Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
08-13-2017, 12:51 PM,
#51
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
पाँचों लड़कियाँ एक तरफ हो गयीं और शर्मा जी कबड्डी कबड्डी कबड्डी बोलते हुए उनके पाले में जाने लगे. जैसा शर्मा जी ने बताया था वैसे ही दो लड़कियो ने शर्मा जी को घेर के उनकी टाँगों को पकड़ लिया. अब शर्मा जी तो लंबे तगड़े आदमी थे. उन्हें गिराना लड़कियो के बस का नहीं था, इसलिए वो खुद ही जान के ज़मीन पे लेट गये. दो लड़कियाँ कूद के उनके ऊपर चढ़ गयी. लेकिन इससे पहले कि उनके हाथ को कोई पकड़े शर्मा जी ने लाइन को हाथ लगा दिया. सब लड़कियाँ आउट हो गयी. शर्मा जी बोले,

“देखा तुम सब लोग आउट हो गयी. तुमको प्रॅक्टीस की बहुत ज़रूरत है. अब मैं चलता हूँ तुम लोग प्रॅक्टीस करो.”

“नहीं नहीं पापा, एक बार और. इस बार आपको नहीं बच के जाने देंगे.” कंचन बोली.

“चलो ठीक है. लेकिन ये आख़िरी बार है.”

कंचन अपनी सहेलिओं को एक साइड में ले गयी और उन सबने मिल के प्लान बनाया कि इस बार कैसे शर्मा जी को पकड़ेंगे. काफ़ी देर हकुसूर पुसुर करने के बाद लड़कियाँ फिर मैदान में आ गयी. एक बार फिर शर्मा जी कबड्डी कबड्डी…करते हुए उनके पाले में आगे बढ़े. फिर से दो लड़कियो ने शर्मा जी को घेर के पकड़ लिया. शर्मा जी एक बार फिर जान के ज़मीन पे गिर परे और पीठ के बल चित लेट गये. दो लड़कियाँ उनके पेट पे चढ़ बैठी. इस बार जैसे ही शर्मा जी ने लाइन टच करने के लिए हाथ आगे किया, कंचन ने उनका हाथ पकड़ लिया. शर्मा जी ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की. इतने में उनके हाथ को ज़ोर से दबाने के लिए कंचन कूद के उनके ऊपर आ गयी और उनके सिर को अपनी टाँगों के बीच में दबा कर उनके हाथों को कस के पकड़ लिया. छ्चीना झपटी में अब शर्मा जी का सिर कंचन की टाँगों के बीच फँसा हुआ था और वो उनके मुँह पे बैठी हुई थी. कंचन की स्कर्ट के नीचे शर्मा जी का मुँह च्छूप गया था और कंचन की पॅंटी में कसी हुई चूत ठीक शर्मा जी के होंठों पे थी. शर्मा जी बुरी तरह हड़बड़ा गये. लड़कियाँ काफ़ी उत्तेजित थी कि इस बार उन्होने शर्मा जी को पकड़ लिया. कंचन की चूत का दबाव शर्मा जी के मुँह पे बढ़ता जा रहा था. ..शर्मा जी का दम घुटने लगा तो उन्हें साँस लेने के लिए मुँह खोलना पड़ा. मुँह खुलते ही बेटी की पॅंटी में कसी हुई चूत उनके खुले हुए मुँह में समा गयी. हालाँकि बिटिया की चूत पॅंटी में थी, फिर भी शर्मा जी उसकी चूत की दोनो फांकों का सॉफ एहसास हो रहा था. क्यूंकी शर्मा जी का साँस टूट चुक्का था इसलिए वो हार गये थे. लड़कियो ने उन्हें छोड़ दिया. सब लड़कियाँ बहुत खुश थी. कंचन भी खुशी से कूद रही थी,

“पापा हार गये, पापा हार गये.”

उधर शर्मा जी का बुरा हाल था. उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनकी 18 साल की बिटिया की चूत अभी अभी उनके मुँह में थी. वो बुरी तरह बोखला गये थे. लड़कियो ने उन्हें एक बार फिर प्रॅक्टीस के लिए कहा लेकिन उन्होने सॉफ इनकार कर दिया.

“अंकल एक प्रॅक्टीस और हो जाए. देखिए इस बार हमने आपको हरा दिया.” निशा बोली.

“नहीं बेटी अब तो तुम लोग सीख गये हो खुद प्रॅक्टीस कर लो.”

“अच्छा तो पापा अगर आपको खेलना नहीं है तो कम से कम यहाँ बैठ के हमारी प्रॅक्टीस तो देख लीजिए.”

शर्मा जी मना ना कर सके और लॉन में चेर पे बैठ कर लड़कियो को प्रॅक्टीस करते हुए देखने लगे. शर्मा जी को अब अजीब सा लग रहा था. पहली बार शर्मा जी का ध्यान लड़कियो की स्कर्ट के नीचे उनकी नंगी टाँगों पर गया. शर्मा जी सोचने लगे कितनी गोरी गोरी मांसल टाँगें हैं इन लड़कियो की. और अभी तो इनकी उम्र इरफ़ 18 साल ही है. काश आज उनके मुँह पे उनकी बेटी की जगह उसकी किसी सहेली की चूत होती तो उन्हें इतना बुरा नहीं महसूस होता. दूसरे ही पल शर्मा जी अपने आप को कोसने लगे. ये लड़कियाँ उनकी बेटी की सहेलियाँ हैं. उनकी बेटी जैसी ही हैं. ये कैसे विचार आ रहे हैं दिमाग़ में? उधर लड़कियो ने फिर प्रॅक्टीस शुरू कर दी. एक लड़की को गिरा के बाकी चारों लड़कियाँ शर्मा जी के बताए हुए तरीके से उस पे चढ़ बैठी. ........अभी शर्मा जी अपने आप को कोस ही रहे थे कि उन्होने देखा, निशा जिस को बाकी लड़कियो ने दबोच रखा था अपनी टाँगें छुड़ाने के लिए छटपटा रही थी. उसकी स्कर्ट के नीचे से उसकी सफेद रंग की पॅंटी नज़र आ रही थी. शर्मा जी निशा की टाँगों के बीच से नज़र नहीं हटा पाए. इतने में छीना झपटी और तेज़ हो गयी. इस बार का नज़ारा देख कर शर्मा जी का दिल धक धक करने लगा. कंचन की स्कर्ट उसकी कमर के ऊपर चढ़ गयी थी. सफेद पॅंटी में कसे हुए बेटी के चूतेर शर्मा जी की ओर थे. खेल की छ्चीना झपटी के कारण एक तरफ से पॅंटी उसके चूतरो के बीच सिमट गयी थी और दाहिना चूतेर नंगा हो गया था. पॅंटी भी मिट्टी लगने के कारण थोड़ी मैली हो गयी थी. शर्मा जी की आँखें फटी की फटी रह गयीं. अब तो शर्मा जी के लंड में भी हरकत होने लगी. उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि उनकी गुड़िया अब बच्ची नहीं रही. बिटिया के चूतेर कितने भारी और फैल गये थे.

क्रमशः.........
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08-13-2017, 12:53 PM,
#52
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......

उस शाम शर्मा जी को अपनी बेटी और उसकी सभी सहेलिओं की पॅंटीस के कयि बार दर्शन हुए. सभी ने सफेद रंग की पॅंटी पहन रखी थी. शर्मा जी सोचने लगे कि कहीं सफेद पॅंटी स्कूल की ड्रेस में तो नहीं है. लेकिन सबसे ज़्यादा सुन्दर और सेक्सी उन्हें अपनी बेटी कंचन ही लगी. प्रॅक्टीस ख़तम होने के बाद सभी लड़कियाँ अपने घर चली गयी और कंचन भी नहाने चली गयी. शर्मा जी भी नहाना चाहते थे क्योंकि उन्हें भी तो लड़कियो ने पटक दिया था. कंचन के बाथरूम से बाहर आते ही वो भी बाथरूम में नहाने के लिए घुस गये. अपने कपड़े उतार के जैसे ही उन्होने धोने के लिए डालने चाहे की उनकी नज़र एक पॅंटी पर पर गयी. ये तो वो ही पॅंटी थी जो कंचन ने अभी अभी पहन रखी थी. शर्मा जी से ना रहा गया. उन्होने अपनी बेटी की पॅंटी उठा ली. पॅंटी पसीने में भीगी हुई थी और मिट्टी लगने से मैली भी हो गयी थी. शर्मा जी अपनी बेटी की पॅंटी का निरीक्षण करने लगे. अब आपको ये बताने की ज़रूरत है की सबसे पहले उन्होने कहाँ का निरीक्षण किया होगा ? जी हां आपने ठीक सोचा, सबसे पहले शर्मा जी ने उस इलाक़े का निरीक्षण किया जो इलाक़ा उनकी बेटी की चूत पे लिपटा रहता था. ये इलाक़ा कुकच्छ ज़्यादा मैला लग रहा था. शर्मा जी जानते थे कि इस इलाक़े में सिर्फ़ मिट्टी का रंग ही नहीं बल्कि बिटिया के पेशाब और शायद उसकी चूत के रस का भी रंग शामिल था. वहाँ पे शर्मा जी को एक लंबा काला बाल भी फँसा हुआ नज़र आया. बाप रे ! जिस बेटी को वो अभी तक बच्ची ही समझते थे उसकी चूत पे इतने लंबे बॉल ! शर्मा जी ने तो सपने में भी कल्पना नहीं की थी की उनकी प्यारी सी बच्ची की चूत पे बॉल भी हो सकते हैं. शर्मा जी का लंड हरकत में आ गया. अब उनसे ना रहा गया और उत्सुकतावश उन्होने बेटी की पॅंटी के उस इलाक़े को सूंघ ही लिया. पसीने, पेशाब और 14 साल की कुँवारी चूत की मिली जुली खुश्बू ने शर्मा जी को मदहोश कर दिया. उनका लंड बुरी तरह फंफना गया था. अपनी पत्नी की पॅंटी तो वो कई बार सूंघ चुके थे लेकिन आज पहली बार उन्हें एहसास हुआ की एक कुँवारी चूत और कई बार चुदी हुई चूत की खुश्बू में कितना अंतर होता है. शर्मा जी का दिमाग़ घूम गया और उन्होने अपनी बेटी की पॅंटी को चूमते और उसकी चूत की खुश्बू सूंघते हुए मूठ मारी. जब तक झाड़ नहीं गये और ढेर सारा वीर्य नहीं निकल गया तब तक शर्मा जी को शांति नहीं मिली. झड़ने के बाद शर्मा जी को गिल्टी फील होने लगी. ये क्या किया. अपनी 14 साल की बच्ची के लिए वासना की ये आग! शर्मा जी अपने आप को कोसने लगे और उन्होने अपने आप से वादा किया की आगे से कभी वो ऐसी हरकत नहीं करेंगे. लेकिन उस रात अपनी पत्नी कविता को इतना जम के चोदा की उनकी पत्नी सोचने लगी आज पति देव को ना जाने इतना जोश कहाँ से आया हुआ है.

