RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
ससुराल की पहली होली-7
उन्होंने उसका टॉप पीछे से उठाया और मैंने आगे से , चमेली भाभी ने मीता की टीनेजर ब्रा निकाल कर, पलंग पे फ़ेंक दी। और टॉप उठा था ही , बस पीछे से मर्द की तरह जोर जोर से उसकी अब खुली हुयी चूंची दबा रही थीं।
मीता की पैंटी भी उन्होंने खींच के उतार दी थी और उसे भी ब्रा के पास , पलंग पे फ़ेंक दी थी।
मैंने भी एक नया मोर्चा खोल दिया था। नीचे की ओर।
मेरी हथेली अब दोनों जांघो के बीच थी और थोड़ी ही देर में सीधे उसकी गुलाबी परी पर।
बोर्डिंग से लेकर यूनिवर्सिटी तक लड़कियां मेरी उँगलियों की कायल थी , तो बिचारी ये कच्ची कली,…
और कुछ ही देर में मेरी हथेलियों ने मसल मसल कर , रगड़ रगड़ कर उसकी बुलबुल को पागल बना दिया।
और जब उँगलियों की हरकत चालु हुयी , बहुत कसी थी कुँवारी कली लेकिन मेरी अनुभवी उंगली, …तर्जनी की टिप्स घुस ही गयी और जैसे ही वो गोल गोल घूमने लगी , थोड़ी देर में रस मलायी का रस निकलने लगा और वो बिचारी बोली ," भाभी , निकाल लो न। प्लीज , निकाल लो ना "
बस यही तो मैं चाहती थी। फिर मैंने वही बात पूछी ,
" अरे कहाँ से निकाल लूँ ननद रानी "
थोड़ी देर तक तो वो ना नुकुर करती रही लेकिन जब अंगूठे ने क्लिट को रगड़ना शुरू किया तो वो चिं बोल गयी।
पहले तो वो योनि , फिर वैजायना ,
लेकिन जब तक उसने चूत नहीं बोला। मैंने ऊँगली बाहर नहीं की , वो भी पांच बार जोर जोर से।
उसके बाद तो एक बार धड़क खुल गयी तो गांड , लंड , चुदाई सब उससे बुलवाया ही और कसम भी खिलायी की अब आगे से हम सब के साथ इसी तरह बोलेगी।
लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी , उसकी रगड़ाई की।
चमेली भाभी ने ऊपर का मोर्चा सम्हाला और मैंने नीचे का।
क्या गौने की रात दुल्हन की रगड़ाई होती होगी , जैसे उसकी हुयी। चमेली भाभी , कभी उसके निपल खींचती , कभी फ्लिक करतीं , कभी दो उँगलियों में ले के रोल करतीं तो कभी. पिंच करती।
जितने खेली खायी औरतों ने न लिए होंगे वो चमेली भाभी ने उस नयी बछेड़ी को दिए और साथ में मैं नीचे।
अब मेरी तर्जनी का एक पोर अच्छी तरह उसकी रामपियारी में घुस चूका था। बस। मैं जोर जोर से गोल घुमाती , कभी उंगली मोड़ के उसके नकल ( kncukle ) से चूत की अंदुरनी दीवाल रगड़ती और साथ में अंगूठा , क्लिट को सहला , दबा रहा था।
वो बार बार झड़ने के कगार पे पहुंचती , और हम रुक जाते और थोड़ी देर में फिर , चमेली भाभी ने उससे सब कुछ कबूलवा लिया की उसकी चूत को लंड चाहिए , वो बहुत चुदवासी है , छिनार है।
वो कुछ भी बोलने के लिए तैयार थी , बस हम उसे झाड़ दें।
तब तक नीचे घर में कुछ आवाजाही सुनायी दी। मुझे लगा की मेरी जेठानी और ' ये ' लौट आये हैं
फिर मुझे याद आया की मैं एक चीज तो भूल गई गयी , वो कुल्हड़ , 'स्पेशल डिश ' जो मैंने ननद जी के लिए बनायी थी। मैंने चमेली भाभी को इशारा किया और अब नीचे का मोर्चा ही उनके हवाले था।
मैं वो कुल्हड़ निकाल के ले आयी ( जी हाँ , वही , जिसमें मैंने उनकी रात में दो बार गाढ़ी मलायी इकट्ठी की थी ).
उधर चमेली भाभी को भी लग गया था की राजीव लौट आये हैं और उन्होने चूत मंथन की रफ्तार बढ़ा दी।
" मीता देख , तेरे लिए स्पेशल , रबड़ी गुलाब जामुन मैंने रखा है , मुंह खोल "
मैंने ननद से बोला।
और कुल्हड़ में 'उनके रस ' में ड़ूबे , दो गुलाब जामुन में से एक उसके मुंह में , और उसने गड़प कर लिया।
तब सीढ़ियों पे पैरों की आवाज सुनायी पड़ी और मैंने कुल्हड़ उसे पकड़ा दिया , और बोला बड़ी स्पेशल रबड़ी है एक बूँद भी बचनी नहीं चाहिए।
जी भाभी वो बोली
और फिर बस एक नदीदी की तरह उसने पहले तो गुलाब जामुन और फिर कुल्हड़ उठा के सीधे होंठो से लगा लिया और सब गड़प। फिर जीभ कुल्हड़ में डालके बचा खुचा वो चाट गयी।
मैं चमेली भाभी के साथ अपनी कुँवारी ननद की चूत सेवा में लगी थी , चमेली भाभी की मोटी ऊँगली तूफान मेल की तरह मीता की चूत में अंदर बाहर हो रही थी और मैं साथ में क्लिट को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया।
मीता बहुत जोर से झड़ने लगी। वो तेजी से सिसक रही थी , चूतड़ आगे पीछे कर रही थी , चूंचिया उसकी पत्थर हो रही थीं और निपल कांच के कंचे की तरह गोल और कड़क।
तभी दरवाजे पे खट खट हुयी और इनकी आवाज सुनायी पड़ी।
लेकिन चमेली भाभी की ननद की बिल में ऊँगली तेजी से आती जाती रही , औ फिर से मेरी छोटी ननद झड़ने लगी।
उसकी चूत एकदम रस से गीली हो गयी थी , चमक रही थी।
मैं दरवाजा खोलने गयी और मीता को इशारा किया , ब्रा पैंटी फिर से पहनने का समय तो था नहीं , बस उसने झट से अपनी टॉप और स्कर्ट नीचे कर ली।
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अंदर घुसते ही उनकी नजर मीता पे पड़ी , बल्कि सच कहूं तो बिना ब्रा के टॉप फाड़ती , मीता की गुदाज गोलाइयों पे जो साफ साफ दिख रही थीं। यहाँ तक की कबूतर की चोंचे भी साफ नजर आ रही थी।
और हम सब ने उनकी निगाह पकड़ ली और मुस्कराने लगे।
बात बदलने के लिए उन्होंने चमेली भाभी की ओर देखा।
उनकी तर्जनी चमक रही थी और उसमें कुछ गाढ़े शीरे जैसा लगा था। वो चमेली भाभी से बोलेजाती ,
" क्यों कुछ खाया पिया जा रहा था क्या "
" हाँ देवर जी जबरदस्त रसमलाई , अब आप लेट हो गए तो चलिए चासनी चाट लीजिये "
और पिछले १० मिनट से मीता की चूत में आती जाती , उसकी रस से गीली अँगुली , उन्होंने राजीव के मुंह में डाल दी और राजीव नदीदों की तरह उसे जोर जोर से चूसने , चाटने लगे।
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