hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:20 PM,
#41
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“नहीं सर … नहीं!” थारूपल्ला चिहुंक उठा।
दूसरी तरफ से सख्त स्वर में कहा गया—“थारूपल्ला!”
“ऐसा आदेश मत दीजिए सर!” वह गिड़गिड़ा उठा—“म-मैंने सब कुछ सहा मगर ये न सह सकूंगा, इससे बेहतर तो आप मुझे साइनाइड खाने का हुक्म दें—कम-से-कम मर तो जाऊंगा, खुद को जलील होते अपनी आंखों से नहीं देख सकता मैं …।”
“क्या आज तुम्हें अपनी इज्जत, अपना सम्मान फोर्स के फायदे से बड़ा नजर आने लगा थारूपल्ला?” ब्लैक स्टार कहता चला गया—“क्या तुम फोर्स के किसी बड़े फायदे के लिए जलील होने से इंकार करते हो?”
“म-मेरा मतलब यह नहीं था सर, मैं तो यह कहना चाहता था …।”
“हम कुछ नहीं सुनना चाहते।” उसका वाक्य काटकर कठोर स्वर में कहा गया—“हमारा आदेश स्पष्ट है, इंस्पेक्टर सबके सामने तुम्हें अपने स्पेशल रूल से पीटेगा—तुम न केवल यह आदेश जारी करोगे कि कोई बीच में न आए, बल्कि इंस्पेक्टर को सुरक्षित काली बस्ती से बाहर निकालने की जिम्मेदारी भी तुम्हारी है।”
“इ-इस हरामजादे ने ऐसा क्या कह दिया है सर!” थारूपल्ला दहाड़ उठा—“आखिर इसने ऐसी कौन-सी जादू की छड़ी घुमा दी है जिसके फेर में पड़कर आप फोर्स के एक मेजर की अब तक की सारी वफादारी भूल गए?”
सर्प की सी फुंफकार के साथ पूछा गया—“क्या तुम हमारा आदेश मानने से इंकार कर रहे हो?”
क्रोध के दरिया में बह रहे थारूपल्ला के मस्तिष्क को झटका लगा।
ब्लैक स्टार से उस लहजे में कभी कोई एक शब्द कहने की हिम्मत न जुटा सका था जिस लहजे में थारूपल्ला ने इतना सब कह डाला और ऐसा केवल इसलिए हो सका क्योंकि आदेश सुनते ही थारूपल्ला बौखला उठा, विवेक क्रोध के दरिया में बह चला—सर्प की-सी फुंफकार सुनते ही उसे झटका लगा, अहसास हुआ कि किस हस्ती के सामने इतना बोल गया है!
इधर, उसकी ये हालत तेजस्वी को रोमांचित किए हुए थी—शाही अंदाज में एक सिगरेट सुलगाई उसने और उन नजरों से थारूपल्ला की तरफ देखा जो सामने वाले के दिलो-दिमाग को इस तरह चीर डालती है, जैसे आरा मशीन लकड़ी को।
फुंफकार पुनः उभरी—“जवाब दो थारूपल्ला!”
“आपका हुक्म न मानने का सवाल ही नहीं उठता सर …।” थारूपल्ला पस्त हो चुका था।
“अगर पांच मिनट के अंदर वैसा नहीं किया जैसा कहा गया है तो तुम्हें अंजाम भोगने होंगे।” इस धमकी के तुरंत बाद दूसरी तरफ से संबंध-विच्छेद कर दिया गया।
थारूपल्ला के मस्तिष्क को ऐसा झटका लगा जैसे इलेक्ट्रिक चेयर पर बैठाकर ‘शॉक’ दिया गया हो।
माइक हाथ में लिए किंकर्त्तव्यविमूढ़ अवस्था में खड़ा रह गया वह।
ट्रांसमीटर से निकलने वाली सूं-सूं की आवाज कानों के पर्दे फाड़े डाल रही थी।
तेजस्वी ने जहरीली मुस्कान के साथ पूछा—“कब तक स्टैचू बने रहोगे मेजर?”
थारूपल्ला के जहन को दूसरा झटका लगा।
हैडफोन और माइक अलमारी में पटके, खून में लिसड़ी आंखों से तेजस्वी को घूरा—जबड़े मजबूती के साथ भिंचे होने के कारण मसल्स रह-रहकर फूल पिचक रहे थे—गुस्से की ज्यादती के कारण सारा जिस्म सूखे पत्ते के मानिन्द कांप रहा था।
तेजस्वी की चुभती हुई स्थाई मुस्कान ने मानो गुस्से की ज्वाला में कपूर का काम किया—खुद को तेजस्वी की आंखों का सामना करने में असमर्थ पाने पर वह घूमा और तेजी से उससे दूर … सोफा सैट की तरफ बढ़ा—निगाह सेंटर टेबल पर पड़े स्पेशल रूल पर पड़ी तो वहीं चिपककर रह गई।
उधर, तेजस्वी ने एक जोरदार कश लिया।
इस वक्त उसकी तरफ थारूपल्ला की पाठ थी, विजयी अंदाज में आहिस्ता-आहिस्ता उसकी तरफ बढ़ता हुआ बोला वह—“क्या हुआ मेजर साहब, नाराज नजर आ रहे हैं आप?”
“म-मारो!” फिरकनी की मानिन्द घूमकर थारूपल्ला ज्वालामुखी की तरह फट गया—“म-मारो मुझे—अपने स्पेशल रूल से चमड़ी उधेड़ डालो मेरी … लहुलुहान कर दो … जान से मार डालो … मुझे।”
“जरूर!” तेजस्वी हंसा—“तेरी ये शानदार ख्वाहिश मैं जरूर पूरी करूंगा।”
“करो! जरूर करो!” पागल की भांति दहाड़ते हुए उसने घूमकर रूल उठाया और उसकी तरफ फेंकता हुआ चीखा—“लो … ये रहा तुम्हारा रूल—मैं सामने खड़ा हूं—अपना चैलेंज पूरा करो, मारो मुझे!”
रूल को लपक चुके तेजस्वी ने कहा—“यहां नहीं।”
“फिर?” थारूपल्ला का पोर-पोर आग उगल रहा था।
“यहां का माहौल पसंद नहीं है मुझे—ठीक उसी तरह, जैसे तुझे मेरे ऑफिस का माहौल पसंद नहीं था—तूने थाने का प्रांगण चुना था—मैंने इस इमारत के लंबे-चौड़े लॉन को चुना है—वहां, जहां चारों तरफ स्टार फोर्स के सशस्त्र वर्दीधारी गार्ड खड़े होंगे—वे गार्ड जिन्होंने थाने में पहुंचकर मेरे एक भी मातहत को हिलने तक का मौका नहीं दिया था, ठीक रहेगा न?”
“ठ-ठीक है हरामजादे, इस वक्त तू जो कह रहा है सब ठीक है—आ चल—लॉन में चल!” कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ लपका मगर …।
“ठहरो थारूपल्ला!” तेजस्वी का स्वर आदेशात्मक था।
थारूपल्ला के पैर फर्श पर चिपके रह गए।
पलटकर गुर्राया वह—“अब क्या है?”
“एक सवाल का जवाब दे।”
“कौन से सवाल का जवाब चाहिए तुझे?”
“देशराज के पिता के मर्डर का आर्डर किसने दिया था?”
“मैंने।” उसने बेखौफ कहा।
“क्यों?”
“उन दिनों ब्लैक स्टार ‘जंगल’ में थे—उन्होंने खुद फोन करके इंस्पेक्टर देशराज से असलम की हत्या के जुर्म में उसकी बीवी को फंसाने के लिए कहा था मगर संबंध-विच्छेद होने पर महसूस किया कि लाइन पर उनकी और इंस्पेक्टर की वार्ता किसी ने सुनी है—उनके ख्याल से ऐसा इंस्पेक्टर के घर पर मौजूद किसी एक्सटेंशन इन्स्ट्रूमेंट के कारण हुआ था—उन्होंने तुरंत मुझे फोन करके जांच करने और मुनासिब कदम उठाने का हुक्म दिया—मैंने दो आदमी देशराज के घर भेजे—उन्होंने रिपोर्ट दी कि देशराज के बाप ने सब कुछ सुना है, उस पर सारा भेद पुलिस के उच्चाधिकारियों पर खोल देने का ऐसा भूत सवार है कि इंस्पेक्टर की बीवी के विरोध के कारण उसने उसे बांधकर कमरे में डाल दिया और सब कुछ बता देने की मंशा से एस.एस.पी. की कोठी की तरफ बढ़ रहा है—तब, मुझे उसके मर्डर का आदेश जारी करना पड़ा—साथ ही कहा, चेहरे को इतना कुचल दिया जाए कि लाश की शिनाख्त न हो सके।”
“मेरा अनुमान यही था।”
“क्या?”
“कि देशराज के पिता का हत्यारा तू है।”
“तो?”
“साबित हो गया, दिमाग नाम की चीज से तेरा कोई वास्ता नहीं है।”
“मतलब?”
“जरा सोच, अगर वह न मरा होता तो ब्लैक स्टार की स्कीम पिटी होती?”
“वह एस.एस.पी. के पास जा रहा था।”
“तेरा फर्ज उस पिटती हुई स्कीम को संभालना था परंतु तेरे बेवकूफाना कदम ने उसे और बिगाड़ दिया, ऐसे हालात ‘क्रिएट’ कर दिए तूने कि खुद देशराज ने अदालत में हाजिर होकर सारी स्कीम तहस-नहस कर दी—पता नहीं ब्लैक स्टार ने तेरे जैसे अहमक को मेजर का ओहदा कैसे सौंप रखा है, तुझ जैसे मूर्ख की बेवकूफियों को कैसे बरदाश्त करता है वह?”
“ओह!” थारूपल्ला गुर्राया—“तूने इस किस्म का जहर दिमाग मंें भरकर ब्लैक स्टार को मेरे खिलाफ भड़काया लगता है?”
“क्या मैंने ठीक नहीं कहा?”
“इस वक्त तेरी चढ़ी है इंस्पेक्टर, जो कहेगा ठीक ही होगा—गलत तो कुछ कह ही नहीं सकता—एक ही सांस से तूने मुझे मूर्ख, बेवकूफ और अहमक कह दिया—स्वीकार करता हूं कि तेरे जैसे धूर्त आदमी से पहले मेरा भी पाला नहीं पड़ा—मौका लगा तो बताऊंगा कि थारूपल्ला क्या चीज है—इस वक्त तो ब्लैक स्टार के आदेश से तूने मेरे हाथ-पैर बांध रखे हैं—कर ले मनमानी, आ लॉन में … चलकर मेरी चमड़ी उधेड़ ले।”
तेजस्वी के होंठों की मुस्कान गहरी … और गहरी होती चली जा रही थी।
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12-31-2020, 12:20 PM,
#42
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“सड़ाक! … सड़ाक! … सड़ाक!”
थारूपल्ला के मकान के लॉन में वह हो रहा था जिसकी कल्पना तेजस्वी के अलावा किसी ने न की थी—लॉन में मौजूद ए.के.-47 धारियों के लिए वह दृश्य ऐसा था जैसे सूरज को पश्चिम से उदय होता देख रहे होें।
जबड़े भिंचे हुए थे उनके।
गुस्से की पराकाष्ठा के कारण जिस्म कांप रहे थे।
ए.के. सैंतालिसों पर हाथ इस कदर कसे हुए थे जैसे उन्हें तोड़ डालना चाहते हों।
विवशता के कारण उनकी कसमसाहट उस आदमखोर शेर जैसी थी जिसे चारों तरफ आदमी-ही-आदमी नजर आ रहे हों मगर स्वयं मजबूत पिंजरे में मचल रहा हो।
जिस पिंजरे में वे कैद थे उसकी सलाखें खुद उस शख्स के शब्दों से बनी थीं जिसके जिस्म पर सड़ाक् … सड़ाक् की आवाज के साथ रूल के अग्रिम सिरे पर झूल रही चेन के निशान बन रहे थे—ब्लैक स्टार का हवाला देकर उसने हुक्म दिया था कि ये सब होगा—सब कुछ होता वे अपनी आंखों से देखेंगे और स्टार फोर्स के हित में केवल देखते रहेंगे।
कोई कुछ नहीं बोलेगा।
तेजस्वी मुकम्मल बेरहमी के साथ उसके जिस्म पर चेन के वार कर रहा था, परंतु उसकी यह इच्छा पूरी न हो रही थी कि थारूपल्ला चीखे, चिल्लाए, रुक जाने के लिए गिड़गिड़ाए।
दायां हाथ बाईं बगल में और बायां हाथ दाईं बगल में दबाए वह पत्थर की शिला की मानिन्द खड़ा था—चेहरे पर निःसंदेह चेन की मार से होने वाली पीड़ा उभर रही थी किंतु चीख की बात तो दूर, मुंह से हल्की-सी कराह तक को न फूटने दे रहा था वह।
जबड़ों को सख्ती के साथ भींचे, स्टेचू बना खड़ा रहा थारूपल्ला।
चेन से वार करता-करता तेजस्वी पसीने से लथपथ हो गया—थारूपल्ला की चीख सुनने की ख्वाहिश भरपूर प्रयास के बावजूद पूरी न हो सकी।
रुका।
बुरी तरह हांफता हुआ बोला—“ब-बस!”
“बस?” थारूपल्ला का लहजा चिढ़ाने वाला था—“थक गया?”
“म-मुझे अपना चैलेंज पूरा करना था।” तेजस्वी उखड़ी सांसों को नियंत्रित करने की चेष्टा के साथ बोला—“सो कर लिया।”
“ताकत है तो मार!” थारूपल्ला गुर्राया—“और मार! देखूं तो सही तुझमें कितनी जान है?”
माथे का पसीना पोंछते हुए तेजस्वी ने स्वीकारा—“निश्चित रूप से तू शारीरिक ताकत में मुझसे बहुत आगे है।”
“तू हार गया तेजस्वी!” थारूपल्ला दांत पीस रहा था—“ठीक उसी तरह तू जीतकर भी हार गया जैसे मैं थाने में हारा था—सम्पूर्ण ताकत इस्तेमाल करने के बावजूद तू मेरी चीख सुनने की अपनी ख्वाहिश पूरी न कर सका—इस वक्त अगर मैं वही कहूं जो तूने थाने में कहा था तो बात बे-मौका न होगी—अगर खुले दिमाग का है तो यहां से अपनी शिकस्त कबूल करके जा, सारे रास्ते रटता जा कि काली बस्ती में केवल वो होता है जो थारूपल्ला चाहे।”
“कुबूल है मेजर।” तेजस्वी बोला—“निश्चित रूप से तूने मुझे शिकस्त दी है।”
“तो आ।” थारूपल्ला जीप की तरफ बढ़ा—“तुझे काली बस्ती से बाहर छोड़ आऊं।”
“ओ.के.।” कहने के साथ वह आगे बढ़कर ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट पर जा बैठा क्योंकि ड्राइविंग सीट पर पहले ही थारूपल्ला जम चुका था।
थारूपल्ला ने एक झटके से जीप आगे बढ़ा दी और जिस रफ्तार के साथ काली बस्ती की गलियों से जीप को गुजारा, उसे देखकर तेजस्वी को दांतों तले पसीना आ गया—रास्ते के दोनों तरफ बस्ती के हिंसक लोग खड़े थे मगर किसी की क्या मजाल कि रास्ते में आता?
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“देख लीजिए सर, मैं वह करके काली बस्ती से लौट आया जिसकी किसी को उम्मीद न थी।” पुलिस कमिश्‍नर के ऑफिस में, सावधान की मुद्रा में खड़े तेजस्वी ने कहा—“आपको भी नहीं, जबकि आप वह एकमात्र शख्स हैं जिन्हें न केवल मेरी योजना के प्रत्येक प्वाइंट की जानकारी थी बल्कि आपके बगैर ये योजना कामयाब नहीं हो सकती थी।”
“हमें ‘श्रीगंगा’ सरकार का शुक्रगुजार होना चाहिए तेजस्वी, उन्होंने हमारी भरपूर मदद की।” शांडियाल का स्वर बेहद गंभीर था, “हमारी डिमांड पर उन्होंने तुरंत सैनिक फाइल से उस परिवार के फोटो भेज दिए जिसका हवाला तुमने दिया था, उन फोटुओं के बगैर ब्लैक स्टार को धोखा देने वाली ये कहानी किसी भी हालत में नहीं बन सकती थी।”
“इसमें क्या शक है सर।”
“अब तो बता दो तेजस्वी, तुम्हें सैनिक कार्यवाही के दरम्यान इस परिवार के मरने की जानकारी कैसे थी—वह बात तुम्हारे दिमाग में कैसे आ गई कि कीर्ति कुमारम् के परिवार के सदस्यों की लाशों को तुम अपने परिवार की लाशें सिद्ध कर सकते हो?”
“आप इस मनोविज्ञान से तो परिचित होंगे कि अगर कोई शख्स अपने ही नाम के किसी अन्य शख्स का नाम अखबार में पढ़े तो उस नाम से जुड़ी खबर को, अन्य खबरों के मुकाबले खास दिलचस्पी के साथ पढ़ता है।”
“अपने नामराशि से प्रत्येक शख्स को एक अज्ञात लगाव होता है।”
“पांच साल पहले ‘श्रीगंगा’ में हमारे मुल्क की सेनाएं स्टार फोर्स से लोहा ले रही थीं—अखबारों में सैनिक कार्यवाही की खबरें प्रमुखता के साथ छापी जा रही थीं—अन्य लोगों की तरह मैं भी उन्हें पढ़ता था—उनमें से जो खबर आज तक मेरे दिमाग में अटकी रह गई, वह सैनिक कार्यवाही के दरम्यान कीर्ति कुमारम् के परिवार के मारे जाने की खबर थी—अब, जबकि मैं थारूपल्ला को चैलेंज दे बैठा—काफी दिमाग घुमाया कि उसे रूल से पीटकर किस तरह वापस आ सकता हूं—यकीन मानिए सर, तरकीब सोचने के प्रयास में दिमाग की चूलें हिल गईं और जब ये हिल रही थीं तभी, दिमाग में कीर्ति कुमारम् के परिवार के साथ हुए हादसे की खबर कौंध गई—विचार उभरा—अगर किसी तरह ब्लैक स्टार को विश्वास दिला दूं कि मैं वह तेजस्वी हूं जिसके मां-बाप, पत्नी और बेटे ‘श्रीगंगा’ में सैनिक कार्यवाही के दरम्यान मारे गए थे तो वह इस नतीजे पर पहुंचेगा कि मेरा लक्ष्य स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद करना किसी हालत में नहीं हो सकता, मगर सबसे बड़ी अड़चन ये थी कि खुद को कीर्ति कुमारम् का बेटा कैसे साबित करूं—इस समस्या को लेकर आपसे एकांत में बात की, आपने कहा—‘तुम खुद को उस हालत में कीर्ति कुमारम् का बेटा कैसे सिद्ध कर सकते हो जबकि अखबार में खबर छप चुकी है कि कीर्ति कुमारम् का बेटा भी अपने पूरे परिवार के साथ तभी मर गया था’—मैंने जवाब दिया—‘वह खबर पांच साल पूर्व के अखबार में छपी थी सर और कोई प्रमुख खबर न थी—ब्लैक स्टार या किसी अन्य ने पढ़ी भी होगी तो आज इतनी ‘डिटेल’ याद न होगी—मैं ब्लैक स्टार से कह सकता हूं, वारदात के वक्त मैं यानि कीर्ति कुमारम् का लड़का घर पर नहीं था, इस कारण बच गया’—आपने कहा—‘नहीं, ब्लैक स्टार इस किस्म के धोखे में नहीं फंसेगा—वह स्वयं ‘श्रीगंगा’ में बैठा है—इन्क्वायरी करा लेगा कि कीर्ति कुमारम् के परिवार के साथ क्या हुआ था’—तब, मैं बोला—‘यह अंदेशा मुझे भी है सर, तभी तो आपसे बात करने की जरूरत पड़ी।’—आपने पूछा—‘क्या मतलब?’ मैंने कहा—‘मैं चाहता हूं आप कीर्ति कुमारम् के खण्डहर हुए पड़े मकान के चारों तरफ ऐसा जाल बिछा दें, जिससे इन्क्वायरी करने पर ब्लैक स्टार के प्यादों को यह पता लगे कि सैनिक कार्यवाही के दरम्यान तेजस्वी न मारा जा सका था और वह उसी दिन से गायब है’—मेरी यह बात सुनकर आपने कहा—‘श्रीगंगा सरकार की मदद के बगैर ऐसा कैसे हो सकता है’—तब मैं बोला—‘तो श्रीगंगा सरकार से मदद मांगिए सर, अपना चैलेंज पूरा करने का मेरे पास यही एकमात्र रास्ता है’ और तब—आपने मेरी जिद्द पर श्रीगंगा सरकार से मदद मांगी—उन बेचारों ने खण्डहर हुए पड़े कीर्ति कुमारम् के मकान के चारों तरफ आम नागरिकों के रूप में श्रीगंगाई जासूस तैनात कर दिए, जिन्होंने ब्लैक स्टार के प्यादों को यह खबर दी कि सैनिक कार्यवाही के वक्त कीर्ति कुमारम् का लड़का घर पर नहीं था—इसी सबका करिश्मा है कि आज मैं अपना चैलेंज पूरा करने के बाद आपके सामने जीवित खड़ा हूं।”
“इतना सब हो गया तेजस्वी, मगर हमें अब भी यकीन नहीं आ रहा कि वो करिश्मा हो चुका है जिसका कभी किसी को गुमान तक न था।” कमिश्‍नर शांडियाल कहते चले गए—“तुम्हारी जिद्द के कारण हमने यह सब कुछ किया जरूर, परंतु तुम जानते हो, हमें एक परसेंट यकीन न था कि ये साजिश कामयाब हो जाएगी।”
“छोड़िए सर, हमारी कामयाबी का जश्न आज सारे प्रतापगढ़ में मनाया जा रहा है—लोग खुश हैं, आपके आशीर्वाद से मैं वह करने में कामयाब हो चुका हूं जो चाहता था—प्रतापगढ़ के लोगों की सोच पर सवार यह भूत भाग चुका है कि ‘होता वही है जो स्टार फोर्स चाहे’—आज लोग कह रहे हैं, पुलिस जल्द ही ‘समूचे प्रदेश में स्टार फोर्स का सफाया कर डालेगी’ और हमें इस स्थिति का लाभ उठाना है।”
“कैसे?”
“मैं सार्वजनिक रूप से अपील करूंगा कि जिस किसी को स्टार फोर्स के किसी मेम्बर या छोटे-मोटे अड्डे की भी जानकारी हो, बगैर डरे फलां-फलां फोन नंबर पर बताएं एवं बताने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा और कार्यवाही गोली की-सी गति से की जाएगी’—मेरा ख्याल है, जो भयमुक्त माहौल बना है—हमें उसका लाभ मिलेगा—लोग जानकारियां देंगे और इस तरह हमें स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद करने में मदद मिलेगी।”
“वैरी गुड तेजस्वी, तुम बिल्कुल ठीक लाइन पर चल रहे हो।” शांडियाल ने कहा—“हमें तुम पर गर्व है।”
“थैंैक्यू … थैंक्यू सर।” खुशी के मारे तेजस्वी का सारा जिस्म कांप रहा था।
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12-31-2020, 12:20 PM,
#43
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“प्रतापगढ़ में आपके नाम का डंका बज रहा है इंस्पेक्टर साहब, चारों तरफ जय-जयकार हो रही है आपकी।” खुशी से पागल हुआ जा रहा मनचंदा कहता चला गया—“सुना है जुर्म के ठेकेदार प्रतापगढ़ छोड़कर भाग गए हैं—राम-राज्य स्थापित कर दिया है आपने—ये मुजरिम साले स्टार फोर्स के कारण हुकूमत कर रहे थे, जब आपने काली बस्ती में जाकर थारूपल्ला का ही …।”
“वो सब छोड़ मनचंदा।” चुटकी बजाकर सिगरेट की राख अपने ऑफिस के फर्श पर डालते तेजस्वी ने पूछा—“अपनी सुना, तू कैसा है?”
“ख-खुश हूं साहब, बहुत खुश।”
“दुकानें कैसी चल रही हैं?”
“मजा आ रहा है हुजूर—दोनों ठेकों पर लाइनें बनी रहती हैं, खाने-पीने की लत किसे नहीं है, और अब प्रतापगढ़ में शराब कहीं और मिलती नहीं, जाएंगे कहां?”
“खूब इन्कम हो रही होगी …।”
“आपकी कृपा से सारे दिलद्दर दूर हो गए मेरे।”
“मगर तेरी कृपा अब तक हम पर नहीं हुई।”
“ज-जी!”
