Hindi Sex Kahani ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
06-08-2020, 12:07 PM,
#31
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
उस समय शीतल की नज़रें सिर्फ़ राज को देख रही थी।

“सब लोग यहाँ से जा सकते हैं,” राज ने कहा।

सब जाने लगे किसी ने कुछ नही कहा लेकिन जय नही गया।

“तुम भी जय,” शीतल ने कहा।

“मेरे सारे पैसे वापस कर देना,” जय ने कहा।

“यही था तुम्हारा प्यार,कल सारे पैसे मिल जाएँगे,”शीतल ने कहा।

जय चला गया और वो दोनों भी घर के अंदर आ गये।

“जय को कितने पैसे वापस करने हैं?” राज ने पूछा।

“3 लाख।“

“3 लाख रुपये……। तुमने कितना खर्च किया है,” राज ने पूछा।

शीतल ने कुछ नही कहा और वो नहाने चली गयी,राज टी.वी.देखने लगा।
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06-08-2020, 12:08 PM,
#32
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
9.

शीतल ने भले ही तलाक़ ना दिया हो लेकिन वो अभी भी राज से ठीक से बात नही कर रही थी,वो अभी भी राज से थोड़ा कटने की कोशिश कर रही थी। राज और शीतल दोनों ने सब के सामने मान लिया था की वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन उनका ये प्यार अभी उनके रिश्ते में नही दिख रहा था।

उस दिन शाम को शीतल छत पर बैठ कर कोई नॉवेल पढ़ रही थी शायद कोई रोमांटिक नॉवेल थी,वो खुद में ही खोई हुई थी। चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट,बाल खुले हुए और लाल साड़ी में वो बहुत सुंदर लग रही थी। पहली बार उसने साड़ी पहनी थी।

“क्या पढ़ रही हो?” राज ने पूछा।

वो खुद में इतनी खोई हुई थी की उसे राज के आने का अहसास ही नही हुआ।

“कुछ नही बस ऐसे ही समय काट रही थी,” शीतल ने किताब बंद करते हुए बोला और उठ कर नीचे जाने लगी।

“नीचे क्यों जा रही हो?” राज ने उसे रोकने के प्रयास से पूछा।

शीतल बिना कुछ कहे वापस उसी जगह बैठ गयी,उसकी नज़रें उस किताब पर ही थी शायद उसमें कुछ रखा हुआ था जिसे वो राज से छुपाना चाहती थी।

“तुमने मुझे तलाक़ क्यों नही दिया?” राज ने पूछा।

“अब दे दें,” शीतल ने तुनककर कहा।

“नही……। प्यार करती हो मुझसे,” राज ने शीतल को छेड़ते हुए कहा।

“नही,”शीतल ने कहा।

“फिर तलाक़ क्यों नही दिया।”

शीतल कुछ नही बोली। उसका मन तो कहीं और लगा हुआ था।

“आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो ऐसे ही हमेशा मुस्कुराती रहा करो।”

शीतल कुछ नही बोली और उठ कर नीचे चली गयी राज भी उसके पीछे-पीछे नीचे आ गया।

“क्या हुआ तुम्हें?तुम मुझसे दूर हटने की कोशिश क्यों कर रही हो?” राज ने पूछा।

“मेरी तबियत नही ठीक है। मुझे अकेला छोड़ दो,” शीतल ने कहा और वो लेट गयी।

“तबियत को क्या हुआ,अभी तक तो सब ठीक था,” राज ने कहा।

“मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है। सिर में हल्का दर्द भी हो रहा है,कुछ देर आराम करूँगी तो ठीक हो जाएगा,” शीतल ने कहा।

राज कमरे से बाहर जाने लगा की शीतल बोली-“कल जय के पैसे लौटा दोगे। ”

“हाँ,” कहकर राज कमरे से बाहर आ गया।

राज सोच रहा था की आख़िर शीतल उससे ठीक से बात क्यों नही कर रही है। वो पहले जैसे ना बहुत बोल रही है ना उसकी किसी बात का ठीक से जवाब दे रही है। कहीं वो सच में जय से तो प्यार नही करती है या फिर उसकी तबियत सच में खराब है। कहीं उसे उसकी किसी बात का बुरा तो नही लगा।

