hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:25 PM,
#61
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“पांडुराम बोल रहा हूं सर।”
“बोलो।” दूसरी तरफ से थारूपल्ला की आवाज उभरी।
“मैंने अपना काम कर दिया है।”
“डिटेल?”
“उसे रात को दूध पीकर सोने की आदत थी, मैंने टेबलेट उसमें डाल दी।”
“वह बेहोश है?”
“अपने बैड पर पड़ा है।”
“ओ.के.।” कहने के साथ दूसरी तरफ से रिसीवर रखे जाने की आवाज उभरी—इधर पांडुराम संबंध-विच्छेद करने के बाद अभी जोर-जोर से धड़क रहे दिल पर काबू पाने की चेष्टा कर ही रहा था कि नजदीक खड़े तेजस्वी ने पूछा—“क्या वह आ रहा है?”
“केवल रिपोर्ट ले ली है, इस बारे में कुछ नहीं कहा।”
“आना तो पड़ेगा ही।” नंबर वन ने कहा—“बगैर आए तुम्हें यहां से कैसे ले जाया जाएगा?”
“जरूरी नहीं खुद आए।” कमिश्‍नर बोला—“किसी को भी भेज सकता है।”
“खुद आए या किसी को भेजे, इससे हमारी योजना पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।” नंबर टू ने कहा।
“करेक्ट।” तेजस्वी बोला।
नंबर थ्री ने कहा—“लेकिन जैसा हमारा अनुमान है कि वे लोग तुम्हें काली बस्ती ले जाएंगे, अगर वैसा न हुआ तो न केवल सारी योजना चौपट हो जाएगी बल्कि तुम्हारी जान भी खतरे में पड़ जाएगी इंस्पेक्टर।”
“ऐसे रिस्क उठाने के लिए मानसिक रूप से तैयार होकर ही मैंने इस योजना को कार्यान्वित करना शुरू किया है—वैसे भी, अब यह सब सोचने का वक्त निकल चुका है—जो ड्रामा हमने खुद शुरू किया है अब उसमें हरेक को केवल अपना पार्ट निभाना है—जब वे लोग यहां आएंगे तब मैं उन्हें बेहोश अवस्था में बैड पर पड़ा मिलूंगा और इस कमरे में केवल पांडुराम होगा—आप सब लोग तुरंत खिसक लें—याद रहे, पीछा आदि करके अथवा अन्य किसी भी तरीके से आप लोगों को यह जानने की कोशिश हरगिज नहीं करनी है कि वे मुझे कहां ले जा रहे हैं—अगर वे यह भांप गए कि मैं पुलिस प्लानिंग के तहत उनके साथ जा रहा हूं तो मेरी मौत के जिम्मेदार आप लोग होंगे।”
“नहीं।” सबने एक साथ कहा—“हम ऐसा काम नहीं करेंगे।”
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“होश तो नहीं आया इसे?”
चार ए.के. सैंतालीसधारियों का नेतृत्व करते पांचवें शख्स ने कहा—“नो सर।”
“आ भी नहीं सकता।” थारूपल्ला कामयाबी के नशे में चूर था—“जो टेबलेट इसके जिस्म में पहुंचाई गई है, वह तीन घंटे से पहले होश में नहीं आने देगी और होश में आने के बाद भी यह अपने हाथ-पैरों को स्वेच्छापूर्वक नहीं हिला सकेगा।”
पांचों ए.के. सैंतालीसधारी खामोश खड़े रहे।
“बहुत छकाया है कम्बख्त ने—इसके कारण सारे हफ्ते हमें निरंतर नाकामियों का मुंह देखना पड़ा—इसका कारण है कि ये मर न जाए।”
“महान ब्लैक स्टार की इच्छा के कारण नाकामियों का मुंह देखना पड़ा सर, वरना इसकी क्या बिसात थी कि हमारे हमलों को नाकाम कर पाता! अब आदेश दीजिए—हम प्रतापगढ़ से पुलिस का नामोनिशान मिटा देंगे।”
“मैं जरा ब्लैक स्टार को इस काम की सूचना दे दूं—शायद अब शीघ्र ही उनकी तरफ से ऐसा कोई आदेश मिलेगा, क्या तुम लोग इसकी तलाशी ले चुके हो?”
“जी हां, इस वक्त इसकी जेबें बिल्कुल खाली हैं।”
“गुड, तुम लोग जा सकते हो।” कहने के साथ थारूपल्ला मुड़ा और उस अलमारी की तरफ बढ़ गया जिसमें मौजूद ट्रांसमीटर पर ब्लैक स्टार से संबंध स्थापित किया करता था—उधर पांचों ए.के. सैंतालीसधारी कक्ष का दरवाजा पार करके बाहर गए, इधर तेजस्वी ने पलकों के कोने से कक्ष का दृश्य देखा।
थारूपल्ला इस वक्त अपनी पूरी वर्दी में था—उसकी तरफ पीठ किए ट्रांसमीटर पर ब्लैक स्टार से संबंध स्थापित करने की चेष्टा कर रहा था वह—तेजस्वी जिस पोज में पड़ा था, उसी में पड़े-पड़े कुछ इस तरह अपने घुटने मोड़े कि चींटी के रेंगने जितनी आवाज उत्पन्न न हो सकी।
जिस क्षण थारूपल्ला ट्रांसमीटर के माउथपीस पर ‘हैलो … हैलो’ चिल्ला रहा था, ठीक उसी क्षण तेजस्वी ने हाथ बढ़ाकर अपने बाएं जूते की एड़ी से एक छोटा-सा रिवॉल्वर निकालकर जेब में सरका लिया—जब तक थारूपल्ला को दूसरी तरफ से अपनी ‘हैलो … हैलो’ का जवाब मिलता, तब तक तेजस्वी दाएं जूते की एड़ी से एक टाइम बम निकालकर अपनी मुट्ठी में भींच चुका था। ब्लैक स्टार से संपर्क स्थापित होते ही थारूपल्ला ने कहा—“मैं बोल रहा हूं सर, ओवर।”
“क्या रिपोर्ट है?” ब्लैक स्टार की आवाज उभरी।
“आपकी बताई हुई योजना पूरी तरह कामयाब हुई सर, इस वक्त इंस्पेक्टर मेरे कक्ष में बेहोश पड़ा है।”
“मुकम्मल रिपोर्ट दो।”
इधर थारूपल्ला ने पांडुराम के पास टेबलेट पहुंचाने से लेकर बेहोश तेजस्वी के यहां तक पहुंचने की घटना को सविस्तार बताना शुरू किया, उधर तेजस्वी ने अपने नजदीक पड़े सोफे के नीचे टाइम बम फिक्स करना—थारूपल्ला की रिपोर्ट पूरी होने से बहुत पहले वह अपना काम निपटाकर पूर्ववत् बेहोश पड़ा नजर आ रहा था।
“गुड!” रिपोर्ट सुनने के बाद ब्लैक स्टार ने आदेश दिया—“तुम इसी वक्त उसे अपने हैलीकॉप्टर में डालकर जंगल पहुंचो, हम वहीं आ रहे हैं।”
“ओ.के. सर।”
“ओ.के.।” इन शब्दों के तुरंत बाद दूसरी तरफ से संबंध विच्छेद कर दिया गया—ट्रांसमीटर ऑफ करने और अलमारी बंद करने के बाद जब वह मुड़कर बेहोश पड़े नजर आ रहे तेजस्वी की तरफ बढ़ा तो चाल बता रही थी कि वह सफलता के मद में चूर था—गुस्से से भरे हल्के-फुल्के बोरे की तरह उठाकर उसने तेजस्वी को कंधे पर डाल दिया और लंबे-लंबे कदमों के साथ कक्ष से बाहर निकल गया।
इमारत के मुख्य द्वार पर तैनात ए.के. सैंतालीसधारी से उसने कहा—“ब्लैक स्टार के हुक्म पर मैं इसे उनसे मिलाने जंगल में ले जा रहा हूं।”
“हमारे लिए निर्देश?”
“मेरे लौटने का इंतजार करो।” कहने के बाद थारूपल्ला रुका नहीं बल्कि तेज कदमों के साथ लम्बे-चौड़े गोल मैदान की तरफ बढ़ गया—करीब बीस ए.के. सैंतालीसधारी हैलीकॉप्टर के चारों तरफ एक दायरा बनाए खड़े थे, थारूपल्ला ने उनके मुखिया से पूछा—“हैलीकॉप्टर ठीक है न?”
“एकदम ओ.के. सर।”
थारूपल्ला ने उसका पूरा वाक्य सुनने की चेष्टा नहीं की क्योंकि पहले ही से जानता था हैलीकॉप्टर ओ.के. है—‘बेहोश’ तेजस्वी को बगल वाली सीट पर बैठाकर वह स्वयं पायलट की सीट पर जा जमा और दस मिनट बाद हैलीकॉप्टर ऊपर उठता चला गया।
अभी वह काली बस्ती के ऊपर ही था कि—
‘धड़ाम!’
एक भयंकर विस्फोट ने सम्पूर्ण काली बस्ती को हिलाकर रख दिया।
थारूपल्ला ने चौंककर नीचे देखा और अपने दुमंजिले मकान को आग की लपटों में घिरा देखकर भौंचक्का रह गया—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि उन क्षणों में उसका अस्तित्व दिमागविहीन होकर रह गया था।
एक ही विस्फोट होकर रह जाता तब भी शायद जल्द ही काम करने लगता—मगर जब रह-रहकर निरंतर कर्णभेदी विस्फोट गूंजने लगे तो थारूपल्ला मानो पागल हो उठा—वह ध्वस्त होते अपने हैडक्वॉर्टर, वहां तैनात ए.के. सैंतालीस-धारियों की उछलती लाशों और बचे हुओं को जान बचाने की फिराक में इधर-उधर भागते अपनी आंखों से देख रहा था—यह बात जल्दी ही उसकी समझ में आ गई कि आग इमारत में मौजूद बारूद के भण्डार तक पहुंच गई है मगर यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब हुआ कैसे?
अपनी तबाही को देखने में वह कुछ ऐसा मगन हुआ कि फ्लाईंग की तरफ ध्यान ही न रहा।
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झावेरी नदी के एक किलोमीटर लंबे पुल के इस तरफ मौजूद कमिश्‍नर शांडियाल और एक से तीन नंबर तक के केन्द्रीय कमांडो दस्ते के कमांडोज पहले विस्फोट की आवाज सुनते ही उछल पड़े।
कमिश्‍नर के मुंह से निकला—“तेजस्वी ने अपना काम कर दिया है।”
“अब हमें भी अपना काम कर डालना चाहिए।” नंबर वन बोला।
फोर ने कहा—“पहले देख तो लें सब कुछ प्लानिंग के मुताबिक हुआ है या …”
मगर वह अपना वाक्य पूरा न कर सका—पुल के उस तरफ अर्थात काली बस्ती की तरफ से रह-रहकर विस्फोटों की आवाजें आने लगीं, टू ने कहा—“अब हमें देर नहीं करनी चाहिए।”
“ओ.के.।” कहने के साथ शांडियाल ने अपनी गाड़ी में लगे लाउडस्पीकर से संबंधित माइक उठाया, ऑन किया और चीखकर केवल एक ही शब्द कहा—“अटैक!”
प्रतिक्रिया स्वरूप जो हुआ, वह अपने आप बता गया कि सब कुछ पूर्वनिर्धारित था।
पुल के आसपास छुपे पचासों जवान टिड्ढी दल की मानिन्द हवा में सनसनाते नजर आए और पुल पर जा गिरे।
वातावरण धमाकों से दहल उठा।
जवानों ने पुल पर इस तरह हमला किया था जैसे दुश्मन की फौज हो—जबकि बेचारा पुल उनकी किसी हरकत का प्रतिरोध करता भी तो कैसे—अनेक हैण्डग्रेनेड बरबाद कर लिए गए और नेस्तनाबूद कर दिया गया झावेरी का वह एकमात्र पुल जो काली बस्ती को प्रतापगढ़ से जोड़ता था।
धमाके तभी ठण्डे पड़े जब पुल पूरी तरह ध्वस्त हो चुका।
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“हैलीकॉप्टर को संभालो बेटे।” तेजस्वी ने छोटा-सा रिवॉल्वर उसकी कनपटी पर रख दिया—“वर्ना तुम्हारा भी यही अंजाम होगा जो हैडक्वॉर्टर का हुआ है यानि टुकड़े- टुकड़े होकर बिखर जाओगे।”
थारूपल्ला हैरान!
हैलीकॉप्टर चालक की तवज्जो के अभाव में एक ऊंची पहाड़ी से टकराने के लिए लपका।
बौखलाए हुए थारूपल्ला को हुक्म का पालन करने के अलावा कुछ न सूझा—हाथ-पैरों ने बिजली की-सी गति से कार्य किया—हैलीकॉप्टर ऊपर उठता चला गया, तेजस्वी का तनावहीन स्वर—“गुड।”
“क-क्या ये सब तूने किया है?” थारूपल्ला मूर्खों की तरह दहाड़ उठा।
तेजस्वी ने जहरीली मुस्कराहट के साथ जवाब दिया—“यकीनन।”
“क-कैसे?”
“केवल एक टाइम बम के बूते पर।” तेजस्वी ने कहा—“मुझे मालूम था, तेरे कक्ष के ठीक नीचे वाले कमरे में बारूद का भंडार है—आग वहां पहुंचेगी और मुकम्मल हैडक्वॉर्टर खुद-ब-खुद स्वाहा हो जाएगा।”
“य-ये रहस्य कैसे मालूम था तुझे?” थारूपल्ला चकित रह गया।
“तू फिर भूल गया, तेजस्वी शतरंजी चालें चलने का हुनरमंद है।”
“क्या मतलब?”
“बारूद के भंडार का रहस्य मुझे उसने बताया था जिसके पास तू जाना चाहता है।”
“ब्लैक स्टार ने?”
“हां बेटे, मुझे मालूम है—यह जानने के बाद आश्चर्य की पराकाष्ठा के कारण तेरे दिमाग की नसें फट सकती हैं कि जो कुछ मैंने किया वह सब होगा, यह बात ब्लैक स्टार न केवल अच्छी तरह जानता था बल्कि दरअसल सब कुछ हुआ ही उसकी और मेरी संयुक्त योजना के मुताबिक है।” तेजस्वी कहता चला गया—“मेरे द्वारा प्रतापगढ़ में मौजूद ब्लैक फोर्स के ठिकानों पर सफल रेड, शुब्बाराव की मौत और पुलिस मुख्यालय पर तेरे द्वारा किए गए हमलों को नाकाम आदि करना सब ब्लैक स्टार की साजिश थी—उसने यह प्रचारित करके मुझे ‘अमर’ बना दिया कि वह मुझे अपने हाथों से सजा देने का ख्वाहिशमंद है।”
“बकवास कर रहा है तू!” थारूपल्ला हलक फाड़ उठा—“भला ब्लैक स्टार तेरे हाथों अपना सब कुछ तबाह क्यों कराएंगे?”
“एक बड़ा काम होना है, उसके लिए जरूरी है कि लोगों को ब्लैक फोर्स ध्वस्त होती नजर आए।”
“ऐसा क्या बड़ा काम है?”
“तुझे या शुब्बाराव को इस काबिल नहीं समझा गया कि उस बड़े काम की भनक भी तुम्हें लगे—इसीलिए शुब्बाराव मारा गया और कुछ देर बाद तू भी मारा जाने वाला है।”
“मैं तो क्या, तेरी इस बकवास पर ब्लैक फोर्स का प्यादा तक विश्वास नहीं कर सकता कि खुद ब्लैक स्टार तेरे जरिए अपने संगठन को इतना नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
“कितना नुकसान?” तेजस्वी मुस्कराया।
“तूने प्रतापगढ़ से हमें उखाड़ फेंका, मेरा हैडक्वॉर्टर ध्वस्त कर दिया—ब्लैक फोर्स के पचासों जवान और शुब्बाराव को भला खुद ब्लैक स्टार कैसे मरवा सकते हैं?”
