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Hindi Porn Story द मैजिक मिरर
द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
परिचय:==>★
प्रस्तुत कहानी के सभी पात्र और घटना क्रम काल्पनिक है। इस कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नही है। यदि कोई संबंध होता है तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा। " द मैजिक मिरर (The Magic Mirror)" ये कहानी एक टीन एज लड़के की है जिसे 24 वीं सदी में किश्मत से एक चमत्कारी आईना मिल जाता है। लेकिन चमत्कारी आईने का एक खास राज भी है ये आईना इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की ख़्वाहिशें तभी पूरी कर सकता है जब वो व्यक्ति उस आईने के लिए अपनी सबसे खास चीज का त्याग करे। ये आईना काले जादू और तंत्र से करीब 100000 साल पहले रानी नेत्रा ने अपने राज्य के तांत्रिकों से बनवाया था। क्योंकि तांत्रिक राजभक्त थे लेकिन राजभक्त होने के साथ साथ वो लोभी भी थे तो उन्होंने इस आईने में जेड 5 हीरों मैं अपनी-अपनी आत्माओं को क़ैद कर दिया। उनकी आत्मा इस आईने में कैद होने से अब ये आईना अपनी एक ख़्वाहिश के बदले में इस्तेमाल करने वाले को पूरा एक दिन देता है । इस एक दिन मैं आईने का मालिक जो भी ख़्वाहिश करेगा उसे पूरा करने के लिए ये आईना बाध्य था। आईने का इतिहास और उस आईना का कहानी के हीरो तक पहुंच ने तक का सफ़र आप पहले अध्याय में पढ़ेंगे। दूसरे अध्याय में आप हीरो द्वारा आईने का प्रयोग और आईने के प्रयोग के लिए किया गया त्याग पढ़ेंगे। तीसरे अध्याय में आप कहानी अंत देखेंगे।
अध्याय-1
अपडेट - 1
इस कहानी का हीरो एक टीन एज लड़का है। जिसने अभी-अभी दसवीं कक्षा की परीक्षा पास कर के 11 वीं कक्षा में कदम रखा है। राज़ पढ़ने में बहुत ही होशियार है तो उसने दसवीं कक्षा 89% अंकों से उतीर्ण कर ली। ये कहानी तब शुरू हुई जब राज़ (राजेश) तीन महीनों का जो परीक्षा के बाद अवकाश होता है उसमें अपनी नानी के पास गांव गया था। राज़ हाँ यही नाम है अपने हीरो का। देखने में एकदम सीधा सादा, भोला भाला, जादुई दुनिया, और परियों की दुनिया अपने ख़्यालों मैं रच कर अकेले एकांत में बैठ कर दिन निकालने वाला। कोई कह नही सकता कि ये लड़का एक दिन इतनी बड़ी ताकत का मालिक बन बैठेगा।
राज एक मिडिल क्लास परिवार से है। इसका परिवार ना तो गरीब है ना ही अमीर है। फिर भी किसी भी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा से ये अछूते नहीं है। कहानी आगे बढ़ाने से पहले हम एक बार राज़ के परिवार के बारे में अच्छे से जान लेते है।
राज के परिवार में राज़ के पापा, मम्मी, 2 बहनें और एक नानी रहती है। राज़ के दादा-दादी और नाना का देहांत काफी अर्से पहले ही हो गया था। नहीं-नहीं कोई दुर्घटना में नहीं बल्कि बीमारियों की वजह से राज़ के दादा कैंसर से पीड़ित थे और दादी टी. बी. की मरीज थी। इलाज करवाया गया था लेकिन होनी को कौन टाल सकता था। राज़ के नाना को अस्थमा का रोग था। गांव में उड़ती धूल मिट्टी की चपेट में आये दिन आते रहते थे तो एक दिन उस मिट्टी ने राज के नाना जी की सांस ही उखाड़ ली।
राज़ की नानी को कोई परेशानी नही है बल्कि वो जवानों से ज्यादा स्वस्थ है। मेरा मतलब जो 80 साल की बूढ़ी खुद बिना लाठी के सहारे अपने खेतों के बागों का ध्यान रखे उसे 80 साल की बुढ़िया कहना तो सरासर गलत ही होगा ना। चलिए मुर्दों की बात यहीं खत्म करते है और ज़िंदा लोगो की भी खबर ले लेते है। राज़ के पाप एक सरकारी बैंक कर्मचारी है। उनकी सेलेरी यही चालीस-45 हजार के करीब होगी।
राज़ के पापा का नाम गिरधारी है। गिरधारी जी की उम्र कोई 45-48 वर्ष के आस-पास होगी।
गिरधारी जी बहुत ही साधारण जीवन जीने में यकीन रखते है। ये सुबह 8 बजे घर से निकलते है बैंक के लिए और बैंक से शाम को 5 बजे निकलते है और 5.45 तक या फिर कभी-कभी 6 बजे तक घर पहुंच जाते है।
राज़ की मम्मी का नाम है सरिता देवी।
सरिता एक डॉक्टर है। कभी-कभी हॉस्पिटल में इमरजेंसी पड़ने पर जाती है वरना तो ये आपको घर पर या घर से दो ढाई किलोमीटर दूर इनका क्लिनिक है वहां पर अपने मरीजों के साथ मिल ही जाएगी। जी बिल्कुल अपने मरीजों के साथ क्यों कि सरिता गिरधारी जी से 5 साल छोटी है तो इनकी उम्र लगभग 40 या 38 के आस पास होगी। तो कुछ मरीज़ तो वाकई में किसी बीमारी के शिकार होतें है लेकिन कुछ मरीज तो सरिता देवी की खूबसूरत जवानी के शिकार थे। इनकी शादी गिरधारी जी से कम उम्र में ही कर दी गयी थी। और काम उम्र में ही इनकी 2 संताने हुई दोनों संताने लड़की होने के कारण गिरधारी जी ने तीसरी संतान के लिए प्रयास लगभग 5-6 साल के अंतराल के बाद किया और किशमत से इन्हें बहुत ही सुंदर संतान प्राप्त हुई और इस बार ये संतान लड़का थी। जी हमारा हीरो राज़। अब आप कहेंगे कि मैंने राज़ की बहनों का परिचय नही करवाया। इस से पहले की आप मुझसे नाराज हों मैं उनका परिचय भी करवा देता हूँ।
राज़ की सबसे बड़ी बहन का नाम है रानी। रानी की फ़िगर है 32सी 30 35,रानी बहुत ही शर्मीली लड़की है। हालांकि मॉडर्न लड़की है मॉडर्न कपड़े भी पहनती है लेकिन ये किसी से भी बात करने में बहुत शर्माती है।
रानी से छोटी है सोनिया राज़ की दूसरी बड़ी बहन ये भी रानी की तरह मॉडर्न है लेकिन बहुत भोली है ।
सोनिया जब भी चुपचुप रहती है तो ऐसे लगती है जैसी किसी बात को लेकर परेशान हो या फिर उदास हो लेकिन जब बोलना शुरू करती है तो बस राम बचाये जान।
भोली होने के साथ-साथ सोनिया को राज़ सवालों की मशीन बुलाता रहता है क्योंकि ये इतने सवाल पूछती है कि कोई भी पागल हो जाये। अपने इसी भोलेपन के कारण इसने घर मे सभी का दिल जीत रखा है।
