Incest Sex Kahani सौतेला बाप
11-04-2017, 11:44 AM,
#1
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फ्रेंड्स ये कहानी अशोक ने दूसरे फोरम मे लिखी है और अभी रन्निंग कन्डीशन मे है

सौतेला बाप

लेखक- अशोक

ये कहानी है मुम्बई में रहने वाली माँ-बेटी की

माँ का नाम है रश्मि , उम्र 38 साल , भरा हुआ शरीर, गोरी-चिट्टी

और उसकी बेटी काव्या, 12th में पड़ने वाली , उम्र **, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए हैं , पर इसके लम्बे निप्पल दूर से ही दिख जाते हैं

काव्या जैसी ही स्कूल से घर आयी, उसकी माँ रश्मि ने उसे अपने पास बिठा लिया.

वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना माँ-बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योकि अपनी माँ रश्मि को काव्या ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था.

अपने पिता को पांच साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी माँ को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम-सुम सी रहती थी, पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस कोर्डिनेटर कि जॉब मिल गयी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे - तैसे चल रहा था , वो घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती .. बस यही दिनचर्या थी उसकी माँ कि.

पर पिछले कुछ दिनों से उनमे काफी बदलाव आये थे , वो थोडा सज धज कर ऑफिस जाने लगी थी, गाने भी गुनगुनाती रहती थी, हंसने भी लगी थी और ये सारे बदलाव काव्या को काफी अच्छे लग रहे थे.

काव्या के स्कूल से आने के बाद दोनों माँ बेटी घंटो एक दूसरे से गप्पे मारती...

पर आज फिर से अपनी माँ को परेशान देखकर काव्या के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.

वैसे प्रॉब्लम दूर करने कि उसकी खुद कि कोई उम्र नहीं है , सिर्फ 12th में पड़ने वाली काव्या भला अपनी माँ कि परेशानियों को कैसे दूर करेगी.

काव्या : "क्या हुआ मॉम ?? आप इतनी परेशान क्यों हो !! ''

रश्मि : "काव्या , वो .... मुझे तुझसे एक जरुरी बात करनी थी ''

काव्या : "हां मॉम बोलो न "

रश्मि थोड़ी देर तक चुप रही और फिर एकदम से बोली : "मैं शादी कर रही हु ''

रश्मि कि बात सुनकर थोड़ी देर तक तो काव्या को समझ नहीं आया कि वो क्या करे

उसकी माँ शादी कर रही है , इस उम्र में..
38 कि उम्र वैसे तो ज्यादा नहीं होती पर उनकी एक जवान बेटी है , ऐसा कैसे कर सकती है वो..

पर फिर उसने अपनी माँ के नजरिये से सोचा, अभी तो उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है , वो खुद एक दिन पराये घर चली जायेगी, फिर पीछे से उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा ,इस बात कि चिंता तो हमेशा उसे रहती थी और जब आज उसका समाधान सामने आया है तो वो ऐसे क्यों बिहेव कर रही है..

उसने सारी नेगेटिव बातों को अपने सर से झटक दिया और चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाते हुए बोली : "वाव, ये तो बहुत अच्छी बात है माँ , कौन है वो , मेरा मतलब , मेरे होने वाले पापा , किससे शादी कर रही हो, कब कर रही हो , कैसे डिसाईड किया आपने ये सब , बताओ न ??''

काव्या के चेहरे पर आयी ख़ुशी और इतने सारे सवाल और उसकी उत्सुक्तता देखकर रश्मि ने चैन कि सांस ली, वो डर रही थी कि उसकी बेटी क्या सोचेगी अपनी माँ के बारे में, पर उसने समझदारी से उसकी बात समझकर रश्मि के सर से एक बोझ उतार दिया था..

रश्मि ने बताना शुरू किया

"देख काव्या , तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद से हमारे घर कि हालत कैसी थी, अगर मुझे उसी कम्पनी में ये नौकरी न मिली होती तो शायद हमारी हालत इससे भी बुरी होती, तेरा स्कूल, घर का खर्च, कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता, और ये सब हुआ है कंपनी के मालिक समीर सर कि वजह से, उन्होंने अगर सही समय पर सहारा नहीं दिया होता तो आज ये सब नहीं होता, और पिछले हफ्ते ही उन्होंने मुझसे शादी करने कि बात कही है , उनका तलाक हो चूका है, और वो अपने घर पर अकेले रहते है, पर मैंने उन्हें साफ़ कह दिया था कि जब तक मेरी बेटी इस शादी के लिए राजी नहीं होगी, मैं ये शादी नहीं करुँगी, पर आज तूने अपनी सहमति जताकर मेरे सर से इतना बड़ा बोझ उतार दिया है , थेंक्स बेटा …''

और फिर माँ काव्या से लिपट कर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए सुबकने लगी..

और काव्या अपनी माँ कि बाते सुनने के बाद अपनी आँखे चौड़ी करके आपने वाले दिनों के सपने बुनने लगी,

उसने भी देखा था समीर सर को , करीब 45 कि उम्र थी उनकी, उन्हें हँसते हुए कभी नहीं देखा था काव्या ने, हमेशा सीरियस रहते थे, एक बार उनके घर में हुई पार्टी में काव्या अपनी माँ के साथ उनके बंगले पर गयी थी, इतना आलिशान घर उसने सिर्फ फिल्मो में ही देखा था, घर के पीछे कि तरफ स्विमिंग पूल भी था, और लगभग दस कमरे थे पुरे बंगले में , और रहने वाला सिर्फ एक .

काव्या से मिलते हुए भी समीर सर के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, इसलिए पहली नजर में ही काव्या को अपनी माँ का बॉस एक खडूस इंसान लगा था.

पर आज वही खडूस इंसान उसका पिता बनने जा रहा है, और वो अपनी माँ के साथ उसी घर में रहेगी जिसे देखकर उसकी आँखे चुंधिया गयी थी , वो भी नए -२ फेशन करेगी , शौपिंग पर जाया करेगी, अपनी अमीर सहेलियों कि तरह..

और अमीर सहेलियों का ख्याल आते ही उसके दिमाग में सबसे पहले अपनी ख़ास सहेली श्वेता का ध्यान आया, वो सबसे पहले ये बाते उसे बताना चाहती थी

उसने अपनी माँ से कहा : "माँ, मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप दूसरी शादी कर रही है, आप उन्हें अभी फ़ोन करके हाँ बोल दो, और तब तक मैं ये बात श्वेता को बताकर आती हु ''

इतना कहकर वो बिना अपने कपडे बदले घर से बाहर कि तरफ भाग गयी

श्वेता के पापा पुलिस में एक ऊँची पोस्ट पर थे और वो पास कि ही एक सोसाईटी में काफी बड़े फ्लैट में रहते थे.

जैसे ही वो सड़क तक पहुंची, सामने से उसे विक्की आता हुआ दिखायी दिया, वो उसकी गली में ही रहता था और आते-जाते हमेशा काव्या को गन्दी नजरों से देखकर भद्दी-२ बातें कहकर उसे छेड़ता था

विक्की : "हाय मेरी फुलझड़ी, कहा चली अपनी तोपें लेकर ''

उसका इशारा काव्या के नुकीले निप्पलस कि तरफ था

काव्या वैसे तो उससे कभी बोलती नहीं थी, पर आज उसने उसे मजा चखाने का मन बना लिया : "जहाँ जा रही हु वहाँ पर ना तो ऐसी गंदगी होगी और और ना ही तेरे जैसे कुत्ते ''

हमेशा चुप रहने वाली काव्या के मुंह से ऐसी बाते सुनकर विक्की भी हैरान रह गया , वो कुछ बोल पता इससे पहले ही काव्या वहाँ से निकल गयी

श्वेता के घर पहुंचकर वो उससे लिपट गयी और एक ही सांस में उसे पूरी बात बता डाली

श्वेता अपनी उम्र के हिसाब से काफी पहले जवान हो चुकी थी, उसकी उम्र 18 साल थी, और अपने नशीले और जवान शरीर का इस्तेमाल कब और कहा करना है, उसे अच्छी तरह से पता था , पर वो थी अब तक कुंवारी

श्वेता भी उसकी बात सुनकर काफी खुश हुई और फिर वो दोनों सहेलियां मिलकर बातें करने लगी कि क्या - २ होगा आने वाले दिनों में ।

काव्या के जाने के बाद रश्मि आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी, उसने अपने पुरे शरीर को निहारा, और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी साडी उतारनी शुरू कर दी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके मोटे मुम्मे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उसने उनकी बात मानते हुए अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, अपने ही पसीने कि गंध उसके नथुनो में समा गयी , जो उसे हमेशा से बहुत अच्छी लगती थी, इन्फेक्ट उसका पति भी उसकी गंध का दीवाना था, रश्मि को अभी भी याद है कि उसे चोदते हुए वो उसके दोनों हाथों को ऊपर करके जब झटके मारता था तो अपना मुंह उसकी बगल में डालकर वो जोर से साँसे लेता था, और वो गंध सूंघकर वो और भी ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चुदाई करता

वो सब बाते याद करते-२ उसकी चूत गीली होने लगी

उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया , और फिर कच्छी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से

पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी और फिर खुद से ही बाते करने लगी : "ओहो …कितनी मोटी हो गयी हु मैं, पेट भी निकल आया है, ब्रैस्ट भी मोटे हो गए है, लटक भी गए है, और पीछे से तो , ओहो इन्हे अब जल्द ही कम करना होगा ''
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11-04-2017, 11:45 AM,
#2
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
वो एक ऐसी लड़की कि तरह बिहेव कर रही थी जो शादी से पहले अपना वजन कम करने कि चिंता में डूबी हुई हो , वैसे ये चिंता होना स्वाभाविक ही था रश्मि के लिए, वो पहले ऐसी नहीं थी, शादी से पहले भी और बाद तक भी, जब तक उसका पति जिन्दा था वो हमेशा फिट रहती थी, जिम भी जाती थी, उसने लगभग दस सालों तक जिम में जाकर एरोबिक और कार्डिओ करके अपने पुरे शरीर को फ़िल्मी हेरोइनो कि तरह लचीला और परफेक्ट बना लिया था, पर पिछले पांच सालो ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया , काव्या कि देखभाल और ऑफिस के काम कि वजह से उसे अपने लिए वक़्त ही नहीं मिलता था , पर अब जबकि उसकी दोबारा शादी होने वाली है, उसने निश्चय कर लिया कि वो जल्द ही इस थुलथुलेपन से छुटकारा पायेगी, जिम जायेगी, डाइटिंग करेगी , पर अपने शरीर को पहले जैसा बनाकर रहेगी .

आखिर समीर सर भी तो देखे कि वो चीज क्या है

समीर सर का ध्यान आते ही उसके दिल कि धड़कने एक दम से बढ़ने लगी, उसे उनकी गहरी नजरों कि याद आ गयी जो उसने कई बार महसूस कि थी , और जिसे महसूस करके उसका रोम रोम खड़ा हो जाता था

उनके बारे में याद करके अनायास ही उसके हाथ अपनी चूत कि तरफ सरक गए , वो बेड पर लेट गयी और अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत को सहलाने लगी

आज पांच सालो बाद उसने अपनी चूत कि खोज खबर ली थी , इसलिए उसकी चूत भी अपना गिला मुंह खोले अपनी मालकिन का खुले दिल से स्वागत कर रही थी

रश्मि ने अपनी चूत के तितली जैसे परों को फैलाया और अपनी एक ऊँगली अंदर खिसका दी

और सिसक पड़ी

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर उम्म्म्म्म्म्म्म ''

लाल चूत के अंदर से रसीला पानी बुरी तरह से बहता हुआ बाहर कि तरफ आ रहा था , जिसे रश्मि अपनी उँगलियों से इकठ्ठा करके अपनी चूत के चेहरे पर मल रही थी

उसके दिमाग में अपने आप एक काल्पनिक मूवी चलने लगी

रश्मि अपनी ऑफिस कि कुर्सी पर बैठी थी, पूरी नंगी , ऑफिस में कोई भी नहीं था

उसके टेबल का फ़ोन बजा और समीर सर ने उसे अंदर बुलाया

वो नंगी उठी, अपना नोट पेड उठाया और उनके केबिन में चली गयी

वो अपनी सीट पर बैठा था

वो भी पूरा नंगा

रश्मि सामने जाकर खड़ी हो गयी

समीर अपनी सीट से उठा और उसके पीछे आकर खड़ा हो गया, और उसे कुछ डेटा नोट करने के लिए कहा

वो टेबल पर झुकी और नोट करने लगी

तभी पीछे से समीर ने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया

उसने अपनी आँखे बंद किये हुए अपनी तीन उँगलियाँ अपनी चूत के अंदर पेल दी

समीर बोलता जा रहा था

रश्मि लिखती जा रही थी

और झटके लगते जा रहे थे

रश्मि के मुंह से बस यही निकल रहा था

''येस्स सर , अह्ह्हह्ह सर , उम्म्म्म सर , ओके सर। .......''

उसे बंद आँखों के साथ अपनी उँगलियाँ समीर के लंड कि तरह फील हो रही थी

फिर समीर से उसे टेबल पर पीठ के बल लिटा दिया औरअपना लंड उसकी चूत में पेल कर उसे बुरी तरह से झटके देने लगा


और वो चीख रही थी, येस्स येस्स बोल रही थी

और ऐसे ही येस्स सर करते -२ उसकी चूत से कब पानी निकल गया, उसे भी पता नहीं चला

झड़ने के बाद आयी खुमारी ने उसके भरे हुए जिस्म को निढाल सा कर दिया

और वो एक पतली सी चादर अपने शरीर पर डालकर वहीँ लेट गयी और याद करने लगी अपने और समीर के बारे में जब से उसने ऑफिस ज्वाइन किया था

शुरू के तीन सालो तक तो उसे पता ही नहीं था कि ऑफिस में काम के अलावा भी कोई जिंदगी है , उसका काम सिर्फ लैटर टाइप करना, कोटेशन बनाकर क्लाइंटस को मेल करना, महीने के आखिर में रिपोर्ट्स बनाना , बस यही था

समीर सर से उसका सामना कभी कभार ही होता था, वो भी बस उसके विश का जवाब देकर निकल जाते थे

और लगभग 1 साल पहले समीर सर कि पर्सनल सेक्रेटरी जॉब छोड़कर चली गयी, और इतनी जल्दी कोई नयी सेक्रेटरी ना मिल पाने कि वजह से रश्मि को ही टेम्परेरी तौर पर समीर सर कि सेक्रेटरी बना दिया गया तब उसने नोट किया कि काम के मामले में वो कितने संजीदा किस्म के इंसान है, उन्हें अगर कोई याद न कराये तो वो लंच करना भी भूल जाते थे और ये बात रश्मि को सही नहीं लगी, उसने सबसे पहले सही समय पर उन्हें लंच करने कि आदत डाली, समीर भी रश्मि के अपनेपन को नरअंदाज नहीं कर पाता था और सही समय पर लंच और अपनी दवाइयां लेने लग गया

और ऐसे ही काम करते हुए कम्पनी में एक ऐसा दिन आया जब समीर ने सभी को ये बताया कि उनकी कंपनी ने पिछले साल के मुकाबले सत्तर प्रतिशत ज्यादा बिज़नेस किया है और साथ ही उन्हें कनाडा के लिए एक बड़ा एक्सपोर्ट आर्डर भी मिला है, जिसकी वजह से उनका बिज़नेस अगले साल तक डेड सौ प्रतिशत ज्यादा बढ़ेगा

और तब रश्मि ने ये सुझाव दिया कि ऐसे मौके को सेलेब्रेट करना तो बनता है और तब समीर ने अपने आलिशान बंगले में एक पार्टी रखी जहाँ काव्या ने पहली बार समीर को देखा था

तब तक रश्मि के लिए समीर के मन में एक सॉफ्ट कार्नर तो बन ही चूका था और वो मन ही मन उसे अपना जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा, क्योंकि अब वो भी अपनी बोर सी लाइफ से तंग आ चूका था, और पिछले कुछ दिनों से रश्मि कि तरफ से मिल रही केअर कि वजह से समीर को पूरा विश्वास हो गया था कि वो उसकी जिंदगी और घर को अच्छी तरह से सम्भाल सकती है

पर काव्या से मिलने के बाद उसे ये एहसास हुआ कि रश्मि कि टीनेजर लड़की है जो ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि उसकी माँ इस उम्र में शादी करे और इसलिए उस वक़्त काव्या से सीधे मुंह बात भी नहीं कि थी समीर ने

धीरे-२ वक़्त गुजरने लगा, समीर कि आँखों में छुपे प्यार को रश्मि ने भी कई बार महसूस किया था, पर अपनी औकात और समाज में उसकी जगह उसे भी पता थी,

समीर का एक वकील दोस्त था, लोकेश दत्त , जिसके साथ वो अपनी सारी बाते शेयर करता था

और ऐसे ही एक दिन जब दोनों दोस्त बैठे हुए जाम छलका रहे थे तो समीर ने अपने दिल कि बात उसे बता दी

लोकेश : "यार समीर, ये तो तूने बहुत अच्छी बात सोची है, तू जल्द से जल्द इस मामले को निपटा डाल''

समीर : "पर यार .... एक प्रॉब्लम है , उसकी एक टीनेजर लड़की है, और मुझे डर है कि कहीं उसके डर से रश्मि मुझसे शादी करने के लिए मना न कर दे , या फिर वो लड़की अपनी माँ को शादी करने कि परमिशन ना दे ''

लोकेश : "यार, तू भी कैसी दकियानुसी बातों को लेकर बैठा है, तू एक बार रश्मि से बात तो करके देख, अपनी बेटी को मनाना उसका काम है, और मुझे विश्वास है कि अपनी बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए वो मान जायेगी और अपनी बेटी को भी मना लेगी ''

और इस तरह से अपने दोस्त कि बात सुनकर समीर ने हिम्मत करके अपने दिल कि बात रश्मि को कह दी

रश्मि के लिए ये बात एक शॉक जैसी ही थी, उसने समीर कि आँखों में अपने लिए लगाव तो देखा था, पर वो लगाव इतना होगा कि वो उसे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए कहेगा, उसने सोचा भी नहीं था

पर साथ ही समीर ने ये भी कहा कि काव्या कि रजामंदी के बिना कोई निर्णय मत लेना, और वैसे भी रश्मि ऐसा करना नहीं चाहती थी

वो एक सही मौके कि तलाश करने लगी , जब वो अपनी बेटी को वो सच्चाई बताये जिसके बाद दोनों कि जिंदगी पूरी तरह से बदल जाने वाली थी

और आज अपनी बेटी का साथ पाकर उसने चैन कि सांस ली थी

उसने अपना मोबाइल निकला और वैसे ही नंगी लेटे हुए समीर को फ़ोन मिलाया

समीर : "हेल्लो रश्मि, इस वक़्त कैसे फ़ोन किया , सब ठीक तो है न ''

रश्मि कि समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे बताये

वो मंद मंद मुस्कुराती हुई हूँ हाँ करती रही बस

और फिर आखिर में उसने बोल ही दिया : "मैंने काव्या से बात कि थी आज ''

समीर : "अच्छा, क्या ,,,क्या बोली वो ??"

