Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
08-14-2019, 03:25 PM,
#41
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
हम ने अपने हाथ का ड्रिंक ख़तम किया और एक नये ड्रिंक का ऑर्डर दिया. उस की कोहनी मेरी तनी हुई, कड़क चुचियों को टच कर रही थी और मैं रोमांचित हो रही थी. मैने भी अपना हाथ टेबल के नीचे किया और उस के लंड को उस की पॅंट के उपर से ही हाथ लगाया. जैसी कि मुझे उम्मीद थी, उस का लंड पूरी तरह खड़ा हुआ, कड़क था. रेस्टोरेंट की रोशनी काफ़ी धीमी थी और धीरे धीरे संगीत बाज रहा था. वातावरण बिल्कुल रोमॅंटिक था. इस रोमॅंटिक वातावर्ण और हमारी सेक्सी बातों के वजह से हम दोनो ही चुदाई के लिए मचलने लगे. पर हम जानते थे कि यहाँ चुदाई करना पासिबल नही है, पर जितना हम कर सकते थे वो हम ने करने की ठान ली. वो मेरी जाँघो पर हाथ फिराने लगा और उसका गरमा गरम खड़ा हुआ कड़क लंड मेरी पकड़ मे था. हम दोनो का एक एक हाथ टेबल के नीचे था और हम दोनो ने अपने अपने दूसरे हाथ मे ड्रिंक्स पकड़े हुए थे. मैने इधर उधर देखा. किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नही था और उस समय वहाँ ज़्यादा भीड़ भी नही थी. अधिकतर लोग अपनी फॅमिली के साथ थे और अपने आप मे ही मस्त थे. हमारी तरह दो तीन जवान जोड़े हॉल के अलग अलग कोने मे बैठे हुए थे.

मतलब सॉफ था कि हम किसी की भी नज़र मे आए बिना, टेबल पर बैठे बैठे अपना काम कर सकते थे, पूरा नही तो बहुत कुछ. टेबल का कपड़ा टॅबेल के टॉप से काफ़ी नीचे तक लटका हुआ था इस लिए किसी बात का डर नही था.

मैने उस के पॅंट की ज़िप खोल दी. वो थोड़ा सा चौंका और धीरे से बोला " क्या कर रही हो जूली"

मैं - कुछ नही, बस अपने हथियार को चेक कर रही हूँ.

रमेश - कोई देख लेगा.

मैं - चिंता मत करो. कोई नही देख सकेगा. मैं पूरा ध्यान रखूँगी.

उस ने भी इधर उधर देखा और चेक किया तो वो भी इस के लिए मान गया. मैने उस के खड़े लंड को उसकी पॅंट से, उसकी चड्डी के रास्ते से बाहर निकाल लिया. अब उसका नंगा, गरम और मज़बूत कड़क लंड मेरी हथेली मे था, टेबल के नीचे, एक रेस्टोरेंट मे, कई लोगों के बीच मे मैने उस का लंड पकड़ा हुआ था. मैं एक अड्वेंचर पसंद लड़की हूँ और मुझे हमेशा मज़ा आता है ऐसी हरकत करने मे, खास कर के किसी पब्लिक प्लेस पर, कई लोगों के बीच, बिना किसी को पता चले मैं अपना काम कर जाती हूँ. मैने अपनी लाइफ मे ऐसा कई बार किया है और किसी को भी कभी पता नही चला. और जब भी मौका मिलेगा, ऐसा ही करूँगी. उस ने अपना टेबल नॅपकिन रेडी रखा था ताकि किसी ज़रूरत के समय वो अपना नंगा लंड ढक सके.

उस ने भी अपना हाथ बढ़ा कर मेरी स्कर्ट थोड़ी उपर करदी थी. मैने भी अपनी गंद उठा कर उस की हेल्प की. अब उस की उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर थी और मैं जानती थी कि उस के लिए मेरी चड्डी मे हाथ डाल कर मेरी चूत तक पहुँचना मुश्किल था. वो अपना हाथ मेरी थोड़ी सी गीली हो चुकी चड्डी पर फिरा रहा था. मैने अपने पैर थोड़े से चौड़े कर्लिये ताकि वो अपनी उंगलियाँ मेरी चूत पर चड्डी के उपर से आराम से फिरा सके. एक दो बार उस ने अपनी उंगली मेरी चड्डी की साइड से अंदर डालने की कोशिस की पर बैठे होने के कारण मेरी चड्डी टाइट हो गई थी और जिस तरह हम पास पास बैठे थे, उस की उंगलियों का मेरी चड्डी के अंदर मेरी चूत तक पहुँचना मुश्किल था. अब ये बात वो भी समझ चुका था और वो मेरी चूत के मूह पर मेरी चड्डी के उपर से ही हाथ फिरा रहा था. हम दोनो का एक एक हाथ टेबल के नीचे अपना अपना काम कर रहा था और अपने दूसरे हाथ से ड्रिंक पीते हुए हम आपस मे धीरे धीरे बातें कर रहे थे.

मैं बोली - कैसा लग रहा है डियर !

रमेश - जूली ! तुम बहुत शानदार लड़की हो. तुम ये अच्छी तरह जानती हो कि किस मौके का किस तरह फ़ायदा उठाया जा सकता है. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. तुम को कैसा लग रहा है ? मैं तुम्हारे प्यार के दरवाजे पर डाइरेक्ट हाथ नही लगा पा रहा हूँ.

मैं - कोई बात नही. मुझे तुम्हारे हाथ का अपनी चड्डी के उपर से पूरा पूरा मज़ा आ रहा है. क्या इस तरह कभी तुम ने अंजू के साथ किया है?

रमेश - नही यार. हम बाहर नही मिल सकते. जब भी मौका मिलता है, मैं उस के बेडरूम मे जाता हूँ और हम जल्दी जल्दी चुदाई कर लेते है क्यों कि हमेशा टाइम बहुत कम होता है हमारे के पास.

मैं - अंजू की चूत मेरी चूत के मुक़ाबले ज़्यादा कसी हुई होगी ना ? क्यों कि तुम अकेले हो जो उस की चुदाई करते हो और वो भी महीने मे 4/5 बार.

रमेश - नही. मुझे तुम्हारी और उसकी चूत मे कोई ज़्यादा फरक नही लगता है. हां, एक फ़र्क है, तुम हमेशा अपनी चूत के बाल साफ रखती हो और अंजू उन को ट्रिम करके रखती है. पर ये सब तुम क्यों पूछ रही हो?

मैं - ऐसे ही. कोई विशेष कारण नही है. क्या तुम को उस को चोद कर मज़ा आता है ?

रमेश ने मेरी तरफ देखा और बोला - " जूली ! मैं तुम से प्यार करता हूँ और मुझे तुम्हारे साथ मज़ा आता है. हम जल्दी ही शादी करने वाले है और हम को अपने शादी के पहले के संबंधो को पीछे छ्चोड़ कर भुला देना है."

मैं - इस मॅटर मे इतना सीरीयस होने की ज़रूरत नही है. मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही हूँ. वो कैसी दिखती है ?

रमेश - खूबसूरत. पर तुम से ज़्यादा नही.

मैं - हां. ये मैं जानती हूँ. खूबसूरत तो वो ज़रूर होगी. क्यों कि किसी ऐसी वैसी लड़की को तो तुम्हारा लंड लेने का चान्स तो मिलने से रहा.

हम दोनो ही धीरे से मुश्कराए.
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08-14-2019, 03:26 PM,
#42
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैं उसका तना हुआ मोटा लंड उसकी पॅंट और चड्डी से बाहर निकाल कर पकड़ी हुई थी और उस के लंड के मूह पर अपने हाथ का अंगूठा फिरा रही थी. उस के लंड का मूह गीला हो चुका था जिसकी वजह से मेरा अंगूठा बड़े आराम से घूम रहा था. वो अपने हाथ की बीच की उंगली मेरी चड्डी पर से मेरी चूत के बीच मे बड़े शानदार तरीके से घुमा रहा था और मेरी चूत जो थी कि अपना रस निकालते ही जा रही थी.