तेजस्वी की मुस्कान गहरी हो गई, बोला—“अगर यह सब न किया जाता तो केन्द्रीय कमांडो दस्ते का काइयां चीफ मुझ पर किसी हालात में इतना विश्वास न करता कि मुझे वह काम सौंप देता जो मैं और ब्लैक स्टार चाहते हैं जबकि अब सौंपना पड़ेगा, क्योंकि तेरी तरह कोई भी कल्पना नहीं कर सकता कि खुद ब्लैक स्टार अपना इतना नुकसान कर लेगा जबकि गहराई से देखा जाये तो उतना नुकसान हुआ ही नहीं है जितना नजर आ रहा है—रही तेरी और शुब्बाराव की बात तो तुम दोनों ब्लैक स्टार की नजरों में बहुत अप्रासंगिक हो चुके थे।”
“तू कुछ भी कहे मगर मैं इस बकवास पर यकीन नहीं कर सकता—जाने यह सब मुझे सुनाकर तू कौन सी शतरंजी चाल चल रहा है मगर मैं … मैं तुझे इसी वक्त खत्म करके तेरी सभी शतरंजी चालों का खात्मा कर दूंगा—हम दोनों साथ मरेंगे हरामजादे, मुझे अपनी मौत का अफसोस नहीं, तेरे मरने की खुशी होगी—ले, मरने से पहले अपनी आंखों से अपनी मौत को देख।” कहने के साथ उसने हैलीकॉप्टर का रुख ऊंचे पहाड़ की चोटी की तरफ कर दिया।
हैलीकॉप्टर बाज की मानिन्द पहाड़ की तरफ झपटा।
तेजस्वी के संपूर्ण जिस्म में मौत की सिहरन दौड़ गई—थारूपल्ला के चेहरे पर मौजूद जुनून स्पष्ट बता रहा था कि वह दृढ़ निश्चय कर चुका है और इस वक्त अगर वह एक सैकेंड के लिए भी चूक गया तो बाजी हाथ से निकल जाएगी, अतः दांतों पर दांत जमाकर उसने ट्रिगर दबा दिया।
गोली थारूपल्ला के सिर के पार जा निकली।
इसके बावजूद वह तब तक हैलीकॉप्टर को दुर्घटनाग्रस्त करने हेतु प्रयत्नशील रहा जब तक रूह जिस्म में रही और थारूपल्ला को नाकाम करने में तेजस्वी को दांतों पसीना आ गया।
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12-31-2020, 12:25 PM,
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“तुम वाकई हैरतअंगेज पुलिसिए हो तेजस्वी।” मीटिंग शुरू होते ही केन्द्रीय कमांडो दस्ते का चीफ कहता चला गया—“ठीक एक हफ्ता पहले तुमने इसी स्थान पर बैठकर न केवल ब्लैक फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालने का दावा किया था बल्कि यह भी कहा था कि ऊपर वाले ने चाहा तो ट्रिपल जैड नामक शख्स इस दुनिया में नहीं रहेगा और वही हुआ, हमारी बधाई स्वीकार करो।”
तेजस्वी ने यह जानने का भरसक प्रयास किया कि ठक्कर के कथन को व्यंग्य में ले या यह समझे कि हृदय से उसकी प्रशंसा कर रहा है परंतु सफल न हो सका—हमेशा की तरह ठक्कर का चेहरा पूरी तरह सपाट था—काफी खोजने पर भी तेजस्वी को वहां कोई भाव नजर नहीं आया, ऐसी अवस्था में अपनी उलझन को छुपाने की खातिर बोला—“मुझे अकेले को श्रेय दिया जाना गलत होगा सर—फोर्स, कमिश्‍नर साहब और आपके कमांडोज का सहयोग अगर मेरे साथ न होता तो किसी हालत में इतनी बड़ी सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती थी।”
“सबसे ज्यादा श्रेय हम ब्लैक स्टार की कसम को देना चाहेंगे।”
“ज-जी?” तेजस्वी के संपूर्ण जिस्म में चींटियां रेंगने लगीं।
“हालांकि हम प्रतापगढ़ में थे नहीं मगर पल-पल की जो रिपोर्ट मिलती रही है उसके आधार पर हमारी पक्की धारणा है कि अगर ब्लैक स्टार ने तुम्हें अपने हाथ से सजा देने की मूर्खतापूर्ण कसम न खाई होती तो आज स्थिति उल्टी होती।”
शांडियाल को जाने क्यों ठक्कर की बात पसंद नहीं आई, चेहरे पर नागवारी के भाव लिए कहते चले गए—“महत्त्चपूर्ण ‘श्रेय’ नहीं ‘परिणाम’ है और परिणाम ये है कि हफ्ता भर पहले जो प्रतापगढ़ मुकम्मल तौर पर ब्लैक फोर्स के चंगुल में माना जाता था, आज उसी प्रतापगढ़ में चिराग लेकर ढूंढने पर भी ब्लैक फोर्स का नुमाइंदा नजर नहीं आएगा। थारूपल्ला तक मारा जा चुका है और काली बस्ती का संपर्क प्रतापगढ़ से ही नहीं बल्कि शेष सारी दुनिया से टूट चुका है।”
“इसमें कोई शक नहीं है सर।” मीटिंग में मौजूद नंबर वन ने कहा—“हम लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या काली बस्ती और वहां के हिंसक लोग थे—न उन्हें प्यार से समझाया जा सकता था और ताकत के बूते पर कुचल डालने के बारे में तो सोचना ही बेवकूफी थी—भले ही प्रतापगढ़ को हमने चाहे जितना ब्लैक फोर्स से मुक्त कर दिया था मगर काली बस्ती वाले किसी भी क्षण यहां हिंसक हमला कर सकते थे और मेरा दावा है, इस समस्या का जो निदान इंस्पेक्टर तेजस्वी ने सोचा, उसके अलावा दूसरा कोई निदान था ही नहीं।”
“निदान केवल सोचा ही नहीं गया बल्कि उसे कार्यान्वित भी किया गया सर।” नंबर टू ने कहा—“झावेरी का एक किलोमीटर लंबा एकमात्र पुल ध्वस्त हो जाने के कारण काली बस्ती के हिंसक लोग अब चाहकर भी प्रतापगढ़ में नहीं घुस सकते—बस्ती के एक तरफ झावेरी है और तीन तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की अनंत चली गई ऐसी श्रृंखला जिन्हें पार करने की कल्पना कोई मानव नहीं कर सकता—स्पष्ट है, झावेरी का एकमात्र पुल ध्वस्त करके काली बस्ती को वहां के हिंसक लोगों के लिए एक ऐसी जेल में तब्दील कर दिया गया है जिससे चींटी तक बाहरी मदद के बगैर बाहर नहीं निकल सकती।”
नंबर थ्री चीखा—“केवल थारूपल्ला था जो अपने हैलीकॉप्टर के जरिए न केवल काली बस्ती की सीमा को लांघ सकता था बल्कि अपने साथ कुछ और लोगों को भी बाहर ला सकता था, मगर उसका इंतजाम भी योजना में पहले ही कर लिया गया था—अपनी जान खतरे में डालकर इंस्पेक्टर तेजस्वी ने न केवल काली बस्ती वालों को नेतृत्चविहीन कर दिया, बल्कि उनका एकमात्र हैलीकॉप्टर भी इस वक्त हमारे कब्जे में है।”
“मेरे ख्याल से माननीय चिरंजीव कुमार के प्रतापगढ़ में आगमन हेतु इससे अधिक आदर्श स्थिति नहीं बन सकती थी।” कंधे पर बंधी पट्टी को सहलाते नंबर फोर ने कहा—“न आज यहां ब्लैक फोर्स का अस्तित्व है, न ही ट्रिपल जैड का, बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि चिरंजीव कुमार बगैर किसी सुरक्षा-व्यवस्था के चुनाव-प्रचार कर सकते हैं।”
“तो फिर ठीक है।” ठक्कर कह उठा—“चिरंजीव कुमार यहां कल आ रहे हैं—स्पेशल गार्ड्स तो उनके साथ होंगे ही, मगर याद रहे, सुरक्षा-व्यवस्था में हमें भी किसी किस्म की ढील नहीं आने देनी है।”
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“आइए सर।” जेल की कोठरी में दाखिल होते जेलर और कमिश्‍नर शांडियाल पर नजर पड़ते ही जुंगजू बने देशरेाज ने कहा—“मैं आप ही लोगों का इंतजार कर रहा था।”
“ब्लैक फोर्स का कोई मैसेज मिला?”
“मैसेज ऐसा है जिसे पढ़कर आप लोगों की बुद्धि चकरा जाएगी।”
“मतलब?”
“खुद पढ़ लीजिए।” कहने के साथ उसने जेब से एक पर्ची निकालकर उन्हें पकड़ा दी, बोला—“जब से मुझे ये पर्ची मिली है, तब से दिमाग भन्नाया हुआ है।”
“ऐसा क्या लिखा है इसमें?” जेलर ने पूछा
“आप ही पढ़ लीजिए।”
जेलर भी उस पर्ची पर झुक गया जो इस वक्त कमिश्‍नर साहब के हाथ में थी और इसमें कोई शक नहीं कि जो कुछ उसमें लिखा था, उसे पढ़कर जेलर का ही नहीं कमिश्‍नर साहब तक का दिमाग अंतरिक्ष में परवाज करने लगा था—उस एकमात्र वाक्य को दोनों ने बार-बार पढ़ा, लिखा था—
‘कल रात एक बजे तुम्हें खुद जेलर जेल से निकाल कर ले जाएगा।’
“म-मैं-मैं?” जेलर के हलक से चीख निकल गई—“मैं निकालकर ले जाऊंगा।”
“लिखा तो इसमें यही है।” कमिश्‍नर साहब ने कहा।
“बकवास!” जेलर लगभग दहाड़ उठा—“कोरी बकवास है ये—मैं अपने बच्चों की कसम खाकर कहता हूं, मेरा उनसे कोई संबंध नहीं है।”
“तो इस पर्ची का मतलब क्या हुआ?”
“म-मेरी समझ में तो एक ही मतलब आता है।” जेलर बुरी तरह बौखलाया हुआ था—“किसी तरह से उन पर हमारी साजिश का भेद खुल गया है और अब इस तरह वे मुझे आप लोगों की नजरों में संदिग्ध बना देना चाहते हैं।”
“अगर उन्होंने ऐसा सोचा है तो ये उनकी बेवकूफी है जेलर साहब!” कमिश्‍नर ने कहा—“क्योंकि हम बिना वजह आप पर कोई संदेह करने वाले नहीं हैं—दूसरे, इस बात की भी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है कि उन्हें हमारी साजिश के बारे में पता लग गया होगा।”
“तो फिर क्या मतलब है इस पर्ची का?”
“दूसरी तरफ वे झूठी अर्थात ऐसी पर्ची भी जुंगजू के पास नहीं भेज सकते जिस पर अमल न होता हो—यानि जो लिखा है, वह होगा भी।”
“जो सवाल आप लोगों को उलझाए हुए हैं वे उसी क्षण से मेरे दिमाग में घुमड़ रहे हैं जब से यह पर्ची मुझे मिली।” बेबस आवाज से पता लग पा रहा था कि कहने वाला जुंगजू नहीं देशराज है—“बहुत दिमाग घुमाने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि शायद ब्लैक फोर्स के लोग आपको यह काम करने के लिए मजबूर करने वाले हैं।”
“म-मतलब?” एक साथ दोनों के मुंह से निकला।
“संभव है कि वे आपको दबाव में लें।”
“कैसा दबाव?”
“वक्त से पहले उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।”
“गुड!” कमिश्‍नर साहब कह उठे—“एकमात्र इसी विचार पर यह पर्ची फिट बैठती है, निश्चित रूप से उनके दिमाग में आपको फंसाने की कोई योजना है।”
“मगर क्या?”
“उसमें दिमाग खपाने की जगह अगर हम यह फैसला करें तो ज्यादा बेहतर होगा कि वे जो भी दबाव डालें, थोड़ी बहुत आनाकानी के बाद आप उसे स्वीकार कर लें और वह करते चले जाएं जो वे कहें।”
“ल-लेकिन आखिर वे मुझ पर क्या दबाव डाल सकते हैं?” जेलर चकराया हुआ भी था और घबराया हुआ भी।
“इसकी कल्पना वक्त से पहले की जानी नामुमकिन है।” कमिश्‍नर साहब कहते चले गए—“और वक्त का तकाजा ये है कि उन्हें आप पर वह दबाव डालने का पूरा अवसर दिया जाए जो वे डालना चाहते हैं।”
“अर्थात?”
“नि‌िश्‍चंत रूप से वे लोग कल रात एक बजे से पहले आपसे संपर्क स्थापित करेंगे—आप वह सब करते चले जाएं जो वे कहें।”
“और यदि न करें तो?”
“रात के ठीक एक बजे हमें जेल रोड पर मिलिए।” कमिश्‍नर ने कहा—“लेकिन पैदल आइएगा, क्योंकि उस सड़क पर हमारे वाहन की मौजूदगी उन्हें बहुत कुछ सोचने पर विवश कर सकती है—हम भी पैदल पहुंचेंगे, अगर आप न पहुंचे तो हम समझ जाएंगे कि उन्होंने संपर्क स्थापित किया है और आप उनके दबाव में हैं।”
जेलर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
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12-31-2020, 12:25 PM,
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“हैलो … हैलो … व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर।” तेजस्वी अपनी रिस्टवॉच से छोटी सी कमानी बाहर निकाले जोर जोर से चीख रहा था—“व्हाइट स्टार … व्हाइट स्टार … ओवर।”
“यस … ब्लैक स्टार हीयर।” रिस्टवॉच से बहुत धीमा स्वर उभरा।
तेजस्वी ने कहा—“ठक्कर आ चुका है।”
“मीटिंग ली?”
“यस सर।”
“क्या रहा?”
“वह अब भी मुझ पर पूरा विश्वास नहीं कर पा रहा है—कह रहा था, यह सब ‘ब्लैक स्टार’ के द्वारा खाई गई कसम के कारण हो सका।”
“ओह!” चिंतित स्वर—“फिर?”
“चिंता न करें सर, इतना खतरा तो उठाना ही पड़ेगा।”
“चिरंजीव कब आ रहा है?”
“कल!”
“वैरी गुड।” ब्लैक स्टार की आवाज उभरी—“इधर तैयारियां कम्पलीट हैं।”
“जुंगजू के बारे में अभी तक कुछ नहीं सुना।”
“फिक्र मत करो, आज रात जुंगजू जेल से बाहर आ जाएगा—सुबह चार बजे वह मेरे पास होगा—उसके बाद तुम्हें केवल यह बताना है कि वह कब और कहां ‘एक्शन’ करे?”
“वह मैं सुरक्षा-व्यवस्था का भली-भांति अवलोकन करने के बाद बताऊंगा।”
“ठीक है।”
“ओ.के. सर।” कहने के साथ तेजस्वी ने कमानी रिस्टवॉच में सरका दी—उसकी इतनी सी हरकत से शक्तिशाली ट्रांसमीटर ऑफ हो चुका था—चेहरे पर नि‌िश्‍चंतता के भाव लिए उसने एक सिगरेट सुलगाई और पहला ही कश लिया था कि सोफे पर आराम से पसरे ट्रिपल जैड ने कहा—“काफी छोटा लेकिन शक्तिशाली ट्रांसमीटर है।”
“ये रिस्टवॉच उसने मुझे जंगल ही में दे दी थी और उसके बाद से इसी के जरिए हमारा संपर्क बना रहा—इसी संपर्क के कारण मैं लगातार ब्लैक फोर्स से हुई जंग जीतता रहा, जिसके लिए आज चारों तरफ जय-जयकार हो रही है।”
“लेकिन अगर वह रिपोर्ट सही है जो तुमने अभी-अभी ब्लैक स्टार को दी, तो जाहिर है, ठक्कर तुम पर अभी तक विश्वास नहीं कर पा रहा है—इस अवस्था में आगे का काम काफी मुश्किल हो जाएगा।”
“हर काम मुश्किल होता है ट्रिपल जैड—मेरे द्वारा किए गए अब तक के काम क्या कम मुश्किल थे—अकेले ठक्कर के शंकित रहने से क्या फर्क पड़ता है—आज उसके चारों प्यादे, खुद कमिश्‍नर और प्रतापगढ़ का बच्चा-बच्चा ये मानता है कि मैंने ट्रिपल जैड को मार डाला, ब्लैक फोर्स को नेस्तनाबूद कर दिया, जबकि न ब्लैक फोर्स का कुछ खास बिगड़ा है और तुम तो सामने विराजमान हो ही—ठक्कर शंकाएं भले ही करता रहे मगर मेरा दावा है, न वह ब्लैक फोर्स से हुई मेरी जंग को ब्लैक स्टार से मिलकर लड़ी गई साबित कर सकता है, न ही यह कि हमने ट्रिपल जैड की लाश के रूप में उसे एक ऐसे शख्स की लाश परोस दी जिसे तुम्हारे देश से यहां केवल भेजा ही इन निर्देशों के साथ गया था कि उसे एक विशेष लिबास पहनकर दुश्मन की गोलियों द्वारा मर जाना है—अगर चिदम्बरम आत्महत्या न कर लेता तो वह चिदम्बरम को मार डालता—योजना के मुताबिक उसे न चिदम्बरम को जीवित अवस्था में दुश्मन के हाथ लगने देना था न खुद को।”
“और नंबर फाइव का रिवॉल्वर उसकी जेब से बरामद दिखाकर तुमने उसकी हत्या का इल्जाम भी हमेशा के लिए ‘ट्रिपल जैड’ के सिर मढ़ दिया।”
“क्या ये सारे काम आसान थे?” तेजस्वी ने पूछा।
“आसान तो खैर नहीं थे—मगर इन सबको तुमने इस ढंग से अंजाम दिया जैसे कुछ थे ही नहीं।”
“जब असली काम हो जाएगा तब वह भी ऐसा ही लगेगा जैसे कुछ था ही नहीं।” तेजस्वी के होंठों पर गर्वीली मुस्कान नृत्य कर रही थी—“मेरे काम करने की शैली ही ऐसी है—बड़े से बड़ा काम खुद को कम से कम खतरे में डालकर कर डालना मेरी खूबी है—अब देखो न, मैंने खुद को जरा भी खतरे में डाले बगैर लोगों की नजरों में उस ब्लैक फोर्स को ध्वस्त कर डाला जिसे छूने तक का स्वप्न कोई नहीं देख सकता—ठीक उसी तरह तुम देखोगे, ठक्कर मेरा बाल तक बांका नहीं कर पाएगा और चिरंजीव कुमार की लाश उसकी आंखों के सामने पड़ी होगी।”
“ऊपर वाला तुम्हें कामयाबी दे।”
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काले रंग की एम्बेसडर ने जेल का पूरा एक राउण्ड मारा, अंत में उस कोठरी के बाहर जाकर रुक गई जिसमें जेलर के मुताबिक देशराज और जेलर के साथ आए एक ए.के. सैंतालीसधारी के मुताबिक जुंगजू था—ए.के. सैंतालीसधारी पिछली और अगली सीटों के बीच छुपा हुआ था ताकि जेल स्टाफ का कोई अन्य सदस्य यह न ताड़ सके कि गाड़ी में जेलर के अतिरिक्त कोई है।
जेलर आहिस्ता से दरवाजा खोलकर बाहर निकला।
हालांकि वह बार-बार अपने दिल को यह समझाने का प्रयत्न कर रहा था कि वह कोई क्राइम नहीं कर रहा है बल्कि उसी स्कीम को अंजाम दे रहा है जो खुद कमिश्‍नर और देशराज ने बनाई थी मगर फिर भी, जाने क्यों दिल जोर-जोर से धड़क रहा था—सारा जिस्म पसीने से यूं सराबोर था जैसे क्राइम करने जा रहा हो।
ए.के. सैंतालीसधारी गाड़ी में रह गया था।
जेलर कोठरी का लॉक खोलकर अंदर पहुंचा।
अंधेरे में हथकड़ी और बेड़ियों की खड़खड़ाहट गूंजी, साथ ही जुंगजू की आवाज—“कौन है?”
