hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:17 PM,
#21
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“बड़ा अजीब नाम है तेरा—पंडित भी, शाहबुद्दीन भी और चौधरी भी?”
बेहद नाटे, काले और मोटी तोंद वाले नेता को तेजस्वी के संबोधन का स्टाइल अखरा जरूर, परंतु जानता था कि कुछ बिगाड़ नहीं सकता, अतः बेहयाईपूर्वक ठहाका लगाने के बाद बोला—“ये मेरा जन्मपत्री वाला नहीं बल्कि राजनीतिक नाम है—जैसे लेखक और कवि ‘तखल्लुस’ लगाकर अपना नाम बदल लेते हैं—वैसे ही मैंने भी राजनीतिक नाम रख लिया है, पंडित शाहबुद्दीन चौधरी—धर्मनिरपेक्षता का पोषक हूं मैं और उसी का प्रतीक है मेरा नाम।”
“यही मैं सोच रहा था।” तेजस्वी ने कहा—“एक ही आदमी के भला तीन बाप कैसे हो सकते हैं—पंडित, मुस्लिम और जाट!”
उसकी मां को साफ-साफ गाली दी गई थी मगर लेशमात्र भी विरोध नहीं दर्शाया पट्ठे ने बल्कि हो हो करके यूं हंसा जैसे तेजस्वी ने भारी मजाक किया हो—हंसने के कारण उसकी तोंद जमीन पर पड़े पानी से भरे गुब्बारे की मानिन्द हिल रही थी।
तेजस्वी ने कहा—“दुर्भाग्य की बात है, धर्मनिरपेक्ष नाम चिपकाने के बावजूद तू प्रतापगढ़ का लोकप्रिय नेता न बन सका।”
“लोगों में समझ की कमी है।”
“लोगों की बात छोड़ ‘तीगले नेता’ और मेरी बात सुन!” तेजस्वी ने एक सिगरेट सुलगाने के बाद कहा—“मैं तुझे प्रतापगढ़ का लोकप्रिय नेता बना सकता हूं।”
“अ-आप?” वह हकलाया—“क-कैसे?”
“पहले ये बता, यहां कैसे आया था?”
“क्या बताऊं—आना तो नहीं चाहता था मगर फंस गया, मेरी समझ में अभी तक यह बात नहीं आ रही कि वे लोग मेरे पास आखिर आ कैसे गए, सोचा क्या था उन्होंने?”
“किन्होंने?” तेजस्वी ने भेदभरी मुस्कान के साथ पूछा।
“रंगनाथन के गुर्गे थे वे—करीब आधा घंटा पहले मेरे घर पहुंचे—हाथ जोड़ने लगे, पैरों में पड़ गए—कहने लगे, दुनिया में मैं वह अकेला शख्स हूं जो रंगनाथन को थाने से छुड़ाकर ला सकता हूं—मैं चकित रह गया, हैरान हो उठा—उनका राजनीतिक आका गंगाशरण था। समझ नहीं पा रहा था कि उसे छोड़कर वे मेरे पास क्यों आ गए, बोला—गंगाशरण की शरण में जाओ भाई, रंगनाथन को वही छुड़ा सकता है—मेरी सुनने वाला कौन है—कहने लगे—‘नहीं, मैं झूठ न बोलूं—उन्हें पता लगा है, नए इंस्पेक्टर से मेरे बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं और वह रंगनाथन को केवल मेरे कहने से छोड़ सकता है’—मैंने बहुत समझाया, गिड़गिड़ाकर कहा—‘तुम लोगों को किसी ने बहका दिया है’—इंस्पेक्टर तेजस्वी की तो मैंने शक्ल तक नहीं देखी—मगर वे नहीं माने, मजबूर कर दिया मुझे।”
“मैंने भेजा था उन्हें।”
“अ-आपने?” आंखें उलट गईं।
“मैंने हवलदार से रंगनाथन के गुर्गों में यह बात फैला देने के लिए कहा था कि तेरे कहने से इंस्पेक्टर तेजस्वी रंगनाथन को छोड़ सकता है।”
“आपने ऐसा क्यों किया?”
“तेरी इज्जत, तेरा मान बढ़ाने के लिए—तेरा रुतबा कायम करने के लिए और तेरी नेतागिरी चमकाने के लिए।”
पंडित शाहबुद्दीन चौधरी रोमांचित हो उठा—“म-मगर आपने मुझ पर ये मेहरबानी आखिर की क्यों?”
“दिल आ गया है तुझ पर।”
“ज-जी?”
“चुनाव जीतना लोकप्रियता का प्रतीक है यानि लोकप्रिय नेता वह जो अपने हलके से चुनाव जीत जाए—चुनाव आजकल आम वोटर नहीं बल्कि गुण्डे-बदमाश जिताते हैं—वे, जो आम मतदाता को बूथ तक नहीं पहुंचने देते—भूला-भटका कोई पहुंच भी जाए तो पता लगता है कि उसकी वोट डल चुकी है—मतलब ये कि आजकल ज्यादातर लोगों के वोट गुण्डे-बदमाश डाल देते हैं, ऐसा है कि नहीं?”
“बिल्कुल ऐसा ही है इंस्पेक्टर साहब—वाह, क्या बात कही है आपने—मजा आ गया, चंद शब्दों में हमारे लोकतंत्र की कलई खोलकर रख दी—मैं भी यही कहता रहा हूं—गंगाशरण के चुनाव के खिलाफ अदालत में याचिका दाखिल कर रखी है मैंने—उसमें यही कहा है कि गंगाशरण ने गुण्डागर्दी से चुनाव जीता है—आम मतदाता को तो वोट डालने ही नहीं दिया गया—सभी बूथ उसके रायफलधारी बदमाशों ने कैप्चर कर लिए थे।”
“याचिका का कोई नतीजा निकला?”
“अभी तो बस तारीख पर तारीख लग रही हैं।”
तेजस्वी हंसा—“जबकि विधान सभा भंग भी हो चुकी है।”
“यही तो मैं कहता हूं—हमारे देश का कानून भी कोई कानून है? या तो इंसाफ मिलेगा नहीं और मिलेगा भी तो तब जब पीड़ित पक्ष को उसकी जरूरत नहीं रह जाएगी।”
“तेरे जैसे घोंचू अदालतों के चक्कर काटते रहते हैं, चुनाव नहीं जीत सकते।”
“मैं तुम्हें इसी क्षण अपना राजनीतिक गुरु स्वीकार करता हूं—प्लीज गुरुदेव, वो तरीका बताओ जिससे चुनाव जीता जा सके क्योंकि जो चुनाव नहीं जीत सकता वह राजनीति के मैदान की फुटबाल बनकर रह जाता है, कभी किसी की ठोकर पर तो कभी किसी की।”
“वही बता रहा हूं ‘तीगले नेता’—चुनाव जीतने के लिए छोड़े जाने वाले तीरों का नाम गुण्डे-बदमाश है और गुण्डे-बदमाश उसके तरकश में रहते हैं जो उन्हें पुलिस से संरक्षण दे सके क्योंकि उनके और पुलिस के बीच लाग-डाट चलती रहती है—इसलिए हे नेता! चुनाव जीतना है तो अपने तरकश में गुण्डे-बदमाश नाम के ब्रह्मास्त्र भरकर कुरुक्षेत्र में कूद!”
“व-वे तो आप ही मेरे तरकश में भर सकते हैं।”
“समझदार है तू—जल्द ही समझ गया कि किसकी चरण वन्दना से चुनाव के भवसागर से तर सकता है और भाग्यशाली भी है, तभी तो तुझसे बात तक किए बगैर मैंने तेरे लिए काम करना शुरू कर दिया—अभी तो केवल रंगनाथन के गुर्गे तेरे तरकश में आए हैं, जब रंगनाथन को यहां से छुड़ाकर ले जाएगा तो वह भी तेरे तरकश में पड़ा होगा।”
“बस … बस इंस्पेक्टर साहब, मैं तर जाऊंगा—रंगनाथन का ही तो गिरोह था जिसने आम मतदाता को बूथ तक न पहुंचने दिया—इस बार अगर वह गिरोह मेरे साथ हुआ तो … तो … समझो कि मैं विधायक बन जाऊंगा।”
“तू तो मूर्खतापूर्ण बातें करने लगा तीगले!”
“क-क्या मतलब?” वह घिघियाया।
“जाल ऐसा बुनना चाहिए जिससे सारे तीर अपने ही तरकश में भर जाएं—सामने वाले का तरकश खाली हो—ठीक उसी तरह, जैसे पिछले चुनावों में तेरा तरकश खाली था।”
“ये तो पते की बात है गुरुजी।”
“प्रतापगढ़ में रंगनाथन के गिरोह जैसे और भी कई गिरोह हैं—उनमें से कई ऐसे भी हैं जिनकी रंगनाथन से दुश्मनी है—अगर वे गंगाशरण के तरकश में जा गिरे तो गैंगवार छिड़ जाएगी और गैंगवार का परिणाम कुछ भी निकल सकता है—गंगाशरण के पक्ष में भी और तेरे पक्ष में भी। जबकि अगर हम समझदार हैं तो ऐसा रिस्क नहीं ले सकते—हमें ऐसे बीज बोने हैं जिनसे पैदा होने वाली फसल पर हमारा कब्जा हो।”
“अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाए गुरुदेव।”
“होगा तीगले—ऐसा होगा—मैं करूंगा, सारे तीर तेरे तरकश में पड़े होंगे।”
“क-कैसे?”
“ठीक वैसे जैसे रंगनाथन नाम का ब्रह्मास्त्र तेरे तरकश में गिरने वाला है—मैं एक-एक को पकड़ूंगा और तू हरेक को छुड़ा ले जाएगा—ऐसा बार-बार होगा, तब तक होता रहेगा जब तक उन्हें अहसास न हो जाए कि प्रतापगढ़ में उनकी दुकानदारी तेरा संरक्षण पाए बगैर नहीं चल सकती।”
“मैं समझ गया गुरुदेव, बिल्कुल समझ गया मैं!” खुशी से पागल हुआ जा रहा पंडित शाहबुद्दीन कहता चला गया—“इस वक्त केवल इतना ही आश्वासन दे सकता हूं कि अगर आपकी कृपा से कभी कुछ बन गया तो सारी जिन्दगी आपकी गुलामी करूंगा, हुक्का भरूंगा आपका।”
“ये था इलाके का लोकप्रिय नेता बनने का एक मोर्चा—दूसरा मोर्चा है, प्रतिद्वंदी की साख को ध्वस्त कर डालना बल्कि उसके चरित्र पर ऐसा बदनुमा धब्बा लगा देना जिससे उसके कट्टर समर्थक भी भड़क उठें, खिलाफ हो जाएं—ऐसा होने पर जनता की निगाहें स्वतः तुझ पर टिक जाएंगी।”
“वैरी गुड गुरुदेव, मगर ऐसा हो कैसे?”