तेजस्वी ने एक लम्बा कश लेने के बाद कहा—“जब मैंने तुझे पहली बार बुलवाया तब तूने पूछा था कि क्यों बुलवाया है मगर अब … जब दूसरी बार थाने पर तलब किया है तो पूछ ही नहीं रहा—पूछ मनचंदा, ये तो पूछ कि मैंने तुझे बुलाया क्यों है?”
“हुक्म करो साहब!”
“कच्ची शराब का धंधा चौपट करके मैंने अच्छा काम किया है न?”
“इसमें क्या शक है साहब!”
“अच्छा काम करने वाला इनाम का हकदार होता है और जिसे उस अच्छे काम से फायदा मिला हो, उसकी ड्यूटी बन जाती है कि उसे इनाम दे जिसके कारण उसे फायदा हुआ।”
मनचंदा को लकवा मार गया।
उसने स्वप्न तक में न सोचा था कि तेजस्वी रिश्वत मांगेगा, मगर वह मांग रहा था।
खुलेआम मांग रहा था।
“क्या हुआ मनचंदा, तू बोल क्यों नहीं रहा?”
“आं … कुछ नहीं, कुछ नहीं साहब।” उसकी तंद्रा भंग हुई—“ठ-ठीक है, इनाम आपके क्वार्टर पर पहुंच जाएगा।”
“क्वार्टर पर क्यों, यहां क्या बुराई है?”
“य-यहां पहुंच जाएगा साहब, म-मैं तो इसलिए कह रहा था कि शायद आप ऐसा न चाहें—दूसरे पुलिस वाले भी रहते हैं यहां …।”
“तो क्या हुआ, क्या उन्होंने कच्ची शराब का धंधा बन्द कराने में मेरे साथ मेहनत नहीं की?”
“क-की थी साहब, जरूर की थी।”
“तो वे बेचारे इनाम से वंचित क्यों रहें?”
“ब-बिल्कुल नहीं रहेंगे साहब, सभी हकदार हैं—सबको इनाम मिलेगा।”
“एक बार नहीं, हर महीने मिलता रहना चाहिए—जिस महीने न मिला उस महीने फिर कच्ची शराब का धंधा शुरू हो जाएगा।”
“नहीं हुजूर, ऐसा नहीं होना चाहिए।”
“नहीं होगा।”
“मगर लगे हाथों बता दें कि क्या पहुंचता रहे जो मेरी समस्या हल हो जाए।” मनचंदा हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा उठा—“बड़ी दुविधा में हूं, अगर मेरे भेजे हुए से आप नाराज हो गए तो मेरे बच्चे वीरान हो जाएंगे।”
“अगर तू इस थाने पर मेरी नियुक्ति से पहले एक पैसा कमाता था और अब पांच कमाता है तो बढ़े हुए प्रॉफिट का पचास परसेंट यानि दो पैसे भिजवा दे।”
चिहुंक उठा मनचंदा—“ये तो ज्यादा हो जाएगा हुजूर …।”
“अब तू यहां से जाता है या नहीं?” गुर्राते हुए तेजस्वी ने मेज पर रखा रूल उठा लिया।
“ज-जाता हूं साहब।” मनचंदा खड़ा हो गया—“जाता हूं, इनाम पहुंच जाएगा …।”
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“ये-ये क्या है साब?” पांडुराम की जुबान लड़खड़ा गई।
तेजस्वी ने जबरन मुस्कान के साथ कहा—“दस हजार रुपया।”
“म-मगर साब …।”
“मनचंदा दे गया है।” पांडुराम की हालत का भरपूर आनंद लूटता तेजस्वी कहता चला गया—“हमने प्रतापगढ़ से कच्ची शराब का धंधा उखाड़ दिया न, फायदा मनचंदा को मिला—खुश होकर वह बीस हजार दे गया—दस मैंने रख लिए हैं, दस ये हैं—सबमें बराबर बांट दे।”
“ल-लेकिन सर, ये तो रिश्वत …।”
“इतना हकला क्यों रहा है, पहली बार रिश्वत के नोट देखे हैं क्या?”
“न-नहीं साब, परंतु …।”
तेजस्वी ठहाका लगाकर हंसा, बोला—“हैरान हो रहा है—यह सोचकर आश्चर्य के कारण दिमाग फटा जा रहा है तेरा कि मैं यानि तेजस्वी भला रिश्वत कैसे ले सकता है?—सब समझ में आ जाएगा पांडुराम, धीरे-धीरे तेरी समझ में भी आ जाएगा कि तेजस्वी के थाना क्षेत्र में इतने कम क्राइम क्यों होते हैं बल्कि तेरी समझ में तो अब तक ये बात आ भी जानी चाहिए थी मगर तूने दिमाग नहीं लगाया, ध्यान से सोचा नहीं—खैर, मुमकिन है सोचने की कोशिश न की हो।”
किंकर्त्तव्यविमूढ़ अवस्था में खड़े पांडुराम के मुंह से निकला—“म-मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा साब, पता नहीं आप क्या-क्या कहे चले जा रहे हैं …।”
“हत्या का षड्यंत्री होने के बावजूद मैंने इकबाल को गिरफ्तार नहीं किया—किसी अफसर से उसके संबंध में एक लाइन न कही और थाने से चुपचाप निकालकर फिल्म नगरी के लिए रवाना कर दिया—शुब्बाराव के जरिए ब्लैक फोर्स से तेरे संबंध पकड़ लिए, मगर न मैंने खुद इस थाने से तेरे ट्रांसफर की कोशिश की न किसी अफसर से इस संबंध में जिक्र किया—तुझे सोचना चाहिए था पांडुराम, एक ईमानदार इंस्पेक्टर कहीं ऐसा करता है?”
“म-मैंने सोचा था सर!”
“सोचा होता तो इस वक्त हैरान न होता।” तेजस्वी के होंठों पर धूर्त मुस्कान थी—“अगर रंगनाथन के अड्डे तबाह करने थे तो कर देता—मनचंदा को बुलाकर उस पर यह जताने की क्या जरूरत थी कि मैं उसे कितना आर्थिक फायदा पहुंचाने वाला हूं—साफ जाहिर था, मैं भविष्य में उससे कुछ चाहता हूं—एक कर्त्तव्यनिष्ठ इंस्पेक्टर को भला इससे क्या लेना-देना कि उसके कौन से कदम से किसको क्या लाभ मिलने वाला है!”
“य-ये सब बातें मेरे दिमाग में अटकी थीं साब, मगर आपके चारों तरफ ऐसा आभामंडल है कि जो कुछ इस वक्त आप अपने मुंह से कह रहे हैं, वैसा सोचा तक नहीं जा सकता था।”
“मेरी यही खूबी है पांडुराम—खास तौर पर यह आभामंडल मैं अफसरों के लिए बनाता हूं—इतना खुदगर्ज नहीं हूं कि जो मिले उसे अकेला गड़प कर जाऊं … मिल-बांटकर खाता हूं मैं।”
“म-मुझे अब भी यकीन नहीं आ रहा साब कि …।”
“कि मैं इतना बड़ा रिश्वतखोर हूं?” बात पूरी करने के साथ तेजस्वी ने जोरदार ठहाका लगाया।
“मैं अपने मुंह से आपके लिए ऐसे शब्द नहीं निकाल सकता।”
“निकालना भी नहीं।” तेजस्वी ने चेतावनी दी—“जिन पुलिसियों में रकम बांटो, उन्हें समझा देना—मेरे आभामंडल को तोड़ने की कोशिश न करें—क्योंकि उसे कोई तोड़ नहीं सकता, ऐसी कोशिश करने वाला बहुत जल्द सजा पाता है—पिछले थाने पर ईमानदारी के नशे में चूर एक सिपाही ने ऐसी बेवकूफी कर दी थी—सीधा कमिश्‍नर साहब के पास पहुंच गया वह, बोला—‘इंस्पेक्टर तेजस्वी वैसा नहीं है सर, जैसा आप और अन्य लोग समझते हैं, वह एक भ्रष्ट और रिश्वतखोर पुलिसिया है’—मेरे थाने पर तैनात होने के कारण वह मेरे काफी कारनामों से वाकिफ था—साले ने कमिश्‍नर के सामने सब बक दिए, कमिश्‍नर ने सुना जरूर मगर विश्वास न किया—मुझे बता दिया उन्होंने कि कौन-सा सिपाही मेरे बारे में क्या कह रहा था!—मैंने कमिश्‍नर को समझा दिया, बल्कि सिद्ध कर दिया कि वह सिपाही उस थाना क्षेत्र के उस माफिया गिरोह से पगार पाता है जिसके लिए मैं सिरदर्द बना हुआ हूं, इसी जुर्म में पट्ठा आज तक जेल में पड़ा सड़ रहा है।”
“नहीं साब, इस थाने पर ऐसा ईमानदार कोई नहीं है।”
“जानता हूं, तभी तो यह रकम सबमें बांटने को कहा है—खाओ-पियो मौज लो, ये रकम मनचंदा उस दिन तक हर महीने पहुंचाएगा जब तक मैं यहां हूं और एक क्या, सैकड़ों मनचंदा पैदा करने हैं मुझे—अभी तो प्रतापगढ़ में आया हूं—इतनी मौज कराऊंगा कि पुलिस की नौकरी में पहले कभी न की होगी।”
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12-31-2020, 12:22 PM,
#44
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“मुझे ब्लैक स्टार से मिलना है।”
“कोड?”
“गधे का बच्चा।”
“ओह!” राइफलधारी की आंखों में उसके लिए सम्मान के भाव उभर आए, बोला—“ब्लैक स्टार का आर्डर है आपको आते ही उनसे मिलाया जाए, एक सेकेंड भी बरबाद करने की इजाजत नहीं है।”
“तुम आधा सेकेंड बरबाद कर चुके हो।” खुद को गधे का बच्चा कहने वाले पतले दुबले शख्स के होंठों पर मुस्कान उभर आई, उसके जिस्म पर मिलिट्री पुलिस की-सी वर्दी थी।
“आइए।” कहने के साथ राइफलधारी एक लिफ्ट की तरफ बढ़ा।
पतला शख्स उसके पीछे था।
लिफ्ट के नजदीक पहुंचकर राइफलधारी ने एक बटन दबाया—हल्की सरसराहट के साथ दरवाजा खुल गया, राइफलधारी ने कहा—“लिफ्ट में गोताखोरी का लिबास है, आप उसे …।”
“मालूम है।” कहता हुआ वह लिफ्ट में दाखिल हो गया।
बटन दबाकर दरवाजा बंद करते हुए राइफलधारी ने कहा—“इसका मतलब आप इस रास्ते से पहले भी ब्लैक स्टार के पास जा चुके हैं?”
“करेक्ट!”
राइफलधारी ने एक और बटन दबा दिया।
सरसराहट की आवाज के साथ लिफ्ट ने नीचे सरकना शुरू किया।
लिफ्ट आम लिफ्ट की तरह इस्पात की बनी हुई नहीं थी, बल्कि उसकी छत, दीवारें और फर्श तक कांच का था—पारदर्शी कांच के पार, ‘लिफ्ट-वे’ की दीवारें स्पष्ट चमक रही थीं—एक कोने में गैसमास्क सहित गोताखोरी का लिबास पड़ा था—पतले व्यक्ति ने उसे उठाया।
लिफ्ट करीब पन्द्रह मिनट बाद स्वतः रुक गई।
तब तक उसका संपूर्ण जिस्म गोताखोरी के लिबास से ढक चुका था—चेहरे पर गैसमास्क और पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर था—लिफ्ट की चारों दीवारों और फर्श के पार हर तरफ पानी-ही-पानी नजर आ रहा था—उसने एक बटन दबा दिया।
चमत्कारिक ढंग से लिफ्ट का फर्श उसके पैरों के नीचे से सरक गया।
पानी में डूबता चला गया वह।
लिफ्ट उसी अवस्था में ऊपर उठती चली गई—फर्श उस वक्त स्वतः यथास्थान फिक्स हो गया जब लिफ्ट पानी से ऊपर पहुंच गई—उधर, गोताखोरी के लिबास में छुपा पतला शख्स तेजी के साथ एक निश्चित दिशा में तैरता चला गया।
परंतु!
स्वतंत्रतापूर्वक बहुत देर तक न तैर सका—शीघ्र ही पानी में डूबी चट्टानों के पीछे से प्रकट होकर आठ ‘मझरगन’ धारियों ने उसे घेर लिया—सभी के जिस्मों पर गोताखोरी का लिबास था—अगर यूं कहा जाए तो गलत न होगा कि पतले शख्स ने आगे का सफर उनकी कैद में पूरा किया—मगर इस कैद पर उसे कोई आपत्ति न थी—उनके निर्देश पर आराम से तैरता चला गया वह।
वे उसे एक पनडुब्बी में ले गए।
पानी से बाहर आने पर उसने गोताखोरी का लिबास उतारा—‘मझरगन’ धारियों ने तलाशी ली—न उसने कुछ कहा, न ही उनमें से कोई कुछ बोला—संतुष्ट होने के बाद वे उसे एक कक्ष के बंद दरवाजे के नजदीक ले गए, ‘मझरगन’ धारियों में से एक ने मानो शून्य से कहा—“गधे का बच्चा आया है सर।”
“ओ.के.।” शून्य से आवाज उभरी।
साथ ही, हल्की सरसराहट … और दरवाजा एक तरफ सरक गया।
पतले शख्स ने अंदर कदम रखा—दरवाजा वापस बंद हो गया।
मुश्किल से दस बाई दस का कक्ष था वह मगर दीवारों पर जगह-जगह टी.वी. स्क्रीन्स लगी नजर आ रही थीं—इस वक्त केवल एक स्क्रीन ऑन थी और उस पर इस कक्ष के बाहर वाली गैलरी का दृश्य नजर आ रहा था, उसे यहां तक लाने वाले मझरगन धारी वापस जा रहे थे।
“जय यमनिस्तान।” इन शब्दों के साथ पतले शख्स ने जोरदार सैल्यूट मारा।
“बैठो।” अत्यंत प्रभावशाली आवाज उस कुर्सी ने उगली जिसकी विशाल पुश्त पतले शख्स की आंखों के सामने थी—वह आगे बढ़ा, दर्पण की मानिन्द चमचमा रही विशाल मेज के इस तरफ पड़ीं चार कुर्सियों में से एक पर बैठ गया वह—उसी क्षण, स्क्रीन पर नजर आ रहा दृश्य गायब हुआ और कुर्सियां घूम गईं।
अब वह शख्स पतले शख्स के सामने था जिसे लोग ब्लैक स्टार के नाम से जानते थे।
सामान्य जिस्म, सांवला रंग, गोल चेहरा, घने बालों वाली मोटी मूंछें और सबसे विचित्र थीं उसकी आंखें—विचित्र भी और आकर्षक भी—सफेद हिस्सा, सफेद न होकर थोड़ा गंदला सा था—कुछ ऐसा, जैसा बलगम का रंग होता है और काला हिस्सा इतना चमकदार था कि पतले शख्स को इस बार भी वही अहसास हुआ जैसा ब्लैक स्टार के सामने हमेशा होता था—उन आंखों में ऐसा कुछ था कि सामने वाले को वे अपनी तरफ खींचती-सी लगती थीं।
हौले-हौले मुस्करा रहा था वह।
पतले शख्स ने उसे हमेशा मुस्कराते देखा था।
उसे, जिसके जिस्म पर किसी मुल्क की आर्मी के जनरल जैसी वर्दी थी।
उसे, जिसने अपने हाथ में दबे छोटे से रिमोट को मेज पर रखते हुए सवाल किया—“क्या खबर लाए?”
पतले शख्स को मालूम था, न ब्लैक स्टार के पास भूमिका के लिए टाइम होता है, ना ही भूमिका उसे पसंद है, अतः सीधा जवाब दिया—“इंस्पेक्टर तेजस्वी ने ट्रांसमीटर पर झूठ बोला था।”
“मतलब?”
“वह कीर्ति कुमारम् का लड़का नहीं है।”
“और स्पष्ट करो।”
“कीर्ति कुमारम् के लड़के का नाम तेजस्वी जरूर था।” पतले शख्स को उम्मीद थी कि उसके द्वारा दी जाने वाली इन्फॉरमेशन्स को सुनकर ब्लैक स्टार चौंक पड़ेगा और इस बार वह उस शख्स को चौंकते हुए देखने का सौभाग्य पाएगा जिसे कभी किसी ने चौंकते नहीं देखा—मगर ब्लैक स्टार के अभी भी मुस्कराते नजर आ रहे होंठ उसकी सभी उम्मीदों पर बिजली गिरा गए, बेअटके कहता चला गया वह—“मगर इंस्पेक्टर तेजस्वी वह नहीं है, कीर्ति कुमारम् का लड़का सैनिक कार्यवाही के दरम्यान अपने परिवार के साथ मारा गया था।”
“सुबूत?”
“उस वक्त के अखबार की कटिंग और ये फोटो …।” कहने के साथ शख्स ने एक कटिंग और फोटो अपनी जेब से निकाल कर मेज पर रख दिए—ब्लैक स्टार ने पहले खबर पढ़ी, उसमें साफ लिखा था—“कीर्ति कुमारम् का सारा परिवार मारा गया—मरने वालों में तेजस्वी का नाम भी था—फोटो में एक बुढ़िया, बुड्ढे, दो बच्चों, एक जवान और तथा एक युवक की लाशें पंक्तिबद्ध पड़ी थीं—बुरी तरह जली हुई लाशें थीं वे—ब्लैक स्टार अभी उन्हें देख ही रहा था कि पतले शख्स ने कहा—“सेना के बमों ने पूरे परिवार के चिथड़े उड़ा दिए थे, मकान खण्डहर बन गया था।”
“फोटो कहां से हासिल किए?”
“सरकारी आदमी से—सारा रिकार्ड उसी के चार्ज में रहता है और उसके मुताबिक, चार दिन पहले इस परिवार से संबंधित कुछ फोटो जाने क्यों उसकी सरकार ने मंगाए थे।”
“ओह!” ब्लैक स्टार मानो सब कुछ समझ गया—“थारूपल्ला तक इंस्पेक्टर ने केवल वे फोटो पहुंचाए जिनसे उसका उल्लू सीधा होता था।”
“ऐसा ही लगता है सर।”
“उस दिन तुम्हारे जासूस धोखा कैसे खा गए?”
“जांच करा चुका हूं सर—पता चला है, उस दिन वे जितने लोगों से मिले, सब के सब श्रीगंगाई जासूस थे और उन्होंने जान-बूझकर यह खबर दी कि सैनिक कार्यवाही के वक्त कीर्ति कुमारम् का लड़का घर पर नहीं था।”
“ऐसा धोखा खाने वालों से कहो, कैप्सूल खा लें।” मुस्कराते हुए ब्लैक स्टार ने यह हुक्म ऐसे अंदाज में दे डाला जैसे किसी से खुश होकर उसे पुरस्कार देने के लिए कह रहा हो।
“वे मर चुके हैं सर।”
“कैसे?”
“मुझे हकीकत पता लगते ही कैप्सूल खाकर …।”
“गुड।” मुस्कराहट में अजीब-सी चमक पैदा हो गई—“इंस्पेक्टर ने अच्छी चाल चली—श्रीगंगा सरकार की मदद तक हासिल कर ली उसने! खैर, वास्तविक बायोडेटा?”
“बाप का नाम अरविन्द कुमार, मां का नाम नलिनी—चिंकापुर का रहने वाला है।”
“शादी हुई?”
“पत्नी का नाम शुभा, एक दो--वर्षीय बेटी भी है—नाम अरुणा।”
“नौकरी कब लगी?”
“बेटी पैदा होते ही।”
“और कुछ?”
“बड़ा ही छुपा रुस्तम इंस्पेक्टर है वह।” पतला शख्स कहता चला गया—“पूरा हरामी, एक नंबर का भ्रष्ट, हद दर्जे का बेईमान और रिश्वतखोर। मगर …।”
“मगर?”
“जहां रहता है वहां की पब्लिक की नजरों में एकदम उल्टा—अफसरान समझते हैं उस जैसा ईमानदार, वतन-परस्त और कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिसिया पूरे विभाग में नहीं है।”
“ये चमत्कार कैसे कर दिखाता है वह?”
“नये थाने पर नियुक्ति होते ही तेजस्वी सबसे पहले कहर बनकर उन गुण्डे-बदमाश, नेता और माफिया गिरोहों पर झपटता है जिनकी सैटिंग पिछले इंस्पेक्टर से होती है—इससे उसे कई फायदे होते हैं—पहला, पब्लिक खुश—दूसरा, क्रिमिनल आतंकित—तीसरा, अफसरान गदगद—इस अभियान को पूरा करने के बाद वह अपने असली रूप में आता है, मगर केवल मातहतों और उन लोगों के सामने जिनसे रिश्वत लेता है—वह अपनी सैटिंग उनसे नहीं करता जिनसे पिछले इंस्पेक्टर की सैटिंग थी, बल्कि उनसे करता है जो पिछले इंस्पेक्टर के जमाने में दबे हुए थे—न उनमें से किसी में उसका भेद खोलने की हिम्मत होती है, न ही मातहतों में से किसी में—कोई कोशिश भी करे तो पब्लिक और अफसरों की नजरों में एक आदर्श पुलिसिया होने के कारण उसका कुछ नहीं बिगड़ता। उल्टे कोशिश करने वाले को छठी का दूध याद आ जाता है—उसके थाने में आए लोगों की रपट दर्ज नहीं होती, अफसरान समझते हैं क्षेत्र में राम-राज्य स्थापित हो गया है।”
“बड़ा घुटा हुआ इंस्पेक्टर है।”
“उसका दावा है, वह अपने थाना क्षेत्र में हुकूमत करने के लिए पैदा हुआ है—जिस थाने पर उसे नियुक्त कर दिया जाता है, उस थाना क्षेत्र का वह सबसे बड़ा गुण्डा होता है—देशराज जैसे इंस्पेक्टरों और उसमें केवल इतना फर्क है कि वे धौंस में आकर रिश्वत लेते हैं जबकि वह धौंस जमाकर रिश्वत लेता है।”
“एक फर्क और है।”
“ज-जी।” पतला शख्स हकला गया—“व-वह क्या?”
“तेजस्वी चालाक है, जुझारू है, हिम्मत है उसमें—ये सारे गुण न होते तो हमें बेवकूफ बनाने में कामयाब न हो पाता—भले ही तुम्हारे नाकारा जासूसों के कारण बने लेकिन यह सच है कि उसने हमें बेवकूफ बना दिया और ‘टेलैन्टिड’ होने के कारण वह अपने गुनाहों की सजा हमारे हाथों से पाने का हकदार है—जंगल में हमारी और उसकी मुलाकात की व्यवस्था की जाए।”
“ओ.के. सर।” कहने के साथ पतला शख्स खड़ा हो गया।
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12-31-2020, 12:23 PM,
#45
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“इनसे मिलो तेजस्वी।” शांडियाल ने काला सफारी पहने एक व्यक्ति की तरफ इशारा किया—“ये केन्द्रीय स्पेशल कमांडो दस्ते के चीफ हैं, मिस्टर एम.पी. ठक्कर।”
तेजस्वी ने ठक्कर की तरफ हाथ बढ़ाया और जब हाथ ठक्कर के हाथ के बीच में फंसा तो लगा कि उसका हाथ, हाड़-मांस से नहीं बल्कि फौलाद के बने शिकंजे के बीच फंस गया है।
“ये तेजस्वी है।” शांडियाल कह रहे थे—“इसके बारे में मैं आपको बता चुका हूं।”
“खुशी हुई।” ठक्कर ने सीधे उसी से कहा—उसका हाथ अभी भी ठक्कर के फौलादी शिकंजे में था और तेजस्वी को दुखन का अहसास हो रहा था।
एम.पी. ठक्कर!
सात फुट लम्बा, कसरती जिस्म वाला शख्स!
क्रूर चेहरा, सुर्ख आंखें, मोटी और घनी भवें, गंजा सिर—प्राकृतिक रूप से गंजा नहीं था वह बल्कि उस्तरा फिरवा रखा था—हाफ बाजू के सफारी में उसकी मसल्स स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही थीं।
“बैठो।” कहने के साथ ठक्कर ने उसका हाथ छोड़ दिया।
ठक्कर सामने बैठा—शांडियाल अपनी कुर्सी पर—इस वक्त उसके ऑफिस में चिदम्बरम, कुम्बारप्पा, भारद्वाज और पांडे के अलावा पांच शख्स और थे।
पांचों ने काला सफारी पहन रखा था।
ठक्कर की तरह गंजे!
क्रूर और बलिष्ठ!
चेहरों को देखकर अनुमान नहीं लगाया जा सकता था कि उनके दिलो-दिमाग में क्या घुमड़ रहा है—वे सभी उसे देख रहे थे और तेजस्वी को लग रहा था, वे उसे घूर रहे हैं—पेट में हवा का एक गोला तेजी से घूमता महसूस हुआ—तभी, शांडियाल बोले—“ये पांचों स्पेशल कमांडो दस्ते के वे लोग हैं तेजस्वी, जो तीन दिन पहले वहां पहुंच जाते हैं जहां किसी वी.आई.पी. को आना हो।”
खुद को नियंत्रित रखकर तेजस्वी ने पूछा—“क्या प्रतापगढ़ में कोई वी.आई.पी. आने वाले हैं?”
