hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:16 PM,
#11
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
ड्राइवर ने जोर से ब्रेक लगाकर जीप रोक दी।

देशराज की तंद्रा भंग हुई, बोला—“क्या हुआ?”

“सड़क के उस तरफ कुछ पड़ा है साब, शायद कोई लाश!”

“लाश?”

“हां साब—शायद लाश ही है, उस तरफ देखिए …।” कहने के साथ ड्राइवर ने बाईं तरफ वाले फुटपाथ की ओर इशारा किया—जीप की हैडलाइट सड़क पर सीधी पड़ रही थी—इसलिए फुटपाथ का दृश्य साफ तो नजर न आया मगर ऐसा आभास जरूर मिला कि वहां कुछ पड़ा है, देशराज ने आदेश दिया—“जीप तिरछी कर।”
ड्राइवर ने आदेश का पालन किया।

सचमुच लाश ही थी वह!

देशराज, पांडुराम और ड्राइवर के साथ जीप से निकलकर लाश के नजदीक पहुंचा।

वह किसी बूढ़े की लाश थी—जिस्म पर नीला कुर्ता, सफेद धोती और पैरों में जूतियां—किसी ने बड़ी बेरहमी से उसके चेहरे पर चाकू मारे थे—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि हत्यारे ने बूढ़े का समूचा चेहरा उधेड़ डाला था।

लाश पर मक्खियां भिनभिना रही थीं।

“हवलदार!” देशराज ने घृणा से मुंह सिकोड़ा—“अगर हमने इस बुड्ढे की लाश की बरामदगी अपने इलाके से दिखाई तो साली एक मुसीबत जान को उलझ जाएगी—इसका पंचनामा करो, पोस्टमार्टम कराओ, शिनाख्त न होने पर श्मशान ले जाकर फूंकने की जहमत उठाओ।”

“शिनाख्त तो इसकी हो ही नहीं सकती साब!” पांडुराम ने कहा—“क्रियाकर्म करने वाले ने साले के चेहरे की तिक्काबोटी अलग-अलग कर डाली है।”

“हमारे पास इसके हत्यारे की खोज में सिर खपाने का टाइम भी कहां है—और उधर अखबार वाले शोर मचाएंगे, अफसरान फिर कहेंगे देशराज के हलके में बहुत क्राइम हो रहे हैं और देशराज कुछ कर नहीं रहा।”
“फिर क्या करें साब?”

“सारी मुसीबतों से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता है, इसे यहां से उठाकर बगल वाले थाने के हलके में फेंक आते हैं—इस मुसीबत को साले वे ही भुगतें।”

“ओ.के. सर!”

“तो उठाओ इसे, जीप में डाल लो।”

ड्राइवर और पांडुराम ने मिलकर लाश इस तरह जीप में डाली जैसे भूसे की बोरी हो।

*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:16 PM,
#12
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
सुबह के चार बज रहे थे।

सारा काम निपटाने के बाद देशराज अभी-अभी अपनी कुर्सी पर आकर बैठा था—चेहरे से थकान और आंखों से नींद झांक रही थी—दोनों पैर टेबल पर फैलाने के बाद सिगरेट सुलगाई ही थी कि ऑफिस में दाखिल होते पांडुराम ने सूचना दी—“वह मुसीबत तो फिर हमारे गले पड़ गई साब …।”

“कौन-सी मुसीबत?”

“वही, बुड्ढे की लाश!”

“क्या मतलब?” देशराज चौंका।

“वह पुनः हमारे इलाके में पड़ी मिली है।”

“ओह!” देशराज के होंठों पर धूर्त मुस्कराहट उभर आई—“लगता है बगल वाले थाने के इंस्पेक्टर ने भी वही सोचा जो हमने सोचा था, उन्होंने मुसीबत वापस हमारे गले में डाल दी।”

“अब क्या करें सर?”

“कहां पड़ी है लाश?”

“गन्दे नाले के पुल पर।”

“ठीक है, मुझे घर भी जाना है—रास्ते से उठाकर जीप में डाल लेंगे—इस बार नदी में लुढ़का देते हैं उसे, साली को मगरमच्छ नोच-नोचकर निपटा देंगे—रही-सही बह जायेगी—न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी!”

“यस सर, यह ठीक रहेगा!” पांडुराम ने कहा—“बहुत ही बड़े-बड़े मगरमच्छ हैं नदी में—इतने खतरनाक कि कभी-कभी तो नदी किनारे जलने वाली चिताओं तक से लाश खींचकर ले जाते हैं—पिछले इंस्पेक्टर साहब ने भी एक लाश इसी तरह ठिकाने लगाई थी, आज तक कोई न जान सका कि लाश कहां गयी—और फिर आजकल तो वैसे भी बारिश धुआंधार पड़ रही है, नदी उफान पर है—आधे घंटे बाद दुनिया की कोई शक्ति लाश को नहीं ढूंढ सकेगी।”

पांच मिनट बाद वे गन्दे नाले के पुल पर थे।

ड्राइवर और पांडुराम ने लाश जीप में डाली, जीप उस वक्त नदी की तरफ दौड़ रही थी जब देशराज ने पांडुराम को निर्देश दिया—“दयाचन्द और सलमा अलग-अलग हवालातों में बन्द हैं—मैंने केस डायरी तैयार कर दी है, उसे पढ़ लेना और कल सुबह दोनों को कोर्ट में पेश करके जेल भिजवा देना—मैं लंच बाद थाने पहुंचूंगा।”

“ओ.के. सर!” पांडुराम के इन शब्दों के बाद जीप में खामोशी छा गयी।

फिर!
वे नदी पर पहुंचे।

जीप पुल के बीचों-बीच खड़ी की।

देशराज ने एक सिगरेट सुलगाई। ड्राइवर और पांडुराम ने भूसे की बोरी की मानिन्द लाश जीप से निकाली, पुल की रेलिंग के नजदीक ले गए और दो-तीन ‘झोटे’ देने के बाद रेलिंग के दूसरी तरफ उछाल दी।

‘छपाक’ की आवाज के साथ सब कुछ खत्म हो गया।

मुश्किल से एक मिनट लगा था उन्हें।

अगले मिनट जीप देशराज के घर की तरफ उड़ी चली जा रही थी, पांडुराम को जाने क्या सूझा कि अचानक बोला—“इजाजत हो तो एक दिलचस्प बात सुनाऊं साब?”

“सुना!” देशराज ने सिगरेट में कश लगाया।

“वेद प्रकाश शर्मा का नाम सुना है आपने?”

“वो जासूसी उपन्यासों का लेखक?”

“हां!”

“तो?”

“सवा सौ उपन्यासों के करीब लिख चुका है वह और आज हिन्दी का सबसे ज्यादा बिकने वाला उपन्यासकार है—लोग उसके उपन्यास बड़े चाव से पढ़ते हैं, मैं भी पढ़ता हूं।”

“फिर?”

“अगर उसके उपन्यास के इंस्पेक्टर को इस तरह लाश पड़ी मिलती तो पट्ठा ये दिखाता कि इंस्पेक्टर पर बुड्ढे के हत्यारे को खोज निकालने और उसे कानून के हवाले करने का जुनून सवार हो गया।”

“अच्छा!” देशराज ने खिल्ली उड़ाने वाला ठहाका लगाया।

“सारा उपन्यास बुड्ढे के हत्यारे की खोजबीन कर रहे इंस्पेक्टर की कार्यवाहियों से ही भर डालता—कई उपन्यासों में तो उसने यहां तक लिखा है कि पुलिस इंस्पेक्टर इतना ईमानदार, मेहनती, कर्मठ और कर्त्तव्यनिष्ठ था कि अपने साथ-साथ अपने परिवार तक की जान गंवा दी मगर अपराधियों के हाथों बिका नहीं—ऐसे-ऐसे इंस्पेक्टर पेश किए हैं उसने जो कोई पेचीदा केस मिलने पर कहते हैं—मेरे दिमाग को खुराक मिल गयी है और अपराधी के पीछे लग जाते हैं।”

“फिर भी वह सबसे ज्यादा बिकता है?”

