Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
11-23-2020, 01:49 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
वो दोनों गुन्डे मुझे यहां देखकर चाके। क्योंकी शायद राज2 के अलावा यहां कोई आता नहीं होगा, तो दोनों ने मेरे ऊपर गन तान दी।
मैं- अरे ये क्या कर रहे हो?

गुन्डा|- कौन हो तुम, और यहां क्या कर रहा है?

मैं- अरे यार डाक्टर के पास लोग क्यों जातें हैं? लगता है तू भी दिमाग गाण्ड में लकर घूमता है?

गुन्डा2- "चुप हो जा समझा? ज्यादा बोला तो गाण्ड में ही गोली मारंगा सालें, क्या समझ? ये बोल कौन है तू?"

मैं- "मैं राज? का बेटा है और ये हमारे फेमिली डाक्टर हैं, उनसे मिलने आया है। चाहो तो जाकर पूछ लो.."

मेरी बात सुनकर दोनों डर गयें की मैं राज? का बेटा हैं। शायद वो अपने बास को जानते थे, तो उनमें से एक ने जाकर अंदर बताया तो रजत मुझे देखकर पहले तो चकित हुआ, मगर फिर हंसते हुए अंदर आने को बोला।

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अभी-अभी रजत राज? से बात ही कर रहा था। शायद राज? ही काल करके जो एम.एल.ए. बता रहा वो बताया होगा, और काल कट होने के बाद वो भी कुछ सोच ही रहा था की उसके आदमी ने बताया- "बास, दूसरे बास का लड़का आपसे मिलने आया है..." उसकी बात सुनकर उसे झटका लगा, लेकिन वो फिर देखने बाहर आया।

में अंदर आकर- "हाय अंकल..."

रजत- हाय बेटा, कैसे हो?

मैं- मस्त।

रवि. कैसे आना हुआ?

मैं- कुछ नहीं अंकल, सोचा आज आपकी भी गाण्ड मार ही लेना चाहिए।

रवि. ये... ये तुम कैसी बात कर रहे हो?

अभी वो कुछ बोलता या करता मैंने वहां पड़ी कैंची उसके मुंह में डाल दिया, और कहा- "अगर चूं की भी आवाज निकाली तो याद रखना इसे पूरा घुसेड़ दूँगा, समझा?"

वो भी समझ गया की कुछ भी किया तो मारा जा सकता है। पर उसे समझ में नहीं आ रहा था की मैं ऐसा क्यों कर रहा है? फिर मैंने उसे उसी चेयर पर बाँध दिया, जिसमें वो बैठा था। वहां पड़ी टेप से मैंह बंद कर दिया फिर वो कैंची उठाई और बाहर आया।

मैं- "अंकल आप दोनों इस दरवाजा के अंदर आओ..."

अब वो दोनों भी जान चुके थे की मैं उनके बास का बेटा है, तो दोनों मेरी बात मान गये। फिर उनके आते ही तेजी से दोनों के गले में उसी कैंची को घुसाकर मार दिया और हँसते हुए अंदर चल दिया हाहाहाहा।

जब मैं अंदर रजत के पास आया तो वो चैयर से टेबल की तरफ आकर वहां से चाक उठाने की कोशिश कर रहा था। अब ये तो आप समझ ही गये होंगे की क्यों? क्योंकी उसको रस्सी काटकर फ्री जो होना था।

मैं ये देखकर और जोर-जोर से हँसने लगा। रजत मेरी ऐसे हँसी सुनकर रुक गया और मेरी तरफ देखा, जहां उसको मेरे हाथ में कैची के साथ पूरा हाथ खून में और मेरे कपड़ों में भी खून था और ऊपर से मेरी ऐसी कमीनी हँसी भी। शैतानी हँसी से उसकी ऐसी फटी की उसके हाथ से चाकू गिर गया और डर के मारे उसके पशीने छूटने लगे। बन्योंकी वो समझ चुका था की मैंने उसके दोनों आदमियों को मार दिया है। मैं उसके पास गया और उसके मैंह में टैप हटा दी।

रजत- "सीसी क्यों कर रहे हो तुम ऐसा?"

मैं- "वो छोड़... एक बात मेरे दिमाग की मौ चोद रही है, पहले वो बता। और याद रखना झठ बोलने की कोशिश की तो ये तेरे मुँह के पार होगी समझा?"

रजत मेरी बात सुनकर डर से सिर्फ हों में गर्दन हिलाया। में देखकर मेरे चेहरे पर कमीनी स्माइल आ गई।

मैं- "और में ये भी जानता हैं की तु और मेरा बाप ही मुंबई के डान ब2 है। इसलिए ज्यादा चालाकी मत दिखाना बरना पता है ना?"

रजत ने फिर गर्दन हिलाया। उसे समझ में आ गया की आज अभी एम.एल.ए. पर जो अटैक हुआ था वो मैंने ही किया है। क्योंकी वही इनके बारे में जानता था।

मैं- ये बता वो मेरा बाप होकर भी मुझसे क्यों खेल खेल रहा है? और मुझे क्यों मारना चाहता है?

रवि- "क्योंकी वो तुम्हारा बाप है ही नहीं..." अब ये मेरे लिए आश्चर्य था। साला कुछ समझ में नहीं आया। ता चला इस चूतिए से ही पूछते हैं।

मैं क्या मतलब?

रजत फिर मुझे राज वाली पूरी कहानी बताता है। मैं सुनता गया। सब जानकर झटका लगा। लेकिन वो बी.डी. के बारे में नहीं जानता था। मुझे ये बता दिया था की इसके पीछे कोई तांत्रिक लोल है। इसका नाम सुनकर ऐसी सिचुयेशन पर भी मुझे हँसी आ रही थी, लेकिन छोड़ो। मेरे शक्तिशाली होने का भी उससे ही कोई कनेक्सन था

और ये भी पता चला की उसने रंजीत को वापस जिंदा भी किया था, और यहां तक पहुँचने में उसी का हाथ है, लेकिन उसने मुझे मारने का नहीं बोला था। ये तो रंजीत का काम था और अब उसके पास भी शक्ति थी। जिससे वो मस्त काम लेता था, और अब शक्तिशाली भी था। रंजीत को मेरी शक्ति के बारे में भी पता है, पर कितनी और क्या है इसका उसे कोई अंदाजा नहीं था। इस बात पर आगे का कुछ सोचकर बही कमीनी स्माइल फिर आ गई।

मैंने रजत से पूरी कहानी सुनने के बाद कहा- "और कुछ है जो मुझे नहीं बताया हो?"

रवि. "नहीं और कुछ?" और मैं उन्हें रंजीत के सब कुछ बताता हूँ।

फिर रजत मुझे उसके बारे में सब बता दिया। उसके रुकते ही मैं जोर से हँसने लगा हाहाहा... और उसकी गर्दन में वो कैंची घुसाकर उसे भी मार दिया और हँसते हुए निकल गया।
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_46

इधर रंजीत की तरफ एम.एल.ए. का फोन आने के बाद उसने अपने आदमियों को काल करके एम.एल.ए. की लोकेशन दी, और कहा एम.एल.ए. और वहां जो भी हो सभी को मारकर बाम्ब से उड़ा दो। फिर उसने रजत को काल करके सब बताया तो रजत बोला- "सही है... और उसके बाद क्या हुआ आप सभी को पता ही है।

कुछ एक घंटे बाद उसके आदमियों का काल आया।

गुन्डा- "बास यहां तो सभी पहले से ही मरे हुए हैं और एम.एल.ए. काला भी। पर इसे देखकर ऐसा लग रहा है जैसे इसे टार्चर करके मारा गया है...'