उसकी धड़कने बड़ गयी

रश्मि : "वो, वो मान गयी और काफी खुश भी थी वो ''

रश्मि कि बात सुनकर समीर ने भी चैन कि सांस ली

उसे अपनी बंद आँखों के पीछे रश्मि अपने घर में दुल्हन के लिबास में नजर आने लगी

उसने जल्द ही शादी कि फॉर्मेलिटी पूरी करने कि बात करते हुए फ़ोन रख दिया, वैसे भी शादी कोर्ट में होनी थी, इसलिए ज्यादा ताम झाम कि जरुरत ही नहीं थी

उसने लोकेश को फ़ोन करके सारे बंदोबस्त करने के लिए कहा
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11-04-2017, 11:45 AM,
#3
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
जल्द ही शादी का दिन भी आ गया, रश्मि ने तय कर लिया था कि वो अपने इस घर को कभी बेचेगी नहीं, इसलिए उसने अपने एक कज़न को वो घर रहने के लिए दे दिया, क्योंकि वो कहीं किराये पर रह रहा था, उसने सोचा इस तरह से घर कि देखभाल भी होती रहेगी और उसके कज़न का किराया भी बच जाएगा.

शादी कोर्ट में हुई , पर काव्या तो उस दिन भी ऐसे सजी हुई थी जैसे सच में किसी शादी में आयी हो, उसने लहंगा चोली पहना हुआ था, जिसमे उसका सपाट पेट साफ़ दिख रहा था , वो आज बहुत खुश थी, आज उसकी माँ कि जिंदगी बदलने वाली थी, वो भी अपनी माँ के साथ नए घर में जाने वाली थी.

शादी कि रस्मे ख़त्म होने के बाद सभी घर कि तरफ चल दिए, रास्ते से काव्या ने श्वेता को फ़ोन कर दिया कि वो जल्दी पहुंचे, शाम को दोनों ने एक साथ सजने-सँवरने का प्रोग्राम बनाया था.

समीर ने शाम को अपने आलिशान बंगले में रिसेप्शन पार्टी रखी थी, जिसमे काफी मेहमान आये हुए थे , पुरे घर में चहल पहल थी.

और ऊपर काव्य अपने कमरे में बैठ कर श्वेता से बाते भी कर रही थी..

दोनों ने फेस पेक लगा रखा था.

श्वेता : "यार तेरी तो ऐश हो गयी, इतना सेक्सी रूम है तेरा, सुपर्ब ''

काव्या : " थेंक्स यार , मुझे तो खुद भी विश्वास नहीं हो रहा है कि ये मेरा रूम है, मेरा अपना पर्सनल रूम ''

और वो रूम सच में शानदार था, एल ई डी, बालकनी, अटैच बाथरूम, कंप्यूटर और साथ ही एक बड़ी सी अलमारी जिसमे समीर ने पहले से ही काव्या के लिए हर तरह के कपडे भर दिए थे.

वो बहुत खुश थी..

श्वेता : "यार, तेरे पापा ने तेरे लिए इतना कुछ किया है, तुझे भी कुछ करना चाहिए उनके लिए ''

काव्या : "मुझे .... क्या ???"

श्वेता : "आज उनकी सुहागरात है, तेरी मम्मी के साथ , क्यों न हम दोनों मिलकर उनका रूम डेकोरेट करे ''

काव्या ने तो ये बात सोची भी नहीं थी, और कोई भी ऐसा नहीं था जो ये काम करता, उन्हें ही ये करना होगा.

दोनों ने तय किया कि उनके कमरे को गुलाब के फूलो से सजा दिया जाए और इसके लिए श्वेता ने अपने भाई नितिन को फ़ोन किया.

नितिन के बारे में बता दू, वो श्वेता से दो साल बड़ा है और कॉलेज जाता है, और मन ही मन वो काव्या पर मरता भी है..

जैसे ही श्वेता ने नितिन को सारी बात बतायी, वो झट से मान गया, वो काव्या को देखने का एक भी अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.

नितिन मार्किट से जाकर एक फ्लावर शॉप वाले को ले आया और उसने अपने दो साथियो के साथ आकर पूरा कमरा गुलाब से सजा दिया.

नितिन कि नजरे रह रहकर काव्या को घूर रही थी, उसकी नाभि उसने आज पहली बार देखि थी, अंदर कि तरफ धंसी हुई, वो मन ही मन उसे चूसने कि सोच ही रहा था कि श्वेता बोली : "थेंक्स भाई, तुम्हारी वजह से ये सब आसानी से हो सका ''

किसी और चीज कि है ''

काव्या : "किस चीज कि ''

श्वेता : "सुहागरात कि, आज इतने सालो के बाद इन दोनों को कोई मिलेगा, धमाल होगा आज तो इनके कमरे में''

अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर काव्या शरमा गयी, उसके दिमाग में चलचित्र उभरने लगे, जिसमे उसकी माँ और समीर पापा नंगे एक दूसरे के शरीर से लिपटे हुए हैं और प्यार कर रहे हैं.

उसकी आँखों में गुलाबीपन उतर आया..

श्वेता ने उसे शर्माते हुए देखा और धीरे से उसके कान में बोली : "मुझे पता है तू क्या सोच रही है ''

काव्या ने चोंक कर उसकी आँखों में देखा, और उसकी शरारती नजरों में छुपी बात को वो समझ गयी क्योंकि वो जानती थी कि श्वेता इन मामलो में कितनी तेज है , उसने फिर से अपनी नजरें झुका ली..

श्वेता धीरे से बोली : "एक आईडिया आया है, अगर तू साथ दे तो मजा आएगा "

काव्या : "क्या ??"

श्वेता : "इन दोनों कि सुहागरात देखते हैं , छुप कर, बोल क्या कहती है ''

काव्या कि आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी, उसने सोचा भी नहीं था कि श्वेता ऐसा कुछ कहेगी.

श्वेता आगे बोली : "देख, अभी पार्टी से सब लोग चले जायेंगे, कोई रिश्तेदार रुकने वाला नहीं है रात को, पुरे घर में सिर्फ तेरे मम्मी पापा और तू रहेगी, मैं नितिन को बोल दूंगी कि मैं रात को यहीं रुकूँगी, और फिर रात को हम दोनों मिलकर दोनों कि लाइव सुहागरात देखेंगे , वॉव, कितना मजा आएगा, हमें भी कुछ सीखने को मिलेगा , है न ''

काव्या चुप चाप उसकी बाते सुनती रही..

श्वेता आगे बोली : "और वैसे भी, अपनी माँ कि सुहागरात देखने का मौका मिलता भी किसे है, यु आर लक्की वन''

काव्या कि हंसी निकल गयी और उसने हँसते हुए अपना सर हिला कर उसे अपनी सहमति दे डाली.

वैसे तो उसने इतनी सी देर में काफी कुछ सोच लिया था कि ये सब गलत है, अपनी माँ को ऐसे सेक्स करते हुए देखना गलत होगा, समीर सर भी अब उसके पापा है, अपने पापा को नंगा देखना कितना गलत है ये वो अच्छी तरह से जानती थी, पर उसकी उम्र ही ऐसी थी कि ये सब गलत बातो को दरकिनार करते हुए उसने श्वेता कि बात मान ली.

श्वेता ने नितिन को वापिस घर भेज दिया और मम्मी को भी फ़ोन करके बता दिया कि आज वो वही रुकेगी .

धीरे-२ सभी मेहमान चले गए.

दोनों सहेलिया समीर के बेडरूम में छुपने कि जगह देख रही थी.

बंगले में सभी बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और सभी बेडरूम कि बड़ी सी बालकनी एक दूसरे से मिली हुई थी , बस बीच में छोटी सी दिवार थी, समीर के बेडरूम और काव्या के बेडरूम के बीच एक स्टोर रूम भी था, जिसके पीछे भी एक बालकनी थी.

दोनों सहेलियो ने डिसाईड किया कि काव्या के रूम कि बालकनी से टापते हुए वो उसकी माँ के बेडरूम तक जायेंगे और वहाँ से छुपकर अंदर का नजारा देख्नेगे.

बाहर से अंदर देखने के लिए उन्होंने एक कोने का पर्दा थोडा सा खिसका कर ऊपर कर दिया , वैसे भी बालकनी में काफी अँधेरा था, वहा कोई छुपकर बैठ जाए तो दिखायी ही नहीं देगा

रात का 1 बज रहा था, सभी थक कर अपने-२ कमरे कि तरफ जाने लगे.

अपने कमरे के अंदर जाते हुए काव्या ने रश्मि को देखा तो उसने अपना अंगूठा ऊपर करते हुए कहा : "आल द बेस्ट फॉर यूर न्यू लाईफ ''

और फिर वो अपने कमरे कि तरफ चली गयी, जहा श्वेता बैठी उसका इन्तजार कर रही थी.

और अपने बेडरूम में जाते ही वहाँ कि सजावट देखकर रश्मि और समीर आश्चर्यचकित रह गए, वो समझ गए कि ये सब काव्या ने किया है.

समीर ने दरवाजा बंद कर दिया और रश्मि को अपने पास बुलाया और उसे अपनी बाहों में लपेट कर जोर से हग किया ..

रश्मि का दिल धड़क रहा था, आज ये पहला मौका था जब समीर उसे अपनी बाहों में ले रहा था..

इसी बीच काव्या और रश्मि बालकनी फांद-२ कर वहाँ तक पहुँच गयी थी , और बाहर छुप कर सारा नजारा देख रही थी.

समीर ने अपनी बाहे रश्मि के चारों तरफ लपेट दी और झुक कर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए रश्मि सिसक उठी..

समीर के हाथ उसके कुलहो पर फिसल रहे थे , उसने साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया, और कमर में फसी हुई साडी खोल कर नीचे गिरा दी.

उसके मोटे-२ मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे समीर को, उसने अपने हाथों को उसके उरोजों के नीचे रखा और धीरे से बोला : "इन्ही दशहरी आमों ने मुझे तुम्हारा दीवाना बनाया है ''

उसकी बात सुनकर रश्मि शर्माती हुई समीर के सीने से लिपट गयी..

समीर ने एकदम से रश्मि के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगा..

समीर के हाथ रश्मि के शरीर पर फिसल रहे थे, उसके मुम्मो को मसल रहे थे,

उसने रश्मि को चूमते-२ ही उसके ब्लाउस के हुक खोल दिए ,और उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसके स्तनों को नंगा कर दिया..

और फिर अपना चेहरा नीचे करते हुए उसने एक-२ करते हुए रश्मि के नन्हे बच्चो को बेतहाशा प्यार किया .

उसके हाथ रश्मि के कूल्हों को मसल रहे थे , उसके पेटीकोट को ऊपर करते-२ उसे कमर तक ले आये, और एक ही झटके से समीर ने रश्मि कि पेंटी को दोनों तरफ से खींच कर उसकी चूत और गांड के बीच ऐसे फंसा दिया जैसे कोई पतली सी रस्सी , अपनी दरारों पर पेंटी का दबाव पड़ते ही रश्मि तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''

पर समीर से अब सब्र नहीं हो रहा था, इतने सालो तक अपनी पत्नी से अलग रहने के बाद उसने आज तक बाहर मुंह नहीं मारा था, और आज उससे सब्र नहीं हो रहा था ..


रश्मि का भी लगभग यही हाल था, उसे आज लगभग पांच साल बाद किसी मर्द ने इस तरह से पकड़ा था, वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी , और उसके मुंह से अजीब -२ सी आवाजें भी निकल रही थी..

और ये सब नजारा बाहर छुपी हुई दो जवान लड़कियां अपना मुंह फाड़े देख रही थी..

श्वेता तो रश्मि के मुम्मे देखकर बुदबुदा उठी : "वाव, क्या ब्रेस्ट है तेरी माँ कि, उम्म्म्म्म्म्म्म ''

उसका मन कर रहा था कि अंदर जाए और उन्हें चूस डाले.

समीर ने एक ही झटके में रश्मि का पेटीकोट भी नीचे गिरा दिया, और फिर नीचे बैठते हुए उसकी पेंटी भी नीचे तक उतार दी..

अब वो रश्मि कि चूत के आगे घुटनो के बल बैठा हुआ था , उसकी चकनी चूत को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उसने अपना मुंह वहाँ लगा दिया..

रश्मि का पूरा शरीर थरथरा उठा....

उसके पति ने भी आज तक उसकी चूत नहीं चूसी थी, ये पहला मौका था जब उसकी चूत को किसी के होंठों ने छुआ था

उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना एक पैर उठा कर समीर के कंधे के पीछे कर दिया, और अपनी खुली हुई चूत के अंदर समीर कि जीभ को पूरी तरह से महसूस करने लगी..

काव्या को ऐसा लगने लगा कि उसकी चूत के अंदर चींटियाँ रेंग रही है, उसने हाथ फेरा तो पाया कि वहाँ से कुछ गीला -२ निकल रहा है.

और यही हाल श्वेता का भी था, उसने तो अपने पायजामे के अंदर हाथ डालकर अपनी चूत सहलानी भी शुरू कर दी थी..

रश्मि से अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , वो पीछे कि तरफ होती गयी और पलंग पर जाकर पीठ के बल लेट गयी, गुलाब कि पंखुड़ियों से सजी उस सेज पर एक तूफ़ान सा आ गया जब समीर ने रश्मि कि दोनों टांगो को फेला कर अपनी जीभ को किसी लंड कि तरह उसकी चूत के अंदर उतार दिया और बुरी तरह से ऊपर नीचे होकर उसे चोदने लगा..

बालकोनी में छुपी हुई श्वेता और काव्या का बुरा हाल था , काव्या तो नीचे बैठी थी, और श्वेता उसकी पीठ के पीछे खड़ी थी, श्वेता ने ना जाने कब अपने पायजामे को नीचे खिसका कर अपनी चूत को नंगा कर लिया था, इस बात का काव्या को भी अंदाजा नहीं था..

अंदर का माहोल और भी गर्म हो गया जब समीर ने उठ कर अपना कोट पेंट उतार फेंका और अपने लंड को निकाल कर रश्मि के सामने लहरा दिया

और उस लंड-भसंद को देखकर रश्मि के साथ -२ काव्या और श्वेता कि आँखे भी फट गयी .

लगभग आठ इंच का लंड था समीर का और तीन इंच मोटा..

रश्मि ने आज तक लंड नहीं चूसा था पर अपनी चूत चुस्वा कर आज उसे इतना मजा आया था कि उसने झट से उसके लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी..

समीर के मुंह से एक लम्बी आआअह निकल गयी.

थोड़ी देर तक अपना लंड चुस्वाने के बाद समीर असली काम पर आ गया , उसने अपने बाकी के बचे खुचे कपडे उतार फेंके और रश्मि को भी पूरा नंगा कर दिया..

और एक ही झटके में उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलकर उसे चोदने लगा.. उसके रसीले और थरथराते हुए चूतड़ अपनी जांघ पर महसूस करते हुए समीर कि मस्ती कि कोई सीमा ही नहीं रही

दोनों को नंगा देखकर एक पल के लिए तो काव्या भी शरमा गयी..

अपनी माँ को हालाँकि उसने कई बार नहाते हुए या कपडे बदलते हुए देखा था, पर इस तरह से नहीं, पूरी नंगी होकर वो किस तरह से बिहेव कर रही थी

और श्वेता ने तो सोचा भी नहीं था कि सेक्स करते हुए एक दूसरे के साथ इतने मजे आते हैं, उसने आज तक सिर्फ अपने बी ऍफ़ के साथ शोकिया तौर पर किस्स वगेरह ही कि थी, अपनी ब्रैस्ट और चूत पर तो उसने किसी को हाथ भी नहीं लगाने दिया था

पर आज इतनी तरह से सेक्स कि कार्यवाही देखकर उसके मन कि भी कई शंकाए मिट सी गयी थी..

समीर का लंड अंदर - बाहर होता जा रहा था और अचानक रश्मि को अपने अंदर एक गुबार बनता हुआ महसूस होने लगा और अगले ही पल वो गुबार फूट गया और वो बिलबिलाती हुई सी झड़ने लगी ..

''अययययीईईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्हह्हह्हह्हह ''

और उसने अपनी चूत के मुहाने पर चिपचिपा सा द्रव्य छोड़ दिया, उसकी चिपचिपाहट को अपने लंड पर महसूस करके समीर ने भी आखिरी मौका आते ही अपना लंड बाहर निकाला और पिचकारी बना कर उससे रश्मि के शरीर को पूरा रंग दिया

और उसके मुम्मों के गद्दे पर गिरकर गहरी साँसे लेने लगा..

काव्या और श्वेता वहाँ से निकल कर अपने कमरे में आ गए..

पर समीर को पता था कि अभी तो ये शुरुवात है, इतने सालो से जमा कि हुई एनेर्जी से कम से कम तीन - चार बार चोदना था उसे आज रात रश्मि को ...

काव्या के कमरे में पहुँचते ही श्वेता ने अपना पायजामा और पेंटी उतार फेंकी और अपनी बीच वाली ऊँगली अपनी चूत के अंदर डाल कर जोर - २ से हिलाने लगी

काव्या आँखे फाड़े उसे देखने लगी

दोनों ने पहले भी कई बार मास्टरबेट किया था और एक दूसरे को बताया भी था कि कैसे और किसे सोचकर वो सब किया, पर एक दूसरे के सामने उन्होंने कभी नहीं किया था, ये पहला मौका था जब काव्या ने श्वेता को ऐसे देखा था, नीचे से नंगी ....

और उसकी सुनहरी चूत को देखकर वो मंत्रमुग्ध सी हो गयी , बिलकुल सफाचट चूत, बिना बालो के उसकी चूत ऐसे लग रही थी मानो चेहरे के होंठ चिपके हो वहाँ , रसीले और मोटे ..

वो बोली : "श्वेता, कुछ शर्म है या नहीं, मेरे सामने ही शुरू हो गयी तू ''

श्वेता अपनी ऊँगली अंदर करते हुए बड़ी मुश्किल से बोली : "यार, मुझसे तो वहाँ सब्र ही नहीं हो रहा था, मास्टरबेट करते हुए मेरे मुंह से चीखे निकलती है वर्ना वहीँ शुरू हो जाती मैं ''

इतना कहते हुए उसने एक जोरदार चीख मारी

'''आआयययययययययीईईईईई स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

काव्या : "धीरे चीख पागल , तू तो मरवाएगी मुझे, मम्मी पापा ने अगर सुन लिया तो क्या सोचेंगे ''

तभी उनके कमरे से भी मम्मी कि चीख आयी......

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह गोड ……''

और वो भी काफी तेज....

श्वेता (मुस्कुराते हुए) : "ये बात जब वो नहीं सोच रहे तो तुझे क्या जरुरत है ''

उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी..
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11-04-2017, 11:46 AM,
#4
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
काव्या कि चूत के अंदर भी अब खुजली होने लगी थी, पहले तो उसने अपनी माँ को समीर सर यानि समीर पापा से चुदते हुए देखा, और फिर अपनी सहेली कि निराली चूत देखि और अब फिर से अपनी माँ कि उन्माद में डूबी आवाजें सुनकर उसके अंदर भी कुछ होने लगा था, उसे लगने लगा कि उसके अलावा आस पास के सभी लोग मजे ले रहे हैं, जब सभी मजे ले रहे हैं तो वो अपने आप को क्यों रोक रही है.

