Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
08-14-2019, 03:44 PM,
#81
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
एक दिन, जब सारा अपने ड्राइवर बसंत से दोपहर मे अपने बेडरूम मे चुद्वा रही थी तो उसको उसके पति ने रंगे हाथ पकड़ लिया. उस वक़्त उसका पति कुछ ज़रूरी कागजात लेने के लिए आया था. जमुना भी घर मे नही थी और उसके पति ने अपने पास की चाबी से घर का दरवाजा खोला था.

उसने सारा को बहुत बुरी तरह मारा था और बासन्त को भी मार कर नौकरी से निकाल दिया. अब सारा के बुरे दिन शुरू हो चुके थे. वो अपने ही घर मे एक कैदी की तरह रहने लगी. वो किसी से बात नही कर सकती थी और कहीं भी अकेली नही जा सकती थी. उसका मोबाइल फोन उसके पति ने ले लिया था और घर की सभी टेलिफोन लाइन कटवा दी गई. घर पर सारा पर नज़र रखने के लिए 24 घंटे गार्ड तैनात कर्दिये गये थे. वो बाहर जा सकती थी पर अकेली नही. हमेशा एक या दो गार्ड उसके साथ जाते थे और उसे किसी के भी घर मे जाना मना था. उसका पति अब उस से कोई बात नही करता था. अब तो उसे जमुना से भी बात करने मे डर लगता था.

करीब 6 महीने बाद, एक शाम को उसका पति उसके बेडरूम मे आया और उस से माफी माँगी. सारा को अपने कानों पर विस्वास नही हुआ. उसके पति ने कहा कि जो भी पिछले 6 महीने मे हुआ है, वो उस से खुश नही है पर वो इसकी भरपाई करने की कोशिश करेगा. उसके पति ने उसको ब्लॅक लेबल का एक पेग दिया पर सारा ने पीने से मना कर्दिया क्यों कि वो शराब नही पीती थी. उसके पति ने कहा कि अब वो अपने काम की कुछ ज़िम्मेदारी सारा को भी देना चाहता है और पीने मे कुछ ग़लत नही है. उल्टा, पीने पिलाने से सारा को काम के सिलसिले मे बड़े बड़े लोगों से संबंध बनाने मे और काम निकालने मे आसानी होगी. उसके पति ने उसको धूम्रपान करने को भी कहा.

सारा पीना और धूम्रपान नही करना चाहती थी पर अपने पति के ज़ोर देने पर, एक आधुनिक बिज़्नेस वुमन की तरह अपने पति के साथ शराब पीने लगी और धूम्रपान भी करने लगी. वो अपने पति के साथ कभी कभी ऑफीस भी जाने लगी और काम समझने की कोशिश करने लगी. पीने और धूम्रपान मे सारा कुछ शांति खोजने की कोशिश करने लगी. जब भी वो अपने आप को अकेला महसूस करती या चुदाई का मन होता, वो शराब पीती और धूम्रपान करती, धीरे धीरे वो आदत से एक शराबी और धूम्रपान की आदि बन गई. दिन रात अपनी गति से बीतने लगे.

कुछ ही दिनो मे सारा पूरी तरह बदल गई. एक दिन जब उसका पति ऑफीस से वापस आया तो उसके साथ एक जाना पहचाना राज्नीतिग्य लीडर भी था. उसके पति ने सारा को बताया कि वो नेता उनके साथ शराब पीएगा और रात का खाना भी खाएगा क्यों कि उसके पति को उस नेता की सहयता की ज़रूरत थी सरकार से अपना एक काम निकलवाने के लिए.

उसके पति ने जमुना से नेता की पसंद का खाना बनाने को कहा और घर मे बने बार मे उस नेता के साथ बैठ कर बातें करने लगा. उस ने सारा से भी साथ देने को कहा. वो दोनो पी रहे थे और धूम्रपान भी कर रहे थे. सारा भी उनका साथ दे रही थी पर उनकी बातें सारा को समझ मे नही आ रही थी. बीच बीच मे वो दोनो सारा से भी बात कर्लेते थे. रात का खाना खाने के पहले वो नेता और सारा का पति अकेले मे कुछ बात करने के लिए कुछ देर बेडरूम के अंदर गये और धीरे धीरे बातें करने लगे.
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08-14-2019, 03:44 PM,
#82
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
रात का खाना खाने के बाद सारा के पति ने जमुना को उसके कमरे मे जाने को कहा. जमुना के कमरे के दो दरवाजे थे, एक घर के अंदर रसोई मे खुलता था और दूसरा घर के बाहर खुलता था. जमुना अपने रूम मे गई तो सारा के पति ने घर के अंदर खुलने वाले दरवाजे को बंद किया ताकि जमुना उस दरवाजे से घर के अंदर ना आ सके. अगर ज़रूरत हो तो अपने कमरे के दूसरे दरवाजे से बाहर निकलकर, सारा के घर के मुख्य द्वार से घर के अंदर आ सकती थी. घर मे रहने वाले गार्ड भी घर भेज दिए गये.

तीनों, सारा, उसका पति और वो नेता, बेड रूम मे सोफा पर बैठ कर सिगरेट पीने लगे. सारा के पति ने सारा से कहा की लीडर को वो बहुत अच्छी लग रही है और वो और कुछ देर घर मे रहना चाहता है. शराब के नशे मे सारा अपने पति की बात का पूरा मतलब नही समझ सकी. वैसे भी वो एक सब का जाना पहचाना नेता था.

अचानक, उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया तो सारा चौंक गई और उसने अपने पति की तरफ देखा. उसका पति मुस्करा रहा ता. सारा को सारी बात समझ मे आगाई जो वो अब तक नही समझी थी. उस नेता ने सारा को अपनी बाहों मे उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया. सारा ने फिर अपने पति की तरफ देखा तो उसके पति ने कहा कि नेताजी को खुश करदो. सारा ना कुछ बोल सकी और ना ही कुछ कर सकी. उसकी आँखों से आँसू निकल आए. उस ने सोच लिया कि वो उस नेता से चुद्वा कर अपने पति के काम मे उसकी मदद करेगी. इस काम मे शराब का भी काफ़ी हाथ था.

सारा अपने बिस्तर पर पड़ी थी और उसका पति और उसका नेता दोस्त दोनो मिलकर उसके कपड़े उतारने लगे. जल्दी ही उन दोनो ने सारा को पूरा नंगा कर दिया. उसके पति ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो कर, सोफा पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा. सारा जान गई कि उसका पति जो नामार्द है, कुछ नही करेगा और उसका नेता दोस्त उसको चोदेगा और उसका पति सब देखेगा. नेता ने सारा को कहा की वो उसके कपड़े उतारे. सारा ने नेता के कपड़े उतार कर उसे भी नंगा किया और उसका बेशरम नमार्द पति सोफा पर बैठा सब देख रहा था.

