RE: Hindi Sex Stories याराना
रणविजय- हाँ तो सब होंगे ना साथ में।
तृप्ति कभी मुझे कभी रणविजयको देख रही थी, कैसी मस्ती?
(हम रणविजय के कमरे में इकट्ठा हुए रात के 9 बजे थे l)
विजय- ताश खेलते हैं, चलो बताओ ताश खेलना किस किस को नहीं आता।
(हमें पता था कि ताश खेलना चारों को आता है।)
मैं- अरे विजय, तू कहीं पोकर खेलने के बारे में तो नहीं सोच रहा? जिसमें (मैं रुक गया।)
प्रिया- जिसमें क्या...??
रणविजय- जिसमें हारने वाला अपना एक कपड़ा उतारता है।
तृप्ति- सो फनी! हमें ऐसा कोई खेल नहीं खेलना! कोई सिंपल सा गेम खेलो।
रणविजय- यार कोई बच्चे थोड़े ही हैं जो नॉर्मल गेम खेलें। इट्स एक्साइटिंग एंड न्यू... तभी तो अपना टूर नया और यादगार बनेगा। वरना जो कल रात किया था वही रोज करने मे क्या मजा है।
मैं- हाँ यार, मैं भी तृप्ति से यही बोल रहा था कि कुछ यादगार करेंगे।
प्रिया- नहीं, मुझे ऐसा यादगार नहीं चाहिए।
तृप्ति- चलो स्ट्रेट का ट्राई करते हैं।
प्रिया- क्या तृप्ति, तुम भी इनके साथ?
तृप्ति- मैं समझती हूँ इनका तरीका... ये हमें नंगी करके मजे लेना चाहते हैं। लेकिन मेरा चैलेंज है कि इनकी बिल्ली इनको ही म्याऊँ बुलवा दूँगी।
प्रिया-लेकिन हार गये तो?
तृप्ति- तो अपने हज़्बेंड ही हैं यार, इनको मना लेंगे अपने तरीके से, कि हमें कपड़े न खोलने पड़ें।
रणविजय- अच्छा! ये कोई बात नहीं होती। रूल इज रूल।
मैं- अरे ठीक है। एक बार शुरू तो करते हैं।
(प्रिया कुनमुनाती रह गई।)
|