Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 03:29 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
दोनो मजबूर थे,,कुछ नही कर सकते थे,,,,एक माँ को अपने ही बच्चे की भुआ बनके रहना
पड़ रहा था और अशोक हर बार ऐसा बोलता कि बस कुछ दिन की बात है बस कुछ दिन की बात
है तो गीता भी अशोक का यकीन कर लेती,,,,,सरिता भी विशाल को अपने बच्चे जैसे प्यार
करती ,,,,हालाकी सरिता और गीता की बिल्कुल नही बनती लेकिन सरिता विशाल को बहुत प्यार
करती थी,,,,इस बात से गीता को गुस्सा भी था,,,लेकिन वो कुछ कर नही सकती थी,,,


लेकिन फिर वो दिन आया जब सरिता पेट से हुई,,,,,सरिता पेट से हो गयी और घर का काम
करना मुश्किल हो गया ,,,,गीता भी उसकी कोई हेल्प नही करती थी इसलिए घर का काम करने
के लिए किशन लाल ने मुझे यहाँ भेज दिया,,,,,क्यूकी अगर रेखा को भेज देता तो फिर
हवस किसके साथ पूरी करता,,,,,,,



मैं अब सरिता की हेल्प करने शहर आ गया,,,,,लोगो ने पूछा तो बता दिया मैं सरिता का
भाई हूँ,,बस बन गया मैं विशाल का मामा वैसे भी गीता का बेटा था वो मेरा भांजा ही
लगता था,,,,,लेकिन लोगो की नज़र मे वो सरिता का बेटा था और मैं सरिता का भाई,,



मैं गाँव मे तो कुछ नही कर सका लेकिन शहर मे मुझे किशन लाल का डर नही था,मैं
किचन मे तो काम करता था साथ ही सरिता की हर काम मे हेल्प करता था,,सरिता और मेरी
खूब बनती थी,,,,,वैसे भी मैं गीता का भाई था इस लिए सरिता मेरा ज़्यादा ख्याल रखती
जिस से गीता को और भी ज़्यादा गुस्सा आता था सरिता पर,,,,और इन दोनो की दुश्मनी का फ़ायदा
मैं उठा रहा था और सरिता के ज़्यादा करीब जा रहा था,,,,फिर कुछ टाइम बाद सरिता को
बेटी हुई ,,,शोभा,,,,,,,,शोभा के होने के बाद अशोक ने सरिता को एक बच्चा देके उसका मन
खुश कर दिया था,,,,अपना काम पूरा कर लिया था,,,,इसलिए अब वो सरिता की तरफ ज़्यादा
ध्यान नही देता था और इस बात का फ़ायदा भी मुझे हुआ और मैं सरिता के करीब बहुत 
करीब हो गया और उसको वो सुख देने लगा जो अशोक नही दे पा रहा था वैसे भी मैने सोचा
कि ठाकुर से बदला नही लिया तो क्या हुआ उसकी बेटी सरिता ही सही,,,,


अब ये नोबत आ गयी थी कि सरिता मेरे साथ सोने लगी थी और गीता अशोक के साथ,,,अशोक
को भी सब पता था मेरे और सरिता के बारे मे ,,,,लेकिन वो मजबूर था गीता की वजह से
इसलिए उसने मुझे सरिता के करीब रहने दिया,,,,क्यूकी सरिता को भी वो सुख चाहिए थे
जो अशोक गीता को दे रहा था लेकिन गीता की वजह से वो वही सुख सरिता को नही दे 
सकता था इसलिए उसने मुझे उसकी कमी पूरी करने दी और सरिता को वो सुख देने दिया जो वो
खुद नही दे पा रहा था,,,,


फिर देखते ही देखते बच्चे बड़े होने लगे,,,,विशाल शुरू से ही गीता को भुआ और सरिता
को माँ कहता था और शोभा भी गीता को भुआ सरिता को माँ और मुझे मामा कहने लगी थी


कुछ टाइम बाद वो खबर आई जब पता चला कि किशन लाल ने केवल की पत्नी सीमा का 
रेप कर दिया ,,,,और जब केवल को पता चला कि सीमा की कोख से पैदा हुए बच्चे उसके नही
उसके बाप की संतान है तो वो उनको किशन लाल के पास गाँव छोड़ गया,,,,


सरिता को जब पता चला इस सब के बारे मे तो सरिता और मैं कुछ दिन के लिए गाँव चले 
गये ,,,सरिता तुम बच्चों को(सोनिया और सन्नी) गाँव की गंदगी मे किशन लाल के पास नही
रहने देना चाहती थी इसलिए हम लोग हमारे घर मे रहे जो घर रेखा का था,,,हम लोग
करीब 1-2 साल उसी घर मे रहे और फिर बच्चों को लेके वापिस शहर आ गये ताकि किसी को
शक ना हो,,,,लोग यही समझने लगे थे कि तुम दोनो भी सरिता के बच्चे हो लेकिन जब
लोगो मे तरह तरह की बातें होने लगी और बच्चे बड़े होने लगे तो अशोक को डर था कहीं
बच्चे कुछ पूछ ना ले,,,इसलिए अशोक ने वो घर छोड़ दिया और हम लोग दूसरे मुहल्ले मे
चले गये,,,,,लेकिन अब तक शोभा और विशाल कुछ बड़े हो गये थे वो लोग गीता को भुआ 
और मुझे मामा ही कहने लगे थे और उनकी नज़र मे सरिता उनकी माँ थी,,,


फिर तुम लोग बड़े होते गये और यही रिश्ता बनता गया हम सबका,,,,विशाल अशोक और गीता का
बेटा था जबकि उसकी नज़र मे गीता उसकी भुआ थी और सरिता उसकी माँ,,,,,,इधर शोभा की
नज़र मे भी अशोक उसका बाप और सरिता उसकी माँ थी इसलिए गीता को उसकी भी भुआ बनना
पड़ा,,,,वैसे भी सरिता से बदला लेने के लिए गीता शोभा को बहुत प्यार करती थी,,,और हर
टाइम उसको अपने साथ रखती थी,,,,,जैसे विशाल का प्यार सरिता के साथ ज़्यादा था वैसे ही
शोभा का ज़्यादा प्यार गीता के साथ था,,,,लेकिन तुम दोनो को हर किसी का बराबर प्यार मिला
था,,,,क्यूकी तुम्हारा किसी से खून का रिश्ता नही था,,तुम दोनो से किसी की लड़ाई नही
थी,,,,तुमको जितना प्यार सरिता से मिला उतना ही गीता से मिला,,,,,तुम बच्चे बड़े होने लगे
थे और मेरा शैतानी डेमाग अपनी गंदी सोच को अंजाम देने के बारे मे सोचने लगा था
,,,,,




मैं चाहता था कि जैसे मेरे परिवार को आपस मे हवस की आग मे जलाने का काम किया था
ठाकुर और किशन लाल ने मैं भी वैसे ही उनके परिवार को हवस की आग मे जला देना
चाहता था,,,,



हालाकी विशाल गीता का बेटा था लेकिन वो सरिता को अपनी माँ समझता था और मुझे भी अपना
बदला लेना था इसलिए सरिता को चुदाई की बुरी आदत लगा कर इसको अजीब अजीब शॉंक पैदा
कर दिए मैने इसके दिल मे जिस से ये विशाल से चुदवाने को तैयार हो गयी थी,,,,गीता ने
मुझे रोका भी था लेकिन मैं नही रुका,,,,,मैं तो चाहता था कि गीता भी मेरा साथ दे
और अशोक को शोभा के करीब करके लेकिन गीता ने मेरी बात नही मानी और फिर मैने अपना
शैतानी दिमाग़ चलाया और अशोक से ऐसी ऐसी बातें करने लगा कि अशोक का नज़रिया ही 
बदल गया शोभा को देखने का,,,,,,और जब उसने विशाल को सरिता के साथ देख लिया तो
उसके दिल मे भी आग लग गयी शोभा के साथ सेक्स करने की,,,,,गीता भी मजबूर हो गयी ,अब
गीता मेरे शैतानी प्लान के बारे मे अशोक को कुछ नही बता सकती थी क्यूकी मैं उसका
भाई था वो अशोक को मेरे बारे मे सच बता कर मुझे नुकसान नही पहुचाना चाहती थी
इसलिए मजबूर होके उसने भी शोभा को अशोक के करीब कर दिया,,,,,


मैं अपने प्लान मे कामयाब हो गया था,,,,मैने भी इस परिवार मे हवस की आग लगा दी थी


अब बारी थी तेरी,,,,,तुझे भी मैं इस खेल मे शामिल करना चाहता था लेकिन तू तो पहले
से खेल मे शामिल होने के बारे मे सोच रहा था,,,,तेरे पर ज़्यादा मेहनत ही नही करनी
पड़ी मुझे,,,,,बस सोनिया पर करनी थी मेहनत,,,लेकिन जब अशोक का ध्यान जाने लगा सोनिया 
की तरफ तो उसने गीता को बोला और गीता ने कोशिश की सोनिया के करीब जाने की तो सब 
कुछ उल्टा ही हो गया,,,,

फिर मैने भी कभी कोशिश नही की इसके करीब जाने की,,,,,हालाकी मैं चाहता था ये
भी इस सब हवस के खेल मे शामिल हो जाए ,,,,,,मैं बदले की आग मे जल रहा था


लेकिन अब रेखा की शादी पर जब इतनी बड़ी हवेली सरिता ने गिफ्ट मे रेखा को दे दी तो 
मेरे से रहा नही गया,,,,मेरी बहन जो अब तक ठाकुर की नोकरानि थी ,,किशन लाल की
नोकरानी थी अब वही एक हवेली की मालकिन बन गयी थी,,,,ये सब देखकर मेरा दिल पसीज
गया और मैने सरिता को सब कुछ बता दिया और अशोक को भी,,,,,इसलिए अशोक ने उस दिन 
मुझे हवेली मे मारा था,,,,,





तभी अशोक बोला,,,,,,हां बेटा यही वजह थी कि मैने सुरेंदर को मारा था,,लेकिन फिर 
मैने सोचा कि इसमे इसकी क्या ग़लती,,ये तो बदले की आग मे जल रहा था ,,ग़लती तो हम
लोगो की थी मेरी थी,,,कि मैं भी हवस मे इतना अँधा हो गया कि अपनी ही बेटी पर गंदी
नज़र रखने लगा अपनी ही बेटी के साथ हवस पूरी करने लगा,,,जितना कसूर सुरेंदर का
है उतना ही कसूर हम सब लोगो का है,,,,पहले सब बुरा लगता था लेकिन फिर तो आदत सी
हो गयी थी,,,,,लेकिन जब सुरेंदर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया तो हम सब की आँखें भी
खुल गयी और उस दिन से वो हवस का गंदा खेल ही बंद कर दिया हम लोगो ने,,,,


विशाल को भी सब बता दिया इसलिए वो बाहर देश चला गया,,,वो इस सब गंदगी से दूर
जाना चाहता है ,,,सब कुछ भूल जाना चाहता है,,,,

शोभा की शादी भी जल्दी जल्दी मे इसलिए की है ताकि वो भी इस सब से दूर चली जाए और
एक नयी ज़िंदगी शुरू करे,,,,,


वो लोग तो अपनी नयी जिंदगी की तरफ चले गये लेकिन तुम ,,,तुम सन्नी बेटा फिर से उसी 
हवस की तरफ जा रहे हो,,,,,
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12-21-2018, 03:29 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं कुछ देर चुप रहा फिर बोला,,,,,,,,नही डॅड ,,मेरे दिल मे सोनिया के लिए हवस नही
प्यार है,,,,मैं उस से शादी करना चाहता हूँ और ये बात इसलिए नही बता रहा कि आप
मेरा परिवार हो और आप मेरा साथ दोगे मैं तो इसलिए बता रहा हूँ कि मैं इसके साथ शादी
करने वाला हूँ,,,,,इसको पत्नी बना कर लोगो के सामने लेके जाने वाला हूँ,,,मुझे फ़र्क 
नही पड़ता कोई क्या सोचता है,,,,,ये मेरी बहन है तो इसमे मेरी क्या ग़लती,,,लेकिन अब मैं
इसको अपनी बहन नही अपनी पत्नी बना कर रखना चाहता हूँ,,और उसके लिए मुझे आप सब 
के आशीर्वाद की ज़रूरत है,,,,आख़िर आप लोग मेरे माँ बाप हो,,,


लेकिन सन्नी मैं तो तेरी और कविता की शादी की बात सूरज के घर वालो से करने वाली हूँ
उसका क्या होगा बेटा,,,,,


तो करो ना बात मा,,,,मैने कॉन्सा बोला कि मैं सोनिया से शादी करूँगा और कविता से नही
करूँगा,,,,मैं इन दोनो से शादी करूँगा,,,,,,इस बात से ना तो कविता को कोई प्राब्लम
है और ना ही सोनिया को,,,,,,,

तभी माँ ने सोनिया की तरफ देखा तो सोनिया मे हां मे सर हिला दिया और माँ को बता दिया क्यों
उसको और कविता को कोई प्राब्लम नही है एक साथ सन्नी के साथ रहने मे,,,,



लेकिन तभी डॅड उठे और गुस्से से बोले,,,,,,,नही नही,,,ऐसा हरगिज़ नही हो सकता,,तेरी
शादी कविता से होगी ना कि सोनिया से,,,,सोनिया तेरी बहन है,,,,,और जितना जल्दी हो सके तू
ये बात अपने दिमाग़ मे बिठा ले,,,,,डॅड इतना सब कुछ गुस्से मे बोलते हुए अपने रूम मे 
चले गये,,,,,


माँ पीछे से आवाज़ लगाती हुई डॅड के पीछे चली गयी,,,,,,अशोक रूको ,,,,एक मिनिट उसकी
बात को सुन तो लो,,,,समझो तो सही वो क्या कह रहा है,,,,,


लेकिन डॅड नही रुके और अपने रूम मे चले गये पीछे पीछे माँ भी चली गयी और फिर रूम
का दरवाजा बंद हो गया,,,,


तभी सुरेंदर मामा भी मेरे पास आया,,,,,,बेटा जो हम सबसे हुआ वो ग़लती थी,,,,अब तुम
भी उस ग़लती को दोहराओ मत,,,,कुध सोच कर देखो वो तुम्हारी बहन है,,,लोग क्या कहेंगे
तुम लोगो के बारे मे,,,,,,,ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचो,,,,,,,,मामा ने भी इतना बोला और घर
से बाहर चला गया




