09-26-2019, 12:14 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
पिंकी की बात सुन कर नरेश के लंड ने एकदम से खड़े होकर सलामी दी। उसने भी बिलकुल फिल्मी स्टाइल में पिंकी का घूँघट उठाया। पिंकी ने भी स्टाइल से उसको पास में रखा दूध पिलाया, आधा नरेश ने पिया और बाकी पिंकी को पीने के लिए दे दिया।
‘पूरा पी लो भाई… आज रात बहुत मेहनत करनी है तुम्हें..’
चुदाई की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर पिंकी ऐसे बहुत से डायलॉग सीख गई थी।
मुँह दिखाई में तुम्हे क्या चाहिए मेरी जान।नरेश बोला।
वो उधर रहा भइया जब जरुरत होगा ले लुंगी।पिंकी बोली।
मुझे तुमसे एक प्रॉमिस चाहिए जानू की तुम हमेशा मेरी बन के रहोगी।जब तक तुम्हारी या मेरी शादी नहीं हो जाती तुम सिर्फ मेरी बनकर रहोगी और शादी के बाद भी हमारा प्यार रहेगा।नरेश बोला।
ठीक है भइया आज के बाद मेरी शादी होने तक आपके सिवा किसी को अपनी जवानी का रस चखने दूंगी।मेरी जवानी अब सिर्फ आपके लिए है।इससे जी भर के खेलो।
ये सुनकर नरेश ने पिंकी को अपनी बाहों में भर लिया और होंठों पर होंठ रख दिए, नरेश के हाथ पिंकी के संतरों से जूस निकालने की कोशिश करने लगे थे।
‘बहना… मर्द को असली ताक़त तो औरत के दूध से मिलती है भैंस के दूध से नहीं…’ कहते हुए नरेश ने एक ही झटके में पिंकी का टॉप उतार कर एक तरफ उछाल दिया।
चूचियाँ नंगी होते ही नरेश ने पिंकी की चुचियों के चुचक अपने होंठो में दबा लिए और फिर जोर जोर से पिंकी की चूचियों को चूसने लगा।
पिंकी की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी ‘आह्ह्ह… भाई… चूस लो… चूस लो अपनी बहन का सारा दूध… आह्ह्ह… उफ्फ्फ… निचोड़ लो मेरी चूचियों को… बहुत मज़ा आ रहा है भाई… सी… आह्ह्ह!’
नरेश भी मस्त होकर पूरी चूची को अपने मुँह में भर भर कर चूस रहा था और बीच बीच में चूचुक को अपने दांतों से काट लेता था जिससे पिंकी तड़प उठती थी।
पिंकी के हाथ भी अब नरेश के लंड को टटोल रहे थे।
पिंकी ने जल्दी से नरेश का लंड बाहर निकाला और लंड को जोर जोर से मसलने लगी।
नरेश ने भी बिना देर किये अपना लंड पिंकी के होंठों पर लगा दिया। पिंकी ने लंड का सुपारा अपने होंठों में दबाया और जीभ से अपने भाई के लंड को चाटने लगी।
दोनों वासना की आग में जल रहे थे, दिन दुनिया से बेखबर थे दोनों, बस एक दूसरे में समा जाने को बेताब थे।
पिंकी नरेश का लंड चूस रही थी, नरेश ने भी पिंकी की स्कर्ट और पेंटी उतार कर साइड में फेंक दी और उसने भी अपनी जीभ पिंकी की एक बार चुदी चूत पर लगा दी।
पिंकी की चूत अभी भी कुछ सूजी सूजी सी लग रही थी, सूजती भी क्यों ना, आखिर दिन में नरेश ने जबरदस्त चुदाई की थी पिंकी की कुँवारी चूत की।
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09-26-2019, 12:15 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
दिन में हुई चुदाई की हल्की सी टीस अभी भी पिंकी की चूत में थी, तभी तो जब नरेश ने चूत पर अपनी जीभ घुमाई तो पिंकी के चेहरे पर मस्ती और दर्द के मिलेजुले भाव नजर आ रहे थे।
नरेश पिंकी की चूत की पुतियों को अपनी उँगलियों से खोल खोल कर जीभ को अन्दर तक डाल डाल कर चाट रहा था। पिंकी भी मस्ती में जल बिन मछली की तरह कसमसा रही थी, सिसकारियाँ कमरे में एक मादक संगीत की तरह गूंजने लगी थी।
