Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:53 PM,
#31
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
दीनू सबको राज से मिलवाने लगा. उधर रवि जो अभी सिर्फ़ *** साल का था. वो अपनी खेलने का आदत को छोड़ नही पाया था. और जब सभी बातें कर रहे थे. रवि एक मजदूर के लड़के के पास चला गया. वो राज से काफ़ी दूर था. वो उस लड़के के साथ खेलने लगा. तभी रवि को किसी ने आवाज़ दे. अर्रे ओ रवि ज़रा इधर तो आ.

जब रवि ने घूम कर देखा. तो सामने के बाज़रे के खेतों मे रज़िया काम कर रही थी. रज़िया खेतों मे काम करने वाले मजदूर असलम की बीवी थी. रवि उसके पास जाने से कतराता है , पर वो फिर से उसे आवाज़ देती है. और रवि ना चाहते हुए भी उसके पास चला जाता है. अब रवि और रज़िया और बाकी खड़े लोग के बीच मे बाजरे के खेत थे. जिसके कारण उन्हे कोई देख नही पा रहा था.

रवि: (रज़िया के पास पहुँच कर) हां बताओ क्यों बुला रही हो.

रज़िया: ( रवि के हाथ को पकड़ कर उसके खेत के और अंदर लेजाती है) अर्रे इधर तो आ कहाँ भागा जा रहा है.

रवि: जो पूछना है यहीं पूछ लो. बाबू जी मुझ ढूँढ रहे होंगे.

रज़िया: (काफ़ी आगे जाकर रुक जाती है) अर्रे मे तो यहीं पूछना चाहती थी. कि ये बाबू जी कॉन हैं.

रवि: तुम्हें नही पता. जिनके खेतों मे काम करती हो. उन्हें ही नही जानती.

रज़िया: अच्छा तो ये राज बाबू जी हैं.

रवि: और नही तो क्या.

रज़िया: अच्छा ये बता बाबू जी कब आए सहर से. और कॉन-2 साथ मे आया हैं.

रवि: कल आए थे. अपनी छोटी बेहन के साथ उनका बेटा है साथ मे.

रज़िया: अच्छा इसीलिए तू भाव खा रहा है. आज कल बाबू जी का खास हो गया है तू. और बाबू जी की बेहन तो बहुत खूबसूरत हो गी ना. उसे ही देखता रहा होगा तू. जो कल खेतों मे नही आया.

रवि: (एक दम से घबरते हुए) अर्रे ये क्या बोल रही हो काकी. अगर किसी को पता भी चल गया कि तू ऐसी बात बोली है. तो तेरे साथ-2 बाबू जी मेरी खाल भी उतरवा देंगे. तुम उन्हें जानती नही हो.

रज़िया: (रवि की बात को सुन कर एक दम से घबरा गयी) अर्रे नही- 2 मे तो मज़ाक कर रही थी. तुझे छेड़ने मे बहुत मज़ा आता है. इसलिए.

रवि: अच्छा अब मे चलता हूँ. बहुत देर हो गयी है.

जैसे ही रवि जाने लगा. रज़िया ने उसे बढ़ कर अपनी बाहों मे भर लिया. और उसके गालों को पागलों की तरहा चूमने लगी.

रवि: छोड़ो मुझ क्या कर रही हो. मुझ ये सब अच्छा नही लगता.

रज़िया: (वासना से भरी आवाज़ मे) अर्रे जालिम कुछ तो ख़याल कर मेरा. एक मे हूँ जो तुम पर अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हूँ. और तू मुझ से ठीक से बात भी नही करता.

रवि: छोड़ो मुझ मे ये सब गंदे काम नही करता हूँ.

रज़िया: जानती हूँ. मेरे सहज़ादे. पर जब से तेरा हथियार देखा है. तब से मेरी ये मुई चूत पानी ही छोड़ती रहती है. बस एक बार मेरी प्यास बुझा दे.

रवि: अपने पति को बोल ना. वहीं तेरी प्यास बुझाएगा. छोड़ मुझ जाने दे.

रज़िया: ऐसे कैसे जाने दूं. बहुत दिनो बाद मोका हाथ लगा है. अच्छा ठीक है मुझ एक बार प्यार तो करने दे. तेरे इस गोलमटोल चहरे ने मेरी नींद उड़ा रखी है.

रवि: नही अपने पति को जाकर प्यार कर मुझ क्यों तंग कर रही है. मुझे जाने दो. तेरा बेटा भी वहाँ खेल रहा है. वो इधर आ जाएगा.

रज़िया: अर्रे काहे का पति. वो साला भोसड़ी का गान्ड मे दम नही और हम किसी से कम नही. वो मुझ क्या खाक खुस करेगा. बस एक बार मुझ सिर्फ़ प्यार करने दे,

रवि: (मुँह बनाते हुए) अच्छा जो करना है जल्दी कर.

रज़िया रवि की बात सुन कर खुस हो गयी. और उसे बाजरे के बीच मे ले गयी. और उससे से चिपक कर पागलों की तरहा उसके गालों को चूमने लगी. ना चाहते हुए भी रवि का लंड उसके पाजामा मे तनने लगा. रज़िया की मोटी-2 चुचियाँ रवि की चेस्ट मे धँस रही थी. रवि का लंड तन कर रज़िया के लहँगे के ऊपेर से उसकी फूली चूत पर जा लगा.

और रज़िया कसमसा कर रवि से चिपक गयी. और रवि के होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसने लगी. उसकी चूत लहँगे के ऊपेर से रवि का सख़्त लंड महसूस करके पानी छोड़ने लगी थी. धीरे-2 उसने रवि के हाथों को पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख लिया. और अपने हाथों का दबाव रवि के हाथों पर बढ़ाने लगी.

रज़िया: अहह रवि देख ना कैसी मेरी चुचियाँ कड़ी रहती है. इन्हे मसल कर इनकी अकड़ को ख़तम कर दे ना.

रवि अब रज़िया से किसी तरहा भी पीछा छुड़ाना चाहता था. उसने धीरे-2 रज़िया की चुचियों को उसकी चोली के ऊपेर से मसलना चालू कर दिया.

रज़िया: अहह ओह हाां ऐसी हीई दबा और जोर्र सी ओह मिटा दे इनकी अकड़दड़ ओह्ह्ह्ह

और रज़िया ने अपना हाथ नीचे करके रवि के लंड को पाजामा के ऊपेर से पकड़ लिया. रवि के बदन मे करेंट सा दौड़ गया. रवि अब अपने आपे मे नही था. रज़िया धीरे-2 रवि के लंड को हिलाने लगी.

रवि: (काँपती हुई आवाज़ मे ) आह जल्दी करो. मुझे जाना है.

रज़िया एक दम से पैरों के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के पाजामा को खोल कर उसको घुटनो तक सरका दिया. रज़िया की आँखों मे चमक आ गयी.

रज़िया: तेरे इस लंड ने मेरी चूत मे आग लगा रखी है. कितना बड़ा है रे तेरा हथियार. सच मे अगर तू मेरा मर्द होता. तो दिन रात अपनी चूत मे तेरा मुन्सल सा लौडा लिए रहती.

और रज़िया ने मुँह खोल कर रवि के मोटे लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया. और तेज़ी से चूसने लगा. रवि ने इससे पहले कुछ नही किया था. जैसे ही रवि का लंड रज़िया के गरम मुँह मे गया. रवि का बदन अकड़ गया.

रवि: (मस्ती से भरी आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह काकी ये क्या कर रही है. ओह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है..

रज़िया रवि को गरम होता देख मन ही मन मुस्कुराने लगती है. और तेज़ी से रवि के लंड को चूसने लगती है. ना चाहते हुए भी रवि की कमर झटके खाने लगती है, और रवि के लंड की नसें फूलने लग जाती है. रज़िया ने 5 मिनट तक खूब कस कस के रवि के लंड को चूसा. और जब रज़िया को पता चला कि अब रवि का लंड अपना लावा उगलने वाला है. तो रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से निकाल कर तेज़ी से मुठियाना चालू कर दिया. और रवि के लंड के सुपाडे से वीर्य की पिचकारियाँ निकलने लगी. जो रज़िया के चहरे और चोली के ऊपेर उसकी चुचियों पर गिरने लगी. रवि के लंड ने ढेर सारा पानी निकाला था. रज़िया का फेस एक दम सन चुका था. रज़िया के होंठो पर मुस्कान आ गयी. और रवि की तरफ देखने लगी.

रज़िया: एक बार इतना ही पानी मेरी चूत मे डाल कर इसकी प्यास बुझा दे ना.

तभी ..............................................
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#32
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तभी दोनो को राज के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी. दोनो एक दम से घबरा गये. रवि ने जल्दी से रज़िया के दुपट्टे से अपने लंड को सॉफ किया. और पाजामा पहन कर राज की तरफ भागा. जब रवि खेतों मे से निकल कर सामने आया तो. राज को देख कर रवि का रंग उड़ गया.

राज : (गुस्से से) कहाँ गायब हो गये थे.

रवि: जी वो मे (रवि एक दम से बौखला जाता है.)

राज : अच्छा अब चलो. वैसे भी बहुत देर हो रही है.

रवि: जी बाबू जी.

और रवि राज के पीछे चलता हुआ कार तक पहुँच गया. दोनो कार मे बैठे . और हवेली की तरफ चल पड़े.

राज और रवि दोनो अंदर आ गये. राज के वापिस आते देख. हरिया दौड़ कर राज और रवि दोनो के लिए पानी ले आया. राज हाल मे आकर सोफे पर बैठ गया. और पानी का ग्लास लेते हुए हरिया से डॉली के बारे मे पूछने लगा.

हरिया: बाबू जी वो तो साहिल बाबा को अपने रूम मे लेकर गयी हैं सुलाने के लिए.

राज : अच्छा ठीक है. और खाना बन गया.

हरय्या: जी बस तैयार हो गया है. कुछ ही देर मे टेबल पर खाना लगाता हूँ.

राज : (पानी का ग्लास हरिया को वापिस देते हुए) अच्छा रवि तुम कहाँ सोते हो.

रवि: बाबू जी हवेली के पीछे तीन कमरे बने हुए है. वहीं सोता हूँ.

राज : अच्छा ठीक है. मुझे आसानी हो जाएगी. अगर तुम्हारी ज़रूरत होगी. अच्छा काका कल मैने एक विधवा औरत को यहाँ काम के लिए बुलाया है. उसे घर का काम काज और रहन सहन समझा देना. क्या नाम है उसका रवि.

रवि: जी बाबू जी रोमा नाम है उसका.

राज : हां रोमा. उसी अच्छे से काम समझा देना. वो बेचारी विधवा है. इसीलिए उसे काम पर रखा है.

हरिया: ये तो बहुत अच्छा काम किया बाबू जी आप ने. वैसे भी ये दोनो (दोनो नौकरानी) कल से अपने पति के साथ सहर मे रहने जा रही हैं. मे आप को बताने ही वाला था. नही तो कल से दिक्कत हो जाती. मे उसे सब समझा दूँगा.

राज : अच्छा ठीक है. देखो तो ज़रा अगर साहिल सो गया हो तो, डॉली को खाने के लिए बुला लाओ रवि.

रवि: जी ठीक है बाबू जी.

रवि डॉली के रूम मे जाने लगा. रूम के डोर के पास जाकर उसे डोर नॉक किया. जैसे ही रवि ने डोर नॉक किया. डोर खुल गया. अंदर डॉली साहिल के साथ बेड पर लेटी हुई थी. रवि ने डोर पर खड़े हो कर डॉली को आवाज़ दी. पर डॉली नही उठी. रवि ने सोचा शायद डॉली दीदी सो गयी होंगी. इसीलिए वो अंदर आ गया. और डॉली के बेड के पास जाकर खड़ा हो गया.

जैसे ही रवि बेड के पास खड़ा हुआ. रवि की साँसें रुक गयी. उसके हाथ पैर एक पल के लिए सुन्न हो गये. और उसके पाजामे मे हलचल होने लगी. और रवि का लंड धीरे-2 झटके खाने लगा. डॉली बेड पर बेसूध लेटी हुई थी. शायद वो साहिल को दूध पिलाते -2 सो गयी थी. उसकी एक चुचि बाहर लटक रही थी. डॉली का रंग बहुत ही गोरा था. जिसके कारण उसकी दूध से भरी चुचि मे उसकी हरे रंग के नसें सॉफ-2 झलक रही थी.

डॉली का निपल्स उसका बेटे 2 साल से दूध पी रहा था. जिसके कारण उसके निपल्स करीब आधा इंच लंबे और मोटे हो चुके थी. डार्क ब्राउन कलर के निपल्स को देखते ही. रवि का लंड उसके पाजामा मे झटके खाने लगा. रवि ने डॉली जैसी खूबसूरत औरत नही देखी थी. डॉली 24 साल की बहुत मस्त और सेक्सी औरत थी. जिसे भरी जवानी मे बहुत दुख उठाने पड़े थे.