रंजीत- "क्या? ठीक है, सब उड़ा दो.." और रंजीत काल कट करके सबसे पहले रजत को काल करता है।

रजत काल ही नहीं उठ रहा था तो उसने वहां जो दो आदमी थे उन्हें काल किया, तो वहां भी कोई नहीं उठाया। उसे लगा कुछ तो गड़बड़ है तो उसने अपने सभी आदमियों को सब साफ करने और अपने सभी अइडों को छोड़कर किसी दूसरी जगह जाने को कहा। फिर वो अपना पासपोर्ट लेकर निकल गया एयरपोर्ट, किसी दूसरे देश में जाने के लिए। वो अभी एयरपोर्ट पर उत्तरा ही था की उसके आदमी काल आया।

गुन्डा- "बास काम हो गया, सभी को उड़ा दिया है..."

रजीत- "ठीक है। अब एक काम और करो। रजत के क्लिजिक जाओ, और देखो वो कुछ परेशानी में तो नहीं है? क्योंकी वो मेरा काल नहीं उठा रहा है.."

गुन्डा- ओके बास।

काल हो जाने के बाद रंजीत 15 के बाद जो दुबई की फ्लाइट थी उसमें दुबई निकल गया। कुछ घंटे के बाद जब बो दुबई में उतरा और बाहर आकर उसने अपना फोन देखा, जिसमें उसके आदमी की कई मिस काल थी। ये देखकर वो वापस काल किया।

रंजीत- हेलो क्या हुआ?

गुन्डा - "बास बुरी खबर है। किसी ने बास को मार दिया और उनके आदमियों को भी..." रंजीत को पहले ही लग रहा था कुछ तो ऐसा हुआ है।

रवि- "ठीक है। इसे भी उड़ाकर अंडरग्राउंड हो जाओ, और जब तक मैं काल नहीं करता काई बाहर मत आना समझे?"

गुन्डा- ठीक है बास।

यहां दुबई के किसी होटल में आकर वो सोचने लगता है- "अब ये नया दुश्मन कौन आ गया मेरा? जो खेल मैंने पोलिस से खेला की उसे किसी ने नहीं देख था, वैसा ही खेल अब वो दुश्मन खेल रहा था। क्योंकी जीत नहीं जानता था की वो कौन है? कैसा दिखता है? वो पूरे टेन्शन में था। लेकिन यहां आकर अभी के लिए और अपने लिए रिलैक्स था की यहां उसे कुछ नहीं हो सकता और वो बच गया। क्योंकी वो अपनी किसी भी जगह नहीं था।

वो मुंबई में भी किसी होटल में नहीं था, इसलिए बचा गया..."

अब वो आगे क्या करे? उसे समझ नहीं आ रहा था। फिर उसने सोचा की वो सेफ है तो उसने अपने आदमियों को काल करके ये पता करने के लिए कहा की ये किसने किया है? फिर उसने अपना फोन बंद करके फेंक दिया कहीं उसका काल ट्रेस का हो रहा हो।

अब चलते हैं बी.डी. की तरफ मैं घर जाने के लिए निकल गया। लेकिन कपड़ें फिर खन में सन गये थे, तो फिर वहीं किया और उसी माल की शाप से बेचारे का दूसरा स्टेच्यू भी उठा ले गया। उसकी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा है? लेकिन इसकी माँ का... साला स्पीड की वजह से फीमेल का ले आया। फिर गया अबकी बार शाप के आगे जो पुरुष इस थी वो लाया। खून बाले कपड़े बहीं फेंके और लाए हए कपड़ों को पहनकर निकल गया। रास्ते में हाथ मैंह भी धो लिया और घर आकर डोरबेल बजाई। दरवाजा झुमरी में खोला। वो कुछ बोलती उसे पहले भागकर अपने रूम में आ गया।
अब वैसे भी कोई टेन्शन नहीं थी। सब सेंट कर दिया था। सब मेरे प्लान से ही चल रहा था तो सो गया। फिर काई 8:00 बजे उठा। लेकिन उससे पहले नीचं कुछ हुआ था, उसके बारे में डिनर टेबल पर माम और बाकी सब बात कर रहे थे।
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
हुआ ये था की जब मैं रूम में आकर सो गया था। तभी शहर में एक के बाद एक बाम्ब धमाके हुए और ये कोई छोटी बात नहीं थी, और जब सभी ने न्यूज देखी तो उन्हें पता चला की एम.एल.ए. के साथ हमारा फॅमिली डाक्टर भी मारा गया, और ये भी बता रहे थे की सिर्फ एम. एल. ए. और एक सूनसान जगह भी बाम्ब ब्लास्ट हुआ। यहां भी कुछ लाशा के चीथड़े मिले हैं, पर किसी को पता नहीं की यहां कौन रहता था?

फिर मेरे दिमाग में तांत्रिक लोल है कौन? उससे मिलने की इक्षा हुई। लेकिन कहां ट्रॅदं साले का? समझ ही नहीं आ रहा था। लेकिन मैंने फिर ज्यादा नहीं सोचा और फ्रेश होकर नीचे डिनर के लिए आ गया और डिनर किया। फिर मैं रूम में आ गया। जब सभी गम चले गयें तो मैं नीचे गया जहां झुमरी किचन में काम कर रही थी। मैंने उसका काम बही नंगी करके कर दिया और पानी उसकी चूत में छोड़ दिया, फिर वो वापस लग गई अपने काम में।

फिर मैं चंदा के पास गया जो बैंड पर आराम कर रही थी तो मैंने उसे लण्ड की मसाज दी। वो मना कर रही थी की अभी नहीं, अभी वो ठीक नहीं हुई है। पर में कौन सा उसके रोकने से रुकने वाला था। उसकी बजाने के बाद मोम के बेडरूम में गया। जहां वो लेटी हुई थी, पर साई नहीं थी तो मैं उनके ऊपर भी चढ़ गया, तो शुरु हो गई चुदाई। अपना पानी उनकी चूत में इलकर मैं फिर अपने रूम में आकर सो गया।

सला मेरे इस काम में 3 घंटे लग गये थे। फिर मस्त नींद के साथ सो गया। फिर रोज की तरह झुमरी उठकर तैयार होकर नाश्ता बनाने में लग जाती है। मैं तो लेट ही उठता हैं, सभी के उठाने के बाद। ये बात अलग है की जब वो बी.डी, नहीं था, तभी जल्दी उठा करता था। लेकिन उसके बाद तो लेट ही उठता हैं।

मैं जब तैयार होकर नीचें आया तो देखा सब काफी पीते हुए टीवी देख रहे हैं, जहां वही कल वाली बाम्ब की न्यूज आ रही थी। उसमें बता रहे थे की अभी तक हमारे शहर की पुलिस इसके बारे में कुछ भी पता नहीं कर पाई है। मैंने सोचा- "जब मुझे अब तक कोई ट्रॅट नहीं सका, तो इसके बारे क्या पता करेंगी? उन्हें अभी मस्ती से आराम करने दो, और मैं अपना काम और नाम कर लूंगा तब तक हाहाहाहा..."

