06-25-2017, 12:57 PM,
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sexstories
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RE: Hindi sex मैं हूँ हसीना गजब की
उन्हों ने थिरकते हुए बिस्तर के साइड मे अपने साथ लाए फ्रेंच वाइन
की बॉटल उठा ली. उसके कॉर्क को खोल कर उन्हों ने उसमे से एक घूँट
लगाया. फिर मुझे अपने से अलग कर अपने सामने खड़ा कर दिया. फिर उस
बॉटल से मेरे एक ब्रेस्ट पर धीरे धीरे वाइन डालने लगे. उन्होने
अपने होंठ मेरी निपल के उपर रख दिए. रेड वाइन मेरे बूब्स से
फिसलती हुई मेरे निपल के उपर से होती हुई उनके मुँह मे जा रही
थी. बहुत ही एग्ज़ोटिक सीन था वो. फिर उन्हों ने बॉटल को उपर कर
मेरे सिर पर वाइन उधलने लगे. साथ साथ मेरे चेहरे से मेरे कानो
से मेरे बालों से टपकते हुए वाइन को पीते जा रहे थे. मैं वाइन मे
नहा रही थी और उनकी जीभ मेरे पूरे बदन पर दौड़ रही थी. मैं
उनकी हरकतों से पागल हुई जा रही थी. इस तरह से मुझे आज तक
किसीने प्यार नही किया था. इतना तो साफ़ दिख रहा था कि मेरे ससुरजी
सेक्स के मामले मे तो सबसे अनोखे खिलाड़ी थे. जब बॉटल आधी से
ज़्यादाखाली हो गयी तो उन्हों ने बॉटल को साइड टेबल पर रख कर मेरे
पूरे बदन को चाटने लगे. मेरा पूरा बदन वाइन और उनकी लार से
चिप चिपा हो गया था. उन्हों ने एक झटके मे मुझे अपनी बाहों मे
उठा लिया और अपनी बाहों मे उठाए हुए बाथरूम मे ले गये. इस उम्र
मे भी इतनी ताक़त थी की मुझको उठाकर बाथरूम लेजाते वक़्त एक बार
भी उनकी साँस नही फूली. बाथरूम मे बात टब मे दोनो घुस गये
और
एक दूसरे को मसल मसल कर नहलाने लगे. साथ साथ एक दूसरे को
छेड़ते जा रहे थे. सेक्स के इतने रूप मैने सिर्फ़ कल्पना मे ही सोचा
था. आज ससुर जी ने मेरे पूरे वजूद पर अपना अधिकार जमा दिया.
वहीं पर बाथ टब मे बैठे बैठे उन्हों ने मुझे टब का सहारा
लेकर घुटने के बल झुकाया और पीछे की तरफ से मेरी योनि और
मेरे गुदा पर अपनी जीभ फिराने
लगे. "ऊऊऊओह…….ऱाआअज…….जाआअँ……..यी क्य्ाआ कर रहीई
हूऊ. चिईीईईईईईईई नहियीईईईईईईई वहाआन जीईईभ सीई
माआतचटूऊऊ. नाआहियीई……..हाआअँ आआऔउर अंडाअर और अंडाअर."
मैंउत्तेजना मे ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. ससुर जी मेरे गुदा द्वार को अपनी
उंगलियों से फैला कर उसके अंदर भी एक बार जीभ डाल दिए. मेरी
योनि मे आग लगी हुई थी. मैं उत्तेजना मे अपने ही हाथों से अपने
स्तनो को बुरी तरह मसल रही थी.
"बस बस और नही….अब मेरी प्यास बुझा दो. मेरी चूत जल रही है
इसेअपने लंड से ठंडा कर दो. अब मुझे अपने लंड से चोद दो.अब और
बर्दस्त नही कर सकती. ये आअप्ने क्या कर डाला मेरे पूरे बदन मे
आग जल रही है. प्लीईईसससे अओर नहियीई". मैं तड़प रही थी.
उन्हों ने वापस टब से बाहर निकाल कर मुझे अपनी बाहों मे उठाया और
गीले बदन मे ही कमरे मे वापस आए.
उन्हों ने मुझे उसी अवस्था मे बिस्तर पेर लिटा दिया. वो मुझे लिटा
करउठने को हुए तो मैने झट से उनके गर्देन मे अपनी बाहें डाल दी.