1 घंटे बाद राज वापस शीतल के कमरे में गया वो सो रही थी,राज उसके पास में बैठ कर उसके सिर पर हाथ फेरने लगा,उसकी तबियत सच में खराब थी,उसे हल्का बुखार था। राज के हाथ लगाने की वजह से उसकी नींद खुल गयी। उसने अपनी पलकें उठा कर राज की ओर देखा और फिर आँख बंद कर ली।

“दर्द कम हुआ,” राज ने पूछा।
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06-08-2020, 12:08 PM,
#33
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“हाँ,अब ठीक हूँ,” शीतल ने दबी हुई आवाज़ में कहा।

राज उसके सिर पर हल्का-हल्का हाथ फिरा रहा था और शीतल आँख बंद किए लेती हुई थी। शाम के 7:45बजे थे।

“खाना बनाना है,” शीतल ने कहा,उसने शायद ये बात खुद से कही थी।

“मैं बना लूँगा,” राज ने कहा।

शीतल ने एक पल के लिए अपनी पलकें उठा कर राज की ओर देखा,उसका ध्यान कहीं और था पर नज़रें शीतल के हाथ पर थी जिसे उसने अपने दूसरे हाथ से पकड़ रखा था।

रात को दोनों ने खाना खाया और फिर लेट गये।

अगले दिन सुबह 8 बजे राज काम पर चला गया,शीतल को कहीं नही जाना था वो घर पर ही थी। उसने पूरा दिन टी.वी. देखकर बिताया। रात को राज 10बजे वापस घर आया।

“शीतल,खाना क्या बनाया है?” राज ने पूछा।

“कुछ नही,” शीतल ने कहा।

“क्यों?। तबियत ठीक नही है क्या?” राज ने पूछा।

“ठीक है,” शीतल ने कहा।

“फिर क्यों?”

“मैं कोई नौकरानी नही हूँ,” शीतल ने कहा।

“पर शीतल………” राज कुछ कहने जा रहा था पर चुप हो गया,बिना कुछ कहे लेट गया।
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उनका ये रोज़ का हो गया था,राज बाहर ही खाना ख़ाता था। शीतल घर पर कभी कुछ नही बनाती थी और अगर बनाती थी तो सिर्फ़ अपने लिए जब राज घर पर नही होता था।

राज को कई बार देर हो जाती थी, जिस वजह से उस रात वो किसी होटल नही जा पाता था और बिना कुछ खाए सो जाता था पर शीतल को कभी भी अहसास नही होने देता था की वो भूखा है। शीतल को तो जैसे राज से कोई मतलब ही नही रह गया था।

एक दिन राज को सुबह जल्दी जाना था उस दिन वो किसी होटल नही जा सका और दिन भर इतना काम था की उसे वक्त नही मिला,रात को भी उसे आते-आते 12बज गये वो होटल नही जा सका उस दिन उसने कुछ भी नही खाया था।

“आज कुछ बनाया है?” राज ने शीतल से पूछा।

“नही,और मुझसे कोई उम्मीद भी नही करना । मैं और लड़कियों की तरह नही हूँ कि अपने पति के लिए सुबह शाम खाना बनाऊँ,उनकी सेवा करूँ,” शीतल ने कहा।

“मैंने ऐसा तो कभी नही कहा तुमसे की तुम मेरे लिए कुछ करो पर इतना तो उम्मीद कर सकता हूँ कि अगर सुबह से भूखा हूँ तो तुम कुछ बना दोगी। अगर मेरे पास समय होता तो मैं कभी तुमसे कुछ नही कहता,” राज ने गुस्से में कहा।

शीतल ने राज को पहली बार इतने गुस्से में देखा था। राज से कुछ कहने की उसकी हिम्मत नही हुई,वो कुछ नही बोली। राज चुप-चाप लेट गया उसने जूते भी नही उतारे।

शीतल दूसरे कमरे में चली गयी कुछ देर बाद वो वापस आयी,राज सो रहा था,शीतल राज के पास आयी उसके जूते उतारने लगी। शीतल को इस तरह की चीज़े पसंद नही थी पर फिर भी…।

अगले दिन शीतल ने राज के काम पर जाने से पहले खाना बना दिया पर राज कुछ खाए बिना ही चला गया। शीतल ने खाने के लिए कहा लेकिन राज ने कोई जवाब नही दिया।