देशराज ने आवाज की इतनी परफैक्ट नकल की थी कि एक बार को जेलर को लगा, कहीं कोठरी में किसी तरह वापस आकर जुंगजू ही तो बंद नहीं हो गया है—फिर, मन- ही-मन उसे अपने बेवकूफाना ख्याल पर अफसोस हुआ, जेब से टॉर्च निकालकर ऑन करता हुआ बोला—“हम हैं देशराज!”
“द-देशराज … कौन देशराज?” मानो जुंगजू ही गुर्राया हो।
“घबराओ नहीं देशराज।” जेलर ने प्रकाश दायरा उसके चेहरे पर टिकाए कहा—“यहां हम अकेले हैं।”
अब देशराज को खुलने में बुराई नजर नहीं आई, आंखों के आगे हाथ अड़ाकर चौंध से बचने का प्रयास करता बोला—“क्या सचमुच आप ही मुझे जेल से निकालने आए हैं?”
“हमारा सारा परिवार बंधक बना हुआ है, उनमें से एक बाहर मेरी गाड़ी में मौजूद है और तीन घर पर हैं।”
“ओह!” देशराज सब कुछ समझ गया, बोला—“उनकी इस हरकत से कम से कम एक बात तो दृढ़ता के साथ सिद्ध हो गई—यह कि हमारी स्कीम की उन्हें दूर-दूर तक भनक नहीं है—अब देर मत कीजिए जेलर साहब, उनकी नजर में अपने परिवार को बचाने की खातिर जल्द-से-जल्द मेरी हथकड़ी और बेड़ियां खोलिए।”
जेलर ने ऐसा ही किया।
देशराज के साथ बाहर आकर उसने कोठरी पुनः लॉक की—उधर अगला दरवाजा खोलकर जेलर ड्राइविंग सीट पर बैठा, इधर पिछला दरवाजा खोलकर गाड़ी में समाते देशराज ने जुंगजू की आवाज में कहा—“क्या शानदार योजना बनाई है ब्लैक स्टार ने, खुद जेलर साहब मुझे अपने साथ ले जा रहे हैं …।”
जेलर ने चुपचाप गाड़ी आगे बढ़ा दी।
ए.के. सैंतालीसधारी ने कहा—“मेरी तरह दोनों सीटों के बीच छुप जाओ जुंगजू।”
“तू कौन है बे?”
“तुम्हारा दोस्त, ब्लैक फोर्स का अदना-सा मैम्बर।”
“ओह, थैंक्यू दोस्त!” कहने के साथ वह भी दोनों सीटों के बीच घुसड़ गया।
न किसी प्रकार की कोई दिक्कत आनी थी, न आई—यहां तक कि गाड़ी आराम से जेल का फाटक पार करके सड़क पर आ गई—अब जेलर ने रफ्तार बढ़ा दी थी—जल्द-से-जल्द कोठी पर पहुंच जाना चाहता था वह।
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“जल्दी करो!” ठक्कर ने हैडलाइट पर नजरें टिकाए कहा—“जेलर की गाड़ी आ रही है।”
नंबर वन, टू और थ्री के जिस्मों में मानो बिजली भरी हुई थी—वे सड़क पर टाट की एक ऐसी पट्टी बिछाने में मशगूल थे जिसमें जगह-जगह बड़ी-बड़ी कीलें लगी हुई थीं—पट्टी को इस ढंग से सड़क पर बिछा रहे थे कि कीलों के नोकीले सिरे आसमान की तरफ घूरते रहें।
ठक्कर निरंतर नजदीक आ रही हैडलाइट्स पर नजरें टिकाए उत्तेजित अवस्था में चीखा—“हमारे पास अब केवल आधा मिनट है—उससे ज्यादा देर सड़क पर रहे तो हैडलाइट्स की हद में आ जाएंगे।”
“काम हो गया सर।” नंबर वन ने बेशुमार कीलयुक्त टाट की पट्टी सड़क पर बिछाने के बाद कहा और साथ ही सड़क के दाईं तरफ जम्प लगा दी—नंबर थ्री उसके पीछे लपका, जबकि ठक्कर और टू सड़क के बाईं तरफ को दौड़े।
वन और थ्री दो पेड़ों की आड़ में जा छुपे, हाथों में रिवॉल्वर नजर आने लगे थे।
ठक्कर और टू ने झाड़ियों के बीच छुपी मारुति जिप्सी की बैक में शरण ली—लिखने की आवश्यकता नहीं है कि उन दोनों के हाथों में भी रिवॉल्वर नजर आने लगे थे—आंखें नजदीक आती जा रहीं हैडलाइट्स पर स्थिर थीं।
पट्टी के नजदीक आते-आते सड़क पर तेजी से दौड़ रही एम्बेसडर के ब्रेक जोर से चरमराए, टायरों की चीख-चिल्लाहट रात के सन्नाटे को दूर तक बेधती चली गई—नजदीक पहुंचते-पहुंचते शायद जेलर की नजर पट्टी पर पड़ गई थी मगर पूरी ताकत से ब्रेक लगाए जाने के बावजूद गाड़ी को पट्टी से पहले न रोका जा सका।
चारों टायरों में कीलें धंस गईं।
हिचकोले खाती एम्बेसडर को रुकना पड़ा।
“क्या हुआ?” गाड़ी से निकलकर यह आवाज ठक्कर, नंबर वन, टू और थ्री के कानों तक पहुंची।
ड्राइविंग सीट से कहा गया—“पंक्चर।”
“इस खटारा गाड़ी के टायर कितने पुराने हैं जेलर?” कोई गुर्राया।
“टायरों का दोष नहीं है।”
“फिर?”
“सड़क पर ढेर सारी कीलें पड़ी थीं, वे शायद टायरों में धंस गई हैं।”
अचानक कार के अंदर मौजूद किसी ने गुर्राकर कहा—“नीचे उतरकर देख जेलर के बच्चे, आखिर हुआ क्या है—याद रख, अगर तू कोई चाल चलने की कोशिश कर रहा है तो वहां हमारे साथी तेरे सारे परिवार को खलास कर देंगे।”
“म-मैं सच कह रहा हूं।” जेलर गिड़गिड़ा उठा—“मैंने कोई चालाकी नहीं की।”
“तो सड़क पर कीलें कहां से आ गईं?”
एक अन्य स्वर—“किसी को क्या मालूम कि इस वक्त तू जेल से किसी कैदी को लेकर निकलेगा?”
“म-मैं कुछ नहीं जानता …?”
“गाड़ी से बाहर निकलकर देख, आखिर माजरा क्या है?”
ड्राइविंग डोर खुला—एक साया सड़क पर नजर आया।
ठक्कर ने कोहनियों के बल सड़क की तरफ रेंगना शुरू कर दिया—नंबर टू ने भी उसका अनुसरण किया—उधर हाथ में ऑन टॉर्च लिए जेलर कभी टायरों में धंसी कीलों को देख रहा था, कभी कीलयुक्त पट्टी को।
“क्या मामला है?” कार के अंदर से पूछा गया।
“कुछ समझ में नहीं आ रहा …।”
“ये जेलर का बच्चा दिमाग से पैदल मालूम पड़ता है!” इन दोनों के साथ पहले एम्बेसडर का पिछला वाला दायां गेट खुला, फिर बायां—एक साथ दो साए सड़क पर नजर आए।
रेंगने की रफ्तार तेज करता ठक्कर फुसफुसाया—“याद रखना, हमें इनमें से किसी को मारना नहीं है—जीवित गिरफ्तार करना है सबको।”
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12-31-2020, 12:25 PM,
#64
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
कमिश्‍नर शांडियाल जैसी दुविधा का शिकार इस वक्त था वैसी दुविधा में पहले कभी नहीं फंसा था।
“क्या करे वह?”
जो हो रहा था, उसे मालूम था अगर वो हो गया तो उसकी, जेलर की और इंस्पेक्टर देशराज की अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा—इस दृष्टिकोण से उसे ठक्कर को रोकना चाहिए था, मगर दो कारणों से ऐसा नहीं कर सकता था—पहला, वह ठक्कर पर यह भेद नहीं खोलना चाहता था कि कैदी जुंगजू नहीं देशराज है—दूसरा, ब्लैक फोर्स के एक सदस्य की मौजूदगी में यह भेद खोलना अपने आप सारे प्लान को चौपट कर डालना था।
उसे गुस्सा आ रहा था तो केवल इस बात पर कि उनके प्लान के बीच ठक्कर क्यों पड़ा?
सड़क पर मौजूद जेलर, ए.के. सैंतालीसधारी और जुंगजू बना देशराज अभी कीलयुक्त पट्टी का अर्थ समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि अचानक सड़क के दाएं-बाएं से जिन्न की मानिन्द चार साए प्रकट होकर उन तीनों के सिरों पर सवार हो गए, वातावरण में आवाज गूंजी—“हैन्ड्स अप!”
पेड़ पर मौजूद शांडियाल जानता था कि वह आवाज ठक्कर की है।
नंबर वन ने ब्लैक फोर्स के आदमी को संभलने का मौका दिए बगैर उसकी ए.के. सैंतालीस झपट ली—वे तीनों अचानक अपने सिर पर सवार हो गई मुसीबत को पहचान भी नहीं पाए थे कि ठक्कर पुनः गुर्राया—“अगर जरा भी हरकत की तो भून दिए जाओगे!”
“तुम कौन हो और क्या चाहते हो?” हड़बड़ाए हुए जेलर ने हाथ ऊपर उठाते हुए पूछा।
“जब लोग सुनेंगे कि जेलर अपनी गाड़ी में बैठाकर एक खूंखार कैदी को फरार करने का प्रयास कर रहा था तो खुद- ब-खुद मालूम हो जाएगा हम कौन हैं?” ठक्कर एक-एक शब्द को दांतों से कुचल रहा था—“और फिलहाल चाहते केवल ये हैं कि आप लोग आगे का सफर हमारी गाड़ी से करें, तुम्हारी गाड़ी बेकार हो चुकी है।”
देशराज गुर्रा उठा—“तुम शायद जानते नहीं हरामजादों, हम ब्लैक फोर्स के लोग हैं।”
“और हमें केन्द्रीय कमांडो दस्ते के लोग कहा जाता है।”
ठक्कर हंसा।
पेड़ पर चढ़ा बैठा शांडियाल कुढ़ता रहा जबकि ठक्कर और उसके साथी तीनों को कवर किए झाड़ियों के बीच छुपी मारुति जिप्सी की तरफ बढ़ गए—अभी सड़क पार करके उन्होंने कच्चे में कदम रखे ही थे कि शांडियाल के जहन में बिजली सी कौंधी—एक तरकीब सूझी थी उसे—ऐसी, जिसे बेहतरीन तो नहीं कहा जा सकता था मगर परिस्थितियों के मुताबिक आवश्यक जरूर थी—या शायद अपनी योजना पर पानी फिरते देख न सका वह और चीख पड़ा—“ठहरो मिस्टर ठक्कर!”
सब सकपका गए।
ठिठके।
अभी किसी की समझ में यह तक नहीं आया था कि आवाज किस दिशा से आई—जबकि ठक्कर शांडियाल की आवाज को बखूबी पहचान चुका था, बोला—“ये कमिश्‍नर साहब की आवाज है …।”
“हां!” शांडियाल चिल्लाया—“मैं ही हूं।”
कमिश्‍नर साहब पेड़ से सीधे जमीन पर कूदे। उनके हाथ में रिवॉल्वर था, उनकी तरफ बढ़ते हुए बोले—“तुम पुलिस के सारे प्लान को चौपट किए दे रहे हो ठक्कर!”
“य-ये आप क्या बेवकूफी कर रहे हैं कमिश्‍नर साहब?” जेलर चीख पड़ा।
“ठक्कर ने यह बेवकूफी करने पर हमें विवश कर दिया है।”
“ल-लेकिन …!” जेलर ने बौखलाकर ब्लैक फोर्स के आदमी की तरफ देखा।
ठक्कर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, बोला—“पुलिस का प्लान … मैं कुछ समझा नहीं, आप और जेलर मुझे एक ही फिराक में नजर आ रहे हैं।”
“ये कैदी असली जुंगजू नहीं बल्कि उसके रूप में पुलिस का आदमी है।”
“क-क्या मतलब?” ठक्कर चिहुंक उठा।
“हम लोग जुंगजू के भेष में उनके बीच अपना आदमी भेज रहे थे—तुमने बीच में टपककर सारा गुड़ गोबर कर दिया।”
“ओह!” ठक्कर का स्वर बता रहा था कि उसकी समझ में सब कुछ आ गया है, ब्लैक फोर्स के आदमी की तरफ पलटकर बोला वह—“ल-लेकिन यह भेद आपने इसके सामने …।”
“हमें मजबूर कर दिया तुमने—जो किया है, अगर वह न करते तो क्या पेड़ पर काठ के उल्लू की तरह बैठे अपनी योजना को रसातल में मिलते देखते रहते? तुम इन सबको गिरफ्तार करके ले जा रहे थे …।”
“ल-लेकिन अब ब्लैक फोर्स के इस मैम्बर की जानकारी में यह आ जाने से भी तो योजना चौपट हो गई कि जिसे वह जुंगजू समझ रहा था, वह पुलिस का आदमी है?”
“इसी खौफ के कारण तो इतनी देर से पेड़ पर मिट्टी के माधो बने बैठे थे, मगर फिर दिमाग में एक तरकीब आई।”
“क्या?”
“ब्लैक फोर्स के इस आदमी को मार दिया जाए …।”
हालांकि सबके दिमाग में ख्याल उभरा—“इससे क्या होगा? मगर ठक्कर के दिमाग में यह सवाल नहीं उभरा क्योंकि वह समझ चुका था कमिश्‍नर साहब क्या चाहते हैं, उसके मुंह से एक ही शब्द निकला—“गुड!”
इधर ब्लैक फोर्स का मेम्बर समझ चुका था उसकी मौत निश्चित है—मौत से डरता नहीं था वह मगर दिमाग में विचार उभरा—‘अगर मैं न रहा तो ब्लैक स्टार को यह बताने वाला कोई न होगा कि जुंगजू के भेष में असल में पुलिसिया है …।’ इसी विचार के वशीभूत वह जान बचाने की खातिर एक तरफ को भागा।
मगर।
‘धांय … धांय!’ कमिश्‍नर के रिवॉल्वर ने दो शोले उगले।
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जेलर का सारा परिवार एक बैड पर रस्सियों से जकड़ा पड़ा था—मुंहों पर टेप चिपके हुए थे और तीन ए.के. सैंतालीसधारी बैड के तीन तरफ कुर्सियां डाले आराम से बैठे थे।
अचानक गैलरी में भागते कदमों की आवाज उभरी।
तीनों सतर्क हो गए।
भागते हुए जेलर और जुंगजू कमरे में प्रविष्ट हुए—उन पर नजर पड़ते ही तीनों एक साथ कुर्सियों से उछलकर खड़े हो गए।
दोनों धूल से अटे पड़े थे—कपड़े जगह-जगह से फटे हुए—जिस्म के विभिन्न हिस्सों से खून बह रहा था—बुरी मुसीबत से दो-चार होने के बाद यहां पहुंचे हैं।
“क-क्या हुआ?” उनमें से एक ने पूछा।
“स्पेशल कमांडो दस्ते के लोग थे वे …।” जेलर कह उठा—“वे न जाने कम्बख्त कहां से टपक पड़े—जेल रोड पर उन्होंने हमें घेर लिया, गाड़ी के चारों टायरों में कीलें धंसा दीं। बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागे हैं …।”
“हमारा साथी कहां है?”
“वह मारा गया।”
“म-मारा गया?” तीनों एक साथ चिहुंक उठे—“कैसे?”
“कमांडो दस्ते की चीफ की गोली लगी थी उसे—डिटेल बताने का वक्त नहीं है—उन्होंने जेलर को पहचान लिया था, मुमकिन है सीधे यहां आयें …।” हड़बड़ाया सा जुंगजू एक ही सांस में कहता चला गया—“वे यहां पहुंच गए तो बचकर निकलना मुश्किल हो जाएगा।”
“ल-लेकिन कमांडोज को हमारे मिशन की भनक कैसे लग गई?”
“सनसनाती गोलियों के बीच क्या मैं उनसे ये पूछता?”
