Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 01:35 PM,
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
थोड़ी देर साहिल को समझाने के बाद सुरजीत खड़ा हो गया, और साहिल को बोला कि , वो आज खाली गन के साथ प्रॅक्टीस करे. मैं अभी जा रहा हूँ.

साहिल: ठीक है. आप जाएँ. मे भी थोड़ी देर बाद निकलता हूँ.

सुरजीत नीचे चला गया, तैयार होने के लिए, जैसे ही सुरजीत नीचे गया, तो पायल साहिल के पास गयी, और उसके पास बैठ गयी. साहिल का ध्यान अभी उसके हाथ मे पकड़ी हुई, पिस्टल पर था. साहिल को अपनी तरफ ना देखता देख, पायल बोखला सी गयी, और उसके हाथ से पिस्टल छीनते हुए बोली.

पायल: क्या यार. मैं कब से तुम्हारे पास बैठी हूँ. और तुम इस गन को ऐसे देख रहे हो, जैसे पहली बार देख रहे हो.

साहिल: (पायल की आँखों मे देखते हुए, जो प्यार से भरी हुई थी. पर उसकी प्यार भारी आँखों मे अपने प्यार से रूठना सॉफ दिखाई दे रहा था.) हाँ पहली बार ही तो देख रहा हूँ.

पायल: (मुँह बनाते हुए) तो इसी को देखते रहना. मैं जा रही हूँ नीचे.

साहिल उसकी आँखों मे अपने लिए छुपे हुए प्यार को देख चुका था. जब पायल सीडयों से नीचे जा रही थी. तो साहिल उसे मुस्कुराता हुआ देख रहा था. जब पायल ने पीछे मूड कर देखा, तो साहिल के होंठो पर मुस्कान देख कर, उसका गुस्सा एक दम से ख़तम हो गया. दोनो ने एक दूसरे को देखा, दोनो के होंठो पर प्यार भरी मुस्कान थी. पायल ने नज़रें झुका ली. जैसे जतलाना चाहती हो. कि मे तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. पर तुम समझ नही रहे.

पायल के जाने के थोड़ी देर बाद, साहिल भी नीचे आ गया. पायल नीचे हाल मे ही बैठी हुई थी. साहिल को नीचे उतरता देख, पायल अपने बालों को सेट करनी लगी. जैसे वो खुद को उसके सामने खूबसूरत देखने की कॉसिश कर रही हो.

पायल: जा रहे हो ?

साहिल: हां. अब घर जाकर कॉलेज के लिए तैयार भी तो होना है.

पायल: कल फिर आओगे ना ?

साहिल: (पायल की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए) हां. कलाज मे मिलते हैं. अच्छा अब मे चलता हूँ.

साहिल पायल के घर से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा. पायल गेट पर खड़ी तब तक उसे देखते रही, जब तक कि साहिल उसकी नज़रों से ओझल नही हो गया. फिर साहिल रोज सुबह यूँ ही पायल के घर पर आने लगा. कभी -2 सुरजीत को जल्दी जाना पड़ता. इस दौरान पायल और साहिल की नज़दीकयँ बढ़ती रही. अब साहिल भी पायल को चाहने लगा था. पर साहिल जानता था कि, उसे खुद भी अपने अंज़ाम का पता नही है, फिर वो पायल को कैसे अपने प्यार का इज़हार कर सकता है. साहिल के कॉलेज का 1 साल पूरा हो चुका था. सुरजीत ने उसे काफ़ी बदल दिया था.

अब साहिल वही डरपोक किस्म का नही रहा था. जब साहिल के 1स्ट एअर के एग्ज़ॅम के बाद कॉलेज 1 मंथ के लिए क्लोज़ था. इस बात का जैसे ही सुमन को पता चला, तो उसने सोच लिया कि, यही सही वक़्त है. अब किसी भी तरहा साहिल को यहाँ लाना पड़ेगा. पर माँ का क्या. उनको कैसे मनाऊ. और साहिल यहाँ कहाँ रहेगा. मैं राज से क्या कहूँ. सुमन उस दिन सोचती रही. जब शाम को वो सो रही थी, उसके रूम के डोर पर दस्तक हुई.

सुमन ने उठ कर डोर खोला, तो सामने हरिया खड़ा था. हरिया को देखते ही, उसके दिमाग़ मे आया कि, हरिया इस काम मे उसकी मदद कर सकता है, साहिल को बचाने मे भी उसने बहुत मदद की थी.

सुमन: साहब हैं घर पर.

हरिया: नही मालकिन वो बाहर गये हुए हैं. आप आ जाएँ चाइ बन गयी है.

सुमन: अच्छा आप चलें. मे आती हूँ. मुझ आप से कुछ ज़रूरी बात भी करनी है ?

हरिया: जी.

सुमन बाहर हाल मे आकर सोफे पर बैठ गयी. हरिया चाइ की ट्राइ ले आया, और सुमन के सामने टेबल पर रखते हुए बोला. कहिए मालकिन क्या बात करनी है.

सुमन: काका आप तो जानते हैं कि, साहिल अब बड़ा हो गया है, अब राज को उसके अंजाम तक पहुँचाने का टाइम आ गया है. इसके लिए आप को मेरी मदद करनी होगी.

हरिया: मालकिन मैं तो ग़रीबी और कमज़ोरी के चंगुल मे फँसा आदमी हूँ. भला मे राज बाबू जैसे ताकतवर और रोबदार इंसान के विरोध मे कैसे लड़ सकता हूँ. ये मैं नही कर सकता. और वैसे भी मैं उनके माँ बाप के टाइम से इस हवेली मे काम कर रहा हूँ. इस हवेली और इसके लोगो के बहुत अहसान है मेरे ऊपेर. साहिल को बचाना अलग बात थी. एक इंसान होने के नाते ये मेरा फर्ज़ था कि, मैं उस नन्ही सी जान को बचाऊ.

सुमन: पर काका क्या तुम वो सब भूल गये. जो राज ने किया. तुम्हे याद है ना. राज की गंदी नीयत के चलते ही, तुम हमेशा अपनी बेटी से दूर रहे. वो दिन भूल गये, जब राज ने पूनम से ज़बरदस्ती करने की कोशिस की थी. अगर वक़्त रहती मे देख ना लेती. तो तुम्हारी बेटी का क्या होता. उस इंसान के नही उस हैवान की एक ही सज़ा है. और वो मौत.

हरिया: मे कुछ नही भूला मालकिन. पर मैं कर भी क्या सकता हूँ.

सुमन: तुम बस इतना करो क़ि, साहिल के रहने का इंतज़ाम कुछ दिनो के लिए कर दो. तुम्हारी बेटी अपने पति के साथ पास वाले शहर मे ही रहती है ना?. वहाँ पर कुछ दिनो के लिए साहिल के रहने का इंतज़ाम कर दो. फिर साहिल को पूनम के पति का चचेरा भाई बना कर उसे राज के पास काम दिलवा दो. बाकी मे देख लूँगी.

हरिया: ठीक है मालकिन. पर आपको मुझसे एक वादा करना होगा.

सुमन: हां बोलो.

हरिया: मुझ भले ही चाहे कुछ हो जाए. पर पूनम और उसके पति को कुछ नही होना चाहिए.

सुमन: ठीक है, उनकी ज़िम्मेदारी हम लेते हैं. तुम साहिल के रहने का इंतज़ाम करो. मैं साहिल को यहाँ बुल्वाती हूँ.

सुमन ने दोपहर को टीना के घर पर फोन किया. और उसे कहा कि, वो साहिल से बात करना चाहती है. पर कल दोपहर को फिर से फोन करेगी. साहिल को अपने घर पर बुलवा लेना. टीना ने साहिल के घर पर फोन किया. और साहिल को अगले दिन अपने घर आने को कहा. अगले दिन साहिल दोपहर को टीना के घर पर गया. घर पर टीना अकेली थी. दोपहर के 1 बजे सुमन का फोन आया. और उसने साहिल से बात करके सारी बात समझा दी. साहिल के सामने अब ये प्राब्लम थी, कि वो के मंथ के लिए बाहर जा रहा है. पर वो घर पर क्या कहेगा.

शाम को जब जय शर्मा घर वापिस आया, तो साहिल उसके पास जाकर बैठ गया.

साहिल: बाबा वो आपसे एक बात करनी थी.

ज़य शर्मा: हां बोलो बेटा.

साहिल: वो बाबा मेरे कॉलेज के फ्रेंड्स. कुछ दिनो के लिए मंसूरी जा रहे हैं, घूमने के लिए. क्या मे भी उनके साथ जा सकता हूँ.

ज़य शर्मा साहिल की ओर एक टक देखने लगा. साहिल आज तक कभी अकेला कहीं नही गया था. पर जय शर्मा साहिल मे पिछले कुछ दिनो मे बदलाव को देख कर खुश था. साहिल ने कभी उनसे कुछ नही माँगा था. और जय शर्मा जानता था, कि साहिल बहुत ही सुलझा और समझदार लड़का है. वो कभी भी ग़लत काम नही करेगा.

ज़य शर्मा: तो घूमने जाना चाहते हो.

साहिल: जी बाबा.

ज़य शर्मा: ठीक है चले जाओ. कब जा रहे हो ?

साहिल: जी बाबा कल जाउन्गा.

ज़य शर्मा: (उठ कर अलमारी से 20000 रुपये निकाल कर साहिल को देते हुए) ये लो बेटा. और इसमे से अपने लिए कोई अच्छा सा मोबाइल ले लेना. ताकि हम तुमसे बात करते रहे.

साहिल: (पैसे लेते हुए) जी बाबा.


अगले दिन साहिल सुबह ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा. ज़य शर्मा ने उसे अपनी कार से स्टेशन तक छोड़ दिया. ज़य शर्मा स्कूल जाने के लिए जल्दी मे था. इसीलिए वो स्टेशन के बाहर ही साहिल को छोड़ कर चला गया. साहिल ने उस शहर के लिए ट्रेन पकड़ी. जहाँ कभी जय शर्मा रहता था. शाम के 6 बजे. साहिल उसी शहर मे पहुँच गया.
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साहिल जब शाम के 6 बजे स्टेशन पर उतरा. तो वहाँ कुछ ही लोग थे. सुमन ने उसे बताया था कि, हरिया की बेटी पूनम का पति तिवारी उसे लेने आ रहा है. पूनम के पति को सब तिवारी के ही नाम से बुलाते थे. जो लोग ट्रेन से उस स्टेशन पर उतरे. धीरे-2 सब बाहर चले गये. पर साहिल वहीं खड़ा था. उसकी नज़रें उस तिवारी नाम के आदमी को दूनद रही थी. जिसे उसने कभी देखा नही था.

जब स्टेशन पर भीड़ थोड़ी कम हुई, तो साहिल को दूर खड़ा एक आदमी नज़र आया. जो उसी की तरफ देख रहा था. जैसे ही साहिल ने उसकी ओर देखा, वो आदमी तेज़ी से चलता हुआ साहिल के पास आया.

तिवारी: बाबू जी आपका नाम ही साहिल है ?