“चिरंजीव कुमार!” ठक्कर बोला।
“ओह!”
“तुम जानते होगे—चिरंजीव कुमार इस प्रदेश के भूतपूर्व चीफ मिनिस्टर हैं।” ठाकुर की आवाज ऐसी थी जैसे रात के सन्नाटे में उल्लू गुर्रा रहा हो—“केन्द्र में उन्हीं की पार्टी की सरकार है—उनका निर्वाचन क्षेत्र प्रतापगढ़ है मगर पिछली बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि केन्द्र में बुलाकर विदेश मंत्री बना दिए गए थे—परिणाम यह निकला कि अकेले प्रतापगढ़ में ही नहीं, सारे प्रदेश में उनकी पार्टी के प्रत्याशी हार गए और चन्द्रचूड़ सरकार सत्ता में आई।”
“जी।”
“चन्द्रचूड़ के कार्यकाल में यहां स्टार फोर्स का जोर ज्यादा बढ़ गया—एक बार को तो यही लगने लगा कि प्रदेश देश के हाथों से फिसलता जा रहा है—तब, प्रधानमंत्री ने चिरंजीव कुमार को वापस प्रदेश में भेजा—उन्होंने प्रदेश के हालात का अध्ययन किया, सुबूतों के साथ केन्द्र को रिपोर्ट भेजी कि अगर तुरंत चन्द्रचूड़ सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू न कर दिया गया तो प्रदेश सचमुच देश के हाथ से निकलकर ब्लैक स्टार के हाथों में चला जाएगा।”
तेजस्वी खामोश रहा।
“क्योंकि चंद्रचूड़ सरकार चिरंजीव कुमार के कारण बर्खास्त हुई है, इसलिए चिरंजीव कुमार को स्टार फोर्स से खतरा है और ये खतरा इस कारण ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि चिरंजीव कुमार प्रदेश की कमान सम्भालने के लिए वापस आ चुके हैं—ब्लैक स्टार जानता है, अगर आगामी चुनाव चिरंजीव कुमार के नेतृत्व में लड़ा गया, तो भारी बहुमत के साथ उनकी सरकार बनेगी और पुनः चीफ मिनिस्टर बनते ही चिरंजीव कुमार का सबसे पहला लक्ष्य प्रदेश से स्टार फोर्स का सफाया करना होगा।”
तेजस्वी अब भी चुप रहा।
“स्टार फोर्स क्योंकि इस वक्त मुल्क का सबसे कुख्यात और ताकतवर आतंकवादी गुट है एवं चिरंजीव कुमार उसकी हिटलिस्ट में नम्बर एक पर हैं, इसलिए हमें यानि केन्द्र सरकार के स्पेशल कमांडो दस्ते को उनकी सुरक्षा व्यवस्था का भार सौंपा गया है।”
“मैं समझता हूं सर।”
“आमतौर पर हम लोग वी.आई.पी. की सुरक्षा के मामले में इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसियों पर विश्वास नहीं करते—केवल कमिश्‍नर, डी.आई.जी., एस.एस.पी. और एस.पी. के साथ मीटिंग करते हैं, यहां भी वही कर रहे थे—इन लोगों ने तुम्हारी तारीफ की—कारनामे बताए—इसी कारण हमने तुम्हें यहां बुलवाया।”
“मेरे अफसरों की मुझ पर विशेष कृपा है सर।”
“प्रतापगढ़ चिरंजीव कुमार का गृह नगर है—यहां आगामी चुनाव लड़ना है उन्हें—रात अपने फार्म हाउस पर गुजारा करेंगे—हम रोकने की चाहे कितनी कोशिश करें मगर ‘कैन्वसिंग’ के दरम्यान वे बार-बार सुरक्षा घेरे को तोड़कर भीड़ में घुसेंगे—उधर, स्टार फोर्स का शक्ति-केन्द्र भी प्रतापगढ़ ही है, क्या इन हालात में यहां सफलतापूर्वक उनकी सुरक्षा की जा सकेगी?”
“उनकी रक्षा मैं अपने प्राणों की आहुति देकर भी करूंगा सर!”
“हम किसी के प्राणों की आहुति नहीं मांग रहे इंस्पेक्टर।” ठक्कर ने सख्त स्वर में कहा—“सीधे सवाल का सीधा जवाब दो, तीन दिन बाद चिरंजीव कुमार का यहां आना ठीक रहेगा अथवा नहीं?”
“अगर वे एक हफ्ते बाद आएं तो बेहतर होगा।”
“वजह?”
“पिछली कार्यवाही से मैं काफी हद तक स्टार फोर्स का मनोबल तोड़ने में कामयाब हूं।” तेजस्वी कहता चला गया—“इस एक हफ्ते में ऐसा कुछ करने की सोच रहा हूं जिससे स्टार फोर्स में भगदड़ मच जाएगी—चिरंजीव कुमार या किसी अन्य की जान लेने की जगह वे अपनी जान बचाने के बारे में सोच रहे होंगे।”
एकाएक ठक्कर शांडियाल की तरफ घूमा—“आपकी क्या राय है कमिश्‍नर साहब?”
“क्या उनका प्रोग्राम फाइनल नहीं है?” शांडियाल ने पूछा।
“फाइनल ही समझिए।”
“तब तो यह ‘डिस्कशन’ ही व्यर्थ है।” चिदम्बरम कह उठा—“वे आएं, स्थानीय पुलिस को सौंपी गई ड्यूटी का निर्वाह पूरी मुस्तैदी के साथ किया जाएगा।”
“नहीं … प्रोग्राम फाइनल होने के बावजूद यह ‘डिस्कशन’ व्यर्थ नहीं है—तीन दिन पूर्व हम लोग स्थिति को ‘वॉच’ करने पहुंचते ही इसलिए हैं क्योंकि विशेष परिस्थितियों में फाइनल प्रोग्राम को भी रद्द करा सकते हैं।”
कुम्बारप्पा ने पूछा—“वे विशेष परिस्थितियां क्या हैं?”
“मान लो किसी षड्यंत्र की भनक लगे!”
“हमें ऐसे किसी षड्यंत्र की गंध नहीं है।” भारद्वाज ने कहा।
“क्यों इंस्पेक्टर?” ठक्कर ने पुनः अपनी आंखें तेजस्वी पर जमा दीं—“तुम्हें स्टार फोर्स स्पेशलिस्ट कहा जाता है, तुम बोलो … क्या तुम्हें किसी षड्यंत्र की भनक है?”
तेजस्वी भांप न सका कि ठक्कर ने उसे ‘स्टार फोर्स स्पेशलिस्ट’ व्यंग्य में कहा था या सचमुच उसके कारनामें सुनकर प्रभावित था, बोला—“मुझे नहीं लगता स्टार फोर्स इस बारे में सोच रही है।”
“क्या आप लोगों में से किसी ने ‘ट्रिपल जैड’ का नाम सुना है?” ठक्कर के मुंह से निकले इस छोटे से वाक्य ने शांडियाल के ऑफिस में मौजूद तीन हस्तियों के दिमागों के परखच्चे इस तरह उड़ा डाले जैसे फटने के बाद खुद बम के उड़ जाते हैं।
चिदम्बरम, कुम्बारप्पा और तेजस्वी!
चिदम्बरम और कुम्बारप्पा की नजरें एक झटके से मिलीं मगर अगले पल … शायद इस डर से कि स्पेशल कमांडो दस्ते के धुरंधर उनके मनोभाव न पढ़ लें, विपरीत दिशा में देखने लगे और तेजस्वी को ऐसा लग रहा था जैसे संपूर्ण जिस्म में चार सौ चालीस वोल्ट का करंट गर्दिश कर रहा हो।
“ट-ट्रिपल जैड?” पांडे ने पूछा—“ये कौन है?”
“एक विदेशी।” ठक्कर बोला—“काफी कोशिश के बावजूद हम लोग यह पता लगाने में असफल हैं कि उसका संबंध किस देश से है—हमारे मुल्क में पिछले दो साल से सक्रिय है वह और रिकॉर्ड बताते हैं, उसे जब जहां देखा गया वहीं कोई-न-कोई बड़ी वारदात हुई—पिछले दिनों उसे प्रतापगढ़ में देखा गया है—अनुमान लगाया जा रहा है कि शीघ्र ही यहां भी कोई बड़ी वारदात हो सकती है—सम्भव है, वह वारदात वी.आई.पी. पर हमला हो।”
अपने होशो-हवास ठिकाने पर लाकर चिदम्बरम ने पूछा—“क्या स्टार फोर्स से भी उसका कोई संबंध है?”
“अभी तक ऐसा कोई सूत्र हाथ नहीं लगा है।”
“तो उससे आप उस खतरे को किस आधार पर जोड़ रहे हैं जो वी.आई.पी. को स्टार फोर्स से है?” यह सवाल शांडियाल ने किया।
“इस प्रदेश को हमारे मुल्क से अलग कर देने में अनेक दुश्मन राष्ट्रों की दिलचस्पी है और चिरंजीव कुमार उन सभी राष्ट्रों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं।”
“यानि स्टार फोर्स के अलावा दुश्मन राष्ट्र भी वी.आई.पी. की हत्या का प्रयास कर सकते हैं?”
“जितना खतरा स्टार फोर्स से है उतना ही दुश्मन मुल्कों से भी है। मुमकिन है, ट्रिपल जैड उन्हीं मुल्कों में से किसी का जासूस हो।”
शांडियाल के ऑफिस में सन्नाटा छा गया, वह सन्नाटा इतना गहरा था कि एक-दूसरे की सांसों तक की आवाज स्पष्ट सुन सकते थे और फिर, सन्नाटे के मुंह पर तमाचा जड़ने का श्रेय ठक्कर को गया, दृढ़तापूर्वक कहता चला गया वह—“ये चुप्पी बताती है ट्रिपल जैड के बारे में आप लोगों में से कभी किसी ने नहीं सुना और इस हकीकत की रोशनी में मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि स्थानीय पुलिस उतनी चाक-चौबंद नहीं है जितनी होनी चाहिए—ट्रिपल जैड यहां सक्रिय है, इसकी जानकारी हमें है मगर आप लोगों को नहीं है—तुम्हें भी नहीं है मिस्टर तेजस्वी, जबकि विशेष रूप से वह तुम्हारे ही इलाके में सक्रिय है—तुम … जिसके इन लोगों ने हमें बड़े-बड़े कारनामे सुनाए हैं।”
“क्षमा करें सर!” तेजस्वी बहुत मुश्किल से खुद को सामान्य दर्शा पा रहा था—“प्रतापगढ़ का चार्ज संभाले मुझे ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है और जितना भी टाइम हुआ है उसमें पूरा ध्यान स्टार फोर्स से लोहा लेने में लगा रहा—शायद इसीलिए किसी विदेशी की सक्रियता मेरी जानकारी में नहीं आई—और मेरे थाना क्षेत्र में वैसी कोई घटना भी नहीं घटी जिसके फलस्वरूप किसी विदेशी की सक्रियता की तरफ तवज्जो जाती।”
“वह वक्त से पहले खुद को चर्चित कर लेने वाले मूर्खों में से नहीं है।”
“मैं समझ गया सर, ट्रिपल जैड काफी सुरक्षित गेम खेलता है।” तेजस्वी ने कहा—“हालांकि आप लोगों के सामने ज्यादा दावे करना अक्लमंदी न होगी, मगर इतना जरूर कहूंगा कि एक हफ्ते के अंदर स्टार फोर्स में ऐसी भगदड़ मच जाएगी जैसी चींटियों के झुण्ड में सरसों का तेल छिड़कने पर मच जाती है—संभव हो सका तो ट्रिपल जैड को भी खोज निकालूंगा।”
“बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हो इंस्पेक्टर।”
“अपना आशीर्वाद बनाए रखिए सर—ऊपर वाले ने चाहा तो एक हफ्ते बाद चिरंजीव कुमार को किसी सुरक्षा घेरे की जरूरत नहीं रहेगी।”
“ठीक है!” ठक्कर पहली बार मुस्कुराया—“हम इस फैसले के साथ मीटिंग बर्खास्त करते हैं कि चिरंजीव कुमार का तीन दिन बाद यहां आने का प्रोग्राम कैंसिल—एक हफ्ते बाद, आज ही के दिन हम पुनः यहां मीटिंग करेंगे—उसमें तय किया जाएगा कि चिरंजीव कुमार प्रतापगढ़ कब आएं।”
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तेजस्वी ने अपने फ्लैट की चाबी निकालकर ‘की-होल’ में लगाई ही थी कि चौंक पड़ा।
ठिठका!
कान कुत्ते के कानों की तरह खड़े हो गए।
उसने बंद फ्लैट के अंदर से सरसराहट की आवाज सुनी थी—पुनः उभरने वाली किसी आहट को सुनने की गर्ज से ‘की-होल’ से चाबी वापस खींची और उसके स्थान पर कान सटा दिया।
अभी अंदर से उभरने वाली किसी आवाज को सुनने का प्रयत्न कर ही रहा था कि पीछे पदचाप उभरी—तेजी से पलटना चाहा परंतु तभी, कनपटी पर किसी सख्त और ठंडी धातु के स्पर्श का अहसास किया, साथ ही सर्द स्वर—“हिलो मत इंस्पेक्टर …।”
तेजस्वी ज्यों-का-त्यों खड़ा रह गया—बहुत तेजी से दिमाग में यह विचार कौंधा कि इस वक्त वह घिरा हुआ है और घेरने वालों की इच्छा के विरुद्ध जुम्बिश तक खाना घातक हो सकता है।
एक शख्स ने उसके होलेस्टर से रिवॉल्वर निकाल लिया।
“सीधे खड़े हो जाओ!” यह आदेश बाईं तरफ से मिला था।
तेजस्वी ने हुक्म का पालन किया और उसी दरम्यान देखा—तीन ए.के.-सैंतालीसधारी स्टार फोर्स के सैनिक उसे घेरे खड़े थे—उनमें से एक की रायफल की नाल उसकी दाईं कनपटी का चुम्बन लिए हुए थी—गैलरी में अंधकार और सन्नाटा छाया हुआ था—रात के दो बजे वहां किसी किस्म की चहल-पहल की उम्मीद की भी नहीं जा सकती थी।
जिस्म भले ही जड़वत् नजर आ रहा हो परंतु दिमाग के बूते पर शतरंजी चालें चलने वाले तेजस्वी का जहन बड़ी तेजी से क्रियाशील था।
सर्वप्रथम उसे स्टार फोर्स के सैनिकों द्वारा खुद को घेरे जाने का उद्देश्य मालूम करना था, अतः स्वयं को घबराहट से कोसों दूर प्रदर्शित करके सवाल किया—“थारूपल्ला कहां है?”
“खामोश रहो!” गुर्राहट उभरी।
तभी, उनमें से एक ने बंद दरवाजे पर सांकेतिक दस्तक की—फ्लैट के अंदर की लाइट ऑन हो गई—‘की-होल’ में अंदर की तरफ से एक चाबी डाली गई—पहले लॉक और फिर दरवाजा खुला—थारूपल्ला सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था।
इस वक्त उसके जिस्म पर मेजर वाली वर्दी थी।
तेजस्वी ने यह भांपने की भरपूर कोशिश की कि थारूपल्ला को यहां किस आदेश के साथ भेजा गया है मगर भांप न सका, बोला—“मेरे फ्लैट में छुपकर बैठने की क्या जरूरत थी मेजर?”
“ब्लैक स्टार तुमसे मिलना चाहते हैं इंस्पेक्टर।”
“गुड!” कहने के साथ तेजस्वी हिला ही नहीं बल्कि निर्द्वंद होकर जोरदार अंगड़ाई ली—कारण स्पष्ट था, समझ चुका था कि ये लोग उस पर आक्रमण नहीं करेंगे, बोला—“मैं खुद उनसे मिलने का ख्वाहिशमंद हूं—चलो, कहां मिलेंगे वे?”
“जंगल में!”
“मैं तैयार हूं … जरा ठहरो!”
“क्या हुआ?”
“फ्लैट से कुछ लेना चाहता हूं?”
थारूपल्ला ने पूछा—“क्या?”
“तुम नहीं समझोगे।” तेजस्वी ने कहा—“मुमकिन है इस बीच ब्लैक स्टार को मेरे बारे में कुछ गलतफहमियां हुई हों—उन्हें दूर करने के लिए कुछ चीजों की जरूरत पड़ेगी—उन्हें साथ ले लूं तो बेहतर होगा।”
“तुम उनकी गलतफहमियां दूर करने का सामान लेना चाहते हो या सहीफहमियों को पुनः गलतफहमियों में बदलने की कोशिश करने का सामान?”
“एक बार फिर बेवकूफी का प्रदर्शन कर रहे हो थारूपल्ला …।” तेजस्वी मुस्कुराया—“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि महान ब्लैक स्टार मुझ जैसे इंस्पेक्टर की चाल में फंस सकते हैं?”
थारूपल्ला हड़बड़ा गया, बोला—“मुझे अपने वाक्जाल में फंसाने की चेष्टा मत करो—जो लेना है लो, और चुपचाप हमारे साथ चलो।”
तेजस्वी मुस्कुराता हुआ फ्लैट में दाखिल हो गया।
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12-31-2020, 12:23 PM,
#46
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
हैलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट ने तेजस्वी सहित सभी की नजरें आकाश की तरफ उठा दीं परंतु हैलीकॉप्टर तो दूर, आकाश तक नजर न आया उन्हें—थे ही ऐसे स्थान पर कि खुले आकाश के नीचे होने के बावजूद आकाश को देख नहीं पाये—बहुत ही घना जंगल था वह—विशालकाय और घने वृक्षों ने कुछ ऐसा ताना-बाना बुन रखा था कि पत्तों और तनों की छत-सी बन गई थी।
थारूपल्ला बड़बड़ाया—“ब्लैक स्टार आ गए।”
“बड़ी लम्बी इंतजार कराई।” तेजस्वी ने गहरी सांस ली।
कोई कुछ न बोला।
हैलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट निरंतर गूंज रही थी।
तेजस्वी एक लम्बे सफर के बाद यहां पहुंचा था—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि यह सफर उसने थारूपल्ला की कैद में रहकर किया था—फिर भी, रास्ते-भर अपने जिस्म की ही नहीं, दिमाग की आंखें भी खुली रखी थीं और यह समझने में सफल था कि भरपूर साधन-सम्पन्न होने के बावजूद सरकार इन जंगलों से स्टार फोर्स का सफाया करने में क्यों असमर्थ है?
जंगल की भौगोलिक अवस्था स्टार फोर्स का अभेद्य कवच थी—जहां इस वक्त वह था उसके चारों तरफ दूर-दूर तक न केवल गगनचुम्बी पर्वतों की श्रृंखला थी बल्कि दर्रे, घाटियों, झरनों और पहाड़ी दरियाओं का जाल बिछा पड़ा था—सामरिक महत्त्व के हर ठिकाने पर उसने स्टार फोर्स की चौकियां स्थापित हुई पाईं थीं—वे चौकियां पर्वत की चोटियों पर चुन-चुनकर ऐसे स्थानों पर बनाई गई थीं जिन पर तैनात स्टार फोर्स के सैनिकों की नजरों से छुपकर इंसान तो क्या, परिन्दा तक जंगल में प्रविष्ट नहीं हो सकता था—चौकियों पर उसने मोर्टार और विमानभेदी तोपें ही नहीं बल्कि टैंक तक देखे थे—संक्षेप में सारी व्यवस्था को यह कहकर व्यक्त किया जा सकता है कि जंगल मंें स्टार फोर्स का सफाया कर डालना उतना ही कठिन था जितना एक राष्ट्र की सेनाओं द्वारा दूसरे राष्ट्र पर मुकम्मल कब्जा कर लेना—जंगल के प्रवेश मार्गों जहां बारूदी सुरंगें बिछी पड़ी थीं, वहीं जंगल में ऐसी सुरंगों का जाल था जिनके जरिए स्टार फोर्स के सैनिक खरगोशों की मानिन्द जमीन के अंदर-ही-अंदर मीलों दूर निकल सकते थे।
यह सब वह था जिसे तेजस्वी ने अपनी आंखों से देखा था—समझ सकता था कि इससे बहुत ज्यादा वह होगा जो उसने देखा ही नहीं और जिसे ये लोग उसे दिखाना भी नहीं चाहेंगे।
उस वक्त उसका दिल अनायास तेजी से धड़कने लगा जब जंगल में कहीं हैलीकॉप्टर लैंड होने की आवाज आई।
करीब दस मिनट बाद आसपास तैनात सभी ए.के. सैंतालीसधारी जरूरत से ज्यादा मुस्तैद नजर आने लगे—एकाएक जमीन पर पड़े सूखे पत्तों की चरमराहट गूंजी।
साफ अहसास हुआ, कोई शख्स सूखे पत्तों को रौंदता इस तरफ आ रहा था।
एड़ियां बजने लगीं।
सैल्यूट दिए जाने लगे।
और फिर वह क्षण आया जब थारूपल्ला ने भी जोरदार सैल्यूट दिया—तेजस्वी अपने स्थान से खड़ा हो गया और उस हस्ती की तरफ देखा जिसे सैल्यूट दिए जा रहे थे।
उसके जिस्म पर स्टार फोर्स के जनरल की वर्दी थी।
तेजस्वी लाख चेष्टाओं के बावजूद खुद को उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होने से न रोक सका—सामान्य जिस्म, गोल चेहरे, सांवले रंग, घने बालों और मोटी मूंछों वाले शख्स की आंखों में जाने वह कैसी दिव्य ज्योति थी कि तेजस्वी उसकी तरफ अपलक देखता रह गया—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि वह अपने होश गंवा बैठा था, चौंका तब जब उसके बेहद नजदीक पहुंच चुके जादुई आकर्षण वाले व्यक्ति के मुंह से निकला—“हैलो तेजस्वी!”
“ह-हैलो!” तेजस्वी मानो अंधकूप से निकला, अपनी बौखलाहट छुपाने की खातिर दायां हाथ ब्लैक स्टार की तरफ बढ़ाया, परंतु ब्लैक स्टार ने उससे हाथ मिलाने की चेष्टा नहीं की, आकर्षक मुस्कान के साथ कहा—“तुम वह पहले शख्स हो जिससे हमने खुद मिलना चाहा।”
“य-ये मेरी खुशनसीबी है सर।”
“क्या तुम यहां इतने आराम से यह सोचकर आ गए कि हम अभी तक उसी भ्रमजाल में फंसे होंगे जो तुमने चंद फोटुओं के जरिए ट्रांसमीटर पर फैलाया था?”
“नहीं सर!” तेजस्वी संभलकर बोला—“मैं ख्वाब में भी नहीं सोच सकता कि इस बीच आपने मेरा बायोडेटा मालूम न कर लिया होगा।”
“तो फिर बिना किसी हील-हुज्जत के यहां आ जाने का सबब?”
“आपको मिला मेरा बायोडेटा नकली है।”
“मतलब?”
तेजस्वी का हलक सूख गया, बड़ी मुश्किल से कह पाया वह—“मैं एकांत में बातें करना चाहता हूं।”
ब्लैक स्टार की आंखों में ऐसे भाव उभरे कि तेजस्वी की रूह फना हो गई—वह उसे कई पल तक उसी तरह घूरता रहने के बाद गंभीर स्वर में बोला—“अगर तुम पुनः किसी झूठ का जाल बिछाने की तरफ अग्रसर हो तो हम तुम्हारी हिम्मत की दाद दिए बगैर नहीं रहेंगे।”
“मैं कोई जाल नहीं बिछाना चाहता सर—हां, आपको हकीकत बताने का ख्वाहिशमन्द जरूर हूं।”
“आओ!” कहने के साथ वह तेजी से एक ऐसे वृक्ष की तरफ बढ़ गया जिसके तने का व्यास किसी भी तरह दस फुट से कम नहीं था—स्टार फोर्स के सैनिक और थारूपल्ला उन्हें चकित दृष्टि से देखते रह गए, जबकि तेजस्वी उसके पीछे लपका—अपनी चाल में उत्पन्न हो गयी लड़खड़ाहट को भरपूर कोशिश के बावजूद नहीं रोक पाया—उधर, ब्लैक स्टार ने वृक्ष के तने पर तीन बार दस्तक दी।
तने में एक दरवाजा उत्पन्न हो गया।
जमीन के गर्भ में चली गईं लकड़ी की सीढ़ियों को देखकर तेजस्वी दंग रह गया और यह उसके दंग रह जाने की शुरूआत थी—सीढ़ियां तय करने के बाद ब्लैक स्टार के पीछे-पीछे वह जंगल के नीचे बसी जिस दुनिया में पहुंचा, उसे देखकर हैरत से आंखें फट गईं—अगर यहां लाकर अचानक उसकी आंखों से पट्टी हटाई जाती तो यही समझता कि इस वक्त वह किसी फाइव स्टार होटल के बेसमेंट में है—सारा क्षेत्र रोशनी से जगमगा रहा था, कहीं दूर से जनरेटर के चलने की आवाज आ रही थी।
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“मीटिंग के दरम्यान जिस वक्त हमने ट्रिपल जैड का नाम लिया, उस वक्त वहां एक खास घटना घटी थी।” केन्द्रीय कमांडो दस्ते के पांचों गंजों पर नजरें टिकाए उनके चीफ अर्थात एम.पी. ठक्कर ने सवाल किया—“क्या तुम लोगों ने उस खास घटना पर ध्यान दिया?”
