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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
“ज….ज….कल….कल….दिन मे…..आकर पढ़ा दूँगा……”
“ठीक है……2 बजे आइयो…….”, पम्मी आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा.
यार…..पिया तो 2 बजे घर पहुँच ही नही पाएगी तो फिर…..
और अपुन को सीन क्लियर हो गया….आंटी जान बूझकर जल्दी बुला रही है…..ताकि….
मैं तुरंत सरदार जी के घर ने निकला और सड़क पर आ गया.
रास्ते तो सुनसान हो चुके थे पर अपने भेजे की वाट लगी हुई थी….
बाबूराव को देखो तो अपना सर उठाए अभी तक पम्मी आंटी को ही ढूँढ रहा था, पर कम से कम फटफटी तो नॉर्मल हो गयी थी…
साली….पम्मी आंटी भी क्या ठरकी औरत है यार, इतना महा मादरचोद पति होने के बाद भी मुझ पर ऐसे ही हाथ डाल दिया ?
तभी मेरी ट्यूब लाइट जली ……
आंटी को जो चाहिए…..वो मुझे से मिल भी जाएगा और किसी को शक भी नही….
अच्छा…..
कीड़ा कुलबुलाने लगा.
पम्मी आंटी की हरकटो ने भेजे को हिला डाला था…..बाबूराव इस कदर टन टना टन खड़ा था मानो पेंट ही फाड़ देगा…..मैं पेंट के उपर से ही बाबूराव को थोड़ा अड्जस्ट किया, साला मुंडी अंडरवियर की एलास्टिक से निकल के तैयार बैठा था ..
आज तो नीलू चाची की फाड़ के रख दूँगा….
सही मे यार….
इतना गरम तो मैं आज तक नही हुआ था.
जैसे जैसे मेरे कदम घर की और बढ़ रहे थे वैसे वैसे मेरी ठरक का मीटर बढ़ रहा था.
आज तो चाची को पकड़ के सीधा साड़ी उपर करूँगा और पेल दूँगा….
मैं अपनी ही धुन मे चला जा रहा था. मन ही मन प्लान करते करते कब सड़क के बीच आ गया पता ही नही चला.
पो... पो....
मेरी तो गांड ही फट गयी, भेन्चोद बस वाले ने ठीक पीछे आकर् ही हॉर्न मारा.
मैं हड़बड़ा कर फुटपाथ पर आया. बस क्रॉस हुई तो दरवाजे से लटका लोण्डा चिल्लाया....
“अबे ओ अंधे की औलाद, मरेगा क्या मादरचोद ....? “
“अबे जा...भेंन के लौड़े.....”, मैं चिल्लाया.
अचानक मैं रुक गया....आज पहली बार मैने किसी को गाली दी थी वो भी बिना हकलाये.
पम्मी आंटी ने तो बाबूराव पर हाथ फेर कर ही मुझे बदल दिया, अब जाने क्या क्या होगा.
चाची को पेलने के मंसूबे बनाता बनाता मैं घर पहुँचा....
ना चाचा का स्कूटर था ना पपाजी का....मा तो यूँ भी लेट आने वाली थी.
मतलब की मैदान साफ़...
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मेरे पूरे बदन मे सुरसुरी ही होने लगी....मैने बेल बजाई.
दो बार और बजाने पर दरवाजा खुला और हाथ मे थाली लिए चाची दिखी.
ये थाली का क्या लोचा है भेन्चोद ?
चाची बोली, “राम....अच्छा हुआ तू आ गया.....जा ये थाली सामने शर्मा जी के यहाँ लेजा.....इसमे बाबाजी का खाना है"
बाबाजी....?
अच्छा वो बाबाजी.....चाची ने कहा था.
मैं शर्मा जी के यहा गया. दरवाजा खुला था.....
पहले कमरे मे 7-8 औरते बैठी थी....मैने आवाज़ लगाई..
“लता आंटी.....? “ ( शर्मा आंटी का नाम लता था.”