जिससे वो मुझसे दूर नही जा सकें. अब इंच भर की दूरी भी
बर्दास्तसे बाहर हो रही थी. उन्हों ने मुस्कुराते हुए मेरी बाँहों को अपनी
गर्देन से अलग किया और अपने लिंग पर बॉटल मे बची हुई वाइन से
कुच्छ बूँद रेड वाइन डाल कर मुझसे कहा
" अब इसे चूसो." मैने वैसा ही किया. मुझे वाइन से भीगा उनका
लिंगबहुत ही टेस्टी लगा. मैं वापस उनके लिंग को मुँह मे लेकर चूसने
लगी. उन्हों ने अब उस बॉटल से बची हुई वाइन धीरे धीरे अपने
लिंगपर उधेलनी शुरू की. मैं उनके लिंग, उनके अंडकोषों पर गिरते वाइन
कोपीरही थी. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे लिटा दिया और मेरी टाँगे
अपनेकंधों पर रख दिया. फिर उन्हों ने मेरे कमर के नीचे एक तकिया
लगा कर मेरी योनि के उपर से मेरी झांतों को हटा कर योनि की
फांकोंको अलग किया. मैं उनके लिंग के प्रवेश का इंतेज़ार करने लगी. उनके
लिंग को मैं अपनी योनि के उपर सटे हुए महसूस कर रही थी. मैने
आँखें बंद कर अपने आप को इस दुनिया से काट लिया था. मैं दुनिया
केसारे रिश्तों को सारी मर्यादाओं को भूल कर बस अपने ससुर जी का,
अपने बॉस का, अपने हुह राज शर्मा, अपने राजू के लंड को अपनी चूत मे घुसते
हुए महसूस करना चाहती थी. अब वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे प्रेमी थे.
उनसे बस एक ही रिश्ता था जो रिश्ता किसी मर्द और औरत के बीच
जिस्मों के मिलन से बनता है. मैं उनके लिंग से अपनी योनि की दीवारों
को रगड़ना चाहती थी. सब कुच्छ एक स्वर्गिक अनुभूति दे रहा था.
उन्हों ने मेरी चूत की फांकों को अलग कर के अपने लिंग को मेरे
प्रवेशद्वार पर रखा. "अब बता मेरी जान कितनी प्यास है तेरे अंदर मे?
मेरे लंड को कितना चाहती है?" राज जी ने मुझे अपने लिंग को
योनि के द्वार से रगड़ते हुए पूचछा. "अयाया क्या करते हो....म्म्म्मम
अनदर घुसा दो इसे." मैने अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरी. "मैं
तो तुम्हारा ससुर हूँ.....क्या ये उचित है?" "ऊऊओह राअज राआज
मेरे जाआअन मेराआ इम्तेहाअन मत लूऊ. म्म्म्मम दाल्दू इसे अपने
ल्डकेकी बीवी की चूत फाड़ दो अपने लंड से.....कब से प्यासी हूओ....ऊ
कितने दिनूओ से ईए आअग जल रहीइ थाइयीयियी. मैं तो शुरू से
तुम्हरीइ बनना चह्तीइ थी. ऊऊऊओह तुम कितने पत्थर दिल
हूऊऊओ...किठनाआ तर्सयाआअ मुझीए आअज भिओ तरसा रहे हो."
मैने उनके लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी योनि की ओर ठेला
मगर उन्हों ने मेरी कोशिश को नाकाम कर दिया. मेरी योनि का मुँह
लिंगके आभास से लाल हो कर खुल गया था जिससे उनके लिंग को किसी तरह
की परेशानी ना हो. मेरी योनि से काम रस झाग के रूप मे निकल कर
मेरे दोनो नितंबों के बीच से बहता हुआ बिस्तर की ओर जा रहा था.
मेरी योनि का मुँह पानी से उफान रहा था और उस पत्थर को मुझे
छेड़ने से फ़ुर्सत नही थी. "अंदर कर दूँ...?" "हाआँ ऊवू
हाआन" "मेरे लंड पर किसी तरह का कोई कॉंडम नही है. मेरा
वीर्यअपनी कोख मे लेने की इच्च्छा है क्या?" "हाआन ऊहह माआ हाआँ
मेरियोनि को भाअर दो अपने वीर्य सीई. डाअल दो अपनाअ बीज़ मेरि
कोख मईए." मैं तड़प रही थी. पूरा बदन पसीने से तरबतर हो
रहा था. मेरी आँखें उत्तेजना से उलट गयी थी और मेरे होंठ खुल
गये थे. सूखे होंठों पर अपनी जीभ चला कर गीला कर रही
थी. "फिर तुम्हारे कोख मे मेरा बच्चा आ जाएगा." "हाआँ हाआँ मुझे
बनाडो प्रेगञेन्ट. अब बस करूऊऊ. मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ और
मत सतऊओ. मत तड़पाव मुझे." मैने अपने दोनो पैर बिस्तर पर
जितनाहो सकता था फैला लिए,"देख तुम्हारे बेटे की दुल्हन तुम्हारे सामने
अपनी चूत खोल कर लेती तुमसे गिड़गिदा रही है कि उसके योनि को फाड़
डालो. रगड़ दो उसके नाज़ुक बदन को. मसल डालो मेरे इन स्तनो को जिन
पर मुझे नाज़ है. ये साब आपके स्पर्श आपके प्यार के लिए तड़प
रहेहैं." मैं बहकने लगी थी. अब वो मेरी मिन्नतो पर पसीज गये और
अपनी उंगलियों से मेरी क्लाइटॉरिस को मसल्ते हुए अपने लिंग को अंदर
करने लगे. मैं अपने हाथों से उनकी छाती को मसल रही थी.