रवि ना चाहते हुए भी एक पल के लिए डॉली की चुचियों को देखता रहा. फिर अचानक से राज का डर उसके दिल मे समा गया. रवि जल्दी वापिस डोर पर आ गया. और ज़ोर-2 से डोर नॉक करने लगा. डॉली एक दम से उठ कर बैठ गयी. और अपनी चुचि को ब्रा के अंदर करते हुए बोली.

डॉली: कॉन है.

रवि: (काँपती हुई आवाज़ मे) दीदी मे हूँ रवि. बाहर बाबू जी आपको बुला रहे हैं.

डॉली ने अपने कपड़े सही किए, और उठ कर बाहर आ गयी. बाहर रवि अपनी नज़रें झुकाए खड़ा था. वो पसीने से तरबतर हो रहा था. रवि की हालत देख डॉली थोड़ा सा परेशान हो गयी. और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगी कहीं उसे बुखार तो नही. जैसे ही डॉली ने अपने कोमल हाथों से रवि के माथे को छुआ. रवि के बदन मे सिहरन दौड़ गयी.

डॉली: क्या हुआ तुझे? इतना घबराया हुआ क्यों हैं.

रवि: जी वो कुछ नही. बस ऐसे ही गरमी लग रही थी.

डॉली: अच्छा अब चलो चलते हैं.

और डॉली ने धीरे से डोर बंद किया. और रवि के साथ नीचे आ गयी. नीचे हाल मे राज कुर्ता पाजामा पहने डाइनिंग टेबल पर बैठा था.जैसे ही राज ने डॉली को देखा उसने डॉली को आवाज़ दी.

राज : डॉली जल्दी आओ. बहुत भूक लगी है.

डॉली: जी भैया.

और डॉली और राज दोनो खाना खाने लगे.

डॉली: (खाना खाते हुए) भैया तो फिर आज कहाँ गये थे.

राज : बस यहीं अपने गाँव की ज़मीन आज देख पाया हूँ. कल बाकी की ज़मीन भी देख आउन्गा. और सभी मजदूरो से मिल कर आउन्गा.

डॉली: ठीक है भैया.

हरिया काका ने रवि को भी खाना दे दिया था. और रवि खाना खाने के बाद हवेली के पीछे बने अपने कमरे मे चला गया. और राज और डॉली भी खाना खा कर सोने अपने -2 रूम मे चले गये.


अगली सुबह रवि हवेली से बाहर जा रहा था. तभी राज ने उसे पीछे से आवाज़ दी.

राज : रवि कहाँ जा रहा है तू.

रवि: वो बाबू जी मे खेतों मे जा रहा हूँ.

राज : तो ठीक है. पर दोपहर को जल्दी आ जाना. फिर आज बाकी सभी खेतों मे भी हो आएँगे.

रवि: जी ठीक है बाबू जी मे जल्दी आ जाउन्गा.

और रवि हवेली से बाहर निकल कर खेतों की तरफ चल पड़ा. रवि सारे रास्ते मे डॉली के बारे मे सोच रहा था. डॉली का रूप रंग और साँचे मे ढला हुआ बदन रवि के दिलो दिमाग़ मे घुस गया था. और कल रात का सीन उसकी आँखों के सामने बार-2 आ रहा था. रवि चलता हुआ कुछ ही देर मे खेतों मे पहुँच गया.

खेतों मे पहुँच ते ही रवि की सबसे पहले मुलाकात दीनू काका से हुई.

दीनू: और सुना बेटा आ गया.

रवि: जी काका. रोमा दीदी हवेली चली गयी है ना आज.

दीनू: हां बेटा थोड़ी देर पहले ही निकली है. तूने देखी नही रास्ते मे.

रवि: नही शायद मैने ध्यान नही दिया होगा. वो कल रात मुझ ठीक से नींद नही आई थी. इस लिए थोड़ा सा सर दर्द कर रहा है.

दीनू: तो फिर यहीं खाट पर लेट के आराम कर लो. वैसे भी अब तुम बाबू हो गये हो. सारा दिन बाबू जी के साथ कार मे घूमते रहते हो.

रवि: नही काका ऐसी कोई बात नही है. आख़िर हूँ तो मे भी आप की तरहा नौकर ना.

और ये कह कर रवि आगे की तरफ चल पड़ा.
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12-20-2019, 12:53 PM,
#33
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
वैसे तो रवि अभी सिर्फ़ *** साल का था. पर वक़्त ने उसे कुछ पहले ही बड़ा कर दिया था. रवि चलता हुआ रज़िया के कमरे की तरफ बढ़ने लगा. अचानक उसका ध्यान रज़िया पर पड़ा. पता नही क्यों वो रज़िया के तरफ चला गया. शायद कल के दिन मे जो कुछ उसके साथ हुआ था. उसके कारण उसके दिल मे सेक्स को जानने और शायद करने की चाहत ज़ोर मारने लगी थी.

रज़िया अपने सूखे हुए कपड़ों को रस्सी से उतार रही थी. जो दो पेड़ों के बीच मे बँधी हुई थी. जैसे ही रज़िया ने रवि को अपनी तरफ आता देखा. तो उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी.

रज़िया: (वासना से भरी मुस्कान अपने होंठो पर लाते हुए) अर्रे वाह आज लगता है सुऱज पश्चिम से निकला है.

रवि रज़िया की बात सुन कर थोड़ा शरमा गया. और बाहर लगी चारपाई पर बैठ गया. रज़िया अपने कपड़ों को इकट्ठा करके चारपाई पर आकर बैठ गयी.

रज़िया: क्या हुआ क्या बात है. पहले तो मेरे पास आने से भी कतराता था. फिर आज कैसे आ गया.

रवि: कुछ नही काकी बस मेरा सर दर्द हो रहा है. इसीलिए बाहर चारपाई देखी तो यहाँ आ गया.

रज़िया: अच्छा किया. चल थोड़ी देर बैठ कर आराम कर ले.

और रज़िया अपने कपड़ों को अंदर रखने के चली गयी. जब रज़िया वापिस आई तो उसने अपने लहँगे को उठा कर अपनी कमर मे फँसा रखा था. जिससे उसका लहंगा उसके घुटनो के थोड़ा ऊपेर उठा हुआ था. रवि की नज़र बार-2 रज़िया पर जा रही थी. और रज़िया रवि को अपनी तरफ देखता देख कर मुस्कुरा रही थी. रज़िया ने चारा काटने का औजार उठाया. और सामने के खेत मे चारा काटने के लिए जाने लगी.

रज़िया: (खेत मे जाते हुए) रवि तू भी आजा. बात करते हुए काम करूँगी. तो जल्दी हो जाएगा . तू यहाँ अकेला बैठ कर क्या करेगा.

रवि बिना कुछ बोले रज़िया के पीछे उठ कर चला गया. रज़िया रवि के आगे -2 अपनी गान्ड मटका कर चल रही थी. और रवि अपनी चाहत भरी नज़रों से रज़िया की मटकती गान्ड को देख रहा था. रज़िया एक 30 साल की गदराई हुई औरत थी. भरा हुआ बदन और मस्त मोटी गान्ड जो भी देखे पागल हो जाए. रवि का लंड उसके पाजामा मे एक दम से तन चुका था. और रवि के पाजामे को ऊपेर उठा कर फुलाए हुए था. उसका दिल कर रहा था. कि वो अभी रज़िया को अपनी बाहों मे भर ले और उसके मोटे चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसले. पर आज तक रवि ने ऐसा कुछ नही किया था.

बस एक रज़िया ही थी. जिसने उसे छुआ और चूमा चाटा था. और कल ही रवि के लंड को चूस कर उसका पहला वीर्य पतन किया था.


रज़िया बाज़रे के खेतों मे आगे बढ़ती जा रही थी. और बाजरे की फसल 8-9 फुट तक उँची हो गयी थी. अब अगर रज़िया का बेटा या पति भी उसे ढूँढने आता. तो आसानी से ढूँढ नही पाता. और वैसे भी रज़िया का पति आज शहर गया था. अपने कुछ दोस्तो के साथ मूवी देखने. रज़िया और रवि अब दो खेतों के बीच मे पहुँच गये थे. जिन्हे एक छोटी सी पानी की नाली अलग किए हुए थी. जिसमे से पानी बह कर खेतों मे जाता था.

फिलहाल वो नाली सूखी हुई थी. क्योंकि फसल काफ़ी पक चुकी थी. रज़िया ने साथ लिए हुए तरपाल को सुखी हुई नाली के एक तरफ बिछा दिया. और रवि को मुस्कुरा कर देखते हुए बोली.

रज़िया: तू यहाँ बैठ मे यहाँ उगी हुई फालतू घास काट लेती हूँ. पानी की नली कोई 1 फुट ही गहरी थी. रवि नली मे पैर रख कर उस तरपाल के ऊपेर बैठ गया. और अपने तने हुए लंड को अपनी जाँघो से भीचने लगा. रज़िया रवि के पाजामे मे उभरे हुए उभार को देख चुकी थी. जिसके कारण उसकी चूत मे भी खुजली होने लगी थी. पर वो चाहती थी कि रवि आज पहल करने.

रवि: (काँपती हुई आवाज़ मे) काकी मे वो आप से बात करना चाहता हूँ.

रज़िया: (घस्स काटते हुए रवि की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए) हां बोल ना क्या बात है

रवि: वो मे कहना चाहता था, कि वो वो.

रज़िया रवि की हालत को देख मन ही मन मुस्कुराने लगी. और उसने घस्स काटने वाली दराती को वहीं रख दिया. और रवि के पास आकर वैसे ही बैठ गयी. जैसे रवि बैठा था.

रज़िया: बता ना क्या बात बोलना चाहता है. मुझसे क्यों शर्मा रहा है.

रवि: वो कुछ नही मे भूल गया.

रज़िया ने मुस्कुराते हुए एक दम से उसकी जाँघो के बीच मे हाथ डाल दिया. और उसके लंड को पाजामे के ऊपेर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी मे कस लिया.

रवि: अहह काकी क्या कर रही हो. छोड़ो ना.

रज़िया: अच्छा दिल भी कर रहा है तेरा. और छोड़ने के लिए भी बोल रहा है. अच्छा एक बार और बोल दे. फिर मे छोड़ दूँगी. बोल कि छोड़ दे काकी.

रवि रज़िया की बात को सुन कर के दम से झेंप गया.

रज़िया: मुझ पता है. तू आज मेरे पास क्यों आया है.

रवि: (एक दम से थोड़ा घबरा गया) क्यों चाची.

रज़िया: तेरा दिल कर रहा था ना मेरे पास आने को. चल आज तुझे जिंदगी का ऐसा रंगीन खेल सिखाती हूँ. कि तू मुझे जिंदगी भर याद रखे गा. बोल चोदेगा मुझ. देख रवि मना ना करना. जब से तेरा मुनसल सा लंड देखा है. मेरी चूत दिन रात तेरे लंड की याद मे अपने आँसू बहा कर पानी छोड़ती रहती है.

रवि रज़िया की बात सुन कर शरमा गया. और उसने अपने सर को झुका लिया. रज़िया ने रवि के लंड को छोड़ दिया. और झट से रवि के सामने खड़ी हो गयी. क्योंकि रज़िया उस पानी की नाली मे खड़ी हुई थी. जिस के किनारे रवि बैठे हुआ था. वो नाली का किनारा एक फुट उँचा था उसका लहंगा पहले से उसके घुटनो तक चढ़ा हुआ था. रज़िया ने अपना एक पैर उठा कर किनारे पर रवि की एक जाँघ पर रख दिया.

जिसके कारण रज़िया की चूत लहँगे के नीचे से उसके मुँह के पास आ गयी. और रज़िया ने रवि की आँखों मे देखते हुए अपने लहँगे को ऊपेर उठा लिया. जिसे देख रवि का लंड और तन कर कड़ा हो गया. और उसके पाजामे मे झटके खाने लगा.

रज़िया: (अपनी झान्टो से भरी हुई चूत की फांकों को फैलाते हुए) देख ना मेरी चूत तेरा लंड लेने के लिए कैसे पानी छोड़ रही है.

रवि की हालत रज़िया की लंबी और काली झान्टो से भरी हुई चूत को देख कर एक दम से खराब हो गयी. उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा. उतेज्ना के मारे रवि के लंड की नसें फूलने लगी. रज़िया अपनी चूत की फांको को खूब अच्छे से फैला कर रवि को दिखा रही थी. उसकी चूत का छेद उसके गाढ़े पानी से सना हुआ था.

रज़िया: (रवि की हालत देख कर मुस्कुराते हुए.) बोल ना चोदेगा मुझे. देख मना ना करना सिर्फ़ एक बार मुझ चोद दे. मेरी चूत कसम से तेरा लंड अपने अंदर लेने के लिए मचल रही है.

