hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:19 PM,
#31
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
पांडुराम की आंखों में इस वक्त लोमड़ी की आंखों जैसी चपलता गर्दिश कर रही थी—चारों तरफ छाये अंधकार को बेधता हुआ वह एक संकरी गली में दाखिल हो गया—पूरी तरह सजग था वह, अपनी तरफ से अच्छी तरह जांच कर ली थी कि कोई उसे वॉच तो नहीं कर रहा है और संतुष्ट होने के बाद ही संकरी गली में कदम रखा था परंतु … काश, वह जान पाता, उसे फॉलो करने वाला उससे ज्यादा चतुर साबित हो रहा था—तभी तो वह बराबर पांडुराम का पीछा करने में भी कामयाब था और उसकी हजार सतर्कताओं के बावजूद यह यकीन दिलाने में भी कि कोई पीछा नहीं किया जा रहा है।
कई मोड़ पार करने के बाद पांडुराम एक मकान के बंद दरवाजे के नजदीक रुका—गली में दोनों तरफ निगाह डाली—दूर-दूर तक अंधकार और सन्नाटे का साम्राज्य नजर आया—हालांकि पीछा करने वाला उससे केवल पंद्रह कदम दूर, एक दीवार से चिपका खड़ा था मगर पांडुराम ने संतुष्टि-जनक ढंग से गर्दन हिलाने के बाद दरवाजे पर दस्तक दी।
दस्तक बहुत जोर से न दी गई थी मगर फिर भी, उसकी आवाज ने गली में सोए सन्नाटे की नींद में खलल डाली—उधर, दीवार से चिपके शख्स ने महसूस किया, पांडुराम ने एक खास अंदाज में दस्तक दी थी—अजीब संगीतमय दस्तक थी वह, जैसे दरवाजे पर दस्तक न दी गई हो बल्कि तबले पर थाप देकर उसे जांचा-परखा गया हो।
दीवार से चिपके खड़े शख्स के होंठों पर मुस्कान फैल गई।
पांडुराम ने पुनः उसी अंदाज में दस्तक दी।
वह शख्स सांस रोके खड़ा रहा।
तीसरी दस्तक के बाद दरवाजा खुला।
एक मोमबत्ती की क्षीण रोशनी नजर आई, पांडुराम ने खुले दरवाजे के अंदर कदम रखा।
उधर दरवाजा बंद हुआ, इधर दीवार से चिपका शख्स तेजी से मकान की तरफ लपका—दरवाजे की झिर्रियां बता रही थीं कि अंदर इस वक्त भी केवल एक मोमबत्ती का ही प्रकाश है—उसने झिर्री पर आंख रख दी मगर कहीं कोई नजर न आया।
पांडुराम झिर्री की रेंज से बाहर, दरवाजे के दाईं या बाईं तरफ था।
“किसलिए याद किया गया मुझे?” यह आवाज पांडुराम की थी।
एक अनजानी आवाज—“तेरे इंस्पेक्टर ने मेजर साहब को चैलेंज दिया है।”
“मालूम है।”
“क्या मालूम है?”
“कहा है, वह काली बस्ती में स्थित उनके अड्डे पर जाकर …।”
“मेजर साहब जानना चाहते हैं, इंस्पेक्टर को उनका पर्सनल नंबर कहां से मिला?”
“इकबाल से!”
“इ-इकबाल से?”
“हां!”
लहजे में चिंता एवं हैरानगी उभर आई—“उस तक कैसे पहुंच गया इंस्पेक्टर?”
“ऊपर वाला जाने!” पांडुराम ने कहा—“अदालत से निकलते ही पट्ठे ने जीप के ड्राइवर को असलम की कोठी पर चलने का हुक्म दिया—मैं साथ था ही, मगर न ड्राइवर को मालूम था कि वहां क्यों जा रहा है न मुझे—रास्ते में पूछने की कोशिश की—केवल यह कहकर बात खत्म कर दी ‘देखते रहो’—देखता रहने के अलावा मैं कर भी क्या सकता था—मुकद्दर का मारा इकबाल बेचारा उसे मिल भी कोठी के लॉन में ही गया—तुरंत पूछताछ शुरू कर दी उसने—जीप में डालकर थाने ले आया गया, टॉर्चर चेयर पर बैठने के पन्द्रह मिनट बाद उसने सब उगल दिया।”
“ये इंस्पेक्टर खतरनाक साबित होता जा रहा है।”
“मैं भी यही कहने वाला था।”—पांडुराम बोला—“तेजस्वी पिछले इंस्पेक्टरों जैसा नहीं है—साले का दिमाग कम्प्यूटर की तरह और जिस्म चीते की तरह काम करता है—देखो न, इकबाल उसके शक के दायरे में केवल इसलिए आ गया क्योंकि सलमा के बाद असलम की संपूर्ण दौलत का वारिस वह था।”
“और अब उसने मेजर साहब को चैलेंज दिया है।”
“इसे तो मैं क्या दुनिया का हर व्यक्ति उसका पागलपन कहेगा।”
“इस संबंध में तुझसे कुछ बात हुई उसकी?”
“नहीं!”
“तो तू अपनी तरफ से बात करने की कोशिश कर।” गुर्राहट दरवाजे के बाहर खड़े शख्स के कानों तक पहुंच रही थी—“मेजर साहब का तेरे लिए यही हुक्म है—थाने की घटना के बाद वे इंस्पेक्टर को उतना ‘हल्का’ नहीं ले रहे हैं जितना पिछले इंस्पेक्टरों को लिया जाता था—उनका ख्याल है, इंस्पेक्टर अपना चैलेंज पूरा करने की कोशिश जरूर करेगा और इसके लिए निश्चित रूप से कोई धांसू योजना बनाएगा—मेजर साहब चाहते हैं, उसकी योजना समय से पहले उन्हें मालूम होनी चाहिए।”
“अगर मुझे पता लगी तो बता दूंगा।”
“मेजर साहब का हुक्म है कि योजना हर हाल में उन्हें पता लगनी चाहिए, यह काम कैसे होगा वह तू जान—अगर कोताही हुई तो तू खतरे में फंस सकता है।”
दरवाजे के बाहर खड़े शख्स ने पांडुराम का जवाब सुनने की चेष्टा नहीं की।
बहुत आराम से और दबे पांव चहलकदमी करता हुआ वह संकरी गलियों के जाल से बाहर निकल आया—सड़क पर पहुंचकर एक सिगरेट सुलगाई उसने।
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12-31-2020, 12:19 PM,
#32
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“मैं उससे कह चुका हूं सर कि आप अपना पिछला आदेश वापस ले चुके हैं।” थारूपल्ला शक्तिशाली ट्रांसमीटर के माइक पर बोला—“और नए आदेश के मुताबिक दस दिन के अंदर उसकी लाश आपके समक्ष पेश करनी है।”
“तुमने गलती की थारूपल्ला!” ब्लैक स्टार का गंभीर स्वर।
“ज-जी?” थारूपल्ला हकला गया।
“हमसे बात किए बगैर तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था।”
“क-क्या आप ऐसा नहीं चाहते?”
“नहीं!”
“आश्चर्य की बात है सर, जिसने स्टार फोर्स के मेजर को थाने में सरेआम शिकस्त दी—जो सीना ठोककर मेरे अड्डे पर आने और अपने रूल से मेरी चमड़ी उधेड़ डालने की धमकी दे रहा है—आप उसकी मौत का फरमान जारी न करें, यह असंभव बात थी—आज तक आपकी तरफ से हर उस शख्स की मौत का फरमान जारी होता रहा है जिसने स्टार फोर्स के सैनिक की तरफ भी टेढ़ी आंख से देखा हो और मैं … मैं तो मेजर हूं—कल्पना तक नहीं कर सकता कि उस शख्स की मौत का फरमान जारी नहीं होगा जिसने स्टार फोर्स की शानदार परम्परा को दागदार किया है।”
“तुम्हारी सारी बातें अपनी जगह अकाट्य हैं मेजर थारूपल्ला—कोई शक नहीं कि तुम्हारे जरिए उसने जो, संपूर्ण स्टार फोर्स का अपमान किया है उसकी सजा इंस्पेक्टर को भोगनी होगी—हम जो फिलहाल उसे मार डालने का हुक्म नहीं दे रहे हैं, उसका कारण कुछ और है।”
“क्या मैं जान सकता हूं सर?”
“हमें ऐसा इल्म हुआ है जैसे इंस्पेक्टर तेजस्वी वास्तव में वह चीज नहीं है जैसा नजर आ रहा है—उसके दिल में कुछ और है, कोई बड़ा लक्ष्य—शायद स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालने से भी बड़े लक्ष्य को लेकर प्रतापगढ़ आया है वह।”
चकरा गया थारूपल्ला—“स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालने से बड़ा लक्ष्य क्या हो सकता है सर?”
“उसकी कल्पना फिलहाल हम नहीं कर पा रहे, इसलिए चाहते हैं कि असली मकसद जाने बगैर उसे न मारा जाए—शतरंज का कोई बहुत बड़ा खेल, खेल रहा है वह, और हमें उस खेल की जानकारी होनी बहुत जरूरी है।”
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एकांत मिलते ही पांडुराम बोला—“एक बात और कहूं हुजूर?”
“बोल!” तेजस्वी काली बस्ती से संबंधित फाइल का अध्ययन कर रहा था।
“बुरा तो नहीं मानेंगे?”
“नहीं।” उसने नजरें ऊपर नहीं उठाईं ।
“अ-आप काली बस्ती जाने का विचार दिमाग से निकाल दें।”
तेजस्वी ने झटके से उसकी तरफ देखा, पूछा—“क्यों?”
“बड़े खतरनाक लोग हैं वे—अत्यंत हिंसक—न खुद मरने से हिचकते हैं, न किसी को मारते वक्त—फाइल तो आप पढ़ ही रहे हैं—इसमें उन सब ऑपरेशन्स का विवरण है जो थारूपल्ला तक पहुंचने के लिए किए गए—अफीम की खेती काली बस्ती वालों का मुख्य धन्धा है, अफीम से वे स्मैक बनाते हैं और स्मैक को स्मग्ल करके अंतर्राष्ट्रीय बाजार से स्टार फोर्स के लिए आधुनिक हथियार खरीदते हैं।”
“कोई ऐसी बात बता पांडुराम जो इस फाइल में दर्ज न हो।”
“ऐसी किसी बात की जानकारी भला मुझे कैसे हो सकती है साब, मगर वही क्या कम है जो इसमें लिखा है—क्या इसे पढ़कर आप इस नतीजे पर नहीं पहुंचे कि थारूपल्ला की मर्जी के खिलाफ उस तक पहुंचना नामुमकिन है?”
