06-25-2017, 12:49 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
मैं हूँ हसीना गजब की --पार्ट--4
गतान्क से आगे........................
वो भोचक्के से कुच्छ देर तक मेरी आँखों मे झाँकते रहे.
"मुझे सब पता है. मुझे पहले ही संदेह हो गया था. पंकज को ज़ोर
देकर पूचछा तो उसने स्वीकार कर लिया."
" तुम......तुमने कुच्छ कहा नही? तुम नयी बीवी हो उसकी तुमने उसका
विरोध नही किया?" कमल ने पूचछा.
" विरोध तो आप भी कर सकते थे. आप को सब पता था लेकिन आप ने
कभी दोनो को कुच्छ कहा नही. आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी."
मैने उल्टा उनसे ही सवाल किया.
" चाह कर भी कभी नही किया. मैं दोनो को बेहद चाहता हूँ
और......."
" और क्या?"
" और.......कल्पना मुझे कमजोर समझती है." कहते हुए उन्हों ने
अपना चेहरा नीचे झुका लिया. मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर
अपने को रोक नही पायी. और मैने उनके चहरे को अपनी हथेली मे भर
कर उठाया. मैने देखा की उनके आँखों के कोनो पर दो आँसू चमक
रहे हैं. मैने ये देख कर तड़प उठी. मैने अपनी उंगलियों से उनको
पोंच्छ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया. वो किसी
बच्चेकी तरह मेरी चूचियो से अपना चेहरा सटा रखे थे.
"आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नही करवाया" मैने उनके
बालोंमे अपनी उंगलियाँ फिराते हुए पूचछा.
" दिखाया था. कई बार चेक करवाया"
" फिर?"
" डॉक्टर ने कहा........ " दो पल को वो रुके. ऐसा लगा मानो सोच
रहेहों कि मुझे बताएँ या नही फिर धीरे से कहा " मुझमे कोई कमी
नहीहै."
" क्या?" मैं ज़ोर से बोली, " फिर भी आप सारा दोष अपने ऊपर लेकर
चुप बैठे हैं. आपने किसी को बताया क्यों नही? ये तो बुजदिली है."
" अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी. लेकिन मैं उसकी उमीद
कोतोड़ना नही चाहता. भले ही वो सारी जिंदगी मुझे एक नमार्द समझती
रहे."
" मुझे आप से पूरी हमदर्दी है. लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो
कल्पना भाभी ने नही दिया."
वो चोंक कर मेरी तरफ देखे. उनकी गहरी आँखों मे उत्सुकता थी मेरा
जवाब सुनने की. मैने आगे कहा, " मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा
दूँगी."
" क्या???? कैसे??" वह हॅड बड़ा उठे.
" अब इतने बुद्धू भी आप हो नही कि समझना पड़े कैसे." मैं उनके
सीने से लग गयी, " अगर वो दोनो आपकी की चिंता किए बिना जिस्मानी
ताल्लुक़ात रख सकते है तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?" मैने
अपनी आँखें बंद कर के फुसफुसते हुए कहा जो उसके अलावा किसी को
सुनाई नही दे सकता था.
इतना सुनना था कि उन्हों ने मुझे अपने सीने मे दाब लिया. मैने अपना
चेहरा उपर उठाया तो उनके होंठ मेरे होंठों से आ मिले. मेरा बदन
कुच्छ तो बुखार से और कुच्छ उत्तेजना से तप रहा था. मैने अपने
होंठ खोल कर उनके होंठों का स्वागत किया. उन्होने मुझे इस तरह
चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों. मैं उनके चौड़े सीने
के बालों पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. उन्हों ने मेरे गाउन को बदन
पर बँधे उस डोर को खींच कर खोल दिया. मैं पूरी तरह नग्न
उनके सामने थी. मैने भी उनके पायजामे के उपर से उनके लिंग को अपने
हाथों से थाम कर सहलाना शुरू किया.
" एम्म्म काफ़ी मोटा है. दीदी को तो मज़ा आ जाता होगा?" मैने उनके लिंग
को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबाया. फिर पायजामे की डोरी को खोल कर
उनके लिंग को बाहर निकाला. उनका लिंग काफ़ी मोटा था. उसके लिंग के
ऊपर का सूपड़ा एक टेन्निस की गेंद की तरह मोटा था. कमल्जी गोरे
चिट थे लेकिन लिंग काफ़ी काला था. लिंग के उपर से चंदे को नीचे
किया तो मैने देखा कि उनके लिंग के मुँह से पानी जैसा चिप चिपा
रस निकल रहा है. मैने उनकी आँखों मे झाँका. वो मेरी हरकतों को
गोर से देख रहे थे. मैं उनको इतनी खुशी देना चाहती थी जितनी
कल्पना दीदी ने भी नही दी होगी. मैने अपनी जीभ पूरी बाहर
निकली. और स्लो मोशन मे अपने सिर को उनके लिंग पर झुकाया. मेरी
आँखे लगातार उनके चेहरे पर टिकी हुई थी. मैं उनके चेहरे पर
उभरने वाली खुशी को अपनी आँखों से देखना चाहती थी. मैने अपनी
जीभ उनके लिंग के टिप पर लगाया. और उसस्से निकालने वाले रस को
चाट कर अपनी जीभ पर ले लिया. फिर उसी तरह धीरे धीरे मैने
अपना सिर उठा कर अपने जीभ पर लगे उनके रस को उनकी आँखों के
सामने किया और मुँह खोल कर जीभ को अंदर कर ली. मुझे अपना रस
पीते देख वो खुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने
होंठ फिराने लगे. वो मेरे होंठों को मेरे कानो को मेरी आँखों को
गालों को चूमे जा रहे थे और मैं उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे भर
कर सहला रही थी. मैने उनके सिर को पकड़ कर नीचे अपनी
छातियो से लगाया. वो जीभ निकाल कर दोनो चूचियो के बीच की
गहरी खाई मे फिराए. फिर एक स्तन को अपने हाथों से पकड़ कर उसके
निपल को अपने मुँह मे भर लिया. मेरे निपल पहले से ही तन कर
कड़े हो गये थे. वो एक निपल को चूस रहे थे और दूसरी चूची
को अपनी हथेली मे भर कर मसल रहे थे. पहले धीरे धीरे
मसले मगर कुच्छ ही देर मे दोनो स्तनो को पूरी ताक़त से मसल
मसल कर लाल कर दिए. मैं उत्तेजना मे सुलगने लगी. मैने उनके लिंग
के नीचे उनकी गेंदों को अपनी मुट्ठी मे भर कर सहलाना शुरू किया.
बीच बीच मे मेरे फूले हुए निपल्स को दन्तो से काट रहे थे.
जीभ से निपल को छेड़ने लगते. मैं "सीईई…..
आआअहह….म्म्म्ममम… उन्न्ञन्… " जैसी आवाज़ें निकालने से नही रोक पा
रही थी. उनके होंठ पूरे स्तन युगल पर घूमने लगे. जगह जगह
मेरे स्तनो को काट काट कर अपने मिलन की निशानी छ्चोड़ने लगे. पूरे
स्तन पर लाल लाल दन्तो के निशान उभर आए. मैं दर्द और उत्तेजना मे
सीईएसीए कर रही थी. और अपने हाथों से अपने स्तनो को उठाकर
उनके मुँह मे दे रही थी.
"कितनी खूबसूरत हो….." कमल ने मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर
खींचते हुए कहा.
"आगे भी कुच्छ करोगे या इनसे ही चिपके रहने का विचार है." मैने
उनको प्यार भारी एक झिड़की दी. निपल्स लगातार चूस्ते रहने के
कारण दुखने लगे थे. स्तनो पर जगह जगह उनके दन्तो से काटने के
लाल लाल निशान उभरने लगे थे. मैं काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी.
पंकज इतना फोरप्ले कभी नही करता था. उसको तो बस टाँगें चौड़ी
करके अंदर डाल कर धक्के लगाने मे ही मज़ा आता था.