नेता चुदाई के मामले मे बसंत की तरह एक काबिल मर्द था और काफ़ी दिनों के बाद सारा को चुदाई मे संतुष्टि मिली थी, पर सारा खुश नही थी क्यों कि उसके पति ने उसका, उसके बदन का, उसकी चूत का, उसकी चुदाई का अपने धन्दे मे फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया था.

वो नेता तो सारा को चोद कर चला गया था. उस नेता से चुद्वाते हुए सारा ने देखा था कि उसके पति के लंड का पानी अपने आप ही निकल कर सोफा के पास फैल गया था. किसी रंडी की तरह, बिना अपने पति की तरफ ध्यान दिए, करवट ले कर सारा नंगी ही सो गई.

अगले दिन सुबह, जब शराब का नशा नही था, तो सारा को सारी बात अच्छी तरह समझ मे आई. एक बार उसने सोचा कि उसने बहुत ग़लत काम किया है, पर फिर उसने सोचा कि उसने जो भी किया, अपने पति के कहने पर किया और उसका पति खुद वहाँ मौजूद था जब वो नेता उसको चोद रहा था. वैसे भी वो कोई सती सावित्री नही थी. अपनी खुशी के लिए वो बसंत से चुद्वाती थी तो धंधे मे फ़ायदे के लिए एक बार अपने पति के कहने पर उस नेता से चुद्वा लिया तो क्या हो गया. ये चुदाई की बात तो उन तीनो के बीच ही रहनेवाली है. और अंदर से कहीं वो खुश भी थी कि उसको चुदाई मे संतुष्टि भी मिली है जिसकी वो हक़दार है.

पर जल्दी ही सारा को पता चल गया कि ये उसकी ग़लती थी जो वो अपने पति के बारे मे अच्छा अच्छा सोचती थी. सारा ने सोचा था कि वो केवल एक बार की बात थी जो उसे अपने पति की खातिर उस नेता से चुद्वाना पड़ा था. वो अपने पति को ठीक से पहचान नही पाई थी. करीब करीब रोज़ ही शाम को उसका पति अलग अलग आदमियों के साथ घर आता और सारा को उनसे चुद्वाने को कहता. जब कभी भी सारा ने चुद्वाने के लिए ना कहा, उसका पति उसे बुरी तरह मारता था. अब वो समझ गई थी कि उसके पति की पहुँच बहुत उपर तक थी. उसने कई बार घर से भागने की कोशिश की पर नाकाम रही और उसके पति ने उसे पीटा था. उस ने पोलीस मे भी जाने की कोशिश की थी पर उसको पता नही था कि एक बड़ा पोलीस ऑफीसर उसके पति का दोस्त था और बाद मे उसी पोलीस ऑफीसर ने उसके पति की मौजूदगी मे सारा को बुरी तरह चोदा था.

सारा की जिंदगी नर्क बनती जा रही थी. अब तो उसका पति उसे दो – तीन आदमियों से एक साथ ही चुद्वाता था. वो एक रंडी की जिंदगी जी रही थी और उसका अपना पति ही जैसे उसका दलाल / भड़वा बन गया था. सारा को बड़े बड़े आदमियों से चुद्वा कर, अपना काम निकलवा कर, उसके पति ने अपने धन्दे मे बहुत पैसा कमाया. अलग अलग आदमी सारा को अपनी पसंद के अनुसार अलग अलग तरीके से चोद्ते थे और सारा चुद्वाने के सिवाय कुछ नही कर पाती थी.

और इसी कारण वो एक पक्की शराबी बन गई थी और बहुत धूम्रपान करती थी. सारा ने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया था. अब तो ये हालत थी कि सारा को चुद्वाने की जैसे आदत पड़ गयी थी और वो अब चुदाई के बिना नही रह सकती थी और उसको रोज़ एक से ज़्यादा मर्द चाहिए चुद्वाने के लिए. अब वो अपनी आदत और मर्ज़ी से एक रांड़ बन चुकी थी. अब उसे किसी तरह की शर्म भी नही आती थी. वो किसी से भी, कभी भी, कैसे भी चुद्वा सकती थी.

मुझे सारा के मूह से उसकी कहानी सुन कर बहुत धक्का लगा और बहुत दुख हुआ. मगर सारा मुस्कराती रही, शराब पीती रही, धूम्रपान करती रही और अपनी चुदाई की भयानक कहानी सुनाती गई.

अंत मे सारा ने बताया – मेरा भड़वा पति अपने तीन विदेशी दोस्तों को लाने के लिए बाहर गया है और आज मैं तीन तीन विदेशियों से एक साथ चुद्वाउन्गि.

मैं बोली – सारा, ये सब तुम कितनी आसानी से कह रही हो. ये चिंता की बात है.

सारा ने जवाब दिया – नही यार! मेरी जिंदगी मे ये सब आम बात है. मैं खुद अब इन सब के बिना नही रह सकती.

मैं बोली – सारा ! मेरी दोस्त ! मुझे बताओ कि मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ कि तुम इस नर्क से बाहर आ जाओ.

सारा – कुछ नही जूली! मुझे अब इसकी आदत पड़ गई है. मैं जो भी कर रही हूँ, वो अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ. मुझे किसी से कोई शिकायत नही है. मुझे रोज़ाना चुद्वाने के लिए एक नया मर्द चाहिए और जिस दिन मेरे भद्वे पति का कोई दोस्त नही आता, उस दिन मैं अपने दलाल पति से किसी मर्द का बंदोबस्त करने को कहती हूँ और वो किसी ना किसी को मुझे चोद्ने के लिए ले आता है. मैं अब बहुत खुश हूँ.

पर मैं जानती थी, वो बहुत तो क्या, ज़रा भी खुश नही है. पर मैं उसके लिए कुछ भी नही कर सकती थी.

शाम के 7.30 बज चुके थे. सारा ने बताया कि उसके भद्वे पति के, उसके तीन विदेशी दोस्तों के साथ आने का समय हो गया है. वो तीनो विदेशी मिलकर अब उसको उसके ही भद्वे पति के सामने चोदेन्गे. मैं उसके पति को भड़वा नही कहना चाहूँगी क्यों कि भड़वा तो उसके लिए बहुत छोटा शब्द है.

मैने भारी मन से सारा से विदाई ली और अपने घर की तरफ रवाना हो गई. मैने उसी समय सोच लिया था कि मैं ये कहानी अपनी अगली चुदाई की दास्तान मे ज़रूर लिखूँगी ताकि लोगों को पता चले कि चुदाई का ये भी एक रूप है.

क्रमशः......................
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08-14-2019, 03:44 PM,
#83
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जुली को मिल गई मूली-19

गतान्क से आगे.....................