मैने फिर पूछा - क्या अंजू मेरे बारे मे जानती है ?

रमेश - हां. वो तुम्हारे बारे मे जानती है. मैने बताया है उसको.

मैं - क्या तुम हम दोनो को मिलाना पसंद करोगे ?

रमेश - क्यों नही. अगली बार जब तुम मेरे घर आओगी तो मैं तुम को उस से मिलने उस के घर ले चलूँगा.

मैं बोली - ठीक है.

अचानक वेटर हमारी टेबल पर आया और पूछने लगा कि हमे कुछ और तो नही चाहिए. हम ने अपने अपने टेबल के नीचे हाथों को जहाँ थे, वहीं रोक लिया और उन को हिलाना बंद कर्दिया. कोई हलचल नही की. लेकिन हम ने अपने अपने हाथ निशाने पर से नही हटाए थे. मैं अभी भी उस का खड़ा हुआ लंड पकड़े हुए थी और उस की उंगली मेरी चड्डी के उपर से मेरी चूत के बीच मे थी. हम ने खाने का ऑर्डर दिया और वेटर वापस चला गया.

हम एक दूसरे के चुदाई के हथियारो से खेल रहे थे और हम को बड़ा मज़ा आ रहा था. वो मेरी चूत के बीच मे, मेरी चड्डी के उपर से ही, मेरी चूत के दाने पर, अपनी उंगली कुछ इस तरह घुमा रहा था कि मैं अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी. मैं तो झरने के बहुत करीब थी. मैं अपने पैर बंद कर रही थी - खोल रही थी और वो अपनी उंगली का कमाल दिखा रहा था. मैं झरने के इतने पास आ गई थी कि मैने उस के लंड को हिलाना बंद कर दिया, उस पर हाथ फिराना बंद कर दिया. सिर्फ़ उस के तने हुए लंड को टाइट पकड़ कर बैठी थी. मैं एक रेस्टोरेंट मे, जहाँ और भी कई लोग थे, इतने लोगों के बीच मे बैठ कर झरने जा रही थी. अचानक ही मैं झर गई, बहुत ज़ोर से झरी थी मैं. पर मैने अपनी आवाज़ और बदन को काबू मे रखा ताकि किसी को पता ना चले. उस ने अपनी उंगली घुमानी बंद करदी थी और उंगली को मेरी चूत पर दबा कर रखा था. मैने अपने पैर टाइट कर लिए थे और उसके हाथ को अपनी चूत पर दबा लिया था.

मैं भी उस को अपने हाथ का मज़ा देना चाहती थी, इस लिए मैने फिर से धीरे धीरे उस के लंड पर मूठ मारना चालू कर दिया था. मैं अपना हाथ कुछ इस तरह हिला रही थी कि टेबल के उपर मेरा हाथ हिलता हुआ किसी की नही दिख रहा था, पर टेबल के नीचे मैं उस के लंड पर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी. मेरे हाथ की कोहनी पूरी तरह टेबल के नीचे थी और मेरी हथेली मे था उस का लंबा, मोटा और गरमा गरम लंड. मैं उस के लंड को टाइट पकड़ कर उपर नीचे---- आगे पीछे कर रही थी. मुझे पता था कि उस का पानी निकालने मे बहुत वक़्त लगता है, इस लिए मैं अपना काम पूरा दिल लगा कर कर रही थी. काफ़ी समय बाद मैने फील किया कि वो अपने लंड से पानी बरसाने के लिए तय्यार हो रहा है तो मैं और ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगी. उस ने अपना हाथ मेरे मूठ मारते हुए हाथ पर रख कर मुझे मूठ ना मारने का इशारा किया.
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08-14-2019, 03:26 PM,
#43
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मैं बोली - क्या हुआ. बंद क्यों कर दिया.

रमेश - मैं पहुँचने वाला हूँ और मैं अपना पानी टेबल के नीचे नही निकालना चाहता. पानी फैलेगा तो पता चल जाएगा कि हम ने क्या किया है. मैं बाथरूम जाता हूँ और हल्का हो कर आता हूँ.

मैं हंस कर बोली - क्या मैं भी आऊ तुम्हारे साथ तुम को हल्का होने मे मदद करने के लिए.

वो भी हंस कर बोला - पागल ! जेंट्स बाथरूम मे जा रहा हूँ. तुम चिंता मत करो. मेरा हाथ बराबर काम करेगा.

मैने उस के लंड पर से हाथ हटा लिया और मैने देखा कि उस को अपना खड़ा हुआ लंड अपनी पॅंट मे वापस डालने मे काफ़ी परेशानी हुई थी. क्यों कि एक तो उस का लंड खड़ा था और दूसरे वो काफ़ी लंबा था. जैसे तैसे उस ने अपने लंड को अपनी पॅंट मे घुसाया और बाथरूम की तरफ चला गया. मैने भी टेबल से टिश्यू पेपर उठाया और उस से अपनी गीली चूत सॉफ करने के बाद अपनी स्कर्ट फिर से अड्जस्ट कर ली थी और उस के आने का वेट करने लगी. जब तक वो वापस आया, खाना टेबल पर लग चुका था. मैने उस के चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखे. मतलब ये कि उसने भी अपने लंड का पानी मूठ मार कर बाथरूम मे निकाल दिया था.

अपने हाथो का कमाल दिखाने के बाद हम खाना खा रहे थे. मैं घर पर जल्दी ही पहुँचना चाहती थी क्यों कि मेरे चाचा देर रात की बस से मुंबई जाने वाले थे और मैं चाहती थी की वो मुझे चोद कर जाए.

अचानक मेरे मन मे सामूहिक संभोग का ख़याल आया और मैं बोली - रमेश ! क्या हम दोनो अंजू को अपने खेल मे शामिल नही कर सकते ?

रमेश - तुम्हारा मतलब है ग्रूप सेक्स ? सामूहिक संभोग ? हम तीनो ?

मैं - हां. बहुत मज़ा आएगा. एक लड़का और दो लड़कियाँ.

रमेश - पता नही अंजू इस के लिए राज़ी होगी या नही.

मैं - तुम उस से बात तो कर के तो देखो. मेरे ख़याल से वो मान जाएगी. तुम क्या कहते हो ? तुम तो राज़ी हो?

रमेश - मैं तो जो तुम कहती हो वो करने को तय्यार हूँ लेकिन सच मे, मैने इस के बारे मे कभी भी नही सोचा था.

मैं - मैने भी कहाँ सोचा था. ये तो अभी अभी अचानक ही ख़याल आ गया. हम तीनो के लिए ये पहली बार होगा और मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत मज़ा आएगा.

रमेश - ठीक है. मैं अंजू से बात करता हूँ और तुम को बताता हूँ.

हम ने अपना खाना ख़तम किया और रमेश ने रास्ते मे मुझे मेरे घर पर ड्रॉप करते हुए अपने घर चला गया.

मेरे पापा और मा नीचे रूम मे बैठे हुए टी.वी. देख रहे थे और मेरे चाचा के नीचे आने का इंतेज़ार कर रहे थे जो कि मुंबई जा रहे थे. मैने पापा और मा को गुड नाइट किया और उपर अपने बेडरूम की तरफ बढ़ी. जब मैं अपने बेडरूम के दरवाजे पर थी तो मैने चाचा को उन के अपने बेडरूम से बाहर निकलते हुए देखा. वो पूरी तरह तय्यार थे और उन के हाथ मे एक सूट केस था. उस समय रात के 10 बजे थे और उन की बस का टाइम 11.30 था. हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुश्कराए और फिर वो मेरे पीछे पीछे मेरे बेडरूम मे आ गये. अंदर आ कर चाचा ने दरवाजा अंदर से बंद किया तो मैं समझ गई कि एक फटाफट चुदाई का वक़्त आ गया है. वो मुंबई जाने के पहले मुझको चोद्ना चाहते थे. सच लिखूं तो मैं भी चाचा से चुद्वाना चाहती थी. रमेश के साथ हाथों का खेल खेलने के बाद मुझे भी एक चुदाई की ज़रूरत थी. हम ने पहले भी कई बार फटाफट चुदाई की है जब समय कम हो या आस पास कोई हो तो हम फटाफट चुदाई कर डालते है. इस तरह की तेज चुदाई मे ज़्यादातर हम कपड़े पहने हुए ही सब काम कर लेते है, कभी किचन मे, कभी सीढ़ियों मे, कभी छत पर, और कभी कभी तो ऑफीस मे भी. हम ये सब इतना तेज़ी से, इतनी जल्दी से करतें है कि किसी को अंदाज़ा भी नही होता कि हम क्या कर चुके है.