सोनिया का फ़िगर है 32सी 28 34, सोनिया और रानी दोनों कॉलेज में पढ़ती हौ। रानी जहां बायो स्टूडेंट है और फाइनल ईयर की तैयारी कर रही है वही सोनिया इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर की तैयारी कर रही है।
अब कहानी में आगे बढ़ते है जब राज़ अपनी नानी के पास गांव पहुंचा।
राज़ के पिता राज़ की मम्मी से बातें करते है कि राज को क्यों ना गर्मी की छुट्टियां बिताने कहीं घूमने ले जाया जाए। राज़ के पिता के इस विचार से राज़ की मम्मी भी खुश थी। राज़ की मम्मी इस बात को लेकर बहुत परेशान रहा करती थी कि राज अब ग्यारहवीं कक्षा में जाने वाला है और ये गुमसुम से बैठा पता नहीं क्या सोचता रहता है। ना किसी से ज्यादा बात चीत करता है ना ही खाना ठीक से खाता है। अगर राज़ अपनी नानी के पास जाएगा तो उसकी हवा पानी भी बदल जाएगी और साथ ही गांव के कुछ दोस्त बना लेगा तो अच्छा रहेगा। यहां तो ये किसी से बात भी नही करता।
राज़ के पिता राज़ की मम्मी के इस मत से बहुत ही गंभीर हो जातें है और सीधे से राज़ की मम्मी से बोलते है यार तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन वहाँ तुम जानती हो ना तुम्हारे पापा क्या जादू टोने किया करते थे। और फिर तुम्हारी मम्मी अभी तक ऐसी है जैसे उन्हें 80 साल की उम्र को तय तक ना किया हो। सर पर सफेद आगये है लेकिन चलती ऐसे है जैसे की 40-45 साल की औरत चलती हो।
राज़ की मम्मी हैं ये क्या बात हुई भगवान करे मेरी मम्मी और जियें और हां वेसे आप की चिंता जायज है लेकिन देखिये ना पिताजी तो अब रहे नही, तो क्या जादू टोना होगा वहाँ, दूसरी बात मम्मी भी तो काफी समय से अकेली पड़ गयी है। अब जब उनका नाती जाएगा तो वो कितनी खुश होंगी। और वेसे भी मैं अपना क्लिनिक बन्द नही कर सकती और आपको भी तो 3 महीनों की छुट्टी तो मिल नही सकती।
राज़ के पाप काफी विचार करके ठीक है फिर मैं छुट्टी नही लेता हूँ वैसे मुझे 1 महीने का अवकाश तो मिल ही सकता है लेकिन 3 महीने तो नहीं। चलो फिर मैं राज़ को उसकी नानी के पास छोड़ कर उसी रात वापस आ जाउँगा। सरिता ये बात सुनकर बहुत खुश होती है। वो अपने पति के गले मे बाहें डाल कर उसे एक चुम्बन दे देती है। गिरधारी सरिता का चुम्बन पाकर सरिता से बोलता है। लगता है आज काफी टाइम बाद पलंग तोड़ना पड़ेगा। गिरधारी की ये बात सुन कर सरिता इशशशशश करके शर्मा जाती है और वह से किचन में चली जाती है।
रात को खाने के टाइम गिरधारी बेटा राज़ तुम अपने कपड़े जमा लो एक बैग में हम लोग कल तुम्हारी नानी के पास जाएंगे। तभी रानी बोलती है पापा हमसे क्या कोई दुश्मनी है जो इस लाड़साब को ही पूछ रहे हो। रानी की ये बात सुन कर सोनिया हसने लगती है। और राज की माँ सोनिया के सर पर हल्के से मुस्कुराते हुए मारती है और कहती है चुप चाप खाना खाओ। टैब गिरधारी बोलता है बेटी राज़ तीन महीने अपनी नानी के पास रहेगा क्या तुम लोगों के पास इतना टाइम है?
रानी और सोनिया दोनों एक साथ बोलती है तीन महीने????
तभी राज खाने की टेबल से उठ कर जाने लगता है। तो सरिता पूछती है। क्या हुआ बेटा।
राज़:= कुछ नहीं मम्मी वो पाप ने बोला ना कपड़े जमाने को तो...
सरिता- बेटा वो तो ठीक है मगर तूने बताया नही की तू जाना चाहता है या नहीं।
तभी रानी बीच में बोलती है...
रानी- अरे मम्मी ये क्यों मना करेगा नानी इसे रोज रोज नई नई जादू और जादूगरों की कहानियां जो सुनाएंगी। ही ही ही
राज़- रानी की बात सुन कर मन ही मन खुश हो जाता है कि उसे ज़रूर नानी से नई जादू की कहानियां सुन ने को मिलेगी।
लेकिन रानी के मुह से जादू और कहानी की बात सुन कर गिरधारी और सरिता एक दूसरे की तरफ सीरियस होकर देखने लगतें है।
राज़ बिना कुछ बोले अपने कमरे मैं चला जाता है और अपना सामान पैक करने लगता है। रानी और सोनिया दोनों का कमरा एक ही था बस दोनों के पलंग अलग अलग लगे थे दोनों अपने अपने बिस्तर पर बैठ कर नावेल निकाल कर पढ़ने लगती है। बाहर गिरधारी सरिता से बोलता है।
गिरधारी- सरिता तुम अपनी मम्मी से अभी साफ साफ बोल दो फ़ोन पर की राज़ को कोई जादू वादु की बात ना सिखाये राज़ उनके पास तीन महीने रहने आ रहा है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे पिताजी जैसा कुछ मेरे बेटे के साथ हो। सरिता की आंखों में आंसू आ जाते है। सरिता पलट कर गिरधारी से ...
सरिता-क्यों क्या राज़ मेरा बेटा नही है मैंने पहले ही मम्मी को सब बोल दिया।
गिरधारी सरिता को रोता देख उसके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन सरिता बहुत दुखी थी उसने तुरंत गिरधारी का हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने कमरे में चाकी गयी। पीछे पीछे गिरधारी भी जाता है लेकिन सरिता गिरधारी के मुह पर दरवाजा बंद कर देती है और अंदर मुस्कुरा पड़ती है। बाहर गिरधारी भी मुस्कुरा पड़ता है। सारी रात गिरधारी सोफा पर लेटकर गुजार रहा था।
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RE: Hindi Porn Story द मैजिक मिरर
अपडेट - 3
राज़ और उसके पापा को घर से निकले अभी आधा घंटा भी नही हुआ था कि एक बार फिर से बारिश होने लगती है। इस बार सुबह से भी ज्यादा तेज... राज के पापा को लगता है कि ऐसी बारिश मैं आगे बढ़ना ठीक नही लेकिन अब यहां रुक भी तो नही सकते हम लोग शहर से बाहर आ गये है। राज़ के पापा अभी ये सब विचार कर ही रहे थे कि अचानक से बारिश कम हो जाती है। राज़ के पापा अपनी स्पीड बढ़ा लेते है। राज़ की नज़र खिड़की से बाहर की तरफ थी। जब अचानक से राज़ गाड़ी की स्पीड बढ़ते देखता है तो वो सामने नज़र करत है। राज़ एकदम से चोंक जाता है। फिर राज़ पीछे नज़र करता करता। पीछे की और देख कर तो राज़ और भी बुरी तरह से डर जाता है।
अब आगे.......
राज़: पापा?
गिरधारी: हम्म
राज़: पापा
गिरधारी अपनी स्पीड कम करते हुए
गिरधारी: क्या बात है बेटा?