“हां।”

“वो भी मूर्ख है और पब्लिक भी—ये लेखक साले होते ही दिमाग से पैदल हैं—खुद ही लेख लिख-लिखकर प्रचारित करेंगे कि साहित्य समाज का दर्पण है और लिखेंगे वह बकवास जो तू बता रहा है—अब भला इन कूढ़मगजों से कोई पूछे, अगर इनका साहित्य समाज का दर्पण होता तो उनके उपन्यासों के नायक मेरे जैसे इंस्पेक्टर होते या वे, जो समाज में पाये ही नहीं जाते?”

ड्राइवर और पांडुराम ठहाका लगा उठे—“यही तो मैं कहना चाहता था साब।”

*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:16 PM,
#13
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अ-अरे!” कमरे में कदम रखते ही देशराज भौंचक्का रह गया—“य-ये क्या हुआ आरती?”

होंठों पर बंधी पट्टी और मुंह के अन्दर ठुंसे कपड़े के कारण आरती के हलक से केवल ‘गूं-गूं’ की आवाज निकलकर रह गयी—दोनों हाथ पीठ पर बांधकर किसी ने रेशम की मजबूत डोरी से उसे लोहे की भारी अलमारी के साथ बांध रखा था—बंधन इतने मजबूत थे कि स्वेच्छापूर्वक आरती जुम्बिश तक नहीं ले सकती थी।

देशराज ने झपटने वाले अन्दाज में उसे बंधनमुक्त किया, पूछा—“तुम्हारी यह हालत किसने की?”

होंठों पर बंधी पट्टी और मुंह में ठुंसे कपड़े को निकालने के साथ आरती ने बताया—“पिताजी ने …।”

“प-पिताजी?” देशराज चिहुंक उठा।

“उन्होंने तुम्हारे और ब्लैक स्टार के बीच होने वाली वार्ता अपने कमरे में रखे एक्सटेंशन इन्स्ट्रूमेन्ट पर सुन ली थी।”

“ओर!” देशराज पर मानो बिजली गिरी—“फ-फिर?”

“उन पर तुम्हारी करतूतों का भेद एस.एस.पी. पर खोल देने का जुनून सवार था—कह रहे थे आज उन्हें अपने बेटे से घृणा हो गई है—पुलिस इंस्पेक्टर होने के बावजूद वह ब्लैक स्टार के हाथों की कठपुतली बना हुआ है—वे यह भी कह रहे थे कि ब्लैक स्टार के हुक्म पर तुम किसी की हत्या के जुर्म में किसी निर्दोष को फंसाने वाले हो—मैंने तब भी रोकना चाहा, कहा ‘मुमकिन है, ब्लैक स्टार के फोन से कोई गलतफहमी ‘क्रिएट’ हो गयी हो, अतः इस संबंध में कुछ भी करने से पूर्व एक बार आपसे बात कर ली जाये’, मगर उन्होंने एक न सुनी—ज्यादा विरोध किया तो मेरी यह हालत करके निकल गए।”

“क-कब?” देशराज की आवाज सूखे पत्ते की मानिन्द कांप रही थी—“कब की बात है ये?”

“आपके जाते ही वे कमरे से बाहर निकले थे।”

“त-तो फिर अब तक एस.एस.पी. के पास पहुंचे क्यों नहीं—मेरे खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं हुआ—उफ्फ! उन्होंने पहन क्या रखा था?” भयंकर आशंका ने मानो उसे पागल कर दिया, चीख पड़ा वह—“जल्दी जवाब दो आरती, कौन से कपड़े पहने हुए थे वे?”

“नीला कुर्ता, सफेद धोती और …”

“और जूतियां!” देशराज ने पागलों के से अंदाज में आरती की बात पूरी की।

“हां।”

“न-नहीं … नहीं!” देशराज दहाड़ उठा—“ऐसा नहीं हो सकता।”

“क्या बात है, क्या हो गया?”

देशराज पर मानो वह बिजली गिरी थी जो पलक झपकते ही प्राणी को राख के पुतले में तब्दील कर देती है, दिलों-दिमाग सुन्न पड़ गया—आंखों के समक्ष बुड्ढे की लाश चकरा रही थी।

कानों में अपने शब्द गूंजे—‘इस बार नदी में लुढ़का देते हैं उसे—साली को मगरमच्छ नोच-नोचकर निपटा देंगे—रही सही बह जाएगी—न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी!’

‘यह ठीक रहेगा!’ पांडुराम ने कहा था—‘बहुत ही बड़े-बड़े मगरमच्छ हैं नदी में … कभी-कभी तो किनारे पर जलने वाली चिताओं से लाश को खींचकर ले जाते हैं … नदी उफान पर है, आधे घंटे बाद दुनिया की कोई ताकत लाश को नहीं ढूंढ सकेगी।’

“क-क्या हुआ?” आरती ने उसे झंझोड़ डाला—“आपको क्या हो गया है?”

क्या जवाब देता देशराज?

तभी फोन की घंटी बजी।

रिसीवर उठाकर उसने ‘हैलो’ कहा।

“गजब हो गया सर!” पांडुराम की आवाज—“गोविन्दा और छमिया ने आत्महत्या कर ली …।”

“क-कैसे?” देशराज दहाड़ उठा।

“अपने क्वार्टर में मृत पाए गए हैं दोनों, चूहेमार दवा की शीशी लुढ़की पड़ी है, सुसाइड नोट भी छोड़ा है, थाने में अपने साथ किए गए सुलूक के बारे में साफ-साफ लिख दिया है उन्होंने। मगर आप फिक्र न करें—हम सुसाइड नोट को गायब कर देंगे।”

“नहीं हवलदार, उसे गायब करने की जरूरत नहीं है।”

“ज-जी?” पांडुराम की आवाज सातवें सुर में जा मिली।

*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:16 PM,
#14
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“ठहरिए योर ऑनर … ठहरिए!” अदालत कक्ष में दाखिल होता देशराज दीवानावार चीखा—“असलम की हत्या सलमा ने नहीं, दयाचन्द ने की है—हालांकि मुजरिम सलमा भी है, परन्तु उसे असलम की हत्यारी बनाने का गुनाह मैंने किया है—मैंने। एक पुलिस इंस्पेक्टर ने, एक थानेदार ने … और ऐसे गुनाह मेरे जैसे थानेदार इसलिए करते हैं क्योंकि थानेदारों को जरूरत से ज्यादा शक्तियां दे दी गई हैं।”

सब दंग रह गए।

न्यायाधीश से श्रोता तक!

पांडुराम, दयाचन्द और सलमा तो भौंचक्के थे।

कक्ष में खलबली मच गई।

“आॅर्डर … आॅर्डर!” न्यायाधीश ने शांति बहाल करने के बाद कहा—“आपको जो कहना है, विटनेस बॉक्स में आकर कहिए।”

देशराज विटनेस बॉक्स की तरफ झपटा, जुनून में फंसा अभी कुछ कहना ही चाहता था कि न्यायाधीश ने पूछा—“यह केस डायरी आप ही ने तैयार की है?”

“यस सर!”

“उसके बावजूद आप कह रहे हैं हत्या सलमा ने नहीं, दयाचन्द ने की है?”

“हकीकत यही है योर ऑनर!”

“तो फिर डायरी में सलमा को हत्यारी क्यों ठहराया?”

“ब्लैक स्टार के इशारे पर।” देशराज दांत भींचकर कह उठा।

“ब-ब्लैक स्टार?” ये शब्द संपूर्ण अदालत कक्ष में गूंज गए और गूंजते भी क्यों नहीं—यह शब्द न्यायाधीश से लेकर कक्ष की अंतिम सीट पर बैठे शख्स तक के होंठों से हैरतअंगेज बुदबुदाहट के साथ फूटे थे—ऐसा नजारा प्रस्तुत हो गया जैसे भेड़ों के झुंड में भेड़िए का नाम ले लिया गया हो।

कक्ष में सन्नाटा छा गया।

सनसनीखेज सन्नाटा।

हर चेहरे पर आतंक, खौफ और भय की छाया मंडराती नजर आ रही थी।

वह देशराज ही था जिसने लम्बे होते सन्नाटे के गाल पर झन्नाटेदार चांटा रसीद किया—“मैं अभी अदालत से पूछ रहा हूं मी लॉर्ड—क्या इस राज्य में कोई ऐसा है जो ब्लैक स्टार के हुक्म की अवहेलना कर सके?”