इस घटना के बाद शर्मा जी ने अपने ऊपर पूरा कंट्रोल रखने की कोशिश की. बेटी के बारे में जब भी ऐसे वैसे विचार मन में आते तो वो तुरंत उन विचारों को मन से निकाल देते. लेकिन उसके बाद भी शर्मा जी ने पाया की उन्हें बेटी के स्कूल से वापस आने का बेसब्री से इंतज़ार रहता है. कारण . अब उन्हें स्कर्ट में बेटी की गोरी गोरी टाँगें बहुत अच्छी लगने लगी थी. जब कभी स्कर्ट थोड़ी ऊपर उठ जाती तो बेटी की गोरी गोरी मांसल जागें देख कर वो मदहोश हो जाते. कंचन थी भी बड़ी लापरवाह, इसलिए शर्मा जी को हफ्ते दो हफ्ते में एक आध बार बिटिया के टाँगों के बीच झाँकने का भी मौका मिल जाता था. लेकिन अभी तक शर्मा जी को बिटिया की पॅंटी की झलक आधे सेकेंड से ज़्यादा नहीं मिल पाई थी. ये झलक मात्र ही शर्मा जी को पागल किए जा रही थी और उनकी उत्सुकता को बढ़ा रही थी. शर्मा जी इस तरह बेटी की टाँगों और उसकी पॅंटी की झलक को आक्सिडेंटल मान कर अपने दिल को तसल्ली देते थे. उन्होने अपने दिल को ये सोच कर भी तसल्ली दे रखी थी कि आख़िर वो बेटी को बचपन में नंगी भी देख चुके हैं. अब अगर उसकी पॅंटी दिख भी गयी तो क्या हुआ? आख़िर है तो उनकी बेटी ही.

शर्मा जी जितना अपने आप को संभालने की कोशिश करते तब तब कोई ऐसी बात हो जाती की शर्मा जी अपना संकल्प नहीं रख पाते. एक दिन कंचन स्कूल से आई. भागती हुई घर में घुसी. उसने दो पोनी टेल्स बना रखी थी. बहुत ही चंचल लग रही थी. शर्मा जी सोफा पे बैठे हुए थे. उसे देखते ही खुश हो कर बोले,

“ आ गयी मेरी बेबी डॉल.”

“ जी, मेरे अच्छे पप्पू.” जल्दी से शर्मा जी के गाल पे किस करती हुई बोली, “ मैं अभी आई. मुझे जल्दी से बाथरूम जाना है. बहुत देर से रोक रखा है.” कंचन अपना स्कूल बॅग वहीं पटक कर बाथरूम की ओर भागी. जल्दी में बाथरूम का दरवाज़ा तक बंद नहीं किया. शर्मा जी भी बेटी के पीछे पीछे चल पड़े. लेकिन बाथरूम का दरवाज़ा खुला देख के रुक गये. फिर ना जाने उनके दिमाग़ में क्या आया, वो बाथरूम के दरवाज़े के बिकुल पास आ कर खड़े हो गये. उनकी बेबी डॉल को शायद बहुत ज़ोर का पेशाब आ रहा था. उसने बाथरूम में घुसते ही जल्दी से पॅंटी नीचे सर्काई और बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दिया. प्सस्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स की ज़ोरदार आवाज़ से पूरा बातरूम गुंज़्ने लगा. शर्मा जी मन्त्र मुग्ध से खड़े बेटी की चूत से निकलता मधुर संगीत सुन रहे थे. शर्मा जी को औरत की चूत से निकलती हुई ये सुरीली आवाज़ बहुत अच्छी लगती थी. बल्कि वो औरत की चूत से निकलती हुई पेशाब की धार को देख कर मदहोश हो जाते थे. बड़ी मुश्किल से उन्होने दो बार अपनी पत्नी कविता को अपने सामने बैठ कर मूतने के लिए राज़ी किया था. उनका मन तो करता था कि पत्नी को कहें की उनके ऊपर बैठ कर उनके मुँह पे ही मूत ले लेकिन शरम के मारे कभी कह ना पाए. अपनी बेटी की झांतों भरी चूत से निकलती पानी की धार की कल्पना करते करते उनका लंड तन गया था. काफ़ी देर से बिटिया ने पेशाब रोक रखा था. दो मिनिट तक प्सस्सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स………… का मधुर संगीत चलता रहा. जैसे ही प्सस्सस्स………… की आवाज़ आनी बंद हुई शर्मा जी जल्दी से वापस बाहर सोफा पे बैठ गये. इतने में कंचन भी आ गयी और फ्रिज में से बर्गर निकाल कर डाइनिंग टेबल पर खाने के लिए बैठ गयी. जहाँ शर्मा जी बैठे हुए थे वहाँ से डाइनिंग टेबल के नीचे से उन्हे कंचन की टाँगें नज़र आ रही थी.
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08-13-2017, 12:53 PM,
#53
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
कंचन अपनी दोनो टाँगें सटा के डाइनिंग चेर पे बैठी हुई थी, जैसा की लड़कियो को सिखाया जाता है. इतने में एक सेकेंड के लिए कंचन की टाँगें चौड़ी हुई और शर्मा जी को उसकी पॅंटी की झलक मिल गयी. चूत पे चिपकी हुई पॅंटी पर एक बड़ा सा गीला दाग था. शर्मा जी का लॉडा फिर से हुंकार उठा.. वो जानते थे कि बिटिया अभी अभी पेशाब कर के आई है और ये पेशाब का ही दाग था. एक बार फिर शर्मा जी के कसमे- वादे हवा हो गये. बेटी उनका जीना हराम करती जा रही थी.

एक दिन कंचन स्कूल से वापस आ कर बाहर लॉन में लगे झूले पे बैठे हुई थी. शर्मा जी भी ऑफीस से लंच के लिए घर आए. शर्मा जी को देखते ही बोली,

“ पापू, हमे थोड़ा झूला दो ना.”

“अरे गुड़िया अपने आप झूल लो. हमे जल्दी वापस ऑफीस जाना है.”

“ प्लीज़ पपूऊ..! सिर्फ़ एक बार !”

“ ठीक है. तुम तो बहुत ज़िद्दी हो.” शर्मा जी बेटी के पीछे खड़े हो कर उसे धक्का लगाने लगे. कंचन जैसे ही आगे को झूलती हुई जाती उसकी स्कर्ट हवा से फूल जाती. ये देख के शर्मा जी के दिमाग़ में आया कि अगर वो सामने की ओर जा के कुर्सी पे बैठ जाएँ तो बिटिया की टाँगों के बीच का नज़ारा देख सकेंगे. शर्मा जी ने ज़ोर से धक्का लगा कर कंचन से कहा,

“बेटी अब तुम अपने आप झूलो हम थोड़ी देर बैठ जाते हैं.”

“ठीक है पपाऊ.”

शर्मा जी सामने कुर्सी पे बैठ गये. कंचन अपने आप ही झूल रही थी. जैसे ही वो शर्मा जी की ओर झूलती हुई आती उसकी स्कर्ट हवा से फूल कर ऊपर की ओर उठ जाती. शर्मा जी को बेटी की स्कर्ट के नीचे से उसकी गोरी गोरी जांघों ऑर पॅंटी के दर्शन हो जाते. पहले तो शर्मा जी को कंचन की पॅंटी की झलक मात्र ही मिल पाती थी लेकिन आज तो काफ़ी देर तक उन्हें बिटिया की पॅंटी नज़र आ रही थी. शर्मा जी को समझते देर नहीं लगी कि बेटी की चूत भी अपनी मा की चूत की तरह खूब फूली हुई है. आज शर्मा जी ने काई बार बिटिया की पॅंटी के दर्शन किए.