“हो चुका है।”
“जी?”
“ये फोटो देख!” कहने के साथ तेजस्वी ने दराज से एक ऐसा फोटो निकालकर मेज पर डाल दिया जिसमें जन्मजात नंगा गंगाशरण जन्मजात नंगी गोमती के साथ उसके बैड पर नजर आ रहा था। फोटो को देखते ही उसके मुंह से निकला—“हे ऊपर वाले, क्या नजारा है!”
“इस नजारे वाले पोस्टरों से प्रतापगढ़ की दीवारें ढक देना तेरा काम है—अखबार वाले खुद इस फोटो को प्राप्त करने के लिए आकाश-पाताल एक कर देंगे—उसके बाद गंगाशरण हजार खण्डन भेजता रहे, गला फाड़-फाड़कर चिल्लाता रहे कि यह सब झूठ है, मगर खुर्दबीन से ढूंढने पर भी उसकी बात पर विश्वास करने वाला नहीं मिलेगा।”
फोटो की तरफ देखते पंडित शाहबुद्दीन चौधरी ने पूछा—“क्या ये सच है?”
“झूठ होता तो फोटो कहां से जा जाता?” तेजस्वी गुर्राया—“गंगाशरण को गोमती की शरण में से मैंने रंगे हाथों पकड़ा है, दोनों हवालात में बन्द हैं इस वक्त।”
“वाकई, ये साला गंगाशरण तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला।”
मुस्कुराया तेजस्वी, बोला—“कल को प्रतापगढ़ के बच्चे- बच्चे की जुबान पर ये शब्द होंगे।”
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12-31-2020, 12:17 PM,
#22
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
अगले दिन!
सुबह के दस बजे!
प्रतापगढ़ थाने के बाहर टायरों की तीव्र चरमराहट के साथ एक मिनी बस रुकी—द्वार पर तैनात संगीनधारी पुलिसिए कुछ समझ भी न जाए थे कि बस के दोनों दरवाजे खुले।
मिलिट्री की सी वर्दी पहने ढेर सारे लोग नजर आए।
उनके हाथों में ए.के.-47 रायफलें थीं।
संगीनधारी सिपाही अभी फैसला न कर पाए थे कि उन्हें करना क्या है कि दो रायफलों की नालें उनके सीनों से आ सटीं।
साथ ही एक कड़क चेतावनी—“जुंबिश खाई तो गोली खानी पड़ेगी।”
जहां-के-तहां खड़े रह गए दोनों, मानो स्टेचू हों।
जिस्मों ने पसीना इस तरह उगला जैसे शर्त लगा बैठे हों—चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थीं, मुंह से चूं-चां तक की आवाज न निकल सकी, उन्हें केवल दो वर्दीधारी लोगों ने कवर किया था, बाकी वर्दीधारी हाथों में ए.के.-47 लिए मिनी बस से कूद-कूदकर थाने में दाखिल हो गए।
जैसे पूर्वनिर्धारित हो, किसे क्या करना है!
उनके पैरों में मिलिट्री जैसे भारी बूट थे, सारे थाने में बूटों की खड़खड़ाहट गूंज उठी—थाने के प्रांगण के परले सिरे पर खड़े एक पुलिसिए ने यह दृश्य देखा, गड़बड़ी की आशंका से ग्रस्त उसने कंधे पर लटकी रायफल उतारकर हाथ में ली और उसे फायर करने की पोजीशन में लाना चाहता था कि—
‘धांय!’
सारा इलाका गोली की आवाज से गूंठ उठा।
रायफल पुलिसिए के हाथ से छिटककर दूर जा गिरी—इससे पूर्व कि वह कोई दूसरी हरकत करता, मिलिट्री की-सी वर्दी वाले एक शख्स की ए.के.-47 की नाल उसकी कनपटी का चुम्बन लेने लगी।
थाने के प्रांगण में चारों तरफ फैल गए वे।
कुछ बिल्डिंग के विभिन्न ऑफिसों में घुसे।
हालांकि भारी बूटों और फायर की आवाज ने थाने में मौजूद सभी पुलिसियों को चौंका दिया था और वे अपने अपने स्थान पर उछलकर खड़े भी हो चुके थे परंतु केवल खड़े ही हो सके।
कुछ करने की बात दूर, सोचने तक का अवसर न मिल पाया था।
जो जहां था, वहीं-का-वहीं रायफलों के साये में कैद होकर रह गया।
सारी कार्यवाही सैनिक टुकड़ी की मानिन्द व्यवस्थित थी।
कहीं कोई अड़चन, कोई हड़बड़ाहट नहीं!
तेजस्वी उस वक्त अपने ऑफिस में मौजूद पांडुराम को कोर्ट चलने से संबंधित निर्देश दे रहा था जब फायर की आवाज गूंजी—दोनों उछल पड़े, तेजस्वी ने झपटकर होलेस्टर से रिवॉल्वर खींचा।
धांय!
एक गोली सीधी रिवॉल्वर में आकर लगी।
पांडुराम उछलकर दीवार से जा सटा, घिग्घी बंध गई थी उसकी।
और तेजस्वी!
ठगा-सा खड़ा वह ऑफिस के द्वार पर जिन्न की मानिन्द प्रकट हुए दो वर्दीधारियों को घूर रहा था—उनमें से एक के हाथ में रिवॉल्वर था, दूसरे के हाथ में ए.के.-47—रिवॉल्वर की नाल से धुआं निकल रहा था।
तेजस्वी बगैर उनके कहे समझ सकता था कि इस वक्त स्वेच्छापूर्वक अपनी अंगुली तक हिलाना मूर्खतापूर्ण हरकत साबित हो सकती है।
वर्दियां बता रही थीं कि वे स्टार फोर्स के लोग हैं।
“अगर हमारा मकसद खून-खराबा होता तो गोली रिवॉल्वर पर नहीं, तेरी कनपटी पर लगती इंस्पेक्टर!” वह शख्स बोला जिसकी रिवॉल्वर अभी तक धुआं उगल रही थी—“और तुम केवल उतनी देर में इस दुनिया से कूच कर चुके होते जितनी देर में गोली तुम्हारी मेज के आर-पार निकलती।”
तेजस्वी ने शांत स्वर में पूछा—“क्या चाहते हो?”
“हमारा काम चाहना नहीं, आदेश को पूरा करना है।”
“क्या आदेश मिला है तुम्हें?”
“मेजर थारूपल्ला तुमसे मिलना चाहते हैं।” लहजा पूरी तरह सपाट था—“हमारा मिशन था, उनकी और तुम्हारी बातचीत के लिए माहौल तैयार करना।”
“कहां है थारूपल्ला?”
“आते होंगे, अभी माहौल बना कहां है?”
“मतलब?”
“प्रांगण में चलो, वे धूप में बैठकर आराम से बात करना चाहेंगे।”
तेजस्वी चुप रहा गया—अपने स्थान से हिला तक नहीं वह—जबकि घिघियाते से पांडुराम ने कहा—“च-चले चलिए साब, प्रांगण में चले चलिए—ये लोग बड़े जल्लाद होते हैं, मेरे और आप जैसे इंसानों की कीमत इनकी नजरों में गाजर- मूली …।”
“खामोश!” तेजस्वी हलक फाड़कर दहाड़ा।
पांडुराम ने सकपकाकर स्टार फोर्स के लोगों की तरफ देखा—उसे उम्मीद थी, वे किसी भी क्षण इंस्पेक्टर तेजस्वी को गोली मार सकते हैं, मगर आशाओं के विपरीत उनमें से एक ने हल्की मुस्कान के साथ तेजस्वी से कहा—“प्रांगण में चलें?”
“चलो!” कहने के साथ तेजस्वी अपनी मेज के पीछे से निकल आया।
सभी पुलिसिए स्टार फोर्स की राइफलों की नोक पर थे।
तेजस्वी और पांडुराम की तरह सभी को प्रांगण में ले आया गया—इस वक्त वह स्थान पुलिस का थाना नहीं बल्कि स्टार फोर्स की छावनी नजर आ रहा था—स्टार फोर्स के लोग एक मेज और दो कुर्सियां उठाकर प्रांगण में ले आए।
मेज लॉन में डाल दी गई, सफेद रंग का मेजपोश बिछाया गया उस पर।
बीचों-बीच दो गुलदस्ते रख दिए गए, गुलदस्तों में गुलाब के फूल खिले हुए थे।
एक कुर्सी मेज के इधर डाली गई, दूसरी उधर।
आमने-सामने।
“बैठो।” रिवॉल्वरधारी ने तेजस्वी से कहा।
तेजस्वी बगैर कुछ बोले आगे बढ़ा और उस कुर्सी पर जा बैठा जिसकी तरफ रिवॉल्वरधारी ने इशारा किया था—कुर्सी पर बैठने के बाद उसने चारों तरफ का निरीक्षण किया—मौत के आतंक से ग्रस्त पुलिस वाले इस वक्त चूहे से नजर आ रहे थे—रायफलधारियों के कन्धों पर लगी ‘लुप्पियों’ पर स्टील के बने स्टार लगे हुए थे जबकि रिवॉल्वरधारी की लुप्पियों पर लगे स्टार पीतल के थे।
दोनों कंधों पर एक-एक स्टार।
तेजस्वी की निगाहें अभी प्रांगण का निरीक्षण करने में ही तल्लीन थीं कि तोप से छूटे गोले की-सी रफ्तार के साथ खुली जीप मुख्य द्वार पार करके थाने में प्रविष्ट हुई।
जोरदार ब्रेक लगाए जाने के कारण टायरों की तीव्र चीख-चिल्लाहट के साथ जीप प्रांगण में रुकी—हरेक नजर उस पर स्थिर हो गई—जीप में एक ड्राइवर, चार रायफलधारी और एक वह था जो ड्राइवर की बगल में अगली सीट पर बैठा था।
जीप के रुकते ही वह कूद पड़ा।
कलफ लगी ‘मिलिट्री की वर्दी’ पहने हुए था—काला रंग, बलिष्ठ जिस्म, मोटी मूंछों और गंदली आंखों वाले उस शख्स का व्यक्तित्व आकर्षित करने वाला था—भारी बूटों से ठक् … ठक् करता हुआ वह मेज की तरफ बढ़ा, तेजस्वी से नजरें मिलते ही मुस्कुराया।
मगर …।
तेजस्वी केवल उसे घूरता रहा, कुर्सी से खड़ा नहीं हुआ वह।
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12-31-2020, 12:18 PM,
#23
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“थारूपल्ला।” मेज के नजदीक पहुंचकर उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा।
“बैठो।” तेजस्वी का स्वर शुष्क था।
थारूपल्ला की मुस्कान गहरी हो गई, बोला—“हाथ नहीं मिलाओगे?”