फिर मेरा दिन शुरू हवा। घर में जिसको चोदना था उसे चोदा और रवि के घर जाकर उसकी मोम और बहन को। क्योंकी वो तो अभी स्कूल में था।

फिर गया ण के घर वहां भी उसकी चुदाई कर ही रहा था की अचानक वहां उसकी माम मोना आ गई। अब ये तो पहले ही पूरी चुदक्कड़ श्री। लेकिन अपनी बेटी को उसके बास के बेटे से चुदते देखकर उसे भी मस्ती चढ़ने लगी। वो चुदासी हो गई। मुझे येणु को चोदते देखकर उसे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा। तभी दरवाजा पर मेरी नजर गई तो वो भी प्यासी नजरों से मुझे अपनी बेटी की ऐसी बुरी तरह चुदाई करते देखकर अपनी चूत को अपनी शार्ट को ऊपर करके मसलने लगी थी।

रेणु तो अपनी चुदाई में मस्त होकर आहे भरती हई दो-तीन बार पानी छोड़ चुकी थी। फिर मैं माना का कमीनी स्माइल देकर उसे भी शामिल होने के लिए इशारा किया तो, वो तो जैसे इसी का इंतजार कर रही थी। बस फिर क्या था? शुरू हो गई दोनों की पेलाई। उन्हें तो अभी चुदाई में पता नहीं था वो किसके साथ ये सब कर रही हैं? ये अलग बात थी दोनों मोम बेटी आपस में बोल्ड थी, लेकिन सेक्स करना अलग बात है। मैं उन दोनों की चतों में पानी छोड़कर निकल गया कालेज।

जब दोनों हबस के नशे बाहर आएंगी तब क्या होगा? वो बही जाने, छोड़ो उनको। मैं चला स्कूल। वहां जाकर मीनाक्षी मेडम को बजाया उनकी केबिन में, और घर आकर आराम किया। अब स्कल जाकर पड़ने का फालतू का टाइम खराब नहीं करता था। सिर्फ सेक्स के लिए जाता और फिर मौका देखकर किसी की भी ले लेता।

ऐसे ही मेरे दिन निकल रहे थे और कब एक महीना निकल गया, पता ही नहीं चला। और इस एक महीने में मैंने किसको कितना चोदा पता नहीं? और मेरे बारे में अब शहर के साथ जल्म की दुनियां यानी अंडरवल्र्ड में भी अब मेरे बारे में खौफ बढ़ रहा था। लेकिन अभी तक सभी को मेरा नाम नहीं मालूम था। सभी सिर्फ मुझे एक हत्यारे के रूप में जानते थे। अब मैं भी क्या करता, साला अभी तक कोई मस्त नाम नहीं मिला था।

अब बस इंतजार था तो सिर्फ रंजीत का की कब वो आए और मैं उसे मारकर यहां अपने नाम की हकमत फैलाना चाहता था।

फिर एक दिन मुझे ये मौका भी मिल गया। जब रंजीत इतने दिन बाद वापस आ रहा था, क्या सोचकर ये मुझे नहीं पता था। रति को जीत के अब वापस ना आने पर उसे टेन्शन नहीं थी तो, वो अब सेक्स के मजे के साथ मजे से जी रही थी। क्योंकी अब उसकी हवस भी परी बाहर आ गई थी, जिसे वो खूब मजे से मस्ती से सेक्स करके अपनी खुजली मिटाती थी।
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_47
रंजीत एक महीने बाद वापस मुंबई आ रहा था और उसने अपने सभी आदमियों को सभी हथियारों और सभी माल को लाने के लिए एक बड़ी जगह पर जहां ये सब सुरक्षित थी वही बुला लिया। अब उसमें डर नहीं था, जो रजत और एम. एल.ए. के मरने से उसे लगा था।
इतने दिनों बाद जब जीत को ये एहसास हुआ की अरे वो तो एक मामली से इंसान से ही इर रहा था। एक साथ उसके दो लोगों के मारने से थोड़े टाइम के लिए सठिया गया था, और होता भी कैसे नहीं? क्योंकी उनमें से एक उसका दायां हाच एम.एल.ए. काला था, तो दूसरा उसका पार्टनर रजत था।

अब ऐसे टाइम में दोनों का कुछ मिनटों में मईर होना खौफ तो पैदा करता ही है, और वैसे भी जो गलत करता हैं उसे तो इप होता ही है। फिर जब उसे इस बात का एहसास हुआ की वो बिना वजह ही इर वहाँ है। माना की देखा है, लेकिन वो रंजीत को तो नहीं मार सकता है। उसके पास एक मिशाच की कुछ शक्ति है और कुछ काले मंत्र, जिसमें वो बहुत कुछ कर सकता है। अब इतना होने पर भी डरेगा क्या? ये सोच कर हाहाहाहा... करके हँसने लगता है। आज इतने दिनों बाद वो अपनी कमीनी हँसी हैंसा था, वरना टेन्शन के मारे क्या करें क्या नहीं? कैसे बचें ये सब सोच-सोचकर उसके दिमाग की गाण्ड मार ली थी उसनें। अब वो मस्त था।

फिर उसने अपने सभी आदमियों को अपने एक नये अड्डे पर पूरे माल के साथ बुलाता है। उनके आने और सब सेंट होने के बाद आज एक महीने और 6 दिन बाद वो मुंबई आ रहा था परे प्लान के साथ। वैसे उसे अपने शक्तिशाली होने का याद आने के बाद, उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं थी।

रंजीत- "पकिया, सब सेंट है ना... और पूरा माल है की नहीं? सभी आदमी आ गये की नहीं?" पकिया पंजीत के गुन्डों का हेड था, वो इसी को हर बार आईर देता था।

पकिया- हाँ बास सब आ गये और पूरा माल भी है।
रंजीत- ठीक है। अब उसमें भी खेल लेते हैं। साला मुझसे खेल रहा था, अब में खेलंगा हाहाहा.."

पकिया- बास प्लान बन्या है?

रंजीत- "अभी तक बो प्लान बनाकर अकेला देखकर मेरे आदमियों को मार रहा था, अब उसे वैसा ही चारा डालूंगा..."

पकिया- अपुन के कुछ भी समझ नहीं आया बास।

रंजीत. "अबे भोसड़ी के... तभी मैं बास हूँ। सुन मेरे यहां अकेले होने की खबर फैला दो। वो खुद मुझे ट्रॅटता हुआ यहां आएगा और हम सभी उसका यहां शिकार करेंगे समझा?"

पकिया- "हाँ बास, मस्त प्लान है। अब साले की गाण्ड मांगी हाहाहाहा..."
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में ऐसे ही इनको चोदने में लगा रहता हैं दिन रात। पूरा मजा आता है पर अभी तक उन्होंने गौर नहीं किया था। लेकिन सभी प्रेग्नेंट हो गई थी। जिसका उन्हें पता ही नहीं चल रहा था इस हवस के खेल का खेलते-खेलते, और अब भी लगे हुए थे।

अब 15 दिन निकल चुके थे, और सुबह का नाश्ता कर रहे थे की तभी रंजीत का काल आता है।

मैं- हेलो।

रंजीत, राज?- "हेला बॅटे, कैसे हो?"

मैं मन में- "तेरी मोम का चोद रहा ह साले। कहा है आजकल? फोन किया है तो कुछ बात जरूर होगी। पता करता हूँ.."

मैं- ही डैड... कैसे हो और कहाँ हो?

रंजीत- मैं अभी इंडिया में ही हूँ, और यहां एक काम से बाहर हूँ। कुछ दिन में आ जाऊँगा।

उसके इंडिया में होने का सुनकर मैं अपने काम को पूरा करने के लिए, यानी इसकी जान लेकर अपनी हकूमत करने के लिए इसका आना जररी था। चलो आ गया, अब मैं अपना काम पूरा कर सकता है।

रंजीत- "अरे क्या हुआ कुछ बोल नहीं रहा?"

मैं वो कुछ नहीं। यह आपका नंबर तो नहीं है। और आपका नंबर भी बंद बता रहा था, ये सब क्या चक्कर है?"

रंजीत- "बो.. वो मेरा फोन पानी में गिर गया तो मैंने नया नंबर ले लिया है। अब यही नंबर है। ठीक है?"

