RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
ननद ने खेली होली--13
पहले तो नन्दोई जी के ही पैरों में घुंघरु बांधे गये। साडी ब्लाउज में गजब के लग रहे थे। खूब ठुमके दिखाये उन्होने। उसके बाद हम लोग...।
होली का सदा बहार गीत...रंग बरसे भीगे चुनर वाली...रंग बरसे...और शुरु मैने ही किया...खूब अदा से ...।
अरे सोने के थाली में जेवना परोसों अरे...( और फिर मैने लाइन थोडी बदल दी और ननदोई जी के गोद में जा के बैठ गई)
अरे सोने के थाली में जुबना परोसों अरे जोबना परोंसों...( और दोनॊ हाथॊ से अपने दोनो उभार उठा के सीधे ननदोई जी के होठों पे लगा दिया)
अरे जेवे ननद जी का यार बलम तरसै...बलम तरसैं...ननदोई जी को दोनों हाथॊ से पकड के उनकी ओर देख के..।
फिर ननद जी का नम्बर आया तो उन्होने..।
पान इलाची का बीडा लगायों गाया और खिलाया भी अपने सैंया कॊ भी और भैया को भी।
लेकिन मजा आया गुड्डी के साथ ...उसने बडी अदा से छोटे छोटे चूतड ,मटकाते हुये ठुमके लगाये...और गाया..।
अरे बेला चुन चुन सेजियां सेजियां लगाई, अरे सेजियां लगाई..।
मैं सोच रही थी की देखें वो किसका नाम लेती ही लेकिन पहले तो उसने अपने जीजू कॊ खूब ललचाया रिझाया फिर मेरे सैंया की गोद में बैठ के लाइन पूरी की,
अरे सोवे गोरी का यार जीजा तरसैं...अरे सोवे मेरा यार..।
ननदोई जी ने मुझे चैलेंजे किया, अरे होली के गाने हों और जोगीडा ना हो कबीर ना हो...ये फिल्मी विल्मी तो ठीक है...।
मैने पहले तो थोडा नखडा किया फिर लेकिन शर्त रखी की सब साथ साथ गायेंगे खास के नन्दोई जी और वो ढोलक भी बजायेंगे...।
उन्होने ढोलक पकडी और लाली ननद जी ने मंजीरे,
मैने गाना शुरु किया और गुड्डी भी साथ दे रही थी..।
अरे होली में नंदोई जी की बहना का सब कोइ सुना हाल अरे होली में,
अरे एक तो उनकी चोली पकडे दूसरा पकडे गाल,
अरे हेमा जी का अरे हेमा जी का तिसरा धईले माल...अरे होली में..।
कबीरा सा रा सा रा..।
हो जोगी जी हां जॊगी जी
ननदोई जी की बहना तो पक्की हईं छिनाल..।
कोइ उनकी चूंची दबलस कोई कटले गाल,
तीन तीन यारन से चुद्व्वायें तबीयत भई निहाल..।
जोगीडा सा रा सा रा
अरे हम्ररे खेत में गन्ना है और खेत में घूंची,
लाली छिनारिया रोज दबवाये भैया से दोनों चूंची,
जोगीडा सा रा सा रा...अरे देख चली जा..।
चारो ओर लगा पताका और लगी है झंडी,
गुड्डी ननद हैं मशहूर कालीन गंज में रंडी...।
चुदवावै सारी रात....जोगीडा सा रा रा ओह सारा.।
ओह जोगी जी हां जॊगी जी,
अरे कहां से देखो पानी बहता कहां पे हो गया लासा...अरे
अरे लाली ननद की लाली ननद की बुर से पानी बहता
और गुड्डी की बुर हो गई लासा..।
एक ओर से सैंया चोदे एक ओर से भैया..।
यारों की लाइन लगी है
....जरा सा देख तमाशा
जोगीडा सा रा सा रा.। .।
और इस गाने के साथ मैं और गुड्डी जम के अबीर गुलाल उडा रहे थे और एक बार फिर से सूखे रंगों की होली शुरु हो गई।
बेचारे जीत नन्दोइ जी को तो हम लोगों ने इस हालत में छोडा नहीं था की वो ड्राइव कर पाते, इसलिये ये ही लाली, जीत और गुड्डी को छोडने गये। उसके बाद से उन्हे अल्पी और क्म्मॊ को ले के शापिंग पे जाना था।