तभी सोनिया मेरे पास आई रोने लगी,,,,,,,,,मैने बोला था ना,,,,मैने बोला था ना कि मत
बताओ सबको,,,,,मैने बोला था ना,,,,कोई हमारी बात नही समझेगा,,,कोई ह्मारा रिश्ता नही
समझेगा,,,कोई ह्मारा प्यार नही समझेगा,,,,,,,,,मैने बोला था,,,मैने बोला था सन्नी,,तू
क्यूँ नही माना मेरी बात,,,,,,क्यू नाराज़ कर दिया सब लोगो को,,,,,,,,क्यूँ किया सन्नी तूने
क्यूँ किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सोनिया रोति हुई उपर छत की तरफ भाग गयी और पीछे पीछे 
भुआ भी चली गयी,,,,,,,


मैं भी भुआ के पीछे उपर की तरफ चला गया,,,,सोनिया ने अपने रूम मे जाके दरवाजा अंदर
से बंद कर लिया था,,,भुआ बाहर खड़ी होके सोनिया को दरवाजा खोलने को बोल रही थी लेकिन
सोनिया अंदर से रोती हुई आवाज़ मे दरवाजा खोलने से मना कर रही थी और भुआ को वहाँ से
चले जाने को बोल रही थी,,,,,,

भुआ,,,,,,,सोनिया बेटी दरवाजा खोल ,,,बात तो कर मेरे से,,,,प्ल्ज़्ज़ बेटी दरवाजा खोल

सोनिया,,,,,,,नही भुआ मुझे किसी से कोई बात नही करनी,,,,,आप प्लज़्ज़्ज़ जाओ यहाँ से,,प्ल्ज़्ज़
भुआ मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो,,,,,


मैं भी भुआ के पास खड़ा हो गया और दरवाजे पर नॉक करने लगा,,,,सोनिया दरवाजा खोल
प्लज़्ज़्ज़्ज़ भुआ से ना सही मेरे से तो बात करले,,,,,


तेरे से तो अभी कभी बात नही करूँगी,,,तू भी जा यहाँ से,,,,चला जा मेरे से दूर ,,जा
चला जा ,,,,कभी करीब मत आना ,,,,,,सुना तूने सन्नी,,,,तुझे मेरी कसम कभी मेरे 
करीब मत आना,,,,,,


सोनिया ने इतनी बात बोली और फिर कोई आवाज़ नही आई उसके रूम से,,,मैने और भुआ ने बहुत 
कोशिश की दरवाजा खुलवाने की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ,,,,,


मैं फिर भी दरवाजे पर नॉक करता जा रहा था,,,,मुझे बेचैनी हो रही थी,,, मुझे
बात करनी थी सोनिया से,,,,




बस कर सन्नी,,,,वो दरवाजा नही खोलने वाली,,तुझे पता है वो ज़िद्दी है,,तू ज़िद्दी मत 
बन,,,,भूल जा सब कुछ,,,,



कैसे भूल जाऊ भुआ,,,प्यार किया है सोनिया से,,,,अब तो मरके ही भूल सकता हूँ उसको




चुप कर पागल कहीं का,,,,ऐसे नही बोलते,,,,,जानती हूँ तू प्यार करता है उसको,,और वो
भी प्यार करती है तुझे,,,,देखा है क्यों बार तुम दोनो की आँखों मे एक दूसरे के लिए प्यार
,,,तुम क्या समझते थे कि मुझे कुछ पता नही ,,,,तुम्हारी माँ नही हूँ मैं सन्नी लेकिन
फिर भी तुम दोनो के दिल की हर बात समझती हूँ,,,


तो तुम ही बताओ भुआ मैं क्या करूँ,,,,,,,,,मैं इतनी बात करके रोने लगा,,,



भुआ मेरे आँसू पोछते हुए बोली ,,,,,,,कुछ मत कर सन्नी,,ये इश्क़ का समंदर किसी आग
के समंदर जैसा है,,,,इसको पार करने क लिए इस मे डूब जाना पड़ता है तभी किनारा
मिलता है,,,,,,लेकिन इसमे डूबना इतना आसान नही जब तक सोनिया तेरे साथ नही,,,अकेला तू
तक जाएगा इसको पार करते हुए,,,,,इसलिए बोलती हूँ ,,,कुछ मत कर सन्नी,,,,भूल जा
जो कुछ भी आज हुआ,,,,,




नही भुआ,,,,मैं नही भूल सकता,,,मैं डूब जाने को तैयार हूँ इस आग के समंदर मे,
फिर चाहे जो भी हो जाए,,,,



तू समझता क्यूँ नही,,,,,वो तेरा साथ नही देगी कभी,,,वो अपने परिवार को रुसवा नही कर
सकती किसी भी हालत मे,,,,,इतना प्यार मिला है उसको इस परिवार मे तुझे क्या लगता है कि
तेरे प्यार की खातिर वो सबके प्यार को भुला देगी,,,,,तेरी वजह से वो सबको रुसवा कर देगी
,,,,,मेरी बात समझ सन्नी,,,,,भूल जा सोनिया को,,,,,



नही भुआ मैं नही भूल सकता,,,बड़ी मुश्किल से आज अपने प्यार का इज़हार किया है सबके
सामने अब नही भूल सकता,,,,,नही भूल सकता भुआ,,,,इतना बोलता हुआ मैं नीचे की तरफ
आ गया,,,,




सोनिया की उदासी से मैं थोड़ा उदास हो गया,,,,,,ये सब क्या कर दिया मैने,,सोनिया को अपने
करीब करना था लेकिन वो तो गुस्सा हो गयी,,,,,अब क्या करूँ मैं,,,,किसके पास जाउ,,किस
से दिल की बात करू,,,,,,,,,,,,यही सोचता हुआ मैं घर से निकला और कविता के घर चला
गया,,,,,,


क्यूकी अब कविता ही थी जो मेरे दिल की बात समझ सकती थी,,,,उसके पास जाके ही सकून
मिलेगा मुझे,,,,,,,,,,, 

अपने घर से रोता हुआ निकला और कविता के घर आ गया,,क्यूकी अब उसी के आगोश मे आके मुझे
चैन मिलना था,,,,,


कविता के घर की बेल बजाई तो कामिनी भाभी ने आके गेट खोला,,,,,जब भाभी ने मेरी
रोनी सूरत देखी तो अंदर चली गयी और कविता को बुला लाई,,,,,,


कविता ने बाहर आते ही मेरी हालत देखी और समझ गयी कि मैं उदास हूँ और भाग कर मेरे
गले लग गयी,,,,उसके गले लगते ही मेरे आँसू थम नही सके और मैने फूट फूट कर रोना
शुरू कर दिया,,,,,,,,



क्या हुआ रो क्यूँ रहा है,,,,,,,,क्या हुआ सन्नी,,,,कुछ तो बोल,,,,सन्नी बोल ना,,,,,क्या हुआ
क्यूँ मेरी जान निकल रहा है,,,,,,,,बोल ना ,,,,


मैं कुछ नही बोला बस रोता गया,,,,,,
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12-21-2018, 03:29 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कुछ देर बाद कविता ने मेरे आँसू सॉफ किए और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले गयी.,,,कामिनी
भाभी भी गेट बंद करके अंदर आ गयी,,,सूरज भी अंदर सोफे पर बैठा हुआ था और कामिनी
भी जाके सूरज के पास बैठ गयी,,,,,लेकिन कविता वहाँ नही रुकी और मेरा हाथ पकड़ कर
मुझे अपने रूम मे ले गयी और अंदर जाके दरवाजा बंद कर लिया,,,,



कविता ने मुझे बेड पर बिठा दिया और खुद भी मेरे पास आके बैठ गयी,,,,,


क्या हुआ सन्नी,,,,कुछ तो बोल,,,,,,झगड़ा हुआ क्या सोनिया के साथ,,,,घर पे कुछ हुआ क्या,,
कुछ बोल ना सन्नी,,,,देख मेरी जान निकल रही है,,,,ऐसे चुप मत रह,,,,,



फिर मैने बोलना शुरू किया और कविता को वो सब कुछ बता दिया जो भी आज घर मे हुआ,,जो
भी मामा ने बताया ,,,जो भी घर वालो का सच था,,,,



कविता कुछ देर चुप रही फिर बोली,,,,,,,मुझे माफ़ कर्दे सन्नी,,,मैने तुझे कुछ नही
बताया क्यूकी सोनिया ने मना किया था,,,


मैं उसकी बात से परेशान हो गया,,,,,क्या मतलब सोनिया ने मना किया था,,,,तुझे ये सब 
पता था क्या,,,,


हां सन्नी,,,,सोनिया ने मुझे बता दिया था,,,,,और सोनिया को ये सब बताया था गीता भुआ ने
,,,,,मैने तेरे से झूठ बोला था कि पुष्पा देवी ने सोनिया को सब कुछ बताया था तेरी माँ
सीमा के बारे मे ,,,लेकिन मैं ग़लत थी,,,,वो सब गीता ने बताया था सोनिया को,,,,जब गीता
ने भी सोनिया को उस हवस के खेल मे शामिल करने की बात की सोनिया से तो सोनिया ने उसको
मना कर दिया और कस कर थप्पड़ लगा दिया था ,,,,,इसी बात पर गीता ने सोनिया से माफी
भी माँगी और सोनिया को सब कुछ सच सच बता दिया,,,,


सोनिया तेरे से बचपन से प्यार करती थी वो भी हवस के खेल मे शामिल होना चाहती थी लेकिन
वो किसी और के साथ नही बस तेरे साथ हवस पूरी करना चाहती थी,,,,क्यूकी वो चाहती थी 
कि उसके जिस्म पर सिर्फ़ तेरा ही हक़ हो,,किसी और का नही,,,,वो तो खुद भी अपने जिस्म के साथ
कभी नही खेलती थी,,,


( तभी मुझे याद आया उस दिन जब सोनिया मुझे और कविता को सेक्स करते देख रही थी तब भी
वो चुप चाप से बस हम दोनो की तरफ देख ही रही थी कुछ कर नही रही थी ,,अपने जिस्म
को छू भी नही रही थी )



सोनिया को सब पता चल गया था,,,,तेरे और तेरे परिवार के बारे मे ,,,उस हवस के खेल के
बारे मे जो तुम सब मिलकर खेल रहे थे,,,,,,वो भी खेल मे शामिल होने का सोच रही थी
लेकिन जब उसको गीता से सब सच पता चल गया तो उसके कदम पीछे हटने लगे क्यूकी वो तेरी
सग़ी बहन थी,,,,


उसकी सोच थी कि शोभा तेरी सग़ी बहन नही है,,,हालाकी उसका और तेरा कोई ना कोई रिश्ता 
ज़रूर था क्यूकी वो अशोक और सरिता की बेटी थी,,,,,,गीता भी तेरी भुआ थी लेकिन फिर 
भी गीता और तेरा खून का रिश्ता नही था,,,,वैसे ही सरिता तेरी माँ ज़रूर थी लेकिन
फिर भी तेरा और सरिता का कोई रिश्ता नही था,,,,वो जानती थी कि सरिता ने तुम दोनो को
जनम नही दिया लेकिन फिर भी सरिता ने तुम दोनो को पल पोश कर बड़ा ज़रूर किया था
और जनम देने वाली माँ से पाल पोश कर बड़ा करने वाली माँ ज़्यादा बड़ी होती है लेकिन फिर
भी सोनिया सोचती थी कि सरिता और तेरा खून का रिश्ता नही है ,,तू जो भी उन लोगो के 
साथ करता था उन सबसे तेरा कोई रिश्ता नही था लेकिन सोनिया के साथ तेरा खून का रिश्ता
था,,,,,जैसे भी हो तूने और सोनिया ने एक ही माँ की कोख से जनम लिया था,,,वो तेरी सग़ी
बहन थी बस यही बात उसको तेरे पास आने से रोक रही थी,,,,वो चाह कर भी तेरे पास
नही आ सकती थी,,,,चाह कर भी तुझे हाँसिल नही कर सकती थी,,,


कविता की बात से अब मैं सब कुछ समझ गया क्यूँ सोनिया मेरे करीब आके भी मेरे से इतनी
दूर थी,,,क्यूँ वो मुझे हाँसिल करने से डरती थी,,,, क्यूकी वो मेरी सग़ी बहन थी,,हम
लोगो का अशोक और उसके परिवार से कोई रिश्ता नही था लेकिन फिर भी एक रिश्ता बन गया था 
हम लोगो मे,,,परिवार का रिश्ता,,,प्यार का रिश्ता,,,,उस परिवार ने हम दोनो को अपने परिवार
मे शामिल किया था ये बात सोनिया नही भूल सकती थी ,,उन लोगो ने हम दोनो को बहुत प्यार
दिया था ,,उस परिवार क प्यार की वजह से सोनिया अपने प्यार की क़ुर्बानी देने को तैयार हो गयी
थी,,,,,,,,,



तभी कविता का फोन बजने लगा,,,,,,,कविता ने ज़्यादा बात नही की फिर फोन बंद करके 
मेरे पास आ गयी बोली,,सोनिया का फोन था सन्नी,,,तेरी वजह से परेशान थी,,बोल रही थी
तू गुस्से मे घर से निकल गया है,,,,मैने उसको बता दिया कि तुम यहाँ हो मेरे पास,,



फिर कुछ देर हम दोनो मे से किसी ने कोई बात नही की,,रात हो चुकी थी लेकिन मेरा दिल
नही कर रहा था घर जाने को,,,,कविता ने खाना खाने को बोला लेकिन मुझे भूख न्ही
थी ,,,,कविता ने भी ज़्यादा ज़िद नही की उसको पता था इस हालत मे मैं खाना नही खाउन्गा


,,,,,फिर उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद मेरे साथ लेट गयी,,,,,,मैं अभी भी हल्के
'हल्के आँसू बहा रहा था,,,,,,वो मेरे पास लेट कर मेरे आँसू सॉफ करने लगी और मेरे
सर पे हाथ फिराने लगी,,,उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और अपने बहुत करीब कर
लिया,,,मैं उसके आगोश मे जाके कुछ राहत महसूस कर रहा था,,,,उसी राहत की वजह से 
दिल को थोड़ा सकून मिला और आँख लग गयी,,,,नींद आ गयी,,,,और मैं सो गया,,,,,