सन्नाटा कुछ और पैदा हो गया।

“मैं दावे के साथ कह सकता हूं योर ऑनर, अगर ब्लैक स्टार खुद आपको यह हुक्म दे कि सारे सबूत इंस्पेक्टर देशराज के खिलाफ होने के बावजूद देशराज को बाइज्जत बरी किया जाना है तो आपको भी उसकी अवहेलना करने से पहले हजार बार सोचना पड़ेगा।”

सन्नाटा यथावत् छाया रहा।

“और ऐसा इसलिए है मी लार्ड कि जिस राज्य सरकार का मैं मुलालिम हूं, वह सरकार खुद ब्लैक स्टार की गुलाम है—इस राज्य के वास्तविक चीफ मिनिस्टर मिस्टर चन्द्रचूड़ नहीं, बल्कि ब्लैक स्टार है—‘स्टार फोर्स’ इतनी शक्तिशाली हो गई है कि उसके इशारे के बगैर राज्य में पत्ता तक नहीं खड़क सकता और राज्य ही क्यों, खुद देश की सरकार तक कोशिश करने के बावजूद ‘स्टार फोर्स’ का सफाया न कर सकी—हमारे पड़ोस में एक छोटा-सा देश है ‘श्रीगंगा’ —‘स्टार फोर्स’ का मुख्यालय श्रीगंगा में है—वहां यह फोर्स अपने लिए एक अलग मुल्क की मांग कर रही है—मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं कि ‘श्रीगंगा’ की मिलिट्री ‘स्टार फोर्स’ के सामने बहुत बौनी है—स्टार फोर्स से निपटने के लिए ‘श्रीगंगा’ ने हमारे देश से सैनिक सहायता मांगी और दोस्ती की खातिर हमने अपनी सेना वहां उतार दी—जबरदस्त कोशिश और अपने सैंकड़ों जवान गंवाने के बावजूद हमारे मुल्क की सेना भी ‘श्रीगंगा’ से स्टार फोर्स को समूल नष्ट न कर सकी—सैनिक कार्यवाही का परिणाम यह निकला कि स्टार फोर्स के मरजीवड़ों ने ‘श्रीगंगा’ से भागकर हमारे राज्य में शरण ली क्योंकि मूलतः वे उसी जाति के हैं जिस जाति की हमारे राज्य में बहुतायत है—शरणार्थियों की आड़ में अब उसी स्टार फोर्स के मरजीवड़े हमारे राज्य में सक्रिय हैं—सब जानते हैं सर कि उनका मुख्यालय उस थाना क्षेत्र में स्थित है जहां का इंचार्ज मैं हूं, मगर मजाल है कि राज्य सरकार उसके मुख्यालय पर हाथ डाल सके—ऐसी फोर्स के मुखिया के हुक्म की अवहेलना भला एक अदना-सा थानाध्यक्ष कैसे कर सकता था?”

“यह झूठ है योर ऑनर।” एकाएक दयाचन्द चीख पड़ा—“यह शख्स इस केस के दरम्यान ब्लैक स्टार का नाम घसीट कर व्यर्थ की सनसनी फैलाना चाहता है—हकीकत केवल इतनी है कि इंस्पेक्टर देशराज एक भ्रष्ट पुलिसिया है—असलम की हत्या के जुर्म में इसने पहले गोविन्दा को गिरफ्तार किया—थाने में गोविन्दा की बीवी को बुलाकर उसका सर्वस्व लूटने की कीमत पर, गोविन्दा के स्थान पर सलमा के खिलाफ केस डायरी तैयार की—और अब न जाने किससे क्या लेकर मुझे हत्यारा साबित करना चाहता है।”

देशराज गुर्राया—“तू अदालत को यह बताना भूल गया दयाचन्द कि गोविन्दा को मैंने तुझसे एक लाख रुपये लेकर फंसाया था?”

दयाचन्द सकपका गया।

उसने स्वप्न में भी कल्पना न की थी कि देशराज स्वयं अपनी करतूत का भंडाफोड़ कर देगा—वह बेचारा क्या जानता था कि इंस्पेक्टर देशराज इस वक्त किस मनःस्थिति में है—वह तो तब जाना जब एक बार शुरू हुआ देशराज सांस लेने के लिए तभी रुका जब उससे एक लाख रुपया लेने से लेकर अपने पिता की मौत तक का वृत्तांत अदालत को बता चुका।