कुछ देर बाद पिंकी की चूत से कामरस निकलने लगा, अब वो लंड को चूत में लेने के लिए तड़पने लगी थी। नरेश भी अपनी प्यारी बहन की कामरस से सराबोर चूत को अपने लंड से चोद कर तृप्त करने के लिए बेताब था, उसने भी बिना देर किये अपना मूसल पिंकी की चूत के मुहाने पर लगाया और एक जोरदार धक्के के साथ लगभग दो-तीन इंच लंड चूत में दाखिल कर दिया।
पिंकी दर्द से तड़प उठी, उसकी चीख निकल जाती अगर नरेश ने समय पर अपना हाथ पिंकी के मुँह पर ना लगा दिया होता।
पिंकी की आँखों से आँसू टपक पड़े, कराहते हुए पिंकी ने दोनों हाथ जोड़ कर नरेश से लंड को बाहर निकालने की गुजारिश की।
नरेश को एक बार तो अपनी प्यारी बहन पर तरस आया पर चुदाई करते हुए रहम चूतिया लोग करते हैं, उसने बिना पिंकी की तरफ ध्यान दिए दो तीन जोरदार धक्के लगाए और पूरा लंड पिंकी की कमसिन चूत की गहराई में उतार दिया।
पिंकी छटपटा रही थी पर नरेश तो पिंकी की गर्म गर्म चूत का एहसास अपने कड़क लंड पर पाकर जन्नत की सैर कर रहा था।
उसे पिंकी के दर्द से ज्यादा अपने लंड को मिल रहे सुख और आनन्द का ख्याल था।
जानती पिंकी भी थी कि जो दर्द होना था हो चुका, अब तो अगले पल सिर्फ और सिर्फ मस्ती के है पर दर्द तो आखिर दर्द है।
नरेश ने कुछ देर लंड को ऐसे ही अन्दर डाल कर रखा और शांति से पिंकी के ऊपर लेट कर पिंकी के रसीले पतले होंठ चूमता रहा और अपने हाथों से पिंकी के संतरों को मसलता रहा।
पिंकी अब शांत हो गई थी- भाई… तुम बहुत गंदे हो… अपनी बहन का तुम्हें बिल्कुल भी ख्याल नहीं है… अगर आराम से करते तो तुम्हारा क्या जाता… मैं कोई भागी थोड़े ही जा रही थी… कितना दर्द कर दिया…
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
नरेश कुछ नहीं बोला, बस हँस दिया और पिंकी की चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
पिंकी ने प्यार से दो तीन मुक्के अपने भाई की कमर पर जमा दिए और तड़प कर बोली- भाई, अब ऐसे ही लेटे रहोगे या आगे भी कुछ करोगे?
सिग्नल हरा हो चुका था और चुदाई एक्सप्रेस धीरे धीरे बेड पर चलने लगी थी।
कुछ देर धीरे धीरे रेंगने के बाद चुदाई एक्सप्रेस अपने पूरे शबाब पर आ गई और पिंकी की चूत की जबरदस्त चुदाई शुरू हो गई- उईई… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…. धीरे….सीईईईई… आह्ह्ह… उईई माआआअ…. आह्ह्हह… भाईईईई…
ऐसी ही कुछ आवाजें अब कमरे में गूंज रही थी, कभी दर्द भरी आह्ह्ह… तो कभी मस्ती भरी सिसकारी…
चुदाई एक्सप्रेस ने जो एक बार स्पीड पकड़ी तो करीब दस मिनट बाद पिंकी की चूत से बहते झडने के साथ ही कुछ शांत हुई।
पिंकी की चूत से कामरस का फव्वारा फ़ूट पड़ा था, पिंकी ने अपनी टांगों के पाश में नरेश को जकड़ लिया था और पिंकी के तीखे नाखून नरेश की कमर में गड़ गए थे।
पिंकी की चूत बहुत जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। टांगों के पाश के कारण नरेश के धक्कों की स्पीड कुछ कम हुई थी पर नरेश का जोश तो अभी बाकी था।
झड़ने के बाद जब पिंकी कुछ शांत हुई तो नरेश ने पिंकी को बेड के किनारे पर लेटाया और लंड को एक ही धक्के में जड़ तक उतार कर फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर दी।