“यस सर।” एक गंजे ने तत्परतापूर्वक कहा—“उस क्षण चिदम्बरम और कुम्बारप्पा की आंखें मिली थीं और फिर एक साथ दोनों जानबूझकर विपरीत दिशाओं में देखने लगे थे।”
“और कुछ?”
“इंस्पेक्टर तेजस्वी बुरी तरह चौंका था।” दूसरे गंजे ने कहा।
ठक्कर द्वारा एक और सवाल—“तुम लोगों ने क्या नतीजा निकाला?”
“मेरे ख्याल से वे तीनों ट्रिपल जैड को किसी-न-किसी रूप में जानते हैं।” तीसरा गंजा बोला।
चौथे ने कहा—“जानते न भी हों लेकिन यह तय है कि ट्रिपल जैड का नाम उन्होंने पहले भी कहीं सुना था।”
“सुना था तो कुबूल क्यों नहीं किया?” ठक्कर ने सवाल उठाया—“प्रत्यक्ष में अनभिज्ञ और अनजान क्यों बने रहे?”
“जाहिर है, उनके मन में चोर था।” पांचवां बोला।
“हमें उस चोर को पकड़ना है।”
“ओ.के. सर!”
“एक और सवाल!” ठक्कर बेहद गंभीर था—“इंस्पेक्टर तेजस्वी और स्टार फोर्स के टकराव तथा इंस्पेक्टर की चमत्कारिक फतह की जो स्टोरी कमिश्‍नर शांडियाल ने हमें सुनाई, उसके बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?”
“कमिश्‍नर ने ही नहीं सर, प्रतापगढ़ के बच्चे-बच्चे की जुबान पर वह कहानी है।” एक गंजे ने कहा—“मेरी बात विभिन्न तबकों के बहुत से लोगों से हुई है—एक भी ऐसा नहीं मिला जिसने उन्मुक्त कंठ से तेजस्वी की तारीफ न की हो।”
“शायद इसी कारण हमें उस पर शक है …।”
“श-शक … कैसा शक सर?”
“आज मैं तुम्हें एक नया पाठ पढ़ाता हूं।” ठक्कर के क्रूर चेहरे पर वे भाव आसन जमाकर बैठ गए जो स्टूडेंट्स को लैक्चर देते समय प्रोफेसर के चेहरे की शोभा होते हैं—“उस शख्स पर तुरंत अपने संदेह की आंखें गड़ा दो जो साधारण आदमी के बूते से बाहर के काम कर डाले—आंखें मूंदकर कभी उस शख्स के प्रशंसक मत बनो जिसके लाखों प्रशंसक हों—आम लोगों की तरह यह सुनकर संतुष्ट हो जाना तुम्हारा काम नहीं है—मुमकिन है, यह प्रचार उसने खुद किया हो—ऐसे लोग अक्सर बड़ी चालाकी से अपने चारों ओर एक ऐसा आभामंडल तैयार करते हैं जिसे कोई बेंध न सके—जबकि तुम्हारा काम ऐसे ही मंडलों को बेंधना है। अतः किसी प्रचार-तंत्र में न फंसकर, अपने दिमाग से प्रत्येक घटना की बारीक जांच करना ही तुम्हारी ड्यूटी है।”
“हम समझे नहीं सर …।”
“प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्त होते ही वह रंगनाथन पर झपट पड़ता है—गंगाशरण के राजनैतिक जीवन को तबाह कर डालता है—थारूपल्ला से उलझ जाता है, चमत्कारिक ढंग से शुब्बाराव तक पहुंच जाता है और यहां तक कि काली बस्ती में जाकर थारूपल्ला को पीटकर वापस आ जाने जैसा करिश्माई करतब कर दिखाता है—क्या तुम लोगों को नहीं लगता ये काम एक शख्स … एक अकेले शख्स के बूते से बहुत बाहर के हैं?”
“लगता तो है सर मगर …।”
“मगर?”
“मुमकिन है श्रीगंगा सरकार और जासूसों की मदद के कारण …”
“यह वह कहानी है जो इंस्पेक्टर ने कमिश्‍नर को पढ़ाई और इस कहानी के पढ़ाए में कमिश्‍नर आ सकता है, हम नहीं।”
“लेकिन सर, ये सच है कि वह काली बस्ती गया और थारूपल्ला को पीटकर वापस आ गया।”
“तुम्हें यही पता लगाना है।” ठक्कर अपने एक-एक शब्द पर जोर दे रहा था—“ये चमत्कार आखिर हुआ कैसे?”
“इसके लिए उसे वॉच करना पड़ेगा।”
“करो!” ठक्कर का स्वर सपाट था—“ये इंस्पेक्टर काफी घुटा हुआ मालूम पड़ता है—हम जा रहे हैं मगर, तुम लोग एक हफ्ता यहीं रहोगे।”
“क्या मैं भी सर?” एक गंजे ने पूछा।
“त-तुम!” ठक्कर हौले से हंसा—“क्यों, तुम में क्या सुरखाब के पंख लगे हैं जो अलग से आदेश चाहते हो?”
“आपके आदेश पर पिछले चार महीने से प्रतापगढ़ में सक्रिय हूं—बीवी-बच्चों की याद आ रही है सर, क्या मुझे दो-चार दिन की छुट्टी नहीं मिल सकती?”
“तुम्हें … और छुट्टी!” एक गंजे ने ठहाका लगाया—“तुम्हारे छुट्टी चले जाने का अर्थ है प्रतापगढ़ में चल रहा अवैध जुए का अड्डा बंद हो जाना, सारे जुआरी एक-दूसरे से पूछते फिरेंगे—“क्यों भाई, ये लुक्का कहां गया?”
“मैं?”
“ये ले!” उसने अपनी जेब से लड़कियों जैसे लम्बे बालों की एक विग निकाली और अपने गंजे साथी के सिर पर फिट कर दी—न बीच में कोई कुछ बोला, न ही किसी ने उसे रोका … यहां तक कि उसने दूसरी जेब से एक फेसमास्क निकालकर उसके चेहरे पर चिपका दिया—अब उनका वह साथी सचमुच क्रूर चेहरे वाला लुक्का नजर आने लगा—वह लुक्का जो प्रतापगढ़ में चलने वाले अवैध जुए के अड्डे का मालिक समझा जाता था।
“नहीं नम्बर फाइव—दो-चार दिन की तो क्या, तुम्हें दो-चार मिनट की भी छुट्टी नहीं मिल सकती।” ठक्कर ने गंभीर स्वर में कहा—“लुक्का वाला यह रोल तुम्हें ही अदा करना है—तुम्हारे पिछले चार महीने से लुक्का के रूप में यहां सक्रिय होने के कारण ही हमें प्रतापगढ़ में ट्रिपल जैड के सक्रिय होने की जानकारी मिली—वह एक ही जानकारी ऐसी थी जिसने समूचे पुलिस विभाग को चौंका दिया।”
“मैं तैयार हूं सर, वो बीवी-बच्चों वाली बात तो मजाक में …।”
“हम जानते हैं।” उसका वाक्य पूरा होने की प्रतीक्षा किए बगैर ठक्कर कहता चला गया—“ध्यान रहे नम्बर फाइव, मौजूदा मिशन की सबसे अहम कमान तुम्हारे हाथ में है—अगर यह पता लग जाए कि ट्रिपल जैड पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे से क्या काम लेना चाहता है तो सारे भेद खुद-ब-खुद खुल जाएंगे, उसके बाद हम लोगों की कोशिश ट्रिपल जैड को गिरफ्तार करने की होगी।”
“मैं योगेश पर पूरी नजर रखे हुए हूं सर।”
“योगेश … योगेश कौन?”
“सॉरी सर, मैं बताना भूल गया—कमिश्‍नर शांडिल्य के भतीजे का नाम योगेश है।”
“ओह … लेकिन वह तुम्हारे संदेह के घेरे में आया कैसे?”
“वह मेरे द्वारा चलाए जा रहे अड्डे पर अक्सर जुआ खेलने आता है, स्मैक भी लेता है—तभी किसी से पता लगा कि वह पुलिस कमिश्‍नर का भतीजा है—‘पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे के ये लक्षण?’ बस … मुझे यही बात खटक गई—उसे वॉच किया तो एक रात ट्रिपल जैड से मिलते देखा—उस वक्त मुझे मालूम नहीं था कि वह ट्रिपल जैड है और ट्रिपल जैड नामक चीज कितनी पहुंची हुई है—मुझे तो उस वक्त बस वह एक रहस्यमय व्यक्ति लगा—उनकी बातों से अंदाजा लगाया कि वह योगेश से कोई खास काम चाहता है—यह बात तो उसका हुलिया आदि सुनने के बाद आपने बताई कि ट्रिपल जैड क्या चीज है—अगर उसी समय जानता होता तो योगेश का पीछा छोड़कर उसके पीछे लग जाता और उसका पता-ठिकाना मालूम करके ही दम लेता।”
“इसके बाद तुमने योगेश को ट्रिपल जैड से मिलते कभी नहीं देखा?”
“नहीं।”
“योगेश पर कड़ी नजर रखो—तुम्हारा लक्ष्य यह जानने के साथ कि ट्रिपल जैड उससे क्या काम लेना चाहता है, यह भी है कि ट्रिपल जैड प्रतापगढ़ में कहां, किस रूप में रह रहा है?”
“नि‌िश्‍चंत रहें सर, इस बार उसके सामने आने पर मैं चूकूंगा नहीं।”
“एक बात और!” ठक्कर ने कहा—“तुम प्रतापगढ़ थाने पर तेजस्वी की नियुक्ति से पहले से, लुक्का के रूप में जुए का अड्डा चला रहे हो अर्थात उसकी नजर में इलाके के उन कुख्यात गुण्डों में से एक हो जिन्हें पहले ही दिन उसने थाने में बुलाकर हड़काया था, अतः उसे स्वप्न में भी गुमान नहीं हो सकता कि लुक्का वास्तव में केन्द्रीय कमांडो दस्ते का एजेंट नंबर फाइव है—किसी इलाके के इंस्पेक्टर की ईमानदारी को जितनी खूबसूरती के साथ उस इलाके का गुण्डा परख सकता है, उतनी खूबसूरती के साथ अन्य कोई नहीं परख सकता। समझ रहे हो न?”
“समझ रहा हूं सर।”
“मौका मिलते ही तुम्हें तेजस्वी को परखना है।” अपनी सीट से खड़े होते हुए ठक्कर ने कहा—“हमारा एक्सपीरियेंस कहता है, उसके बारे में चौंकाने वाली सूचनाएं मिलेंगी …।”
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12-31-2020, 12:23 PM,
#47
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अब कहो, क्या कहना है तुम्हें?”
धाड़-धाड़ की जोरदार आवाज के साथ बज रहे दिल को काबू में रखने का असफल प्रयास करता तेजस्वी बोला—“आपको पता लगा होगा मैं चिंकापुर का रहने वाला हूं, पिता का नाम अरविंद कुमार—मां का नाम नलिनी, पत्नी का नाम शुभा और अरुणा नामक मेरी एक दो-वर्षीय बेटी भी है।”
ब्लैक स्टार की चमकदार आंखें उस पर इस तरह जमी हुई थीं जैसे अजूबे को देख रहा हो—जब तेजस्वी खामोश हो गया और ब्लैक स्टार की काफी इंतजार के बाद भी आगे कुछ न बोला तो उसने शांत स्वर में सवाल किया—“और हमें तुम्हारे बारे में क्या-क्या पता लगा होगा?”
“स-सब कुछ!” तेजस्वी बड़ी मुश्किल से कह पाया—“वह सब कुछ जो मेरे द्वारा ट्रांसमीटर पर बताए गए मेरे परिचय के विरुद्ध होगा।”
“तुम्हें कैसे पता लगा कि हमें तुम्हारे बारे में यह सब पता लग गया है?”
“केवल अनुमान लगाया है सर—मैं समझ सकता था कि मुझसे भेंट करने से पूर्व आप निश्चित रूप से मेरा ‘बायोडेटा’ अपनी टेबल पर देखना चाहेंगे और जब आपके आदेश पर ब्लैक स्टार के जासूस मेरा बायोडेटा जानने निकलेंगे तो कुछ भी छुपा न रह सकेगा।”
“खैर!” ब्लैक स्टार ने पूछा—“अब इस बारे में तुम्हें क्या कहना है?”
“मेरा जो बायोडेटा आपको मिला है, वह नकली, झूठा और गलत है।”
“वह कैसे?”
“स्टार फोर्स के जासूस केवल उस परिचय तक पहुंच सके, जिसे मैंने खुद को इस देश में स्थापित करने के लिए प्रचारित किया है।” तेजस्वी कहता चला गया—“अगर आज मेरे पास यह परिचय न होता तो मैं पुलिस इंस्पेक्टर न बना होता, क्योंकि कोई श्रीगंगाई नागरिक इस मुल्क की पुलिस में भर्ती नहीं हो सकता।”
“आगे बढ़ो।” ब्लैक स्टार का स्वर शुष्क हो उठा—“अगर तुम चिंकापुर के निवासी तथा अरविंद कुमार के बेटे नहीं हो तो कौन हो?”
“मैं सचमुच कीर्ति कुमार का लड़का हूं।”
“सुबूत?”
“इजाजत हो तो संक्षेप में अपनी कहानी सुना दूं?”
“जरूर सुनाओ, लगता है तुम कोई दिलचस्प कहानी सुनाने जा रहे हो?”
“पांच साल पूर्व ये तब की बात है जब इस देश की सेना श्रीगंगाई सरकार के निमंत्रण पर वहां यमन उग्रवादियों का दमन करने के उद्देश्य से गई थी—श्रीगंगाई सेना के साथ मिलकर इस देश की सेना ने वहां विध्वंस मचा दिया—ऐसा प्रतीत होता था जैसे वे एक-एक यमन को चुनकर मार डालने पर आमादा हों—यमन बस्तियों पर बमबारी और नरसंहार का तूफान बरपा दिया उन्होंने—एक रात वह बस्ती भी उस तूफान की चपेट में आ गई जहां मेरा घर था—मेरे मां-बाप, पत्नी और दो लड़के थे—मैं एक फैक्टरी में काम करता था, उस वक्त नाइट ड्यूटी पर था जब अचानक आकाश असंख्य विमानों की गड़गड़ाहट से थर्रा उठा—कर्णभेदी धमाके गूंजने लगे—चारों तरफ आग-ही-आग और इंसानी चीखो-पुकार से हमारी बस्ती त्राहि-त्राहि कर उठी—लोग भेड़-बकरियों की तरह जान बचाने की खातिर इधर-उधर भागने लगे—मैं भी उनमें से एक था, फैक्टरी के कई हिस्से ध्वस्त हो चुके थे—चीखता-चिल्लाता मैं सड़क पर आ गया …।” कहते हुए तेजस्वी की आंखें अंतरिक्ष में स्थिर हो गईं, ब्लैक स्टार ने टोकना मुनासिब न समझा और तेजस्वी कहता चला गया—“मुझे अपने मां-बाप, बीवी और बच्चों की चिंता आंधी-तूफान की तरह घर की तरफ भगाए ले जा रही थी—अपने मकान की अवस्था देखते ही मेरे जहन के परखच्चे उड़ गए—मकान मलबे का ढेर बन चुका था और वह ढेर धू-धू करके जल रहा था—वही क्यों, आसपास के सारे मकान जल रहे थे—मैं चीखता-चिल्लाता मलबे के ढेर के अंदर घुस गया और तब … तब मैंने अपने पिता की लाश देखी सर, मां के जिस्म के उड़े हुए परखच्चे देखे, पत्नी के टुकड़े और बच्चों के लोथड़े देखे—आधे घंटे की बमबारी के बाद विमानों की गर्जना और बमों के धमाके जाने कहां गुम हो गए—घंटों तक इंसानी चीखो-पुकार गूंजती रही, उसके बाद छा गया ऐसा सन्नाटा जो केवल मरघट में होता है और ठीक भी था, सारी बस्ती मरघट ही तो बन चुकी थी—उस रात मैंने अपने बच्चों, अपनी पत्नी और अपने मां-बाप के संयुक्त खून से मस्तक पर तिलक किया—कसम खाई कि जो शख्स इस नरसंहार का जिम्मेदार है, उसे छोड़ूंगा नहीं।” इतना कहने के बाद तेजस्वी चुप हो गया, सांसें इतनी तेज चल रही थीं जैसे मीलों दौड़ने के बाद अभी-अभी यहां पहुंचा हो—आंखें अंगारों में तब्दील होकर सुलग रही थीं—ब्लैक स्टार उसके कुछ और बोलने की प्रतीक्षा करता रहा, लेकिन जब काफी देर तक उसे अपनी उखड़ी सांस को नियंत्रित करने का प्रयत्न करते पाया तो गंभीर स्वर में बोला—“अगर तुम यह सोच रहे हो इंस्पेक्टर कि भावुकता का प्रदर्शन करके हमें प्रभावित कर सकते हो और हम बगैर किसी ठोस सुबूत के तुम्हें कीर्ति कुमारम् का बेटा मान लेंगे तो तुम मूर्खों की दुनिया के वाशिंदे हो—एक्टिंग किए बगैर बताओ, उसके बाद क्या हुआ?”
“उस वक्त बस्ती में लाशों की कोई कमी नहीं थी सर।” तेजस्वी उसी तरह अंतरिक्ष में आंखें टिकाये कहता चला गया—“मैंने अपनी कद-काठी की एक ऐसी लाश चुनी जिसके परखच्चे मेरे परिवार की लाशों की तरह उड़ चुके थे—उसे खींचकर मलबा हुए पड़े अपने मकान के अंदर ले गया और उस स्थान पर डाल दी जहां मेरे मां-बाप, पत्नी …।”
“ऐसा तुमने क्या सोच कर किया?”
“खुद को मृतक घोषित करना चाहता था—सोचा था, जो कसम खाई है शायद उसे पूरी करने के लिए मेरा मृतक घोषित हो जाना कहीं काम आए।”
“उसके बाद?”
“शरणार्थियों के झुण्ड में शामिल होकर एक नौका के जरिए समुद्र पार करके इस मुल्क में आ गया—महीनों तक समुद्र के किनारे बसी बस्तियों में भटकता रहा—पेट भरने के लिए मेहनत-मजदूरी करने और खुले आकाश के नीचे सो जाने के अलावा मेरे पास चारा भी क्या था—दिलो-दिमाग में बदले की आग भभक रही थी मगर मैं मच्छर जैसी हैसियत का शख्स भला उस हस्ती के इर्द-गिर्द कैसे फटक सकता था जिसे मिटा डालने की कसम खाई थी—फिर एक दिन, जबरदस्त समुद्री तूफान आया—समुद्र के किनारे बसी अनेक बस्तियां तबाह हो गईं—उन्हीं में से एक चिंकापुर भी था—मैंने स्वयं भी वह तूफान चिंकापुर में ही देखा—समुद्र की लहरें अनेक लोगों को उड़ाकर अपनी गहराइयों में ले गईं—बचे-खुचे लोगों के लिए इस देश की सरकार ने राहत शिविर लगाए—मैं भी शिविर में था और मेरे बगल वाले बिस्तर पर थी एक ऐसी अधेड़ औरत, बेहोशी के आलम में जिसके मुंह से बार-बार एक ही लफ्ज फूट रहा था, वह लफ्ज था—‘तेजस्वी … तेजस्वी!’
मैं यह सोचकर उछल पड़ा कि मुझे कौन पुकार रहा है?
आवाज की दिशा में देखा।
बिस्तर के नजदीक खड़ा एक अधेड़ अपनी पत्नी को सांत्वना दे रहा था—‘तू चिंता मत कर नलिनी, हमारा तेजस्वी जरूर किसी शिविर में होगा—भगवान इतना निर्दयी नहीं हो सकता कि हमारा बेटा छीन ले …।’
मैं समझ गया, उनके बेटे का नाम तेजस्वी था।
उनकी बातचीत से मुझे अधेड़ का नाम भी पता लग गया।
ब्लैक-स्टार ने व्यंग्य किया—“उसका नाम अरविंद कुमार होगा?”
“जी हां।”
“बहुत खूब! अच्छे लिंक जोड़ रहे हो—खैर, उसके बाद क्या हुआ?”
“दस दिन गुजर गए—नलिनी की हालत सुधरने लगी—अरविंद जख्मी नहीं था, वह रोज अपने बेटे को ढूंढने अन्य शिविरों में जाता—निराश लौटता मगर पत्नी से निराशाजनक बातें न करता—किसी-न-किसी बहाने उसे उम्मीद बंधाता, जबकि वह जान चुका था, समुद्र की लहरें उसके बेटे को लील गई हैं—मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा—यह कि क्यों न मैं उनका तेजस्वी बन जाऊं—उन्हें उनका बेटा मिल जाएगा और मुझे मां-बाप से ज्यादा महत्वपूर्ण एक ठिकाना—एक परिचय—एक ऐसा परिचय जिसकी मुझे घोर आवश्यकता थी—अरविंद कुमार का बेटा घोषित होकर मैं इस देश का नागरिक बन सकता था और इस देश का नागरिक बनने के बाद अनेक संभावनाएं रास्ता खोले खड़ी थीं—मगर … मगर उनका तेजस्वी भला मैं बन कैसे सकता था? उनके बेटे का नाम ही तो तेजस्वी था। शक्ल तो मुझ जैसी नहीं हो सकती थी, अतः धोखा देकर उनका बेटा बन जाने की कल्पना व्यर्थ थी—उन्हें विश्वास में लेकर ही अपने उद्देश्य में कामयाब हो सकता था, वही किया—मैंने उनसे कहा—‘मेरा नाम तेजस्वी है और अपने माता-पिता के प्यार के लिए मैं तड़प रहा हूं और मैं … मैं आपका तेजस्वी तो क्या बन पाऊंगा लेकिन नाम तो मेरा वह है ही जो आपके बेटे का था—अगर आप मुझे अपने बेटे के रूप में स्वीकार कर लें तो कोशिश करूंगा, कभी आपको अपने असली तेजस्वी की कमी न खले …।’
“साबित कर चुके हो इंस्पेक्टर कि तुम वाक्पटु हो।” ब्लैक स्टार हौले से मुस्कराया—“किसी को भी अपनी बातों के जाल में फंसा सकते हो—इस वक्त तुम हमें केवल यह समझाना चाहते हो कि उन्होंने तुम्हें अपने तेजस्वी के रूप में स्वीकार कर लिया—समझो कि हम समझ गए—कहानी को लम्बी न करके संक्षेप में बताओ, उसके बाद क्या हुआ?”
“धीरे-धीरे उजड़ी हुई बस्तियां आबाद हो गईं—चिंकापुर भी उनमें से एक था—अब मैं सब लोगों की नजर में उनका बेटा तेजस्वी ही था—आगे के बारे में सोच रहा था—यह कि ऐसा क्या किया जाए जिससे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ूं—तभी अखबार में पुलिस महकमे में निकली ‘वैकेन्सीज’ का विज्ञापन देखा—जहन में बिजली की तरह विचार कौंधा, अगर मेरे जिस्म पर पुलिस की वर्दी हो तो अपने लक्ष्य के बहुत नजदीक पहुंच सकता हूं—अपना विचार मुझे जंचा, मगर वह सब हो कैसे सकता था—उसके लिए जरूरत थी अपनी क्वालिफिकेशन के सर्टिफिकेट की—अरविंद कुमार से बातचीत की—पता लगा उनका तेजस्वी आठवीं के बाद पढ़ा ही नहीं था—बात चूंकि जंच चुकी थी अतः किसी ऐसे आदमी की फिराक में लग गया जो नकली डिग्रियां और सर्टिफिकेट बनाने का धंधा करता हो—आप तो जानते होंगे—नकली डिग्रियां बनाने वालों की इस देश में कोई कमी नहीं है—शीघ्र ही मेरा संपर्क एक आदमी से नहीं बल्कि पूरे गिरोह से हो गया—वे मेरी के.जी. से लेकर एम.एस.सी. तक की पढ़ाई का पूरा रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार थे, मगर अड़चन थी, पैसा—जितना पैसा वे मांग रहे थे उतना न मेरे पास था न अरविंद कुमार के पास, मगर किसी लक्ष्य की धुन लग जाना बड़ी जबरदस्त चीज होती है—मैंने मेहनत की—एक साल जरूर लग गया मगर उतना पैसा जुटाकर दम लिया जितने में मुझे डिग्रियां हासिल हो गईं—इस बीच अरविंद कुमार और नलिनी मुझ पर शादी के लिए दबाव डाल रहे थे—अपने बेटे की शादी करने का बड़ा चाव था उन्हें—कैसे समझाता कि मेरा लक्ष्य शादी नहीं है, मैं तो सीने में कोई दूसरी ही आग लिए भटक रहा था—उनकी खुशी के लिए और उससे भी ज्यादा इस विचार से ग्रस्त होकर कि शादी के बाद मेरा नकली परिचय और मजबूत हो जाएगा, शादी कर ली—शुभा को आज तक नहीं मालूम कि मैं उसके सास-ससुर का वास्तविक बेटा नहीं हूं—जब भी पुलिस विभाग में वैकेन्सीज निकलतीं, मैं एप्लाई कर देता लेकिन कभी रिटेन में रह जाता तो कभी इन्टरव्यू में—शादी हो गई थी तो अरुण नामक एक बेटी भी दुनिया में आ गई और मेरे लिए वह बेहद भाग्यशाली साबित हुई, यानि मैं तेजस्वी से इंस्पेक्टर तेजस्वी बन गया।”
ब्लैक स्टार ने पूरे धैर्य के साथ सवाल किया—“उसके बाद?”