ब्लैक फोर्स के तीनों मैम्बर अभी हकबकाई अवस्था में ही थे कि जेलर ने कहा—“बरबाद तो मैं हो ही चुका हूं—जान पर खेलकर जुंगजू को यहां तक इसलिए लाया ताकि अपने परिवार को बचा सकूं—मैंने अपनी ड्यूटी निभा दी है—अब अगर इसे यहां कुछ हो जाए तो मेरी जिम्मेदारी नहीं है, मेरे परिवार के किसी मैम्बर को हाथ तक नहीं लगाओगे तुम लोग।”
“चलो!” उनमें से एक ने जुंगजू का हाथ पकड़कर दरवाजे की तरफ जम्प लगा दी—बाकी दोनों भी उसके पीछे लपके—सबके निकलते ही जेलर ने झपटकर बैडरूम के दरवाजे की चटखनी अंदर से चढ़ा दी—वापस आकर धम्म से सोफे पर गिरा और बुरी तरह हांफने लगा।
अभी वह अपनी उखड़ी सांसों को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाया था कि कोठी के बाहर से फायरिंग की आवाज सुनकर उछल पड़ा, लपककर बैड के चारों तरफ बंधी रस्सी को खोलता हुआ बोला—“फिक्र मत करो, कमांडोज उन्हें रोकने का नाटक कर रहे हैं—सिर्फ नाटक … ताकि हम पर हमले की कहानी सच्ची साबित की जा सके—वास्तव में वे ब्लैक फोर्स के लोगों को रोकने में इन्ट्रेस्टिड नहीं हैं …।”
परिवार का हर सदस्य उनकी तरफ ऐसी नजरों से देखने लगा जैसे पागल हो गया समझ रहा हो।
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12-31-2020, 12:25 PM,
#65
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
देशराज को जिस कक्ष में बैठाया गया, वह किसी फाइव स्टार होटल के ‘ए.सी. सुइट’ से कम न था—शानदार डबल बैड, कीमती वैलवेट चढ़े सोफे, शीशे के टॉप वाली सेन्टर टेबल, एक कोने में वी.सी.आर. सहित कलर टी.वी., दूसरे में छोटा सा रेफ्रीजरेटर और फर्श पर बिछा ईरानी कालीन देखकर उसकी आंखें हैरत से फटी रह गईं—हैरत का मुख्य कारण इस स्थान का उस जंगल के नीचे होना था जिसके चारों तरफ मीलों तक पहाड़ ही पहाड़ थे—उस वक्त वह सोफे पर पसरा सिगरेट फूंक रहा था जब एकाएक कक्ष का दरवाजा खुला, साथ ही आवाज गूंजी—“हैलो जुंगजू!”
“ह-हैलो सर!” हड़बड़ाकर वह सिगरेट को ऐशट्रे में कुचलता हुआ खड़ा हो गया।
आंखें उन आंखों से जा मिलीं, जिन्हें निःसंदेह दुनिया की सबसे विचित्र आंखें कहा जा सकता था—आंख का जो तारा काला होना चाहिए वह गंदला था—गोल चेहरे, घने बालों, मोटी मूंछों और सामान्य जिस्म वाले सांवले रंग के उस शख्स में जाने ऐसा क्या था कि देशराज का दिल बेवजह धाड़-धाड़ करके बजने लगा। उसने आकर्षक चाल के साथ सोफे की तरफ बढ़ते हुए पूछा—“कैसे हो?”
“ठ-ठीक हूं सर!” देशराज के लहजे में खुद-ब-खुद हकलाहट उत्पन्न हो गई।
“बैठो!” स्वयं एक सोफे पर बैठते हुए ब्लैक स्टार ने कहा।
“थैंक्यू!” कहने के साथ सकुचाता-सा देशराज सोफे के कोने पर बैठ गया।
“यहां तुम्हें किसी खास काम के कारण लाया गया है।”
“खुशनसीब हूं जो आपको मेरी याद आई।”
“चिरंजीव कुमार को जानते हो?”
“ज-जी!” वह बोला—“उसे भला कौन नहीं जानता!”
“लाखों की भीड़ के बीच तुम्हें उसका मर्डर करना है।”
ठीक जुंगजू के से अंदाज में कहा उसने—“हो जाएगा।”
“निशाना चूक जाने का अन्जाम तो जानते होगे?”
“मेरी मौत!” सपाट स्वर—“मगर आपको मालूम है सर, जुंगजू उससे नहीं डरता।”
“बेवकूफ हो तुम!” ब्लैक स्टार गुर्राया—“तुम्हें अपनी मौत से नहीं, चिरंजीव कुमार की जिन्दगी से डरना चाहिए—हमारा इशारा इस तरफ था कि तुम्हारे हमले के बाद वह बचना नहीं चाहिए।”
“नहीं बचेगा सर!”
“फिर भी लगातार प्रैक्टिस करते रहोगे—‘स्पॉट’ पर तुम्हारा एक मददगार भी मौजूद रहेगा—कार्यवाही तब तक नहीं होगी जब तक उसकी तरफ से ग्रीन सिग्नल नहीं मिल जाता बल्कि पूरा प्लान भेजेगा वह, काम उसी प्लान के मुताबिक होना है।”
“ओ.के. सर!”
ब्लैक स्टार ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि दाएं हाथ में बंधी रिस्टवॉच से पिक … पिक की बारीक आवाज निकलने लगी।
देशराज की नजरें उस पर स्थिर हो गईं।
ब्लैक स्टार ने रिस्टवॉच से छोटी-सी कमानी बाहर खींची—एक बारीक आवाज उससे निकलकर सारे कमरे में गूंजने लगी—“व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर … व्हाइट स्टार!”
“यस!” ब्लैक स्टार ने अपने विशिष्ट अंदाज में कहा।
“ये मैं क्या सुन रहा हूं सर, जेल रोड पर जुंगजू को लेने गए लोगों का ठक्कर से टकराव हुआ?”
“ठीक सुन रहे हो।”
“ठक्कर वहां कैसे पहुंच गया?”
“सुना है मुठभेड़ में हमारा एक आदमी मारा गया …।”
“यह कोई खास बात नहीं है—जुंगजू तो आपके पास पहुंच गया होगा?”
“यहां की फिक्र छोड़कर तुम अपने मोर्चे पर ध्यान केन्द्रित करो व्हाइट स्टार।” स्वर रूखा था—“बेवजह बातें करते रहना हमें पसंद नहीं।”
“स-सॉरी सर, उत्सुकतावश संपर्क स्थापित कर लिया।”
“और कुछ?”
“चिरंजीव कुमार कल सुबह दस बजे पहुंच रहा है—सुरक्षा व्यवस्था का अवलोकन करने के बाद प्लान से सूचित करूंगा।”
“कोई जल्दी नहीं है, चिरंजीव यहां तीन दिन रहेगा … ओवर एण्ड ऑल।” कहने के तुरंत बाद ब्लैक स्टार ने अपनी तरफ से संबंधविच्छेद कर दिया—चेहरे पर मौजूद भावों से स्पष्ट था कि जो बातें ट्रांसमीटर पर हुईं , केवल उनके लिए ‘व्हाइट स्टार’ द्वारा संपर्क स्थापित किया जाना उसे पसंद नहीं आया, एकाएक सोफे से खड़ा होता हुआ बोला—“फिलहाल तुम फ्रेश हो सकते हो जुंगजू, तीन घंटे के आराम के बाद प्रैक्टिस में जुट जाना होगा।”
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सुबह सात बजे बुलाई गई मीटिंग ठक्कर के इस वाक्य के साथ शुरू हुई—“जहां हम सबका ख्याल यह था कि स्टार फोर्स में अब इतना दम-खम बाकी नहीं रह गया है कि वह चिरंजीव कुमार का मर्डर करने का ख्याल दिमाग में ला सके, वहीं रात की वारदात ने हम सबकी धारणायें धूल-धूसरित करके यह सिद्ध कर दिया कि ब्लैक फोर्स न केवल चिरंजीव कुमार के मर्डर की बात सोच रही है—बल्कि सोची-समझी योजना पर कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है। एक ताजा सूचना हमारे पास ये है कि ब्लैक स्टार ने ‘ऑपरेशन चिरंजीव कुमार’ को पूरा करने का दायित्व जिस शख्स को सौंपा है, उसका छद्म नाम ‘व्हाइट स्टार’ रखा गया है।”
“व-व्हाइट स्टार!” सभी के मुंह से यह शब्द फिसलकर रह गया जबकि तेजस्वी के संपूर्ण जिस्म में सनसनी दौड़ गई थी।
कमिश्‍नर शांडियाल कह रहे थे—“ताजा इन्फॉरमेशन्स के मुताबिक, जुंगजू जंगल में स्थित ब्लैक स्टार के हैडक्वॉर्टर पर पहुंच चुका है—यह इन्फॉरमेशन भी मिली है कि वह लाखों की भीड़ के बीच चिरंजीव कुमार को निशाना बनाने की कोशिश करेगा।”
“इससे भी ज्यादा चिंतित कर डालने वाली इन्फॉरमेशन ये है कि स्पॉट पर जुंगजू का एक और मददगार मौजूद रहेगा।” यह बात ठक्कर ने कही।
उनके एक-एक शब्द को मीटिंग में मौजूद लोग मुंह बाए सुन रहे थे—हालांकि चेहरे से तो तेजस्वी भी उन्हीं की-सी अवस्था में नजर आ रहा था, परंतु वास्तव में उसकी हवाइयां उड़ी हुई थीं।
ठक्कर और कमिश्‍नर के बीच कोई अलग ही खिचड़ी पकती महसूस हो रही थी उसे।
आधी सूचना एक के मुंह से निकल रही थी, आधी दूसरे के।
सूचना भी वो जो हंडरेड परसैन्ट सही थी—इसमें शक नहीं कि तेजस्वी को अपना दिमाग अंतरिक्ष में धक्के खाता महसूस हो रहा था—यह बात उसकी समझ में न आकर दे रही थी कि इतनी ‘परफैक्ट इन्फॉरमेशन्स’ उनके पास कहां से हैं—एस.पी. सिटी के शब्दों ने उसकी तन्द्रा भंग की, उसने कमिश्‍नर और ठक्कर से सवाल किया था—“क्या जुंगजू के मददगार के बारे में भी कोई सूचना है?”
“अभी इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिल पाई है।”
“हमला कौन सी सभा में होने की उम्मीद है?” अपने सन्नाते दिमाग को काबू में लाकर तेजस्वी ने पूछा।
जवाब ठक्कर ने दिया—“आशा है हमला होने से पूर्व यह सूचना भी मिल जाएगी।”
“तब तो जुंगजू और उसके साथी क्या सफल होंगे?” नए डी.आई.जी. महोदय खुश थे।
“नहीं।” ठक्कर ने कहा—“ऐसा सोचकर हम लोग लापरवाह नहीं हो सकते—यह ठीक है इस वक्त हमारी ‘गोट’ ठीक बैठी है, मगर दुश्मन को कमजोर समझना भूल होगी—चिरंजीव कुमार के प्रतापगढ़ में कदम रखते ही हम लोगों को बगैर किसी ढील या लापरवाही के उन्हें चारों तरफ से अपने घेरे में ले लेना है—उनका हैलीकॉप्टर ठीक दस बजे एस.डी. कॉलिज के प्रांगण में लैंड करेगा—पहली सार्वजनिक सभा उसी प्रांगण में होगी—उम्मीद है लाखों लोग पहुंचेंगे—स्थानीय पुलिस की पहली ड्यूटी ये है कि उन लाखों लोगों में से एक भी शख्स बगैर तलाशी के एस.डी. कॉलिज के प्रांगण में दाखिल नहीं होना चाहिए।”
सब शांत रहे।
“हम चाहते हैं तलाशी का कार्य नए एस.पी. सिटी के नेतृत्व में हो।”
“आई एम रेडी सर!”
“मैदान के बाहर मौजूद पेड़ों और इमारतों पर भी लोग चढ़े होंगे—उन पर नजर रखने की जिम्मेदारी एस.पी. देहात मिस्टर पांडे सम्भालेंगे।”
“ओ.के. सर!” पांडे ने कहा।
“सभा में उपस्थित हर शख्स की गतिविधि पर नजर रखने का काम मैदान में तैनात एक हजार सशस्त्र पुलिसियों के अलावा इतने ही एल.आई.यू. के लोगों के जिम्मे होगा—वे सादे कपड़ों में पब्लिक के बीच रहेंगे।”
खामोशी यथावत् छाई रही।
“प्रोग्राम के मुताबिक हैलीकॉप्टर से उतरते ही चिरंजीव कुमार अपनी पार्टी के स्थानीय नेताओं से भेंट करेंगे, स्थानीय नेतागण उन्हें माला पहनाकर स्वागत करेंगे—यह काम वी.आई.पी. लॉबी में होगा—तेजस्वी की जिम्मेदारी सभी वी.आई.पी., स्थानीय नेताओं और मालाओं आदि पर नजर रखनी होगी—इस काम के लिए उसे पचास पुलिसिए मुहैया कराए जाएंगे—वैसे हम यानि स्पेशल कमांडो दस्ते के लोग भी वहीं होंगे और हमारे अलावा होंगे हमेशा चिरंजीव कुमार के साथ चलने वाले ‘स्पेशल गाडर्स’ के छः जांबाज—प्रत्येक परिस्थिति में चिरंजीव कुमार के चारों तरफ पहला सुरक्षा घेरा इन्हीं ‘स्पेशल गाडर्स’ का होगा—उनके घेरे के बाद हमारा यानि स्पेशल कमांडोज दस्ते का घेरा होगा, उसके बाद स्थानीय पुलिस का सुरक्षा दायरा, उसका नेतृत्व एस.एस.पी. महोदय करेंगे।”
“आप फिक्र न करें सर!”
“फिक्र की बात यहां से आगे शुरू होती है—तब जबकि सभा समाप्त होगी और चिरंजीव कुमार दूसरे सभा-स्थल की तरफ बढ़ेंगे—खुली एम्बेसडर में उनके साथ उनकी पार्टी का स्थानीय अध्यक्ष, दो कमांडो दस्ते के लोग, दो सुरक्षा गार्ड या ज्यादा से ज्यादा कोई एक वी.आई.पी. रहेगा—उनके आगे स्पेशल गाडर्स की कार, पीछे हमारी कार, हमारे पीछे तेजस्वी की जीप, उधर गाडर्स की कार के आगे एस.एस.पी. की कार रहेगी—जिन रास्तों से वे गुजरेंगे उनका नक्शा बना लिया गया है—जाहिर है, लोग सड़कों के दोनों तरफ ही नहीं इमारतों और पेड़ों तक पर होंगे—उनमें से कोई भी हथियार- बंद न हो यह जिम्मेदारी मिस्टर पांडे, एस.पी. देहात और एस.पी. सिटी की है—जैसे ही चिरंजीव कुमार वाहन से उतरकर किसी तरफ को बढ़ें—स्पेशल गाडर्स, हमारा और स्थानीय पुलिस का वही ‘व्यूह’ बन जाना चाहिए अर्थात् पहला घेरा स्थानीय पुलिस का, दूसरा कमांडोज का और सबसे भीतरी घेरा गाडर्स का होगा—हमें किसी भी सूरत में, किसी हथियारबंद शख्स को ये घेरे क्रॉस नहीं करने देने हैं।”
सब चुप रहे।
ठक्कर ने आगे कहा—“रात के ग्यारह बजे तक इसी किस्म की यात्रा अथवा सभाओं में भाषण का क्रम चलता रहना है—ग्यारह बजे अंतिम सभा के बाद वे रात्रि-विश्राम अपने फार्महाउस पर करेंगे—कल सुबह सात बजे से पुनः यही क्रम जारी हो जाएगा और देर रात तक चलेगा—इस तरह, प्रतापगढ़ में तीन दिन गुजारने के बाद—अपने अगले लक्ष्य की तरफ जाएंगे—जाहिर है, इन तीन दिनों में हमें उनसे कहीं ज्यादा कड़ी मेहनत करनी है।”
सभी ने अपनी-अपनी राय दी जबकि तेजस्वी का दिमाग यह सोचने में मशगूल था कि सुरक्षा-व्यवस्था में छेद कहां है, कहां चोट की जाये कि ठक्कर के सभी इंतजाम औंधे मुंह आ पड़ें।
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12-31-2020, 12:25 PM,
#66
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
चिरंजीव कुमार आ चुके थे।
सभा शांति के साथ चल रही थी।
एस.डी. कॉलिज के लंबे-चौड़े मैदान के चारों तरफ दूर-दूर तक उस लोकप्रिय नेता की प्रभावशाली आवाज गूंज रही थी—मैदान तो खैर खचाखच भरा हुआ था ही, सबसे आश्चर्यजनक बात ये थी कि इतनी भीड़ के बावजूद किसी तरफ शोरगुल न था।
आवाज गूंज रही थी तो केवल चिरंजीव कुमार की।
लोग तन्मय और एकाग्रचित्त होकर उस गोरे-चिट्टे, लम्बे और आकर्षक नेता के एक-एक शब्द को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे जिसकी उम्र चालीस के लपेटे में थी—इस वक्त वह ब्लैक फोर्स के खिलाफ और प्रदेश को देश की मुख्य धारा से जोड़ने के विषय में बोल रहा था।
मंच की सीढ़ियों के नजदीक खड़े तेजस्वी के दिमाग में कई बार शांडियाल के नजदीक जाकर उनसे चंद बातें करने का विचार उभर चुका था—वे मुश्किल से तीस कदम दूर वी.आई.पी. लॉबी में अकेले खड़े थे—भला इस बात को तेजस्वी से बेहतर कौन जान सकता था कि कम-से-कम इस सभा में कोई गड़बड़ी होने वाली नहीं है, अतः अंततः वह लम्बे-लम्बे कदमों के साथ शांडियाल की तरफ बढ़ ही गया, नजदीक पहुंचकर बोला—“सब कुछ ठीक चल रहा है सर!”