उन्हों ने मेरी टाँगों को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा तो मैं
बिस्तर पर लेट गयी. अब उन्हों ने मेरे दोनो पैरों को उठा कर उनके
नीचे दो तकिये लगा दिए. जिससे मेरी योनि उपर को उठ गयी. मैने
अपनी टाँगों को चौड़ा करके छत की ओर उठा दिए. फिर उनके सिर को
पकड़ कर अपनी योनि के उपा दबा दिया. कमल जी अपनी जीभ निकाल कर
मेरी योनि के अंदर उसे डाल कर घुमाने लगे पूरे बदन मे सिहरन
सी दौड़ने लगी. मैं अपनी कमर को और ऊपर उठाने लगी जिससे उनकी
जीभ ज़यादा अंदर तक जा सके. मेरे हाथ बिस्तर को मजबूती से थाम
रखे थे. मेरी आँखों की पुतलियान पीछे की ओर उलट गयी और मेरा
मुँह खुल गया. मैं ज़ोर से चीख पड़ी,
" हाआअँ और अंदार्रर्ररर. कमाआल आआआहह ऊऊओह
इतनीईए दीईइन कहाआन थीईए. मैईईईन पाआगाअल हो
जाउउउउन्गीईईईई . ऊऊऊओह उउउउउईईईइ माआआअ क्याआआ
कारर्र रहीईई हूऊऊओ कमाआाअल मुझीईई सम्हलूऊऊ
मेराआआ छ्च्ट्नेयी वलाआअ हाईईईईईई. कॅमेययायायायाल इसीईईईईईई
तराआअह साआरी जिन्दगीईई तुम्हाआरि दूओसरीईई बिवीईईइ
बनकर चुड़वटिईई रहूऊऊओँगी" एक दम से मेरी योनि से वीर्य की
बाढ़ सी आई और बाहर की ओर बह निकली. मेरा पूरा बदन किसी पत्ते
की तरह कान्प्प रहा था. काफ़ी देर तक मेरा स्खलन होता रहा. जब
सारा वीर्य कमाल जी के मुँह मे उधेल दिया तो मैने उनके सिर को
पकड़ कर उठाया. उनकी मूच्छें, नाक होंठ सब मेरे वीर्य से सने
हुए थे. उन्हों ने अपनी जीभ निकाली और अपने होंठों पर फिराई.
"छि गंदे." मैने उनसे कहा.
"इसमे गंदी वाली क्या बात हुई?" ये तो टॉनिक है. तुम मेरा टॉनिक पी
कर देखना अगर बदन मे रंगत ना अजाए तो कहना.
" जानू अब आ जाओ." मैने उनको अपने उपर खींचा. "मेरा बदन तप
रहा है. बुखार मे कमज़ोरी आती जा रही है. इससे पहले की मैं थक
जाउ मेरे अंदर अपना बीज डाल दो."
कमल ने अपने लिंग को मेरे मुँह से लगाया.
"एक बार मुँह मे तो लो उसके बाद तुम्हारी योनि मे डालूँगा. पहले एक
बार प्यार तो करो इसे." मैने उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा और
अपनी जीभ निकाल उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया. मैं अपनी
जीभ से उनके लिंग के एकद्ूम नीचे से उपर तक चाट रही थी. अपनी
जीभ से उनके लिंग के नीचे लटकते हुए अंडकोषों को भी चाट रही
थी. उनका लिंग मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था. मैं उनके लिंग को
चाटते हुए उनके चेहरे को देख रही थी. उनका उत्तेजित चेहरा बड़ा
प्यारा लग रहा था. दिल को सुकून मिल रहा था कि मैं उन्हे कुच्छ तो
आराम दे पाने मे सफल रही थी. उन्हों ने मुझे इतना प्यार दिया था
कि उसका एक टुकड़ा भी मैं वापस अगर दे सकी तो मुझे अपने ऊपर गर्व
होगा.
उनके लिंग से चिपचिपा सा बेरंग का प्रेकुं निकल रहा था. जिसे मैं
बड़ी तत्परता से चाट कर सॉफ कर देती थी. मैं काफ़ी देर तक उनके
लिंग को तरह तरह से चाटी रही. उनका लिंग काफ़ी मोटा था इसलिए
मुँह के अंदर ज़्यादा नही ले पा रही थी इसलिए जीभ से चाट चाट
कर ही उसे गीला कर दिया था. कुच्छ देर बाद उनका लिंग झटके खाने
लगा. उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया.
"बस.......बस और नही. नही तो अंदर जाने से पहले ही निकल
जाएगा" कहते हुए उन्हों ने मेरे हाथों से अपने लिंग को छुड़ा लिया
और मेरे टाँगों को फैला कर उनके बीच घुटने मोड़ कर झुक गये.
उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से सटाया.
"आपका बहुत मोटा है. मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा." मैने
घबराते हुए कहा" कमल्जी धीरे धीरे करना नही तो मैं दर्द से
मर जाउन्गि."
वो हँसने लगे.
" आअप बहुत खराब हो. इधर तो मेरे जान की पड़ी है" मैने उनसे
कहा.
मैने भी अपने हाथों से अपनी योनि को चौड़ा कर उनके लिंग के लिए
रास्ता बनाया. उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर टीका दिया.
मैने उनके लिंग को पकड़ कर अपनी फैली हुई योनि के अंदर खींचा.
"अंदर कर दो...." मेरी आवाज़ भारी हो गयी थी. उन्हों ने अपने बदन
को मेरे बदन के ऊपर लिटा दिया. उनका लिंग मेरी योनि की दीवारों को
चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा. मैं सब कुच्छ भूल कर अपने जेठ
के सीने से लग गयी. बस सामने सिर्फ़ कमल थे और कुच्छ नही. वो
ही इस वक़्त मेरे प्रेमी, मेरे सेक्स पार्ट्नर और जो कुच्छ भी मानो, थे.
मुझे तो अब सिर्फ़ उनका लिंग ही दिख रहा था.
जैसे ही उनका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह
से "आआआहह" की आवाज़ निकली और उनका लिंग पूरा का पूरा मेरी
योनि मे धँस गया. वो इस पोज़िशन मे मेरे होंठों को चूमने लगे.
" अच्च्छा तो अब पता चला कि मुझसे मिलने तुम भी इतनी बेसब्र थी.
और मैं बेवकूफ़ सोच रहा था कि मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ.
अगर पता होता ना कि तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो
तो.......... " वक़्क्या को अधूरा ही रख कर वो कुच्छ रुके.
"तो?.......तो? "
" तो तुम्हे किसी की भी परवाह किए बिना कब का पटक कर ठोक चुका
होता." उन्हों ने शरारती लहजे मे कहा.
"धात..... इस तरह कभी अपने छ्होटे भाई की बीवी से बात करते
हैं? शर्म नही आती आपको?" मैने उनके कान को अपने दाँतों से
चबाते हुए कहा.
" शर्म? अच्च्छा चोदने मे कोई शर्म नही है शर्म बात करने मे ही
है ना?" कहकर वो अपने हाथों का सहारा लेकर मेरे बदन से उठे
साथ साथ उनका लिंग भी मेरी योनि को रगड़ता हुआ बाहर की ओर निकला
फिर वापस पूरे ज़ोर से मेरी योनि मे अंदर तक धँस गया.
"ऊऊहह दर्द कर रहा है." आपका वाकई काफ़ी बड़ा है. मेरी योनि
छिल गयी है. पता नही कल्पना दीदी इतने मोटे लिंग को छ्चोड़ कर
मेरे पंकज मे क्या पाती है?" मैने उनके आगे पीछे होने के र्य्थेम
से पानी र्य्थेम भी मिलाई. हर धक्के के साथ उनका लिंग मेरी योनि
मे अंदर तक घुस जाता और हुमारी कोमल झांते एक दूसरे से रगड़
खा जाती. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे ठोकने लगे उनके हर धक्के से पूरा
बिस्तर हिलने लगता. काफ़ी देर तक वो ऊपर से धक्के मारते रहे. मैं
नीचे से अपने पैरों को उठा कर उनकी कमर को अपने लपेट ली थी.