शीतल ने शाम को भी खाना बनाया पर राज होटल से खा कर आया था। राज के इस तरह के व्यवहार को शीतल के लिए बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। वो खुद राज से नही बोलती थी लेकिन जब राज ने बोलना छोड़ दिया तो उसे बुरा लग रहा था। अब उसे राज की फ़िक्र होने लगी थी। बिन कहे ही वो राज के हर काम करने लगी लेकिन उसका कोई भी काम करना बेकार ही था क्यों कि राज अपना हर काम खुद ही करता था।
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06-08-2020, 12:08 PM,
#34
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
एक दिन राज को काम पर नही जाना था। वो घर पर ही था। उस दिन राज अपने लिए खाना खुद ही बनाने लगा।

“मैं बना दूँगी,तुम रहने दो,” शीतल ने कहा।

राज कुछ नही बोला और जो कर रहा था उसे करता रहा। शीतल उसके पास आई और उससे उसने चाकू छीन ली।

“ये क्या बदतमीज़ी है?” राज ने कहा।

“मैंने कहा ना मैं बना दूँगी फिर क्यों?” शीतल ने कहा।

“तुम्हें मेरे लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नही है,”राज ने कहा।

“मैं तुम्हारी पत्नी हूँ।”

“पत्नी का काम खाना बनाना नही होता,”राज ने कहा।

शीतल कुछ नही बोल सकी,कुछ दिन पहले तक तो वो खुद राज से यही कह रही थी और आज सब कुछ करने को तैयार थी।

शीतल खुद सब्जी काटने लगी। राज ने भी ज़्यादा कुछ नही कहा और खुद कुछ और करने लगा। शीतल फिर उसके पास चली आई और उसे उस काम को करने से रोक दिया।

“मैं सब कर लूँगी,तुम्हें कुछ करने की ज़रूरत नही है,” शीतल ने कहा।

“तुम्हारी समस्या क्या है,शीतल?जब तुमसे अच्छे से बात करो तब तुम नखरे दिखाती हो और जब ना बोलो तो खुद……………। तुम चाहती क्या हो?कभी कहती हो की तुमसे ये सब नही होगा और कभी खुद करने लगती हो,” राज ने कहा।

“मुझे माफ़ कर दो,मुझसे ग़लती हो गयी अब दोबारा ऐसा कुछ नही करूँगी।”

“शीतल,मुझे परेशान मत करो।”

“तुम मुझसे गुस्सा मत हुआ करो,मैं तुम्हारा गुस्सा नही बर्दाश्त कर सकती,” शीतल ने कहा।

राज कुछ नही बोला और जो कर रहा था उस काम को छोड़ कर कमरे में चला गया कुछ देर बाद शीतल भी उसी कमरे आ गयी।

“क्या हुआ ? अब नही बनाना,” राज ने कहा।

“बन रहा है।”

“तुम्हें हो क्या गया था ?तुम इतने दिनों से बहुत अजीब सा व्यवहार कर रही थी।”

“कुछ नही बस थोड़ी तबियत ठीक नही थी। मैं तुम्हें जान बूझ कर परेशान नही करना चाहती थी , बस हो जाता है पर तुम मुझ पर गुस्सा मत हुआ करो,मुझे मना लिया करो। तुम्हारे अलावा और कोई मुझे समझता भी तो नही है,”शीतल ने कहा।

“सॉरी,” राज ने कहा।

“मुझे कुछ पूछना है,” शीतल ने कहा।

“पूछो।”

“मेरे बिना जी लोगे,” शीतल ने कहा।

“क्यों? कहीं जा रही हो,” राज ने कहा।

“पता नही पर तुम बताओ हाँ या नही,” शीतल ने कहा।

“किसी के जाने से किसी की जिंदगी नही रुकती और तुम खुद समझ सकती हो कि मैं …………।” राज ने कहा और कमरे के बाहर चला गया।
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06-08-2020, 12:08 PM,
#35
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
राज घायल होकर रह गया। यों लगा मानो डॉली ने सैकड़ों नश्तर उसके हृदय में उतार दिए हों। एक पल मौन रहकर वह बोला- 'और तुम्हारा वह अग्नि के इर्द-गिर्द फेरे लेना-अग्नि को साक्षी करके जीवनभर साथ निभाने का वचन लेना।'

'वह-वह भी एक धोखा था।'

'न-न डॉली! ऐसा नहीं हो सकता। कोई भी भारतीय नारी झूठे फेरे नहीं ले सकती। हिंदुस्तान की संस्कृति में जन्मी और पली कोई भी औरत अग्नि को साक्षी मानकर झूठे वचन कभी नहीं दे सकती। तुम-तुम झूठ बोलती हो डॉली! तुम झूठ बोलती हो।'

'यह सच है राज!'