उनकेलिंग को अपने चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर प्रवेश करते
महसूस कर रही थी. "हाआअँ मेरीई राआअज इस आनानद काअ मुझे
जन्मूऊ से इंतएजाआर थाअ. तुउँ इतनईए नासमझ कयूओं हूओ.
मेरीए दिल को समझनईए मे इतनीी देर क्यूँ कर दीईइ."उन्हों ने
वापस मेरी टाँगों को अपने कंधों पर रख दिया. उनके दोनो हाथ अब
मेरे दोनो बूब्स पर थे. दोनो हाथ मेरी चूचियो को ज़ोर ज़ोर से
मसल
रहे थे. मेरे निपल्स को उंगलियों से मसल रहे थे. मेरी छूट बुरी
तरह से गीली हो रही थी इसलिए उनके लिंग को प्रवेश करने मे
ज़्यादा
परेशानी नही हुई. उनका लिंग पूरी तरह मेरी योनि मे समा गया
था.फिर उन्हों ने धीरे धीरे अपने लिंग को पूरी तरह से बाहर खींच
कर वापस एक धक्के मे अंदर कर दिया. अब उन्हों ने मेरी टाँगें अपने
कंधे से उतार दी और मेरे ऊपर लेट गये. मुझे अपनी बाँहों मे भर
कर मेरे होंठों को चूमने लगे. सिर्फ़ उनकी कमर उपर नीचे हो
रहीथी. मेरे पैर दोनो ओर फैले ही थे. कुच्छ ही देर मे मैं उत्तेजित
होकर उनके हर धक्के का अपनी कमर को उनकी तरफ उठा कर और
उच्छलकर स्वागत करने लगी. मैं भी नीचे की ओर से पूरे जोश मे धक्के
लगा रही थी. एर कंडीशनर की ठंडक मे भी हम दोनो पसीने
पसीने हो रहे थे. कमरे मे सिर्फ़ एर कंडीशनर की हमिंग के
अलावा हुमारी "उउउहह" "ऊऊहह" की आवाज़ गूँज रही थी. साथ मे हर
धक्के पर फूच फूच की आवाज़ आती थी. हुमारे होंठ एक दूसरे से सिले
हुए थे. हुमारे जीभ एक दूसरे के मुँह मे घूम रही थी. मैने
अपने पावं उठा कर उनकी कमर को चारों ओर से जाकड़ लिया. काफ़ी देर
तक इसी तरह चोदने के बाद वो उठे और मुझे बिस्तर के किनारे
खींच कर अढ़लेते अवस्था मे लिटा कर मेरी रांगो के बीच खड़े
होकर मुझे चोदने लगे. उनके हर धक्के के साथ पूरा बिस्तर हिलने
लगता था. मेरी योनि से दो बार पानी की बोछर हो चुकी थी. कुच्छ
देर तक और चोदने के बाद उन्हों ने अपने लिंग को पूरे जड़ तक्मेरी
योनि के अंदर डाल कर मेरे दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे भर कर
इतनी बुरी तरह मसला कि मेरी तो जान ही निकल गयी. "ले ले मेरा
बीज मेरा वीर्य अपने पेट मे भर ले. ले ले मेरे बच्चे को अपने पेट
मे. अब नौ महीने बाद मुझसे शिकायत नही करना." उन्हों ने मेरे
होंठों के पास बड़बदते हुए मेरी योनि मे अपना वीर्य डाल
दिया. मैं उनके नितंबों मे अपने नाख़ून गाड़ा कर अपनी योनि को जितना
हो सकता उपर उठा दिया और मेरा भी रस उनके लंड को भिगोने निकल
पड़ा. दोनो खल्लास होकर एक दूसरे के बगल मे लेट गये. कुच्छ देर
तक यूँ ही लंबी लंबी साँसे लेते रहे. फिर वो करवट लेकर अपना एक
पैर मेरे बदन के उपर चढ़ा दिया और मेरे स्तनो से खेलते हुए
बोले,
"ऊओफफफ्फ़ स्मृति तुम भी गजब की चीज़ हो. मुझे पूरी तरह थका
दिया मुझे."
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