उनके बालों भरे सीने मे अपने तने हुए निपल्स रगड़ रही थी. इस
रगड़ से एक सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ रही थी. मैने अपने
हाथों से उनके सिर को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठों पर लगा कर
अपनी जीभ उनके मुँह मे घुसा दी. मैं इसी तरह उनके लिंग को अपनी
योनि मे लेने के लिए अपने कमर को उचका रही थी. उनके जोरदार
धक्के मुझे पागल बना रहे थे. उन्हों ने अपना चेहरा उपर किया तो
मैं उनके होंठो की चुअन के लिए तड़प कर उनकी गर्देन से लटक
गयी. कमल जी के शरीर मे दम काफ़ी था जो मेरे बदन का बोझ
उठा रखा था. मैं तो अपने हाथों और पैरों के बल पर उनके बदन
पर झूल रही थी. इसी तरह मुझे उठाए हुए वो लगातार चोदे जा
रहे थे. मैं "आअहह उुउऊहह माआअ म्म्म्ममम उफफफफफफफ्फ़" जैसी
आवाज़ें निकाले जा रही थी. उनके धक्कों से तो मैं निढाल हो गयी
थी. वो लगातार इसी तरह पंद्रह मिनिट तक ठोकते रहे. इन
पंद्रह मिनिट मे मैं दो बार झ्हड चुकी थी लेकिन उनकी रफ़्तार मे
कोई कमी नही आई थी. उनके सीने पर पसीने की कुच्छ बूँदें
ज़रूर चमकने लगी थी. मैने अपनी जीभ निकाल कर उन नमकीन
बूँदों को चाट दिया. वो मेरी इस हरकत से और जोश मे आ गये.
पंद्रह मिनूट बाद उन्हों ने मेरी योनि से अपने लिंग को खींच कर
बाहर निकाला.
|
|
06-25-2017, 12:54 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
मैं हूँ हसीना गजब की--पार्ट--5
गतान्क से आगे........................
जब बार बार परेशानी हुई तो उन्हों ने मुझे बिस्तर से नीचे उतार
कर पहले बिस्तर के कोने मे मसनद रखा फिर मुझे घुटनो के बल
झुका दिया. अब मेरे पैर ज़मीन पर घुटनो के बल टीके हुए थे और
कमर के उपर का बदन मसनद के उपर से होता हुआ बिस्तर पर पसरा
हुआ था. मसनद होने के कारण मेरे नितंब उपर की उर उठ गये थे.
येअवस्था मेरे लिए ज़्यादा सही थी. मेरे किसी भी अंग पर अब ज़्यादा ज़ोर
नही पड़ रहा था. इस अवस्था मे उन्हों ने बिस्तर के उपर अपने हाथ
रख कर अपने लिंग को वापस मेरी योनि मे ठोक. कुच्छ देर तक इस
तरहठोकने के बाद उनके लिंग से रस झड़ने लगा. उन्हों ने मेरी योनि मे
सेअपना लिंग निकाल कर मुझे सीधा किया और अपने वीर्य की धार मेरे
चेहरे पर और मेरे बालों पर कर दिया. इससे पहले कि मैं अपना मुँह
खोलती, मैं उनके वीर्य से भीग चुकी थी. इस बार झड़ने मे उन्हे
बहुत टाइम लग गया.
मैं थकान से एकद्ूम निढाल हो चुकी थी. मुझमे उठकर बाथरूम मे
जाकर अपने को सॉफ करने की भी हिम्मत नही थी. मैं उसी अवस्था मे
आँखें बंद किए पड़ी रही. मेरा आधा बदन बिस्तर पर था और आधा
नीचे. ऐसे अजीबोगरीब अवस्था मे भी मैं गहरी नींद मे डूब
गयी. पता ही नही चला कब कमल्जी ने मुझस सीधा कर के बिस्तर
पर लिटा दिया और मेरे नग्न बदन से लिपट कर खुद भी सो गये.
बीच मे एक बार ज़ोर की पेशाब आने की वजह से नींद खुली तो मैने
पाया कि कमल्जी मेरे एक स्तन पर सिर रखे सो रहे थे. मैने उठने
की कोशिश की लेकिन पूरा बदन दर्द से टूट रहा था इस लिए मैं
दर्द से कराह उठी. मुझसे उठा नही गया तो मैने कमल्जी को उठाया.
"मुझे सहारा देकर बाथरूम तक ले चलो प्लीईएसए" मैने उनसे
कहा. उन्हों ने उठ कर मुझे सहारा दिया मैं लड़खड़ते कदमों से उनके
कंधे पर सारा बोझ डालते हुए बाथरूम मे गयी. उन्हों ने मुझे
अंदर छ्चोड़ कर खड़े हो गये.
" आप बाहर इंतेज़ार कीजिए. मैं बुला लूँगी." मैने कहा.
" अरे कोई बात नही मैं यहीं खड़ा रहता हूँ अगर तुम गिर गयी
तो?"
" छि इस तरह आपके सामने इस हालत मे मैं कैसे पेशाब कर सकती
हूँ?"
"तो इसमे शरमाने की क्या बात है? हम दोनो मे तो सब कुच्छ हो गया
है अब शरम किस बात की?" उन्हों ने बाथरूम का दरवाजा भीतर से
बंद करते हुए कहा.
"मैने शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर ली. मेरा चेहरा शर्म से
लाल हो रहा था. लेकिन मैं इस हालत मे अपने पेशाब को रोकने मे
असमर्थ थी सो मैं कॉमोड की सीट पर इसी हालत मे बैठ गयी.
जब मैं फ्री हुई तो उन्हों ने वापस मुझे सहारा देकर बिस्तर तक
छ्चोड़ा. मैं वापस उनकी बाहों मे दुबक कर गहरी नींद मे सो गयी.
अगले दिन सुबह मुझे कल्पना दीदी ने उठाया तब सुबह के दस बज
रहे
थे. मैं उस पर भी उठने के मूड मे नही थी और "उन्ह उन्ह" कर रही
थी. अचानक मुझे रात की सारी घटना याद आई. मैने चौंक कर
आँखें खोली तो मैने देखा कि मेरा नग्न बदन गले तक चादर से
ढका हुआ है. मुझ पर किसने चादर ढक दिया था पता नही चल
पाया. वैसे ये तो लग गया था कि ये कमल के अलावा कोई नही हो
सकताहै.
"क्यों बन्नो? रात भर कुटाई हुई क्या?" कल्पना दीदी ने मुझे छेड़ते
हुए पूचछा.
"दीदी आअप भी ना बस……"मैने उठते हुए कहा.
" कितनी बार डाला तेरे अंदर अपना रस. रात भर मे तूने तो उसकी
गेंदों का सारा माल खाली कर दिया होगा."
मैं उठ कर बाथरूम की ओर भागने लगी तो उन्हों ने मेरी बाँह पकड़
कर रोक लिया, "बताया नही तूने?"
मैं अपना हाथ छुड़ा कर बाथरूम मे भाग गयी. कल्पना दीदी
दरवाजा
खटखटती रह गयी लेकिन मैने दरवाजा नही खोला. काफ़ी देर तक
मैं शवर के नीचे नहाती रही और अपने बदन पर बने अनगिनत
दाँतों के दागों को सहलाती हुई रात के मिलन की एक एक बात को याद
करने लगी. मैं बावरइयों की तरह खुद ही मुस्कुरा रही थी कमल्जी
की
हरकतें याद करके. उनका प्यार करना, उनकी हरकतें, उनका गठा हुआ
बदन. उनके बाजुओं से उठती पसीने की खुश्बू, उनकी हर चीज़ मुझ
पर एक नशा मे डुबती जा रही थी. मेरे बदन का रोया रोया किसी
बिन ब्याही युवती की तरह अपने प्रेमी को पुकार रही थी. शवर से
गिरती ठंडे पानी की फुहार भी मेरे बदन की गर्मी को ठंडा नही
कर पा रही थी बकली खुद गर्म भाप बन कर उड़ जा रही थी.