फिर रज़िया ने अपना लहंगा छोड़ दिया. और रवि के सामने पैरों के बल बैठ गये. रज़िया जानती थी कि रवि बहुत ही शर्मिला सा अनाड़ी लड़का है. इस लिए सारा काम उसे ही करना पड़ेगा. और रवि सीधे-2 अपने मुँह से नही बोल पाएगा. रज़िया ने बैठर ही फिर से उसके लंड को पकड़ लिया. और धीरे-2 सहलाने लगी.

रवि एक दम मस्त हो गया. और अपनी आँखों को बंद कर लिया. रज़िया के होंठो पर वासना से भरी मुस्कान फैल गयी. अब रज़िया को उसका शिकार अपने सिकंजे मे फँसता हुआ नज़र आ रहा था. रज़िया ने धीरे-2 रवि की जाँघो को थोड़ा सा फैला दिया. रवि को अपनी आँखों को खोले रखने मे अब बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. और वो अपनी आधी खुली आँखों से रज़िया के हरकतों को देख रहा था.

रज़िया ने धीरे से रवि की जाँघो को फैला कर उसके पाजामे के नाडे को पकड़ को खींच कर खोल दिया. जैसे ही रवि के पाजामे का नाडा खुला. रवि एक दम से कांप उठा. रज़िया ने बिना कोई देर किए उसके पाजामे को खेंचना चालू कर दिया. लेकिन रवि का पाजामा उसके चुतड़ों मे आकर अटक गया. और रवि ने भी अपनी गान्ड को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया. और रज़िया के होंठो की मुस्कान बढ़ गयी. रज़िया ने रवि के पाजामे को उतार कर उसके पैरों तक उतार दिया.
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12-20-2019, 12:53 PM,
#34
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
जैसे ही रवि का 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड रज़िया के आँखों के सामने आया. उसकी आँखों मे चमक आ गयी. और रज़िया ने बिना कोई देर किए रवि के लंड की चमड़ी को पीछे कर दिया. जिसे रवि के लंड का गुलाबी मोटा सुपाडा रज़िया की आँखों के सामने आ गया. और रज़िया की चूत मे सरसराहट होने लगी.

रज़िया ने एक बार रवि की आँखों मे अपनी वासना से भरी हुई आँखों से देखा. और फिर झुक कर अपने मुँह को खोल कर रवि के लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया. रज़िया के होंठ रवि के मोटे लंड के मोटे सुपाडे के चारों तरफ कस गये. और रवि अपने लंड के सुपाडे पर रज़िया के नरम और गरम होंठो को महसूस करके तड़प उठा. उसके बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.

रवि का पूरा बदन काँपने लगा. मस्ती की लेहायर रवि के रोम-2 मे दौड़ गयी. रवि अपना काबू नही रखा सका. और उसके दोनो हाथ अपने आप ही रज़िया के सर पर आ गये. और रवि ने अपने हाथों से कस के रज़िया के सर को पकड़ लिया.

रज़िया रवि को इस कदर गरम होता महसूस करके. मुँह मे रवि का लंड लिए, रवि को कनखियों से देखते हुए. अपने सर को आगे पीछे करके, रवि के लंड को मुँह के अंदर बाहर करके चूसने लगी. रवि मस्ती मे एक दम से पागल हो गया. और रवि और ज़ोर से रज़िया के सर को अपने हाथों मे पकड़ने लगा.

रज़िया भी पूरी मस्ती मे रवि के लंड को सुपाडे को चूस रही थी. फिर अचानक रज़िया ने अपने सर को हिलाना छोड़ दिया. और रवि की आँखों मे देखते हुए. अपनी जीभ को मुँह के अंदर से रवि के लंड के सुपाडे को कुरदेन लगी. रवि रज़िया की इस हरकत से एक दम तड़प उठा.

रवि: ओह्ह्ह्ह काकी. बहुट्त्त मज्जाआ आ रहा है… ओह्ह्ह काकी.

रवि की बातों को सुन कर रज़िया और ज़ोर ज़ोर से रवि के लंड को चूसने लगी. रवि अब पूरी तरहा मस्त हो चुका था. अब रज़िया को पता चल गया था. कि अगर अब उसने रवि के लंड को चूसना बंद नही किया. तो वो उसके मुँह मे ही झड जाएगा. ये सोचते हुए रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से बाहर निकाल लिया. और अपनी पीठ के पीछे अपने हाथों को लेजा कर अपनी चोली की डोरी को खोल कर ढीला कर लिया.

और फिर अपने हाथों को आगे ले जाकर रवि के पैरों को पकड़ कर आगे की तरफ फैलाने लगी. जैसे ही रवि के पैर आगे की तरफ फैल गये. रज़िया खड़ी हो गयी. और अपने पैरों को रवि के पैरों के दोनो तरफ कर लिया.

रज़िया: अब देखना आज तुझे मे दुनियाँ की सबसे कीमती चीज़ का स्वाद चखाती हूँ.

और रज़िया ने रवि के आँखों को देखते हुए. अपने लहँगे को अपनी कमर तक चढ़ा लिया. रवि की आँखों के सामने फिर से रज़िया की झान्टो से भरी हुई फूली चूत आ गये. जिसे रवि का लंड और तेज़ी से झटके खाने लगा. फिर रज़िया अपने दोनो पैरों को नली के किनारों पर रख कर रवि के ऊपेर बैठ गयी. और रवि के हाथों को पकड़ कर अपने चुतड़ों पर ले गयी.

रज़िया: अह्ह्ह्ह मेरीई राज एयेए ज़ाराअ अब मेरे चुतड़ों को पकड़ ले अहह कहीं मे पीछे की तरफ गिर ना जाउ. हन्णन्न् ऐसे ही कस के पकड़ मेरे चुतड़ों को आ हाआँ साथ मे मसल भी दे ओह मेरे राजा एयेए.

रवि ने जैसे ही रज़िया के भारी भरकम चुतड़ों को पकड़ा . उसके दिल मे अजीब सी ख़ुसी घर गयी. उसे रज़िया के चुतड़ों को पकड़ना बहुत अच्छा लग रहा था. जैसे ही रवि ने रज़िया के चुतड़ों को पकड़ा रज़िया ने अपने हाथों को आगे करके उसके कंधों को पकड़ लिया. और फिर रवि के गालों को पागलों की तरहा चूमने लगी.

रज़िया: ओह्ह्ह्ह मेरे राजा आ अहह आजज्ज मेरी चूत्त्त्त की प्यसस्स बुझा देना ओह्ह्ह्ह

और फिर रज़िया ने अपने एक हाथ को नीचे ले गयी. और अपने थूक से सने हुए लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया.

रज़िया: अहह रवीीई ओह बसस्स्सस्स आज्ज्जज मेरी चूत्त की अच्छी तरहा ठुकाई कर दो अपने मोटे लंड से चोद -2 कारर्र अहह इसका कुन्च्मर निकाल दूओ.

रवि की हालत रज़िया से भी ज़्यादा खराब हो गयी थी. और उसके हाथ पैर वासना और उतेजना के कारण कांप रहे थे. रज़िया ने अपनी आँखों को बंद कर लिया. और धीरे -2 अपनी चूत को रवि के लंड पर दबाने लगी. रवि के लंड का सुपाडा पहले रज़िया की चूत की फांकों और फिर चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा. जैसे ही रवि के लंड का मोटा सुपाडा रज़िया की चूत मे घुसा. रज़िया ने मस्ती मे आकर अपने होंठो को अपने दाँतों से काटना चालू कर दिया.

रज़िया: उंह उंह ओह अहह रवि तेरी लंड तो अहह सच मे बहुत्त मोटा हाई ओह मेरे जैसी एक बच्चे की माँ की चूत भी इसपर्ररर कसी हुईईइ महसूसस्स हो रही हैं. अहह आज्ज्जज्ज मेरीईए प्यसस्स तो बुझ ही जाएगी ओह्ह्ह्ह रवि.

रज़िया धीरे-2 अपनी चूत को रवि के लंड पर दबाती चली गयी. रवि का लंड धीरे-2 रज़िया की चूत की दीवारों पर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर जाने लगा, और रज़िया अपनी चूत की दीवारों पर रवि के लंड के घर्सन को महसूस करके, और गरम होने लगी.

रज़िया: अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईई ओह सचह मे मेरीए चूत्त्त को बहुत्त सकुन्न्ञन् दे रहा हाई तेरा ईए मुनसल सा लोड्‍ा आ रवीीईई तुईए मुझी आज खुस कार्ररर दिया.

और रवि का लंड धीरे-2 अंदर घुसता हुआ सीधा रज़िया की बच्चे दानी से जा टकराया. रज़िया को अपनी चूत की दीवारें बुरी तरहा फैली हुई महसूस हो रही थी. जो रवि के लंड पर एक दम से कसी हुई थी. जैसे ही रवि का मोटा लंड जड तक रज़िया की चूत मे घुस गया. रज़िया एक पल के लिए रुक गयी. और अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर रवि की तरफ देखा.

जो उसकी तरफ ही देख रहा था. फिर रज़िया ने अपने होंठो पर कातिल मुस्कान लाते हुए. अपनी चोली को आगे से एक हाथ पकड़ कर ऊपेर उठा दिया. रज़िया ने पहले ही अपनी चोली के पीछे लगी डोरी को खोल कर ढीला कर दिया. जिससे चोली आसानी से ऊपेर हो गयी. और रज़िया की 38 साइज़ की भरी हुई चुचियाँ उसकी आँखों के सामने आ गयी. रज़िया डॉली की तरहा गोरी नही थी. पर रज़िया की चुचियाँ उसके जितनी बड़ी ज़रूर थी. रज़िया ने अपनी एक चुचि को अपने हाथ से उठा कर अपनी चुचि को रवि के मुँह पर लगा दिया.

जैसे ही रवि की नज़र उसके काले मोटे निपल्स पर पड़ी. रवि के दिमाग़ मे डॉली की चुचि और निपल आ गया. जो उसने कल रात देखा था. रवि अपने ऊपेर काबू नही रख सका और रज़िया की चुचि के निपल को डॉली के निपल के बारे मे सोचते हुए, मुँह मे भर लिया. और बिना रुके ज़ोर-2 से चूसने लगा. रज़िया को इस बात की बिल्कुल उम्मीद नही थी. कि रवि इतनी उतेज्ना के साथ उसकी चुचि को चूसने लगेगा.
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12-20-2019, 12:53 PM,
#35
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
रज़िया: (रज़िया का रोम-2 गुदगुदा उठा. और मन ही मन मे खुस हो गयी) अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह सबसस्सस्स मेरी राजा ओह्ह्ह औरर्र जोर्र्र्रर से चुस्स्स्स्स ओह्ह्ह पी लीई सरर्रा निचोड़ लीयी ओह मस्त कारर्र दियाआ तूने छोरे ओह्ह हाआँ ऐसे हीए जोर्र जोर्र्र्र सीए चूस्ता रहह.

नीचे रज़िया की चूत अपनी गहराइयों मे रवि के मोटे लंड को लिए पानी छोड़ रही थी. जिससे रवि का लंड भी सन चुका था. अब रज़िया से भी रुकना मुस्किल हो रहा था. और उसने धीरे-2 अपनी कमर को झटके देने शुरू कर दिए. रवि का लंड सिर्फ़ 1 इंच ही बाहर आता. और फिर से अंदर घुस कर रज़िया की चूत मे बच्चेदानी से जा टकराया. हर बार रज़िया की चूत और पानी छोड़ने लगती. और रज़िया मुँह से सिसकारियाँ भरने लगती. रवि अपने लौडे पर रज़िया की चूत को कसा हुआ महसूस कर रहा था. मस्ती मे आकर वो रज़िया के दोनो मोटे -2 चुतड़ों को मसले जा रहा था.

रवि ने रज़िया की एक चुचि को मुँह से निकाल दिया. और दूसरी चुचि को मुँह मे भर कर पागलों की तरहा चूसने लगा. रज़िया के निपल पर रवि के दाँत गढ़ने लगे.

रज़िया: (एक दम मस्त हो कर चुदवा रही थी) ऑश उंह रवीिइ हाां काअतात्त और सीई अपनईए दाँतों को गढ़ा दीई ओह रवीीई.

और रज़िया अपने पंजों के बल रवि के दोनो तरफ पावं कर उकड़ू बैठी हुई तेज़ी से अपनी गान्ड को उछालने लगी. और रवि का लंड सुपाडे तक बाहर आकर अंदर बाहर होने लगा. और लंड चूत के पानी से एक दम भीग चुका था. और रज़िया की फूली हुई गुदाज चूत मे फॅक-2 की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था.