इतना सोचते ही उसकी आँखों में गुलाबी डोरे उतर आये, उसके लाल सुर्ख होंठ काम्पने लगे और उसका छोटा सा हाथ लहराकर अपनी चूत कि तरफ चल पड़ा..

वो सोच रही थी कि अभी एक मिनट पहले वो श्वेता को भाषण दे रही थी और अब खुद पर काबू नहीं रख पा रही है.

उसकी परेशानी भांप कर मुठ मारती हुई श्वेता बोली : "अब क्या सोचने लग गयी, मत रोक अपने आप को, यही टाइम है हमारी जिंदगी का, जी ले इसे , मजे ले, जैसे मैं ले रही हु, तेरी माँ ले रही है ''.

इसी के साथ एक और चीख आयी मम्मी के कमरे से.

श्वेता : "वैसे एक बात बोलू, तेरे पापा का लंड है शानदार, जैसा बी ऍफ़ मूवीज में होता है, लम्बा और मोटा , मैं तो बस उसी को सोचकर कर रही हु ,आजा तू भी कर ले ''.

श्वेता कि भी हद थी, काव्या के सामने ही उसके नए पापा के लंड के बारे में बात कर रही थी और उसे भी सोचने और करने कि सलाह दे रही थी.

कितना गलत कर रही थी वो.

पर इसमें गलत ही क्या है..

वो उसके असली पापा थोड़े ही हैं, वो तो उसका सौतेला बाप है , एक ऐसा इंसान जिसका कुछ दिन पहले तक उसकी जिंदगी में नामो निशान नहीं था, एकदम से वो उसका बाप बनकर उसकी जिंदगी में आ गया है..

वैसे श्वेता ठीक कह रही है, उसके पापा का लंड है तो कमाल का, लम्बा और मोटा, जैसा हर लड़की सोचती है, दुसरो का तो पता नहीं पर वो जरुर सोचती है..

वो ये सब सोच ही रही थी कि श्वेता ने आगे बढ़कर उसका हाथ खींचा और अपनी गोद में बिठा लिया.

वो खुद सोफे पर बैठकर अपनी चूत मसल रही थी..

काव्या भी बिना किसी विरोध के उसके साथ खींचती चली गयी..

एक हाथ से अपनी चूत मसलते हुए श्वेता ने दूसरे हाथ को जैसे ही काव्या कि चूत के ऊपर लगाया वो सिसक उठी.

श्वेता : "ओह माय गोड, तेरी चूत तो बुरी तरह से गर्म हवा फेंक रही है , चल जल्दी से उतार इसको ''..

और उसने अपना हाथ चूत से निकालकर काव्या का खड़ा किया अपने सामने और उसका पायजामा धीरे-२ नीचे खिसका दिया..

उसने पिंक कलर कि पेंटी पहनी हुई थी, जिसके आगे का हिस्सा चिपचिपे पानी से लिसढ़ कर बुरी तरह से गिला हो चूका था , श्वेता ने उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया.

उसके स्तन भले ही छोटे थे पर गांड का भराव बिलकुल सही हुआ था, चिकने और भरवां चूतड़ देखकर श्वेता अपने आप को रोक नहीं पायी और उन्हें मसल-मसलकर मजे लेने लगी

उसकी कुंवारी चूत पर हलके फुल्के बाल थे , जिन्हे देखकर श्वेता बोली : "कावी डार्लिंग, मैंने तुझे एक बार पहले भी समझाया था न कि इसे हमेशा साफ़ रखा कर''..

उसकी बात का काव्या ने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि इस वक़्त उसकी चूत में जो आग लगी हुई थी वो उसके बारे में ही सोच रही थी..

श्वेता ने अपनी चूत से निकली ऊँगली को उसकी चूत पर फेराया , जिसे महसूस करते ही काव्या अपने पंजो पर खड़ी होकर सुलग उठी और एक हलकी सी चीख उसके मुंह से भी निकल आयी..

''आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''..

श्वेता के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी..

और अगले ही पल बिना किसी वार्निंग के श्वेता ने वही ऊँगली उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी .

काव्या ने अपनी आँखों को फैलाते हुए, अपने मुंह को गोल करते हुए, एक हुंकार भरी और अपने दोनों हाथों से श्वेता के हाथ को थाम लिया और अपने पंजो पर खड़ी होकर गहरी-२ साँसे लेने लगी.

उसने आज तक इतनी अंदर तक अपनी ऊँगली भी नहीं धकेली थी, डर के मारे कि कहीं उसकी सील न टूट जाए, और आज श्वेता ने कितनी बेदर्दी से उसकी चूत के अंदर अपनी ऊँगली डाल दी है, कहीं कुछ हो न जाए..

ऐसा सोचते हुए उसने धीरे-२ उसके हाथ को बाहर कि तरफ खींचा, और उसकी ऊँगली को गोर से देखने लगी.

श्वेता समझ गयी कि उसके मन में क्या चल रहा है.

वो बोली : "अरी पागल, इतनी सी ऊँगली डालने से कुछ नहीं होता, उस झिल्ली को तोड़ने के लिए लंड चाहिए लंड …… समझी ''.

काव्या ने धीरे से सर हिलाया और उसकी ऊँगली को फिर से अपनी चूत के मुहाने पर रखकर खुद ही अंदर धकेल दिया , और इस बार जब वो ऊँगली रगड़ खाती हुई अंदर तक गयी तो उसका रोम रोम पुलकित हो उठा , ऐसी फीलिंग उसे आज तक नहीं हुई थी, परम आनंद , जिसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता.

उसकी चूत के अंदर ऊँगली डालने के बाद श्वेता ने दूसरे हाथ कि ऊँगली अपने अंदर डाल ली और एक ही लय में दोनों हाथ हिलाने लगी.

श्वेता : "ऐसे सिर्फ आँखे बंद करने से कुछ नहीं होगा, तू किसी के बारे में सोच, ऐसे किसी लड़के के बारे में, किसी हीरो के बारे में जिसके लंड को तू इस समय अपने अंदर महसूस करना चाहती है, और मेरी ऊँगली को वही लंड समझकर मजे ले बस ''.

बंद आँखों के पीछे काव्या ने काफी कोशिश कि पर ऐसा कोई भी इंसान उसकी सोच में नहीं आया जिसके बारे में सोचकर वो इस पल का मजा ले सके , उसने तो आजतक किसी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था और ना ही किसी के लंड कि तरफ कभी देखा था, पर आज तो उसने अपने समीर पापा का लंड देख लिया, पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बाप का , और उनके लंड के बारे में सोचते ही काव्या के शरीर में एक अजीब सी ऐठन आने लगी और वो श्वेता कि ऊँगली को समीर पापा का लंड समझ कर उसके ऊपर लहराने लगी..

और मजे कि बात ये थी कि श्वेता भी समीर के लंड के बारे में ही सोचते हुए मास्टरबेट कर रही थी.

और साथ वाले कमरे में रश्मि समीर का लंड सच में लेकर मजे कर रही थी.

देखा जाए तो एक ही बन्दा तीन-२ चूतों को एक साथ मजे दे रहा था.

श्वेता के तो दोनों हाथ बिजी थे पर काव्या बिलकुल खाली थी , और ऐसी हालत में आते ही अनायास उसका दांया हाथ अपनी ब्रेस्ट कि तरफ चला गया और उसने अपना चीकू बुरी तरह से मसल डाला..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म '' ...

अपने ही हाथो दर्द पाने का मज़ा अलग ही होता है .

और आज अपने अनछुए उरोजों को दबोचकर जो दर्द काव्या फील कर रही थी, उसमे एक अलग ही मजा आ रहा था उसे..

उसकी सिसकारी सुनकर श्वेता ने भी अपनी आँखे खोली और उसकी ख़ुशी का कारण जानकार उसने उसका दूसरा हाथ अपनी ब्रेस्ट के ऊपर रख दिया.

और फिर काव्या को समझाने कि जरुरत नहीं पड़ी कि आगे क्या करना है,

उसने श्वेता का भी भोम्पू बजाना शुरू कर दिया..

श्वेता कि ब्रेस्ट उसके मुकाबले काफी बड़ी थी, इन्फेक्ट उसकी मम्मी के जितनी थी , लगभग 34 के आस पास, और उसकी तो अभी 32 भी नहीं हुई थी ढंग से.
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11-04-2017, 11:46 AM,
#5
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
उसने मन ही मन सोचा कि काश उसकी ब्रेस्ट भी श्वेता के जैसी बड़ी और मुलायम होती क्योंकि लड़को को तो बड़ी-२ ब्रेस्ट ही लुभाती है.

श्वेता के निप्पल खड़े होकर बुरी तरह से मचल रहे थे और यही हाल काव्या के निप्पलस का भी था, एक तो वो इतने लम्बे थे ऊपर से जो खुजली अभी उनमे हो रही थी उसका तो मन कर रहा था कि उन्हें नोच कर कोई खा जाए बस.

और इतना सोचते ही काव्या ने श्वेता के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और अपनी छाती पर दे मारा.

काव्या का खड़ा हुआ निप्पल किसी शूल कि तरह श्वेता के चेहरे पर चुभा क्योंकि रात के समय उसने सिर्फ टी शर्ट पहनी हुई थी.

टी शर्ट के अंदर से निप्पल कि शेप ऐसी थी कि श्वेता अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पायी और अपना मुंह खोलकर उसकी पुरी ब्रेस्ट को निप्पल समेत अपने मुंह के अंदर धकेल लिया और जोर - २ से सक करने लगी...

''आआययययययीईईईईईई उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

काव्या ने उसका सर और जोर से अपने अंदर घुसा लिया.

''कट्टी मारो स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह खा जाओ इसे उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''

श्वेता से भी सब्र नहीं हो रहा था, उसने एकदम से उसकी टी शर्ट को ऊपर किया और उसे उतार फेंका , अब काव्या पूरी नंगी होकर उसकी गोद में बैठी थी और उसके लरजते हुए गीले निप्पल श्वेता के अधरों में जाने के लिए मचल रहे थे..

श्वेता ने अपनी जीभ होंठों पर फेरकर उन्हें गीला किया और अपना मुंह आगे करते हुए उसकी ब्रेस्ट को फिर से अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्वेता उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म सक्क्क ईट अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाईट करो इन्हे ''

श्वेता का एक हाथ अपनी चूत और दुसरा हाथ काव्या कि चूत कि सेवा कर रहा था और मुंह से वो उसकी ब्रेस्ट सक कर रही थी , मल्टीटास्किंग बंदी थी श्वेता जो इतने काम एक साथ कर रही थी..

वो कभी उसके दांये और कभी बांये स्तन को चूसती, दोनों को चूस चूसकर उसने लाल सुर्ख कर दिया, लाल निशाँ बना दिए उसके गोरे शरीर पर..

काव्या ने भी नाईट शर्ट के बटन खोलकर उसके मुम्मे बाहर निकाल लिए और अब दोनों पूरी तरह से नंगी होकर एक दूसरे के शरीर से खेल रही थी..

इस खेल में इतना मजा आता है, ये उन्हें मालूम होता तो आजतक ना जाने कितनी बार ये मजा ले चुकी होती..

काव्या उसे उठाकर बेड कि तरफ ले गयी , और उसके ऊपर लेट कर उसकी ब्रेस्ट को चूसने लगी.

और फिर श्वेता ने उसे ऊपर खींचते हुए उसके होंठों पर भी एक रसीली फ्रेंच किस्स कर दी, दोनों ने आज पहली बार एक दूसरे को इस तरह से चूमा था.

दूसरे कमरेसे आ रही थपेड़ों कि आवाज और भी तेज हो गयी , समीर ने रश्मि को अपनी गोद में ले रखा था और नीचे से धक्के मारकर उसके शरीर के कलपुर्जे हिला रहा था

अब उनसे भी रहा नहीं जा रहा था..

काव्या ने अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी चूत के ऊपर लगाया और ऊपर नीचे होते हुए जोर से घिस्से लगाने लगी

और फिर एक जोरदार गर्जना के साथ दोनों कि चूतों से लावा बह निकला और काव्या हांफती हुई सी श्वेता के ऊपर गिर पड़ी..

दूसरे कमरे का तूफ़ान भी अब शांत हो चुका था..

पर शायद कुछ देर के लिये..

उनकी तो आज सुहागरात थी..

पर उसका असर काव्या पर क्या हो रहा है ये शायद ना तो रश्मि ने सोचा था और ना ही समीर ने....!

दोनों सहेलिया पूरी रात ढंग से सो नहीं पायी, रश्मि और समीर ने आतंक जो मचा रखा था दूसरे कमरे में, ऐसा लगता था जैसे दोनों वियाग्रा कि गोलियां खाकर आये हो , थकने का नाम ही नहीं ले रहे थे दोनों.

रात के चार बज रहे थे और दूसरे कमरे से अभी भी रश्मि के बजने कि आवाजें आ रही थी.

श्वेता : "यार, एक बात तो माननी पड़ेगी, ये तेरे समीर पापा का स्टेमिना है कमाल का, औरतें को तो कोई फर्क नहीं पड़ता, वो चाहे जितनी बार अपनी चूत में लंड ले सकती है, पर एक ही लंड बार-२ तैयार होकर अंदर जाए, ये कमाल कि बात है ''.

काव्या : "इसमें कमाल कि क्या बात है ''.

श्वेता : "यार, तू न अक्ल से बच्ची ही है अभी तक, तुझे नहीं पता कुछ भी, यु नो , आदमी के पेनिस को दोबारा फ़किंग के लिए तैयार होने के लिए कम से कम तीन-चार घंटे का समय लगता है, और वो भी जवान लड़को को, और तेरे पापा को तो देख जरा, उनकी उम्र फोर्टी को क्रॉस कर चुकी है उसके बावजूद उनका जोश तो देख जरा, तेरी मम्मी के तो मजे हो गए, इतने सालो कि प्यास अब दिन रात प्यार करके बुझेंगी आंटी जी, ....... हा हा ''..

काव्या को उसकी बात का जरा भी बुरा नहीं लगा, चुदाई कि बातें करना तो आम बात थी दोनों के बीच, पर अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर भी उसे बुरा नहीं लगा, इतनी ट्यूनिंग तो बन ही चुकी थी दोनों के बीच आज कि रात.

दूसरे कमरे से थपा थप कि आवाजें लगातार बढ़ती ही चली जा रही थी.

श्वेता : "यार, मुझसे तो रहा नहीं जा रहा , चल न, दोबारा से बालकनी में चलते हैं, मुझे उन्हें फिर से देखना है ''..

काव्या उसे मना करती, इससे पहले ही वो भागकर बाहर निकल गयी और छोटी सी दिवार फांदकर साथ वाली बालकनी में और फिर दिवार फांदकर मम्मी-पापा कि बालकनी में पहुँच गयी.

काव्या के पास भी अब कोई चारा नहीं था, देखना तो वो भी चाहती थी उन्हें दोबारा, पर शायद अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पा रही थी , वो भी दीवारे फांदकर वहाँ पहुँच गयी..

श्वेता पहले से ही झुकी हुई अंदर का नजारा देख रही थी..

काव्या ने भी अंदर देखा, उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी, समीर ने उसकी माँ रश्मि को बेड पर लिटाया हुआ था और पीछे से उसकी चूत का बेंड बजा रहा था , रश्मि के मोटे-२ मुम्मे खिड़की कि तरफ थे जिन्हे झूलता हुआ देखकर श्वेता और काव्या के मुंह में पानी आ गया.

''ओह्ह्ह्हह्ह समीिर अह्ह्ह्हह्ह्ह येस्स येस्स अह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स अ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

श्वेता धीरे से फुसफुसाई : "यार तेरी माँ कि ब्रेस्ट देखकर तो मन कर रहा है कि इन्हे चूस लू बस , और तेरे पापा के पेनिस को तो देख जरा , कितना लम्बा है, काश मैं होती तेरी माँ कि जगह ''..

श्वेता अपनी बात कर रही थी और काव्या अपने बारे में सोच रही थी, खुद को वो अपनी माँ कि जगह रखकर देख रही थी, अगर वो उसकी माँ कि जगह ऐसी अवस्था में होती तो भले ही उसकी ब्रेस्ट ऐसे न हिल रही होती, छोटी है न इसलिए, पर पेनिस के अंदर जाने और बाहर आने में जो आवाजें आ रही है, वो जरुर और भी भयंकर होती , अपनी टाईट चूत पर इतना तो भरोसा था उसे..

तभी चीखती चिल्लाती रश्मि कि चूत से समीर का लंड निकल आया और पीछे-२ निकला रश्मि का ढेर सारा पेशाब , और वो भी फव्वारे कि शक्ल में ....

रश्मि आनंद विभोर होकर चिल्ला पड़ी : "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह समीर, बोल रही थी न, इतनी देर से, जाने दो मुझे बाथरूम, देखो, क्या गंद फेला दिया है ''

समीर के झटके बंद नहीं हुए, वो हँसता हुआ बोला : "यही गंद तो मुझे पसंद है मेरी जान, सुकरटिंग का अलग ही मजा है, चलो डालो अंदर इसे फिर से ''..

समीर का इशारा अपने लंड कि तरफ था जो फिसल कर बाहर आ गया था, रश्मि ने उसके मचलते हुए लंड को कुछ देर तक अपनी बह रही चूत के होंठों पर मसला और उसे पूरा नहला दिया फिर एक ही झटके में फिर से अंदर धकेल दिया..

श्वेता तो ये सीन देखकर बुरी तरह से गर्म हो गयी.
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11-04-2017, 11:46 AM,
#6
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
वो बोली : "यार, तेरे पापा को तो सारी तरकीबे आती है, इनसे चुद कर सच में बड़ा मजा आएगा ''..

दोनों सहेलियां फिर से अंदर देखने लगी, अपने-२ जहन में खुद को रश्मि कि जगह रखकर चुदते हुए.

शायद चौथी बार था उनका , पर फिर भी समीर को देखकर लग नहीं रहा था कि वो थके हुए हैं , सटासट धक्के मारकर वो चुदाई कर रहे थे.

अचानक समीर ने अपना लंड बाहर खींच लिया, और उठकर रश्मि के चेहरे के पास आ गया, शायद इस बार वो उसके चेहरे पर अपना माल गिराकर संतुष्ट होना चाहता था.

एक दो झटके अपने हाथों से मारकर जैसे ही अंदर का माल बाहर आया, काव्या और रश्मि को लगा जैसे दुनिया रुक सी गयी है, स्लो मोशन में उन्हें समीर के लंड का सफ़ेद और मसालेदार दही रश्मि के चेहरे पर गिरता हुआ साफ़ नजर आया..



रश्मि के चेहरे को अपने पानी से धोने के बाद,बाकी के बचे हुए रस को समीर ने उसके मुम्मों पर गिरा दिया, और वहीँ बगल में लेटकर पस्त हो गया.

शायद ये उनका आखिरी राउंड था.

काव्या ने श्वेता को चलने के लिए कहा, पर जैसे ही श्वेता उठने लगी, उसके सर से खिड़की का शीशा टकरा गया और एक जोरदार आवाज के साथ वो शीशा टूट गया, दोनों सहेलियों कि फट कर हाथ में आ गयी.

दोनों जल्दी से उछलती हुई वापिस अपने कमरे कि तरफ भागी और दरवाजा बंद करके चुपचाप लेट गयी.