सुबह उठा और कविता के साथ ही कॉलेज चला गया,,,अभी डॉक्टर ने रेस्ट करने को बोला था
लेकिन दिल को जब आराम नही था तो जिस्म को क्या आराम देना था मैने,,,,,कॉलेज मे सोनिया मिल
गयी लेकिन मैने उस से कोई बात नही की ना ही उसने मेरे से कोई बात की,,,उसका चेहरा बहुत
उदास था,,,,आँखें सूज गयी थी रो-रो कर,,,,वही हाल मेरा था,,,,हम दोनो एक दूसरे की
हालत पर तरस गये थे,,,,लेकिन फिर भी हम दोनो बात नही कर रहे थे,,,,,पूरे 
कॉलेज मे अमित की सज़ा की बात चल रही थी पूरा कॉलेज खुश था लेकिन हम 3 लोग थे
जो बहुत उदास थे,,,,,,मैं सोनिया और कविता,,,,,,
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12-21-2018, 03:29 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कॉलेज से छुट्टी हुई तो घर आ गया,,,,घर आके मैने किसी से कोई बात नही की,,,रात को
मैं सोया भी था उपर गीता के रूम मे,,,,,अब गीता नीचे अशोक के साथ सोने लगी थी और
सरिता सुरेंदर के साथ,,,,,,,अब उन लोगो को हम लोगो का डर जो नही था,,,,बस मुझे और
सोनिया को डर था उन लोगो से,,,,,पहले वो लोग मेरी और सोनिया की वजह से साथ रहने से डर
रहे थे और अब मैं और सोनिया उनकी वजह से साथ मे रहने से डर रहे थे,,,,,सोनिया अपने
रूम मे सोने लगी और मैं गीता के रूम मे,,,,,


अगले दिन कॉलेज जाना था तो माँ ने मना कर दिया और ज़िद करके मुझे घर पर रोक लिया 
कॉलेज नही जाने दिया,,,,,,आज अशोक सुरेंदर को अपने साथ लेके कहीं चला गया था,भुआ
बुटीक नही गयी और ना ही माँ कहीं गयी,,,,

माँ ने सोनिया को नाश्ता दिया और वो कॉलेज चली गयी ,,,मैने भी नाश्ता किया और पीछे की
तरफ आके गार्डन मे बैठ गया,,,,मैने माँ और भुआ से कोई बात नही की,,,और ना ही सोनिया 
से,,,,


फिर कुछ दिन ऐसे ही बीत गये,,,मैं घर पे रहता,,,माँ और भुआ भी जबकि अशोक सुरेंदर
को लेके सुबह जाता और रात को 10-11 बजे के करीब घर आता,,,,,मैं कुछ समझ नही पा
रहा था,,,डॅड तो बॅंक मे जॉब करते थे लेकिन अब सुरेंदर को साथ क्यूँ लेके जाते थे और
भला इतनी देर रात क्यूँ घर आते थे,,,,


मैं अपने रूम मे लेटा हुआ था,,,दरवाजा खुला और सोनिया अंदर आ गयी,,,,आज सनडे का दिन
था कॉलेज से छुट्टी थी,,,


वो रूम मे अंदर आई लेकिन मेरे से कोई बात नही की बस चलके मेरे बेड के पास आ गयी ,,
मैं बेड पर बनियान और पयज़ामे मे लेटा हुआ था,,,सोनिया चलके मेरे पास आई और बनियान को
एक साइड करके मेरा जखम देखने लगी,,,,,मेरे जखम पर से टाँके(स्टिचस) खुल चुके 
थे,,,जख्म भर चुका था काफ़ी हद तक,,,,,सोनिया ने मेरे जखम पर हाथ रखा और हल्के
से सहलाने लगी फिर मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा,,,,वो खुश थी कि मेरा जख्म भर 
चुका है,,,,

फिर वो चलके रूम से बाहर जाने लगी तो मैने उसको आवाज़ दी,,,,,,सोनिया रूको एक मिनिट


वो मेरी बात सुनके रुक गयी और पलट गयी,,,,,,


मैं चलके उसके पास गया,,,,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सोनिया,,,मेरी इतनी केर करने के लिए मेरा इतना
ख्याल रखने के लिए और खांसकार उस दिन सबके सामने मुझे रुसवा ना करने के लिए,,,बहुत
बहुत शुक्रिया तुम्हारा जो उस दिन तुमने सबके सामने अपने प्यार का इज़हार किया,,,,


शुक्रिया बोलकर मुझे शर्मिंदा नही कर सन्नी,,,,मैं तेरे से प्यार करती हूँ लेकिन मैं
हद से ज़्यादा आगे नही बढ़ सकती,,,मैं मजबूर हो क्यूकी,,,,,,,

वो बोल रही थी तो मैने उसको चुप करवा दिया,,,,,मैं सब कुछ जान गया हूँ,,,तेरी क्या
मजबूरी है ,,,कविता ने मुझे सब कुछ बता दिया,,,,लेकिन अब तुझे डरने की ज़रूरत नही
मैं अब वो ग़लती कभी नही करूँगा,,,,तू मुझे दिल से प्यार करती है तो मैं भी तुझे
दिल से प्यार करूँगा,,,,कभी तेरे करीब नही आउन्गा,,,,वो हरकत नही करूँगा जिस से तू
रुसवा हो जाए,,,,,


वो मेरी बात से खुश हो गयी,,,,,मुझे भी अपना भाई सन्नी वापिस चाहिए ,,,हम दोनो एक
दूसरे से बहुत प्यार करते है सन्नी ,,,लेकिन ज़्यादा करीब नही आ सकते बट इसका मतलब ये
नही कि हम दोनो को एक दूसरे से दूर रहना होगा,,,एक दूसरे से खफा रहना होगा ,,,मैं
तेरे से दूर नही रह सकती तेरे से खफा नही रह सकती,,,,भूल गया हम लोग कितनी मस्ती
करते थे,,,,कितना खुश थे,,,,,मुझे वो सब वापिस चाहिए वो दिन वापिस चाहिए जब 
हम लोग साथ मे रहा करते थे,,,,,बोल क्या बोलता है,,,,फिर से उन्ही दिनो की तरह मस्ती
करेगा मेरे साथ,,,,बोल बनेगा मेरा दोस्त,,,,,,


हां बनूँगा तेरा दोस्त,,,,,और बहुत मस्ती भी करूँगा,,,,,बहुत खुशी होगी मुझे तेरा दोस्त
बनकर,,,,,मैने इतना बोला तो वो हँसके मेरे करीब आके मेरे गले लगने लगी,,,


ना ना ये ग़लती नही,,,,,हम दोनो की दोस्ती दूर दूर से होगी,,,,करीब आना हम दोनो के
लिए ख़तरनाक हो सकता है,,,,,मैने इतनी बात बोली और हँसने लगा,,,,,तभी उसने मेरे 
सर मे हल्का सा थप्पड़ मारा और मेरे गले लग गयी,,,,,,


फिर वो पीछे हटी और बोली,,,,,,चल आ नीचे चलते है,,,,,मैं तेरे लिए न्यू गेम भी
लेके आई हूँ पता है इतने दिन से तूने गेम भी नही खेली,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगी
और नीचे की तरफ चलने लगी मैं भी उसके साथ साथ नीचे की तरफ चलने लगा,,,
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12-21-2018, 03:29 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
नीचे आके हम दोनो हंसते हुए बातें कर रहे थे,,,,माँ और भुआ ये देखकर बहुत खुश थी
कि हम लोगो मे फिर से बात शुरू हो गयी थी,,,,,,डॅड और मामा नज़र नही आ रहे थे,,,



माँ डॅड और मामा कहाँ है,,काफ़ी दिन से देख रहा हूँ वो लोग सुबह जल्दी चले जाते है और
लेट नाइट घर आते है,,,,,,क्या कुछ प्राब्लम चल रही है क्या,,


तभी भुआ बोली,,,,,नही बेटा अशोक और सुरेंदर ने नया काम शुरू किया है ,,,अशोक ने 
बॅंक को जॉब छोड़ दी है और दोनो मिलकर नया काम करने वाले है उसी के चक्कर मे आज कल
सारा दिन बिज़ी रहते है,,,,


मैं खुश हो गया कि सब कुछ ठीक हो गया,,,,,डॅड और मामा मिलकर काम करने वाले है,,अब
तो मामा भी सुधर गया है जो कम करने को तैयार हो गया है,,,,,



तभी सोनिया ने मुझे न्यू गेम की सीडी दी और मैं शुरू हो गया ,,,,,अच्छा टाइम पास हुआ उस 
दिन,,,,माँ भुआ और सोनिया अपना काम करती रही और मैं गेम खेलता रहा,,,


दिन अच्छे बीत रहे थे,,,,सुबह कॉलेज जाता तो भुआ की कार ले जाता,,सोनिया साथ मे होती
और जाते जाते हम लोग कविता को भी साथ ले जाते,,,,,,


सूरज ने अपनी माँ से बात करली थी और फिर अशोक और सरिता से भी,,,,हम दोनो की शादी
भी पक्की हो गयी थी,,,बस फाइनल एअर के बाद हम दोनो की शादी हो जानी थी,,अब इस बात 
से सोनिया को परेशानी नही थी,,,

दिन बीतने लगे और सब कुछ नौरमल हो गया ,,,मेरे और सोनिया के बीच मे भी,,और बाकी फॅमिली
के बीच मे भी,,,लेकिन फिर आया वो क़यामत का दिन जिसके बारे मे मैने सोचा भी नही था

सर्दियों का मौसम था लेकिन अभी इतनी ज़्यादा सर्दी शुरू नही हुई थी,,,अभी हल्की बारिश
शुरू हो गयी थी जिसके बाद खूब सर्दी पड़ने वाली थी,,,हम लोग कार मे कॉलेज से घर आ 
रहे थे,,मैं कुछ उदास था क्यूकी मैं कार मे था,,,,,,यही हाल था सोनिया का भी और 
कविता का भी,,,,हम सब सोच रहे थे कि काश हम कार मे नही होते,,,,,काश हम लोग 
बाइक पर होते ,,,




कविता को घर ड्रॉप करके मैं और सोनिया भी घर आ गये,,,,,



माँ ने चाइ के साथ पकोडे बनाए थे जो बारिश मे मौसम मे खूब पसंद थे मुझे और
सोनिया को,,,,हम लोग बैठकर चाइ के साथ पकोडे खाने लगे,,,,माँ और भुआ भी पास ही 
थी,,,,,,,पकोडे खाने के बाद मैने कुछ पकोडे प्लेट मे रखे और अपने साथ लेके अपने
रूम आ गया,,,,सोनिया भी अपने रूम मे चली गयी,,,,,मैं पकोडे तो ले आया बट चटनी नही
लेके आया साथ मे इसलिए उपर वाले किचन मे चला गया चटनी की बॉटल लेने,,,,जैसे ही
मैं उपर वाले किचन मे जाने लगा मैने देखा कि सोनिया उपर वाले ड्रॉयिंग रूम की खिड़की
के पास खड़ी होके बारिश का नजारा ले रही थी,,,,क्यूकी उसके रूम मे कोई खिड़की नही थी,

मैं भी वापिस आया अपने रूम मे और पकोडे ख़ाता हुआ खिड़की के पास खड़ा हो गया,,ड्रॉयिंग
रूम की खिड़की जहाँ सोनिया खड़ी हुई थी वो घर के सामने की तरफ थी जबकि मेरे रूम की
खिड़की घर के पीछे की तरफ थी,,,,जहाँ से मैं पीछे वाले गार्डन को देख रहा था और
पकोडे ख़ाता हुआ बारिश का नजारा ले रहा था,,,,मैं बारिश मे भीगना चाहता था लेकिन
माँ ने मना किया था,,,क्यूकी सर्दी की बारिश मे भीगता तो बुखार हो जाना था इसलिए माँ
ने मुझे मना किया था,,,,काफ़ी टाइम बारिश होती रही और मैं पकोडे ख़ाता हुआ बारिश का
नजारा लेता रहा,,,,,


रात डिन्नर करने के बाद मैं अपने रूम मे सोने आ गया तो देखा कि सोनिया अभी भी उपर
वाले ड्रॉयिंग रूम मे थी,,,उसने बेड से एक मॅट्रेस उठाकर खिड़की के पास रख लिया था और
वहीं सोने वाली थी,,,क्यूकी अभी भी बारिश हो रही थी,,वो बारिश मे भीग तो नही सकती
थी क्यूकी माँ ने मना किया था लेकिन उसको बारिश बहुत अच्छी लगती थी,,,इसलिए वो बारिश को
देख कर ही मन को तस्सली देना चाहती थी,,,,

मेरा हाल भी सोनिया जैसा था मैं भी उदास था कि बारिश मे नही भीग सकता था क्यूकी
माँ ने मना किया था,,,,,लेकिन अब रात हो चुकी थी सब अपने अपने रूम मे जाके सो चुके
थे अब अगर मैं उपर चला भी गया थोड़ी देर बारिश मे भीगने तो किसी को क्या पता
'चलने वाला था,,,यहीं सोच कर मैं हल्के कदमो से उपर की तरफ जाने लगा,,छत पर
गया तो अंधेरा ही अंधेरा था,,,,बहुत ठंड थी,,,बारिश भी बहुत तेज हो रही थी और बादल
भी बड़ी तेज़ी से गर्रज रहे थे बिजली चमक रही थी,,,,मुझे ठंड तो लग रही थी
लेकिन मुझे बारिश मे कुछ देर तो भीगना ही था,,,फिर चाहे कल बुखार ही क्यूँ ना हो जाए



मैं छत पर आके ठंडी से काँपता हुआ बारिश का मज़ा ले रहा था ,,,सच मे बहुत ज़्यादा
ठंड लग रही थी मुझे,,,मेरा पूरा बदन काँप रहा था दिल कर रहा था नीचे चला
जाउ लेकिन थोड़ी देर बाद ठंड कम लगने लगी और बारिश का मज़ा आने लगा,,,मैं बारिश 
का मज़ा लेता हुआ आगे की तरफ बढ़ने लगा ,,तभी मेरे होश गुम हो गये,,,