मैं- ओके बाइ।
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
काल काटकर मैं इस कंपनी में काल करके ये बोलता है की मेरा ये फोन चोरी हो गया है क्या आप इसका अभी क्या लोकेशन है बता सकते हैं? उसने भी मुझे बता दिया जिससे मेरे चेहरे पर एक कमीनी स्माइल आ गई। फिर जब मैं डिनर टेबल की तरफ देखा तो सब मुझे घर रहे थे।

में -क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो?

मोम- ये तू किससे ऐसे बात कर रहा था?

मैं- अरे वो तो मेरे दोस्त के डैड थे। उन्हीं से बात कर रहा था।

फिर सभी डिनर करते हैं। ऐसे ही टाइम हो जाता है। फिर मैं रोज जो करता वो करता हैं, जिसमें 6 बज जातें है। मैं वहां रात में जाने का सोचा था। अब रंजीत यहां होगा तो उसके कुछ आदमी भी तो होंगे, इसलिए मैं रात को जाकर सभी को मस्त मार सकता था।

"धड़ाम्म... आह्ह... सीईईई...

वो क्या था कि 7:00 पीयम हो रहे थे, और मैं यही सब सोचते हए जा रहा था की रिया दीदी भी अपने गम में आ रही थी और हम दोनों का ध्यान नहीं था, जिससे हम टकरा गये और मैं उनके ऊपर गिर गया। अब मेरी सभी बहनें कपड़े इतने छोटे पहनती है की क्या कह?

बस फिर क्या था। जिससे मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी चूत को लगा, और उनकी सिसकी निकल गई और मेरी लाटरी।

फिर रात को ऐसा कुछ हुवा की सब कुछ बदल गया और अलग दिन जब मैं उठा तो मेरी पूरी बाही बदल गई थी। अब मेरा जिश्म पत्थर की तरह था, आँखें अब पूरी बदली हुई थीं। मैं नंगा जाकर तैयार हुआ। फिर आज सब जल्दी करके में निकल गया जीत के अड्डे पर। अपने एक नये शैतान के रूप में। आप सभी को भी देखना हैं तो देखो।

जब मैं वहाँ गया तो देखा की एक बड़ी पानी फैक्टरी के जैसे थी, जहां सिर्फ मुख्य दरवाजे पर सिर्फ दो लोग थे बस। लेकिन अंदर फैक्टरी के लिए जैसे कोई चीज नहीं थी। बस एक केबिन था मस्त और कुछ नहीं। में बाहर से ही ये सब देख रहा था। मुझे ये सब दिख रहा था और ये भी की कैसे ये सब मुझे लालीपाप देने के लिए परे तैयार है।

में भी उनकी साथ मजे लेते हुए तेजी से दोनों का मारा और उनके हथियार लेकर चल दिया अंदर। लेकिन यहां कोई नहीं था, तो आगे चल दिया। जैसे ही मैं बीच में आया चारों तरफ से हाथों में गन लिए गन्डों ने मुझे घर लिया। मैं खड़ा रहा। ये देखकर मैं बिल्कुल नहीं चकित हुआ था। क्योंकी ये सब में पहले ही बाहर से देख लिया था। मुझे सब पहले ही दिख गया था की कैसे में लोग छपे हुए हैं।

फिर एक आदमी हँसता हुआ आया। अरें ये क्या ये तो रंजीत था।

रंजीत- "हाहाहा... अरे कितना बड़ा चतिया है रे त, मेरे दो लोगों को मार दिया। मैं समझ तो त कोई बड़ी चीज होगा। साला ये तो चूतिया निकला हाहाहाहा... बड़ी आसानी से मेरे हाथ लग गया हाहाहा... अब देख मैं तेरा क्या हश्र करता हूँ?"

मैं- "एक मिनट... ये क्या पार? मेरे नकली ईंड राज, उर्फ ओरिजिनल जीत नापर, उर्फ 2 मेन डान आफ मुंबई, ये क्या त तो अभी तक मुझे पहचाना ही नहीं। लगता मुँह साफ करना ही पड़ेगा.."

रंजीत और सब मेरी बात सुनकर चौंक गये। अब मेरी आवाज बदल गई थी। इसलिए रंजीत मुझे नहीं पहचान सका। फिर मैंने रूमाल से चेहरा साफ किया। साले चतिए की वजह से मेरा लक बिगाड़ना पड़ा था। फिर जब में अपना मुँह ऊपर किया तो मुझे देखकर उसे एक बड़ा झटका लगा। लेकिन फिर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, और मैं जानता था वो क्यों आ रही है?

रंजीत- "हाहाहा... तो तू सब जान गया। लेकिन अब तू मेरा कुछ नहीं कर सकता। साला तभी मैं सोच की मैं उसे देख क्यों नहीं पा रहा हैं? लेकिन अब नहीं। अब मैं सब समझ गया। लेकिन मैं ये भी जानता हूँ की तू इतना भी शक्तिशाली नहीं है की मुझसे टकरा सके। चलो तेरे बाप की तरह तू भी मेरे हाथों मारा जाएगा हाहाहाहा.."

मैं- "अबे गान्ड... मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की तने किसे मारा किसे नहीं? और वैसे भी मैं किसी एक से कहां हुआ है। तू मुझे क्या मारेगा। तू क्या कुछ शक्ति रखकर मुझसे पंगा लेंगा... मरेगा तू आज मरेंगा हाहाहा..."

मेरी बात सुनकर उसे कुछ अजीब तो लगा, और डर भी। फिर उसने अपने 150 गुन्डों को मुझे मारने के लिए बोला। जिससे सभी मुझपे गोलियां चलाने लगे। लौकज गोलियां लगकर नीचे गिर रही थीं। ये देखकर सब कि आश्चर्य लगा। पर सबसे बड़ा झटका रंजीत को की मेरे को कुछ हो क्या नहीं रहा है? यहां तक की गोलियां मुझे छतें ही नीचे गिर रही है, उसके साथ तो ऐसा नहीं होता था। में अलग बात है गोली से वो मरता नहीं था, लेकिन गोली जैसे ही उसे लगती तो उसके जिश्म में चली जाती थी, और जहां लगती थी वहां गोली का घाव के साथ निशान हो जाता था, और देखते ही देखते सब सही हो जाता था। पर मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था, बल की मुझे तो गोली सही से छू भी नहीं रही थी।

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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_48
मेरे साथ उसके जैसा कुछ भी नहीं हो रहा है, ये सब सोचकर जीत को अब डर लगने लगा की मेरे पास इतनी शक्ति कहां से आई? फिर वो मेरी तरफ देखता है।

मैं सभी के गोली चलाते रहने पर, और मुझे कुछ न होने पर सभी आश्चर्य में थे। फिर मैं अपने हाथ के इशारे से नीचे पड़ी सभी गोलियों को हवा में उठा देता हैं। आँख के इशारे से वो सभी गोलियां तेजी से गोल-गोल घमने लगती हैं। सभी ये देखकर भूत-भूत कह भागने लगते हैं। लेकिन गोली से तेज नहीं भाग पाए। वो क्या है की उनकी भागते ही मैंने उन सभी गोलियों को उनकी तरफ फेंक दिया हाथ के इशारे से। जिसमें सभी को गोलियां लगती गईं, वो भी इतनी की यहां खून में पूरा लाल हो गया था।

रंजीत मुझे ऐसा करते देखकर इर रहा था। फिर उसे अपनी शक्ति को याद किया तो उसने मुझे अपनी स्पीड दिखाईं, यानी जब में सामने देखता तो वो वहां से तेजी से कभी इधर तो कभी उधर हो जाता। ये देख कर मैंने उसे अपनी कमीनी स्माइल दी। फिर में उसके साथ अपनी स्पीड दिखाई। उसे तो बस हवा का तंज झोंका ही महसूस हो रहा था। फिर मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

उसने आग का एक गोला फेंका, पर मैंने कुछ नहीं किया। वो मुझसे टकराकर दम तोड़ दिया। ये उसके सबसे शक्तिशाली शक्ति में से था, तो अब उसकी और फटी। उसने कुछ और करने की कोशिश की तो मैं उसका हाथ क्या उसे पू को ही अपने हाथ में रोक दिया, और थोड़ा हवा में उठाकर नीचे छोड़ दिया।

रंजीत धड़ाम की आवाज के साथ नीचे गिरा, और तेज आहह... के साथ दर्द से चिल्लाया। फिर कुछ देर रोने के बाद मुझसे दर्द और डर के साथ बोला- "तुम्हारे पास इतनी शक्ति कहां से आई? आह्ह..."

