03-06-2019, 10:20 PM,
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
निशा पापा के लंड को इतने पास से देखकर डर गयी और चुपचाप मसाज करने लगी। पर थोडी देर बाद वह लंड को निहारती रही।तभी जगदीश राय को महसूस हुआ की उसका लंड लूँगी से बाहर निकल गया है, और उसने हाथ आगे लाकर लंड को अंदर डालना चाहा।
निशा: पापा…।यह क्या…।मैँने कहाँ था हाथ पीछे…।जब तक मेरी मसाज पूरी नहीं हुई है…
जगदीश राय : पर…बेटी… मैं तो…यह…लूंगी… लूँगी ठीक कर रहा था…
निशा: कोई ज़रुरत नहीं…।।हथ पीछे ले जाईये…।लून्गी जहाँ है वही ठीक है…जिसको बहार आना था खुद ही आ गया… है है।
और निशा ने हँस दिया।
जगदीश राय : पर… बेटी…मुझे…
निशा: पापा…आंखें बंद…। बिलकुल बंद…वैसे भी मुझे उसे देखने में कोई दिकत नहीं तो आप को क्यों…
जगदीश राय फिर से आँखें बंद किया। अपने बेटी के सामने लंड पूरा खुला दिखाई देता सोचकर, उसका लंड पूरा कड़क हो गया। निशा अब जगदीश राय के जांघो पर लुंगी के अंदर हाथ डाल कर हाथ फिरा रही थी। और यह करते वक़्त निशा जानबूजकर जगदीश राय की टट्टो को भी सहला देती।
अपने टट्टो पर निशा के मुलायम हाथो के स्पर्श लगते ही जगदीश राय के मुह से आह निकली।
जगदीश राय : आह…हहह
निशा समझ गयी की जगदीश राय को मसाज बहुत पसंद आ रही है। वह फ्राइडे के अपने प्लान से खुश थी।
इस बार निशा ने अपने बाये हाथ को जगदीश राय के टट्टो पर रहने दिया और सिर्फ अपने दाये हाथ से पैरो का मसाज करने लगी। बायां हाथ धीरे धीरे टट्टो को सहला रहा था।
थोड़ी देर बाद,
निशा: पापा… यह लूँगी की वजह से मैं आपके कमर तक नहीं पहूँच पा रही हु… उसे उतार देती हु मैं…
जगदीश राय : आआह अरे।।नही…बेटी …लूंगी रहने दो…।
पर पहले ही निशा ने जगदीश राय की पूरी लूँगी खोल दी और जगदीश राय एक छोटे बच्चे की तरह पूरा नंगा, तेल से लथपथ, अपने बेटी के सामने लेटा था।
कठोर लंड पूरा खड़ा सीलिंग फैन के तरफ था। निशा एक हाथ से बेशरमी से पापा के बड़े टट्टो को सहला रही थी। निशा धीरे धीरे दुसरा हाथ से जगदीश राय के पेट में तेल लगा रही थी।
लंड जोरो से हिल रहा था। छलाँगे मार रहा था।
निशा से अब रहा नहीं गया, और उसने बिना देर करते हुए अपने दाए हाथ से पापा के 9 इंच लंबे लंड को थाम लिया।
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03-06-2019, 10:21 PM,
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
निशा कमरे के अंदर जाकर सीधे बाथरूम में चलि गयी। वह आघात स्थिति में कुछ सोच नहीं पा रही थी।
ओर फिर शावर के निचे खड़ी हो गयी।
पहले सम्भोग का दर्द शावर के पानी से मिटाने की कोशिश कर रही थी।
गरम पानी निशा की दर्दनाक चूत को सहलाता गया। निशा को आराम मिलता गया और दिमाग खुलता गया।
और फिर निशा रोने लगी। खूब रोने लगी।
उसे पता नहीं चल रहा था की वह क्यों रो रही है पर आँसू रुक नहीं रहे थे।
बाथरूम के सफ़ेद फर्श पर लाल खून के धब्बे दिखाई दे रहे थे।
निशा की आसुओं ने पानी की मदद से खून को धोने में सफल हो ही गयी थी। और खून के साथ निशा को अपना कुंवारापन बहता हुआ महसूस हुआ।
निशा पानी के निचे 20 मिनट तक ऐसे ही सर झुकाये खड़ी रही। फिर धीरे से शावर से बाहर आकर, शारीर टॉवल से पौछने लगी।
और अपने आप को बाथरूम के मिरर के सामने पाया।
मिरर के सामने , उसकी आँखों ने , एक लड़की नहीं बल्कि एक औरत को देख लिया था। एक बहुत ही सुन्दर औरत, जो उसकी पापा के शब्दो में किसी अप्सरा के काम नहीं है।
और फिर निशा के होटों में मुस्कान आ गयी।
निशा (मन में): देखा माँ, आज तुम्हारी निशा ने अपने ही पापा के साथ वह किया जो तुम सोच भी नहीं सकती… बचपन से तुम मुझे सुशील लड़की बनाने में लगी थी…निशा यह मत कर।। वह मत कर। पैर फैलाके मत बैठ…छोटे कपडे मत पहन… अपनी छोटी बहनो के लिए आदर्श बन…।सब बकवास…।सब बकवास…तंग आ चुकी थी मैं तुम्हारी इस बकवास से…आज मैं पहली बार गन्दी फील कर रही हु…। और देखो मुझे सिर्फ ख़ुशी ही हो रही है…।आज मैं पहली बार आज़ाद हुई हु… तुम्हारी सड़ी हुई सोच के कैद से…।
निशा अपने आप से मिरर के सामने खड़ी रहकर यह सोचती रही।
उसे एहसास हुआ की वह अपने पापा को सिड्यूस कर रही थी, वह दरअसल , पापा के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए कर रही थी। खुद को आज़ाद पाने के लिये।।।
और फिर मुस्कुराते हुए अपने गीले बालो को सवारना शुरू किया।
फिर निशा अपने रूम में चलि गयी। वह पूरी नंगी थी। और अब उसे अपने नंगेपन पर गर्व हो रहा था।
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