काफ़ी देर तक नहाने के बाद मैं बाहर निकली. कपड़े पहन कर मैं
बेडरूम से निकली तो मैने पाया की जेठ जेठानी दोनो निकलने की
तैयारीमे लगे हुए हैं. ये देख कर मेरा वजूद जो रात के मिलन के बाद
सेबादलों मे उड़ रहा था एक दम से कठोर ज़मीन पर आ गिरा. मेरा
चहकता हुआ चेहरा एकद्ूम से कुम्हला गया.
मुझे देखते ही पंकज ने कहा, "स्मृति खाना तैयार करलो. भाभी
ने काफ़ी कुच्छ तैयारी कर ली है अब फिनिशिंग टच तुम देदो.
भैया भाभी जल्दी ही निकल जाएँगे."
मैं कुच्छ देर तक चुपचाप खड़ी रही और तीनो को समान पॅक करते
देखती रही. कमल्जी कनखियों से मुझे देख रहे थे. मेरी आँखें
भारी हो गयी और मैं तुरंत वापस मूड कर किचन मे चली गयी.
मैं किचन मे जाकर रोने लगी. अभी तो एक प्यारे से रिश्ते की
शुरुआत ही हुई थी और वो पत्थर दिल बस अभी छ्चोड़ कर जा रहा है. मैं
अपने होंठों पर अपने हाथ को रख कर सुबकने लगी. तभी पीछे
सेकोई मेरे बदन से लिपट गया. मैं उनको पहचानते ही घूम कर उनके
सीने से लग कर फफक कर रो पड़ी. मेरे आँसुओं का बाँध टूट गया
था.
"प्लीज़ कुच्छ दिन और रुक जाओ." मैने सुबक्ते हुए कहा.
"नही आज मेरा ऑफीस मे पहुँचना बहुत ज़रूरी है वरना एक
इंपॉर्टेंट मीटिंग कॅन्सल करनी पड़ेगी."
"कितने बेदर्द हो. आपको मीटिंग की पड़ी है और मेरा क्या होगा?"
"क्यों पंकज है ना. और हम हमेशा के लिए थोड़ी जा रहे हैं
कुच्छ
दिन बाद बाद मिलते रहेंगे. ज़्यादा साथ रहने से रिश्तों मे बसीपान
आ जाता है." वो मुझे सांत्वना देते हुए मेरे बालों को सहला रहे
थे. मेरे आँसू रुक चुके थे लेकिन अभी भी उनके सीने से लग कर
सूबक रही थी. मैने आँसुओं से भरा चेहरा उपर किया. कमल ने
अपनी
उंगलियों से मेरे पलकों पर टीके आँसुओं को सॉफ किया फिर मेरे गीले
गालों पर अपने होंठ फिराते हुए मेरे होंठों पर अपने होंठ रख
दिए. मैं तड़प कर उनसे किसी बेल की तरह लिपट गयी. हमारा
वजूद
एक हो गया था. मैने अपने बदन का सारा बोझ उनपर डाल दिया और
उनके मुँह मे अपनी जीभ डाल कर उनके रस को चूसने लगी. मैने
अपने
हाथों से उनके लिंग को टटोला
"तेरी बहुत याद आएगी." मैने ऐसे कहा मानो मैं उनके लिंग से बातें
कर रही हूँ," तुझे नही आएगी मेरी याद?"
" इसे भी हमेशा तेरी याद आती रहे गी." उन्हों ने मुझसे कहा.
"आप चल कर तैयारी कीजिए मैं अभी आती हूँ." मैने उनसे कहा.
वोमुझे एक बार और चूम कर वापस चले गये.
उनके निकलने की तयारि हो चुकी थी. उनके निकलने से पहले मैने
सबकी आँख बचा कर उनको एक गुलाब भेंट किया जिसे उन्हों ने तुरंत
अपने होंठों से छुआ कर अपनी जेब मे रख लिया.
काफ़ी दीनो तक मैं उदास रही. पंकज मुझे बहुत टीज़ करता था
उनका नाम ले लेकर. मैं भी उनके बातों के जवाब मे कल्पना दीदी को ले
आतीथी. धीरे धीरे हुमारा रिश्ता वापस नॉर्मल हो गया. कमल का
अक्सरमेरे पास फोन आता था. हम नेट पर कॅम की हेल्प से एक दूसरे को
देखते हुए बातें करते थे.
लेकिन जो सबसे बुरा हुआ वो ये कि मेरी प्रेग्नेन्सी नही ठहरी. कमल्जी
को एक यादगार गिफ्ट देने की तमन्ना दिल मे ही रह गयी.
उसके बाद काफ़ी दीनो तक ज़्ब कुच्छ अच्च्छा चलता रहा सबसे बुरा तो
येहुआ कि कमल्जी से उन मुलाकात के बाद उस महीने मेरे पीरियड्स आ गये.
उनके स्पर्म से मैं प्रज्नेन्ट नही हुई. ये उनको और ज़्यादा उदास कर
गया.
लेकिन मैने उन्हे दिलासा दिया. उनको मैने कहा कि मैने जब ठान
लियाहै तो मैं तुम्हे ये गिफ्ट तो देकर ही रहूंगी.
वहाँ सब ठीक ठाक चलता रहा लेकिन कुच्छ महीने बाद पंकज
काम से देर रात तक घर आने लगा. मैने उनके ऑफीस मे भी पता
किया तो पता लगा कि वो बिज़्नेस मे घाटे के दौर से गुजर रहा है.
और जो फर्म उनका सारा प्रोडक्षन खरीद कर अब्रोड भेजता था उस
फर्मने उनसे रिस्ता तोड़ देने का ऐलान किया है.
एक दिन जब उदास हो कर घर आए तो मैने उनसे इस बारे मे डिसकस
करने का सोचा. मैने उनसे पूछा कि वो परेशान क्यों रहने लगे
हैं. तो उन्होने कहा,
"एलीट एक्शप्रोटिंग फर्म हुमारी कंपनी से नाता तोड़ रहा है. जहाँ तक
मैने सुना है उनका मुंबई की किसी फर के साथ पॅक्ट हुआ है."
"लेकिन हुमारी कंपनी से इतना पुराना रिश्ता कैसे तोड़ सकते हैं."
"क्या बताउ उस फर्म का मालिक रस्तोगी और छिन्नास्वामी पैसे के अलावा
भी कुच्छ फेवर माँगते हैं जो कि मैं पूरा नही कर सकता." पंकज
ने कहा
"ऐसा क्या डिमॅंड करते हैं?" मैने उनसे पूचछा
"दोनो एक नंबर के रांदबाज हैं. उन्हे लड़की चाहिए."
"तो इसमे क्या परेशान होने की बात हुई. इस तरह की फरमाइश तो कई
लोग करते हैं और करते रहेंगे." मैने उनके सिर पर हाथ फेर कर
सांत्वना दी " आप तो कुच्छ इस तरह की लड़कियाँ रख लो अपनी कंपनी
मे या फिर किसी प्रोस को एक दो दिन का पेमेंट देकर मंगवा लो उनके
लिए."
" अरे बात इतनी सी होती तो परेशानी क्या थी. वो बाजारू औरतों को
नही पसंद करते. उन्हे तो कोई सॉफ सुथरी औरत चाहिए कोई
घरेलू महिला." पंकज ने कहा, "दोनो अगले हफ्ते यहाँ आ रहे हैं
और अपना ऑर्डर कॅन्सल करके इनवेस्टमेंट वापस ले जाएँगे. हुमारी
कंपनी बंद हो जाएगी."
" तो पापा से बात कर लो वो आपको पैसे दे देंगे." मैने कहा
" नही मैं उनसे कुच्छ नही माँगूंगा. मुझे अपनी परेशानी खुद ही
हलकरना पड़ेगा. अगर पैसे दे भी दिए तो भी जब खरीदने वाला कोई
नही रहेगा तो कंपनी को तो बंद करना ही पड़ेगा." पंकज ने
कहा, "
वो यूएसए मे जो फर्म हमारा माल खरीदता है उसका पता देने को
तैयारनही हैं. नही तो मैं डाइरेक्ट डीलिंग ही कर लेता."
"फिर?" मैं कुच्छ समझ नही पा रही थी कि इसका क्या उपाय सोचा जाय.