“मैं दोस्तों से हाथ मिलाया करता हूं।”
थारूपल्ला इस तरफ पड़ी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला—“हाथ तो हम भी दोस्तों से ही मिलाते हैं और बढ़ाया इसीलिए था ताकि दोस्ती कायम हो जाए।”
“मैं प्रतापगढ़ थाने पर गुण्डे-बदमाशों से दोस्ती करने नहीं आया हूं।”
“गुड।” थारूपल्ला हंसा—“बहादुर लोग मुझे पसंद हैं।”
तेजस्वी के स्वर में पैनापन आ गया—“यहां आने का कारण?”
थारूपल्ला थोड़ा गंभीर नजर आया—“मुझे केवल बहादुर पसंद हैं, बेवकूफ नहीं—बहादुर दिमाग का इस्तेमाल करते हैं और बेवकूफ जानते ही नहीं कि दिमाग का इस्तेमाल होता कैसे है?”
“इस वक्त मैं तुम्हारी रायफल के साए में हूं और किसी बहादुर व्यक्ति को रायफल के साए में लेकर मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी मूर्ख कह सकता है।”
“इतना बखेड़ा तुम्हारे दिमाग से यह ‘खुश्की’ निकालने के लिए करना पड़ा कि थानेदार थाने का मालिक होता है और थाने में केवल वह होता है जो वह चाहे—थाना तुम्हारा है इंस्पेक्टर मगर यहां होगा वह जो हम चाहेंगे।”
“मुमकिन है इस वक्त जो तुम चाहो वह हो जाए परंतु …।”
“परंतु?” कहते वक्त थारूपल्ला के होंठों पर मुस्कान थी, गंदली आंखों में जगमगाहट।
तेजस्वी ने उसकी आंखों में आंखें डालकर बेधड़क कहा—“मेरी तरफ से तुम्हें बहुत जल्द अपनी इस नाजायज हरकत का माकूल जवाब मिलेगा।”
“यानि स्टार फोर्स से टकराव का रास्ता चुना है तुमने?”
“स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद करने का फैसला मैं काफी पहले ले चुका हूं।” तेजस्वी के स्वर में दृढ़ता कूट-कूटकर भरी हुई थी।
“अगर ऐसा है तो तुम्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार कर लेना चाहिए इंस्पेक्टर।” थारूपल्ला चेतावनी देने के से अंदाज में बोला—“और पुनर्विचार करने का केवल यही मौका है—दिल में स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद करने के मंसूबे लेकर तुम जीवित नहीं रह सकते।”
“तो मर जाऊंगा।” तेजस्वी के दांत भिंच गए—“मगर मंसूबे को दिल से नहीं निकलने दूंगा।”
“हम यह भी नहीं चाहते।”
“क्या नहीं चाहते?”
“कि तुम मर जाओ।”
हंसा तेजस्वी—“इस मेहरबानी की वजह?”
“तुम बहादुर हो, यमन हो, यानि उस कौम के जिस कौम का मैं हूं—स्टार फोर्स है और खुद ब्लैक स्टार हैं—श्रीगंगा की जमीन के जिस टुकड़े पर हमारी कौम की बहुतायत है उस टुकड़े को अपना एक आजाद और सार्वभौम राष्ट्र बनाना चाहते हैं हम—इसमें क्या गलत है? मगर श्रीगंगा सरकार हमारा दमन कर रही है, उसके इशारे पर खुद हमारे मुल्क की सेनाओं ने हमारी कौम पर बेशुमार जुल्म किए—इन जालिमों से लोहा लेने के लिए हमें अपनी कौम के तुम जैसे बहादुरों की सख्त जरूरत है, इसलिए नहीं चाहते कि तुम स्टार फोर्स के हाथों कुत्ते की मौत मारे जाओ।”
“किसी कौम विशेष का होने से बहुत पहले तेजस्वी अपने वतन का है और एक सच्चा वतनपरस्त किसी राष्ट्र के टुकड़े कर डालने का हामी नहीं हो सकता—अगर हम ये कहेंगे कि श्रीगंगा सरकार को स्टार फोर्स की मांग मान लेनी चाहिए तो वह किस मुंह से कह पाएंगे कि हमारे मुल्क के आतंकवादियों की मांग नाजायज है?”
“मैं बहस नहीं करना चाहता इंस्पेक्टर।”
“हुंह!” तेजस्वी ने धिक्कारा—“कुछ देर पहले तुम पूरी बहस के मूड में थे मिस्टर थारूपल्ला, मगर मेरे सवाल का तर्कपूर्ण जवाब न दे पाने के कारण इसके अलावा और कह क्या सकते हो कि ‘तुम बहस नहीं करना चाहते’—नहीं चाहते तो न सही, मैं कौन सा तुम्हें ‘कन्विंस’ करने का ख्वाहिशमंद हूं! मगर इतना जरूर कहूंगा कि हमारी कौम पर श्रीगंगा सरकार या हमारे मुल्क की सेना नहीं बल्कि तुम लोग जुल्म कर रहे हो—कौम के तुम जैसे चन्द चालाक लोग सीधे- सादे लोगों की भावनाएं भड़काकर उन्हें तबाह और बरबाद कर रहे हो, खून के आंसू रुला रहे हो उन्हें।”
अंतिम शब्द कहते-कहते तेजस्वी का चेहरा भभक उठा और उसके भभकते चेहरे को देखकर थारूपल्ला के दांत भिंचते चले गए, इस बार हलक से गुर्राहट निकाली—“मेरे ख्याल से तुम इसी वक्त गोली से उड़ा दिए जाने के लायक हो।”
तेजस्वी के सम्पूर्ण जिस्म में मौत की सिहरन दौड़ गई मगर वह उस सिद्धांत को मानने वाला था कि जो डर गया सो मर गया। अतः मुकम्मल दृढ़ता के साथ बोला—“तो मार क्यों नहीं देते, रोकने वाला कौन है तुम्हें?”
“ब्लैक स्टार का आदेश!”
“मतलब?”
“उनका आदेश है, तुम्हें एक हफ्ता दिया जाए।”
“क्या?”
“अच्छी तरह सोच लो, स्टार फोर्स को सहयोग देकर जिन्दा रहना चाहोगे या …।”
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12-31-2020, 12:18 PM,
#24
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“फैसला सुना चुका हूं मिस्टर थारूपल्ला, मेरे इस फैसले से ब्लैक स्टार को भी अवगत करा देना।” सख्त स्वर में तेजस्वी कहता चला गया—“उससे कहना, तेजस्वी मर सकता है मगर स्टार फोर्स से हाथ नहीं मिला सकता … और सुनो, यह भी कह देना कि तेजस्वी नाम की हस्ती फ्री में मर जाने वालों में से नहीं है—स्टार फोर्स और अपने अस्तित्व को बचाकर रखे वह—कहीं ऐसा न हो कि बहुत जल्द वह तेजस्वी के हाथों को अपनी गर्दन पर जकड़ा पाए।”
थारूपल्ला उतने ही कठोर स्वर में बोला—“हालांकि सुना है, कोई किसी को ख्वाब देखने से नहीं रोक सकता, लेकिन अगर तुम्हें एक हफ्ता देने का हुक्म न मिला होता तो इस वक्त का मेरा एक इशारा तुम्हें ख्वाब देखने से भी रोक सकता था इंस्पेक्टर—ब्लैक स्टार की बात तो बहुत दूर है, तुम्हारे ये नापाक हाथ उनके मुझ जैसे अदने से सेवक तक की गर्दन को नहीं छू सकते—और वे मुझ जैसे कम-से-कम दो सौ सेवकों के पीछे रहते हैं।”
कुछ देर पहले तक तेजस्वी के दिमाग में थोड़ा-बहुत खौफ था मगर जब से ब्लैक स्टार के आदेश के बारे में सुना था वह भी काफूर हो गया—तेजस्वी समझ चुका था, थारूपल्ला चाहकर भी कम-से-कम इस वक्त उस पर गोली नहीं चला सकता। अतः मुकम्मल तौर पर बेखौफ स्वर में बोला—“बहुत धमकियां दे चुके मिस्टर थारूपल्ला, अब एक चेतावनी मेरी भी सुनो—अगर एक हफ्ते के अन्दर तुमने प्रतापगढ़ नहीं छोड़ दिया तो ये दुनिया छोड़नी पड़ेगी—सारे इलाके को तुम्हारी लाशों से पाट दूंगा मैं—प्रतापगढ़ के उस जंगल को जलाकर राख कर दूंगा जिसमें छुपने के बाद तुम्हारा ब्लैक स्टार खुद को उतना सुरक्षित समझता है जितना मां के गर्भ में बच्चा।”
थारूपल्ला इस तरह हंसा जैसे उपरोक्त शब्द नासमझ बच्चे ने कहे हों, बोला—“ब्लैक स्टार एक चीते का नाम है इंस्पेक्टर और तुम … तुम महज एक चींटी हो।”
“चींटी ही सही बेटे, मगर मैं पंख वाली चींटी हूं जिसके काटने मात्र से चीते तिलमिला उठते हैं।”
“तुम जैसी चींटियों के पंख कुतरने हमें आते हैं।”
“कोशिश करके देखो।”
थारूपल्ला ने नजदीक खड़े एक वर्दीधारी से कहा—“गंगाशरण को यहां ले आओ।”
तेजस्वी के होंठों पर मुस्कान थिरक कर रह गई।
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12-31-2020, 12:18 PM,
#25
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
बल्लियों तो गंगाशरण उसी समय उछलने लगा था जब स्टार फोर्स के सैनिकों ने हवालात का ताला खोला और प्रांगण का दृश्य देखने के बाद तो बांछें ही खिल गईं—थाने पर स्टार फोर्स का कब्जा और चूहे से नजर आने वाले पुलिसियों को देखकर उसके सीने का नाप कम-से-कम दो इंच बढ़ गया था, अपने दरबार में दाखिल होते शहंशाह की-सी चाल से चलता गंगाशरण धूप में पड़ी मेज की तरफ बढ़ा मगर नजदीक पहुंचते-पहुंचते अपने दिमाग को लगे झटके से न बचा सका, यह झटका तेजस्वी के होंठों पर थिरक रही मुस्कान के कारण लगा था—तेजस्वी की हालत अन्य पुलिसियों की-सी न देखकर निराशा हुई उसे।
यही क्षण था जब थारूपल्ला ने तेजस्वी की आंखों में झांकते हुए गर्व के साथ कहा—“अगर हम गंगाशरण को यहां से ले जाएं तो भविष्य में तुम अपने पंखों से नहीं उड़ सकोगे।”
“तुम इस हरामी नेता को नहीं ले जा सकते थारूपल्ला!” तेजस्वी के हर लफ्ज से आत्मविश्वास की फुहारें फूट रही थीं।
“त-तुम रोकोगे हमें?” थारूपल्ला हंसा—“तुम?”