चाचा ने मुझे कस कर पकड़ा और किस किया. जब वो मुझको किस कर रहे थे, उन का खड़ा हुआ लंड मेरी चूत को ख़त ख़टाता हुआ सलाम कर रहा था. मेरी चूत तो पहले से ही गीली थी और उन के चुंबन से, लंड से और भी गीली हो गयी थी. हम ने जल्दी से चुंबन पूरा किया और उन्होने मेरी गीली चड्डी उतार दी और अपना तना हुआ, मोटा और लंबा लंड ज़िप खोल कर अपनी पॅंट से बाहर निकाल लिया था. अपनी जेब से चाचा ने एक कॉंडम निकाला और उस को अपने लॅंड पर चढ़ा लिया. चाचा ने मुझे पलंग के सहारे घोड़ी बनाया और और मेरी स्कर्ट उठा कर मेरी गंद को नंगी कर दिया. मैं जानती थी कि चाचा को मेरी रसीली चूत का नज़ारा पीछे से हो रहा था. मैने अपने पैर थोड़े चौड़े किए और पीछे से चुदाई की पर्फेक्ट पोज़िशन बनाई. चाचा ने भी समय नही गवाया. उन्होने अपने लंड को मेरी चूत पर पीछे से टीकाया और तुरंत ही धक्के मारते हुए मुझे चोद्ने लगे. चाचा जल्दी से चुदाई ख़तम करना चाहते थे क्यों कि समय कम था, इस लिए वो तेज़ी से अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए मुझे चोद रहे थे. चाचा ने अपने पुर कपड़े पहने हुए थे और मैं भी अपनी चड्डी के अलावा अपने पूरे कपड़ों मे थी. मेरी गंद को पकड़ कर चाचा पीछे से जोरदार धक्कों के साथ जल्दी जल्दी अपना लंड मेरी चूत मे घुसा रहे थे, बाहर निकाल रहे थे और मुझे चोद रहे थे, चोद रहे थे और मैं चुद्वा रही थी. जल्दी ही मैं अपनी मंज़िल के पास पहुँच गयी, लेकिन चाचा जो थे मुझे पागलों की तरह चोद्ते जा रहे थे. मेरे मूह से आवाज़ें निकालने लगी " आअहह ..... हाँ....... हाँ... चाचा.......... चोदो......... हां............. ऊऊहह आहह"
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08-14-2019, 03:26 PM,
#44
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अचानक मैं झर गई पर चाचा बिना रुके लगातार मुझे चोदे जा रहे थे. मेरे बेडरूम मे चुदाई की आवाज़ें आ रही थी, जब भी चाचा धक्का लगा कर लंड मेरे चूत के अंदर डालते थे तो उन का पेट मेरी गंद से टकराता था और जिस तेज़ी से उन का मोटा लंड मेरी गीली चूत के अंदर बाहर हो रहा था " फ़चा फ़च...... फ़चा फूच " की आवाज़ आ रही थी. बिना रुके लगातार चुदाई होने की वजह से मैं फिर से, दूसरी बार पहुँचने वाली थी. तेज़ी से चोद्ते हुए चाचा के मूह से आवाज़ निकली और मैं दोबारा झर गयी थी. चाचा भी झर गये थे और उन्होने मेरी गंद कस कर पकड़ी और अपना लंड मेरी चूत के अंदर दबा दिया. मैं समझ गयी थी कि चाचा का लंड अपना पानी कॉंडम मे निकाल रहा था. उन का लौंडा मेरी चूत मे उपर नीचे नाच नाच कर कॉंडम को अपने लंड रस से भरता रहा. थोड़ी देर हम वैसे ही चिपके हुए चुदाई मे अपने झरने का मज़ा लेते रहे और फिर चाचा ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया. मैने देखा कि कॉंडम आगे से उन के लंड रस से गुब्बारे की तरह फूला हुआ है. जब चाचा ने अपने लंड से कॉंडम उतारा तो मैने उन का लंड अपने मूह मे लिया और उस को चूस चूस कर, चाट चाट कर सॉफ करने लगी. मैने उनके लंड को पूरा सॉफ कर्दिया था और चाचा बाथरूम मे कॉंडम को फ्लश करने चले गये. मैने भी हॅंड टवल से अपनी गीली चूत सॉफ की. बाथरूम से वापस आकर उन्होने मुझे किस किया, मैने उन को सफ़र की सूभकामना दी और चाचा अपना सूट केस उठा कर नीचे की तरफ चल दिए. मेरे पापा उन को बस तक ड्रॉप करने गये थे और मेरी मा भी अपने बेडरूम मे सोने चली गयी थी. मेरी गीली चड्डी नीचे पड़ी मेरी चुदाई की कहानी कह रही थी और मैं वैसे ही बिस्तर पर लेट गई और चाचा से जोरदार फटाफट चुदाई की थकान की वजह से कब मेरी आँख लगी, पता ही नही चला.

एक वीक बाद रमेश ने मुझे बताया कि अंजू सामूहिक संभोग के लिए तय्यार तो हो गयी है पर हम को सही मौके का इंतेज़ार करना पड़ेगा. और वो सही मौका भी जल्दी ही आ गया.

अंजू को अपने परिवार के साथ एक शादी के फंक्षन मे जाना था पर वो बीमारी का बहाना बना कर नही गई और घर मे ही रुक गई. उस के सास ससुर और पति उस को पूरा आराम करने को कह कर चले गये. उन का प्रोग्राम शाम को वापस आने का था. अंजू ने फोन करके रमेश को बताया और रमेश ने मुझे फोन कर के कहा कि वो मुझे लेने आ रहा है.

अंजू के घर मे हम पीछले दरवाजे से गये ताकि किसी को पता ना चले. मैने देखा कि घर के सभी पर्दे लगे हुए थे. यानी चुदाई की, सामूहिक संभोग की पूरी तय्यारी थी. अंजू एक पतली और खूबसूरत औरत थी. उस की चुचियाँ मेरी चुचियों से थोड़ी छोटी थी और उस की गोल गोल गंद बहुत ही प्यारी थी, बहुत ही सेक्सी थी. वो हमारे आने का मतलब जानती थी इस लिए थोड़ा सा शर्मा रही थी, मुश्कारा रही थी पर अपना चेहरा नीचे कर के. जब वो किचन मे ठंडा लाने गयी तो मैं भी उस के पीछे पीछे चली गई. मैने उस को कस के पकड़ा और बोली " तुम बहुत ही प्यारी, बहुत सेक्सी हो अंजू. हम तीनो अच्छे दोस्त है और हम जो भी करेंगे, वो हम तीनो के बीच मे ही रहेगा."

अंजू - तुम भी बहुत सुंदर हो जूली. मुझे पता है कि तुम दोनो जल्दी ही शादी करने वाले हो.

मैं - हां, लेकिन मुझे तुम्हारे और रमेश के रिश्ते से ज़रा भी ऐतराज़ नही है. मुझे ख़ुसी है कि वो हम दोनो को खुस रखता है. क्या तुम एक खूबसूरत सामूहिक संभोग के लिए तय्यार हो?

अंजू - हां. पर मैने ऐसा पहले कभी नही किया है इस लिए थोड़ी शरम आ रही है.

मैं - हम तीनो के लिए ही ये पहली बार है. शरमाओ मत, बहुत मज़ा आएगा.