मैं अपनी चुदाई की जिंदगी बहुत ही खूबसूरत ढंग से, जिस तरह मैं चाहती हूँ, उसी तरह जी रही हूँ. जिंदगी मे चुदाई के सिवाय बहुत से काम है, बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ है, पर मैं खुश हूँ और मुझे गर्व है कि मैं हर काम और हर ज़िम्मेदारी निभाते हुए भी हमेशा अपने पति से अपनी चुदाई का भरपूर आनंद लिया है और ले भी रही हूँ. इस बात का बहुत सारा श्रेय मेरे प्यारे पति को उनकी समझदारी, सलाह और प्यार को जाता है, जिन्होने हमारी प्यार की, चुदाई की जिंदगी को इतना खूबसूरत और सेक्सी बना रखा है. आप जानते है कि हम दोनो ने ही प्यार करने का, चुदाई करने का कोई भी मौका नही छोड़ा है.

मेरे पति ने मुझे हमारे घर मे हमेशा अलग अलग जगह, अलग अलग पोज़िशन मे हमेशा और जब भी मौका मिलता है, चोदा है और चोद्ते है. सबसे बड़ी खुशी की बात तो ये है कि बीत ते हुए समय के साथ हमारे प्यार की, हमारी चुदाई की आग कम नही हुई, बल्कि और भी बढ़ रही है.

पिच्छले दिनो, मेरी सासू मा कुछ दिनो के लिए हमारे पास रहने को आई थी. मैं अपनी सासू मा को अपनी सग़ी मा की तरह प्यार करती हूँ और वो भी मुझे अपनी सग़ी बेटी की तरह प्यार करती है. यही कारण है कि वो हमारे पास कुछ दीनो के लिए आई थी. मैं खुद अपनी सासू मा के साथ ज़्यादा से ज़्यादा रहना चाहती हूँ. मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझती हूँ कि मुझे ऐसी प्यार करने वाली सास मिली है जो मा जैसी है.

सब कुछ अच्छा चल रहा था पर पिच्छले कुछ दिनो से हमारे बीच मे दोपहर की चुदाई नही हो पाई थी. आप तो जानते है कि मेरे पति का ऑफीस घर के पास ही है और वो रोज़ दोपहर को गरम खाना खाने के लिए घर आते है. बहुत बार, खाने के पहले या खाने के बाद मेरे पति मुझे चोद्ते है. हम हमेशा ही इस दोपहर की चुदाई का आनंद लेते है. दोपहर की चुदाई हमारी चुदाई की जिंदगी का एक ज़रूरी हिस्सा है और अपने पति से दिन की रोशनी मे अपने घर मे चुद्वाना बहुत रोमांचित करने वाला काम है. सासू मा की घर मे मौजूदगी की वजह से दिन की चुदाई हमारे बेडरूम मे सुबह सुबह की चुदाई तक ही सीमित रह गई थी. हम दोनो पति पत्नी ही मेरी सासू मा की बहुत इज़्ज़त करते है और हम हमारा बेडरूम दिन मे बंद नही करना चाहते थे.

एक दिन, जब मेरी सासू मा का उपवास था, मेरे पति ने दोपहर का खाना मेरे साथ एक पाँच सितारा होटेल मे खाने का प्रोग्राम बनाया. होटेल हमारे घर से कुछ ही दूरी पर है. उन्होने मुझे दोपहर को 1.30 बजे तय्यार रहने को कहा ताकि वो मुझे घर से अपने साथ ले सकें. हमारा विचार घर के बाहर दिन मे एक शानदार, चकाचक चुदाई करने का था. मैं और मेरे पति दोनो ही ऐसी रोमांचक चुदाई बहुत पसंद करतें है, जहाँ कई लोगों के बीच हम चुदाई कर्लेते हैं और किसी को पता भी नही चलता.

प्रोग्राम के अनुसार मैने अपने घर के काम समय पर पूरे किए और अपनी सासू मा के लिए कुछ खाने तय्यार किया जिसे उपवास मे खाया जा सकता है. मैं 1.30 बजे से पहले ही तय्यार हो गई थी. मेरी सासू मा कोई धार्मिक किताब पढ़ रही थी. मैं आप को बता दूं कि मेरे कपड़ों पर मेरे घर मे किसी को भी, किसी भी किस्म का ऐतराज़ नही है. मैं जैसे चाहे वैसे कपड़े पहन सकती हूँ. मैने एक भूरे रंग का स्कर्ट और सफेद टॉप पहना था. मेरे टॉप के अंदर सफेद चोली और स्कर्ट के अंदर सफेद चड्डी थी. मैने उँची ऐईडी की सैंडल पहनी और अपने पति का इंतज़ार करने लगी. बराबर 1.30 बजे मेरे पति का फोन आया और उन्होने मुझे नीचे, बिल्डिंग की लॉबी मे आने को कहा. मैने सासू मा को बताया और बिल्डिंग के नीचे आई.

हम जल्दी ही होटेल प्रेसीडेंट पहुँच गये. मेरे पति ने वहाँ के स्टाफ को कार पार्क करने को दी और हम दोनो गले मिलते, एक दूसरे से अपने सेक्सी जिस्म रगड़ते हुए होटेल के रेस्टोरेंट मे दाखिल हुए. खाने के पहले हम ने ठंडे का ऑर्डर दिया. मेरे पति ने अपनी कुर्सी मेरी तरफ घुमाई और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगे. उनकी आँखों मे शरारत, प्यार और चुदाई की चाह सॉफ नज़र आ रही थी. हम ने खाने का ऑर्डर दिया और हम इधर उधर की बातें करने लगे. बीच बीच मे हमेशा की तरह वो मेरे हुस्न की तारीफ़ भी कर रहे थे.
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08-14-2019, 03:44 PM,
#84
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खाना टेबल पर आया तो हम बातें करते हुए खाना खाने लगे. हम ने खाना ख़तम किया और अब हम को तलाश थी किसी ऐसी जगह की जहाँ हम एक फटाफट चुदाई करके अपने जिस्मों की आग को बुझा सकें.

“स्विम्मिंग पूल” मेरे पति ने मेरे कान मे कहा तो मैं अपना पर्स ले कर खड़ी हो गई और स्विम्मिंग पूल की तरफ बढ़ी. मेरे पति मेरे पीछे पीछे आ रहे थे.

जब हम स्विम्मिंग पूल पर पहुँचे तो देखा कि वो सुन सान पड़ा है और दोपहर मे इस समय वहाँ कोई भी तैरने वाला मौजूद नही है. उन्होने चेंजिंग रूम का दरवाजा धकेल कर खोला और हम अंदर आ गये. मैने अपना पर्स वहाँ बने काउंटर पर रखा और अपने पति की तरफ घूमी. हम दोनो एक दूसरे को देख रहे थे. मेरी चूत मे खुजली और चुलबुलाहट शुरू हो गई थी जो मुझे बता रही थी कि मुझे, मेरी चूत को, मेरे पति के जवान, लंबे, मोटे और गरमा गरम लंड की कितनी ज़रूरत है.