“हां थारूपल्ला, मैं रोकूंगा तुम्हें … मैं!”
“अपने शब्द वापस लेने पड़ेंगे मुझे—तुम बहादुर नहीं, मूर्ख हो।”
तेजस्वी शब्दों से जवाब देने के स्थान पर खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज में हंसा।
गुस्से की ज्यादती के कारण थारूपल्ला का चेहरा भभक उठा—आंखें सुलगकर अंगारा हो गईं, सारा जिस्म कांप रहा था उसका और उसे इस अवस्था में देखकर प्रांगण में चारों तरफ खड़े पुलिसियों के चेहरे इस कदर सुत गए मानो लहू की अंतिम बूंद तक निचोड़ ली गई हो—थारूपल्ला के हलक से हिंसक चीते की सी गुर्राहट निकली—“ऊपर वाला जानता होगा कि तुम ये दावा किस बूते पर कर रहे हो?”
“इसके बूते पर!” तेजस्वी ने दाहिने हाथ की तर्जनी से अपनी कनपटी को ठकठकाते हुए कहा—“यहां आदमी की अक्ल होती है थारूपल्ला और उस अक्ल के बूते पर ही मैं ये दावा कर रहा हूं।”
“इस रिवॉल्वर की गोली बड़ी-से-बड़ी अक्ल का भुर्ता बना डालती है इंस्पेक्टर!” गुस्से के कारण कांपते थारूपल्ला ने अपने होलेस्टर से रिवॉल्वर खींच लिया—“इस भुलावे में मत रहना कि मैं तुम्हें किसी भी ‘कंडीशन’ में नहीं मार सकता—जहां मुझे, तुम्हें एक हफ्ता देने का हुक्म मिला है, वहीं यह आदेश भी मिला है कि गंगाशरण को थाने से निकालकर लाऊं और इस आदेश को पूरा करने की खातिर तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर डालने के अधिकार मेरे पास सुरक्षित हैं।”
“तो करो कोशिश।” तेजस्वी के होंठों पर भेदभरी मुस्कान थी—“ले जाओ इस हरामी नेता को!”
“आओ गंगाशरण!” कहने के साथ थारूपल्ला एक झटके से उठा, जीप की तरफ बढ़ता हुआ बोला—“जीप में बैठो, देखता हूं ये हमें कैसे रोकेगा …।”
गंगाशरण उसके पीछे लपका।
“सोच ले गंगाशरण!” तेजस्वी ने चेतावनी दी—“तुझे भविष्य में नेतागिरी करनी है या नहीं?”
गंगाशरण ठिठका, पलटकर इतना ही पूछ पाया वह—“क्या मतलब?”
“पब्लिक की नजरों में तू गोमती के फ्लैट से उसके साथ रंगरलियां मनाता पकड़ा गया है—आज के अखबारों में तेरे और गोमती के फोटो भी छपे हैं—इन हालात में अगर थारूपल्ला के साथ गया तो सभी प्रचार-माध्यम और अखबार पब्लिक को यह बताएंगे कि स्टार फोर्स के लोग तुझे थाने से उड़ा ले गए—इस प्रचार से पब्लिक की नजरों में यह आरोप और पुष्ट हो जाएगा कि तू वाकई गोमती के साथ रंगरलियां मना रहा था—जिस नेता के बारे में पब्लिक यह सोचने लगे उसकी नेतागिरी खत्म, लोकप्रियता नेस्तनाबूद!”
गंगाशरण के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं।
“इसके विपरीत।” तेजस्वी ने गर्म लोहे पर चोट की—“अगर मेरे द्वारा कोर्ट में पेश होता है तो अदालत तुझे अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देगी, उस वक्त तू चीख-चीखकर प्रतापगढ़ की पब्लिक को यह ‘मैसेज’ दे सकता है कि मैंने तुझे झूठे केस में फंसाया है।”
गंगाशरण मिट्टी के माधो की तरह जमीन पर चिपका रह गया।
तेजस्वी ने पुनः कहा—“सोच ले गंगाशरण, अच्छी तरह सोच ले—अगर भविष्य में नेतागिरी नहीं करनी तो बेशक थारूपल्ला के साथ जाकर हमेशा के लिए अपने दामन को दागदार कर ले—और अगर नेतागिरी करनी है तो अपने दामन पर लगा दाग तुझे धोना पड़ेगा क्योंकि इस दाग के साथ नेतागिरी नहीं की जा सकती—खुला मैदान है तेरे सामने, जो चाहे कर।”
बात गंगाशरण की समझ में आ गई थी अतः थारूपल्ला की तरफ पलटकर बोला—“इंस्पेक्टर ठीक कह रहा है मेजर साहब, अगर मैं इस तरह चला गया तो …।”
“तो?” थारूपल्ला गुर्राया।
“मेरी नेतागिरी खत्म—प्रतापगढ़ की पब्लिक कौड़ी के भाव नहीं पूछेगी मुझे और जब नेतागिरी ही खत्म हो जाएगी तो महान ब्लैक स्टार के किस काम का रह जाऊंगा मैं?”
“क्या चाहता है?”
गंगाशरण फौरन जवाब न दे सका, दोराहे पर खड़ा था वह।
और तेजस्वी!
तेजस्वी के होंठों पर जबरदस्त विजयी मुस्कान भरतनाट्यम कर रही थी—बड़े ही निश्चिंत भाव से उसने एक सिगरेट सुलगाई, जोरदार कश लिया और अपने द्वारा फेंके गए शब्दों के जाल में फंसे गंगाशरण तथा थारूपल्ला के बीच चल रहे विवाद का आनंद इस तरह लूटने लगा जैसे दिलचस्प नाटक देख रहा हो।
“बकता क्यों नहीं गंगाशरण?” थारूपल्ला झुंझला उठा—“क्या चाहता है तू?”
“ग-गुस्ताखी माफ करना मेजर साहब।” हिचकिचाते हुए गंगाशरण को कहना पड़ा—“बेहतर है मुझे कोर्ट में पेश होने दिया जाए—वहां मैं अपनी बात कहूंगा, भले ही सब लोग यकीन न कर पाएं मगर मेरे समर्थक तो विश्वास करेंगे ही—अगर मैंने लोगों के सामने अपना पक्ष रखने का यह स्वर्णिम अवसर गंवा दिया और आपके साथ चला गया तो आम पब्लिक की तो कौन कहे, समर्थक तक यही समझेंगे कि गंगाशरण सचमुच गोमती की बांहों से गिरफ्तार किया गया था, तभी तो चोरों की भांति थाने से फरार हो गया!”
“हम केवल इसलिए आए थे ताकि तुम्हारे दिल में यह शिकायत न रहे कि स्टार फोर्स ने कुछ किया नहीं—मगर जब तुम ही इंकार कर रहे हो तो …।”
“स-सोचिए मेजर साहब … आप खुद सोचिए, क्या मेरा इस तरह चले जाना अक्लमंदी होगी?”
बात थारूपल्ला के पल्ले भी पड़ चुकी थी अतः बोला—“जो फैसला तुमने किया है वह ठीक ही होगा।”
“थ-थैंक्यू मेजर साहब।” गंगाशरण के हृदय पर से मानो भारी बोझ हट गया।
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12-31-2020, 12:18 PM,
#26
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
एक-चौथाई सिगरेट पी चुका तेजस्वी अचानक कुर्सी से उठा और विजयी मुद्रा में चहलकदमी करता हुआ पुनः दाहिने हाथ की तर्जनी से कनपटी को ठकठकाता हुआ बोला—“उम्मीद है थारूपल्ला कि तुमने अक्ल का करिश्मा महसूस कर लिया होगा—देखो … अपने चारों तरफ देखो, मेरा हर सिपाही तुम्हारे कब्जे में है—थाने के चप्पे-चप्पे पर तुम्हारी हुकूमत का मायाजाल बिछा है, मगर गंगाशरण को यहां से निकालकर नहीं ले जा सकते, यानि अपना वह एकमात्र मकसद पूरा नहीं कर सकते जिसकी खातिर यहां आए थे—अगर खुले दिमाग के हो तो सारी शक्तियां अपने पास होने के बावजूद यहां से अपनी शिकस्त कुबूल करके जाओ थारूपल्ला—और रास्ते भर यह रटते चले जाना कि थाने में केवल वह होता है जो थानेदार चाहे।”
गुस्से के कारण थारूपल्ला का बुरा हाल था परंतु परिस्थितियों के चक्रव्यूह में जकड़ा हुआ वह कुछ कर न पाया—अंततः पैर पटकते हुए अपनी जीप की तरफ बढ़ना पड़ा।
तेजस्वी ने सिगरेट का शेष टुकड़ा जमीन पर फेंका, जूते से बुरी तरह कुचल डाला उसे।
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थाने में जो कुछ हुआ, उसकी रिपोर्ट पुलिस के उच्चा- धिकारियों में ही नहीं बल्कि मुकम्मल प्रतापगढ़ में फैल गई—बच्चे-बच्चे की जुबान पर एक ही वाक्य था, यह कि ‘ब्लैक स्टार’ के मेजर थारूपल्ला को नए इंस्पेक्टर के सामने मुंह की खानी पड़ी—‘वह गंगाशरण को थाने से ले जाने आया था परंतु इंस्पेक्टर तेजस्वी ने उसे नाकाम कर दिया।’
लोग तेजस्वी की प्रशंसा के गीत गा रहे थे।
और वे पुलिसिए तो खुद को धन्य समझ रहे थे जो तेजस्वी और थारूपल्ला के टकराव के वक्त थाने में थे—अपने परिचितों को उन क्षणों का हाल बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे थे वे—सुन-सुनकर लोग हैरान हो उठते—‘अच्छा, नए इंस्पेक्टर ने थारूपल्ला से ‘यह’ कह दिया?’ प्रत्यक्षदर्शी कहते—‘यह तो कुछ भी नहीं, तेजस्वी ने थारूपल्ला से साफ-साफ कहा कि मैं स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालूंगा।’
लोग हैरान और चमत्कृत रह जाते।
चेहरों का जर्रा-जर्रा तेजस्वी की प्रशंसा का पसीना उगलने लगता।
लगभग हर कान ने स्टार फोर्स की शिकस्त का यह पहला किस्सा सुना था इसलिए सुनते और सुनाते रहना चाहते थे—छीछालेदर हो रही थी तो गंगाशरण की।
सुबह के अखबार पढ़कर और उसमें छपे फोटुओं को देखकर जहां लोगों के मुंह से बरबस निकल गया कि ‘अरे, हम तो स्वप्न में भी नहीं सोच सकते थे कि गंगाशरण इतना नीच होगा’ वहीं लोग प्रतापगढ़ की दीवारों पर चिपके रंगीन पोस्टरों पर हुजूम लगा लेते—उनमें छपी तस्वीरें अखबारों से अलग थीं—जाने रात ही रात में पंडित शाहबुद्दीन चौधरी ने ये पोस्टर कौन से प्रेस में छपवाकर किस मशीनरी से दीवारों पर चिपकवा दिए थे?