“इंस्पेक्टर बन जाने के बाद मेरा लक्ष्य था, प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति—मगर अपनी उस आकांक्षा को भूले से भी किसी के सामने व्यक्त नहीं कर सकता था क्योंकि इससे ‘एक्सपोज’ हो जाता—बड़े धैर्य के साथ मैंने अपनी वह इमेज बनाई जिससे प्रभावित होकर अफसर एक दिन मुझे खुद प्रतापगढ़ भेज दें।”
“प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति क्यों चाहते थे?”
“क्योंकि वह शख्स इसी प्रतापगढ़ का निवासी है जिसके आदेश पर मुल्क की सेनाएं श्रीगंगा गईं—जिसके हुक्म पर यमनों की बस्तियां उजाड़ दी गईं, उन पर कहर बरपाया गया।”
“कौन है वह?”
“चिरंजीव कुमार!” तेजस्वी के मुंह से लावे का भभका- सा निकला—जबड़े भिंच गए, मानो ज्वालामुखी फट पड़ा—“श्रीगंगा में हुए नरसंहार का, बल्कि हर यमन की मौत का जिम्मेदार अगर कोई अकेला शख्स है तो वह चिरंजीव कुमार है—मैं उसे छोड़ूंगा नहीं ब्लैक स्टार, मैं छोड़ूंगा नहीं उसे!”
“अगर तुम्हारा लक्ष्य वह था तो स्टार फोर्स से क्यों उलझे?”
“दो कारण थे।”
“बताओ!”
“पहला, अपनी इमेज को और पुख्ता करना—दूसरा, आपसे भेंट करना।”
“हमसे क्यों मिलना चाहते थे?”
“क्योंकि जान चुका था, आपकी मदद के बगैर चिरंजीव कुमार को धराशाई नहीं कर सकता।”
“ऐसा क्यों?”
“केन्द्रीय सरकार ने चिरंजीव कुमार के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था का जो जाल बिछा रखा है, उसे तोड़ना दुनिया के किसी भी अकेले शख्स के लिए असम्भव है—अकेला शख्स उसे मारने के प्रयत्नस्वरूप अपनी जान तो गंवा सकता है लेकिन कामयाब नहीं हो सकता—उसे धराशाई करने के लिए मुकम्मल तैयारियों और पूरे ऑर्गेनाइजेशन की जरूरत होगी जो मेरे पास नहीं है—सामने आप थे। आपकी स्टार फोर्स थी—मैं ही क्या, बच्चा-बच्चा जानता है कि चिरंजीव कुमार आपकी हिटलिस्ट में है, मदद के लिए आपसे सम्पर्क न करता तो किससे करता?”
“क्या मदद चाहते हो हमसे?”
“वो बाद की बात है सर, पहले यह जांच तो कर लीजिए कि जो कुछ मैंने कहा, वह सच भी है या नहीं?”
“यह सिद्ध करना तुम्हारी ड्यूटी है।” ब्लैक स्टार के होंठों पर रहस्यमय मुस्कान थिरक रही थी।
तेजस्वी जेब से कुछ कागज निकालता हुआ बोला—“ये मेरी उन डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स की फोटोस्टेट कापियां हैं जिनकी बदौलत कीर्ति कुमारम् के तेजस्वी ने अरविंद कुमार का तेजस्वी बनकर इस देश में पुलिस की नौकरी हासिल की—ऑरिजनल पेपर्स विभाग में मौजूद मेरी फाइल में लगे हैं—इन डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स के मुताबिक जिन-जिन स्कूल और कॉलिजों में मुझे शिक्षा ग्रहण करते दर्शाया गया है, आप उन स्कूल-कॉलिजों के पर्सनल रिकॉडर््स से इनका मिलान करें—अगर वहां इन डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स का रिकॉर्ड मिल जाए तो समझिए कि मैं झूठ बोल रहा हूं और वास्तव में अरविंद कुमार का तेजस्वी हूं—अगर न मिले तो जाहिर है, ये सब नकली हैं।”
“कोई और सुबूत?”
“क्या ये काफी नहीं होगा?”
“यानि कोई और सुबूत पेश नहीं कर सकते?”
“श-शायद नहीं।” तेजस्वी हकला गया।
“लेकिन हम कर सकते हैं।”
“अ-आप?” तेजस्वी की आंखें आश्चर्य से फट पड़ीं।
जवाब में ब्लैक स्टार के होंठों पर मौजूद मुस्कराहट ने कुछ ऐसा आकार ग्रहण कर लिया जिसका अर्थ तेजस्वी सात जन्म लेने के बावजूद नहीं समझ सकता था—ब्लैक स्टार ने उसी मुस्कराहट के साथ अपनी जेब में हाथ डाला और चंद कागज उसके सामने फेंकते हुए कहा—“ये वे ऑरिजनल पेपर्स हैं जिनकी फोटोस्टेट कापियां तुम हमें दिखाना चाहते हो।”
“ज-जी?” तेजस्वी के छक्के छूट गए।
तब, ब्लैक स्टार ने विशेष अंदाज में ताली बजाई।
कमरे में एक दरवाजा उत्पन्न हुआ और उस दरवाजे के पार नजर आ रहे व्यक्तियों पर नजर पड़ते ही तेजस्वी के हलक से चीख निकल गई— “म-मम्मी … पापा … शुभा … अरुणा … आप लोग यहां?”
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“वैरी गुड तेजस्वी, वैरी गुड।” एक लम्बे कमरे में चहलकदमी करता ट्रिपल जैड कह उठा—“मुझे तुम पर नहीं, अपने चुनाव पर फख्र है—अपने मिशन के लिए मैंने बिल्कुल ठीक आदमी को चुना—प्रदेश भर में कोई वैसा जाल नहीं बुन सकता जैसा तुमने बुना है—मैंने तुमसे केवल इतना कहा था ब्लैक स्टार को यह भनक नहीं लगनी चाहिए कि इस मिशन में तुम्हारे पीछे भी कोई है और तुमने हमारी मंशा को बड़े नायाब तरीके से अमली जामा पहनाया—तुमने ब्लैक स्टार के सामने खुद को वह सिद्ध कर दिया जो वास्तव में नहीं हो—मजा आ गया तेजस्वी, मजा आ गया—वह तुम्हें कीर्ति कुमारम् का वह श्रीगंगाई बेटा समझ रहा है जो इंतकाम की आग में सुलगता इस देश के पुलिस विभाग का इंस्पेक्टर बन बैठा—आज वह मूर्ख सोच तक नहीं सकता कि तुम कीर्ति कुमारम् के नहीं—बल्कि वास्तव में अरविंद कुमार और नलिनी के ही बेटे हो।”
“यह चाल इसलिए कामयाब हो सकी क्योंकि तुमने सभी स्कूल-कॉलिजों से मेरे सर्टिफिकेट्स और डिग्रियों से संबंधित रिकॉर्ड्स गायब कर दिए—इससे ब्लैक स्टार को पूरा यकीन हो गया कि डिग्रियां फर्जी हैं।”
“रिकार्ड गायब मैंने जरूर किए, मगर योजना तुम्हारी ही थी।”
“तेजस्वी का रिकार्ड गवाह है वह हमेशा अपनी योजना पर काम करता है।” ट्रिपल जैड से बातें करते वक्त भी उसके चेहरे पर दब्बूपन का कोई भाव न था—“जिस वक्त मैं ब्लैक स्टार के सामने खुद को कीर्ति कुमारम् का बेटा सिद्ध करने के लिए प्रयत्नशील था, उस वक्त अगर तुम भी वहां होते तो इस भ्रम-जाल में फंस जाते कि कहीं मैं वास्तव में ही तो इंतकाम की आग में सुलगता कीर्ति कुमारम् का तेजस्वी नहीं हूं—चिरंजीव कुमार के विरुद्ध मैंने ऐसी घृणा का प्रदर्शन किया जैसे सचमुच वह मेरे परिवार का हत्यारा हो और उसे नेस्तनाबूद करने के अलावा मेरे जीवन का दूसरा कोई लक्ष्य ही न हो।”
“मुझे यकीन है, तुमने शानदार एक्टिंग की होगी।”
“और मुझे यकीन है, दूसरी किस्त स्विस बैंक के मेरे खाते में जमा हो चुकी होगी।”
“तुम्हारा यकीन दुरुस्त है।”
“रसीद?” तेजस्वी ने हाथ फैला दिया।
ट्रिपल जैड चहलकदमी करता उसके नजदीक पहुंचा—दस्ताना युक्त हाथ अपनी जेब में डाला और एक रसीद निकालकर तेजस्वी को पकड़ा दी—तेजस्वी ने रसीद देखी, संतुष्ट होने के बाद अपनी जेब में रखते वक्त आंखों में वैसी चमक थी जैसी खाने की थाली को देखकर भूखे की आंखों में उभरती है, बोला—“अगर ब्लैक स्टार को मालूम हो जाए कि मैं चिरंजीव कुमार का मर्डर करने पर किसी प्रतिशोध की भावना के तहत नहीं—बल्कि पांच लाख अमेरिकी डालर के लिए आमादा हूं तो वह कम-से-कम दो लाख झटक ही लेगा।”
“तभी तो मैं नहीं चाहता था कि उसे तुम्हारे पीछे किसी अन्य के होने का पता लगे।”
तेजस्वी के होंठों पर कुटिल मुस्कान उभर आई, ट्रिपल जैड की आंखों में आंखें डालकर बोला वह—“दाई से पेट छुपाने की कोशिश मत करो ट्रिपल जैड।”
“क्या मतलब?” वह चौंका।
“तुम जो यह चाहते हो कि ब्लैक स्टार को मेरे पीछे किसी और के होने की भनक न लगे, वह मेरे किसी लाभ के लिए नहीं, बल्कि अपने लाभ के लिए चाहते हो—तुम्हारी और तुम्हारे देश की पॉलिसी ही यह है कि कल जब इस खबर का विस्फोट सारी दुनिया में गूंजे कि इस मुल्क के सबसे लोकप्रिय नेता की हत्या कर दी गई और इंटैलीजेन्स एजेंसियां उस हत्या की जांच करें तो वे अंतिम रूप से इस परिणाम पर पहुंचें कि चिरंजीव कुमार की हत्या स्टार फोर्स ने कराई है—विदेशी षड्यंत्र की किसी को बू तक न आए और ये ‘बू’ आएगी भी कहां से—खुद ब्लैक स्टार तक नहीं जानता कि वह किसी विदेशी षड्यंत्र में फंसकर चिरंजीव कुमार का मर्डर करने वाला है।”
“त-तुम कैसे कह सकते हो कि मैं विदेशी हूं?” ट्रिपल जैड के स्वर में हल्की सी हकलाहट उत्पन्न हो गई।
तेजस्वी ने चटखारा लिया—“केवल कह नहीं रहा, बल्कि जानता हूं।”
“क-क्या जानते हो?”
तेजस्वी वह सब कहता चला गया जो ठक्कर के मुंह से सुना था।
ट्रिपल जैड की आंखों में हैरत और चिंता के भाव नजर आने लगे—तेजस्वी को उसने इस तरह देखा जैसे नौवें आश्चर्य को देख रहा हो, जबकि तेजस्वी ने बड़ी चालाकी से विषय चेंज किया—“एक और बात सुनकर तुम उछल पड़ोगे।”
“वह क्या?”
“मैं ब्लैक स्टार का भेद जान गया हूं।”
“ब-ब्लैक स्टार का भेद?” ट्रिपल जैड वाकई उछल पड़ा—“म-मतलब?”
“ब्लैक फोर्स के लोग उसके जिस चेहरे को वास्तविक समझते हैं, असल में वह उसका वास्तविक चेहरा नहीं बल्कि केवल एक मुखौटा है, फेसमास्क है—यहां तक कि उसकी विचित्र नजर आने वाली आंखें तक असली नहीं हैं—सबको धोखा दिए हुए है वह, मगर मुझे धोखा नहीं दे सका—मैं उसके दूसरे रूप से परिचित हूं—बल्कि मिल भी चुका हूं उससे।”
“क्या तुमने उसे यह सब बता दिया?” मारे आश्चर्य के ट्रिपल जैड का बुरा हाल था।
“वहां बताकर मरना था क्या? लेकिन …”
“लेकिन?”
“अगर मुनासिब कीमत मिले तो मैं तुम्हें उसकी लाश दे सकता हूं।”
दंग रह गया ट्रिपल जैड—उसे लगा, तेजस्वी इस दुनिया के सबसे खतरनाक शख्स का नाम है—काफी देर तक वह तेजस्वी के होंठों पर नृत्य कर रही कुटिल मुस्कान को देखता रहा, बोला—“मुझे ब्लैक स्टार की लाश का क्या करना है?”
“ठीक भी है, तुम केवल चिरंजीव कुमार की हत्या के तलबगार हो।” तेजस्वी कहता चला गया—“और तुमसे मुझे केवल उसी के संबंध में बात करनी चाहिए।”
“सौदे के मुताबिक हम तुम्हारे स्विस बैंक वाले एकाउंट में दो किस्तें यानि ढाई लाख अमेरिकी डालर जमा करा चुके हैं—तीसरी किस्त तब जमा कराई जाएगी जब मुझे वह योजना बताओगे जिसके जरिए वह मारा जाना है और चौथी काम होने के बाद।”
“इस हिसाब से मैं तीसरी किश्त का हकदार बन चुका हूं।” तेजस्वी ने कहा—“मैंने कुछ देर पहले तुम्हें बताया कि चिरंजीव कुमार किस तरह मारा जाने वाला है।”
“नहीं, वह स्कीम मुझे नहीं जंची।”
“क्या कमी है उसमें?”
“जरूरी नहीं कि जुंगजू का निशाना सही लग जाए या वह वक्त से पहले ही पकड़ा जाए …।”
“तुम अभी जुंगजू को ठीक से जानते नहीं हो।”
“मुमकिन है तुम्हारे इरादे परवान चढ़ जाएं।” ट्रिपल जैड ने कहा—“उस अवस्था में तीसरी और चौथी किस्त काम होने के बाद एक साथ जमा कर दी जाएंगी।”
“अगर तुम काम होने के बाद मुझे कहीं नजर ही न आए?”
“ऐसा नहीं होगा, इतना विश्वास तो तुम्हें करना ही चाहिए।”
“तेजस्वी ने विश्वास करना नहीं सीखा दोस्त—बल्कि हालात को पूरी तरह अपनी मुट्ठी में रखना सीखा है।” रहस्यमय स्वर में कहने के साथ उसने जेब से एक आइडेन्टिटी कार्ड निकालकर उसे दिखाते हुए चेतावनी दी—“कोई भी चालाकी करने से पहले याद रखना, यह मेरे पास है।”
उसके हाथ में अपना आइडेन्टिटी कार्ड देखकर ट्रिपल जैड के छक्के छूट गए, लगभग चीख पड़ा वह—“य-यह तुम्हारे पास कैसे पहुंच गया?”
“एक दिन मैं तुम्हारी गैरहाजिरी में यहां आया था—तलाशी ली और ये हाथ लग गया …।”
“म-मगर …।” ट्रिपल जैड हकलाता रह गया।
“अब तुम समझ सकते हो कि मेरे सामने तुम्हारा ओवरकोट, दस्ताने, नकली दाढ़ी-मूंछ, बाल और ये चश्मा आदि सब बेकार हैं—इस आइडेंटिटी कार्ड में न केवल तुम्हारा वास्तविक फोटो लगा है, बल्कि असली नाम के साथ तुम्हारे देश तक का नाम लिखा है—इस सबके बावजूद आतंकित होने की जरूरत नहीं है—इधर काम होने के बाद तुम मुझे फाइनल पेमेंट की रसीदें सौंपोगे, उधर मैं तुम्हें तुम्हारा ये परिचय- पत्र—हां, तुम्हारी तरफ से धोखे की सूरत में यह निश्चित रूप से इस देश के जासूसों के हाथ लग जाएगा।”
“ले-किन तुमने ऐसा किया क्यों?”
“ताकि तुम मुझे कुम्बारप्पा और चिदम्बरम की तरह ‘लल्लू’ समझने की भूल न कर सको—और न ही काम पूरा होने के बाद उड़न-छू हो जाने की।”
“तो इस कारण तुम्हें मेरे बारे में इतनी सब जानकारी थी?”
“नहीं।” तेजस्वी मुस्कराया—“उसका स्रोत कोई और था—उसकी बातें सुनने के बाद ही मेरे जहन में यह विचार पनपा कि मुझे तुम्हारी हकीकत मालूम होनी चाहिए, नतीजा सामने है।”
“वह स्रोत क्या था?”
तेजस्वी ने बड़ी सहजता से बता दिया—“एम.पी. ठक्कर।”
“कौन एम.पी. ठक्कर?”
“केन्द्रीय कमांडो दस्ते का चीफ।”
“ओह!” ट्रिपल जैड की आंखें गोल हो गईं ।
तेजस्वी ने एक-एक शब्द पर जोर दिया—“वह तुम्हारे द्वारा पूर्व में किए गए सभी कारनामों से परिचित है—उसका कहना है, अब तक घटना घटने के बाद पता लगता था कि वारदात के पीछे तुम थे, मगर घटना घटने से पहले, पहली बार पता लगा है कि तुम प्रतापगढ़ में सक्रिय हो।”
“ये बड़ी खतरनाक बात है।”
“इससे भी खतरनाक उसे यह मालूम होना है कि तुम्हारा लक्ष्य चिरंजीव कुमार का मर्डर हो सकता है।”
ट्रिपल जैड की आंखों में चिंता की लकीरों का जाल नजर आने लगा। बहुत ही गंभीर स्वर में बोला—“यानि वह मेरे बारे में सब कुछ जानता है?”
“अब तुम समझ गए होगे, वह मुझे चिरंजीव कुमार की सुरक्षा-व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग तब तक नहीं बनाएगा जब तक तुम्हारी तरफ से निश्ंिचत न हो जाए।”
“मेरी तरफ से कैसे निश्ंिचत हो सकता है वह?”
“तुम्हारी लाश देखकर।”
“म-मेरी लाश?” ट्रिपल जैड उछल पड़ा।
तेजस्वी के होंठों पर भेदभरी मुस्कराहट थी—“योजना की कामयाबी के लिए यह जरूरी है ट्रिपल जैड।”
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12-31-2020, 12:23 PM,
#48
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
वातावरण में हथकड़ी और बेड़ियों की खड़खड़ाहट गूंज रही थी।
सभी की निगाहें ‘जुंगजू’ पर केंद्रित थीं।
उस पर जो मदमस्त शेर की मानिन्द अपनी तन्हा कोठरी से निकलकर नलों की उस कतार की तरफ बढ़ रहा था जहां कैदी नहाया करते थे—उसकी हथकड़ियों से जुड़े दो मोटे-मोटे रस्सों के दूसरे सिरे सिपाहियों के हाथों में थे—वे उसके साथ चल रहे थे।
चारों तरफ खड़े कैदी अपने काम छोड़कर जुंगजू को इस तरह देख रहे थे जैसे अजूबे को देख रहे हों—लगभग इसी समय, इसी मुद्रा में जुंगजू को उसकी कोठरी से निकालकर नहलाने के लिए नल तक ले जाया जाता था।
कैदी रोज उसे इसी तरह देखते थे।
इंस्पेक्टर देशराज भी उन्हीं कैदियों का हिस्सा था—जुंगजू के जले हुए भयानक बल्कि वीभत्स चेहरे को वह रोज बड़े ध्यान से देखता और सोचता, क्या जुंगजू को अपना चेहरा आईने में देखकर उस लड़की की याद आती होगी जिसने उसे जलाया था?
सुना था, जुंगजू बहुत खूबसूरत था—एक लड़की से प्यार करता था, मगर लड़की किसी अन्य की दीवानी थी और एक रात … जुंगजू ने लड़की को जबरदस्ती पकड़कर बलात्कार कर डाला—उसके बाद घृणा और क्रोध की भावनाओं के वशीभूत मौका मिलते ही एक दिन लड़की ने उसके चेहरे पर तेजाब फैंक दिया—सिर के बालों सहित सारा चेहरा बुरी तरह जल गया था—लड़की अपना काम करके चली गई, चीखता-चिल्लाता जुंगजू उसके पीछे लपका और इस प्रयास में जीने से लुढ़क गया—ऊपर वाले जबड़े के आगे के दोनों दांत गंवा बैठा—उसके कारण कुछ ज्यादा ही डरावना लगता—कहते हैं बाद में वह लड़की अभिनेत्री बन गई और जुंगजू उसी की हत्या के जुर्म में यहां था। मगर फिर भी … देशराज को यकीन था, आईने में अपनी शक्ल देखते ही वो लड़की जुंगजू को निश्चित रूप से याद आती होगी।
“फांसी पर चढ़ने वाला है।” एक कैदी ने कहा—“लेकिन मैंने पट्ठे के चेहरे पर कभी शिकन नहीं देखी।”
“शिकन आएगी भी तो चमकेगी नहीं।” देशराज ने कहा—“तेजाब ने चेहरे पर जख्म और झुर्रियां ही इतनी डाल दी हैं कि ‘एक्सप्रेशन’ नाम की चीज उसके चेहरे पर नजर नहीं आ सकती।”
“तुम्हें क्या मालूम इंस्पेक्टर, हम अपराधी लोग साले किसी अंजाम से नहीं डरते …।” कैदी ने उसकी खिल्ली उड़ाई—“तुम क्या हो, धोखे में अपने बाप की लाश नदी में क्या लुढ़का बैठे कि टूट गए—अदालत में पहुंचकर सारा कच्चा चिट्ठा खोल बैठे! भला तुम्हें यह बेवकूफी करने की क्या जरूरत थी?”