“नहीं पांडुराम … निराशाजनक बातें मत कर—हालात वहां पहुंच गए हैं कि मैं चाहकर भी अपने कदम वापस नहीं लौटा सकता—कोई तरकीब सोचनी पड़ेगी, योजना बनानी होगी।”
“य-योजना?”
“ऐसी, जो थारूपल्ला का दिमाग चकराकर रख दे।”
“ऐसी क्या योजना हो सकती है साब?”
“योजना का खाका मेरे दिमाग में बन चुका है।”
“ब-बन चुका है?” पांडुराम उछल पड़ा—“क-कमाल कर रहे हैं आप!”
“कमाल ही होगा पांडुराम।” तेजस्वी के होंठों पर आसक्त कर डालने वाली मुस्कराहट उत्पन्न हो गई—“मुझे पूरा विश्वास है—मेरी योजना कामयाब होगी—लोग वह करिश्मा होता देखेंगे जिसके होने की उम्मीद आज मेरे अलावा किसी को नहीं है।”
“ए-ऐसी क्या योजना है साब?”
“तुझे बता दूं?” तेजस्वी ने उसे रहस्यमय अंदाज में घूरा—“तुझे?”
“क-क्या मुझे बताने में हर्ज है साब?”
“हां, हर्ज है!”
“क-क्या?”
तेजस्वी ने तुरंत जवाब नहीं दिया—बड़े आराम से एक सिगरेट सुलगाई उसने, जोरदार कश लगाया और फिर उस कश के संपूर्ण धुंए को उगलता हुआ बोला—“तू उसे शुब्बाराव को बता देगा।”
“श-शुब्बाराव?” पांडुराम उछल पड़ा।
तेजस्वी ने उसे बड़ी दिलचस्प नजरों से देखते हुए सवाल किया—“क्या तू शुब्बाराव को नहीं जानता?”
“न-नहीं साब!” पांडुराम का चेहरा पसीने-पसीने हो गया—“क-कौन से शुब्बाराव की बात कर रहे हैं आप?”
“उसकी, जो ‘गुल्फा स्ट्रीट’ की एक बहुत संकरी गली में ऐसे मकान में रहता है जो बाहर से उजाड़ नजर आता है।” इन शब्दों के साथ तेजस्वी पांडुराम के नजदीक पहुंच गया था—“मकान का दरवाजा वह केवल तब खोलता है तब संगीतमय अंदाज में दस्तक दी जाए, कुछ ऐसे अंदाज में जैसे नए तबले को खरीदने से पहले ठोक-बजाकर जांचा-परखा जा रहा हो।”
पांडुराम के छक्के छूट गए।
होशो-हवास गंवा बैठा बेचारा।
मस्तिष्क अंतरिक्ष में परवाज कर रहा था—जिस्म से लहू की मानो एक-एक बूंद निचोड़ ली गई थी—आंखों में खौफ लिए वह होंठों को फड़फड़ाकर रह गया, हलक से आवाज न निकल सकी जबकि तेजस्वी बगैर लेशमात्र उत्तेजना का प्रदर्शन किए कहता चला गया—“अगर तेरे बारे में मैं ये सब न जान गया होता पांडुराम, तो यकीन मान, मैं तुझे अपनी योजना जरूर बताता।”
दहशत का मारा पांडुराम तेजस्वी के कदमों में गिर गया—पैर पकड़कर रो पड़ा वह, गिड़गिड़ा उठा—“म-मुझे माफ कर दो साब, मुझे माफ कर दो।”
“प-पगला!” तेजस्वी हंसा—“मैंने तुझे कुछ कहा है?”
“स-सच कहता हूं साब, जिस तरह पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं लिया जा सकता उसी तरह स्टार फोर्स से बैर लेकर प्रतापगढ़ थाने में नहीं रहा जा सकता—अ-आप जैसा दिलेर आदमी मैंने पहली बार देखा है—किसी इंस्पेक्टर ने स्टार फोर्स से उलझने के बारे में सोचा तक नहीं और मैं ही क्या, थाने पर तैनात किसी पुलिसिए में इतनी हिम्मत नहीं है जो स्टार फोर्स के आदेश की अवहेलना कर सके—कोई मेरी तरह केवल डर के मारे उसका गुलाम है तो कोई ‘पगार’ पाता है—आप जैसा दिलेर बनने की कूव्वत भला किसमें है साब और … और मैं तो ये कहता हूं कि आप भी ये दिलेरी छोड़िए—जान है तो जहान है—प्रतापगढ़ थाने पर रहना है तो स्टार फोर्स की गुलामी स्वीकार करनी होगी वर्ना …।”
“उसी लाइन पर सोच रहा हूं पांडुराम!”
“ज-जी?” पांडुराम का जहन चकरघिन्नी बन गया।
“क्या शुब्बाराव मेरा मैसेज थारूपल्ला तक पहुंचा सकता है?”
“क-क्यों नहीं?” पांडुराम उछल पड़ा मगर अगले ही पल सतर्क नजर आया वह, बोला—“अ-आप मेरे और शुब्बाराव के इस्तेमाल से कहीं कोई चाल तो चलने की नहीं सोच रहे हैं?”
“कैसी चाल?”
“अ-अपना चैलेंज पूरा करने की खातिर कोई …।”
“नहीं पांडुराम ऐसा नहीं है—मैंने तुझसे केवल यही तो पूछा है कि शुब्बाराव मेरा मैसेज थारूपल्ला तक पहुंचा सकता है या नहीं—इस सवाल का जवाब पाने से भला मैं काली बस्ती को पार करके थारूपल्ला तक कैसे पहुंच जाऊंगा?”
“थारूपल्ला तक क्या मैसेज पहुंचाना चाहते हैं आप?” पांडुराम ने सतर्क स्वर में पूछा।
“पहले ये बता, वह काली बस्ती में जाकर थारूपल्ला से मिल सकता है या नहीं?”
“केवल तब, जब कोई ऐसी बात हो जो फोन पर न कही जा सकती हो।”
“गुड!” इस शब्द के साथ तेजस्वी की आंखें इस तरह जगमग कर उठीं मानो उनमें दिव्य ज्योति समा गई हो। लाख खोपड़ी भिड़ाने के बावजूद पांडुराम न समझ सका कि तेजस्वी किस फिराक में है।
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12-31-2020, 12:19 PM,
#33
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तीसरी संगीतमय दस्तक के बाद शुब्बाराव ने आगे बढ़कर दरवाजा खोला—नजर तेजस्वी पर पड़ी और नजर पड़ने की देर थी कि शुब्बाराव का हाथ बिजली की-सी गति से अपने गले में पड़े पोटेशियम साइनाइड के कैप्सूल की तरफ बढ़ा।
परंतु!
तेजस्वी उससे हजार गुना फुर्तीला साबित हुआ।
उसका हाथ न केवल शुब्बाराव के हाथ से पहले उसके ताबीज तक पहुंच चुका था—बल्कि एक ही झटके में ताबीज कैप्सूल सहित उसकी मुट्ठी में कैद हो गया।
प्रत्युत्तर में शुब्बाराव ने उसके जबड़े पर घूंसा रसीद करना चाहा किंतु इस बार भी वह पिछड़ गया, तेजस्वी के भारी बूट की ठोकर इतनी जोर से उसके पेट में पड़ी कि हलक से चीख निकालता हुआ कमरे के फर्श पर जा गिरा।
तेजस्वी ने फुर्ती के साथ होलेस्टर से रिवॉल्वर निकाला, उसकी तरफ तानकर बोला—“ध्यान से सुनो शुब्बाराव, मैं तुम्हें गिरफ्तार करने नहीं आया हूं।”
मगर!
रिवॉल्वर से वह डरे जो जीवित रहना चाहता हो!
जिसका उद्देश्य ही मरना हो वह भला अपनी ओर तने रिवॉल्वर से क्यों डरने लगा, अतः अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि मरने की खातिर उसने तेजस्वी पर जम्प लगा दी—इधर, तेजस्वी उसका उद्देश्य भली-भांति समझ रहा था—सो, उसने फायर न करके रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार उसके जबड़े पर किया—एक बार फिर चीख के साथ वह फर्श पर जा गिरा, इस बार एक कुर्सी को भी साथ लेकर गिरा था वह और तेजस्वी ने पुनः संभलने का अवसर दिए बगैर आगे बढ़कर जूते सहित अपना दायां पैर उसकी छाती पर रख दिया।
“म-मुझे मरने दो!” शुब्बाराव मचला—“म-मैं मरना चाहता हूं।”
“नहीं शुब्बाराव, मैं तुम्हें मर जाने देने के लिए यहां नहीं आया हूं—जानता था कि मुझे सामने देखते ही तुम मरने की कोशिश करोगे—तभी तो कामयाब न होने दिया—इतनी आसानी से अपने उद्देश्य में सफल होकर तेजस्वी को शिकस्त देने वाली हस्ती ने अभी इस दुनिया में कदम नहीं रखा है और वैसे भी, मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं—फिलहाल तुम्हें मरने की जरूरत नहीं है।”
“क-क्या मतलब?” वह अपनी छाती पर जमा अंगद का पैर हटाने की चेष्टा कर रहा था।
“ये कैप्सूल तुम लोग इसलिए अपने गले में लटकाए घूमते हो ताकि पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद टॉर्चर चेयर पर पहुंच गए तो न पुलिस तुम्हें मरने देगी न जीने देगी—ऐसी हालत बना देगी कि तुम्हारे मुंह से स्टार फोर्स से संबंधित वे राज फूट सकते हैं जो नहीं फूटने चाहिएं मगर … मगर एक बार फिर कहता हूं शुब्बाराव, ध्यान से सुनो—न मैं यहां तुम्हें गिरफ्तार करने आया हूं, न ही टॉर्चर चेयर तक ले जाने।” कहने के साथ तेजस्वी अपनी जेब से न केवल रेशम की मजबूत डोरी निकाल चुका था बल्कि उसकी मदद से शुब्बाराव की मुश्कें भी कसनी शुरू कर दी थीं।
शुब्बाराव चुपचाप उसे घूरता रहा।
तेजस्वी ने उसका पीछा तब छोड़ा जब यकीन हो गया—मरने की बात तो दूर, हाथ-पैर तक नहीं हिला सकता वह—निश्चित होने के बाद तेजस्वी ने सबसे पहले दरवाजा अंदर से बंद किया, एक मेज पर पड़े फोन पर नजर डाली और वापस शुब्बाराव के नजदीक पहुंचकर बोला—“तुम्हें मेरा एक सीलबंद लिफाफा थारूपल्ला के पास पहुंचाना होगा।”
“हरगिज नहीं!” बंधा पड़ा शुब्बाराव गुर्राया।
जवाब पर ध्यान दिए बगैर तेजस्वी ने अपनी जेबों में हाथ डाले—बांस पेपर का एक खाली लिफाफा, कुछ कागजात और चंद फोटो निकाले, बोला—“मैं ये कागजात और फोटोग्राफ लिफाफे के अंदर पैक करके भी यहां ला सकता था क्योंकि यह सारा सामान इसी शक्ल में थारूपल्ला के पास पहुंचना है मगर ऐसा नहीं किया, जानते हो क्यों?”
