के रस से भिगोकर उसे उसके योनि के द्वार में घिसने लगा…..

“आह..भाई...रुक...जा.”

निशा उस आनंद के अतिरेक को सह नही पा रही थी वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई ,

“ट्यूब ..”उसने उसने उखड़े हुए स्वर में कहा ….

मेरा हाथ पास ही पड़े ट्यूब में चला गया और मैंने एक ही बार में लगभग आधा ट्यूब उसके योनि और अपने लिंग में डाल दिया..

उस जेल का कमाल था की मेरा लिंग इतना चिकना हो गया था की आराम से फिसल रहा था लेकिन अभी उसे एक दीवार को तोडना था वो थी निशा के यौवन की दीवार ,उसका कौमार्य …

मेरी प्यारी बहन ने मुझे अपने कौमार्य को भंग करने के लिए चुना था ,वो कार्य को शायद कोई दूसरा मर्द करता ,लेकिन समाज की और सही गलत की परवाह किये बिना हम जिस्म के मिलन के आनंद में डूबे हुए थे…….

मैंने अपने अकड़े हुए लिंग को फिर से निशा के योनि में रगड़ा और धीरे से वो थोडा अंदर चला गया ……

निशा ने मुझे कस कसर जकड़ लिया था उसके आंखों से दो बून्द आंसू झर गए …..

“आह मेरी जान …”मेरे मुह से अनायस ही निकला ,वो इतना टाइट था की मेरे मुह से आह का निकलना स्वाभाविक था,और वो मजा जो लिंग की चमड़ी के योनि के सुर्ख दीवार में घिसने से मिलता है …

“भाई..’निशा भी मुझे जोरो से जकड़ते हुए मेरे मुह में अपने मुह को घुसाने लगी ,हमारे होठ एक दूसरे के होठो को बेतहाशा ही चूमने लगे थे,मेरी कमर रुक गई थी अभी मेरा सुपाड़ा ही अंदर प्रवेश कर पाया था ,निशा ने मेरे कूल्हों पर आपने हाथो को जमा लिया ,वोई वंहा हल्के से प्रेशर देकर मुझे आगे बढ़ने की सहमति देने लगी …
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03-19-2020, 12:03 PM,
#30
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
“आह..’

जेल का कमाल था मेरा लिंग आसानी से अंदर जा रहा था लेकिन अभी भी पूरा नही जा पाया था ,लेकिन अभी आधा किला फतह कर लिया गया था ….

“भाई आई लव यू…”

उसने भीगी हुई आंखों से मुझे देखा और मेरे बालो को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खिंचने लगी ….

“आई लव यू मेरी जान “

मैं उसके होठो को अपने होठो में मिलाकर चूसने लगा था ..

मेरी कमर ने इस बार एक जोरदार धक्का मार और मेरा लिंग अपनी जड़ तक निशा की योनि में समा गया था …..

निशा ने मेरे बालो को जोरो से खिंचा और अपने दांतो को मेरे कंधे में गड़ा दिया,उसकी आंखों से दो बून्द टपक गए,मैं वही रुक गया था , जब मैंने उसके चहरे को देखा तो वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी …..

“भाई अब मैं आपकी हुई “

उसकी भोली बात सुनकर मुझे उसपर बेहद ही प्यार आया रु मैं उसके ऊपर टूट सा गया ,मेरे होठो में जो आया मैंने उसे भिगो दिया था मेरा कमर भी हल्के हल्के चलने लगा था,मैं कोई भी मेहनत नही कर रहा था ना ही निशा कुछ कर रही थी दोनो ही बस एक दूसरे में खोये हुए थे,कमर के हल्के धक्कों के साथ निशा और मेरी हल्की सिसकिया भी कमरे में फैल रही थी ,ac फूल था लेकिन फिर भी हम पसीने से भीग चुके थे ,थोड़ी ही देर में मेरा लिंग बेहद ही आराम से अंदर बाहर होने लगा था,

मेरी प्यारी बहन के प्यारे से योनि ने अपना रस भरपूर छोड़ा था और मेरा लिंग उसमे घिस घिस कर एक मादक ध्वनि उत्पन्न कर रहा था,थप थप की आवाज सुर और लय के साथ आनी शुरू हो गई थी ,दुनिया को हमने भुला दिया था और एक दूसरे के प्रेम में डूब गए थे …

“भाई आई लव यू,भाई….ummmaa ummmaa “

वो मुझे चुम रही थी चाट रही थी ,मेरे भी होठ उसके कंधे और उसके गालो को अपनी थूक से पूरी तरह से भिगो चुके थे ,उसके कंधे में मैं हल्के हलके अपनी दांत गड़ा रहा था,मुझे अब गिरने की कोई चिंता भी नही थी ,ना ही कोई जल्दी थी ,बहुत देर हो चुके थे ऐसे तो समय कुछ रुक सा गया था….