” दरवाजा बंद करदो” मेरी आवाज़ खाली कमरे मे गूँज रही थी.

वो घूमे और उन्होने चेंजिंग रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. चेंजिंग रूम मे हम दोनो अकेले थे. फटाफट चुदाई के लिए ये बहुत अच्छी जगह थी. वो धीरे धीरे चलते हुए मेरे नज़दीक आए तो मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगी, साँसें तेज होने लगी और नसों मे खून की रफ़्तार बढ़ गई. उन्होने अपना हाथ मेरी गर्दन के पीछे रखा और और हमारे सेक्सी और रसीले होंठ आपस मे मिल गये. उनकी जीभ मेरी जीभ से खेलने लगी. ये ऐसा चुंबन था जिस से कोई भी लड़की पिघल जाती है.

उन्होने अपने होंठ मेरे होठों पर से हटाए और उनके हाथ मेरे सेक्सी जिस्म पर फिरते हुए मेरे मम्मे, मेरी चुचियों पर पहुँचे तो उन्होने मेरी चुचियों को गाड़ी के हॉर्न की तरह दबाया. मेरी दोनो निप्पल सख़्त हो चली थी. उनके हाथ मेरे जिस्म पर रेंगते हुए मेरी गंद पर पहुँचे. वो मेरे सामने अपने घुटनों पर बैठ गये और उनके हाथ मेरी नंगी सेक्सी टाँगों पर फिरते हुए उपर आने लगे तो रोमांच से मेरे रोएँ खड़े हो गये. मैने अपनी साँसे रोक ली थी और उनके हाथ धीरे धीरे मेरी स्कर्ट के अंदर पहुँचे. उन्होने अपनी उंगली मेरी चूत की दीवारों के बीच घुमाई तो हम दोनो ने ही महसूस किया कि मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी है. उन्होने धीरे से मेरी चड्डी खींच कर नीचे कर दी और मैने अपने पैर उठा कर चड्डी को बाहर किया. उन्होने मेरी चड्डी उठा कर सूँघी और मेरे चूत रस की सुगंध ली. जब उन्होने मेरी स्कर्ट उपर उठाई तो मैने अपने पैर चौड़े किए और उन्होने मेरी चूत को चूम लिया. मैने अपनी गंद काउंटर के कोने पर टिकाई और उनकी उंगकी धीरे से मेरी चूत की दरार मे घूम गई. मेरी गंद अपने आप ही उपर नीचे होने लगी क्यों कि मैं तो जल्दी से जल्दी उनके लंड को अपनी चूत मे खा जाना चाहती थी. पर उनको चोद्ने की इतनी जल्दी नही थी. वो मुझे और गरम करना चाहते थे, और सटना चाहते थे. जब उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत पर बाहर और अंदर फिराई तो मैं जैसे स्वर्ग मे पहुँच गई. फिर उन्होने अंपनी जीभ मेरी गीली और नशीली चूत के अन्द्रुनि भाग पर फिराई तो मेरे पैर अपने आप ही चुदाई की चाह मे और चौड़े हो गये.

उनकी जीभ मेरी चूत पर घूमती हुई मेरी चूत के अंदर जा कर मुझे मदहोश करने लगी. मेरी चूत का दाना तन गया जिसपर उनकी जीभ ने कमाल कर दिखाया. मेरी साँसें और तेज हो गई, मेरे मूह से आनंद भरी चीत्कार निकल रही थी. मेरी उंगलियाँ उनके हाथ पर कस गई और मुझे लगा कि मैं चुदवाने के पहले ही झाड़ जाउन्गि.
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08-14-2019, 03:45 PM,
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अब उन्होने मेरे टॉप और मेरी चोली को उपर करके मेरी चुचियों को ब्रा की क़ैद से आज़ाद कर्दिया. मेरी दोनो गुलाबी निपल्स तन कर खड़ी हो गई और मेरे पति ने एक निपल अपने मूह मे ली और उसको चूसना शुरू कर्दिया. मैने अपना हाथ नीचे किया और उनके पॅंट की ज़िप खोल दी. जैसा की उपेक्षित था, उनका चुदाई का औज़ार, उनका लॉडा तन कर खड़ा हुआ था और चूत चुदाई को तय्यार था. उनकी जीभ सेक्सी तरीके से मेरी चुचि, मेरी निपल पर घूमती गई और मैने उनके लंड को खुली ज़िप के अंदर, उनकी चड्डी के उपर से ही ज़ोर से पकड़ लिया.

अब उनके मूह मे मेरी दूसरी निपल आ गई और उत्तेजना के मारे उन्होने करीब करीब मेरी निप्पल पर काट ही लिया था. उनका हाथ नीचे हुआ और उन्होने मेरी चूत के दाने को अपने अंगूठे से दबाया तो मेरी गंद काउंटर से उपर उठ गई.

उन्होने अपना खड़ा हुआ लंबा और मोटा लंड चड्डी से बाहर निकालने मे मेरी मदद की और मैने उनके लंड को पकड़ कर अपनी गीली गरम चूत पर रगड़ा. उनके लंड को अपने मूह पर पा कर जैसे मेरी चूत बहुत खुश हो गई और हमेशा की तरह ढेर सारा रस मेरी चूत से बाहर आया. मैने अपने घुटनों के बल बैठ कर उनके तन तनाते हुए लौडे को अपने हाथ मे पकड़ा. मैं उनका लंड चूसने को तय्यार थी और मैं ज़्यादा इंतज़ार नही कर सकी. मैने तुरंत ही उनके लंड के मूह पर, सूपदे पर अपनी जीभ फिराई.

हम दोनो ही अपनी चुदाई जल्द से जल्द पूरी करना चाहते थे, इस से पहले की कोई हमको वहाँ देखले.

मुझे पता है कि मेरे पति चुदाई मे बहुत मज़बूत हैं और हमेशा ही उनके लंड से पानी निकलने मे बहुत समय लगता है. इसलिए मेरे लिए ये ज़रूरी था कि चूत चुदाई के पहले उनके लंड को इतना गरम कर्दिया जाए ताकि उनका लंड मेरी चूत मे अपना पानी निकालने मे ज़्यादा वक़्त ना लगाए. और इसका एक ही रास्ता था कि मैं उनके लौडे को चूस चूस कर पानी निकालने के आधे रास्ते तक ले जाउ. मेरे पति हमेशा ही कहतें हैं कि मैं बहुत अच्छा लंड चुस्ती हूँ और आज एक बार फिर मैं अपनी लंड चूसने की क़ाबलियत उनके लंड पर दिखा रही थी.