साहिल: (अंजान सहर मे किसी के मुँह से अपना नाम सुन कर, साहिल को थोड़ा सा हॉंसला हुआ) हां मे है हूँ साहिल. तुम तिवारी हो ना.

तिवारी: जी चलें मैं आपका समान उठा लेता हूँ.

तिवार ने साहिल के बॅग्स उठाए, और स्टेशन से बाहर की तरफ जाने लगा. साहिल भी तिवारी के पीछे-2 आ गया. बाहर आकर तिवारी ने रिक्शे वाले को आवाज़ लगाई. और साहिल के समान को रिक्शे पर रख दिया.

तिवारी: चलें बाबू जी.

साहिल और तिवारी दोनो रिक्शे मे बैठ गये. रिक्शा चलते हुए जैसे -2 उस सहर की गलियों से सड़कों से गुजर रहा था. तो साहिल के दिमाग़ मे जो धुंधली यादें थी. धीरे-2 ताज़ा होती जा रही थी. जब साहिल बचपन मे गाँव आता था. तब वो अपनी माँ डॉली के साथ अक्सर सहर मे शॉपिंग के लिए आता था. साहिल की आँखे नम हो गयी.

तिवारी: (साहिल की नाम हुई आँखों की ओर देखते हुए) क्या बाबू जी.

साहिल: कुछ नही बस बीतें लम्हे आँखों के सामने आ गये थे.

फिर दोनो हमोशी से बैठे रहे. थोड़ी देर बाद तिवारी का घर आ गया. तिवारी ने रिक्शा रुकवाया. और नीचे उतर कर साहिल के बॅग्स को नीचे उतारने लगा. साहिल भी नीचे उतर गया. और जेब से पैसे निकाल कर रिक्शे वाले को दिए. तिवारी ने बॅग्स उठाए. और मेन गेट पर जाकर खट खाटाया. तिवारी की उम्र करीब 50 साल थी. जब साहिल ने तिवारी को स्टेशन पर देखा, तो उसे कुछ अजीब सा लगा. और वो उसकी पत्नी यानी हरिया की बेटी की उम्र का अंदाज़ा लगाने लगा.

जब राज ने साहिल की माँ की हत्या की थी. तब पूनम 19 साल की थी. और आज 12 साल बाद उसके हिसाब से पूनम की उम्र 30 से ऊपेर होनी चाहिए. पर अगर वो 30 साल की है तो, हरिया ने अपनी बेटी के शादी इतनी बड़े उम्र के आदमी के साथ क्यों करवा दी.

तभी गेट खुलने से साहिल अपने ख़यालों की दुनियाँ से बाहर आया. जैसे ही गेट खुला. तो उसने देखा, कि सामने लाइट ब्लू कलर की साड़ी पहने कोई 31-32 साल की औरत खड़ी है. साहिल ने अंदाज़ा लगाया. ये पूनम ही होगी.

तिवारी: पूनम ये लो साहिल बाबू जी आ गये.

पूनम ने साहिल की तरफ देखा. इससे पहले पूनम ने साहिल को बचपन मे देखा था, वो कुछ पलों के लिए मंत्र मुग्ध होकर साहिल की ओर बिना पलकें झपकाए देख रही थी.

तिवारी: अर्रे ऐसे क्या देख रही है ? यही हैं साहिल बाबू.

पूनम तिवारी की आवाज़ सुन कर जैसे होश मे आई. और साहिल की ओर देखते हुए, एक साइड मे हो गयी. तिवारी बॅग्स लेकर घर के अंदर जाने लगा.

तिवारी: आए बाबू जी.

साहिल भी पूनम को देख रहा था. पर दोनो के देखने मे अंतर था. जब तक साहिल पूनम के पास से होकर अंदर नही चला गया, पूनम अपनी नज़रें साहिल पर से हटा नही पाई. जब साहिल अंदर चला गया, तो पूनम ने गेट बंद किया, और अंदर आकर सीधा, किचिन मे चली गयी, और चाइ नाश्ता तैयार करने लगी.

तिवारी ने साहिल का समान एक रूम मे रख दिया. साहिल तिवारी के पीछे उस रूम मे आ गया. और चारो तरफ देखने लगा. तिवारी ने समझा कि शायद साहिल के लिए रूम छोटा है.

तिवारी: साहिल बाबू ये कमरा भले ही छोटा है, पर यकीन मानिए. आप को यहाँ कोई तकलीफ़ नही होगी.

साहिल: नही नही ऐसी कोई बात नही है.

तिवारी: ठीक है बाबू जी. आप जाकर मुँह हाथ धो लो. पूनम चाइ बना रही है.


तिवारी ने साहिल को बाथरूम दिखाया, और साहिल फ्रेश होने के लिए चला गया. बाथरूम से निकलने के बाद साहिल की नज़र तिवारी पर पड़ी. जो बाहर बैठक मे तैयार हो रहा था. साहिल उसके पास चला गया.

साहिल: आप कहीं जा रहे हैं.

तिवारी: जी हां. ड्यूटी पर जा रहा हूँ. मेरी इस हफ्ते नाइट ड्यूटी है. तभी पूनम भी रूम मे आ गयी. उसने चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा, और चोर नज़रों से एक बार साहिल क़ी ओर देखते हुए, बाहर चली गयी.

तिवारी काम पर चला गया, पूनम ने रात का खाना बनाया, और साहिल को देकर अपने रूम मे चली गयी. अगली सुबह हरिया अपनी बेटी के घर आया. और साहिल से मिला. और आगे सुमन ने क्या करने के लिए कहा है, उसके बारे मे बताया. पर राज को जाल मे फँसाने के लिए ना तो सुमन के पास कोई चाल थी. और ना है साहिल के पास. आज ये कहानी फिर से उसी मोड़ पर आकर खड़ी हो गयी है. यहाँ से राज इंसान से दरिंदे के रूप मे आया था.

इंसान बन कर ना तो सुमन राज को मात दे सकती थी, और ना ही साहिल के बस की बात थी. इंतजार था तो, बस उस वक़्त का जब इन दोनो मे से किसी के दिमाग़ के ऊपेर शैतान का साया पड़ता. सुबह 10 को जब तिवारी वापिस आया तो, साहिल ने उसे सारी बात बताई. कि आगे हरिया काका क्या करने को कह गये हैं.

तिवारी: ठीक है बाबू जी. परसों सनडे हैं. और मुझे छुट्टी रहती हैं. हम परसों ही गाँव चलेंगे. खाना खाने के बाद जब साहिल अपने रूम मे आराम कर रहा था, तब उसे प्यास लगी. वो उठ कर किचिन के तरफ गया, और फ्रीज़र से पानी की बॉटल निकाल कर पानी पी कर वापिस अपने रूम मे आने जाने लगा.

जैसे ही साहिल तिवारी के रूम के सामने से गुज़रा, तो उसे पूनम के आवाज़ सुनाई दी. उसकी आवाज़ मे दर्द सॉफ झलक रहा था. साहिल विंडो के पास खड़ा हो गया, और अंदर झाँकने लगा. पुरानी खिड़की की लकड़ी मे कई झिर्रियाँ थी. जब उसने अंदर झाँक कर देखा तो, पाया कि पूनम तिवारी के बगल मे लेटी हुई है, और अपने हाथ से तिवारी के लंड को धोती के ऊपेर से सहला रही है…..पर तिवारी ने उसका हाथ झटक दिया….. और गुस्से से बोला.

तिवारी: साली रांड़ चुप कर के सो जा. मैं रात भर के काम से थका हूँ. और तू मुझ सोने नही दे रही है.

पूनम: तो फिर मे क्या करूँ. अगर तुम मेरी ज़रूरत को पूरा नही कर सकते थे. तो फिर मुझसे शादी क्यों की.

तिवारी: साली ज़बान लड़ाती है. मैं नही गया था, तेरा रिस्ता माँगने….तेरा ही बाप ही आया था. जब लोगो को पता चला कि, राज ने तेरे साथ ज़बरदस्ती की है, तब तेरे से कोई शादी करने के लिए भी राज़ी नही था. तू तो मेरा अहसान मान कि, मैने तेरे से शादी कर ली. अब चल पीछे हट और मुझ सोने दे.

तिवारी ने करवट बदली, और लेट गया. साहिल ने देखा कि, पूनम की आँखे आँसुओं से भरी हुई थी. साहिल अपने रूम मे आ गया, अब उसे सब समझ मे आ चुका था कि, हरिया ने अपनी बेटी पूनम की शादी उसकी उम्र के 15 साल बड़े आदमी के साथ क्यों की.

अगले दिन सनडे था. जैसा सुमन ने हरिया से कहलवाया था, उसी के मुताबिक़ तिवारी साहिल को लेकर गाँव पहुँच गया. सुमन का दिल डर के मारे जोरों से धड़क रहा था. उसे डर था कि, कहीं राज साहिल को पहचान ले.

दोपहर के वक़्त राज हवेली के बाहर गार्डेन मे बैठा हुआ था. सुमन भी उसी के पास बैठी थी. बार-2 उसकी नज़र गेट की तरफ जा रही थी. और राज न्यूसपेपर पढ़ने मे मसरूफ़ था.
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तभी सुमन को बाहर से साहिल और तिवारी अंदर आते हुए नज़र आए. सुमन के दिल की धड़कन एक दम से थम गयी. ….उसने साहिल को राज के सामने बुला कर बहुत बड़ा रिस्क लिया था….. जब साहिल और तिवारी उनके पास आ गये, तो राज ने उनकी तरफ देखा…..और तिवारी को देखते हुए बोला.

राज : आओ तिवारी कैसे आना हुआ.

तिवारी: नमस्ते राज बाबू जी. ये मेरे चाचा का लड़का है. पढ़ा लिखा है. अगर इसके लिए कोई काम मिल जाए तो, आप की बड़ी मेहरबानी होगी.

राज : (साहिल की ओर देखते हुए) अच्छा, पर तुम इसे अपने साथ अपनी फॅक्टरी मे क्यों नही लगा देते.

तिवारी: वो क्या है ना बाबू जी. दरअसल अभी इसके रहने का यहाँ कोई इंतज़ाम नही है. और मैने भी फॅक्टरी मे पता किया था. पर अभी वहाँ कोई जगह खाली नही है. अगर आप काम दे तो. ये यहीं मेरे ससुर के पास रह भी लेगा.

राज : क्या नाम हैं तुम्हारा.

साहिल: (एक दम से चोन्कते हुए) जी अजय.

राज : कहाँ तक पढ़े हो ?

साहिल: जी. मैं 12थ तक पढ़ा हूँ.

राज : फिर तो तुम्हे अभी आगे और पढ़ना चाहिए.

साहिल: जी चाहता तो मे भी हूँ. पर घर वालों की ग़रीबी के चलते. अब मुझ काम करना चाहिए.

राज : और क्या जानते हो.

साहिल: जी मुझ हर तरहा की गन चलाना भी आता है.

राज : ओह्ह तुम सच कह रहे हो? तुम्हे देख कर तो ऐसा लगता है. जैसे तुमने कभी कोई गन पकड़ी ना हो. वैसे कहाँ से सीखा ?