इस तरह समय बीत रहा था. कई बार शर्मा जी निश्चय कर लेते कि अब वो कभी बेटी की टाँगों के बीच नहीं झाँकेंगे और फिर काई दिन तक अपने पर कंट्रोल रख के बिटिया की टाँगों के बीच झाँकने से अपने को रोकते थे. लेकिन अक्सर जब बाथरूम में बेटी की उतारी हुई पॅंटी नज़र आ जाती तो अपने ऊपर काबू खो बैठते और उसकी मादक खुश्बू सूँगते हुए मूठ मार लेते. कंचन थी तो बहुत ही चुलबुली. अक्सर जब शर्मा जी टीवी देख रहे होते तो वो उनकी गोद में आ कर बैठ जाती. कबड्डी वाली घटना के बाद से जब भी कंचन शर्मा जी की गोद में बैठती, उसकी मादक जांघों के स्पर्श से शर्मा जी का लंड खड़ा हो जाता. लेकिन शर्मा जी कभी भी अंडरवेर पहनना नहीं भूलते थे. अंडरवेर होने के कारण कंचन को कभी भी शर्मा जी के खड़े लंड का अहसास नहीं हुआ.

देखते ही देखते कंचन 18 साल की हो गयी और अब वो 12थ में आ गयी थी. चुचियो का साइज़ 38 हो चला था. चूटर भी भारी हो गये थे और बहुत फैलते जा रहे थे. बिटिया की छ्होटी सी पॅंटी के बस में अब उसके भारी भारी चूतेर संभालना नहीं रहा था. आधे से ज़्यादा चूतेर तो पॅंटी के बाहर ही रहते थे. जैसे जैसे दिन गुज़रता जाता, कंचन की पॅंटी उन आधे ढके हुए चूतरो पर से भी सिमट कर दोनो चूतरो की दरार में घुसने की कोशिश करती. अब तो बेटी के चूतेर फैल कर बिल्कुल उतने चौड़े हो गये थे जितने उनकी पत्नी के शादी के वक़्त थे. चलती भी चूतरो को मटका के थी. शर्मा जी के दिल पे च्छूरियाँ चल जाती थी. जैसे जैसे बिटिया बड़ी हो रही थी, थोड़ा चुलबुलापन कम हो गया था और उठने बैठने में सावधान हो गयी थी. अब शर्मा जी को उसकी पॅंटी के दर्शन बहुत ही मुश्किल से तीन चार महीने में एक आध बार ही होने लगे. अब तो बेटी अपनी उतारी हुई पॅंटी भी बाथरूम में नहीं छोड़ती थी. बेटी की चूत की सुगंध लिए तो अब शर्मा जी को महीनों बीत गये थे. लकिन अब भी वो उनकी गोद में अक्सर बैठ जाती थी.

फिर एक दिन कुच्छ ऐसी घटना हुई कि कंचन के लिए सब बदल गया. गर्मियों की छुट्टिया चल रही थी. नीलम, कंचन के घर तीन चार दिन रहने आई थी. दोनो सहेलिओं ने खूब मज़ा किया ओर दुनिया भर की गप्पें मारी. रात को नीलम, कंचन के कमरे में ही सोई. अचानक रात को नीलम ने कंचन को जगाया ओर बोली,

“ सुन कंचन, ये करहाने की आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं?”

“ ओह हो सो जा नीलम. ये तो मेरी मम्मी की आवाज़ें हैं. बेचारी के पेट में बहुत दर्द रहता है.अक्सर तो सारी रात कहराती रहती है.”

“ कंचन तू सुचमुच बहुत भोली है. ये पेट के दर्द की आवाज़ें नहीं है. ऐसी आवाज़ें तो औरत के मुँह से तब निकलती है जब उसकी चुदाई होती है.” कंचन एकदम गुस्से में बोली,

“ क्या बकवास कर रही है तू मेरी मम्मी ओर पापा के बारे में. मम्मी ने मेरे पूच्छने पर खुद बताया था कि उनके पैट में बहुत दर्द रहता है.”

“ ठीक है तो शर्त लगा ले 50 रुपये की.”

“ लगा ले शर्त, लेकिन मेरे पास 50 रुपये नहीं हैं.”

“ कोई बात नहीं अगर तू हार गयी तो जो मैं कहूँगी वो करना पड़ेगा. बोल मंज़ूर है?”

“ मंज़ूर है. हमारे और मम्मी पापा के कमरे के बीच जो खिरकी है उस पर उनके कमरे की ओर से परदा पड़ा है. कल मैं रात को वो परदा साइड में कर दूँगी और वरामदे की लाइट भी ऑन कर दूँगी जिससे हमे उस कमरे में सब कुच्छ नज़र आएगा. खिड़की से लग के खड़े रहेंगे तो आवाज़ें भी सॉफ सुनाई देंगी. सिर्फ़ कल ही का दिन है हमारे पास क्योंकि परसों मम्मी मैके जा रही है.”

“ वाह! कंचन तेरा दिमाग़ तो बहुत चलता है.”
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08-13-2017, 12:53 PM,
#54
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
कंचन को पूरा विश्वास था कि शर्त तो वोही जीतेगी. अगले दिन बड़ी बेसब्री से रात होने का इंतज़ार किया. रात होते ही कंचन ने मम्मी पापा के कमरे का परदा हटा दिया और वरामदे की लाइट ऑन कर दी. फिर उन्होने अपने कमरे की लाइट ऑफ कर दी. अब मम्मी पापा के कमरे में सब कुच्छ सॉफ दिख रहा था.थोरी देर में मम्मी पापा अपने कमरे में आए. उसके बाद जो कुकच्छ हुआ वो देख कर कंचन की आँखें फटी की फटी रह गयीं. पापा मम्मी की बातें सॉफ सुनाई दे रहीं थी. मम्मी बोली,

“ लगता है कंचन और उसकी दोस्त सो गयी. सारा दिन मटर गस्ति करती है.”

“ बच्चे हैं मज़ा करने दो. तो श्रीमती जी हमे अकेला छोड़ कर मैके जा रही हैं. इतने दिन हमारा क्या हाल होगा ये नहीं सोचा.”

“ क्या करूँ जाना तो नहीं चाहती, पर मा बीमार है.”

“ और हमारी बीमारी का इलाज कब करोगी?” पापा मम्मी को अपनी बाहों में खींचते हुए बोले. कंचन के दिल की धड़कन तेज हो गयी. नीलम भी मुस्कुरा रही थी.

“ आपकी बीमारी का इलाज तो रोज़ ही करती हूँ.”

पापा मम्मी को चूमते हुए बोले,

“ आज ऐसी दवाई देती जाओ की अगले 15 दिन दवाई की ज़रूरत ना पड़े.”

“ कॉन सी दवाई चाहिए आपको?” मम्मी मुस्कुराते हुए बोली.

“ ये वाली.” पापा मम्मी की चूत सलवार के ऊपर से दबाते हुए बोले.

“ ओई मा इसस्सस्स….! ले लीजिए ना. किसने रोका है. आज कमरे में लाइट कुच्छ ज़्यादा आ रही है. ठहरिए मैं वरामदे की लाइट बंद करके आती हूँ..”

“ नहीं मेरी जान, रहने दो. बहुत दिनों से तुम्हें ठीक से नंगी भी नहीं देखा.”

“ अच्छा जी! रोज़ रात को तो नंगी करते हैं.”

“ नंगी कर के तो चोदता हूँ मेरी जान लेकिन तुम्हारे नंगे बदन के दर्शन कहाँ हो पाते हैं.” ये कहते हुए पापा ने मम्मी की कमीज़ उतार दी, और सलवार का नाडा भी खींच दिया. नाडा खींचते ही सलवार नीचे गिर पड़ी. अब मम्मी सिर्फ़ पिंक ब्रा और पॅंटी में थी.

“ नहीं नाअ! प्लीईआसए……लाइट बंद कर दीजिए. मुझे शरम आ रही है. अब मैं बहुत मोटी हो गयी हूँ.”

“ नहीं मेरी रानी तुम अब भी बहुत सेक्सी हो. तुम्हें देख कर तो मेरा लंड सारा दिन खड़ा रहता है.” पापा मम्मी के होंठ चूस रहे थे और दोनो हाथों से मोटे मोटे चूतरो को सहला रहे थे. मम्मी की पॅंटी उनके विशाल चूतरो के बीच में धँसी जा रही थी.

“ ये तो पागल है” मम्मी प्यार से पापा के लंड को लूँगी के ऊपर से मुसलते हुए बोली.

नीलम, कंचन की चूत पर चुटकी काटते हुए बोली “ला मेरे 50 रुपये.”

“ शट अप अभी कुच्छ हुआ तो नहीं ना. जब कुच्छ होगा तो बोलना.” कंचन का इतना कहना ही था कि पापा ने मम्मी की ब्रा उतार दी और पनटी नीचे खिसका दी. मम्मी बिल्कुल नंगी थी. 36 साल की उम्र में भी बहुत ही सेक्सी लग रही थी. बड़ी बड़ी चूचियाँ बहुत टाइट तो नहीं लेकिन ढीली भी नहीं थी. गोरी गोरी मोटी मोटी जंघें ओर फैले हुए भारी विशाल चूतर बहुत ही सेक्सी लग रहे थे. इतने मोटे चूतरो के ऊपर कमर काफ़ी पतली लग रही थी. चूत पर बहुत ही घने काले बॉल थे.

