RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
गरिमा-अरे इसमें इतना शर्माने वाली क्या बात है वैसे भी आजकल तो महिलाओं ने फ्री द टिट्स मूवमेंट चला रखी है ।
रमा (सोफ़े पर धम से बैठते हुए)- कोई ऐसी बातें करेगा तो डर लगेगा न ।
गरिमा-यह इंडिया यँहा यह आम है ,तुम बुर्के में भी होती तो भी ऐसा ही होता ।लो कॉफी पियो अभी अभी बनाई है , रवि चाचू ने फोन करके बताया कि तुम भी आ रही हो ।
कॉफी लेते हुए रमा का ध्यान अपनी बेटी के कपड़ो की और गया । गरिमा को स्लीवलेस टॉप और निक्कर में देखकर वो सोचने लगी कि यह पक्का आज स्कूल नहीं गई इसीलिए इस ड्रेस में है ।
रमा- आज तुम स्कूल नहीं गई क्या ? यूनिफॉर्म ?
गरिमा(बीच में ही बोल पड़ती है)- गयी थी बाबा पर आज प्रैक्टिकल था इसलिए जल्दी आ गयी ।
रमा-यह पहनकर स्कूल जाती हो ?
गरिमा(रमा के गाल खींचते हुए)- मेरी शक्की चाची अम्मा यह तो मैंने यूनिफॉर्म के नीचे पहन लिया था ताकि जब यँहा आऊं तो चेंज कर लूँ ।
रमा(वो सोचती है कि अगर वो रमा के रूप में होती तो न गरिमा ही इतनी खुलकर बात करती और न ही वो उसपर विश्वास)-वैसे इस ड्रेस में बहुत सेक्सी लग रही हो तुम ।
गरिमा(अपने बूब्स को दबाते हुए एक नॉटी स्माइल देते हुए)- तुम कँही लेस्बो तो नहीं ....हहहह।
रमा-नो वे ।
गरिमा- आई नो इट वेल ,मिस दिया वरना आप रवि की जगह किसी रविना के साथ होती ।
रमा-आओ किचेन में चलकर बातें करते हैं रवि आने वाला है और तुम्हें भी भूख लग रही होगी।
गरिमा-किचेन में कुछ नहीं है कुछ आर्डर कर देती हूँ मैं ।
रमा(गरिमा के हाथ से फोन लेते हुए)-उसकी जरूरत नहीं है राजमाह चावल बना देती हूँ फटाफट (वो जानती थी कि रवि तरह गरिमा को भी राजमाह चावल बहुत पसंद है इसलिए गरिमा को शक न हो जाये वो बात बढ़ाती है) रवि को बहुत पसंद है तुम खा तो लेती हो न ?
गरिमा-खा लेती हूँ ? इट्स माई फेवरेट ।
रमा-चाचा भतीजी की चोइसस काफी मिलती हैं ह्म्म्म क्या बात है ?
गरिमा(शर्माते हुए)- अरे मेरी होने वाली चाची यह तो हर नॉर्थ इंडियन की फेवरेट है ...(कुछ सूंघते हुए )...दिया तुम्हारे बदन की महक बिल्कुल
रमा(जल्दी से)-तुम्हारी माँ जैसी है ।
गरिमा-तुम्हें कैसे पता ?
रमा(राजमाह का डिब्बा निकालते हुए)-रवि ने बताया मुझे .....वो तुम्हारी माँ को .....रमा जानबूझकर बात अधूरी छोड़ देती है ।
गरिमा-पता है वो माँ को पसंद करते थे ।
रमा-तुम्हें बुरा नहीं लगता ?
गरिमा-नहीं मुझे तो अच्छा लगता अगर माँ भी ....
रमा(उफ्फ क्या इसे कुछ पता है जो ऐसी बातें कर रही है वो सोचती है)-और तुम्हारे पापा का क्या होता ?
गरिमा-दिया लम्बी कहानी है ,फिर कभी ।
रमा(वो गरिमा की आँखों में आंसू देखकर समझ जाती है कि हो न हो गरिमा सब जानती है .....पर कैसे ...)-बताओ न दुख तो बांटने से कम होता है और दाल उबलने में तो टाइम लगेगा । बात क्या है बताओ तो ?
गरिमा(रसोई की सेल्फ पे बैठ जाती है)-दिया आजतक यह बात सिर्फ कर्ण को पता है तनु भी नहीं जानती उससे भी नहीं कह पाई पर ऐसा लग रहा है कि तुमसे मुझे यह कह देना चाहिए ।
रमा-हम्म बताओ न ?
गरिमा कहना शुरू करती है-
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