"फिर क्या....? जो होना है होकर रहेगा." उन्हों ने एक गहरी साँस ली.
मैने उन्हे इतना परेशान कभी नही देखा था.
"कल आप उनको कह दो कि लड़कियों का इंतेज़ाम हो जाएगा." मैने
कहा "देखते है उनके यहाँ पहुँचने से पहले क्या किया जा सकता
अगले दिन जब वो आए तो उन्हे रिलॅक्स्ड पाने की जगह और ज़्यादा टूटा
हुआपाया. मैने कारण पूचछा तो वो टाल गये.
" अपने बात की थी उनसे? "
"हां"
"फिर क्या कहा अपने? वो तैयार हो गये? अरे परेशान क्यों होते हो
हम लोग इस तरह किकिसी औरत को ढूँढ लेंगे. जो दिखने मे सीधी
साधी घरेलू महिला लगे."
" अब कुच्छ नही हो सकता"
"क्यों?" मैने पूचछा.
" तुम्हे याद है वो हुमारी शादी मे आए थे."
" हाँ तो?"
" उन्हों ने शादी मे तुम्हे देखा था."
"तो..?" मुझे अपनी साँस रुकती सी लगी एक अजीब तरह का भय पुर
बदन मे छाने लगा.
" उन्हे सिर्फ़ तुम चाहिए."
" क्या?" मैं लगभग चोंक उठी," उन हरमजदों ने स्मझा क्या है
मुझे? कोई रंडी?"
|
|
06-25-2017, 12:54 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
वो सिर झुकाए हुए बैठे रहे. मैं गुस्से से बिफर रही थी औरूनको
गलियाँ दे रही थी कोस रही थी. मैने अपना गुस्सा शांत करने के
लिए किचन मे जाकर एक ग्लास पानी पिया. फिर वापस आकर उनके पास
बैठ गयी और कहा,
"फिर?......" मैने अपने गुस्से को दबाते हुए उनसे धीरे धीरे
पूछि.
" कुच्छ नही हो सकता." उन्हों ने कहा, " उन्हों ने सॉफ सॉफ कहा
है.
कि या तो तुम उनके साथ एक रात गुजारो या मैं एलीट ग्रूप से अपना
कांट्रॅक्ट ख़तम समझू." उन्हों ने नीचे कार्पेट की ओर देखते हुए
कहा.
" हो जाने दो कांट्रॅक्ट ख़त्म. ऐसे लोगों से संबंध तोड़ लेने मे ही
भलाई होती है. तुम परेशान मत हो. एक जाता है तो दूसरा आ जाता
है."
" बात अगर यहाँ तक होती तो भी कोई परेशानी नही थी." उन्हों ने
अपना सिर उठाया और मेरी आँखों मे झाँकते हुए कहा, " बात इससे
कहीं ज़्यादा गंभीर है. अगर वो अलग हो गये तो एक तो हमारे माल की
खपत बंद हो जाएगी जिससे कंपनी बंद हो जाएगी दूसरा उनसे
संबंध तोड़ते ही मुझे उन्हे 15 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे जो उन्हों
नेहमारे फर्म मे इनवेस्ट कर रखे हैं."
मैं चुप चाप उनकी बातों को सुन रही थी लेकिन मेरे दिमाग़ मे एक
लड़ाईछिड़ी हुई थी.
"अगर फॅक्टरी बंद हो गयी तो इतनी बड़ी रकम मैं कैसे चुका
पौँगा. अपने फॅक्टरी बेच कर भी इतना नही जमा कर पौँगा" अब
मुझेभी अपनी हार होती दिखाई दी. उनकी माँग मानने के अलावा अब और कोई
रास्ता नही बचा था. उस दिन और हम दोनो के बीच बात नही हुई.
चुप चाप खाना खा कर हम सो गये. मैने तो सारी रात सोचते हुए
गुज़ारी. ये ठीक है कि पंकज के अलावा मैने उनके बहनोई और उनके
बड़े भैया से सरिरिक संबंध बनाए हैं और कुछ कुछ संबंध
ससुर जी के साथ भी बने थे लेकिन उस फॅमिली से बाहर मैने कभी
किसी से संबंध नही बनाए.
अगर मैं उनके साथ एक रात बिताती तो मुझमे और दो टके की किसी
वेश्या मे क्या अंतर रह जाएगा. कोई भी मर्द सिर्फ़ मन बहलाने के
लिएएक रात की माँग करता है क्योंकि उसे मालूम होता है कि अगर एक बार
उसके साथ शारीरिक संबंध बन गये तो ऐसी एक और रात के लिए
औरत कभी मना नही कर पाएगी.
लेकिन इसके अलावा हो भी क्या सकता था. इस भंवर से निकलने का कोई
रास्ता नही दिख रहा था. ऐसा लग रहा था कि मैं एक ग्रहणी से एक
रंडी बनती जा रही हूँ. किसी ओर भी उजाले की कोई किरण नही दिख
रही थी. किसी और से अपना दुखड़ा सुना कर मैं पंकज को जॅलील नही
करना चाहती थी.
सुबह मैं अलसाई हुई उठी और मैने पंकज को कह दिया, " ठीक है
मैं तैयार हूँ"
पंकज चुपचाप सुनता रहा और नाश्ता करके चला गया. उस दिन
शामको उसने बताया की रस्तोगी से उनकी बात हुई थी और उन्हों ने रस्तोगी
को मेरे राज़ी होने की बात कह दी है."
" हरमज़दा खुशी से मारा जा रहा होगा." मैने मन ही मन सोचा.
"अगले हफ्ते दोनो एक दिन के लिए आ रहे हैं." पंकज ने कहा" दोनो
दिन भर ऑफीस के काम मे बिज़ी होंगे शाम को तुम्हे उनको एंटरटेन
करना होगा.
" कुच्छ तैयारी करनी होगी क्या?"
"किस बात की तैयारी?" पंकज ने मेरी ओर देखते हुए कहा, "शाम
कोवो खाना यहीं खाएँगे. उसका इंतज़ाम कर लेना. पहले हम ड्रिंक्स
करेंगे."
मैं बुझे मन से उस दिन का इंतेज़ार करने लगी
अगले हफ्ते पंकज ने उनके आने की सूचना दी. उनके आने के बाद सारा
दिन पंकज उनके साथ बिज़ी था. शाम को छह बजे के आस पास वो
घर आया और उन्हों ने एक पॅकेट मेरी ओर बढ़ाया.
"इसमे उनलोगों ने तुम्हारे लिए कोई ड्रेस पसंद की है. आज शाम को
तुम्हे यही ड्रेस पहनना है. इसके अलावा बदन पर और कुच्छ नही
रहे ये कहा है उन्हों ने.
मैने उस पॅकेट को खोल कर देखा. उसमे एक पारदर्शी झिलमिलती
सारीथी. और कुच्छ भी नही था. उनके कहे अनुसार मुझे अपने नग्न बदन
पर सिर्फ़ वो सारी पहँनी थी बिना किसी पेटिकोट और ब्लाउस के.
सारीइतनी महीन थी कि उसके दूसरी तरफ की हर चीज़ सॉफ सॉफ दिखाई
देरही थी.
"ये ….?? ये क्या है? मैं ये पहनूँगी? इसके साथ अंडरगार्मेंट्स
कहाँहैं?" मैने पंकज से पूचछा.
"कोई अंडरगार्मेंट नही है. वैसे भी कुच्छ ही देर मे ये भी वो
तुम्हारे बदन से नोच देंगे." मैं एक दम से चुप हो गयी.
"तुम?......तुम कहाँ रहोगे?" मैने कुच्छ देर बाद पूचछा.
" वहीं तुम्हारे पास." पंकज ने कहा.
" नहीं तुम वहाँ मत रहना. तुम कहीं चले जाना. मैं तुम्हारे सामने
वो सब नहीं कर पौँगी. मुझे शर्म आएगी." मैने पंकज से लिपटते
हुए कहा.