रज़िया: अहह रवि बेटा ओह बहुतत्तत्त मोटाआ हीई री तेराअ लौदाा. मेरी भोसड़ी छिल दीईए ऑश ओहजहह आहह औरर्र जोर्र्र्र से मसल्ल मेरी गान्ड्द्द को अह्ह्ह्ह अहह ओह.

और रज़िया तेज़ी अपनी गान्ड को ऊपेर की तरफ उछालते हुए अपनी चूत को रवि के लंड पर पटकने लगी. रज़िया के निपल्स चूसने के कारण और कड़े हो चुके थे. लंड चूत की दीवारों से बुरी तरहा रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.

रवि: ओह्ह्ह्ह काकी मेरा निकलने वाला है

रज़िया: हाआआं ओह्ह्ह्ह निकल्ल्ल दे ओह्ह्ह्ह निकल्ल्ल दे अपना पानी मेरीए चूत्त्त्त मे भरररर दे मेरी चूत्त को अपने गाढ़े पानी से ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मेरीईई चूत भीए ओह्ह्ह्ह ओह ओह रवीीईई.



रज़िया रवि की गोद मे बैठी हुई उससे एक दम से चिपक गयी. रवि के लंड ने अपने वीर्य की बोछार से रज़िया की गरम चूत को भर दिया. और रज़िया की कमर रह-2 कर झटके खाने लगी. और रज़िया की चूत से भी उसके काम रस की नदी से बह निकली. दोनो कुछ देर वैसे ही बैठे रहे. और फिर जब रज़िया अपने होश मे आई. तो वो रवि के ऊपेर से खड़ी होने लगी.

रवि का भीगा हुआ लंड जो अभी भी आधा तना हुआ था. पुच की आवाज़ से चूत से बाहर आ गया. रवि का लंड रज़िया की चूत के पानी से एक दम सना हुआ था. रवि रज़िया के तरफ देखने लगा. रज़िया ने अपने कपड़े ठीक किए. और अपनी लहँगे के उल्टे हिस्से से रवि के लंड को सॉफ कर दिया.

रज़िया: (रवि के लंड को सॉफ करते हुए उसकी आँखों मे देखते हुए) क्यों मेरे राजा अपनी काकी की चूत पसंद आई. तुझे मज़ा आया मुझे चोदने मे.

रवि रज़िया की बात को सुन कर एक दम से शरमा गया. और उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली. रज़िया को रवि के इस भोले पन बहुत प्यार आ रहा था. रज़िया ने रवि के फेस को अपने दोनों मे हाथों मे भर कर रवि के होंठो को चूसना चालू कर दिया. रवि भी अब थोड़ा सा खुल चुका था. और रवि भी रज़िया के होंठो को चूस कर रज़िया का पूरा साथ दे रहा था. थोड़ी देर बाद दोनो अलग हो गये.

रज़िया: अच्छा फिर कब आएगा. पता है कल मेरा मर्द अपने माँ बाप से मिलने जा रहा है. परसों वापिस आएगा. बोल आएगा ना. फिर कल चाहे जितनी देर तक मुझ चोद लेना. मे तो सारा दिन तेरा लौडा अपनी चूत मे लेकर रहना चाहती हूँ. बोल आएगा ना.

रवि ने शरमाते हुए हां मे सर हिला दिया. और उठ कर खेतों से बाहर की तरफ जाने लगा.

रवि के दिल जोरो से धड़क रहा था. वो सोच रहा था. कि कही राज उस पर नाराज़ ना हो जाए. रवि जल्दी से चलते हुए हवेली की तरफ जाने लगा. वो करीब 10 मिनट मे हवेली पहुँच गया. जब वो हाल के अंदर दाखिल हुआ. तो राज होल मे बैठा डॉली से कुछ बात कर रहा था.

डॉली: (रवि को देखते हुए) लो रवि आ गया.

राज : (रवि की तरफ देखते हुए) अच्छा अब मे चलता हूँ. शाम को जल्दी वापिस आने की कॉसिश करूँगा.

डॉली: ठीक है भैया.

और राज उठ कर बाहर आ गया. रवि दौड़ता हुआ उसके पीछे आ गया. राज ने बाहर आकर गाड़ी खोली और दोनो अंदर बैठ गये. और राज ने कार चला दी.

राज : तो आज कहाँ लेकर चल रहे हो.

रवि: बाबू जी आज एप्रा गाँव चलते हैं. वहाँ भी आपकी बहुत सारी ज़मीन हैं.

राज : ठीक है.

और राज ने कार को एप्रा गाँव की तरफ मोड़ लिया. करीब 20 मिनट तेज रफ़्तार कार चलाते हुए राज ने एप्रा गाँव पहुँचा दिया. दोनो अपने खतों के पास जाकर उतर गये. और खेतों के अंदर जाने लगी. रवि राज के खेतों मे काम करने वाले हर आदमी को जानता था. रवि थोड़ी आगे जाकर रुक गया. और दूर खेत मे काम कर रहे एक मजदूर को ज़ोर से आवाज़ दी.

रवि: ओ मुरली काका. ज़रा इधर आओ ना.

मुरली ने जब राज को रवि के साथ खड़े देखा. तो वो एक पल के लिए सोच मे पड़ गया. आख़िर रवि के साथ ये बाबू जी कॉन हैं. मुरली अपने मन मे सोचने लगा. कहीं ये राज बाबू जी तो नही हैं. ये सोचते ही वो बड़ी तेज़ी से दौड़ते हुए रवि की तरफ आने लगा. और कुछ ही पलों मे मुरली रवि के पास आ गया. वो तेज़ी से दौड़ने के कारण हाँफ रहा था. वो हाथों को जोड़ कर राज के सामने खड़ा हो गया.

रवि: मुरली चाचा. ये बाबू जी हैं. आज अपने खेतों को देखने आए हैं.

मुरली: माफ़ करना बाबू जी मैने आपको पहले कभी देखा नही था. इसीलिए पहचान नही पाया. मुझे माफ़ कर दीजिए.

राज : कोई बात नही.

मुरली एक बहुत ही दुबला पतला आदमी था. उम्र करीब 30 साल के आस पास थी. मुरली दोनो को अपने कच्चे कमरे की तरफ ले गया. और उसने बाहर खाट बिछा दी. और राज उस पर बैठ गया.

मुरली: बाबू जी आप बैठो मे अभी आता हूँ.

और मुरली दौड़ता हुआ. अपने कमरे मे गया. अंदर उसकी पत्नी निर्मला खाना बना रही थी. उसने निर्मला को राज के आने के बारे मे बताया. और जल्दी से पानी लाने के लिए कहा. और खुद बाहर आ गया. मुरली की पत्नी निर्मला कोई 25 -26 साल की थी. उसकी अभी तक कोई औलाद नही थी. कारण मुरली का कमजोर होना था. उसकी पसलियां तक दिखाई देती थी. कुछ ही देर मे निर्मला पानी का ग्लास एक पुरानी सी ट्रे मे रख कर बाहर आ गयी. और राज की तरफ पानी का ग्लास बढ़ाने लगी.

मुरली: रवि तू ज़रा इधर आ. (और मुरली रवि को अपने कमरे मे ले गया. ये पूछने के लिए कि बाबू जी किसी ज़रूरी काम से तो नही आए)
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12-20-2019, 12:54 PM,
#36
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
जैसे ही निर्मला ने पानी का ग्लास राज की तरफ बढ़ाया. वो थोड़ा झुक गयी. जिससे उसकी साड़ी का पल्लू खिसक गया. और निर्मला की बड़ी-2 चुचियाँ ब्लाउस मे कसी हुई राज की आँखों के सामने आ गयी. राज ने एक पल के लिए उसकी चुचियों की तरफ देखा. और फिर अपनी नज़रें फेर ली. निर्मला इस घटना के कारण एक दम से शरमा गयी. और थोड़ा सा घबरा भी गयी. राज ग्लास मे पानी लिए धीरे-2 पानी पीने लगा. निर्मला वहीं पैरों के बल नीचे बैठ गयी. उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया था. पर फिर भी ना जाने क्यों राज का ध्यान फिर से एक बार उसकी चुचियों की तरफ चला गया.

निर्मला की आँखें बहुत पारखी थी. जब उसने देखा, कि राज बाबू जी उसकी चुचियों को बीच -2 मे देख रहे हैं. तो निर्मला के होंठो पर मुस्कान से फैल गयी. जिसे उसने अपने होंठो पर अपनी साड़ी का पल्लू रख कर छुपा लिया. जैसे ही राज ने दूसरी तरफ नज़र घुमाई. निर्मला ने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा जान बूझ कर अपनी चुचियों से हटा लिया. जिससे उसकी ब्लाउस मे कसी हुई चुचियों का कुछ हिस्सा नज़र आने लगा.

राज ने पानी पाया. और ग्लास निर्मला की तरफ बढ़ा दिया. निर्मला ने ट्रे को आगे कर दिया. और राज ने खाली ग्लास ट्रे पर रख दिया. और निर्मला वैसे ही बैठी रही. जब भी राज निर्मला की ओर देखता. उसे निर्मला की चुचियों का ऊपरी हिस्सा दिख जाता. पर राज इन सब से बचना चाहता था.

राज : तुम ऐसे बैठी -2 थक जाओगी. जाओं अंदर जाकर आराम से अपना काम करो.

निर्मला: बाबू जी काम ही तो कर रही हूँ.

राज : क्या मतलब.

निर्मला: बाबू जी आपकी सेवा का मोका पहली बार मिला है. इससे बड़ा और क्या काम हो सकता है.

राज ने भी दुनियाँ देखी थी. वो निर्मला को कुछ ही पलों मे ताड़ चुका था. पर राज ने ललिता के अलावा किसी और औरत को आँख उठा कर भी नही देखा था. फिर कमरे से रवि और मुरली राज की तरफ आने लगे.

निर्मला: (मुस्कुरा कर खड़ी होती हुई) बाबू जी फिर हमें सेवा का मोका देना. हम कोई कसर नही छोड़ेंगी.(और निर्मला अपनी गान्ड मटकाते हुए कमरे मे चली गयी)

उसके बाद राज मुरली और रवि के साथ खेतों को चक्कर लगाने चला गया. तीनो काफ़ी देर तक घूमते रहे. जब तीन घंटों बाद वापिस आए तो रवि ने देखा राज की कार पर धूल जमी हुई है. रवि दौड़ कर कार के पास गया. और देखने लगा.

राज :क्या हुआ क्या देख रहा है.

रवि: बाबू जी आपकी कार पर धूल जम गये है. मे सॉफ कर देता हूँ.

राज ने कार से उसे एक कपड़ा निकाल दिया. और रवि कार सॉफ करने लगा. राज वहीं खड़ा हो गया.

राज : मुरली अच्छा तो मे अब हम चलते हैं.

मुरली: बाबू जी सिर्फ़ पाँच मिनिट मेरे साथ चलें. पिछली फसल को बेच कर मुझ 5 लाख रुपये मिले हैं . आपकी अमानत है. साथ मे ले जाए. आइए बाबू जी.

और राज उसके पीछे-2 उसके कमरे के पास आ गया. मुरली की बीवी बाहर एक साइड मे कपड़े धो रही थी. उसने अपनी साड़ी के पल्लू को कमर मे लापेट रखा था. जैसे ही उसने राज को मुरली के साथ आते देखा. निर्मला ने अपने ब्लाउस के ऊपेर के दो हुक्स खोल दिए. जिससे उसकी चुचियाँ और बाहर की तरफ झलकने लगी. जैसे ही राज बाहर खाट पर बैठा . मुरली पैसे लाने अंदर चला गया.

थोड़ी देर बाद अचानक उसे चूड़ियों के खनकने की आवाज़ सुनाई दी. जैसे ही राज ने सर उठा कर देखा. तो सामने निर्मला बैठी कपड़े धो रही थी. उसकी फूली हुई बड़ी-2 चुचियाँ बाहर की तरफ झलक रही थी. राज का ध्यान ना चाहते हुए भी बार-2 उसकी चुचियों पर जा रहा था. जो आधी से ज़्यादा बाहर झलक रही थी. और निर्मला राज की तरफ देख कर बेशर्मी से मुस्कुरा रही थी. थोड़ी देर बाद मुरली बाहर आ गया. और राज को एक लिफाफे मे पैसे दे दिए. और राज उठ कर कार की तरफ चलने लगा.

रवि कार सॉफ कर चुका था. जब राज ने अपनी कार को चमकते हुए देखा. तो उसने एक बार रवि के पीठ थप थपा दी. जिससे रवि खुस हो गया. जैसे ही राज कार खोल कर बैठने लगा. कार के पास आकर एक जीप रुकी. जीप में एक बहुत ही हटा कटा 30 साल की उम्र का एक आदमी बैठा था. उसकी जीप मे पीछे की तरफ चार और पहलवान टाइप आदमी बैठे थे. सब के हाथों मे गन्स थी. राज उस शख्स की तरफ देखने लगा.