राज़: पाप हमारी गाड़ी के सामने बारिश कम है और साइड में तो बहुत तेज है।
गिरधारी एक बार तो ये सुन कर चोंक जाता है लेकिन फिर अगले ही पल खुद को संभालते हुए,
गिरधारी: बेटा कई बार ऐसा होता है। कई बार तो पूरी दोपहर में जब धूप रहती है तब भी बारिश हो जाती है जिसे हम बिन बादल बरसात भी कहते है ।
राज़: लेकिन पापा हमारी गाड़ी के पीछे भी ऐसी ही बारिश हो रही है तेज।
गिरधारी खुद डरा हुआ था जब उसने ये मंज़र देखा तो अब गिरधारी और कुछ भी नही देखना चाहता था।
गिरधारी:तुम डरो मत बेटा मैं हूँ ना।
राज़ गिरधारी की बात सुनकर कुछ नहीं बोलता।
गिरधारी खुद इतना डर हुआ था कि उसके हाथ ड्राइविंग करते हुए काँप रहे थे।
राज़ समझ गया था कि उसकी पापा डर रहे है। राज़ ने जब अपनें पापा को डर से कांपते हुए देखा तो राज़ खुद डर के मारे कांपने लगा।
गिरधारी ने एक नज़र राज़ पर डाली तो राज़ को डर से कांप कर सिमटते हुए देखा।
गिरधारी इस बरसात के बारे में सोच रहा था। वो मन ही मन विचार कर रहा था की जिस तरह से सुबह बरसात का होना। हमारे निकलने के थोड़ा सा पहले आसमान बिल्कुल साफ और जब हम घर से थोड़ा दूर निकल आये तो फिर से बरसात। और अब ये बरसात सिर्फ हमारी कार पर हल्की हल्की हो रही बाकियों पर तो जैसे कहर बरस रहा हो। कहीं ये सब राज़ को वहां ले जाने के कारण तो नही हो रहा। नहीं नहीं राज़ तो अभी बच्चा है। उसका और इस मौसम का एक दूसरे से कोई लेना देना नही है पता नही मैं भी क्या सोचने लगे गया हूँ। लेकिन ये जो सब कुछ हो रहा है ये भी तो नार्मल नहीं है ना। ओह गॉड क्या करूँ मैं अकेला ऊपर से मेरे साथ मेरा मासूम बच्चा ठीक से डर भी जाहिर करूँ तो किस से करूँ।
इसी तरह डर डर कर गिरधारी पूरे 4- 4.5 घंटे की ड्राविंग के बाद राज़ की नानी के घर पहुंच गया। अपने सास के घर पहुंच कर राज़ के पापा काफी खुश थे ।
और अब बरसात भी हल्की हो गयी थी।
दिन के यही कोई 4 या 4.15 का समय होगा लेकिन बार8श के बादल अभी भी दे जिनके कारण ऐसा लग रहा था जैसे शाम के 7 बजे हो।
राज़ के पाप मुश्किल से 30 मिनट राज़ के पास उसकी नानी के घर रुके होंगे कि उन्होंने फिर से घर लौटने के लिए गाड़ी चालू की और चल दिये घर को।
राज़ अपनी नानी के पैर वगैरा छू कर आराम से खाट पर बैठ गया। हालांकि राज के लिए अपनी नानी का घर कोई नई बात तो नही थी लेकिन फिर भी अभी वो बच्चा ही तो है। कुछ दिन तो अटपटा लगेगा ही।
अभी राज को कोई 1.30 घंटा भी नही हुआ था कि कुछ बच्चे भागते हुए राज़ के सामने आ गए।
सभी बच्चे भाग कर राज़ की नानी के घर में छिप गए। उन सभी बच्चों के पीछे एक काले रंग का आदमी दौड़ता हुआ आ रहा था जिसके हाथ में एक हाथ बड़ा गन्ने का टुकड़ा भी था। जिसने सफेद मैली सी धोती और बाजू वाली बनियान पहन रखी थी, जिसके सामने की तरफ ठीक नाभि और सीने के बीच मे एक जेब बनी हुई थी, सर पर एक फटा पुराना गमछा साफे की तरह गोल बांध रखा था। पैरों कोई चप्पल नही थी।
बच्चे तो सभी भाग कर राज़ की नानी के मकान मैं छिप गये लेकिन राज़ वहीं खड़ा रहा। उस आदमी ने आते ही राज का गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ लिया। उसके इतना करते ही राज़ की नानी आ गयी।
नानी: ऐsssssss धनिया खबरदार जो मेरे नाती को हाथ भी लगाया तो तेरा हाथ उखाड़ लुंगी।
उस आदमी ने नानी की आवाज सुनते ही राज़ का कॉलर छोड़ दिया और नानी से बोला।
धनिया: पाय लागू काकी
नानी अपने हाथ में लस्सी के 2 गिलास लेकर आयी थी उसमें से एक राज़ को देते हुए,
नानी: जीता रह, ये बता तूने मेरे नाती पे हाथ कैसे डाला रे?
धनिया एक नज़र राज़ को देखते हुए
धनिया: अरे माफ कर दो काकी, ये अपने गांव के बच्चे है ना वो मेरे गन्ने के खेत से गन्ने चुरा कर ले आये बस उन्ही का पीछा कर रहा था कि आपके नाती हमारे हाथ लग गए।
नानी: अरे रे रे कलमुहे तू नन्ही जानों के पीछे पड़ा था। अरे थोड़े से गन्ने ले भी लिए तो तेरा क्या जाता है। बचपन है थोड़ी बहुत शरारत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे।
धनिया: थोड़ी बहुत ? अरी काकी पूरी एक क्यारी उखाड़ दिए। हमसे मांग लेते तो क्या हम मना करते?
अभी धनिया ने इतना ही कहा था कि बच्चे भी नानी के मकान से बाहर निकल कर आ गये।
उन बच्चों में से एक बच्चा जिसे सब छोटू कह कर बुलाते थे बीच में बोल पड़ा।
छोटू: झूंट बोलता है धनिया काकी, हम गन्ने मांगते है तो ये काटने को दौड़ता है । इसके पास वो फरषे जैसा कुछ है उससे हमारी नुन्नी काटने को बोलता है।
छोटू ने अभी इतना ही बोल था कि धनिया
धनिया: यही है काकी ये इधर आकर छिप गया था, अब बोल अब कहाँ जाएगा।
छोटू ने जब धनिया की ये बात सुनी तो उसे एहसास हुआ कि भावनाओं में बह कर वो सबके सामने आ गया। छोटू ने जीभ अपने दांतों के नीचे दबा कर और सर पर हाथ रख कर बोला।
छोटू: ओह तेरी मर गया अब तो
धनिया छोटू के पीछे और छोटू नानी के चारों और घूम कर नानी से बोल रहा था काकी हमे बचा लो धनिया से , ये हमारी मासूम नुन्नी काट देगा।
राज़ जब छोटू की बेवकूफी भरी बात सुनता है और हरकत देखता है तो खिलखिला कर हसने लगता है। राज़ को हंसता देख राज की नानी बहुत खुश होती है।
राज और नानी दोनों खुश थे कि धनिया ने छोटू को पकड़ लिया और छोटू का कान खींचने लगा।
नानी: ओ धनिया जाने दे बच्चा है। अरे सुन छोटू तू राज को यहाँ आस पास घुमा ला इसका मन लग जायेगा।
धनिया राज की नानी की बात सुनकर तुरंत छोटू को छोड देता है। और छोटू नानी को हां बोल कर राज को घुमाने ले जाता है जहां राज और छोटू मैं दोस्ती हो जाती है।
वही दूसरी और धनिया और नानी कोई 30-40 मिनट बात चीत करते है फिर धनिया अपने खेतों की तरफ चल देता है।
छोटू और राज भी कोई 1 घंटे बाद घर पहुंच जाते है। छोटू राज को कल आने का वादा करके चला जाता है। और राज भी नानी के पास चला जाता है।
राज बहुत खुश लग रहा था। आज राज ने अपनी ज़िन्दगी का पहला दोस्त बनाया था। छोटू... बहुत ही भोला भाला और डरपोक भी।
नानी भी राज को खुश देख कर खुश होती है।
नानी राज का बिस्तर अपने पास ही लगा लेती है दोनों का कमरा तो एक था लेकिन बिस्तर अलग अलग खटिया पर था।
सोने से पहले नानी राज़ से इधर उधर की बातें और शहर की बाते पूछती है और राज सब बात रहा था। बातों ही बातों में राज ने रास्ते में जो बारिश की घटना हुई थी उसके बारे में नानी को बता दिया। नानी ये बात सुन कर झट से बिस्तर पर बैठ गयी।
नानी ने राज से बारिश की और घर से रवाना होने की सारी घटनाएं राज से जानी। नानी अजीब सी चिंता मैं डूब गई थी।
राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था। लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।
नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।
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RE: Hindi Porn Story द मैजिक मिरर
अपडेट - 4
राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था। लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।
नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।
अब आगे....