" क्या करूँ. मैं भी उस समय वहाँ मौजूद नही रहना चाहता. मेरे
लिए भी अपनी बीवी को किसी और की बाहों मे झूलता सहन नही कर
सकता. लेकिन उन दोनो हरमजदों ने मुझे बेइज्जत करने मे कोई कसर
नही छ्चोड़ी. वो जानते हैं कि मेरी दुखती रग उन लोगों के हाथों मे
दबी है. इसलिए वो जो भी कहेंगे मुझे करना पड़ेगा. उन सालों ने
मुझे उस वक़्त वहीं मौजूद रहने को कहा है." कहते कहते उनका
चेहरा लाल हो गया और उनकी आवाज़ रुंध गयी. मैने उनको अपनी बाहों
मे ले लिया और उनके सिर को अपने दोनो स्तनो मे दबा कर सांत्वना दी.
"तुम घबराव मत जानेमन. तुम पर किसी तरह की परेशानी नही आने
दूँगी."
मैने अपने जेठानी से इस बारे मे कुच्छ घुमा फिरा कर चर्चा की तो
पता चला उसके साथ भी इस तरह के वक्यात होते रहते हैं. मैने
उन्हे दोनो के बारे मे बताया तो उसने मुझे कहा कि बिज़्नेस मे इस
तरह के ऑफर्स चलते रहते हैं और मुझे आगे भी इस तरह की किसी
सिचुयेशान लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.
उस दिन शाम को मैं बन संवार कर तैयार हुई. मैने कमर मे एक
डोरकी सहयता से अपनी सारी को लपेटा. मेरा पूरा बदन सामने से सॉफ
झलक रहा था कितना भी कोशिश करती अपने गुप्तांगों को छिपाने
कीलेकिन कुच्छ भी नही छिपा पा रही थी. एक अंग पर सारी दोहरी
करतीतो दूसरे अंग के लिए सारे नही बचती. खैर मैने उसे अपने बदन
पर नॉर्मल सारी की तरह पहना. मैने उनके आने से पहले अपने आप को
एक बार आईने मे देख कर तसल्ली की और. सारी के आँचल को अपनी
छातियो पर दोहरा करके लिया फिर भी मेरे स्तन सॉफ झलक रहे
थे.
उन लोगों की पसंद के अनुसार मैने अपने चेहरे पर गहरा मेकप
किया
था. मैने उनके आने से पहले कॉंट्रॅसेप्टिव का इस्तेमाल कर लिया था.
क्योंकि प्रिकॉशन लेने के मामले मे इस तरह के संबंधों मे किसी
परभरोसा करना एक भूल होती है.
उनके आने पर पंकज ने जा कर दरवाजा खोला. मैं अंदर ही रही. उनके
बातें करने के आवाज़ से समझ गयी कि दोनो अपनी रात हसीन होने की
कल्पना करके चहक रहे हैं. मैने एक गहरी साँस लेकर अपने आप
कोसमय के हाथों छ्चोड़ दिया. जब इसके अलावा हुमारे सामने कोई रास्ता ही
नही बचा था तो फिर कोई झिझक कैसी. मैने अपने आप को उनकी
खुशी के मुताबिक पूर्ण रूप से समर्पित करने की ठान ली.
पंकज के आवाज़ देने पर मैं एक ट्रे मे तीन बियर के ग्लास और आइस
क्यूब कंटेनर लेकर ड्रॉयिंग रूम मे पहुँची. सब की आँखें मेरे
हुष्ण को देख कर बड़ी बड़ी हो गयी. मेरी आँखें ज़मीन मे धँसी
जारही थी. मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी. किसी अपरिचित के
सामनेअपने बदन की नुमाइश करने का ये मेरा पहला मौका था. मैं धीरे
धीरे कदम बढ़ाती हुई उनके पास पहुँची. मैं अपनी झुकी हुई
नज़रों से देख रही थी कि मेरे आज़ाद स्तन युगल मेरे बदन के हर
हल्के से हिलने पर काँप कांप उठते. और उनकी ये उच्छल कूद सामने
बैठे लोगों की भूकि आँखों को सुकून दे रहे थे.
पंकज ने पहले उन दोनो से मेरा इंट्रोडक्षन कराया,
"माइ वाइफ स्मृति" उन्हों ने मेरी ओर इशारा करके उन दोनो को कहा, फिर
मेरी ओर देख कर कहा, "ये हैं मिस्टर. रस्तोगी और ये हैं…."
"चिन्नास्वामी… ..चिन्नास्वामी एरगुंटूर मेडम. यू कॅन कॉल मी
चिना
इन शॉर्ट." चिन्नास्वामी ने पंकज की बात पूरी की. मैने सामने देखा
दोनो लंबे चौड़े शरीर के मालिक थे. चिन्नास्वामी साढ़े छह फीट
का मोटा आदमी था. रंग एकद्ूम कार्बन की तरह क़ाला और ख्छिछड़ी
दाढ़ी
मे एकद्ूम सौथिन्डियन फिल्म का कोई टिपिकल विलेन लग रहा था. उसकी
उम्र 55 से साथ साल के करीब थी और वेट लगभग 120 केजी के
आसपास होगी. जब वो मुझे देख कर हाथ जोड़ कर हंसा तो ऐसा लगा
मानो बादलों के बीचमे चाँद निकल आया हो.
और रस्तोगी? वो भी बहुत बुरा था देखने मे. वो भी 50 साल के
आसपास का 5'8" हाइट वाला आदमी था. जिसकी फूली हुई तोंद बाहर
निकली हुई थी. सिर बिल्कुल सॉफ था. उसमे एक भी बॉल नही थे.
पूरेमुँह पर चेचक के दाग उसे और वीभत्स बना रहे थे. जब भी वो
बात करता तो उसके होंठों के कोनो से लार की झाग निकलती. मुझे उन
दोनो को देख कर बहुत बुरा लगा. मैं उन दोनो के सामने लगभग नग्न
खड़ी थी. कोई और वक़्त होता तो ऐसे गंदे आदमियों को तो मैं अपने
पास ही नही फटकने देती. लेकिन वो दोनो तो इस वक़्त मेरे फूल से
बदन को नोचने को लालायित हो रहे थे. दोनो की आँखें मुझे देख
करचमक उठी. दोनो की आँखों से लग रहा था कि मैं उस सारी को भी
क्यों पहन रखी थी. दोनो ने मुझे सिर से पैर तक भूखी नज़रों
सेघूरा. मैं ग्लास टेबल पर रखने के लिए झुकी तो मेरे स्तनो के
भर से मेरी सारी का आँचल नीचे झुक गया और मेरे रसीले फलों
की तरह लटकते स्तनो को देख कर उनके सीनो पर साँप लोटने लगे.
मैं ग्लास और आइस क्यूब टेबल पर रख कर वापस किचन मे जाना
चाहती थी की चिन्नास्वामी ने मेरी बाजू को पकड़ कर मुझे वहाँ से
जाने से रोका.
"तुम क्यू जाता है. तुम बैठो. हमारे पास" उन्हों ने थ्री सीटर
सोफे पर बैठते हुए मुझे बीच मे खींच लिया. दूसरी तरफ
रस्तोगी बैठा हुआ था. मैं उन दोनो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी.
"पंकज भाई ये समान किचन मे रख कर आओ. अब हुमारी प्यारी
भाभी
यहाँ से नही जाएगी." रस्तोगी ने कहा. पंकज उठ कर ट्रे किचन
मे रख कर आ गया. उसके हाथ मे कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल थी. जब वो
वापस आया तो मुझे दोनो के बीच कसमसाते हुए पाया. दोनो मेरे
बदन
से सटे हुए थे और कभी एक तो कभी दूसरा मेरे होंठों को मेरी
सारी के बाहर झँकति नग्न बाजुओं को और मेरी गर्दन को चूम रहे
थे. रस्तोगी के मुँह से अजीब तरह की बदबू आ रही थी. मैं किसी
तरह सांसो को बंद करके उनके हरकतों को चुपचाप झेल रही थी.
पंकज कॅबिनेट से बियर की कई बॉटल ले कर आया. उसे उसने स्वामी की
तरफ बढ़ाया.