निशा पलट कर सो गई और मैं उसके पैरो को फैलाकर उसके कूल्हों के नीचे से अपने लिंग को उसकी योनि में डाल दिया ..

“आआआआआ ह ह ह भाई “

मेरे हाथ उसके उजोरो को सहलाने लगे ,जब मेरा लिंग पूरी तरह से अंदर जाकर उसके कूल्हों से टकराया तो ऐसा लगा जैसे जन्नत यही है ,,उसके कोमल कूल्हों का अहसास ही मेरे लिंग को और भी झटके देने पर मजबूर कर देता था,इस बार मैं थोड़ा तेज था,

“आह आह आह आह आह ..”

निशा की सिसकिया जोरो से निकलने लगी थी ..

“मेरी बहन मेरी प्यारी बहन ..आह मेरी जान “

मैं भी तेजी से अपने कमर को चला रहा था ..

“भइया ...ओह माँ …..”

इस बार निशा ने मेरे होठो को जोरो से काटा और

निशा का शरीर अचानक से अकड़ा और तेजी से झरने लगी ,उसने मेरे कंधे और होठो को जोरो से काटा था जिससे वंहा निशान ही पड़ गए ….वो ढेर हो गई ,वो किसी मर्दे की तरह ही वो बिस्तर में उल्टी लेटी हुई पड़ी थी ….

जबकि मैं और भी तेजी से अपने कमर को चला रहा था लेकिन साला निकलने का नाम ही नही ले रहा था ,मुझे भी एक संतुष्टि का अहसास हो रहा था लेकिन मैं झर नही रहा था …

मैंने और धक्के और भी तेज कर दिए और इस बार निशा को फिर से उसके पीठ के बल ला दिया …

उसने अपनी बांहो को फैला कर मुझे अपने में समा लिया और उसके ऊपर चढ़ा हुआ किसी कुत्ते की तरह अपने कमर को तेजी से चला था …...निशा के यौवन के रस से उसकी योनि पूरी तरह से भीग चुकी थी इसलिए मेरा लिंग आराम से अंदर बाहर हो रहा था ,और मै पागलो की तरह उसमे धक्के दिए जा रहा था ..

“भाई रुको “

मैं मुश्किल से रुक पाया था…

निशा ने पास ही पड़े अपनी पेंटी को उठकर अपनी योनि को पोछ लिया ,और मेरे लिंग को अपने हाथो से योनि में रगड़ने लगी ,फिर से उसने अपनी योनि में मेरे लिंग को डाल दिया..

इस बार रगड़ ज्यादा थी ,

“आह..भाई आराम से ..धीरे धीरे कम से कम पूरी तरह से गिला होने तक “

उसने मेरे बालो को सहलाते हुए कहा,मैं उसकी बात मान कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा ,और फिर पूरी तरह से गीला होने के बाद धक्कों को तेज कर दिया...निशा फिर से झरने को हुई और जोरो से झर गई …

लेकिन इस बार मैं बिना ब्रेक के तेज धक्के लगाने लगा और मुझे लगा की मैं अब गिरने वाला हु,मैं और भी तेज हो गया था ,निशा पागलो जैसे चिल्ला रही थी ,और मेरे बालो को बुरी तरह से खीच रही थी लेकिन मैं रुक ही नही रहा था ...और आखिर मुझे लगा की मेरे अंदर से कुछ तेजी से निकलने वाला है ,ये मेरे जीवन का पहला ओर्गास्म था ….लेकिन अचानक ही मेरा मूलबन्ध लग गया जैसा की मुझे अभ्यास था ,और मेर धार बाहर आने की बाजय अंदर ही चला गया ,लेकिन लिंग को एक आराम मिला और मुझे लगा जैसे मैं झर गया हु ,हा मेरा वीर्य नही निकला लेकिन मैं स्खलित जरूर हो गया था …….

मैं थका हुआ निशा के ऊपर गिर गया और वो प्यार से मेरे बालो को सहला रही थी ……….


इस तूफान में हमने ये ध्यान ही नही दिया था की कमरे का दरवाजा तो हमने लगाया ही नही था और दो आंखे हमारे हर एक ककृत्य को ना जाने कब से देख रही थी ………….
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