मैं- चल मरने से पहले दर्द से रोते हुए मेरी कहानी सुन। वो क्या है की कल 7:00 बजे में तेरे ही बारे में सोच रहा था की कैसे कर सब? मुझे रात होने का इंतजार था। क्योंकी तभी में इतना शक्तिशाली नहीं था, या ये कहाँ मेरी फ्री शक्ति आक्टिव नहीं हुई थी।

यही सब सोचते हए जा रहा था की उधर से रिया दीदी आ रही थी। अब तुम थे नहीं, लेकिन सब इतने छोटे कपड़ों में और अंदर से नंगी होती थीं। बस दोनों का ध्यान नहीं था तो टकराकर गिर गयें। मेरा तो हाथ सीधा उसकी नंगी कवारी चूत पे जाकर लगा। उसकी तो इसी में आ निकल गई।

मैं समझ गया की ये तो पूरा हाट माल है। बस फिर क्या था? मैं वैसे ही पड़े हुए उसकी चूत रगड़ने लगा। वो मजे से आहे लेती रही। मैं दूसरे हाथ से उसकी नंगी गाण्ड भी दबाने लगा। वो क्या उसकी छोटी सी स्कर्ट तो गिरतं ही उसे पूरा नंगा कर दी थी। इतने में रति की आवाज आईकी डिनर तैयार हैं। जिससे मुझे गुस्सा तो बहत आया साली की अभी जाकर गाण्ड मारग रगड़ के। लेकिन फिर सोचा साली इसके अलावा 3 और माल हैं। अगर यही करने लगा तो उनकी कैसे मिलेगी?

यही सोचकर उसे अलग किया और कहा- "रात को गम में आना..." रिया तो पूरी गरम थी, हाँ बोल दी।

फिर नीचे आकर सभी डिनर किए और फिर सब सोने चले गये। अरे मैंने तो तुझे बताया ही नहीं साले की तर्ने तो झुमरी की लेने में इतनी देर किया। मैंने तो उसकी और उसकी बेटी की फाड़कर रख दी, और रति की तो तुझे पता ही है। लेकिन ये दिन पता होगा। अब वो खुद भी मजे लकर रोज चुदती है मेरे लण्ड में तो उसे कितना मजा आता है। तुझ जैसे लल्ली वाले क्या जाने साले गान्डू? सोच मेरी वजह से तू इतने साल तक रति के साथ सोता रहा राज बनकर, लेकिन फिर भी त उसके साथ कुछ नहीं कर पाया मंग बजह से। तो साले सोच की तू मेरी अब क्या झांट का बाल भी उखाड़ सकता है क्या? हाहाहाहा।

मेरी चुदाई की बात सुनकर रंजीत की गाण्ड ऐसी जली जैसे साले की गाण्ड में गरम सरिया डाल दिया हो। अब जिन्हें कोई इतने सालों से चोदने के सपने और जाल बिछाए, और चोद काई और जाए, तो ऐसा ही होगा ना?

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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
पलैशबैक

- कल रात का फिर मैं डिनर कर के रूम में आकर सबके साने का इंतजार करने लगा। जब सब सो गये तो रिया दीदी के रूम में चला गया। साला अब मुझसे और रुका नहीं जा पा तो दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया और जैसे ही घूमा तो अंदर का नजारा देखकर लण्ड खड़ा होकर गोलियां चलाने लगा। अब इसमें इसकी क्या गलती थी? वो क्या है की रिया रात के लिए जो पहनी हुई थी, वो ऐसी थी की जब वो नीचे झुक कर कुछ उठा रही थी, तभी मुझे उसकी गोरी कुंवारी चूत साफ दिख रही थी। क्योंकी रकम में पूरे लाइट जली हुई थी, जिससे दिन की तरह साफ नजर आ रहा था। और ये ड्रेस तो ऐसी थी की सीधी खड़ी भी होती तभी भी थोड़ा सा भी इधर-उधर होने पर उसकी चूत के फूले हुए मोटे होंठ साफ-साफ दिख ही जाएं।

रिया जो भी कर रही थी उसे करके वो बालकनी में आकर गई खड़ी हो गई। यहां हवा के चलने से उसकी ड्रेस उड़ रही थी, जिसमें उसकी चूत का मस्त नजारा साफ दिख रहा था। मैं जाकर उसके पीछे खड़ा होकर अपना लण्ड उसकी गाण्ड में अपने शार्ट के साथ ही घुसाने की कोशिश करने लगा। वैसे भी वो तो नंगी ही थी। वो भी समझ गई की मैं ही हैं और क्यों आया हैं? वैसे भी उसी में मुझे उसकी चूत मारने का इन्विटेशन दिया था। जिससे मजे लेते वो अपनी गाण्ड पीछे मेरी तरफ करके झक के खड़ी हो गई, तो मैं भी उसकी चूत को पीछे से रगड़ने लगा। वो मजे से आहे लेने लगी। फिर मैं उसे घुमाकर उस किस करने लगा। वो भी मुझे किस करने लगी। पर ये दोनों किस हमारी या ये कहाँ मेरी अब तक की सबसे अलग थी। इसमें तो जैसे मेरा बहसीपन साफ दिख रहा था, जिसे बो भी एंजाय कर रही थी।

पर इससे हमें अजीब लग रहा था जैसे कुछ और ही रूप है हमारा। पर अभी तो हमें इससे कुछ लेना देना ही नहीं था। कुछ देर के बाद मैं उसे उठाकर बेड की तरफ चल दिया। अब मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा था। ऐसा नशा किसी के साथ नहीं था। हाँ ये जप था की रति के साथ ऐसा जर लगा, पर इतना वहसीपन कभी नहीं आया था। उसे लेकर बेड पे साथ ही गिर गया और उसकी गर्दन पकड़कर उसके मुँह को जीभ निकालकर चाटने लगा। जैसे आप समझ ही गये होंगे की उसे भी बड़ा मजा आ रहा था इससे, और वो भी बड़ी अजीब लग रही थी मुझे।

कुछ देर के बाद मैंने उसके कपड़े जार से खींचकर निकाल दिए। जिससे वो फट भी गये थे। पर इसमें दोनों को कुछ फर्क नहीं पड़ा। क्योंकी दोनों पे तो हवस के बहसीपन के नशे में चूर थे। फिर मैं उसकी चूचियां मसलने लगा जोर-जोर से। उसकी चूचियां ऐसी श्री जैसे सालों से किसी न इसे ख्वा भी ना हो। फिर नीचे आकर उसकी चूत देखी, तो क्या मस्त चूत थी उसकी। मैं तो उसे देखकर पागलों की तरह चूसने और काटने लगा। जिससे रिया तो चंडी को तरह जोर-जोर से चिल्लाए जा रही थी मजे में। कोई और होता तो दर्द से ऐसा करती। और कुछ देर बाद ही वो मुझं नीचे लिटाकर खुद अपनी चूत मेरे मुँह पर रखकर मजे से चूत चटवाने लगी।

रिया- "उहह ... आअहह ... मजा आ रहा है... साले कुत्ते कितना मस्त चूस रहा है... आअहह... मजा आ रहा है...'