'सच है।' राज उसे पागलों की भांति देखता रहा। फिर वह आगे बढ़ा और डॉली को भगवान की तस्वीर की ओर मोड़कर उसे झिंझोड़ते हुए बोला- 'तो फिर कहो। कहो भगवान के सामने कि वह सब एक नाटक था। कहो कि तुमने झूठ कहा था। कहो कि तुम्हारी मांग में भरा यह सिंदूर मेरा न था। कहो कि तुम मेरी न थीं।
बोलो, जवाब दो डॉली!'

डॉली ने खामोशी से चेहरा झुका लिया।

उसे यों मौन देखकर राज फिर चिल्लाया 'बोलो डॉली! बताओ। कहो कि तुम मुझे वास्तव में धोखा दे रही थीं। छल रही थीं तुम मुझे दर्द का प्याला पिला रही थीं तुम मुझे रिश्तों के नाम पर। लूट रही थीं तुम मुझे।' कहते-कहते राज की आवाज रुंध गई और आंखों में आंसुओं की बूंदें झिलमिला उठीं। डॉली ने फिर भी कुछ न कहा।

राज ने उसे छोड़ दिया और दर्द भरे अंदाज में बोला- 'और यदि यह सच है। यह सच है तो तुमने ठीक न किया डॉली! इससे तो बेहतर था कि तुम मुझे विष देकर मार डालतीं। छुरा उतार देतीं मेरे हृदय में। या फिर उसी वक्त दूर चली जातीं मेरे जीवन से। कम-से-कम इतनी पीड़ाएं तो न मिलतीं मुझे। वो गम जिसे भुलाने के लिए मैंने तुम्हारा सहारा लिया। वो अतीत जिसे भूलने के लिए मैंने तुम्हारे आंचल में मुंह छुपाया-आज इतनी बड़ी चोट तो न देता मुझे।' राज इससे अधिक न कह सका और आंसुओं को रोकने के लिए अपने होंठों को काटने लगा।

डॉली कुछ क्षणों तक तो वहां खड़ी अपने ही विचारों से लड़ती रही। फिर वह मुड़ी और कमरे से बाहर चली गई।
राज अपनी आंखें पोंछता रहा।
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06-08-2020, 12:08 PM,
#36
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
कुछ देर बाद हर कोई चला गया रह गये तो शीतल और राज। किसी ने एक बार भी ये नही पूछा की वो कहाँ गयी थी,कहीं किसी मुसीबत में तो नही थी बस सब ने अपना गुस्सा उस पर निकल दिया। राज उसके करीब आया उसने उसे अपने सीने से लगा लिया जैसे कोई किसी को दिलासा देने के लिए करता है। शीतल अपने आँसू को नही रोक पाई सबके जाते ही वो रोने लगी।

“चुप हो जाओ शीतल,किसी की बात का बुरा मत मानो,” राज ने कहा।

शीतल तो जैसे कहीं खो सी गयी थी उसे होश ही नही था। राज उसे अपने सहारे बेड के पास ले गया और उसे बेड पे बिठाया।

“शांत हो जाओ लोग तो कहते ही रहते इसका मतलब ये नही की तुम ग़लत हो,” राज ने कहा।

“तुम्हें मुझ पर विश्वास नही रहा,” शीतल ने खुद को संभालते हुए कहा और राज से दूर हट गयी।

“मैंने कुछ कहा,” राज बोला।

“इसी का तो अफ़सोस है कि तुमने किसी से कुछ नही कहा,” शीतल ने कहा और अपना मुँह तकिये से छुपा कर लेट गयी।

“कुछ खा लो तुम्हें भूख लगी होगी,” राज ने कहा।

“नही लगी है।”

“कुछ तो खा लो।”

शीतल ने कोई जवाब नही दिया। राज ने फिर कहा-“खा लो…। ”

ठीक उसी तरह से जैसे शीतल राज से कहती थी पर शीतल जिद्दी थी वो मानने वालों में नही थी।