*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:16 PM,
#15
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अदालत में दिए गए इंस्पेक्टर देशराज के बयान ने केवल इसी राज्य में नहीं बल्कि सारे देश में तूफान ला दिया है। आपात्कालीन मीटिंग में पुलिस कमिश्‍नर मिस्टर एच.के. शांडियाल गंभीर स्वर में कहते चले गये—“गृह मंत्रालय तक में खलबली मच गयी है, अगर किसी और ने पुलिस पर वे इल्जाम लगाये होते तो यह सोचा जा सकता था कि इल्जाम झूठे होंगे, मगर इंस्पेक्टर देशराज ने खुद-ब-खुद पर इल्जाम लगाए हैं—भरी अदालत में खुद अपनी काली करतूतों का भंडाफोड़ किया है—उसके कारनामे सुनकर आज लोग जहां उससे घृणा कर रहे हैं लेकिन … लेकिन अपने बयान से पुलिस विभाग पर उसने ऐसा सवालिया निशान लगा दिया है जिसका जवाब आम आदमी से लेकर गृह मंत्रालय तक मांग रहा है।”
डी.आई.जी. चिदम्बरम ने कहा—“अगर देशराज ने केवल अपनी ही करतूतों का बखान किया होता तब भी गनीमत होती, मगर जोश में भरकर उसने सारे पुलिस विभाग को अपने जैसा कह दिया है सर।”
“क्या उसने गलत कहा है?”
“सब पुलिस वाले एक से कैसे हो सकते हैं, सर?” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा कह उठे।
“भले ही सब एक से न हों मगर बहुतायत इंस्पेक्टर देशराज जैसों की है।” शांडियाल का लहजा सख्त हो गया—“वर्दी की आड़ में पुलिस को मिली शक्तियों का दुरुपयोग करने की इन प्रवृत्तियों को हमें खत्म करना होगा मिस्टर कुम्बारप्पा।”
“यस सर!” एस.पी. सिटी मिस्टर भारद्वाज बोले—“यह सवाल पूरे डिपार्टमैन्ट की इज्जत का है।”
“डिपार्टमैन्ट की ही नहीं, समाज की इज्जत का सवाल है ये—इस किस्म की घटनाएं पुलिस पर से आम नागरिक का विश्वास उठा सकती हैं—पुलिस वाले जनता के सेवक और रक्षक होते हैं, अगर वे लोगों पर हुकूमत करने लगें—रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो क्या होगा—यही न कि एक दिन इस मुल्क में बगावत हो जाएगी—पुलिस के खिलाफ लोगों का सैलाब सड़क पर उतर आएगा!”
“देशराज ने पुलिस विभाग को तो क्या प्रदेश सरकार तक को नहीं बख्शा सर।” एस.पी. देहात कह उठे—“भरी अदालत में चीफ मिनिस्टर तक को ‘स्टार फोर्स’ के हाथों की कठपुतली कह दिया उसने।”
“अपने पिता की मौत और उससे ज्यादा उनकी लाश के साथ अपने द्वारा किए गए सलूक से वह इस कदर टूट गया कि अपनी जान की परवाह किए बगैर वह सब कहता चला गया जिसे जानते तो सब हैं, लेकिन कहने का साहस किसी में नहीं।”
“लेकिन सर, जब तक सरकार न चाहे तब तक पुलिस विभाग स्टार फोर्स के विरुद्ध कर भी क्या सकता है?”
पुलिस कमिश्‍नर ने गंभीर स्वर में कहा—“आप सब जानते हैं, राज्य सरकार भले ही स्टार फोर्स के हाथों की कठपुतली हो, मगर केन्द्रीय सरकार उसकी कट्टर विरोधी है—केन्द्र में जिस दल की सरकार है वह दल हमारे राज्य में इस वक्त विपक्ष में है—उस दल के सर्वोच्च प्रदेशीय नेता मिस्टर चिरंजीव कुमार विपक्ष के नेता हैं—बड़ी मुश्किल से उन्होंने ऐसे सबूत इकट्ठे करके केन्द्र को भेजे हैं जिससे चन्द्रचूड़ सरकार और स्टार फोर्स के संबंध प्रमाणित हो जाते हैं—मिस्टर चिरंजीव कुमार ने केन्द्र से सिफारिश की है कि राज्य सरकार को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाए—हमें पूरा विश्वास है, चिरंजीव कुमार द्वारा भेजे गए प्रमाण इतने पुख्ता हैं कि केन्द्र के सामने चन्द्रचूड़ सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू करने के अलावा कोई रास्ता न बचेगा।”
“क्या आप यह संकेत देना चाहते हैं कि राज्य में शीघ्र ही राष्ट्रपति शासन लागू होने वाला है?” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा ने पूछा।
“यह सच है!” शांडियाल बोले—“और इसीलिए अब हमें स्टार फोर्स के खिलाफ मोर्चा लेने हेतु कमर कस लेनी चाहिए—केन्द्र से शीघ्र ही स्टार फोर्स का सफाया कर डालने के आदेश आने की उम्मीद है।”
एस.पी. सिटी ने कहा—“तब तो उस थाने पर ऐसे इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जानी चाहिए जो अपनी जान की परवाह किए बगैर स्टार फोर्स के मरजीवड़ों से लोहा ले सके।”
“हमें उस थाने पर एक ऐसा इंस्पेक्टर चाहिए मिस्टर भारद्वाज, जो पुलिस के मस्तक पर देशराज द्वारा लगाये गए कलंक को न केवल धो सके, बल्कि लोगों में पुलिस के विश्वास की पुनस्र्थापना भी कर सके—जनता को विश्वास दिला सके कि पुलिस भक्षक और मालिक नहीं बल्कि रक्षक और सेवक है।”
“मैं तेजस्वी यमन का नाम प्रस्तुत करता हूं सर!” डी.आई.जी. चिदम्बरम ने कहा।
“तेजस्वी यमन?”
“मैं भी यही कहने वाला था सर!” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा कर उठे—“अगर यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी कि तेजस्वी राज्य का सबसे काबिल इंस्पेक्टर है—कर्मठ, ईमानदार, जुझारू और क्राइम से नफरत करने वाले इंस्पेक्टर के नाम से प्रसिद्ध है वह—अपराधियों में यह सुनते ही आतंक फैल जाता है कि तेजस्वी की नियुक्ति उनके इलाके में कर दी गई है—‘अपराधियों का काल’ के नाम से जाना जाता है उसे, यहां तक कहा जाता है कि जिस थाने पर उसे नियुक्त कर दिया जाए, उस थाना क्षेत्र के क्रिमिनल उसी दिन किसी अन्य थाना क्षेत्र में जाकर रहने लगते हैं, और उसके अब तक के रिकॉर्ड को देखकर लगता है कि यह सच है। रिकॉर्ड बताते हैं, जिस थाने में वह नियुक्त हो गया वहां क्राइम का ग्राफ आश्चर्यजनक रूप से नीचे आ गया, गुण्डे-बदमाशों का सफाया करके राम-राज्य स्थापित कर देता है वह।”
“तेजस्वी के बारे में हम पहले भी ऐसी बातें सुन चुके हैं।” एच.के. शांडियाल ने कहा—“उसे हमारे सामने पेश किया जाए।”
डी.आई.जी. चिदम्बरम और एस.एस.पी. कुम्बारप्पा को उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इतनी आसानी से सफलता मिल जाएगी, दोनों की आंखें इस तरह मिलीं जैसे एवरेस्ट की चोटी पर झण्डा गाड़ देने के बाद तेनसिंह और हिलेरी की आंखें मिली होंगी।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:17 PM,
#16
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
इंस्पेक्टर तेजस्वी!
गोरा-चिट्टा और झील-सी नीली आंखों वाला अड़ियल जवान।
वर्दी उसके जिस्म पर यूं फबती थी जैसे बना ही उस वर्दी के लिए हो—गठीले और साढ़े छः फुट लम्बे जिस्म वाले तेजस्वी के नाक-नक्श इतने तीखे थे कि सामने वाला बरबस ही उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हो जाता था—लम्बी टांगों के बूते पर वह लम्बे-लम्बे कदमों के साथ पुलिस मुख्यालय में दाखिल हुआ और कमिश्‍नर के ऑफिस के बाहर पड़ी एक मेज के पार बैठे पुलिसिए के समक्ष पहुंचकर प्रभावशाली स्वर में बोला—“इंस्पेक्टर तेजस्वी!”