कुछ देर चूत चटाई के बाद में उठकर अपनी शार्ट उतार कर अपना लण्ड उसकी तरफ किया, तो वो जल्दी से मेरे बोलने से पहले ही लण्ड पकड़कर उसे चूसने लगी, जैसे एक्सपर्ट बो रंडी को भी फेल कर रही थी लण्ड चूसने में। मैं तो बता ही नहीं सकता की क्या मजा आ रहा था। वो कभी गोटियों को तो कभी लण्ड के टो को तो कभी आधे लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थी।

मैं- "आह्ह ... साली क्या चूस रही है आह्ह... ऐसा नशा, ऐसा मज्जा... आह्ह.."

ऐमें ही लण्ड चूसने के बाद मैंने उसे उठाकर घोड़ी बना दिया। क्योंकी अब में ऐसे ही उसकी चूत फाड़ने वाला था। पर इन सब में मुझे में नहीं पता था की मेरा चेहरा कभी बदलकर कुछ और ही दिखा देता था, जिसका मुझे कुछ एहसास ही नहीं था। लेकिन जब मैं रिया की चूत फाड़ने के लिए जैसे ही उसके पास आया, तो उसने मेरी तरफ देखा, जिससे मेरा चेहरा देखकर वो डर गईं। पर वो कुछ करती उससे पहले ही मैंने उसकी चूत में लण्ड पकड़कर तेज-तेज शक्तिशाली धक्के मार दिए। जिससे उसकी चीख गले में ही रुक गई, और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत की धज्जियां उड़ाता हुआ पूरा अंदर चला गया।

फिर मैं बिना रुके दनादन चादने लगा। मुझे परे मजा आ रहा था। लेकिन अभी तक की सभी लड़कियों और औरतों से तेज निकलकर उन्हें मुझे गमली देने में टाइम लगा था मेरे चोदने के बाद। पर ये साली तो... पूरा लण्ड जाने के बाद मैंने बस एक दो धक्के ही मारे थे की इसकी पूरी आवाज निकलने लगी, पर साली लण्ड निकालने को नहीं बोल रही थी।

रिया- "साले मादरचोद... तेरी मोम की चूत कुत्ते... आराम से नहीं फाड़ सकता था आहह... मेरी बरसों की कुँवारी चूत को तने कितनी बुरी तरह फाड़ा है..."

ऐसे चोदने के बाद में उसे लिटाकर चोदने लगा। रिया तो पर मजे से चुद रही थी। फिर उसकी टाँग उठाकर चोदना शुरू किया। लेकिन मैंने या उसने एक बात पर गौर नहीं किया की हम दोनों अभी चुदाई और हवस के नशे में थे। जिससे किसी को भी ये नहीं दिखा की रिया की चूत फटने से जो खुन निकाला था, उसे मेरे लण्ड के पीते ही मेरा चेहरा अब बदल रहा था, जिसे देखकर रिया डर गईं।

मेरा बा चेहरा ज्यादा इरावना रहा था, या ये कहाँ को मेरा पहले वाला चेहरा सिर्फ कम ही आ रहा था।

रिया- "आहह... चाद और जोर से चोद... साले मजा आ रहा है मस्त लण्ड है तेरा माधरचोद.."

ऐसे ही कितनी देर चोदने में रिया दो बार पानी छोड़ चुकी थी। फिर जब मुझे लगा की अब पोजीशन चेंज करनी चाहिए तो में नीचे लेट गया और वो मेरी तरफ मह करके लण्ड पे करने लगी। ये साली अब तक की सबसे तेज लड़की थी। मुझे मजा आ रहा था।

फिर जब रिया उठकर मेरी तरफ पीठ करके फिर से लण्ड पे कूदने लगी, तब मैं तो चूत के मजे लेते हुए आराम से लेटा हुआ था। फिर जब मैंने नीचे से धक्का मारते हुए आँख खोलकर देखा तो मुझे रिया की पीठ पर एक भतनी जैसे बर्थमाकं या पक्का टैटू जो बनवाते हैं, वैसा दिखा। ये मेरे लिए पहला आश्चर्य था। क्योंकी मैंने पहले कभी भी रिया के यहां ये टैट्र नहीं देख था। जब उसकी पीछे से पूरी पीठ दिखती थी वैसी सेक्सी ड्रेस पहनती थी। फिर मुझे उसका चेहरा भी कुछ देर में अजीब सा होने जैसा दिख रहा था। लेकिन उसकी कसी हई चूत की वजह से मैं इस गौर नहीं कर पा रहा था।

रिया- "आहाँ हाँ छोद जोर से चोद.. मा के लौड़े आहह..

अब शायद वो अपना पानी छोड़ने के करीब थी, और में भी इसी के साथ नीचे से तेज-तेज और लंबे धक्के मार रहा था। जिससे वो अकड़ कर पानी छोड़ दी, और उसके कुछ देर बाद ही में भी पानी छोड़ दिया। फिर लण्ड निकालकर थोड़ा उसके चेहरा पे गिराया।

फिर रिया मेरा लण्ड चूस रही थी की एकदम से अचानक अंधेरा हो गया और कुछ देर के बाद जब उजाला हुआ तो, मेरे सामने कुछ दूरी पे 4 अलग-अलग तरह की सेक्सी ड्रेस और बाड़ी वाली कोई अजीब सी 4 खतरनाक और डरावनी लड़कियां खड़ी थी। उसे देखकर अगर आदमी का मत निकल जाए तो उन्हें ऐसे देखकर लण्ड भी खड़ा हो जाए।
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***
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
वो क्या है की हुआ कुछ ऐसे था की जब बी.डी. रिया की चूत में पानी छोड़ने के बाद अपना लण्ड बाहर निकालकर उसकी चुचियाँ पे पानी गिरा रहा था, जिसे रिया चसकर साफ कर रही थी। तभी उसका चेहरा बदलने लगा, जैसे किसी कंकाल की खोपड़ी हो, जो मुँह फैलाकर अजीब सी हरकत कर रही थी।

और जब मैं रिया के साथ सेक्स कर रहा था, तभी बाकी 3 बहनें भी जैसे सेक्स हो रहा हो ऐसा महसूस कर रही थीं। जिससे वो भी अब तक रिया जितना ही झड़ चुकी थी। फिर रिया के उपर जैसे ही आखीर वाला पानी छोड़ने के बाद मैंने उसके अंदर पानी छोड़ने के बाद उन तीनों की बाडी भी रिया के जैसे अलग-अलग बदलने लगी।

डाली के बाल बड़े होकर एक लंबी चोटी बन गयें, तो मिशा के काले पंख आ गये, और नैना के पैर किसी पक्षी के पंजो जैसे, और वो मिशा की तरह हवा में थी बिना पंख के भी, और एक कमीनी स्माइल के साथ तीनों कुछ समझकर अपनी कमीनी हसी के साथ यहां रिया के रूम में आ गईं, जहां रिया कंकाल के जैसे थी।

01. चिकनी- एक डायन (डाली) 02. मची- एक बेताल (मिशा) 03. गप्पी एक चुडैल (नैना) 04. उकी एक भूतनी (रिया) में इन चारों को इसलिए नहीं पहचाना, क्योंकी सबके चेहरे अलग थे और उनकी कपड़े और वो लोग भी, ऊपर बताया जैसे लग रही थी। ये सब मैंने सिर्फ कुछ सेकेंड ही सोच था की मेरी बाड़ी में भी चेंज आने लगा। मुझे हल्का सा दर्द हो रहा था बस। मैं बड़ा अजीब हो गया जिसका मुझे अंदाजा भी नहीं था।
....
जब मैं अब अपने अंदर बहुत शक्तिशाली महसूस कर रहा था जिसे कैसे करना है वो भी, और इतनी और ऐसी शक्तियां महसूस करके मैं तो उसके नशे में खो ही गया था।

उनमें से एक बोली- "कैसे हो खूनी शैतान?"