हल्की सी बिजली चमकी तो मैने देखा आगे पानी की टंकी के पीछे सोनिया खड़ी हुई थी जो 
बारिश का मज़ा ले रही थी,,,,,वैसे तो छत पर अंधेरा था लेकिन हल्की हल्की बिजली 
चमकती तो रोशनी हो जाती थी और उसी चमकती बिजली की रोशनी मे मैने सोनिया को देखा तो
एक बिजली मेरे उपर भी गिर गयी,,,सोनिया ने वाइट कलर का नाइट सूट पहना हुआ था,एक
वाइट कलर का कुर्ता और साथ मे वाइट पयज़ामी,,,,उसका पूरा बदन भीग गया था,,उसको
शायद ठंड लग रही थी इसलिए वो टंकी के साथ वाली दीवार से चिपक कर खड़ी हुई थी


,,उसने कुर्ते के नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी इस बात का अंदाज़ा मुझे तब हुआ जब फिर से
बिजली चमकी,,,,,उसका कुर्ता भीग कर उसके जिस्म से चिपका हुआ था,,उसका जिस्म कुर्ते के 
अंदर से भी मुझे नंगा प्रतीत हो रहा था,,,उसके छोटे छोटे बूब्स जो उमर के हिसाब से
थोड़ा आकार ले चुके थे जिन पर अभी तक किसी का हाथ नही लगा था वो बूब्स कुर्ते के
अंदर से सर उठाकर खड़े हुए थे,,,मैं सर्दी के मौसम मे छत पर बारिश का मज़ा
लेने आया था लेकिन सोनिया को देखकर मेरे अंदर का मौसम एक दम गर्म हो गया था,,


तभी उसकी नज़र भी मेरे पर पड़ी तो वो एक दम से घबरा गयी,,,,जैसे मुझे नही पता था 
कि सोनिया छत पर होगी वैसे सोनिया को भी नही पता था कि मैं भी छत पर आउन्गा या
नही,,,,,


हम दोनो एक दूसरे को देखकर थोड़ा परेशान हो गये थे,,,डर गये थे,,,,क्यूकी ऐसी हालत
मे हम दोनो का यहाँ होना ख़तरनाक साबित हो सकता था,,,पहले तो मुझे खुद का डर था
लेकिन अब तो सोनिया भी बहकने लगी थी मेरे जिस्म को देखकर,,,,मैं खुद पर क़ाबू करना
चाहता था लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी,,,,,,एक बार नज़र भरके देखा था सोनिया को इतने
मे ही दिल मे एक तूफान उठने लगा था,,,,बाहर का मौसम भी काफ़ी बदला हुआ था,,,बारिश
इतनी तेज नही थी लेकिन बदल बहुत तेज गर्रज रहे थे,,बिजली बहुत तेज चमक रही थी,,


हम दोनो पूरी तरह से भीग कर एक दूसरे के सामने खड़े हुए एक दूसरे की तरफ देख रहे 
थे,,,,मैं सोनिया से करीब 5-6 कदम की दूरी पर था और वो दीवार के साथ चिपक कर
खड़ी हुई थी,,,,उसकी हालत ब्यान कर रही थी वो बहुत डरी हुई थी,,,ना कि सिर्फ़ मेरी वजह
से बल्कि अब उसको खुद से भी डर लगने लगा था ,,क्यूकी अब वो भी मेरी तरफ आकर्षित 
होने लगी थी,,,,,हालाकी कुछ दिनो मे हम दोनो के बीच सब कुछ नौरमल हो गया था लेकिन
अभी इस वक़्त हम दोनो ऐसी हालत मे एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे कि दोनो का बहक
जाना कोई बड़ी बात नही थी,,,,,


वो मेरे जिस्म को देख रही थी क्यूकी मेरी टी-शर्ट भी भीग कर मेरे जिस्म से चिपकी हुई
थी और मेरी छाती सोनिया को नज़र आ रही थी,,,,,सोनिया का कुर्ता भी उसके जिस्म से चिपका
हुआ था और उसका उपर का जिस्म नंगा नज़र आ रहा था मुझे,,,,,जब सोनिया को अपनी हालत
का अंदाज़ा हुआ वो कुछ ज़्यादा ही डर गयी,,,,और सर को हिला कर मुझे अपने करीब आने से
रोकने लगी लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी मेरे कदम खुद-ब-खुद उसकी तरफ बढ़ने लगे थे
वो समझ गयी थी मैं रुकने वाला नही क्यूकी मेरा खुद पर कोई क़ाबू ही नही था,,मैं बहक
गया था,,,,सोनिया खुद भी बहक गयी थी लेकिन फिर भी वो खुद पर क़ाबू करने की पूरी
कोशिश कर रही थी,,,,,,
Reply
12-21-2018, 03:30 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं अभी एक कदम उसकी तरफ बढ़ा था कि वो हल्के से आगे बढ़ने लगी और मेरे करीब से 
चलके नीचे की तरफ जाने लगी,,,,,,जब वो मेरे करीब से गुजरने लगी तो एक पल के लिए 
मेरे साइड पर खड़ी हो गयी और मेरी तरफ देखने लगी,,,,,वो मेरी राइट साइड खड़ी हुई थी
और मेरे चेहरे को देख रही थी और मैं भी उसके चहरे को देख रहा था,,,वो मेरे से
करीब 2-3 फीट दूर थी,,,उसने कुछ पल के लिए मुझे देखा और छत से नीचे की तरफ जाने
लगी तभी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने आगे बढ़ कर पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया,,,,वो मेरी
तरफ पलटी तो नही बस ऐसे ही कदम पीछे की तरफ बढ़ाती हुई मेरे करीब आ गयी,,उसकी
पीठ मेरी तरफ ही थी और मैं उसको हाथ से पकड़ कर अपने करीब कर रहा था,,,वो मेरे
करीब आ गयी और मैने अपने हाथ उसकी कमर की दोनो तरफ रखे और उसको अपने साथ चिपका
लिया ,,,,,



मेरी हालत खराब हो गयी थी और उसकी भी,,सोनिया मेरे साथ चिपक कर खड़ी हुई थी और
तेज़ी से साँसे ले रही थी,,,,,मेरे दोनो हाथ उसकी कमर की दोनो तरफ थे जबकि उसकी 
पीठ मेरी छाती से चिपकी हुई थी,,उसकी साँसे उखड रही थी दिल की धड़कन बहुत तेज
हो चुकी थी और ऐसी ही हालत मेरी भी हो गयी थी,,,,वो मेरे साथ चिपक गयी थी तभी '
मैने आगे बढ़ कर उसके शोल्डर पर गर्दन के करीब अपने होंठ रख दिए और हल्की किस
करदी,,,,उसके जिस्म को एक तेज झटका लगा और वो आगे की तरफ बढ़ने लगी ,,,वो मेरे से आगे
बढ़ कर 2-3 कदम की दूरी पर खड़ी हो गयी लेकिन मेरी तरफ पलटी नही बस ऐसे ही पीठ 
मेरी तरफ करके खड़ी रही,,,,मैं थोड़ा आगे हुआ और उसकी कमर से पकड़ कर अपने करीब 
खींच लिया और फिर से उसकी कमर को पकड़ कर उसके साथ चिपक गया और उसकी गर्दन के 
पास अपने होंठ रखकर किस करदी,,,वो एक दम से पीछे की तरफ पलट गयी और मेरे गले
लग गयी,,,,





वो पीछे की तरफ पलटकर मेरे गले लग गयी और मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और अपने 
सर को मेरे राइट तरफ के शोल्डर पर रख दिया,,,मैने भी अपनी बाहों को उसके जिस्म
पर कस दिया और उसको अपने साथ चिपका लिया ,,,,,कुछ देर हम लोग ऐसे ही खड़े रहे फिर
मैने अपने हाथ से उसकी ज़ुल्फो को उसके चहरे से हटाया और उसके चहरे को देखने लगा,,,वो
एक दम मदहोश हो चुकी थी,,,बिजली चमकने की रोशनी मे उसका चाँद जैसा चेहरा बहुत
प्यारा लग रहा था,,,उसकी आँखें बंद थी ,,,तभी मैने हल्के से अपने होंठ उसके होंठों
पर रख दिए और किस करने लगा लेकिन वो एक दम से मेरे से दूर हट गयी ,,,


जब वो मेरे गले लगी थी तो हम पलट गये थे,,मैं छत के दरवाजे की तरफ हो गया था 
और वो वापिस टंकी की तरफ,,,,,उसने पीछे हटके अपनी हालत पर क़ाबू करने की कोशिश की 
और तेज़ी से उखड़ रही सांसो को थामने की ,,,,,,तभी उसकी नज़र दरवाजे की तरफ गयी जो
मेरी पीठ पीछे था,,,,वो भाग कर छत से नीचे जाना चाहती थी लेकिन दरवाजा मेरे
पीछे था और वो मेरे करीब से होके दरवाजे तक जाने का जोखिम नही उठना चाहती थी
उसको पता था अगर उसने दोबारा मेरे करीब से जाने की ग़लती की तो मैं उसको पकड़ लूँगा
और अगर इस बार मैने उसको पकड़ लिया तो शायद वो खुद को संभाल नही पाएगी और बहक
कर पिघल जाएगी मेरी बाहों मे,,,,,,ये जोखिम लेने को वो बिल्कुल तैयार नही थी,,,,



तभी मैं एक कदम उसके करीब गया और वो ना मे सर हिला कर मुझे करीब आने से रोकने
लगी,,,लेकिन मैं नही रुका और एक कदम और आगे बढ़ गया उसकी तरफ,,,,वो मेरी तरफ देख
रही थी और पीछे की तरफ कदम बढ़ाने लगी थी,,,,मैं एक कदम आगे बढ़ता उसकी तरफ
तो वो भी मुझे देखती हुई एक कदम पीछे की तरफ बढ़ने लगती और साथ साथ अपने सर को
ना मे हिला कर मुझे खुद के करीब आन ऐसे मना करती जाती,,,,,लेकिन मैं कहाँ रुकने '
वाला था,,,,मेरे कदम तो खुद-ब-खुद आगे की तरफ बढ़ रहे थे,,,ऐसे लग रहा था जैसे 
मेरे जिस्म पर मेरा को कंट्रोल ही नही रहा हो,,,,,मेरा बस ही नही चल रहा था खुद के 
जिस्म पर,,,


मैं एक एक कदम आगे बढ़ता गया और वो एक कदम पीछे होती गयी और सर को हिला कर मुझे अपने
करीब आने से मना करती गयी,,,,,पीछे होती होती वो दीवार तक पहुँच गयी अब पीछे हटने
की भी जगह नही थी वो बस सर को ना मे हिला रही थी और मुझे रुकने को बोल रही थी
लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,जब उसकी पीठ दीवार से चिपक गयी तो वो डर गयी,,


वो टंकी के पास की दीवार के साथ पीठ लगा कर खड़ी हो गयी थी और मैं फिर से उसके
करीब चला गया था,,,मैं उसके करीब था और वो मुझे और ज़्यादा करीब आने से मना कर
रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता गया और कुछ ही पल मे मैं उसके करीब चला गया था,,हम
दोनो मे अब 1 फीट की दूरी थी,,मैं उसके चेहरे की तरफ देख रहा था और वो मेरी तरफ
देखकर सर को ना मे हिला कर मुझे करीब आने से मना कर रही थी,,,


मैं उसके चेहरे की तरफ देख रहा था और वो अभी भी अपने सर को हिला रही थी और मुझे
मना कर रही थी,,,तभी मैने अपने दोनो हाथों से उसके चेहरे को पकड़ लिया ,,,मेरे दोनो
हाथ उसके गालों पर थे और मैं उसके क्यूट फेस को अपने हाथों मे पकड़ कर उसकी तरफ
देख रहा था,,,,,मेरी नज़र उसके चेहरे पर टिकी हुई थी और खांसकार उसके लिप्स पर वो
भी ये बात समझ गयी थी और आँखों ही आँखों मे मुझे मना कर रही थी ,,,बता रही थी 
कि सन्नी रुक जाओ,,,,ऐसा मत करो,,,,लेकिन मैं नही रुका और उसके होंठों की तरफ बढ़ने
लगा,,,वो समझ गयी कि अब क्या होने वाला है इसलिए उसने जल्दी से अपने फेस को एक तरफ
टर्न कर लिया,,,लेकिन मैं फिर भी नही रुका और उसकी तरफ बढ़ता गया ,,उसके लिप्स तो एक
तरफ टर्न हो गये थे लेकिन उसके गाल मेरे सामने थे मैने अपने होंठ उसके गाल पर 
रख दिए और हल्की किस करदी ,,फिर दूसरी किस फिर तीसरी ,,मैं उसके गाल को किस करने
लगा फिर उसके पूरे चहरे को,,,कभी फोरहेड पर तो कभी चिन पर,,,मेरे हाथ जो अभी
तक उसके चहरे पर थे वो हाथ उसके सर पर पीछे की तरफ चले गये थे और मैं उसके
पूरे फेस पर हर जगह किस कर रहा था,,, 


फिर मैं उसके चेहरे से दूर हुआ और उसकी तरफ देखने लगा ,,उसकी आँखें बंद थी मैने
आगे बढ़के उसकी आँखों पर भी किस करदी और फिर उसके लिप्स पर,,,उसके लिप्स पर अभी मेरे
लिप्स टच हुए थे कि उसने अपने लिप्स को खोल दिया और मैने अपने लिप्स मे उसके लिप्स को
पकड़ लिया और किस करने लगा,,,,चूसने लगा उसके लिप्स को,,,,अभी तक उसके हाथ नीचे की
तरफ लटक रहे थे लेकिन लिप्स पर किस करने से वो ज़्यादा बहक गयी और उसके हाथ मेरी
कमर पर आ गये और उसने मेरी टी-शर्ट को उपर करके अपने हाथों से मेरी नंगी कमर और
पीठ को सहलाना शुरू कर दिया,,,,मैं भी उसको लिप्स को चूस्ता हुआ उसके सर को अपने हाथों
मे पकड़ कर प्यार से सहला रहा था,,,फिर मैने भी अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और
उसके कुर्ते को उपर उठाकर अपने हाथ उसकी नंगी कमर पर रख दिए,,,,,उसको एक दम से
झटका लगा और उसने मुझे खुद से दूर कर दिया,,,,,