"नाक्को….भाभी खोलेंगी." उसने वो बॉटल मेरे आगे करते हुए कहा
"लो तीनो के लिए बियर डालो ग्लास मे. रस्तोगियान्ना का गला प्यास से
सूख रहा होगा. " छीनना ने कहा
"पंकज युवर वाइफ ईज़ ए रियल ज्यूयेल" रस्तोगी ने कहा" यू लकी
बस्टर्ड, क्या सेक्सी बदन
है इसका. यू आर रियली ए लकी बेगर"
|
|
06-25-2017, 12:55 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
गतान्क से आगे........................
तो उन्हों ने हंस कर मेरी ओर देखते हुए एक आँख दबा कर कहा, "
यही सही है. तुम्हारी जगह कोई दूसरा ले भी नही सकती और बाइ दा
वे मेरा और कोई कुँवारा बेटा भी तो नही बचा ना."
अभी दो महीने ही हुए थे कि मैने राज जी को कुच्छ परेशान
देखा.
"क्या बात है डॅडी आप कुच्छ परेशान हैं." मैने पूचछा.
"शिम्रिति तुम कल से हफ्ते भर के लिए ऑफीस आने लागो." उन्हों ने
मेरी ओर देखते हुए पूचछा," तुम्हे कोई परेशानी तो नही होगी ना
अपने पुराने काम को सम्हालने मे?
"नही. लेकिन क्यों?" मैने पूचछा
"अरे वो नयी सेक्रेटरी अकल के मामले मे बिल्कुल खाली है. दस दिन
बाद पॅरिस मे एक सेमिनार है हफ्ते भर का. मुझे अपने सारे पेपर्स
और नोट्स तैयार करने हैं जो कि तुम्हारे अलावा और कोई नही कर
सकता. तुम जितनी जल्दी अपने काम मे एक्सपर्ट हो गयी थी वैसी कोई
दूसरी मिलना मुश्किल है."
"लेकिन डॅडी मैं वापस उस पोस्ट पर रेग्युलर काम नही कर सकती क्योंकि
पंकज आने पर मैं वापस मथुरा चली जौंगी"
"कोई बात नही. तुम तो केवल मेरे सेमिनार के पेपर्स तैयार कर दो
और मेरी सेक्रेटरी बन कर पॅरिस मे सेमिनार अटेंड कर लो. नही
इनकार मत करना. तुम्हे मेरे साथ सेमिनार अटेंड करना ही पड़ेगा.
सुनयना के बस का नही है ये सब. इन सब सेमिनार मे सेक्रेटरी स्मार्ट
और सेक्सी होना बहुत ज़रूरी होता है. जोकि सुनयना है नही. यहाँ
केच्छोटे मोटे कामो के लिए सुनयना रहेगी"
"ठीक है मैं कल से ऑफीस चलूंगी आपके साथ." मैने उन्हे
छेड़ते हुए पूचछा, "मुझे वापस स्कर्ट तो नही पहन्नि पड़ेगी ना?"
मैने अपनी राई सुना दी उन्हे. मैने ये कहते हुए उनकी तरफ हल्के से
अपनी एक आँख दबाई. वो मेरी बातों को सुन कर मुस्कुरा दिए.
"तुम्हारी जो मर्ज़ी पहन लेना. कुच्छ नही पहनो तो भी राज शर्मा के
बेटे की बीवी को लाइन मारने की हिम्मत किसी मे नही होगी." हम हंसते
हुए अपने अपने कमरों की ओर बढ़ गये. उस रात मुझे बहुत अच्छि
नींद आई. सपनो मे मैं उस ऑफीस मे बीते हर पल को याद करती
रही.
मैं अगले दिन से ऑफीस जाने लगी. डॅडी के साथ कार मे ही जाती और
उनके साथ ही वापस आती. ऑफीस मे भी अब सलवार कमीज़ या सारी मे
डीसेंट तरीके से ही रहती. लेकिन जब कॅबिन मे सिर्फ़ हम दोनो बचते
तो मेरा मन मचलने लगता. मैने महसूस किया था कि उस वक़्त
राज जी भी असहज हो उठते. जब मैं ऑफीस मे बैठ कर
कंप्यूटर पर सारे नोट्स तैयार करती तो उनकी निगाहों की तपिश
लगातार अपने बदन पर महसूस करती.
मैने सारे पेपर्स तैयार कर लिए. चार दिन बाद मुझे फादर इन
लॉ के साथ पॅरिस जाना था.
एक दिन खाना खाने के बाद मैं और पापा टी.वी. देख रहे थे. मम्मी
जल्दी सोने चली जाती है. कुच्छ देर बाद राज जी ने कहा
"स्मृति पॅरिस जाने की तैयारी करना शुरू करदो. टिकेट आ चुक्का
है बस कुच्छ ही दीनो मे फ्लाइट पकड़नी है."
"मैं और क्या तैयारी करूँ. बस कुच्छ कपड़े रखने हैं."
"ये कपड़े वहाँ नही चलेंगे." उन्हों ने कहा " ऑर्गनाइज़िंग कंपनी
ने सेमिनार का ड्रेस कोड रखा है. और उसकी कॉपी अपने सारे
कॅंडिडेट्स को भेजा है. उन्हों ने स्ट्रिक्ट्ली ड्रेस कोड फॉलो करने
के लिए सारी कंपनी के रेप्रेज़ेंटेटिव्स से रिक्वेस्ट की है. जिसमे
तुम्हे यानी सेक्रेटरी को सेमिनार के वक़्त लोंग स्कर्ट और ब्लाउस मे
रहना पड़ेगा. शाम को डिन्नर और कॉकटेल के समय माइक्रो स्कर्ट और
टाइट टी शर्ट पहँनी पड़ेगी विदाउट..... ....... अंडर गारमेंट्स"
उन्हों ने मेरी ओर देखा. मेरा मुँह उनकी बातों से खुला का खुला रह
गया. " शाम को अंडरगार्मेंट्स पहनना अल्लोव नही है. दोपहर और
ईव्निंग मे पूल मे टू पीस बिकनी पहनना पड़ेगा."
"लेकिन?" मैने थूक का घूँट निगल कर बोला" मेरे पास तो इस तरह
के सेक्सी ड्रेस हैं नही. और आपके सामने मैं कैसे उन ड्रेस को पहन
कर रहूंगी?"
"क्यों क्या प्राब्लम है?"
"मैं आपकी पुत्रवधू हूँ" मैने कहा.
"लेकिन वहाँ तुम मेरी सेक्रेटरी बन कर चलॉगी." राज जी ने
कहा.
"ठीक है सेक्रेटरी तो रहूंगी लेकिन इस रिश्ते को भी तो नही
भुलाया जा सकता ना" मैने कहा.
"वहाँ देखने वाला ही कौन होगा. वहाँ हम दोनो को पहचानेगा ही
कौन. वहाँ तुम केवल मेरी सेक्रेटरी होगी. एक सेक्सी और…." मुझे
उपर से नीचे तक देखते हुए आगे कहा" हॉट. तुम वहाँ हर अवक़्त
मेरी पर्सनल नीड्स का ख़याल रखोगी जैसा कि कोई अच्छि सेक्रेटरी
रखती है. ना कि जैसा कोई बहू अपने ससुर का रखती है."
उनके इस कथन मे गंभीर बात को मैने भाँप कर अपना सिर झुका
लिया.
"तुम परेशान मत हो सारा अरेंज्मेंट कंपनी करेगी तुम कल मेरे
साथ चल कर टेलर के पास अपना नाप दे आना. बाकी किस तरह के
ड्रेस सिलवाने हैं कितने सिलवनी हैं सब मेरी हेडएक है"
अगले दिन मैं उनके साथ जाकर एक फेमस टेलर के पास अपना नाप दे
आई. जाने के दो दिन पहले राज जी नेदो आदमियों के साथ एक बॉक्स
भर कर कपड़े भिजवा दिए.
मैने देखा की उनमे हर तरह के कपड़े थे. कपड़े काफ़ी कीमती थे.
मैने उन कपड़ों पर एक नज़र डाल कर अपने बेडरूम मे रख लिए. मैं
नही चाहती थी कि मेरी सास को वो एक्सपोसिंग कपड़े दिखें. पता नही
उसके बारे मे वो कुच्छ भी सोच सकती थी.