शुब्बाराव कुछ न बोला, कड़ी दृष्टि से केवल घूरता रहा उसे—जानता था, उसके सवाल करने न करने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है—तेजस्वी को जो कहना है, हर हालत में कहेगा—हुआ भी वही, तेजस्वी ने बात जारी रखी—“अगर मैं लिफाफे को पैक करके लाता तो तुम्हें यह वहम हो सकता था कि कहीं मैं ‘पत्र बम’ के जरिए थारूपल्ला का क्रिया-कर्म करने की कोशिश तो नहीं कर रहा हूं—तुम्हें इस वहम से मुक्त रखने के लिए एक-एक कागज और फोटोग्राफ्स तुम्हारे सामने लिफाफे में रखूंगा।”
शुब्बाराव अब भी कुछ न बोला।
तेजस्वी ने सचमुच पहले उसे खाली लिफाफा दिखाया—फिर एक-एक कागज और फोटो उसके सामने झटक-झटककर लिफाफे में रखा, उसे चिपकाया और चिपके हुए स्थान पर अपने हस्ताक्षर करने के बाद बोला—“मेरे ख्याल से अब तुम्हें यकीन होगा कि इस लिफाफे में कोई नाजायज वस्तु नहीं है!”
“फिर भी, मैं इसे थारूपल्ला के पास नहीं पहुंचाऊंगा।” वह गुर्राया।
“मेरे कहने से न सही, थारूपल्ला के कहने से तो यह काम करोगे?”
“वे मुझे ऐसा आदेश क्यों देने लगे?”
“देंगे मुन्ना, जरूर देंगे—जब हमारा आदेश होगा तो थारूपल्ला को यह लिफाफा अपने पास मंगाने का आदेश देना ही पड़ेगा, करिश्मे को दिखाना तेजस्वी की फितरत में शामिल है।” कहता हुआ वह आत्मविश्वास भरे कदमों के साथ उस मेज की तरफ बढ़ा जिस पर फोन पड़ा था।
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12-31-2020, 12:19 PM,
#34
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थारूपल्ला की आवाज उभरते ही वह बोला—“इंस्पेक्टर तेजस्वी हीयर!”
“तूने तो कहा था यहां आएगा, मेरे ठिकाने पर—तेरी उन लम्बी-चौड़ी डींगों का क्या हुआ इंस्पेक्टर?”
“आऊंगा थारूपल्ला जरूर आऊंगा।”
“कूव्वत है तो फोन छोड़ इंस्पेक्टर और काली बस्ती में ग्यारहवां कदम रखकर दिखा।”
“उसी प्रयास में जुटा हूं।”
व्यंग्यात्मक स्वर में पूछा गया—“कहां तक पहुंचा?”
“तेरे पास मेरा एक लिफाफा पहुंचने वाला है।”
“लिफाफा?”
“उसमें कुछ कागज और फोटोग्राफ्स हैं।”
“कैसे कागज और कैसे फोटोग्राफ्स?”
“ऐसे … जिनमें इतनी तासीर है कि उन्हें देखने के बाद तू मुझे खुद अपने ठिकाने पर बुलाएगा।”
“क्या बक रहा है?”
“तेजस्वी बका नहीं करता, फरमाया करता है और इस वक्त भी फरमा ही रहा है, इसका अहसास तुझे लिफाफा खोलते ही हो जाएगा।”
“तभी न, जब लिफाफा मेरे पास पहुंचेगा?”
“लिफाफा पहुंचेगा थारूपल्ला।”
थारूपल्ला हंसते हुए बोला—“कौन पहुंचाएगा?”
“शुब्बाराव!”
“श-शुब्बाराव?” थारूपल्ला की हकलाहट साफ सुनाई दी।
“इस वक्त वह मेरी गिरफ्त में है।” तेजस्वी उसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाता हुआ बोला—“जानता हूं, मेरी ये कामयाबी तुझे आघात पहुंचाएगी—पहली बात ये, मैं शुब्बाराव तक पहुंच कैसे गया—दूसरी ये, तेरे उन दो प्यादों ने मेरे यहां पहुंचने की खबर तुझे अब तक क्यों नहीं दी जो मुझे वॉच कर रहे थे—जाहिर है, मैं उन्हें ‘डॉज’ देकर यहां पहुंचा हूं और पहुंच इसलिए गया क्योंकि पांडुराम जैसे अक्ल के अंधे को वॉच करना मेरे लिए मुश्किल न था।”
“फिर भी!” थारूपल्ला खुद को नियंत्रित कर चुका था—“शुब्बाराव तेरा आदेश नहीं मानेगा।”
“मैंने ऐसा कब कहा?”
“तो लिफाफा कैसे पहुंचेगा यहां?”
“तू मंगाएगा थारूपल्ला।”
“म-मैं?”
“यस!”
“पागल हो गया है क्या?”
“हुआ नहीं, पहले से हूं—शायद तू भूल गया, यह खिताब पहली टेलीफोन वार्ता में तूने मुझे खुद दिया था—शुब्बाराव तेरे अलावा किसी का आदेश नहीं मानेगा इसलिए मैंने सोचा, क्यों न वह आदेश इसे तू ही दे जो मैं चाहता हूं।”
“मैं उसे कोई आदेश देने वाला नहीं हूं।”
“क्यों?”
“क्यों से मतलब?” थारूपल्ला गुर्राया—“मेरी मर्जी।”
“नहीं मेजर—मर्जी तेरी नहीं, मेरी चलेगी।”
“अजीब अहमक आदमी है तू!”
तेजस्वी का स्वर रहस्यमय हो उठा—“ध्यान से सुन थारूपल्ला और मेरे शब्दों में छुपे संदेश को समझने की कोशिश कर—प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति के बाद से जो कुछ मैं कर रहा हूं, वास्तव में यह सब करने यहां नहीं आया—वह सब दिखावा है, चाल है और मेरे एक बहुत बड़े मिशन की भूमिका है—प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति का मेरा उद्देश्य कुछ और है।”
उधर, फोन के उस तरफ मौजूद थारूपल्ला के मस्तिष्क में अनार से फूट पड़े—तेजस्वी के एक-एक शब्द ने उसके जहन के लिए जोरदार पटाखों का काम किया था—ब्लैक स्टार के शब्द कानों में गूंजने लगे—उसने यही कहा था, यह कि तेजस्वी का उद्देश्य कुछ और है—उसी उद्देश्य को जानने की खातिर उसने तेजस्वी को जीवित रखने का हुक्म दिया था, संभलकर बोला वह—“क्या कहना चाहता है तू, मैं समझ नहीं पाया।”
“फोन पर इससे ज्यादा कहना खतरनाक हो सकता है।”
“प्रतापगढ़ आने का तेरा असली उद्देश्य क्या है?” थारूपल्ला व्याकुल हो उठा था।
“कहा न, जो कह चुका हूं—फोन पर उससे ज्यादा नहीं कह सकता—सारी कहानी और मेरा असली उद्देश्य ये लिफाफा तुझे समझा देगा—हां, इतना और कह सकता हूं कि मेरा उद्देश्य ऐसा है जिसे जानकर ब्लैक स्टार की बांछें खिल जाएंगी—मेरे उद्देश्य में स्टार फोर्स का बहुत बड़ा हित छुपा है थारूपल्ला—अब बोल, लिफाफे को अपने पास न मंगाने की अपनी जिद्द को तरजीह देगा या स्टार फोर्स के हित को?”
“त-तू कोई चाल चल रहा है इंस्पेक्टर।” थारूपल्ला की आवाज कांप रही थी—“फिलहाल तेरा उद्देश्य ये है कि इस झूठ के जाल में फंसकर मैं लिफाफे को अपने पास मंगा लूं और तब तू पलटकर कहे—‘देख, मैंने कहा था न कि लिफाफे को तू खुद मंगाएगा’?”