आदमी: अबे ऐसे क्या देख रहा है राज पहचाना नही क्या.

राज : नही कोन हो तुम.

आदमी: यार मे हूँ विशाल विशाल ठाकुर.

विशाल और राज दोनो 12थ तक एक ही क्लास मे पढ़े थे. पर बाद मे वो राज से कभी मिल नही पाया था. राज के होंठो पर मुस्कान फैल गयी. विशाल जीप से नीचे उतरा और राज के गले से लग गया. और फिर राज के कंधों को पकड़ते हुए बोला.

विशाल: वाह याआअर जैसा नाम वैसे ही बदन बिल्कुल राजा हो गया हैं. वाह क्या गठीला बदन पाया है मेरे दोस्त ने. एक बार कोई दुस्मन देख ले तो वहीं डर कर मर जाए. तुझे देख कर बहुत ख़ुसी हुई राज.

राज : मुझ भी विशाल.

विशाल: (थोड़ा गंभीर होते हुए) सॉरी यार मुझ भाभी और डॉली बेहन के पति के बारे मे पता चला. सुन कर बहुत दुख हुआ. तेरा पता ढूँढने की बहुत कोशिश की. मे तुम्हारे दुख मे सरीक ना हो सका. हो सके तो मुझ माफ़ कर देना.

राज : (होंठो पर झूठी से मुस्कान लाते हुए) नही-2 कोई बात नही. इसमे माफी माँगने की क्या बात है. जो होना था वो तो हो ही गया.

विशाल: अच्छा यार चल मेरे साथ बहुत दिनो बाद मिला है. चल घर चल.

राज : नही यार आज नही जा पाउन्गा. फिर कभी. डॉली घर पर अकेली होगी.

विशाल: अच्छा सुन कल मेरे बेटे की बर्तडे पार्टी है. हो सके तो आ जाना. कहते हुए अच्छा तो नही लग रहा. पर तू इतने दिनो बाद मिला है. इसलिए बुला रहा हूँ. मुझ पता है अभी तुम किसी पार्टी मे नही जाना चाहोगे. पर फिर भी अपने दोस्त की खातिर आ जाना यार

राज : ठीक है मैं कल ज़रूर आउन्गा.

और राज और रवि दोनो कार मे बैठ कर अपने गाँव की तरफ चल पड़े. अब निर्मला के बारे मे कुछ बता दूं. निर्मला एक 26 साल की बहुत मस्त और चुदेल औरत थी. उसकी शादी 6 साल पहले मुरली से हुई थी. तब मुरली किसी और ज़मींदार की हवेली मे काम करता था.

जब कमजोर मुरली निर्मला के भरे हुए बदन को ठीक से संतुष्ट नही कर पाया. तो निर्मला ने अपने ज़मींदार के साथ संबंध बना लिए थे. और करीब वो उस ज़मीनदार से 2 साल तक अपनी चूत की आग को ठंडा करती रही थी. ज़मींदार महीने मे चार पाँच बार उसकी चूत को जम कर चोदता था. पर महीने मे चार-5 चुदने पर भी उसकी चूत की आग ठंडी नही हो पाती थी. और एक दिन मुरली को किसी वजह से ज़मींदार ने निकल दिया. और मुरली को राज के खेतों मे काम मिल गया था. पर खेतों मे बाकी मजदूर भी अपने परिवारों के साथ रहते थे. पर निर्मला को उनमे से कोई भी मजदूर ऐसा नही लगा जो उसके भरे हुए बदन को अपने हाथों से अच्छे से मसल सकें और उसकी चूत की आग को ठंडा कर सके.


राज और रवि कुछ ही देर बाद अपने घर पर पहुँच गये. शाम ढल चुकी थी. राज और रवि दोनो ने सुबह से कुछ नही खाया था. हरिया ने उनके आते ही खन्ना लगना चालू कर दिया. और राज अपने रूम मे फ्रेश होने चला गया. जब राज और रवि दोनो ने खाना खा लिया, तो रवि हाल मे बैठा डॉली की ओर देखने लगा. डॉली अपने हाथों मे साहिल को लिए बैठी थी. रवि का दिल छोटे से साहिल को देख कर उसको उठाने का मन करने लगा.
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12-20-2019, 12:54 PM,
#37
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
रवि उठ कर डॉली की तरफ जाने लगा. राज अपने रूम मे जाकर आराम कर रहा था. जब रवि डॉली के पास पहुँचा. तो डॉली ने रवि के तरफ देखा. और मुस्कुरा कर पूछने लगी.

डॉली: साहिल के साथ खेलने आए हो.

रवि ने हां मे सर हिला दिया. और झुक कर डॉली की गोद मे से साहिल को उठान लगा. जैसे ही रवि ने साहिल को उठाने के लिए पकड़ा. रवि का एक हाथ डॉली की कमीज़ के ऊपेर से उसकी चुचि से रगड़ खा गया. रवि के बदन मे अजीब सी सिहरन दौड़ गयी. पर अगले ही पल राज का ख्याल उसके मन मे आ गया. डॉली भी अपनी कमीज़ के ऊपेर से अपनी चुचि पर रवि के हाथ को पाकर थोड़ा सा कस मसा गयी. पर उसने अपने फेस से जाहिर नही होने दिया. आख़िर रवि **** साल का था. और अंजाने मे उसका हाथ लग गया.ये सोच कर डॉली उठ कर अपने रूम मे चली गयी.

रवि थोड़ी देर साहिल के साथ खेलता रहा था. पर अब उसका ध्यान मे पिछले एक दो दिनो से चल रही घटनाएँ घूमने लगी. और वो साहिल को लेकर खड़ा हुआ. और डॉली के रूम की तरफ चल पड़ा. ऊपेर आकर उसने डोर नॉक किया. थोड़ी देर बाद डॉली ने डोर खोला.

रवि: दीदी वो मे खेतों मे जा रहा हूँ.

डॉली ने साहिल को रवि से ले लिया. और वो बाहर आकर खेतों की तरफ चल पड़ा. जब रवि खेतों मे पहुँचा . तो उसकी नज़र रज़िया पर पड़ी. रज़िया अपने कमरे के सामने झाड़ू लगा रही थी. उसका बेटा वहीं खेल रहा था. रज़िया रवि को देख कर मुस्कुराने लगी. वो मन ही मन सोचने लगी. ये लौन्डा तो मेरी चूत का गुलाम बन गया. अब इसके लंड का सारा रस अपनी चूत से निचोड़ लूँगी. रवि रज़िया के पास आ गया.

रज़िया: (इधर उधर देखते हुए.) तू बड़े टाइम पर आया है. तुझे एक अच्छी खबर सुनानी है. जिसे सुन कर तू खुस हो जाएगा.

रवि: (रज़िया की बात को सुन कर रवि का दिल जोरों से धड़कने लगा) क्या बताना है काकी.

रज़िया: (रज़िया ने फिर से इधर उधर देखा. फिर उसने अपने बेटे को जो कि रवि से काफ़ी छोटा था उसे डाँट कर अंदर बेज दिया) तेरा काका आज शहर से ही अपने माँ बाबा से मिलने चला गया है. जब शंकेर (मजदूर जो राज के खेतों मे ही काम करता था पर उसका कमरा काफ़ी आगे था) वापिस आया तो उसने बताया था. कि वो अब परसों वापिस आने के लिए कह गया है.

रवि: तो फिर चाची (उत्सुकता के साथ)

रज़िया: एक बार रात को तू कैसे भी कर यहाँ आ जा. फिर देख तुझे सारी रात कैसे चुदाई के नये-2 खेल सिखाती हूँ.

रवि: पर मे रात को कैसे आ सकता हूँ.

रज़िया: अर्रे तू अभी हवेली जाकर बोल आ के तू आज रात मेरे साथ रहेगा. वैसे भी तेरे काका ने मुझ आज सुबह ही बोला था. कि उनके जाने के बाद मे तुझे अपने पास सुला लूँ. जा अब जल्दी से जाकर बोल आ अंधेरा होने वाला है. मे तेरे लिए यहीं खाना भी बना लूँगी.

रवि मूड कर वापिस जाने लगा.

रज़िया: अर्रे एक मिनिट रुक तो सही. (रवि रुक गया और रज़िया की तरफ देखने लगा. रज़िया के होंठो पर वासना से भरी हुई मुस्कान फैली हुई थी) पहले ये तो बता जा. सारी रात अपना लंड मेरी चूत मे डाल कर मुझ चोदेगा ना.

रवि रज़िया की बात को सुन कर झेंप गया. और तेज़ी से वापिस हवेली का तरफ भागते हुए जाए लगा. रज़िया रवि को इतना उत्सुक देख मुस्कुराने लगी. रज़िया के चूत तो ये सोच -2 कर ही पानी छोड़ने लगी थी. कि आज रात उसकी जी भर कर चुदाई हो गी.

रवि हवेली मे पहुँच कर सीधा हरिया काका के पास चला गया. और हरिया काका को ये बता कर कि रज़िया काकी घर पर अकेली है. और उसका मर्द उसे वहाँ सोने के लिए बोल गया है. इसलिए मैं वहीं जा रहा हूँ. ये कह कर वो वापिस खेतों मे आ गया. अब आसमान मे अंधेरा छाने लगा था. जब रवि रज़िया के कमरे मे पहुँचा . तो रज़िया कमरे के बाहर चूल्हेन पर खाना बना रही थी.रवि को देख रज़िया के होंठो पर मुस्कान फैल गयी.

रज़िया: तू कमरे के पीछे जाकर बैठ मैने वहाँ बाहर खाट बिछा रखी है.अगर बाहर तुझे किसी ने गुज़रते हुए देख लिया. तो बेकार ही सवाल करने आ जाएगा. तू बेफिकर हो कर अंदर बैठ . मे खाना लेकर आती हूँ.

रवि कमरे के पीछे की तरफ चला गया. क्योंकि कमरे मे उसका बेटा बैठा हुआ था. जो काफ़ी छोटा था इन्सब बातों को समझने के लिए. पर रज़िया कोई रिस्क नही लेना चाहती थी. रज़िया ने खाना तैयार कर परोस लिया. और अपने बेटे को कमरे मे खाना देने चली गयी. खाना देने के बाद वो बाहर आने लगी.

रज़िया: मुनसून मे ज़रा खेतों मे जा रही हूँ. मेरा पेट ठीक नही है. मे थोड़ी देर मे आती हूँ.

और ये कह कर रज़िया बाहर आई. और खाना प्लेट मे डालकर कमरे के पीछे आ गये. वो अपने साथ लालटेन भी ले आई थी. उसने रवि को खाना दिया. और बोली.

रज़िया: सुन मेरे राजा . मुन्ना अभी खाना खा रहा है. वो थोड़ी देर सो जाएगा. फिर मे तुझे अंदर बुला लूँगी.

रवि: (रज़िया की बात सुन कर थोड़ा परेशान हो गया.) पर काकी अगर वो जाग गया तो ?

रज़िया: तू इसकी फिकर ना कर. तूने मेरा कमरा देखा नही है अंदर से.

रवि: देखा है पर.

रज़िया: पर क्या मेरे कमरे के बीच मे एक दीवार है ना. जिसमे दो कमरे बने हुए हैं. यहाँ हम जलावन (आग जलाने के सुखी लकड़िया) रखते हैं मैने उसकी सफाई कर दी है. और नीचे एक बिस्तर बिछा लिया है. हम दोनो वहाँ ही लेट कर आराम से करेंगे.

रवि: पर काकी उसका तो दरवाजा नही है. वो तो खुला है. अगर मुन्ना अंदर आ गया. और उसने हमें देख लिया तो.

रज़िया: वो उसमे नही जाता. उसे चूहों से बहुत डर लगता है. चाहे जो मर्ज़ी हो जाए. पर वो उसमें नही जाता. मेने आजमा कर देखा हुआ है. अगर वो जाग भी गया, तो वो पहले मुझ आवाज़ लगाएगा. तू फिकर ना कर. अच्छा मे चलती हूँ. तू आराम से खाना खा और फिर लालटेन बंद कर देना. नही तो कोई देख सकता है. मे तुम्हें थोड़ी देर बाद कमरे मे लेकर चलती हूँ.

और रज़िया अपने कमरे मे चली गयी. रवि वहीं बैठ खाना खाने लगा. रवि खाना खा चुका था. अब आसमान मे पूरा अंधेरा हो चुका था. रवि ने लालटेन बंद की. और बर्तन को उठा कर कमरे के आगे आ कर बाहर रख दिए. फिर पीछे आकर चारपाई को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया. और रज़िया का इंतजार करने लगा.

रवि इंतजार किए जा रहा था. पर रज़िया बाहर नही आई थी. रवि तक कर कमरे के आगे की तरफ आने लगा. तभी उधर से रज़िया भी बाहर आ गयी.