शाम को उनके वापस आने के बाद जब मैने उन्हे अकेला पाया तो मैने
उनसे पूचछा,
"इतने कपड़े! सिर्फ़ मेरे लिए हैं?"
"और नही तो क्या. तुम वहाँ मेरी सेक्रेटरी होगी. और मेरी सेकरटरी
सबसे अलग दिखनी चाहिए. तुम हर रोज एक नये डिज़ाइन का कपड़ा
पहनना. उन्हे भी तो पता चले हम इंडियन्स कितने शौकीन हैं.
तुमने पहन कर देखा उन्हे"
"नही, मैने अभी तक इन्हे ट्राइ करके तो देखा ही नही"
" कोई बात नही आज रात खाना ख़ान एके बाद तुम्हारा ट्राइयल लेलेटे
हैं. फिर मुस्कुरा कर बोले " मम्मी को जल्दी सुला देना"
रात को खाना खाने के बाद मम्मी सोने चली गयी. डॅडी ने खाना
नही खाया उन्हों ने कहा कि वो खाने से पहले दो पेग विस्की के लेना
चाहते हैं. मम्मी तो इंतेज़ार ना करके खुद खाना खाकर उन्हे मेरे
हवाले कर के चली गयी. मैने सारा समान सेंटर टेबल पर तैयार
कर के रख दिया. वो सोफे पर बैठ कर धीरे धीर ड्रिंक्स सीप
करने लगे. वो इस काम को लंबा खींचना चाहते थे. जिससे मम्मी
गहरी नींद मे डूब जाती. मैं उनके पास बैठी उनके काम मे हेल्प
कर रही थी कुच्छ देर बाद उन्हों ने पूचछा,
"मम्मी सो गयी? देखना तो सही" मैं उठ कर उनके बेड रूम मे जाकर
एक बार सासू जी पर नज़र मार आई. वो तब गहरी नींद मे सो रही
थी. मैं सामने के सोफे पर बैठने लगी तो उन्हों ने मुझे अपने पास
उसी सोफे पर बैठने का इशारा किया. मैं उठ कर उनके पास बैठ
गयी. उन्हों ने कुच्छ देर तक मुझे निहारा और फिर कहा,
" जाओ स्मृति और एक एक करके सारे कपड़े मुझे पहन कर दिखाओ."
कहते हुए उन्हों ने अपना ड्रिंक बनाया. मैं उठ कर अपने बेड रूम मे
चली गयी. बेडरूम मे आकर दोनो बॉक्स खोल कर
सारे कपड़ों को बिस्तर के उपर बिच्छा दी. मैने सबसे पहले एक
ट्राउज़र और शर्ट छेंटा. उसे पहन कर कॅट वॉक केरते हुए किसी
मॉडेल की तरह उनके सामने सोफे तक पहुँची और अपने हाथ कमर पर
रख कर दो सेकेंड रुकी फिर झुककर उन्हे बो किया और धीरे से
पीछे मूड कर उन्हे अपने पिच्छवाड़े का भी पूरा अवलोकन करने दिया
फिर मुड़कर पूचछा "ठीक है?"
उन्हों ने कुसकुरा कर कहा "सेक्सी…..एम्म्म"
मैं वापस अपने कमरे मे आ गयी फिर दूसरे कपड़े को पहन कर उनके
सामने पहुँची...फिर तीसरे..... बनाने वाले ने बड़े ही खूबसूरत
डेस्ज्ञ मे सारे कपड़े सिले थे. जो रेडीमेड थे उन्हे भी काफ़ी नाप
जोख करके सेलेक्ट किया होगा क्यों की कपड़े ऐसे लग रहे थे मानो
मेरे लिए ही बने हों. बदन से ऐसे चिपक गये थे मानो मेरे बदन
पर दूसरी चाँदी चढ़ गयी हो.
ट्राउज़र्स के बाद लोंग स्कर्ट और ब्लाउस की बारी आई. राज जी
मेरे शो का दिल से एंजाय कर रहे थे. हर कपड़े पर कुच्छ ना कुच्छ
कॉमेंट्स पास करते जा रहे थे.
लोंग स्कर्ट के बाद माइक्रो स्कर्ट की बारी आई. मैने एक पहना तो मुझे
काफ़ी शर्म आई. स्कर्ट की लंबाई पॅंटी के दो अंगुल नीचे तक थी. टी
शर्ट भी जस्ट मेरी गोलैईयों के नीचे ही ख़त्म हो रहे थे. टी
शर्ट्स के गले भी काफ़ी डीप थे. मेरे आधे बूब्स सामने नज़र आ रहे
थे. मैने ब्रा और पॅंटी के उपर ही उन्हे पहना और एक बार अपने
बदन को सामने लगे फुल लेंग्थ आईने मे देख कर शरमाती हुई उनके
सामने पहुँची.
"नो नो .... तुम्हे पूरे ड्रेस कोड को निभाना पड़ेगा" उन्हों ने अपने
ग्लास से सीप करते हुए कहा "नो अंडर गारमेंट्स"
" मैं वहाँ उसी तरह पहन लूँगी. यहाँ मुझे शर्म आ रही है"
मैने शरमाते हुए कहा.
"यहाँ मैं अकेला हूँ तो शर्म आ रही है वहाँ तो सैकड़ों लोग
देखेंगे फिर?"
"डॅडी वहाँ तो सारी लड़कियाँ इसी ड्रेस मे होंगी इसलिए शर्म नही
लगेगा"
"नही नही तुम तो उसी तरह आओ. नही तो पता कैसे चलेगा इन कपड़ों
मे तुम कैसी लगोगी." उन्हों ने कहा मैं चुपचाप लौट आई. और अपनी
ब्रा और पॅंटी उतार कर पैरों को सिकोडते हुए वापस पहुँची. उनके
सामने जाकर जैसे ही मैने अपने हाथ कमर पर रखे उनकी आँखें
बड़ी बड़ी हो गयी. उन्हों ने शॉर्ट्स पहन रखी थी उसमे से उनके
लिंग का उभार सॉफ दिख ने लगा. उनका लीग मेरे एक्सपोषर का सम्मान
देते हुए टंकार खड़ा हो गया. पॅंट के उपर से तंबू की तरह
उभार नज़र आने लगा..
"सामने की ओर थोडा झुको" उन्हों ने मुझे कहा तो मैं सामने की ओर
झुकी. मेरे टी शर्ट के गले से मेरे पूरे उभार बाहर झाँकने लगे.
पूरा स्तनउनकी नज़रों के सामने था.
"पीछे घूमओ" उन्हों ने फिर कहा
मैं धीरे धीरे पीछे घूमी. मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे झुके
होने के कारण पीछे घूमने पर छ्होटे से स्कर्ट के अंदर से मेरी
योनि उनको नज़र आ गयी होगी. उन्हों ने मेरी तारीफ करते हुए
कहा "बाइ गॉड तुम आग लगा दोगि सारे पॅरिस मे"
मुस्कुराते हुए मैं वापस बेड रूम मे चली गयी. कुच्छ देर बाद एक
के ब्बाद एक सारे स्कर्ट और टी शर्ट ट्राइ कर लिए. अब सिर्फ़ बिकनी बची
थी.
"डॅडी सारे कपड़े ख़त्म हो गये अब सिर्फ़ बिकनी ही बची हैं" मैने
कहा
"तो क्या उन्हे भी पहन कर दिखाओ" उन्हों ने कसमसाते हुए अपने तने
हुए लिंग को सेट किया. इस तरह की हरकत करते हुए उनको मेरे सामने
किसी तरह की शर्म महसूस नही हो रही थी.
मैं वापस कमरे मे जाकर पहली बिकनी उठाई. उसे अपने बदन पर पहन
कर देखी. बिकनी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी की तरह टू पीस थी. बाकी
सारा बदन नग्न था. उन्ही कपड़ों मे चलती हुई राज जी के पास
आई. राज जी की जीभ मेरे लगभग नग्न बड़ा को देख कर
होंठों पर फिरने लगी.
|
|
|