“जो समझ न सकेगा उसे क्या बताऊं?” कहने के बाद देशराज एक तरफ को चल दिया।
अधिकांश कैदी तितर-बितर होकर अपने-अपने काम में लग गए—वह एक पत्थर पर जाकर बैठ गया—दृष्टि जुंगजू और उसकी रास पकड़े सिपाहियों पर केन्द्रित थी—नलों के नजदीक एक घना पेड़ था, पेड़ की जड़ में पक्का गोल चबूतरा बना हुआ था।
रूटीन के मुताबिक सिपाहियों ने जुंगजू की हथकड़ी और बेड़ियों के लॉक खोले—जुंगजू ने अपना कैदियों वाला लिबास उतारकर लापरवाही के साथ चबूतरे पर फेंका और उछल- कूद मचाता नलों की कतार की तरफ बढ़ गया, दोनों सिपाही चबूतरे पर बैठ गए।
जुंगजू का लिबास उनके पीछे पड़ा था।
उधर जुंगजू नहा रहा था, इधर सिपाही समय गुजारने की खातिर गप्पें हांकने में मशगूल थे—ऐसी बात नहीं कि पत्थर पर बैठा देशराज एकटक उन्हीं को देख रहा हो—कभी उसकी नजर उन पर होती थी तो कभी विभिन्न कामों में लगे अन्य कैदियों पर—परंतु अचानक नजर एक ऐसे दृश्य पर पड़ी जिसे देखकर न केवल वह चौंक पड़ा बल्कि दृष्टि चिपककर रह गई।
दृश्य रहस्यमय था।
देशराज के दिमाग में बड़ी तेजी से असंख्य सवाल घुमड़ने लगे।
वह एक कैदी को बड़े ही रहस्यमय तरीके से पेड़ से नीचे उतरते देख रहा था—बहुत ही सावधानी से, दबे पांव उतर रहा था वह—नजरें गप्पें लड़ाते सिपाहियों पर केन्द्रित थीं—‘एक्टीविटीज’ से जाहिर था कि जो हरकत वह कर रहा था, उसकी भनक सिपाहियों को नहीं लगने देना चाहता था।
बिल्ली की मानिन्द दबे पांव उतरकर वह चबूतरे पर पहुंच गया—इस वक्त अगर वह नजरें घुमाकर देशराज की दिशा में देख लेता कि देशराज उसकी एक-एक हरकत को देख रहा है मगर उसका सम्पूर्ण ध्यान अपने अस्तित्व को सिपाहियों से छुपाने पर केन्द्रित था—देशराज ने बड़ी तेजी से चारों तरफ नजरें घुमाईं—उसके अलावा किसी की नजर पेड़ से उतरे कैदी की रहस्यमय गतिविधियों पर नहीं थी—सभी को वॉच करती देशराज की नजर जब पुनः चबूतरे की तरफ घूमी तो पाया—कैदी ने अपनी मुट्ठी में दबा एक कागज आहिस्ता से जुंगजू की कमीज की जेब में सरका दिया—देशराज ने खूब ध्यान से देखा—वह कागज ही था—नल के नीचे बैठकर नहाने में मशगूल जुंगजू की तो कौन कहे, रहस्यमय कैदी की वहां उपस्थिति की भनक उन सिपाहियों तक को न लग सकी जिनकी पीठ पर वह अपना काम करके वापस पेड़ पर चढ़कर घने पेड़ में खो गया—इस बीच देशराज अपने स्थान से उठा और तेज कदमों के साथ विपरीत दिशा में बढ़ गया—वह रहस्यमय कैदी को यह पता नहीं लगने देना चाहता था कि उसने उसकी हरकत देख ली है—जहन में बहुत सारे सवाल एक-दूसरे से कुश्ती लड़ रहे थे।
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ट्रिपल जैड की रिपोर्ट सुनने के बाद ट्रांसमीटर पर दूसरी तरफ से गंभीर स्वर में कहा गया—“ये बड़ी खतरनाक बात है ट्रिपल जैड, स्पेशल कमांडो दस्ते को प्रतापगढ़ में तुम्हारी मौजूदगी की भनक लग जाना और इंस्पेक्टर को तुम्हारा असली परिचय पता लग जाना विश्व के सामने हमारे मुल्क के मुंह पर एक कालिख पोत सकता है—भले ही ‘ऑपरेशन चिरंजीव कुमार’ स्थगित कर दिया जाए, मगर किसी को यह पता नहीं लगना चाहिए कि चिरंजीव कुमार की हत्या के पीछे हमारा मुल्क था।”
“मैं समझता हूं सर, लेकिन फिलहाल हालात इतने संगीन नहीं हैं, मामला संभाला जा सकता है। इस संबंध में इंस्पेक्टर की स्कीम से मैं पूरा इत्तफाक रखता हूं।”
“ओ.के.।”
“आदमी मुझे कब मिल जाएगा?”
“दो दिन बाद।”
“मेरी रिपोर्ट से यह भी आप समझ ही गए होंगे कि ऑपरेशन सही दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है …।”
“वो सब ठीक है ट्रिपल जैड, मगर प्रत्येक पल ध्यान रहे, इंस्पेक्टर ऐसा अकेला शख्स है जिसे कल ये मालूम होगा कि चिरंजीव कुमार की हत्या की अंतिम जिम्मेदार स्टार फोर्स नहीं बल्कि हम हैं, और हम ये हरगिज नहीं चाहेंगे कि ऐसा शख्स चिरंजीव कुमार की हत्या के बाद एक भी सांस ले सके, अतः उसका मर्डर चिरंजीव कुमार के मर्डर से कई गुना ज्यादा जरूरी है।”
“फिक्र न करें सर, मैंने ऐसा जाल बिछा रखा है कि इंस्पेक्टर भी चिरंजीव कुमार के साथ ही इस दुनिया से कूच कर जाएगा।”
“इसके लिए तुमने क्या इंतजाम किया है?”
“यहां के पुलिस कमिश्‍नर का एक भतीजा है—पक्का स्मैकिया—स्मैक के कारण वह मेरी मुट्ठी में है—मैं जब, जो चाहूं, वह करेगा—एक बार चिरंजीव कुमार के मर्डर की स्कीम बन जाए, फिर मैं उसे इस ढंग से घटनाक्रम में पिरोऊंगा कि सब कुछ चिरंजीव कुमार की मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा।”
“वैसे तो हमें तुम्हारी योग्यताओं पर पूरा भरोसा है ट्रिपल जैड मगर …”
“मगर?”
“इंस्पेक्टर की तरफ से बेइन्तहा सतर्क रहने की जरूरत है—जो कुछ उसके बारे में तुमने बताया, उससे निर्विवाद रूप से यह सिद्ध होता है कि वह एक दुर्लभ दिमाग का मालिक है—ऐसे आदमी के बारे में हमारी यह कल्पना मूर्खतापूर्ण होगी कि वह हमारे इरादे न समझ रहा हो—निश्चित रूप से उसे इल्म होगा कि हम उसका खात्मा करने की चेष्टा करेंगे—मुमकिन है, अपने बचाव के लिए उसने कोई पैंतरा सोच रखा हो।”
“ये बात मेरे जहन में है सर, वह खुद को शतरंज के खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी कहता है—मगर जब अंतिम चाल चली जाएगी तब उसे पता लगेगा, दरअसल शतरंज उसे आती ही नहीं …।”
“गुड।”
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“बोलो देशराज!” कमिश्‍नर शांडियाल ने पूछा—“तुमने हमें यहां क्यों बुलाया है?”
देशराज ने एक नजर कमरे में मौजूद जेलर पर डाली और फिर आहिस्ता से बोला—“मैं नहीं चाहता हमारी बातें कोई और सुने।”
“म-मतलब?” शांडियाल उछल पड़े।
चौंका जेलर भी था—बड़ी तेजी से उसके चेहरे पर नागवारी के भाव उभरे, बगैर किसी के कुछ कहे उठा और बोला—“मैं चलता हूं।”
“माफ करना जेलर साहब।” देशराज ने कहा—“बड़ी अजीब बात है कि हम लोग आप ही के ऑफिस में बैठे हैं और आप ही को बाहर जाना पड़ रहा है—मगर क्या करूं, परिस्थितियां कभी-कभी अजीब वाक्ये करा देती हैं। मुझे नहीं मालूम, जो बातें कमिश्‍नर साहब से करने जा रहा हूं, वे आपके सामने की जा सकती हैं या नहीं—अगर की जा सकने वाली होंगी तो कमिश्‍नर साहब खुद आपको वापस बुला लेंगे।”
जेलर उसके अंतिम शब्द सुने बगैर बाहर जा चुका था।
“क्षमा कीजिएगा सर।” कहने के साथ देशराज उठा, तेजी से दरवाजे के नजदीक पहुंचा और उसे अंदर से बंद करके वापस अपनी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला—“हालांकि जेलर साहब को बुरा लगा होगा, मगर मैं ये गोपनीयता बरतने के लिए मजबूर हूं।”
मारे हैरत के शांडियाल का बुरा हाल था—“ऐसी क्या बात है जिसकी खातिर तुमने हमें अपनी ‘मिसेज’ द्वारा मैसेज भेजकर बुलवाया और अब जेलर के ऑफिस से उसी को …।”
“मैंने जेल में पनप रहे एक खतरनाक षड्यंत्र की गंध सूंघी है सर।”
“क-कैसा षड्यंत्र?” सस्पैंस की ज्यादती के कारण शांडियाल का बुरा हाल था।
“धीरे बोलिए।” कहने के बाद फुसफुसाते स्वर में देशराज ने वह दृश्य ज्यों-का-त्यों बयान कर दिया जो देखा था—सुनकर शांडियाल के चेहरे पर नाराजगी के भाव उभरे, बोले—“क्या तुमने यह बकवास बताने के लिए जेलर को कमरे से बाहर भेजा है?”
“जी।”
“जो तुमने बताया, वह जेलर की नॉलिज में आना, हमारी नॉलिज में आने से कई गुना ज्यादा जरूरी है बेवकूफ!”
“क्यों?”
“क्योंकि शायद कुछ लोग जुंगजू को जेल से फरार करने का षड्यंत्र रच रहे हैं, ऐसा कोई षड्यंत्र सफल न हो पाए इसकी पूरी जिम्मेदारी जेलर की है।”
“आप ये कैसे समझ गए कि जुंगजू को जेल से फरार करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है?”
“जेल में इस किस्म की हरकतों का दूसरा कोई मतलब होता ही नहीं।” शांडियाल अभी तक उससे नाराज थे—“जेलर को वापस बुलाओ और उसे सब कुछ बता दो—वह न केवल उस कैदी की खबर लेगा जिसने जुंगजू की जेब में कागज पहुंचाया है, बल्कि जुंगजू से कागज हासिल करके उनके षड्यंत्र का पता लगाने की कोशिश भी करेगा।”
“मेरा भी यही ख्याल है कि जुंगजू को फरार करने की किसी योजना पर काम चल रहा है, क्योंकि जेल में इस किस्म की हरकत का सचमुच कोई अन्य अर्थ नहीं निकलता, मगर मैं आपकी राय से सहमत नहीं हूं।”
“क्यों?”
“क्योंकि उस कैदी का संबंध स्टार फोर्स से है।”
“तो?”
“जाहिर है, जुंगजू को जेल से फरार करने का षड्यंत्र स्टार फोर्स रच रही है।”
“ओह!” शांडियाल के चेहरे पर बड़ी तेजी से भाव बदले।
उत्साहित देशराज कहता चला गया—“आप जानते हैं, स्टार फोर्स बगैर उद्देश्य के कोई कदम नहीं उठाती, और उनका उद्देश्य जुंगजू को जेल से फरार भर कर लेना नहीं हो सकता।”
“क्या कहना चाहते हो?”
“निश्चित रूप से स्टार फोर्स के पास ऐसा कोई काम है जिसे जुंगजू ही अंजाम दे सकता है।”
“हम तुमसे सहमत हैं।”
“अब याद कीजिए, जुंगजू किस मामले में एक्सपर्ट है?”
“लाखों की भीड़ से घिरे अपने टार्गेट को बेध डालने में।”
“कुछ दिन बाद प्रतापगढ़ में लाखों की भीड़ के बीच कौन होगा?”
“चिरंजीव कुमार … ओह!” ये शब्द शांडियाल के हलक से स्वयं प्रस्फुटित होते चले गए—उनके चेहरे पर हैरानगी और चिंता ने पड़ाव डाल दिया, बोले—“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि स्टार फोर्स चिरंजीव कुमार के मर्डर की खातिर जुंगजू को जेल से बाहर निकालने का षड्यंत्र रच रही है?”
“भगवान न करे यह सच हो, मगर कहना यही चाहता हूं।” देशराज बोला—“मैं नियमित रूप से जेल में आने वाले अखबार पढ़ता हूं—उनके मुताबिक चिरंजीव कुमार का दौरा अपरिहार्य कारणों से रद्द कर दिया गया है, मगर शीघ्र ही उनके आगमन की तारीख घोषित की जाएगी—चुनाव होने वाले हैं, आना तो उन्हें पड़ेगा ही—स्टार फोर्स की हिटलिस्ट में वे नम्बर एक पर हैं और इधर स्टार फोर्स उस शख्स को जेल से फरार करने के लिए प्रयत्नशील है जो एक्सपर्ट ही भीड़ के बीच घिरे शख्स को निशाना बनाने का है, अर्थात सब बातों को एक-दूसरे से जोड़ा जाए तो नतीजा—‘टू प्लस टू इज इक्वल टू फोर’ जैसा है।”
“वैरी गुड देशराज, निश्चित रूप से तुमने काफी दूर तक सोचा।” शांडियाल कहते चले गए—“लेकिन अगर ऐसा है, तब भी … यह राज जेलर से छुपाने की क्या तुक हुई—अगर हम स्टार फोर्स द्वारा रचे गए जुंगजू की फरारी के षड्यंत्र को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं तब भी, जेलर को उसमें अहम भूमिका निभानी होगी।”
“क्यों?”
“निश्चित रूप से आज हम ऐसा कोई कदम उठाकर जुंगजू को जेल से फरार करा के उनके मंसूबों पर पानी फेर सकते हैं, मगर उसे उस वास्तविक लक्ष्य अर्थात चिरंजीव कुमार की हत्या के लक्ष्य में विफल नहीं कर पाएंगे—बल्कि अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि ऐसा कोई कदम उठाना हमारी भूल होगी।”
“हम समझे नहीं …।”
“क्या हमारी सफलता उन्हें तुरंत यह नहीं बता देगी कि हमें उनके लक्ष्य की भनक लग गई है?”
“तो क्या हुआ?”
“तब वे चिरंजीव कुमार की हत्या का कोई और षड्यंत्र रचेंगे—किसी ऐसे तरीके से लक्ष्य को बेधना चाहेंगे जो इस तरीके से बिल्कुल अलग होगा—जरूरी नहीं जैसे इत्तफाक के साथ हमें उनके इस तरीके की भनक लग गई है वैसे ही अन्य तरीके की भी लग जाए—उस अवस्था में हम अंधेरे में रहेंगे और मुमकिन है, उस अंधेरे का लाभ उठाकर वे अपने लक्ष्य को बेध डालें, हम हाथ मलते रह जाएंगे सर।”
“किया क्या जाए?”
“जिन परिस्थितियों से हम घिरे हैं, उनमें सबसे बेहतर चाल स्टार फोर्स को इस भ्रमजाल में फंसाए रखना होगी कि उनकी स्कीम न केवल सौ प्रतिशत सफल हो रही है बल्कि किसी को भनक तक नहीं है—जब तक उनकी नजर में उनकी ये स्कीम निर्विघ्न रूप से चल रही होगी, तब तक उनके द्वारा अपनी योजना बदलने का सवाल ही नहीं उठता—हमें सामने तब आना चाहिए अर्थात उस प्वॉइंट पर पहुंचकर उनके मंसूबों पर पानी फेरना चाहिए जब उनके पास अपनी योजना को बदलने का न समय हो, न क्षमता।”
“इसके लिए जुंगजू को फरार होने देना जरूरी है …।”
“मैं यही कहना चाहता हूं, अगर जुंगजू फरार होकर उनके बीच पहुंच जाए और उसके जरिए हमें स्टार फोर्स के षड्यंत्र की पल-पल की खबर मिलती रहे तो हम न केवल चिरंजीव कुमार की हत्या के घिनौने षड्यंत्र के परखच्चे उड़ा सकते हैं बल्कि स्टार फोर्स को ऐसी शिकस्त दे सकते हैं जिसकी उन्होंने स्वप्न तक में कल्पना न की होगी।”
“तुम हवाई किले बना रहे हो देशराज, भला उनके बीच जाकर जुंगजू पल-पल की रिपोर्ट हमें क्यों देगा?”
“मैं उस तरीके के बारे में सोच चुका हूं सर।”
“सोच चुके हो?”
“जी।”
“क्या?”
देशराज के जबड़े भिंच गए, दृढ़तापूर्वक कहा उसने—“मैं जुंगजू बनकर उनके बीच जाने के लिए तैयार हूं।”
“त-तुम?” शांडियाल उछल पड़े।
“क्या कोई बुराई है सर?”
कुछ देर तक शांडियाल बहुत ध्यान से उसे देखते रहे, बोले—“शायद तुम भूल गए देशराज—अब तुम इंस्पेक्टर नहीं, मुल्जिम हो …”
“य-यही!” देशराज लड़खड़ाती जुबान से कह उठा—“यही तो कहना चाहता हूं सर—पुलिस की पवित्र वर्दी इंसान के बच्चे को इसलिए पहनाई जाती है कि वह अपने समाज और मुल्क की हिफाजत करे—कानून खाकी वर्दीधारी को इतनी ताकतें इसलिए देता है कि उन ताकतों को कुचल डाले जो शरीफ नागरिकों को कुचलने के मंसूबे बनाती हैं, मगर मैंने हमेशा, हर पल हर कदम पर कानून द्वारा बख्शी गई ताकत का दुरुपयोग किया—जब तक जिस्म पर वर्दी रही तब तक उन्हीं को सताता रहा जिनकी हिफाजत के लिए वर्दी पहनी थी—ये सच है सर, मैंने इंस्पेक्टर रहते कभी कोई ऐसा काम नहीं किया जिसकी कानून एक पुलिसिए से अपेक्षा करता है और इसीलिए …!” देशराज बेहद भावुक नजर आने लगा—“शायद इसीलिए मेरे दिल में अपने समाज और मुल्क के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना है—इंस्पेक्टर रहते मैंने जो किया, भगवान ने मेरे ही हाथों पिता की लाश नदी में फिंकवाकर उसकी ऐसी भयानक सजा दी कि आज भी जब वो दृश्य याद आ जाता है तो रूह फना हो जाती है—भगवान की दी हुई सजा को भोगता मैं जेल में हर पल यह सोचता रहा हूं कि काश—उसी भगवान ने मुझे मेरे दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने का मौका दिया होता और जब मैंने उस कैदी को जुंगजू की कमीज की जेब में कागज रखते देखा, उसका अर्थ समझा, तब … दिल यह सोचकर बाग-बाग हो उठा कि शायद भगवान ने मेरी सुन ली है—मैं आपके हाथ जोड़ता हूं सर, आपके पैरों में पड़कर भीख मांगता हूं—भगवान द्वारा बख्शा गया ये मौका न छीनें—आपके पास बहुत सी पॉवर्स हैं—उनमें एक ये भी है कि समाज और मुल्क की भलाई के लिए किसी भी शख्स को किसी मिशन पर नियुक्त कर सकते हैं—जरूरी नहीं वह पुलिसिया ही हो—मैं वादा करता हूं, आपकी प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आने दूंगा—प्लीज, मेरे अंदर भभक रहे ज्वालामुखी को पहचानिए—मेरे खून की हर बूंद में एक ललक गर्दिश कर रही है, मरने से पहले कोई ऐसा काम करना चाहता हूं सर कि लोग मुझसे नफरत न करें—अगर आपने ये मौका छीना तो मौत के बाद भी मेरी रूह इन्हीं हसरतों और आरजुओं को गले लगाए भटकती रहेगी।”
देशराज की दीवानगी ने शांडियाल को अवाक् कर दिया—बहुत देर तक उनके मुंह से बोल न फूट सका—याचक के रूप में हाथ जोड़े, चेहरे के जर्रे-जर्रे पर वेदना लिए देशराज को देखते रह गए थे, काफी देर बाद गंभीर स्वर में बोले—“हम तुम्हारी भावनाओं की कद्र करते हैं देशराज और दिल की गहराइयों से स्वीकार करते हैं कि अगर ये मिशन शुरू किया जा सकता तो तुमसे बेहतर अंजाम कोई नहीं दे सकता, मगर ये मिशन शुरू नहीं किया जा सकता।”
“क्यों सर?”
“किसी अन्य शख्स को जुंगजू बनाकर उनके बीच भेजने की चाल किसी हालत में परवान नहीं चढ़ सकती—कोई मेकअप उन्हें धोखा नहीं दे सकता।”
“है सर, एक मेकअप ऐसा ही है जिसे ब्लैक स्टार की सात पुश्तें तक मेकअप साबित न कर सकेंगी।”
शांडियाल ने चकित स्वर में पूछा—“ऐसा कौन सा मेकअप है?”
“मैं दिखाऊंगा---। मिशन तब सौंपिएगा जब आपको यकीन दिला चुकूं कि दुनिया का कोई शख्स मुझे जुंगजू का डुप्लीकेट साबित नहीं कर सकता।”
“तो बताओ, कौन-सा मेकअप है वह?”
“बताने से नहीं सर, दिखाने से काम चलेगा—मैं आपको वह मेकअप करके दिखाऊंगा।”
“कब?”
“बहुत जल्द।” देशराज खुश था—“मगर उससे पहले यह जानना जरूरी है कि खिचड़ी वही पक रही है या नहीं जो हम सोच रहे हैं …।”
“यह तो वह कैदी ही बता देगा जिसने …।”
“नो सर, उसे छेड़ना तो दूर—टेढ़ी आंख से देखना तक नहीं चाहिए—फिलहाल वह जुंगजू और स्टार फोर्स के बीच का पुल है—उसे टेढ़ी आंख से देखने का अर्थ है, स्टार फोर्स को समझा देना कि हमें उनके बीच पक रही खिचड़ी की गंध मिल गई है।”
“फिर क्या करें?”
“हमें सीधा जुंगजू पर हाथ डालना होगा—वह तन्हा कोठरी में रहता है, उससे की गई छेड़खानी की किसी को भनक तक नहीं लग सकेगी।”
“लेकिन जेलर की जानकारी के बगैर जेल में इतनी सब कार्यवाही नहीं हो सकती।”
“इस बारे में फैसला आपको करना है—मैं नहीं चाहता, योजना की जानकारी ज्यादा लोगों को हो, यही सोचकर ये वार्ता उनसे छुपाई—अगर आपको लगता है, उनकी जानकारी के बगैर ये सब सम्भव नहीं तो उन्हें वापस बुलाकर विश्वास में ले सकते हैं।”
“योजना में उसे शामिल करना मजबूरी है—और वैसे भी जेलर का अब तक का रिकॉर्ड बेदाग है।”
“जैसी आपकी मर्जी।” देशराज के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे।
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12-31-2020, 12:23 PM,
#49
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
तलब के कारण योगेश का बुरा हाल था—लगभग दौड़ता हुआ वह कोर्ट की इमारत के कॉरीडोर में पंक्तिबद्ध बने तीन सार्वजनिक टेलीफोन बूथ में से एक में घुसा—कांपती अंगुली से एक नंबर डायल करने लगा—अपनी बेचैनी के कारण इस बात पर उसने जरा भी ध्यान नहीं दिया कि लगभग उसी के साथ बगल वाले बूथ में लुक्का प्रविष्ट हुआ है—दोनों बूथ के बीच की दीवार का निचला आधा हिस्सा प्लाईवुड का बना था और ऊपरी आधा पारदर्शी कांच का—लुक्का ने उसकी तरफ पीठ कर रखी थी और रिसीवर हाथ में लेकर एक फाल्स नंबर डायल करने की चेष्टा कर रहा था।
इधर सिर पर मंडरा रहे खतरे से पूरी तरह बेखबर योगेश ने संपर्क स्थापित होते ही लगभग चीखते हुए कहा—“मुझे ट्रिपल जैड से बात करनी है।”
“बोल रहा हूं।” दूसरी तरफ से गंभीर स्वर में कहा गया। साथ ही उधर से हल्का सा ठहाका लगाने की आवाज उभरी, कहा गया—“अभी तो तुम्हारी डोज का टाइम गुजरे केवल दो घंटे हुए हैं, इतने कम समय में इतने ज्यादा बेचैन हो गए?”
“म-मुझे खुराक चाहिए ट्रिपल जैड।”
“पहले हमारा एक काम करना होगा।”
“क्या?”
सपाट स्वर में कहा गया—“पुलिस कमिश्‍नर का मर्डर।”
“श-शांडियाल अंकल का मर्डर?”
“आज की डोज तुम्हें उसके बाद मिलेगी।”
“ल-लगता है तुम फिर मजाक कर रहे हो ट्रिपल जैड—समझ में नहीं आता आये दिन मुझसे इतने खतरनाक मजाक क्यों करते हो—कभी कहते हो ‘बैंक में डाका मारूं’ तब डोज दोगे, कभी कहते हो ‘सड़क पर जा रहे किसी आदमी को गोली मार दूं’ तब पुड़िया मिलेगी और जब तैयार हो जाता हूं तो हंस पड़ते हो, कहते हो ‘मजाक कर रहे थे—पुड़िया फलां जगह रखी है, ले लूं—आज शांडियाल अंकल को ही मार डालने की बात कर रहे हो—मैं जानता हूं, तुम मजाक कर रहे होगे—प्लीज ट्रिपल जैड, मैं इस वक्त मजाक सहने की स्थिति में नहीं हूं—जल्दी बताओ, मेरी डोज कहां है?”
योगेश बेचारा स्वप्न तक में नहीं सोच सकता था कि इस तरह ट्रिपल जैड उसकी परीक्षा लिया करता है—परखा करता है कि वक्त आने पर गुलाम की तरह वह उसके द्वारा दिए जाने वाले सख्त आदेश को मानेगा या नहीं—उसी प्रयास को जारी रखे ट्रिपल जैड ने कहा—“नहीं योगेश, आज हम मजाक नहीं कर रहे—सचमुच आज की डोज तभी मिलेगी जब अपने अंकल को गोली मार चुके होगे।”
“ठीक है, मैं ये काम करता हूं—तुम पुड़िया भिजवाओ।”
“कमिश्‍नर को मारोगे कैसे?”