आंटी एक कमरे से बाहर निकली और मेरे हाथ मे थाली देख कर बोली, “अरे वाह....ले आया खाना....वाह...वाह.....ला....दे.....अब तो अनिता (नीलू चाची) की मुराद ज़रूर पूरी होगी....ला बेटा ला.....अच्छा सुन.....अनिता को याद दिला देना....उपवास का......और परहेज का.....”
उपवास ....? परहेज.....?
क्या चुतियाई है ?
मैं घर पहुँचा...चाची बाहर ही खड़ी थी.....
“दे आया.....वाह....लल्ला......ला दे....यह थाली मुझे दे दे....”
मुझे याद आया की शर्मा आंटी ने कुछ कहा था....
“चाची.....वो शर्मा आंटी ने कहा था.....की...उपवास और.....वो....हा....परहेज पूरा रखना “
चाची मुस्कुरई और बोली, “हन....रे.....रखूँगी रे.......गोद भर जाए बस...”
अच्छा तो यह लोचा है.....बाबाजी ने नया नुस्ख़ा दिया है. चलो बढ़िया है..
मगर मुझे तो चाची से कुछ काम था ना....
चाची किचन मे गयी और सींक मे थाली धोने लगी, मैं धीरे से उनके पीछे गया और अपने बाबूराव उनकी गांड पर चिपका कर आगे झुक कर पानी का ग्लास उठाने लगा. चाची एक दम से चिहुकि और अलग हट गयी, मैने पानी पिया और ग्लास रखने के लिए आगे बढ़ते हुए फिर से बाबूराव को चाची की गांड पर चिपका दिया...
“लल्ला......”, चाची चिल्लई.
मैने अपने हाथ चाची की कमर मे डालने की कोशिश की.
चाची फिर ज़ोर से चिल्लई, “अरे हट परे.......”
इसकी मा की चूत....
चाची हमको ही छका रही थी....
वही पुराना चूहे बिल्ली का खेल
मगर आज तो हम बिल्ली मारिबे
सालीयूँ इतनी गरम है की हाथ लगाओ तो कसमसने लगती है .....
सीन क्या है ?
चाची पीछे मूडी, उनका चेहरा बिल्कुल तमतमाया हुआ था....
मैने हाथ आगे बढ़ाया.,
चाची फिर बोली, “न..न...न.....नही.....मत कर हरामी.......”
फटफटी ......धीरे....धीरे.....चली.....रे.......
“क....क.....क.....क्या हुआ चाची......”
“मैने मना किया ना....अरे तेरी मोटी बुदधि मे कुछ आता नही है क्या रे.....अरे बाबाजी ने परहेज रखने को कहा है......नासपीटे ...उपवास तुडा देगा तू.......”
“हैं..... क…क…..क्या….?”
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
चाची ने मेरा लटका हुआ चेहरा देखा तो समझने के अंदाज़ मे बोली, “बाबाजी.....ने दवाई दी है.....और कहा हे की 1 महीने तक दवाई लेना है और परहेज से रहना है......,मतलब समझा ना तू....”
खड़े लॅंड को ऐसा धोका ???
भेजे की माँ, भेन, भाभी, आंटी सब हो गयी यार.....
एक बार तो मन किया की माँ की आँख.....चाची को पकड़ के पेल ही देता हूँ.....पर जब उनका चेहरा देखा तो ये आईडिया खिड़की से बाहर निकल गया.
चाची अभी तक मेरा मुंह ही तक रही थी....
"खाना लगा दूँ........."
"हाँ....?......क्या.....?"
"खाना लगा दूँ.......देख पूरी और भाजी बनायीं है.....बाबाजी ने कह कर बनवाई है........."
बाबाजी का घंटा......
"नहीं भूख नहीं मुझे........"
"हाय हाय......राम घी की पूरी और तरकारी है........खा....ले.....प्रसाद समझ कर....."
अरे यहाँ मेरे भेजे की टे पु हो रही थी और यह चाची की चबर चबर बंद नही हो रही....