मैं फिर से उस से दूर हो गया ,,वो खुद की हालत को क़ाबू कर रही थी ,,जब वो मुझे 
किस कर रही थी तो पूरी तरह से बहक गयी थी और मेरा साथ दे रही थी लेकिन फिर भी
उसने अपनी बची खुचि हिम्मत जुटता कर मुझे खुद से दूर कर ही दिया था,,,अभी ना सिर्फ़
वो मेरे से बल्कि खुद की हालत से भी झूज रही थी,,,खुद पर क़ाबू कर रही थी ,वो
मुझे भी रोक रही थी और साथ साथ खुद को भी रोकने की कोशिश कर रही थी,,,उसको पता
था अगर वो भी बहक गयी तो आज वो ग़लती हो जाएगी जिसको करने से वो डर रही है,,


लेकिन मेरे लिए उसका बहक जाना ज़रूरी था तभी मैं उसके करीब जा सकता था उसको हाँसिल
कर सकता था,,,इसलिए मैने अपनी टी-शर्ट निकाल कर एक तरफ फेंक दी,,,,मेरा उपर का
जिस्म नंगा हो गया ,,,,,सोनिया मेरी तरफ देखने लगी और आँखों ही आँखों मे मेरे से सवाल
करने लगी,,,,,कि सन्नी तुमने ऐसा क्यूँ किया,,,क्यूँ निकाली अपनी टी-शर्ट,,,,,मैं कुछ न्ही
बोला और हल्के से मुस्कुरा दिया,,,,वो समझ गयी कि मैं उसको बहकाने की कोशिश कर रहा
हूँ और मेरी कोशिश कामयाब भी हो रही थी क्यूकी उसको नज़रे टिक गयी थी मेरी नंगी
छाती पर,,,,वो मेरी नंगी छाती को घूर रही थी,,तभी वो एक कदम मेरे करीब आई
लेकिन जल्दी ही पीछे हट गयी,,,,मैं समझ गया था वो अभी भी खुद से लड़ रही है खुद
पर क़ाबू करने की कोशिश कर रही है इसलिए मैं खुद उसके करीब हो गया और उसका हाथ
पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया,,,,,उसने अपना हाथ हटा लिया मैने फिर से उसका हाथ
पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया,,,,इस बार उसने अपना हाथ पीछे नही किया लेकिन अपने
हाथ को हिलाया भी नही,,,


वो अपने हाथ को हिला नही रही थी बस ऐसे ही हाथ को मेरी छाती पर रख कर मेरी तरफ
देख रही थी,,,,,,उसका हाथ मेरी छाती पर टिका हुआ था और मुझे एक मस्ती भरा एहसास
मिल रहा था एक सकून मिल रहा था,,,,तभी मस्ती मे मेरी आँखें बंद होने लगी,,,


अब मैं आँखें बंद करके उसके सामने खड़ा हुआ था ,,,,मेरा उपर का जिस्म नंगा था और उसका
एक हाथ मेरी छाती पर टिका हुआ था,,,,जैसे ही मेरी आँखें बंद हो गयी उसका हाथ मेरी
छाती से उठा और मेरे चहरे पर आ गया,,,मैने आँखें खोल कर उसकी तरफ देखा तो
वो भी मेरी तरफ देख रही थी और मेरे चहरे को अपने हाथों से छू रही थी महसूस 
कर रही थी,,,,वो अपने हाथों की उंगलियों को खोलकर मेरे पूरे चेहरे पर घुमा रही थी
मेरे पूरे चेहरे को महसूस कर रही थी,,,,फिर उसकी उंगलियाँ मेरे लिप्स पर टच होने 
लगी और वो मेरे लिप्स को अपनी उंगलियों पर महसूस करने लगी,,,मेरा लिप्स थोड़े खुले हुए
था इसलिए मेरी गरम साँसे उसके हाथ पर लगने लगी और मेरी गर्म साँसे अपने हाथ पर
महसूस करते ही वो एक दम से आगे बढ़ने लगी और कुछ ही पल मे मेरे लिप्स तक पहुँच गयी
और मुझे किस करने लगी,,,,,



मैने भी कोई देर नही की और उसको किस का रेस्पॉन्स देने लगा,,,,मेरे हाथ उसकी पीठ पर
चले गये जबकि उसके हाथ मेरे गले मे थे और वो मुझे बाहों मे भरके किस करने लगी
थी,,,,,मेरे हाथ उसकी कुर्ते के अंदर चले गये इस बार वो फिर से घबरा गयी और मेरे
से दूर हटने की कोशिश करने लगी लेकिन इस बार मैने उसको दूर नही हटने दिया और
उसको कस लिया अपनी बाहों मे,,,,,उसने भी हथियार डाल दिए और मेरे से चिपक गयी,,,





कुछ देर हम लोगो ऐसे ही चिपक कर किस करते रहे,,उसके हाथ मेरे गले मे थे और वो
मुझे बाहों मे भरके किस कर रही थी जबकि मेरे हाथ उसके कुर्ते के अंदर से उसकी नंगी
पीठ पर थिरक रहे थे,,,,,,फिर कुछ देर बाद मैने उसके कुर्ते को अपने हाथों से पकड़ा
और उसके जिस्म से अलग करने लगा उसने भी हाथ हवा मे उठा दिया और अपना कुर्ता निकालने मे
मेरी हेल्प करने लगी,,,,,उसका कुर्ता निकल गया उसका भी उपर का जिस्म नंगा हो गया इस से
पहले मैं उसके जिस्म को एक झलक देख पाता वो जल्दी से मेरे साथ चिपक गयी,,,
Reply
12-21-2018, 03:30 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे भरके किस करने लगे,,,हम दोनो का उपर का जिस्म नंगा 
था,,उसके हाथ मेरी पीठ पर थिरक रहे थे और मेरे हाथ उसकी पीठ पर,उसके छोटे
छोटे बूब्स मेरी छाती पर चिपक गये थे,,,,उसकी रेशमी पीठ पर मेरे हाथ फिसलते 
जा रहे थे,,,,,हम लोग मस्ती मे इतनी जबरदस्त किस कर रहे थे कि हम दोनो को साँस
लेना भी मुश्किल हो रहा था,,,फिर एक दम हम दोनो एक दूसरे से दूर हुए और अपनी हालत को
क़ाबू मे करते हुए खुलकर साँसे लेने लगे दिल की धड़कन को क़ाबू करने लगा,,,



लेकिन ज़्यादा देर तक नही वो फिर से आगे बढ़ी और मुझे बाहों मे भरके किस करने लगी,,
अब वो पूरी तरह से अपनी रज़ामंदी दिखा चुकी थी और पूरी तरह से बहक चुकी थी,अब
तक वो अपनी हालत पर क़ाबू करने की मेरे से दूर होने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब 
उसकी हालत भी मेरे जैसी हो गयी थी,,,अब हम दोनो का एक दूसरे से दूर होना मुमकिन नही
था,,,जैसे बाहर का मौसम बिगड़ गया था बिजली चमक रही थी बदल गरज रहे थे
वैसे हम दोनो के जिस्म मे भी तूफान उठने लगा था,,,तभी मैने अपने हाथ उसकी गान्ड
पर रखे और उसको अपनी गोद मे उठा लिया,,,,उसने भी जल्दी से अपनी टाँगों को मेरी कमर
के इर्द गिर्द लपेट लिया और मेरे से पूरी तरह चिपक गयी,,,,


मैं उसको गोद मे उठाकर किस करता हुआ उपर छत पर बने स्टोर रूम मे ले आया,,,अंदर
आते ही मैने उसको एक टेबल पर बिठा दिया,,,,ये वही टेबल था जिस पर मैने पहली बार 
सरिता और विशाल को चुदाई करते देखा था,,,मैने उसको टेबल पर बिठा दिया और इधर
उधर देखने लगा,,,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी एक पुराने मॅट्रेस पर,,,जब घर का काम 
करवाया था तो कुछ पुराना समान यहाँ रख दिया था उसी समान मे एक पुराना मॅट्रेस
भी था,,,,,,मैने मॅट्रेस को ज़मीन पर बिछा दिया,,,,और पलट कर सोनिया की तरफ देखा
तो वो टेबल पर बैठी हुई अपने उपर के जिस्म को अपने हाथों से कवर करने की कोशिश कर
रही थी,,,,पूरे जिस्म को कवर कर पाना उसके लिए मुश्किल था लेकिन फिर भी वो कोशिश
कर रही थी,,,,


जब मैने मॅट्रेस को ज़मीन पर बिछा दिया तो वो समझ गयी अब क्या होने वाला है और
अब वो खुद भी इस सब के लिए तैयार थी,,,,मैने मॅट्रेस बिछा कर एक पुरानी चद्दर को
भी मॅट्रेस पर बिछा दिया,,,चद्दर बिछ गयी तो मैने आगे बढ़ कर रूम का दरवाजा अंदर 
से बंद किया और टेबल पर उसकी तरफ चला गया,,,फिर से उसके करीब जाके उसके लिप्स पर
किस करने लगा,,,,अब तक उसके हाथ जो उसके जिस्म को च्छुपाने की कोशिश कर रहे थे
अब वो हाथ फिर से मेरे जिस्म पर थिरकने लगे थे,,,,,मैने उसको गोद मे उठा लिया और
आगे बढ़के उसको मॅट्रेस पर लेटा दिया,,,, 

उसको नीचे लेटा कर मैं खुद उसके उपर झुक कर उसके लिप्स पर किस करने लगा,,,वो भी
आज पूरी तरह से मुझे किस का रेस्पॉन्स दे रही थी,,,उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और
वो बड़े प्यार से मेरी पीठ के हर हिस्से को छू कर महसूस कर रही थी,,,मेरी पूरी
पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी,,,मेरा एक हाथ मॅट्रेस पर टिका हुआ था और उसी हाथ
के सहारे मैं सोनिया के उपर झुका हुआ था जबकि मेरा दूसरा हाथ सोनिया के पेट पर टिका
हुआ था जिस से अब मैने हल्के से उसके पेट को सहलाना शुरू कर दिया था,,,उसके पेट का
मखमली एहसास मुझे पागल कर रहा था,,आज पहली बार उसने मुझे खुद को अपनी रज़ामंदी
से छूने का मौका दिया था और इस मोके के मिलने से मुझे एक अजीब एहसास हो रहा था,,आज
तक बहुत चुदाई कर चुका था बहुत सेक्स कर चुका था बहुत जिस्मो से खेल चुका था लेकिन
सोनिया के साथ खेलने का नही,, सेक्स करने का नही,, प्यार करने का दिल कर रहा था,,,,


मैं कोई जल्दबाज़ी नही करना चाहता था उसको हर्ट नही करना चाहता था इसलिए मैं अपने
हाथ को उसके पेट और कमर पर ही घुमा रहा था ,,उसके बूब्स की तरफ नही जा रहा था
,,,,लेकिन उसके पेट का मखमली एहसास मुझे मस्त कर रहा था और उसी मस्ती मे मेरा हाथ
उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा,,जैसे जैसे मैं उसके बूब्स की तरफ बढ़ता उसके दिल की
धड़कन तेज होने लगती,,,,उसका पेट तेज़ी से साँसे लेने के साथ उपर नीचे होने लगता,,वो
थोड़ा डर जाती और घबरा जाती,,,उसके डर से मैं थोड़ा परेशान हो जाता और हाथ को वापिस 
नीचे की तरफ ले आता,,,जब मेरा हाथ उसके पेट पर पहुँच जाता तो उसकी हालत थोड़ी ठीक
हो जाती लेकिन जैसे ही मस्ती मे मेरा हाथ वापिस उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगता उसके साँसे 
फिर से उखाड़ने लगती ,,दिल की धड़कन बढ़ने लगती,,,,पेट तेज़ी से उपर नीचे होने लगता


एक तो हम दोनो किस कर रहे थे इसलिए हम दोनो को सांस लेने मे मुश्किल हो रही थी
क्यूकी हम दोनो अपने क़ाबू से बाहर हो गये थे और मस्ती मे पागलो की तरह किस कर रहे
थे और इधर मेरे हाथ उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगता तो उसकी हालत और ज़्यादा खराब हो
जाती और वो बेचैन हो जाती,,,,,


काफ़ी टाइम उसको किस करते हुए मैं अपने हाथ उसके बूब्स की तरफ लेके जाने की कोशिश 
करता रहा लेकिन वो हर बार डर जाती और मैं अपने हाथ को वापिस उसके पेट पर ले आता
,,,उसको भी इस बात का एहसास हो गया था कि उसके डर की वजह से मैं आगे नही बढ़ रहा 
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा जो उसके पेट पर थिरक रहा था और उसको पकड़ कर उपर की 
तरफ ले गयी और अपने एक बूब पर रख दिया,,,,,ऐसी हरकत करके उसने अपनी रज़ामंदी जता
दी थी और बता दिया था कि मैं आगे बढ़ सकता हूँ,,,,


मेरा हाथ उसके एक बूब पर टिक गया था ,,मुझे बड़ा मस्त एहसास मिल रहा था उसके कोमल 
कोमल बूब का,,,उसका बूब ज़्यादा बड़ा नही था बस उमर के हिसाब से उसकी छाती से बाहर
निकला था,,,उसपे आज तक किसी का हाथ नही लगा था,,,,शायद सोनिया का भी नही,,उसके 
लिए वो जिस्म उसका था लेकिन उसके जिस्म पर हक़ सिर्फ़ मेरा था,,,


मैने हल्के हल्के उसके बूब को प्यार से सहलाना और हल्के हल्के मसलना शुरू किया,,जैसे
ही मेरे हाथ का दबाव उसको अपने बूब पर हुआ उसने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ा और कुछ
ज़्यादा ही मस्ती मे तेज़ी से मुझे किस करने लगी,,,मैने उसके बूब को मसलना शुरू कर
दिया और उसके बूब्स की डुँड़ी को जो एक काली मिर्च के दाने जितनी बड़ी थी ,उसको अपनी उंगलियों
मे पकड़ कर हल्के से मसलना शुरू कर दिया,,,,मेरे ऐसा करते ही वो मचलने लगी थी