साहिल: जी घर पर थी…..बस अपने आप आ गयी.

राज : ठीक है, तुम परसो से आ जाना. कुछ ना कुछ काम तो तुम्हारे लिए ज़रूर निकालेंगे….

साहिल: जी ठीक है.

साहिल और तिवारी दोनो वापिस आ गये…..घर आते ही दोनो ने खाना खाया. और तिवारी सोने के लिए चला गया…..उसे रात को ड्यूटी पर भी जाना था….साहिल बाहर बैठक मे बैठा हुआ टीवी देख रहा था….साहिल के पास कुछ करने को था नही… इसीलिए वो वहीं बाहर सोफे पर बैठे- 2 सो गया….पूनम घर की सॉफ सफाई कर रही थी…..जब वो बैठक मे पोन्छा लगाने के लिए आई तो, साहिल को सोफे पर लेटा देखा…..

पूनम की नज़रें साहिल के बदन के ऊपेर जम गयी…..गर्मी होने के कारण साहिल ने सिर्फ़ बनियान और पजामा पहना हुआ था…..साहिल की बालिश्ट बाहें देख कर पूनम का मन मचल उठा…..वो जल्दी से अपने रूम मे गयी, और तिवारी की ओर देखने लगी….तिवारी गहरी नींद मे सो रहा था…..

पूनम के दिमाग़ मे अनेकों ख़याल आ जा रहे थे….वो ये सोचते हुए, फिर से बैठक की तरफ जाने लगी कि, साहिल अभी जवान हैं. अगर वो उसको अपने हुश्न के जलवों का दीदार करवा दे तो, साहिल उसकी प्यास बुझा सकता है. और वैसे भी साहिल के बदन मे भी उन्ही ठाकूरो का खून है. जो अयाशी के लिए जाने जाते हैं….

अंदर आते ही, पूनम ने एक बार फिर से साहिल की तरफ देखा. साहिल सो रहा था. पूनम ने अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे से हटा कर उसे अपनी कमर मे फँसा लिया…..और अपने ब्लाउस के ऊपेर के दो हुक्स को खोल लिया…फिर उसने अपनी साड़ी को घुटनो तक चढ़ा लिया….और पोन्छा लगाने के लिए बैठ गयी….पोन्छा लगाते वक़्त उसकी चूड़ीयाँ खनक कर बहुत शोर कर रही थी…..जिससे साहिल एक दम से उठ गया……

और सोफे पर बैठ गया……साहिल अपनी हाथों से अपनी आँखों को मलता हुआ, सोफे पर बैठ गया…..तब तक पूनम साहिल के पैरो के पास पहुँच गयी……

पूनम: बाबू जी अपने पैर ऊपेर कर लो…..

साहिल ने अपने हाथों को अपनी आँखों से हटाया…..और जैसे ही उसने पूनम की तरफ देखा, तो वो एक दम से हैरान रह गया….पूनम की चुचियाँ आधे से जयदा बाहर झलक रही थी….उसकी चुचियाँ उसके घुटनो से दब कर बाहर आने को हो रही थी….घुटने के दबाब के कारण, पूनम के साइड की चुचि का निपल भी सरक कर उसकी ब्रा के ऊपेर से बाहर आ गया था…..जो साहिल की आँखों के ठीक सामने था…….

जब साहिल के नज़रें उसकी चुचियों पर अटकी हुई थी….तो पूनम ने शरमाने का नाटक करते हुए, फिर से साहिल को ऊपेर पाँव करने के कहा….और अपना ब्लाउस सेट करने लगी…..साहिल एक दम से झेन्प गया, और वो उठ कर बाहर चला गया….पूनम उदास सी होकर रह गयी…….साहिल के दिमाग़ मे आँखो ख़याल आ रहे थे….वो पहले भी कई बार नोट कर चुका था कि, पूनम उसकी तरफ कुछ अजीब सी ही नज़रों से देख रही थी……

जो रूम साहिल को रहने के लिए दिया गया था…..साहिल उसमे आकर लेट गया….. उसके दिमाग़ मे हज़ारों सवाल आ रहे थी…..जब साहिल और तिवारी सुबह राज के घर गये थे……तब साहिल ने वहाँ पर देखा था कि, राज की हवेली चारो तरफ से कैसे उसके पाले हुए गुण्डों से घिरी हुई है…..अब ऐसे मे अगर उसको शेर का शिकार करना है, तो उस शेर को उसकी मांद से बाहर निकालना पड़ेगा. और वो भी अकेले…….

यही सब सोचते-2 अचानक से साहिल के दिमाग़ मे एक बात आई…..और वो ये थी कि, राज को अकेले कहीं दूर ले जाने के लिए, बस सिर्फ़ एक ही शख्स उसकी मदद कर सकता है, और वो थी, पूनम. राज की नज़र शुरू से ही पूनम पर थी…..और पूनम ही एक ऐसी चिड़िया थी…..जो राज नाम के बाज के पंजे मे नही आई थी……

हां ये बिकुल ठीक रहेगा…..पूनम राज को हवेली से दूर कहीं अकेले मे बुला सकती है…पर क्या वो मेरी मदद करने के लिए राज़ी होगी……मुझ नही लगता…..कि वो मेरे बात मानेगी…….

फिर साहिल के दिमाग़ ने फिर से नयी चाल सोची…..जो किसी के शैतानी दिमाग़ की सोच से कम नही थी….थोड़ी देर पहले ही तो, पूनम ने उसकी राह आसान कर दी थी…..एक बार अगर साहिल उसके बदन की प्यास को बुझा दे तो, वो उससे कोई भी काम ले सकता था……पूनम तो पहली नज़र से साहिल पर मर मिटी थी…….साहिल सो गया…..वो रात को तिवारी के जाने का इंतजार कर रहा था…….

शाम के 5:30 बजे तिवारी ने साहिल को आकर उठाया…..साहिल उठ कर बाथरूम मे चला गया…..जब वो बाहर आया तो, तिवारी तैयार हो चुका था….साहिल को देखते ही तिवारी मुस्कुराते हुए बोला…..आएँ बाबू जी चाइ पी लो. मैं भी ड्यूटी के लिए निकलने वाला हूँ.

तिवारी ने खाना खाया, और घर से निकल गया…..अब साहिल और पूनम दोनो घर पर अकेले थे…..दोपहर की घटना के कारण पूनम साहिल के सामने नही आना चाहती थी…..उसकी हिम्मत नही हो रही थी, कि वो साहिल के सामने जाए…..उधर साहिल का भी यही हाल था…..वो चाहते हुए भी, पूनम के सामने नही जा पा रहा था…..पूनम किचिन से बाहर बार-2 बैठक की ओर देख रही थी.

वो सोच रही थी कि, कब साहिल अपने रूम मे जाए….और वो तिवारी के झूठे बर्तनो को वहाँ से उठाए…..पर साहिल भी जानता था कि, पूनम बर्तन उठाने ज़रूर आयगी….आख़िर कार जब साहिल वहाँ काफ़ी देर तक बैठा रहा….तो पूनम हिम्मत करके किचिन से बाहर आकर बैठक की तरफ जाने लगी….जब साहिल ने पूनम को अपनी तरफ आते देखा, तो पूनम ने अपने सर को झुका लिया….और बैठक मे आ गयी…..

पूनम ने अपने बदन को साड़ी से अच्छे से ढक रखा था…..और वो साहिल की तरफ देख भी नही रही थी…..जिसका कारण साहिल अच्छे से जानता था…..जैसे ही पूनम बर्तन उठा कर किचिन मे जाने लगी, तो साहिल ने उसे पीछे से आवाज़ लगाई….

साहिल: सुनिए. ?

पूनम: (साहिल की आवाज़ सुन कर एक दम चोंक गयी) जी.

साहिल: (घबराते हुए) वो मेरी गर्दन के पीछे दर्द हो रहा है. क्या आप मूव लगा देंगी…..

पूनम: (पूनम को साहिल की बात थोड़ी सी अजीब से लगी. पर वो हां कह कर किचिन मे बर्तन रखने चली गयी.) जी मैं लगा देती हूँ.

जैसे ही पूनम किचिन मे गयी…..साहिल ने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. अब उसके बदन पर सिर्फ़ एक पजामा था……बर्तन रखने के बाद पूनम अपने रूम मे गयी….और मूव उठा ले आई….जैसे ही वो बैठक मे पहुँची , तो उसके दिल की धड़कन थम गयी…..अंदर साहिल अपनी शर्ट और बनियान उतार कर खड़ा था….पूनम की नज़रें साहिल के गोरे बदन और चौड़ी छाती पर गढ़ गयी….एक पल के लिए पूनम ने अपनी तरसती नज़रों से साहिल के गोरे और गठीले बदन को देखा, और फिर अपनी नज़रें झुका कर साहिल की तरफ बढ़ने लगी.

जैसे ही पूनम साहिल के पास पहुँची …..साहिल पूनम की तरफ पीठ करके खड़ा हो गया…..दोनो मे से कोई कुछ नही बोल पा रहा था….पूनम ने मूव खोली, और थोड़ा सा अपने हाथ की उंगलियों पर लगा कर, साहिल की गर्दन और कंधे की मांसपेशियों पर लगा कर मलने लगी….
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साहिल को पूनम के हाथ का स्पर्श पहले के कुछ पलों के लिए बेहद अजीब सा लगा…ये पहली बार था कि, कोई औरत उसके बदन को इस तरहा छू रही थी… पूनम का हाथ भी कांप रहा था….पूनम बिना कुछ बोले कुछ देर तक अपने हाथों से साहिल की गर्दन और कंधो की मालिश करती रही.

फिर अचानक साहिल पूनम की तरफ घूम गया….दोनो की नज़रें आपस मे टकराई…. पूनम साहिल की आँखों मे अपने सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिस कर रही थी….

साहिल : (अपने हाथ से इशारा करते हुए) यहाँ आगे भी लगा दो….यहाँ बहुत दर्द कर रहा है.

पूनम ने अपनी आँखे झुका ली….और थोड़ी से क्रीम लेकर, साहिल के कंधों के आगे की तरफ मालिश करने लगी…..पूनम ने अपने सर को झुका रखा था….उसकी तेज चलती साँसों की आवाज़ साहिल को सुनाई दे रही थी…..ये साहिल के लिए इम्तहान की घड़ी थी….उसने अपना एक हाथ उठा कर पूनम की कमर पर रख दिया….जहाँ पूनम ने अपनी साड़ी बाँधी हुई थी…उससे थोड़ा सा ऊपेर.

अपने नंगे पेट और कमर पर साहिल के हाथ को महसूस करके, पूनम का पूरा बदन कांप गया…..उसका दिल जोरों से धड़कन लगा…..पूरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी……पर पूनम कुछ ना बोल पे…..साहिल का हाथ धीरे- 2 पूनम की कमर से होते हुए, उसकी नाभि पर आ गया…..पूनम के हाथ साहिल के कंधों पर रुक गये….उसकी आँखे बंद हो गयी…..और उसके मुँह से मस्ती भरी हल्की सी आहह निकल गई……

पर अगले ही पल साहिल ने अपने हाथों को पूनम के बदन से हटा लिया…..पर पूनम अभी भी अपनी आँखे बंद किए, तेज़ी से साँसे ली रही थी….