""अरे.....मैंने......खाना......खा......लिया......है........नहीं......खाना......मुझे........"
चाची के चेहरे पर एक्सप्रेशन चेंज हो गए......बेचारी हर्ट हो गयी.
"...हैं लल्ला......नाराज़ हो गया......?"
मैंने न में सर हिलाया...मगर मेरे माथे पर बल अभी तक पड़े हुए थे.
अब यार.....इंसान का बाबुराव खड़ा हो.....उसका मूड बना हो.......उसके सामने चाची हो......घर में कोई नहीं हो.........
और ऐसी चुतियाई सुनने को मिले तो और क्या करे....?
लौड़ा चाची को कौन समझाए की बच्चा उपवास करने से नहीं.......सहवास करने से होता है.
बहुत बड़ी चोद हो गयी यार.......
चाची ठंडी साँस भरकर बोली, "...राम.....तो मैं क्या करू......तेरे चाचा न तो इलाज़ कराते है न कुछ और.......वो डॉक्टर मेडम ने कहा था की महीना आने के बाद दसवे दिन से बीसवे दिन तक रोज़..........कोशिश करना.......तो क्या मैं अकेले कर लूँ कोशिश......तेरे चाचा तो घर आते है.....खाना खाते हैं.....और जब तक मैं सब काम निबटा कर कमरे में जाती हूँ तब तक तो.....सो जाते है.......
राम इसमें मेरी क्या गलती है.........सब मुझे दोष देते है.......कल ही बड़ी बुआ का फ़ोन आया था.....मुझसे बोलती है की यह सब पिछले जनम का किया धरा है......तेरी दादी जी बोलती हैं की मेरे माँ बाप..........."
इतना बोलते बोलते चाची की आँख ही भर आई.
अब यार......यह कोनसा रायता फ़ैल गया.
मैंने चाची को बोला, "अरे ....अरे......चाची ऐसे मत करो......रोइयो मती......सब हो जायेगा......आपने उपवास किया है न.....बस.."
चाची तो आँख नाक पोछती हुयी चली गयी.
मगर मेरा क्या.....?
चाची की आदत ही गांड मटका कर चलने की है....अंदर जाते जाते भी गांड को ऐसे मटका रही थी की.......
कीड़ा कुलबुलाने लगा.
मगर अबे कछु नाइ होत.....
चाची तो निकल ली...मेरी साली खोपड़िआ काम नहीं कर रही थी की क्या करू.....?
चूत का स्वाद मिलने के बाद मुठ्ठी मारने में मजा ही नहीं आ रहा था......और न ही मन था.
मुझे तो ....चूत ......ही चाहिए थी.
कसम गंगा मैया की............. ऐसा खोपड़ा खोपरा हो गया था, अब का बताई….
अपुन तो मन मसोस भी लेते मगर बाबूराव तो माने नही मान रहा था. साला वैसा का वैसा ही खड़ा था.
उसके उपर से यह गर्मी….चिप चिपी ….
पंखे के नीचे खड़े होकर भी लग रहा था की जैसे भट्टी के मुहाने पर खड़ा हूँ, भोसड़ी का पंखा भी चु चु करके जितनी गरम हवा इक्कठी हो रही थी, समेट कर मेरे सर पर डाल रहा था.
बाई गोड … .खोपडिया खराब हो गयी थी.
कुछ समझ मे नही आया तो मैं बाहर आकर खड़ा हो गया…….रात की दस बज चुके थे….शर्मा अंकल के यहा से रह रह कर आवाज़ें आ जाती थी….बाबाजी जो आए हुए थे.
थोड़ी ठंडी हवा चली…..दिल को तो नही मगर बदन को थोड़ा सुकून मिला.
मैने सोचा चलो छत पर ही चलते है…..कमसकम अच्छी हवा तो मिलेगी.
हमारी छत दो मंज़िल की है…बाकी सब की एक मंज़िल की…तो हवा तो अच्छी मिल ही जाती.
मैं छत पर गया और कसम से यहा तो माहोल ही चेंज था.