समीर ने जैसे ही वो आवाज सुनी वो नंगा ही भागता हुआ वह पहुंचा, जाते हुए उसने अपने ड्रावर में से पिस्टल निकाल ली थी.

वो चिल्लाया : "कौन है, कौन है वहाँ ……''

नंगी पड़ी हुई रश्मि ने अपने शरीर पर चादर लपेटी और वो भी डरती हुई सी बाहर कि तरफ आयी, जहाँ समीर खिड़की के टूटे हुए शीशे को देख रहा था.

रश्मि : "क्या हुआ, क्या टूटा है यहाँ ''...

समीर : "खिड़की का शीशा, जरूर कोई यहाँ छुपकर हमें देख रहा था ''

रश्मि के पूरे शरीर में करंट सा लगा, ये सोचते हुए कि उसकी रात भर कि चुदाई को कोई देख रहा था

रश्मि : "कौन, ऐसे कौन आएगा यहाँ ??"..

समीर ने काव्या के रूम कि तरफ देखा तो रश्मि बोली : "तुम क्या कहना चाहते हो, काव्या थी यहाँ, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, वो भला ऐसा क्यों करेगी, उसमे इतनी अक्ल तो है कि वो ऐसा नहीं करेगी ''..

समीर ने कुछ नहीं कहा, वो समझ चूका था कि काव्या के सिवा और कोई इतनी उचाई पर आ ही नहीं सकता था, नीचे से ऊपर आने के लिए कोई भी साधन नहीं था, सिर्फ बालकनी से टापकर ही वहाँ पहुंचा जा सकता था , पर वो ये सब बाते अभी करके रश्मि को नाराज नहीं करना चाहता था..

इसलिए वो अंदर आ गया और उसके बाद दोनों सो गए.

दूसरे कमरे में काव्या और श्वेता भी थोड़ी देर में निश्चिन्त होकर सो गए.

अगले दिन श्वेता जल्दी ही निकल गयी, शायद वो समीर कि शक़ वाली नजरों से बचना चाहती थी.

रश्मि सुबह चार बजे सोयी थी, इसलिए वो अभी तक सो रही थी, पर समीर को जल्दी उठने कि आदत थी, इसलिए वो अपने समय पर उठ गया था.

श्वेता को नौ बजे के आस पास जाता हुआ देखकर उसने मन ही मन कुछ निश्चय किया और काव्या के रूम कि तरफ चल दिया.

काव्या अपने बिस्तर पर लेटी ही थी कि समीर ने दरवाजा खड़काया , काव्या ने जम्हाई लेते हुए दरवाजा खोला, और सामने समीर को खड़ा देखकर उसकी आँखे एकदम से खुल गयी, उसके दिमाग में रात कि चुदाई कि पूरी तस्वीर चलने लगी फिर से और उसकी नजर अपने आप समीर के लंड कि तरफ चली गयी.

काव्या : "अरे अंकल .... मेरा मतलब पापा , आप .... इतनी सुबह ??".

समीर कुछ नहीं बोला और अंदर आ गया , उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था, वो चलते हुए बालकनी में पहुँच गया

काव्या कि तो हालत ही खराब हो गयी, वो वहाँ से अपने कमरे कि बालकनी कि तरफ देखने लगा, और फिर अंदर आकर काव्या के सामने खड़ा हो गया, वो समीर से नजरे नहीं मिला पा रही थी..

समीर : "तुम ही थी न रात को मेरी बालकनी में, तुम्ही देख रही थी न वो सब ....''

काव्या : "क …क़ …क़्यआ …… मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है ''.

वो इतना ही बोली थी कि समीर का एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके बांये गाल पर पड़ा और वो बिस्तर पर जा गिरी.

समीर चिल्लाया : "एक तो गलती करती हो और ऊपर से झूट बोलती हो …''

इतना कहते हुए वो आगे आया और बड़ी ही बेदर्दी से उसने काव्या के बाल पकडे और उसे खड़ा किया

काव्या दर्द से चिल्ला पड़ी , पर समीर पर उसका कोई असर नहीं हुआ , समीर का एक और थप्पड़ उसके कान के पास लगा और उसे कुछ देर के लिए सुनायी देना भी बंद हो गया.

आज तक उसे रश्मि ने भी नहीं मारा था, और ना ही कभी उसके खुद के बाप ने, और आज ये समीर उसे पहले ही दिन ऐसे पीट रहा था जैसे उसकी बरसों कि दुश्मनी हो.

वैसे समीर था ही ऐसा, उसका बीबी से तलाक सिर्फ इसी वजह से हुआ था कि दोनों में झगडे और बाद में मार पीट काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी, समीर ने तो अपनी बीबी को एक-दो बार अपनी पिस्टल से डराया भी था, और यही कारण था उनके तलाक का, घरेलु हिंसा .

पर समीर का ये चेहरा सिर्फ घर तक ही था, बाहर किसी को भी उसके ऐसे बर्ताव कि उम्मीद तक नहीं थी, सोसाईटी में और ऑफिस में तो उसे शांत स्वभाव का सुलझा हुआ इंसान समझा जाता था, पर गुस्सा कब उसके दिमाग पर हावी हो जाए, ये वो खुद नहीं जानता था ..

और आज भी कुछ ऐसा ही हुआ था.

उसके खुद के घर में , काव्या उसके बेडरूम के बाहर छुप कर उसकी चुदाई के नज़ारे देख रही थी, ऐसा सिर्फ उसे शक था, पर फिर भी उसने अपने गर्म दिमाग कि सुनते हुए जवान लड़की पर हाथ उठा दिया, ये भी नहीं सोचा कि उसकी एक दिन कि शादी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, रश्मि क्या कहेगी जब उसे पता चलेगा कि उसकी फूल सी नाजुक लड़की को ऐसे पीटा गया है..

और काव्या को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसके साथ ऐसा सलूक किया जा रहा है, जिस समीर पापा कि चुदाई देखकर उसकी चूत में भी पानी भर गया था कल रात और वो उनसे चुदने के सपने देखने लगी थी ,वो उसके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, वो सब रात भर का प्यार नफरत में बदलता जा रहा था अब..

समीर ने एक और झापड़ उसे रसीद किया और फिर बोला : "सच बोल, तू ही थी न रात को वहाँ ''.

काव्या ने आग उगलती हुई आँखों से समीर को देखा और ना में सर हिला दिया..

समीर ने उसे धक्का दिया और उसका सर दिवार से जा लगा, और उसके माथे पर एक गोला सा बन गया , वो दर्द से बिलबिला उठी.

समीर उसके करीब आया और फिर से उसके बालों को पकड़ा और उसके चेहरे के करीब आकर गुर्राया : "मेरी बात कान खोलकर सुन ले साहबजादी, ये मेरा घर है, और मेरी मर्जी के बिना यहाँ का पत्ता भी नहीं हिल सकता, फिर से ऐसी कोई भी हरकत न करना कि मैं तुझे और तेरी माँ को धक्के मारकर इस घर से निकाल दू , समझी , अगर यहाँ रहना है तो सीधी तरह से रह ''.

और फिर बाहर निकलते हुए वो पीछे मुड़ा और बोला : "ये बात हम दोनों के बीच रहे तो सही है, वरना अंजाम कि तुम खुद जिम्मेदार होगी ''.

ये सारा किस्सा रश्मि को न पता चले, इसकी धमकी देकर समीर बाहर निकल आया ...... अपने बिस्तर पर दर्द से बिलखती हुई काव्या को छोड़कर .

उसने उसी वक़्त श्वेता को फ़ोन करके रोते-२ सारी बात बतायी , उसे भी विश्वास नहीं हुआ कि समीर ऐसा कुछ कर सकता है उसके साथ , श्वेता ने काव्या को अपने घर पर आने के लिए कहा.

वो नहा धोकर तैयार हो गयी, तब तक रश्मि भी उठ चुकी थी, और सबके लिए नाश्ता बनाकर टेबल पर इन्तजार कर रही थी, समीर और काव्या जब टेबल पर आकर बैठे तो दोनों ने एक दूसरे कि तरफ देखा तक नहीं.

रश्मि ने अपनी बेटी को उदास सा देखा तो उसके पास आयी और तभी उसके माथे पर उगे गुमड़ को देखकर चिंता भरी आवाज में बोली : "अरे मेरी बच्ची, ये क्या हुआ, ये चोट कैसे लगी ''.

काव्या ने नफरत भरी नजरों से समीर कि तरफ देखा, जो बड़े मजे से नाश्ता पाड़ने में लगा हुआ था, और फिर धीरे से बोली : "कुछ नहीं माँ, रात को बिस्तर से गिर गयी थी, ऐसे बेड पर सोने कि आदत नहीं है न, इसलिए ''.

समीर उसकी बात सुनकर कुटिल मुस्कान के साथ हंस दिया..

अपना नाश्ता करने के बाद काव्या अपनी माँ को बोलकर श्वेता के घर पहुँच गयी.

उसके कमरे में पहुंचकर उसने विस्तार से वो सब बातें बतायी जो आज सुबहउसके साथ हुई थी , जिसे सुनकर श्वेता का खून भी खोलने लगा

श्वेता : "साला, कमीना कहीं का , देख तो कितने वहशी तरीके से पीटा है तुझे, ''

उसने काव्या के माथे को छूकर देखा, वहाँ अभी तक दर्द हो रहा था

श्वेता : "यार, जिस तरह से तू समीर के बारे में बता रही है, मुझे तो लगता है कि ये कोई साईको है, अगर जल्द ही इसका कुछ नहीं किया गया तो शायद किसी दिन ये आंटी के साथ भी ऐसा कुछ ना कर दे ''

ये बात सुनते ही काव्या सिहर उठी, उसे अपनी माँ से सबसे ज्यादा प्यार था और उसे वो ऐसे पिटते हुए नहीं देख सकती थी

काव्या : "नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी ....''

श्वेता : "वो ऐसी हरकत ना करे, ना ही तेरे साथ और ना ही आंटी के साथ, इसके लिए हमें कुछ करना होगा ''

दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए सहमति से सर हिलाया, दोनों ने मन ही मन दृढ़ निश्चय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए , वो कभी समीर को ऐसा कुछ नहीं करने देंगी

उनके अंदाज को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो अपनी बात पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं 

दोनों समीर से निपटने कि रणनीति तैयार करने लगी

श्वेता : "देख, अभी कुछ दिन के लिए तो तू बिलकुल चुपचाप रह , तेरा ये सौतेला बाप क्या करता है, कौन-२ उसके दोस्त है, किन बातों से खुश होता है, किनसे नाराज होता है, ये सब नोट करती रह, उसके बाद हम उसके हिसाब से आगे का प्लान बनाएंगे ''.

काव्या : ''पर इससे क्या होगा …??''.

श्वेता : "हमें बस ये सुनिश्चित करना है कि जो आज तेरे साथ हुआ है वो दोबारा न हो, और न ही कभी तेरी माँ के ऊपर ऐसी नौबत आये ''.

काव्या : "और जो उसने मेरे साथ किया है आज,उसका क्या ''

श्वेता : "उसका भी बदला लिया जाएगा , तू चिंता मत कर , तभी तो मैं कह रही हु, उसपर नजर रखने के लिए, हमें उनकी कमजोरी पकड़नी है, ताकि उसका फायदा उठाकर हम अपनी मर्जी से उन्हें अपने इशारों पर नचा सके ''

काव्या कि समझ में उसकी बात आ गयी ..

थोड़ी देर तक बैठने के बाद काव्या वहाँ से वापिस घर आ गयी.

उसने अब श्वेता कि बात मानते हुए समीर के ऊपर नजर रखनी शुरू कर दी ..

वो कोई भी बात कर रहा होता, उसे सुनने कि कोशिश करती, किन लोगो से मिलता है, कहा-२ जाता है, उन सब बातों का हिसाब रखना शुरू कर दिया उसने..

चुदाई के मामले में एक नंबर का हरामी था वो..

दिन में 2-3 बार सेक्स करता था, एक सुबह ऑफिस जाते हुए और फिर रात को सोने से पहले..

उसकी माँ कि मस्ती भरी चीखे पुरे घर में गूंजती थी, जिन्हे सुनकर वो भी गीली हो जाती थी.

समीर का कोई फ्रेंड सर्किल नहीं था, ऑफिस और घर के बीच चक्कर काटना , बस यही काम था उसका..

बस एक ही फ्रेंड था, उसका वकील दोस्त, लोकेश दत्त.

जिसकी सलाह मानकर समीर ने रश्मि को प्रोपोस किया था..

दोनों दोस्त अक्सर शाम को बैठकर दारु पीया करते थे और अपने दिल कि बाते एक दूसरे से शेयर करते थे..लोकेश अपनी फेमिली के साथ पास ही रहता था उनके घर के ...

ये सब वो उसी बालकनी में बैठकर करते थे जहाँ छुपकर काव्या ने अपनी माँ को चुदते हुए देखा था.

पर पीने के बाद समीर ये भूल जाता कि शायद काव्या अपने कमरे के अंदर बैठकर वो सब बाते सुन रही है जो वो दोनों कर रहे होते हैं और वो दोनों अक्सर चुदाई कि बाते भी करते थे या फिर ऑफिस में आयी किसी नयी लड़की के बारे में या कोर्ट में आये केस में फंसी बेबस लड़कियो और उनकी कारस्तानियों के बारे में..

कुल मिलाकार उनकी हर चर्चा का केंद्र सेक्स ही होता था..

शादी के एक हफ्ते बाद दोनों दोस्त बालकनी में बैठकर बारिश और दारु का मजा ले रहे थे..

लोकेश : "यार आजकल कोर्ट में एक तलाक का केस आया हुआ है , मिया बीबी अपनी शादी के बीस साल बाद तलाक ले रहे हैं, मैं औरत कि तरफ से केस लड़ रहा हु, वो रोज आती है मेरे केबिन में, अपनी 19 साल कि लड़की के साथ,उसका नाम है रोज़ी..यार, क्या बताऊ, इतनी गर्म और लबाबदार जवानी मैंने कही नहीं देखि , उसमे बोबे देखकर मन करता है अपना मुंह उनके बीच डालकर अपनी सारी फीस वहीँ से वसूल लू … हा हा हा ''

समीर भी उसकी बात सुनकर बोला : "ये उम्र होती ही ऐसी है, कच्चे-२ अमरुद लगने जब शुरू होते हैं न जवान शरीर पर, उन्हें दबाने और मसलने का मजा ही कुछ और है ……''
वो आगे बोला : "वैसे मुझे उसके बारे में भी बात करनी थी, उनकी माली हालत ज्यादा ही खराब है, इसलिए रोज़ी कोई जॉब करना चाहती है, अगर तेरे ऑफिस में कोई स्टाफ कि जरुरत है तो देख ले। ।''

समीर (कुछ देर सोचकर) : "हाँ , चाहिए तो सही मुझे, अपनी पर्सनल असिस्टेंट , रश्मि से शादी करने के बाद वो जगह अब खाली हो गयी है, तू उसे मेरे ऑफिस भेज देना, मैं देख लूंगा ''

लोकेश : "देखा, सिर्फ उसके बारे में सुनकर ही तू उसे जॉब देने के लिए तैयार हो गया, है तो तू पूरा ठरकी , हा हा "

और फिर अपना गिलास एक ही बार में खाली करते हुए समीर बोला : "एक तेरे क्लाईंट कि बेटी है, जिसके मस्त शरीर कि बाते सुनकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया है, और एक मेरी बीबी कि बेटी है, साली ऐसी मनहूस है कि उसे देखकर खड़ा हुआ लंड भी बैठ जाए ''

काव्या छुपकर वो सब बातें सुन रही थी, ये पहली बार था जब समीर और लोकेश उसके बारे में बाते कर रहे थे

लोकेश : "यार, ऐसा भी कुछ नहीं है, मुझे तो उसका मासूम सा चेहरा बड़ा ही सेक्सी लगता है ''

उसने अपने लंड के ऊपर अपना हाथ फेरते हुए कहा

दोनों पर शराब पूरी तरह से चढ़ चुकी थी
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11-04-2017, 11:46 AM,
#7
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
सौतेला बाप--5

समीर : "यार, तेरा टेस्ट न बकवास होता जा रहा है आजकल, कहा से तुझे वो सेक्सी लगती है, बिखरे हुए बाल, कपडे पहनने कि समझ नहीं, सुखा हुआ शरीर, जिसपर पता नहीं कोई फल लगेगा भी या नहीं, और ऊपर से उसकी हरकतें , सिर्फ रश्मि कि वजह से वो मेरे घर पर है, वर्ना .......''और इतना कहकर उसने एक और नीट पेग एक ही बार में निगल लिया.

लोकेश : "अरे , छोड़ न यार, तू भी कौन सी बात लेकर बैठ गया , अच्छा तूने भाभी से बात कि थी या नहीं, हनीमून पर जाने वाली, जो मैंने कही थी तुझे ''..

समीर : "यार, ये भी कोई उम्र है मेरी हनीमून पर जाने कि … वैसे भी टाइम ही नहीं मिला रश्मि से पूछने का , आज पूछता हु ''

लोकेश : "देख, हनीमून कि कोई उम्र नहीं होती … मेरा लोनावला में जो लेक के किनारे रिसोर्ट है, तू वहाँ चला जा भाभी को लेकर ''

समीर : "और साथ में उसका दहेज़ भी तो जायेगा, मुझे याद है, हमारी कोई बात हो रही थी बाहर जाने कि तो रश्मि ने पहले ही बोल दिया था कि जहाँ भी जायेंगे काव्या साथ ही चलेगी, उसे अकेला छोड़कर वो कहीं भी घूमने नहीं जायेगी ''

लोकेश : "अरे, तो ले जा न उसे भी साथ में, वैसे भी हनीमून में तुझे जो भी करना है वो बंद कमरे में करेगा, वो तो दूसरे कमरे में रहेगी न ''

समीर सोचने लग गया और फिर कुछ देर बाद बोला : "तो फिर एक काम कर , तू भी साथ चल, मुझे कौन सा सारा दिन बंद कमरे में रहना है, शाम को तो पेग चाहिए होता है मुझे, और अकेले पीने में वो मजा नहीं है जो तेरे साथ बैठकर पीने में है''..

लोकेश : "अच्छा, अब तेरे साथ दारु पीने के लिए मैं तेरे हनीमून पर भी साथ चलु''.

समीर : "तू अपने रिसोर्ट के एकाउंट्स चेक कर लियो ,इतने महीनो से गया भी तो नहीं है न वहाँ ''..

समीर कि बात में दम था , लोकेश ने वहाँ कि जिम्मेदारी अपने साले को सोंप रखी थी , जो सारा हिसाब किताब रखता था वहाँ का.

लोकेश : "बात तो तू सही कह रहा है, चल ठीक है, तू रश्मि भाभी से बात कर और प्रोग्राम पक्का कर ले, मैं चलने के लिए तैयार हु''.

समीर : "इसमें रश्मि से पूछने वाली क्या बात है, वो मना नहीं करेगी, उसे सिर्फ अपनी बेटी कि चिंता होती है, वो अगर साथ है तो उसे चाँद पर भी ले चलो, वो वहाँ भी चल पड़ेगी … हा हा हा ''

और फिर दोनों दोस्तों ने एक-२ पेग और पीया और इधर-उधर कि बातें करते रहे.