उनका आधा लंड मेरे मूह मे था और मैं उसको चूस्ते हुए मेरे मूह के अंदर बाहर कर रही थी, जैसे उनका लंड मेरे मूह को चोद रहा था. ये मेरे अनुभव से मुझे पता चला कि अब मैं उनको काफ़ी गरम कर चुकी हूँ और अब चूत और लंड की चुदाई मे वो मेरे साथ ही झड़ेंगे, तो मैने उनका खड़ा लंड अपने मूह की पकड़ से आज़ाद किया.
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08-14-2019, 03:45 PM,
#86
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मेरे पैर उनकी कमर से लिपट गये, उनके हाथ मेरी गंद के नीचे थे और उनका लंबा और मोटा लंड मेरी चूत मे घुसा हुआ मुझे चोद रहा था. शुरूवात से ही उनके धक्के काफ़ी तेज थे क्योंकि वो पहले से ही गरम थे. मैने अपना हाथ नीचे करके खुद ही अपनी चूत के दाने को मसला जिस से मैं जल्दी ही झाड़ गई, पर मेरे पति मेरी चूत को लगातार चोद रहे थे. दो चुदाई के दीवाने चुड़क्कड़ अपना चोद्ने और चुद्वाने का काम बहुत मन लगा कर कर रहे थे. जल्दी ही मैं दूसरी बार झड़ने को तय्यार थी. मेरी साँसे तेज हो गई, बदन अकड़ने लगा और मज़ा बढ़ता गया.

एक जोरदार धक्के के साथ उनका लंड मेरी चुत की गहराईयो मे अपने लंड रस की बरसात करता हुआ मेरी चुदाई की प्यास को बुझाने लगा. मैं खुद भी बहुत ज़ोर से झाड़ चुकी थी. हम दोनो की आँखों मे परम संतुष्टि के भाव थे. उनके लंड ने मेरी चूत के अंदर अपने पानी का अंतिम फव्वारा छ्चोड़ा और वो मुझ से लिपट गये.

उन से लिपटे हुए, मैने उनके कान मे कहा – ” मुझे मूतना है.”

वो मुस्कराते हुए बोले – चुदाई के बाद हमेशा ही तुम्हारा मूत निकलता है.

उन्होने अपना नरम पड़ता लंड मेरी चूत से निकाला तो मैने अपने पैर ज़मीन पर रखे. मेरे पैर काँप रहे थे. मैं ठीक से खड़ी नही हो पा रही थी. उन्होने मुझे कमर से पकड़ा और मेरी तरफ देख कर मुस्काराए. ऐसा जोरदार, दमदार और तेज चुदाई की वजह से हुआ था.

मेरी ताक़त वापस आई तो मैने काउंटर पकड़ कर अपना संतुलन बनाया. मैं सामने बने सौचालय की तरफ बढ़ी. मैने अपने पर्स से टिश्यू पेपर निकाला और टाय्लेट सीट पर बैठी. मैने देखा कि मेरे पति भी वहाँ चेंजिंग रूम के वॉश बेसिन से टिश्यू पेपर ले कर अपना गीला लंड सॉफ कर रहे है. फिर उन्होने अपना लंड वापस अपनी चड्डी मे, अपनी पॅंट के अंदर डाला और ज़िप बंद की. उन्होने मेरी नीचे ज़मीन पर पड़ी चड्डी को उठाया और मेरी तरफ देखा. क्यों कि दरवाजा खुला हुआ था और वो मुझे मूत करते हुए देखने लगे.

मैने मूत कर अपनी चूत को टिश्यू पेपर से सॉफ किया और जब मैं खड़ी हुई तो उन्होने मेरी चड्डी मुझे पकडाई. मैने चड्डी पहनी और अपने हाथ धो कर सॉफ किए. मैने अपने कपड़े ठीक किए, उन्होने दरवाजा खोला और मैं अपना पर्स उठाकर उनके हाथ मे हाथ डाले बाहर आई.

बाहर कोई नही था और किसी को भी पता नही चला कि हम वहाँ एक गरमा गरम चुदाई कर के निकले हैं. ये एक बहुत रोमांच से भरी चुदाई थी. हम बाहर आ कर अपनी कार मे बैठे तो मैने अपने पति से कहा की मुझे कुछ चड्डिया ख़रीदनी है.

जल्दी ही हम बाज़ार पहुँचे और उन्होने कार एक बहुत बड़ी दुकान के सामने रोकी. हम दोनो ने ही दुकान मे प्रवेश किया और काउंटर पर जा कर मैने अपने लिए चड्डिया दिखाने को कहा. सेल्स गर्ल ने कई तरह की चड्डिया मुझे दिखाई तो मैने उनमे से एक चड्डी उठाकर पुच्छा की ट्राइयल रूम कहाँ है. मैं हाथ मे चड्डी ले कर ट्राइयल रूम मे गई और मेरे पति बाहर मेरा इंतेज़ार करने लगे.

ट्राइयल रूम के अंदर आकर मैने वो चड्डी पहनी तो मुझे लगा कि वो चड्डी मेरी गंद के नाप से थोड़ी छोटी है. मैं वहाँ खड़ी सोच रही थी कि क्या किया जाय, तब, मेरे पति का मोबाइल पर फोन आया कि मुझे इतना समय क्यों लग रहा है. मैने अपने पति को बताया कि चड्डी थोड़ी छोटी है तो मेरे पति ने मुझे वहाँ रुकने को कहा और बोले कि वो खुद दूसरी चड्डी ले कर ट्राइयल रूम मे आ रहे हैं. उन्होने सेल्स गर्ल को बताया तो उसने थोड़ी सी बड़ी साइज़ की कुछ चड्डिया मेरे पति को दी जिनके साथ मेरे पति ट्राइयल रूम मे आए. अंदर आकर उन्होने दरवाजा अंदर से बंद किया और मेरी तरफ घूमे. मैं वहाँ कमर के नीचे नंगी खड़ी थी. मैने उनको कहा कि वो चड्डी मुझे बहुत पसंद है पर ज़रा छोटी है. उन के हाथ मे भी बहुत सुंदर सुंदर चड्डिया थी और उन्होने मुझे वी चड्डिया ट्राइ करने को कहा.
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#87
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मैं जैसे ही उनकी लाई हुई चड्डियों मे से एक पह्न ने को नीचे झुकी तो उन्होने मुझे पीछे से पकड़ लिया. मैं चड्डी ज़मीन पर छोड़ कर खड़ी हुई तो वो मुझे किस करने लगे और मेरी चुचियाँ दबाने लगे. उन्होने मेरी नंगी जाँघो और मेरी नंगी गंद पर हाथ फिराया तो मैं भी बेकाबू होने लगी. मैं अच्छी तरह समझ चुकी थी कि वहाँ भी मेरी जमकर, एक फटाफट चुदाई होने वाली है. पिच्छले एक घंटे मे हमारी ये दूसरी चुदाई दूसरी जगह पर होने वाली थी. हम जानते थे कि हम को बहुत जल्दी जल्दी चुदाई करनी थी, इस से पहले की कोई दरवाजा खाट खटाए, हम को चुदाई पूरी करलेनी थी.