मेरा शहर थोड़ा पहाड़ी ज़मीन पर है….थोड़ी उँची थोड़ी नीची…..हमारे घर की छत से आधा शहर दिखता था……रात की रोशनी मे नहाया….
बड़े तालाब के पानी पर पड़ती रोशनी……किसी के भी मन को शांत कर सकती थी.
मगर खड़े बाबूराव को तो एक ही चीज़ शांत कर सकती थी…..
मैं बेचैन सा छत पर चक्कर लगाने लगा.
मैं मुंडेर पर खड़ा था कोमल भाभी के घर की और मुँह किए….ठंडी हवा चेहरे पर टकरा रही थी…..सहला भी रही थी और उकसा भी रही थी. कोमल भाभी की छत हमारी छत से लगी थी मगर एक मंज़िल नीचे थी. हमारा घर मंज़िला था और उनका एक मंज़िला.
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03-26-2019, 12:11 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मैं हक्का बक्का रह गया
ये साला भैया भाभी की इश्टोरी में अमरीश पूरी कहाँ से आ गया.
साला आदमी भी अनजान ही दिख रहा था. और वो तो ऐसा चौड़ा होकर सोफे पर पसरा हुआ था मानो उसके बाप का घर है.
भाभी अपने गाउन को लहराते हुए रूम में आयी और बड़े ही कंटीले अंदाज़ में मुस्कुराते हुए उस चूतमारी के को पानी का गिलास पकड़ाने लगी. उसने गिलास रखा साइड में और भाभी को दबोच लिया.
साला मादर चोद भाभी के मम्मो को जोंक के जैसे जकड़े हुए था.....ऐसे मसल रहा था जैसे कंजूस दुकानदार निचुड़े हुए निम्बू से और रस निकलने के लिए पूरी जान लगाकर निचोड़ता है
भाभी के तो क्या कहने....उसकी आँखें मस्ती से बंद हो चुकी थी और इतनी ज़ोर ज़ोर से सांस ले रही थी जैसे बेचारी का दम घुट रहा हो.
अपने तो टट्टे शार्ट हो गए....माँ की चूत.....साला सब को मिल रहा है....और हमको ....?
भाभी की उत्तेजना तो कांच में से निकल निकल कर मेरे चेहरे पर छपेड़े मार रही थी. बाबूराव कड़क हो कर सरिया हो गया था.
कोमल भाभी को पलट कर दीवार से चिपका दिया और भाभी के पीछे चिपक गया....भाभी अपनी गदरायी गांड को उस आदमी के लंड पर घिस रही थी.....मामला कैसा गरमाते ही जा रहा था.....साली क्या ठरकी औरत थी .
मैं तो अपनी चाची को सबसे बड़ी ठरकी मानता था ये कोमल भाभी तो साली सनी लेओनी की माँ निकली.
कोमल भाभी ने अपना हाथ दीवार से हटा कर पीछे लाया और शायद उस अजनबी का बाबूराव थाम लिया ....अरे भाभी मेरे बाबूराव का क्या ?
हाँ भाभी ने उसका लंड ही पकड़ा था.....और मुठियाने लगी...
वो अजनबी तो जानवर के जैसे भाभी की गर्दन और गाउन में झांकती पीठ पर काट रहा था चाट रहा था..
ये भोसड़ी का तो कोई प्यासा सावन लग रहा था. हाँ,, मतलब मैं भी ठरकी हूँ पर ये भाई साहब तो मान ही नहीं रहे.
उसने कोमल भाभी के गाउन को ऊपर उठाना शुरू किया, मेरे एंटीने खड़े हो गए, चलो थोड़ी दूर से ही सही मगर आज भाभी के जोबन का नज़ारा तो दिखेगा.
उसने अपना हाथ भाभी गाउन में डाला और अंदर ही भाभी की मस्त जांघों को सहलाने लगा. भेन के लंड, हमको भी तो दिखा..