रवि: (गुस्से से) क्या काकी इतनी देर लगा दी. मच्छरों ने काट खाया है मुझे.

रज़िया: ओह्ह्ह मेरे राज आ क्या बताऊ वो सोने का नाम ही नही ले रहा था. अब चल जल्दी अंदर चल.

अंधेर बहुत ज़्यादा था. इसलिए रवि रज़िया को ठीक से देख भी नही पा रहा था. जैसे ही दोनो कमरे के दरवाजे पर पहुँचे . रज़िया ने अपने होंठो पर एक उंगली रखते हुए. रवि को चुप रहने का इशारा किया. और फिर धीरे-2 कमरे का डोर खोला. और दोनो दबे पावं अंदर आ गये. जैसे ही दोनो अंदर आए. रवि का लंड उसके पाजामे मे तन कर झटके खाने लगा. रवि की हालत एक दम से रज़िया को देख कर खराब हो गयी.

रज़िया ने अपनी चोली पहले से उतारी हुई थी. और उसने अपने लहँगे को अपनी चुचियों पर बाँध रखा था. जो मुस्किल से उसकी आधी जाँघो को ढक पा रहा था. कमरे मे लालटेन जल रही थी.

रज़िया ने इशारे से रवि को दूसरे तरफ जाने के लिए कहा. रवि दूसरे कमरे मे आ गया. जो काफ़ी छोटा था. पर रज़िया ने सब ठीक से रख कर बिस्तर के लिए जगह बना ली थी. रज़िया ने एक बार चारपाई पर लेटे अपने बेटे को देखा. जो बहुत ही गहरी नींद मे था. और फिर रज़िया ने लालटेन के लौ को धीमा कर दिया. अब कमरे मे बहुत हल्की रोशनी रह गयी थी. रज़िया ने लाल टेन को दोनो कमरों के बीच मे दरवाजे पर लटका दिया.ताकि दोनो तरफ हल्की रोशनी रह सके.

रज़िया फिर रज़िया रवि के पास आकर नीचे बिछे बिस्तर पर बैठ गयी. और रवि को अपनी बाहों मे भर कर उसके होंठो को चूमने लगी. रवि के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.

रवि: (अपने होंठो को अलग करते हुए) काकी मुन्ना इधर तो नही आएगा ना.

राइज़ा: (धीमी आवाज़ मे फुसफुसाते हुए) नही आएगा. जब मेरा मर्द मुझ कभी कभार दो चार महीने मे चोदता है. तू मुझे पूरा नंगा कर देता है. साले भोसड़ी वाले से कुछ होता तो हैं नही. बस ऐसे ही नंगा करके पानी छोड़ कर सो जाता है. और मे सारी रात ऐसे ही नंगी लेटी हुई अपनी चूत को मसलते रहते हूँ. कई बार मुन्ना उठा भी है. पर वो डर के मारे अंदर नही आता. चल अब मूड खराब ना कर.

फिर रज़िया पीठ के बल लेट गयी. और रवि को अपने ऊपेर खींचते हुए. उसके होंठो को चूमने लगी. रवि जो पहले ही सुबह से चुदाई के बारे मे सोच-2 कर गरम हो रहा था. उसने भी रज़िया के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया. और ज़ोर-2 से चूसने लगा.
जब रज़िया ने देख के रवि अब खुद उसके होंठो को चूस रहा है. तो रज़िया ने अपने होंठो को ढीला छोड़ दिया. और रवि से अपने होंठो को चुस्वा कर मज़ा लेने लगी.

रज़िया ने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया. और अपनी टाँगों को थोड़ा सा फैला लिया. रवि जो कि रज़िया के ऊपेर लेटा हुआ था. रवि की कमर का नीचे का हिस्सा. रज़िया की टाँगों के बीच मे आ गया. इन सब हरकतों के दौरान जो लहंगा रज़िया ने ऊपेर करके अपनी चुचियों पर बाँध रखा था. वो अब उसकी कमर से भी ऊपेर हो गया था. और रवि का पाजामे मे तना हुआ लंड सीधा उसकी चूत के ऊपेर आकर चूत पर पाजामे के अंदर से रवि का सख़्त लंड लगा. रज़िया कसमसा गयी.

रज़िया: (अपने होंठो को रवि के होंठो से हटाते हुए)ओह्ह्ह रवीीईईई मेरे राज आआ. आज्ज्जज तू चाहे जितनाअ मर्ज़ी चोद्द्द्द ले मेरीई चूत को अहह चाहे तू अपना मुनसल सा लौदाा सारी राअतात्त मेरी चूत मे ओह्ह्ह्ह डाल कार्ररर लेटायाया रहह ऐसे हीए.

रज़िया आह ओह करती हुई बहुत ही धीमी आवाज़ मे सिसकारियाँ भर रही थी. और रवि रज़िया के गालों और नेक को अपने होन्ट से किस कर रहा था. रज़िया के रोम -2 मे मस्ती छाने लगी थी.

रज़िया: (अपने ऊपेर से रवि को हटाते हुए. और रवि रज़िया की जाँघो के बीच मे बैठा था) अहह बससस्स अब चल अपना लौडा जल्दी से निकाल ले. और बर्दास्त नही होता अब.

और रवि रज़िया की जाँघो के बीच मे खड़ा हो गया. और अपने पाजामे के नाडे को खोल कर अपना पाजामा निकाल कर एक तरफ रखे संदूक पर रख दिया. तब तक रज़िया अपनी चुचियों पर बँधे लहँगे के नाडे को खोल चुकी थी. और उसने अपने लहँगे को नीचे सरका दिया था. अब रज़िया का लहंगा उसके पेट मे सिमट गया था.
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12-20-2019, 12:54 PM,
#38
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
रज़िया की 38 साइज़ की साँवले रंग की चुचियाँ अब लालटेन की हल्कती रोशनी मे रवि की आँखों के सामने आ गयी थी. रवि का लंड रज़िया की चूत और चुचियों को देख कर झटके खाने लगा. और रज़िया का दिल रवि के मोटे लंड को देख जोरों से धड़कने लगा.

रज़िया: रवि अब वहाँ खड़ा-2 अपनी काकी की चूत और चुचियों को ऐसे ही घूरता रहे गा. जान कुछ करेगा भी. चल आ देख तेरे लौडे को देख मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया है.

रवि रज़िया की बात सुनते ही फिर से रज़िया के ऊपेर आ गया. और रज़िया की लेफ्ट चुचि के निपल को मुँह मे भर कर चूसना चालू कर दिया. रज़िया के मुँह से आह निकल गयी. और उसने रवि को अपनी बाहों मे भर लिया. नीचे रवि का तना हुआ मोटा लंड रज़िया की चूत की फांकों पर रगड़ खा रहा था.

रज़िया: ओह्ह्ह्ह बेटा अहह चूस ले चूस और ज़ोर से चुस्स्स्स ओह्ह्ह्ह अपनी काकी की चुचियों को आह अह्ह्ह्ह तू बहुत्त्त्त अच्छी चुचि चूस्ता हाईईइ ओह्ह तेरा काका साला भोसदिईईईई का हारमम्म की औलाद सीई कुछ भीई नही होताा. ओह्ह्ह बेटा औरर्र ज़ोर से चुस्स्स्स अपनी काकी की चुचियों कूऊऊ आह

रज़िया रवि के मोटे लंड के सुपाडे को अपनी चूत केए फांकों पर महसूस करके एक दम मस्त हो चुकी थी. और अब वो जल्दी से जल्दी अपनी चूत मे उसके मोटे लंड को ले लेना चाहती थी. लंड को चूत मे लेने की तड़प मे रज़िया का एक हाथ नीचे रवि के लंड पर पहुँच गया. और उसने रवि के लंड को अपनी हथेली मे पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया.

रज़िया: (काँपते हुए ) रवीीईईई उंह बसस्स अब जल्दी से अपना लाउडाया मेरी चूत मे घुसा दे ओह. अब मेरीईए चूत्त्त मे खुजली बढ़ गयी है.

रज़िया की बात को सुनते ही रवि ने धीरे -2 अपने लंड को अंदर पेलना चालू कर दिया. रज़िया जानती थी कि रवि इस मामले मे अनाड़ी है. इसलिए उसने रवि के लंड को अपने हाथ मे थामें रखा. और जब रवि के तने हुए मोटे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के छेद मे चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस्स गया. तो रज़िया ने अपने हाथ से रवि के लंड को छोड़ दिया.

और रवि की पीठ पर अपने दोनो हाथों को कस लिया. रवि रज़िया की दोनो चुचियों को बारी-2 चूस्ते हुए धीरे-2 अपने लंड को रज़िया की चूत मे घुसता चला गया. और रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की गुदाज फूली चूत की दीवारों को फैलाता हुआ चूत की गहराइयों मे उतरता चला गया. रज़िया अपनी चूत की दीवारों पर रवि के लंड के मोटे सुपाडे की रगड़ को महसूस करते हुए. और गरम होने लगी. और तेज़ी से रवि के बालों को सहलाने लगी.


कुछ ही पलों मे रवि का पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों मे समा गया. और रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की बच्चेदानी से जा टकराया. और रज़िया के मुँह से संतुष्टि भरी अहह निकल गयी. रज़िया ने अपनी मदहोशी से भरी आँखों से रवि की तरफ देखा. रवि एक दम मस्त होकर रज़िया की चुचियों को चूस रहा था. और दोनो हाथों से उसकी बड़ी-2 चुचियों को पकड़ कर मसला रहा था.

रज़िया अपनी चूत मे रवि के लोहे जैसे सख़्त लंड को फँसा हुआ महसूस करके एक दम मस्त हुई जा रही थी. उसे रवि पर बहुत प्यार आ रहा था. रज़िया ने अपने दोनो हाथों से रवि के फेस को पकड़ कर ऊपेर उठाया. रज़िया का निपल पक की आवाज़ से रवि के मुँह से बाहर आ गया. और रवि रज़िया की वासना से भरी आँखों मे देखने लगा.

दोनो बहुत तेज़ी से साँस ले रहे थे. आग दोनो तरफ भड़की हुई थी. रज़िया ने रवि के फेस को अपने हाथों मे लेकर पागलों की तरहा चूमना चालू कर दिया. और उसके पूरे चहरे पर चुंबन की बोछार कर दी. फिर रज़िया ने अपने कांप रहे होंठो को रवि के होंठो पर रख दिया. और रवि के मुँह मे अपनी जीभ डाल कर रवि की जीभ से रगड़ने लगी. नीचे रवि का लंड उसकी चूत की गहराइयों मे फँसा हुआ था. रवि से अब बर्दास्त करना मुस्किल हुआ जा रहा था.

उसने नीचे से अपनी कमर को धीरे-2 ऊपेर की ओर उठाना चालू कर दिया. रवि का लंड रज़िया की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ बाहर आने लगा. जिससे रज़िया के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. और उसने रवि को अपनी बाहों मे कस लिया. जैसे ही रवि का लंड उसके सुपाडे तक बाहर आया. उसने अपनी कमर को पूरी रफ़्तार से नीचे की ओर धेकेल दिया. लंड पूरी रफतार से उसकी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ फिर चूत की गहराइयों तक उतार कर रज़िया की बच्चेदानी जा टकराया.

रज़िया का पूरा बदन कांप गया. उसने अपने होंठो को रवि के होंठो से हटाया. और उसके मुँह से अह्ह्ह्ह निकल गयी. और रवि की ओर वासना भरी मुस्कान के साथ देखते हुए बोली.

रज़िया: (अपने होंठो पर मुस्कान लिए) आह छील कर रख दी मेरी चूत ओह्ह्ह धीरे नही चोद्द्द्द्द सकता. मेरी नाज़ुक सी चूत को छील कर रख दिया. आह ऐसे भी कोई किसी की चूत्त्त को चोदता है…

रवि: (रज़िया की बात सुन कर एक दम से घबरा गया) क्या हुआ काकी. बहुत दर्द हो रहा है. मुझे क्या पता था कि आप को इतना दर्द होगा. मुझ माफ़ कर दो. अब मे धीरे-2 करूँगा. सच मे जैसे आप कहो.

रज़िया: (दिल ही दिल मे खुस होते हुए) अरे नही-2 मे तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी. तू जैसी चाहे मुझे चोद सकता है. जितना जोर्र्र से अपना लौडा अपनी काकी की चूत्त्त्त्त मे पेलना चाहता हाीइ. पेल दे. मे कुछ नही कहूँगी. पर हां किसी कुँवारी लोंड़िया को इतनी जोर्र्र से मत चोदना. जब तेरे मोटे लंड्ड्ड से एक बच्चा पैदा की हुई मेरी जैसी चूत्त के दीवारों को हिला कर रख दिया. तो कुँवारी लड़की की चूत तू सच मे फदद्ड़ हीईए देगा.