साहिल: बस हो गया…..

साहिल की आवाज़ सुन कर जैसे पूनम को होश आया…..वो पीछे हट गयी……उसने साहिल की ओर देखा…..और शरमा गयी…..और मुस्कुराते हुए अपने रूम मे चली गयी…..
रात को साहिल अपने रूम मे बैठा सोच रहा था कि, क्या वो जो कर रहा है, वो सही है. कहीं वो अपने स्वार्थ के लिए पूनम का इस्तेमाल तो नही कर रहा. अगर मेरी वजह से पूनम की जिंदगी मे कुछ बुरा हुआ तो, मे अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा……पर इसके इलवा मेरे पास और कोई चारा भी नही है.

साहिल इन्ही सब ख़यालों मे खोाया हुआ था, कि अचानक से डोर पर नॉक हुआ. साहिल बेड से उठ कर डोर पर गया, और डोर खोला….बाहर पूनम खड़ी थी. उसके होंठो पर कातिल मुस्कान थी……

पूनम: (मुस्कुराते हुए) खाना तैयार है. आ जाइए.

पूनम ये कह कर मूड गयी…..साहिल जानता था कि, अब घर पर उन्दोनो के बीच मे कोई नही आने वाला है…..पर वो अभी भी थोड़ा घबरा रहा था….साहिल बाहर आकर बैठक मे बैठ गया…..पूनम ने चेर के सामने लगी टेबल पर खाने की प्लेट्स को लगा दिया.

पूनम खाना लगा कर वापिस अपने रूम मे चली गयी. साहिल ने खाना खाया , और वहीं बैठ कर टीवी देखने लगा. पूनम ने अपने रूम मे ही खाना खा लिया था…..थोड़ी देर बाद पूनम अपने रूम से बाहर आई. और टेबल पर पड़ी प्लेट को उठा कर किचिन मे ले गयी….इस दौरान पूनम ने साहिल से नज़रें नही मिलाई…

जब पूनम बर्तन सॉफ करके, वापिस अपने रूम मे जा रही थी….तो वो अपने रूम के दरवाजे की दहलीज पर खड़ी हो गयी……साहिल का ध्यान टीवी मे था….पूनम तब तक वहीं खड़ी उसकी तरफ देखती रही….जब तक साहिल ने अचानक से उसकी तरफ नही देखा…..जब साहिल और पूनम की नज़रें आपस मे टकराई. तो पूनम ने बड़ी है अदा के साथ मुस्कुराते हुए साहिल की तरफ देखा, और आँखों ही आँखों मे साहिल को अपने रूम मे आने के लिए कहा….

पूनम मुस्कुराते हुए अपने रूम मे चली गयी….. साहिल के दिमाग़ ने एक पल के लिए काम करना बंद कर दिया…..उसे समझ मे नही आ रहा था, कि आख़िर वो रूम मे जाए कि नही….आख़िर बहुत हिम्मत करने के बाद, साहिल उठ कर पूनम के रूम की तरफ बढ़ने लगा….उसके पैर कांप रहे थे….साहिल को ऐसा लग रहा था कि, वो पूनम के रूम के अंदर जा ही नही पाएगा.

पर धीरे-2 काँपते कदमों से चलते हुए, आख़िर कार साहिल पूनम के रूम के डोर के पास पहुँच गया…..और फिर कुछ देर वहीं खड़ा रहा….मानो जैसे अंदर जाने के लिए हिम्मत जुटा रहा हो….आख़िर कार हिम्मत करके साहिल ने डोर को धकेला, डोर खुल गया…..अंदर जो नज़रा उसने देखा, उसको देख कर साहिल के दिल की धड़कन और तेज हो गयी….अंदर ट्यूब लाइट जल रही थी…….


पूनम बेड पर लेटी हुई थी….उसने अपनी साड़ी ब्लाउस और पेटिकॉट को उतार रखा था…..और अपने नंगे बदन को अपनी रेड कलर की साड़ी फैला कर ढक रहा था.. पूनम का गठीले बदन का हर हिस्सा उस ट्रॅन्स्परेंट साड़ी मे झलक रहा था. यहाँ तक कि, पूनम की चूत पर हल्के बाल भी उसे दिख रहे थे….पूनम की चुचियाँ एक दम तनी हुई और कसी हुई थी….

साहिल अपने पजामे मे अपने टाइट हो रहे लंड को महसूस कर पा रहा था…और पूनम उसकी तरफ बड़ी ही कातिल अदा के साथ देखते हुए, मुस्कुरा रही थी…

पूनम: (होंठो पर कामुक मुस्कान लाते हुए) क्या देख रहे है, साहिल बाबू जी…. आए अंदर आइए…..यहाँ जो कुछ है सब आपका ही तो है.

साहिल पूनम की बातों का मतलब अच्छी तरहा से समझ रहा था….साहिल ने रूम मे दो कदम अंदर आकर रूम का डोर बंद कर दिया….और पूनम की तरफ बढ़ने लगा……बेड के जिस तरफ पूनम के पैर थे, साहिल उस तरफ जाकर खड़ा हो गया….

पूनम: क्या सोच रहे हैं बाबू जी.

साहिल के मुँह से एक शब्ब नही निकला, पर जो साहिल ने किया…..पूनम को उसको बिल्कुल अंदाज़ा भी नही थी….उसने पूनम के बदन के ऊपेर पड़ी साड़ी को पकड़ कर खैंच दिया…जैसे ही पूनम की साड़ी, खिसकते हुए, उसकी चुचियों से नीचे हुई, पूनम ने झट से साड़ी को पकड़ लिया…..

दोनो एक दूसरे की आँखों मे देख रहे थे….पूनम की साँसें भी तेज हो चली थी…साहिल ने साड़ी को पकड़े हुए, हलका सा झटका दिया….और पूनम ने साड़ी छोड़ दी…..अगले ही पल पूनम के बदन पर पड़ी वो पारदर्शी साड़ी भी अलग हो गयी…..उसका गठीला बदन साहिल की आँखों के सामने था…..

साहिल अब अपने साज़िश के खेल से कुछ आगे बढ़ चुका था…..अब ये सिर्फ़ खेल नही था….वासना साहिल के सर चढ़ कर बोल रही थी….और साहिल ने अपनी बनियान और पाजामे को उतार फैंका…..जैसे ही साहिल ने अपना पाजामा उतारा…..पूनम की नज़रें साहिल के उभरे अंडरवेर पर अटक गयी…..साहिल बेड के दूसरी तरफ घूम कर गया, और बेड पर चढ़ गया…..पूनम अपनी जाँघो को बीच अपने कोहनियो के सहारे अढ़लेटी हालत मे थी…..
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12-20-2019, 01:36 PM,
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
साहिल ने बेड पर आते ही….पूनम की टाँगों को नीचे से पकड़ कर फैला दिया, और उसकी टाँगों के बीच घुटनो के बल बैठ गया……पूनम ये सब बड़ी हैरानी से देख रही थी…..उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था, कि साहिल उसके साथ ऐसे पेश आएगा….अब पूनम अपनी कमर के पीछे की तरफ अपनी हथेलियो को टिका कर बैठी हुई थी…..ना तो पूनम कुछ बोल पा रही थी…..और ना ही साहिल कुछ बोल रहा था…..

साहिल ने पूनम के फेस को अपने दोनो हाथों मे भर लिया, और अपने होंठो को पूनम के होंठो की तरफ बढ़ाने लगा…..पर पूनम ने अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा लिया…..साहिल ने फिर से पूनम को फेस को सीधा किया…..और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ाया….पर इस बार फिर पूनम ने अपने फेस को उल्टी तरफ घुमा लिया…..साहिल के होन्ट पूनम के गालों पर जाकर सट गये…..

साहिल के नरम होंठो का स्पर्श अपने गालों पर महसूस करते ही, पूनम के बदन मे सिहरन सी दौड़ गयी….और उसके मुँह से मस्ती भरी आहह निकल गये……और उसने अपनी आँखे बंद कर ली…..साहिल ने इस बार पूनम के फेस को कस के अपने हाथों मे पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया, और उसके होंठो पर अपने होंठो को रख दिया……

पूनम के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….उसका पूरा बदन कांप गया….और उसने अपने हाथों को बेड से हटा कर साहिल के कंधों को कस के पकड़ लिया…..साहिल पूनम के होंठो को धीरे-2 चूस रहा था….और पूनम ने अपनी बाहों मे साहिल को जाकड़ रखा था…..

कभी पूनम साहिल के होंठो को चुस्ती, तो कभी, साहिल पूनम के होंठो को अपने होंठो मे दबा-2 कर चूस्ता……पूनम अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी…उसका पूरा बदन कांप रहा था…..साहिल ने अपने हाथों को पूनम के जाँघो के नीचे से डाल कर उठा लिया…..अब पूनम साहिल की गोद मे बैठी हुई थी…..उसकी टाँगें साहिल की कमर के इर्द गिर्द लिपट गयी…..

जिससे साहिल का तना हुआ लंड अंडरवेर मे ही से, पूनम की चूत पर आ टिका…. जैसे ही पूनम को अपनी चूत की फांकों पर साहिल के सख़्त लंड का अहसास हुआ, तो पूनम ने साहिल को अपनी बाहों मे ज़ोर से कस लिया….और एक हाथ से साहिल के बालों को सहलाते हुए, अपने होंठो को चुस्वा रही थी….साहिल भी पूरी मस्ती मे आकर एक हाथ से पूनम की राइट चुचि को मसल रहा था. और दूसरे हाथ को पूनम को चुतड़ों की तरफ बढ़ा रहा था…..

जैसे ही साहिल ने पूनम की गान्ड को अपने हाथ मे लेकर मसला, पूनम की कमर मस्ती मे आकर झटके खाने लगी…..और उसकी चूत के फाँकें अंडरवेर के ऊपेर से साहिल के लंड पर तेज़ी से रगड़ खाने लगी…..

पूनम: (तेज़ी से अपना हाथ नीचे ले जाकर साहिल के लंड को बाहर निकालते हुए) आह बाबू जीए…..जल्दी से अपना लंड मेरी चूत मे डाल दो….अब और सहा नही जाता……

जैसे ही साहिल का लंड उसके अंडरवेर से बाहर आ आया…..पूनम ने अपनी गान्ड को साहिल की जाँघो से थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया, और हाथ से पकड़े हुए, साहिल के लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर लगा दिया……साहिल के लंड का गरम सुपाडा अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही, पूनम के रोम-2 मे मस्ती और कामुकता की लहर दौड़ गयी…….उसकी चूत के छेद मे कुलबुलाहट होने लगी….

पूरा बदन मस्ती मे थर-2 काँपने लगा…..कमर रह-2 कर झटके खाने लगी….और आँखे बंद हो गयी…..

पूनम: (अपने होंठो को अपने दाँतों से चबाते हुए) ओह्ह्ह बाबू जी…..पेलो ना…सोच क्या रहे हो…..उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईई बाबू जीई जल्दी करो…..