उनकी बाते सुनकर काव्या को बहुत गुस्सा आया था, जब समीर ने उसके बारे में वो सब बोला जो वो उसके बारे में सोचता था.

क्या वो सच में ऐसी है..

वो शीशे के सामने जाकर खड़ी हुई और अपने आप को देखने लगी.

वैसे समीर सच ही तो कह रहा था..

उसके बाल बिखरे से रहते थे हमेशा, अपने शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में वो चिंता भी नहीं करती थी , उसके हाथ अपने आप अपनी छातियों पर चले गए , और उसने अपनी शर्ट के बटन खोलकर अपनी शर्ट उतार दी, अन्दर उसने सिर्फ एक शमीज ही पहनी हुई थी क्योंकि ब्रा पहनने में उसे परेशानी होती थी, वैसे भी उसके अभी इतने बड़े नहीं हुए थे जो वो रोज ब्रा पहना करे.. उसने अपने सारे कपडे उतार दिए और नंगी होकर सोफे पर बैठ गयी, और अपने शरीर को निहारने लगी



फिर उसने अपना फ़ोन उठाया और श्वेता को फ़ोन लगाया और हाय हेल्लो के बाद वो बोली : "एक बात बता मुझे, क्या मैं अट्रेक्टिव नहीं लगती ''..

श्वेता भी उसकी बात सुनकर हैरान हो गयी और बोली : "नहीं बैबी , ऐसा नहीं है, किसने कहा कि तू अट्रेक्टिव नहीं है ''.

उसके बाद काव्या ने वो सारी बाते श्वेता को बता दी जो उसने छुप कर सुनी थी..

उन्हें सुनकर श्वेता कुछ देर तक चुप रही , जैसे कुछ सोच रही हो, और फिर बोली : "देख, अगर वो लोग ऐसा कह रहे हैं तो हो सकता है कि वो सही भी हो, क्योंकि मैं तो एक दोस्त कि नजर से तुझे देखती हु और तू मुझे अच्छी लगती है, और उन्होंने तुझे देखा एक आदमी कि नजर से देखा और हर आदमी लड़की को जब देखता है तो उसका चेहरा ही नहीं बल्कि पुरे शरीर को देखता है और उसके हिसाब से ही अपनी राय कायम करता है उसके बारे में ''.

फिर थोडा रूककर वो बोली : "तेरा चेहरा किसी फ़िल्मी हिरोइन से कम नहीं है, पर आदमी कि नजर चेहरे के नीचे पहले जाती है, जहाँ का वजन देखकर वो उसकी असली तारीफ करता है , लड़की के हर अंग में सही मात्रा में भराव होना चाहिए, बस यही तरीका है उनका हॉटनेस नापने का ''..

काव्या उसकी बाते सुनती रही, और फिर बोली : "पर इसमें मेरी क्या गलती है, मैं जैसी हु,वैसी हु, अपने आप को कैसे बदलू मैं ?".

श्वेता : "वो काम तू मुझपर छोड़ दे, आज के बाद जैसा मैं कहूँगी तो वैसा ही करेगी और कपडे भी मेरी मर्जी से पहनेगी। ओके ''..

काव्या : "हम्म्म्म ''.

उसके बाद आधे घंटे तक श्वेता उसे समझाती रही कि क्या खाना है, क्या नहीं, क्या पहनना है, कैसे पहनना है, कैसे चलना है, झुकना है, समीर और लोकेश के सामने कैसे बिहेव करना है, लोनावला में जाकर क्या करना है जिससे समीर और लोकेश कि उसके बारे में धारणा बदल जाए.

और सब कुछ सुनने के बाद उसने फ़ोन रख दिया.

उसने सोच लिया था कि वो अपनी इमेज बदल कर रहेगी.

जो उसके बारे में सोचा जाता है, जैसी वो दिखती है , वो सब बदल देगी..

और अपने आप को बदलने के लिए उसके सामने पहला मिशन था उसकी मम्मी का हनीमून, जहाँ जाकर वो अपने आप को बदलने कि शुरुवात कर सकती थी.

शाम को रश्मि ने खुश होते हुए काव्या को जब बताया की वो सभी लोग घूमने जा रहे हैं तो काव्या ने ऐसे जताया जैसे उसके लिए ये बात सर्प्राइज़ है, रश्मि ने उसे ये भी बताया की अगले दिन वो शॉपिंग करने चलेंगे. वैसे शॉपिंग पर जाने का एक और कारण भी था, काव्या का 18वा बर्थडे आने वाला था, और उस वक़्त वो सभी लोग लोनावला में ही होंगे ..

काव्या ने भी सोच लिया था की इस बार वो ऐसे कपड़े पहनेगी जो उसने आज तक नही पहने, आख़िर उसके बाप को भी तो पता चले की वो चीज़ क्या है.

अगली सुबह , समीर के ऑफीस जाने के बाद , दोनो मा-बेटी शॉपिंग करने निकल पड़ी, अंधेरी के एक बड़े से माल मे जाकर दोनो शॉपर्स स्टॉप के शोरुम मे घुस गये, रश्मि अपने लिए कपड़े निकालने लगी और काव्या अपने लिए, काव्या ने काफ़ी रंगो मे छोटी-2 निक्कर यानी हॉट पेंट्स ली, जीन्स, स्कर्ट, केप्री, और साथ मे नूडल स्ट्रेप वाले टॉप, हॉल्टर टॉप, स्किन टाईट टॉप, स्ट्रेप लेस टॉप, उसे जो भी सेक्सी ड्रेस मिलती गयी, वो लेती गयी, पैसो की तो चिंता ही नही थी, समीर ने एक लाख रुपय दिए थे रश्मि को शॉपिंग के लिए ...

बिल बनवाते हुए रश्मि ने जब देखा की काव्या ने किस तरह के कपड़े लिए है तो उसने बोला भी, पर काव्या को मना करके वो उसका मूड खराब नही करना चाहती थी, इसलिए उसने सभी की पेमेंट कर दी,उसके बाद दोनो एक लिंगरी शोरुम मे भी गये, और वहा से भी काव्या ने अपनी पसंद के इन्नर वेयर खरीदे, जो आजतक उसकी माँ ही खरीदा करती थी..वहाँ पर भी उसका बिल अपनी मा से ज़्यादा ही आया ..

उसके बाद दोनो लंच करके घर आ गयी.

शाम को उसने श्वेता को घर पर बुला लिया और उसे सारी बात बतायी, और साथ ही अपनी खरीदी हुई ड्रेसेस भी दिखायी, जिन्हे देखकर श्वेता कि भी आँखे फटी रह गयी..

श्वेता : "यार, मुझे नहीं पता था कि मेरी बातों का तुझपर इतना असर पड़ेगा, तूने तो आज तक ऐसी ड्रेसेस पहनी भी नहीं, मुझे भी देखनी है, कैसी लगेगी तू इनमे, प्लीज ना , मुझे पहन कर दिखा ....''

काव्या भी तो यही चाहती थी की जो ड्रेसस वो लाई है, उन्हे पहन कर देखे, उसने श्वेता के सामने ही अपने कपड़े उतारे और पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी.

तब श्वेता ने गौर किया की उसने तो अपने पूरे शरीर के बॉल भी सॉफ नही किए है, अंडर आर्म्स , लेग्स और चूत सभी जगह बाल थे, ख़ासतौर पर उसकी चूत पर, वहा पर तो पूरा जंगल था...



श्वेता : "रुक जा, कपड़े पहनने से पहले तेरी मरम्मत भी करनी है ''.

काव्या : " वो कैसे ??".

श्वेता उसके पास आई और सीधा उसकी चूत के उपर हाथ रख दिया और उसके बालों को अपनी मुट्ठी मे भींच कर खींच लिया..

काव्या के मुँह से एक चीख निकल गयी ....

''अहह ssssssssssssssssss''.

श्वेता : "ये जंगल सॉफ करना है, आजकल बालों वाली चूत किसी को भी पसंद नही आती''

काव्या : "पर वहाँ तक दिखाना किसे है ?? ''..

श्वेता ने जैसे पहले से ही सब कुछ सोच कर रख लिया था काव्या के लिए , वो मुस्कुराती हुई उसके पास आई और बोली : "मेरी बन्नो, तू कितनी भोली है, ये जिस्म की आग जब जलेगी ना, तो सामने कौन है, वो नही देख सकेगी तू, हमारे प्लान के अनुसार तुझे अपना सब कुछ दिखा कर ही सामने वाले को बस मे करना है, फिर वो चाहे तेरा ये सोतेला बाप समीर हो या उसका जिगरी दोस्त लोकेश ..''

काव्या हैरानी से उसे देखने लगी ..

श्वेता : "देख, हमने पहले ही डिसाइड कर लिया है की तू अपने अपमान का बदला लेने के लिए कुछ भी करेगी, मैं भी तेरी मदद करूँगी, और देखना, हम दोनो मिलकर, तेरे अकड़ू बाप को अपने सामने झुकाएँगे, और वो भी पूरा नंगा ''..

उसकी बात सुनकर काव्या के चेहरे पर भी हँसी आ गयी और दोनो ने एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर हाइ फाईव किया ..

श्वेता : "देख, तुझे सबसे पहले अपने बाप के दोस्त लोकेश को बस मे करना है, क्योंकि समीर सिर्फ उसकी बात ही मानता है, उसे शीशे मे उतारकर ही हम तेरे बाप को कंट्रोल कर सकते हैं, और इसके लिए तुझे उसके सामने अपने हुस्न के जलवे बिखेरने होंगे ''.

काव्या : "वो कैसे करूँगी मैं ?".

श्वेता : "सब हो जाएगा, वैसे भी वो तुम्हारे साथ लोनवला जा रहा है, तेरी मा और बाप तो अपने हनिमून मे बिज़ी होंगे, तू मौका देखकर इस लोकेश को पटा ले बस, और इसके लिए तुझे चाहे उसके सामने नंगा भी होना पड़े तो हो जा, बस वो सब मत करने दियो उसको ....''..

काव्या समझ गयी की वो सब का मतलब चुदाई से है...

उसकी बाते सुनकर उसकी चूत मे से गर्म पानी निकलकर उसकी जाँघो से होता हुआ नीचे तक आने लगा , जिसे देखकर श्वेता समझ गयी की काव्या भी ये सब करने के लिए तय्यार है..

वो भागकर बाथरूम से हेयर रिमोवर क्रीम एन्न फ्रेंच ले आई,और उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी बाजू, टाँगो और चूत पर क्रीम लगा दी

आधे घंटे के बाद उसने वो सब सॉफ कर दिया ...

तब काव्या ने देखा की श्वेता ने उसकी चूत के बीचो बीच एक लकीर छोड़ दी है, उसने श्वेता की तरफ देखा.

श्वेता : "ये आजकल का फेशन है, ऐसी ट्रिम की हुई लाइन या शेप देखकर मर्द बहुत उत्तेजित हो जाते हैं ''.

काव्या उससे पूछना तो चाहती थी की उसे इतना सब कैसे पता है, पर उसकी पूरी बॉडी मे बहुत इचिंग हो रही थी, सो वो भागकर बाथरूम मे चली गयी और नहाकार वापिस आ गयी, ऐसे ही, नंगी , उसका पूरा बदन पूरे शबाब पर था और चमक रहा था..



श्वेता भागकर आई और उसके नंगे शरीर से लिपट गयी और बोली : "यार, मैं अगर लड़का होती ना, तो तुझे आज ही कली से फूल बना देती ''.

उसकी ये बात सुनकर काव्या की साँसे तेज हो गयी, जिसे श्वेता ने भी महसूस किया, और उसने ये भी देखा की काव्या अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी जाँघ पर रगड़ रही है ..

वो समझ गयी की आज तो उसके साथ कुछ करना ही पड़ेगा.

उसने अपने दाँये हाथ की उंगली उसकी बह रही चूत के अंदर खिसका दी, वो सिसक कर उसके और पास आ गयी और अपने छोटे-2 स्तनो को उसकी गोल-गोल छातियों से घिसने लगी..

श्वेता ने अपने दोनो हाथो मे उसके लंबे निप्पल पकड़े और उन्हे अपनी तरफ खींच लिया और झटके से आगे आई काव्या के होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर उसने उन्हे चूसना शुरू कर दिया..

''पुछ्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्मममममम अहह''.

और फिर अपनी उंगली और अंगूठे के बीच उसके निप्पल फँसा कर हथेली से उसकी दोनो ब्रेस्ट को मसाज करने लगी.

श्वेता : "ये देख, जब भी खाली बैठी हुआ कर तो ऐसे ही अपनी ब्रेस्ट की मालिश करती रहा कर , तभी मोटी होंगी ये, मेरी तरहा .....तेरी मा की तरहा .....''

वो आगे बोली : "जैसे वो योग गुरु बताते है ना टीवी पर, अपने नाख़ून एक दूसरे पर घिसने से बॉल आ जाते हैं, वैसे ही इन्हे घिसने पर ये भी बड़ी हो जाएँगी ...इसलिए जब तक कोई रोज इन्हे दबाने वाला तेरा कोई बाय्फ्रेंड नही आता, तुझे ही ये काम करना होगा''..

काव्या ने समझते हुए हाँ मे सिर हिला दिया ...

पर अभी ये समय शिक्षा लेने-देने का नही था, उसे तो अपनी चूत की आग शांत करनी थी अभी ..

उसने श्वेता के सिर को पकड़ा और उसे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया , वो समझ गयी की काव्या क्या चाहती है, वो भी उसकी ताज़ा छिली चूत को अपने मुँह मे लेकर उसे चूसना चाहती थी..

वो धीरे-2 नीचे होती गयी और अंत मे आकर वो उसकी चूत के बिल्कुल सामने बैठ गयी..

और अपनी साँप जैसी जीभ को लपलपाकर जैसे ही उसने काव्या की चूत की औस की बूँदों को पिया, उसने अपनी आँखे बंद करते हुए एक जोरदार चीत्कार मारी और अपनी चूत को बुरी तरहा से झटका देकर अपनी सहेली के चेहरे पर दे मारा..

''आआयययययययीीईईईईईईई .........अहह उम्म्म्मममममममम''.


और खुद पीछे होती हुई अपने बिस्तर पर जाकर लेट गयी ....

और अपने पैरों को श्वेता के सिर के चारों तरफ फँसाकर उसे अपनी चूत के थ्रू पीने लगी , या यूँ कहलो कि अपना जूस उसे पिलाने लगी ...

श्वेता को ऐसा लगा की उसकी साँस ही घुट जाएगी, उसने बड़ी मुश्किल से अपने सिर को उसके चुंगल से छुड़ाया और उपर देखते हुए बोली : "साली, देखने मे तो कितनी भोली सी लगती है, पर तेरे अंदर इतनी आग भरी पड़ी है .....संभालकर इस्तेमाल कर इसका , तभी तू सामने वाले को अपने इशारों पर नचा सकेगी, वरना पहली बार मे ही कोई भी तेरी चूत के परखच्चे उड़ा कर निकल लेगा और तू देखती रह जाएगी ''..

श्वेता की सेक्स क्लास अभी तक चालू थी ....

उसके समझाने के बाद काव्या ने अपने उपर थोडा कंट्रोल किया और आराम से लेटकर उसकी जीभ को अपने तालाब मे किसी मछली की तरह महसूस करने लगी..

और कुछ ही देर के बाद उसकी उबलती हुई चूत मे से गरमा गरम लावा निकालकर बाहर आ गया, तब जाकर उसके शरीर का तापमान सामान्य हुआ..

उसके बाद एक-एक करके काव्या ने अपनी सारी ड्रेसेस उसे पहन कर दिखायी , और उसकी हर ड्रेस पर श्वेता ने तालियां और सिटी मारकर उनको सराहा ...

काव्या को कुछ और बातें समझाने के बाद श्वेता अपने घर चली गयी..और साथ ही ये भी बोल गयी की कोई भी बात पूछनी हो तो तुरंत फोन कर लिया करे..

अगला पूरा दिन पेकिंग करने मे निकल गया। …

और अगली सुबह सभी लोनवाला के लिए निकल पड़े .

आज समीर खुद ड्राइव कर रहा था, उसकी फॉर्चूनर की अगली सीट पर रश्मि बैठी थी और पीछे वाली सीट पर काव्या थी.

और समीर का ध्यान आज बार-2 उसकी तरफ ही जा रहा था.

कारण था उसके कपड़े, जो उसने खास तौर पर वहाँ जाने के लिए पहने थे..

एक टाईट सी टी शर्ट और नीचे एक छोटी सी हॉट पेंट..

जिसमे उसके मोटी गांड के उभार सॉफ नज़र आ रहे थे...

थोड़ी देर मे ही लोकेश का घर भी आ गया और उसको पीकप करने के बाद वो लोग लोनवला की तरफ निकल पड़े, वहाँ का रास्ता डेड घंटे का था.

पीछे वाली सीट पर बैठते ही लोकेश की नज़र काव्या की चिकनी टाँगो पर पड़ी , उसके पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये, उसने भी आज तक उसे बुरी नज़र से नही देखा था, वो तो उसे बच्ची समझ रहा था, पर उसे क्या मालूम था की ये बच्ची उन ढीले-ढाले कपड़ो के अंदर छुपा हुआ एक बॉम्ब है ..

काव्या ने भी मुस्कुराते हुए लोकेश अंकल से हाथ मिलाया और उनसे सट कर बैठ गयी ... और इधर-उधर की गप्पे मारने लगी..

बातों ही बातों मे कब लोनवाला आ गया, उन्हे पता ही नही चला, पुर रास्ते समीर का ध्यान पीछे की तरफ ही था, उसे लोकेश से ईष्र्या भी हो रही थी की वो क्यो उसकी जवान बेटी के पास ऐसे चिपक कर बैठा है, पर वो कुछ कर भी तो नही सकता था

पर ये तो अभी शुरुवात थी, अगले चार दिनों में क्या होने वाला था ये शायद समीर भी नहीं जानता था ...
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11-04-2017, 11:47 AM,
#8
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
सौतेला बाप--6

लोकेश का रिसोर्ट काफी बड़ा था, उसके आगे कि तरफ काफी बड़ी सी झील थी जिसे देखकर रश्मि और काव्या को ऐसा लगा कि वो स्वर्ग में आ गए हैं , पहाड़ियों से घिरी जगह के बीचो बीच इतना शानदार रिसोर्ट था लोकेश का, अब रश्मि कि समझ में आ रहा था कि वक़ालत कि मोटी कमाई उसने कहाँ लगायी है ।

उनकी गाडी मैन गेट से होती हुई अंदर आ गयी, रिसोर्ट का पूरा स्टाफ उनके स्वागत के लिए खड़ा था, सबके हाथों में बूके दिए गए और उन्हें सम्मान के साथ अंदर ले जाया गया

लोकेश ने मेनेजर से पुछा : "हमारा कॉटेज तैयार है न ??"

मैनजर : "जी सर , जैसा आपने कहा था, आप सभी के रहने का इंतजाम हमेशा कि तरह पीछे वाले कॉटेज में कर दिया गया है , चलिए मैं आपको वहाँ ले चलता हु ''

वो सभी पीछे वाले रास्ते से होते हुए रिसोर्ट के पिछले हिस्से में पहुँच गए, और वहाँ कि बाउंड्री को क्रॉस करने के बाद , घने पेड़ो के बीच बने एक शानदार बंगले के पास जा पहुंचे.