“ये माहौल बनाने में तुम्हारा बहुत योगदान है तेजस्वी।” बातें काफी धीमे स्वर में हो रही थीं—“अगर तुमने प्रतापगढ़ को भयमुक्त न किया होता तो …”
“मैं बेहद खुशनसीब हूं सर, जो आपसे इतनी प्रशंसा पाता हूं मगर …”
“मगर?”
“आज सुबह की मीटिंग में मेरे दिल पर आघात लगा—ऐसा आघात कि खुद से घृणा सी हो रही है—दिल में रह-रहकर कई बार ख्याल उभरा कि मैंने जो मेहनत की, क्या वह सब व्यर्थ गई?”
“कैसी बात कर रहे हो तेजस्वी?”
“दिल की बात आपसे न कहूं तो किससे कहूं सर?”
“क्या कहना चाहते हो?”
“ठक्कर साहब तो खैर गैर हैं—जो काम आज यहां कर रहे हैं, तीन दिन बाद वही काम कहीं और कर रहे होंगे अर्थात् उनसे कोई शिकायत भी हो तो क्यों—दुःख इस बात का है कि आपको भी मुझ पर विश्वास नहीं।”
“गलत ढंग से सोच रहे हो तुम!” शांडियाल ने उसके कंधे पर हाथ रखा—“पर्दा तुमसे नहीं रखा गया बल्कि कुम्बारप्पा, चिदम्बरम और भारद्वाज के उदाहरणों के कारण हमारे और ठक्कर के बीच सूत्र का जिक्र मीटिंग में न करने की रणनीति बनी, मीटिंग में तुम अकेले तो नहीं थे।”
“जो लोग मीटिंग में थे उनसे अलग मुझे समझा ही कहां गया?”
“नहीं … नहीं … ऐसी बातें मत सोचो तेजस्वी—कम-से-कम हमारी नजरों में तुम सबसे अलग हो—हम ठक्कर पर शक कर सकते हैं मगर तुम पर नहीं।”
“अफसोस तो यही है सर कि गैर की बातों में आकर आपने भी मुझ पर विश्वास न किया।”
“तुम्हें ऐसा वाहियात ख्याल अपने दिमाग में नहीं लाना चाहिए, सुनो।” शांडियाल का स्वर और धीमा होकर थोड़ा रहस्यमय हो उठा—“जो इन्फॉरमेशन्स हमारे पास हैं, वे ठक्कर की किसी कारगुजारी के कारण नहीं, बल्कि हमारी अपनी ‘एफर्ट्स’ के कारण हैं—ठक्कर का तो केवल इतना दखल रहा कि जाने कैसे जेल रोड पर प्रकट होकर कम्बख्त ने हमें अपनी योजना ओपन करने पर विवश कर दिया।”
“मैं समझा नहीं सर!”
और वह शांडियाल का तेजस्वी पर अटूट विश्वास ही था जिसके वशीभूत वे उसे देशराज के जुंगजू बनने का सारा वृत्तांत बेहिचक बताते चले गए—उन्हें उस वक्त स्वप्न तक में गुमान न था कि वे देशराज की मौत के वारंट पर हस्ताक्षर कर रहे हैं—सुनते ही तेजस्वी की खोपड़ी झनझनाकर रह गई, शांडियाल के चुप होने पर बोला—“ये सारा किस्सा सुनने के बाद मुझे सबसे बड़ी खुशी इसी बात की है कि देशराज जैसे शख्स के मन में मुल्क के लिए कुछ कर गुजरने की ललक पैदा हुई—ललक भी ऐसी वेगपूर्ण कि खुद की खूबसूरती तक नष्ट कर डाली उसने—अगर सच्चाई कही जाए तो उसका बलिदान मेरी मेहनत से कई गुना ज्यादा महान है—मैं उसे शत्-शत् प्रणाम ही नहीं करता बल्कि ऊपर वाले से दुआ करता हूं वह अपने मिशन में कामयाब हो।
“अब तो उसी की कामयाबी पर हम सबकी कामयाबी टिकी है तेजस्वी।”
अब तेजस्वी को शांडियाल और ठक्कर के बीच अविश्वास की खाई खोदनी थी, अतः एक-एक शब्द को नाप-तोलकर कहना शुरू किया—“जान खतरे में डाल रहे हैं तो उधर देशराज, इधर मैं—दिमाग भिड़ाकर स्कीम बना रहे हैं आप—और मीटिंग में जिस तरह ठक्कर साहब बोलते हैं उससे लगता है, जैसे जो कर रही है—केन्द्रीय कमांडो दस्ते की टीम कर रही है।”
“खाक किया है उन्होंने! हमारी मेहनत का श्रेय खुद लूट रहे हैं।”
“और ऊपर से बार-बार स्थानीय पुलिस को उल्टा-सीधा भी कहते रहते हैं।”
“हम पर रत्ती भर विश्वास करने को तैयार नहीं है पट्ठा!” शांडियाल के दिल में भरी आग आखिर फूट ही पड़ी—“बताकर नहीं दिया कि जेल रोड कैसे पहुंचा?”
“वह किसी पर विश्वास नहीं करता।”
“फिर भी, वह सीधा केन्द्र से जुड़ा है तेजस्वी—चाहे तो हमें काफी नुकसान पहुंचा सकता है—जो बातें यहां हुईं , वे केवल हमारे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिएं—मीटिंग में या किसी भी मौके पर तुम अपने मुंह से ऐसी कोई बात नहीं निकालोगे जिससे उसे अहसास हो कि तुम देशराज के बारे में कुछ जानते हो।”
खुद तेजस्वी भी तो यही चाहता था, बोला—“आप कैसी बात कर रहे हैं सर, क्या वो काइयां शख्स मेरे लिए आपसे ज्यादा हो सकता है—जो मीटिंग में आपकी कामयाबियों को अपनी बताकर पेश करता है और आप तक पर विश्वास नहीं करता?”
शांडियाल ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि सारा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा—चारों तरफ से शोर-गुल उठने लगा—हर दिशा से ‘चिरंजीव कुमार … जिंदाबाद’ के नारों की आवाज आ रही थी।
चिरंजीव कुमार मीटिंग समाप्त कर चुके थे, तेजस्वी दौड़ता हुआ सीढ़ियों के नजदीक पहुंचा।
जिस्म से भले ही अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद नजर आ रहा हो, लेकिन पाठक समझ सकते हैं कि वास्तव में उसका दिमाग इस वक्त कहां भटक रहा होगा?
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रिस्टवॉच से बहुत बारीक आवाज निकल रही थी—“व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर।”
“बोलो!” ब्लैक स्टार ने अपने विशिष्ट स्वर में कहा।
“अंतिम सभा से पांच मिनट पूर्व!”
“प्लान?”
“पांच बजे बताऊंगा।”
“ओ.के.।”
“उससे पहले जुंगजू का निशाना अच्छी तरह चैक कर लें।” ये चंद शब्द कहने के बाद दूसरी तरफ से संबंधविच्छेद कर दिया गया, परंतु ब्लैक स्टार के जहन में हथौड़े से बज रहे थे।
आंखें सिकुड़कर गोल हो गईं।
तेजस्वी के एक-एक शब्द को याद कर रहा था वह—लग रहा था, तेजस्वी जुंगजू के निशाने को नहीं, खुद जुंगजू को चैक करने के निर्देश दे रहा था—जुंगजू के निशाने को चैक करने वाली बात उसने कही ही क्यों?
वह भी अब?
कहता तो पहले कहता!
क्या निशाने के बारे में उसे कोई ख्वाब चमका है?
ब्लैक स्टार को लगा, निश्चित रूप से तेजस्वी जुंगजू को चैक करने के लिए कह रहा था—जरूर उसे कोई नई इन्फॉरमेशन मिली है और फिर … आज ही ‘एक्शन’ कर डालने वाली भी कोई बात न थी।
ब्लैक स्टार एक झटके से उठकर खड़ा हो गया।
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बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद करने के बाद देशराज ने अपने बाएं बूट की खोखली एड़ी से एक ट्रांसमीटर निकाला—संपर्क स्थापित करने के बाद बोला—“देशराज हीयर सर … देशराज हीयर।”
“बोलो देशराज।” आवाज शांडियाल की थी।
“अंतिम सभा-स्थल पर सभा से केवल पांच मिनट पूर्व का समय चुना गया है।”
“इतनी जल्दी?”
“ऐसा ही आदेश हुआ।”
“योजना के मुताबिक तुम्हारा मददगार कहां होगा?”
“शाम पांच बजे पता लगेगा।”
“ओह!”
“ल-लेकिन अब मैं पांच बजने का इंतजार नहीं करना चाहता।”
“क्यों?”
“आपके इस ‘क्यों’ का जवाब मेरे पास नहीं है—रह-रह कर मेरे दिलो-दिमाग में यह विचार उठ रहा है कि अब मुझे पहला मौका मिलते ही ब्लैक स्टार को शूट कर देना चाहिए—मैंने खुद, खुद से कई बार यह सवाल किया है—वक्त से पहले ब्लैक स्टार को मार डालने का यह ख्याल बार-बार मेरे दिमाग में क्यों कौंध रहा है—मगर जवाब नहीं मिल पा रहा!”
“क्या तुम्हारे पास उसे खत्म कर डालने के पूरे अवसर हैं?”
“पूरे से भी ज्यादा, वह ठीक उसी तरह मेरे इर्द-गिर्द रहता है जैसे आप रहते थे—कुछ देर बाद हम लंच-टेबल पर एक साथ होंगे—रिवॉल्वर मेरी जेब में है ही—निश्चित रूप से मैं एक ही गोली में उसका काम-तमाम कर सकता हूं—हालांकि जैसा आप और मैं, दोनों जानते हैं कि मेरी इस हरकत के बाद ब्लैक फोर्स के लोगों की अनगिनत गोलियां मेरे जिस्म में धंस जाएंगी—मगर मेरा दावा है, आत्मा पहले उसका जिस्म छोड़ेगी।”
“उसे समय से पूर्व मारकर हम कुछ खोएंगे ही—पा नहीं पाएंगे—संपूर्ण कामयाबी ये होगी कि उधर तुम ब्लैक स्टार को खत्म करो, इधर हम उसे, जिसे चिरंजीव कुमार की हत्या में तुम्हारी मदद करने का दायित्व सौंपा गया है—बल्कि यह भी पता लगाने की चेष्टा करो कि व्हाइट स्टार क्या बला है?”
“ओ.के. सर … ओ.के.!” कहने के साथ देशराज ने संबंधविच्छेद कर दिया।
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12-31-2020, 12:26 PM,
#67
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
सर्किट हाउस में चल रहे चिरंजीव कुमार के लंच के दरम्यान कमिश्‍नर ने मौका देखकर तेजस्वी को सूचना दी—“अंतिम सभा से पांच मिनट पूर्व चिरंजीव कुमार की हत्या का प्लान बनाया गया है।”
“क्या देशराज से कॉन्टेक्ट हुआ था?” हौले से चौंकते हुए तेजस्वी ने पूछा।
“हां!”
“क्या कहा उसने?”
शांडियाल ने विस्तारपूर्वक सारी बातें बता दीं, सुनने के बाद तेजस्वी ने कहा—“आपने देशराज को ठीक आर्डर दिया—अगर वह पांच बजे से पहले अपना काम कर देता तो न तो हम कभी उसे गिरफ्तार कर पाते जो उसकी मदद करने वाला है—न ही व्हाइट स्टार का रहस्य जान पाते—ब्लैक स्टार की मौत के साथ-साथ यह होना जरूरी है।”
“हम एक उलझन में हैं तेजस्वी।”
“कैसी उलझन सर?”
“ये नई इन्फॉरमेशन ठक्कर को दें या नहीं?”
तेजस्वी तुरंत जवाब न दे सका—सोचने लगा वह, शायद ये कि क्या सलाह देना मुनासिब होगा, जबकि शांडियाल कहते चले गए—“ठक्कर का जो व्यवहार हमारे साथ है, उसके रहते दिल तो नहीं चाहता—इतना सब करने के बावजूद कम्बख्त हम पर बाल बराबर विश्वास करने को तैयार नहीं है लेकिन …।”
“लेकिन?”
“सोचते हैं, कहीं इस छुपाव से कोई नुकसान न हो जाए।”
“किसी किस्म का नुकसान होने की संभावना ही कहां है?”
“प्लान भले ही ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार मिलकर चाहे जो बनाते रहें, मगर देशराज के रहते अमल तो उस पर होने से रहा।” तेजस्वी को शांडियाल और ठक्कर के बीच खाई खोदने में ही अपना रास्ता साफ नजर आया—“होगा तो वास्तव में ये कि पांच बजे के बाद देशराज हमें कथित जुंगजू के मददगार और मौका लगा तो व्हाइट स्टार का परिचय देगा तथा जंगल में ब्लैक स्टार को शूट कर देगा—इधर उसकी इन्फॉरमेशन्स के मुताबिक हम लोग मददगार और व्हाइट स्टार को दबोच लेंगे—चिरंजीव कुमार के आसपास तक कोई खतरा नहीं मंडरा पाएगा।”
“कह तो तुम ठीक रहे हो।”
“बल्कि होगा ये कि मददगार और व्हाइट स्टार को खुद दबोचकर वह सारा श्रेय लूट ले जाएगा—बेहतर यही है सर कि जब सब कुछ कर ही हम रहे हैं तो श्रेय भी स्थानीय पुलिस को ही मिले।”
“ओ.के.!” कहने के साथ शांडियाल उसके नजदीक से हट गए। हट जाने का मुख्य कारण ठक्कर को अपनी तरफ बढ़ते देखना था।
लम्बे-लम्बे कदमों के साथ वह उनके नजदीक आया, आसपास किसी अन्य को न पाकर धीमे से फुसफुसाया—“क्या बातें हो रही थीं?”
“क-कोई खास नहीं।” कमिश्‍नर साहब थोड़ा हकला गए।
“देशराज की तरफ से कोई रिपोर्ट आई?”
शांडियाल ने संतुलित स्वर में कहा—“अभी तो नहीं।”
“जबकि आनी चाहिए।”
“हम समझे नहीं?”
“मौका मिलते ही वह ये सूचना देने वाला है कि उसे आज की अंतिम सभा से पांच मिनट पूर्व चिरंजीव कुमार पर हमला करने का आदेश मिला है।” कहने के बाद ठक्कर तेज कदमों के साथ एक तरफ को बढ़ गया—जबकि कमिश्‍नर शांडियाल ठगे से खड़े रह गए—उन्हें लग रहा था, उनसे दूर जाता शख्स साधारण शख्स नहीं, जादूगर है।
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“तेजस्वी को तो जानते होगे तुम?” ब्लैक स्टार ने पहला कौर मुंह में रखते हुए पूछा।
सवाल सुनकर लंच टेबल पर बैठे देशराज ने कहा—“यह नाम शायद किसी पुलिस इंस्पेक्टर का है!”
“इसका मतलब जेल में तुम्हें अखबार नहीं मिलता था?”
“कोठरी से बाहर भी केवल नहाने के बहाने आ पाता था सर।”
“तभी नहीं जान पाए कि उसने क्या-क्या करिश्मे किए हैं।” ब्लैक स्टार ने कहा—“पहले हम संक्षेप में उसके कारनामे बयान करते हैं।” कहने के बाद वह स्टार फोर्स से तेजस्वी के टकराव की कहानी सुनाने लगा।
माकूल प्रतिक्रियाओं के साथ देशराज उस कहानी को सुनता रहा।
कहानी पूरी करने के बाद ब्लैक स्टार ने अपने नजदीक खड़े काले भुजंग शख्स से कहा—“हाथ बांधे क्यों खड़े हो गोम्बा, जुंगजू को खरगोश का गोश्त खिलाओ।”
गोम्बा ने आगे बढ़कर हुक्म का पालन किया।
इधर देशराज ने कहा—“हैरत की बात है सर, एक अदने से इंस्पेक्टर ने ब्लैक फोर्स को एक नहीं अनेक मातें दीं, इतना नुकसान पहुंचाया और अभी तक जिंदा है—मेरे ख्याल से तो चिरंजीव कुमार से पहले उसे मार डालना चाहिए।”
हल्की मुस्कान के साथ ब्लैक स्टार ने धमाका किया—“और अब वही तेजस्वी चिरंजीव कुमार का मर्डर करने में तुम्हारी मदद करने वाला है।”
“क-क्या?” देशराज कुर्सी से एक फुट ऊपर उछल पड़ा।
“व्हाइट स्टार भी वही है।” उसने दूसरा धमाका किया।
“न-नहीं!” देशराज के हलक से चीख निकल गई, यह ध्यान आते ही कि इस वक्त वह जुंगजू है, बोला—“य-ये आप क्या करिश्मासाज कहानी सुना रहे हैं सर—पहले तेजस्वी का रूप और अब ये … ये आप क्या कह रहे हैं?”