“इसमें क्या मुश्किल है—इस वक्त वे अपने बंगले पर होंगे, रिवॉल्वर मेरे पास है ही—गोली मार दूंगा—तुम बस ये बताओ कि उसके बाद पुड़िया कहां मिलेगी?”
“ओ.के. योगेश!” जबरदस्त ठहाके के साथ कहा गया—“हमें खुशी है तुम हमारे लिए कुछ भी कर सकते हो—तुम्हारा ‘हां’ कहना काफी है, फिलहाल कमिश्‍नर के मर्डर की जरूरत नहीं है।”
“मुझे मालूम था आप मजाक कर रहे होंगे—प्लीज, मेरी पुड़िया …।”
“तुम कोर्ट की कारीडोर वाले बूथ से बोल रहे हो न?”
“हां!”
“और गाड़ी कोर्ट के पोर्च में खड़ी है?”
“यस सर!”
“तो जाओ, पुड़िया गाड़ी के डैशबोर्ड पर रखी मिलेगी।”
“थ-थैंक्यू … थैंक्यू सर!” कहने के बाद एक पल गंवाए बगैर उसने रिसीवर हुक पर टांगा और बूथ का दरवाजा खोलकर खरगोश की तरह कुलांचें मारता पोर्च की तरफ दौड़ा।
अच्छी-खासी भीड़ थी वहां।
लोग हैरानी के साथ उसे देख रहे थे।
लम्बे बालों और क्रूर चेहरे वाले लुक्का के मेकअप में छुपा स्पेशल कमांडो दस्ते का एजेंट नम्बर फाइव केवल योगेश के शब्द सुन पाया था और उन्हीं से दूसरी तरफ से कहे गए शब्दों का अनुमान बखूबी लगा सकता था—वह भी बूथ से निकला, उतनी तेजी से तो नहीं मगर इतनी तेजी से जरूर लपका कि योगेश उसके चंगुल से फरार न हो सके—वह अपना अगला एक्शन निर्धारित कर चुका था।
योगेश पोर्च में खड़ी गाड़ी के नजदीक पहुंचा।
झटके से दरवाजा खोला।
डैशबोर्ड पर पड़ी पुड़िया को देखते ही बांछें खिल गईं।
उसने दीवानों की मानिन्द हाथ लम्बा करके पुड़िया उठाई—गाड़ी के बाहर खड़े-खड़े खोली और अभी उसे अपने मुंह के नजदीक ले ही जाना चाहता था कि हाथ पर किसी बूट की जोरदार ठोकर पड़ी।
पुड़िया उछलकर दूर जा गिरी।
“ये … ये क्या किया हरामजादे?” वह दहाड़ उठा।
नजदीक खड़े लुक्का ने कहा—“तुम्हारा खेल खत्म हो चुका है योगेश!”
लुक्का के चेहरे पर नजर पड़ते ही योगेश के होश उड़ गए—पहला डायलॉग वह बगैर यह देखे डकराया था कि ठोकर मारने वाला कौन है—लुक्का को वह जुआघर के मालिक और एक खतरनाक गुण्डे के रूप में जानता था, बोला—“ये तुमने क्या किया लुक्का? उस पुड़िया में मेरी जिंदगी थी।”
“मुझे ट्रिपल जैड का फोन नंबर चाहिए।”
“त-तुम उसका क्या करोगे?”
“इतने दिन से उसी की तो तलाश थी—मैं ये सोचता रहा, शायद तुम्हें उसका पता-ठिकाना मालूम नहीं होगा—वह ही तुमसे संबंध स्थापित करता होगा मगर कुछ देर पहले मैंने खुद तुम्हें उससे सम्पर्क स्थापित करते देखा है, मेरे लिए फोन नंबर काफी होगा—बोलो, किस नंबर पर मिलता है वह?”
“नहीं!” योगेश चीख पड़ा—“अगर बताया तो वह मुझे मार डालेगा।”
“वह तो जाने कब मारेगा लेकिन अगर नंबर नहीं बताया तो मैं तुम्हें इसी वक्त गोली मार दूंगा योगेश!” खतरनाक स्वर में गुर्राते लुक्का ने जेब से रिवॉल्वर निकालकर उस पर तान दिया।
“हरामजादे—कुत्ते!” स्मैक की तलब के कारण योगेश पर अजीब प्रतिक्रिया हुई—“पहले तो ठोकर मारकर मेरी डोज बिखेर दी, उसके बाद गोली मारने की धमकी देता है—जानता नहीं, मैं पुलिस कमिश्‍नर का भतीजा हूं—तू मुझे क्या मारेगा, मैं ही तेरा क्रिया-कर्म किए देता हूं।”
इन शब्दों के साथ उसने अपने कोट की जेब से इतनी फुर्ती के साथ रिवॉल्वर निकाला कि स्पेशल कमांडो दस्ते का एजेंट नंबर फाइव दंग रह गया—मजे की बात ये कि योगेश केवल रिवॉल्वर निकालकर ही नहीं रह गया, बल्कि एक ही एक्शन में उस पर फायर भी झोंक दिया।
‘धांय’ की जोरदार आवाज ने सबको चौंका दिया।
लुक्का ने ऐन वक्त पर जम्प लगाकर अपने जिस्म को एक अन्य कार की बैक में न कर लिया होता तो योगेश के रिवॉल्वर से निकली गोली निश्चित रूप से उसके भेजे के परखच्चे उड़ा डालती और जिस किस्म की फुर्ती का प्रदर्शन उसने किया था, वह केवल स्पेशल कमांडो दस्ते के एजेंट के लिए ही संभव था।
उधर योगेश मानो पागल हो चुका था।
एक और फायर करने के साथ वह लुक्का की तरफ लपका—नंबर फाइव समझ गया, योगेश पर पागलपन सवार हो चुका है—अगर रोका न गया तो निश्चित रूप से उसे गोलियों से भून देगा, अतः उसकी टांगों का निशाना लेकर एक फायर किया।
बचने के लिए योगेश नीचे बैठा।
और!
जो गोली उसकी टांगों का निशाना लेकर चलाई गई थी, वह खोपड़ी में जा धंसी।
योगेश कटे वृक्ष-सा गिरा।
नंबर फाइव ने घबराकर इधर-उधर देखा—विभिन्न वस्तुओं की आड़ में छुपे लोग चेहरों पर आतंक और हवाइयां लिए मौजूदा दृश्य को देख रहे थे—पलक झपकते ही वह हो गया जिसकी कल्पना नंबर फाइव ने स्वप्न तक में न की थी—एक नजर योगेश के जिस्म पर डाली।
वह मर चुका था।
नंबर फाइव उसकी कार के खुले दरवाजे की तरफ लपका और फिर लोगों के देखते-ही-देखते कार हवा से बातें करने लगी—नम्बर फाइव जानता था, कुछ देर में यह खबर जंगल की आग की मानिन्द शहर में फैल जाएगी कि लुक्का ने सरेआम पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे की हत्या कर दी है।
जो हुआ, नंबर फाइव को उसका गहरा अफसोस था।
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जेल के घड़ियाल ने रात के दो बजाए।
जुंगजू ने करवट बदलने की चेष्टा की और हमेशा की तरह हथकड़ी बेड़ियों के कारण अपने इस प्रयास में दिक्कत का एहसास हुआ—मुंह से एक भद्दी गाली निकाल बैठा वह और ठीक उसी समय रात के सन्नाटे को हल्की-सी ‘क्लिक’ की आवाज ने बेधा।
जुंगजू ने चौंककर कोठरी के दरवाजे की तरफ देखा।
दरवाजा खुला।
एक साथ तीन परछाइयां नजर आईं ।
झटके के साथ वह पत्थर के चबूतरे पर उठ बैठा—वातावरण में हथकड़ी और बेड़ियों की खड़खड़ाहट गूंजी, उसके बाद गूंजा जुंगजू का खुरदुरा स्वर—“कौन है?”
दरवाजा बंद हो गया।
एक शक्तिशाली टॉर्च के ढेर सारे प्रकाश-झाग ठीक उसके चेहरे से टकराए—तीव्र रोशनी के कारण आंखें मिचमिचा गईं—हथकड़ियों से जकड़े हाथ अपनी आंखों के सामने अड़ाकर वह गुर्राया—“कौन हरामजादा है?”
“हम हैं जुंगजू!”
“ओह, जेलर!”
“ठीक पहचाना।”
“इस वक्त यहां क्यों आया है?”
“तुझसे कुछ सवालों के जवाब लेने।”
अक्खड़ स्वर—“क्या तुझे मालूम नहीं कि, जुंगजू कभी किसी के सवालों का जवाब नहीं दिया करता?”
“आज तुझे हमारे सवालों के जवाब देने पड़ेंगे जुंगजू।” कमिश्‍नर शांडियाल ने कहा।
“तू कौन है बे, ये टॉर्च हटे तो देखूं।”
“ले बेटे, टॉर्च हटा रहे हैं।” तीसरे स्वर के इन शब्दों के साथ टॉर्च ने अपना फोकस उसके चेहरे की जगह तन्हा कोठरी की छत को बना दिया—छत बहुत बड़े प्रकाश दायरे से नहा उठी और ‘रिफ्लेक्शन’ के कारण कोठरी में इतना प्रकाश फैल गया कि एक-दूसरे को अच्छी तरह पहचान सकते थे।
टॉर्च को कोठरी के फर्श पर खड़ी करने का प्रयास करते देशराज को देखते ही वह कह बैठा—“ये रिश्वतखोर पुलिसिया रात के अंधेरे में तुम्हारे साथ कैसे नजर आ रहा है मिस्टर पुलिस कमिश्‍नर?”
“अगर तू हमारे सवालों का जवाब देगा तो हम भी तेरे हर सवाल का जवाब दे देंगे जुंगजू।” ऑन टॉर्च को फर्श पर खड़ी करने के बाद देशराज जुंगजू की तरफ बढ़ता हुआ बोला—“उम्मीद है, तू हमें सख्ती करने पर मजबूर नहीं करेगा।”
“कौन से सवालों का जवाब चाहते हो तुम?”
देशराज उसके काफी नजदीक पहुंच चुका था जबकि सवाल कमिश्‍नर साहब ने किया—“ब्लैक फोर्स ने तुम्हें क्या मैसेज भेजा है?”
“ब-ब्लैक फोर्स?” जुंगजू उछल पड़ा—“ब्लैक फोर्स से मेरा क्या ताल्लुक?”
जेलर ने कहा—“तुम्हें उनकी एक चिट्ठी मिली है।”
“च-चिट्ठी?” इन शब्दों के साथ हथकड़ी के कारण एक-दूसरे से जुड़े दोनों हाथ अपने लिबास की ऊपरी जेब की तरफ लपके और जब तक उन तीनों में से कोई कुछ समझ पाता—तब तक जुंगजू कागज को अपनी जेब से निकाल कर मुंह में डाल चुका था।
“र-रोकिए सर, रोकिए इसे!” चीखने के साथ देशराज उस पर झपटा मगर जुंगजू ने हथकड़ीयुक्त अपने हाथ उसके सिर पर दे मारे।
देशराज के हलक से चीख निकल गई।
लोहे की हथकड़ी उसके सिर के अग्रभाग में लगी थी—वहां से खून बहने लगा मगर देशराज ने हिम्मत नहीं हारी और फुर्ती से घूमकर उसके पीछे पहुंचा, उसे जकड़ता हुआ चीखा—“लैटर इसके मुंह में है सर—जल्दी कीजिए, चबा न डाले …।”
मौके की नजाकत को कमिश्‍नर शांडियाल समझ चुके थे।
एक क्षण भी गंवाए बगैर उन्होंने होलेस्टर से रिवॉल्वर निकालकर पूरी ताकत से उसके दस्ते का वार जुंगजू के जबड़े पर किया, परिणामस्वरूप जब चीखने के लिए उसका मुंह खुला तो रिवॉल्वर की पूरी नाल मुंह में घुसेड़ दी—अब मुंह में मौजूद कागज को न वह चबा सकता था, न सटक सकता था।
कागज तो बरामद कर लिया गया मगर इसमें शक नहीं कि ये छोटी-सी कामयाबी हासिल करने में उन्हें दांतों पसीना आ गया था।
देशराज के बंधन में बुरी तरह जकड़ा जुंगजू चीख रहा था—“मेरी हथकड़ी और बेड़ियां खोल दो हरामजादों—तब मैं तुम्हें बताऊं कि जुंगजू क्या चीज है …।”
कोई कुछ नहीं बोला।
शांडियाल कागज को टॉर्च के नजदीक ले गए, बाकायदा जोर-जोर से पढ़ा उन्होंने—“एक महत्त्वपूर्ण काम के लिए तुम्हारा जेल से बाहर आना जरूरी है, क्या तुम वह काम करने के लिए तैयार हो?
ब्लैक फोर्स!”
जुंगजू को जकड़े खड़े देशराज ने पूछा—“बस सर, इतना ही मैसेज है या और कुछ?”
“इस पर और कुछ नहीं लिखा है।”
“पलटकर देखिए।”
शांडियाल ने कागज पलटा, पढ़ा—“मैं तैयार हूं।”
“तो इसी कागज की पीठ पर यह जवाब भेज रहा था।”
जेलर ने पूछा—“लेकिन इसके पास पैन कहां से आ गया?”
“जवाब कच्चे कोयले से, ओह …!” कहते-कहते शांडियाल की समझ में जैसे सब कुछ आ गया, बोले—“ये शब्द इसने जली हुई माचिस की तिल्ली के अग्रभाग से लिखे हैं।”
“कई तिल्लियां खर्च की होंगी।”
“मुमकिन है।”
जुंगजू ढीला पड़ गया—शायद इसीलिए क्योंकि उसका सारा संघर्ष ही मैसेज को इन लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए था और उसमें नाकामयाब हो चुका था—देशराज ने भी उसे छोड़ दिया—उसके सामने आया मगर थोड़ी दूरी बनाए रखकर बोला—“हमें पहले से मालूम था कि इस कागज में ऐसा ही कोई मैसेज होगा।”
“तो?” जुंगजू गुर्राया।
शांडियाल ने गंभीर स्वर में कहा—“हम तुमसे कुछ बात करना चाहते हैं जुंगजू।”
“बात करने के लिए अब रह क्या गया है?”
“इतना तो तुम समझ ही गए होगे कि यह कागज हमारे हाथ में आने के बाद, स्टार फोर्स अब चाहे जितनी कोशिश कर ले मगर तुम्हें जेल से फरार नहीं करा सकेगी।”
“तुम कमिश्‍नर होने के बावजूद बेवकूफी भरी बातें कर रहे हो शांडियाल!” जुंगजू ने पूरी दिलेरी के साथ कहा—“तुम्हें मालूम होना चाहिए, स्टार फोर्स एक बार जो ठान लेती है उसे पूरा करने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।”
जुंगजू के संबोधन पर शांडियाल को गुस्सा तो बहुत आया मगर जहर के घूंट की तरह उसे पी गए—जानते थे, इस वक्त उनका उत्तेजित हो जाना मुकम्मल योजना को चौपट कर सकता है, अतः अपने एक-एक शब्द को प्रभावशाली बनाने का प्रयास करते बोले—“तुम तन्हा कोठरी में कैद हो और प्रदेश में शायद अभी तक चन्द्रचूड़ सरकार का ही वर्चस्व समझ रहे हो, इसलिए भ्रम में हो कि स्टार फोर्स जो चाहेगी कर डालेगी—तुम्हारी जानकारी के लिए बता दें जुंगजू कि न तो अब प्रदेश में उस चन्द्रचूड़ की सरकार है जो ब्लैक स्टार की अंगुलियों के इशारे पर कठपुतली की तरह नाचती थी, न ही हालात ऐसे हैं कि स्टार फोर्स मनचाही कर डाले—स्थितियां बड़ी तेजी से बदली हैं—इस वक्त स्टार फोर्स पर कानून का शिकंजा हावी है, तभी तो अपनी मदद के लिए उसे तुम जैसे सहयोगी का ध्यान आया—अगर ऐसा न होता तो यह मैसेज अभी ही भेजने की क्या जरूरत थी—बहुत पहले तुम्हें जेल से फरार क्यों न करा लिया गया?”
जुंगजू को कहने के लिए कुछ सूझा नहीं।
देशराज ने लोहे को गर्म जानकर चोट की—“तुम्हारे पास यह चिट्ठी पहुंची और हमें पता लग गया, इसी से समझ सकते हो कि स्टार फोर्स की एक-एक गतिविधि हमारी नजर में है।”
“ये कोई बड़ी बात नहीं है—तू जेल में है ही, किसी को चिट्ठी मेरी जेब में डालते देख लिया होगा—मगर मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि इंस्पेक्टरी से बर्खास्त होने और जेल में अपनी करतूतों की सजा भुगत रहा होने के बाद तू किस हैसियत से कानून की भाषा बोल रहा है?”
“यह रहस्य तुम्हारी तो क्या, बगैर बताए ब्लैक स्टार तक की समझ में नहीं आएगा जुंगजू।”
“मतलब?”
“हमें बहुत पहले से मालूम था कि स्टार फोर्स जब ज्यादा दबाव में जा जाएगी तो मदद के लिए तुम्हें जेल से फरार करने का प्रयास करेगी।” आकर्षक मुस्कान के साथ देशराज ने कोरी गप्प हांकी—“मेरा कोर्ट में जाकर अपनी करतूतें बखान करना आदि सब एक साजिश थी—उद्देश्य जेल में रहकर तुम पर नजर रखना और जब हमारी उम्मीदों के मुताबिक स्टार फोर्स तुमसे सम्पर्क स्थापित करे तो सक्रिय हो उठना था।”
“और वही तू कर रहा है?”
“तुम समझदार हो।”
“पुलिस की खोपड़ी इतनी दूरदर्शी कब से हो गई और उनमें ऐसी नायाब चालें कब से आने लगीं?”
“ऐसी अनेक चालों के कारण आज स्टार फोर्स टूट रही है।” शांडियाल ने कहा—“अगर तुम हमारा साथ देने की कसम खाओ तो अंतिम प्रहार स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालेगा।”
“म-मैं साथ दूं?” जुंगजू ने ठहाका लगाया—“पुलिस का साथ दूं मैं?”
“हां जुंगजू, हमने तुमसे ऐसी ही उम्मीद लगाई है।”
“तब तो मैं ये कहूंगा कमिश्‍नर कि तेरे दिमाग का दिवाला निकल गया है—तेरे बूचड़खाने में बेवकूफियों से भरा ये ख्याल आ कैसे गया कि जुंगजू कानून द्वारा बनाई गई किसी योजना पर काम कर सकता है?”
“क्योंकि तुम्हारी बूढ़ी मां हमारे कब्जे में है।”
“मां … मां?” जुंगजू उछल पड़ा।
“हमें मालूम है तुम उसे बेइन्तहा प्यार करते हो।”
जुंगजू गुर्रा उठा—“तो तुम मां को मार डालने की धमकी देकर मुझसे काम लेना चाहते हो?”
तीनों चुप रहे।
जबकि जुंगजू यह सोचकर मन-ही-मन खुश था कि इन लोगों को यह रहस्य अब तक नहीं मालूम कि मेरा संबंध इस लैटर से भी पहले, बल्कि शुरू से ब्लैक फोर्स से रहा है—अगर मालूम होता तो कभी इस भ्रमजाल में न फंसते कि मैं मां की खातिर वह सब कर सकता हूं जो ये चाहते हैं—सारी दुनिया जानती है, स्टार फोर्स से जुड़ा शख्स सब कुछ गंवा सकता है परंतु फोर्स से गद्दारी नहीं कर सकता—काफी सोच-समझकर जुंगजू ने फैसला किया कि फिलहाल खुद को फंसा हुआ दर्शाकर इनकी योजना के मुताबिक काम करने का नाटक करने में ही हित है। एक बार जेल से फरार हो जाऊं—तब इन्हें पता लगेगा कि स्टार फोर्स के सिपाही को मां तक की धमकी नहीं डिगा सकती अतः बोला—“करना क्या होगा मुझे?”
“गुड!” कमिश्‍नर ने कागज उसे पकड़ा दिया—“सबसे पहले तुम्हारा ये जवाब ठीक उसी तरह स्टार फोर्स तक पहुंचना चाहिए जैसे हमसे बात करने से पूर्व पहुंचना था।”
“ओ.के.!” जुंगजू ने लैटर अपनी जेब में रख लिया।
देशराज ने कहा—“इधर हम पूरा ख्याल रखेंगे, उधर तुम्हें पूरा ध्यान रखना है—किसी भी तरफ से ऐसी एक्टिविटी न हो पाए जिसके कारण उन्हें शक हो कि तुम्हारी फरारी हम लोगों की इच्छा पर हो रही है, वे लोग इसी भ्रम के शिकार रहने चाहिएं कि जो हो रहा है, उनकी योजना के मुताबिक हो रहा है।”
“ऐसा ही होगा।” कहते वक्त जुंगजू ने मन-ही-मन उन्हें मूर्ख कहा।
“फरारी से पहले हम एक छोटा-सा ट्रांसमीटर देंगे—उसके जरिए तुम वहां की सारी गतिविधियों की जानकारी हमें देते रहोगे—याद रखना, यदि जरा भी चालाकी दिखाने की कोशिश की तो तुम्हारी मां को कत्ल कर दिया जाएगा।”
“म-मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा।” जुंगजू ने ऐसे अंदाज में कहा जैसे मां की धमकी ने उसे पस्त कर दिया हो।
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12-31-2020, 12:23 PM,
#50
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“तुम्हारा क्या ख्याल है देशराज?” जेलर के ऑफिस में पहुंचते ही कमिश्‍नर शांडियाल ने पहला सवाल किया—“क्या जुंगजू हमारी बातों में आ गया है?”
“निश्चित रूप से सर!” देशराज ने कहा—“मेरी कोशिश थी वह हमें मूर्ख समझे और वह समझ रहा है।”
“क्या मतलब?” जेलर उछल पड़ा।
देशराज ने रहस्यमय मुस्कान के साथ जवाब दिया—“हम अच्छी तरह जानते हैं जेलर साहब—उसका संबंध शुरू से स्टार फोर्स से है और आप जानते होंगे, स्टार फोर्स से लोग जुड़ते ही तब हैं तब अपने व्यक्तिगत रिश्तों को तिलांजलि दे चुकते हैं यानि वह किसी भी हालत में मां की धमकी में आने वाला नहीं है।”
“मैं समझा नहीं।” जेलर की खोपड़ी अंतरिक्ष में परवाज कर रही थी—“आप लोग कहना क्या चाहते हैं?”
“सारे नाटक का एक ही उद्देश्य था … यह कि वह इस भ्रमजाल में फंस जाए कि हम लोग यह मान बैठे हैं कि मां की धमकी के बाद वह वही करेगा जो हम चाहते हैं।”
“जब हम जानते हैं, वह हमारे लिए काम नहीं करेगा तो उसे जेल से फरार करके ब्लैक फोर्स तक पहुंचने देने की तुक क्या हुई?”
“योजना उसे फरार होने देने की है ही कहां?”
“म-मतलब?”
“असल योजना मेरे फरार होने की है, स्टार फोर्स यही समझ रही होगी कि वे जुंगजू को ले जा रहे हैं।”
“ऐसा कैसे हो जाएगा?”
“होगा जेलर साहब।” देशराज ने आत्मविश्वास पूर्वक कहा—“ये करिश्मा होगा।”
“तो फिर इस नाटक का अर्थ?”
“हम भी यही जानना चाहते हैं देशराज।” काफी देर से खामोश शांडियाल ने कहा—“जब तुम्हारा दावा है कि तुम जुंगजू का ऐसा मेकअप कर सकते हो जिसे ब्लैक स्टार तक मेकअप सिद्ध नहीं कर सकता तो जुंगजू को इस भ्रमजाल में फंसाने की जरूरत ही क्या थी?”
“अगर हम उसे भ्रमजाल में न फंसाते तो कल, परसों या हफ्ते-भर में किसी भी दिन, किसी-न-किसी तरीके से वह स्टार फोर्स तक यह मैसेज भेज देता कि हम लोग उनकी योजना से वाकिफ हो गए हैं, भेजता या नहीं?”
“जरूर भेजता!”
“जब कि अब नहीं भेजेगा क्योंकि अब उसका उद्देश्य हम लोगों पर यह सिक्का जमाना होगा कि वह हमारे लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रहा है—सोचेगा, अगर इस वक्त उसने ऐसी कोई कोशिश की और वह हमारी नजरों में आ गई तो सारा खेल चौपट हो जाएगा, खेल को चौपट कर देने का रिस्क वह नहीं ले सकता—फिलहाल उसकी योजना हम पर विश्वास जमाए रखकर फरार होना होगी—सोच रहा होगा, बाद में … जंगल में जाकर ब्लैक स्टार को चटखारे ले-लेकर हमारी मूर्खता के किस्से सुनाएगा—यही हम चाहते थे, यह कि हफ्ते-भर तक वह स्टार फोर्स को मैसेज भेजने की कोशिश न करे।”
“क्या इससे बेहतर यह न होता कि तुम आज ही से जुंगजू के मेकअप में स्थापित हो जाते—उसे किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता, जुंगजू बनकर सब कुछ तुम खुद करते?”