“कमिश्‍नर साहब का आदेश है कि आपको आते ही अंदर भेज दिया जाए।”
“ओ.के.!” कहने के साथ उसने अपने घने काले और घुंघराले बालों को कैप से ढका तथा लम्बे-लम्बे दो ही कदमों में ऑफिस के द्वार पर पहुंच गया।
थोड़ा सा दरवाजा खोलकर उसने सम्मानित स्वर में पूछा—“मे आई कम इन सर?”
“कम इन तेजस्वी!” विशाल मेज के पीछे, रिवॉल्ंिवग चेयर पर विराजमान शांडियाल ने कहा—“कम इन।”
जिस वक्त उनकी मेज के नजदीक पहुंचकर तेजस्वी ने जोरदार सैल्यूट मारा, उस वक्त डोर क्लोजर पर झूलता हुआ ऑफिस का द्वार बन्द हो चुका था।
“बैठो!” शांडियाल ने कहा।
“थैंक्यू सर!” तेजस्वी बैठा नहीं, सावधान की मुद्रा में खड़ा-खड़ा बोला—“मेरे लिए क्या हुक्म है सर?”
“तुम्हें प्रतापगढ़ थाने पर अपनी नियुक्ति के आदेश मिल गए होंगे?”
“यस सर!”
शांडियाल ने एक सिगार सुलगाया, बोले—“तुम्हें मालूम है न कि स्टार फोर्स का मुख्यालय प्रतापगढ़ ही में है?”
“यस सर!”
“यस भी जानते हो कि राज्य में जो सरकार थी उसे केन्द्र ने बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है और नई सरकार के गठन हेतु राज्य में शीघ्र चुनाव होने वाले हैं?”
“यस सर!” तेजस्वी मानो एक ही शब्द रटकर आया था।
“तुमसे पहले प्रतापगढ़ थाने पर इंस्पेक्टर देशराज नियुक्त था—जो कुछ उसने किया, तुमने सुना होगा।”
तेजस्वी ने पुनः वही शब्द दोहराया—“यस सर!”
“डी.आई.जी. और एस.एस.पी. से हमने तुम्हारी बहुत तारीफ सुनी है।”
“यह उनकी महानता है सर।” पहली बार तेजस्वी ने ‘यस सर’ का पीछा छोड़ा—“मुझे केवल खुद को सौंपी गई ड्यूटी को कठोरता से अंजाम देना आता है—क्राइम से मुझे सख्त नफरत है, सोचता हूं अगर मेरे हलके में क्राइम हुआ तो लानत है मेरी वर्दी पर—जिस दिन मैंने यह पवित्र वर्दी पहनी थी, उसी दिन कसम खाई थी कि जुर्म के कीटाणुओं को चुन-चुनकर मौत के घाट उतार दूंगा।”
“गुड!” शांडिल्य कह उठे—“चुनाव से पहले तुम्हें न केवल प्रतापगढ़ से स्टार फोर्स का सफाया कर डालना है, बल्कि देशराज के कारनामों के कारण वहां की जनता में पुलिस की जो छवि बन गई है उसे भी धो डालना है—ये दोनों चुनौतियां बहुत बड़ी हैं तेजस्वी, हमें उम्मीद है तुम कामयाब होगे।”
“आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा सर।” तेजस्वी ने कहा—“मगर ऐसा केवल तब हो सकेगा जब मुझे अपने अफसरों का सहयोग मिल सके।”
“क्या सहयोग चाहोगे?”
“जब मैं अपने इलाके में सख्ती करता हूं तो आप लोगों को जहां राहत मिलती है, वहीं कुछ खास लोगों को परेशानी भी होती है और ऐसे लोग अक्सर एप्रोच वाले होते हैं—पॉलीटिकल दबाव का इस्तेमाल करते हैं वे—केवल इतना सहयोग चाहूंगा कि किसी दबाव में आकर मुझे डिस्टर्ब न किया जाए!”
“नि‌िश्‍चंत रहो तेजस्वी, हम तुमसे वायदा करते हैं, किसी के दबाव में आकर न तुम्हारा ट्रांसफर किया जाएगा और न ही तुम्हारे किसी काम में कोई दखलअंदाजी की जाएगी।”
“थैंक्यू सर!” तेजस्वी की आंखें चमक उठीं—“थैंक्यू वैरी मच!”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:17 PM,
#17
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“तुमने सुना?” जुए का अवैध अड्डा चलाने वाले लुक्का ने कहा—“प्रतापगढ़ थाने पर इंस्पेक्टर तेजस्वी को नियुक्त कर दिया गया है।”
“तो?” कच्ची शराब का धंधा करने वाले रंगनाथन ने बुरा-सा मुंह बनाया—“मरा क्यों जा रहा है, चेहरे पर हवाइयां क्यों उड़ रही हैं?”
“सुना है वह ईमानदार है।” चकला चलाने वाला कह उठा—“रिश्वत नहीं लेता—और जब थानेदार नहीं लेगा तो हमारा धंधा कैसे चलेगा?”
“बकवास!” रंगनाथन ने हाथ झटका—“दुनिया में ऐसा कोई पुलिसिया नहीं है जो रिश्वत न लेता हो।”
“नहीं रंगनाथन, गलत सोच रहा है तू।” प्रतापगढ़ के सट्टा किंग ने कहा—“वो सचमुच रिश्वत नहीं लेता—सूअर का बाल है साले की आंखों में—तुझे मालूम है, एक साल पहले मैं कमाठीपुरे में धन्धा करता था—उस थाने पर तेजस्वी की नियुक्ति हो गई—मैंने उससे दुगनी रकम देकर ‘ट्यूनिंग’ बनाने की कोशिश की जितनी पिछले इंस्पेक्टर को देता था, मगर मानना तो दूर, साले ने उठाकर बन्द कर दिया—मजबूर होकर मुझे इस इलाके में सैटल होना पड़ा—अब लगता है, यहां से भागना पड़ेगा—उसके हाथ में हमेशा एक रूल रहता है, रूल के अंतिम सिरे पर साइकिल की चैन बंधी रहती है—यह उसका पसंदीदा हथियार है, यानि जब तक अपराधी की खाल उससे नहीं उधेड़ता, तब तक उसके कलेजे में ठंडक नहीं पड़ती।”
“मेरा ‘एक्सपीरियेंस’ तुम सबसे जुदा है मेरे लाडलों।” रंगनाथन मुस्कराया।
बहुत देर से खामोश बैठे पेशेवर कातिल को आखिर बोलना पड़ा—“तू कहना क्या चाहता है रंगनाथन?”
“मैं पिछले दस साल से कच्ची शराब का धन्धा कर रहा हूं—न जाने प्रतापगढ़ थाने पर कितने इंस्पेक्टर आए और चले गए, मगर मेरा बिजनेस बदस्तूर चलता रहा—बस ये है कि जिस इंस्पेक्टर के बारे में जितना ज्यादा यह प्रचारित हो कि वह कर्मठ, जुझारू, मेहनती और ईमानदार है, समझ लो उसका पेट उतना ही बड़ा है—सब साले बिकाऊ हैं, कोई एक में बिकता है, कोई सौ में।”
“इस बार तुझे अपने ‘एक्सपीरियेंस’ में तब्दीली लानी पड़ेगी रंगनाथन।” पैसे लेकर मकान खाली कराने वाले ठेकेदार ने कहा—“मैं भी उसे भुगत चुका हूं—रिश्वत का नाम लेते ही ऐसे बिदकता है जैसे भैंसे ने लाल कपड़ा देख लिया हो।”
“देखा जाएगा …।” रंगनाथन ने पुनः हाथ झटका।
“देखने के लिए तू अकेला ही इस इलाके में बचेगा।” किसी अन्य की प्रॉपर्टी खुद बेच डालने में माहिर शख्स ने कहा—“अपन तो इस इलाके में अब धन्धा करेगा नहीं—अपन को तो सारी जिन्दगी दूसरों के मकान-दुकान बेचने हैं, सो वे हर इलाके में होते हैं।”
“मेरा भी यही ख्याल है।” अपहरण करने का हुनरमन्द बोला—“अब इस इलाके की जमीन अपने धन्धे की फसल के लिए बंजर हो गई है।”
रंगनाथन हंसा, बोला—“तुम सब मुझे एक ही मूड में नजर आ रहे हो—सबके चेहरों पर इंस्पेक्टर तेजस्वी के भूत को कत्थक करते देख रहा हूं मैं—साला इंस्पेक्टर न हुआ, हव्वा हो गया—जरा यह भी तो सोचो कि हम सब अपने-अपने धन्धों में से एक निश्चित रकम स्टार फोर्स को पहुंचाते हैं—क्या ब्लैक स्टार हमारे धन्धे चौपट होने देगा? हरगिज नहीं—हमारे धन्धों से स्टार फोर्स को लाखों रुपये महीना की इन्कम है।”
“बात तो तुम्हारी ठीक है।” बच्चों को भीख मंगवाने का धन्धा करने वाला बोला—“हमारे धन्धे चौपट होने का मतलब है, ब्लैक स्टार का धन्धा चौपट होना और स्टार फोर्स ऐसा बिल्कुल नहीं होने देगी।”
“अब बोलो मेरे लाडलों।” रंगनाथन ने अन्य पर व्यंग्य किया—“क्या वो इंस्पेक्टर स्टार फोर्स से उलझ सकेगा?”