उधर कोमल भाभी अपनी ठरक दिखने में कोई कसर नहीं छोड रही थी. ऐसे कसमसा रही थी मानो पानी से बहार निकली मछली.
अजनबी कोमल भाभी की गर्दन पर लगातार काट रहा था उनके कान की लौ को मुंह में लेकर चूस रहा था....
कोई जन्मो का भूखा हो और कोई उसी के सामने छप्पन भोग उड़ा रहा हो तो उसकी कैसी हालात होगी.
अजनबी ने मानो मेरे मन की सुन ली और धीरे धीरे भाभी का साटिन गाउन ऊपर उठाने लगा....
भाभी ने एक हाथ ने निचे करने की कोशिश की मगर अजनबी पर तो प्रेम चोपड़ा सवार था ...लंड माने ना
उसने भाभी को दीवार पर धक्का दिया और एक झटके में उनका गाउन कमर तक उठा दिया और आगे झुकी भाभी की कमर पर इकठ्ठा कर दिया.
कसम उड़ान छल्ले की मेरे तो तोते उड़ गए.....फड़ फड़ करके
भाभी .....आगे की और झुकी......गांड निकल कर .....खड़ी थी....
वो गदराई गांड....जो उनके हर कदम पर ऐसे थिरकती थी जैसे पानी में तरंगे....
भाभी अपनी वही गांड हवा में ऊँची किये .......अपनी टाँगे चौड़ी किये कुतिया बन के खड़ी थी...
मेरे दिल की धड़कन एक सेकोंड में ३ बार थी और बाबूराव तो ठुनक मर मर कर बावला हो गया था.
अजनबी ने अपनी पेंट की ज़िप खोल कर अपने पपलू फॉर बहार निकल और भाभी की गोल गर्दराइ गांड की दरार पर घिसने लगा.
लंड उसका था और ईमान की कसम मज़ा मेरेको आ रहा था.
उसने देर ना सबेर की और थोड़ा सा थूक अपने टोपे पर लगाया और भाभी की मुनिया में पेल दिया.
साला मेरा एंगल ऐसा था की दोनों की पीठ ही दिख रही थी असली खेल नही दिख पा रहा था,
उसका लंड पेलना हुआ और भाभी ने अपनी गर्दन पींछे फ़ेंक दी....साली हरामन मस्ता गयी थी.
इसकी जात का बैंदा मारू....क्या गरमगरम आइटम है यार....इतनी मस्ती से चुदाने वाली औरतें तो या फिल्मो में देखि थी और का फिर चाची..
आज तो लग रहा था की चाची को ही पकड़ के.....
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03-26-2019, 12:12 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
ऋषभ भैया ने भाभी को अपने बैग थमाया और कुर्सी पर बैठ कर जूते उतारने लगा....भाभी बेचारी बैग लिए खड़ी थी
ये वही औरत थी जो एक मिनट पहले घोड़ी बनी अपनी मस्तानी चूत में जड़ तक लौड़ा पेलवा रही थी अभी सती सावित्री बनी खड़ी थी.
मैं मुस्कुराया की साली त्रिया चरित्र कोई नही समझ पाया.
अब पिक्चर तो ख़तम हो गयी थी....यह ऋषभ भैया तो ऐसी हालात में आया था की चोदना तो दूर खड़े ही नही हो पा रहा था....दारू पी के आया था शायद.
चलो....अब घर कैसे जाऊं......कोमल भाभी की छत हमारे घर की छत से एक मंज़िल निचे थी.....कूद कर यहाँ आ तो सकते थे मगर चढ़ के जाना जरा टेडी खीर था....
मैं अभी भी रोशनदान से अंदर झांक रहा था. पिक्चर ख़त्म थी....
मैं पलटा और
"क....क......कौन है.......भ....भ....भोसड़ी के.......", वो साया हकलाया
ओ तेरी...मेरी तो गांड फट के गले में आ गयी. वो मादर चोद जो अभी कोमल भाभी की ले रहा था, छुपने के लिए छत पर आ गया था.
और ये भोसड़ी का भी हकला था.......