“ ऊफ़ ! मेरी जान तुम तो बला की सेक्सी लग रही हो. कोई कह नहीं सकता की दो जवान बच्चों की मा हो. मेरा लंड तो काबू में नहीं आ रहा”

“ किसने कहा है आपको काबू में करने के लिए. आज़ाद कर दीजिए बेचारे को.” ये कह कर मम्मी ने पापा की लूँगी खींच दी. कंचन तो बेहोश होते होते बची. नीलम के पसीने छ्छूट गये. पापा का लंबा मोटा लंड तना हुआ था. कंचन तो पहली बार किसी मरद का खड़ा हुआ लंड देख रही थी. साधु महाराज के मुक़ाबले का लंड था. काला मोटा तना हुआ लंड बहुत ही भयानक लग रहा था. मम्मी नीचे बैठ गयी और पापा का लंड अब बिल्कुल उसके होंठों के सामने था.

“ मुझे भी आपके इस 9 इंच के कॅप्सुल की बहुत ज़रूरत है.” ये कह कर मम्मी ने पापा के लंड को मुँह में डाल लिया और चूसने लगी. लंड इतना मोटा था की मम्मी के होंठों में बड़ी मुश्किल से आ रहा था. मम्मी कभी पूरे लंड पर जीभ फेर के चाटती और कभी लंड के नीच लटकते हुए बॉल्स को. पापा ने मम्मी का सिर दोनो हाथों में पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. उनका मूसल मम्मी के मुँह में अंदर बाहर होने लगा. बेचारी 4 या 5 इंच ही मुँह में ले पा रही थी. थोरी देर बाद पापा ने मम्मी को बिस्तेर पर लिटा दिया और बोले,

“ कविता, अपनी टाँगें खोल कर एक बार अपनी प्यारी चूत के दर्शन तो करा दो.”

“ हाई राम, रोज़ ही तो देखते हैं. पहले लाइट बंद कीजिए.” मम्मी अपनी टाँगों को चिपका कर बोली.

“ अब मैं नंगा तो बाहर जा नहीं सकता. दिखा भी दो मेरी जान. जो चीज़ रोज़ चुदवाती हो उसे दिखाने में कैसी शरम.” ये कह कर पापा ने मम्मी की टाँगें फैला दी. मम्मी ने मारे शरम के दोनो हाथों से अपना मुँह ढक लिया. मोटी मोटी गोरी जांघों के बीच में काले घने बालों से भरी चूत सॉफ नज़र आ रही थी. क्या फूली हुई चूत थी!

“ कविता तुम्हारी चूत बहुत ही सेक्सी है. तभी तो मैं इसका इतना दीवाना हूँ. कितनी फूली हुई है.” कंचन सोचने लगी मेरी भी चूत काफ़ी फूली हुई है लेकिन मम्मी की तो बहुत ही ज़्यादा फूली हुई थी.

“ इस 9 इंच के मूसल से रोज़ चुदवाने के बाद फूलेगी नहीं तो और क्या होगा. मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो इस उम्र में भी आपको मेरी चूत इतनी अच्छी लगती है. वरना इस उम्र में कौन मर्द अपनी बीवी को रोज़ चोदता है.”

पापा ने मम्मी की टाँगें और चौड़ी कर दी और जीभ निकाल कर चूत चाटने लगे.

“ आआआः ..आ.एयेए..ऊवू! बहुत अक्च्छा लग रहा है. बाल आपके मुँह में तो नहीं जा रहे.?” मम्मी चूतर उच्छाल कर अपनी चूत पापा के मुँह पर रगड़ रही थी. पापा कभी मम्मी की चूत चाटते और कभी बड़ी बड़ी चूचिओ को चूस्ते. थोरी देर बाद 69 की मुद्रा में आ गये. अब मम्मी की चूत पापा के मुँह पर थी और पापा का मोटा लंड मम्मी के मुँह में. काफ़ी देर तक चूमा चॅटी का खेल चलता रहा. फिर पापा ने मम्मी को बिस्तेर पर लिटा कर उनकी मोटी जांघों को चौड़ा किया और लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर रख कर रगड़ने लगे.

क्रमशः.........
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08-13-2017, 12:53 PM,
#55
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......

“ ऊऊऊः, अब तंग मत करिए. पेल दीजिए पूरा लंड.” मम्मी छूटरो को उचका कर लंड चूत में डालने की कोशिश करती हुई बोली. पापा अपना लंड चूत के कटाव पर रगड़ते रहे और मम्मी को उत्तेजित करते रहे.

“ बस भी कीजिए.! अब और नहीं सहा जा रहा. आपको तो ये दवाई चाहिए थी ना. ले भी लीजिए.”

“ लूँगा मेरी जान, आज तो सारी रात लूँगा.” ये कह कर पापा ने एक ज़ोर का धक्का लगाया. पापा का लंबा मोटा लंड आधा मम्मी की चूत में समा गया.

“ एयाया….आआआः. ऊऊऊऊः….ओई माआअ…….” पापा ने लंड को बाहर खींच कर फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया. इस बार तो पूरा लंड मम्मी की चूत को चीरता हुआ जड़ तक अंडर घुस गया. अब पापा के बॉल्स मम्मी की गांद के छेद से रगड़ रहे थे.

“ वी माआअ…..आआआआ, आआआहह! धीरे मेरे राजा धीरे. इतने उतावले क्यों हो रहें हैं. एयेए…..आआआः कहीं भागी तो नहीं जा रही. अभी तो सारी रात बाकी है.”

“सच! सारी रात दोगि?” पापा ने धक्के लगाते हुए पूछा.

“आप लेंगे तो क्यों नहीं दूँगी. आज रात आआआअ…..आआआः….. इतना…. आआ…..आह चोदिए की 15 दिन चोदने की ज़रूरत ना परे.”

“ कविता आज पूरी रात चोद के तुम्हारी चूत फाड़ डालूँगा. बोलो मेरी जान मंज़ूर है?” पापा ने भयंकर धक्के मारते हुए कहा.

“ ओईईई, माआआ….अयाया..ऊऊओ… फाड़ तो आपने सुहाग रात को ही दी थी मेरे रजाआाअ…अयाया ..अब और कैसे फाड़ोगे?”

“ कविता, बीस साल से करीब रोज़ चोद रहा हूँ लेकिन तुम्हारी चूत अभी तक टाइट है. ऐसा लगता है जैसे 16 साल की लड़की की चूत हो”

“ आपका लॉडा है ही इतना मोटा की कोई भी चूत टाइट लगेगी. मैं ही जानती हूँ आपके मूसल ने मेरी चूत का क्या हाल कर दिया है. बीस साल से चोद चोद के इतनी चौड़ी कर दी है की किसी नॉर्मल आदमी का लंड ऐसा लगेगा जैसे कूए में डाल दिया हो”

“ कभी दूसरे आदमी से चुदवाने का दिल नहीं करता तुम्हारा?” पापा ने पूरा लंड बाहर निकाल कर दो तीन ज़ोरदार धक्के मारते हुए पूछा.

“ आआआआहह…..ऊऊओघ…ईइसस्स्स्सस्स…..मार डाला आपने किसी दूसरे के लायक छोड़ी भी है? ऐसा मज़ाक करते आपको शर्म नहीं आती? आपके सिवा मैने आज तक किसी दूसरे मर्द के बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा.”मम्मी गुस्सा करते हुए बोली.मम्मी को मनाने के लिए पापा ने उनके होठों को चूमते हुए कहा,

“ गुस्सा ना करो मेरी जान, मैं तो मज़ाक कर रहा था. हम तुमको अभी खुश कर देते हैं.” ये कह कर पापा ने अपना लॉडा मम्मी की चूत से बाहर खींच लिया. उस मोटे लंबे मम्मी की चूत के रूस में चमकते हुए काले नाग को देख कर तो कंचन की चीख ही निकल गयी. मम्मी की चूत के रस में गीला लॉडा एकदम भयानक लग रहा था. पापा ने फिर से मम्मी की झांतों भरी चूत में मुँह दे दिया और जीभ निकाल कर चाटने लगे. मम्मी की सिसकारियाँ तेज होती जा रही थी. वो चूतर उच्छाल उच्छाल कर अपनी चूत पापा के मुँह पर रगड़ रही थी. आख़िर जब मम्मी से नहीं रहा गया तो बोली,

“ बस करो मेरे राजा. अब चोद कर मेरी चूत की आग ठंडी करो.” पापा ने मम्मी की चूत में से मुँह निकाला और लंड का सुपरा मम्मी की चूत पे रख कर ज़ोरदार धक्का मारा. पूरा 9 इंच का मूसल मम्मी की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया.

“आआआआआ…….आआआआआअ….आआआः, ऊऊ……फ. चोदो मेरे राजा और ज़ोर से चोदो. फाड़ डालो अपनी प्यारी बीवी की चूत.अया ओई माआ……बहुत अच्छा लग रहा है.”