पूनम की कामुकता देख साहिल ने अपने दोनो हाथों से पूनम की गान्ड को अपने हाथों मे थाम लिया…..और थोड़ा सा ऊपर उठकर अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उछाला…..साहिल के लंड का सुपाडा, पूनम की चूत मे, जो कि पहले से उसके काम रस से भीगी हुई थी, फिसलता हुआ अंदर चला गया….पूनम एक दम से तड़प उठी…..जैसे बरसों पड़ी सुखी बंजर ज़मीन पर बारिश मेहरबान हो गयी हो….

पूनम साहिल से एक दम सट गयी….उसकी गुदाज़ चुचियाँ साहिल की चैस्ट मे धँस गयी…..साहिल को अपनी चैस्ट पर पूनम के कड़े निपल्स धन्से हुए महसूस हो रहे थे…..पूनम के हाथ तेज़ी से साहिल की पीठ को सहला रहे थे….और पूनम मस्ती मे तेज चलती साँसों के साथ अह्ह्ह्ह सीईइ उम्ह्ह्ह्ह जैसी सिसकारियाँ ले रही थी……

पूनम की चूत के छेद का छल्ला साहिल के लंड के सुपाडे को बुरी तरहा से जाकड़ रखा था…….साहिल धीरे-2 पूनम के चुतड़ों को मसलते हुए, अपने होंठो को पूनम की चुचियों पर रगड़ रहा था…..पूनम मस्ती के सागर के लहरों मे डूब चुकी थी…..जिससे उसकी कमर खुद ब खुद ही आगे की तरफ झटके खाने लगी……चूत एक दम गीली हो चुकी थी…..जैसे ही पूनम की कमर झटके खाती, हर बार साहिल का लंड और ज़्यादा अंदर उतर जाता…

पूनम साहिल के लंड के मोटे सुपाडे की रगड़ को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके कसमसा रही थी….उसके हाथों के नाख़ून साहिल की पीठ मे गढ़ने लगे थे…..और ये सब साहिल को भी बहुत अच्छा लग रहा था….पूरा रूम पूनम की सिसकयों से गूँज रहा था…..

कुछ ही पलों मे साहिल का लंड का जड तक पूनम की चूत के समा गया…..साहिल के लंड का सुपाडा पूनम की चूत के अंदर बच्चेदानी से जा टकराया. पूनम के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी…..उसने अपनी बंद मस्ती भरी आँखों को धीरे से खोला…..और साहिल की आँखों मे देखने लगी….

पूनम: ओह्ह्ह बाबू जीए…….अब बस जल्दी से मेरी प्यसस बुझा दो……चोद डालो मुझे…..जल्दी करो….नही तो मे पागल हो जाउन्गी…..

पूनम की बात सुनते ही, साहिल ने पूनम को अपने बाहों मे जाकड़ कर धीरे-2 बेड पर लेटा दिया…..पूनम के पैर दोनो तरफ फैले हुए थे…जैसे ही साहिल पूनम के ऊपेर आया….पूनम ने अपने पैरो को साहिल की कमर के इर्द गिर्द कस लिया……और अपनी बाहों को साहिल के गले मे डाल कर उससे कस के चिपक गयी…..एक बार फिर से पूनम के कड़े निपल साहिल की छाती मे चुभने लगे…. जो साहिल को और मस्त किए जा रहे थे…..

साहिल ने पीछे से अपनी कमर को ऊपेर की ओर उठाना चालू कर दिया…..साहिल का लंड पूनम की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ, सुपाडे तक बाहर आ गया. पूनम ने साहिल की आँखों मे देखा…..जैसे वो कह रही हो….मे तैयार हूँ. तुम्हारा लंड फिर से अपनी चूत मे लेने के लिए…साहिल ने तेज़ी से अपने लंड को पूनम की चूत के अंदर की तरफ पेला…….

साहिल के लंड का मोटा सुपाडा पूनम की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ, एक बार फिर से पूनम की चूत की गहराइयों मे उतर गया…..पूनम बुरी तरहा मचल गयी…..उसके पूरे बदन मे वासना की खुमारी छा गयी….उसकी आँखे फिर से मस्ती के नशे मे बंद होने लगी….उसने साहिल के सर को अपनी चुचियों पर दबा लिया…….

पूनम: ओह्ह बाबू जीईईई…..बहुत मज़ा आ रहा है….हां ऐसे ही चोद डालो मुझे ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह……आप बहुत अच्छा चोदते हैं…ओह्ह्ह्ह बाबू जीईई……..

साहिल ने धीरे-2 अपने लंड को पूनम की चूत के अंदर बाहर करना चालू कर दिया….साहिल के लंड का सुपाडा अंदर बाहर होते हुए, पूनम की चूत की दीवारों मे रगड़ ख़ाता…..और पूनम हर बार मस्त होकर सिसक उठती….वो पागलों की तरहा कभी साहिल के गालों को चूमती, तो कभी उसके होंठो से अपने होंठो को सटा देती…….

धीरे- 2 साहिले के धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी……और पूनम भी इतनी मस्त हो चुकी थी…कि वो भी अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उठाकर अपनी चूत मे साहिल के लंड को लेने लगी…..पूनम की गान्ड भी तेज़ी से ऊपेर नीचे हो रही थी……और साहिल का लंड पूनम की चूत के काम रस से भीग कर तेज़ी से बिना किसी रुकावट के अंदर बाहर हो रहा था……

पूनम: ओह्ह्ह बाबू जी मे झड़ने वाली हूँ…….और तेज़ी से चोदो मुझे…ओह्ह्ह और ज़ोर सीईई अहह मररर गयी…….

फिर पूरे रूम मे शान्ती छा गयी…..साहिल पूनम के ऊपेर लूड़क गयी….और उसके लंड से एक के बाद एक वीर्य की कई पिचकारियाँ निकल कर पूनम की चूत की दीवारों को भिगोने लगी…..


फिर पूरे रूम मे शान्ती छा गये…..साहिल पूनम के ऊपेर लूड़क गया….और उसके लंड से एक के बाद एक वीर्य की कई पिचकारियाँ निकल कर पूनम की चूत की दीवारों को भिगोने लगी…..

जैसे ही पूनम और साहिल दोनो की साँसें दुरस्त हुई, साहिल पूनम के बदन से नीचे उतरा, और बेड से उतर गया……वो पूनम की तरफ देख भी नही पा रहा था…..कहीं ना कहीं उसका दिल उसे अंदर है अंदर कचोट रहा था कि, वो अपने स्वार्थ के लिए पूनम का इस्तेमाल कर रहा है……साहिल ने अपना पाजामा पहना, और बाहर आ गया……..

उसके दिमाग़ को एक बार फिर से उलझनो ने घैर लिया था…..वो बाहर आकर बैठक मे सोफे पर बैठ गया…….वो अपनी सोच मे डूबा हुआ था कि, उसका ध्यान पूनम के आने की आहट से टूटा…..पूनम अपने बदन पर वही रेड कलर की साड़ी लपेटे हुए, उसकी तरफ बढ़ रही थी……वो किसी सेक्स की देवी से कम नही लग रही थी……

पूनम उसके पास आई, और सोफे पर रखे एक तकिये को नीचे रख कर साहिल की टाँगों के बीच बैठ गयी.

पूनम: क्या सोच रहे हैं बाबू जी ? बहुत उदास लग रहे हो. कहीं आपकी मेरे सेवा मे कोई कमी तो रह नही गयी.

साहिल: नही ऐसी बात नही है. बस थोड़ा सा परेशान हूँ ?

पूनम: किस बात को लेकर. कहीं उस दरिंदे को लेकर तो नही ?

साहिल: (हां मे सर हिलाते हुए) हां उसी को लेकर. मे आज भी जब उस दिन को याद करता हूँ, जब उसने मेरी माँ को मारा था. तो मेरी नसों मे खून किसी जवाला मुखी के लावे की तरहा दौड़ने लगता है. पर मैं चाह कर भी उसका कुछ नही कर पाउन्गा. वो तो हमेशा अपने आदमियों से घिरा रहता हैं. और सब के पास एक से बढ़ कर एक हथियार हैं.

पूनम: (साहिल की बात सुन कर सोच मे पड़ गयी) उसका इलाज है मेरे पास बाबू जी.

साहिल: (एक दम से चोन्कते हुए) वो क्या ?

पूनम: राज ने अपनी अयाशियों के लिए अपने खेतो के बीच मे एक छोटी हवेली बनवा रखी है. और वो अक्सर वहाँ जाता है. पर उसके आदमी उसके साथ ही होते हैं. हवेली के बाहर पहरा देते हैं.

साहिल: वही तो प्राब्लम है, उसके गुण्डों के बीच मे उसको कैसे मारू. मुझ समझ मे नही आता.

पूनम: वो अब आप सब मुझ पर छोड़ दो. राज को उस हवेली मे लेजाना अब मेरा काम है. और वो वहाँ पर अकेला आएगा.

साहिल: पर तुम उसे लाओगी कैसे ?

पूनम: (मुस्कुराते हुए) वो सब आप मुझ पर छोड़ दो.

ये कहते हुए, पूनम ने साहिल के पाजामा की तरफ अपने हाथ बढ़ाए. और पाजामा खोल कर साहिल के सिकुडे हुए लंड को मुँह मे भर लिया. साहिल के बदन मे करेंट दौड़ गया.

साहिल: उफफफ्फ़ ये ये क्या कर रही हैं आप ?
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12-20-2019, 01:36 PM,
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
साहिल के हाथ खुद ब खुद पूनम के सर पर पहुँच गये. पूनम अपनी नशीली आँखों से साहिल की ओर देखते हुए, साहिल के लंड को अपने होंठो मे दबा -2 कर चूसे जा रही थी….और साहिल की आँखे मस्ती मे बंद हो गयी. साहिल का लंड कुछ ही पलों मे पूरा तन चुका था.

पूनम ने साहिल के लंड को चूस्ते हुए, अपने हाथों से धीरे- 2 साहिल के पाजामे को उसकी टाँगों से निकाल दिया. और फिर सीधी खड़ी होकर अपने तन पर लिपटी हुई साड़ी को अलग करके फैंक दिया. उसकी 36 साइज़ की चुचियाँ उसके साँस लेने से ऊपेर नीचे हो रही थी. निपल एक दम तने और कड़े होकर छत की तरफ झाँक रहे थे.

पूनम साहिल की जाँघो के दोनो तरफ अपने पैरो को करके सोफे पर बैठ गयी, और साहिल के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा लिया.

पूनम: (वासना से भरी आँखों से साहिल की ओर देखते हुए) बाबू जी. अब और ना सोचें बस इस पल का मज़ा लीजिए.

ये कहते हुए, पूनम ने अपनी चूत को साहिल के लंड पर दबाना चालू कर दिया. पूनम के थूक से सना हुआ साहिल का लंड , उसकी चूत के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ,अंदर जाने लगा. आनंद के मारे पूनम की आँखे बंद हो गयी, और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की मादक आवाज़ पूरे रूम मे गूँज गयी. साहिल का लंड पूरा पूनम की चूत के अंदर उतर चुका था. साहिल तो मानो जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया हो. आने वाले दिनो को भूल कर वो भी वासना के सागर मे डूब गया.