ऐसे करिश्में नेता अक्सर कर दिखाते हैं।
और तब, जब तेजस्वी ने गंगाशरण और गोमती को कोर्ट में पेश किया।
भीड़ से खचाखच भरी अदालत को गंगाशरण ने चीख-चीखकर बताया कि इंस्पेक्टर तेजस्वी ने उसे किस तरह झूठे केस में फंसाया है—गोमती ने कोर्ट में वह सब नहीं कहा जो तेजस्वी ने पढ़ाया था, बल्कि गंगाशरण के बयान की पुष्टि की यानि कहा कि तेजस्वी ने जबरदस्ती गंगाशरण के साथ उसके फोटो खिंचवाए हैं—हां, बयान देते वक्त उसका चेहरा पीला जर्द जरूर नजर आ रहा था—उसके बयान ने अदालत कक्ष में सनसनी फैला दी, पुलिस वालों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं मगर तेजस्वी जरा भी विचलित नजर नहीं आ रहा था—जिस वक्त गोमती उसकी करतूत का भंडाफोड़ कर रही थी, उस वक्त प्रत्येक निगाह तेजस्वी के चेहरे पर चिपकी हुई थी—लोग उसकी मुस्कराहट पर हैरान थे और उस मुस्कराहट का अर्थ लोगों की समझ में तब आया जब अपनी बारी आने पर उसने धीर-गंभीर स्वर में कहना शुरू किया—“गंगाशरण तो खैर कहेगा ही कि मैंने उसे झूठा फंसाया है क्योंकि बगैर ऐसा कहे वह अपने शर्मनाक चरित्र पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं कर सकता—सवाल ये है कि गोमती उसके बयान की पुष्टि क्यों कर रही है? जवाब साफ है—मैंने भले ही स्टार फोर्स का हुक्म न मानने की हिम्मत दिखा दी हो, मगर प्रतापगढ़ के आम नागरिकों के दिल में अभी इतनी हिम्मत नहीं भर पाया हूं कि वे स्टार फोर्स की हुक्मउदूली कर सकें—गोमती बेचारी तो एक अदनी-सी कॉलगर्ल है—भला ये स्टार फोर्स का आदेश न मानने की जुर्रत किस बूते पर कर सकती है—थारूपल्ला ने थाने में आकर गंगाशरण को छुड़ा ले जाने का असफल प्रयास किया—उस घटना की रोशनी में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि स्टार फोर्स गोमती को डरा-धमकाकर बयान दिलवा रही है जिससे न केवल गंगाशरण को छोड़ देने का वह काम अदालत कर दे जिसमें वे थाने में नाकाम हो चुके हैं, बल्कि लोगों में मेरी छवि भी खराब कर दें—बयान देते वक्त और अभी तक गोमती के चेहरे पर छाया पीलापन अपने आप में इस बात का गवाह है कि वह डरी हुई है—सोचने वाली बात ये है मी लॉर्ड कि अगर मैंने झूठा मामला बनाया होता तो गोमती वह बयान न देती जो दिया है, बल्कि वह कहती जो मैं चाहता—यह तथ्य खुद स्पष्ट कर देता है कि मैंने झूठा मामला नहीं बनाया बल्कि जो कुछ गोमती कह रही है वह स्टार फोर्स के दबाव में आकर कहने पर विवश है—ऐसी पेचीदगियां उस दिन दूर होंगी जिस दिन मैं लोगों के मन-मस्तिष्क पर छाए स्टार फोर्स के आतंक को नेस्तनाबूद कर सकूंगा—इस काम में सफलता पाने के लिए मुझे सभी का सहयोग चाहिए—इस अदालत का, आपका—और ये अदालत इस वक्त गंगाशरण की जमानत अस्वीकार करके मुझे सहयोग दे सकती है—लोगों में विश्वास जगाने के लिए जरूरी है कि गंगाशरण को यहां से सीधा जेल भेज दिया जाए।”
लोग तालियां बजा उठे, जाहिर है, सभी ने उसका समर्थन किया था।
मगर …।
कोर्ट में शांति बहाल करने के बाद न्यायाधीश ने कहा—“मिस्टर गंगाशरण की बेल एप्लीकेशन के साथ डॉक्टर का ‘सर्टिफिकेट’ लगा हुआ है जिसके मुताबिक मिस्टर गंगाशरण ‘हार्ट पेशेन्ट’ हैं, और जेल भेजने पर उनके जीवन को खतरा हो सकता है। अतः यह अदालत इस शर्त पर उनकी जमानत स्वीकार करती है कि वे प्रत्येक तारीख पर खुद कोर्ट में हाजिर होंगे।”
इस फैसले को सुनकर जहां कक्ष में सन्नाटा छा गया—वहीं तेजस्वी के चेहरे पर शिकन तक न उभरी—सांप द्वारा सूंघ लिए गए लोगों पर दृष्टिगत करता तेजस्वी जानता था कि अदालत से निकलने के बाद ये ही लोग किस चर्चा में मशगूल होंगे और वही हुआ—एक घंटे बाद प्रतापगढ़ में यह आम चर्चा थी कि ‘जज साहब ने स्टार फोर्स की धमकी में आकर फैसला दिया है, स्टार फोर्स से टकराने की कूव्वत भला हरेक में कहां है?’
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12-31-2020, 12:18 PM,
#27
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“मेरी समझ में तो कुछ आ नहीं रहा सर।” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा के मस्तक पर बल पड़े हुए थे—“क्या आपके पल्ले कुछ पड़ रहा है?”
“किस संबंध में बात कर रहे हो?”
“तेजस्वी की ‘एक्टीविटीज’ के संबंध में।”
चिदम्बरम का गंभीर स्वर—“अपनी सेहत की बेहतरी के लिए हमें उसके संबंध में बात नहीं करनी चाहिए।”
“हम दोनों के अलावा यहां है ही कौन?”
“हमें किसी और का नहीं ‘ट्रिपल जैड’ का डर है।” चिदम्बरम फुसफुसाया—“पता नहीं उसके पास जादू की कौन-सी छड़ी है—मुंह से निकली बात की तो बात ही दूर, जो सोचते हैं वह भी उसके कानों तक पहुंच जाता है और उसने सख्त हिदायत दी थी कि तेजस्वी की एक्टीविटीज पर ध्यान न दें।”
“ध्यान देने की जरूरत ही कहां है—प्रदेश भर के अखबार उसके कारनामें से रंगे पड़े हैं—क्या उन्हें पढ़कर आपके दिमाग में बार-बार यह सवाल नहीं कौंध रहा कि जो कुछ वह कर रहा है, क्या वही सब करने के लिए ‘ट्रिपल जैड’ ने हमें इतनी मोटी रकम देकर उसकी नियुक्ति प्रतापगढ़ थाने पर कराई थी?”
“क-कौंध तो रहा है।”
“क्या समझ में आता है आपके?”
“अपना मकसद तो ट्रिपल जैड ने हमें बताया नहीं, लेकिन तेजस्वी जो कुछ कर रहा है, यदि उससे मकसद निकालने की कोशिश की जाए तो इसके अलावा कुछ नहीं निकलता कि ट्रिपल जैड स्टार फोर्स का कोई भयंकर दुश्मन है और वह तेजस्वी के हाथों स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कराना चाहता है।”
“तेजस्वी की ‘एक्टीविटीज’ तो यही बता रही हैं मगर …।”
“मगर?”
“बात कुछ जम नहीं रही, ऐसा सोचना मूर्खता के अलावा कुछ हो ही नहीं सकता कि मात्र एक शख्स स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर सकता है—और यह तो आप भी मानेंगे कि ट्रिपल जैड मूर्ख नहीं है।”
“यही बातें सोचकर तो दिमाग उलझ जाता है—हम यह पूरी तरह मानते हैं कि अपराधी प्रकृति का व्यक्ति किसी लालच या दबाव में लेकर तेजस्वी से कोई काम नहीं ले सकता—इसके बावजूद ट्रिपल जैड ने उसकी नियुक्ति प्रतापगढ़ थाने पर कराई—जाहिर है और तेजस्वी जैसे सख्त आदमी के जरिए वह उसे कैसे परवान चढ़ाएगा, सारा सिलसिला समझ में न आने वाली पहेली जैसा है।”
एकाएक वहां ट्रिपल जैड की आवाज गूंजी—“इस पहेली को सुलझाने की कोशिश मत करो मिस्टर चिदम्बरम!”
दोनों उछल पड़े।
चौंककर आवाज की दिशा में देखा।
काले कपड़े, सफेद ग्लव्स, नकली दाढ़ी-मूंछ और विग वाले शख्स को कमरे में दाखिल होता देखते ही दोनों के चेहरों से तोते उड़ गए।
उछलकर खड़े हो गए वे।
घिघिया उठे!