मम्मी पापा के धक्कों का जबाब चूतर उछाल उछाल कर दे रही थी. चूत बुरी तरह गीली थी. मम्मी की चूत से फ़च..फ़च…फ़च ओर मुँह से आआआआ…..ऊओ…ऊऊओफ़ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. एक घंटे से चुदाई का मादक खेल चल रहा था. फिर पापा के धक्के तेज़ होने लगे और अचानक ही वो मम्मी के ऊपर गिर गये. पापा के लंड ने ढेर सारा वीर्य मम्मी की चूत में उंड़ेल दिया. दो मिनिट के बाद पापा ने मम्मी की चूत के रस और अपने वीर्य में सना लंड बाहर निकाला और मम्मी के होंठों पे रख दिया. काले मोटे लंड पे सफेद सफेद रंग का मम्मी की चूत का रस और उनका अपना वीर्य चिपका हुआ था. मम्मी पापा के 9 इंच लंबे लॉड को जड़ से सुपरे तक चाटने और मुँह में डाल कर चूसने लगी. मम्मी की चूत में से वीर्य निकल कर उनकी गांद के छेद की ओर बह रहा था चूत बुरी तरह से फूल गयी थी और झाँटें गीली हो कर चमक रही थी. मम्मी ने चाट चाट के पापा का लंड साफ कर दिया. मम्मी बोली,

“ आइए, लेट कर थोड़ा आराम कर लीजिए. दवाई मीठी थी ना?”

“ बहुत मीठी थी. अब तो और भी दवाई लेने का मन कर रहा है.” पापा ने मम्मी के बगल में लेटते हुए कहा.

नीलम जो अभी तक चुदाई का नज़ारा देखने में मस्त थी, बोली,

“ कंचन ला मेरे 50 रुपये. देख लिया तेरी मम्मी के पेट का दर्द?”

“ मेरे पास 50 रुपये नहीं हैं.” कंचन शर्त हार के भी बहुत खुश थी क्योंकि शर्त के कारण ही पापा मम्मी की रास लीला देखने को मिली थी.

“ 50 रुपये नहीं हैं तो मैं जैसा कहूँगी वैसा करना पड़ेगा.” नीलम मेरी चूत को सलवार के ऊपर से ही मुट्ठी में भरते हुए बोली.

“ नीलम ये क्या कर रही है ?छोड़ मुझे.” कंचन ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा. किसी ने पहली बार कंचन की चूत पर इस तरह हाथ रखा था. उसे बहुत अच्छा लग रहा था. इतने में नीलम ने कंचन की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार को नीचे खिसका दिया.

“ देख कंचन, 50 रुपये के बदले में मैं तेरी चूत देखना चाहती हूँ और तुझे भी अपनी चूत दिखाउंगी.”

“ प्रॉमिस कर की उसके बाद कुछ नहीं करेगी.” कंचन बोली.

“ उसके बाद क्या कर सकती हूँ ? मेरे पास लंड तो है नहीं जो तुझे चोद सकूँ.” ये कह कर उसने अपनी सलवार भी उतार दी. उसके बाद नीलम ने पहले कंचन का कुर्ता और ब्रा उतार के नंगी कर दिया और फिर खुद भी नंगी हो गयी.
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08-13-2017, 01:04 PM,
#56
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......

“ ऊऊऊः, अब तंग मत करिए. पेल दीजिए पूरा लंड.” मम्मी छूटरो को उचका कर लंड चूत में डालने की कोशिश करती हुई बोली. पापा अपना लंड चूत के कटाव पर रगड़ते रहे और मम्मी को उत्तेजित करते रहे.

“ बस भी कीजिए.! अब और नहीं सहा जा रहा. आपको तो ये दवाई चाहिए थी ना. ले भी लीजिए.”

“ लूँगा मेरी जान, आज तो सारी रात लूँगा.” ये कह कर पापा ने एक ज़ोर का धक्का लगाया. पापा का लंबा मोटा लंड आधा मम्मी की चूत में समा गया.

“ एयाया….आआआः. ऊऊऊऊः….ओई माआअ…….” पापा ने लंड को बाहर खींच कर फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया. इस बार तो पूरा लंड मम्मी की चूत को चीरता हुआ जड़ तक अंडर घुस गया. अब पापा के बॉल्स मम्मी की गांद के छेद से रगड़ रहे थे.

“ वी माआअ…..आआआआ, आआआहह! धीरे मेरे राजा धीरे. इतने उतावले क्यों हो रहें हैं. एयेए…..आआआः कहीं भागी तो नहीं जा रही. अभी तो सारी रात बाकी है.”

“सच! सारी रात दोगि?” पापा ने धक्के लगाते हुए पूछा.

“आप लेंगे तो क्यों नहीं दूँगी. आज रात आआआअ…..आआआः….. इतना…. आआ…..आह चोदिए की 15 दिन चोदने की ज़रूरत ना परे.”

“ कविता आज पूरी रात चोद के तुम्हारी चूत फाड़ डालूँगा. बोलो मेरी जान मंज़ूर है?” पापा ने भयंकर धक्के मारते हुए कहा.

“ ओईईई, माआआ….अयाया..ऊऊओ… फाड़ तो आपने सुहाग रात को ही दी थी मेरे रजाआाअ…अयाया ..अब और कैसे फाड़ोगे?”

“ कविता, बीस साल से करीब रोज़ चोद रहा हूँ लेकिन तुम्हारी चूत अभी तक टाइट है. ऐसा लगता है जैसे 16 साल की लड़की की चूत हो”

“ आपका लॉडा है ही इतना मोटा की कोई भी चूत टाइट लगेगी. मैं ही जानती हूँ आपके मूसल ने मेरी चूत का क्या हाल कर दिया है. बीस साल से चोद चोद के इतनी चौड़ी कर दी है की किसी नॉर्मल आदमी का लंड ऐसा लगेगा जैसे कूए में डाल दिया हो”

“ कभी दूसरे आदमी से चुदवाने का दिल नहीं करता तुम्हारा?” पापा ने पूरा लंड बाहर निकाल कर दो तीन ज़ोरदार धक्के मारते हुए पूछा.

“ आआआआहह…..ऊऊओघ…ईइसस्स्स्सस्स…..मार डाला आपने किसी दूसरे के लायक छोड़ी भी है? ऐसा मज़ाक करते आपको शर्म नहीं आती? आपके सिवा मैने आज तक किसी दूसरे मर्द के बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा.”मम्मी गुस्सा करते हुए बोली.मम्मी को मनाने के लिए पापा ने उनके होठों को चूमते हुए कहा,

“ गुस्सा ना करो मेरी जान, मैं तो मज़ाक कर रहा था. हम तुमको अभी खुश कर देते हैं.” ये कह कर पापा ने अपना लॉडा मम्मी की चूत से बाहर खींच लिया. उस मोटे लंबे मम्मी की चूत के रूस में चमकते हुए काले नाग को देख कर तो कंचन की चीख ही निकल गयी. मम्मी की चूत के रस में गीला लॉडा एकदम भयानक लग रहा था. पापा ने फिर से मम्मी की झांतों भरी चूत में मुँह दे दिया और जीभ निकाल कर चाटने लगे. मम्मी की सिसकारियाँ तेज होती जा रही थी. वो चूतर उच्छाल उच्छाल कर अपनी चूत पापा के मुँह पर रगड़ रही थी. आख़िर जब मम्मी से नहीं रहा गया तो बोली,

“ बस करो मेरे राजा. अब चोद कर मेरी चूत की आग ठंडी करो.” पापा ने मम्मी की चूत में से मुँह निकाला और लंड का सुपरा मम्मी की चूत पे रख कर ज़ोरदार धक्का मारा. पूरा 9 इंच का मूसल मम्मी की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया.

“आआआआआ…….आआआआआअ….आआआः, ऊऊ……फ. चोदो मेरे राजा और ज़ोर से चोदो. फाड़ डालो अपनी प्यारी बीवी की चूत.अया ओई माआ……बहुत अच्छा लग रहा है.”

मम्मी पापा के धक्कों का जबाब चूतर उछाल उछाल कर दे रही थी. चूत बुरी तरह गीली थी. मम्मी की चूत से फ़च..फ़च…फ़च ओर मुँह से आआआआ…..ऊओ…ऊऊओफ़ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. एक घंटे से चुदाई का मादक खेल चल रहा था. फिर पापा के धक्के तेज़ होने लगे और अचानक ही वो मम्मी के ऊपर गिर गये. पापा के लंड ने ढेर सारा वीर्य मम्मी की चूत में उंड़ेल दिया. दो मिनिट के बाद पापा ने मम्मी की चूत के रस और अपने वीर्य में सना लंड बाहर निकाला और मम्मी के होंठों पे रख दिया. काले मोटे लंड पे सफेद सफेद रंग का मम्मी की चूत का रस और उनका अपना वीर्य चिपका हुआ था. मम्मी पापा के 9 इंच लंबे लॉड को जड़ से सुपरे तक चाटने और मुँह में डाल कर चूसने लगी. मम्मी की चूत में से वीर्य निकल कर उनकी गांद के छेद की ओर बह रहा था चूत बुरी तरह से फूल गयी थी और झाँटें गीली हो कर चमक रही थी. मम्मी ने चाट चाट के पापा का लंड साफ कर दिया. मम्मी बोली,

“ आइए, लेट कर थोड़ा आराम कर लीजिए. दवाई मीठी थी ना?”

“ बहुत मीठी थी. अब तो और भी दवाई लेने का मन कर रहा है.” पापा ने मम्मी के बगल में लेटते हुए कहा.

नीलम जो अभी तक चुदाई का नज़ारा देखने में मस्त थी, बोली,

“ कंचन ला मेरे 50 रुपये. देख लिया तेरी मम्मी के पेट का दर्द?”

“ मेरे पास 50 रुपये नहीं हैं.” कंचन शर्त हार के भी बहुत खुश थी क्योंकि शर्त के कारण ही पापा मम्मी की रास लीला देखने को मिली थी.