“स-सुना है तेजस्वी की नियुक्ति इस थाने पर की ही इसलिए जा रही है कि वह स्टार फोर्स का सफाया कर डाले?”
रंगनाथन ठहाका लगाकर हंसा, बोला—“स्टार फोर्स का सफाया … वाह … वाह … मजाक है—जिस स्टार फोर्स का सफाया ‘श्रीगंगा’ की सैनिक क्षमता न कर सकी—हमारे देश के जवान न कर सके—उसका सफाया तेजस्वी करेगा, एक अदना सा पुलिस इंस्पेक्टर … वाह, इस मजाक में मजा आ गया दोस्त!”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
“योजना का पहला चरण यानि प्रतापगढ़ थाने पर इंस्पेक्टर तेजस्वी की नियुक्ति का काम पूरा हो चुका है।” डी.आई.जी. चिदम्बरम ने इस तरह कहा जैसे बहुत बड़ा तीर मारा हो।
चमकदार काले जूते, काली पैन्ट और काले ही ओवरकोट वाले शख्स ने सफेद दस्ताने से ढका अपना दायां हाथ जेब में डाला—पांच सौ के नोटों की एक गड्डी निकालकर मेज पर फेंकता हुआ बोला—“वादे के मुताबिक योजना का पहला चरण पूरा होने की फीस हाजिर है।”
“केवल एक गड्डी?” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा ने पूछा।
“और हैं।” कहने के बाद जो वह शुरू हुआ तो हाथ तभी रुका जब जेब से निकाल-निकालकर पूरी दस गड्डियां मेज पर फेंक चुका—इस बीच चिदम्बरम और कुम्बारप्पा की नजरें रहस्यमय शख्स के लम्बे बालों और आंखों पर चढ़े चौड़े फ्रेम के काले चश्मे पर स्थिर रहीं—उन्हें पूरा यकीन था अगर यह शख्स किसी और हुलिए में उनके सामने आए तो लाख प्रयासों के बावजूद पहचान नहीं पाएंगे—त्वचा के नाम पर वे केवल उसकी नाक देख पाते थे क्योंकि गालों का अधिकांश हिस्सा और ठोड़ी घनी दाढ़ी-मूंछों से ढकी रहती थी—वे समझ सकते थे कि दाढ़ी-मूंछ ही नहीं सिर के बाल तक नकली हैं—हालांकि नाक से यह अंदाजा लगता था कि उस व्यक्ति की त्वचा का रंग काला होगा परन्तु चिदम्बरम और कुम्बारप्पा समझते थे कि असल में वह दूध की मानिन्द गोरा भी हो सकता है।
इस रहस्यमय शख्स की गहराई में जाने की कोशिश दोनों में से कभी किसी ने नहीं की और करते भी कैसे—यह शख्स जब भी सामने आता, वही सौगात बरसाकर चला जाता जो इस वक्त मेज पर पड़ी थी और उनकी आंखें ठीक उसी तरह जुगनुओं की मानिन्द चमकने लगतीं जैसे इस वक्त चमक रही थीं, अपने उल्लास को काबू में रखे कुम्बारप्पा ने पूछा—“योजना का अगला चरण क्या है?”
“अभी उसके बारे में जिक्र करने का वक्त नहीं आया है।” रहस्यमय शख्स ने प्रभावशाली स्वर में कहा—“ख्याल रहे, तेजस्वी को कभी मालूम न हो पाये कि प्रतापगढ़ थाने पर उसकी नियुक्ति तुम लोगों ने किसी खास मकसद से कराई है।”
“जब हमें ही असली मकसद नहीं मालूम तो उसे क्या बताएंगे?” चिदम्बरम कह उठा—“हां, इतना अवश्य मालूम हो सकता है कि हमने आई.जी. साहब से उसकी तारीफ की थी, प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति के प्रस्तावक भी हम ही थे—मगर इस जानकारी से इसके अलावा कोई अर्थ नहीं निकलेगा कि हम भी आई.जी. की तरह कुछ बेहतर करना चाहते थे—हमने इंस्पेक्टर की झूठी प्रशंसा नहीं की, वह वास्तव में वैसा ही है जैसा हमने कहा था—ईमानदार, कर्मठ, मेहनती और जुझारू!”
“दूसरी चेतावनी।” रहस्यमय शख्स बोला—“जब तक अगला आदेश न मिले तब तक इस बात में विशेष दिलचस्पी नहीं लेनी है कि प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्त तेजस्वी क्या कर रहा है?”
“हम कोई दिलचस्पी नहीं लेंगे लेकिन …।”
“लेकिन?”
“अगर बुरा न मानें तो एक बात कहना चाहता हूं।”
“बोलो।”
“जिस तरह आपने हमसे काम लिया है अगर उसी तरह इंस्पेक्टर तेजस्वी से किसी गैरकानूनी काम में मदद लेने की कोशिश की तो आप मुंह की खा सकते हैं क्योंकि वह …।”
“हमें मालूम है मिस्टर कुम्बारप्पा कि किससे किस ढंग से काम लिया जाएगा।”
“निश्चित रूप से वह कोई बहुत बड़ा काम होगा जिसके लिए आपने हमें इतने …।”
“इस बारे में सोचकर अपना दिमाग खराब मत करो मिस्टर चिदम्बरम!” रहस्यमय शख्स के हलक से निकलने वाली गुर्राहट इतनी सर्द थी कि दोनों की रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गयी—“जो शख्स वक्त से पहले मेरे मकसद के बारे में जानने की कोशिश करेगा, उसे वक्त से पहले इस दुनिया से जाना होगा।”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:17 PM,
#18
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
‘सड़ाक् … सड़ाक् …!’
तेजस्वी का हाथ दो बार चला।
थाने के प्रांगण में जेबकतरे की चीख गूंज गई।
तेजस्वी के हाथ में मौजूद एक फुट लम्बे, गोल और चिकने रूल के सिरे पर बंधी दो फुट लम्बी मोटर साइकिल की चेन के स्पष्ट निशान जेबकतरे के जिस्म पर बन गए और अभी वह चेन के प्रहारों की तिलमिलाहट से बाहर नहीं निकल पाया था कि तेजस्वी ने झपटकर उसके बाल अपनी बायीं मुट्ठी में भींचे और दांतों पर दांत जमाकर गुर्राया—“अगर मैंने सुना कि प्रतापगढ़ थाने के इलाके में किसी की जेब कटी है तो इस चेन से तेरी चमड़ी उधेड़कर रख दूंगा।”
“म-मैं इलाके में रहूंगा ही नहीं माई बाप।” इन शब्दों के साथ जेबकतरा तेजस्वी के पैरों में गिरकर रो पड़ा—“म-मेरी सूरत तक आपको दोबारा देखने को नहीं मिलेगी।”
तेजस्वी ने आग्नेय नेत्रों से पंक्तिबद्ध खड़े इलाके के गुण्डे-बदमाशों को घूरा—इस वक्त उसका सुन्दर एवं आकर्षक चेहरा भयंकर और बदसूरत नजर आ रहा था—उसके इस रूप को देखकर गुण्डे-बदमाशों की न केवल टांगें कांप रही थीं बल्कि चेहरे इस कदर पीले नजर आ रहे थे जैसे उन पर हल्दी पोत दी गई हो—एक में भी इतनी ताकत न थी कि तेजस्वी की सुलगती आंखों से आंखें मिला पाता।
हाथ में चेनचुक्त रूल लिए तेजस्वी, अपने कदमों को मुस्तैदी के साथ जमीन पर जमाता हुआ पंक्ति के अन्तिम छोर की तरफ बढ़ा, प्रत्येक गुण्डे को खा जाने वाले अंदाज में घूरता हुआ गुर्राया—“जिस थाने पर मुझे नियुक्त कर दिया जाता है उस थाना क्षेत्र का मैं सबसे बड़ा गुण्डा होता हूं। मेरा शौक गुण्डों पर गुण्डागर्दी करना है—इसी शौक की खातिर मैंने यह वर्दी पहनी है—कान खोलकर सुन लो! जिसे इस इलाके में रहना है, शरीफ बनकर रहे और जिसका पेट शरीफ बनकर न भर सके, वह प्रतापगढ़ छोड़कर कहीं और जा बसे—अगर मैंने किसी को गुण्डागर्दी में लिप्त पाया तो उसके बीवी-बच्चे यही कहते फिरेंगे कि इस नाम का शख्स होता तो था लेकिन जाने कहां गायब हो गया …।”
आतंक की पराकाष्ठा के कारण पंक्तिबद्ध खड़े गुण्डे-बदमाशों के कलेजे थर्रा रहे थे—वे सब-के-सब थाने से बाहर तभी निकल सके जब तेजस्वी के पैरों में पड़कर वायदा कर चुके कि प्रतापगढ़ थाने की सीमा में कोई क्राइम नहीं करेंगे। उनमें लुक्का भी था—जुए का अवैध अड्डा चलाने वाला लुक्का—वह जिसके सिर पर लड़कियों जितने लम्बे बाल थे—देखने मात्र से लुक्का बेहद क्रूर शख्स नजर आता था।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