“हमारी बातें सुनकर हर पुलिस वाले को इसी तरह उछल पड़ना चाहिए।”
“ज-जी?” देशराज जड़ होकर रह गया।
ब्लैक स्टार ने उसकी आंखों में आंखें डालकर पूछा—“हमने कुछ गलत कहा, क्या तेजस्वी की कहानी सुनकर हर पुलिस वाला तुम्हारी तरह नहीं उछल पड़ेगा?”
“ब-बिल्कुल उछल पड़ेगा। बल्कि मुझसे कहीं ज्यादा, जब वे सुनेंगे कि जिसे वे हीरो मान रहे थे, वह दुनिया का सबसे बड़ा विलेन है तो …।”
“तो निकालो बाएं जूते की एड़ी से ट्रांसमीटर और कमिश्‍नर को सूचित करो।”
देशराज की घिग्घी बंध गई।
कुर्सी पर बैठा-बैठा मानो स्टैचू में तब्दील हो गया वह।
आंखें पथरा गई थीं।
मुस्कराते ब्लैक स्टार ने कुछ कहना ही चाहा कि देशराज नाम के स्टेचू में चमत्कारिक ढंग से हरकत हुई—हॉल में मौजूद अन्य लोगों की तो कौन कहे, खुद ब्लैक स्टार न जान सका कि देशराज का रिवॉल्वर कब उसकी जेब से निकलकर हाथ में आ गया।
‘धांय-धांय-धांय।’
ब्लैक स्टार पर गोलियां बरसाता नजर आया वह।
मगर लाभ?
कुछ नहीं!
गोलियां ब्लैक स्टार के जिस्म से टकरा-टकराकर इस तरह छिटक रही थीं जैसे पत्थर से टकरा रही हों।
इतनी फुर्ती का इस्तेमाल देशराज ने यह सोचकर किया था कि अगर वह चूक गया तो शायद गोम्बा और चारों तरफ खड़े गनधारी उसे ब्लैक स्टार पर हमला करने का मौका ही न दें—परंतु किसी तरफ से उसे रोकने की लेशमात्र कोशिश नहीं की गई—यहां तक कि उसके हाथ में दबे रिवॉल्वर से धांय-धांय के स्थान पर ‘क्लिक-क्लिक’ की आवाज निकलने लगी।
भौंचक्का था वह!
पागल हो चुके सांड की तरह इधर-उधर देखा, हलक फाड़कर चीखा—“चलाओ गोलियां, मार डालो मुझे!”
कहीं कोई हलचल, कोई प्रतिक्रिया नहीं।
ए.के.-सैंतालीसधारी ऐसे खड़े थे मानो हाड़-मांस के इंसान नहीं बल्कि पत्थर के पुतले हों—उन भावहीन चेहरों को देखकर देशराज को लगा, शायद अब तक वह पुतलों को इंसान समझने की भूल करता रहा था—बौखलाकर गोम्बा की तरफ देखा, वह भी इस वक्त उसे स्टैचू ही नजर आया।
देशराज ने झुंझलाकर उस पर खाली रिवॉल्वर खींच मारा।
परंतु!
ब्लैक स्टार ने आश्चर्यजनक रूप से हाथ बढ़ाकर उसे लपक लिया, बेहद शांत स्वर में कहा उसने—“ज्यादा गुस्सा ठीक नहीं होता मिस्टर देशराज—आओ, आराम से कुर्सी पर बैठो।”
“हरामजादे … कुत्ते!” देशराज दहाड़ा—“मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा।”
“तो मिटा दो हमें, कोई रोक भी तो नहीं रहा तुम्हें!”
कोई और रास्ता न पाकर देशराज उस पर झपट पड़ा मगर तुरंत ही उसे भयानक भूल का एहसास हो गया—बिजली का तेज झटका लगा था, छिटककर दूर जा गिरा—अभी कालीन पर ही पड़ा था कि ब्लैक स्टार ने कहा—“किसी उछल-कूद से कोई लाभ नहीं दोस्त—गुस्सा वैसे भी आदमी के विवेक को खा जाता है—अतः इससे निजात पाओ, उठो और वापस आकर आराम से अपनी कुर्सी पर बैठो!”
देशराज आगे बढ़ा—धम्म से कुर्सी पर जा बैठा—उसके अलावा कर भी क्या सकता था! जबकि ब्लैक स्टार ने गोम्बा से कहा—“हाथ बांधे मिट्टी के माधो की तरह क्या खड़ा है, साहब को फिंगर बॉउल दे।”
गोम्बा में तुरंत हरकत हुई, फिंगर बॉउल देशराज के ठीक सामने रख दी।
“हाथ धो लो।” ब्लैक स्टार ने उससे कहा।
देशराज बच्चों की तरह अड़ गया—“नहीं धोऊंगा।”
“चलो, न सही।” ब्लैक स्टार हौले से मुस्कराया—“यह जानने की जिज्ञासा तो तुम्हें जरूर होगी कि हम तुम्हारा भेद कैसे और कब जाने?”
देशराज गुर्राया—“मुझे कोई जिज्ञासा नहीं है।”
“यह भी नहीं जानना चाहते कि हम तुम्हें मार क्यों नहीं रहे?”
“बकना ही चाहते हो तो बको?”
“तुम्हें ट्रांसमीटर पर कमिश्‍नर से यह कहना पड़ेगा कि तुम्हारा मददगार इंस्पेक्टर तेजस्वी है।”
“मैं समझ गया हरामजादे—तेजस्वी ने प्रतापगढ़ में तेरी स्टार फोर्स की जो धज्जियां उड़ाई हैं, उनके कारण तेरी आंखों में सबसे ज्यादा चुभता कांटा वही है—और मेरे द्वारा कमिश्‍नर साहब को यह सूचना भिजवाकर तू न केवल अपने तेजस्वी नाम के दुश्मन से हमेशा के लिए निजात पाना चाहता है, बल्कि उसे यह सबक देना चाहता है कि जिनके लिए उसने यह सब किया, तू उसे उनके ही हाथों नेस्तनाबूद करा सकता है—मगर कम-से-कम मुझे माध्यम बनाकर तू अपने इस सपने को साकार नहीं कर सकता।”
“यानि?”
“मैं ट्रांसमीटर पर वो शब्द नहीं कहूंगा जो तू चाहता है।”
“ये तो तुम्हें कहना पड़ेगा देशराज।” ब्लैक स्टार का लहजा पहली बार कठोर हुआ।
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12-31-2020, 12:26 PM,
#68
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“हैलो … हैलो देशराज।” शांडियाल ट्रांसमीटर पर चीख पड़े—“तुम्हारी आवाज में यह ‘कमजोरी’ कैसी है, जुबान लड़खड़ा क्यों रही है तुम्हारी—ठीक तो हो?”
“य-ये लोग ये चाहते हैं सर कि मर्डर स्पॉट पर अपने मददगार के रूप में मैं तेजस्वी का नाम ले दूं …।” दूसरी तरफ से देशराज मानो एक ही सांस में सब कुछ कह डालना चाहता था—“ये लोग मेरा भेद जान गए हैं—मेरे जरिए गलत इन्फॉरमेशन रिले कराकर तेजस्वी को आपकी नजरों में गिराना चाहते हैं—तेजस्वी पर कभी शक न करना सर, ये उसे फंसाने की साजिश …!”
‘धांय!’ एक गोली चलने की आवाज उभरी।
उसके बाद गूंजी देशराज की चीख।
वह चीख जो किसी शूल की मानिन्द सीधी शांडियाल के दिल में उतर गई।
अवाक् रह गए वे।
उस शख्स की मानिन्द जिसका क्षण भर में सब कुछ ठग लिया गया हो।
ट्रांसमीटर पर सन्नाटा छा गया—मौत का सन्नाटा था वह और फिर वे पागलों की तरह चिल्लाए—“देशराज … देशराज … हैलो … क्या हुआ तुम्हें … क्या हुआ बेटे?”
दूसरी तरफ मौन छाया रहा और फिर संबंध विच्छेद होने की ध्वनि!
“क-क्या हुआ सर?” नजदीक खड़े तेजस्वी ने तंद्रा भंग की।
“खत्म … सब कुछ खत्म हो गया।” कहने के साथ उन्होंने सिर से हैडफोन उतारा।
“मैं समझा नहीं, क्या खत्म हो गया?”
“द-देशराज।”
“क-क्या?” तेजस्वी उछल पड़ा।
शांडियाल की हालत ऐसी थी जैसे उनका जवान बेटा मर गया हो—“वे उसका भेद जान गए थे …।”
“क-कैसे?”
“ऊपर वाला जाने … मगर अब वह इस दुनिया में नहीं है।”
“ऐसा मत कहिए सर।”
“किसी के कुछ कहने से अब वह जिंदा नहीं हो जाएगा—पता नहीं हमें झूठी सूचना देने के लिए मजबूर करने हेतु कम्बख्तों ने उसे किस-किस तरह और कितना टॉर्चर किया होगा मगर फिर भी … मरता-मरता वह उन्हें शिकस्त दे गया।”
“मैं समझ नहीं पा रहा सर, आप कह क्या रहे हैं?” तेजस्वी पूरी तरह अधीरता का परिचय देता हुआ बोला—“प्लीज, मुझे पूरी बात बताइए … आखिर हुआ क्या है?”
शांडियाल ने सब कुछ बता दिया—जाहिर है, सुनने के बाद तेजस्वी ने ऐसा अभिनय किया जैसे जो कुछ हुआ था, उसका उसे उनसे भी ज्यादा दुःख था, अंततः शांडियाल ने पूछा—“अब क्या करें?”
“अब हम कर ही क्या सकते हैं सर!”
“ठक्कर को बतायें या नहीं?”
“ये सब तो बताना ही पड़ेगा—वरना वह बार-बार यह पूछकर हम लोगों का दिमाग खराब कर देगा कि देशराज की तरफ से क्या रिपोर्ट आई—वैसे भी, जाने कैसे कम्बख्त को स्वयं ही सब कुछ मालूम हो जाता है।”
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“य-ये तो एक नंबर का हरामी निकला सर।” ब्लैक स्टार द्वारा ट्रांसमीटर ऑफ किया जाते ही गोम्बा देशराज की लहूलुहान लाश पर नजर गड़ाए बोला—“इस हालत में पहुंचने के बावजूद साले ने वह नहीं कहा जो आप चाहते थे, बल्कि हकीकत उगल दी, सारा भेद खोल दिया।”
ब्लैक स्टार ने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा—“इसने वही कहा जो हम चाहते थे।”
“ज-जी?” गोम्बा की खोपड़ी कत्थक कर उठी।
“तुम्हारे और हमारे दिमाग में केवल इतना ही फर्क है, हम पहले से जानते हैं कौन शख्स किन परिस्थितियों में क्या करेगा, जबकि तुम यह सब नहीं जान पाते—तुम्हें अब मालूम हुआ है और हम पहले से जानते थे कि हरामीपन में ये अव्वल नंबर है—जो शख्स यहां आया ही मरने के लिए था, किन्हीं भी परिस्थितियों में मजबूर होकर भला वह ट्रांसमीटर पर ऐसा कुछ कह ही कैसे सकता था जो उसकी नजर में हम चाहते हैं।”
“य-यानि?”
“हम चाहते ही वह थे जो इसने किया, अब कमिश्‍नर की नजर में तेजस्वी से बड़ा दूध का धुला कोई नहीं होगा।”
हालांकि गोम्बा की मोटी बुद्धि में घुस अब भी कुछ नहीं पाया था मगर चुप रह गया, जबकि ब्लैक स्टार ने कहा—“इसे उठाकर जंगल में डाल आओ, गिद्धों के काम आएगा।”
गोम्बा ने लाश उठाकर कंधे पर डाली ही थी कि एक वर्दीधारी युवक ने कक्ष में प्रविष्ट होकर जोरदार सैल्यूट दिया।
“क्या बात है?” ब्लैक स्टार ने पूछा।
“एक शख्स आया है सर, जो अपना नाम गौरिल्ला बताता है।”
“गोरिल्ला … गुड! कहां है?”
“जंगल में, कहता है उसके पास व्हाइट स्टार का अर्जेन्ट मैसेज है।”
ब्लैक स्टार हवा के झोंके की मानिन्द कक्ष से बाहर निकल गया।
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ठक्कर को हैरान होता देखकर कमिश्‍नर साहब हैरान रह गए—उन्होंने अभी-अभी उसे देशराज के अंजाम की सूचना दी थी और हैरान इसलिए थे क्योंकि अन्य सूचनाओं की तरह ठक्कर के पास यह सूचना पहले से नहीं थी, बोला—“हुआ क्या है, विस्तारपूर्वक बताएं।”
“विस्तार के लिए हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं है—शायद वे लोग देशराज का भेद जान गए थे।”
“किस तरह?”
“क्या कहा जा सकता है …।”
“खैर, देशराज ने ट्रांसमीटर पर कहा क्या?”
“हम उसके बोलने की स्टाइल सुनकर ही चौंक पड़े थे—वह काफी मुश्किल से अपनी आवाज को शब्द दे पा रहा था—उस वक्त नहीं समझ पाए लेकिन बाद में समझ गए—उन्होंने उसे टॉर्चर किया होगा।”
“किसलिए?”
“ताकि ट्रांसमीटर पर वह वह सूचना दे जो वे चाह रहे थे।”
“हम समझे नहीं।”
“वे चाहते थे—देशराज हमसे कहे मर्डर स्पॉट पर उसका मददगार इंस्पेक्टर तेजस्वी होगा।”
“तेजस्वी?” ठक्कर की आंखें गोल हो गईं ।
“मगर देशराज ने वह सब कहने की जगह एक ही सांस में यह बता दिया कि उसके मुंह से ऐसा कहलवाने के पीछे ब्लैक स्टार की मंशा तेजस्वी को हम लोगों की नजरों में संदिग्ध बना देना है—जो कुछ पिछले दिनों तेजस्वी ने किया, उसके कारण दरअसल वह तेजस्वी से सबसे ज्यादा फुंका बैठा है और इसी कारण ऐसी चाल चलना चाहता था जिसमें फंसकर हम खुद तेजस्वी को छठी का दूध याद दिला दें—परंतु देशराज ने वह न कहकर जो वह चाहता था, भांडा ही फोड़ दिया—अपनी इस धृष्टता के कारण उसे मरना पड़ा—मरते-मरते उसने एक ही शब्द कहा था, तेजस्वी पर कभी शक मत करना सर … तेजस्वी पर कभी शक मत करना।”
“अब हमें अपनी रणनीति नए सिरे से तय करनी होगी।” ठक्कर ने कहा—“ये तो है नहीं कि जुंगजू के अभाव में ब्लैक स्टार अपने लक्ष्य को त्याग देगा।”
“हमने ऐसा कब कहा?”
“यानि आप मानते हैं, अब वह कोई नई साजिश रचेगा?”
“निःसंदेह।”
“नई साजिश के बारे में कैसे पता लगे?”
“आप सोचिए, स्थानीय पुलिस पर तो आपको भरोसा ही नहीं है।”
“ऐसा न कहें कमिश्‍नर साहब, वह मोहरा स्थानीय पुलिस की ही देन था जिसके जरिये अब तक उसकी सूचनाएं मिल रही थीं।”
“यह सच्चाई आप उस रणबांकुरे की मौत के बाद स्वीकार कर रहे हैं।” शांडियाल ने व्यंग्य किया—“हमारा सूत्र मिटा है, आपके वे सूत्र तो काम कर ही रहे होंगे जिनके जरिये सारी सूचनाएं आपके पास हमसे पहले होती थीं—उनके द्वारा पता लगायें ब्लैक स्टार की नई योजना क्या है?”
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कमांडो नंबर वन से लेकर फोर के बीच एक शक्तिशाली ट्रांसमीटर रखा था—कमरे में गूंजने वाली सूं-सूं की आवाज से पता लग रहा था कि वह ‘ऑन’ है—जिस सैन्टर टेबल पर वह रखा था, उसके चारों तरफ सोफे पड़े थे और सोफों पर पड़े थे वे चारों।
निढाल, निरुत्साहित से।
एकाएक नंबर वन ने कहा—“कहीं ‘फ्रीक्वेंसीज’ तो चेंज नहीं हो गई है?”
“तुम अपना भेजा अपने ही पास रखो तो बेहतर होगा।” नंबर टू अपने पोज में किसी किस्म का बदलाव लाए बगैर बोला, “इसका एक्सपर्ट मैं हूं और मेरे इस कथन पर विश्वास करें कि कोई ‘फ्रीक्वेंसीज’ चेंज नहीं हुई है—हमने इन्हीं ‘फ्रीक्वेंसीज’ पर कई बार उनकी बातें सुनी हैं और तब से ट्रांसमीटर यहीं सेट है।”
नंबर टू के इस जवाब के बाद उन तीनों के पास चुप रह जाने के अलावा कोई चारा न बचा।
करीब एक घंटे बाद ट्रांसमीटर से यांत्रिक खड़खड़ाहट उभरी।
चारों एक साथ हड़बड़ाकर चौकस हो गए।
उदासी, निराशा और सुस्ती जाने कहां काफूर हो गई!
चारों के जिस्म में मानो एक साथ बिजली भर गई, नंबर टू ने कहा—“टेपरिकार्डर ऑन करो।”
नंबर वन ने आदेश का पालन लिया।
ट्रांसमीटर से ‘इंटर-कनैक्टिड’ टेपरिकॉर्डर अब ट्रांसमीटर से निकलने वाली किसी भी आवाज को टेप करने के सफर पर निकल पड़ा था—चारों के कान खड़े होकर ट्रांसमीटर से निकलने वाली आवाज को सुनने हेतु सजग नजर आ रहे थे, एकाएक उससे आवाज निकली—“हैलो … हैलो … ब्लैक स्टार स्पीकिंग।”
“व्हाइट स्टार हीयर।” यह किसी अन्य की आवाज थी।
“सारा प्लान चौपट हो चुका है।”
“वजह?”