“मैं तुम्हे तलाक़ देने को तैयार हूँ,” शीतल ने कहा।

“ठीक है दे देना पर अभी खाना खा लो,” राज ने कहा।

शीतल ने कुछ नही कहा और थोड़ी देर में सो गयी। उस समय शाम के 4 बज रहे थे।

जब वो सोकर उठी तो 7 बज रहे थे। राज लैपटॉप चला रहा था। वो बिस्तर से उठी और राज के पास जाकर बैठ गयी।

“अब तुम मुझे छोड़ दोगे?”शीतल ने राज से कहा।

“नही।”

“तलाक़ के बाद भी नही।”

राज कुछ नही बोला।

“वैशाली से शादी कर लेना,”शीतल ने कहा।

“पहले तलाक़ तो होने दो,फिर दूसरी शादी के बारे में सोचेंगे,”राज ने कहा।

“शीतल चुप हो गयी।”

“क्या हुआ?” राज ने पूछा।

“कुछ नही।”

राज कुछ नही बोला और लैपटॉप में फिर से काम करने लगा।

“मैं इतने दिन जय के साथ नही थी,”शीतल ने कहा।

“जानता हूँ।”

“कैसे?”शीतल ने पूछा।

राज ने कुछ नही कहा। शीतल राज के पास से हट गयी,कुछ बर्तन रखे थे उन्हें धुलने लगी। उसके बाद उसने खाना बनाया। रात को खाना खाने के बाद राज फिर से लैपटॉप चलाने लगा और शीतल एक किताब लेकर पढ़ने लगी।

“क्या हमारा अलग होना ज़रूरी है?”राज ने पूछा।

“जबरजस्ती इस रिश्ते को निभाना भी मुश्किल है,” शीतल ने कहा।

“तलाक़ के बाद तुम कहाँ रहोगी?” राज ने पूछा।

“पता नही,पर तुम्हारे साथ नही,” शीतल ने कहा।

“जय से शादी कर लेना,तुम्हे प्यार करता है,” राज ने कहा।

“मैं नही करती।”

“क्यों?...............वो बहुत अच्छा है,तुम उसके साथ बहुत खुश रहोगी।”

“मुझे उसके साथ नही रहना।”

“फिर कहाँ रहोगी?”

“कहीं भी रहूं,तुम्हे इससे क्या?...........वैसे तुम खुश रहोगे मेरे बिना।”

“नही जानता,और तुम?”

“नही।”

“फिर भी अलग होना चाहती हो।”

“हाँ।”

“क्यों?”

“हम दोनों के लिए यही अच्छा है और फिर हम प्यार भी तो नही करते हैं।”
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06-08-2020, 12:09 PM,
#37
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“पर भरोसा तो करते हैं।”

“जाने दो,राज। सब के लिए अच्छा है।”

“क्या ? सबके लिए अच्छा है।”

“हमारा अलग होना।”

“और हमारे लिए?”

“नही पता…………। पर अब मैं तुम्हे और दुख नही देना चाहती।”

“तुम मेरी पत्नी और फिर थोड़े दुख तो सबको उठाने ही पड़ते हैं।”

“जो भी हो मैं साथ नही रह सकती।”

राज शांत हो गया। शीतल के पास उसकी हर बात का जवाब था। उससे बात करने से कोई फ़ायदा नही था,वैसे भी वो जिद्दी थी किसी की कहाँ सुनती थी।

“कल से हम दूसरे घर में रहेंगे,” राज ने कहा।

“ठीक है,” शीतल ने कहा।

शीतल आँखें बंद करके लेट गयी। राज ने भी लैपटॉप बंद कर दिया। शीतल के बर्ताव में रूखापन था। वो राज पर गुस्सा नही कर रही थी लेकिन उसकी बातों में अपनापन भी नही था।
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अगले दिन से दोनों नये घर में रहने लगे। वो घर बहुत बड़ा और बहुत सुंदर था किसी बंगले से कम नही था।

दो दिन बीत गये इस बीच दोनों ने एक-दूसरे कोई बात नही की। राज ने कई बार कोशिश की पर शीतल कोई बात नही करती।

शीतल और राज के तलाक़ के बारे में जय को पता चल गया था उसने तलाक़ के कागज तैयार करा लिए। जय ने शीतल के मम्मी-पापा से अपनी और शीतल की शादी की बात कर ली थी। जय ने शीतल को तलाक़ के कागज दे दिए।