चिदम्बरम हकलाया—“म-मैंने कुम्बारप्पा से कहा था सर …।”
“हमें मालूम है तुमने क्या कहा था!” चमकदार जूतों से ठक् … ठक् करता ट्रिपल जैड उनके नजदीक पहुंच गया—“मगर फिर भी तुम हमारा उद्देश्य जानने की चर्चा में मशगूल हो गए।”
“ग-गलती हो गई सर।” कुम्बारप्पा गिड़गिड़ा उठा—“म-माफ कर दीजिए, भविष्य में …।”
“तुम्हारे गिड़गिड़ाने के कारण नहीं बल्कि इस गलती पर तुम्हें माफ किया जाता है क्योंकि हम अच्छी तरह जानते हैं, चाहे जितना डिस्कशन कर लो, चाहे जितना दिमाग भिड़ा लो, मगर हमारे उद्देश्य के आस-पास नहीं फटक सकते।”
चिदम्बरम और कुम्बारप्पा के चेहरों पर रौनक ने लौटना शुरू किया, कुम्बारप्पा बोला—“अगर इजाजत दें तो मैं अपनी बात कहूं सर?”
“बोलो!”
“हमें आपका उद्देश्य जानने की जिज्ञासा केवल इसलिए थी क्योंकि हमारे ख्याल से कम-से-कम तेजस्वी आपके किसी उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता।”
ट्रिपल जैड ने एक-एक शब्द पर जोर देते हुए कहा—“हमारे उद्देश्य को केवल तेजस्वी ही पूरा कर सकता है।”
“म-मेरे ख्याल से तो तेजस्वी की आयु ही दो-चार दिन से ज्यादा नहीं है।” चिदम्बरम बोला।
“वजह?”
“स्टार फोर्स के मेजर की बात तो छोड़ ही दीजिए, किसी साधारण सैनिक तक को आज तक किसी ने वैसी करारी शिकस्त नहीं दी जैसी तेजस्वी ने थारूपल्ला को दी है—पता लगते ही ब्लैक स्टार भड़क उठा होगा, उसने तत्काल तेजस्वी की हत्या का फरमान जारी कर दिया होगा—और यह तो आप जानते होंगे कि एक बार को मुल्क की सबसे बड़ी अदालत के आदेश का पालन टल सकता है, ब्लैक स्टार के आदेश का पालन नहीं टल सकता—उसने एक बार जिसकी मौत का फरमान जारी कर दिया, उसके हिस्से में केवल चंद सांसें रह जाती हैं।”
“तेजस्वी ब्लैक स्टार के इस भ्रम के परखच्चे उड़ा देगा।”
“ग-गुस्ताफी माफ हो सर।” कुम्बारप्पा कह उठा—“मेरी यह अटल धारणा है, थारूपल्ला को उलटे-सीधे जवाब देकर तेजस्वी अपनी मौत के परवाने पर हस्ताक्षर कर चुका है।”
“अगर इस युद्ध में तेजस्वी मारा जाता है तो हमें खुशी होगी।” ट्रिपल जैड के हर लफ्ज में रहस्य था—“हमारी समझ में यह बात आ जाएगी कि अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु तेजस्वी का चुनाव करके हमने भूल की मगर, विश्वास रखो, ऐसा होगा नहीं—तेजस्वी के ‘टेलैन्ट’ पर हमें पूरा भरोसा है।”
चिदम्बरम और कुम्बारप्पा चकित दृष्टि से उसकी तरफ देखते रह गए।
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12-31-2020, 12:18 PM,
#28
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
सामने खड़े युवक को कड़ी नजरों से घूरते हुए तेजस्वी ने कहा—“तो तू असलम का भाई है?”
“जी हां।”
“नाम?”
“इकबाल।”
“कहां रहता है?”
“फ-फिल्म नगरी में, भाभी के गिरफ्तार होने की सूचना पाकर आया हूं।”
“क्या करता है वहां?”
“मुझे हीरो बनने की चाह थी—करीब पांच साल पहले किस्मत आजमाने गया था—मगर बहुत पालिटिक्स है वहां, टेलैन्ट होने के बावजूद किसी ने काम नहीं दिया।”
“अगर सही समय पर इंस्पेक्टर देशराज का हृदय-परिवर्तन न हो जाता और वह कोर्ट जाकर अपनी काली करतूतों का भंडाफोड़ न कर देता तो उसके द्वारा पुख्ता सबूतों के साथ पेश की गई चार्जशीट के आधार पर सलमा को फांसी जरूर हो जाती।”
“यह सच है, बड़ा ही बदमाश इंस्पेक्टर था वह!”
“और उस अवस्था में ये आलीशान कोठी!” लॉन में खड़े तेजस्वी ने इमारत की तरफ इशारा किया—“करोड़ों की फैक्ट्री और असलम का जो भी कुछ था, तेरा हो जाता!”
“क-क्या मतलब?” इकबाल हकला गया, पैरों के नीचे से धरती खिसक गई।
“तेजस्वी को फिल्म नगरी के बड़े-से-बड़े एक्टर की एक्टिंग धोखे में नहीं डाल सकती बेटे, तू तो वैसे भी वहां से असफल होकर लौटा है।” तेजस्वी एक-एक शब्द को चबाता चला गया—“सलमा को फंसाने का हुक्म देशराज को ब्लैक स्टार ने दिया था, जबकि गोविन्दा या दयाचन्द के स्टार फोर्स से कोई ताल्लुकात न थे जिनके कारण वह स्टोरी बनती हो कि ब्लैक स्टार का उद्देश्य उन्हें बचाना था—उस फोन के पीछे का एकमात्र उद्देश्य स्पष्ट है—असलम तो मृतक था ही, उसकी हत्या के जुर्म में सलमा फंस जाए तो करोड़ों की जायदाद तेरी हो जाए।”
“न-नहीं … यह झूठ है, गलत है!”
“सीधी तरह बता, स्टार फोर्स से तेरा क्या सौदा हुआ था?”
“य-ये क्या कह रहे हैं आप—स्टार फोर्स से मेरा सौदा?” इकबाल को काटो तो खून नहीं, बुरी तरह हड़बड़ा उठा वह—“म-मैं तो जानता तक नहीं स्टार फोर्स क्या बला है! मैं तो …।”
मगर …!
बात पूरी न कर सका इकबाल।
उससे पहले ही …।
“सड़ाक … सड़ाक!”
रूल के अग्रिम सिरे से लटक रही चेन दो बार उसके जिस्म के विभिन्न हिस्सों से टकराई, हलक से चीखें निकलीं, मगर इतने ही पर ‘बस’ करने वाला कहां था तेजस्वी! खतरनाक स्वर में उसने पांडुराम को हुक्म दिया—आदेश होते ही पांडुराम गुरिल्ले की तरह इकबाल पर झपटा, बाल पकड़े और लगभग घसीटता हुआ जीप तक ले गया।
जीप से उतारकर इकबाल को सीधा हवालात में ले जाया गया—टॉर्चर चेयर पर बैठा दिया गया उसे और तब तेजस्वी ने शुरू किया, हकीकत उगलवाने का प्रयास—तेजस्वी के टार्चर का तरीका ऐसा था कि बड़े से बड़ा अपराधी टूट जाता। पन्द्रह मिनट के अन्दर इकबाल पटरी पर आ गया, टेपरिकार्डर की भांति शुरू हो गया वह।
“असलम भाई के मर्डर की सूचना भाभी के टेलीग्राम द्वारा मिली—मैं आया—तीसरे दिन मुझे इल्म हो गया कि भाभी और दयाचन्द के बीच सामान्य संबंध नहीं हैं—खुसर-पुसर करते देख लिया था मैंने उन्हें—उस क्षण पहली बार दिमाग में यह ख्याल आया कि भाई तो मर ही गया है, उसकी हत्या के जुर्म में भाभी फंस जाएगी और सारा माल मेरा—उधर फिल्म नगरी में मेरा हाल बुरा था—न केवल हीरो बनने की सारी उम्मीदें दिल से निकल चुकी थीं, बल्कि एक होटल में लोगों को लंच-डिनर कराकर अपनी रोटी का जुगाड़ कर रखा था—अपना विचार मुझे जंचा, सलमा के पकड़े जाते ही मेरी मुकम्मल जिन्दगी बदल सकती थी—लोगों से मालूम हुआ, यहां का सबसे बड़ा दादा रंगनाथन है—उससे मिला, असली मकसद नहीं बताया बल्कि बोला—‘मुझे एक मर्डर कराना है, क्या खर्च आ जाएगा’—उसने कहा—‘प्रतापगढ़ में इतना बड़ा काम स्टार फोर्स की इजाजत के बगैर कोई नहीं कर सकता, अतः मेजर थारूपल्ला से बात करो’—मैंने थारूपल्ला का पता पूछा, बोला—‘उनकी इच्छा के बगैर कोई उनसे नहीं मिल सकता’—उसने एक टेलीफोन नम्बर दिया—वह नम्बर मिलाने पर थारूपल्ला से बात हुई—यह जांचने के बाद कि वह काम कर सकता है, अपना असली उद्देश्य बताया—सारी बात सुनने के बाद उसने कहा—‘काम हो जाएगा मगर बदले में तुम्हें उस शख्स को असलम की संपूर्ण जायदाद और फैक्टरी में फिफ्टी परसेंट का पार्टनर बनाना पड़ेगा जिसे हम कहें’।”
“ओह!” यह शब्द तेजस्वी के मुंह से बरबस निकल गया।
“शर्तें कड़ी होने के बावजूद मेरे पास मान लेने के अलावा चारा न था।” इकबाल कहता चला गया—“तय हुआ कि सलमा को मेरे फिल्म नगरी लौट जाने के बाद फंसाया जाएगा ताकि दूर-दूर तक कोई मुझ पर शक न कर सके—वही हुआ, अपनी गिरफ्तारी का टेलीग्राम भी मुझे भाभी ने ही दिया—खुशी से झूमता यहां पहुंचा मगर यह सुनते ही सारी खुशी काफूर हो गई कि इंस्पेक्टर देशराज के हृदय-परिवर्तन के कारण प्लान चौपट हो गया था—मर्डर का असली मुकदमा दयाचन्द पर चल रहा है और भाभी सरकारी गवाह बन चुकी हैं।”
“थारूपल्ला से दुबारा बात हुई?”
“जी … हुई तो थी।”
“क्या बात हुई?”