वो मुश्कराई और हम दोनो कोल्ड ड्रिंक्स ले कर अंजू के बेडरूम मे आए जहाँ रमेश हमारा इंतेज़ार कर रहा था.

मैं और अंजू एक सोफे पर पास पास बैठे थे और रमेश एक कुर्सी पर हमारे सामने बैठा था और हम कोल्ड ड्रिंक्स पीते पीते बातें कर रहे थे.

मैने अंजू के कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखा और धीरे धीरे अपने हाथ को नीचे करते हुए उस की चुचि को पकड़ा. बहुत कड़क थी उस की चुचि. उस की निपल काफ़ी लंबी थी. मैने आँख का इशारा किया तो रमेश अपना ग्लास उठा कर कमरे से बाहर चला गया. हम ने भी अपना ड्रिंक ख़तम किया और ग्लासो को टेबल पर रखा. मैने अपने दोनो हाथों से अंजू को कस के पकड़ा और उस के होंठो का चुंबन लिया. वो भी चुंबन मे पूरा पूरा साथ दे रही थी. मैं अपने हाथ उस के सेक्सी बदन पर घुमा रही थी और उस की आँखें बंद होने लगी. मैने उस की सारी उतार दी, फिर उस का ब्लाउस उतारा और फिर उसका पेटिकोट भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और चड्डी मे थी. वो बहुत सुंदर, बहुत सेक्सी लग रही थी. मैने उस को आँखें खोलने को और ना शरमाने को कहा. उस ने अपनी आँखें खोली तो मैने देखा उस की आँखें गुलाबी गुलाबी हो रही थी. अब उस ने भी मेरे कपड़े उतारना सुरू किया और मेरे बदन पर प्यार से हाथ फिराने लगी और सब जगह चूमने लगी. जल्दी ही उस ने मुझे पूरा नंगा कर दिया तो मैने भी उस की ब्रा और चड्डी उतार दी. हम दोनो ही नंगी एक दूसरे से चिपटि हुई खड़ी थी. मेरी चुचियाँ उस की चुचियों के साथ मिल कर दब रही थी. मैने हाथ नीचे कर के उस की गंद पर रखा. उस की गंद भी मेरी गंद से ज़रा छोटी थी पर बहुत ही सेक्सी और कड़क थी. मैने अपनी बीच की उंगली उस की गंद के बीच की जगह मे डाली तो उस ने अपनी गंद से मेरी उंगली वहीं दबा ली. वो भी मेरी गंद को दबा रही थी. हम दोनो ने अपने आप को थोड़ा अड्जस्ट किया और अब हमारी चूत आपस मे गले मिल रही थी. दो मस्त चूत आपस मे रगड़ खाने लगी. हम किस कर रहे थे, एक दूसरे की चुचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे, गंद को दबा रहे थे और चूत को चूत से मसल रहे थे. हम दोनो की ही चूत ने अपना रस निकालना चालू कर दिया था और दोनो की ही चूत गीली हो गयी थी.
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08-14-2019, 03:26 PM,
#45
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
हम पलंग पर आए और एक दूसरे की तरफ मूह करके नंगे लेटे थे. उस की चुचियाँ काफ़ी कड़क थी. उस की चूत भी बहुत प्यारी थी जिस पर बारीक कटे हुए, ट्रिम किए हुए काले काले बाल थे. हम दोनो एक दूसरे मे इतनी डूब गयी थी की हम भूल गयी थी कि रमेश भी वहाँ है.

मैं जानती थी कि रमेश हम दोनो नंगी जवानियों को दरवाजे के बाहर से ज़रूर देख रहा होगा. कुछ ही देर मे रमेश अंदर आया और हमारे खेल मे शामिल हो गया. वो हम दो नंगी लड़कियों के बीच मे लेटा हुआ था और हम दोनो नंगी जवानियों ने मिल कर जल्दी ही उस को भी नंगा कर दिया. उस का मोटा तगड़ा लंबा और खड़ा हुआ लंड हमारे सामने था. अंजू उस का लंड अपने मूह मे ले कर चूस रही थी और मैं उस के लंड के नीचे की गोलियों से खेल रही थी, चूस रही थी. रमेश के दोनो हाथ हम दोनो की गीली चूत पर थे और उस की एक्सपर्ट उंगलियाँ हमारे चूत के दाने से खेल रही थी. हम तीनो के लिए ये हमारा सामूहिक संभोग का पहला मौका था और जितना भी हम चुदाई के बारे मे जानते थे, उस के अनुसार हम पूरा पूरा मज़ा ले रहे थे.

थोड़ी देर बाद रमेश मुझे चोद्ने लगा. मैं सीधी लेटी हुई थी और रमेश मुझे चोद रहा था. अंजू मेरे मूह पर अपनी चूत खोल कर बैठी थी और मैं उस की चूत चाट रही थी. थोड़ी देर बाद हम ने अपनी पोज़िशन बदली की. अब रमेश का लंड अंजू की चूत मे था और अंजू का एक हाथ मेरी चूत पर था. रमेश अंजू को चोद रहा था और अंजू मेरी चूत मे उंगली घुमा रही थी. मैं भी अंजू की चुचियाँ दबा रही थी. जैसा कि मैने बताया है, रमेश चोद्ने मे इतना मज़बूत है कि जल्दी से उस का पानी नही निकलता है. थोड़ी देर अंजू को चोद्ने के बाद वो हमारे बीच मे मेरी तरफ़ मूह कर के लेटा था और अपने लंड से मेरी चुचियों को चोद रहा था. अंजू पीछे से उस की गंद पर अपनी चुचियाँ रगड़ रही थी. हम तीनो को इस सामूहिक संभोग मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब हम दोनो चूत वालियों को जोरदार चुदाई की ज़रूरत थी.

अंजू अपने पैर खोल कर बेड पर लेट गई और मैं घोड़ी बनी हुई अपना मूह उस की चूत पर ले गई. मैं अंजू की चूत चूस रही थी, चाट रही थी और रमेश पीछे से मेरी चूत मे लंड घुसा कर मुझे चोद रहा था. अंजू की चूत चूसी जा रही थी और मैं घोड़ी बनी हुई पीछे से चुदि जा रही थी. मैं क्यों कि पहले से काफ़ी गरम थी इस लिए जल्दी ही मैं एक ज़ोर का झटका दे कर झर गई. रमेश के लंड को मैने अपनी चूत मे जाकड़ लिया. रमेश भी समझ चुका था कि मेरा हो गया है, इस लिए उस ने भी मुझे चोद्ना बंद कर्दिया था. मैं तो मज़े के मारे पागल सी हो गई.

फिर रमेश अंजू को घोड़ी बनाकर चोद्ने लगा और मैने अंजू के दोनो तरफ पैर कर के, रमेश की तरफ मूह कर के कुछ इस तरह खड़ी हो गई कि रमेश का मूह अंजू को चोद्ते हुए मेरी चूत तक पहुँचने लगा. अब रमेश अंजू को चोद्ते हुए मेरी चूत भी चाट रहा था. वो अंजू की चूत मे लंड घुसा कर चोद्ता रहा और मेरी चूत चाट ता रहा जब तक कि अंजू झर नही गई और रमेश ने भी अपने लंड का पानी अंजू की रसीली चूत मे भर दिया था.

हम तीनो बिस्तर पर नंगे लेटे हुए एक अनोखी चुदाई, पहली बार सामूहिक चुदाई का आनंद ले रहे थे. अकेले रमेश ने दो दो लड़कियों को साथ मे चोदा था.

अंजू अब पूरी तरह खुल चुकी थी और मैं तो उस समय हैरान रह गई जब उस ने मुझ से कहा कि वो अपनी चुचि से मेरी चूत को चोद्ना चाहती है. मैने तो ऐसा कभी सोचा भी नही था कि चुचि से भी चूत को चोदा जा सकता है. मैं सोच रही थी कि वो कैसे अपनी चुचि से मुझे चोदेगि, पर ये अनुभव भी मैं लेना चाहती थी. रमेश भी कुछ समझा नही और हम दोनो की तरफ देख रहा था.