में उसकी आवाज से होश में आया- "कॉन हो तुम सब, और रिया कहां है और क्या नाम बोला तुमने?"

बा यानी चिकनी फिर बोली- "हम सभी एक तरह से तुम्हारी माम ही हैं..." और बाकी 3 में से एक की तरफ इशारा करके- "ये रिया ही है, पर ये असली में रिया नहीं थी। बल्की ये तो कोई और है। ये ही नहीं तुम्हारी सभी बहनें यानी अबी की सभी बहनें तो कब की मर चकी हैं। ये सभी तो हम चारों ही थी."

मैं उसकी बात सुनकर पर आश्चर्य में था।

चिकनी मुझे देखकर अपनी कमीनी स्माइल दे रही थी- "हाहाहाहा.. क्या हुआ इतने से ही चकित हो गये? तुम्हें पता है तुम क्यों और कैसे हुए? तुममें इतनी शक्ति क्यों है पता है?"

मैं- "नहीं। क्या तुम जानती हो? और जब तुम कह रही हो की तुम सभी मेरी मोम हो और तुम सभी दिखने में भी अलग और शक्ति वाली हो तो मुझमें में शक्ति भी तम्हारी वजह से आई होगी..."

चिकनी "यं सिर्फ मेरी ही नहीं बल्की हम चारों के साथ और भी लोगों की शक्ति है, जिससे तुम इतने शक्तिशाली हो गये हो, हाहाहा... ये सब मेरी नहीं बल्की हमारे मालिक तांत्रिक लोल के शैतानी दिमाग का रिजल्ट हा तुम हाहाहाहा..."

मैं- "अबे कौन है ये साला तांत्रिक लोल? और कैसे किया और क्या किया है उसने मेरे साथ?

चिकनी "तुम जानना चाहते हो कौन है तांत्रिक लोल? और उसने कैसे तुम्हें बनाया है? तो सुनो... फिर वो उसको तांत्रिक लालू की वहां तक की कहानी सुनाती हैं जहां तक हमने पढ़ा है।
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
फ्लैशबैक में फ्लैशबैंक

फिर 6 महीने बाद वो थोड़ा सोचा की वो उन्हें कभी ना कभी तो ट्रॅट निकलेगा। लेकिन एक बहुत शक्तिशाली शैतान बनाने के लिए एक शैतानी दिमाग के साथ एक खुरापाति ज्यादा पढ़ा-लिखा दिमाग भी चाहिए और साथ हो मुझे काली शक्तियों की अलग-अलग शक्ति को अपने कब्जे में करने के लिए और तांत्रिक शक्ति और सिधियां चाहिए। 5 साल तक अलग-अलग काली-शक्तिलियों के मंत्र और शक्तियां पाने के लिए उसने अपनी कठिन तंत्र किया की जिससे उसको जो चाहिए था वो मिल गया।

अब तांत्रिक लोलू के पास काफी शक्तियां आ गई थी, तो उसने अपना काम शुरू कर दिया। यानी अलग-अलग योनियों (स्पेसीज) जो काली-शक्तियों में हो और वो उन में भी सबसे शक्तिशाली हो, उन्हें वो एक-एक करके अपनी गुलाम बनाता गया। क्योंकी एक साथ तो वो किसी भी सबसे शक्ति स्पेसीज की किसी नर या मादा को अपना गुलाम नहीं बना सकता था, तो आप भी समझ चुके होंगे की वो कितनी शक्तिशाली होगी।

ऐसे ही तांत्रिक लोलू ने 5 साल में 169 डायन, चुडैल, बैटाल और भूत आदि को अपना गुलाम बना लिया। अब उसका आधा काम हो गया था।

फिर एक दिन उसने एक आदमी (प्रोफेसर) को केमिकल का प्रैक्टिकल करते देखा, तो तांत्रिक लोलू को जैसे दिमाग की जरुरत थी वो मिल गया था। अभी जिसकी उम्र 30 साल ही थी। लालू ने उसे मार दिया, और अपने काली गह के साथ उस शरीर में घुस गया।

ऐसे ही वो इसमें रहकर बहुत कुछ कर रहा था। फिर एक दिन उसे बिलासपुर के जमींदार मनोज नायर से मिला जो अपने कामों और सोच से पूरा कमीना था। जिससे मिलकर तांत्रिक लाल और मनोज ने एक प्लान बनाया की तांत्रिक लोल उसको इस पूरे गाँव पे अपनी हकूमत कायम करने के लिए उसका साथ देगा और वो उसकी तांत्रिक क्रिया के लिए यहां के लोगों को बलि के लिए उसके पास भेज देगा। इससे दोनों खुश थे।

ऐसे ही टाइम के साथ तांत्रिक लोल में विलाशपुर के कई लोगों की बलि देकर शैतान से उसकी शक्ति का खून उससे मगा, जिसे शैतान देने लगा तो लालू ने टाइम आने पे लेने को कहा, और वो लालू की इच्छा जानता था तो वो ये जानकी खुश हो गया और उसने कहा- "जब ये पी तरह से तैयार हो जाएगा, तभी ये उसका इस दुनियां पा अपनी हकमत जमाने के लिए उसका सबसे शक्तिशाली हथियार होगा। और तांत्रिक लोल ने भी ऊपर से हँसते हुए हाँ कह दिया। लेकिन अंदर और नीचे से तो पूरा जलकर लाल हो गया। जिस सपने और मकसद के लिए उसने अब तक क्या कुछ नहीं किया उसे ये एक असुर (शैतान) साला उसका वो सब चकनाचूर करना चाहता है।

क्योंकी जब तांत्रिक लालू ने उसके खून के साथ क्या करना है, ये बताया तो उसे भी समझ में आ गया जो लालू बना रहा है। वो तो उससे भी पता नहीं कितना गुना शक्तिशाली होगा, उसका वो सिर्फ अंदाजा ही लगा सकता है। लेकिन लोल भी चालक था। उसने सिर्फ ऊपर से ही किया था। वो ऐसे हथियार को भला क्यों देगा? जिसके दम पे वो दुनियां में अपनी हकूमत कायम कर सकता था।

पर सच तो ये था की उस हथियार (बी.डी.) के बनाने के बाद उसे कंट्रोल कैसे करेगा? ये तो उसे भी समझ में नहीं आ रहा था। लेकिन उसने सोचा पहले बना तो लो, इसके बारे में बाद में सोचूंगा। ऐसे ही 25 साल निकल गये, किसी को पता ही नहीं चला, न तांत्रिक लोल को।

तांत्रिक लोल कभी गाँव तो नहीं जाता था, लेकिन उसे मनोज से गाँव और उसकी परिवार के बारे में सब पता चल जाता था, और ये भी जानता था की उसका एक बेटा तो उसकी बीवी के साथ शहर चला गया है, और दूसरा तो उसी के नक्शे कदम पे चल रहा था। लोल ये सब सुनकर मस्त रहता था। वो भी सेक्स करना चाहता था। लेकिन उसकी किश्मत ही खराब थी। जब उसको सही बाड़ी मिली थी मतलब लण्ड ठीक था तभी वो शक्ति हाशिल कर रहा था। लेकिन अभी जिसकी बाड़ी में था उसका तो लण्ड ही ना के बराबर था।