उन्होने मुझे अपने सामने घोड़ी बन ने को कहा. मैने दीवार पर लगे एक डंडे को पकड़ा और अपनी गंद उनकी तरफ करके किसी कुतिया की तरह, घोड़ी की तरह झुक गई. उन्होने अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपने खड़े हुए, तन तनाते हुए लौडे को बाहर निकाला और उसको मेरी गंद की दरार पर फिराया. मेरी चूत का मूह उनकी तरफ था पर वो मेरी गंद पर लंड घुमाते रहे तो मैं समझ गई कि वो मेरी गंद मारने की तय्यरी कर रहे हैं.

मैं चुप रही क्यों कि मुझे उनसे गंद मरवाना भी बहुत पसंद है. पर इस वक़्त मेरी गंद अंदर से सॉफ नही थी और उनके पास कॉंडम भी नही था. इस बार वो मेरी गंद बिना सफाई के, बिना कॉंडम लगाए, एक दुकान के ट्राइयल रूम मे पहली बार मारने जा रहे थे और मैं तो इसकी कल्पना करके ही रोमांचित हो उठी.

अपने लंड पर और मेरी गंद के छेद पर थोड़ा थूक लगा कर जब उन्होने अपने लंड को थोड़ा मेरी गंद मे डाला तो लगा जैसे मेरी गंद फॅट जाएगी. हालाँकि उन्होने अपना थूक इस्तेमाल किया था पर फिर भी मेरी गंद का छेद छोटा और उनका लंड बहुत मोटा है. करीब आधा लंड मेरी गंद मे घुसा कर वो धीरे धीरे धक्के मारते हुए अपने लंड को मेरी मस्तानी गंद मे अंदर बाहर करने लगे.

जल्दी ही मेरा दर्द कम हुआ और हमेशा की तरह मुझे गंद मरवाने का आनंद आने लगा. अब वो अपना पूरा लंड मेरी गंद मे घुसा कर मेरी गंद मार रहे थे. पीछे खड़े हो कर, मेरी गंद मारते हुए वो अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को मसल्ने लगे ताकि मैं चुद्वाने का पूरा मज़ा ले सकूँ.

गंद मरवाते हुए और चूत का दाना मसलवाते हुए मैं झाड़ चुकी थी पर उनका मेरी गंद मारना लगातार जारी था क्यों कि मुझे पता है कि उनके लंड का पानी इतनी जल्दी नही निकलने वाला. मैं झुकी हुई, बिना रुके उनसे गंद मरवाती गई ताकि उनके लंड का रस मेरी गंद मे निकल जाए. थोड़ी देर बाद, मेरी गंद मारते हुए उनके लंड ने मेरी गंद को अपने लंड रस से लबा लब भर दिया.

उन्होने मेरी गंद मार कर जल्दी से अपने लंड को मेरी गंद से निकाला और मैने अपनी गंद सॉफ करके नई चड्डी पहन कर देखी. वो मेरी गंद के नाप के लिए बराबर थी. फिर मैने नई चड्डी उतार के अपनी चड्डी पहनी, अपना स्कर्ट पहना और हम दोनो अपने अपने कपड़े ठीक करते हुए ट्राइयल रूम से बाहर आए.

काउंटर पर पहुँच कर मैने सेल्स गर्ल से नई चड्डियों का बिल बनाने को कहा. वो सेल्स गर्ल हमारी तरफ कुछ इस तरह देख रही थी मानो पूछ रही थी कि ट्राइयल रूम मे चड्डी पहन कर देखने मे इतना समय क्यों लगा. मुझे पता नही कि वो समझ पाई या नहीं कि हम ने उसकी दुकान के ट्राइयल रूम मे क्या किया है. हम ने चड्डियों का बिल चुकाया और दुकान से बाहर आ गये.

उन्होने मुझे घर छोड़ा और अपने ऑफीस चले गये.

कई दिनो की, मन मे दबी दिन मे चुद्वाने की इच्छा बाहर जा कर चूत चुद्वा कर और गंद मरवाकर पूरी हो गई थी.

तो ये थी मेरी आपबीती——- बाहर गई चुदवाने.

*********************************************

क्रमशः.....................................................
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08-14-2019, 03:45 PM,
#88
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली-20

गतान्क से आगे..................... चंचल चूत का चॅलॅंज

इस की शुरुआत एक चॅलेंज से हुई. मैं हमेशा अपनी बचपन की दोस्त आंजेलीना के संपर्क मे रहती हूँ. हालाँकि वो गोआ मे रहती है पर हम हमेशा बातें करते है और एक दूसरी को मैल भेजती रहती हैं. आप को तो पता है कि वो मेरी चुदाई की गुरु है और हमने कई बार आपस मे लेज़्बीयन चुदाई की है. मैने अपनी चुदाई का पहला सबक उस से ही सीखा था जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी और वो 15 साल की थी. उस ने मेरे साथ लेज़्बीयन चुदाई कर के मुझे चुदाई के बारे मे सिखाया था. जब भी मैं गोआ जाती हूँ, मैं आंजेलीना से ज़रूर मिलती हूँ और हम एक दूसरी के नंगे और सेक्सी बदन से खेलते हुए लेज़्बीयन चुदाई ज़रूर करती हैं. हालाँकि वो और मैं दोनो ही लेज़्बीयन नहीं है पर हम दोनो ही आपस मे लेज़्बीयन चुदाई करके बहुत आनंद लेती हैं. मेरी जिंदगी मे आंजेलीना का एक विशेष स्थान है.

एक बार, जब मैं उसके साथ चॅट कर रही थी तो हमेशा की तरह हमारी बातें चुदाई के रोमांच के बारे मे होने लगी. उस को पता है कि मुझे रोमांच से भरी चुदाई बहुत पसंद है. वो जानती है कि मैने कई बार सार्वजनिक जगहों पर चुद्वाया है और वो भी बिना किसी को पता चले. मैं बहुत से लोगों के बीच मैं चुद्वा लेती हूँ और किसी को भी पता नही चल पाता. इसलिए हम दूसरे लोगो की मौजदगी मे किस तरह चुद्वाया जा सकता है, इसके बारे मे चॅट कर रही थी. मुझे पता है कि अगर मैं उसको किसी तरह का चॅलॅंज दूं तो वो उसको ज़रूर पूरा करेगी. इसी तरह मैं भी इस तरह के चॅलॅंज लेने मे पिछे नही हूँ. इसीलिए इस बार उसने मुझे किसी बड़े बाज़ार के लॅडीस वॉश रूम मे खुद ही अपनी चूत मे उंगली करके झड़ने का चॅलॅंज दिया.