“समझ नहीं पाया इंस्पेक्टर साहब कि आपने ‘मुझे’ तलब क्यों किया?” मनचंदा के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं—“बच्चों की कसम खाकर कहता हूं, मैंने कभी कोई क्राइम नहीं किया, धारा एक सौ चवालीस तक नहीं तोड़ी मैंने!”
“सुना है प्रतापगढ़ थाने में सरकारी लाइसेंस प्राप्त शराब के केवल दो ठेके हैं।” तेजस्वी उसे घूरता हुआ बोला—“एक देशी शराब का और दूसरा इंग्लिश का।”
“बिल्कुल ठीक है साहब।” मनचंदा ने कहा—“और यह भी सच है कि दोनों ही के ठेके मेरे पास हैं परंतु …।”
“परंतु?”
“आप चाहे जिस तरह जांच कर सकते हैं, मेरे काम में कोई अनियमितता नहीं पाएंगे आप।”
“कमाई तो अच्छी-खासी होगी?” तेजस्वी ने उसे खास नजरों से घूरा।
“अजी कहां साहब, बच्चों के लिए दाल-रोटी मुश्किल से जुटा पाता हूं।”
“बकते हो!” तेजस्वी गुर्राया—“आजकल निन्यानवे प्रतिशत लोग शराब पीते हैं।”
“पीते तो हैं साब, लेकिन सरकारी शराब कहां पी जाती है प्रतापगढ़ में—सबको सस्ती शराब चाहिए और सरकारी टैक्स के बाद शराब सस्ती कहां रह जाती है—कमाते तो वो हैं जिन्हें सरकारी टैक्स देना नहीं पड़ता—खींची और बेच दी।”
“कौन करता है ऐसा?”
“मुझसे आपकी क्या दुश्मनी है साहब?”
“मतलब?”
“म-मेरे मुंह से उसका नाम निकला नहीं कि …।”
“ओह … तो रंगनाथन का इतना आतंक है यहां! तुम लाखों रुपये महीना का नुकसान सह सकते हो मगर पुलिस को खुलकर नहीं बता सकते कि यह नुकसान किसके कारण है?”
“जान लाखों रुपये से ज्यादा कीमती होती है साहब।”
“यानि वह तुम्हारा कत्ल कर डालेगा?”
“न-नहीं साहब!” मनचंदा मिमियाया—“मैं उसके बारे में आपसे कुछ नहीं कह रहा और उसी के बारे में क्यों, मैं तो किसी के बारे में भी शिकायत नहीं कर रहा आपसे।”
तेजस्वी हौले से मुस्कराया, बोला—“तुम्हारे चेहरे पर उड़ती हवाइयां बता रही हैं मनचंदा कि तुम रंगनाथन से किस कदर खौफजदा हो। मगर मैं तुम्हें यकीन दिला सकता हूं, भविष्य में उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है—आज का सूरज डूबने तक न केवल वे सभी अड्डे तबाह हो जाएंगे जहां नाजायज कच्ची शराब खींची जाती है बल्कि रंगनाथन भी इस थाने की हवालात में एड़ियां रगड़ रहा होगा।”
मनचंदा की आंखों में चमक उभर आई, अपने ठेकों के बाहर शराब खरीदने वालों के हुजूम नजर आने लगे थे उसे, बोला—“आपके बारे में सुना तो बहुत है साहब, मगर बुरा न मानें, लगता नहीं वह सब हो पाएगा—रंगनाथन के हाथ बहुत लम्बे हैं साहब, शायद आपको अभी इसका अहसास नहीं है।”
तेजस्वी के होंठ कुटिलतापूर्वक मुस्कराकर रह गए।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:17 PM,
#19
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
और सचमुच!
सूरज डूबते-डूबते रंगनाथन के अड्डों पर मानो तूफान आ गया।
फोर्स को साथ लिए तेजस्वी उन अड्डों पर बाज की तरह झपटा था—भट्टियां केवल तोड़ ही नहीं दी गईं बल्कि तहस-नहस कर डाली गईं—अधखींची शराब के ड्रम उलट दिए गए—अवैध धंधे में लिप्त जो जहां मिला, गिरफ्तार कर लिया गया।
यानि वह हो गया जो रंगनाथन के मुताबिक दस साल में नहीं हुआ था।
खुद रंगनाथन को केवल गिरफ्तार ही नहीं कर लिया गया बल्कि हवालात में लाकर सीधा टॉर्चर चेयर पर बैठा दिया गया—इतने पर भी ‘बस’ हो जाती तो गनीमत होती—रंगनाथन के सारे भ्रम तो तब टूटे जब टॉर्चर चेयर पर बैठे-बैठे उसने तेजस्वी के सामने अपनी तरफ से बहुत ही आकर्षक रकम का प्रत्येक महीने का प्रस्ताव रखा और जवाब में रूल के अग्रिम सिरे पर लटकी चेन ने उसके जिस्म पर खून की लकीरें बनानी शुरू कर दीं।
जुनूनी अवस्था में रंगनाथन को मारता चला गया वह।
हवालात में ही नहीं, संपूर्ण थाने में रंगनाथन की मर्मान्तक चीखें गूंज रही थीं—उस पर पिला पड़ा तेजस्वी पसीने से लथपथ था कि पांडुराम ने आकर सूचना दी—“गंगाशरण जी आए हैं साब।”
“कौन गंगाशरण?” तेजस्वी उसकी तरफ पलटता हुआ गुर्राया।
“नेताजी हैं साब, प्रतापगढ़ के विधायक!”
“ओह!” तेजस्वी के चेहरे से मानो जलजला गुजर गया—“मगर तू उसे गंगाशरण ‘जी’ क्यों कह रहा है—याद रख पांडुराम! जो आज तक इस थाने में होता रहा है वह अब नहीं होगा—किसी नेता के नाम के आगे ‘जी’ नहीं लगाया जाएगा और विधायक … विधायक वह चार दिन पहले था—विधानसभा भंग हो चुकी है—राष्ट्रपति शासन लागू है और राष्ट्रपति शासन में कोई विधायक नहीं होता।”
“स-सॉरी सर!” पांडुराम हकला गया—“भ-भूतपूर्व विधायक!”
“क्या चाहता है?”
“इसी के बारे में आया होगा।” पांडुराम ने तुरन्त उसकी टोन से टोन मिलाते हुए कहा—“इससे गंगाशरण का पुराना टांका है, उसी की ‘शै’ पर धंधा चलता है इसका।”
“तो वह इसे छुड़ाने आया है?”
“जी।”
“चल!” तेजस्वी हवालात के दरवाजे की तरफ बढ़ा—“देखता हूं साले को!”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
“कहिए!” तेजस्वी ने एक सिगरेट सुलगाने के बाद पूछा—“कैसे आना हुआ?”
मेज के उस पार बैठे, सूअर की-सी थूथनी वाले गंगाशरण ने कहा—“तुम प्रतापगढ़ के थानेदार हो और हम विधायक..।”
“माफ कीजिए!” तेजस्वी ने उसकी बात काटी—“इस वक्त आप विधायक नहीं हैं।”
गंगाशरण हंसा, बोला—“चलो इस वक्त न सही मगर भूतपूर्व हैं और भविष्य में भी होंगे।”
“वह तो चुनाव बताएंगे।” तेजस्वी ने शुष्क स्वर में कहा।
“चलो तुम्हारी ये बात भी बड़ी करते हैं।” गंगाशरण मुस्कराता रहा—“फिर भी, एक-दूसरे से हमारा परिचय तो होना ही चाहिए था।”
“परिचय हो चुका है, अब आप जा सकते हैं।”
“बड़े बेरुखे इंस्पेक्टर हो यार, ये भी नहीं पूछा कि हम आए क्यों हैं?”
“बता दो।”
“रंगनाथन ने तुम्हें बताया नहीं कि वह क्या दे सकता है?”
तेजस्वी ने सिगरेट में जोरदार कश लगाया, बोला—“बता दिया।”
“लेकिन तुम्हें कुबूल नहीं?”
“न!”
“मैं रंगनाथन द्वारा बताई गई रकम को दुगनी कर सकता हूं।”
“मुझे वह भी कबूल नहीं।”
“क्यों?”
“मैं रिश्वत नहीं लेता।”
“मजाक मत करो इंस्पेक्टर, ऐसे कहीं इंस्पेक्टरी होती है?”
“मजाक तो आप कर रहे हैं मिस्टर गंगाशरण, ऐसे कहीं नेतागिरी होती है?”
“ओह!” गंगाशरण के होंठों पर से पहली बार मुस्कराहट लुप्त हुई—“तुम हमें नेतागिरी सिखाओगे?”
उसकी आंखों में झांकते हुए तेजस्वी ने उतने ही कठोर स्वर में कहा—“अगर आप मुझे इंस्पेक्टरी सिखा सकते हैं तो मैं निश्चित रूप से आपको नेतागिरी सिखा दूंगा।”