मेरा हाथ बारी बारी से उसके दोनो बूब्स को मसल रहा था उसके बूब्स की डुँड़ी को उंगलियों
मे पकड़ कर दबा रहा था,,,,,,


कुछ देर उसके बूब्स मसल्ने और किस करने के बाद मैने उसके लिप्स से दूर हुआ और सर को
उपर उठाकर उसके चहरे की तरफ देखने लगा,,,,उसके गुबाली लिप्स मेरे थूक से पूरी तरह
गीले हो गये थे और अब थोड़े गहरे लाल रंग के हो गये थे,,,,ऐसे लग रहा था उसके
जिस्म का सारा खून उसके लिप्स मे उतर आया था,,,,वो मुँह को थोड़ा सा खोल कर तेज़ी से साँसे
ले रही थी,,,,जब हम किस कर रहे थे तो हम दोनो को सांस लेना भी मुश्किल लग रहा
था,,,,,



मैं उसकी तरफ देख रहा था और वो मेरी तरफ,,,वो मेरे सर से लेके मेरी छाती तक अपनी
नज़रे घुमा रही थी और मैं भी अपनी नज़रो से उसके जिस्म को महसूस कर रहा था,,मेरा
ध्यान उसके छोटे छोटे बूब्स पर टिका हुआ था,,,,जो एक बड़े नींबू के आकर के थे और
रंग मे बिल्कुल गोरे थे,,,उसके उपर हल्के ब्राउन कलर की एक काली मिर्च के आकर की डुंड़ीयाँ
थी,,,,,मेरा ध्यान उसके बूब्स पर था और मैने अपने सर को उसके बूब्स की तरफ बढ़ाना 
शुरू कर दिया था,,,कुछ ही पल मे मेरे लिप्स उसके एक बूब्स पर टिक गये और मैने उसके 
बूब को हल्के से अपने लिप्स मे भर लिया और चूसने लगा ,,,मेरे लिप्स अभी उसके बूब पर
टच ही हुए थे कि उसने मचलना शुरू कर दिया था,,,,उसका जिस्म रुक रुक कर झटके
खाने लगा था,,,,मैने उसके दोनो बूब्स को हाथ मे पकड़ा और हल्के से दबाते हुए उसके 
बूब्स को किस करने लगा ,,,,अपने लिप्स मे भरके चूसने लगा,,,साथ साथ उसके बूब्स की
डुंदीयों को अपने लिप्स मे भरके अपनी ज़ुबान के साथ खेलने लगा,,,उसकी डुंड़ीयाँ अब तक
काफ़ी हार्ड हो गयी थी,,


मैं काफ़ी टाइम उसके दोनो बूब्स से खेलता रहा,,,चूस्ता रहा,,,हल्के हल्के काट-ता रहा और
वो बस बिना पानी की मछली के जैसे मचलती रही,,,,,उसका जिस्म अकड़ता और कभी ढीला
पड़ जाता और कभी उसकी टाँगे झटके मारने लगती,,,उसके हाथ अकड़ जाते और वो अपने हाथों
की उंगलियों मे चद्दर को कस्के पकड़ लेती ,


उसके बूब्स को चूस्ते हुए मेरा एक हाथ उसकी कमर और पेट से होता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने
लगा,,,,मेरा हाथ उसकी पयज़ामी तक पहुँच गया और मैने उसकी पयज़ामी के नाडे को पकड़
लिया ,,,जैसे ही मैने उसके नाडे को पकड़ा उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक दिया


मैने भी अपना हाथ उसके नाडे से उठा लिया और उसके बूब्स से उपर उठके उसकी तरफ देखने
लगा,,,,वो कुछ परेशान थी ,,डरी हुई थी,,,,मैने हल्के से मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा 
और उसको बता दिया कि जब तक उसकी रज़ामंदी नही होगी मैं आगे नही बढ़ुंगा,,,हम दोनो
ऐसे ही एक दूसरे को देखते रहे,,,,,,,तभी उसके हल्के से मुस्कुरा कर मुझे देखा और अपने
हाथों से अपनी पयज़ामी के नाडे को खोल दिया और शरमा कर अपने चहरे को दूसरी तरफ टर्न
कर लिया,,,,,


मैं उसकी हरकत से खुश हो गया और वापिस उसके बूब्स को चूसने लगा,,,मेरा हाथ उसकी कमर
से होता हुआ वापिस उसकी पयज़ामी की तरफ बढ़ने लगा,,,,,मैने अपने हाथ को उसकी पयज़ामी
के उपर से उसकी चूत पर रखा तो उसकी धड़कन बढ़ने लगी जिसका एहसास मुझे उसके बूब्स
चूस्ते हुए होने लगा था,,,,,,


मैने उसकी पयज़ामी को पकड़ा और नीचे करने लगा लेकिन वो पयज़ामी को नीचे करने मे मेरा
साथ नही दे रही थी,,,,तभी मैने अपने एक हाथ को उसकी कमर के नीचे किया और उसको
मॅट्रेस से हल्का उपर उठा दिया,,,,वो मेरी इस हरकत से थोड़ी परेशान हो गयी और मेरी
तरफ देखने लगी,,,मैने हँसके उसकी तरफ देखा और अपने काम मे लगा रहा ,,उसकी कमर
उपर उठी और मैने अपने हाथ से उसकी पयज़ामी को उसकी गान्ड से थोड़ा नीचे कर दिया और
उसकी चूत मेरे सामने नंगी हो गयी,,,,


मेरा ध्यान उसकी चूत पर टिक गया,,,,,उसकी चूत एक दम गोरी थी,,,,उसके छोटे छोटे लिप्स
जो चूत के अंदर ही घुसे हुए थे आपस मे चिपके हुए थे,,,,हल्के हल्के रोयेदार बाल
थे उसकी चूत पर,,,,उसकी चूत एक दम सील पॅक थी,,उसकी चूत के लिप्स मे हल्की सी
भी जगह नही दिख रही थी जिस से मैं चूत के अंदर देख सकु,,,





मैं उसकी चूत को घूर रहा था तभी उसने शरमा कर अपने हाथ अपनी चूत पर रख लिए
और अपनी चूत को मेरे से छुपा लिया,,,मैं उसकी हालत समझ गया था और उसके चेहरे की
तरफ प्यार से देखने लगा और वापिस अपने काम मे लग गया और उसकी पयज़ामी को उसकी टाँगों से
नीचे की तरफ ले जाने लगा,,,,कुछ ही देर मे उसकी पयज़ामी निकल गयी थी और पेंटी ना होने 
की वजह से वो एक दम नंगी हो गयी थी मेरे सामने,,,,,


उसने शरम से अपनी आँखें बंद की हुई थी और अपने हाथों से अपनी चूत को कवर किया हुआ 
था ,,,वो एक दम नंगी थी मेरे सामने बस अपनी चूत को मेरे से छुपाया हुआ था,,मैने
भी कोई जल्दबाज़ी नही की उसकी चूत तक जाने की,,,,,,,लेकिन फिर भी मैं एक झलक उसकी
सील पॅक हल्के गुलाबी रंग की छोटे छोटे लिप्स वाली चूत को देखना चाहता था इसलिए
मैने अपने हाथ उसके हाथ पर रख दिए और उसकी चूत से उसके हाथ हटाने लगा लेकिन मैं
ज़रा सा भी ज़ोर नही लगा रहा था ,,,,बस उसको इशारा कर रहा था हाथ हटाने के लिए
Reply
12-21-2018, 03:30 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तभी उसने अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा,,,,वो थोड़ा शर्मा रही थी,,,मैने आँखों ही
आँखों मे उसको चूत से हाथ हटाने को बोला तो उसने हल्के से मुस्कुरा कर अपने सर को ना मे
हिला दिया और ये बता दिया कि उसको शरम आ रही है वो ऐसा नही कर सकती,,,मैने फिर
बोला और उसने फिर से मना कर दिया,,,,मैने अपने सर को नीचे किया और चूत के उपर रखे
हुए उसके हाथ को अपने दाँतों से काटने लगा और उसकी तरफ देखने लगा,,,मैं बच्चों जैसी
हरकत कर रहा था इस बात पर वो हँसने लगी लेकिन अपने हाथ को नही हटाया उसने अपनी 
चूत से,,मैने थोड़ी ज़ोर से काटा उसके हाथ पर तो वो जल्दी से पलट गयी और अपने पेट को
नीचे की तरफ करके अपनी पीठ को उपर कर लिया,,,,,



मैं उसकी इस हरकत से हँसने लगा,,,लेकिन मैं रुका नही और आगे बढ़के उसकी पीठ पर किस
करने लगा उसको उकसाने लगा ,,मस्ती मे बहकाने लगा ताकि वो बहक जाए और मुझे उसकी गुलाबी
चूत तक जाने दे,,,,, 

वो पलट कर लेट गयी और अपनी पीठ को उपर कर लिया मैने भी कोई देर किए बिना उसके उपर
झुक कर उसकी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया,,,,मैं अपने दोनो हाथों से उसकी पीठ
के हर हिस्से को सहला रहा था साथ साथ अपने लिप्स से हल्की हल्की किस कर रहा था और
कभी कभी अपनी ज़ुबान से उसकी पीठ को चाटने लग जाता था,,,बारिश की वजह से उसकी 
पीठ गीली हो गयी थी और थोड़ी ठंडी भी लेकिन अब वो बहुत गर्म हो चुकी थी इसलिए उसकी
पीठ पर पसीना आ गया था जिसका स्वाद मुझे अपनी ज़ुबान और लिप्स पर महसूस हो रहा था,
उसके पसीने मे एक अलग स्वाद था एक अलग महक थी जो मुझे काफ़ी मदहोश कर रही थी और
उसकी मदहोशी मे मेरा हाथ उसकी पीठ से होता हुआ उसकी गान्ड पर चला गया ,,,मैने उसकी
गान्ड को अपने हाथ मे पकड़ा और थोड़ा ज़ोर से मसल दिया,,,,उसने अपनी गान्ड को थोड़ा उपर
उछाल दिया और मुझे अपना हाथ दूर करने को बोलना लगी लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था



मैं उसकी पीठ को किस करता हुआ उसकी गान्ड को मसल्ने लगा दबाने लगा,,,,कुछ देर बाद
मैं उसकी पीठ से नीचे की तरफ किस करता हुआ उसकी गान्ड पर पहुँच गया,,मैने उसकी
गान्ड के एक तरफ के हिस्से को अपने हाथों मे पकड़ा और कस्के दबा दिया और जो हिस्सा फूल
कर मेरे सामने आया मैने उसको मुँह मे भरके हल्के से चूसा और दाँतों से काट दिया,,,आज
तक मैने कभी ऐसा नही किया था लेकिन आज पता नही मुझे क्या हो गया था मैं सोनिया के
जिस्म के हर हिस्से का मज़ा लेना चाहता था ,,स्वाद लेना चाहता था,,,




मैने उसकी गान्ड को हल्के हल्के दबा कर चूस रहा था काट रहा था और वो छटपटा रही
थी,,,,वो अपने पैरो को इधर उधर पटक रही थी ,,,,मुझे रुकने का इशारा कर रही थी
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था,,,,,मैं उसकी गान्ड को किस करता हुआ उसकी टाँगों की
तरफ बढ़ने लगा और टाँगों पर किस करता हुआ नीचे उसके पैरो की तरफ,,,,,टाँगों पर
से किस करता हुआ और हाथ फिराता हुआ मैं उसके पैरो तक पहुँच गया,,,,मैने उसके एक पैर 
को पकड़ा और उसकी टाँग को घुटने से मोड़ कर उसके पैर को उपर उठा लिया और फिर दूसरे पैर
को भी,,,


वो पेट नीचे करके पीठ उपर करके लेटी हुई थी और मैं उसकी टाँगों को घुटनो से पीछे
की तरफ मोड़ कर उसके पैरो के पास जाके बैठ गया और उसके पैरो पर किस करने लगा,,मेरे
एसा करते ही उसको गुदगुदी होने लगी वो अपने पैर छुड़वाने की कोशिश करने लगी लेकिन 
मैं उसको पैरो को कस कर पकड़ कर उसके पैरो को किस करने मे लगा रहा,,,मैं उसके
पैरो की उंगलियों को मुँह मे भरके चूसने लगा,,वो झटपटा रही थी,,,,मैं उसके पैरो
की उंगलियों को मुँह मे भरके चूस रहा था और उंगलियों के बीच की जगह मे अपनी ज़ुबान
घुमा कर चाट रहा था ,,कभी कभी मैं उसके पैर के नीचे के हिस्से को भी अपनी ज़ुबान
से चाट लेता तो वो सिसक उठती,,,,


फिर मैं उसके पैरो को किस करता हुआ वापिस उसकी गान्ड की तरफ बढ़ने लगा और जब मैं
उसकी गान्ड की तरफ बढ़ रहा था तो उसकी टाँगे थोड़ी खुली हुई थी जिस से मुझे उसकी
चूत का हल्का सा हिस्सा नज़र आ गया और मैने मस्ती मे उसको उसकी गान्ड से पकड़ा और उसकी
गान्ड को उपर उठा दिया,,,,,उसको मेरी हरकत के बारे मे पता नही चला क्यूकी मैने ये
सब बड़ी जल्दी मे किया,,,,,

जैसे ही उसकी गान्ड उपर उठ गयी मैने उसकी दोनो टाँगों को थोड़ा खोल दिया ,,,,अब वो 
डॉगी स्टाइल मे सर को मॅट्रेस से लगा कर गान्ड को उपर उठा कर झुकी हुई थी,,उसकी 
दोनो टाँगे खुल गयी तो उसकी चूत मेरे सामने थी,,,मैने हल्के से अपने हाथ से उसकी
चूत को टच किया तो वो एक दम से झटपटाने लगी,,,,मैने उसको उसके पेट और कमर के
पास से पकड़ा हुआ था ,,,मैने उसकी चूत को एक हाथ से टच किया तो उसकी चूत से हल्का
पानी बहने लगा ,,,,,उसकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी और मस्ती मे पानी बहाने लगी थी