राज: नानी, ओ नानी, सो गई क्या।
नानी अचानक से अपने ख़्यालों की दुनिया से बाहर निकल कर..
नानी: हम्म हाँ हाँ बेटा क्या हुआ?
राज: नानी दीदी बोल रही थी कि आपको बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। सुनाओ ना कोई अच्छी सी कहानी।
नानी को अपनी बेटी की बात याद आती है कि राज को जादू वादु से दूर ही रखो। पर नानी सोचती है अगर ये सब घटनाएं सच है जो राज ने बताई है तो फिर राज को इन कहानियों से दूर रखना मुश्किल है वो खुद इसे चुन लेंगी। अगर ये भी भटक गया तो। नहीं नहीं मैं ऐसा नही होने दूँगी।
नानी अभी ये सब सोच ही रही थी कि राज फिर से बोल उठता है।
राज: क्या हुआ नानी कहाँ खो गयी। खुली आँखों से सो जाती हो क्या?
नानी अपने ख़्यालों से बाहर आ जाती है ।
नानी हंसते हुए राज को जवाब देती है।
नानी: नहीं नहीं बेटा सोई नही वो क्या है ना मेरे प्यारे लाल को मैं कोनसी अच्छी कहानी सुनाऊं बस यही सोच रही थी।
राज: खुश होते हुए बोलता है तो मिली क्या?,
नानी: हाँ मिल तो गयी लेकिन तुम्हे एक वादा करना होगा।
राज: कैसा वादा नानी?
नानी: ये वादा की तुम कभी भी दादा जी के उस झोपड़े मैं नहीं जाओगे। कभी भी नहीं, और भूल कर भी नही।
राज: कुछ देर सोच कर ठीक है नानी
नानी : ठीक है तो मैं तुम्हे कहानी सुनाऊँगी लेकिन एक बात पहले ही जान लो ये कहानी सिर्फ कहानी नही है हक़ीक़त है।
राज: ठीक है फिर तो और भी मज़ा आएगा।
नानी कहानी सुनाना शुरू करती है।
"कहानी नानी की जुबानी"
नानी कहानी शुरू करती है....
बहुत साल पहले एक राजा की पुत्री थी नेत्रा।
नेत्रा बहुत ही खूबसूरत और दयालु थी।
उसने कभी किसी का बुरा नही चाहा था ना ही कभी किसी को कोई दुःख दिया था।
नेत्रा हर वक़्त बस अपने राज्य के बारे में सोचती रहती थी। उसके पिता और पति दोनों युद्ध में मारे गए।
नेत्रा का पति और उसके पिता बहुत शूरवीर थे। उन दोनों ने अपनी सेना के साथ 45 राज्यों को हरा कर अपनी राज्य सीमा में समा लिया था।
नेत्रा का पति जब तलवार चलाता था तो ऐसा लगता था जैसे कहीं से बिजली गिर रही हो।
और जब नेत्रा का पिता तलवार चलाता था तो साँय साँय की तूफान जैसी आवाज गूंज उठती थी। नेत्रा ने अपने पिता और पति से सभी कलाओं का ज्ञान ले लिया था।
नेत्रा तलवार बाजी, घुड़सवारी, धुनुर्विद्या, कूटनीति, राजनीति जैसी सभी विद्याओं मैं निपुण हो गयी थी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी किसी ने राजा जी को बताया कि किसी गैर मुल्की रियासत का राजा हमारे राज्य की और चढ़ाई कर रहा है। राजा को जब ये बात पता चली तो उन्होंने अपनी सेना तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन केवल 35000 सैनिकों से क्या हो सकता था। क्यों कि कुछ 10 दिन पहले ही युद्ध से उनकी सेना लौटी थी तो काफी सैनिक तो घायल थे और काफी मार गए थे। और जो बचे हुए थे वो अभी अभी लंबे युद्ध से थक कर आये थे। शायद इसी बात का फायदा उठा कर दुश्मन राजा उनके राज्य पर चढ़ाई कर रहा था।
उस दुश्मन राजा का नाम था भैरव,
कुछ दूसरे राज्य के राजा भैरव को यमदूत बोलते थे तो कुछ काली मौत। काली मौत से उनका मतलब था ऐसी मौत जिसकी चपेट में आने से एक बार तो मौत को भी सोचना पड़ जाए। महा जालिम, वीर और बलशाली लेकिन पापी और अधर्मी।
भैरव को किसी सैनिक से पता चला कि राजा जी के कोई भी राजकुमार नही है बस एक राजकुमारी है। और वो राज कुमारी बहुत सुंदर है। उसका विवाह हुए अभी कोई दो वर्ष ही हुए हैं। बस भैरव केवल राजकुमारी से विवाह करने की कामना के साथ राज्य पर चढ़ाई कर दी।
राजा जी ने कैसे जैसे करके सारी सेना इक्कठी की और भैरव के सामने अपने दामाद के साथ जाकर खड़े हो गए। भैरव एक बार शांति वार्ता के लिए रात को एक सभा का आयोजन किया। उस सभा में भैरव ने राजा को अपनी इच्छा बताई की वो राज कुमारी से विवाह का इछुक है। उसे युद्ध में कोई रुचि नही है।
नानी ने कहानी बताते हुए सारी अभद्र बातें जो भैरव ने कही थी सब छिपा कर साफ सुथरी बातें राज को बताने लगी।
जब राजा जी को पता चला कि भैरव की नज़र उनकी एकलौती बेटी पर है तो वो तुरंत शांति सभा को भंग कर के वहां से निकल गए और सुबह युद्ध आरम्भ करने की चेतावनी भी भैरव को दे गए। राजा जी के साथ नेत्रा का पति भी अपनी आंखों में अंगारे भरे हुए चला गया।
भैरव राजा के इस प्रकार के व्यवहार से बुरी तरह से गुस्सा होकर पागलो की तरह राजा को मारने की इच्छा करने लगा। भैरव सुबह का इस प्रकार से इंतजार कर रहा था जैसे भूखा शेर अपने शिकार का इंतजार कर रहा हो।
भैरव ने सुबह तक बिल्कुल भी आंख बंद नही की और ना ही नेत्रा के पति ने। दोनों बदले की आग में जल रहे थे। जब सुबह होने को हुई तो दोनों तरफ की सेनाएं एक दूसरे के सामने थी। ये निर्णय लिया गया कि सूर्य की पहली किरण के साथ ही युद्ध शुरू हो जाएगा। भैरव के पास सैन्य बल बहुत ज्यादा था। भैरव की पहली टुकड़ी ही डेड लाख सैनिकों की थी। जैसे ही सूर्य की पहली किरण युद्ध भूमि पर पड़ी भैरव ने अपने डेड लाख सैनिकों को आगे भेज दिया। इतनी बड़ी सेना को देख कर राजा को मुज़बूरन पूरी सेना भेजनी पड़ी। जब दूसरे प्रहर तक भी राजा के सैनिक युद्ध में डेट रहे और भैरव की सेना का मुकाबला करते रहे तो भैरव ने अपनी दूसरी सेना जो कि नब्बे हजार तीरंदाजों की थी को आगे कर दिया।
भैरव ने बिना सोचे समझे अपने तीरंदाजों को तीर चलाने का आदेश दे दिया। जब एक साथ नब्बे हजार तीर चले तो सूरज उन तीरों के पीछे चिप गया। राजा को इस बात का अंदाजा नही था कि भैरव इतनी बड़ी सेना के साथ हमला करेगा। क्योंकि भैरव की सेना की एक टुकड़ी तो भैरव के सैह खड़ी थी लेकिन दूसरी टुकड़ी और तीसरी टुकड़ी थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी थी जो साधारण तौर पर युद्ध भूमि पर देखी नही जा सकती थी। लेकिन जैसे ही भैरव का युद्ध का इशारा मिलता तो 10 मिनट में युद्ध भूमि में पहुंच जाती।
जब हजारों बाण सूरज को छिपाना छोड़ कर सेना पर बरसना शुरू हुए तो बस कुछ नही बचा राजा की सारी सेना मारी गयी। और वही दूसरी और भैरव की सेना भी अपनी ही तीरंदाजों के हाथों मारी गयी।
अब युद्ध भूमि में नेत्रा का पति ही बचा था वो भी बुरी तरह से घायल था। भैरव ने उसे बंधी बना लिया और युद्ध भूमि में एक गड्ढा बनवाकर उसका पूरा धड़ गाड़ दिया केवल सर बाहर रहने दिया। भैरव ने अपनी सेना को आदेश देकर दोनों सेनाओं के सैनिकों की लाश को एकत्रित कर के आग लगने का हुकुम सुना दिया हुआ भी यूँ ही बस भैरव ने राजा और नेत्रा के पति का राज मुकुट अपनी शरण में ले लिया।