“ 50 रुपये नहीं हैं तो मैं जैसा कहूँगी वैसा करना पड़ेगा.” नीलम मेरी चूत को सलवार के ऊपर से ही मुट्ठी में भरते हुए बोली.

“ नीलम ये क्या कर रही है ?छोड़ मुझे.” कंचन ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा. किसी ने पहली बार कंचन की चूत पर इस तरह हाथ रखा था. उसे बहुत अच्छा लग रहा था. इतने में नीलम ने कंचन की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार को नीचे खिसका दिया.

“ देख कंचन, 50 रुपये के बदले में मैं तेरी चूत देखना चाहती हूँ और तुझे भी अपनी चूत दिखाउंगी.”

“ प्रॉमिस कर की उसके बाद कुछ नहीं करेगी.” कंचन बोली.

“ उसके बाद क्या कर सकती हूँ ? मेरे पास लंड तो है नहीं जो तुझे चोद सकूँ.” ये कह कर उसने अपनी सलवार भी उतार दी. उसके बाद नीलम ने पहले कंचन का कुर्ता और ब्रा उतार के नंगी कर दिया और फिर खुद भी नंगी हो गयी.
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08-13-2017, 01:04 PM,
#57
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
पापा के मुँह से अपने बदन और अपनी चुदाई की बातें सुन के कंचन शरम से पानी पानी हो रही थी लेकिन उसे एक अजीब सा मज़ा भी आ रहा था. अपने छ्होटे भाई के लंड के बारे में सुन कर कंचन तो दंग रह गयी. लोगों के छोटे भद्दे पेशाब करते लंड देख कर मूड खराब हो जाता था. यहाँ तो मोटे तगड़े लंड घर में ही मौज़ूद थे. नीलम भी पापा मम्मी की बातें सुन कर उत्तेजित थी. एक उंगली हल्के से कंचन की लार टपकाती चूत में सरकाते हुए बोली,


“हाई कंचन अपने भाई से तो दोस्ती करवा दे.”

“हट पागल, सुधीर को धोका देगी?”

पापा का लंड फिर से तन गया था.

“ अरे आपका तो फिर से खड़ा हो गया. क्या इरादा है.”

“ जिसकी बीवी की इतनी खूबसूरत चूत हो उसका और क्या इरादा हो सकता है?” ये कहते हुए पापा ने मम्मी को चूमना शुरू कर दिया. लगता था चुदाई का एक और दौर होने वाला था. इतने में मम्मी बोली,

“ एक मिनिट रुकिये, ज़रा बाथरूम हो आउ.” मम्मी ने बाथरूम का दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया. मम्मी की चूत से पेशाब करने की प्सस्ससस्स की आवाज़ आ रही थी. इतने में नीलम बोली,

“कंचन एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानेगी?”

“नहीं बोल ना.”

“ इस बार तेरे पापा का लंड तेरी याद करके खड़ा हुआ है.”

“ तेरा तो दिमाग़ बिल्कुल खराब हो गया है. मम्मी को सिकुदे हुए लंड से तो नहीं चोद सकते ना. उनका लंड खड़ा है मम्मी को चोदने के लिए.”

“तू फिर एक बार शर्त लगा ले. हार जाएगी. मैं प्रूव कर दूँगी की तेरे पापा तेरी जवानी पे फिदा होते जा रहे हैं. मैं मर्दों को बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ.”

“ठीक है. प्रूव करके दिखा.” कंचन बोली.

“अगर मैं हार गयी तो मैं तुझे एक हज़ार रुपये दूँगी और अगर तू हार गयी तो तू अपने भाई से मेरी दोस्ती करवाएगी. बोल मंज़ूर है ?”

“मंज़ूर है.”

इतने में मम्मी बाथरूम से आ गयी और बोली,

“ कहिए मेरे राजा अब किस मुद्रा में लेंगे ?”

“हाई मेरी रानी ये ही अदा तो हमे मार डालती है. पहले तुम हमारे ऊपर खड़ी हो जाओ. ज़रा अपनी प्यारी बीवी की चूत तो देख लें.”

“हटिए भी आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे पहले कभी देखी ना हो.” लेकिन मम्मी पापा के बदन के दोनो तरफ टाँगें करके खड़ी हो गयी. पापा पीठ के बल लेटे हुए मम्मी की फैली टाँगों के बीच झांतों से धकि हुई चूत को निहार रहे थे. उनका लंड बुरी तरह तना हुआ था. फिर बोले,

“ आओ हमारे ऊपर बैठ जाओ. मम्मी पापा के तने हुए लंड पे बैठने लगी कि पापा बोले,

“वहाँ नहीं मेरी जान, थोडा आगे आ जाओ.” मम्मी थोड़ा और आगे हो गयी.

“और थोड़ा आगे आ जाओ.” मम्मी समझ गयी पापा उनकी चूत चाटना चाहते हैं.

“ छ्ची ! आप नहीं सुधरेंगे. मैं अभी अभी पेशाब करके आई हूँ और आप वहीं मुँह लगाना चाहते हैं. अभी तो मेरी झाँटें तक गीली हैं.” इस वक़्त मम्मी पापा की छाती के दोनो ओर टाँगें करके ऐसे बैठी हुई थी जैसे पेशाब करने की मुद्रा में बैठी हो. इस मुद्रा में मम्मी की चूत पापा की नज़रों के सामने बिकुल खुली हुई थी. घनी काली झांतों के बीच में से अभी अभी पापा के मोटे लॉड से चुदने के कारण मम्मी की चूत का छेद खुला हुआ नज़र आ रहा था. झाँटें चूत के रस और पेशाब से गीली थी. पापा ने मम्मी की विशाल चूतरो को पकड़ के उन्हें अपने मुँह पे खींच लिया. अब पापा का मुँह मम्मी की चूत के जंगल में खो गया था. धीरे धीरे मम्मी के मुँह से इश्स ..आआआ…..ईीइसस्सस्स….आईईइ…आहह की आवाज़ें आने लगी. मम्मी भी पापा के मुँह पे अपनी चूत रगड़ने लगी थी. पापा का मुँह मम्मी की मोटी मोटी जांघों के बीच मम्मी की चूत और झांतों पे लगा पेशाब और उनकी चूत का रस चाट रहा था. मम्मी सिसकारियाँ भरती हुई बोली,

क्रमशः.........
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08-13-2017, 01:05 PM,
#58
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......

“हाई राम आप तो सुचमुच बहुत गंदे हैं..इसस्स ..” अच्छी तरह चूत साफ करने के बाद पापा बोले,

“ हाई मेरी जान तुम्हारी चूत रस के सामने तो अमृत भी कुच्छ नहीं. आओ अब तुम्हें कुतिया बना कर चोदेन्गे.” मम्मी बिस्तेर पर कुतिया बन कर लेट गयी. उनकी छाति बिस्तेर पर और चूतर हवा में थे. इस मुद्रा में उनकी मोटी मोटी झंघों के बीच में से बालों भरी चूत सॉफ दिखाई दे रही थी. एक घंटे से चल रही चुदाई के कारण चूत बहुत ही फूली और सूजी हुई लग रही थी. चूत का छेद भी मुँह खोले हुए था. ये पापा के मोटे लॉड का कमाल था.

“ लो राजा मैं तो कुतिया बन गयी लेकिन कुतिया को तो कुत्ता ही चोद्ता है पर अभी तो इस कुतिया के ऊपर सांड चढ़ेगा और अपने घोड़े जैसे लंड से चोदेगा.” पापा मम्मी के चूतरो के पीछे बैठ कर उनके फैले हुए विशाल चूतरो और उनके बीच से झाँकति हुई फूली हुई चूत को निहारने लगे.

“ऐसे क्या देख रहे हैं मेरे राजा ?”

“ सच कविता तुम्हारे जैसे चूतेर तो इस दुनिया में किसी औरत के नहीं हैं. हमे तो इन्होने पागल कर दिया है.”

“सभी औरतों के ऐसे ही तो होते हैं.”

“तुम क्या जानो मेरी जान तुम्हारे चूतेर कितने जान लेवा हैं. सभी औरतों के तो ऐसे नहीं होते, हां अब तुम्हारी बिटिया के ज़रूर ऐसे होते जा रहे हैं.”

“हाई राम ! लगता है आप अपनी बेटी के चूतरो पे फिदा हो गये हैं.”

“अरे नहीं. फिर वही बात कर रही हो. देखो ना तुम्हारे इन चूतरो ने हमारे लॉड का क्या हाल कर रखा है.”

“तो ले लीजिए ना. किसने रोका है. आज हमे भी तो दिखाइए आपको ये कितने अच्छे लगते हैं.” मम्मी अपने विशाल चूतरो को और ज़्यादा उचकाती हुई बोली. अब तो चूतरो के बीच मम्मी की गांद का वो भूरे रंग का छेद भी नज़र आने लगा था. पापा ने मम्मी के विशाल चूतरो को फैला कर उनके बीच अपना मुँह दे दिया और कुत्ते की तरह उनकी चूत चाटने लगे. उनकी नाक मम्मी की गांद के छेद पे टिकी हुई थी. बीच बीच में मम्मी के चूतरो को और ज़्यादा फैला कर उनकी गांद के छेद को भी चाटते. मम्मी के मुँह से अया. ऊवू…..इसस्सस्स. की आवाज़ें आने लगीं. थोरी देर चूत और गांद चाटने के बाद पापा उठे और अपने लंड का सुपरा मम्मी की चूत के खुले हुए मुँह पर रख कर धक्का लगा दिया. चूत बहुत गीली थी और घंटे भर की चुदाई से चौड़ी हो गयी थी इसलिए एक ही धक्के में पूरा 9 इंच का लॉडा मम्मी की चूत में समा गया.

