RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --45
गतान्क से आगे........................
"हां बोल" ख़ान ने फोन उठाते हुए कहा
"सर ग़ज़ब हो गया. आप आ जाइए फ़ौरन"
"क्या हुआ?"
"सर नहर से तेज की लाश मिली है"
"तेज?"
"हां सर, ठाकुर तेजविंदर सिंग"
"ओके सो वॉट डो वी नो सो फार?" किरण ख़ान के साथ पोलीस स्टेशन में बैठी थी.
"नोट मच" ख़ान ने कहा "हाइ अमाउंट ऑफ अलचोहोल इन हिज़ ब्लड. देखने से तो यही लगता है के शराब के नशे में नहर में गिरा और ज़िंदा निकल नही पाया"
"यू साइड देखने में ऐसा लगता है. यू थिंक के ऐसा आक्च्युयली है नही?"
"ओह कम ऑन किरण. एक हटता कटता आदमी जो शराब को रोज़ाना पानी की तरह पीता था, वो नशे की हालत में डूबकर मर जाए, मैं मान ही नही सकता"
"ह्म्म्म" किरण सोच में पड़ गयी "पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट क्या कहती है?"
"ख़ास कुच्छ नही. कॉस ऑफ डेत ईज़ ड्राउनिंग. मौत उसके लंग्ज़ में पानी भर जाने की वजह से हुई"
"वेल दट डोएसन्थ लीव अस विथ मच टू इन्वेस्टिगेट इन देन" किरण ने कहा
"ओह इट डज़, डोंट यू सी?" ख़ान उत्साह से बोल रहा था "एक रात ठाकुर का खून होता है, ठीक उसी रात उसके बेटे को ज़िंदा देखा जाता है और फिर उसके कुच्छ दिन बाद उसकी लाश भी मिलती है"
"ठीक है चलो मान लिया के इसमें कुच्छ है जो फिलहाल नज़र नही आ रहा. पर सवाल फिर भी यही है के इससे हमारे फेवर में कौन सी बात जा रही है?
"ये के इस वक़्त मैं जै के केस में कुच्छ दिन की टाल मटोल कर सकता हूँ. जो फ़ैसला होने में सिर्फ़ हफ़्ता लगना था, अब तेज की लाश मिलने पर उस फ़ैसले को अट लीस्ट एक महीने के लिए टाला जा सकता है. व्हाट डू यू थिंक?"
"वेल आइ मस्ट से दट यू हॅव ए पॉइंट. सो वेट्स नेक्स्ट?" किरण हां में हां मिलाती हुई बोली
"फिलहाल तो क्यूंकी तेज के केस को साफ साफ आक्सिडेंटल केस कह कर फाइल बंद कर दी है, तो उस मामले में हम कोई इन्वेस्टिगेशन नही कर सकता इसलिए फिलहाल वी विल जस्ट हॅव तो कीप लुकिंग इन हिज़ फादर'स मर्डर"
"ओके. सो व्हाट ईज़ दा नेक्स्ट स्टेप?"
"नेक्स्ट स्टेप ये है के एक बहुत बड़ी बात हम इग्नोर कर रहे है. मुझे उस रात किसी औरत ने फोन करके हवेली आने को कहा था पर बाद में हवेली में मौजूद कोई भी औरत सामने नही आई"
"ओके. ये भी तो हो सकता है के वो डरी हुई हो के हवेली के लोग उसको सुनाएँगे के उसने पोलीस को क्यूँ बुलाया?"
"यस दट ईज़ पासिबल. पहले मैने भी यही सोच कर इस बात को इग्नोर कर दिया था पर अब मुझे लगता है के हमें ये पहलू भी देख ही लेना चाहिए"
"ऑल राइट"
"मैने अपनी फोन कंपनी को कॉंटॅक्ट किया है ये पता लगाने के लिए उस रात जो मुझे कॉल आई थी वो किस नंबर से थी"
"नंबर तो तुम्हारे सेल में आया होगा"
"हां पर मैने ध्यान नही दिया. आंड अब वो नंबर मेरी कॉल लिस्ट में है भी नही. मैने उस वक़्त बस ये मान लिया था के नंबर हवेली में ही कहीं का था"
"ओके"
"दूसरा मैने उस नौकरानी की बेटी पायल को बुलवा भेजा है. लेट्स सी इफ़ शी कॅन टेल अस सम्तिंग न्यू"
"ऑल राइट"
अगले कुच्छ पल तक दोनो यूँ ही बैठे इधर उधर की बातें करते रहे.
"अच्छा एक बात बताओ मुन्ना. जब मैं नही थी तुम्हारे आस पास, तब मिस करते थे मुझे"
"ऑफ कोर्स" ख़ान हंसता हुआ बोला "याद है वो पोवेट्री जो मैं पहले लिखा करता था?"