जब सारी लाशें जल कर खाक हो गयी तो भैरव ने मरे हुए कुछ साँप नेत्रा के पति के आस पास और उसके शरीर पर डलवा दिए और वहां से थोड़ी दूरी बनवाकर एक तंबू मैं रहने लगा। तीन दिन तक नेत्रा का पति चिल्लाता रहा। क्यों कि आसमान में जो चील कौए थे वो उसके सर को नोच खा रहे थे। और भैरव उसकी चीखे सुन कर भी बेरहम बना रहा। जब नेत्रा के पति की सांस बैंड होगयी और चीखों का भी कोई शोर ना रहा तो भैरव रानी नेत्रा के पास चला गया।
भैरव नेत्रा का इंतजार करता रहा काफी समय बाद नेत्रा भैरव के सामने आयी।
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें बंद हो गयी। नेत्र का राज तिलक करके नेत्रा को उसके पिता और पति दोनों राज्यों का भार उसके कंधो पर राज्यों के मंत्रियों ने डाल दिया। नेत्रा ने भी नि:संकोच ये भार अपने कंधों पर उठाने की कसम खाली।
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें नेत्रा के राजमुकुट मैं जडे हीरों की चमक से बंद हो गयी थी। एक सफेद चांदी जैसी धातु से बना राजमुकुट जिसे आज हम लोग प्लेटिनम बोलते है। उस मुकुट मैं सफेद रंग के मोतियों से ग़ुलाब के फूल जैसी आकृति जड़ी हुई थी।
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01-10-2020, 11:47 AM,
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RE: Hindi Porn Story द मैजिक मिरर
अपडेट - 5
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें बंद हो गयी। नेत्र का राज तिलक करके नेत्रा को उसके पिता और पति दोनों राज्यों का भार उसके कंधो पर राज्यों के मंत्रियों ने डाल दिया। नेत्रा ने भी नि:संकोच ये भार अपने कंधों पर उठाने की कसम खाली।
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें नेत्रा के राजमुकुट मैं जडे हीरों की चमक से बंद हो गयी थी। एक सफेद चांदी जैसी धातु से बना राजमुकुट जिसे आज हम लोग प्लेटिनम बोलते है। उस मुकुट मैं सफेद रंग के मोतियों से ग़ुलाब के फूल जैसी आकृति जड़ी हुई थी।
अब आगे......
जब भैरव की नज़र मुकुट से नीचे नेत्रा के चेहरे पर नज़र पड़ी तो वो मंत्र मुगद्ध हो गया। नेत्रा के सुनहरे बाल , दूध जैसा सफेद गोरा रंग, हिरणी जैसे चाल और शेरनी जैसे तेवर। होंटों पर हल्की सी मुस्कान, आंखों में उदासी, ललाट पर एक भी चिंता की सलवट नहीं। सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे जिन पर स्वर्ण की बेहतरीन कारीगरी थी। वो स्वर्ण की कारीगरी नेत्रा के कंधों से लेकर हाथों और वक्षों(स्तन) तक हो रखी थी। नेत्रा के हाथ की उंगली पर एक बाज़ बैठा हुआ था।
जिस निडरता से नेत्रा भैरव के सामने आ रही थी भैंरव एक टक नेत्रा को देखता रहा।
भैरव नेत्रा को देख कर मन ही मन सोच में पड़ गया कि आखिर ये किस मिट्टी की बनी है। इसमें इतना साहस और बहादुरी कैसे? भैरव अब और अधिक नेत्रा से प्रेम करने लगा।
जैसे ही नेत्र भैरव के सामने आयी भैरव के हाथों से दोनों राजमुकुट जो नेत्रा के पति और पिता के थे छूट कर नीचे गिर गए। भैरव अपने घुटनों पर बैठ गया और नेत्रा के सामने अपनी गर्दन झुका दिया।
नेत्रा भैरव के सामने आकर खड़ी हो हो गयी।
भैरव: राजकुमारी जी...
नेत्रा भैरव की बात को काट कर...
नेत्रा: अब हम यहां की महारानी है भैरव।
भैरव: माफ कीजिये महारानी जी, हमने युद्ध में आपके पिता और पति दोनों को पराजित कर के वद्ध कर दिया।
कुछ देर की खामोशी के बाद...
नेत्रा: क्या हमारे पिता जी और पति दोनों कायरों की भांति युद्ध भूमि से भागने की कोशिश कर रहे थे?
भैरव ऊपर गर्दन उठा कर नेत्रा के चेहरे की तरफ देखता है।
भैरव: जी नही महारानी जी, वो तो बहादुरी के साथ अपनी छोटी सी सेना लेकर मेरे तीन लाख सैनिकों से युद्ध करने पर अड़े रहे और उन्होंने युद्ध में वीर गति को प्राप्त की।
नेत्रा: अगर ऐसा है तो फिर आप हमें ये सब इस तरह लज्जा से क्यों सुना रहे है। ये सब गाथाएं तो महानता की है जिन्हें जोश से सुनाया जाना चाहिये।
भैरव ऊपर नेत्रा की तरफ देख कर रोने लग जाता है। भैरव की आंखों में आंसू देख कर नेत्रा भैरव को खड़ा करती है।
नेत्रा: भैरव आपने युद्ध पूरी बहादुरी और ईमानदारी से जीता है फिर आपको शर्मिंदा नही होना चाहिए। किन्तु आप सिर्फ युद्ध मैं विजयी हुए हमारा राज्य अभी तक जीता नहीं है। अगर आप हमारा राज्य चाहते है तो आपको हमसे युद्ध करना होगा।
भैरव एक टक नेत्रा की और देखने लगता है।
नेत्रा: हमारा अभी अभी राज तिलक हुआ है और हम हमारे राज्य को यूँही आपके हवाले नही कर सकते।
भैरव: नही नही महारानी जी वो...
नेत्रा: वैसे इस युद्ध की वजह क्या थी भैरव और आपका यहां आने का कारण।
भैरव नीचे गर्दन करके....
भैरव: हमने आपकी खूबसूरती के चर्चे सुने थे जिन्हें जानकर हमे आपसे महोब्बत हो गयी। आपको प्राप्त करने की इच्छा हमने आपके पिता और और पति को शांति सभा में बताई लेकिन उन्होंने हमारा तिरिस्कार कर दिया जिसके बाद युद्ध ही एक मात्र उपाय बचा था। हम यहां हमारी विजय के अहंकार मैं आये थी कि हम आपको ये सब बता कर अपने वश में कर लेंगे किन्तु....
नेत्रा: किन्तु क्या भैरव?
भैरव: हमे माफ कर दीजिए। प्रेम प्रेम से जीता जा सकता है युद्ध से नही ये हमे आपसे हुई इस भेंट के बाद समझ आया है।
नेत्रा अब थोड़ी भावुक हो गयी थी।
नेत्रा: क्या आपको ये नही पता था कि हमारा विवाह हो चुका था। अगर पता था उसके बाद भी आपने ऐसी कामना की है तो ये आपका अपराध है। आप हमे किसी भी जीवन में प्रापत नही कर सकते।
भैरव: हमे माफ कीजिये महारानी हमे इस युद्ध के पश्चात जब आपको अभी देखा तो हमे एहसास हुआ कि हमने क्या कर दिया। जब तक आप हमें स्विकार नही करेंगी हम हम आपका इंतजार करेंगे। ऐसा कह कर भैरव वहां से चला गया।
आज पहली बार नेत्रा को अपनी खूबसूरती से नफरत हो रही थी।
एक भैरव के जाने के 2 दिन बाद नेत्रा के पास भैरव का एक समाचार आया।
भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।
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01-10-2020, 11:48 AM,
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RE: Hindi Porn Story द मैजिक मिरर
Quote:अपडेट - 7
तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।
वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।
अब आगे....
