RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
मैं चीखी पर सास ने बिना रुके सीधे जड़ तक घुसेड़ के हीं दम लिया.
तब तक मेरी एक चचेरी सास ने एक गिलास मेरे मुँह में, वही तेज, वैसी हीं महक, वैसा हीं रंग... लेकिन अब कुछ भी मेरे बस में नहीं था.
दो सासों ने कस के दबा के मेरा मुँह खोल दिया और चचेरी सास ने पूरा ग्लास खाली कर के दम लिया और बोली, “अरे मेरा खारा शरबत तो चख...”
फिर उसी तरह दो-तीन ग्लास और...
उधर मेरे सास के एक हाथ की दो उंगलियां गोल-गोल कस के मेरी गांड़ में घूमती, अंदर-बाहर होती और दूसरे हाथ की दो उंगलियां मेरी बुर में.
मैं कौन सी पीछे रहने वाली थी? मैंने भी तीन उंगलियां उनकी बुर में. वो अभी भी अच्छी-खासी टाईट थीं.
“मेरा लड़का बड़ा ख्याल रखता है तेरा बहु... पहले से हीं तेरी पिछवाड़े की कुप्पी में मक्खन मलाई भर रखा है, जिससे मरवाने में तुझे कोई दिक्कत ना हो.” वो कस के गांड़ में उँगली करती बोलीं.
होली अच्छी-खासी शुरू हो गई थी.
“अरे भाभी, आपने सुबह उठ के इतने ग्लास शरबत गटक लिये, गुझिया भी गपक ली लेकिन मंजन तो किया हीं नहीं.”
“आप क्यों नहीं करवा देती?” अपनी माँ को बड़ी ननद ने उकसाया.
“हाँ...हाँ...क्यों नहीं...मेरी प्यारी बहु है...”
और गांड़ में पूरी अंदर तक 10 मिनट से मथ रही उंगलियों को निकाल के सीधे मेरे मुँह में...
कस-कस के वो मेरे दांतों पे और मुँह पे रगड़ती रही. मैं छटपटा रही थी लेकिन सारी औरतों ने कस के पकड़ रखा था.
और जब उनकी उँगली बाहर निकली तो फिर वही तेज भभक, मेरे नथुनों में.... अबकी जेठानी थीं.
“अरे तूने सबका शरबत पीया तो मेरा भी तो चख ले.”
पर बड़ी ननद तो... उन्होंने बचा हुआ सीधा मेरे मुँह पे,
“अरे भाभी ने मंजन तो कर लिया अब जरा मुँह भी तो धो लें.”
घंटे भर तक वो औरतों, सासों के साथ... और उस बीच सब शरम-लिहाज.... मैं भी जम के गालियाँ दे रही थी. किसी की चूत, गांड़ मैंने नहीं छोड़ी और किसी ने मेरी नहीं बख्शी.
उनके जाने के बाद थोड़ी देर हमने साँस ली हीं थी कि... गाँव की लड़कियों का हुजूम...
मेरी ननदें सारी....से २४ साल तक ज्यादातर कुँवारी...कुछ चुदी, कुछ अनचुदी...कुछ शादी-शुदा, एक दो तो बच्चों वाली भी...कुछ देर में जब आईं तो मैं समझ गई कि असली दुर्गत अब हुई.
एक से एक गालियां गाती, मुझे छेड़ती, ढूंढती
“भाभी, भैया के साथ तो रोज मजे उड़ाती हो...आज हमारे साथ भी...”
ज्यादातर साड़ियों में, एक दो जो कुछ छोटी थीं फ्रॉक में और तीन चार सलवार में भी...मैंने अपने दोनों हाथों में गाढ़ा बैंगनी रंग पोत रखा था और साथ में पेंट, वार्निश, गाढ़े पक्के रंग सब कुछ...
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