मैने उसकी चूत की लाइन मे अपनी उंगली लगाई तो उसकी चूत के पानी से मेरी उंगली गीली
हो गयी,,,,चूत पर उंगली लगते ही वो सिसक उठी,,,उसने पीछे मूड के मुझे देखा और मुझे
रुकने को बोलने लगी,,,,लेकिन अब तक काफ़ी देर हो गयी थी ये बात वो खुद भी समझ गयी थी
मैने उसकी चूत के पानी से गीली हो चुकी उंगली को अपने नाक के पास करने सूँघा तो एक
नमकीन खुश्बू मिलने लगी मुझे उसकी चूत के पानी से,,,,मैने उसकी उंगली को नाक से लगा
कर सूँघा और फिर उस उंगली को मुँह मे भर लिया,,,और उसकी तरफ देखते हुए उसकी चूत के
पानी को अपनी उंगली से चूस कर और चाट कर उसका स्वाद लेने लगा,,,,,वो मेरी हरकत से 
थोड़ी गर्म हो गयी थी,,,,,उसको पता चल गया था कि अब मैं उसकी चूत का स्वाद चख 
चुका हूँ अब मुझे रोकना उसके लिए मुश्किल था,,उसने अब वापिस अपने सर को मॅट्रेस पर
झुका कर अपने आप को मेरे हवाले कर दिया,,,,,,,


मैने भी उसकी टाँगों को थोड़ा और खोला और अपने नाक को उसकी चूत के पास ले गया और अच्छी
तरह से सूंघने लगा और फिर दोनो हाथों की उंगलियों से उसकी चूत को हल्के से दोनो
तरफ खोला और चूत के अंदर के गुलाबी हिस्से को देखने लगा जो पानी से भीग कर हल्की
रोशनी मे भी काफ़ी चमक रहा था,,,,मैने उसकी चूत को खोला और उसकी लाइन मे अपनी ज़ुबान
घुसा दी और उसकी चूत का स्वाद लेने लगा,,,जैसे ही मेरी ज़ुबान उसकी चूत की लाइन को
चूस कर महसूस करने लगी उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी,,,,अहह उहह


मैने उसकी चूत को दोनो तरफ से थोड़ा और खोला और मेरी नज़र पड़ी उसकी थूक की झिल्ली
पर जो उसकी चूत की सील थी,,,,,मैने आज पहली बार किसी चूत की सील देखी थी मैं
उंगली से उस सील को उस झिल्ली को छू कर देखना चाहता था लेकिन मुझे नही लग रहा
था कि मेरी उंगली अंदर जाएगी क्यूकी मुझे इतनी जगह ही नही दिख रही थी उसकी चूत
मे,,,,फिर मैं मैं एक बार उसको छू कर देखना चाहता था,,,उंगली से ना सही ज़ुबान 
से ही सही,,,मैने अपनी ज़ुबान को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया और जैसे ही मेरी ज़ुबान
उसकी चूत के अंदर घुसी वो एक दम से आगे बढ़ कर लेट गयी और अपनी गान्ड को भी नीचे कर
लिया,,,,
Reply
12-21-2018, 03:32 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मुझे अब उसकी चूत का स्वाद मिला चुका था अब रुकना मेरे बस की बात नही थी,,मैने 
उसको उसकी कमर से पकड़ा और पलट दिया ,,,जैसे ही वो पलटी उसकी चूत मेरे सामने आ गयी
और मैं टूट पड़ा उसकी चूत पर,,,,,उसकी चूत को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा साथ
ही अपनी ज़ुबान से उसकी चूत की चोदने लगा,,,,,,वो बस सर को इधर उधर पटक कर अपने
बदन को झटक रही थी,,,और हल्की हल्की आह्हीन्न्न्न भर रही थी,,,मैं उसकी चूत के
हल्के हल्के लिप्स को मुँह मे भरके काटने लगा और उंगली से उसकी चूत के उपर वाले हिस्से को
सहलाने लगा ,,तभी उसका बदन अकड़ने लगा और तेज़ी से सिसकियाँ लेने लगी,,,अहह
उउउहह ऐसा करते हुए उसने मेरे सर को अपने हाथ मे पकड़ा और अपनी चूत पर दबा
दिया,,,,,मैं समझ गया ये झड़ने वाली है इसलिए मैं थोड़ी तेज़ी से उसकी चूत को चूसने
लगा ,,,थोड़ी ही देर मे उसका पानी निकल गया,,,पानी ज़्यादा नही निकला था बस थोड़ा सा ही
था,,,जिसको मैं पी गया और अपनी ज़ुबान से भी उसकी चूस को चाट कर अच्छी तरह से 
सॉफ और चिकना कर दिया,,,,




उसका पानी निकल गया और मैं उसकी चूत से दूर हट गया ,,,,वो तेज़ी से साँसे ले रही थी
और अपनी हालत को क़ाबू करने की कोशिश कर रही थी,,,मैं बस मुस्कुरा कर उसकी तरफ
देख रहा था,,,,


कुछ देर मैं उसकी तरफ देखता रहा ,,जब उसकी हालत ठीक हो गयी तो मैं उठा और उसके
सामने खड़ा होके अपने पयज़ामे को खोलने लगा,,,,जैसे ही मेरा पयज़ामा खुल गया मेरा लंड
पूरी ओकात मे सर उठाकर खड़ा हुआ था जिस पर सोनिया की नज़रे टिक गयी,,,,,वो मेरे लंड
को देख कर डर गयी थी,,परेशान हो गयी थी,,,


मैने अपने लंड को हाथ मे पकड़ा और उसके चहरे के करीब जाके घुटनो के बल बैठ गया 
और अपने लंड को उसके चहरे के करीब कर दिया,,,,वो आँखें फाड़ फाड़ कर मेरे लंड को
देख रही थी,,,,मैने लंड को उसके लिप्स के करीब कर दिया और उसको लंड मुँह मे लेने का
इशारा करने लगा लेकिन उसने सर को ना मे हिला दिया ,,मैने भी कोई ज़िद्द नही की बस 
ऐसे ही आगे बढ़ के अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा और चूत के उपर के हिस्से पर उंगली
करने लगा,,,,कुछ ही देर मे उसको मस्ती चढ़ने लगी और उसका मुँह खुलने लगा और वो लंड
को अपने हाथ मे पकड़ कर सर को मेरे लंड के करीब करने लगी,,,,उसना अपना मुँह खोला 
और लंड को मुँह मे भरने लगी लेकिन उसका मुँह इतना नही खुल रहा था जिस से लंड उसके 
मुँह मे घुस सके,,लेकिन मस्ती की वजह से वो कोशिश करती जा रही थी,,,लंड तो उसके
मुँह मे नही घुस रहा था फिर भी वो लंड की टोपी को अपने होंठों मे भरके चूसने लगी
थी,,,और अपनी ज़ुबान से चाटने लगी थी,,,,


मेरी उंगली उसकी चूत पर अपना हुनर दिखा रही थी और वो अपने होंठों से और अपनी ज़ुबान 
से मेरे लंड की टोपी पर अपने हुनर को दिखाने की कोशिश कर रही थी,,,,वो अंजान थी
इस सब से लेकिन कोशिश कर रही थी मेरा साथ देने की,,,मेरे लिए भी इतना ही काफ़ी था 
कि वो मेरा साथ तो दे रही है,,,,,


कुछ देर बाद मैं उठके उसकी चूत के पास टाँगों के बीच मे जाके बैठ गया,,,वो समझ
गयी अब वो टाइम आ गया है जब हम दोनो एक दूसरे को पूरी तरह से हाँसिल कर लेंगे,,उसने
मुझे मना नही किया कुछ करने से लेकिन फिर भी वो मेरे लंड को डर की नज़रो से देख
रही थी,,,,वो नज़रो ही नज़रो मे मुझे बोल रही थी कि सन्नी ये लंड इतना बड़ा है कि
मेरे मुँह मे नही गया तो चूत मे कैसे जाएगा ,,,,मैने भी हंस कर उसकी तरफ देखा और
अपने मुँह से खूब सारा थूक लेके अपने लंड पर लगा लिया और फिर कुछ थूक उसकी चूत
पर लगा कर अच्छी तरह से मलने लगा,,,फिर मैं उसके उपर झुक कर उसके जिस्म पर लेट
गया,,,क्यूकी जब लंड उसकी सील पॅक चूत मे घुसना था तो उसने मछली के जैसे तड़प जाना
था और झटपटाना शुरू कर देना था,,मेरे जिस्म का उसके जिस्म पर होना ज़रूरी था ताकि जब 
वो झटपटाना शुरू करे तो मैं उसको क़ाबू कर सकूँ,,,,


मैं उसके उपर लेट गया और अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और हल्का ज़ोर लगा कर लंड
को अंदर करने की कोशिश करने लगा,,लेकिन उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा मूसल बहुत
बड़ा था जो इतनी आसानी से नही जाने वाला था उसकी चूत मे,,मैने फिर से कोशिश की तो लंड
फिर से एक तरफ खिसक गया,,,मैने काफ़ी कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हो रहा था तभी
सोनिया ने अपने हाथों से अपनी दोनो टाँगों को पकड़ा और अपनी टाँगों को पूरी तरह से खोल
दिया जितना भी वो खोल सकती थी,,,,,वो अपनी टाँगे खोल कर लंड के लिए जगह बना रही
थी लेकिन वो मासूम क्या जाने जितनी भी जगह बन जाए मेरा मूसल उसकी सील पॅक चूत मे
इतनी आसानी से घुसने वाला नही था,,,,,,ये बात उसको भी पता थी लेकिन फिर भी वो हल्की
कोशिश ज़रूर कर रही थी,,,,, 

मेरा लंड हर बार फिसल कर दूसरी तरफ चला जाता था ,,,तभी उसने अपनी टाँगों को
खोला और ज़्यादा जगह बनाने की कोशिश करने लगी,,,


मैने लंड को उसकी चूत पर रखा और लंड को उसकी चूत मे घुसाने की कोशिश करने
लगा और हल्का ज़ोर लगाने लगा लेकिन कोई फ़ायदा नही हो रहा था ,,तभी उसने अपने हाथ 
मेरी कमर पर रखके और अपना पूरा ज़ोर लगा दिया मेरी कमर को नीचे की तरफ दबाने के
लिए जिस से मेरा लंड उसकी चूत मे घुस सके,,,,,,और उसकी कोशिश कामयाब हो गयी इसका
पता मुझे तब नही लगा जब मेरा लंड उसकी चूत मे घुसा बल्कि मुझे तब पता चला
जब मुझे उसकी आँखों मे आँसू नज़र आए,,,,वो चीखी या चिल्लाई नही थी लेकिन फिर भी
मेरा लंड चूत मे घुसने से और चूत की सील टूट जाने से उसको दर्द हुआ था ,,मैं भी
उसको हर्ट नही करना चाहता था हालाकी लंड अंदर जाना था तो सील तो टूट जानी थी और 
दर्द भी होना था लेकिन फिर भी मैं उसको हर्ट नही करना चाहता था इसलिए तो इतनी बार
कोशिश करने के बावजूद मैं लंड को उसकी चूत मे नही घुसा रहा था ये बात उसको भी
पता थी कि मैं ज़्यादा ज़ोर नही लगा रहा और उसको हर्ट नही कर रहा इसलिए उसने खुद अपने
हाथ मेरी पीठ पर रखे और खुद मेरे से ज़ोर लगवाया ,,,,,और जब उसकी चूत मे लंड घुस 
गया तो वो चिल्लाई नही क्यूकी अगर वो चिल्लाती तो मैं रुक जाता और अब वो मुझे रोकना न्ही
चाहती थी,,,,,,लेकिन फिर भी उसकी आँखों से बहने वाले आँसू बता रहे थे कि उसको
कितना दर्द हुआ है,,,,,


लंड करीब 2-3 इंच तक उसकी चूत मे घुस चुका था,,उसकी चूत बहुत टाइट थी मेरा 
मोटा मूसल एक दम टाइट फिट हो गया था उसकी चूत मे,,उसको दर्द हुआ था जब इतना मोटा
मूसल गया उसकी चूत मे इसलिए जब लंड अंदर घुस गया तो वो कुछ देर रुकी रही और ज़ोर
नही लगाया मेरी पीठ पर और ना ही मैं हिला जुला,,,मैं भी ऐसे ही रुका रहा,,


मैं ऐसे ही उसके उपर लेटा रहा और उसके चहरे की तरफ देखता रहा,,उसकी आँखों से पानी
निकल रहा था,,,,जब मैं उसकी आँखों से बहने वाली पानी को देखने लगा उसके आँसू देखने
लगा तो उसको थोड़ी परेशानी हुई,,,,वो जानती थी कि अगर मुझे उसका दर्द दिख गया तो मैं
रुक जाउन्गा कुछ नही करूँगा इसलिए उसने अपने चेहरे को एक तरफ कर लिया,,,,मैने उसके
चेहरे को अपने हाथ से पकड़ा और सीधा कर दिया और उसके लिप्स पर हल्की किस करदी और फिर
उसकी आँखों पर किस करने लगा,,,,,,मैं उसको बता दिया मुझे उसके दर्द की परवाह है 
लेकिन इस हालत मे मैं रुक नही सकता लेकिन मैं आगे भी नही बढ़ सकता,,,


कुछ देर बाद उसने फिर से अपने हाथों से मेरी पीठ को नीचे की तरफ किया और मेरा लंड
थोड़ा और आगे हो गया,,,,अब उसको दर्द कम हो रहा था इसलिए वो मुझे हिलने का इशारा करने
लगी,,,,मैं भी हल्के हल्के अपनी कमर को उपर नीचे करके लंड को उसकी चूत मे पेलने
लगा,,,,,,मेरा करीब 3-4 इंच तक लंड उसकी चूत मे घुसा था और मैं उतने लंड को ही
आगे पीछे करने लगा वो भी स्लो स्पीड मे,,,,वो भी हल्के हल्के मेरी पीठ को उपर नीचे
करने मे मेरा साथ दे रही थी,,,


करीब 2-3 मिनिट तक मैं ऐसे ही स्लो स्पीड मे हिलाता रहा लेकिन जब उसकी सिसकियाँ शुरू
हो गयी और उसको मस्ती चढ़ने लगी तो उसने अपने हाथों से मेरी पीठ को थोड़ी तेज़ी से उपर
नीचे करना शुरू कर दिया ,,,इशारा मिलते ही मैने भी स्पीड थोड़ी तेज की लेकिन ज़्यादा तेज
नही क्यूकी मैं उसको दर्द नही देना चाहता था,,,मेरा मूसल इतना बड़ा था कि चूत को
फाड़ कर रख देता,,,,सोनिया की जगह कोई और सील पॅक लड़की होती तो जान निकाल देता मैं
उसकी लेकिन सोनिया को दर्द देने के बारे मे मैं सोच भी नही सकता था,,,,