राज के पापा घर पहुंचे तो घर पर थोड़ा सा सुना-सुना महसूस हो रहा था। हालांकि राज घर पर होता है तब भी कुछ खास हंसी वाला माहौल नही होता। लेकिन गिरधारी को शायद राज को छोड़ कर आना अच्छा नही लग रहा था।
घर पहुँचते ही गिरधारी अपनी कमरे मैं चला गया। जहां पर गिरधारी की बीवी सरिता सो रही थी। घर का दरवाजा रानी ने खोला था। वो अभी भी पढ़ रही थी। जब गिरधारी ने डोर बेल बजायी तो दरवाजा खोलने आ गयी।
गिरधारी अपने कमरे मैं आकर अपने कपड़े बदलने लगा। रह रह कर गिरधारी को रास्ते में हुए मौसम के अजीब-ओ-गरीब बदलाव परेशान कर रहे थे। सारी रात गिरधारी करवट बदल-बदल कर काट दिया।
जब सुबह हुई तो गिरधारी की बीवी सरिता को उठते ही गिरधारी नज़र आता है। वो उसे गुड मोर्निंग विश करके फ्रेश होने चली जाती है।और मन ही मन सोचती है कितनी बेवकूफ हूँ पता नही ये रात को कब आये होंगे और मैं घोड़े बेच कर सो रही थी।
वहीं दूसरी और रानी उठती है। फ्रेश होकर एक जीन्स और ब्लैक कलर की बनियान पहनती है और सोनिया को उठाने उसके कमरे में चली जाती है। सोनिया के कमरे में हल्की लाइट थी और सोनिया बेसुध सो रही थी। रानी मुस्कुराती हुई सोनिया के कमरे की विंडो ओपन करती है जिस से सारे कमरे में लाइट हो जाती है। वो मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ती है सोनिया को उठाने। और सोनिया के बेड की तरफ चली जाती है।
जैसे ही रानी सोनिया के सामने जाती है सोनिया बेढंगे तरीके से सो रही थी। सोनिया एक टी-शर्ट और शार्ट पहन कर सो रही थी। सॉर्ट नीचे से ढीला था जिसमे से सोनिया की मखमली वर्जिन चूत नज़र आ रही थी। और ऊपर से उसके कच्चे टिकोरे।
रानी अपने सर के हाथ लगा बोलती पागल लड़की सोया तो ठीक से कर। वो तो अच्छा हुआ न तो राज घर में है और ना ही पाप कमरे में आये। इतना बड़बड़ा कर रानी सोनिया को उठाती है और कॉलेज के लिए रेडी होने को बोल देती हूं।
सोनिया थोड़े नखरे करके उठती है और अंगड़ाई लेकर वाशरूम चली जाती है।
वही गिरधारी सुबह रेडी होकर नाश्ता करता है और आफिस चला जाता है ।
रानी और सोनिया दोनों तैयार होकर नीचे आती है। सरिता दोनों को नाश्ता करवाकर खुद भी कर लेती है। रानी और सोनिया कॉलेज के लिए निकल जाती है और हमेशा की तरह सरिता अपने क्लिनिक मैं।
यही कोई एक हफ्ता बीता होगा गिरधारी, सरिता, रानी और सोनिया चारों को राज के बिना रहने की आदत धीरे-धीरे पड़ने लगी थी। अब उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी फिर से पटरी पर थी। हालांकि राज को सभी याद करते रहते थे। लेकिन अब राज के लिए की भी इतना परेशान नही था।
वहीं दूसरी और राज की आंखें सुबह 8 बजे खुलती है।
राज उठते ही अपनी नानी को देखने की कोशिश करता है लेकिन नानी तो वहाँ आस-पास भी नहीं थी। नानी सुबह जल्दी उठ कर अपना घर का काम करने लगी थी।
राज हाथ मुह धोकर फ्रेश हो आता है और सीधा नानी के पास बाहर चला जाता है। नानी राज को देख कर मुस्कुरा देती है। नानी लस्सी बना रही थी। नानी पास मैं रखे लस्सी का गिलास उठा कर राज की तरफ कर देती है। राज सबसे पहले नानी के पैर छू ता है और फिर लस्सी का गिलास पकड़ कर पीने लगता है।
अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि राज नानी को बार - बार कल वाले सवालों के बारे में पूछता और नानी उसे नहीं मालूम बोलकर टाल देती है।
राज फिर भी नानी को बार बार कहानियों को लेकर परेशान करता रहता है। बहुत परेशान होकर नानी राज को थोड़ा रुक कर कहानी सुनाने को बोलती है। राज बेसबरा होकर नानी से कहानी सुनाने का इंतजार कर रहा था। तभी नानी के घर में छोटू आ जाता है। छोटू जो कल ही राज से मिला था और आज राज का अच्छा दोस्त हो गया था।
नानी छोटू को देख कर बोलती है.......
नानी: अरे छोटू अच्छा हुआ जो तू आ गया। अब एक काम कर राज को बाहर घुमा ला ताकि ये मुझे कुछ काम कर लेने दे और मेरी जान छुटे। और हां उन आवारा लड़को के पास मत ले जाना।
छोटू: जी नानी (छोटू बहुत खुश था की अपने नए दोस्त के साथ गांव घूमने को लेकर तभी राज बीच में बोल पड़ता है)
राज: लेकिन नानी मैं तो अभी नहाया भी नहीं हूं।
छोटू: कोई बात नही भाई हम लोग नदी में नहा लेंगें।
नानी: हाँ ये भी ठीक रहेगा अगर इसे तैरना आता हो तो।
राज अब क्या बोलता। तभी नानी फिर से बोल पड़ती है।
नानी: राज तुझे तैरना तो आता है ना?
राज : हाँ नानी , मैं स्कूल में स्विमिंग कॉम्पिटिशन मैं हमेशा गोल्ड जीत ता हूँ।
नानी: अरे तैरने का पढ़ने से क्या काम,
राज नानी के इस सवाल से अपने सर पर हाथ लगा कर बोलता है।
राज: अरे नानी मैं तैरने के कॉम्पिटिशन मैं ही गोल्ड लाता हूँ।
नानी: वह ऐसा क्या तब तो बहुत अच्छा है (इतना बोल कर नानी हसने लगती है।)
नानी राज को छोटू के साथ नदी में नहाने के लिए और गांव घूमने के लिए भेज देती है। रास्ते में छोटू उसे खेतों से होते हुए शॉर्टकट रास्ते से ले जा रहा था।
पूरा गांव हरा भरा था। चारों और हरियाली का अदभुत नज़ारा था।
तभी छोटू को कुछ लड़के आवाज देते है। ये सभी छोटू के दोस्त थे। दोस्त क्या था छोटू ने इन सब से दोस्ती की नही बल्कि ज़बरदस्ती इन सब से दोस्ती करनी पड़ गयी।
बात ये है कि छोटू इतना ताकतवर नही था कि दूसरे लड़के जब उसे परेशान कर तो उनसे लड़ सके इस लिए ये लड़के छोटू की मदद करते है बदले में छोटू कभी खाने के लिए तो कभी कुछ पैसे अपने ही घर से चुरा चुरा कर इन लड़कों को दे देता हैं।
छोटू:- कालू, श्याम, मंगल अरे तुम लोग यहां कैसे?