"हां याद है"
"पहले सब रोमॅंटिक और हस्ती गाती पोवेट्री होती थी. तुम गयी तो सब दर्द भरी शायरी हो गयी"
"तो कुच्छ ऐसा सूनाओ जो मेरी याद में तुमने मेरे लिए लिखा था" किरण इठलाते हुए बोली
"यहाँ पोलीस स्टेशन में नही"
"प्लीज़ ना"
"नही" ख़ान चारो तरफ देखता हुआ बोला
"अच्छा लिख कर तो दे सकते हो?"
ख़ान ने मुस्कुराते हुए एक पेपर उठाया और उसपर कुच्छ लिख कर किरण की तरफ सरका दिया.
चाँद ख्वाबों के आता करके उजाले मुझको
कर दिया वक़्त ने दुनिया के हवाले मुझको
जिन्हे सूरज मेरी चौखट से मिला करता था
अब वो खैरात मे देते हैं उजाले मुझको…
मैं हूँ कमज़ोर मगर इतना भी कमज़ोर नही
टूट जाए ना कहीं तोड़ने वाले मुझको…
और भी लोग मेरे साथ सफ़र करते हैं
कर ना देना किसी मंज़िल के हवाले मुझको..
ये मेरी क़ब्र हे अब मेरा आखरी मकाम है
किस में दम है जो मेरे घर से निकाले मुझको...
ख़ान और किरण बैठे बात कर ही रहे थे के पायल पोलीस स्टेशन आ पहुँची.
"आप मेरे को बुलाए थे साहिब?" उसने ख़ान से पुछा
"हां. कुच्छ बात करनी है तुमसे"
दोनो ने पायल को एक नज़र उपेर से नीचे तक देखा. वो एक गाओं की सीधी सादी सी लड़की थी. सादा सा एक सलवार कमीज़ डाल रखा था.
"बैठो" ख़ान ने वहीं रखी एक कुर्सी की तरफ इशारा किया के तभी किरण ने उसको आँख के इशारे से कहा के यहाँ बात करना शायद ठीक नही है क्यूंकी आस पास काफ़ी पोलिसेवाले थे.
"एक काम करो, अंदर चल कर बैठो" ख़ान ने उसको पोलीस स्टेशन में अपने कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा. उसके पिछे पिछे वो दोनो भी अंदर आ गये.
"कुच्छ लोगि?" उसने पायल से पुछा पर उसने इनकार में सर हिला दिया.
"सीधे मतलब की बात करते हैं" ख़ान ने अपनी डाइयरी और पेन निकाला और लिखने लगा "जिस रात ठाकुर साहब का खून हुआ था तुम उस वक़्त कहाँ थी?"
"जी मैं तो किचन में खाना बना रही थी" पायल बोली
"तो जै को देख कर शोर किसने मचाया था?"
"जी मैने"
"अभी तो तुम कह रही थी के तुम किचन में खाना बना रही थी"
"जी हां"
"तो जै को कैसे देख लिया?"
"जी मैं ठाकुर साहब के कमरे की तरफ आई थी"
"तो मतलब तुम खाना नही बना रही थी?"
"जी नही खाना तो पहले ही बनाकर खा लिया था. मैं तो उनसे बस पुछ्ने गयी थी के कुच्छ चाहिए तो नही"
"तो झूठ क्यूँ बोला?"
"कौन सा झूठ?"
"के तुम खाना बना रही थी?"
"जी मैं सच बना रही थी खाना"
"तुम अभी बोली के खाना बना चुकी थी तुम. झूठ बोल रही हो मुझसे?" ख़ान चेहरा थोड़ा सा सख़्त किए ऊँची आवाज़ में बोला और उसका तरीका काम कर गया.
वो सीधी सी लड़की फ़ौरन टूट गयी और आँखों में पानी भर गया.
"नही मैं सच कह रही हूँ. मैने कुच्छ नही किया. मैं तो बस खाना बनाकर किचन सॉफ कर रही थी और फिर बड़े साहब के कमरे की तरफ गयी पुच्छने के उन्हें कुच्छ चाहिए तो नही और तभी फिर मैने वो देखा"
"क्या देखा?" ख़ान ने चेहरा अब भी सख़्त किया हुआ था
"जी जै बाबू को?"
"क्या कर रहा था वो?"
"बड़े साहिब नीचे गिरे हुए थे और जै बाबू उनपर झुके हुए थे और उनके हाथ में वो पैंच खोलने वाली चीज़ थी"
"तो मतलब तुमने खून होते हुए नही देखा?"
क्रमशः........................................
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