“उसका कहना है, देशराज के हृदय-परिवर्तन की कल्पना तक न की जा सकती थी मगर वैसा हुआ और उसी के कारण सारा मामला उलट गया। मगर मैं फिक्र न करूं।”
“मतलब?” तेजस्वी के माथे पर बल पड़ गए।
इकबाल ने थोड़ा हिचकते हुए बताया—“थारूपल्ला ने कहा है मुझे थोड़ा रुकना पड़ेगा, धैर्य से काम लूं—जैसे ही ये मामला ठंडा पड़ेगा, सलमा किसी दुर्घटना में मारी जाएगी और …”
तेजस्वी के हलक से गुर्राहट निकली—“तो हार नहीं मानी है उसने?”
इकबाल चुप रहा।
“वह शख्स कौन है जिसके साथ पार्टनरशिप होनी थी?”
“मुझे नहीं मालूम।”
“झूठ?” तेजस्वी ने आंखें तरेरीं।
“स-सच … मैं सच कह रहा हूं—यकीन कीजिए इंस्पेक्टर साहब, थारूपल्ला ने कहा था, वक्त आने पर वह शख्स मुझसे मिलेगा, मगर चूंकि वक्त आया नहीं अतः मुझसे कोई मिला नहीं।”
तेजस्वी उसे कच्चा चबा जाने वाली दृष्टि से घूर रहा था जबकि वह गिड़गिड़ाया—“लालच में फंसकर मैंने षड्यंत्र जरूर रचा इंस्पेक्टर साहब, मगर आप जानते हैं—हाथ-पल्ले कुछ न पड़ा … और अब तो सलमा भाभी की मौत के बाद भी कुछ मिलने वाला नहीं है क्योंकि सारा किस्सा आपको बता चुका हूं—इन हालात में मुझ पर केवल एक मेहरबानी कीजिए।”
“क्या?”
“जो कुछ मैंने आपको बताया उसे अदालत तक न ले जाइए—तरस खाइए मुझ पर, जरा सोचिए—इस लफड़े में पड़कर मुझे मिला ही क्या है—जो आपने पूछा, मैंने बता दिया—अब मुझे छोड़ दीजिए, वादा करता हूं—यहां से निकलकर सीधा फिल्म नगरी की गाड़ी पकड़ूंगा और फिर … फिर कभी पलटकर प्रतापगढ़ की तरफ देखूंगा भी नहीं—मैं वहां जो था, जैसा था—ठीक था—लालच में फंसकर बेकार ही इस लफड़े में पड़ा—मुझे माफ कर दीजिए साब, छोड़ दीजिए मुझे—वैसे भी, इस बात को उजागर करने से न तो केस पर ही कोई फर्क पड़ेगा, न ही आपको कोई फायदा होगा कि ब्लैक स्टार ने मुझसे हुए सौदे के कारण देशराज को फोन किया था।”
“जब तेरा सौदा थारूपल्ला से हुआ तो देशराज को सीधा ब्लैक स्टार ने फोन क्यों किया?”
“इस बारे में मैं क्या कह सकता हूं साब, मुमकिन है उन्होंने सोचा हो कि जितना असर ब्लैक स्टार के फोन का होगा उतना थारूपल्ला …”
तेजस्वी उसकी गर्दन पर मौजूद तिल पर एक नजर डालने के बाद गुर्राया—“थारूपल्ला का फोन नम्बर बता।”
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12-31-2020, 12:18 PM,
#29
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
फोन की घंटी घनघनाते ही थारूपल्ला ने रिसीवर उठा लिया, दूसरी तरफ से आवाज उभरी—“इंस्पेक्टर तेजस्वी आपसे बात करना चाहता है सर।”
“तेजस्वी?” थारूपल्ला के ललाट पर बल पड़ गए—जिस्म में अनायास तनाव उत्पन्न हो गया—इस वक्त उसने एक चारखाने वाला तहमद और सफेद बनियान पहन रखा था—गले में काले धागे में बंधा पोटेशियम साइनाइड का कैप्सूल लटक रहा था। एक पल की खामोशी के बाद उसने गंभीर स्वर में कहा—“इंस्पेक्टर को लाइन दो।”
क्षणिक यांत्रिक खड़खड़ाहट के बाद तेजस्वी की आवाज उभरी—“हैलो!”
“थारूपल्ला!” मुंह से गंभीर स्वर निकला। “सुना है तेरी मर्जी के खिलाफ तुझसे कोई मिल नहीं सकता?”
“ठीक सुना है तूने।”
“मैं बहुत जल्द तुझसे मिलने वाला हूं।”
थारूपल्ला के ललाट पर पड़े बल गहरा गए—“तू कहीं पागल तो नहीं है इंस्पेक्टर?”
“ठीक पहचाना बेटे, इस बार सचमुच तेरा वास्ता पागल से पड़ा है।” इंस्पेक्टर तेजस्वी मजेदार स्वर में कह रहा था—“मगर तू इतनी जल्दी जान कैसे गया कि मैं पागल हूं?”
“जिस पुलिस इंस्पेक्टर के जहन में यह विचार आए कि उसे मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे ठिकाने पर आकर मुझसे मिलना चाहिए, वह पागल के अलावा और क्या हो सकता है?”
“अपनी सुरक्षा-व्यवस्था पर तुझे बड़ा गुरूर है न?”
“निःसंदेह।” इस बार थारूपल्ला मुस्कराया।
“तेरे इस गुरूर की धज्जियां उड़ाने मुझे वहां आना पड़ेगा।” तेजस्वी एक-एक शब्द को चबा रहा था—“तेरी मर्जी के खिलाफ मिलना ही पड़ेगा तुझसे।”
“मेरे ठिकाने तक पहुंचने की बात तो दूर इंस्पेक्टर, तू काली बस्ती में दस कदम से ज्यादा अन्दर तक नहीं आ सकता—ग्यारहवें कदम पर तेरी लाश पड़ी होगी।”
“आने से पहले फोन किया है—कारण स्पष्ट है, बाद में तू यह न कह सके कि मैं गफलत का फायदा उठाकर तेरी मांद तक पहुंच गया।”
“एक बात मेरी भी सुन ले इंस्पेक्टर।”
“बोल बेटे!”
“ब्लैक स्टार से मेरी वार्ता हो चुकी है, पिछला आदेश वापस ले चुके हैं वे—और नया आदेश ये है कि दस दिन के अन्दर तेरी लाश उनके समक्ष प्रस्तुत की जाए।”
“चलो, यह भी अच्छा हुआ—अब तू अपनी असफलता पर ब्लैक स्टार के हुक्म का पर्दा डालने की स्थिति में नहीं रहा।”
“तेरी पुरजोर कोशिश के बावजूद हमने गंगाशरण की जमानत करा ली, क्या इसके बाद भी तुझे हमारी ताकत का अंदाजा नहीं हुआ?”
“और मैंने तेरा पर्सनल फोन नम्बर हासिल कर लिया, क्या इससे तुझे मेरी ताकत का इल्म नहीं हुआ?”
थारूपल्ला ने तुरंत जवाब न दिया—वह दिमाग पर जोर डालकर सोचने का प्रयास कर रहा था कि तेजस्वी को उसका फोन नम्बर कहां से मिला होगा—किसी नतीजे पर न पहुंच सका वह, बोला—“इस सवाल का जवाब ढूंढ निकालूंगा।”
“सात जन्म लेने के बावजूद तेरे फरिश्ते तक इस रहस्य को नहीं जान सकते थारूपल्ला।”
“तेरे चैलेंज की अस्थियां मैं बहुत जल्द तुझे समर्पित करूंगा।” दांत भींचकर गुर्राने के बाद थारूपल्ला सामान्य स्वर में बोला—“खैर, मिलना क्यों चाहता है मुझसे?”
“वैरी गुड, ये अच्छा सवाल किया तूने मगर काफी देर बाद किया—मैं बहुत देर से इस सवाल का इंतजार कर रहा था—सोच रहा था, तू कहीं मूर्ख तो नहीं है—असली सवाल ही नहीं पूछ रहा?”
“तो बक, क्यों मिलना चाहता है मुझसे?”
“दो कारण हैं।” लहजे से जाहिर था कि इस वक्त तेजस्वी ने जबड़े भींच रखे हैं—“पहला, जिस तरह तू मेरी मर्जी के खिलाफ थाने में आकर मुझसे मिला—उसका सटीक जवाब यही हो सकता है कि मैं तेरी मर्जी के खिलाफ तेरी मांद में जाकर तुझसे मिलूं और तेरे आदमियों की मौजूदगी के बावजूद तुझे उतना विवश देखूं जितना थाने में मैं था—दूसरा कारण ये है थारूपल्ला कि अगर कोई शख्स मेरी मर्जी के खिलाफ थाने में आ जाए तो वह मेरे स्पेशल रूल का स्वाद चखे बिना बाहर नहीं निकल सकता।”
“ऐसा हो चुका है बेटे, मैंने किया है ऐसा।”
“इसीलिए तेरी मांद में पहुंचने की ठानी है।” रिसीवर से तेजस्वी की गुर्राहट फूट रही थी—“मेरे दिलो-दिमाग को उस वक्त तक चैन नहीं मिलेगा जब तक स्पेशल रूल से तेरी चमड़ी न उधेड़ डालूं—मैं आऊंगा बेटे, अपने रूल के साथ आऊंगा मैं!”
थारूपल्ला का चेहरा ही नहीं, संपूर्ण जिस्म गुस्से की ज्यादती के कारण भभक उठा—कुछ कहने के लिए होंठ फड़फड़ाए जरूर मगर आवाज न फूट सकी—जबकि दूसरी तरफ से रिसीवर को जोर से क्रेडिल पर पटककर संबंध विच्छेद कर दिया गया—थारूपल्ला ठगा-सा खड़ा था, रिसीवर से निकलने वाली किर्र …र्र …किर्र …र्र की आवाज पिघले सीसे की मानिन्द उसके जहन में उतरती रही।
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12-31-2020, 12:18 PM,
#30
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“ये … ये तुम क्या कह रहे हो तेजस्वी?” कमिश्‍नर शांडियाल तक के लहजे में हकलाहट उत्पन्न हो गई—“तुम काली बस्ती में स्थित थारूपल्ला के अड्डे पर जाओगे … और वह भी अकेले?”
“जी!” सावधान की मुद्रा में खड़े तेजस्वी ने दृढ़तापूर्वक कहा—“मुझे ऐसा करना पड़ेगा।”
“मगर क्यों?” डी.आई.जी. चिदम्बरम के हलक से चीख निकल गई—“मौत के उस मुंह में तुम्हारा जाना क्यों जरूरी है?”