और उसने पूनम की गुदाज मोटी चुचियों को अपनी हातेइयों मे भर कर ज़ोर से मसल दिया. पूनम के मुँह से उम्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की मादक ध्वनि निकल गयी, आँखे बंद और होंठो पर मुस्कान फैल गयी. अपनी इस कामुक मुस्कान मे वो और भी ज़्यादा सुंदर लग रही थी.

साहिल ने पूनम के दोनो निपल्स को अपनी उंगलियों मे लेकर मसल दिया, पूनम मछली की तरहा छटपटा कर साहिल के बदन से चिपक गयी. और उसकी कमर झटके खाने लगी. साहिल का लंड उसकी चूत के अंदर अपना कमाल दिखा रहा था. पूनम अपनी चूत की दीवारों पर साहिल के मोटे लंड की रगड़ को महसूस करके एक दम मस्त होकर अपनी कमर हिलाने लगी.
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12-20-2019, 01:38 PM,
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
पूनम ने अपनी बाहों से साहिल के सर को अपनी चुचियों मे दबोच लिया. साहिल भी पूरे जोश मे आ चुका था, उसने अपने दोनो हाथों से पूनम के चुतड़ों को कस्के पकड़ लिया, और तेज़ी से कमर हिलाते हुए, अपने लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा.

तेज धक्कों से पूनम के बदन मे मस्ती की लहरें दौड़ जाती, और वो और जोश मे आकर अपनी कमर को हिलाने लगती. आने वाले कल भूल कर दोनो जान अपनी काम वासना को पूरा करने मे लगे हुए थे. अगली सुबह जब पूनम उठी, तो उसने अपने आप को साहिल के रूम मे पाया, उसका हाथ साहिल के सिकुडे हुए लंड को थामे हुआ था. जब उसने टाइम देखा तो, वो जल्दी से उठी, और साहिल को उठा कर अपने रूम मे चली गयी.

जब तिवारी घर पर वापिस आया, तो साहिल तिवारी के साथ गाँव हवेली जाने के लिए तैयार हो गया, पूनम भी साथ जाने के लिए तैयार हो गयी. तिवारी ने मना नही क्या. तीनो हवेली आ गये. राज घर पर ही था.

राज : (साहिल और तिवारी को देखते हुए) आओ तिवारी. बातों कैसे आना हुआ ?

तिवारी: बाबू जी आप को बताया था ना. इसको काम ज़रूरत है .

राज : ओह्ह हां मे भूल गया था. चलो कोई बात नही. वैसे भी हमे आदमी की ज़रूरत थी. जो हमारे धंधों का हिसाब किताब रख सकें. पर ये तुम्हारा भरोसे मंद आदमी तो हैं ना.

तिवारी: जी बिल्कुल सरकार. ये पूरी ईमानदारी से काम करेगा.

राज : (पूनम की ओर देखते हुए) तो फिर ठीक है. मेरा एक आदमी इसे सब काम समझा देगा.

तिवारी: अच्छा बाबू जी मे चलता हूँ.

तिवारी वापिस चला गया. पूनम को जब राज अपनी वासना से भरी नज़रों से देख रहा था, तो पूनम मन है मन उसे गालियाँ दे रही थी. पर अपनी साज़िश को अंज़ाम देने के लिए , वो अपने होंठो पर कातिल मुस्कान लाकर , राज की ओर देखने लगी. और उसको तिरछी नज़रों से देखते हुए, पीछे अपने पिता हरिया के रूम मे चली गयी.

पूनम की कातिल अदाओं को देखते ही, राज के अंदर छुपी वासना जागने लगी. पर राज चुप- चाप बैठा रहा.

राज : (साहिल से) अच्छा अब तुम भी जाकर आराम कर लो. शाम को आ जाना. मेरा आदमी तुम्हे सब काम समझा देगा.

साहिल: जी सर.

साहिल भी पीछे हरिया के रूम मे आ गया. जब दोपहर हुई, तो पूनम आगे हवेली मे आ गयी. अब सब कुछ उसके ऊपर था. राज जैसे शेर को उसकी गुफा से बाहर लाने का काम उसका था. हवेली मे हरिया खाना तैयार कर रहा था. 2 बजे के करीब राज और सुमन दोनो खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गये. पूनम ने टेबल पर खाना लगाना चालू कर दिया.

राज अपनी वासना से भरी आँखों से पूनम के गदराए हुए बदन को ऊपेर से नीचे देखे जा रहा था. सुमन ने भी ये बात नोटीस की. जो पूनम राज से दूर रहना ही ठीक समझती थी. वो आज मुस्कुराते हुए, अपने हुश्न का जलवा राज को दिखा रही थी.

खाना खाने के बाद राज हवेली से निकल गया, किसी काम के सिलसिले मे. पूनम किचिन मे से निकल कर जाने लगी, तो सुमन ने उसे पीछे से आवाज़ दी. पूनम सुमन के पास आई.

सुमन: ये तुम क्या कर रही हो ?

पूनम: (मुस्कुराते हुए) आपकी मदद कर रही हूँ. बीबी जी.

सुमन: मेरी मदद और इस तरहा.

पूनम ने फिर सारी बात सुमन को बताई. जो सुमन इतने दिनो से नही सोच सकी थी. उसको पूनम ने सोच लिया था. और सुमन के दिमाग़ से बहुत बड़ा बोझ उतर गया था.

पूनम: पर इसके लिए आपको हमारा साथ देना होगा .

सुमन: ओके ठीक है. जैसे तुम कहो.

पूनम: सबसे पहले आप को मुझे और राज को कुछ वक़्त देना पड़ेगा. ताकि मे उसको रिझा सकूँ.

सुमन: तुम जो कर रही हो ? वो ठीक तो है ना ?

पूनम: हां बिकुल ठीक कर रही हूँ. आप बस बेफिकर हो जाएँ.

सुमन: ठीक है.

शाम को राज हवेली वापिस आया तो, उसने पाया कि, पूनम हवेली के हाल मे बैठी हुई, रात के खाने की तैयारी कर रही थी. राज पूनम को अपनी वासना भरी नज़रों से देखते हुए, अपने रूम की तरफ जाने लगा. जब वो अपने रूम मे पहुँचा , तो उसने देखा कि, सुमन अभी भी सो रही थी.

राज : (सुमन के पास बेड पर बैठते हुए) क्या बात है सुमन. अभी भी सो रही हो.

सुमन: (जागने का नाटक करते हुए) जी वो मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है.

राज : (सुमन के माथे पर हाथ लगा कर देखते हुए) चलो फिर डॉक्टर से चैक करवा लाते हैं.

सुमन: नही रहने दीजिए. अभी टॅबलेट ली है. थोड़ी देर आराम करूँगी. तो ठीक हो जाउन्गी.

राज : अच्छा फिर तुम आराम करो.

राज बाथरूम मे घुस गया, और जब वो फ्रेश होकर बाहर आया तो, उसने देखा, कि सुमन की आँखे बंद हैं. राज ने सोचा शायद वो सो रही हैं. राज बाहर हाल मे आकर सोफे पर बैठ गया. पूनम सोफे के सामने कुछ ही दूरी पर नीचे बैठी हुई, सब्जी काट रही थी. पूनम ने जान बुझ कर अपने पल्लू को कंधों से हटा कर अपनी कमर मे फँसा रखा था.

राज की नज़र पूनम के ब्लाउस मे क़ैद तो बड़ी-2 आम जैसी चुचियों पर जैसे गढ़ गयी हो. वो एक टक उसकी साँस लेने से ऊपेर नीचे हो रही चुचियों को घुरे जा रहा था. राज की आँखों मे वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. उसका हाथ अपने आप ही पाजामे के ऊपेर अपने लंड पर पहुँच गया. और वो अपने लंड को पूनम की चुचियों की ओर देखते हुए सहलाने लगा.

पूनम की बड़ी-2 चुचियाँ राज को ब्लाउस मे ऐसी लग रही थी. जैसे कि वो अभी उसके ब्लाउस के बटन तोड़ कर बाहर आ जाएँगी. पूनम ने धीरे से अपने सर को उठा कर राज की तरफ देखा. जो अपनी वासना भरी नज़रों से उसकी चुचियों की ओर देख रहा था. जैसे ही पूनम और राज की नज़रें आपस मे टकराई. पूनम अपने होंठो पर मुस्कान लाकर शरमाने लगी. राज मन है मन सोचने लगा, कि शायद पूनम अब उसके जाल मे फँस चुकी है. राज का लंड यही सोच कर उसके पाजामे मे झटके खाने लगा.

पूनम उठ कर किचिन मे गयी. और कटी हुई सब्जी को रख कर बाहर आ गयी. वो फिर से अपनी कातिल अदाओं के साथ राज को देखते हुए ऊपेर की ओर जाने लगी. जैसे ही पूनम ऊपेर की मंज़िल पर गयी. तो राज सोफे से उठ कर उसके पीछे चला गया.

जब राज ऊपेर पहुँचा , तो उसने देखा कि, पूनम एक रूम के पास खड़ी थी. उसकी पीठ राज की तरफ थी, राज धीरे- 2 उसकी तरफ बढ़ा. और पीछे से जाकर उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. राज के हाथों ने तुरंत पूनम की चुचियों पर कब्जा जमा लिया. पूनम एक दम से छटपता उठी. उसका दिल तो कर रहा था, कि वो अभी इसी वक़्त उसकी जान ले ले. पर ये उसके लिए कर पाना मुस्किल था.
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12-20-2019, 01:38 PM,
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
पूनम: (राज की बाहों मे मचलते हुए) उफ़फ्फ़ बाबूजी जी क्या कर रहे हैं….मालकिन आ जाएगी.

राज : बहुत तड़पाया है मेरी रानी तुमने. आज मुझ अपनी तड़प मिटा देने दो. तुम्हारे कदमों मे दुनिया भर की दौलत बिछा दूँगा.


पूनम: (चौंकने का नाटक करते हुए, उसकी तरफ घूम गयी. और अपनी बाहों को राज के गले मे डाल दिया) सच बाबू जी. मैं आपको इतनी अच्छी लगती हूँ ?

राज : हां मेरी रानी. बस एक बार इस प्यासे की प्यास बुझा दो.

पूनम: वो तो मे बुझा दूँगी. और फिर कभी आपको प्यास भी नही लगेगी. पर आपको मेरी एक बात माननी पड़ेगी.

राज : (पूनम की चुचियों को मसलते हुए) एक क्या, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ. एक बार बोल कर तो देख.

पूनम: ठीक है बाबू जी. पर आपको मुझे पाने के लिए कल तक का इंतजार करना पड़ेगा.

राज : नही मेरी रानी, अब मे एक पल और इंतजार नही कर सकता. तुम्हारी गदराई हुई जवानी का रस चखने के लिए.