रज़िया की बात को सुन कर रवि की जान मे जान आई. औरर्र रज़िया की बातों ने उसमे नया जोश भर दिया. और रवि ने बिना कुछ बोले अपने लंड को तेज़ी से रज़िया की चूत मे तेज़ी से अंदर बाहर करना चालू कर दिया. रवि का मोटा लंड अब रज़िया की चूत की दीवारों से बुरी तरहा रगड़ ख़ाता हुआ तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा. और रज़िया के बदन मे मस्ती छाने लगी.

रज़िया: ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह धीरीईए धीरीए करूऊऊओ ओह हइई माररर डाला उफफफफफ्फ़ सुन्न्ं रवि ओह्ह्ह ओह मुनाअ उठ जाएगाअ ओह उंह हां सलीई चोद्द्द्द अपनी ककीइ को ओह्ह्ह्ह अपने मुनसल लंड सीई और्र जोर्र्र से चोद्द्द्द ओह्ह्ह .

रवि का लंड अब पूरी तरहा रज़िया की चूत के पानी से भीग चुका था. और फॅक-2 की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था. रज़िया भी पूरी मस्त हो चुकी थी. और उसने अपनी टाँगों को उठा कर रवि के चुतड़ों पर कस लिया. और अपने होंठो को दाँतों मे भेंच कर अपनी गान्ड को ऊपेर की तरफ उछाल कर अपनी चूत को रवि के लंड पटकने लगी.

रवि ने जब रज़िया को ऐसे गान्ड उछाल कर अपना लंड अपनी चूत मे लेते देखा. तो रवि और पागल हो गया. और पूरे ज़ोर से अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर ज़ोर-2 से अंदर पेलने लगा. दोनो की जाँघो के आपस मे टकरा कर तप-2 की आवाज़ करने लगी.

रज़िया: ओह्ह्ह और चोद्द्द्द्द ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उंह मेरीए चूत पानी छोड़ने वाली है ओह्ह्ह्ह रवि बेटा ओह ओह ओह उईईई म्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईई ओह

और रज़िया का बदन ढीला पड़ गया. उसकी टाँगें जो रवि के चुतड़ों पर थी. नीचे हो गयी. और रवि की बाहों मे भरते हुए उसके होंठो को चूमने लगी. रवि भी झड़ने के करीब था. इसलिए वो और तेज़ी से रज़िया की चूत मे अपना लंड पेलने लगा. और कुछ ही पलों मे रवि का बदन अकड़ गया. और उसने रज़िया की चूत मे अपने गाढ़े पानी की बौछार कर दी. जैसे ही रवि का झड़ना बंद हुआ. रवि रज़िया के ऊपेर लूड़क गया.

रज़िया रवि का लंड अपनी चूत मे लिए हुए. वैसे ही लेटी रही. और रवि के बालों को सहलाने लगी. रवि के गाल रज़िया की चुचियों पर दबे हुए थे. और रवि का आधा तना हुआ लंड अभी भी रज़िया की चूत मे ही था.

. और रवि का लंड आधा तना हुआ लंड अभी भी रज़िया की चूत मे ही था.

रज़िया: रवि तूने तो कामाल कर दिया. मेरी चूत को खूब रगड़ -2 कर चोदा है तूने.

रवि रज़िया के ऊपेर से उतर कर उसकी बगल मे लेट गया. रज़िया ने उसकी तरफ करवट ली. और उसके साथ चिपक कर लेट गये. दोनो एक दूसरे के बाहों मे समाए हुए थे. तभी बाहर बिजली कड़कने की आवाज़ आई. दोनो एक पल के लिए सहम गये. पर जैसे ही बारिश की आवाज़ उनको सुनाई दी. दोनो को थोडा सकुन मिला.

रज़िया: (रवि के होंठो को चूमते हुए) रवि तू मुझे रोज चोदेगा ना.

रवि: हां काकी.

रज़िया: जिस तरहा तू मेरी चूत मे अपना लंड कस कस के मार रहा था. वैसे तो बड़े-2 आदमी नही कर पाते. सच मे छोरे तूने आज अपनी काकी का दिल जीत लिया है.

रज़िया अपना एक हाथ नीचे ले गयी. और रवि के लंड को पकड़ कर धीरे-2 सहलाने लगी. रज़िया ने एक टाँग उठा कर रवि की जाँघ पर रख दी. और फिर दूसरे हाथ से रवि का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गये.

रज़िया: रवि मेरी चूत को सहला ना.

जैसे ही रवि का हाथ रज़िया की चूत पर लगा. रवि का हाथ रज़िया की चूत के पानी से गीला हो गया.

रवि: काकी आपकी चूत तो अभी भी पानी छोड़ रही है.

रज़िया : (अपनी चूत पर रवि के हाथ को महसूस करके उसे एक दम लिपट गयी.) तेरे लंबे लंड ने मेरी ऊट को गहरा खोद-2 कर पानी निकाल दिया है. सच मे जालिम जो भी तेरे बीवी बनेगी. उसके तो भाग खुल जाएँगे. रोज तेरा लंड अपनी चूत मे लेने के लिए मचले गी.

रवि के सिकुडे हुए लंड मे धीरे-2 फिर से जान आने लगी. जैसे ही रवि का लंड मे थोड़ा सा तानव आया. रज़िया उठ कर रवि के पैरों को फैला कर उसकी जाँघो मे बैठ गयी. और रवि के लंड के सुपाडे को धीरे-2 अपने अंगूठे से सहलाने लगी. रवि के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.

रवि: आह काकी क्या कर रही हो. गुदगुदी हो रही है.

रज़िया: आगे -2 देख. मे तुझे चुदाई के क्या क्या रंग दिखाती हूँ.

और ये कहते ही. रज़िया ने झुक कर रवि के लंड को मुँह मे ले लिया. और रवि के लंड के सुपाडे को होंठो मे दबाए हुए आगे पीछे करने लगी. रवि तो मस्ती के सागर मे गोते खा रहा था. उसने रज़िया के सर को दोनो हाथों से पकड़ लिया. और रज़िया अपने मुँह के अंदर लिए हुए रवि के सुपाडे को अपनी जीभ की चोंच से कुरदेन लगी. रवि की कमर मस्त हो कर झटके खाने लगी.
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12-20-2019, 12:55 PM,
#39
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
रवि का लंड कुछ ही देर मे तन कर फूल गया. रज़िया का दिल फिर से जोरों से धड़कने लगा.वो अपनी मुट्ठी मे रवि के लंड को भींचे हुए हाथ से हिलाते हुए चूस रही थी. रवि का लंड रज़िया के थूक से सन चुका था. जब रवि का लंड पूरी तरह ना खड़ा हो गया. तो रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से निकाल दिया. और रवि की बगल मे अपने पैरों को चौड़ा कर लेट गयी.

रज़िया: आ रवि अब जल्दी से अपना लौडा मेरी चूत मे घुसा दे.

रवि उठ कर रज़िया की जाँघो मे आ गया. और रज़िया की टाँगों को मोड़ कर ऊपेर उठा दिया. रज़िया की चूत का छेद रज़िया के रस से भीगा हुआ था. और कभी सिकुड और फैल रहा था. रवि का लंड रज़िया की चूत के रसीले छेद को देख कर झटके खाने लगा. रवि एक टक रज़िया की चूत के छेद को घूरे जा रहा था.

रज़िया: क्या देख रहा है छोरे.

रवि: काकी वो आपकी चूत का छेद ऐसे क्यों खुल और बंद हो रहा है.

रज़िया: (रवि की बात सुन कर मुस्कुराने लगी. उसे रवि के भोले पन पर बहुत प्यार आ रहा था) अर्रे मेरे राजा . वो तो तेरे लंड के लिए तड़प-2 कर अपने आँसू बहा रही है.

रवि: काकी मे एक बार इसे प्यार करना चाहता हूँ.

रज़िया: तो कर ले ना किसने मना किया है. ये चूत तेरी ही तो है.

और रज़िया ने अपने दोनो हाथों को नीचे ले जाकर अपनी उंगलियों से फैला लिया. जिससे रज़िया की चूत का गुलाबी छेद पूरी तरह खुल कर रवि की आँखों के सामने आ गया. और रवि अपनी हसरत भरी नज़रों से रज़िया की चूत के लबलबा रहे छेद को देखने लगा. फिर कुछ देर देखने के बाद रवि रज़िया की चूत के ऊपेर झुक गया. और अपने मुँह को रज़िया की चूत के बहते हुए छेद पर लगा दिया.


रज़िया: ओह्ह्ह्ह रवि मेरे राजा एयाया बेटा ओह्ह्ह्ह हाआँ चुस्स्स ले अपनी काकी की चूत का रस ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई

रवि धीरे-2 अपनी जीभ बाहर निकाल कर रज़िया की चूत के भीगे हुए छेद को चाटने लगा. पर कुछ ही पलों मे रज़िया की चूत का रस रवि के मुँह मे घुल गया. जिसका रवि आदि नही था. उसे उबकाई आने लगी.

रज़िया: (रवि की हालत देखते हुए) एक आहह एक मिनिट रुक बेटा ओह्ह्ह्ह. जा वहाँ से वो कपड़ा उठा ले आ.

रवि ने उस ओर देखा जिस ओर रज़िया इशारा कर रही थी. दीवार के साथ पड़े संदूक के ऊपेर एक पुराना सा कपड़ा रखा हुआ था. रवि उठ कर वहाँ गया. और कपड़ा उठा कर फिर से रज़िया की जाँघो के बीच मे बैठ गया. रज़िया ने रवि के हाथ से कपड़ा लिया, और अपनी चूत को सॉफ करने लगी. जब रज़िया की चूत एक दम सूख गयी. तो रज़िया ने कपड़े को एक तरफ फेंक दिया.

रज़िया: अब चाहे जितना दिल करने उतना प्यार कर ले अपनी काकी की चूत को, मे भी तो बरसों से तड़प रही हूँ, कि कोई मेरी चूत को इस तरहा प्यार करने.

रवि रज़िया की वासना से भरी आँखों मे फिर से देखते हुए. उसकी चूत पर झुकने लगा. रज़िया अपनी साँसे रोके अपनी चूत पर रवि के होंठो के स्पर्श का इंतजार करने लगी. और जैसे ही रवि के होंठो ने रज़िया की फूली हुई चूत को छुआ. रज़िया ने अपने होंठो को दाँतों मे भींचते हुए अपने आँखों को बंद कर लिया.

रज़िया: उम्ह्ह्ह्ह्ह ओह रवि. हाआअँ आईसीई ही अपनी काकी कीयेयी चूत को प्यार करो. ओह्ह्ह सच मे बहुत अच्छा लग रहा है. ओह मेरी राजा एयेए बेटा. तूने तो लगता हाई पीछे से ही सब कुछ सीख कर आया है. उम्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रवि. और ज़ोर सीई चूस. ओह ओह .

रज़िया का बदन मस्ती मे कांप रहा था. और रज़िया अपने दोनो हाथों की उंगलियों को रवि के बालों मे घुमा रही थी. और धीरे-2 अपनी कमर को उचका कर रवि के मुँह पर अपनी चूत को रगड़ रही थी.

रज़िया एक दम गरम हो चुकी थी. उसकी चूत मे फिर से उसका रस आने लगा था. रज़िया ने अपने हाथों से रवि के कंधों को पकड़ कर ऊपेर खींच लिया. और अपने मस्ती से भरी हुई आँखों से रवि को देखने लगी.

रज़िया: (काँपती हुई आवाज़ मे) ओह्ह रवि आज तूने मस्त कर दिया. ओह्ह्ह बेटा अब जल्दी से अपना लंड मेरी चूत मे घुस्सा दे. ओह्ह्ह रवि.

रज़िया ने एक हाथ से रवि के लंड को जड से पकड़ लिया, और लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर टिका दिया. और मदहोशी से भरी आवाज़ मे बोली.

रज़िया: ले मेरी राजा आ, अपनी रज़िया की चूत मे डाल दे अपना लौडा.

ये बात सुनते ही, रवि ने बिना कोई पल गँवाए ज़ोर दार धक्का मारा. लंड चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ एक ही बार मे आधा अंदर घुस्स गया. और रज़िया के मुँह से मस्ती और दर्द से भरी हुई आह निकल गयी.

रज़िया: ओह जालिम क्यों कहर ढा रहा है, अपनी काकी की चूत पर. ओह्ह्ह धीरे कर्र. बहुत दर्द होता है.

रवि को इस रात की पहली चुदाई की घटना याद आ गयी. जिसमे रज़िया ने उसे कहा था. वो जैसे चाहे उसे चोद सकता है. ये सोचते ही रवि के दिल की धड़कने बढ़ गयी. और रवि ने रज़िया की टाँगों को घुटनो से मोड़ कर उसके सर के ऊपेर कर दिया. और एक और ज़बर्दास्त धक्का मारा. इस बार रवि का लंड और तेज़ी से रज़िया की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ पूरा अंदर घुस गया, और रज़िया की बच्चेदानी से जा टकराया.