भेनचोद.
मैंने घबरा कर कहा, " त....त .....त.....तू.....क......क.....क....कौन है......."
वो अजनबी बोला, " भ....भ.....भ......भोसड़ी के......म......म......मज़ाक उडाता है......म.म.म.मेरी नक़ल....करता है....."
अब मैं क्या बोलू.......
फटफटी चल पड़ी थी.
"म..म...म.....मैं..म...म.. मज़ाक नहीं....क...क....कर रहा...."
"त...त....तो क्या.....क......क....कर रहा है.....भ...भ....भोसड़ी के .....च....च....चोर...", अजनबी हकलाया.
साला चूत चोर ....मुझे चोर बोल रहा था...गुस्सा आ गया.
मैंने कहा, " च....च.....चोर तो....तुम हो.....पड़ोस का घ....घ....घर मेरा हैं.......आ....आ.....अभी म...म....म...मचाऊ शोर..."
अब तो वो घबराया..." न....न....न.....नहीं......भाई......प.....प....प्लीज़......"
अब अपुन को शांति मिली.....
तभी उसकी नज़र मेरे पाजामे से बाहर लटके बाबूराव पे पड़ी......और उसने रोशनदान पे लगे अखबार को फटा देखा....
साला शातिर था....तुरंत समझ गया.
"भ....भ.....भ.....भोसड़ी के.....ल....ल.....लोगों के....घ...घ....घर में टांक झांक करता है....."
मैंने तुरंत बाबूराव को अंदर डाला. मेरी गांड फिर फटफटी....
:न...न....नहीं......म.....म....मैं.....नहीं..."
अब वो कमीनेपन से मुस्कुराया...." स....स....साले.....कोमल .को देख कर मुठ मार रहा था.....च....च....चिरकुट"
चिरकुट बोला अपुन को....
मैंने धमकाया, " ..म...म....म....मैं.....चिल्लाऊँ क्या....च...च...चोर...."
वो घिघियाया " न....न.....नहीं भाई.....म.....म.....मुझे ऋषभ मार ही डालेगा.....मैं उसका चाचा हूँ...."
"तो....ब....ब.....बैठो चुपचाप......जब सब सो जायेंगे तो च....च..... चले जाना......"
साला बहु चोद
अब मैं घर कैसे जाऊं....
तभी घर के आगे से बाउजी की आवाज़ आयी...."लल्ला......ओ......लल्ल्ला.....कहाँ है...."
बाबूजी को भी एक बीमारी है
एक बात गला फाड़ना शुरू करते है तो बंद ही नहीं होते
"अरे.......ओ.........लल्ला........."
"लल्ला.......रे........."
इसकी माँ की चूत उधर कुआँ इधर खाई.
मैंने पलट के चाचा को देखा तो उसकी तो ऐसी गांड फटी हुई थी की कोई हप्प बोल देता तो वो मर जाता.
मैंने दिमाग लगाया.....मेरे घर की छत करीब ७-८ फुट ऊपर थी....मैंने चाचा को बोला..
"आप मुझे धक्का दो....मैं मेरे घर की छत पर पहुँच जाऊंगा"
चाचा सयाना था...उसे कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा, " और मैं भइये ?"
मैंने तुरंत कहा, " ऊपर रस्सी पड़ी होगी, मैं आपको खिंच लूंगा..."
चाचा फटाफट तैयार हो गया. मैंने दिवार पर हाथ टिकाया चाचा ने मेरी पीठ पर हाथ से सहारा दिया..
मैंने दिवार के ऊपर अपनी उंगलिया फंसे और ज़ोर लगाया .....पीछे से चाचे ने ज़ोर लगाया और मैं ऊपर उठा.
चाचा ने मेरे पैरों को सहारा दिया और मैं अपने घर की छत पर पहुँच गया. मैंने निचे झाँका....चाचा बेचारा बड़ी उम्मीदों से मेरी तरफ देख रहा था....
मैंने सोचा माँ चुदाने दो चाचा को....
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