“जुंगजू दरअसल जुंगजू था ही नहीं।”
व्हाइट स्टार के चौंकने की आवाज—“तो कौन था?”
“भूतपूर्व इंस्पेक्टर देशराज।”
“य-ये कैसे हो गया?”
“पुलिस ने चाल चली थी।”
“अंजाम?”
“अब वह इस दुनिया में नहीं है।”
“मतलब हमारी प्लानिंग पूरी तरह बिखर चुकी है?”
“वह तो हमने शुरू में ही कहा था।”
“तो?”
“तो क्या!” ब्लैक स्टार का लहजा दृढ़ था—“अभी हमारे पास दो दिन बाकी हैं—नई योजना तैयार करो।”
“हालांकि आनन-फानन में नई योजना बनाना और उस पर अमल करना हाथ पर सरसों के उगाने जैसा है, मगर मैं दिमाग घुमाता हूं सर।”
“ओ.के.।” ब्लैक स्टार के इन शब्दों के बाद कमांडोज के बीच रखे ट्रांसमीटर पर संबंधविच्छेद होने की आवाज उभरी, नंबर वन ने हाथ बढ़ाकर टेपरिकार्डर का स्विच ‘ऑफ’ कर दिया।
चारों की आंखें जुगनुओं की मानिन्द जगमगा रही थीं।
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12-31-2020, 12:26 PM,
#69
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
रात के दो बजे!
गैलरी को पार करके पांडुराम तेजस्वी के फ्लैट की तरफ बढ़ा—अभी उसने बंद दरवाजे पर दस्तक देने के लिए हाथ हवा में उठाया ही था कि जहां का तहां रुक गया—कारण फ्लैट के अंदर से आ रही तेजस्वी की आवाज थी, वह ऊंची आवाज में कह रहा था—“व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर।”
“ब्लैक स्टार हीयर।” यह आवाज बहुत बारीक और धीमी थी।
पांडुराम स्टैचू बना खड़ा रह गया।
कानों में तेजस्वी की आवाज पड़ी—“मैंने योजना बना ली है सर, योजना भी ऐसी जिसे सुनकर आपकी बांछें खिल उठेंगी—सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस योजना के तहत हमारा दुश्मन नंबर वन अर्थात् इंस्पेक्टर तेजस्वी हमारे लिए काम करेगा।”
“क्या बकवास कर रहे हो?”
“योजना सुनने के बाद आप ऐसा नहीं कहेंगे।”
“बको!”
“आप जानते हैं, आज मैं सारे दिन चिरंजीव के काफिले के साथ रहकर बारीकी से सुरक्षा-व्यवस्था का अध्ययन करता रहा—सुरक्षा व्यवस्था निश्चित रूप से लाजवाब ही नहीं बल्कि ‘अभेद्य’ है—वह मंच पर चढ़ा स्पीच दे रहा हो, वी.आई.पी., प्रेस या पब्लिक से मिल रहा हो अथवा जुलूस की शक्ल में सड़क से गुजर रहा हो—हर हाल में तीन सुरक्षा घेरों में रहता है—पहला घेरा स्पेशल गाडर्स का है, दूसरा केन्द्रीय कमांडोज का और तीसरा स्थानीय पुलिस का—अन्य जगहों की सुरक्षा व्यवस्था के विस्तार में न जाकर अगर मैं वहां की सुरक्षा-व्यवस्था के विस्तार पर जाऊं तो बेहतर होगा जहां योजना के मुताबिक लक्ष्य को बेधा जाना चाहिए।”
“गुड।”
“वह जगह उसका अपना फार्म हाउस है।”
“बोलते रहो।”
“कार्यक्रम में अगर कोई आपातकालीन फेरबदल न हो जाए तो वह दोनों रात अपने फार्म हाउस पर गुजारेगा—बल्कि अब तो एक ही रात कहा जाना मुनासिब होगा क्योंकि आज की रात तो गुजार ही रही है—ऊपर वाले ने चाहा और मेरी योजना में कोई अप्रत्याशित अड़चन न आ गई तो कल रात इस वक्त तक वह दुनिया में नहीं होगा।”
“मतलब की बात करो व्हाइट स्टार।”
“आज की अंतिम सभा खत्म करके वह ठीक साढ़े बारह बजे फार्म हाउस पहुंचा—वहां वे लोग इकट्ठा थे जो ज्ञापन देना चाहते थे—रात के एक बजे तक ज्ञापन लिए, प्रांगण ही में छुटपुट बातें करता रहा और ठीक एक बजे सोने के लिए चला गया—प्रोग्राम के मुताबिक अब वह सुबह पांच बजे उठेगा—वह अन्य नेताओं की तरह लेट-लतीफ नहीं बल्कि टाइम का काफी ‘पंक्चुअल’ है। आज सारे दिन के कार्यक्रमों से यह बात सिद्ध होती है—हर सभा में लगभग ठीक टाइम पर पहुंचा—कल के कार्यक्रमों के मुताबिक वह एक घंटे में फारिग होकर फार्महाउस के प्रांगण में आ जाएगा तथा अपने चुनाव प्रचार में जुटे कार्यकर्ताओं के साथ एक घंटे तक भावी रणनीति पर विचार विमर्श करेगा—ठीक सात बजे जुलूस की शक्ल में उस पहली सभा की तरफ रवाना हो जाएगा जो आठ बजे सुबह रखी गई है—उसके बाद कल रात के एक बजे तक लगभग वे ही कार्यक्रम हैं जो आज थे अर्थात् आज की तरह कल रात भी करीब साढ़े बारह बजे फार्म हाउस पर पहुंचकर आधे घंटे तक ज्ञापन लेगा।”
“ज्ञापन वाली बात पर तुम ज्यादा जोर दे रहे हो।”
“क्योंकि मर्डर स्पॉट यही है।”
“ओह!”
“पूरा फार्म पांच एकड़ का है मगर उसके बीचों-बीच करीब दो हजार गज का एरिया ऐसा है जो चारों तरफ से एक वृत्त की-सी शक्ल की चारदीवारी से घिरा है—पन्द्रह फुट ऊंची इस चारदीवारी में अंदर जाने के लिए लोहे का केवल एक गेट है मगर इतना बड़ा कि ट्रक तक अंदर जा सकता है—चारदीवारी के वृत्त के बीचों-बीच करीब चार सौ गज का कवर्ड एरिया है—कवर्ड एरिए के चारों तरफ लॉन है।”
“बोलते रहो।”
“क्योंकि यहां उसे रात के साढ़े बारह से सुबह के सात तक का टाइम गुजारना है अतः फार्म हाउस की सुरक्षा में कहीं किसी किस्म की ढील नहीं बरती गई है—यहां तक कि जिस समय चिरंजीव कुमार वहां नहीं रहता अर्थात् सुबह के सात और रात के साढ़े बारह बजे के दरम्यान भी कोई शख्स बगैर तलाशी के चारदीवारी के अंदर दाखिल नहीं हो सकता।”
“तलाशी कौन लेते हैं?”
“हर स्थान की सुरक्षा का नेतृत्व ठक्कर के हाथ में है—वह अपने कमांडोज, स्थानीय पुलिस और एल.आई.यू. आदि का चाहे जहां, चाहे जिस रूप में इस्तेमाल कर सकता है—चारदीवारी वाले लोहे के विशाल गेट पर मैटल डिटेक्टर से लैस एक कमांडो के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस के जवान निगरानी करते हैं—कवर्ड एरिए के चारों तरफ फैले लॉन में कुल मिलाकर पचास सशस्त्र जवान और दस एल.आई.यू. के जासूस मौजूद रहते हैं—केन्द्रीय कमांडो दस्ते का एक कमांडो चिरंजीव के बैडरूम के अंदर रहता है—उसकी ड्यूटी चिरंजीव के अलावा किसी को भी किसी भी समय कमरे के अंदर कदम न रखने देना है।”
“यानि चिरंजीव अगर वहां न हो तब भी किसी बाहरी व्यक्ति का चारदीवारी के अंदर घुसना संभव नहीं है?”
“जाहिर है।”
“आगे?”
“साढ़े बारह के आसपास चिरंजीव के साथ वहां स्वयं ठक्कर, स्पेशल गाडर्स, एस.एस.पी., डी.आई.जी., एस.पी. सिटी और देहात के अलावा कमिश्‍नर शांडियाल और इंस्पेक्टर तेजस्वी भी पहुंच जाएंगे—सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो जाएगी।”
दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं उभरी।
तेजस्वी सांस लेने के लिए रुका था, बुरी तरह धड़क रहे दिल पर किसी तरह काबू पाए पांडुराम के कानों में पुनः तेजस्वी की आवाज पड़ी—“साढ़े बारह और एक बजे के दरम्यान विशाल गेट पर तलाशी लेने वालों की संख्या तिगुनी हो जाती है और तीन के हाथ में मैटल डिटेक्टर होते हैं—एक भी ज्ञापनदाता या कार्यकर्ता उनसे गुजरे बिना अंदर नहीं जा सकता। ज्ञापनदाता साढ़े ग्यारह के आसपास फार्म हाउस पर पहुंचने शुरू हो जाते हैं—उन्हीं में से एक हमारा मरजीवड़ा होगा—एक ज्ञापन के साथ पूरी तरह निहत्था पहुंचेगा वह।”
“निहत्था करेगा क्या?”
“इस बात को भूल जाइए कि कोई बाहरी तत्व किसी प्रकार के ‘वैपन’ के साथ चारदीवारी के अंदर पहुंच सकता है इसलिए दाखिल तो उसे निहत्था ही होना पड़ेगा—हां, वहां उसे गुलाब के एक घने पौधे की जड़ में पड़ा रिवॉल्वर मिल जाएगा।”
“वहां रिवॉल्वर कहां से आ जाएगा?”
“तेजस्वी रखेगा।”
“त-तेजस्वी?”
“तभी तो कहा था, दुश्मन नंबर वन हमारे लिए काम करेगा।”
“मगर क्यों, तेजस्वी ऐसा क्यों करेगा?”
“क्योंकि उसके मां-बाप, पत्नी और बेटी आपके कब्जे में होंगे।”
“ओह!”
“आप तुरंत उन्हें अगवा कर लीजिए।”
“ठीक है, हम अभी चिंकापुर स्थित ब्लैक फोर्स के मेजर को हुक्म दे देते हैं।”
“वैरी गुड सर।”
“आगे?”
“साढ़े बारह के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था का एक हिस्सा बना तेजस्वी फार्म हाउस पर पहुंचेगा—जाहिर है, सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े लोगों की तलाशी नहीं ली जाती—उस वक्त तेजस्वी के पास हमारा दिया हुआ एक रिवॉल्वर होगा—उसका काम उसे केवल गुलाब के पौधे की जड़ में छुपाना भर होगा।”
“उसके बाद?”
“पहले से वहां मौजूद हमारा मरजीवड़ा मौका देखकर उसे उठा लेगा—तभी ज्ञापन देने के बहाने चिरंजीव कुमार के नजदीक जाकर इतनी गोलियां चलाएगा कि उसके जीवित रहने का सवाल ही न रह जाए—मरजीवड़े को मालूम होगा कि उसकी हरकत के जवाब में चारों तरफ से सुरक्षाकर्मियों की इतनी गोलियां चलेंगी कि उसकी लाश का पोस्टमार्टम करने वाले ठीक से गिन तक नहीं पाएंगे।”
“उसकी फिक्र मत करो, हमारे एक इशारे पर मरने वालों की पूरी फौज तैयार है।” ब्लैक स्टार ने कहा—“हम खुद भी वहां मौजूद रहना चाहेंगे।”
“क-कहां?” तेजस्वी चौंक पड़ा—“फ-फार्म हाउस पर?”
“हां!”
“ल-लेकिन क्यों?”
“इस विकेट को अपनी आंखों से गिरता देखना चाहेंगे हम।”
“व-वो तो ठीक है सर, लेकिन ये खतरनाक होगा।” तेजस्वी कहता चला गया—“चिरंजीव के अंत के बाद उस चारदीवारी के अंदर जितने भी लोग होंगे, जांच के दरम्यान सबका इतिहास खंगाल लिया जाएगा।”
“फिक्र मत करो, हमें अपना असली इतिहास छुपाने और नकली इतिहास को असली सिद्ध करने की कला आती है।”
“ठीक है सर, आप चिंकापुर में कार्यवाही कराइए—इधर मैं अपना काम करता हूं।”
“ओ.के.!” उधर से इस शब्द को सुनते ही तेजस्वी ने संबंधविच्छेद कर दिया।
फ्लैट के बाहर खड़ा पांडुराम दांत भींचकर बड़बड़ा उठा—‘नहीं साब … नहीं, पांडुराम इतनी आसानी से इस देश को सूली पर नहीं चढ़ने देगा—मैं अभी कमिश्‍नर साहब के पास जाकर तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोले देता हूं …।’
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“व-वे मुश्किल से एक घंटा पहले ही तो आकर सोये हैं सर।” सशस्त्र सब-इंस्पेक्टर फोन पर गिड़गिड़ा उठा—“क-क्या एकदम जगा देना मुनासिब होगा?”
“उफ्फ … बेवकूफ आदमी!” ठक्कर झुंझला उठा—“तुम इस बहस में उलझकर वे क्षण गंवा रहे हो जिसमें तबाही आ सकती है—उन्हें फौरन जगाकर सूचना दो कि ठक्कर बात करना चाहता है।”
“स-सॉरी सर, मैं कोशिश करता हूं—आप होल्ड रखें।” कहने के साथ उसने वह बटन दबा दिया जिसके परिणामस्वरूप सीधे उस फोन की घंटी घनघना उठी जो कमिश्‍नर शांडियाल के बैडरूम में रखा था—दो बार रिंग जाने के बाद रिसीवर उठाया गया, अलसाया और थोड़ा झुंझलाहट भरा स्वर उभरा—“क्या बात है?”
“स-साहब।” उसका लहजा कांप रहा था—“ठक्कर साहब बात करना चाहते हैं।”
“ठ-ठक्कर?” शांडियाल अलर्ट नजर आए—“लाइन दो।”
एक क्षण गंवाए बगैर उसने लाइन दी।
“हैलो!” ठक्कर ने बेचैन अंदाज में कहा ही था कि दूसरी तरफ से शांडियाल ने हड़बड़ाहट भरे स्वर में पूछा—“क-क्या हुआ, कोई खास बात है क्या?”
“आप बगैर समय गंवाए चिंकापुर हैडक्वॉर्टर को हुक्म दें कि वे बिजली की-सी गति से वहां रहने वाले तेजस्वी के परिवार को अपने संरक्षण में ले लें।” ठक्कर ने लगभग चीखते हुए कहा।
शांडियाल उछल पड़े—“ऐसा क्या हो गया है?”
“प्लीज, समय मत गंवाइए—एक-एक क्षण कीमती है—सवाल-जवाब बाद में करते रहिएगा, चिंकापुर पुलिस को निर्देश दीजिए कि ब्लैक फोर्स के लोग इंस्पेक्टर तेजस्वी के परिवार को अपने कब्जे में लेने की कार्यवाही करने वाले हैं—किसी भी कीमत पर वे कामयाब न होने पाएं।”
समय की गंभीरता को समझते हुए कमिश्‍नर ने कहा—“ओ.के.।”
“वहां से जो रिपोर्ट मिले, कृपया तुरंत मुझे इस नंबर पर सूचित करें।” नंबर बताने के बाद ठक्कर ने रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया और इस तरह लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा जैसे मैराथन दौड़ जीतकर आया हो।
कुछ देर कमरे में खामोशी छाई रही।
फिर एकाएक नंबर टू ने कहा—“हमारी इस कार्यवाही से तो उन्हें पता लग जाएगा सर कि हम लोगों ने उनकी ‘फ्रीक्वेंसीज’ कैच कर रखी है और निरंतर ट्रांसमीटर पर उनके बीच होने वाली बातें सुन रहे हैं।”
“ये कहां से पता लग जाएगा?”
“जब चिंकापुर में पुलिस उनके हमले से पहले ही इंस्पेक्टर तेजस्वी के परिवार को अपने संरक्षण में …।”
“इससे ब्लैक स्टार को केवल यह पता लगेगा कि देशराज की मौत के बावजूद उनकी गतिविधियां पुलिस को ‘लीक’ हो रही हैं—यह लीकेज ‘ट्रांसमीटर्स’ की फ्रीक्वेंसीज के कारण है, यह पता लगने की फिलहाल कोई वजह नहीं है और फिर, कार्यवाही ही नहीं करेंगे तो सूचनाएं मिलने का लाभ क्या हुआ?”
“मेरी राय के मुताबिक अभी हमें यह कदम नहीं उठाना चाहिए था।” नंबर वन ने कहा।
“कारण?”
“ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार को अपनी साजिश के मकड़ जाल में गहरे फंसने दें तो ज्यादा ‘गेम’ कर सकेंगे।”
“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि जो वे करना चाहते हैं उसे होने दें?”