“इन कागज पर तुम दोनों अपने साइन कर देना और अगले दिन तुम दोनों की कोर्ट में सुनवाई है,”जय ने शीतल से कहा।

शीतल जय से कुछ नही बोली। उसने उससे कागज लिए और घर चली आई। राज घर पर नही था। वो शाम को 7 बजे घर आया। वो बहुत थका हुआ लग रहा था इसलिए शीतल ने उससे कुछ नही कहा। सोते समय शीतल ने उसे तलाक़ के कागज पकड़ा दिए।

राज ने एक पल का समय लिए बिना उस पर साइन कर दिया। शीतल को तो यकीन ही नही हो रहा था की राज इतनी जल्दी साइन कर देगा। उसे लगा था कि शायद राज एक बार उससे बात करेगा पर राज ने तो………।

शीतल ने खुद साइन नही किए थे। राज ने साइन करके कागज वहीं मेज पर रख दिए। शीतल की हिम्मत उन्हें उठाने की नही हुई। वो आँख बंद करके लेट गयी और जब राज सो गया तब उसने उन कागज को देखा। कुछ देर देखती रही फिर बिना साइन किए सो गयी।
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06-08-2020, 12:09 PM,
#38
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
अगले दिन सुबह 10 बजे किसी ने घंटी बजाई उस समय राज नहा रहा था और शीतल कुछ काम रही थी। शीतल ने दरवाजा खोला बाहर जय,सुषमा,शीतल के मम्मी-पापा और राज के मम्मी-पापा खड़े थे शायद जय सब को कोर्ट चलने के लिए लेकर आया था।

“तुम अभी तक तैयार नही हुई,कोर्ट में 11 बजे पेशी है,”जय ने शीतल की अस्त-व्यस्त हालत देखकर कहा।

“मुझे कहीं नही जाना,” शीतल ने कहा।

“क्यों?” जय ने पूछा।

“बस ऐसे ही,”शीतल ने कहा।

“तलाक़ के कागज ले आओ,” जय ने कहा।

शीतल अंदर से तलाक़ के कागज ले आई। उसने कागज जय के हाथ में थमा दिए।

“तुमने साइन क्यों नही किए,” जय ने कागज देखते हुए कहा।

“मुझे तलाक़ नही देना,” शीतल ने कहा।

“क्यों?” शीतल की माँ ने कहा।

“मैं राज के साथ ही खुश हूँ,” शीतल ने कहा।

“और राज?” राज की माँ ने पूछा।

“वो भी खुश है,” शीतल ने कहा।

“तुम उसे तलाक़ क्यों नही दे रही?क्यों उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर रही हो?” शीतल की माँ ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

शीतल कुछ नही बोली।

“तुम खुश नही हो ,शीतल,”जय ने कहा।

“मैं बहुत खुश हूँ,” शीतल ने कहा।

“दो दिन बाद तुम उसे फिर से छोड़ कर किसी के साथ चली जाओगी उससे अच्छा है की आज ही उसे छोड़ दो,” सुषमा ने कहा।

“तुम सब मेरे तलाक़ के पीछे क्यों पड़े हो?हम कैसे जी रहे हैं?किसी को क्या मतलब है?जब हमें मदद की ज़रूरत थी तब तो कोई नही सामने आया था,” शीतल ने कहा और उसने जय से तलाक़ के कागज लेकर उसे फाड़ दिया।

“तुम पागल तो नही हो गयी हो, शीतल तुम बहुत ग़लत कर रही हो,” जय ने कहा।

“मैं कुछ ग़लत नही कर रही हूँ बस अपने रिश्ते को टूटने से बचा रही हूँ,” शीतल ने कहा।

“तुम मुझसे प्यार करती हो तो फिर क्यों इस रिश्ते को बचाना चाहती हो?” जय ने पूछा।

शीतल को जैसे 5000 वोल्ट का करेंट लग गया हो वो एकदम से गुस्से में आ गयी।

“मैं तुमसे प्यार नही करती,” शीतल ने अपने गुस्से को दबाते हुए कहा।

“करती हो,शीतल,तभी तो तुम मेरे साथ कहीं भी चली जाती थी,मेरी हर बात मानना,मेरे साथ हँसना-बोलना ये सब क्या था? शीतल,”जय ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