“ आाआईयईईईईईई…….इसस्स्स्स्स्स्सस्स……. ओईईई माआआअ……आआअहह.”

पापा मम्मी की चूचिओ को पकड़ कर अब पूरा लंड अंडर बाहर कर रहे थे. पापा के बारे बारे बॉल्स आगे पीछे होने के कारण पेंडुलम की तरह झूल रहे थे. फ़च फ़च….फ़च….फ़च का संगीत फिर शुरू हो गया था.

“ कविता चुदवाते हुए जितनी आवाज़ तुम करती हो उतनी ही आवाज़ तुम्हारी ये प्यारी चूत भी करती है.”

“ क्या करूँ, सब आपके मूसल का कमाल है. एक दिन तो कंचन ने भी ये आवाज़ें सुन ली थी. मैने उसे बता दिया कि मेरे पेट में दर्द रहता है.”

पापा हस्ते हुए बोले

“ कितनी नादान है हमारी बिटिया. लेकिन तुम्हारी ये चूत जो फ़च फ़च कर रही है इसके बारे में क्या कहा?”

“ हटिए भी, इसकी आवाज़ थोड़ी बाहर जाती है.”

पापा पूरा लंड बाहर निकाल कर जड़ तक पेल रहे थे. मम्मी भी चूतर पीछे की ओर उचका उचका कर चुदवा रही थी. फिर पापा ने पास में पड़ी वॅसलीन की बॉटल खोली, ढेर सारा वॅसलीन अपनी उंगली पे लगाया और मम्मी की गांद के छेद में लगाने लगे.

“आआहह……क्या इरादा है मेरे राजा?” मम्मी गांद उचकाती हुई बोली.“ कविता मेरी जान कयि दिनों से तुम्हारी खूबसूरत गांद नहीं ली. आज मेरा लॉडा तुम्हारी गांद में जाने को उतावला हो रहा है. आज तो अपनी गांद भी देती जाओ.”

“ले लीजिए ना, मैने कब रोका है. आपकी ही चीज़ है. मैं तो आपको इतना तृप्त कर देना चाहती हूँ कि आपको 15 दिन तक मेरी ज़रूरत महसूस ना हो “ अब पापा ने अपना लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और ढेर सारा वॅसलीन अपने लंड पर भी लगा लिया. नीलम कंचन की चूत में उंगली डालते हुए बोली,

“ देख कंचन, उस दिन वो लड़का तेरी गांद मारने की बात कर रहा था तो तू नाराज़ हो रही थी, अब देख तेरे पापा का मूसल कैसे तेरी मम्मी की गांद में जाता है. अच्छी तरह देख ले क्योंकि तेरा पति भी इसी तरह तेरी गांद मारेगा.” उधेर पापा ने लंड का सुपरा मम्मी की गांद के छेद पर टीका कर दबाव डालना शुरू कर दिया था. धीरे धीरे लंड का मोटा सुपरा मम्मी की गांद के टाइट छेद को फैला के अंडर सरक गया. पापा ने थोड़ा और दबाव डाला और करीब 1 इंच लंड मम्मी की गांद में घुस गया.

“ आआआहह….ऊऊऊघ…..क्या मोटा लंड है आपका.” पापा ने आधा इंच लंड बाहर खींच कर इस बार एक ज़ोर का धक्का मारा. 6 इंच लंड अंडर जा घुसा
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08-13-2017, 01:05 PM,
#59
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
“आआआआआआआआआआअ……………आआआहह……..मार गाइिईईई…….ऊऊओफ़ धीरे प्प्प्प्प्प्लेआसए…… औइ माआआअ फॅट जाएगी.” पापा ने मम्मी के चूतर पकड़ के पूरा लंड बाहर खींच कर एक बार फिर करारा धक्का लगाया . इस बार लंड जड़ तक मम्मी की गांद में समा गया. अब पापा के बॉल्स मम्मी की चूत पर टीके हुए थे. “ ओईईईईईईईईईईईईईईईई……….ऊऊऊऊऊऊओह……आआ आआआाअघ…उूउउम्म्म्मम, कितने बेरहम हैं ! अपनी प्यारी बीवी की गांद फाड़ देना चाहते हैं? लगता है आपका लॉडा और भी बड़ा हो गया है. इतना दर्द पहले कभी नहीं हुआ.”

“ दर्द हो रहा है तो निकाल लूँ?”

“ नहीं मेरे राजा, ये तो मीठा मीठा दर्द है, बहुत दिनों बाद आपने मेरी गांद चोदि है ना. चोदिए ना, जी भर के चोदिए. फाड़ दीजिए अपनी कविता की गांद.” मम्मी चूतर उचकाते हुए बोली. पापा मम्मी की बातें सुन कर जोश में उनकी कमर पकड़ के ज़बरदस्त धक्के मार मार के पूरा लंड मम्मी की गांद में पेलने लगे. थोरी देर धक्के मारने के बाद बोले,

“ कविता अब मैं तुम्हारे तीनों छेद चोदुन्गा.” ये कह कर पापा ने अपना लंड मम्मी की गांद में से निकाल के उनके मुँह में दे दिया. मम्मी ने अच्छी तरह लंड को चॅटा और चूसा. फिर पापा ने मुँह से लंड निकाल के मम्मी की चूत में पेल दिया. अब वो बारी बारी से मम्मी की चूत , गांद और मुँह में लंड पेलने लगे. चूत के रस में सना हुआ लंड मम्मी की गांद में पेलते और फिर मम्मी गांद से निकाले लंड को चॅट कर सॉफ करती. आधा घंटे ये खेल चलता रहा, फिर अचानक पापा बोले,

“ कविता मेरी जान झरने वाला हूँ, बोलो कहाँ निकालु?”

“ गांद में निकाल दीजिए. केयी दिन हो गये गांद में आपका रस निकले हुए.”

पापा ने मम्मी की गांद में अपना मूसल पेल दिया और कमर पकड़ के भयंकर धक्के लगाने लगे. मम्मी के मुँह से ऊवू….ऊऊहह…. आआआः… ओईइ….की आवाज़ें आने लगीं.15-20 धक्के लगाने के बाद पापा ने ढेर सारा वीर्य मम्मी की गांद में निकाल दिया. जब पापा ने लंड बाहर निकाला तो मम्मी की गांद का छेद बहुत चौड़ा हो गया था और उसमें से वीर्य निकल के उनकी चूत की तरफ बहने लगा. मम्मी ने चाट चाट के पापा का लंड सॉफ किया. आज से पहले कंचन को विश्वास ही नहीं होता था कि आदमी का इतना मोटा लंड औरत की गांद के छ्होटे से छेद में भी जा सकता है, पर आज तो उसने अपनी आँखों से देख लिया. मर्द लोग वाकाई में औरत की गंद भी मारते हैं. पापा ने मम्मी को पूरी रात करीब 6 बार हर मुद्रा में चोदा. सुबह तक मम्मी की चूत बुरी तरह सूज गयी थी और पापा का लंड भी मम्मी की चूत का रस पी कर काफ़ी मोटा लग रहा था. उजाला हो गया था. मम्मी पापा थोड़ी देर के लिए सो गये. नीलम कंचन की गीली चूत में उंगली डालती हुई बोली,

“ कंचन, पसंद आया अपने पापा का लॉडा?”

“चुप, क्या बकवास कर रही है.” कंचन बनावटी गुस्सा करते हुए बोली.

“ हाई राम! क्या मोटा लॉडा है. तुझे पसंद आया कि नहीं ये तो मुझे नहीं पता लेकिन हमें तो बहुत पसंद आया. सच तेरी मम्मी बहुत भाग्यशाली है. कितने प्यार से चोदा है तेरी मम्मी को. कितने दीवाने हैं तेरी मम्मी की गांद के. वैसे तो तेरे इन कातिलाना चूतरो पे भी फिदा हैं तेरे पापा. किसी दिन मौका लगा तो कहीं तेरी गांद भी….. ” नीलम, कंचन के चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोली.

“ हट पागल, तेरा तो दिमाग़ खराब हो गया है.”

“कंचन, तू शर्त लगा ले. तेरे पापा को अब तेरी जवानी तंग करने लगी है. मैं इस बात को प्रूव कर सकती हूँ.”

“ तेरी शर्त मंज़ूर है. प्रूव कर के दिखा. जो माँगेगी दूँगी.”

“ठीक है, एक शर्त तो तू हार ही चुकी है. ये भी हार जाएगी. कल तेरी मम्मी माएके जा रही है. हमारे पास 15 दिन का टाइम है. जैसा मैं कहूँ करना, फिर देखना मेरी बात सच है या नहीं.”

कंचन का दिल में पापा के मुँह से अपने बारे में सुन कर और नीलम की बात सुन कर गुदगुदी होने लगी थी. उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा अपनी बेटी के जवान होते हुए बदन को ऐसी नज़रों से देखते हैं. मन ही मन सोच रही थी कि शायद नीलम की बात सच हो. लेकिन विश्वास नहीं हो रहा था.