“जुबान को लगाम दो इंस्पेक्टर!” गंगाशरण गुर्रा उठा—“हम खुद चलकर तुमसे मिलने आए हैं, इससे यह भ्रम मत पालो कि तुम हमारे स्तर के हो गए—तुम जैसे पचासों इंस्पेक्टर हमारे दरवाजे पर एक टांग पर खड़े रहते हैं, किसी कमाऊ थाने पर नियुक्ति के लिए फरियाद करते रहते हैं वे।”
“बेवकूफ होंगे साले, अपनी ताकत का अंदाजा नहीं होगा उन्हें, मगर मुझे है।” दांतों पर दांत जमाए तेजस्वी कहता चला गया—“किसी व्यक्ति को नेता पुलिस बनाती है—अगर पुलिस ने महात्मा गांधी पर इतने जुल्म न किए होते तो आज महात्मा गांधी हिन्दुस्तान के राष्ट्रपिता न होते—अगर आज तक इस इलाके के नेता तुम हो तो कल पंडित शाहबुद्दीन चौधरी तुमसे ज्यादा लोकप्रिय नेता हो सकता है!”
“औकात में रहो इंस्पेक्टर!” गंगाशरण भड़क उठा—“त-तुम पंडित शाहबुद्दीन चौधरी को इस इलाके का हमसे ज्यादा लोकप्रिय नेता बनाओगे?”
उसके भड़कने पर तेजस्वी मुस्कराया, एक-एक शब्द को उसके जिस्म पर भाले की नोक की मानिंद चुभाता हुआ बोला—“जिस थाने पर मुझे नियुक्त कर दिया जाता है, उस थाना क्षेत्र में मैं ऐसे करिश्मे अक्सर दिखाता हूं!”
“त-तुम अभी जानते नहीं हो कि मेरे हाथ कितने लम्बे हैं।” गंगाशरण तिलमिला उठा—“मैं तुम जैसे बद्तमीज इंस्पेक्टर को एक क्षण के लिए भी इस इलाके के थाने पर बर्दाश्त नहीं कर सकता।”
तेजस्वी ने सिगरेट का अंतिम टुकड़ा फर्श पर डाला—जूते से मसला और मेज पर पड़ा चेनयुक्त अपना रूल उठाता हुआ बोला—“मेरी आदत ये है कि अगर एक बार तेरे जैसा घटिया नेता थाने में आ जाए तो मैं उसे अपने प्रिय हथियार का स्वाद चखे बगैर बाहर नहीं जाने देता।”
“क-क्या मतलब?” गंगाशरण उछलकर कुर्सी से खड़ा हो गया—“त-तू मुझे रोकेगा?”
“बेशक!”
“देखता हूं कैसे रोकता है।” कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ मुड़ना ही चाहता था कि तेजस्वी के हलक से हिंसक गुर्राहट निकली—“एक कदम भी आगे बढ़ाया गंगाशरण तो …।”
“तो?” गंगाशरण दहाड़ा—“क्या करेगा तू?”
“मैं नहीं, जो करेगा … ये करेगा!” उसने रूल की तरफ इशारा किया—“मेरा प्रिय हथियार!”
“त-तू मुझे मारेगा?” गुस्से और हैरत के मिश्रण ने मानो उसे पागल कर दिया।
“मैं मारता नहीं हूं हरामजादे, चमड़ी उधेड़ डालता हूं!” कहने के साथ जो उसने हाथ घुमाया तो चेन की मार के परिणामस्वरूप वहां गंगाशरण की चीख गूंज गई—और एक क्या, अनेक चीखें उबलती चली गईं उसके मुंह से—तेजस्वी इस तरह पिल पड़ा जैसे भूसे की बोरी पर वार कर रहा हो।
पांडुराम के चेहरे पर आतंक कत्थक कर रहा था।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:17 PM,
#20
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“पांडुराम!”
“यस सर।”
“प्रतापगढ़ की सबसे खूबसूरत कॉलगर्ल का नाम गोमती है न?”
“हां साब, है तो सही।”
“उसे इसी वक्त पकड़कर ले आ।”
“ले आता हूं साब मगर …”
“मगर?” तेजस्वी की भृकुटि तन गई।
हिचकते हुए पांडुराम ने कहा—“मैं कुछ कहना चाहता हूं।”
“बोल!”
“जो कुछ आप कर रहे हैं, उस पर विचार कर लें तो बेहतर होगा।”
गुर्रा उठा तेजस्वी—“क्या मतलब?”
“मेरी बातों को अन्यथा न लें साब—कई बार होता ये है कि कोई अफसर थाने पर नया-नया आया और जानकारी न होने के कारण जोश में ऐसा काम कर बैठा जिसके परिणाम बाद में उसके खिलाफ निकले—तब, हम जैसे मातहतों पर डांट पड़ती है, कहा जाता है कि हमने आगाह क्यों नहीं किया—उसी डांट से बचने के लिए मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं।”
“बक!”
“आपने गंगाशरण को मार-मारकर अधमरा करके हवालात में डाल दिया, आप शायद समझ नहीं पा रहे कि यह कितनी बड़ी घटना है?”
“ये तो कुछ भी नहीं पांडुराम, मैं बहुत बड़ी-बड़ी घटनाओं को जन्म देने प्रतापगढ़ आया हुआ हूं।”
“गंगाशरण अच्छा-खासा लोकप्रिय नेता है—यहां की घटना ने थाने की सीमा लांघी नहीं कि प्रतापगढ़ में तूफान आ जाएगा—आपके खिलाफ रोष फैल जाएगा, लोग थाने के बाहर जमा हो जाएंगे—नारेबाजी करेंगे—भूख हड़ताल तक कर सकते हैं।”
“उसी सबसे बचने के लिए गोमती को बुला रहा हूं।”
“जी-जी?”
“गंगाशरण को हमने रंगनाथन को छुड़ाने आने के जुर्म में नहीं, बल्कि गोमती के फ्लैट से उसके साथ रंगरलियां मनाते पकड़ा है—गोमती थाने के सामने जमा होने वाली भीड़ और अदालत के समक्ष यह बताएगी कि ‘हां, गंगाशरण उसके फ्लैट पर उसके साथ था’—गोमती को तैयार करने के बाद इन दोनों को उसके फ्लैट पर ले जाया जाएगा—फोटो खींचे जाएंगे और तब यह खबर थाने की सीमा क्रॉस करेगी कि गंगाशरण गोमती की बांहों में पकड़ा गया।”
“ओह, इस तरह तो गंगाशरण की सारी इमेज का कचरा हो जाएगा साब।”
“कचरा ही तो करना है पांडुराम।” तेजस्वी धूर्ततापूर्वक मुस्कराया—“नेतागिरी झाड़नी है उसकी—सिद्ध करना है कि पुलिस ‘नेतामेकर’ होती है, मेरा ट्रांसफर कराने की धमकी दे रहा था साला!”
“एक बात और साब …।”
“उसे भी उगल।”
“जनता द्वारा आंदोलन तो एक पहलू था—यकीनन आपने उसका माकूल हल सोचा है—गोमती के बयान और उसके साथ रंगरलियां मनाते गंगाशरण के फोटुओं को देखने के बाद निश्चित रूप से जनता उसके खिलाफ भड़क उठेगी। परंतु …”
“परंतु?”
“दूसरा पहलू गंगाशरण का स्टार फोर्स से संबंध है।”
“मतलब?”
“स्टार फोर्स आपके खिलाफ मैदान में उतर पड़ेगी, एक्शन में आ जाएगी।”
“यही तो मैं चाहता हूं।”
“ज-जी?”
तेजस्वी के होंठों पर नाचने वाली मुस्कान अत्यंत गहरी हो गई—“स्टार फोर्स को अपने खिलाफ एक्शन में लाना ही मेरा उद्देश्य है—जा, जल्दी से गोमती को पकड़ ला।”
“ठीक है साब।” कहने के बाद वह मुड़ा ही था कि---
“और सुन!” तेजस्वी ने कहा।
“जी।”
“रंगनाथन के जो गुर्गे बाहर हैं उनके कानों में यह बात निकालता जा कि पंडित शाहबुद्दीन चौधरी से इंस्पेक्टर तेजस्वी के बहुत अच्छे संबंध हैं—रंगनाथन की सिफारिश के लिए अगर पंडित शाहबुद्दीन चौधरी आया होता तो मैं उसे छोड़ सकता था।”
चकरा उठा पांडुराम, बोला—“ये क्या बात हुई साब?”
“बात तेरी समझ में नहीं आएगी, जो कहा जाए वह किए जा।”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,303,443 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,618 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,152,423 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,823 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,861 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,988,256 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,799,334 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,525,244 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,828,713 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,478 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)