जबरदस्त मुस्कराहट के साथ तेजस्वी बेहिचक बोला—“वह तो मैं कहूंगा ही।”
थारूपल्ला के जहन में सन्नाटा-सा खिंच गया—कितना खुला खेल खेल रहा था इंस्पेक्टर! एक तरफ कह रहा था, अगर उसने लिफाफा मंगाया तो खुलेआम उसे हारा हुआ कहेगा—दूसरी तरफ ये दावा पेश कर रहा था कि लिफाफा उसे मंगाना पड़ेगा—कुछ बोलते न बन पड़ा उस पर, उधर तेजस्वी आत्मविश्वास भरे स्वर में कहता चला गया—“तुझे बहुत पहले सोचना चाहिए था थारूपल्ला, जो काम तू अपनी मर्जी से नहीं करना चाहता उसी काम को अगर मैं करा लेने का इतना ठोस दावा कर रहा हूं तो निश्चित रूप से किसी बूते पर ही कर रहा होऊंगा—दरअसल इस सच्चाई को मैं शुरू से जानता हूं कि स्टार फोर्स के लोगों के लिए अपनी व्यक्तिगत हार-जीत महत्त्व नहीं रखती, उनका पहला और अंतिम उद्देश्य फोर्स का हित करना होता है और तू … तू तो स्टार फोर्स का मेजर है—मैं जानता हूं, फोर्स के हित की बलि देकर तू किसी कीमत पर अपनी व्यक्तिगत जिद्द को तरजीह नहीं दे सकता—तू मेरे मुंह से यह तो सुन सकता है कि ‘देखा—मैं न कहता था लिफाफा तू खुद मंगाएगा’, अगर ये लिफाफा तूने नहीं मंगाया और कल किसी जरिए से ब्लैक स्टार को पता लगा कि इसमें क्या था तो निश्चित रूप से तुझे फोर्स का बहुत बड़ा अहित करने की सजा भोगनी पड़ेगी।”
थारूपल्ला के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई—एक तरफ जहां उसे लग रहा था, इंस्पेक्टर अपना ‘कौल’ पूरा करने हेतु चाल चल रहा है, वहीं यह खौफ सता रहा था कि अगर लिफाफे में सचमुच वह रहस्य छुपा हुआ है जिसकी तलाश ब्लैक स्टार को है तो उसका लिफाफा न मंगाना भयंकर भूल होगी—इस कदर उलझन में फंस चुका था वह कि इस बार भी कुछ बोल न सका जबकि तेजस्वी ने पुनः कहा—“जवाब दे थारूपल्ला, लिफाफा न मंगाकर तू अपनी जिद्द पूरी करना चाहता है या मेरा असली उद्देश्य जानना?”
“क-क्या लिफाफे में सचमुच तेरा असली उद्देश्य छुपा हुआ है?”
“निःसंदेह!” तेजस्वी की मुस्कराहट अत्यंत गहरी हो गई।
“ठीक है!” थारूपल्ला ने जैसे फैसला कर लिया था—“शुब्बाराव को फोन दे।”
“उससे पहले तुझे कुछ निर्देश देना चाहूंगा।”
“कैसे निर्देश?”
“मैं नहीं चाहता कि मेरा उद्देश्य शुब्बाराव को मालूम हो अतः उसे निर्देश दो, वह केवल पत्रवाहक का काम करे—लिफाफे को खोलकर देखने की कोशिश हरगिज न करे।”
“ठीक है!”
“लिफाफे के जोड़ पर मेरे साइन हैं, खोलने से पहले उन्हें चैक करके देख लेना कि खोला तो नहीं गया है?”
“उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, शुब्बाराव को जो आदेश दिया जाएगा उसकी अवहेलना वह नहीं करेगा।”
“ओ.के.।” कहने के बाद तेजस्वी ने माउथपीस पर हाथ रखा और सफलता की ज्यादती के कारण चमचमा रहीं आंखें शुब्बाराव पर जमाकर बोला—“मेरा करिश्मा देखा शुब्बाराव, तेरा बॉस तुझे यह आदेश देने के लिए मरा जा रहा है कि तू मेरा लिफाफा उसके पास पहुंचा दे, शतरंज के खेल में मैं ऐसी चालें अक्सर चल दिया करता हूं।”
शुब्बाराव की आंखों में आश्चर्य और केवल आश्चर्य के भाव थे।
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12-31-2020, 12:19 PM,
#35
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
थारूपल्ला खुद न समझ सका कि लिफाफा खोलते वक्त उसका दिल इतनी जोर-जोर से क्यों धड़क रहा था—हाथ क्यों कांप रहे थे और दिमाग में रह-रहकर बिजलियां-सी क्यों कौंध रही थीं?
शुब्बाराव उसके सामने मेज के पास बैठा था।
मुश्किल से एक पल पूर्व उसने वहां पहुंचकर लिफाफा थारूपल्ला के हाथ में दिया था—थारूपल्ला की जो हालत थी, उसे शुब्बाराव ने भी नोट किया। थारूपल्ला को ऐसी अवस्था में देखने का उसका पहला अवसर था।
लिफाफे में जो था, उस पर थारूपल्ला ने शुब्बाराव की नजर न पड़ने दी।
यह अलग बात है कि लिफाफे से बरामद सामान को देखने के बावजूद स्वयं थारूपल्ला ठीक से कुछ न समझ पाया—कई फोटो थे, एक फोटो में दो छोटे-छोटे बच्चों की वीभत्स लाशें नजर आ रही थीं तो दूसरे में एक बूढ़े और बूढ़ी की लाश—तीसरा फोटो एक जवान महिला की लाश का था—देखने मात्र से पता लगता था, सबकी हत्या नृशंस तरीके से की गई है।
एक और फोटो था।
एक फोटो में तेजस्वी बूढ़े-बूढ़ी, दो बच्चों और एक जवान औरत के साथ खड़ा नजर आ रहा था।
एक अन्य फोटो दुमंजिले मकान का था—बाहर से लिया गया ऐसा फोटो था वह कि जरा-सा गौर से पढ़ने पर मकान के मुख्य द्वार पर लगी ‘नेम प्लेट’ को पढ़ा जा सकता था।
लिखा था—‘कीर्ति कुमारम्, 27, कुटम्बरा, श्रीगंगा।
सभी फोटो देखने के बाद थारूपल्ला ने टाइप किया हुआ कागज पढ़ा, लिखा था---
“प्यारे थारूपल्ला!
अगर तेरी खोपड़ी में ‘भेजा’ नाम की चीज ‘वास’ करती होगी तो फोटोग्राफ्स देखकर तू सब कुछ समझ जाएगा क्योंकि ये फोटो साफ-साफ एक कहानी सुनाते हैं—न समझ पाया हो तो ट्रांसमीटर पर ब्लैक स्टार को फोटोग्राफ्स का विवरण दे—मेरा ख्याल है, वह इस चित्रकथा को समझ लेगा—अगर तू समझने में कामयाब हो गया है तब भी, ब्लैक स्टार से तो बात करनी ही होगी क्योंकि यह पुष्टि तो वही करेगा कि मेरे द्वारा भेजी गई चित्रकथा सच है या झूठ।
मैं अपनी चाल चल चुका थारूपल्ला—अब मैं तुझे फोन नहीं करूंगा बल्कि तू खुद फोन करके मुझे काली बस्ती बुलाएगा—याद रहे, यह काम तुझे अपनी मर्जी के खिलाफ करना होगा।
—“इंस्पेक्टर तेजस्वी”
अंतिम पैरा पढ़ते वक्त थारूपल्ला को अपने जिस्म में रह-रहकर कौंधती सर्द लहरों का अहसास हुआ, ये शब्द उसके मुंह से बेसाख्ता निकलते चले गए—“ये काइयां इंस्पेक्टर साबित करता जा रहा है कि जो काम गनें, तोपें, टैंक और बेशुमार सेना नहीं कर सकती, उसे दिमागी ताकत के बूते पर इतनी आसानी से किया जा सकता है जैसे चुटकी बजा दी गई हो।”
“मैं भी यही कहना चाहता था सर, उसने दावा किया था—इस लिफाफे को यहां लाने का हुक्म मुझे आप देंगे—उस वक्त मेरे दिमाग में उसकी छवि एक बड़बोले अहमक व्यक्ति की बनी थी मगर जब कुछ देर बाद आपने सचमुच हुक्म सुनाया तो मैं दंग रह गया—पट्ठा कह रहा था कि ‘शतरंज’ के खेल में ऐसी चाल वह अक्सर चल दिया करता है।”
एकाएक थारूपल्ला को अहसास हुआ कि शुब्बाराव स्टार फोर्स का एक छोटा प्यादा है, मेजर होने के नाते उसे उससे इस किस्म का ‘डिस्कशन’ नहीं करना चाहिए, अतः थोड़े कठोर स्वर में बोला—“तुम जा सकते हो शुब्बाराव, मुझे ब्लैक स्टार से बात करनी है।”
शुब्बाराव खड़ा हुआ बोला—“एक सफाई देना चाहता हूं सर!”
“बोलो!”
“मैंने काफी कोशिश की मगर उसने मरने न दिया।”
थारूपल्ला ने केवल इतना कहा—“जाओ!”
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12-31-2020, 12:19 PM,
#36
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
फोटोग्राफ्स का विवरण और पत्र का मजमून सुनने के बाद ब्लैक स्टार चुप हो गया—मानो गहरे सोच में डूब गया हो—ट्रांसमीटर पर खामोशी छाई रही और जब ये खामोशी थारूपल्ला के लिए असहनीय हो गई तो बोला—“क्या हुक्म है सर?”
“ऐं … हां!” जाहिर था, ब्लैक स्टार लम्बी सोचों से अभी-अभी उबरा था—“जो कहानी इंस्पेक्टर हमें सुनाना चाहता है उसकी पुष्टि करनी होगी—पुष्टि के बाद हम तुमसे संपर्क स्थापित करते हैं।”
“ओ.के. सर!”
दूसरी तरफ से संबंधविच्छेद कर दिया गया।
खौफनाक सस्पैंस में डूब गया थारूपल्ला—ऐसा नहीं कि चित्रकथा सिरे से उसकी समझ में न आ रही हो—काफी हद तक वह समझ रहा था मगर निश्चय न कर पा रहा था कि जो समझ रहा है वह सही है या गलत—ब्लैक स्टार के आदेश की बेचैनी से प्रतीक्षा थी उसे, मगर दिल यह सोच-सोचकर कांप रहा था—कहीं वही आदेश न मिल जाए जिसका दावा तेजस्वी ने कर रखा था?
सारी रात न सो सका वह!
शंकाओं से घिरा रहा!
हल्की-सी आहट पर लगता—ट्रांसमीटर उसे बुला रहा है लेकिन जब पाता, ऐसा नहीं है तो निराशा के अंधकूप में डूब जाता—शंका और निराशाओं के जंगल में भटकता उसका मस्तिष्क अगले दिन ठीक ग्यारह बजे बाहर निकला—तब, जबकि ट्रांसमीटर ने उसे सचमुच कॉल किया।
हैडफोन कानों पर चढ़ाने के बाद उसने माइक पर कहा—“थारूपल्ला बोल रहा हूं सर!”
“इंस्पेक्टर को फौरन अपने ठिकाने पर बुलाओ थारूपल्ला।”
यह वाक्य शानदार बम की मानिन्द ‘धड़ाम’ से उसके जहन में फटा—उन नसों के परखच्चे उड़ गए जिनमें सोचने-समझने की शक्ति भरी होती है—वही आदेश मिला था जिसकी शंका से वह मरा जा रहा था—जिसका दावा काइयां इंस्पेक्टर ने किया था, ये शब्द उसके मुंह से बरबस निकल गए—“क-क्यों सर?”