“लोगों के दिमाग पर छाए स्टार फोर्स के हव्वे को ध्वस्त करना पड़ेगा सर।”
“क्या मतलब?” एस.एस.पी. कुम्बारप्पा ने पूछा।
“स्टार फोर्स लोगों के दिलो-दिमाग पर हुकूमत कर रही है—आम आदमी की यह पक्की धारणा है कि राज्य में केवल वह होगा जो स्टार फोर्स चाहेगी—और मेरी पक्की धारणा ये है कि स्टार फोर्स को तब तक नेस्तनाबूद नहीं किया जा सकता जब तक लोगों के दिलो-दिमाग में बसी इस धारणा की धज्जियां नहीं उड़ा दी जातीं।”
“निश्चित रूप से तुम्हारी बात में दम है तेजस्वी।” एस.एस.पी. सिटी मिस्टर भारद्वाज ने कहा—“मगर इस बात का तुम्हारे काली बस्ती जाने से क्या संबंध?”
“जब लोगों को पता लगेगा कि एक अकेला पुलिस इंस्पेक्टर थारूपल्ला को खुलेआम चैलेंज देने के बाद न केवल काली बस्ती को पार करके उसकी मांद में जा घुसा बल्कि अपने स्पेशल रूल से उसकी चमड़ी उधेड़ने के बाद सुरक्षित वापस भी आ गया तो क्या लोगों के दिमाग में स्टार फोर्स की इमेज बरकरार रह पाएगी?”
“ल-लेकिन!” एस.पी. देहात मिस्टर पाण्डे के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं—“ऐसा हो नहीं सकेगा तेजस्वी।”
“क्यों सर, क्यों नहीं हो सकेगा?”
“नहीं तेजस्वी, हम तुम्हें आत्महत्या करने की इजाजत नहीं दे सकते।”
“आत्महत्या?”
“यह आत्महत्या नहीं तो और क्या है?” मिस्टर शांडियाल कहते चले गए—“झावेरी नदी के उस पार स्थित बस्ती का नाम काली बस्ती पड़ा ही इसलिए है क्योंकि दुनिया का ऐसा कोई काला धन्धा नहीं है जो वहां न होता हो—दो किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली उस बस्ती की आबादी बीस हजार के करीब है—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि काली बस्ती का बच्चा-बच्चा स्टार फोर्स का मैम्बर है—वहां पनप रहे काले धन्धों को रोकने की बात तो दूर, फोर्स घुस तक नहीं सकती—कई बार कोशिश की जा चुकी है—हर बार खून-खराबा हुआ—बस्ती के लोग और फोर्स के जवान मारे गए मगर थारूपल्ला की परछाई तक न पहुंचा जा सका—ब्लैक स्टार को ईश्वर और थारूपल्ला को उसका प्रतिनिधि मानते हैं वे—उसकी हिफाजत की खातिर जान तक देने में नहीं हिचकते और तुम … तुम यह कहना चाहते हो कि जहां अनेक बार प्रयास करने के बावजूद सशस्त्र फोर्स न घुस सकी वहीं अकेले …।”
“मैं यह करिश्मा करके दिखाऊंगा सर।”
“हरगिज नहीं।” चिदम्बरम बोला—“ये बेवकूफी करने की इजाजत किसी कीमत पर नहीं दी जा सकती—शायद तुम्हें मालूम नहीं, काली बस्ती के बच्चे-बच्चे पर न केवल अत्याधुनिक हथियार हैं बल्कि हैरतअंगेज तरीके से वे उनका इस्तेमाल भी करते हैं—हिंसक हैं वे—चौबीस घंटे मरने-मारने का ऐसा जुनून सवार रहता है कि … कि एक बार टैंकों की मदद से काली बस्ती पर हमला किया गया—औरतों ने अपने जिस्मों पर बम बांधे और मकान की छतों से टैंकों पर कूद पड़ीं—इस तरह चार महिलाओं ने अपनी जान देकर टैंक नष्ट कर डाले।”
एस.पी. पाण्डे ने कहा—“काली बस्ती को उजाड़ डालने के मिशन पर गई सैनिक टुकड़ी के एक ऐसे भाग्यशाली सैनिक से मेरी बातें हुईं जो आज तक जीवित है—उसने बताया, सैनिक टुकड़ी पर एक छोटे से मकान से भारी बम वर्षा की गई—कई सैनिक मारे गए मगर अंततः टुकड़ी ने मकान पर कब्जा कर लिया—मौजूद लोगों को कवर कर लिया गया—उनमें एक आठ वर्षीय लड़की भी थी, बच्ची समझकर उसकी तरफ से खास सतर्क न रहा गया—अफसर के नजदीक पहुंचते ही उस बच्ची ने बिजली की-सी फुर्ती के साथ स्कर्ट के नीचे से भारी रिवॉल्वर निकाली और दनादन फायर करके अफसर के चिथड़े उड़ा दिए।”
“फ-फिर क्या हुआ?”
“होना क्या था … सैनिकों की गनें गरजीं, बच्ची की क्षत-विक्षत लाश जमीन पर गिरी मगर वहीं खड़े उसके मां-बाप और दादा के होंठों पर ऐसी मुस्कान थी जैसे बच्ची के कारनामे पर उन्हें गर्व हो।”
“उफ्फ!” भारद्वाज के मुंह से स्वतः शब्द निकले—“ऐसा जुनून?”
“ऐसे ही जुनूनियों के कारण थारूपल्ला आज तक सुरक्षित है—काली बस्ती के बीचों-बीच स्थित दो-मंजिले मकान में रहता है वह—स्टार फोर्स के वर्दीधारी बस्ती के चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं, थारूपल्ला के नजदीक पहुंचना उतना ही कठिन है जितना सूरज पर पहुंचना।”
“मेरा दावा है।” चिदम्बरम कह उठा—“अगर थारूपल्ला ने यह कहा है कि बस्ती में दाखिल होने के बाद ग्यारहवें कदम पर तेजस्वी की लाश पड़ी होगी तो सचमुच ग्यारहवें कदम पर तुम्हारी लाश ही पड़ी होगी तेजस्वी।”
“अगर मैं मरने से डरता तो आपने मेरी नियुक्ति प्रतापगढ़ थाने पर न की होती सर।”
“वो बात अपनी जगह ठीक है मगर हम जानबूझकर तुम्हें मौत के मुंह में नहीं धकेल सकते।” कुम्बारप्पा ने कहा—“स्टार फोर्स को कुचल डालने की सारी उम्मीदें तुम पर टिकी हैं, तुम्हीं न रहे तो मंसूबे बिखर जाएंगे।”
“अगर मुझे इसी तरह रोका जाता रहा तो मेरे जीवित रहने से क्या होगा सर, क्या इस तरह आपके मंसूबे परवान चढ़ सकेंगे?”
“समझने की कोशिश करो तेजस्वी।” शांडियाल थोड़े झुंझला उठे—“कोई और रास्ता निकालो—जोश का नहीं होश का रास्ता।”
“मुझे जोश जरूर आता है सर, मगर होश कभी नहीं गंवाता मैं।”
“क्या वहां जाने की जिद्द का होश से कोई संबंध है?”
“अगर ध्यान से मेरी बात सुनें तो पाएंगे कि मेरा फैसला जोश में नहीं बल्कि होश में और केवल होश में किया गया फैसला है।”
“वह कैसे?”
“या तो मुझे स्टार फोर्स से उलझने का हुक्म न दिया गया होता—और मैं थारूपल्ला से उलझा ही न होता, मगर जब उलझ चुका हूं तो मुझे कोई कदम उठाने से रोका नहीं जाना चाहिए—थाने में मेरे द्वारा थारूपल्ला को दी गई शिकस्त के बाद स्थिति इस दौर में पहुंच चुकी है कि स्टार फोर्स या मुझ में से एक का ही अस्तित्व रह सकता है—थारूपल्ला के मुताबिक ब्लैक स्टार अपना पिछला आदेश वापस लेकर नया आदेश जारी कर चुका है—नये आदेश के मुताबिक उसने दस दिन के अंदर मेरी लाश मांगी है—जाहिर है, उसके आदेश को पूरा करने के लिए स्टार फोर्स एड़ी-चोटी का जोर लगा देगी—मैं गलत तो नहीं कह रहा सर?”
शांडियाल का गंभीर स्वर—“नहीं।”
“मतलब ये कि मुझ पर हमला किया जाएगा—पहला हमला नाकाम होने पर दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां … यानि उस वक्त तक प्रयास किए जाते रहेंगे जब तक मैं मर नहीं जाता।”
“करेक्ट।”
“इन हमलों से कब तक बचा रह सकता हूं मैं?”
“कहना क्या चाहते हो?”
“सीधी-सी बात है—अगर मरना ही है तो अपनी शक्ति उनके हमलों से बचने के प्रयास में क्यों गंवाई जाए—पलटकर हमला ही क्यों न कर दिया जाए—मर गया तो गम नहीं क्योंकि मरना तो पहली सूरत में था ही, लेकिन अगर जीवित रह गया तो दुश्मन की रीढ़ की हड्डी तोड़ चुका होऊंगा।”
“रीढ़ की हड्डी?”
“काली बस्ती को पार करके थारूपल्ला तक पहुंच जाना स्टार फोर्स की रीढ़ तोड़ डालने से कम नहीं होगा सर।”
“म-मगर तुम समझ क्यों नहीं रहे तेजस्वी, यह काम नहीं हो सकता।”
“होगा सर, यह काम जरूर होगा।” तेजस्वी के दांत भिंच गए, चेहरे के जर्रे-जर्रे से आत्मविश्वास टपक रहा था—“थारूपल्ला तक पहुंचने के लिए अनेक बार जो प्रयास किए गए, वे शक्ति के बूते पर किए गए थे, बुद्धि के बूते पर नहीं—इसलिए नाकाम हो गए, मगर मैं दिमाग का इस्तेमाल करूंगा, ठीक उसी तरह जैसे थाने में किया था—मुझे पूरा विश्वास है, इस बार भी सफलता मेरे कदम चूमेगी—अपना काम पूरा करके तेजस्वी को लोग काली बस्ती से बाहर निकलता देखेंगे और इस काम में आपको मेरी मदद करनी होगी।”
“हमें?” शांडियाल चौंके।
“जी हां!” तेजस्वी ने कहा—“मैं एकान्त में आपसे कुछ बातें करना चाहता हूं।”
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