Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
02-28-2019, 11:54 AM,
#2
RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
स्वेता अदिति के कान जाकर पकड़ लेती है- कुछ तो शरम कर.......तेरी जैसी लड़कियाँ आज घर का पूरा काम अकेले करती है........थोड़ा उन सब से भी सीख लेती तो तेरे साथ साथ कुछ मेरा भी भला हो जाता.......वही मेरे सामने विशाल मुझे देखकर मज़े ले रहा था......जब भी मुझे डाँट पड़ती वो बहुत खुस होता.......तभी पापा कमरे में आते है......उनकी उमर लगभग 50 साल के आस पास.......आँखों पर चश्मा चढ़ाए हुए और हाथों में अख़बार लिए वो अपने चेर पर आकर बैठ जाते है.....उनका नाम मोहनलाल था.....

मोहन- अरे क्या हो रहा है ये सुबेह सुबेह.......क्या करती हो स्वेता तुम....बेचारी इतनी अच्छी तो मेरी लाडली बेटी है और तुम इससे ऐसे पेश आती हो........

स्वेता- हां और चढ़ाओ इसे अपने सिर पर......पहले ही क्या कम लाड प्यार दिया है इसे आपने.......घर का काम करने के बजाए सुबेह तक ये सोती रहती है.....शाम को पढ़ने का बहाना बनाती है........आख़िर कब तक चलेगा ये सब.....अभी से ये घर का काम नहीं सीखेगी तो आगे इसका क्या होगा.......

मोहन- सीख जाएगी.......अभी तो इसकी उमर कहाँ हुई है.......अदिति अपने पापा की बातों को सुनकर मुस्कुरा देती है......

स्वेता- आपने तो और इसे सिर पर चढ़ा रखा है.......आप तो ऐसे बोल रहें है जैसे ये कोई दूध पीती बच्ची है......और स्वेता फिर किचेन में चली जाती है......उधेर विशाल के चेहरे पर हँसी थी......मगर मैं भला उसे कैसे खुश होता हुआ देख सकती थी......उसका और मेरा तो 36 का आकड़ा था.....

अदिति- पापा पता है कल विशाल कॉलेज बंक मार कर अपने दोस्तों के साथ मूवी गया था........वो तो मेरी सहेली है उसने इसको जाते हुए देखा और सुना......आज कल इसका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता है.....दिन भर ये अपने दोस्तों के साथ इधेर उधेर घूमता रहता है......

मोहन गुस्से से एक बार विशाल की ओर देखता है विशाल के चहेरी पर हँसी गायब थी अब उसके चहेरी पर परेशानी और डर झलक रहा था......वो खा जाने वाली नज़रो से अदिति को घूर रहा था.......

मोहन- दिस ईज़ नोट फेर विशाल......कह देता हूँ अगर इस साल तुम्हारा रिज़ल्ट खराब आया तो मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा.......बी कॉन्सेंटेर्ट इन युवर स्टडीस......दिस ईज़ माइ लास्ट वॉर्निंग......नेक्स्ट टाइम नो एक्सक्यूसस......अंडरस्टॅंड!!!!

विशाल बेचारा क्या करता वो चुप चाप अपना सिर नीचे झुका लेता है और अपने पापा की डाँट सुनता रहता है......ये रोज़ का काम था अदिति अक्सर विशाल की ऐसी ही टाँगें खीचा करती थी......और विशाल चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता था......करीब 1/2 घंटे बाद दोनो तैयार होकर बस स्टॉप पर जाते है और बस के आने का इंतेज़ार करते है.....

विशाल और अदिति दोनो एक ही कॉलेज में पढ़ते थे......जहाँ अदिति बी.कॉम कर रही थी वही विशाल बी.एससी कर रहा था........दोनो एक ही बस से कॉलेज जाते थे.......आज एक तरफ अदिति खड़ी थी वही दूसरे कोने पर विशाल चुप चाप अपना सिर नीचे झुकाए खड़ा था.......वो अब अदिति से बहुत नाराज़ था........होता भी क्यों ना......उसने जान बूझ कर विशाल को डाँट सुनवाया था.....

अदिति- आइ अम सॉरी विशाल.......अब तो तू मुस्कुरा दे........

विशाल एक नज़र अदिति के तरफ देखता है फिर वो अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेता है- मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी.....

अदिति तुरंत अपने बॅग से एक कॅड्बेरी निकाल कर उसके हाथों में दे देती है- मैने जो किया तेरे भले के लिए किया......चल अब पहले की तरह मुस्कुरा दे......वैसे एक बात बोलूं तू गुस्से में और भी ज़्यादा अच्छा लगता है......अब ऐसे क्या देख रहा है चुप चाप टॉफी खा ले नहीं तो वो भी मैं तुझसे छीन लूँगी.......

विशाल चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाता और अगले ही पल उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान तैर जाती है......अदिति रोज़ इस तरह से विशाल को पहले डाँट सुनवाती फिर बाद में मनाती......मगर विशाल भी अदिति से बहुत प्यार करता था....उसे भी अदिति के ये सब नखरें पसंद थे.......भले ही वो उसपर गुस्सा क्यों ना होता हो मगर उसका गुस्सा अदिति पल भर में गायब कर देती थी........तभी थोड़ी देर बाद बस आ जाती है.....

रोज़ की तरह आज भी बस भीड़ से पूरी खचाखच भरी थी.......विशाल तो जैसे तैसे उस बस में चढ़ जाता है मगर अदिति जैसे ही अपना एक पाँव बस में रखती है तभी बस चल पड़ती है.......बस के अचानक चलने से अदिति का हाथ फिसल जाता है और वो तुरंत पीछे की ओर गिरने लगती है तभी एक मज़बूत हाथ उसकी बाहें थाम लेता है.......वो मज़बूत बाहें और किसी की नहीं बल्कि विशाल की थी......वो अदिति को अंदर की तरफ खीचता है और अगले ही पल अदिति बस के अंदर होती है......इस वक़्त दोनो के चेहरों पर एक प्यारी सी मुस्कान थी.......तभी विशाल आगे बढ़कर आगे की तरफ चला जाता है अपने दोस्तों के पास.....और अदिति वही खड़ी रहती है तभी उसके कंधे पर किसी का हाथ उसे महसूस होता है.......वो हाथ उसकी बेस्ट फ्रेंड पूजा का था......वो भी उसकी क्लास मेट थी........
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RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में - by sexstories - 02-28-2019, 11:54 AM

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