ऐसे ही टाइम निकल रहा था। अब जिस जंगल में तांत्रिक लोलू अपने सभी डायन, चुडैल, बेताल, भूत आदि के साथ था। वहां तो अब गाँव के लोग रात में तो क्या दिन में भी नहीं जाते थे। अब सब तैयार हो गया था।
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11-23-2020, 01:50 PM,
RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
लेकिन तांत्रिक लालू को इंतजार था तो सिर्फ रति का पा उसके बच्चे का। फिर एक दिन उसे मनाज के कुत्ते की मौत मरने का पता चला, तो वो काला कंबल ओढ़कर गाँव में जाकर उसे देखने गया।

तांत्रिक लोलू जब विलाशपुर में मनोज के घर गया था। ये वोही टाइम था जब कमी, उसकी बेटी और रंजीत मारा गया था, और पूरा गाँव वहां था और रति के मोम डैड उसे बेटी-बेटी कहकर रो रहे थे, और उसे संभाल रहे थे। रति के मोम डैड को देखकर वो समझ गया की उनकी ये वो लड़की है, और दूसरी तो मारी गई है। फिर उसने अभी कुछ दिन पहले जन्मे बच्चे यानी अवी को देखा, जिसे देखकर उसको बहुत खुशी हुई की अब उसका सपना और मकसद पूरा हो जाएगा।

जब वो लोग रंजीत को वहां फेंककर चले गये थे, तभी तांत्रिक लाल ने जल्दी ही बड़ां आकर उसके गुलामों को रोक लिया, करना थोड़ा लेंट होने में उनकी सिर्फ हइडियां बचती। फिर उसने अपनी शक्ति से उसे ठीक कर दिया, क्योंकी अभी तक बो पूरी तरह नहीं मरा था, और काली-शक्ति वैसे भी तेज काम करती है।

रंजीत ठीक होने के बाद होश में आने पर- "में कहा हैं और तुम कौन हो? मैं तो मर गया था फिर कैसे बचा?"

तांत्रिक लोलू गुस्से से- "चुप मादरचोद साले, दिखता नहीं तेरे सामने कितना बड़ा तांत्रिक लोलू है? फिर भी तू पूछता है की तुझे किसने बचाया?

रंजीत नाम सुनकर हँसने लगता है- "हाहाहाहा ये कैसे नाम है?"

तांत्रिक लोलू गुस्से में उसे अपनी शक्ति से उठाकर 10 फिट दूर फेंक देता है। जिससे उसको चोट आती है और बो समझ जाता है की ये मामूली नहीं है। तभी कई सारे डायन, चुडैल, बैताल, भतत आदि बहां आ जाते हैं। जिसे देखकर रंजीत की डर के मारे गाण्ड फट जाती है। उसका मत निकल जाता है, और वो तेज-तेज चिल्लाने लगता है।

तांत्रिक लोलू फिर गुस्से में- "अबें चुप बहन के लौड़े... अब पता चला की मैं क्या चीज है? इर मत ये सब मेरे गुलाम हैं। अब सुन, मैंने तुझे क्यों बचाय है समझ गया?"

रंजीत डरकर हाँ में सिर हिलाता है। अब इतना देखने के बाद उसकी गाण्ड में दम ही कहां बचा था।

तांत्रिक लोल- "तझे अपने भाई राज जैसे बनना होगा, और फिर तुम्हें उसके घर में उसकी जगह लेनी होगी, समझा?"

रंजीत अब वो संभल गया था, बोला. "ठीक है। पर मैं उस साली रंडी रति को चोदूंगा.."

तांत्रिक लोलू- "ठीक है, पर मेरा पूरा काम होने के बाद समझा?"

यहां लालू के मन में कुछ और था, वही जीत के मन में भी कुछ और था। जहां लालू उसे सिर्फ मोहरा बना रहा था सिर्फ ऐसे ही हाँ कह दिया था, क्योंकी कर तो ये कुछ पाएगा ही नहीं, और रंजीत रति को अब रंडियों की तरह चोदेगा।

ऐसे ही दोनों अपने-अपने काम में लग जाते हैं। अब तो लाल यहां रोज आता और नजर रखता बिना किसी की नजर में आए और वैसे भी उस टाइम सियेशन ही ऐसी थी की कोई भी चोकन्ना नहीं था।

तो दोस्तों अब आप समझ ही गये होगे की वो कौन था, उस टाइम कंबल को आंद हए और एक बार पहले जब रंजीत के पीछे कोई ऐसे हो गया था। उसे भी तांत्रिक लोल में ही भेजा था उसका पीछा करने के लिए, और वो एक डापन थी, जिसका अभी बी.डी. की बहनों, मोम का परिचय होगा। अब पता चल जाएगा।

ऐसे रंजीत राज में नजर रखते हुए उसकी सब आदतों, उसके बोलने और रहने का तरीका सब सीखता गया। जब वो पूरा कर लिया तो उसने कुछ गुन्डों के साथ, जिसे लोलू ने उसके साथ भेजा था। जब राज आफिस से अपने घर जा रहा था तभी उसने राज की गाड़ी में हमला कर दिया, जिससे उसका ड्राइबर भाग गया। फिर गुन्डा ने राज को बाहर निकालकर उसे मारना शुरन के दिया तो राज भी उन्हें खूब मार रहा था, या राज ही उनका मार रहा था की अचानक पीठे से रंजीत ने राज की पीठ में तीन-चार गोली चला दी।

रंजीत- "साले आज भी तुझमें बड़ा दम है, लेकिन अब मारा जाएगा हाहाहाहा..."

राज गोली लगने से नीचे गिरने के बाद मश्किल से बोल रहा था। क्योंकी खून बहत निकल रहा था. "कमीनें पीछे से वार करता है हरामखोर... गलती कर दी। तझ पहले मुझे अच्छे से चेक करना चाहिए था."

रंजीत- "हाहाहाहा... अब कुछ नहीं हो सकता... अब देखना कैसे तेरी बीवी उस साली रंडी को कुतिया बनाकर चोदूंगा हाहाहाहा....

राज- कमीने में तेरी जान लें लूँगा, अगर तने रति या मेरी परिवार की तरफ देखा भी तो, अब तेरी मौत ही मेरी आत्मा को शांति दे सकती है कमीनें।

इसी के साथ एक और गोली चलाकर रंजीत में राज को मार दिया। लेकिन उसकी आखिरी बात की वजह से उसकी आत्मा वही रह गई। ये तांत्रिक लोल जानता था की ऐसा ही कुछ हो सकता है। इसलिए वो वहां पहले ही इसके लिए तैयार था। अब आत्मा का तो वो कुछ नहीं कर सकता था। लेकिन राज की आत्मा की शक्ति को भी बांध दिया जो पहले ही ज्यादा नहीं थी।

वहीं इन दिनों तांत्रिक लोल ने वहां मोका देखकर अवी को खून एक इंजेक्सन में ले लिया, उसके सिर के कुछ बाल, उसका नाखून और अवी का इश्तेमाल किया कपड़ा लेकर अपनी जगह, यानी वहीं जंगल में आ गया और उसने अपना काम करना शुरू कर दिया। उसने अवी के उसी कपड़े में एक गुइडा जैसा बना दिया फिर उसे अबी के बाल से बाँध दिया। फिर अपनी तांत्रिक किया शुरू कर दी, और मंत्र पटना शुरू किया। अपनी काली आग की आहूति उसकी काली शक्तियों के हवन से देने लगा। फिर उस गुइडे को उस आग पे रखकर जो खून वा लाया था उसकी एक बूद आग में डाल दिया। जिससे आग थोड़ी तेज हो गई। फिर उसने उस खतरनाक गुइडे के मह पर भी खून डाला।
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