अगले दिन नीलम ने एक प्लान बनाया. वो अपने घर से एक मूवी कॅमरा ले आई. दोनो सहेलियाँ स्कूल से जल्दी घर वापस आ गयी. नीलम , कंचन से बोली,

“तेरे पापा लंच के लिए आते ही होंगे. तू बाहर लॉन में पैर के नीचे उसके तने के साथ पीठ टीका के बैठ जा और अपनी टाँगें मोड़ के सिर अपने घुटनों पे टीका कर सोने का नाटक कर. जब तेरे पापा आएँगे तो उन्हें तेरे चूतरो से ले के पूरी टाँगें नंगी नज़र आएँगी और तेरी पॅंटी के भी खूब अच्छी तरह दर्शन हो जाएँगे. मैं झाड़ी के पीछे से मूवी कॅमरा में उनके पूरे हाव भाव क़ैद कर लूँगी. उसके बाद तू खुद ही देख लेना मेरी बात सही थी या नहीं.”

“ठीक है,जल्दी कर, बस पापा आने ही वाले हैं.” ये कह कर कंचन पेड़ के नीचे टाँगें मोड़ के बैठ गयी. नीलम ने उसकी स्कूल की स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट कर दी कि शर्मा जी को बिना रुकावट के कंचन की पूरी टाँगें नज़र आ जाएँ. उसके बाद नीलम ने कंचन की पॅंटी को भी उसकी चूत पे इस प्रकार अड्जस्ट किया कि पॅंटी के दोनो तरफ से उसकी काली काली झाँटें सॉफ नज़र आ जाएँ और उसकी फूली हुई चूत पॅंटी में और भी ज़्यादा उभरी हुई लगे. फिर उसने हल्के से कंचन की चूत की दोनो फांकों के कटाव में उंगली फेर के उसकी पॅंटी को चूत की दोनो फांकों के बीच में फसा दिया. इतने में शर्मा जी के आने की आवाज़ हुई. नीलम जल्दी से कॅमरा ले कर झाड़ी के पीछे छुप गयी. उधेर शर्मा जी बेटी को ढूड़ने लगे,

“ कंचन ! अरी ओ कंचन ! कहाँ हो? अरे बिटिया चलो खाना खा लें.” शर्मा जी बेटी को ढूँढते हुए लॉन में आ गये. अचानक उनकी नज़र कंचन पे पड़ी और वो एकदम रुक गये. सामने का नज़ारा देख कर उनका दिल धक धक करने लगा. अपनी 18 साल की जवान बेटी की गोरी गोरी मांसल जांघें नंगी देख कर उनका लॉडा हरकत करने लगा. जैसे ही उनकी नज़रें बिटिया की जांघों के बीच में गयी तो उनके होश ही उड़ गये. छ्होटी सी सफेद पॅंटी मुश्किल से बिटिया रानी की चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी. लंबी काली काली झाँटें तो दोनो तरफ से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी. ऊफ़ ! क्या फूली हुई चूत थी बिटिया की… जवान बेटी की कुँवारी चूत की फांकों के बीच फसि हुई पॅंटी ने मानो शर्मा जी पे बिजली गिरा दी. उनका लॉडा अंडरवेर फाड़ के बाहर आने की कोशिश कर रहा था. शर्मा जी बेटी की टाँगों के बीच देख के अपने लॉड को पॅंट के ऊपेर से ही सहलाने लगे. शर्मा जी को जी भर के अपनी नंगी टाँगों और पॅंटी के दर्शन कराने के बाद कंचन ऐसे उठी जैसे नींद से उठी हो,

“ अरे पापू, आप! आप कब आए? हमे तो नींद ही आ गयी आपका इंतज़ार करते करते. चलिए खाना खा लेते हैं.” कंचन जल्दी से अपनी स्कर्ट ठीक करती हुई बोली.

“ हाँ बेटी चलो. हम तो कब से तुम्हें ढूंड रहे हैं.”
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08-13-2017, 01:05 PM,
#60
RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
कंचन अपने चूतेर मतकाती हुई आगे चल पड़ी. शर्मा जी का लॉडा इतना तना हुआ था कि उन्हें चलने में भी मुश्किल हो रही थी.

खाना खाने के बाद शर्मा जी ऑफीस चले गये. उनके ऑफीस जाते ही नीलम अपना कॅमरा ले कर आ गयी.

“ ले कंचन, देख ले तूने अपने पापा का क्या हाल कर दिया था.”

कंचन तो बेसब्री से वीडियो देखने का इंतज़ार कर रही थी.

“ जल्दी दिखा ना यार, देखें तेरी बात कितनी सच है.”

“सोलह आने सच है मेरी जान, ले देख.” कंचन ने जो देखा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ. वीडियो का फोकस कंचन की टाँगों के बीच में था. कंचन पॅंटी में क़ैद अपनी ही चूत देख कर शर्मा गयी. तभी कॅमरा का फोकस शर्मा जी पर गया. पापा, कंचन की गोरी गोरी टाँगों के बीच में झाँक रहे थे. उनका चेहरा लाल हो गया था और वो बार बार अपने होंठ चाट रहे थे. इतने में कॅमरा शर्मा जी की पॅंट के उभार पे गया. पापा की पॅंट का उभार देख कर कंचन शर्म से लाल हो गयी. उसने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पापा उसकी चूत देख कर उत्तेजित हो जाएँगे. पापा पॅंट के ऊपर से ही अपना लॉडा सहला रहे थे. नीलम बोली,

“अब तो यकीन हो गया ?”

“ सच नीलम मुझे तो अब भी यकीन नहीं होता. किसी बाप का लंड अपनी ही बेटी के लिए कैसे खड़ा हो सकता है?”

“ तू उनकी बेटी ज़रूर है पर औरत भी तो है. दुनिया में ऐसा कौन मरद है जिसका लंड औरत की चूत देख के खड़ा ना हो जाए. बेटी हुई तो क्या हुआ. चूत तो चूत ही होती है. हां अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं होता तो मेरे दिमाग़ में एक और प्लान है.” उसके बाद नीलम ने कंचन को अपना प्लान बताया. प्लान सुन कर कंचन का दिल धक धक करने लगा लेकिन उसे प्लान बहुत पसंद आया.उधेर शर्मा जी की तो नींद हराम हो गयी थी. सारी रात उनकी आँखों के सामने बेटी की कुँवारी चूत की फांकों में फँसी हुई पॅंटी का नज़ारा घूमता रहा. ज़िंदगी में पहली बार शर्मा जी ने किसी की चूत की फांकों में इस तरह पॅंटी फँसी हुई देखी. ओर वो भी 18 साल की जवान लड़की की. आज महीनों बाद उन्हें बेटी की पॅंटी के दर्शन हुए थे. और जब हुए तो ऐसे हुए कि उनकी नींद हराम हो गयी. ऊफ़! क्या जानलेवा नज़ारा था. रात में बेटी की चूत याद करके शर्मा जी ने तीन बार मूठ मारी.

अगले दिन प्लान के मुताबिक कंचन ने स्कूल से वापस आ के वो स्कर्ट पहन ली जो वो 9थ में पहना करती थी और अब तो उसके घुटनों से 10 इंच ऊपर रहती थी. उसके बाद दोनो ने सीधी लगा कर बॅस्केटबॉल पोले पे लगी बास्केट को लटका कर दिया और सीधी झाड़ियो में डाल दी. इतने में शर्मा जी के आने की आहट हुई. दोनो सहेलियाँ बॅस्केटबॉल पोले पे लटकी बास्केट को देखने लगी. शर्मा जी ने आते ही पूचछा,

“ अरे हमारी बिटिया यहाँ क्या कर रही है?”

“ पाप्पू आप आ गये. हम आपका ही इंतज़ार कर रहे थे. ज़रा ये बास्केट ठीक कर दीजिए ना….”

शर्मा जी का तो हाथ वहाँ तक पहुँच नहीं सकता था,

“ बेटी सीधी कहाँ है ?”

“जी पापू वो तो मिल नहीं रही है. मिल जाती तो हम ही ठीक कर देते.”

“बिना सीधी के कैसे काम चलेगा बेटे?”

“ पाप्पो आप ऐसे करो. आप नीचे बैठ जाओ. नीलम आपके कंधों पर बैठ कर बास्केट को ठीक कर देगी.”

“ठीक है. आओ बेटी नीलम. हमारे कंधों पे बैठ जाओ.”

“जी अंकल.” शर्मा जी नीचे बैठे और नीलम उनके कंधों के दोनो ओर टाँगें कर के बैठ गयी. बैठने से पहले उसने अपनी स्कर्ट इस तरह से अड्जस्ट की कि अब उसकी पॅंटी में कसी हुई चूत डाइरेक्ट शर्मा जी की गार्डेन पे रगड़ने लगी. अब शर्मा जी खड़े हो गये. नीलम बास्केट तक पहुँचने का नाटक करने लगी. शर्मा जी को बेटी की जवान सहेली नीलम की चूत की गर्मी अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी. नीलम भी खूब हिल हिल के अपनी चूत शर्मा जी की गर्देन पे रगड़ रही थी. थोड़ी देर ये नाटक करने के बाद नीलम बोली,

“अंकल मेरा हाथ तो अब भी नहीं पहुँच रहा. कंचन लंबी है, उसका हाथ पहुँच जाएगा.” ये सुन कर शर्मा जी के दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तो बेटी की चूत उनकी गर्देन पे महसूस होगी. वो बोले,

“ ठीक है कंचन बेटी तुम ट्राइ करो.”

“एक मिनिट पापू मैं अभी आई, मुझे ज़ोर का बाथरूम लगा है.”

क्रमशः.........
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