बहुत ही कठोर स्वर में पूछा गया—“क्यों से मतलब?”
“म-मैं ये कहना चाहता था सर, क्या उसे यहां बुलाए बगैर काम नहीं चल सकता?” थारूपल्ला बुरी तरह हड़बड़ा गया, दरअसल ब्लैक स्टार के हुक्म पर पलटकर सवाल कर देना उनकी शान में गुस्ताखी मानी जाती थी और अपनी भावनाओं के झंझावात में फंसा वह किसी हद तक यह गुस्ताखी कर चुका था—उस पर मरहम लगाने की चेष्टा के साथ बोला—“अ-आपको याद होगा, उसने मेरे ठिकाने पर आकर अपने स्पेशल रूल से मेरी चमड़ी उधेड़ डालने का चैलेंज दे रखा है।”
“हमें याद है।” सर्द एवं कठोर स्वर।
साहस करके थारूपल्ला ने कह दिया—“क-कहीं यह उसकी कोई चाल न हो?”
“कैसी चाल?”
“यहां आने की चाल, मेरी चमड़ी उधेड़कर निकल जाने की चाल।” थारूपल्ला कहता चला गया—“आज उसके चैलेंज के बारे में प्रतापगढ़ का बच्चा-बच्चा जानता है, अगर उसने यह चैलेंज पूरा कर दिया तो स्टार फोर्स की साख को ऐसा जबरदस्त धक्का लगेगा जिसकी भरपाई शायद हम अगले दस साल तक नहीं कर पाएंगे।”
“फोटोग्राफ भेजने वाली घटना को उसकी ‘चाल’ इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि हम उसके द्वारा सुनाई गई कहानी की पुष्टि कर चुके हैं, वह सच्ची है।”
“य-यानि ‘श्रीगंगा’ स्थित 27, कुटम्बरा मकान में रहने वाला परिवार तेजस्वी का था और वह सैनिक कार्यवाही के दरम्यान मारा गया?”
“यह सच है।” ब्लैक स्टार ने कहा—“उस मकान के बाहर लगी नेम-प्लेट पर लिखा नाम उसके पिता का है—कीर्ति कुमारम् की पत्नी तेजस्वी की मां थी—जवान महिला उसकी बीवी और दो छोटे-छोटे बच्चे उसके लड़के थे—सबके सब सारा परिवार सैनिक कार्यवाही के दरम्यान मारा गया—इस वक्त वह मकान मलबे का ढेर बना पड़ा है।”
थारूपल्ला के मस्तिष्क पर पसीना छलछला उठा—“इस सबका मतलब क्या हुआ सर?”
“मतलब स्पष्ट है थारूपल्ला—फोटोग्राफ्स के जरिए उसने हमें संदेश भेजा है कि उसका लक्ष्य स्टार फोर्स नहीं, बल्कि वे लोग हैं जो स्वयं स्टार फोर्स के लक्ष्य हैं।”
“तो सर, आखिर उसका लक्ष्य है क्या?”
“फोटोग्राफ्स उसके लक्ष्य की तरफ संकेत जरूर करते हैं मगर स्पष्ट नहीं बताते—इसी वजह से हमारा उससे बात करना जरूरी है—और हमसे उसकी बात केवल इस ट्रांसमीटर पर हो सकती है, अतः अगर यह कहें कि उसे तुम्हारे ठिकाने पर बुलाना मजबूरी है तो गलत न होगा।”
थारूपल्ला को अब भी यकीन न था कि वे तेजस्वी की किसी चाल में नहीं फंस रहे हैं, मगर ब्लैक स्टार के समक्ष उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता था जितना कह चुका था। यह सोचने मात्र से उसके जिस्म में चींटियां-सी रेंगने लगीं कि अब फोन करके वह खुद तेजस्वी को यहां बुलाएगा।
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12-31-2020, 12:19 PM,
#37
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
तेजस्वी ने बहुत जोर से ठहाका लगाया, बोला—“अब बोल थारूपल्ला, कैसी रही?”
बेचारा थारूपल्ला!
बोले तो क्या बोले?
जुबान में शब्द न थे, मस्तिष्क विचारशून्य!
रिसीवर हाथ में लिए गुस्से की ज्यादती के कारण वह कांपता रहा जबकि अपनी कामयाबी पर मदमस्त हुए तेजस्वी ने चटकारा लिया—“क्यों थारूपल्ला, शब्दकोश खत्म हो गया क्या—बड़ी लम्बी-लम्बी डींगें मारा करता था तू—कहा करता था, तेरी मर्जी के बगैर काली बस्ती में कोई कदम नहीं रख सकता, अपनी सुरक्षा-व्यवस्था पर बड़ा गुरूर था तुझे—कहां गई वह लम्बी जुबान, अब एक शब्द भी तू बोल क्यों नहीं रहा?”
थारूपल्ला केवल इतना पूछ सका—“कब आ रहा है?”
“तुझे क्यों बताऊं?” तेजस्वी ने करारा प्रहार किया—“जब मूड होगा आ जाऊंगा!”
“म-मुझे ब्लैक स्टार को जवाब देना है।”
“उसी ब्लैक स्टार को न!” वह हंसा—“जिसने दस दिन के अंदर मेरी लाश मांगी थी?”
अपमान की ज्वाला में भस्म हुए जा रहे थारूपल्ला के जबड़े भिंच गए—आंखों में खून उतर आया, एक-एक शब्द को चबाता चला गया वह—“मैं अपना अपमान सहन कर सकता हूं इंस्पेक्टर—ब्लैक स्टार का नहीं!”
“क्यों, क्या उसने मेरी लाश नहीं मांगी थी?”
“न-नहीं!” थारूपल्ला ने कहा।
तेजस्वी के माथे पर बल पड़ गए—“मतलब?”
“वह सब मैंने अपनी तरफ से इस उम्मीद के बूते पर कह दिया था कि घटना के बाद वे कोई ऐसा ही आदेश देंगे और तू यह सोचकर बेलगाम न रह सके कि मैं तुझे मार नहीं सकता।”
“ओह, तो तू मेरी लगाम खींचकर रखना चाहता था—अपनी गाय-भैंस या घोड़ा समझ रखा था मुझे?”
थारूपल्ला के पास पुनः कहने के लिए कुछ न था।
“खैर—ये तो तू बेहतर जानता होगा, किसने किसकी लगाम खींचकर रखी—तेरे कथन से जाहिर है, ब्लैक स्टार ने वह आदेश नहीं दिया जिसकी तुझे उम्मीद थी, ऐसा क्यों हुआ?”
“क्योंकि वे तेरे उस मायाजाल में फंसे हुए नहीं हैं जिनमें पुलिस का हर अफसर और प्रतापगढ़ का बच्चा-बच्चा फंसा हुआ है—वे जान चुके हैं कि स्टार फोर्स के साथ छेड़ी गई तेरी जंग नकली है और वास्तव में तेरा उद्देश्य कुछ और है।”
तेजस्वी हैरान रह गया—“कैसे जान गए वे?”
“तू खुद को दुनिया का सबसे बड़ा अक्लमंद समझने का भ्रम न पाल।” थारूपल्ला उसे हैरान करके खुश था—“ब्लैक स्टार के सामने तेरी दिमागी हैसियत वैसी ही है जैसी लोमड़ी के सामने गधे की।”
“झुंझलाहट में तू मेरे लिए अक्सर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करता रहा है थारूपल्ला—कभी पागल कहता है, कभी मूर्ख—कभी अहमक कहता है तो कभी गधा मगर वक्त ये सब तुझे साबित कराता जा रहा है—देख, मैंने कहा था—‘शुब्बाराव के हाथ तू खुद लिफाफा मंगाएगा’, मैंने कहा था—‘अपने ठिकाने पर मुझे खुद आमंत्रित करेगा’—कर रहा है और आगे भी जो होना है, मैं उसके बारे में उतनी ही अच्छी तरह जानता हूं जितनी अच्छी तरह लोग यह जानते हैं कि सूरज हर सुबह किधर से निकलेगा।”
थारूपल्ला क्या कहता, परिस्थितियों के ब्लेड ने उसकी जुबान चीरकर रख दी थी।
“क्या हुआ?” तेजस्वी ने पूछा—“शायद अचानक चुप हो जाने की बीमारी लग गई है तुझे?”