अंजू मेरे फैले हुए पैरों के बीच मे लेट कर अपनी एक चुचि को मेरी चूत पर रखा. उस की कड़क चुचि मेरी गीली चूत पर बहुत मज़ा दे रही थी. उस ने अपनी चुचि को अपने हाथ मे पकड़ कर दबाया तो उस की लंबी निपल और भी कड़क, और भी बड़ी, और भी लंबी हो गई. फिर उस ने अपनी चुचि की कड़क लंबी निपल को मेरी चूत के बीच मे रख कर रगड़ना और घुमाना चालू कर्दिया. उस की कड़क और लंबी निपल मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगी और मेरी चूत की चुदाई एक चुचि से होने लगी जिस के बारे मे मैने पहले कभी नही सोचा था. मेरी चूत से फिर से रस निकलना सुरू हो गया था. जब उस ने अपनी लंबी निपल को मेरी चूत के अंदर दबाया तो मुझे लगा कि कोई छोटा सा लंड मेरी चूत को चोद रहा है. कोई छोटा सा बच्चा अपने छोटे से लंड को मेरी चूत मे डाल कर मुझे चोद रहा है. ऐसा केवल इस लिए हो रहा था क्यों कि अंजू की चुचियों की निपल्स काफ़ी लंबी थी. और अब वो सचमुच अपनी चुचि की लंबी निपल को मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए मुझे बाक़ायदा चोद रही थी. इस अनोखी, चुचि से चूत की चुदाई से मैं झटका खा कर बहुत ही ज़ोर से झर गई.

तब तक रमेश का लंड हमारी चुचि और चूत की चुदाई देख कर फिर से तन कर खड़ा हो चुका था.

आप लोगों का समय बचाने के लिए, डीटेल मे ना जा कर सिर्फ़ इतना बता दूं कि रमेश ने फिर एक बार हम दोनो को एक साथ जम कर चोदा और इस बार उस ने अपने लंड रस को मेरी चूत मे बरसाया.

सामूहिक संभोग का ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था. अंजू बहुत ही प्यारी, बहुत ही सुंदर बहुत ही समझदार और बहुत ही सेक्सी है. उस को मेरे प्रेमी रमेश से वो मिल रहा है जो उस का पति उस को नही दे पाता.

मेरे बहुत चाहने पर भी हम, मैं, रमेश और अंजू दोबारा सामूहिक संभोग का मज़ा ना ले सके. कारण की वो पूरे परिवार के साथ रहती थी और मैं भी तो दूर रहती थी, इस लिए फिर से इस का मौका नही मिला. लेकिन रमेश, जो अंजू के पड़ोस मे ही रहता है, जब भी मौका मिलता, वो उस प्यासी औरत को ज़रूर सन्तुस्त करता. मुझे आशा है कि मैं जब भी मौका मिला, अंजू के साथ ज़रूर चुदाई करूँगी, भले ही वो सामूहिक संभोग ना हो, एक लेज़्बीयन ही हो, पर मैं करूँगी ज़रूर क्यों कि अंजू है ही इतनी प्यारी.
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08-14-2019, 03:26 PM,
#46
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली-12

गतान्क से आगे...........................................

ये मेरी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण दिन था. मॅरेज कोर्ट मे हमारी अर्ज़ी देने के बाद, कोर्ट के आदेश के अनुसार मैं, मेरा प्रेमी रमेश, मेरे और रमेश के माता पिता, मेरे चाचा, कुछ नज़दीकी रिश्तेदार और दोस्त कोर्ट मे हाज़िर थे.

आज मेरी क़ानूनी शादी होने वाली थी अपने प्रेमी रमेश के साथ. मेरे माता पिता और रमेश के माता पिता ने गवाही के हस्ताक्षर किए और मैने और रमेश ने एक दूसरे को शादी की अंगूठी पहनाई, माला पहनाई और अब हम क़ानूनी रूप से पति पत्नी बन गये. अपने सपनो के राजा रमेश की पत्नी बन कर मैं कुछ अलग सा महसूस कर रही थी. मैने अपने माता पिता और सास ससुर के पैर च्छू कर आशीर्वाद लिया. उन के सम्मान मे मेरी आँखें झुकी हुई थी और मैं शर्मा रही थी. मैं हमेशा एक खुले विचार की लड़की रही हूँ और मैने ऐसा कभी नही सोचा था कि मुझे भी इतनी शर्म आएगी. मेरे सास ससुर बहुत खुस हुए जब मैने उनके पैर छुये. मैने उनकी और अपने माता पिता की आँखों मे अपने लिए बहुत प्यार देखा. इसके बाद हम सब नज़दीक के होटेल मे दोपहर का खाना खाने के लिए गये और वहाँ से घर आ गये.

यहाँ पर मैं ये बता दूं मैं अपने माता पिता के साथ अपने घर आई थी क्यों कि ये पहले ही निस्चित हो चुका था कि मैं अपने ससुराल मे अपनी हिंदू रीति रिवाज से शादी होने के बाद ही जाओंगी. पता नही क्यों, पर ये पक्का था कि मैं अपने आप मे कुछ परिवर्तन महसूस कर रही थी. अचानक मैं अपने आप को समझदार और ज़िम्मेदार महसूस करने लगी. साथ ही मैं अपने पति को भी दिमाग़ से नही निकाल पा रही थी और अपने मा बाप के बारे मे भी सोच रही थी जो हर शादीशुदा लड़की सोचती है. और हां, मेरे चाचा, मेरे पहले प्रेमी, मेरी पहली चुदाई करने वाले, भी मेरे दिमाग़ पर छाए हुए थे. अब ये पक्का था कि मुझे अपने माता पिता, अपने चाचा और अपना घर छ्चोड़ कर जाना था.

मैं अपने चाचा से आख़िरी बार अपने घर पर प्यार करना चाहती थी पर वो मेरी शादी के काम मे बहुत व्यस्त थे. क्रिस्चियन और हिंदू तरीके सेमेरी शादी 20 डिसेंबर को होना निस्चित हुई थी.

तारीख – 19 डिसेंबर 2009

सुबह से ही मैं अपनी मा के साथ खरीदारी करने मे व्यस्त थी. हम दोपहर के बाद घर वापस आए और हमने शाम की चाइ साथ साथ पी. मैने देखा कि मेरे चाचा भी घर लौटे और वे काफ़ी थके हुए लग रहे थे. हमारे साथ चाइ पीने के बाद वो अपने रूम मे आराम कने चले गये. अपने रूम मे जाने से पहले मैने देखा कि चाचा अपने रूम मे गहरी नींद मे सो रहे थे. मैं भी एक झपकी लेने के लिए अपने रूम मे आ गई. जब मेरी आँख खुली तो शाम के 7.00 बजे थे. अब मैं तरो ताज़ा महसूस कर रही थी और मैने चाचा को भी फ्रश मूड मे देखा.

हम सब रात का खाना साथ खा रहे थे तब मैने चाचा को आँखों ही आँखों मे इशारा किया जिसे वो समझ गये.

मैं चाचा से आख़िरी बार प्यार करने और उनसे आख़िरी बार चुद्वाने के पहले नहा रही थी. मैं जब बाथरूम से अपने सेक्सी बदन पर केवल एक टवल लपेट कर बाहर आई तो देखा कि चाचा मेरे बिस्तर पर बैठे मेरा इंतेज़ार कर रहे थे.

रात के करीब 11.30 बजे थे और मैं समझ चुकी थी कि चाचा ने मेरे रूम का दरवाजा उस चाबी से खोला जो सदा उनके पास रहती थी. उस चाबी का उन्होने आख़िरी बार इस्तेमाल करलिया था. मैने बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से बंद कर लिया. मैने अपने बदन पर लिपटे टवल को नीचे गिर जाने दिया और अपनी आँखों मे आँसू लिए चाचा की तरफ दौड़ी. चाचा ने मुझे कस कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उनकी आँखों मे भी आँसू थे.