“हाँ शीतल,अगर तुम जय को प्यार नही करती थी तो फिर उसको इतना समय क्यों देती थी?”सुषमा ने कहा।

“मैंने कभी नही कहा की मैं जय से प्यार करती हूँ,अगर जय के साथ ज़रा सा हँस-बोल लिया तो इसका मतलब ये नही कि मैं उसे प्यार करने लगी। मैं जय को सिर्फ़ दोस्त मानती हूँ। बोलते तो हम अपने रिश्तेदारों से भी हैं इसका मतलब ये नही की हम उनसे शादी कर ले। पति की बजाय हम कई बार अपने परिवार वालों,दोस्तों को प्राथमिकता देते हैं इसका मतलब की मुझे अपने पति से प्यार नही। मुझ पर उंगलियाँ इस लिए उठ रही हैं क्योंकि मैं एक लड़की हूँ,” शीतल ने कहा।

“तुम धोखा दे रही हो शीतल,”राज के पापा ने कहा।
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06-08-2020, 12:09 PM,
#39
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“किसे धोखा दे रही हूँ?मैं किसी को धोखा नही दे रही राज को सब-कुछ पता है मैं जय के साथ कहाँ गयी?उससे क्या बात की?सब कुछ। मैं राज को हर एक बात बताती हूँ फिर कैसा धोखा। हम तलाक़ नही चाहते आप सब के दबाव में हम तलाक़ देने को तैयार हुए थे,” शीतल ने कहा।

कुछ पल तक कोई कुछ नही बोला तो शीतल फिर बोली-“सुषमा तुम कहती हो की मेरी दोस्त हो,दोस्त कभी अपने दोस्त का घर नही जलाते। राज मेरी कमाई नही ख़ाता है उसने मुझे बनाया है और राज को कुछ भी कहने की तुम्हें कोई ज़रूरत नही है। सब को मेरे खिलाफ तुमने ही तो भड़काया है। ”

सुषमा कुछ नही कह सकी ना ही कोई और कुछ कह सका।

“मम्मी,मैं बदचलन नही हूँ। ना मैं राज की जिंदगी बर्बाद कर रही हूँ। 19 साल में आप मुझे इतना नही समझ सकीं जितना राज ने 6-7 महीनो में समझ लिया। अच्छा होगा आप सब यहाँ से चले जाए,” शीतल ने कहा।

“तुम राज से नही पैसों से प्यार करती हो,शीतल। जब राज के पास नही थे तो मुझसे दोस्ती और अब राज के पास पैसे हैं तो मुझे छोड़ दिया,” जय ने कहा।

“ऐसा कुछ नही है,” शीतल ने कहा।

“ऐसा ही है तभी तो दो दिन पहले तुम तलाक़ के लिए तैयार थी लेकिन इस घर में आते ही तुमने फ़ैसला बदल दिया,” राज की माँ ने कहा।

“तलाक़ ना लेने का फ़ैसला मेरा और राज दोनों का है,” शीतल ने कहा।

“तो फिर राज ने साइन क्यों किये?” जय ने कहा।

शीतल से कुछ भी बोलते नही बना वो चुप हो गयी। राज घर के अंदर से सभी की बाते सुन रहा था।

“राज तुमसे प्यार नही करता तुम जबरजस्ती उसके गले में पड़ी हो,” राज के पापा ने कहा।

राज तब तक घर के बाहर आ गया था।
“शीतल को कोई कुछ भी ना कहे,हम दोनों ने सोच समझ कर ये फ़ैसला लिया है,” राज ने कहा।