“वक्त की बात है तेजस्वी, आज वक्त ने मुझे बोलने लायक नहीं छोड़ा।” दांत भींचे थारूपल्ला कहता चला गया—“वक्त तेरा है और तू भरपूर अंदाज में जायज-नाजायज कहकर उसका फायदा उठा रहा है—सारे जवाब मैं तब दूंगा जब यही वक्त मेरी मुट्ठी में कैद होगा।”
“वक्त!” तेजस्वी हंसा—“वक्त खुद-ब-खुद किसी की मुट्ठी में कैद नहीं हुआ करता बेटे—वक्त तो बहुत बड़ी चीज है, एक मेंढक तक को मुट्ठी में कैद करने के लिए ‘टेलैन्ट’ की जरूरत पड़ती है—वह भी मुट्ठी से फिसला- फिसला जाता है।”
थारूपल्ला चुप रहा।
तेजस्वी कहता चला जा रहा था—“मेरे पास ऐसी चालें चलने का हुनर है थारूपल्ला, जिनमें सामने वाले को यह जानते-बूझते फंसना पड़ता है कि वह चाल में फंस रहा है—वह चक्रव्यूह ही क्या हुआ जो सामने वाले को यह जानते-बूझते अपने में फंसने पर विवश न कर दे कि वह फंसाया जा रहा है—अपना उदाहरण ले, तेरे जहन के किसी कोने में अब भी यह विचार सुरक्षित है कि फोटोग्राफ्स के जरिए सुनाई गई मेरी कहानी कल्पित हो सकती है, अपना चैलेंज पूरा करने के लिए मैं चाल चल रहा हो सकता हूं, मगर इसके बावजूद तू मुझे अपने ठिकाने पर बुलाने के लिए मजबूर है—ऐसे लोग तूने कम देखे होंगे जो दुश्मन को चेता-चेता कर अपना प्रतिशोध लेने उसकी तरफ बढ़ते हों, सीना खोलकर पहले ही बता देते हों कि मैं क्या करने वाला हूं—ऐसा करिश्मा केवल वे करके दिखा सकते हैं थारूपल्ला, जो दिमाग का इस्तेमाल करना जानते हों—फिर कहता हूं, वहां पहुंचकर मैं अपने स्पेशल रूल से तेरी चमड़ी उधेड़ने वाला हूं। रोक सके तो रोक ले—पूरे चांस हैं तेरे पास—खुला मैदान है, मगर नहीं—नहीं थारूपल्ला, तू मुझे नहीं रोक सकेगा—ये मेरा दावा है।”
“हां … हां—मैं सब कुछ जानता हूं।” बहुत देर से अपनी उत्तेजना पर काबू पाए थारूपल्ला ज्वालामुखी की मानिन्द फट पड़ा, दहाड़ता चला गया वह—“यहां आकर तू मेरी चमड़ी उधेड़ेगा—काली बस्ती के उन हिंसक लोगों को यह दिखाएगा कि तू अपना चैलेंज कैसे पूरा करता है, जो हर उस शख्स की आंखें नोच डालने के लिए आतुर होते हैं जिसने थारूपल्ला को टेढ़ी निगाह से देखा हो—तू सब कुछ कर सकता है, सर्वशक्तिमान है तू मगर … मगर फिर भी, मैं तुझे आमंत्रित करने पर विवश हूं—वह विश्वास दिलाने पर मजबूर हूं कि तू जब चाहे, काली बस्ती को पार करके मेरे ठिकाने पर आ सकता है—कोई तुझे कुछ नहीं कहेगा, कोई नहीं रोकेगा और मैं … मैं तेरा इंतजार कर रहा हूं।” इन शब्दों के बाद रिसीवर इतनी जोर से क्रेडिल पर पटका गया कि तेजस्वी के कान में धमाका-सा हुआ।
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12-31-2020, 12:19 PM,
#38
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“मैं थारूपल्ला बोल रहा हूं।” काली बस्ती में जगह-जगह लगे लाउडस्पीकर्स पर उसकी आवाज गूंज रही थी—“ध्यान से सुनो, मैं आप लोगों को एक जरूरी संदेश देने जा रहा हूं, अगर किसी को मेरी आवाज साफ सुनाई न दे रही हो तो लाउडस्पीकर के नजदीक आ जाए—यह संदेश सभी के लिए है।”
हालांकि बस्ती में इतने लाउडस्पीकर्स लगे हुए थे कि गलियों की तो बात ही दूर, प्रत्येक मकान तक में थारूपल्ला की आवाज स्पष्ट सुनी जा सकती थी—फिर भी, ज्यादा-से-ज्यादा साफ सुनने की मंशा से लोग अपने काम-धंधे छोड़कर लाउडस्पीकर्स की तरफ लपके।
बच्चे घरों से निकलकर गलियों में आ गए।
औरतें आंगन में या छतों पर पहुंच गईं ।
थारूपल्ला अपने कमरे में था—बस्ती भर में लगे लाउडस्पीकर्स का संबंध उस माइक से था जिसे इस वक्त उसने अपने मुंह से लगभग अड़ा रखा था—बस्ती में लाउडस्पीकर्स स्थाई रूप से लगे हुए थे—थारूपल्ला को बस्ती वालों से जो कुछ कहना होता था, इन्हीं के माध्यम से कहता था और बस्ती वाले उनसे निकली आवाज को ईश्वर के प्रतिनिधि द्वारा की गई आकाशवाणी से कम महत्त्व नहीं देते थे।
थोड़ी देर के लिए रुका था थारूपल्ला—जब यकीन हो गया कि सभी लाउडस्पीकर्स के इर्द-गिर्द जमा हो चुके होंगे तो बोला—“जो कुछ इस वक्त मैं कहने जा रहा हूं, मुमकिन है उसे सुनकर आप लोगों को हैरानगी हो, आप जानते हैं, ब्लैक स्टार केवल वह चाहते हैं जिसमें हमारा फायदा छुपा हो—उनके कई आदेश ऐसे होते हैं जिनके फायदे उस वक्त नजर नहीं आते जब आदेश दिए जाते हैं, मगर बाद में पता लगता है कि ‘हां इस आदेश के पीछे हम लोगों की भलाई छुपी थी’—वह आदेश, जिसे मैं उनकी आज्ञा से सुनाने जा रहा हूं—शायद ऐसा ही है, जो मुमकिन है इस वक्त अटपटा और गुस्सा दिलाने वाला नजर आए, परंतु भविष्य में इसके परिणाम हमारे हक में निकलेंगे।”
थारूपल्ला सांस लेने के लिए रुका।
उधर, श्रोताओं के दिल धड़कने लगे।
उनकी याद में पहले कभी संदेश देने से पूर्व इतनी ‘लम्बी भूमिका’ नहीं बांधी गई थी—इसी कारण उन्हें लगा, कोई खास संदेश दिया जाने वाला है।
“दो दिन पूर्व मैंने बताया था कि इंस्पेक्टर तेजस्वी ने काली बस्ती को पार करके न केवल मुझ तक पहुंच जाने का चैलेंज दिया है, बल्कि ये दावा भी किया है कि अपने स्पेशल रूल से मेरी चमड़ी उधेड़ने के बाद काली बस्ती से सुरक्षित निकल जाएगा—तब, मैंने निर्देश दिया था कि काली बस्ती के अंदर उसे दस कदम तक आने दिया जाए लेकिन ग्यारहवें कदम पर उसकी लाश पड़ी नजर आनी चाहिए—मुझे पूरा विश्वास था कि ऐसा ही होगा—जब मुकम्मल सशस्त्र सेनाएं तुम लोगों से मुंह की खाकर मेरी परछाई के दर्शन किए बगैर लौट गईं तो उस अकेले इंस्पेक्टर की भला क्या बिसात थी! परंतु …।”
थारूपल्ला पुनः सांस लेने के लिए रुका।
श्रोताओं के सस्पेंस में फंसे दिल का अंदाजा लगाता हुआ कलेजे पर पत्थर रखकर बोला—“ब्लैक स्टार का नया आदेश है, इंस्पेक्टर तेजस्वी को न केवल काली बस्ती पार करने दी जाए बल्कि मुझसे मिलने भी दिया जाए—कोई रोकेगा नहीं उसे—ऐसा आदेश ब्लैक स्टार ने क्यों दिया, इसे वही बेहतर जानते होंगे, मगर आदेश यही है, बस्ती से लौटते वक्त भी कम-से-कम तब तक कोई उसके रास्ते में आने की कोशिश न करे जब तक मैं ऐसा करने का निर्देश न दूं।”
थारूपल्ला ने अपनी बात समाप्त करके माइक और लाउडस्पीकर्स के बीच का स्विच ऑफ कर दिया। मगर उधर, सारी बस्ती में इस आदेश ने मानो तूफान ला दिया।
युवकों की भृकुटियां तन गईं ।
बुजुर्ग कह उठे—“पुलिस वाला बस्ती में आए और जिन्दा चला जाए, कैसा अनोखा आदेश है ये?”
बच्चे हैरान थे।
महिलाएं कह उठीं—“ब्लैक स्टार ही जानें, उन्होंने ऐसा आदेश क्यों दिया!”
हर गली में, गलियों के हर चौराहे पर और घर-घर में इस आदेश की चर्चा होने लगी—सभी का मत था—आदेश अनहोना है, अप्रिय है, किंतु उसका आदेश पत्थर की लकीर होता है।
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12-31-2020, 12:20 PM,
#39
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
अगली सुबह!
जब तेजस्वी जीप ड्राइव करता हुआ थाने से बाहर निकला, तब उसके जिम्म पर धोबी के यहां से कुछ ही देर पहले आई कड़क वर्दी थी—सिर पर लगी कैप के पीतल के बैज को मानो रेत से मांज-मांजकर धोया गया था—पैरों में मौजूद भारी बूट इतने चमचमा रहे थे कि अक्स तक देखा जा सकता था और उन सबसे ज्यादा चमकदार थी वह मुस्कराहट जो तेजस्वी के होंठों का स्थाई श्रृंगार बनकर रह गई थी।
जो घोषणा थारूपल्ला द्वारा काली बस्ती में की गई थी—जाने कैसे पेट्रोल पर दौड़ने वाली आग की तरह उसकी खबर संपूर्ण प्रतापगढ़ क्षेत्र में फैल गई!
लोक आश्चर्यचकित थे!
तेजस्वी उनके लिए रोबिन हुड बन गया था।
जाने कैसे, लोगों के पास यह सूचना भी थी कि तेजस्वी आज सुबह काली बस्ती जाएगा—शायद यही कारण था वह जीप लेकर जिन रास्तों से गुजरा—सड़क के दोनों तरफ लोगों की भीड़ खड़ी मिली।
हालांकि किसी ने कुछ कहा नहीं किंतु चेहरे और आंखों में मौजूद भाव बता रहे थे, इस वक्त तेजस्वी देव-पुरुष बनकर उनके दिलों पर हुकूमत कर रहा है। … अपना स्पेशल रूल उसने ड्राइविंग डोर पर इस तरह बांध रखा था कि दूर ही से नजर आ जाए।
झावेरी नदी का एक किलोमीटर लम्बा पुल पार करके काली बस्ती में प्रविष्ट होते ही स्थितियां बदल गईं।
हालांकि भीड़ बहुत ज्यादा थी—ऐसा लगता था जैसे काली बस्ती का संपूर्ण जनमानस केवल उन रास्तों के दोनों तरफ उमड़ आया हो जिनसे तेजस्वी को गुजरना था—मगर प्रत्येक चेहरे पर उसके लिए घृणा और आंखों में गुस्सा उबल रहा था।
लोग रास्ते के दोनों तरफ यूं खड़े थे जैसे गणतंत्र दिवस की परेड देखने आए हों, महिलाएं और बच्चे छतों और छज्जों पर थे—तेजस्वी ने नोट किया, सभी के चेहरों पर हिंसक भाव थे—ऐसे, जो स्पष्ट बता रहे थे कि अगर ब्लैक स्टार का आदेश बीच में न होता तो ये लोग गिद्धों की मानिन्द उसके जिस्म को नोच-नोचकर खा जाते—कसमसाहट के रूप में सभी चेहरों पर ब्लैक स्टार के आदेश की विवशता छलकी पड़ रही थी।
हालांकि तेजस्वी जानता था, कोई भी उस पर आक्रमण करके ब्लैक स्टार के हुक्म की अवहेलना नहीं करेगा, मगर फिर भी, उनकी भाव-भंगिमाएं इतनी खतरनाक थीं कि रह-रहकर उसके जिस्म में मौत की सिहरन दौड़ जाती—ऐसा लग रहा था जैसे वह ततैयों के छत्ते के अंदर और अंदर घुसता चला जा रहा हो—यह कल्पना करके उसकी रूह कांप उठी कि अगर ब्लैक स्टार अपना आदेश वापस ले ले तो?