कुछ ही देर में पिंकी फिर से गांड उठा उठा कर नरेश का साथ देने लगी।
चुदाई लगभग आधा घंटा चली और पिंकी तीसरी बार झड़ी, साथ ही नरेश ने भी अपने लंड से निकले गर्म गर्म वीर्य से अपनी छोटी बहन पिंकी की चूत को लबालब भर दिया।
झड़ने के बाद नरेश नंगा ही पिंकी के ऊपर पस्त होकर लेट गया, दोनों ही पसीने से नहा गए थे।
चुदाई के बाद की थकावट के कारण पता नहीं कब दोनों को नींद आ गई और दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटे लिपटे सो गए।
रात को करीब तीन बजे नरेश की आँख खुली तो पिंकी के नंगे बदन को देख कर फिर से उसकी कामेच्छा जाग उठी और उसने सोती हुई पिंकी के चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और एक ऊँगली से पायल की चूत का दाना मसलने लगा।
पहले तो पिंकी नींद में ही कसमसाई पर फिर जल्दी ही उनकी नींद खुल गई और दोनों बहन भाई फिर से चूत चुदाई एक्सप्रेस पर सवार हो गए।
फिर तो सुबह जब तक बाहर कुछ हलचल होनी शुरू नहीं हुई तब तक दोनों बस एक दूसरे में ही समाये रहे।
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09-26-2019, 12:19 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
महेश ने पूरी तरह से नीलम को अपने बस में कर लिया तब उसने नीलम को कुतिया बना के पेलना शुरू कर दिया।जब महेश की नज़र नीलम की गांड के भूरे छेद पर पड़ी तो उसका लंड अपनी बहु की संकरी गांड के छेद में घूसने को मचलने लगा।
वैसे भी महेश सोच चूका था की अपनी बहु नीलम की
गांड की सील खोल देगा या उसे प्रेग्नेंट कर देगा ताकि आगे बच्चा होने तक अपनी बहु से एक दिन की भी जुदाई न हो।
अब महेश ने अपनी ऊँगली में थूक लगाकर अपनी बहु के गांड में अपनी एक ऊँगली पेलने लगा।साथ में अपना लंड भी अपनी बहु की चूत में घचाघच पेल रहा था।बहु भी पूरी मस्ती में अपनी गांड पीछे धकेल रही थी।अब धीरे धीरे महेश नीलम की गांड में दो ऊँगली आराम से पेल रहा था।
नीलम -क्या कर रहे हो पिताजी।
महेश ने अपना लंड बहु की गांड के छेद से अड़ा दिया।
“धत्त, वहाँ मैंने कभी नहीं करवाया.”
“तो आज करवा के देखो. वहाँ भी बहुत मज़ा आता है बिल्कुल चूत की तरह!”
“नहीं बाबा वहाँ नहीं. बहुत मोटा है आपका, मैं वहाँ नहीं सह पाऊँगी.”
“अरे एक बार ट्राई तो कर लो बेटी, मज़ा नहीं आये तो मत करने देना.”
“अच्छा, एक बार घुसाने के बाद आप क्या मान जाओगे?”
“सच में नीलम बेटी, बहुत दिनों से मन में था तेरी गांड मारने का. आज मत रोक मुझे!”
“पर पिता जी मुझे बहुत बहुत डर लग रहा है वहाँ नहीं. आप चूत में जितना चाहो कर लो !”
“कुछ नहीं होता बेटी, वहाँ और ज्यादा मज़ा आता है और अपना माल तुम्हारी चूत में ही डालूंगा प्लीज बहु”
“अच्छा करो धीरे से, लेकिन दर्द होगा तो निकाल लेना जल्दी से अगर मैं कहूँ तो!”
“ठीक है बेटी तू चिंता मत कर अब.”
महेश ने पास रखे तेल से लंड को अच्छे से चुपड़ लिया और बहू के दोनों हाथ सामने बेड पर रख दिए और उसे झुका कर कमर पकड़ कर पीछे की तरफ खींच लिया जिससे बहु का पिछवाड़ा अच्छी पोजीशन में उसके लंड के सामने आ गया.
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