“ये तुम्हे धोखा दे रही है,” राज की माँ ने कहा।

“किसी को धोखा नही दे रही है,ना ही शीतल को पैसे चाहिए,” राज ने कहा।

उस समय शीतल की नज़रें सिर्फ़ राज को देख रही थी।

“सब लोग यहाँ से जा सकते हैं,” राज ने कहा।

सब जाने लगे किसी ने कुछ नही कहा लेकिन जय नही गया।

“तुम भी जय,” शीतल ने कहा।

“मेरे सारे पैसे वापस कर देना,” जय ने कहा।

“यही था तुम्हारा प्यार,कल सारे पैसे मिल जाएँगे,”शीतल ने कहा।

जय चला गया और वो दोनों भी घर के अंदर आ गये।

“जय को कितने पैसे वापस करने हैं?” राज ने पूछा।

“3 लाख।“

“3 लाख रुपये……। तुमने कितना खर्च किया है,” राज ने पूछा।

शीतल ने कुछ नही कहा और वो नहाने चली गयी,राज टी.वी.देखने लगा।
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06-08-2020, 12:09 PM,
#40
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शीतल ने भले ही तलाक़ ना दिया हो लेकिन वो अभी भी राज से ठीक से बात नही कर रही थी,वो अभी भी राज से थोड़ा कटने की कोशिश कर रही थी। राज और शीतल दोनों ने सब के सामने मान लिया था की वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन उनका ये प्यार अभी उनके रिश्ते में नही दिख रहा था।

उस दिन शाम को शीतल छत पर बैठ कर कोई नॉवेल पढ़ रही थी शायद कोई रोमांटिक नॉवेल थी,वो खुद में ही खोई हुई थी। चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट,बाल खुले हुए और लाल साड़ी में वो बहुत सुंदर लग रही थी। पहली बार उसने साड़ी पहनी थी।

“क्या पढ़ रही हो?” राज ने पूछा।

वो खुद में इतनी खोई हुई थी की उसे राज के आने का अहसास ही नही हुआ।

“कुछ नही बस ऐसे ही समय काट रही थी,” शीतल ने किताब बंद करते हुए बोला और उठ कर नीचे जाने लगी।

“नीचे क्यों जा रही हो?” राज ने उसे रोकने के प्रयास से पूछा।

शीतल बिना कुछ कहे वापस उसी जगह बैठ गयी,उसकी नज़रें उस किताब पर ही थी शायद उसमें कुछ रखा हुआ था जिसे वो राज से छुपाना चाहती थी।

“तुमने मुझे तलाक़ क्यों नही दिया?” राज ने पूछा।

“अब दे दें,” शीतल ने तुनककर कहा।

“नही……। प्यार करती हो मुझसे,” राज ने शीतल को छेड़ते हुए कहा।

“नही,”शीतल ने कहा।

“फिर तलाक़ क्यों नही दिया।”

शीतल कुछ नही बोली। उसका मन तो कहीं और लगा हुआ था।

“आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो ऐसे ही हमेशा मुस्कुराती रहा करो।”

शीतल कुछ नही बोली और उठ कर नीचे चली गयी राज भी उसके पीछे-पीछे नीचे आ गया।

“क्या हुआ तुम्हें?तुम मुझसे दूर हटने की कोशिश क्यों कर रही हो?” राज ने पूछा।

“मेरी तबियत नही ठीक है। मुझे अकेला छोड़ दो,” शीतल ने कहा और वो लेट गयी।

“तबियत को क्या हुआ,अभी तक तो सब ठीक था,” राज ने कहा।

“मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है। सिर में हल्का दर्द भी हो रहा है,कुछ देर आराम करूँगी तो ठीक हो जाएगा,” शीतल ने कहा।

राज कमरे से बाहर जाने लगा की शीतल बोली-“कल जय के पैसे लौटा दोगे। ”

“हाँ,” कहकर राज कमरे से बाहर आ गया।

राज सोच रहा था की आख़िर शीतल उससे ठीक से बात क्यों नही कर रही है। वो पहले जैसे ना बहुत बोल रही है ना उसकी किसी बात का ठीक से जवाब दे रही है। कहीं वो सच में जय से तो प्यार नही करती है या फिर उसकी तबियत सच में खराब है। कहीं उसे उसकी किसी बात का बुरा तो नही लगा।

1 घंटे बाद राज वापस शीतल के कमरे में गया वो सो रही थी,राज उसके पास में बैठ कर उसके सिर पर हाथ फेरने लगा,उसकी तबियत सच में खराब थी,उसे हल्का बुखार था। राज के हाथ लगाने की वजह से उसकी नींद खुल गयी। उसने अपनी पलकें उठा कर राज की ओर देखा और फिर आँख बंद कर ली।

“दर्द कम हुआ,” राज ने पूछा।

“हाँ,अब ठीक हूँ,” शीतल ने दबी हुई आवाज़ में कहा।

राज उसके सिर पर हल्का-हल्का हाथ फिरा रहा था और शीतल आँख बंद किए लेती हुई थी। शाम के 7:45बजे थे।
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