हम दोनो काफ़ी देर तक इसी तरह एक दूसरे की बाहों मे चुप चाप खड़े रहे. मैं पूरी तरह नंगी थी और चाचा नाइट ड्रेस मे थे. फिर चाचा ने मेरा चेहरा अपने हाथों मे ले कर मेरे आँसू पोन्छे. मैने भी मेरे प्यारे चाचा के आँसू पोन्छे. अब हम थोड़ा मुश्कारा रहे थे.

आख़िर चाचा ने चुप्पी तोड़ी.

चाचा – ये हमारा आख़िरी मिलन है जूली. पर तुम हमेशा मेरे दिल रहोगी. तुम को पता है ये बात.

मैं – हां चाचा. आप मेरा पहला प्यार है और मैं आप को हमेशा याद रखूँगी.

चाचा – जूली ! मैं नही जानता कि मैने तुम्हारे साथ चुदाई करके सही किया या ग़लत, पर तुम जानती हो कि मैं तुम से प्यार करता हूँ.

मैं – चाचा ! ये बातें फिर से शुरू मत करो. मैं केवल इतना जानती हूँ कि जब मैं चुदाई के लिए बेचैन थी तो आप वो इंसान थे उस समय जिस ने मुझे सच्चा प्यार दिया और मुझे किसी ग़लत हाथों मे पड़ने से बचाया. मेरे लिए आप ने अपनी शादी नही की. जिंदगी के इस मोड़ पर मैं बिना किसी शिकायत के आप से सच्चा प्यार करती हूँ.
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08-14-2019, 03:26 PM,
#47
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
चाचा ने मेरा चुंबन लिया और मुझे ऐसे लगा जैसे एक बार फिर उनके मन से कोई बड़ा बोझ उतर गया. मैने भी चुंबन मे पूरा पूरा साथ दिया.

जहाँ तक मुझे याद है, मेरी जिंदगी मे ये पहला मौका था जब मैं पूरी नंगी होने के बावजूद, चाचा की बाहों मे होने के बावजूद भी सेक्सी फील नही कर रही थी. मैं चुदाई से ज़्यादा प्यार अनुभव कर रही थी.

मैने चाचा की नाइट ड्रेस उतारी और हम दोनो नंगे बिस्तर पर थे. उस समय मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ जब मैने देखा कि चाचा का लंड भी खड़ा नही है, नरम है. इस का मतलब चाचा भी वो ही अनुभव कर रहे थे जो मैं कर रही थी.

चाचा बोले – जूली ! मेरी बात ध्यान से सुनो. अब तुम क़ानूनी रूप से एक शादीशुदा लड़की हो और कल तुम्हारी शादी सामाजिक तरीके से भी हो जाएगी. हमने अच्छे प्रेमियों की तरह 14/15 साल बिताए और जी भर कर प्यार किया. आज इस मौके पर मैं तुम्हे फिर से याद दिला दूं कि अब हम दोनो के बीच कभी भी चुदाई का रिश्ता नही रहेगा. आज के बाद मैं तुम्हे सिर्फ़ तुम्हारा चाचा होने के नाते प्यार करूँगा, एक प्रेमी होने के नाते नही.

मैं – चाचा ! मैं वोही करूँगी जो आप ने कहा है. मैं भी आज के बाद आप को बेटी जैसा प्यार दूँगी………. पर अपने आप को कभी भी अपने मन मे दोष मत देना कि हमारा चुदाई का रिश्ता था. आप ने, अकेले अपने मन से कुछ नही किया. मैं भी इस मे बराबर की ज़िम्मेदार हूँ और मैं नही मानती कि हमने कुछ भी ग़लत किया है. किसी को, एक दूसरे को खुश रखना कभी भी ग़लत नही हो सकता. अब हम ने इस पर काफ़ी बातें कर ली है. अब बस करो और हमारा पसंदीदा खेल शुरू करो.

मैं बिस्तर मे अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और चाचा मेरी तरफ मूह करके, मेरे पैरों पर अपना एक पैर रख कर लेटे हुए थे. मेरा सिर उनके एक हाथ के उपर था. उन्होने मेरे रसीले होंठ अपने मूह मे ले कर उन को प्यार से धीरे धीरे चूसना शुरू किया. कुछ देर बाद उनका नीचे का होंठ मेरे मूह मे और मेरा उपर का होंठ उनके मूह मे था. हम गहरे चुंबन मे थे और चुदाई की गर्मी लगनी चालू हो गयी थी. मेरी निपल कड़क होने लगी और मेरी चूत अपने ही रस से गीली होने लगी. चाचा का लंड भी बड़ा होने लगा और कड़क हो कर मेरी साइड मे दस्तक देने लगा. पता नही क्यों, इस बार हम जो भी कर रहे थे वो बड़े प्यार से, धीरे धीरे कर रहे थे जबकि पहले ऐसा कभी नही हुआ था. उन्होने मुझे चूमते हुए बड़े प्यार से मेरी चुचियाँ दबाई जब कि मैने उनके तन्तनाते हुए लौडे को पकड़ा. अपना मूह मेरे मूह से हटा कर चाचा अपना मूह मेरी चुचियों पर ले आए. हमेशा की तरह हम को मज़ा आने लगा.

इस समय हमारे दिमाग़ मे वो नही था जो कुछ समय पहले था. मैं हमेशा दुनिया को भुला कर चुद्वाती हूँ और मैं वही कर रही थी. चाचा का लंड मेरी पकड़ मे था और मैं उसको हल्के हल्के हिला रही थी. मेरी चूत से तेज़ी से रस निकल रहा था और मेरी दोनो चुचियाँ गुलाबी हो कर तन गई थी. मैं अपने चाचा, मेरे चोदु, मेरे पहले प्रेमी चोदु से अंतिम बार चुद्वाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी.

चाचा मेरी तुरंत चुद्वाने की इच्छा को समझ चुके थे. हम दोनो ने ही वक़्त ना खराब करते हुए तुरंत ही चोद्ना और चुद्वाना चाहते थे क्यों कि हम दोनो बहुत गरम हो चुके थे. और फिर हम को दूसरे दिन मेरी शादी के लिए जल्दी भी उठना था जो कि सुबह 9.30 बजे चर्च मे होने वाली थी.
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08-14-2019, 03:27 PM,
#48
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
उन्होने मेरे चौड़े पैरों के बीच पोज़िशन बनाई और अपने तने हुए गरम लंड को आख़िरी बार मेरी चूत पर लगाया. उन के लंड का सूपड़ा मेरी चूत का दरवाजा ख़त खता रहा था. चाचा का लंड अपनी चूत पर पा कर मेरी आँखें बंद हो चली और उन्होने अपना लंड मेरी रसीली चूत मे, मेरी चुचियाँ पकड़ते हुए अंदर घुसाना शुरू किया क्यों कि मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. चाचा का आधा लंड मेरी चूत मे घुस चुका था. उन्होने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और एक ज़ोर का धक्का मेरी चूत मे अपने लंड का मारा जिस से उनका पूरा का पूरा लंड मेरी रसीली फुददी मे घुस गया. मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ क्यों कि इतना चुद्वाने के बाद भी मेरी चूत अभी तक टाइट थी क्यों कि मैने हमेशा अपनी प्यारी चूत का ध्यान रखा है और उस को ढीली नही होने दिया. चाचा थोड़ी देर रुके और फिर धीरे धीरे अपनी गंद आयेज पीछे करने लगे जिस से उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. चाचा का चुड़क्कड़ लंड मेरी चूत मे आते जाते हमेशा की तरह मुझे मज़ा देने लगा. मैं भी अपनी गोल गोल मस्तानी गंद उपर नीचे करके चुदाई मे चाचा का साथ देने लगी. मैं अपने कमरे मे फिर एक बार अपने चोदु चाचा से चुद्वा रही थी पर इस बार की चुदाई चाचा के साथ आख़िरी चुदाई थी.

चूत और लंड की रगड़ से, नंगे बदन टकराने से कमरे मे चुदाई का संगीत गूंजने लगा. चुदाई की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी. हमेशा की तरह, जल्दी ही मैं झड़ने की तरफ, अपनी चुदाई की मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी. चाचा प्यार से मुझे देखते हुए आख़िरी बार चोद रहे थे.