पूनम: नही बाबू जी आज नही. अगर किसी को पता चल गया, तो मे किसी को मुँह दिखाने के लायक नही रहूंगी. और अगर मालकिन को पता चल गया, तो और बाबा भी तो यहीं पर है ना. यहाँ नही. आप मुझ कहीं और ले चलें कल. जहाँ कोई ना हो. और फिर ये सारी की सारी पूनम आपकी दासी आपकी सेवा के लिए हाजिर है.

राज : पर यहाँ क्या डर है ?

पूनम: बाबू जी आप मेरी इतनी सी भी बात नही मान सकते. मैं बस यही चाहती हूँ कि, मेरे और आपके बारे मे किसी को पता ना चले.

राज : (थोड़ी देर सोचने के बाद) चल ठीक है मेरी जान. जहाँ तुम्हे पाने के लिए इतने सालो इंतजार किया, तो एक दिन और सही. कल रात को तुम हवेली के बाहर मेरा इंतजार करना. मे तुम्हे खेत वाली हवेली ले चलूँगा.

पूनम: हां पर आप अकेले रहोगे ना वहाँ पर. मैं नही चाहती कि, मुझे कोई भी वहाँ पर देखे. आप अपने गुण्डों जैसे आदमियों को साथ मे नही लेकर आओगे ना. अगर वहाँ पर आपके अलावा कोई और हुआ, तो मे वापिस आ जाउन्गी.

राज : तुम घबराओ नही मेरी जान. मेरे अलावा और वहाँ कोई नही होगा. मैं सब को जाने लिए कल बोल दूँगा.

ये कहते हुए. राज ने ब्लाउस के ऊपेर से ही, पूनम की चुचियों को ज़ोर-2 से मसलना चालू कर दिया. पूनम दर्द के मारे सिसक उठी. तभी नीचे से कुछ आहट हुई, तो पूनम राज की बाहों से निकल कर तेज़ी से नीचे भाग गयी. और पीछे बने हुए अपने रूम मे चली गयी. साहिल भी उठ चुका था. उसने साहिल को सारी बात बताई, और साहिल फ्रेश होकर राज के पास चला गया.

जब साहिल हवेली के अंदर आया तो, राज सोफे पर बैठा हुआ था. साहिल को देखते हुए, वो मुस्कुराया और बोला.

राज : आओ बैठो . थोड़ी देर रूको, फिर मैं तुम्हे अपनी दूसरी हवेली मे ले चलता हूँ. हमारा ज़्यादा तर काम वहीं से होता है. और जो मुनीम हमने वहाँ रखा है, वो तुम्हे सब काम समझा देगा.

राज उठ कर अपने रूम मे चला गया. और थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर आया. और साहिल को लेकर अपने खेतो मे बनी हवेली की ओर चल दिया. जैसे ही राज और साहिल हवेली के पास पहुँचे , तो उसने देखा कि, हवेली के चारो तरफ राज के पाले हुए गुंडें हथियारो के साथ पहरा दे रहे थे. साहिल एक बार सोच मे पड़ गया. ये सब देख कर. वो सोचने लगा कि, कल रात को वो कैसे राज के इस चक्रव्यूह को बेध पाएगा.

कहीं कुछ गड़बड तो नही हो जाएगी. राज ने जो पूनम से वादा किया है, क्या राज उस पर अटल रहेगा. यही सोचते हुए, साहिल राज के पीछे चलते -2 हवेली के अंदर आ गया. हवेली मे बहुत से रूम थे. कुछ बंद थे. पर कुछ खुले हुए थे. राज साहिल को सीधा एक रूम मे ले गया. वहाँ पर कोई 55 साल की उमर का एक बूढ़ा मुनीम बैठा हुआ, हिसाब किताब कर रहा था.राज को देखते ही, वो चेयर से खड़ा हो गया.

राज : और सब कैसा चल रहा है मुंशी जी ?

मुंशी: (हाथ जोड़ कर खड़ा होते हुए) सब ठीक है बाबू जी.

राज : अच्छा इनसे मिलो. इसका नाम अजय है. आज से ये आपके काम मे आपको मदद करेगा.

मुंशी: जी जैसा आप कहे.

राज : (घड़ी की ओर देखते हुए) अच्छा मुझे अभी निकलना है. आप इसे हमारे काम के बारे मे सब समझा देना.

मुंशी: जी.

राज : (साहिल को) तुम यही रूको, और मुंशी जी से काम के बारे मे सीखो. शाम को अकेले हवेली मे पहुँच जाओगे ना.

साहिल: जी सर आप फिकर ना करिए. मैं अकेला पहुँच जाउन्गा.

राज वापिस चला गया. राज के जाने के बाद, मुंशी ने साहिल से उसके और उसके परिवार के बारे मे पूछा. और फिर राज के काम धंधो के बारे मे बताना चालू कर दिया. साहिल और मुंशी को दो घंटे बीत चुके थी. शाम ढाल चुकी थी.

मुंशी: अच्छा आज के लिए काफ़ी है. कल सुबह आ जाना. मैं भी बहुत थक गया हूँ. चलो बाहर चल कर थोड़ा घूमते हैं.

साहिल: जी मुंशी जी.

दोनो बाहर आ गये. बाहर अभी भी राज के आदमी पूरी चोकसी के साथ चारो तरफ नज़र रखे हुए थे. साहिल और मुंशी हवेली के चारो तरफ के खेतो मे थोड़ी देर घूमे. और फिर गाँव के लिए निकल पड़े.


फाइनल डे

आज साहिल को अपनी माँ की मौत का बदला लेना था. आज उसे अपने छीने हुए बचपन का राज से हिसाब लेना था. पर इन्सब के बावजूद भी साहिल बेहद घबराया हुआ था. रात के 9 बज रहे थी. राज घर से निकलने के लिए तैयार हो रहा था. सुमन भी जानती थी, की आज राज के पाप के साम्राज्य का अंत होने वाला है.

सुमन: आप इस समय तैयार होकर कहाँ जा रहे हैं ?

राज : वो वो आज कुछ ज़रूरी काम से सहर जा रहा हूँ. कल सुबह ही वापिस आउन्गा. तुम मेरा इंतजार ना करना.

राज जैसे ही कार लेकर हवेली के बाहर निकला. तो उसे हवेली के एक साइड की दीवार के साथ पूनम खड़ी हुई मिली. राज ने उसे इशारे से कार मे आने के लिए कहा. ब्लू कलर की साड़ी मे लिपिटी हुई, पूनम आज उसे किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी.

जैसे ही पूनम कार की तरफ बढ़ी. राज ने कार का डोर खोल दिया. पूनम कार मे बैठी , और राज ने डोर बंद कर दिया. और खेतो के बीच बनी दूसरी हवेली की ओर चल दिया. जैसे ही राज की कार की आवाज़ आना बंद हुई. साहिल हवेली से बाहर की ओर जाने लगा. पर तभी उसे पीछे से सुमन की आवाज़ आई.

सुमन: साहिल रूको.

साहिल: (सुमन की ओर चोन्कते हुए देखता है) मम्मी जी आप इस समय यहाँ क्या कर रही है.

सुमन: मैं भी तुम्हारे साथ चल रही हूँ.

साहिल: नही मम्मी जी. आपका मेरे साथ चलना ठीक नही होगा. अगर हम राजको मार नही पाए, तो यक़ीनन वो हम दोनो को मार देगा. इसलिए मैं आपकी जान ख़तरे मे नही डालना चाहता.

सुमन: मुझे अपनी जान की परवाह नही है. मैं बस उस दरिंदे को अपनी आँखों के सामने तड़पता हुआ दम तोड़ते देखना चाहती हूँ. अब हमारे पास बहस करने का टाइम नही है. जल्दी चलो.

साहिल जानता था, कि वक़्त उसके हाथों से रेत के तरहा फिसलता जा रहा है. इसीलिए दोनो हवेली के पीछे की दीवार को फाँद कर हवेली से बाहर आ गये. और छुपते छुपाते खेतो के बीच बनी हवेली की तरफ चल पड़े. दूसरी तरफ पूनम और राज हवेली के बाहर पहुँच चुके थे. वहाँ पहुँचते ही. पूनम ने हवेली के चारो तरफ नज़र दौड़ाई. वहाँ दो आदमी अभी भी चोकन्ने होकर पहरा दे रहे थे.

पूनम: ये क्या बाबू जी. आप ने कहा था. यहाँ पर कोई नही होगा.

राज : अर्रे ये मेरे बहुत खास और वफ़ादार आदमी है.

पूनम: पर मे नही चाहती कि, मुझ आपके साथ यहाँ पर कोई भी देखे. मैं नही जाउन्गी अंदर.
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12-20-2019, 01:38 PM,
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
राज का मन तो कर रहा था, कि वो अभी उसे घसीटते हुए अंदर ले जाए. पर जब प्यार से बात बन रही है, तो वो अपना मूड खराब नही करना चाहता था. इस लिए राज कार से नीचे उतरा, और उन दोनो आदमियों की तरफ गया. दोनो आदमी राज को देख कर भागते हुए उसके पास आए.

राज : सुनो तुम दोनो यहाँ से थोड़ी दूरी पर जाकर बैठो. और दूर से ही नज़र रखना.

आदमी: जी मालिक.

और दोनो आदमी वहाँ से चले गये. जब दोनो आदमी पूनम की नज़रों से ओझल हो गये, तो पूनम कार से नीचे उतरी. और राज के साथ हवेली के अंदर जाने लगी. दूसरी तरफ जैसे ही साहिल और सुमन हवेली के पास पहुँचे . तो उन्होने देखा कि, कि दो आदमी रास्ते पर ही बैठे हुए थे. दोनो झाड़ियों मे छुप गये.

सुमन: (तेज़ी से साँस लेते हुए) ये तो राज के आदमी है. और हवेली तक जाने का यही एक रास्ता है.

साहिल: अब क्या करें. ये तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी. वहाँ पर पूनम उस वहशी के साथ अकेली है. अब क्या किया जाए.

सुमन: तुम यहीं रूको. मैं इनका कुछ करती हूँ.

ये कह कर सुमन झाड़ियों से निकल कर बाहर आ गयी. और उसी तरफ जाने लगी. जिस तरफ से वो आई थी. सुमन के पैरों की पायल की आवाज़ सुन कर दोनो आदमी चोंक गये. उनमे से एक ने दूसरे से कहा.

आदमी: अर्रे रघु वो देख. इतनी रात मे कॉन औरत जा रही है.

रघु: अबे साले चुप चाप बैठा रह. बाबू जी ने हमे ध्यान रखने के लिए कहा था ना.

कल्लू: अबे बाबू जी तो लगता है अंदर अपनी रात रंगीन कर रहे हैं. वो अब सुबह से पहले बाहर नही आएँगे. चल हम भी चल कर अपनी रात रंगीन करते हैं.

रघु: चल देखे तो सही ये छमियां है कॉन. और इस समय यहाँ क्या कर रही है.