समीर ने रश्मि से कहा : "ये है लोकेश का पर्सनल कॉटेज, हम दोनों जब भी आते हैं तो यहीं ठहरते हैं, इसका रिसोर्ट थ्री स्टार है, पर ये कॉटेज पूरा फाईव स्टार है ''.

और सच में, वो एक छोटा सा फाईव स्टार होटल था, बड़ा ही शानदार था वो, आलिशान और बड़ा सा, लगभग पांच कमरे थे उसमे, नीचे तीन और ऊपर दो, और सामने था एक बड़ा सा पार्क और उसके आगे थी दूर तक फैली हुई झील, जो सिर्फ इस कॉटेज के लिए ही थी शायद , क्योंकि रिसोर्ट में रहने वालो के लिए झील का सामने वाला हिस्सा था, पीछे वाला नहीं.

सभी का सामान कमरों में रख दिया गया.

लोकेश अपने ग्राउंड फ्लोर वाले रूम में रुका और समीर और रश्मि को ऊपर वाला रूम मिल गया, काव्या को उनके साथ वाले रूम में पहुंचा दिया गया.

लोकेश ने मेनेजर को बोल दिया कि उनकी इजाजत के बिना पीछे वाले हिस्से में कोई भी ना आये , इस बात का रहस्य रश्मि और काव्या को बाद में पता चला..

अपने रूम में सामान रखने के बाद जब लोकेश लॉन में बैठा चाय पी रहा था तो काव्या वहाँ आयी , गाडी में इतनी देर तक उसके साथ बैठने कि वजह से उसके हुस्न का दीवाना तो वो मन ही मन हो चूका था, अब पहला मौका था जब दोनों अकेले थे..

काव्या : "वाव अंकल , आपका रिसोर्ट तो बड़ा ही शानदार है, मुझे काफी अच्छा लगा यहाँ आकर …।''

लोकेश थेंक्स कहकर उसकी छातियों कि तरफ घूरकर देखने लगा, क्योंकि उसके लम्बे निप्पल देखकर उसके मुंह से और कुछ निकला ही नहीं..

काव्या को झील के किनारे एक नाव खड़ी हुई दिखायी दी, जैसी पुरानी मूवीज में होती थी, लम्बी सी, चप्पू से चलाने वाली , और उसे देखकर वो काफी खुश हुई..



''वाव , यहाँ तो नाव भी है, ये चलती भी है क्या ??"..

लोकेश : " हाँ, इसमें बैठकर अक्सर मै और तुम्हारे पापा फिशिंग के लिए जाते हैं अंदर ''..

काव्या : "अच्छा , मैं भी जाना चाहती हु, चलो न प्लीस ....''.

उसने बड़े ही प्यार से लोकेश से कहा, और वो मना कर ही नहीं पाया.

काव्या : "यु आर सो स्वीट अंकल , मैं अभी चेंज करके आती हु ''.

और इतना कहकर वो अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाते हुए ऊपर कि तरफ भाग गयी..

उसके मांसल चूतड़ों को देखकर उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली , जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी केप्री में अडजस्ट किया.

थोड़ी ही देर में वो भागती हुई नीचे आयी , उसने एक जींस कि निक्कर और टाईट टी शर्ट पहन ली थी, और उस टी शर्ट को उसने पेट वाले हिस्से पर बांध भी लिया था, जिसकी वजह से उसकी गहरी नाभि सपाट पेट के बीच साफ़ दिख रही थी..

एक तो पहले ही लोकेश कि हालत खराब थी, काव्या को ऐसी ड्रेस में देखकर वो और भी उत्तेजित हो गया, उसने दूसरी तरफ मुंह कर लिया ताकि उसके लंड का उभार काव्या न देख सके..

नीचे आते हुए वो रश्मि को कहती हुई आ रही थी कि वो लोकेश अंकल के साथ नाव पर जा रही है , और ये बात सुनकर समीर के कान खड़े हो गए, वो भी भागता हुआ पीछे - २ आ गया..

तब तक काव्या नाव में बैठ चुकी थी, उसने अपने हाथ में पकडे हुए टावल और क्रीम को अंदर रखा और चप्पू अपने हाथ में ले लिए.

लोकेश ने उसकी तरफ लाईफ जेकेट फेंकी और बोला : "ये पहन लो ''..

और उसने खुद भी जेकेट पहन ली और नाव कि रस्सी खोलकर ऊपर चढ़ने लगा, तभी समीर आया और उसे थोडा दूर ले जाकर बोला : "यार एक फेवर करना मेरे लिए ....''

लोकेश ने उसकी तरफ देखा और बोला : "हाँ हाँ क्यों नहीं, बोलो ''

समीर : "तुम झील में जाओ तो एक घंटे से पहले मत आना ''

लोकेश ने रहस्यमयी मुस्कान से उसकी तरफ देखा और बोला : "सही है दोस्त, सही है … डन ''

समीर भी हंस दिया और फिर बोला : "और कोशिश करना कि इतनी दूर निकल जाओ कि यहाँ का नजारा तुम दोनों कि नजरों से ओझल हो जाए ''..

लोकेश समझ गया कि समीर का प्लान रश्मि को वहीँ बाहर लाकर खुले में चोदने का है, आखिर घने पेड़ो से घिरी ऐसी जगह पर चुदाई करने का मजा ही अलग है ।

लोकेश ने भी धीरे से उसके कान में कहा : "पर कीड़े मकोड़ों का ध्यान रखना, कहीं भाभी को कोई काट न ले ....''

समीर ने हँसते हुए उसकी कमर पर एक मुक्का लगाया और उसे जाने के लिए कहा, उसके लंड का उभार भी अब बर्दाश्त से बाहर निकल रहा था.

लोकेश ऊपर चढ़ गया और चप्पू चलाकर नाव को दूर ले जाने लगा..

काव्या उसकी तरफ पीठ करके बैठी थी, इसलिए उसकी पतली कमर और फैली हुई गांड कि शेप उसे साफ़ दिख रही थी , और लोकेश के लिए ये ठीक भी था, क्योंकि वो आसानी से अपने खड़े हुए लंड को अडजस्ट कर सकता था


काव्या वहाँ कि खूबसूरती को निहारती हुई जा रही थी, पर उसके मन के कुछ और ही चल रहा था, वो बार -२ मुड़कर पीछे भी देख रही थी, और जब उसे लगा कि वो काफी दूर निकल आये हैं और कॉटेज वहाँ से दिखायी नहीं दे रहा है तो वो आराम से उठी और अपनी टी शर्ट कि गाँठ खोल दी..

लोकेश हैरानी से देख रहा था कि वो आखिर करना क्या चाहती है.

काव्या ने टी शर्ट का निचला हिस्सा पकड़ा और उसे धीरे-२ ऊपर उठाना शुरू कर दिया...

लोकेश कि समझ में नहीं आया कि वो आखिर कर क्या रही है..

वो टी शर्ट उठाती चली गयी और उसे उतार दिया उसने टी शर्ट के नीचे हाल्टर ब्रा पहनी हुई थी, लाल रंग कि, जिसमे उसके नन्हे-२ चूजे बंद थे , और उनकी चोंचे ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तैयार थी..

लोकेश हैरानी से उन्हें देखता रह गया , उसके मुंह से कुछ निकला भी नहीं..

वो क्या कर रही थी , लोकेश कि समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था , उसने अपना टॉवल उठाया और उसे वहीँ नीचे कि तरफ बिछाने लगी, और ऐसा करते हुए नाव एकदम से डगमगाने लगी..

लोकेश ने अपने सूखे मुंह से आवाज निकाली और बोला : "देखो काव्या , नाव पर बैलेंस बनाकर रखना जरुरी है, तुम बीच में बैठोगी तो सही से चल नहीं पायेगी ये …''

काव्या : "तो थोड़ी देर के लिए रोक लेंगे न, मुझे तो बस सन टैनिंग करनी है, अगर आप को कोई परेशानी न हो तो ''

लोकेश को विश्वास नहीं हुआ कि काव्या उसके होते हुए सन टेनिंग लेना चाहती है , उसने मन ही मन सोचा कि ये आजकल कि लड़कियों को अपनी त्वचा को एकसार बनाये रखने के लिए क्या-२ करती रहती है, पर वो इतनी बेशर्म होकर उसके सामने ही सन टेनिंग लेगी, उसे अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा था.

पर जल्द ही उसका जवाब उसे मिल गया..

काव्या ने धड़कते हुए दिल से अपनी हाल्टर ब्रा कि डोरी खोली और उसे खोलकर नीचे रख दिया अब वो ऊपर से पूरी तरह से नंगी थी.

काव्या नीचे झुककर अपना टॉवल फिर से अडजस्ट करने लगी..

उसकी नजरें लोकेश कि तरफ गयी, जो चप्पू चलना भूलकर , अपना मुंह फाड़े, उसकी कोमल और नन्ही ब्रेस्ट को बिना पलकें झपकाए देख रहा था..



ये पहला मौका था जब काव्या ने इतनी बेशर्मी से अपनी ब्रेस्ट किसी को दिखायी थी, पर वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे ये सब नॉर्मल है उसके लिए..

उसने लोकेश से पूछा : "आई होप अंकल, आपको ये सब बुरा नहीं लग रहा , एक्चुअली, मैं मॉम-डेड के सामने तो ऐसा कर नहीं सकती न, आपके साथ तो मैं अब काफी फ्रेंक हो चुकी हु ''.

लोकेश को भला क्या प्रॉब्लम हो सकती थी , उसे तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि काव्या उसके सामने टॉपलेस बैठी है..

उसकी ब्रेस्ट कि बनावट देखकर उसके मुंह में पानी भर आया, वो टकटकी लगाए हुए उन्हें घूरता रह गया

काव्या : "आप तो ऐसे देख रहे हैं, जैसे आपने पहले किसी कि ब्रेस्ट देखि ही नहीं है ''

उसकी बात सुनकर लोकेश एकदम से शर्मिंदा हो गया और दूसरी तरफ देखने लगा, काव्या कि हंसी निकल गयी

वो थोडा सम्भला और बोला : "नहीं, ऐसा नहीं है कि मैंने पहले कभी ब्रेस्ट नहीं देखि, बस मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम ऐसा कुछ करोगी, वैसे सोचकर देखो, अगर तुम्हारे पापा और मम्मी को पता चला कि तुम नाव पर मेरे सामने इस तरह से टॉपलेस बैठी हो तो क्या होगा ''

काव्या ने अपनी आँखे फैलायी और बोली : "पापा का तो पता नहीं, पर मम्मी तो पागल ही हो जायेगी ये सुनकर, तभी तो मैंने कॉटेज का आँखों से ओझल होने तक का वेट किया, और आपकी परमिशन कि जरुरत नहीं समझी मैंने, इतना तो भरोसा कर ही सकती हु न आपके ऊपर ....''

लोकेश ने मन ही मन सोचा, साली बिहेव तो ऐसे कर रही है जैसे बरसों विदेश में रहकर आयी है, और इतने खुलेपन कि आदत है उसे, वैसे कोई भी शरीफ लड़की इतनी जल्दी किसी के भी सामने नंगी नहीं हो जाती, या तो ये चालू है या फिर एक नंबर कि बेवक़ूफ़ ....

पर उसे क्या मालुम था कि ये तो उसके शातिर दिमाग का एक ऐसा प्लान है जो उसने अपनी सहेली श्वेता के साथ मिलकर बनाया है..

लोकेश : "हाँ हाँ , क्यों नहीं, भरोसा रखो मुझपर ……''

और फिर उसकी छातियों को अपनी नजरों से भेदता हुआ वो नाव चलाने लगा..

पर उसे क्या पता था कि ये तो बस शुरुवात है, काव्या ने उसकी तरफ चेहरा करते हुए अपनी निक्कर के बटन खोले और उसे उतारने लगी, जैसे -२ उसकी निक्कर नीचे आ रही थी, लोकेश कि आँखे फ़ैल कर फटने को तैयार हो रही थी , उसने निक्कर के नीचे लाल रंग कि ही एक छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी , जिसके अंदर उसकी फूली हुई सी चूत वो साफ़ देख पा रहा था.

नाव छोटी थी, और काव्या के पैर लगभग लोकेश को टच ही कर रहे थे जब वो अपनी टाँगे फेला कर अपनी निक्कर को बाहर खींच रही थी, उसके नरम पैरों के स्पर्श से उसके शरीर में तरंगे उठने लगी..

उसके बाद काव्या वहीँ टावल पर बैठ कर क्रीम लगाने लगी, उसने ढेर सारी क्रीम निकालकर अपने पैरों, हाथों पर मल ली और फिर अपनी ब्रैस्ट पर भी काफी क्रीम लगाकर उन्हें मसलने लगी..

ऐसा करने में काव्या को काफी मजा भी आ रहा था, उसके लम्बे निप्पल ऐसी क्रिया से बुरी तरह से खड़े होकर लहराने लगे थे, उसके नन्हे और सफ़ेद मुम्मों में एक अलग तरह कि लालिमा उतर आयी थी, जो लगातार मर्दन से और भी बढ़ती जा रही थी ...

काव्या : "उम्म्म्म … ऐसा मौका कभी-२ ही मिलता है ''

वो शायद लोकेश को अपना तर्क दे रही थी

पर लोकेश तो उसकी सुंदरता में ऐसा खोया हुआ था कि उसे वो सुनायी ही नहीं दिया

लोकेश : "अन्न। …क्या …क्या कहा तुमने ??"

काव्या हंसने लगी, और लोकेश बेचारा शर्मिंदा सा होकर फिर से चप्पू चलाने लगा

अब काव्या ने भी बात थोडा और आगे बढ़ाने कि सोची..

काव्या : "अंकल आप ठीक तो है न , लगता है आप कम्फर्टेबल नहीं हो मेरे ऐसा करने से ''..

लोकेश (हकलाते हुए) : "वो वो … दरअसल … ऐसा अगर आँखों के बिलकुल सामने हो तो थोडा हो ही जाता है .... ''

काव्या : "हम्म्म्म दिख रहा है मुझे भी ''..

उसकी नजरें लोकेश के लंड को घूर रही थी जो बुरी तरह से फड़फड़ा कर बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था

लोकेश ने झट से अपने लंड को अपनी टांगो के बीच छुपा कर उसकी भूखी नजरों से छुपा लिया..

काव्या ने एक और बम्ब फोड़ा

काव्या : ''अच्छा अंकल , एक बात बताओ, क्या आपने आज तक अपनी इस नाव पर मास्टरबेट किया है ''

उसकी बात सुनकर लोकेश नाव से गिरते-२ बचा..

"क्याआअ ???? क्या कहा तुमने "..


उसने उतनी ही मासूमियत से कहा : "मेरा मतलब है आपने अपना कम कभी इस नाव पर निकाला है , सेक्स करते हुए या मास्टरबेट करते हुए ''..

उसकी इतनी एडवांस बातें लोकेश के सर के ऊपर निकल रही थी.

उसके मुंह से बस इतना ही निकला : "उम्म्म नहीं …यहाँ कभी नहीं ''.

काव्या : "कोई और हो, जिसने ये किया हो ??"..

शायद उसका इशारा समीर कि तरफ था.

लोकेश : "नहीं , मेरे हिसाब से तो किसी ने भी नहीं किया ''.

काव्या : "ओह वॉव, यानि मैं पहली बार ऐसा कुछ करुँगी आपकी इस नाव पर ''.

इतना कहते हुए उसने अपनी क्रीम से भीगी हुई उँगलियों को अपनी कच्छी के अंदर खिसका दिया और अपनी चूत को उनसे मसलने लगी.

उसकी आँखे बंद हो चुकी थी पर उसकी उँगलियों कि थिरकन और चेहरे पर आ रहे भाव को देखकर लोकेश को समझ में आ रहा था कि उसे इस वक़्त कितना मजा आ रहा था

इस वक़्त तक लोकेश ने चप्पू चलना छोड़ दिया था और वो अपना मुंह और आँखे फाड़े काव्या को अपनी नाव पर मुठ मारते हुए देख रहा था , उसकी नुकीली छातियाँ नीले आसमान कि तरफ मुंह करके अपनी सुंदरता बिखेर रही थी.

काव्या ने अपनी आँखे खोली और बड़े ही सेक्सी स्टाईल में लोकेश को देखते हुए बोली : "वैसे अब इसका भी कोई मतलब नहीं रह गया है ''..

इतना कहते हुए उसने अपनी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया और कुछ ही देर में उसकी गर्म पेंटी लोकेश के पैरों के ऊपर पड़ी हुई थी

अब वो पूरी नंगी थी, लोकेश तो उसकी नग्नता को देखकर सिहर उठा , इतनी जवान और कच्ची कली को उसने आज तक नंगा नहीं देखा था.

उसकी कच्छी कि धारियां उसके बदन पर साफ़ दिख रही थी , उनकी तरफ इशारा करते हुए उसने कहा : "इनके लिए तो इससे अच्छी जगह कोई और हो ही नहीं सकती थी टेनिंग के लिए ''..

उसकी चूत के ऊपर बना हुआ तिकोन बड़ा ही सेक्सी लग रहा था.

वो उसके बारे में कुछ बोलने ही वाला था कि काव्या कि उंगलियो ने अपनी चूत को फैलाया और अपनी बीच वाली ऊँगली अंदर खिसका कर अपने दाने को कुरेदने लगी , और साथ ही उसके मुंह से एक सेक्सी सी आवाज भी निकल आयी..

''आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। ....... उम्म्म्म ''

उसने अपनी मदहोश आँखे खोली और लोकेश कि तरफ देखते हुए बोली : "वैसे मेरा काम और भी आसान हो सकता है, अगर आप अपने शेर को पिंजरे से बाहर निकाल कर मुझे दिखा दो, और मेरे साथ आप भी मास्टरबेट करो, हो सकता है आप मुझसे पहले इस नाव पर अपना कम गिराने वाले इंसान बन जाए ''..

लोकेश ने हैरानी से पुछा : "तुम मजाक तो नहीं कर रही ??".

काव्या : "आपको क्या लगता है अंकल , मैं इस टाइम आपकी नाव पर नंगी बैठकर अपनी पुस्सी में फिंगरिंग कर रही हु, ये क्या मजाक लग रहा है, ऑफसौर्स, मैं ऐसा ही चाहती हु, जल्दी करो प्लीज ....''

उसका ऑफर ही इतना लुभावना था कि लोकेश ना कर ही नहीं पाया ..

उसने पलक झपकते ही अपनी केप्री और चड्डी निकाल कर नीचे रख दी , और अपने फुंकारते हुए लंड को आजाद कराया

काव्या : "अपनी टी शर्ट भी उतारो, मुझे आपकी चेस्ट भी देखनी है ''.

उसने अपनी चूत में ऊँगली डालते हुए बड़े ही सेक्सी अंदाज में कहा ..

उसने अपनी टी शर्ट भी उतार दी, उसे पता था कि ऐसा मौका उसकी जिंदगी में कभी दोबारा नहीं आएगा..

काव्या तो उनके लंड को देखकर निहाल ही हो गयी, उसकी चूत के अंदर एक अजीब तरह कि खुजली होने लगी , पर उसे भी पता था कि अभी के लिए उसे क्या-२ करना है..