चाचा की चुदाई की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी और मज़ा मुझे झड़ने के करीब पहुँचा रहा था. मैं चाचा के चोद्ने की ताल से ताल, अपनी गंद उपर नीचे करती हुई मिला रही थी. मेरा बदन ऐंठने लगा और इसे महसूस करके चाचा ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मेरी चूत को चोद्ने लगे. मेरी गंद भी तेज़ी से उपर नीचे- उपर नीचे होने लगी. ओह……… ओह….. आ……… ओह….. कितनी ज़ोर से झड़ी थी मैं. मैने कस कर चाचा को पकड़ लिया. मेरा बदन काँप रहा था. हमेशा की तरह चाचा ने क्या शानदार चुदाई की. पूरा मज़ा और पूरी संतुष्टि. चाचा का गरम और कड़क लॉडा अभी भी मेरी चूत की गहराइयों मे था. मेरी चूत मज़े से मचल रही थी. मुझे पता था कि मेरा तो हो चुका है पर चाचा का लॉडा अभी भी पानी बरसाने को तरस रहा है.

चाचा ने अपना गीला लंड मेरी गीली चूत से निकाला और मेरी बगल मे लेट गये. मैं झाड़ कर अपना मज़ा ले चुकी थी और अब मैं चाचा के लंड का पानी निकाल कर उनको मज़ा देना चाहती थी. मैने अपना सिर चाचा के पेट पर रख कर उनके प्यारे लंड को अपने मूह मे लिया. मेरी चूत से निकले हुए रस का स्वाद मेरे मूह मे आया. वो मेरी नंगी पीठ पर प्यार से हाथ फिरा रहे थे. मैं अपने हाथ से उनके लंड पर मुठिया मारते हुए उनका लंड चूस रही थी.

थोड़ी देर बाद मेरे मूह मे उनके लंड का सूपड़ा फूलने लगा तो मैं समझ गई कि प्यार का पानी उनके लंड से निकलने ही वाला है. मैने उनका लंड और कस कर पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी, ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. चाचा की गंद उपर हुई और उन्होने अपने लंड का प्रेम रस मेरे मूह मे छ्चोड़ दिया. मैने पूरी कोशिश की सारा पानी पीने की मगर फिर भी थोड़ा पानी उनके पेट पर गिरा जिसको मैने चाट लिया. उनका लंड और पेट मैने चाट कर सॉफ कर दिया.

रात के करीब 12.30 बज चुके थे. चाचा अपनी नाइट ड्रेस पहन कर, मुझे अंतिम बार चोद कर अपने कमरे मे जाने को तय्यार थे. मैं अभी भी नंगी ही थी क्यों कि मैं रात को नंगी ही सोती हूँ. चाचा ने मेरा माथा चूमा और बोले – ” जूली! आज के बाद मैं तुम्हारा माथा ही चुमूंगा और तुम्हे अपनी लड़की की तरह प्यार करूँगा.”

मैं बोली – मैं भी आप को जिंदगी भर याद रखूँगी.

चाचा – गुड नाइट जूली.

मैं – गुड नाइट चाचा.

और चाचा अपने कमरे मे चले गये. मैं बिस्तर पर पड़ी चाचा के साथ बिताए चुदाई के दिनो और रातों को याद करती रही.

तारीख 20 डिसेंबर 2009 – सुबह

हम सब, मैं, मेरे माता पिता, मेरे सास ससुर, नज़दीकी रिश्तेदार और कुछ दोस्त चर्च मे मौजूद थे जहाँ मेरी शादी कॅतोलिक तरीके से होनी थी. मैं शादी के लिए विशेष तौर से तय्यार किए सफेद गाउन पहने हुए थी और मेरे पति हल्के भूरे रंग का सूट पहने बहुत हंडसॅम लग रहे थे. मुझे मेरी पसंद पर फिर एक बार गर्व महसूस हुआ. मैं अपने सास ससुर की शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होने कॅतोलिक तरीके से हमारी शादी करवाने की मेरे पिताजी की बात मानी और उस मे पूरा सहयोग दिया.

हम ने वान्हा शादी की अंगूठियाँ बदली और फादर ने हम को पति पत्नी घोषित किया. हम ने अपने बड़ों का आशीर्वाद लिया और घर लौट गये क्यों कि शाम को होने वाली मेरी हिंदू तरीके से शादी की तय्यारी भी करनी थी. मेरे सास ससुर चाहते थे कि हिंदू तरीके से भी हमारी शादी हो.

तारीख – 20 डिसेंबर 2009 – शाम

मैं बुनाई कढ़ाई से भरपूर, अपने ससुराल से आई लाल रंग की सारी पहने हुई थी. सब कह रहे थे कि मैं दुल्हन के लिबास मे बहुत खूबसूरत दिख रही हूँ. मेरे पति क्रीम रंग का सूट पहने हुए बहुत जॅंच रहे थे. मेरा सिर साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था और पवित्र अग्नि के सामने पंडितजी मन्त्र पढ़ रहे थे. हम ने फेरे लिए और हमारी शादी संपन्न हुई. इसमे करीब दो घंटे लगे. बड़ों का आशीर्वाद ले कर मैं अपने ससुराल के लिए अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने को विदा हुई.
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08-14-2019, 03:27 PM,
#49
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली-13



गतान्क से आगे...........................................

तारीख 20 डिसेंबर 2009 – रात – मेरी सुहागरात

मैं अपने पति, अपने सास ससुर और कुछ नज़दीकी रिश्तेदारों के साथ अपनी ससुराल पहुँची. मेरा बहुत आदर और प्यार से स्वागत किया गया. मुझे बहुत से तोहफे मिले. मेरी सासू मा ने मुझे बहुत से सुंदर सुंदर सोने के गहने दिए. मेरे ससुरजी ने कहा कि मैं उनको अपने मा बाप ही समझू और अपना प्यार भरा हाथ मेरे सिर पर रखा. मुझे इतना प्यार मिला कि मैं यहाँ अपने आप को नया महसूस नही कर रही थी.

करीब 11.30 बजे कुछ जवान महिला रिश्तेदारों ने मुझे मेरे कमरे मे मेरी सुहागरात के लिए पहुँचाया. वो सब हंस रही थी और मज़ाक कर रही थी. मैं उनकी बातें सुन कर मुश्करा रही थी.

मेरा बेडरूम काफ़ी बड़ा था. एक बड़ा पलंग था जिस पर फूल बिछे थे, दीवार के साथ दो बड़े सोफा थे, एक बड़ी आलमरी थी, बड़ी ड्रेसिंग टेबल थी और टी टेबल पर बहुत सी मिठाइयाँ और बहुत सी चीज़ें रखी हुई थी. उन्होने मुझे पलंग पर बिठाया और हँसती हुई चली गई. इस बड़े कमरे मे मैं अपनी लाल साड़ी पहने, गहनों से लदी अकेली बैठी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए अपने पति का इंतज़ार करने लगी.

मेरा इंतज़ार ख़तम हुआ और मेरे पति कमरे मे आए. हालाँकि हम एक दूसरे के लिए नये नही थे पर ना जाने क्यों मुझे शर्म आ रही थी. मैं अपनी आँखों के किनारों से उन को देख रही थी. उन्होने घूम कर दरवाजा अंदर से बंद किया और मेरे पास आए. मैं रोमांचित थी पर वो एक दम नॉर्मल लग रहे थे. उन्होने मेरा चेहरा पकड़ कर उपर उठाया और बोले – “जूली ! तुम दुल्हन के रूप मे बहुत सुंदर लग रही हो.