मैने इसके बारे मे ज़्यादा ना सोचते हुए उसका चॅलॅंज कबूल किया. वो जानती है कि मैं झूठ नही बोलती और उसको वही सच बताउन्गि कि मैं उसके चॅलॅंज को पूरा कर पाई या नही. फिर हम अलग अलग विषयों पर बात करने लगी.

आख़िर, कुछ दिनों बाद, मैने उसको बताया कि अब उसके चॅलॅंज को पूरा करने का वक़्त आ गया है और मैं इसके लिए तय्यार हूँ. मैने उसको बताया कि अगले दिन मैं एक सूपर बाज़ार जा रही हूँ और वहाँ उसके द्वारा दिए गये चॅलॅंज को पूरा करने की कोशिश करूँगी. वो ये जान कर बहुत खुश हुई.

मैने देल्ही के एक सबसे बड़े सूपर बाज़ार मे इस काम को अंजाम देने की सोची, जहाँ कार पार्किंग की बहुत अच्छी सुविधा है. अंदर से ये सूपर बाज़ार कई मंज़िला है, कई बड़ी बड़ी दुकानें हैं और इसका अधिकतर भाग वातानुकूलित है. अंदर दोनो तरफ सीढ़ियाँ और लिफ्ट है.

अपने प्रोग्राम के अनुसार मैं अगले दिन, दोपहर को, जब मेरे पति दोपहर का खाना खा कर वापस ऑफीस चले गये थे, मैं अपनी कार मे बैठ कर सूपर बाज़ार की तरफ रवाना हुई.

मैने अपनी कार एक तरफ पार्क की और कार से बाहर निकली. मैने अपना पसंदीदा स्कर्ट और टॉप पहन रखा था. मैं सूपर बाज़ार के दरवाजे की तरफ बढ़ी और मैं ये सोच कर रोमांचित होने लगी कि मैं वहाँ क्या करने जा रही हूँ.
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08-14-2019, 03:45 PM,
#89
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैं इस अनोखे खेल और चॅलॅंज के लिए पूरी तरह तय्यार थी. मेरा टॉप मेरी चुचियों को ढकता हुआ मेरी कमर तक था. मेरा स्कर्ट, मेरी कमर पर, काफ़ी आरामदायक, और मेरे घुटनों के उपर तक आ रहा था. मेरे टॉप से मेरे नंगे कंधे और दोनो हाथ बाहर थे. मेरे स्किटर से भी मेरी घुटनों तक नंगी सेक्सी टांगे झाँक रही थी. स्कर्ट कुछ इस डिज़ाइन मे सिला हुआ था कि जब भी मैं चलती थी, वो मेरी मस्तानी गंद के दोनो तरफ झूलने लगता. मैने अपने सफेद सॅंडल और मॅचिंग गहने, कान की बालियां, कलाई पर ब्रेस्लेट, गले मे सोने की खूबसूरत चैन पहनी थी और मेरे हाथ मे एक सफेद रंग का पर्स था. अंदर पहुँच कर मैं शांत रहने की कोशिश कर रही थी. मेरे काले, घने खुले बाल मेरे नंगे कंधों पर झूल रहे थे और बार बार मेरी चुचियों के उपर आ कर मुझे और भी रोमांचित कर रहे थे.

अंदर एरकॉनडिशन होने की वजह से वातावरण काफ़ी ठंडा था और मैने महसूस किया कि मेरी निप्पल्स, ठंडक को महसूस करके कड़क हो गई थी, खड़ी हो गई थी. लेकिन मेरे टॉप के अंदर, चुचियों के उपर नरम कपड़ा सिला हुआ था जिसकी वजह से किसी भी देखने वाले को पता नही चल रहा था कि मेरी चुचियाँ तनी हुई है. पर मुझे पता चल रहा था और मेरी चुचियाँ, मेरी निप्पल कपड़े के अंदर रगड़ खा रही थी. मुझे ये बहुत सुखद लगा.

मैं दूसरी मंज़िल पर पहुँची जहाँ कि मुझे पता था कि एक बहुत अच्छा, सॉफ सुथरा लॅडीस रेस्ट रूम है. मैं वॉश रूम के अंदर दाखिल हुई. वहाँ अंदर काफ़ी सारी औरतें थी, कुछ जवान, कुछ थोड़ी उमर वाली और कुछ हसीन और जवान लड़कियाँ भी थी. कुछ साड़ियाँ पहने हुए थी, कुछ ड्रेसस पहने ही थी और कुछ बरमूडा, स्कर्ट और टॉप पहने हुए थी. लग रहा था जैसे हुस्न का बाज़ार लगा था. नंगी सेक्सी टांगे, कपड़ों के अंदर से झाँकति हुई छ्होटी, बड़ी और कुछ बहुत बड़ी चुचिया. उन सब के अलग अलग अंगों पर पहने हुए गहनो की खनखनाहट और पैरों मे पहनी हुई चप्पल्स और सॅंडल्ज़ की आवाज़ें रेस्ट रूम मे गूँज रही थी. करीब करीब सारी औरतें और लड़कियाँ अपना मेक-अप ठीक कर रही थी.

मैने भी सामान्य रहने की कोशिश करते हुए शीशे मे देख कर अपने बाल ठीक करते हुए बाकी की महिलाओं को, लड़कियों को देखने लगी. कुल मिला कर वहाँ उस समय करीब दस औरतें और लड़कियाँ होंगी. मैं सोच रही थी कि कैसे अपने काम को अंजाम दूं? अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? क्या इतनी भीड़ मे, उनके बीच मे मैं अपनी चूत मे उंगली कर पाउन्गि? पर अब मैं पीछे नही हट सकती थी. मैने चॅलॅंज पूरा करने की ठान ली. मैने देखा कि एक करीब 45 साल की औरत मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही है. लेकिन मेरे पास ज़्यादा सोचने का वक़्त नही था. ये समय सोचने का नहीं, काम करने का था. अपनी चूत मे खुद ही उंगली डाल कर, हॅस्ट मैथून कर के झड़ने का चॅलॅंज पूरा करने का समय था. काफ़ी सारी औरतें आपस मे तेज आवाज़ मे बातें कर रही थी. कुल मिलकर काफ़ी शोर गुल हो रहा था. और मेरे लिए ये अच्छी बात थी कि उस शोर गुल मे शायद मेरे द्वारा, हस्त मैथून के दौरान की गई आवाज़ें किसी को सुनाई ना दे.