काव्या : "शर्माओ मत अंकल , करो आप भी मेरे साथ, हिलाओ इसे , जल्दी - २ , जोर से, कम ओन्न्न ……''

और इसके साथ ही उसकी उँगलियों कि थिरकन और भी तेज होने लगी ..
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11-04-2017, 11:47 AM,
#9
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
सौतेला बाप--7

उसे अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उसके जिगरी दोस्त कि बेटी उसके सामने नंगी होकर बैठी है और मास्टरबेट कर रही है..

उसने भी अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, उसका सुपाड़ा स्किन के नीचे छिप जाता और फिर निकल आता, ये देखकर काव्या के अंदर कि मस्ती बढ़ती ही जा रही थी..

दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, काव्या कि नजरे लोकेश के लंड पर थी और लोकेश कि नजरें उसकी जूसी पुस्सी पर ।

लोकेश ने देखा कि काव्या कि चूत में से गीलापन निकल कर बाहर रिसने लगा है, जिसे वो अपनी चूत के चेहरे पर मलकर उसे निखार रही थी , लोकेश के लंड से भी प्रीकम निकला, जिसे उसने अपने पूरे लंड पर मलकर उसे चिकना बना लिया, दोनों कि साँसे तेज होने लगी थी , दोनों के अंदर एक तूफ़ान जन्म ले चुका था

और अचानक लोकेश के थरथराते हुए लंड को देखकर काव्या के मुंह से निकला : "ओह्ह्हह्ह्ह्ह अंकल उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

और उसके साथ ही उसने अपनी दो और उँगलियाँ अपनी चूत में उतार दी, ऐसा सीन और उसकी सेक्सी आवाज लोकेश के लिए बहुत थी, उसके ज्वालामुखी को बाहर निकालने के लिए ....

वो थोडा आगे खिसक आया और एक जोरदार हुंकार के साथ उसके लंड से गर्म -२ दूध निकलकर काव्या के ऊपर गिरने लगा .

वो तो उसकी तपन से जल सी गयी..

ढेर सारा रस नाव पर भी गिरा , जिसे देखकर और महसूस करते हुए काव्या कि उँगलियाँ भी तेज हो उठी और वो बुदबुदाने लगी

''अह्ह्ह्हह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स अंकल अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आई ऍम आल्सो कमिंग ..........'''''

और इसके साथ ही उसकी चूत से भी एक गर्म पानी कि बौछार बाहर कि तरफ निकल आयी , और एक बड़ी सी बूँद लोकेश के माल पर भी जाकर गिरी..

काव्या ने गहरी साँसे लेते हुए अपनी ऊँगली से अपने और लोकेश के रस को मिलाया और अपनी ऊँगली में लपेट कर उसे अपने मुंह के अंदर धकेल लिया और एक गहरी सांस लेते हुए उसे चूसने लगी

लोकेश ने तो सोचा भी नहीं था कि उसकी जिंदगी में ऐसा कुछ भी हो सकता है.

वो बेचारा अपनी साँसों पर काबू पाने कि कोशिश करता हुआ काव्या को अपना और उसका खुद का रस चाटते हुए देख रहा था..

उसने अपनी घडी देखि, अभी तो सिर्फ आधा घंटा ही हुआ था, लोकेश ने फिर से चप्पू चलाना शुरू कर दिया

काव्या तो मास्टरबेट करने के बाद वहीँ टावल पर लेट कर अपनी चूत कि परतों को मसल रही थी , उसके सेक्सी बदन को देखकर कब उसके लंड ने दोबारा अकड़ना शुरू कर दिया उसे भी पता नहीं चला

और लोकेश के लंड कि अकड़न काव्या से भी ज्यादा देर तक छुपी ना रह सकी

काव्या : " वाव अंकल , मानना पड़ेगा, इतनी उम्र में भी आप जवानो से कम नहीं हो …लगता है अभी-२ जो प्रतियोगिता आपने जीती है, उसका इनाम देने का समय आ गया है ''

इतना कहते हुए वो अपने घुटनो और हाथों पर किसी कुतिया कि तरह चलती हुई लोकेश कि तरफ बढ़ने लगी..

अभी भी आधा घंटा था वापिस जाने में, कहाँ तो लोकेश पहले सोच रहा था कि एक घंटे तक क्या करेगा नदी में, और अब सोच रहा है कि एक घंटे से ज्यादा ठहर सकते तो कितना अच्छा होता पर वो ज्यादा देर तक ठहर कर समीर और रश्मि के मन में कोई शक़ भी पैदा करना नहीं चाहता था, आखिर उनकी जवान बेटी के साथ आया हुआ था वो.

लोकेश कि नजरें काव्या के लटक रहे थनों पर पड़ी, जो नीचे लटकने कि वजह से कुछ ज्यादा ही बड़े नजर आ रहे थे, अब काव्या ही अपनी तरफ से पहल कर रही थी, इसलिए लोकेश ने भी ज्यादा भाव खाना सही नहीं समझा , उसने अपने पैर को आगे किया और ऊपर करते हुए उसने उसके लटक रहे मुम्मे के निप्पल को अपने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली के बीच फंसा कर नीचे कि तरफ खींचा.

काव्या के मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीईरे। ……… दर्द होता है न ''...

उसने बड़े ही प्यार से अपनी गोल आँखे नचाते हुए लोकेश से कहा.

ये उसकी जिंदगी का पहला स्पर्श था, किसी मर्द का …

लोकेश ने फिर से चप्पू चलना छोड़ दिया और अपने दूसरे पैर को भी खिसका कर उसकी दूसरी ब्रेस्ट पर ले आया और अपने अंगूठे से उसके निप्पल को खुरचने लगा.

उसने अपने दोनों अंगूठों का दबाव ऊपर कि तरफ डाला जिसकी वजह से उसके दोनों लम्बे -२ निप्पल मुम्मों के मांस के अंदर घुस गए , वहाँ के गुदाजपन को अपने पैरों पर महसूस करके लोकेश को एक अलग ही आनंद प्राप्त हो रहा था , काव्या के दोनों निप्पल उसके अंगूठे पर किसी कील कि तरह चुभ रहे थे.

काव्या के लिए भी ये अलग किस्म का मजा था, उसका तो मन कर रहा था कि उसके पैर को पकड़ कर अपनी चूत पर रखे और उसकी सारी उँगलियाँ अंदर धकेल डाले , पर आज के लिए वो अपनी सीमा जानती थी, वो सिर्फ उतनी लिमिट तक ही जाना चाहती थी, जहाँ तक के लिए उसने और श्वेता ने डिसकस किया था.

वो सीधी होकर अपने घुटनों को मोड़कर उसके सामने किसी दासी कि तरह बैठ गयी और अपने दोनों हाथों को लोकेश के पैरों के ऊपर रखकर उनका दबाव अपनी छातियों पर डाला और उनसे मिल रही सिहरन का मजा महसूस करके सिसकने लगी.

उसने सिसकारी मारते हुए उसके अंगूठे को पकड़कर अपने मुंह कि तरफ किया और उसके मोटे से अंगूठे को पकड़कर अपने रसीले होंठों के अंदर रखा और उसे किसी लंड कि तरह से चूसने लगी.

अब अपनी आँखे बंद करके सिसकने कि बारी लोकेश कि थी, उसे ऐसा अनुभव हो रहा था कि जैसे काव्या उसका अंगूठा नहीं बल्कि लंड चूस रही है , दूसरे पैर से वो उसके निप्पल को पकड़कर बाहर कि तरफ खींचने लगा जैसे वो उसके बदन से उखाड़कर अलग ही कर देना चाहता हो , काव्या को भी दर्द हो रहा था पर उस दर्द का भी अलग ही मजा मिल रहा था उसे …

अपने दूसरे पैर को उसकी छाती को मसलने के बाद वो उसे नीचे कि तरफ ले गया और सीधा लेजाकर काव्या कि धधक रही चूत के ऊपर रख दिया , वो पहले से ही इतनी गीली थी कि लोकेश के पैर का अंगूठा घप्प से उसके अंदर घुस गया और काव्या अपनी कमर हिला-हिलाकर उसकी अकड़न को अपनी क्लिट के दाने पर मसलकर उसका आनंद उठाने लगी.

अब काव्या से सहन करना मुश्किल हो रहा था, उसने लोकेश के दोनों अंगूठों को अपने मुंह और चूत से बाहर निकाला और खिसक कर और आगे आयी और झपट कर उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया और सड़प करके उसे अपने मुंह के अंदर धकेल लिया..


ये था काव्या कि जिंदगी का पहला लंड , जिसे उसने अपने हाथों में पकड़ा था, और अब उसे अपने मुंह के अंदर ले कर उसे किसी लोलीपोप कि तरह चूस रही थी..

इतना मोटा, लम्बा और मुलायम त्वचा का लंड, कितनी अकड़ थी उसके अंदर , वो तो पागल सी हुई जा रही थी उसे अपने हाथों और मुंह के अंदर महसूस करते हुए , उसने अपनी जिंदगी के लगभग 18 साल निकाल दिए थे बिना किसी लंड को टच किये बिना और अब वो उन सभी सालों का हिसाब जल्द से जल्द चुकता कर देना चाहती थी.

वो अपनी जीभ से लोकेश अंकल के लंड के सुपाड़े को किसी आइसक्रीम कोन कि तरह चाट रही थी, और उसपर अनगिनत किस्सेस भी कर रही थी..

अपने लंड को मिल रही इतनी इज्जत से लोकेश भी खुश हो गया..

उसने एक हाथ से काव्या के बालों को पकड़ा और दूसरे से उसकी गर्दन दबोच ली और उसके सर को ऊपर नीचे करता हुआ अपने लम्बे लंड से उसके मुंह को चोदने लगा..

ये बेशक काव्या कि जिंदगी कि पहली लंड चुसाई थी, पर वो कर ऐसे रही थी कि लोकेश को भी लग रहा था कि वो काफी खेली खायी लड़की है..

और लोकेश मन ही मन हैरान भी हो रहा था कि इतनी सी उम्र में ही उसने लंड चूसने कि ऐसी महारत हासिल कर ली है , पर जो भी था, वो इन पलों का पूरा आनंद लेता हुआ अपना लंड चुस्वा रहा था ...

और जल्द ही उसके लंड ने जवाब दे दिया और एक के बाद एक कई रॉकेट उसके लंड से निकलकर काव्या के मुंह के अंदर पहुँच गए..

और वो अंत तक उसे चूसती रही..

जब वो पीछे हुई तो उसके दोनो गाल फूले हुए थे, यानि उसने लोकेश का माल अपने मुंह के अंदर ही इकठ्ठा किया हुआ था..

उसने लोकेश कि तरफ बड़े ही सेक्सी अंदाज में देखा और झील कि तरफ झुककर अपने होंठों को गोल करके एक पिचकारी मारी, और सारा माल बाहर निकाल दिया.

काव्या : "सॉरी, मुझे इसका स्वाद पसंद नहीं है, इसलिए निकाल दिया ''.

काव्या ने अपनी जिंदगी में आज पहली बार किसी के रस को अपने मुंह से चखा था, और थोडा अजीब सा स्वाद था वो ,इसलिए अंदर नहीं निगल पायी , शायद आने वाले टाइम में निगल पाये, पर आज नहीं …

गहरे नीले रंग के पानी पर लम्बी सी लकीर खिंच गयी सफ़ेद रंग कि, जो धीरे-२ पानी के अंदर विलीन हो गयी..

लोकेश : "यहाँ इतनी जगह नहीं है कि मैं ढंग से तुम्हारे इस अहसान का बदला चुका सकू ''.

काव्या : "कोई बात नहीं अंकल, अभी तो हमारे पास काफी दिन हैं यहाँ , शायद रात तक ही कोई रास्ता निकल आये ''.

अभी भी पंद्रह मिनट बचे थे, और ये बात काव्या भी जानती थी, उसने लोकेश को जल्द से जल्द वापिस चलने को कहा.

उसे पता था कि समीर और उसकी माँ पीछे से क्या करेंगे और वो देखना चाहती थी कि वहाँ क्या हो रहा है ....

लोकेश ने भी कोई बहस नहीं कि, वैसे भी, बेटी के बाद माँ के जलवे देखने के लिए वो भी उत्सुक था.
पर उन्हें क्या पता था कि जो आज वो देखने जा रहे हैं वो उन दोनों कि जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगा

दूसरी तरफ, जैसे ही लोकेश और काव्या नाव पर बैठकर समीर कि नजरों से ओझल हुए, उसने नीचे खड़े-२ ही रश्मि को आवाज लगायी

समीर : "रश्मि …… रश्मि ....... जल्दी से नीचे आओ ''

रश्मि ने खिड़की से अपना सर बाहर निकाला और बोली : "क्या हुआ जी , क्यों इतने उतावले हो रहे हो ''

समीर ने अपनी केप्री नीचे खिसका दी और अपना खड़ा हुआ लंड उसकी आँखों के सामने लहरा दिया ..

रश्मि ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और बोली : "हाय , तुम्हे कोई शर्म है या नहीं, लोकेश भाई साहब और काव्या यहीं है अभी ....''

समीर : "नहीं , वो दोनों तो गए एक घंटे के लिए ''

इतना कहकर उसने दूर जाती हुई नाव कि तरफ इशारा किया..

अब रश्मि समझ गयी थी कि ये समीर का ही प्लान होगा शायद, काव्या और लोकेश को भेजकर वो खुलकर जंगल में मंगल करना चाहता था.

समीर ने उसे फिर से नीचे बुलाया और वहीँ से चिल्ला कर बोला : "जल्दी से नीचे आओ, और सुनो, बिना कपड़ो के ही आना ''.

इतना कहकर उसने अपने बचे हुए कपडे भी उतारकर साईड में रख दिए.

रश्मि ने आज तक समीर को किसी भी बात के लिए मना नही किया था, इसलिए अब भी नही करना चाहती थी, उसने सकुचाते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए, और मन ही मन वो सोच भी रही थी की कैसे वो इतनी बेशरम हो सकती है की खुले मे नंगी होकर वो समीर के पास जाएगी, पर करना तो पड़ेगा ही, आख़िर उसके बॉस और पति का हुक्म जो था.

वैसे दोस्तो, पति को हमेशा ऐसी ही पत्नियाँ पसंद आती है, जो सेक्स के वक़्त उसकी बात को बिना सोचे-समझे मान ले,ये सब उसके मन में बसी हुई इच्छाये या फेंटसी होती है, जो वो अपनी पत्नी से पूरा करवाना चाहता है .. चाहे वो बात ग़लत हो या सही, तभी वो व्यक्ति अपनी पत्नी से पूरा संतुष्ट रह पाता है, वरना कब बाहर मुँह मारने लग जाए, उसे खुद भी पता नही चलता.

अपने मुम्मे छलकाते हुए वो नीचे आ रही थी जिसे देखकर समीर के लंड ने उसके पेट के ऊपर अपना सर दे मारा , वो भागकर उसके पास गया और उसके नंगे बदन से लिपट गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा


चूमते-२ वो उसे झील के किनारे बिछायी हुई चादर के ऊपर ले आया और उसे नीचे लिटा कर उसकी छाती पर बैठ गया , और अपने लंड को उसके मुंह के सामने लहरा दिया, और बोला : "खोलो, मुंह खोलो जल्दी से …''

उसकी बेचैनी देखकर रश्मि कि भी हंसी निकल गयी, वो भी मजे लेते हुए बोली : "अगर ना खोलू तो …''

समीर ने झुक कर उसके बालों को पकड़ा और बेदर्दी से उसे ऊपर कि तरफ खींच कर थोडा ऊपर उठाया और बोला : "तो तकलीफ तुझे ही होगी, जल्दी कर अब ....''

रश्मि को भी समीर का ये मर्दाना अंदाज पसंद आ रहा था, वो तो हमेशा चाहती थी कि उसे बिस्तर पर कोई ऐसा मिले जो उसपर किसी दासी कि तरह हुक्म चलाये, उसे रोंदे, उसे मसले, उसकी फाड़ कर रख दे , और आज समीर के इस रूप को देखकर उसके मन को इतना सकून मिल रहा था ये समीर को भी नहीं पता चल पा रहा था..

उसने मुंह खोल दिया.

समीर ने अपने दूसरे हाथ में अपने लंड को पकड़कर उसके खुले हुए मुंह के अंदर धकेल दिया और अपनी आँखे बंद करके उसमे धक्के मारने लगा , रश्मि ने भी अपने होंठों के फंदे में अपने मालिक के लंड को जकड़कर उसे चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया.

रश्मि ने समीर के घुटनों को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचकर धक्को में एक लय सी बाँध ली और समीर भी तेजी से धक्के मारता हुआ उसके मुंह को बुरी तरह से चोदने लग गया.

एक बार तो उसने इतना तेज धक्का मारा कि रश्मि के गले के अंदर तक उसका लंड घुस गया और उसे सांस लेने में भी मुश्किल होने लगी, समीर ने थोड़ी देर के लिए अपना हथियार बाहर निकाला और फिर जब वो ठीक हुई तो दोबारा अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसके मुंह के अंदर पेल दिया.

उसके बाद दो बार और वही हुआ तो समीर ने आखिरकार अपना लंड बाहर ही निकाल लिया, रश्मि कि हालत खराब हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि उसे उलटी आ जायेगी, पर पति को मना भी नहीं कर रही थी वो, ये देखकर समीर को काफी अच्छा लगा, उसने रश्मि को उसका इनाम देने कि सोची और धीरे से खिसक कर नीचे कि तरफ जाने लगा.

रश्मि समझ गयी कि अब क्या होने वाला है, उसकी साँसे तेज होने लगी, और जैसे ही समीर ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जलती हुई जीभ रखी,

वो तड़प उठी और अपना ऊपर का हिस्सा हवा में उठाकर समीर के सर को अपनी चूत कि भट्टी में झोंक दिया.

वो भी किसी पालतू कुत्ते कि तरह उसकी चूत से रिस रहे गर्म और मीठे पानी को चाट रहा था , उसकी नाक चूत कि लकीर पर घिसाई कर रही थी जिसका एक अलग ही आनंद रश्मि को मिल रहा था

समीर ने उसकी चूत के होंठों को अपने हाथ से फैलाया और अंदर बैठी हुई क्लिट को अपने होंठों के बीच फंसा कर बाहर कि तरफ खींचा , रश्मि को तो ऐसा लगा जैसे उसकी आत्मा को बाहर निकाल रहा है कोई, उसने खुले हुए मुंह से समीर के सर को पकड़कर उसे पीछे कि तरफ धकेला, पर समीर ने उसके दाने को नहीं छोड़ा, वो उसे चूसता ही रहा, चूसता ही रहा

पेड़ो के बीच , रश्मि कि तेज चीखें गूँज रही थी, उसे अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं रह गया था, वो पागलों कि तरह समीर से अपनी चूत चुसवाती हुई सिस्कारियां मार रही थी

और अचानक उसने वो पल महसूस किया जिसके लिए ये सब हो रहा था, उसके अंदर का ओर्गास्म एक जोरदार आवाज के साथ बाहर निकल आया और वो निढाल सी होकर अपनी साँसों पर काबू पाने कि कोशिश करने लगी

"उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म मजा आ गया, थेंक यू … '' रश्मि ने बड़े ही प्यार से समीर के बालों में हाथ फेरते हुए कहा .

