RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
तीसरी संगीतमय दस्तक के बाद शुब्बाराव ने आगे बढ़कर दरवाजा खोला—नजर तेजस्वी पर पड़ी और नजर पड़ने की देर थी कि शुब्बाराव का हाथ बिजली की-सी गति से अपने गले में पड़े पोटेशियम साइनाइड के कैप्सूल की तरफ बढ़ा।
परंतु!
तेजस्वी उससे हजार गुना फुर्तीला साबित हुआ।
उसका हाथ न केवल शुब्बाराव के हाथ से पहले उसके ताबीज तक पहुंच चुका था—बल्कि एक ही झटके में ताबीज कैप्सूल सहित उसकी मुट्ठी में कैद हो गया।
प्रत्युत्तर में शुब्बाराव ने उसके जबड़े पर घूंसा रसीद करना चाहा किंतु इस बार भी वह पिछड़ गया, तेजस्वी के भारी बूट की ठोकर इतनी जोर से उसके पेट में पड़ी कि हलक से चीख निकालता हुआ कमरे के फर्श पर जा गिरा।
तेजस्वी ने फुर्ती के साथ होलेस्टर से रिवॉल्वर निकाला, उसकी तरफ तानकर बोला—“ध्यान से सुनो शुब्बाराव, मैं तुम्हें गिरफ्तार करने नहीं आया हूं।”
मगर!
रिवॉल्वर से वह डरे जो जीवित रहना चाहता हो!
जिसका उद्देश्य ही मरना हो वह भला अपनी ओर तने रिवॉल्वर से क्यों डरने लगा, अतः अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि मरने की खातिर उसने तेजस्वी पर जम्प लगा दी—इधर, तेजस्वी उसका उद्देश्य भली-भांति समझ रहा था—सो, उसने फायर न करके रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार उसके जबड़े पर किया—एक बार फिर चीख के साथ वह फर्श पर जा गिरा, इस बार एक कुर्सी को भी साथ लेकर गिरा था वह और तेजस्वी ने पुनः संभलने का अवसर दिए बगैर आगे बढ़कर जूते सहित अपना दायां पैर उसकी छाती पर रख दिया।
“म-मुझे मरने दो!” शुब्बाराव मचला—“म-मैं मरना चाहता हूं।”
“नहीं शुब्बाराव, मैं तुम्हें मर जाने देने के लिए यहां नहीं आया हूं—जानता था कि मुझे सामने देखते ही तुम मरने की कोशिश करोगे—तभी तो कामयाब न होने दिया—इतनी आसानी से अपने उद्देश्य में सफल होकर तेजस्वी को शिकस्त देने वाली हस्ती ने अभी इस दुनिया में कदम नहीं रखा है और वैसे भी, मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं—फिलहाल तुम्हें मरने की जरूरत नहीं है।”
“क-क्या मतलब?” वह अपनी छाती पर जमा अंगद का पैर हटाने की चेष्टा कर रहा था।
“ये कैप्सूल तुम लोग इसलिए अपने गले में लटकाए घूमते हो ताकि पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद टॉर्चर चेयर पर पहुंच गए तो न पुलिस तुम्हें मरने देगी न जीने देगी—ऐसी हालत बना देगी कि तुम्हारे मुंह से स्टार फोर्स से संबंधित वे राज फूट सकते हैं जो नहीं फूटने चाहिएं मगर … मगर एक बार फिर कहता हूं शुब्बाराव, ध्यान से सुनो—न मैं यहां तुम्हें गिरफ्तार करने आया हूं, न ही टॉर्चर चेयर तक ले जाने।” कहने के साथ तेजस्वी अपनी जेब से न केवल रेशम की मजबूत डोरी निकाल चुका था बल्कि उसकी मदद से शुब्बाराव की मुश्कें भी कसनी शुरू कर दी थीं।
शुब्बाराव चुपचाप उसे घूरता रहा।
तेजस्वी ने उसका पीछा तब छोड़ा जब यकीन हो गया—मरने की बात तो दूर, हाथ-पैर तक नहीं हिला सकता वह—निश्चित होने के बाद तेजस्वी ने सबसे पहले दरवाजा अंदर से बंद किया, एक मेज पर पड़े फोन पर नजर डाली और वापस शुब्बाराव के नजदीक पहुंचकर बोला—“तुम्हें मेरा एक सीलबंद लिफाफा थारूपल्ला के पास पहुंचाना होगा।”
“हरगिज नहीं!” बंधा पड़ा शुब्बाराव गुर्राया।
जवाब पर ध्यान दिए बगैर तेजस्वी ने अपनी जेबों में हाथ डाले—बांस पेपर का एक खाली लिफाफा, कुछ कागजात और चंद फोटो निकाले, बोला—“मैं ये कागजात और फोटोग्राफ लिफाफे के अंदर पैक करके भी यहां ला सकता था क्योंकि यह सारा सामान इसी शक्ल में थारूपल्ला के पास पहुंचना है मगर ऐसा नहीं किया, जानते हो क्यों?”
शुब्बाराव कुछ न बोला, कड़ी दृष्टि से केवल घूरता रहा उसे—जानता था, उसके सवाल करने न करने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है—तेजस्वी को जो कहना है, हर हालत में कहेगा—हुआ भी वही, तेजस्वी ने बात जारी रखी—“अगर मैं लिफाफे को पैक करके लाता तो तुम्हें यह वहम हो सकता था कि कहीं मैं ‘पत्र बम’ के जरिए थारूपल्ला का क्रिया-कर्म करने की कोशिश तो नहीं कर रहा हूं—तुम्हें इस वहम से मुक्त रखने के लिए एक-एक कागज और फोटोग्राफ्स तुम्हारे सामने लिफाफे में रखूंगा।”
शुब्बाराव अब भी कुछ न बोला।
तेजस्वी ने सचमुच पहले उसे खाली लिफाफा दिखाया—फिर एक-एक कागज और फोटो उसके सामने झटक-झटककर लिफाफे में रखा, उसे चिपकाया और चिपके हुए स्थान पर अपने हस्ताक्षर करने के बाद बोला—“मेरे ख्याल से अब तुम्हें यकीन होगा कि इस लिफाफे में कोई नाजायज वस्तु नहीं है!”
“फिर भी, मैं इसे थारूपल्ला के पास नहीं पहुंचाऊंगा।” वह गुर्राया।
“मेरे कहने से न सही, थारूपल्ला के कहने से तो यह काम करोगे?”
“वे मुझे ऐसा आदेश क्यों देने लगे?”
“देंगे मुन्ना, जरूर देंगे—जब हमारा आदेश होगा तो थारूपल्ला को यह लिफाफा अपने पास मंगाने का आदेश देना ही पड़ेगा, करिश्मे को दिखाना तेजस्वी की फितरत में शामिल है।” कहता हुआ वह आत्मविश्वास भरे कदमों के साथ उस मेज की तरफ बढ़ा जिस पर फोन पड़ा था।
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