मैं शर्मा गई और कुछ नही बोल पाई. ये सच है कि मैने शादी के पहले उन से बहुत बार चुद्वाया है, पर आज की रात की तो बात कुछ और थी. मेरे पास पूरे शब्द नही है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए. मेरे सामने बैठ कर उन्होने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और अपने गरम होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मेरे पति के रूप मे ये उनका पहला चुंबन था. हम ने एक गरम और गहरा चुंबन पूरा किया तो वो बोले – ” जूली…….. तुम को देख कर तो ऐसा लगता है जैसे आज हम पहली बार मिल रहें है. तुम तो बिल्कुल नई दुल्हन की तरह शर्मा रही हो. पर मुझे अच्छा लगा.

मैं बोली – पता नही क्यों, जब से मैने अग्नि के सामने तुम्हारा हाथ पकड़ कर फेरे लिए है, जो आदर सम्मान और प्यार मुझे यहाँ मिला है, उस से मैं बहुत खुश हूँ. शायद इस परिवर्तन का यही कारण है.

वो बोले – तुम्हे पता है जूली, मा कह रही थी कि जूली एक खुले विचारों वाली क्रिस्चियन लड़की बिल्कुल नही लग रही है. वो तो एक सिंपल हिंदू लड़की लग रही है.

मैं ये सुन कर बहुत खुश हुई. सच लिखूं तो पहले मैं सोचती थी कि एक क्रिस्चियन लड़की हूँ और एक हिंदू परिवार मे कैसे मिल जुल पाउन्गि. पर मेरे सास ससुर का प्यार देख कर मेरे लिए अब ये बहुत आसान लग रहा था. मुझे विश्वास है कि पढ़ने वाले समझ गये होंगे कि मैं क्या कहना चाहती हूँ.

जब उन्होने मेरे बदन पर अपने हाथ प्यार से घुमाना शुरू किया तो हमेशा की तरह मैं गरम होने लगी. मैं बहुत सारे भारी गाहनेपहने हुए थी और हम दोनो समझ रहे थे कि इन गहनों की मेरे शरीर पर मौजूदगी मे दो सेक्सी जिस्म नही मिल पाएँगे. उन्होने एक एक करके मेरे सभी भारी गहने उतारे और मैने उन्हे साइड टेबल पर रख दिया. छ्होटे गहने अभी भी मेरे बदन पर थे जो कि हमारी चुदाई के बीच बाधा नही बन ने वाले थे. जब उन्होने मेरी साड़ी उतारनी चाही तो मैने लाइट बंद करने का इशारा किया. वो चौंक गये क्यों कि उनको पता है कि मैं पूरी रोशनी मे चुद्वाना पसंद करती हूँ. वो मूह से कुछ नही बोले और लाइट बंद करके नीले रंग का नाइट बल्ब जला दिया. नाइट बल्ब की रोशनी भी काफ़ी थी और हम सब कुछ साफ साफ देख पा रहे थे. उन्होने मेरी साड़ी उतारी, ब्लाउज और पेटिकोट खोला तो मेरी गुलाबी ब्रा और गुलाबी चड्डी नाइट बल्ब की नीली रोशनी मे चमक उठी. अब मेरी बारी थी. मैने उनका सूट और बाकी कपड़े उतारे तो वो मेरे सामने अपनी चड्डी मे थे. जल्दी ही उन्होने मेरी ब्रा और चड्डी भी उतार दी और मैने उनकी चड्डी उतार दी.

अब हम दोनो नंगे, एक दूसरे को बाहों मे लिए, आमने सामने पलंग पर लेट गये. मेरी चुचियाँ और निपल्स उनकी चौड़ी छाती पर दब रही थी और उनका मोटा तगड़ा खड़ा हुआ लंड मेरे पेट पर चुभ रहा था पर मुझे अच्छा लग रहा था. मैने कई बार उनसे चुद्वाया है पर शादी के बाद उनकी पत्नी के रूप मे मेरी पहली चुदाई होने जा रही थी. वो मेरी नंगी पीठ पर हाथ घुमाने लगे जिस से मैं गरम और सेक्सी होने लगी. मेरी चूत ने रस छ्चोड़ना शुरू कर्दिया जिस से मेरी टाँगों के जोड़ गीले हो रहे थे. उनके तने हुए लंड से भी चुदाई के पहले का पानी निकल कर मेरे पेट को गीला कर रहा था. मैं तो जैसे सातवें आसमान की सैर कर रही थी.
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08-14-2019, 03:28 PM,
#50
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैं बोली – डार्लिंग! तुम तो जानते हो कि मैं तुम्हारी कुँवारी चूत वाली दुल्हन नही हूँ. जैसा कि मैने पहले कहा था, मेरी गान्ड अभी भी तुम्हारे लिए कुँवारी है. मैं आज इस सुहागरात के मौके पर अपनी कुँवारी गान्ड अपने पति को पेश करती हूँ.

उन्होने मेरी गोल गोल मस्तानी गंद दबाई और बोले – मैं जानता हूँ डियर! पर हम दोनो को ही गंद मारने और गंद मरवाने का तजुर्बा नही है, पर मैं इतना जानता हूँ कि गंद मरवाने वाले को पहली बार मे काफ़ी दर्द होता है.

मैं बोली – कोई बात नही डार्लिंग! तुम्हारे लिए मैं दर्द सहन करने के लिए तय्यार हूँ. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी कुँवारी गंद का तोहफा कबूल करो.

वो बोले – ठीक है जूली. जैसा तुम चाहो. जब तुम मेरी हो तो तुम्हारी प्यारी गंद भी मेरी है. पर गंद मारने और मरवाने मे हम को बहुत सावधानी बरतनी होगी. खास करके पूरा मज़ा लेने के लिए इन्फेक्षन से बचना होगा. तुम को अपनी गंद अंदर से पूरी तरह साफ करनी होगी और पूरे मज़े के लिए, पूरी गंद मरवाने के लिए इस को अंदर से चूत की तरह चिकनी बनानी होगी. मैं तुम्हारी बात रखते हुए आज की रात तुम्हारी कुँवारी गंद का तोहफा कबूल करता हूँ, पर आज मैं सिर्फ़ शगुन के तौर पर ही तुम्हारी गंद मारूँगा पर कॉंडम लगा कर. पूरी तरह मैं तुम्हारी गंद अपने हनिमून पर मारूँगा क्यों कि वहाँ पर गंद मारने और मरवाने के शौकीन लोगों के लिए बहुत सामान मिलता है और हम बिना कॉंडम के ही गंद का पूरा मज़ा ले सकते है.

मैने कहा – ओ के डार्लिंग. मैं तय्यार हूँ. मैं खुश हूँ कि तुम ने मेरी कुँवारी गंद का तोहफा कबूल किया.

वो उठे और आलमरी से कॉंडम का पॅकेट निकाल कर साइड टेबल पर रखा. हम फिर से प्यार मे खो गये. वो मेरे सभी अंगों से खेल रहे थे, दबा रहे थे, मसल रहे थे और उन्होने मेरी निपल अपने मूह मे ले कर किसी बच्चे की तरह चूसने लगे जैसे अभी दूध निकलेगा. मैने उनके लंबे, मोटे, तने हुए और गरम लंड को पकड़ कर उस से खेलना शुरू कर दिया. लंड मेरे खेलने का पसंदीदा खिलोना है. मेरे हाथ मे आते ही उनका पहले से कड़क लंड और भी कड़क हो गया. हम दोनो बहुत सेक्सी फील कर रहे थे.

उन्होने मेरी नंगी गंद और कमर के नीचे तकिया रखा और मैं बहुत रोमांचित थी कि आज मेरी कुँवारी गंद का उद्घाटन मेरे पति के लंड से होने जा रहा था. उन्होने अपने खड़े लंड पर कॉंडम चढ़ाया और मेरी गंद के छ्होटे से छेद पर कोल्ड क्रीम लगाई.

वो बोले – तुम्हारी गान्ड का छेद तो बहुत छ्होटा है जूली. तुम को मेरा लंड अपनी गंद मे लेने के लिए बहुत तकलीफ़ होगी.

मैने जवाब दिया – कोई बात नही डार्लिंग! चिंता मत करो. मैं दर्द सहन करलूंगी.

वो बोले – तो फिर ठीक है. गंद को थोड़ा रिलॅक्स करो.
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