मैं बेड रूम में जा के लेट गई। डबल होली में, ननद और ननदोइ दोनों के साथ मजा तो बहोत आया लेकिन मैं थोडी थक गई थी।
जब हम लोग दूबे भाभी के यहां होली खेल रहे थे और यहां गुड्डी की रगडाइ हो थी, वो सब कैमरे में रिकार्ड करवा लिया था कैसे अपने भैया और जीजू के साथ , एक साथ। मैनें देखना शुरु किया, थोडा फास्ट फारवर्ड कर के , थोडा रोक रोक के। वो सीन बहोत जोरदार था जब मेरी ननद रानी, वो किशोर किसी एक्स्पर्ट की तरह दो दो लंड को एक साथ....जीत का लंड उसने मुंह में लिया था और अपने भैया का मुठीया रही थी। और फिर दोनों लंड को ...बारी बारी से ...जीभ निकाल के जैसे कॊइ लडकी एक साथ दो दो लालीपाप चाटे...उसकी जीभ लपट झपट के पहले मेरे सैंया के सुपाडे के चारो ओर ...और फिर ननदोइ जी के ...उसके जवान होठ गप्प से सुपाडे को होंठॊ में भर लेते, दबा देते, भींच लेते...और जीभ पी होल को छॆडती...और जिस तरह से प्यार से उसकी बडी बडी कजरारी आंखे...चेहरा उठा के वो देखती...जब चूसते चूसते गाल थक जाते तो अपने टेनिस बाल साइज के छोटे छोटे कडे जोबन के बीच दबा के लंड को रगडती...अकेली उस लडकी ने दोनों मदों की हालत खराब कर रखी थी। चल मैं सोच रही थी...३ दिन की बात और है। नरसों होली है और उसके अगले दिन सुबह ही इस बुलबुल को ले के हम फुर हो जायेंगें। साल भर की कोचिंग में नाम लिखवाना है उसका, लेकिन असली कोचिंग तो उसे मैं दूंगी। लंड की कोई कमी नहीं होगी..एक साथ दो तीन...हरदम उसकी चूत से वीर्य बहता रहेगा।
आज दूबे भाभी ने क्या कया करम नहीं किए लाली ननद के और उसके बाद वो एक दम सुधर गईं। कहां तो वो ननदोई जी को गुड्डी पे हाथ नहीं डालने दे रही थीं और कहां उनके सामने उनकी छोटी बहन ने अपने जीजू का लंड न सिर्फ चूसा, बल्की उनसे कहलवाया भी। और उनके भैया के सामने नंगा करके मैने क्या कुश्ती लडी...अरे होली में ये सब ना हो तो मजा कया है। तब तक वो सीन आ गया जिसमें गुड्डी की सैंड विच बनी। एक एक बार दोनों से चुद चुकी थी वो। दोनों का लंड चाट चाट के फिर उसने खडा कर दिया था। और अबकी उसके भैया ने लेट के उसे अपने उपर ले लिया...खूब मजे से वो छिनार उनका इतना मोटा लंड घोंट गई....खैर चिल्लाती भी कैसे उसके मुंह में उसके जीजा लंड पेल रहे थे और दोनों हाथों से उसके कंधे को पकड के राजीव के लंड के उपर उसे कस के दबा भी रहे थे।
राजीव भी उसकी पतली कमर को पकड के पूरी ताकत से उसे अपनी ओर खींच रहे थे और इंच इंच कर के उस छिनाल ने वो लंड घॊंट ही लिया। पी र्कैसे आराम से खुद ही उपर नीचे कर के ...चूत में दो बार की चुदाइ का माल भरा था..इस लिये खूब सटासट जा रहा था। नन्दोई जी मेरे सैंया को आंख मारी और उन्होने पूरी ताकत से खींच के उसे अपनी ओर कर लिया। पीछे से नन्दोई जी गांड सहला रहे थे....कितने दिनों से वो उसकी इस छोटी छोटी कसी गांड के दीवाने थे...और उसे पता तो चल ही गया होगा खास कर जब उन्होने थूक लगा के उसकी गांड की दरार पे उंगली रगडनी चालू कर दी। खूब क्रींम लगाया उन्होने अपने सुपाडे में ...नन्दोई जी का खूब मोटा है लेकिन राजीव से १८ होगा...इसी लिये मैने राजीव को मना किया था...उनका तो मेरी मुट्ठी इतना होगा।
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