“अगर यह संभव होता तो मैं इतनी लंबी क्रिया क्यों अपनाता?”
“मतलब?”
“ब्लैक स्टार जैसी हस्ती को धोखा देने की क्षमता रखने वाला मेकअप इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता कि आज करूं, कल जुंगजू बन जाऊं—वैसा मेकअप करने के लिए मुझे कम-से-कम एक हफ्ता तो चाहिए ही—तब तक जेल में जुंगजू को ही जुंगजू के रूप में रखना मजबूरी थी और इसी मजबूरी के कारण उसे ऐसे जाल में फंसाना जरूरी था जिसमें फंसने के बाद वह एक हफ्ता वह करे जो हम चाहते हैं।”
“ये मेकअप का अच्छा सस्पैंस बना रखा है तुमने!”
“खुल जाएगा!” देशराज के होंठों पर फीकी मुस्कान थी—“मुझे अपने साथ ले चलिए।”
शांडियाल ने जेलर से पूछा—“इजाजत है?”
“जब सब कुछ आप अपने रिस्क पर कर रहे हैं तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है सर—ईश्वर आपको इस खतरनाक मिशन में कामयाबी दे। देशराज के सिर से अभी तक खून बह रहा है, मैं फस्र्ट एड …।”
“नहीं जेलर साहब!” भावुक स्वर में कहते देशराज ने उसका हाथ पकड़ लिया—“जो बह रहा है वह इंस्पेक्टर देशराज वाला खून होगा—गंदा खून है ये, बहने दीजिए!”
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“मेरा नाम लुक्का है।” इन शब्दों के साथ तेजस्वी की मेज पर पांच सौ के नये-नकोर नोटों की एक गड्डी आ गिरी।
तेजस्वी ने ध्यान से उसकी तरफ देखते हुए कहा—“जानता हूं।”
“मैंने पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे का मर्डर किया है।”
“ये भी जानता हूं।” तेजस्वी ने उसे घूरा—“प्रतापगढ़ की सारी सीमाएं सील कर दी गई हैं—चप्पे-चप्पे पर तुझे ऐसे तलाश किया जा रहा है जैसे भूसे के ढेर से सुई ढूंढी जा रही हो—अपने भतीजे के हत्यारे को कानून के शिकंजे में देखने के लिए कमिश्‍नर पागल हुआ जा रहा है—अनेक फोन आ चुके हैं उसके—हर बार एक ही सवाल पूछता है, लुक्का पकड़ा गया या नहीं—नकारात्मक जवाब देते ही भड़क उठता है, कहता है मैं आखिर कर क्या रहा हूं—सरेआम उसके भतीजे का खून करके लुक्का आखिर गायब कहां हो गया?”
“और मैं सीधा थाने में चला आया।”
“इसका मतलब तू आत्मसमर्पण करना चाहता है?”
“अगर तुम मेरे द्वारा अपनी मेज पर फेंकी गई गड्डी का अर्थ नहीं समझते तो मेरे यहां आगमन को आत्मसमर्पण समझो—और अगर समझते हो तो समझो कि अपना बचाव करने आया हूं।”
“क्या मतलब?” तेजस्वी की आंखें गोल हो गईं।
“अगर कोई हत्यारा उन हालात में फंस जाए जिनमें इस वक्त मैं हूं तो उसके लिए सबसे सुरक्षित स्थान इलाके का थाना होता है—क्योंकि पुलिस के चंगुल से भाग निकलने की कोशिश मूर्खाना सोच होती है—अंततः गिरफ्तार होकर थाने में आना उसकी नियति बन चुकी होती है—तो क्यों न मर्डर करते ही सीधा थाने में चला आए—सौदा पटे तो पौ बारह, न पटे तो आत्मसमर्पण है ही।”
“तो तू यहां ‘पौ बारह’ करने आया है?”
“हां!” लुक्का ने पांच सौ के नोटों की एक और गड्डी मेज पर डाल दी।
“ये बेवकूफाना विचार तेरे जहन में आया कैसे?” तेजस्वी गुर्रा उठा—“सारा प्रतापगढ़, सारा प्रदेश बल्कि सारा देश जानता है तेजस्वी रिश्वत नहीं लेता और तू … तू तो प्रतापगढ़ के उन रजिस्टर्ड गुण्डों में से है जिन्हें मैंने पहले ही दिन यहां तलब करके चेतावनी दी थी—तूने यह कैसे सोच लिया कि यहां कागज के इन टुकड़ों से कुछ हो जाएगा?”
नंबर फाइव के भीतर निराशा छा गई मगर कोशिश जारी रखी—“मजबूरी सब कुछ सुचवा देती है इंस्पेक्टर साहब—जब मेरे हाथों से ऐसा काम हो ही गया है जिसकी सजा से बचने का उसके अलावा कोई रास्ता नहीं जो कर रहा हूं तो क्या करता—अब आपकी शरण में हूं, जो चाहें करें—उठाकर हवालात में डाल दें या मुझ पर रहम फरमाएं—रहम ही फरमा दें तो सारी जिंदगी आपके बच्चों को दुआएं दूंगा साहब—जो सेवा करूंगा सो तो अलग है ही।”
“जिन हालात में तू यहां आया है उनमें कोई मदद भी करना चाहे तो कैसे कर सकता है?”
“कोई में और इलाके के थानेदार में फर्क क्या है साहब?” तेजस्वी के जवाब से नंबर फाइव को आशा बंधी थी, अतः उत्साहजनक स्वर में बोला—“थानेदार भला क्या नहीं कर सकता?”
“मामला पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे का है …।”
“ऐसे मामलों में कमिश्‍नर थानेदार से बड़ा नहीं होता।”
“मुमकिन है तू ठीक कह रहा हो मगर सबसे बड़ी होती है पब्लिक—जिन लोगों ने तुझे थाने में आते देखा होगा वे बवाल खड़ा कर देंगे।”
“इतना उज्जड़ नहीं हूं साहब कि ढिंढोरा पीटता हुआ आपकी शरण में पहुंचा होऊं—बल्कि दावा है, मुझे थाने में घुसते पब्लिक के किसी आदमी ने नहीं देखा—हां, उन पुलिसियों के मामले में कसम नहीं खा सकता जो इस वक्त थाने में मौजूद हैं—सो उनका क्या है, वे सब तो बेचारे आपके मातहत हैं—अफसर तो आप हैं, मुझे मालूम है जो फैसला आप करेंगे, उनका काम केवल उसे अमल में लाना है।”
अब, तेजस्वी की निगाह मेज पर पड़ीं गड्डियों पर स्थिर हो गई, बोला—“मामला कमिश्‍नर के भतीजे का है …।”
“तो?” नंबर फाइव की उम्मीदें परवान चढ़ीं।
“रकम बहुत कम है।”
“और लीजिए हुजूर …।” कहने के साथ उसने एक और गड्डी मेज पर डाल दी।
तेजस्वी ने गंभीर स्वर में पूछा—“ऐसी-ऐसी तुम पर कितनी गड्डियां हैं?”
“एक और है साहब, चार लेकर आया था!”
“कम हैं, टकराव सीधा कमिश्‍नर से होगा।”
“तो आप हुक्म फरमाएं!”
“दस गड्डियों से काम बनेगा।”
“दूंगा सर, जरूर दूंगा—यही क्या कम है कि आप जैसा ईमानदार थानेदार मुझ पर रहमो-करम करने के लिए तैयार है—ऐसे हालात में भला रकम के लिए क्या सोचना। परंतु …।”
“परंतु?”
“थोड़ी मोहलत देनी पड़ेगी।” एक ही सांस में लुक्का कहता चला गया—“जो मेरे पास कैश की शक्ल में था वह सब उठा लाया—वादा रहा साहब, मैं पूरे पांच लाख दूंगा।”
“बैठ!” तेजस्वी ने कहा।
लुक्का हौले से उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।
“आराम से बैठ जा!” तेजस्वी पूरी तरह खुल चुका था—“दुनिया की कोई ताकत अब तेरा बाल बांका नहीं कर सकती—कुछ देर पहले तू मुझे थानेदार की ताकत के बारे में बता रहा था—उससे बहुत ज्यादा तुझे प्रेक्टिकल होता दिखाऊंगा, सिगरेट पिएगा?”
“हां साहब, बहुत तलब लगी है।”
“ले!” जेब से पैकिट निकालकर तेजस्वी ने उसे सिगरेट ऑफर की, फिर एक ही तिल्ली से पहले उसकी और फिर अपनी सिगरेट सुलगाने के बाद बोला—“तेरे जैसों के कारण ही हम पुलिस वालों के बच्चे पलते हैं।”
“मेरी सात पुश्तें आपके गुण गाएंगी इंस्पेक्टर साहब, आप ने मुझ पर बहुत दया की।”
“सो तो ठीक है मगर जैसी मेरी इमेज है, उसके रहते तेरे जहन में यह बात आ कैसे गई कि मौजूदा हालात में थाना तेरे लिए सबसे सुरक्षित साबित हो सकता है?”
लुक्का कुछ कहना ही चाहता था कि फोन की घंटी घनघना उठी।
तेजस्वी ने हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठाया, बोला—“थाना प्रतापगढ़।”
“हम बोल रहे हैं तेजस्वी।” शांडियाल का स्वर उभरा।
“ओह … सर, आप!”
“क्या हुआ लुक्का का?”
“सॉरी सर!” होंठों पर कुटिल मुस्कान लिए तेजस्वी ने सम्मानित स्वर में जवाब दिया—“वह अभी तक हाथ नहीं …।”
“यह सुनते-सुनते हमारे कान पक गए तेजस्वी, तुम आखिर कर क्या रहे हो?” गुस्से की ज्यादती के कारण शांडियाल का स्वर आग की लपटों सा लग रहा था—“बड़े शर्म की बात है, तुम जैसा काबिल इंस्पेक्टर अब तक उस अदने से गुण्डे को नहीं पकड़ पाया।”
“मुझे दुःख है सर …।”
“हम कुछ सुनना नहीं चाहते, लुक्का फौरन गिरफ्तार होना चाहिए।” शांडियाल का सख्त आदेश गूंजा—“उसने सरेआम हमारे भतीजे का मर्डर किया है।”
“क्या बताऊं सर, साला हाथ ही नहीं आ रहा—उसके हर ठिकाने पर कई-कई बार दबिश डाल चुका हूं—पता नहीं साले को आसमान खा गया या धरती निगल गई, मगर आप फिक्र न करें, मैं शीघ्र ही उसे गिरफ्तार करके आपके सामने पेश करूंगा।”
“हमें आश्वासन नहीं तेजस्वी, लुक्का चाहिए—लुक्का।”
“जरूर मिलेगा सर, बचकर कहां जाएगा साला! मगर …।”
“मगर?” गुर्राहट उभरी।
“प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है, मरने से पहले योगेश ने स्मैक लेनी चाही थी—घटनास्थल से स्मैक मिली भी है, तो क्या आपका भतीजा स्मैकिया था सर?”
“शटअप!” चीखकर कहा गया—“तुम ये कीमती समय यह सोचने में गंवा रहे हो कि योगेश स्मैकिया था या नहीं, अथवा लुक्का को खोज निकालने की कोशिश कर रहे हो?”
“कोशिश तो वही कर रहा हूं जो आप चाहते हैं मगर आप तो जानते हैं—इन्वेस्टिगेशन के वक्त सभी प्वाइन्ट्स दिमाग में रखने पड़ते हैं—यह बात महत्वपूर्ण है कि उसके स्मैकिया होने की बात आपको मालूम भी है या नहीं, क्योंकि जाहिर है, उसकी सोसाइटी शरीफ लोगों की नहीं होगी।”
“तो क्या तुम यह कहना चाहते हो कि उसका स्मैकिया होना हमारी जानकारी में था? हम उसकी सोसाइटी से पूर्व परिचित थे और उसे सहन कर रहे थे?”
“क्या बात कर रहे हैं सर, ऐसा तो मैं ख्वाब में भी नहीं सोच सकता।”
“तो अपने दिमाग से इस भूसे को निकालो और लुक्का को खोजने की कोशिश करो।”
“ओ.के. सर।” कहने के बाद तेजस्वी ने कुटिल मुस्कान के साथ रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया तथा सामने बैठे लुक्का से बोला—“शांडियाल का फोन था—जो भूतनी का तुझे गिरफ्तार करने के लिए मरा जा रहा है, साले को यह नहीं मालूम कि बड़ा कमिश्‍नर नहीं, थानेदार होता है—क्या कर लेगा वह, बार-बार फोन ही करेगा न—कैसे पता लगा लेगा कि इस वक्त तू मेरे सामने बैठा है?”
पांच सौ के नोटों की एक और गड्डी मेज पर फेंकने के साथ लुक्का जोरदार ठहाका लगाकर हंसा, बोला—“मैंने तो पहले ही कहा था साहब, सरकार भले ही इस धोखे में हो कि पुलिस में इंस्पेक्टर के भी अफसर होते हैं, मगर हकीकत ये है कि थानेदार पुलिस का सबसे ऊंचा ओहदा है।”
“बातों-ही-बातों में मैंने भी कमिश्‍नर को आईना दिखा दिया बल्कि अगर यह कहा जाए तो मुनासिब होगा कि धमकी दे दी है उसे—पट्ठा यह सुनते ही बौखला उठा कि योगेश स्मैक लेता था—अब वह यह सोचने पर विवश हो जाएगा कि कल लोगों पर उसके भतीजे के स्मैकिया होने का भेद खुलेगा तो उसकी क्या पोजीशन होगी?”
एकाएक लुक्का ने कहा—“सोच रहा हूं, अब तुम्हें भी आईना दिखा ही दिया जाए!”
“क्या मतलब?” तेजस्वी हौले से चौंका।
लुक्का ने एक ही झटके में अपने सिर से लम्बे बालों वाली विग और चेहरे से फेसमास्क नोंच डाला—उनके पीछे से जो चेहरा और सिर प्रकट हुआ, उसे देखकर तेजस्वी को इतना जबरदस्त हृदयाघात पहुंचा कि अगर वह हार्ट पेशैन्ट होता तो उसी क्षण धराशाई हो जाता—बौखलाहट की ज्यादती के कारण न सिर्फ कुर्सी से उछल पड़ा बल्कि दायां हाथ तेजी से होलेस्टर की तरफ बढ़ा, मगर सामने स्पेशल कमांडो दस्ते का एजेंट नंबर फाइव था—फुर्ती के मामले में तेजस्वी उसके सामने ऐसा था जैसे चीते के सामने अजगर—नंबर फाइव बहुत पहले अपनी जेब से रिवॉल्वर निकालकर न केवल उसकी तरफ तान चुका था बल्कि गुर्रा भी चुका था—“डोन्ट मूव मिस्टर! डोन्ट मूव!”
तेजस्वी का हाथ ही नहीं, सारा जिस्म जहां-का-तहां रुक गया—पीला जर्द पड़ा चेहरा पसीने से तर-बतर हो चुका था—कांपती टांगें जैसे कह रही थीं कि अब उसके जिस्म का बोझ सम्भालना उनके बस का नहीं है—जबकि रिवॉल्वर ताने नंबर फाइव एक-एक शब्द को चबाता चला गया—“अगर जिस्म में जरा भी हरकत हुई मिस्टर तेजस्वी तो तुम्हारे भेजे के पुर्जे इस ऑफिस में बिखरे पड़े होंगे … हैन्ड्स अप … आई से हैन्ड्स अप!”
बौखलाकर तेजस्वी ने तुरंत अपने हाथ ऊपर उठा दिए।
“मेरी गंजी चांद इस वक्त तुम्हें आईने से कम नहीं लग रही होगी!” होंठों पर सफलतामयी मुस्कान लिए नंबर फाइव कहता चला गया—“इसमें तुम अपना अक्स देख सकते हो—आभामंडल के पीछे छुपा अक्स—वाकई, हमारे चीफ के अनुभवी जहन का जवाब नहीं—उसकी आंखों ने पहले ही दिन तुम्हारे आभामंडल को बेधकर उसके पीछे छुपे वास्तविक चेहरे को देख लिया था—जब वह तुम पर शक कर रहा था, तुम्हें वॉच करने और परखने के हुक्म दे रहा था, तब मैं अकेला ही नहीं बल्कि हम सब, मुझ सहित मेरे सारे साथी यह सोच रहे थे कि शक के कीटाणुओं ने उसके दिमाग को चट कर डाला है—मगर उसके आदेशों से सहमत न होने के बावजूद हमें उनका पालन करने की ट्रेनिंग मिली है और मेरी आज की सफलता उसी ट्रेनिंग का फल है—कमिश्‍नर के भतीजे को मैं मारना नहीं चाहता था—उस वक्त मेरी ड्यूटी उसे जीवित रखकर वह उगलवाना थी जो उसे मालूम था, मगर उसने मुझे गोली चलाने पर विवश कर दिया—फिर भी, गोली टांगों पर चलाई थी और अचानक उसके बैठ जाने के कारण जान ले बैठी—मुझे मालूम था, इस चूक के कारण चीफ मेरी फाइल पर एक ऐसा लाल निशान लगा देगा जिसके कारण भविष्य में मुझे मिलने वाली तमाम तरक्कियों पर पूर्णविराम लग जाएगा—इस कारण, जो हुआ उसका मुझे बेहद अफसोस था—फिर सोचा, क्यों न लगे हाथों चीफ के दूसरे हुक्म का भी पालन कर डालूं—शायद कोई सफलता मिले और वह सफलता इतनी बड़ी हो कि पहली असफलता गौण हो जाए—उसका दूसरा आदेश था, अपने लुक्का वाले रूप का लाभ उठाकर तुम्हें परखना—मौका अच्छा था अतः उस आदेश का पालन करने यहां आ पहुंचा—नतीजा सामने है, मुझे पूरा यकीन है, चीफ मेरी इस महान कामयाबी के कारण पहली नाकामयाबी को माफ कर देगा।”
तेजस्वी को काटो तो खून नहीं।
जूड़ी के मरीज की-सी हालत हो गई उसकी—हमेशा जीवंत नजर आने वाली उसकी आंखें इस वक्त निस्तेज नजर आ रही थीं।
मुर्दे की आंखों-सी निस्तेज।
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“समझ में नहीं आ रहा नंबर फाइव ने ये किया क्या?” केन्द्रीय कमांडो दस्ते के एजेंट नंबर वन के चेहरे पर उलझन के भाव थे—“उस शख्स को क्यों मार डाला जिसके जरिए हमें प्रतापगढ़ में ट्रिपल जैड के सक्रिय होने जैसी महत्वपूर्ण सूचना मिली?”
“और आगे भी ट्रिपल जैड तक उसी के माध्यम से पहुंचा जा सकता था।” एजेंट नंबर टू ने कहा।
थ्री बोला—“ट्रेनिंग के दरम्यान हम लोगों के जहन में ठूंस-ठूंसकर यह बात भरी गई है कि उस सूत्र को किसी कीमत पर खत्म नहीं किया जाना चाहिए जिसके जरिए अंधेरे में डूबे रहस्यों तक पहुंचने की संभावना नजर आती हो—योगेश वैसा ही सूत्र था, नंबर फाइव उसके जरिए ट्रिपल जैड तक पहुंच सकता था।”
“मुमकिन है वह ट्रिपल जैड का भेद जान गया हो?” नंबर टू ने संभावना व्यक्त की।
“हां, ये हो सकता है।” नंबर वन की आंखें चमक उठीं—“उसे लगा होगा जो जानकारी योगेश से हासिल की जा सकती थी, की जा चुकी है और अब उसका जीवित रहना उसके लिए व्यर्थ ही नहीं नुकसानदेह भी है—ऐसी अवस्था में हमें सूत्र को नष्ट कर देने की ट्रेनिंग दी गई है—सम्भव है, नंबर फाइव ने इसी स्थिति में पहुंचकर उसे खत्म किया हो।”
“लेकिन मर्डर करने के बाद वह गुम कहां हो गया?”
“हां, ये सवाल उठता है—योगेश की वह गाड़ी पुलिस को एक स्थल पर खड़ी मिल गई है, जिसके जरिए नंबर फाइव घटनास्थल से फरार हुआ था—मगर खुद गायब है जबकि अगर वह ट्रिपल जैड का पता-ठिकाना या उसके बारे में कोई जानकारी प्राप्त कर चुका था तो अब तक यहां पहुंच जाना चाहिए था।”
“पुलिस ने क्या कम जाल बिछा रखा है?”
“पुलिस का जाल उसके लिए क्या मायने रखता है—पुलिस तो लुक्का को ही ढूंढ रही है न, और वह जिस क्षण चाहे लुक्का के व्यक्तित्व को अपनी जेब के हवाले कर सकता है।”
“बिल्कुल सही बात है और इस सही बात के गर्भ से यह सवाल पूरे जोर-शोर के साथ उभरता है कि नंबर फाइव यहां क्यों नहीं आया—कहां, किस चक्कर में उलझा हुआ है वह?”
“कहीं अकेला ही तो ट्रिपल जैड की छाती पर नहीं जा चढ़ा?”
“ऐसी मूर्खता की उम्मीद उससे नहीं की जानी चाहिए।”
“मेरे ख्याल से हमें उसका इंतजार करते रहने या डिस्कशन की जगह मैदान में उतरना चाहिए।” नंबर थ्री ने राय दी—“ढूंढना चाहिए उसे।”
“कहां ढूंढें?”
“सबसे पहले हम अपना ट्रांसमीटर ऑन करके पुलिस वायरलैस की ‘फ्रिक्वेंसीज’ कैच करने का प्रयास करते हैं—उससे पता लग जाएगा नंबर फाइव से संबंधित पुलिस के पास लेटेस्ट जानकारी क्या है?”
“अभी कैच करता हूं।” एजेन्ट नंबर वन ने जेब से माचिस जितना किंतु बेहद शक्तिशाली ट्रांसमीटर निकाल लिया, वह अपने प्रयास में जुट गया, जबकि नंबर फोर ने कहा—“इतनी सी इन्फॉरमेशन हासिल करने के लिए इतने बखेड़े की क्या जरूरत है—फोन उठाओ, कमिश्‍नर का नंबर डायल करो—अपना इन्ट्रोडक्शन दो और लेटेस्ट इन्फॉरमेशन मालूम कर लो।”
“कमिश्‍नर ये नहीं सोचेगा कि लुक्का जैसे टुच्चे बदमाश में हमारी क्या दिलचस्पी हो सकती है?”
“उस पर लुक्का का भेद खोल देने में क्या बुराई है?”
“दिमाग का दीवाला निकल गया है क्या?” नंबर फोर कह उठा—“कमिश्‍नर पर उसका रहस्य खोल देने की क्या तुक हुई—लुक्का वाले मेकअप का लाभ उठाकर इंस्पेक्टर तेजस्वी को परखने का काम भी तो चीफ ने नंबर फाइव को सौंप रखा है?”
“ओह!” नंबर वन उछल पड़ा—“कहीं वह अपने इसी काम को तो अंजाम नहीं दे रहा है?”
“क्या मतलब?” थ्री ने पूछा।
“ये प्वाइंट जमा दोस्तों, बात में वजन है।” नंबर वन का पूरा चेहरा दमक उठा था—“जिन हालात में इस वक्त लुक्का का व्यक्तित्व घिरा है, इंस्पेक्टर तेजस्वी को परखने के लिए उससे आदर्श सिच्युएशन नहीं हो सकती—अगर मैं लुक्का होता तो सीधा जाकर तेजस्वी से मिलता—मुंहमांगी रिश्वत का लालच देता और योगेश की हत्या के जुर्म से खुद को बचाने की रिक्वेस्ट करता—मेरा ख्याल है नंबर फाइव इस वक्त यही सब कर रहा होगा—हमें पुलिस की नहीं, इंस्पेक्टर तेजस्वी की लोकेशन मालूम करनी चाहिए—वह इस वक्त कहां है, क्या कर रहा है—निश्चित रूप से नंबर फाइव उसके आसपास कहीं होगा।”
तभी, ट्रांसमीटर से निकलकर पुलिस वायरलैस पर सरसरा रही आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी—“हैलो … हैलो … लुक्का को रेलवे स्टेशन पर देखा गया है—शायद वह प्रतापगढ़ से भागने की कोशिश कर रहा है—फोर्स स्टेशन पहुंचे—मैं वहीं पहुंच रहा हूं … अगर कमिश्‍नर साहब मेरी आवाज सुन रहे हों तो वे भी स्टेशन पहुंचें … ओवर … स्टेशन पहुंचें … ओवर एण्ड ऑल।”
चारों के चेहरे पत्थर की तरह सख्त हो गए थे।
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