मेरा 3-4 इंच तक लंड उसकी चूत मे था और मैं इतने लंड से ही स्लो स्पीड मे उसकी चूत
की चुदाई कर रहा था,,,उसको मज़ा आने लगा था इसलिए उसने मेरे सर को पकड़ा और नीचे 
करके मेरे लिप्स पर किस करने लगी,,,,वो पागल हो गयी थी मस्ती मे और पूरे जोश मे मुझे
किस कर रही थी ,,,,मेरे सर पर मेरी पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी ,,मेरी पीठ
को सहला रही थी,,तभी उसने मस्ती मे मेरी पीठ को कस कर नीचे की तरफ दबया तो मेरा
लंड उसकी चूत मे और ज़्यादा अंदर तक घुस गया,,,,उसने ये हरकत मस्ती मे की थी लेकिन
उसको इस बात का अंदाज़ा नही था उसने कितनी बड़ी ग़लती करदी थी,,,जब लंड थोड़ा और ज़्यादा
अंदर गया तो दर्द के मारे उसकी हालत खराब हो गयी,,,,उसने अपने दर्द को बयान करने के लिए 
अपने नाख़ून घुसा दिए मेरी पीठ पर और बुरी तरह से छील दिया मेरी पीठ को,,लेकिन
टाइट चूत की मस्ती मे मैं दर्द को भूल गया था,,,और वैसे भी सोनिया के दर्द के सामने
मेरा दर्द कुछ न्ही था,,,,उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे ,,,लेकिन फिर भी वो हल्की
हल्की सिसकियाँ लेती हुई मुझे किस कर रही थी,,,,

जैसे किस करने की वजह से उसकी सिसकियाँ उसके मुँह मे दब कर रह गयी थी वैसे ही उसकी
चीख भी मेरे मुँह मे दब कर रह गयी थी,,,,क्यूकी जब मस्ती मे उसने मेरी पीठ को नीचे
किया और मेरा लंड 2 इंच तक और उसकी चूत मे घुस गया तो दर्द से उसकी हालत बुरी हो गयी 
थी और इस बार वो खुद को चीखने से रोक नही पाई थी,,,,अगर उसका मुँह मेरे मुँह से जुदा
नही होता तो चीख पूरे रूम मे गूज़ जानी थी,,,,,
Reply
12-21-2018, 03:32 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तभी कुछ देर बाद उसकी सिसकियाँ शुरू हो गयी और वापिस मज़ा आने लगा उसको,,मुझे भी
बहुत मज़ा आ रहा था,,,मेरा लंड पूरी तरह से फिट होके उसकी चूत मे आगे पीछे हो रहा
था,,,,तभी मुझे उसकी चूत मे बहुत ज़्यादा फिसलन महसूस होने लगी,,,उसकी चूत अंदर
से बहुत गीली हो गयी थी,,,मैं समझ गया इसका पानी निकल गया है,,,लेकिन मैं रुका नही
और ना ही सोनिया ने मुझे रुकने को बोला,,,,मैं बस ऐसे ही लंड पेलता रहा उसकी चूत
मे और वो भी मस्ती मे हल्की हल्की सिसकियाँ लेती हुई मुझे किस करती रही,,,,उसकी चूत
ने फिर से पानी बहा दिया था जिस से चूत मे बहुत ज़्यादा फिसलन हो गयी थी और मेरा लंड
बड़े आराम से आगे पीछे होने लगा था जिस से मेरी स्पीड भी पहले से तेज हो गयी थी और
साथ साथ सोनिया की सिसकियाँ भी,,,,,



जब उस से खुद की सिसकियों पर क़ाबू नही रहा तो उसने अपने मेरे सर को अपने सर से दूर
कर दिया और मुझे किस करना बंद करके खुल कर सिसकियाँ लेने लगी,,,,,अहह ऊहह
हहययइईईईईईई अहह माआआआआआअ उूुुुुुउऊहह हहयइईईईई
ककककककककककककककककक ऊओह हमम्म्ममममममममममममममममममम आहह



उसकी सिसकियाँ सुनकर मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी और मेरी स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी,,वो भी
मेरी कमर को पकड़ कर तेज़ी से आगे पीछे करने लगी,,,,लेकिन अब वो ज़्यादा अंदर तक मेरा
लंड नही लेना चाहती थी बस जितना अंदर था उसी से मज़ा लेना चाहती थी,,,उसको पता
था अगर और ज़्यादा लंड अंदर लेने की कोशिश की तो दर्द से बुरा हाल हो जाना है और जो
मज़ा आ रहा है वो मज़ा किरकिरा हो जाना है,,,इसलिए वो उतने ही लंड से अपनी चुदाई 
करवा रही थी जितना अभी उसकी चूत मे था,,,,


करीब 10-15 मिनिट से मैं उसकी चूत की चुदाई कर रहा था इस दौरान वो 1 बार झड
चुकी थी और शायद अब दूसरी बार झड़ने वाली थी क्यूकी उसकी सिसकियाँ तेज हो गयी थी और 
अब तो मैं भी झड़ने वाला था,,,और ऐसे ही हुआ,,,कुछ देर बाद उसकी चूत ने फिर से पानी
बहा दिया और जब मेरा भी पानी निकलने लगा तो मैने लंड को उसकी चूत से निकाला और लंड
को उसके पेट पर रखके तेज़ी से हिलाते हुए सारा पानी उसके पेट पर निकाल दिया,,,,



जब सारा पानी निकल गया तो मैं उसके साथ लेट गया,,,,उसने मस्ती मे अपने हाथ से मेरे 
पानी को अपने पेट पर मलना शुरू कर दिया,,,,,


हम दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे के साथ लेटे रहे,,,,,कुछ देर बाद मैने उठा और साइड से
एक कपड़ा उठाकर उसके पेट को सॉफ किया,,,फिर उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा शर्मा रही 
थी,,,,,



मैं वापिस उसके करीब लेट गया तो वो मेरी तरफ पलट गयी और मुझे किस करने लगी,,किस
करते हुए वो मेरे बदन पर अपने हाथ घुमा रही थी,,,,कुछ देर बाद उसका हाथ मेरे लंड
के करीब चला गया और उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया,,अभी कोई 4-5 मिनिट पहले
ही हम दोनो का पानी निकला था लेकिन वो फिर से तैयार हो गयी थी,,वही हाल मेरा भी था
मैं भी तैयार हो गया था क्यूकी उसका हाथ बड़े प्यार से मेरे लंड को सहला रहा था,,उसके
नरम और मुलायम हाथ का स्पर्श मेरे लंड पर लगते ही मेरा लंड झटके मार कर खड़ा होने
लगा था,,,,जब लंड पूरी तरह ओकात मे आ गया तो सोनिया ने अपनी एक टाँग मेरे उपर रख 
दी जिस से उसकी चूत खुलकर मेरे लंड के करीब आ गयी,,,,मैने भी कोई देर नही की और
अपने कमर को आगे किया तो लंड उसकी चूत पर टिक गया,,,मैने थोड़ा आगे होके लंड को हल्का
झटका दिया तो लंड अंदर घुस गया और मैने हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू 
कर दिया,,,,


मस्ती मे वो भी अपनी कमर और गान्ड को आगे पीछे करने लगी थी,,,उसको भी मज़ा आने लगा 
था,,शायद उसको कुछ ज़्यादा ही मस्ती चढ़ने लगी थी इसलिए उसने अपनी टाँग को मेरे जिस्म के
उपर से दूसरी तरफ किया और मेरे उपद चढ़ गयी,,,मैं उसकी हरकत से खुश हो गया और उसके
सर को अपने लिप्स से दूर करके उसके चेहरे की तरफ देखने लगा,,,,उसना शरमा कर वापिस
मुझे किस करना शुरू कर दिया और अपने शरमाते हुए चेहरे को मेरे से छुपा लिया,,



वो मस्ती मे आके खुद मेरे उपर चढ़ गयी थी और खुद अपनी कमर और गान्ड को उपर नीचे 
करके मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो अभी इस खेल से
बिल्कुल अंजान थी फिर भी चूत चुदाई की मस्ती मे वो मेरा साथ देने की कोशिश कर
रही थी,,,,,,मुझे पता था वो अंजान है इसलिए मैने अपने हाथ उसकी गान्ड पर रखे
और उसकी गान्ड को पकड़ कर खुद उसको अपने लंड पर उपर नीचे करने लगा,,,वो पूरी मस्ती
मे आ चुकी थी और खूब मस्ती मे मुझे किस भी कर रही थी,,,,तभी उसके हाथ मेरी
छाती पर चले गये और उसने मेरे निपल्स के साथ छेड़खानी करनी शुरू करदी,उसने
मेरे निपल्स को अपने हाथों से हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया और मेरी छोटी छोटी
डुंदीयों को अपनी उंगलियों मे लेके दबाने लगी,,,,,वो थोड़ा ज़ोर से दबा रही थी और मुझे
दर्द हो रहा था,,,,,तभी दर्द से मेरी हल्की अहह निकल गयी और उसने चेहरे को मेरे लिप्स
से दूर किया और हँसके मेरी तरफ देखा,,,,उसको मुझे हर्ट करके अच्छा लग रहा था,,उसने
हँसके मुझे देखा और शरारती अंददाज मे मेरे निपल्स की तरफ बढ़ने लगी और जल्दी ही उसने
मेरे निपल्स पर अपने लिप्स रखे और मेरी तरफ देखते हुए मेरे निपल्स को अपने लिप्स से लगा
कर चूसने लगी,,,,लेकिन ज़्यादा देर तक नही ,,,वो तो मुझे तंग करना चाहती थी इसलिए 
उसने मेरे निपल्स को अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया और हंसते हुए मेरी तरफ देखने
लगी ,,,,



उसका अंदाज़ मस्ती मे मुझे तंग करने वाला था जो मुझे अच्छा लग रहा था,,,,शरारत से
'ही सही वो खुश तो थी,,मेरा साथ तो दे रही थी,वो बहुत चुलबुली थी और चुदाई की मस्ती
मे भी मेरे साथ शरारत करने से बाज नही आ रही थी,,,,,,वो मेरे निपल्स को चुस्ती और 
दाँतों से काट-ती हुई मेरे लंड पर उपर नीचे हो रही थी और मैं उसको उसकी गान्ड से
पकड़ कर उपर नीचे होने मे उसकी हेल्प कर रहा था,,,मैं स्लो स्पीड मे उसकी चुदाई कर
रहा था लेकिन जब उसने मेरे साथ शरारत करनी शुरू की मुझे तंग करना शुरू किया तो
मैने उसकी गान्ड को तेज़ी से उपर नीचे करना शुरू कर दिया,,,वो मेरी तरफ देखकर मुझे
स्पीड स्लो करने को बोलने लगी लेकिन मैं नही रुका और तेज़ी से उसकी चुदाई करने लगा,
मुझे भी उसका मेरे साथ शरारत करना अच्छा लग रहा था और मुझे कुछ ज़्यादा मस्ती चढ़ने
लगी तो मैने अपनी स्पीड तेज करदी और उसको तेज़ी से अपने लंड पर उपर नीचे करने लगा
जिस से उसको कुछ ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी लेकिन वो इतनी मस्ती बर्दाश्त नही कर पाई और
उसकी चूत ने पानी बहा दिया,,,,


लेकिन इस बार पानी बहुत ज़्यादा निकला था,,मैं समझ गया हो ना हो ये उसकी चूत का पानी
नही बल्कि उसका पेशाब है,,,मस्ती इतनी ज़्यादा चढ़ गयी और वो बर्दाश्त नही कर सकी तो 
उसका पेशाब निकल गया,,,,उसने अपना सर उठाकर मेरी तरफ देखा तो मैने उसकी तरफ हँसके
देखा तो वो थोड़ा परेशान हो गयी,,,,फिर मेरे पेट पर गिरे हुए अपने पेशाब को देखकर 
शरमा गयी,,,,उसके शरमाने से मैं हँसके उसकी तरफ देखने लगा और ऐसे ही तेज़ी से उसकी
चुदाई करते गया,,,,,

करीब 8-10 मिनिट बाद मेरी स्पीड कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी इसका मतलब था मैं झड़ने
वाला हूँ लेकिन इतनी तेज स्पीड की वजह से उसकी सिकियाँ कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी और फिर
से उसका पेशाब निकल गया लेकिन इस बार पेशाब के साथ साथ उसकी चूत ने पानी भी बहा 
दिया था अब उस से ज़्यादा बर्दाश्त नही हुआ और वो एक दम से मेरे उपर से उतर गयी,,,जैसे
ही वो मेरे उपर से उतरी मैं भी उठा और अपने लंड को हाथ मे पकड़कर तेज़ी से हिलाने
लगा और अपने पानी को उसके पेट पर निकालने लगा,,,,,,


उसकी हालत बहुत खराब थी वो बस तेज़ी से साँसे ले रही थी और मेरे लंड की तरफ देख 
रही थी ,,तभी मेरा ध्यान भी अपने लंड पर गया तो उसमे सोनिया की चूत का पानी और थोड़ा
खून लगा हुआ था,,,मैने तेज़ी से लंड हिलाते हुए पानी उसके पेट पर निकाला और फिर उसकी
बगल मे लेट गया,,,,,


हम लोग काफ़ी टाइम ऐसे ही चुप चाप लेटे रहे,,,,लेकिन ज़्यादा देर तक नही,,,हम लोगो मे से
कोई कुछ भी नही बोल रहा था,,,,,हम लोग शांत थे और बाहर का मौसम भी काफ़ी शांत हो
गया था,,,,ना तो बाहर से बिजली गर्रजने की आवाज़ आ रही थी और ना ही बदलो की आवाज़ आ
रही थी,,,,,,काफ़ी टाइम रूम मे भी सन्नाटा रहा बस हम दोनो के तेज़ी से साँसे लेने की
आवाज़ का शोर था रूम मे,,,,
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