अपने अंजाम की कल्पना मात्र से छक्के छूट गए उसके!
अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि वह मुस्करा जरूर रहा था परंतु आसक्त कर डालने वाली चमक का दूर-दूर तक नामोनिशान न था—रोकने की भरपूर चेष्टा के बावजूद चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं।
बीच-बीच में फोर्स के वर्दीधारी सैनिक नजर आए।
सबके हाथों में ए.के.-47 थीं मगर वे तेजस्वी के मनो-मस्तिष्क में वह दहशत न बैठा सकीं जो बस्ती के लोगों की भाव-भंगिमाओं के कारण बैठी थी—हिंसक चेहरों के बीच से गुजरता हुआ जब वह थारूपल्ला के मकान के बाहर पड़े लॉन में पहुंचा, तब तक दिल रह-रहकर कहने लगा था—‘कुछ भी हो तेजस्वी, काली बस्ती में कदम रखकर तूने गलती की है …।’
मगर!
अब क्या हो सकता था?
मजबूती का प्रदर्शन किए, आगे बढ़ते चले जाने के अलावा कोई रास्ता न था।
उसने लॉन में जीप रोकी।
दस ए.के.-47 धारियों ने जीप को चारों तरफ से घेर लिया।
सशस्त्र वर्दीधारियों का एक रिंग गोल लॉन की सरहदों पर बना हुआ था—जोर-जोर से धड़क रहे दिल पर काबू पाने की चेष्टा के साथ वह जीप से कूदा—पूरी कोशिश की कि स्टाइल वही रहे जो जीप से थाने के प्रांगण में कूदते थारूपल्ला की थी।
जीप के दरवाजे पर बंधा अपना रूल खोला उसने।
उसे घेरे खड़े वर्दी और ए.के.-47 धारियों ने कुछ कहा नहीं।
तेजस्वी ने उनमें से एक से पूछा—“किधर चलना है?”
“मेरे पीछे आओ!” कहने के साथ वह इमारत के मुख्य द्वार की तरफ बढ़ा।
तेजस्वी उसके पीछे हो लिया।
स्टार फोर्स के बाकी लोग उसके पीछे थे।
लॉन की सरहदों पर खड़े वर्दीधारी हिले तक नहीं, पूरी तरह मुस्तैद खड़े थे वे।
तेजस्वी इस तरह आगे बढ़ रहा था जैसे रक्षामंत्री सलामी गारत की सलामी ले रहा हो—हां, एक बात अलग थी और वह ये कि रूल की चेन को वह बार-बार अपने हाथों में लपेटता-खोलता जा रहा था।
वे मकान में पहुंचे।
जगह-जगह सशस्त्र सैनिक तैनात थे।
थारूपल्ला से उसकी भेंट ऊपरी मंजिल के एक कमरे में हुई—उसके जिस्म पर इस वक्त अपनी वर्दी थी, नजर पड़ते ही तेजस्वी ने चुभते स्वर में कहा—“हैलो थारूपल्ला—देखो मैं आ गया!”
“बैठो।” भावहीन चेहरे के साथ उसने कमरे में पड़े सोफे की तरफ इशारा किया।
तेजस्वी आगे बढ़ा—रूल सैन्टर टेबल पर डाला और सोफे पर बैठने के बाद एक सिगरेट सुलगाई—जोरदार कश द्वारा खींचे गए धुएं को छोड़ता हुआ बोला—“मुझे कमरे में इन लोगों की मौजूदगी पसंद नहीं आ रही।”
थारूपल्ला ने सैनिकों से कहा—“तुम जाओ।”
वे इस अंदाज से बाहर निकले जैसे दरवाजे की तरफ से जबरन खींचे गए हों—अंतिम समय तक उनकी सुलगती आंखें तेजस्वी पर जमी हुई थीं, दांत किटकिटा रहे थे वे मगर तेजस्वी ने परवाह न की—उधर सैनिक बाहर निकले, इधर तेजस्वी ने मानो अपने कांस्टेबल को हुक्म दिया—“दरवाजा अंदर से बंद कर दे।”
थारूपल्ला के अंदर से तिलमिलाहट उफनी लेकिन खुद पर काबू पाए रहा—आगे बढ़कर उसने दरवाजा बंद कर दिया, मुड़ा और वापस आकर सोफे के नजदीक खड़ा हो गया।
तेजस्वी ने सामने की सीट की तरफ इशारा किया—“बैठो।”
“बैठने से क्या होगा—तुम्हें यहां ब्लैक स्टार ने बुलाया है, वे तुमसे बात करना चाहते हैं।” सपाट स्वर में कहने के बाद थारूपल्ला एक विशाल अलमारी की तरफ बढ़ गया।
इस बार तेजस्वी कुछ बोला नहीं।
अलमारी खोलते थारूपल्ला को देखता रहा—अगले पल उसके सामने शक्तिशाली ‘फ्रीक्वेंसी’ वाला ट्रांसमीटर था—देखने मात्र से तेजस्वी भले ही लापरवाह नजर आ रहा हो परंतु ब्लैक स्टार से संपर्क स्थापित करते थारूपल्ला की एक-एक हरकत नोट की उसने—उधर, संपर्क स्थापित होते ही थारूपल्ला ने कहा—“थारूपल्ला बोल रहा हूं सर।”
“बोलो!”
“इंस्पेक्टर तेजस्वी यहां मौजूद है।”
संक्षिप्त, सीधा और सपाट आदेश—“बात कराओ।”
कानों से हैडफोन उतारता हुआ थारूपल्ला तेजस्वी की तरफ पलटकर बोला—“ब्लैक स्टार बात करना चाहते हैं।”
तेजस्वी उठा, करीब आधी सिगरेट फर्श पर डाली और जूते से रौंदता हुआ अलमारी की तरफ बढ़ा—चेहरा गंभीर था—दिल बहुत जोर-जोर से धड़क रहा था—मनोभावों को चेहरे पर परिलक्षित न होने देने की भरपूर चेष्टा के साथ वह अलमारी के नजदीक पहुंचा—हालांकि अपना प्लान बनाने के पहले ही चरण में अच्छी तरह व्यवस्थित कर चुका था कि ब्लैक स्टार से क्या बातें करनी हैं, उसके बावजूद कलेजा दहल रहा था—शायद इस भय के कारण कि अगर ब्लैक स्टार को अपनी बातों से विश्वास न दिला पाया, उसे प्रभावित न कर सका तो क्या होगा?
तेजस्वी के अंदर की थरथराहट अपने अंत की कल्पना से जन्मी थी—अगर ब्लैक स्टार को प्रभावित कर सका तो सफलता उसके कदम चूमेगी, न कर पाया तो थारूपल्ला के हवाले कर दिया जाएगा उसे—मौत और जिंदगी के बीच केवल उसके ‘वाक्-चातुर्य’ को काम करना था—तलवार की धार पर कदम रखते हुए तेजस्वी ने कानों पर हैडफोन चढ़ाने के बाद माइक पर कहा—“जय यमनिस्तान!”
“अपना उद्देश्य बताओ इंस्पेक्टर।” स्वर बेहद रूखा और कड़ा था।
तेजस्वी के मस्तक पर पसीना छलछला उठा।
दिमाग में विचार कौंधा—‘अगर ऐसे सपाट अंदाज में बातें होंगी तो ब्लैक स्टार को प्रभावित करने का मौका ही कहां मिलेगा?’
तेजस्वी के सामने मरने-जीने का प्रश्न मुंह बाए खड़ा था।
और कहावत है, ‘मरता क्या नहीं करता’ अतः अंदर से चूहे की तरह कांपने के बावजूद लहजे में दृढ़ता एवं आत्म- विश्वास भरता बोला—“आपके सवाल का जवाब देने से पहले मैं अपने कुछ सवालों का जवाब चाहूंगा।”
गुर्राहट उभरी—“भूलो मत इंस्पेक्टर, इस वक्त तुम ब्लैक स्टार से बात कर रहे हो।”
“त-तो?” हृदय सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था मगर लहजे को न लरजने दिया।
“आज तक कोई ऐसी हिमाकत न कर सका कि हमारे सवाल का जवाब देने से पहले अपने सवालों का जवाब चाहे।”
तेजस्वी जानता था, इस वक्त रत्तीभर ढिलाई उसे मौत के मुंह में धकेल सकती थी अतः मुकम्मल दृढ़ता का प्रदर्शन किया उसने—“क्या आज से पहले आपका वास्ता तेजस्वी जैसे किसी शख्स से पड़ा है?”
“मतलब?”
“साफ है, आज तक आप केवल अपने मातहतों से बात करते रहे हैं, और तेजस्वी आपका मातहत नहीं है, अतः आपको मुझसे वैसी बातों की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए जैसी आपके मातहत करते हैं।”
बड़े ही खतरनाक स्वर में पूछा गया—“क्या तुम्हें मरने से डर नहीं लगता इंस्पेक्टर?”
एकाएक तेजस्वी को स्मरण हो आया, ब्लैक स्टार उसका उद्देश्य जानने के लिए मरा जा रहा है—दिमाग में विचार उठा—‘वह कम-से कम उस वक्त तक उसे नहीं मरने देगा जब तक उसका उद्देश्य न जान ले’—इस विचार ने तेजस्वी के टूटते आत्मविश्वास को सम्बल दिया, पूरी मजबूती के साथ कहा उसने—“अगर डरता होता तो काली बस्ती में कदम रखने के बारे में सोचता ही नहीं।”
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12-31-2020, 12:20 PM,
#40
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अच्छे-अच्छे सूरमा डर जाते हैं इंस्पेक्टर, शायद तुमने मौत को कभी नजदीक से नहीं देखा?”