मैने पीछे बने स्टॉल्स की तरफ देखा. बीच के तीन स्टॉल्स खाली थे. मैने अपने काम के लिए बीच वाला स्टॉल चुना. मैने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और घूमी. अंदर बहुत कम जगह थी. जैसा कि आम तौर पर होता है, ज़मीन और स्टॉल की लकड़ी की दीवारों के बीच करीब एक फुट की दूरी थी. यानी तीन तरफ, दोनो साइड, अगल बगल के स्टॉल की तरफ और सामने दरवाजे की तरफ, बाहर की तरफ नीचे एक फुट की खाली जगह थी. जो भी अंदर होती है, वो अपने दोनो तरफ के स्टॉल मे नीचे से झाँक सकती है. हे भगवान!
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08-14-2019, 03:46 PM,
#90
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैने अपने स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर अपनी चड्डी को उतारा तो पाया कि मेरी चड्डी मेरे चूत रस से गीली हो चुकी थी. मैने अपनी चड्डी को अपनी नाक के पास करके अपने चूत रस की सुगंध को सूँघा. बहुत सेक्सी सुघन्ध है मेरे चूत रस की. मैं सोच रही थी कि उस छोटी सी जगह मे अपने काम को किस तरह अंजाम दिया जाए. मैने दरवाजे के पीछे लगे हुक पर अपनी चड्डी टांगी और टाय्लेट सीट पर बैठी. अपनी स्कर्ट को गंदी होने से बचाने के लिए उसको अपनी कमर तक उठा कर दबा लिया. फिर मैने महसूस किया की टाय्लेट सीट पर बैठे बैठे मैं अपना काम ठीक से नही कर पाउन्गि. मैं जितना हो सकता था उतनी आगे हो कर बैठी. तभी, बगल के स्टॉल मे एक औरत आई. मैं स्थिर हो गई. नीचे से उसके पैर दिख रहे थे. मैने उसकी चड्डी नीचे करने की सरसराहट सुनी और साफ साफ उसके मूतने की आवाज़ सुनी. मुझे और गरम होने के लिए इतना काफ़ी था. मैं सोच रही थी कि बाहर इतनी आवाज़ें होने के बावजूद जब मैने बगल के स्टॉल मे उस औरत के मूतने की आवाज़ सुन ली तो मेरे द्वारा भी किसी भी प्रकार की आवाज़ भी सुनी जा सकती है.

लेकिन, कुछ भी हो, मुझे मेरा वो काम तो करना ही था जिसके लिए मैं वहाँ आई थी. आगे खिसक कर बैठने की वजह से मुझे कुछ परेशानी हो रही थी तो मैने अपना एक पैर सामने दरवाजे पर टिकाया. पैर मे सॅंडल होने की वजह से लकड़ी के दरवाजे पर पैर टीकाने से आवाज़ हुई. मैने महसूस किया कि बगल के स्टॉल मे मूतने आई औरत की हलचल बंद हो गई है. शायद वो मेरे स्टॉल मे क्या हो रहा है, ये सुन ने की कोशिश कर रही है. भाड़ मे जाए वो, सुनती है तो सुनती रहे, मैने अपने मन मे सोचा. मैने पूरा ध्यान अपनी चंचल, चिकनी चूत पर लगाया और अपनी रसीली चूत की दरार मे अपनी उंगली फिराई. मेरी चूत तो जैसे टपक रही थी. मैने बगल के स्टॉल से टाय्लेट पेपर खींचे जाने की आवाज़ सुनी और फिर उसके रगडे जाने की आवाज़ भी सुनी. शायद वो औरत टाय्लेट पेपर अपनी चूत पर रगड़ कर अपनी चूत को सॉफ कर रही थी.

अचानक ही, जब मेरी उंगली मेरी चूत के तने हुए गरम दाने से टकराई नो ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल गई. बगल के स्टॉल से टाय्लेट पेपर को चूत पर रगड़ने की आवाज़ आनी अचानक रुक गई. मैने अपने मन मे सोचा कि जो होगा देखा जाएगा. किसी को पता चलता है तो चलता रहे. मुझे तो अपना काम पूरा करना था. अपना चॅलॅंज पूरा करना था. खुद ही अपनी चूत मसल कर, उंगली डाल कर हस्त मैथून करते हुए मुझे झड़ना था. आवाज़ होती है तो होती रहे.

मैं फिर अपने काम मे मगन हो गई. अपनी रसीली मस्तानी चूत मे मेरी उंगली घूमने लगी और ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से आनंद की धीमी धीमी आवाज़ें निकलने लगी. मेरे चूत रस की सुगंध अब अपने आप ही मेरी नाक तक पहुँच रही थी. मेरी चूत काफ़ी गीली होने की वजह से जब मेरी उंगली उसके अंदर बाहर हो रही थी तो उस से भी कुछ आवाज़ होने लगी. मैं काफ़ी गरम हो चुकी थी, मेरी आँखें बंद हुई जा रही थी और मुझे लगा कि मैं अपने झड़ने के काफ़ी करीब हूँ. मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी और मेरा बदन झड़ने से पहले अकड़ने लगा. मेरे हाथ की रफ़्तार मेरी चूत पर और भी बढ़ गई. दराज पर मेरे पैर के टकराने से दरवाजा हिलने लगा था और अब कुछ भी मेरे बस मे नही था. बाहर से आने वाली आवाज़ों मे अचानक कमी आई और हे भगवान! बाहर खड़ी औरतें, लड़कियाँ मुझे सुन रही थी और शायद उनको अंदाज़ा हो गया था कि अंदर मैं क्या कर रही हूँ. लेकिन इन सब की परवाह करने के लिए अब काफ़ी देर हो चुकी थी और मैं ऐसी हालत मे थी जहाँ से लौटना या वहीं रुकना मेरे बस मे नही था. मैं अपने झड़ने की चरम सीमा पर थी और अब कुछ नही हो सकता था. मुझे आगे ही जाना था, पीछे वापस आना या रुकना मुमकिन नहीं था.

और अचानक ही, जैसे कि मैं जानती थी, मैं एक झटके के साथ ज़ोर से झाड़ गई और उत्तेजना के मारे मेरा पैर ज़ोर से दरवाजे से टकराया तो दरवेाजा हिल गया.

मैं तो ऐसे झड़ी थी कि रुकने का नाम नही ले रही थी. मैं जब तक हो सका, अपनी गीली चूत मसल्ति रही, उंगली करती रही. पता नही मैने अपनी चूत मे उंगली करते वक़्त उत्तेजना मे क्या क्या किया, कितनी आवाज़ें निकाली, मुझे कुछ याद नही था. बाहर एकदम खामोशी छाई थी. क्या सब औरतें और लड़कियाँ चली गई है?

तभी, मैने महसूस किया कि बाहर का दरवाजा खुला और कुछ लड़कियाँ बातें करती हुई वॉश रूम मे आई और अचानक ही चुप हो गई. हे भगवान! इसका मतलब सब की सब औरतें और लड़कियाँ अंदर ही है और मेरे बाहर आने का इंतज़ार कर रही है.
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