कालू: अरे इसका बाप है ना साले ने हमको दम मारते देख लिया तो साला लठ लेकर दौड़ा दिया। हम कोनसा साले की बीवी बेटी की चुदाई कर रहे थे।
मंगल: किसी दिन साले की बीवी भी चोद देंगे।
फिर कालू और मंगल दोनों एक दूसरे को ताली देते हुए हसने लगते है।
तभी वहां से ट्यूबवैल से पानी भरकर चरी को अपनी कमर पर लगाये मंगल की बहन जाती हुई नजर आती है। वो कालू की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कुराती है। और वही श्याम भी उसे देख कर मुस्कुरा देता है। मंगल दोनों को मुस्कुराता देख कर पीछे मुड़ कर देखता है तो उसे अपनी बड़ी बहन नज़र आती है। मंगल भी अपनी बहन की आंखों में देख कर अपना लुंड सहलाने लगता है। जब मंगल की बहन की नज़र मंगल पर पड़ती है तो मंगल अपनी बहन की आंखों में देखते हुए अपने होंटों पर जीभ फिराता है। जिसे देख कर मंगल की बहन शर्मा जाती है और जल्दी जल्दी चलते हुए जाने लगती है।
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01-10-2020, 11:48 AM,
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RE: Hindi Porn Story द मैजिक मिरर
पडेट - 8
तभी वहां से ट्यूबवैल से पानी भरकर चरी को अपनी कमर पर लगाये मंगल की बहन जाती हुई नजर आती है। वो कालू की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कुराती है। और वही श्याम भी उसे देख कर मुस्कुरा देता है। मंगल दोनों को मुस्कुराता देख कर पीछे मुड़ कर देखता है तो उसे अपनी बड़ी बहन नज़र आती है। मंगल भी अपनी बहन की आंखों में देख कर अपना लुंड सहलाने लगता है। जब मंगल की बहन की नज़र मंगल पर पड़ती है तो मंगल अपनी बहन की आंखों में देखते हुए अपने होंटों पर जीभ फिराता है। जिसे देख कर मंगल की बहन शर्मा जाती है और जल्दी जल्दी चलते हुए जाने लगती है।
अब आगे......
वही दूसरी तरफ राज एक छोटी सी गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रहा था।
राज को ऐसा नही था कि गालियां मालूम नही थी बस वो ऐसे लड़को से अभी तक दूर रहता था जो जबरदस्ती का रॉब झाड़े।
राज: उसकी बीवी मतलब इसके पाप की बीवी, तो वो तो इसकी मम्मी हुई ना। 【श्याम की तरफ इशारा करते हुए)
कालू और मंगल दोनों राज की ये बात सुनकर एक दूसरे की तरफ देखने लगते है फिर जोर से ताली देकर हसने लगते है।
कालू: अरे छोटू कहाँ से पकड़ लाये इस नमूने को, इतनी सी बात के लिए इतना दिमाग लगा रहा है।
राज अपने लिए नमूना सुनकर सकपका जाता है। कालू मंगल और श्याम तीनो हट्टे कट्टे थे तो राज उनसे डायरेक्ट तो कुछ बोल नही सकता था इस लिए नीचे गर्दन करके छोटू का हाथ पकड़ लिया।
छोटू: यार कालू भाई ये राज भाई है इस से तमीज से बात कीजिये।
कालू: क्यों बे ये क्या कोई एस. पी है।
छोटू: एस. पी तो नहीं है लेकिन ये वो जादूगर बाबा थे ना उनका दोहिता है।
(पीछे की और इशारा करते हुए जैसे कुछ याद दिला रहा हो)
कालू, मंगल और श्याम छोटू की बात सुनकर एक दूसरे की तरफ देखने लगते है। फिर थोड़ा सा सीरियस होकर कालू बोलता है।
कालू: वो हमें माफ कर दो भाई। हम से गलती हो गयी।
राज: एक मिनट एक मिनट भाई ये अचानक से इतना बदलाव क्यों???
मंगल: क्यों कि हम तुम्हारे नाना जी की बहुत इज्जत करते हैं। हम क्या ये पूरा गांव उनकी बहुत इज्जत करता है। इसी लिए तो जहां से तुझे ये छोटू लाया है वहां पर जो काकी रहती है। हम उनकी भी बहुत इज्जत करते है।
राज: ठीक है लेकिन
कालू : अब क्या हुआ? ये लेकिन क्यों?
राज: तुम लोग...
राज ने अभी इतना ही कहा था कि पीछे से एक आदमी लठ लेकर दौड़ा चला आ रहा था और कालू , मंगल और श्याम को गालियां देते हुए अपने पास बुला रहा था, जिस तरह से वो बुला रहा था पक्का तीनों की गांड ठोकने के इरादे होंगे ये तो उस आदमी के रवैये को देख कर कोई भी बता सकता था।
मंगल : अरे भाग कालू , श्याम नही तो आज अपने लोडे लग जाएंगे। तीनों वहां से भागने लगते है।
जाते- जाते कालू राज की तरफ देखते हुए,
कालू: (दूर जाते हुए चिल्लाते हुए बोलता है) छोटू तू इसे भी नदी किनारे ले आ हम बाकी की बातें वहीं करेंगे।
छोटू को एक बार नानी की बातें याद आती है कि उन्होंने कालू और श्याम के आस पास भी राज को ले जाने से मना किया है और कालू है कि अगर नही ले गया तो मेरी बजा देगा।
राज: क्या सोच रहे हो छोटू चले अपन?
छोटू: अरे यार कहाँ चले ?
राज: नदी पर
छोटू : भूल गया नानी ने क्या कहा था कि राज को उन लोगो के पास मत ले जाना ये उन लोग वही थे तीनों...
राज थोड़ा हस्ते हुए अचानक से मुस्कुराते हुए।
राज: तो तुम मुझे उनके पास थोड़े ही ले जाओगे। तुम तो मुझे नदी में नहाने ले जाओगे अब वो हमसे पहले वही थे ये हमे कैसे पता होगा।
छोटू को राज की बात थोड़ी देर तो समझ नही आती लेकिन फिर समझते हुए अरे हाँ ये तो मैंने सोचा ही नही था।
छोटू और राज तीनो नदी की तरफ जाने लगते है।
छोटू और राज जब नदी के पास पहुंचते है तो देखते है कालू श्याम और मंगल तीनो मिलकर चिलम फूँक रहे है।
और फिर जब नदी की तरफ राज देखता है तो वहां की चारों और हरियाली की पड़ी चादर देख कर राज अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था। उसे ये हरियाली बड़ी मनभावन लग रही थी। उसे क्या जो कोई भी देखता वो इसकी और ज़रूर आकर्षित हो उठता।
राज कालू के पास जैसे ही पहुंचता है।
कालू: लेकिन क्या ? तू कुछ पूछना छह रहा था क्या?
राज: हाँ वो मैं (थोड़ा याद करते हुए) हाँ याद आया तुम लोग मेरे नानाजी की इतनी इज्जत क्यों करते हो?
