Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:32 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
पलक अपने कमरे में अकेली थी...वो राजेश की तस्वीर हाथों में लिए उसे घूर रही थी......तुमने मेरे प्यार को ठुकराया...ये अच्छा नही किया....अगर तुम मेरे नही हो सकते तो किसी के भी नही हो सकते..मिटा दूँगी सबको ..जो भी हमारे बीच आएगा...याद रखना ये बात ....उसकी आँखों में खून उतर आया था.....

और एक घायल शेरनी की तरहा कमरे में टहल रही थी.....

साथ वाले कमरे से राजेश और विमल के हँसने क़हक़हे लगाने की आवाज़ आ रही थी...जिसे सुन पालक और भी आग में जलने लगी........उसने कुछ सोच लिया था कि उसे क्या करना है....आज वो कुछ करने जा रही थी......उसके चेहरे पे मासूमियत लोटने लगी और होंठों पे एक कातिलाना मुस्कान आ गयी..

कवि रूबी आदि के साथ शॉपिंग में तो लगी हुई थी लेकिन उसके दिमाग़ में पलक घूम रही थी.....उसकी वो नज़रें....उसे किसी बुरे का अंदेशा दे रही थी.....लेकिन वो विमल की बहन है ...क्या भाई की शादी में वो कुछ उत्पात करेगी......हां कर सकती है...जिसका प्यार कबूल ना किया किया हो...ईर्षा और जलन के मारे कुछ लड़कियाँ बहुत कुछ कर जाती हैं.....यही तो साइकॉलजी में उसने पड़ा था....और उसे कुछ ऐसा ही आभास मिल रहा था पलक से ....क्यूंकी राजेश उसे बता चुका था...पलक बड़ी हो कर भी बच्चों की तरह हरकत करती है...वो उसे सिर्फ़ एक बहन मानता है ...पर पलक ने अपने मोम डॅड के द्वारा एक दिन रिश्ता तक भिजवा दिया था ....जो राजेश को बुरी तरहा हिला के रख गया था...उसने और विमल ने बहुत कोशिश करी थी पलक को समझाने की...पर धाक के तीन पात...वो समझने को ही तयार नही थी....

राजेश की बातें और पलक की नज़रें......आज ज़रूर कुछ होगा ...यही सोच वो अंदर ही अंदर घबरा रही थी...पर चेहरे पे कोई भाव नही आने दे रही थी...

सही वक़्त पे ये लोग शॉपिंग कर वापस पहुँच गये.....कवि का दिमाग़ कहीं और था...

कवि...सुमन से ...मोम ...मैं थोड़ी देर ....

सुमन..प्यार से उसके गाल पे चपत लगती है...जा ना पूछने की क्या ज़रूरत है....

रूबी आँखें मटका के कवि को देखती है.....और कवि एक धोल उसकी पीठ पे लगा भाग निकलती है......राजेश....पलक...विमल के कमरे साथ साथ थे....

कविता चली गयी ..बाकी सब इधर उधर कमरे में पड़ गये ...कुछ आराम करने....सुनील अभी तक वापस नही आया था....और रूबी के दिमाग़ में एक जंग चल रही थी ...मायके को देखे या होनेवाले ससुराल को ......

किसने लड़ाई करी थी समर से उसके लिए ...सुनील.....
कॉन उसका हमेशा साथ देता आया...सुनील और उसके सागर पापा....

विजय तो अभी जिंदगी में आया ...क्यूंकी वो कवि का ससुर है...माना वो सागर जैसा लगता है...पर.....क्या सच सुनील से छुपाना चाहिए...मों कैसे पल्ला झाड़ चली गयी.......और मोम के लिए तो विजय बस एक संबंधी है....

क्या करूँ क्या ना करूँ....रूबी सोच नही पा रही थी.......सुनील को बताऊ या ना बताऊ...विजय पापा ने मना किया है....अभी नही बताना...वक़्त आने पे वो खुद बताएँगे....मोम कहती है ...जो इंसान मझधार में छोड़ गया उसपे कैसा विश्वास....उफ़फ्फ़ ....क्या करूँ...

सगाई का वक़्त नज़दीक आता जा रहा था ....रूबी कोई फ़ैसला नही कर पाती....उसका चेहरा पसीना पसीना हो जाता है.........

उधर कवि जब राज से मिलने जा रही थी तो वो पलक के कमरे में झाँकती है .....और जो देखती है....उसे देख उसकी अंतरात्मा तक कांप जाती है.......वो वहाँ से हट सीधा .....सुमन को फोन करती है....दोनो में कुछ देर बात होती है.......और सुमन का फोन सुनील को जाता है और वो फटाफट ...होटेल से निकल किसी बड़े केमिस्ट की शॉप पे जाता है.......लेकिन एक समस्या खड़ी हो जाती है...जो सुनील ने लेना था..वो बिना प्रिस्क्रिप्षन के नही मिल सकता था....

कोई और होता तो सुनील परवाह नही करता...पर सुमन ने ख़ास बोला था ...कि सगाई की पार्टी से पहले चाहिए........अब कैसे...करूँ ये......एक अंजाने प्रदेश में....

इंसान चाहे कितना भी अच्छा क्यूँ ना हो..उसके अंदर एक जानवर भी छुपा हुआ होता है.....ना चाहते हुए भी सुनील ने अपने अंदर छुपे उस जानवर को जगा दिया और केमिस्ट की शॉप के पास एक लेडी डॉक्टर का क्लिनिक था...वो वहाँ चला गया ...एक मरीज बन कर.....और जब वो अंदर गया तो वो डॉक्टर खाली थी...यानी कोई और पेशेंट नही था...उस डॉक्टर को देख तो मुर्दा भी कबाड़ से निकल आए और दुआ माँगे बस एक रात इसके साथ बिता दे उपरवाले...फिर कभी कुछ नही माँगूंगा...सुनील की जिंदगी में तो वैसे भी दो अप्सरएँ थी..पर यहाँ उसका मक़सद कुछ और था.....उसे उस डॉक्टर से आंटी-आफ्रोडीज़िक की प्रिस्क्रिप्षन लिखवानी थी.....

डॉक्टर...कहिए क्या प्राब्लम है आपको...

सुनील...भूल गया किस लिए आया था...पर अब बहुत बड़ी प्राब्लम हो गयी...

डॉक्टर.....मतलब

सुनील...आपको अब मुझे बचाना पड़ेगा

डॉक्टर...किस से क्या कहना चाहते हो..

सुनील...पहले तो मुझे आपको ....उफ्फ ...डॉक्टर देखो मेरे जिस्म में गर्मी बढ़ती जा रही है...आपको देख के एक आग लग गयी है....मुझे जल्दी से कोई आंटी-आफ्रोडीज़िक लिख दो...वरना इस उत्तेजना में कहीं आपका रेप ना कर दूं...और आपका रेप कर दिया तो मेरी बीवी मेरा कॅस्टेयरएशन कर देगी...दो प्यार करनेवालों की जिंदगी को आपने दाव पे लगा दिया है..
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 09:32 PM

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