“डरने वाले मूर्ख होते हैं, समझदार जानते हैं कि मौत से कोई चाहे जितना भाग ले मगर अंततः वह उसे दबोच ही लेगी—जो इस हकीकत की गहराई में उतर जाते हैं उन्हें मौत से डर नहीं लगता ब्लैक स्टार।” दांतों-पर-दांत जमाए तेजस्वी कहता चला गया—उसे ब्लैक स्टार से इस लहजे में बात करता देखकर थारूपल्ला की आंखों में आश्चर्य का समुद्र उमड़ आया था—तेजस्वी को इस तरह देख रहा था वह जैसे हाड़-मास के बने इंसान को नहीं, मिस्र के पिरामिडों को देख रहा हो—उसके जीवन में आया सबसे हैरतअंगेज शख्स कहता चला जा रहा था—“आपका यह कहना गलत है कि मैंने मौत को नजदीक से नहीं देखा, जितने नजदीक से मौत को मैं इस वक्त देख रहा हूं, मेरा दावा है—इतने नजदीक से कभी आप ने भी नहीं देखा होगा।”
“क्या कहना चाहते हो?”
“क्या मेरे और मौत के बीच केवल आपकी चुटकी का फासला नहीं है? क्या थारूपल्ला इस वक्त मौत बनकर मेरी बगल में नहीं खड़ा है? क्या मौत को किसी ने इससे ज्यादा नजदीक से देखा होगा?”
“गुड! तुम ठीक कह रहे हो।”
तेजस्वी को लगा, ब्लैक स्टार प्रभावित हो रहा है—हौसला बढ़ा, दुगने जोश के साथ कहा उसने—“अगर आप इसे अपनी शान में गुस्ताखी न समझें तो मैं बताना चाहता हूं कि बुद्धिमान शख्स अपनी नहीं बल्कि अपने प्रियजनों की मौत से डरता है—उनके मरने से डरता है जिनसे वह मुहब्बत करता हो, जिन्हें टूट-टूटकर चाहता हो—मेरे बूढ़े मां-बाप, मुझे भगवान की तरह पूजने वाली पत्नी और … और मेरे हंसते-खेलते दो खिलौने, मेरे बेटे … जब मौत उन सभी को लील गई तो मैं … मैं भला मौत से क्यों डरने लगा?”
“भावुकता की दीमक विवेक को चाट डालती है इंस्पेक्टर!”
“मगर इंसान के इरादों को चट्टान की तरह अडिग बना देती है।”
“गुड! क्या पूछना चाहते थे तुम?”
मारे सफलता के तेजस्वी झूम उठा।
ब्लैक स्टार अपने सवाल का जवाब पाने से पूर्व उसके सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हो चुका था, खुशी को दबाए रखकर उसने गंभीर स्वर में पूछा—“आपको यह भनक कहां से, कैसे और किससे लगी कि मेरा असली उद्देश्य स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद करना नहीं बल्कि कुछ और है?”
ब्लैक स्टार चौंक पड़ा—“तुम्हें कैसे मालूम कि हमें पहले से भनक थी?”
“अपनी योग्यताओं के बूते पर मालूम किया।” तेजस्वी के होंठों पर रहस्यमय मुस्कान थिरक रही थी।
“जवाब दो इंस्पेक्टर।” मानो सांप फुंफकारा—“किसने बताया तुम्हें?”
तेजस्वी ने थारूपल्ला की तरफ देखते हुए चटखारा लिया—“आपके मेजर ने।”
“नहीं!” अविश्वसनीय स्वर—“वह तुम्हें क्यों बताने लगा?”
“पूछने वाले में ‘गट्स’ होने चाहिएं सर, सामने वाला वह सब बता बैठता है जो उसे नहीं बताना चाहिए।” तेजस्वी एक-एक शब्द को नाप-तोलकर बोल रहा था—“मैंने थोड़ा-सा जोश दिलाया—यह सिद्ध करने का नाटक किया कि मेरे दिमाग के सामने आप भी फेल हैं और वह भड़क गया, मुझे आपके मुकाबले बौना साबित करने के फेर में वह सब बक गया जो वास्तव में उसे नहीं बकना चाहिए था।”
“ऐसी बचकानी चालों में होशियार आदमी नहीं फंस सकता, बेवकूफ ही फंसते हैं।”
तेजस्वी ने जबरदस्त रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा—“आप अपने आदमियों को बेहतर जानते होंगे।”
दूसरी तरफ सन्नाटा छा गया—जाहिर था, थारूपल्ला पर गुस्सा आ रहा था उसे—इधर तेजस्वी अपनी कामयाबी पर झूम रहा था—उसका पहला उद्देश्य ब्लैक स्टार के दिमाग में थारूपल्ला की अहमियत कम करना था, वह कामयाब था—बगल में खड़ा थारूपल्ला यह तक न जान सका कि तेजस्वी ब्लैक स्टार के जहन में उसके खिलाफ जहर भर चुका है।
जान भी कैसे सकता था?
ब्लैक स्टार की आवाज तो सुन नहीं सकता था वह और तेजस्वी ने ऐसा कुछ कहा न था जिससे इल्म होता कि ब्लैक स्टार उसके बारे में क्या कह रहा है?
काफी लम्बी खामोशी के बाद ब्लैक स्टार ने कहा—“अगर तुम सचमुच एक कर्मठ, मेहनती, जुझारू, कत्र्तव्यनिष्ठ और ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर होते तो इकबाल की रिक्वेस्ट पर उसे चुपचाप न छोड़ देते।”
“क-क्या मतलब?” अब बुरी तरह उछल पड़ने की बारी तेजस्वी की थी।
“एक ईमानदार इंस्पेक्टर किसी की हत्या का षड्यंत्र रचने वाले को इस तरह चुपचाप नहीं छोड़ सकता जैसे तुमने इकबाल को इस शर्त पर छोड़ दिया कि हवालात से सीधा फिल्म नगरी चला जाएगा—इकबाल ने ब्लैक फोर्स से बाकायदा सलमा को फंसाने का सौदा किया था, वह सब तुमने जान लिया, मगर न हकीकत अपने अफसरों को बताई न कोर्ट को—हमें उसी समय इल्म हो गया था कि वास्तव में तुम वह नहीं हो जो नजर आ रहे हो।”
“अ-आपको यह भनक कहां से लग गई?”
“कोई तो ऐसी बात होगी ‘इंस्पेक्टर’, जिसके बूते पर हम यहां—श्रीगंगा में बैठकर—वहां हुकूमत कर रहे हैं जहां तुम इस वक्त नियुक्त हो—पल-पल की खबर रखनी पड़ती है हमें।”
तेजस्वी के मुंह से शब्द न फूट सके।
“हमारे ख्याल से अब हम तुम्हारा उद्देश्य जानने के अधिकारी हैं?”
“निःसंदेह सर। परंतु …”
“परंतु?”
“मुझे आपकी और अपनी इस वार्ता से किसी व्यक्ति विशेष के दिमागी स्तर का ज्ञान हो गया है।” इस बार फिर तेजस्वी हर शब्द को नाप-तौलकर बोल रहा था—“और मेरा जो उद्देश्य है, मेरे ख्याल से वह उस स्तर के दिमागी व्यक्ति के जानने योग्य हरगिज नहीं है—रहस्य फूट सकता है और विश्वास रखिए, अगर एक बार किसी ‘हल्के’ शख्स को मेरे उद्देश्य की भनक लग गई तो सात जन्म लेने के बावजूद अपने लक्ष्य को नहीं बेंध पाऊंगा।”
ब्लैक स्टार ने कहा—“थारूपल्ला की बात कर रहे हो न?”
“जी।”
“हम उसे कमरे से बाहर जाने का हुक्म दिए देते हैं।”
“वह खुद को अपमानित महसूस करेगा।”
“फिर?”
तेजस्वी ने ऐसा नाटक किया जैसे सोच रहा हो और फिर इस तरह बोला जैसे तरकीब दिमाग में आ गई हो—“मुमकिन है, कोई ट्रांसमीटर की ‘फ्रीक्वेंसी’ को कैच करके हमारी बातें सुन रहा हो—अतः मैं अपने उद्देश्य के बारे में आपको ऐसे सांकेतिक अंदाज में बताता हूं कि सुनने के बावजूद आपके अलावा कोई न समझ पाए।”
“बताओ!”
“किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की मौत के ‘असली जिम्मेदार’ को नहीं छोड़ना चाहिए।”
“ग-गुड!” ये शब्द ब्लैक स्टार के मुंह से मानो स्वतः फूट पड़े थे—“तुम्हारे विचार सुनकर हमें खुशी हुई इंस्पेक्टर और अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि तुम्हारे उद्देश्य की हल्की-हल्की रूपरेखा हम समझ रहे थे—निश्चित रूप से तुममें अपने लक्ष्य को बेंध डालने की कूव्वत है—लक्ष्य हमारा भी वही था मगर ऐसा आदमी न मिल रहा था जिसमें उतनी आग हो जो उस लक्ष्य को जलाकर खाक कर सके।”
“मैं प्रस्तुत हूं लेकिन---”
“लेकिन?”
“मेरे और आपके बीच कम-से-कम एक मुलाकात आवश्यक है क्योंकि न तो ट्रांसमीटर पर उतनी लम्बी वार्ता संभव है न ही सुरक्षित—मुलाकात का अवसर दें तो खुद को सौभाग्यशाली समझूंगा।”
“ठीक है, अगले हफ्ते आज ही के दिन ‘जंगल’ में मिलते हैं।”
“मैं कैसे पहुंचूंगा?”
“स्टार फोर्स पहुंचाएगी।”
“मेरी छवि खराब नहीं होनी चाहिए।”
“और निखरेगी।”
“उसके लिए जरूरी है, लोगों की नजरों में मैं यहां जो कुछ करने आया था, उसे पूरा करके लौटूं।”
“रिसीवर थारूपल्ला को दो।”
“ओ.के. सर!” आंखों में जुगनू और होंठों पर कामयाबी की मदमस्त मुस्कान लिए तेजस्वी ने हैडफोन और माइक थारूपल्ला की तरफ बढ़ा दिए—उस थारूपल्ला की तरफ जिसके सामने उसके खिलाफ मुकम्मल खिचड़ी पक चुकी थी मगर वह यह तक न जान सका कि आग कब जली?
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