रघु और कल्लू दोनो सुमन के पीछे जाने लगे. जैसे ही सुमन को पता चला कि, दोनो उसके पीछे आ रहे हैं. तो उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. और एक खेत मे उतर गये. बाज़रे के खेत मे फसल काफ़ी उँची-2 हो चुकी थी. जैसे ही साहिल ने देखा कि, दोनो आदमी सुमन के पीछे चले गये हैं. वो जल्दी से झाड़ियों से बाहर आया, और हवेली की तरफ भागा. उधर सुमन उन दोनो को खेतो मे उलझाए हुए थी.

साहिल ने किसी तरहा हवेली की दीवार फांदी , और अंदर चला गया. जब सुबह साहिल हवेली मे आया था. तो उसने मुंशी से हवेली की सारी मालूमात कर ली थी. इसीलिए वो अच्छे से जानता था कि, राज और पूनम किस रूम मे होंगे. जैसे ही साहिल उस रूम के सामने पहुँचा , तो उसने वहाँ रूम के बाहर टेबल पर रखी हुई पिस्टल देखी. जो कि शायद राज की थी.

पूनम ने साहिल की हर मुश्किल का पूरी चालाकी से हल कर दिया था. साहिल ने पिस्टल उठाई, और उसे तैयार किया, और धीरे-2 रूम के डोर के पास गया. और अपना कान डोर पर लगा कर अंदर का जायज़ा लेने की कॉसिश करने लगा. दूसरी तरफ सुमन की पायल की आवाज़ का पीछा-2 करते-2 दोनो आदमी बहुत दूर आ चुके थे. पर दोनो मे से किसी को सुमन दिखाई नही दे रही थी.

उधर हवेली मे साहिल अपने कान को डोर पर लगाए, अंदर हो रही बात को सुनने की कॉसिश कर रहा था. उसे अंदर से पूनम की हल्की -2 करहाने की आवाज़ आ रही थी. साहिल का खून खोल उठा. उसने अपनी पूरी ताक़त के साथ दरवाजे को धकेला. डोर तो बंद ही नही था. डोर खुलते ही दीवार से जा टकराया. अंदर राज पूनम के ऊपेर सिर्फ़ अंडरवेर पहने लेटा हुआ था. साहिल को अपने सामने देख राज एक दम भौंचक्का रह गया.

एक पल के लिए उसका दिमाग़ सुन्न पड़ गया. पर जैसे ही राज ने साहिल के हाथ मे अपना लोडेड पिस्टल देखा, तो वो एक दम से घबरा गया. और बेड से उठ कर खड़ा हो गया, और साहिल की तरफ बढ़ने लगा.

साहिल: वही रुक जाओ. (अपने उंगली को ट्रिग्गर पर लगा दिया)

राज : वहीं रुक गया

राज : तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? (पर अगले ही पल राज के दिमाग़ मे बहुत सारे सवाल घूमने लगी, और उसके मुँह निकला) कॉन हो तुम ?

साहिल: क्या करोगे मेरे बारे मे जानकर. वैसे भी आज तुम मरने वाले हो.

राज : पर तुम मुझ क्यों मारना चाहते हो ?

साहिल: वो भी पता चल जाएगा.

राज : देखो बेबकूफी मत करो. तुम जानते नही हो. तुम किसेसे उलझ रहे हो ?

साहिल: मैं नही जानता. मैं तो तुम्हारी रग-2 से वाकिफ़ हूँ.

राज साहिल की बात को सुन कर सोच मे पड़ गया. आख़िर ये कॉन हो सकता है. जो मुझे मारना चाहता है. मैने तो इसे पहले कभी नही देखा.

राज : देखो तुम्हे जो चाहिए मैं वो तुम्हे दूँगा. पर ये पिस्टल मुझे पकड़ा दो.

ये कहते हुए राज साहिल की ओर बढ़ा. पर जैसे ही उसने पहला कदम उठाया. एक गोली, दाग दी गयी. जो सीधा राज के घुटने पे जा लगी. पिस्टल से चली गोली की आवाज़ हवेली की मजबूत दीवारों मे क़ैद से होकर रह गयी. जो उसके दूर जा चुके आदमी नही सुन पाए.

राज लड़खड़ा गया. अपने ऊपर हुए इस हमले से राज बौखला उठा, दहाड़ते हुए, साहिल की ओर झपटा. पर साहिल इसके लिए पहले से तैयार था. साहिल ने दूसरा फाइयर क्या, जो राज की दूसरी टाँग पर लगा. और इस बार राज फर्श पर जा गिरा. राज दर्द से कराह रहा था. पूनम अपनी आँखों मे आँसू लिए, कभी राज की तरफ देखती, तो कभी साहिल की तरफ.

साहिल ने पूनम को अपनी तरफ आने का इशारा किया, पूनम ने अपनी साड़ी ठीक की, और साहिल के पास आकर उसके गले से लग गयी.

राज : क्यों, आख़िर कौन हो तुम. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. (राज ज़मीन पर पड़ा, दर्द से तिलमिला रहा था)

साहिल: सोचो. आज तक तुमने किसका क्या-2 बिगाड़ा है. चलो तब तक मैं तुम्हे नही मारता.

राज एक बार तो सोच मे पड़ गया. पर उस टाइम सोचने की ताक़त भी कहाँ थी. राज दर्द से तड़प रहा था.

साहिल: क्यों कुछ याद आया.

राज ने ना में सर हिला दिया. अब उसे साँस लेने मे तकलीफ़ होने लगी थी.

पूनम: बाबू जी हमारे पास जयदा टाइम नही. ख़तम करो इस दरिंदे को.

साहिल: (राज की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए) चलो मैं ही बता देता हूँ मामा जी. कि आप ने मेरा क्या बिगाड़ा है ?

राज : (जैसे ही राज ने साहिल के मुँह से मामा जी का शब्द सुना, तो उसे अपने अतीत में जो करम किए थे. वो सब उसकी आँखों के सामने घूमने लगे) कौन मामा जी. कौन हो तुम ?

साहिल: क्यों अब अपने भानजे को भी नही पहचानते ?

राज : ( राज के ऊपेर तो जैसे आसमान ही गिर पड़ा हो) नही ये नही हो सकता. साहिल को तो मैने अपने हाथों से मारा था. और उसकी लाश को भी गढवा दिया था. तुम झूठ बोल रहे हो.

साहिल: एक बात समझ लो राज कि, मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है. तुम चाहे अपनी दौलत और रुतबे के कारण अंधे होकर अपने आप को भगवान समझते रहे होगे. पर असल भगवान के आगे किसी की नही चलती. शायद उसी ने मुझे अब तक बचा कर रखा था. कि मैं तुम जैसे दरिंदे का अंत कर सकूँ.

साहिल ने पिस्टल को उसके सर के ऊपेर लगा दिया. राज को मालूम था कि, अब उसका अंत आ चुका है. उसने अपनी आँखे बंद कर ली. और साहिल ने एक बार फिर से ट्रिग्गर दबा दिया. इस बार गोली राज के सर को फाड़ते हुए अंदर घुस गयी. राज वहीं उसी पल ज़मीन पर धराशाई हो गया. साहिल थोड़ा पीछे हटा, और वहीं ज़मीन पर बैठ कर ज़ोर-2 से रोने लगा.

पूनम: बाबू जी चलिए उठिए. अब हम यहाँ नही रुक सकते.

पर साहिल को जैसे पूनम की आवाज़ सुन ही नही रही थी. पर पूनम ने भी हार नही मानी. उसने अपनी पूरी ताक़त लगा कर साहिल को उठाया. और साहिल के गालों पे थपकी देने लगी. जैसे उसे होश मे लाने की कॉसिश कर रही हो.

पूनम: बाबू जी बाबू जी.

साहिल : (एक दम चोन्कते हुए) हाँ हाअ.

पूनम: बाबू जी अब निकलो यहाँ से.

और पूनम साहिल को लेकर हवेली के आँगन मे आई. और दीवार को फाँद कर दोनो बाहर आ गये. दूसरी तरफ राज के दोनो आदमी सुमन का पीछे करते-2 हार मान चुके थे. वो वापिस आकर वहीं बैठ गये. पर तब तक पूनम और साहिल दोनो उसी जगह पहुँच चुके थे. यहाँ साहिल पूनम को छोड़ कर गया था.

कुछ देर बाद सुमन भी छुपाते छुपाते वहाँ पहुँच गयी. और उसके बाद तीनो हवेली वापिस आ गये.


तीनो हवेली पहुँच गये. इस दौरान तीनो मे से किसी को भी किसी ने नही देखा. हवेली के बाहर खड़े पहरेदार इस बात के गवाह थे, कि तीनो मे से हवेली के बाहर कोई नही गया. अगले दिन सुबह जब राज खेतो मे बनी हवेली से बाहर नही आया तो, उसके आदमियों मे हड़बड़ी मच गयी. उनमे से किसी ने हवेली की दीवार को फाँद कर हवेली का गेट खोला. जब सब लोग हवेली के अंदर आ गये. तो सामने का नज़ारा देख सब लोगो के होश उड़ गये.

राज का शव खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ा था. राज के आदमियों मे भगदड़ मच गयी. और उन्हो ने इस बात की इत्तिला सुमन और राज के दोस्तो को की. जब सुमन और विशाल दोनो खेतों मे बनी हवेली मे पहुँचे , तो वहाँ पहले से पोलीस माजूद थी. इनस्पेक्टर वहाँ पर राज के आदमियों से पूछ ताछ कर रहा था. उसके बाद उसने सुमन से पूछ ताछ की और राज की डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गये.

पूरे गाँव मे दहशत सा महॉल बन गया था. राज की मौत की बात जंगल की आग की तरहा पूरे इलाक़े मे फैल गयी. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट से भी पोलीस वालो को कोई सुराग नही मिल पाया. और राज की डेड बॉडी सुमन को सोप दी गयी. दाह संस्कार के लिए.

दाह संस्कार मे राज के सभी रिश्तेदार शामिल थे. इस मर्डर केस की महीनो जाँच होती रही पर. कोई सबूत हाथ ना लगा. आख़िर कार पोलीस ने इस केस को बंद कर दिया. वैसे भी राज पोलीस वालो के लिए सर दर्द बना हुआ था. अपने काले धंधों को लेकर.

जिस दिन राज के केस की फाइल क्लोज़ हुई, उसी दिन सुमन साहिल को लेकर चंडीगढ़ उसके नाना नानी के घर लेकर आ गयी. उसके नाना नानी अब उम्र के आख़िरी पड़ाव पर थे. जब सुमन ने उनको साहिल के बारे मे बताया, तब वो दोनो बहुत खुश हो गये. आख़िर उन्हें भी अपने बुढ़ापे का सहारा जो मिल गया था.

सुमन: (साहिल से) साहिल अब मे वापिस जा रही हूँ. तुम्हे तुम्हारी नयी जिंदगी मे दुनियाँ की सारी खुशियाँ मिले.

साहिल : पर मम्मी ये खुशियाँ आप सब के बिना अधूरी है. और खास तोर पर पायल के बिना.

साहिल की बात सुनते ही, सुमन के होंठो पर मुस्कान आ गयी. और वो उसके गालों को थपथपाते हुए बोली, “ तुम्हे तुम्हारी हर खुशी मिलेगी” अभी तुम अपने फ्यूचर पर ध्यान दो.

दा एंड.
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