रज़िया: अहह मार्र डाला ओह रवीीई धीरीए-2 कर्र ओह्ह्ह.

रवि: (तेज़ी से साँस लेते हुए) काकी मे तुझे कस-2 के चोदना चाहता हूँ. मे तेरी चूत को फाड़ना चाहता हूँ.

रज़िया: (अपनी चूत को रवि के लंड पर कसी हुई महसूस करके गरम होते हुए) आह रवि जैसी मर्ज़ी चोद ले . जितने जोर्र्र से चोदना चाहता है चोद ले ओह्ह्ह बससस्स एक वादा कारर्र मुझे कि तू मुझे जब भी टाइम मिलेगा चोदने आ जाएगा.

रवि: हां काकी जब भी तुम कहो गी. मे तुम्हें ज़रूर चोदुन्गा.

रज़िया: ( रज़िया के होंठो पर रवि की ये बात सुन कर मुस्कान फैल गयी.) एक मिनिट यारा. अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल. फिर तुझे बताती हूँ. जब किसी की जोरदार चुदाई करनी हो तो कैसे करते हैं.

रवि ने अपने लंड को रज़िया की चूत से बाहर निकाल लिया. जो रज़िया की चूत के पानी से एक दम भीगा हुआ था. जैसे ही रवि ने अपना लंड रज़िया की चूत से निकाला. रज़िया उठ कर उल्टी हो गयी. और डॉगी स्टाइल मे आ गयी. फिर रज़िया अपनी गान्ड को उठा लिया. और अपनी कमर को अंदर की ओर मोडते हुए आगे से नीचे झुक गयी. जिससे उसकी फूली हुई गीली चूत पीछे से बाहर की तरफ आ गयी.

ये सब देख रवि का लंड और तेज़ी से झटके खाने लगा. उसके लंड के नसें और कस गयी.

रज़िया: आज्जा मेरे शेर, अब डाल दे अपना मुनसल मेरी चूत मे. फिर मेरे गान्ड को पकड़ कर ज़ोर-2 से अपना लंड मेरी चूत मे पेलना.

रवि रज़िया की बात सुन कर उसके पीछे आ गया. और घुटनो के बल बैठ कर थोड़ा सा उँचा हो गया. जिससे उसका तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के छेद के बराबर हो गया. रज़िया अपने एक हाथों को अपनी दोनो जाँघो मे से निकाल कर अपनी चूत की फांकों को फैलाए हुए थी.

ये देख रवि के लंड और तन गया, और रवि ने अपने लंड के सुपाडे को रज़िया की चूत के गुलाबी छेद पर टिका दिया. जैसे ही रवि के लंड का गरम सुपाडा रज़िया की चूत के छेद पर लगा. रज़िया के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. और उसकी चूत की दीवारों मे सरसराहट होने लगी. रज़िया ने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया. और दोनो कोहानियों को नीचे टिका दिया.

जैसे ही रज़िया ने अपनी चूत की फांकों को चौड़ाया. उसकी चूत की फाँकें रवि के मोटे लंड के गुलाबी सुपाडे के चारों ओर कस गयी. जैसे वो रवि के लंड को अपने अंदर खींच लेना चाहती हों.
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12-20-2019, 12:55 PM,
#40
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
रज़िया: अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह बेटा हान्णन्न् अब मेरीई गान्ड को पकद्दद्ड कर फैला कर्र दबोच लीईए ओह हां ऐसे हीई ( रज़िया की बात सुन कर रवि ने रज़िया के चुतड़ों को दोनो हाथों मे पकड़ कर दोनो ओर फैला दिया था) हाआन अब ऐसे हीईए पकड़े-2 अपना लंड को धीरीई धीरे अंदार्ररर कारर्र. तेज़ी ना करना. नही तो बाहर आ जाएगा.

रवि ने अपने लंड के सुपाडे को धीरे-2 रज़िया की चूत के छेद पर दबाना चालू किया. रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुस गया. और रज़िया की चूत की दीवारों ने रवि के लंड के सुपाडे को अपने अंदर कसना चालू कर दिया.

रज़िया: उंह हाआँ रविई अब जैसे चाहे चोद्द्द डाल अपनी काकी को. खूब कस कस के पेलना अपना लौडा मेरी भोसड़ी मे.

रवि के होंठो पर रज़िया की बात सुन कर मुस्कान फैल गयी. उसने रज़िया के चुतड़ों को और फैला कर पकड़ लिया. और अपनी साँस को रोकते हुए. अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपनी कमर हिला दी. लंड का सुपाडा चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा.

रज़िया: ओह मारा डाला ओह जान निकाल दीई छोरे तूने. धीरे-2 ओह

रवि रज़िया की चीखे सुन कर और जोश मे आ गया. और रज़िया की गान्ड को हाथों मे दबाए हुए अपनी कमर को और तेज़ी से हिलाने लगा. रज़िया की चूत पानी से भीग चुकी थी. और लंड रज़िया की चूत मे फिसलता हुआ अंदर बाहर हो रहा था. और रज़िया की चूत से फॅक-2 की आवाज़ आ रही थी.

रवि इस आवाज़ को सुन कर और कामुक हो गया. और ताबडतोड धक्के लगाने चालू कर दिए. अब रवि की जांघे रज़िया के चुतड़ों से टकरा कर साथ-2 मे थप-2 की आवाज़ भी करने लगी. उस छोटे से कमरे का मोहोल चुदाई से भरपूर हो गया.

रज़िया: हान्णन्न् बएटाा हान्ंणणन् आईसीए ही जोर्र- सीए मारररर अपना लौदाअ अपनी काकी की बुर्र मे ओह्ह्ह ओह्ह्ह बहुत्त्त मोटाआ है रे तेरा लंड ओह्ह्ह्ह और जोर्र्र्रर से उम्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह लगाअ साले अपनी गान्ड्द्द की पूरी ताक़त लगा दे.

रवि रज़िया की बातों को सुन कर और जोश मे आ गया. और रज़िया के चुतड़ों से हाथों को हटा कर,रज़िया के खुले हुए बालों को पकड़ लिया. और अपना लंड पूरा निकाल-2 कर रज़िया की फूली हुई चूत मे पेलने लगा. और रज़िया की चूत की दीवारों को रवि के मोटे लंड ने हिला कर रख दिया.

रज़िया: अहह ओह ओह ओह्ह्ह्ह धीरे ओह्ह उम्ह्ह्ह्ह चोद्द्द्द साले और्र जोर्र्र सीई चोद्द्द अहह फाड़ दे अपनी काकी की चूत को. बोल मुझे रोज्ज्ज चोदेगा ना.

रवि: हा हा हा हाआँ काकी रोज्ज्ज चोदुन्गा तुझे. ओह्ह हा हा.

रज़िया भी अपनी गान्ड को पीछे की तरफ पटकने लगी. और दोनो की जांघे आपस मे टकरा कर थप-2 की आवाज़ कर रही थी. रज़िया का बदन फिर से अकड़ने लगा. रज़िया फिर से झड़ने के करीब थी.

रज़िया: ओह राज एयेए सचह मे तेरे लंड्ड मे बहुत जान हीई रीई. ओह्ह्ह्ह मेरी चूत्त्त तो फिरररर से पानी छोड़ने वाली है. और्र्र्ररर जोर्र्र्रर लगा रवीीई ओह बस बस होनीईए वाला है.

रवि: अह्ह्ह्ह काकी मेरी भी होने वाला है.

रज़िया: निकाल दे मेरी मुन्ना मेरी चूत मे निकाल दे अपना सारा माल. ओह्ह्ह्ह ओह

और दोनो झड़ने लगे. जैसे ही रज़िया के बाद रवि के लंड ने पानी छोड़ा. रज़िया आगे की तरफ लूड़क गयी. लंड पच के आवाज़ से रज़िया की चूत से बाहर आ गया. और रज़िया और रवि का पानी नीचे बिछे बिस्तर पर गिरने लगा. रवि निढाल होकर रज़िया की बगल मे लेट गया. दोनो अपनी साँसों को दुरस्त करने लगे. रज़िया काफ़ी देर तक वैसे ही लेटी रही. फिर उसने रवि की तरफ करवट ली, और उसे अपने से चिपका लिया.

कुछ देर तक लेटे रहने के बाद रवि को नींद आने लगी. आख़िर वो पिछले कई दिनो से काफ़ी मेहनत जो कर रहा था. रज़िया भी जानती थी. की रवि के उम्र अभी कुछ नही है. इससे वो उस पर ज़्यादा ज़ोर नही देना चाहती थी. वो तो बस धीरे-2 रवि के लंड का मज़ा लेना चाहती थी. और वो ये समझ रही थी, कि अब रवि उसकी मुट्ठी मे है. दो बार झड़ने के बाद रज़िया भी संतुष्ट थी. इसीलिए उसने रवि को कपड़े पहनने के लिए कहा. रवि अपना पाजामा पहन कर लेट गया. दोनो को कब नींद आ गयी. उन्हे पता नही चला.


रज़िया रोज सुबह 5 बजे उठ जाती थी. आदत के अनुसार को अगले दिन भी 5 बजे उठ गये. और बाहर खेतों मे फ्रेश होकर वापिस आ कर मुँह हाथ धोने के बाद चाइ बना कर रवि को जगा कर उसे चाइ दे दी. दोनो ने कुछ देर बातें की. रज़िया ने खिड़की मे से झाँक कर देखा. अब बाहर उजाला होने लगा था. उसने रवि को हवेली वापिस जाने को बोल दिया.

रवि भी ख़ुसी -2 उठ कर कमरे से बाहर आ गया. उजाला फैल चुका था. इस लिए वो सीधा हवेली की तरफ चल पड़ा. हवेली मे पहुँच ते ही वो सीधा हवेली के पीछे बने अपने कमरे मे चला गया. और वहाँ जाकर सो गया. वो रात को अपनी नींद पूरी नही कर पाया था.करीब 11 बजे हरिया ने उसे आकर उठाया..

हरिया: उठ रवि बेटा. आज बाबू जी के साथ नही जाना क्या.

रवि: (उठते हुए) हां काका जाना है. मे अभी आता हूँ.

और रवि उठ कर हवेली के पीछे बने हुए बाथरूम मे चला गया. जो हवेली के नौकरों के लिए था. जैसे ही वो बाथरूम मे घुसा. और फ्रेश होकर आगे हवेली मे आ गया. अंदर हाल मे राज और डॉली दोनो नाश्ता कर रहे थे. रवि उनको देख कर हाल के एक कोने मे चला गया. और चेर पर बैठ कर इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर बाद हरिया काका रवि के लिए भी खाना ले आया. और रवि वहीं नीचे बैठ कर खाना खाने लगा. जब सब बे खाना खा लिया. तब रोमा दीनू काका की लड़की झूठे प्लेट उठाने आई . राज उसे उस दिन के बाद अब पहली बार हवेली मे देख रहा था. राज ने उसे झट से पहचान लिया.

राज : तुम रोमा हो ना दीनू की बेटी.

रोमा: जी बाबू जी.

राज : घर का काम समझ मे आ गया.

रोमा: (सर झुकाए हुए)जी आ गया.

राज : अच्छा अब दिल लगा कर काम करो. हां सुनो ये मेरी बहन है डॉली. इनका पूरा ख्याल रखना.

कमला: ठीक है बाबू जी.

जैसे ही राज चेर से खड़ा हुआ. रवि राज के पास आ गया.

रवि: बाबू जी आज भी ज़मीन देखने चलेंगे.

राज : हां चलना है. पर आज मेरे पास टाइम कम है. हम जल्दी वापिस आजाएँगे. मुझ आज विशाल के घर भी जाना है. डॉली मुझ कल मेरा एक पुराना दोस्त मिल गया था. आज उसके बेटे की बर्तडे पार्टी है. उसने मुझ इन्वाइट क्या है. मुझे वहाँ शाम को जाना है. तुम साहिल का ख़याल रखना.

डॉली: जी भैया. आप बेफिकर हो कर जाए. यहाँ पर मेरा ध्यान रखने के लिए बहुत से नौकर हैं ही.

राज : चलो रवि फिर हमें आज जल्दी वापिस भी आना है.

और दोनो हवेली से निकल कर खेतों की तरफ चल पड़े. उस दिन रवि ने राज को दोपहर तक लगभग उसकी आधी ज़मीन दिखा दी थी. दोनो दोपहर को घर वापिस आ गये. रवि ने जैसे ही खाना खाया. उसके दिल मे रज़िया को मिलने की इच्छा जागने लगी. वो खाना खा कर खेतों की तरफ चला गया. जैसे-2 वो रज़िया के कमरे की तरफ बढ़ रहा था. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था.
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