''अभी तो और भी बहुत कुछ बाकी है '' इतना कहते हुए वो उसकी जांघो , पेट और नाभि को चूमता हुआ ऊपर आने लगा, बीच में उसकी पहाड़ियों पर भी अपने गीले होंठों के निशान छोड़ता हुआ, उसके निप्पल को मुंह में चूसकर, दूसरे को अपनी उंगलिओं से दबता हुआ, और आखिर में उसके चेहरे को अपनी जीभ से साफ़ करते हुए, उसके होंठों को चूसने लगा, रश्मि को उसके होंठों से अपनी चूत के रस कि खुशबु आ रही थी

वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को चूसते रहे , रश्मि का हाथ समीर के लंड पर किसी पिस्टन कि तरह चल रहा था

रश्मि ने समीर कि आँखों में देखते हुए धीरे से कहा : "यानि, अब आप मुझे चोदोगे ??"

आज पहली बार रश्मि ने चुदाई शब्द का इस्तेमाल किया था, और वो भी इसलिए कि उसे पता था कि समीर को ऐसी भाषा में बोलना और सुनना पसंद है, वो तो पहले से ही उत्तेजित था, रश्मि के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर वो उत्तेजना के मारे हकलाने सा लग गया और बोला : " हआ न। … मेरी जान .... सालि रांड .... अब मैं चोदुंगा ते.... ते.... तेरी चू.. चूत को , अच्छी तरह से लूँगा तेरी मैं अब ....''

रश्मि जानती थी कि ऐसी बातें करके वो समीर को और भी ज्यादा उत्तेजित कर सकती है, उसकी उत्तेजना और मर्दानगी को बढ़ाने के लिए उसने समीर से कहा : "आप मेरी चूत मारोगे और मैं मारने दूंगी, ऐसा हर बार तो होगा नहीं, मेरा काम तो हो चूका है, मैं अब आपको अपनी चुदाई नहीं करने दूंगी ''.

उसकी आँखों में एक शरारत भी थी, जिसे समीर देख भी पा रहा था और उसकी बातों को समझकर वो जान भी गया था कि वो ऐसा क्यों कह रही है.
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11-04-2017, 11:47 AM,
#10
RE: Incest Sex Kahani सौतेला बाप
सौतेला बाप--8

उसने उसके बालों को पकड़ा और बोला : "अगर तुम मुझे मना करोगी तो मुझे तुम्हारे साथ जबर्दस्ती करनी पड़ेगी ''..

रश्मि : "करके दिखाओ ''

उसने जैसे चेलेंज किया समीर को ..

रश्मि के इतना कहते ही समीर ने उसे बालों से पकड़ते हुए ऊपर उठाया और उसके एक हाथ को पीछे कि तरफ मोड़ते हुए उसे एक तरफ चलने को कहा..

वो एक हाथ से उसके बाल और दूसरे से उसकी बाजू को पकड़कर उसे जानवरों कि तरह चलाता हुआ एक पेड़ के पास तक ले आया और उसे पेड़ के तने से चिपका कर खड़ा कर दिया, उसके नाजुक -२ मुम्मे और खड़े हुए निप्पल, पेड़ के कठोर तने से पीसकर रगड़ खा गए और रश्मि के मुंह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी.

समीर उसके नंगे बदन से लिपटकर खड़ा हो गया और उसकी उभरी हुई गांड पर अपने लंड को रगड़कर अपनी जीभ से उसकी कमर को चाटने लगा.

और फिर वो थोडा सा झुका और उसकी टांगों को खोलकर अपने लंड के लिए जगह बनायीं और अपनी उँगलियों में ढेर सारी थूक लेकर अपने लंड पर लगायी और उसे रश्मि कि चूत पर रखकर नीचे से ऊपर कि तरफ एक जोरदार धक्का दिया.

रश्मि को ऐसा लगा कि उसके पीछे से कोई मिसाइल अंदर घुस गयी है, उसने अपनी टाँगे और भी फेला दी, और थोडा और झुककर समीर के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर ले लिया.

दोनों के मुंह से सिस्कारियां निकल रही थी.

''चोदो मुझे समीर …ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही …येस्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म अंदर तक डालो, फाड़ डालो मेरी चूत को …… अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह समीईईर अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

अपनी बीबी को किसी रंडी कि तरह बर्ताव करता हुआ देखकर समीर पर जैसे कोई भूत चढ़ गया, वो अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर से अंदर डालने लगा और हर बार पूरा लंड अंदर बाहर महसूस करके रश्मि को भी बहुत मजा आ रहा था.

अचानक उसने अपने पुरे लंड को बाहर ही निकाल लिया , रश्मि पर भी अब तक दूसरे ओर्गास्म का नशा चढ़ने लगा था , वो अपनी गांड पीछे करती हुई उसके लंड के लिए तड़प उठी और बोली : "डालो न, जल्दी से अपना मोटा लंड, मेरी चूत में उम्म्म्म्म्म्मा ''

पर समीर के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था.

उसने अपने लिसलिसाते हुए लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और अंदर धकेलने लगा..

रश्मि के पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए, वो कसमसाई और धीरे से बोली : "नहीईईईइ …… वहाँ नहीं ....''


ये शायद पहली बार था जब उसने समीर को किसी काम के लिए मना किया था, और बॉस को ये बात पसंद नहीं आयी, उसने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसकी बोलती बंद कि और एक जोरदार झटके से अपने लंड को और अंदर धकेल दिया

रश्मि के मुम्मे पेड़ के तने से रगड़ खाते हुए ऊपर कि तरफ उछल गए.

रश्मि को बहुत दर्द हो रहा था, पर उसे पता था कि अब समीर मानने वाला नहीं है, उसने अपने होंठों को दांतों के बीच दबा कर अपने दर्द पर काबू पाने कि कोशिश कि, और इसी बीच समीर के एक और झटके ने उसे ऊपर कि तरफ उछाल दिया, उसके दोनों पैर एक पल के लिए हवा में लटक गए, और जब वो नीचे आये तो उसके भार के साथ-२ उसकी गांड के छेद ने अपने अंदर समीर के लंड को पिरो लिया.

अब समीर का लोड़ा उसकी गांड के पूरा अंदर तक था.

समीर थोड़ी देर तक रुका रहा और उसके कानों और गर्दन को चूमता रहा.

और फिर धीर-२ उसने पीछे से धक्के मारने शुरू कर दिए..

उसका एक हाथ आगे आकर उसकी चूत को भी सहला रहा था

समीर से मिल रहे हर झटके से वो ऊपर तक उचक जाती और फिर नीचे आती, अब उसे भी मजा मिलने लगा था , वो भी ऊपर नीचे उचक कर समीर का साथ देने लगी थी



समीर ने अपना पूरा लंड बाहर खींचा और फिर से उसकी चूत में डाल दिया , और फिर धीरे से निकालकर वापिस रश्मि कि गांड मारने लगा, समीर अपने सिंगल मोबाइल से रश्मि को डबल सिम का मजा दे रहा था और उसके दोनों नेटवर्क कवर कर रहा था .


और ऐसे ही झटके मारते हुए एक जोरदार उछाल के साथ समीर ने अपनी दो दिन कि जमापूंजी रश्मि कि गांड कि गुल्लक में डाल दी..

और फिर उसने धीरे-२ अपना गन्ना बाहर खींच लिया, पीछे-२ उसके गन्ने का रस भी फिसलकर बाहर आने लगा और रश्मि कि जांघो और टांग से होता हुआ नीचे तक पहुँच गया

और किसी पालतू दासी कि तरह रश्मि उसके सामने बैठ गयी और अपने मालिक के लंड को साफ़ करके चमका दिया

पर अभी रश्मि कि शरारते ख़त्म नहीं हुई थी , उसने समीर के लंड को पकड़ा और उसे पकड़कर झील कि तरफ ले जाने लगी

झील में थोड़ी ही दूर एक पत्थर था, वहां पहुंचकर रश्मि ने समीर को उसपर बैठने को कहा, समीर अपनी गांड टिकाकर उस ठंडी चट्टान पर बैठ गया , ठंडी हवा और नीचे से मिल रही चट्टान की ठंडक ने उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ा दी.

रश्मि के चेहरे पर शरारत के भाव थे...

वो नीचे झुकी और समीर के मुरझाये हुए लंड को पकड़कर अपने मुंह में ले लिया , उसको चूसते हुए बाहर निकाला और फिर अपनी जीभ से उसको चाटने लगी.



''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रश्मि sssssssssssssssssssssss ''

यानी उसको मजा आ रहा था.

समीर ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा : "अगर अब मैं मना करू तो ....''

रश्मि के चेहरे के भाव बदल गए और वो अपनी आँखे नचाते हुए बोली : "मना कर के तो देखो आज, खा जाउंगी इसको ....''

उसने समीर के खड़े होते हुए लंड को खीरे की तरह लहराते हुए कहा..

बस यही भाव देखकर एक झटके में समीर का लंड पूरी तरह से खड़ा होकर फिर से लहराने लगा.

पर समीर अभी भी जॉली मूड में था..

समीर : "देखो, मैंने अभी - २ अपना माल निकाला है, इतनी जल्दी दोबारा नहीं कर सकता ''.

इतना सुनते ही रश्मि ने एक खूंखार आवाज के साथ उसके लंड और बॉल्स को एक साथ अपने मुंह में ले लिया..

समीर अपना मुंह खोलकर खड़ा हो गया पानी के अंदर.

पर रश्मि ने उसके लंड और टट्टो को नहीं छोड़ा, वो उन्हें चूसती रही, और उनका रस पीती रही..


और जब उसे लगा की अब वो अंदर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है तो वो फिर से समीर को किनारे की तरफ ले गयी, जहाँ गीली मिटटी और हल्का फुल्का पानी था, वहां लेजाकर उसने समीर को नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर सवार होकर अपने मोटे मुम्मे उसके आगे लटका दिए..

समीर ने लपककर उसके दोनों मुम्मे पकडे और उन्हें जोर-२ से दबाने लगा, उसका लंड अपने आप उसकी चूत के ऊपर ठोकरें मारने लगा, रश्मि ने भी अपनी गांड ऊपर नीचे की और बिना हाथ लगाये उसके लंड के टोपे को सही जगह पर लगा दिया, और फिर उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा उत्तर आया और उन्हें देखते हुए समीर ने नीचे से अपना लंड वाला हिस्सा ऊपर उचका दिया और एक ही शॉट में उसे गीली चूत के अंदर पहुंचा दिया ...

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर स्स्स्स्स्स्स्स्स ……"

वो इतनी तेज चीखी थी की उनकी आवाज वापिस आ रहे काव्या और लोकेश को भी सुनाई दे गयी, दोनों ने एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा और रहस्यमयी हंसी हँसते हुए जल्दी से किनारा आने की प्रतीक्षा करने लगे..

रश्मि ने समीर के लंड के ऊपर नाचते हुए पीछे मुड़कर देखा , अपनी चूत के अंदर बाहर होता हुआ समीर का लंड इतना प्यारा लग रहा था उसे की उसका मन हुआ की अभी नीचे उतरे और उसे कचर कचर करते हुए पूरा खा जाए .....



ऐसा सोचते ही उसकी चूत के अंदर अजीब सी बेचैनी होने लगी, उसे पता चल गया की उसकी चूत का ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है , वो और तेजी से उसके ऊपर कूदने लगी, अपने मुम्मे अपने ही हाथों से मसलते हुए, उन्हें समीर के मुंह के आगे परोसते हुए, अपनी चूत मरवाते हुए, पागलो की तरह चिल्लाते हुए, वो अपनी चूत बुरी तरह से मरवा रही थी...

अचानक वो पलट कर उसके पैरों की तरफ मुंह करके बैठ गयी, क्योंकि इस एंगल में समीर का लंड पूरा अंदर तक जा रहा था..



उसके लंड को अपनी चूत की दीवारों पर रगड़ खाता पाकर, अपने मुम्मों को अपने हाथों से मसलकर वो जोर-२ से चिल्लाने लगी..

और एक जोरदार झटके के उसके अंदर का ज्वालामुखी फट गया और वो नीचे गिर पड़ी..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं तो गयी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह समीर उम्म्म्म्म्म्म.........मैं तो गयी ''

समीर अभी थोड़ी देर पहले ही झड़ा था, इसलिए उसे अभी बहुत टाइम लगने वाला था..

और वो इस टाइम का फायदा उठा कर रश्मि को हर एंगल में चोदना चाहता था..

उसने रश्मि को नीचे उतारा और उसे वहीँ गीली मिटटी पर घोड़ी बना दिया और उसके पीछे खड़ा होकर उसने उसकी उभरी हुई गांड के अंदर अपना लंड पेल दिया..



रश्मि को वो सब सिर्फ महसूस ही हो रहा था, कोई मजा नहीं मिल रहा था, वो तो बस अपनी गांड ऊँची किये, किसी गली की कुतिया की तरह अपनी गांड मरवा रही थी..

अगले पांच मिनट तक उसकी गांड के सारे पेंच ढीले कर दिए समीर ने, अब तो वो अपने पूरे लंड को बाहर खींचता और फिर से अंदर डालता, और वो भी बिना हाथ लगाये, उसे ख़ुशी हो रही थी की एक ही दिन में रश्मि की गांड ने उसे पहचानना शुरू कर दिया है, इसलिए बिना रोक टोक उसे अंदर ले रही है.

उसने फिर से एंगल बदला और खुद को नीचे बिठा कर उसे अपनी गॉड में बिठा लिया और उसकी गांड मारने लगा.

ऐसा करते हुए वो उसके होंठों को भी चूस पा रहा था और उसके हिलते हुए मोटे मुम्मों को भी देख पा रहा था...



समीर ने उसकी गर्दन को चूसते हुए पूछा : "अह्ह्हह्ह रश्मि , कैसा लग रहा है ''

अब रश्मि का तो काम पहले ही हो चूका था, इसलिए उसे सिर्फ समीर का लंड अंदर बाहर आता हुआ महसूस हो रहा था, फिर भी समीर को बुरा न लगे, और उसका साथ देने के लिए वो कंपकंपाती हुई आवाज में बोली : "उम्म्म्म्म्म इतना लम्बा लंड है तुम्हारा, इसे अंदर लेकर तो सिर्फ मस्ती ही आती है, बहुत मजा आ रहा है डार्लिंग, यू आर फकिंग में रियली वेल्ल ''

अपनी और अपने शागिर्द की तारीफ सुनकर समीर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और किसी ड्रेकुला की तरह अपने दांतों को उसकी गर्दन में गाड़कर उसकी नरम खाल पर अपने दांतों के निशान छोड़ने लगा...



और ऐसा करते हुए उत्तेजना के मारे समीर के मुंह से गलियों की बौछार सी होने लगी

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह साली कुतिया, भेन चोद ,ले मेरा लंड अपनी गांड में, साली रंडी , तेरे अंदर कितनी आग है, भेन की लोड़ी, हमेशा तैयार रहती है मेरा लंड लेने के लिए, तुझे तो गली के कुत्तों से चुदवाऊँगा एक दिन , तेरी चूत की सारी खुजली मिटवा दूंगा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

और उसे पता चल गया की वो वक़्त आ गया है जब आज के दिन का आखिरी शरबत उसके लंड से निकलने वाला है...

पर अब वो सारा रस रश्मि के मुंह में निकालना चाहता था, उसने जल्दी से अपना खीरा उसकी गांड से बाहर निकाला और उसे नीचे बिठा कर उसके सामने खड़ा हो गया, और रश्मि ने भी झट से अपने मालिक के लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसे चूसने लगी..

और तभी एक तड़तड़ाहट के साथ समीर के लंड से सफ़ेद रस की लहरें निकालकर उसके मुंह के अंदर जाने लगी, उसने भी बिना किसी झिझक के वो सारी मलाई अंदर निगल ली और उसे चाट चाटकर पीने लगी

और यही वो वक़्त था जब समीर की नजरें पीछे खड़ी हुई नाव पर पड़ी, जिसमे बैठे हुए काव्या और लोकेश अपना मुंह फाड़े न जाने कब से उनकी चुदाई का वो खेल देख रहे थे..

एक पल के लिए तो समीर को समझ में नहीं आया की वो क्या करे, वैसे तो लोकेश के साथ मिलकर उसने ना जाने कितनी लड़कियों को एक दूसरे के सामने ही चोदा था, पर आज जिसे वो चोद रहा था वो उसकी पत्नी थी, और फिर ना जाने कैसे उसके मन में आया की पत्नी है तो क्या हुआ, है तो वो एक औरत ही न, लोकेश ने पहले भी उसे कितनी औरतों को चोदते हुए देखा है, अगर उसकी पत्नी को भी देख लिया तो क्या हुआ..

और फिर उसका ध्यान काव्या की तरफ गया, जो बिना पलकें झपकाये अपनी माँ को समीर का लंड चूसते हुए देख रही थी ..

काव्या को देखकर एक पल के लिए तो समीर घबरा गया और अंदर भागने की सोचने लगा पर फिर न जाने क्या सोचकर वो वहीँ खड़ा रहा और अपनी नयी बेटी को अपना खड़ा हुआ लंड उसकी माँ के हाथों चूसता हुआ दिखने लगा..

एक कच्ची कली को देखकर जो हाल एक 45 साल के इंसान का होता है, वही हाल समीर का हो रहा था, उसने नोट किया की काव्या की नजरें उसके भरे हुए लंड से हट ही नहीं रही है , यानी उसका भी चांस है काव्या को चोदने का ......ये सोचकर वो अपनी मर्दानगी पर मंद ही मंद मुस्कुराने लगा ..


समीर को मंद -२ मुस्कुराता हुआ देखकर, उसकी नजरों का पीछा करते हुए रश्मि एक झटके से पलटी और लोकेश और अपनी बेटी को वहां पाकर उसके तो होशो -हवास ही उड़ गए, उसने झटके से पास पड़े हुए टावल को उठाया और समीर को दिया और खुद को पास ही पड़ी एक चादर से ढक लिया ..

रश्मि : "आप बोल नहीं सकते थे की ये लोग वापिस आ गए हैं, आपको शर्म नहीं आई ये सब इन्हे दिखाते हुए, ''

समीर अपना टावल लपेटता हुआ बोला : "मैंने भी अभी देखा इन्हे, अब इतना भी इशू मत बनाओ इस छोटी सी बात का, काव्या भी अब इन बातों को समझती है ''

उसने मुस्कुराते हुए काव्या की तरफ देखा, जिसने एक तिरछी नजर अपनी माँ पर डाली और दूसरी समीर पर, और फिर बिना कुछ बोले वहां से भागकर ऊपर अपने कमरे में चली गयी..

लोकेश : "यार, तूने ही तो कहा था एक घंटे के बाद आने के लिए, देख ले, पुरे एक घंटे के बाद ही आये हैं, वरना मेरा इरादा तुम लोगो को ऐसा देखने का बिलकुल भी नहीं था, सॉरी भाभी .....''

और इतना बोलकर वो भी अपने रूम में चला गया..

समीर जानता था की अभी एक घंटा नही हुआ है, उसके हरामीपन पर वो फिर से मुस्कुरा दिया..

समीर को बेशर्मों की तरह मुस्कुराता हुआ देखकर रश्मि गुस्से में अपना पैर पटकते हुए ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी.

और उसके पीछे -२ समीर भी.

वो मन ही मन सोच रहा था की ये वाक़या ना जाने क्या रंग बिखेरेगा उसकी जिंदगी में...
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