कालू अपने कपड़े उतारते हुए चलो रे नदी में नहाते हुए बात करेंगे।
कालू के इतना बोलते ही सभी ने अपने कपड़े उतार दिए और नदी में घुस गए नहाने ।
अंदर से छोटू राज को आवाज देता है ।
छोटू: आजाओ भाई जल्दी आजाओ फिर बात भी करलेना टैब तक गांव की इस नदी का मज़ा लो।
छोटू इतना बोल कर नहाने लगा और बार बार डुबकियां लगाने लगा।
छोटू अब सोच में पड़ गया था कि वो नदी में कैसे जाए। छोटू के साथ जल्दी जल्दी के चक्कर में अपना अंडर वेयर बनियान तो लाना ही भूल गया था। अब कैसे नदी में जाता।
तभी मंगल को समझ आ जाता है की राज अपने कपड़े नही लाया इस लिए इतना परेशान हो रहा है।
मंगल धीरे धीरे तैरता हुआ राज के पास जाता है और उसे होले से कान में कुछ बोलता है । राज मंगल की बात सुनकर मुस्कुरा देता है।
दरअसल मंगल राज को बोलता है कि इस नदी मैं अभी केवल हम दोस्त ही है तो तुम चुप चाप वहाँ पीछे उस चट्टान के पीछे जाओ और कपड़े उतार कर वही से पानी में घुस जाना किसी को भी पता नही चलेगा।
जाते हुए मंगल राज को आंख मार देता है और वहां से अंडरवाटर स्वीमिंग करते हुए कालू श्याम और छोटू के पास चला जाता है एक दम पानी के नीचे नीचे।
कालू: क्या हुआ रे। क्या बोलने गया था तू भाई को कहीं डरा तो नही रहा था ना उसे।
मंगल: नही नही भाई वो.... (मंगल सारी बात कालू को बता देता है)
कालू मंगल और श्याम की तरफ देख कर मुस्कुरा देता है।
राज चट्टान के पीछे जाकर चारों तरफ देखता है तो वहां उसे प्रकृति की खूबसूरती के अलावा कुछ और नज़र नही आता। पूरी तरह से सन्तुष्ट होने के बाद राज कपड़े उतारने का निश्चय करता है।
करीब 5 मिनट बाद राज चट्टान के पीछे जा कर अपने कपड़े उतार देता है
और जल्द से जल्द नदी में उतार जाता है। राज जैसे ही नदी में उतरता है नदी के थडण्डे पानी से एक बार तो राज के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ जाती है। राज के रोयें खड़े हो जाते है। राज धीरे धीरे तैर कर बाकी लोगों के पास पहुंचता है।
कालू: अरे वाह तुझे तो तैरना भी आता है।
राज होल से मुस्कुरा देता है।
तभी श्याम राज को छेड़ने के लिए नदी में एक डुबकी लगता है और राज को अपने कंधों मैं उठा कर हवा में उठा लेता है।
राज बुरी तरह से डर जाता है। लेकिन अब क्या कर सकता था । उसने श्याम को पानी मे जाते हुए भी तो नही देखा था।
जैसे ही राज हवा में होता है राज की टांगों के बीच में एक मूंगफली जैसे चमड़ी लटके हुए कालू की नज़र के सामने आ जाती है। अब ऐसी हंसी मजाक तो गांवों में सब करते है। राज तो फिर भी नदी में था बच्चे तो स्कूल में एक दूसरे की निक्कर उतार देते है।
कालू जैसे ही राज की नुनी देखता है तो उसकी भौहें तन जाती है।
तभी राज जोर से नदी में गिरता है । राज के नीचे नदी में गिरते ही पानी जोर से उछलता है और सभी दोस्तों पर पानी गिरता है।
श्याम की इस हरकत से तो छोटू की भी हंसी छूट जाती है। राज कैसे जैसे खुद को संभालता है और श्याम की तरफ गुस्से से देखने लगता है। श्याम हंसते हुए राज से माफी मांगता है।
श्याम: मुझे माफ़ कर दो यार। अब हम सब लोग दोस्त है तो थोड़ी बहुत मजाक तो चलती ही है।
तभी कालू बीच में बोल पड़ता है।
कालू: तुम सब अभी इसी वक्त अपनी-अपनी चड्डी उत्तरों...
कालू के ये बात सुनते ही तीनों चारों कालु की तरफ देखने लगते है।
इस बार कालू जोर से चिल्लाते हुए बोलता है।
कालू: सुना नही मैंने क्या कहा? या फिर तुम्हारे हथियारों को यही मछलियों को खिला दूँ।
कालू का गुस्सा बहुत तेज था। ये तो गांव वाले भी जानते थे कि कालू वैसे तो बहुत बदमाश है लेकिन गांव के लोगो के लिए कोई भी काम कर सकता है। बहुत दिलेर है और जो बोल् देता है बिना सोचे समझे कर भी देता है।
श्याम , मंगल और छोटू तीनो अपनी अपनी चड्डी उतार कर किनारे की तरफ फेंक देते है।
तभी कालु भी अपनी चड्डी उतार देता है।
राज कालू की तरफ देख रहा था।
राज अंदर से बहुत सहानुभूति जैसा महसूस कर रहा था। राज सोच रहा था कि श्याम के ऐसे घटिया मजाक के लिए कालू ये सब कर रहा है। मगर कालू अपनी चड्डी उतार कर किनारे की तरफ फेंक देता है और सभी से बोलता है कि उस चट्टान के पास चलो। उस चट्टान की इशारा करते हुए जहां से राज नंगा होकर नदी में कूदता है।
राज और बाकी सब बिना सवाल जवाब किये उस चट्टान की और तैरते हुए चक देते है।
कालू मंगल की और देख कर बाहर निकलने का इशारा करता है।
अब मंगल को भी कुछ कुछ समझ आने लगा था।
मंगल बिना डरे नदी से बाहर निकल कर चट्टान पर बैठ जाता है। तभी श्याम और छोटू की तरफ देख कर कालू बोलता है।
कालू: अब तुम लोगो को क्या अलग से बोलू।
श्याम और छोटू भी बाहर निकल जाते है। बाहर निकलते ही दोनों अपनी नुनियाँ अपने हाथों से छिपा लेते है।
कालू भी नदी से बाहर निकलता है और राज को बाहर आने के लिए बोलता है।
राज शर्म से पानी पानी हो जाता है लेकिन बाहर नही निकलता।
कालू: गुस्से से देख राज तेरे नाना जी की मैं इज्जत करता हूँ और मैं तेरे से बड़ा भी हूँ तो मेरी इज्जत तुझे करनी चाहिए। बिना बिना आनाकानी के बाहर निकल आए वरना हम मैं से कोई भी तुझसे कभी भी बात नहीं करेगा। और तू ज़िन्दगी भर के लिए ना मर्द बनकर घूमेगा।
राज को कालू की बाकी किसी बात पर गुस्सा नही आता लेकिन ना मर्द वाली बात पर राज को गुस्सा आ जाता है।
अब राज गुस्से में होने के कारण बेशर्मों की तरह पानी से चलता हुआ बाहर निकल कर आ जाता है। श्याम छोटू और मंगल की कालू के साथ नज़र राज की छोटी सी नुनी पर पड़ती है।
कालू:चलो एक आखिरी छलांग लगातई है अपनी दोस्ती के नाम..
सभी दोस्त खड़े होकर नदी में छलांग लगा देते है।
जब सभी नदी से बाहर निकलते है तो कालू राज से कहता है...
कालू: हम सब की नुनियाँ देख राज । जब मैंने तुझे हवा में देखा तो तेरी नुनी को देख कर मेरे दिमाग खराब हो गया। हम दोस्तों में तेरी नुनी इतनी छोटी क्यों।
राज: बेवकूफ मैं तुम सब से छोटा भी तो हूँ।
तभी छोटू बीच मे बोल पड़ता है
छोटू: राज भाई तुमसे छोटा तो मैं हूँ वो भी पूरा 1 या 1.6 साल।
ऐसा बोल कर छोटू अपनई नुनी दिखाता है।राज देख कर चौंक जाता है।
छोटू की नुनी 4.5 इंच बड़ी और 2.5 से 7 इंच के करीब मोती थी। सीधे शब्दों में कहूँ तो कुछ लोगों के ळंड के साइज़ की थी।
राज नीचे झुक कर अपनी नुनी को देखता है तो सच में शर्मिंदा होकर रोने वाला मुह बना लेता है।
कालू: राज के कंधों पर हाथ रखते हुए। तू हमारा दोस्त है भाई तू टेंशन मत ले। कपड़े पहन और चल मेरे साथ।
राज और बाकी सब की कालू के साथ साथ कपड़े पहन लेते है। और कालू के पीछे पीछे चल देते है।
कालू बाकी सब को एक झोपड़े के पीछे की तरफ ले जाता है। छोटू देख कर समझ जाता है कि वो कहाँ छोटू ही क्यों श्याम और मंगल भी जान जाते है कि कालू उन्हें कहा लेकर आया है लेकिन राज ज़रा देर से समझता है।
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