RE: Incest Kahani दीवानगी
मोम की बातों ने मेरा लंड तो खड़ा कर ही दिया था साथ ही उनकी बातो की तेज रफ़्तार से मेरी बाइक की रफ़्तार मंद पड़ गई थी हाँ यह अच्छा था कि यह सब बाते उन्होने फेस टू फेस नही की वरना मैं शर्म से पानी हो जाता
सुजाता : अब कुछ बोलता क्यो नही, मुझे तो लगता है तू मेरे चुतडो को भी ऐसी ही नज़रो से देखता होगा
रवि : नही मोम ऐसा नही है,
सुजाता : ऐसा हो ही नही सकता जब तू अपनी दीदी की मोटी जाँघो और फैले हुए चुतडो को इस कदर खा जाने वाली नज़रो से देखता है तो मेरे चूतड़ और जंघे तो और भी मोटी है तू ज़रूर मुझे भी ऐसी नज़रो से देखता होगा
रवि : नही मोम ऐसा नही है
सुजाता : अगर ऐसा नही है तो फिर मुझे जीन्स पहनने की सलाह क्यो दे रहा था, यही सोच रहा था ना कि मोम जब जीन्स पहनेगी तो उनके भारी चूतड़ तो और भी खुल कर तेरे सामने आ जाएगे और तू अपनी मोम के बड़े बड़े उभरे हुए चुतडो को देख पाएगा
रवि : क्या मोम तुम भी ना
सुजाता : बेटे मैने इतनी उमर ऐसे ही नही गुज़ार दी, मैं सब समझती हू तुम आज कल के लड़को को
मोम से बाते करते हुए मंदिर आ गया और मोम उतार के मंदिर की सीढ़िया चढ़ कर जाने लगी, मोम के बलखाते भारी भरकम चुतडो की थिरकन देख कर मेरा लंड पूरी औकात मे खड़ा हो गया और मैं उसे मसले बिना ना रह सका, मैं मोम की गुदाज मोटी गान्ड को खा जाने वाली नज़रो से देख कर अपने लंड को पेंट के उपर से मसल रहा था तभी मोम ने सीढ़िया चढ़ते हुए मुझे पलट कर अपने मटकते भारी चुतडो को घूरते हुए और अपना लंड मसल्ते हुए देख लिया, मेरी नज़रे उनसे मिली तो मेरी साँसे रुक सी गई पर अचानक मोम ने एक कातिल मुश्कान मेरी और मारी और वापस मूह आगे करके सीढ़िया चढ़ने लगी तो मेरी भी कलिया खिल गई और मेरी जान मे जान आई, मुझे तो ऐसा लगा कि जैसे मोम ने मुझे अपनी मोटी गान्ड को जी भर के देखने का सिग्नल दे दिया हो फिर तो मैं मोम की मोटी थिरकति गान्ड को तब तक देखता रहा जब तक कि वह मंदिर के अंदर नही चली गई, मैं बाहर ठंडी हवा लेता हुआ उनके आने का वेट करते हुए सोचने लगा कि यदि मोम की ये मदमस्त जवानी चोदने को मिल जाए तो मैं तो मोम को सारी रात नंगी लिए ही पड़ा रहूँगा, मोम अक्सर लड़कियो की बाते मुझसे खुल कर करती रहती थी वह नेचर मे भी काफ़ी बोल्ड स्वाभाव की है पर आज उन्होने कुछ ज़्यादा ही ओपन बाते की हालाकी ग़लती उनकी नही थी उन्होने मुझे दीदी के चुतडो और मोटी जाँघो को घूरते हुए देखा था और मैं सचमुच दीदी की मोटी गान्ड को चोदने की नज़र से ही देख रहा था, मेरा लंड कभी दीदी को चोदने की कल्पना से झटके दे रहा था और कभी अपनी हेवी मोम की मोटी गान्ड मारने की कल्पना मे झटके खा रहा था, मैं तो बस इसी धुन मे था कि क्या मैं अपनी दीदी और मोम को चोद पाउन्गा, आज का दिन बड़ा अच्छा था दीदी ने भी मुझे फ्रेंड बना लिया था और मोम भी मस्ती से भरी हुई बाते कर रही थी, मैं वही उनका वेट कर रहा था और फिर थोड़ी देर बाद वह आती हुई नज़र आई और मुझे प्रसाद देते हुए कहने लगी
सुजाता : तू यही क्यो खड़ा रह गया अंदर क्यो नही आया
रवि : मोम मन नही हुआ इसलिए
सुजाता : मुस्कुराते हुए जानती हू आज कल तेरा मन कही और लग रहा है, चल अब बाइक स्टार्ट कर,
मैने बाइक स्टार्ट की और मोम अपने भारी चुतडो के साथ बाइक पर मुझसे बिल्कुल सॅट कर बैठ गई, उनके तरबूज जैसे दूध मेरी पीठ से कस कर दबे जा रहे थे जिसका मदमस्त एहसास मुझे पागल कर रहा था,
रवि : मोम भगवान से क्या माँगा
सुजाता : मंद मंद मुस्कुराते हुए, यही कि तू जो भी चाहता है तुझे मिल जाए
रवि : मोम क्या तुम्हारे इस तरह माँगने से मैं जो चाहता हू वह मुझे मिल जाएगा
सुजाता : मुस्कुराते हुए, अगर तू सचमुच दिल से चाहता है तो तुझे ज़रूर मिल जाएगा
मैने अपने मन मे सोचा कि मोम मैं तो तुम्हे और दीदी को पूरी नंगी करके खूब कस कस कर चोदना चाहता हू,
सुजाता : क्या सोचने लगा
रवि : उसी के बारे मे मोम जो मैं चाहता हू
सुजाता : मैं जानती हू तू क्या चाहता है
रवि : अच्छा तो बताओ मैं क्या चाहता हू
सुजाता : तू चलता रह मैं बताती हू तू क्या चाहता है,
|