“बुरा क्या है सर?” नंबर थ्री ने सोफा सैट के बीचों-बीच पड़ी सैन्टर टेबल पर रखे शक्तिशाली ट्रांसमीटर और उससे कनैक्टिड टेपरिकॉर्डर की तरफ इशारा किया—“जब तक हमारे पास ये हैं तब तक वे कर ही क्या पाएंगे—जो तय करेंगे वह हमें पहले से मालूम होगा—जाहिर है, जिस क्षण चाहें उनके मंसूबों पर पानी फेर सकते हैं।”
फोर ने कहा—“जितनी गोट्स इस वक्त हमारे हाथ में हैं उनके बूते पर दो बड़ी कामयाबियां हासिल कर सकते हैं—पहली, चिरंजीव कुमार के मर्डर के उनके इरादों को ध्वस्त कर देना—दूसरी, ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार को गिरफ्तार कर लेना अथवा मौत के घाट उतार देना।”
“जबकि फिलहाल आपने जो कुछ किया है उससे वे सतर्क जो जाएंगे—इस बात की जांच शुरू कर देंगे कि ‘लीकेज’ आखिर हो कहां से रही है—मुमकिन है, फ्रीक्वेंसीज तक पहुंच जाएं—ऐसी अवस्था में हमारा ये सूत्र भी जाता रहेगा।”
“हम तुमसे सहमत हैं।” ठक्कर की ढेर-सारी खूबियों में से एक यह भी थी कि सामने वाले की बात जंचते ही बेहिचक अपनी गलती कुबूल कर लेता था—बोला—“निश्चित रूप से हमने कमिश्‍नर को आदेश देकर गलती की है, दरअसल यह सुनते ही कि ये लोग तेजस्वी के परिवार को बंधक बनाकर उसे विवश करना चाहते हैं—इसके अलावा कुछ सूझा ही नहीं कि ऐसा नहीं होने देना चाहिए, ज्यादा गहराई से सोचने का मौका ही नहीं मिला और फिर, समय रहते तुममें से भी तो किसी ने हमें नहीं रोका।”
उत्साहित नंबर वन ने कहा—“मैं रोकना चाहता था सर, लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी।”
“ये काम अब भी हो सकता है।” नंबर टू बोला—“मुमकिन है कमिश्‍नर चिंकापुर कॉन्टैक्ट न कर पाया हो।”
ठक्कर ने तेजी से फोन की तरफ हाथ बढ़ाया।
तभी घंटी घनघना उठी।
उसने रिसीवर उठाकर ‘हैलो’ कहा ही था कि दूसरी तरफ से शांडियाल का चिन्तित स्वर उभरा—“चिंकापुर से चिन्तित कर डालने वाली खबर है।”
“क्या हुआ?”
“तेजस्वी का मकान खाली पड़ा है, परिवार गायब है।”
“गुड!” यह शब्द ठक्कर के मुंह से स्वतः निकल पड़ा।
शांडियाल चौंक पड़े—“क-क्या मतलब?”
“आपने वहां की पुलिस को आदेश दिया होगा कि तेजस्वी के परिवार को खोजने में धरती-आकाश एक कर दें?”
“जाहिर है।”
“सबसे पहले पुनः चिंकापुर ‘कॉन्टैक्ट’ करके अपना ये आदेश वापस ले लें—वहां की पुलिस से कहें, तेजस्वी के परिवार को खोजने की जरा भी कोशिश न की जाए—इस तरह चुप्पी साध लें जैसे जानते ही न हों कि कोई परिवार गायब है।”
“क्या कहे चले जा रहे हो, दिमाग का फ्यूज उड़ गया है क्या?”
“यह बात मैं ठंडे दिमाग से सोची गई एक योजना के तहत कह रहा हूं कमिश्‍नर साहब—योजना क्या है, यह मैं इसी वक्त आपकी कोठी पर पहुंचकर बताता हूं—तब तक चिंकापुर पुलिस से वह कहें जो मैंने कहा है—याद रहे, देर करने की अवस्था में एक ऐसी योजना तार-तार होकर बिखर सकती है जिसके बूते पर हम लोग भविष्य में न सिर्फ चिरंजीव कुमार की हत्या के ब्लैक फोर्स द्वारा रचे गए एक और षड्यंत्र को ध्वस्त करने वाले हैं—बल्कि ब्लैक स्टार तक को अपने शिकंजे में फंसा सकते हैं।” कहने के बाद उसने कमिश्‍नर के जवाब की प्रतीक्षा किए बगैर रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया।
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12-31-2020, 12:26 PM,
#70
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“तुम वही हवलदार हो न जिसे थारूपल्ला ने तेजस्वी को बेहोश करने का काम सौंपा था?”
“हां साब!” पांडुराम ने कहा—“हूं तो वही।”
“हम बेहद बिजी हैं।” कमिश्‍नर शांडियाल वाकई जल्दी में नजर आ रहे थे—“जो कहना है, एक ‘सेन्टेन्स’ में कहो।”
“मेरे पास बहुत ही महत्त्वपूर्ण जानकारी है साब।” पांडुराम ने कहा—“अगर ऐसा न होता तो मैं रात के इस वक्त यहां न आता।”
“उफ्फो!” कमिश्‍नर साहब झुंझला उठे—“पता नहीं बाहर खड़े सब-इंस्पेक्टर ने तुम्हें हमारे पास भेज क्यों दिया?”
“उन्होंने टालने की बहुत कोशिश की साब, मगर मैं उनके पैरों में पड़ गया—गिड़गिड़ाया—तब कहीं जाकर आपके पास पहुंच सका हूं—जो सूचना और जानकारी मेरे पास है अगर आपने उसे इसी वक्त सुनने की कृपा न की तो अनर्थ हो जाएगा।”
“जल्दी बोलो।”
“कल रात फार्म हाउस पर चिरंजीव कुमार का मर्डर होने वाला है।”
कमिश्‍नर साहब अवाक् रह गए—बुद्धि चकरा गई उनकी—जो सूचना उनके ख्याल से अभी केवल ठक्कर और उनके पास थी उसे एक हवलदार के मुंह से सुनकर दंग रह जाना स्वाभाविक था—कई मिनट तक पांडुराम के चेहरे को इस तरह देखते रहे जैसे दुनिया के सबसे बड़े आश्चर्य को देख रहे हों, फिर धीमे स्वर में सवाल किया—“तुम्हें यह जानकारी कहां से मिली?”
“इंस्पेक्टर तेजस्वी के मुंह से साब।” कहते वक्त पांडुराम के जबड़े भिंच गए।
कमिश्‍नर की आंखें सिकुड़कर गोल हो गईं, बोले—“मतलब?”
“सबसे हैरतअंगेज सूचना यही है साब कि इंस्पेक्टर तेजस्वी इस षड्यंत्र की अगवानी कर रहा है।”
शांडियाल के जहन में विस्फोट हुआ—देशराज के अंतिम शब्द तेजी से दिमाग में गूंजे—उन्हें लगा, तेजस्वी को उनके संदेह के दायरे में लाया जा रहा है—सतर्क हो बैठे वे—जी चाहा, झपटकर दोनों हाथों से हवलदार का गिरेबान पकड़ लें—अपनी इस प्रबल इच्छा को दबाए रखने हेतु उन्हें जबरदस्त मानसिक श्रम करना पड़ा, अपेक्षाकृत शांत स्वर में बोले—“पूरी बात बताओ।”
“आज रात जब सोने के लिए मैं अपने बैडरूम में गया तो मेरी पत्नी खुले दिल से इंस्पेक्टर तेजस्वी और उसके कारनामों की प्रशंसा करने लगी—उसकी बातों से प्रभावित होकर मैंने भी अपना वो कारनामा बयान कर दिया जिसके कारण तेजस्वी काली बस्ती में जाकर थारूपल्ला को मार डालने जैसे काम को अंजाम दे सका।”
“बोलते रहो, हम तुम्हारा इशारा समझ रहे हैं।”
“जोश में पत्नी को वह सब बता तो गया मगर आप समझ सकते हैं, पत्नी पर यह भेद भी स्वतः ही खुल गया कि अतीत में मैं ब्लैक फोर्स के लिए काम करता रहा हूं।”
“उसके बाद?”
“मेरा अतीत जानने के बाद पत्नी ने बहुत धिक्कारा—कहा कि जो कुछ मैं करता रहा हूं, उसके रहते एक पल के लिए भी अपने जिस्म पर पुलिस की वर्दी धारण करने का अधिकारी नहीं हूं—और जो कुछ मैं करता रहा हूं उसका अब केवल एक ही प्रायश्चित है—यह कि इसी समय तेजस्वी नामक देवता के पास जाकर हमेशा के लिए यह वर्दी त्याग दूं, खुद मेरे दिल में भी यही इच्छा प्रबल हुई और मैं सीधा तेजस्वी के फ्लैट पर पहुंचा …।”
ध्यान से सुन रहे कमिश्‍नर ने कहा—“बोलते रहो।”
“अभी मैं फ्लैट के बंद दरवाजे पर पहुंचा ही था कि अंदर से इंस्पेक्टर तेजस्वी के जोर-जोर से बोलने की आवाज कानों में पड़ी—वह खुद को व्हाइट स्टार कह रहा था।”
“व-व्हाइट स्टार?” शांडियाल भौंचक्के रह गए।
“जी हां!”
“किससे बातें कर रहा था वह?”
“ट्रांसमीटर के दूसरी तरफ ब्लैक स्टार था।”
“बातें बताओ।”
पांडुराम ने जो सुना था, बताता चला गया—अंतिम शब्दों तक पहुंचते-पहुंचते उसका चेहरा लाल-भभूका हो उठा, कहता चला गया वह—“अब आप ही सोचिए साब, यह सब सुनने के बाद मेरी क्या हालत हुई होगी—एक ऐसी नंगी सच्चाई मेरे सामने थी जिसे जानने के बाद मेरे जैसे शख्स का दिमाग ब्लास्ट तक हो सकता है।”
“ख-खामोश!” एकाएक कमिश्‍नर शांडियाल अभी तक का अपना सारा धैर्य गंवाकर चीख पड़े—“अपनी गंदी जुबान को लगाम दो हवलदार, वरना हम इसे काटकर फिंकवा देंगे।”
“ज-जी!” पांडुराम सकपका गया, कांप उठा वह—“क-क्या मतलब साब?”
“तो तू अभी तक ब्लैक फोर्स के लिए काम कर रहा है?”
“म-मैं समझा नहीं साब।”
“समझने के बच्चे!” कहने के साथ शांडियाल ने झपटकर दोनों हाथों से उसका गिरेबान पकड़ लिया और दांत भींचकर ज्वालामुखी की मानिन्द गर्जे—“अपने आका के निर्देश पर तू हमें जो कुछ समझाना चाहता है उसे हम अच्छी तरह समझ चुके थे—तेजस्वी उसकी आंखों का सबसे बड़ा कांटा है और अब ब्लैक स्टार उसे संदेह के दायरे में फंसाकर ध्वस्त करने की साजिश पर अमल कर रहा है।”
“अ-आप तेजस्वी के आभामंडल में फंसे हुए हैं साब।”
“क्या मतलब?”
“असल में वह कभी वैसा इंस्पेक्टर नहीं रहा जैसा आप और दूसरे अफसर समझते हैं—एक नंबर का धूर्त, हरामी और रिश्वतखोर है वह।” पांडुराम चीखता चला गया—“मनचंदा जैसे लोगों से रिश्वतें लेना, अपने इलाके में हुए क्राइम की रपट दर्ज न करना, गुण्डे-बदमाशों को शह देना उसके मुख्य धंधे हैं—देशराज जैसे पुलिस वालों की बदमाशियां तो उसके पासंग भी नहीं हैं साब … थाने में लुक्का की हत्या तक उसने …।”
“तड़ाक् … तड़ाक् … तड़ाक् …!” कमिश्‍नर साहब पागल से होकर उसके चेहरे पर चांटे बरसाते चले गए—वे और ज्यादा सहने की मानसिक अवस्था में नहीं रह गए थे।
पांडुराम कदमों में गिर पड़ा, दोनों हाथों से उनके पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ा उठा—“प-प्लीज साब, मेरा यकीन कीजिए … उस हरामी के आभामंडल से बाहर आइए … वह आज तक बचा हुआ ही इसलिए है क्योंकि आप उसके खिलाफ कुछ सुनने को तैयार नहीं होते—अगर आपने मेरी बातों पर विश्वास नहीं किया तो …।”
मगर!
पांडुराम अपना वाक्य पूरा न कर सका।
कमिश्‍नर साहब जुनूनी अवस्था में उस पर लात-घूंसों की बारिश करते चले गए, साथ ही चीखते जा रहे थे—“हरामजादे … कुत्ते … हमें लगता है तू केवल खौफ के कारण ब्लैक फोर्स का ‘पिट्ठू’ नहीं है, बल्कि बाकायदा उससे ‘पगार’ पाता है।”
पांडुराम उस वक्त फर्श पर पड़ा कराह रहा था जब एकाएक फोन घनघना उठा—गुस्से की ज्यादती के कारण पागल हुए जा रहे शांडियाल ने आगे बढ़कर रिसीवर उठाया—उनकी ‘हैलो’ के जवाब में दूसरी तरफ से मुख्य द्वार पर तैनात सब-इंस्पेक्टर की आवाज उभरी—“मिस्टर ठक्कर आए हैं सर।”
एक क्षण के लिए कमिश्‍नर साहब दुविधा में फंसे नजर आए किंतु अगले पल बोले—“भेज दो!”
रिसीवर वापस रखते ही वे पुनः कराहते पांडुराम पर झपटे और उसके बाल पकड़कर भीतरी कमरे की तरफ घसीटते हुए गुर्राए—“तेरा हिसाब-किताब इस जरूरी मुलाकात के बाद साफ करेंगे हरामजादे।”
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“गलत सोचा है उन्होंने बल्कि हम तो ये कहेंगे कि अपनी ही चाल में उन्हें बुरी तरह फंसना पड़ेगा!” ठक्कर की पूरी बातें सुनने के बाद कमिश्‍नर शांडियाल कहते चले गए—“तेजस्वी अपने परिवार की खातिर देश और फर्ज से किसी हालत में गद्दारी नहीं कर सकता।”
“क्या वह अपने परिवार को मर जाने देगा?”
“एकदम से ऐसा भी नहीं कह सकते—मगर हमें लगता है वह ऐसा कुछ करेगा जिससे परिवार भी महफूज रहे और उनका षड्यंत्र भी परवान न चढ़ सके।”
कमिश्‍नर ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि फोन की घंटी घनघना उठी—उन्होंने हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठाया और दूसरी तरफ से बोलने वाले की आवाज सुनते ही ठक्कर की तरफ बढ़ाते हुए बोले—“कमांडो नंबर वन बात करना चाहता है।”
ठक्कर ने झपटने के से अंदाज में रिसीवर उनके हाथ से लिया, ‘हैलो’ कहा और फिर ध्यानपूर्वक नंबर वन की बात सुनता रहा—वार्ता करीब पंद्रह मिनट चली—ठक्कर केवल हुंकारे भरता रहा—बोला भी तो एकाध ऐसा वाक्य जिससे शांडियाल के पल्ले कुछ न पड़ा—इधर ठक्कर ने रिसीवर वापस क्रेडिल पर रखा, उधर शांडियाल ने कहा—“बड़ी लम्बी वार्ता हुई, क्या मैटर था?”
“आपकी और मेरी सभी शंकाओं के जवाब मिल गए हैं।”
“क्या मतलब?”
“ताजा सूचना के मुताबिक तेजस्वी उनके दबाव में आ गया है।”
“न-नहीं!” शांडियाल की आवाज कांप गई—“ऐसा नहीं हो सकता।”
ठक्कर ने एक-एक शब्द पर जोर दिया—“तेजस्वी और व्हाइट स्टार के बीच सौदा हो चुका है।”
“क्या सौदा?”
“व्हाइट स्टार द्वारा ब्लैक स्टार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक वह कुछ ही देर पूर्व तेजस्वी से उसके फ्लैट पर मिला है—सबसे पहले व्हाइट स्टार ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसका परिवार ब्लैक फोर्स के कब्जे में है—विश्वास आने पर तेजस्वी आतंकित नजर आने लगा, पूछने लगा कि वे लोग चाहते क्या हैं—जवाब में व्हाइट स्टार ने कहा—‘इससे ज्यादा कुछ नहीं कि एक शख्स तुम्हें एक रिवॉल्वर देगा—तुम उस रिवॉल्वर को फार्म हाउस के लॉन में गुलाब के एक पौधे की जड़ में छुपा दोगे।”
कमिश्‍नर साहब ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि फोन एक बार पुनः घनघना उठा—उन्होंने रिसीवर उठाकर ‘हैलो’ कहा ही था कि दूसरी तरफ से द्वार पर तैनात सब-इंस्पेक्टर की आवाज उभरी—“मेरी बगल में इंस्पेक्टर तेजस्वी खड़े हुए हैं सर, इसी वक्त आपसे मिलना चाहते हैं।”
“क-क्या?” कमिश्‍नर साहब उछल पड़े—“तेजस्वी?”
“यस सर!”
“भेज दो!” कहने के बाद चेहरे पर हैरत के भाव लिए उन्होंने रिसीवर रखा ही था कि ठक्कर कह उठा—“तेजस्वी इस वक्त यहां क्यों आया है?”
“शायद उसके दिमाग में कोई योजना है …।”
“याद रहे!” ठक्कर ने चेतावनी-सी दी—“आप उससे जिक्र नहीं करेंगे कि हमें क्या कुछ मालूम है!”
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