Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
01-12-2020, 12:07 PM,
#11
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
शाम को प्रेम जब विनीता के घर गया तो सौरभ कुछ काम से बाहर गया था वो लेटी हुई थी प्रेम को देख कर उसे अच्छा लगा प्रेम उसके पास बैठ गया और बाते करते हुए उसकी टाँगो को सहलाने लगा विनीता तो प्रेम पर पूरी तरह से फिदा थी ही उसके स्पर्श से उसकी चूत गीली होने लगी वो बोली ओह प्रेम कैसा जादू सा कर दिया है तूने मुझ पर पल पल तड़प रही हूँ तेरे बिना पर मैं करूँ भी तो क्या उपर से ये निगोडी चूत जीने नही दे रही है

प्रेम ने कहा चाची अब ऐसी हालत मे चुदाई कैसे होगी कहीं जोश जोश मे घुटने की मुसीबत और ना बढ़ जाए वो बात कर ही रहे थे कि सौरभ भी आ गया फिर प्रेम और सौरभ नदी की तरफ घूमने चल दिए चलते चलते सौरभ ने पूछा कि यार प्रेम चूत मारने का बड़ा दिल करता है पर क्या करूँ कि अपना काम बन जाए अब प्रेम उसको क्या बता ता कि उसका काम तो बन ही गया है तो प्रेम ने कहा कि यार दिल तो मेरा भी बहुत करता है पर कोई जुगाड़ हो तभी ना

तो सौरभ बोला यार मैं थोड़े दिन पहले जब शहर गया था तो एक किताब लाया था उसमे माँ और बहन को चोदने की कहानिया थी क्या ऐसा सच्ची मे हो सकता है अब प्रेम ने उषा के साथ जो कुछ महसूस किया था तो वो ही सीन उसकी आँखो के सामने आ गये और बेध्यानी मे उसके मुँह से निकल गया कि यार ऐसा होता है मैं भी उषा दीदी को चोदना चाहता हूँ

पर अगले ही पल उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ पर अब बात को संभाला नही जा सकता था तो सौरभ बोला यार तू तो छुपा रुस्तम निकला दीदी को चोदना चाहता है औ मुझे नही बताया तो प्रेम बोला यार वो बस ऐसे ही हो गया तो फिर सौरभ बोला यार मैं भी तुझसे एक बात बताना चाहता हूँ कि मैं भी अपनी मम्मी को चोदना चाहता हूँ पर कैसे ये नही पता

तो प्रेम ने कहा कि वाह मेरे शेर तू भी कम नही है तो यार हम आज से ही अपनी इन हसरतों को पूरा करने की कोशिश करेंगे और एक दूसरे की मदद भी करेंगे इधर सौरभ खुश था और प्रेम ये सोच रहा था कि अब जब सौरभ भी विनीता की ले लेगा तो उसके और विनीता के रिश्ते पर वो कुछ बोल भी ना पाएगा उधर सौरभ सोच रहा था कि मम्मी की चुदाई के बाद वो उषा दीदी को भी पेल देगा जल्दी ही उनकी ये हसरतें क्या गुल खिलाने वाली थी

उस रात प्रेम अकेला बिस्तर पर करवटें बदल रहा था सौरभ विनीता के बेड के साइड मे ही खाट डाले हुए था नींद तीनो की आँखो मे ही नही थी सब कुछ ना कुछ सोच रहे थे हसरतों की आग धीरे धीरे भड़क रही थी सबको इंतज़ार था चिंगारी को शोलो मे बदल जाने का उधर उषा ने चुपके से अपनी सलवार को घुटनो तक सरका दिया था और कच्छि के उपर से ही अपनी अन्छुइ फूली हुई चूत को रगड़ते हुए प्रेम के ख़यालो मे ही डूबी हुई थी कभी कभी वो सोचती थी कि अपने भाई के बारे मे ऐसा सोचना बड़ा ही ग़लत है पर भाई से चुदने के ख़याल से ही उसके तन बदन मे एक जोश की लहर दौड़ जाती थी

अपनी चूत की दरार मे उंगली रगड़ते हुए उषा सोच रही थी कि कब वो अपने भाई का मस्त लोड्‍ा चूत मे लेगी ना जाने कब माँ वापिस घर जाएगी और वो जुगाड़ करके भाई से चुदेगि दूसरी तरफ जब से प्रेम ने उषा दीदी का जिकर किया था तो वो मस्त मंज़र उसकी आँखो से हट ही नही रहा था जब उसने अपनी दीदी को पूरी तरह से नंगी अवस्था मे देखा था तो बस दीदी को चोदने की कल्पना करते हुए वो अपने लंड को हिलाने लगा और कर भी क्या सकता था बेचारा

दोनो भाई बहन अपना अपना पानी गिरा कर सो गये रात के करीब दो बज रहे थे विनीता को पेशाब लगी थी उसने देखा कि सौरभ नींद मे है तो वो दीवार का सहारा लेकर उठी और दरवाजे के पास ही पेशाब करने को गयी उसे पता नही था कि सौरभ जाग गया है बाहर जलते बल्ब से सौरभ बाहर का नज़ारा देख रहा था विनीता अब बैठ तो सकती नही थी उसने सोचा कि बेटा तो सो रहा है खड़ी खड़ी ही मूत ले उसने साड़ी को कमर तक उठाया अंदर कच्छि तो पहनी नही थी

अब दरवाजे की तरफ उसकी जो पीठ थी तो मस्त गोरे गोरे चूतड़ सौरभ की आँखो को चुन्धियाने लगे उफफफफफफफफफ्फ़ कितने बड़े बड़े गोल मटोल कूल्हे थे सौरभ की लार टपक पड़ी विनीता ने अपनी टाँगो को खोला और सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर सुर्र्र्ररर करते हुए टाँगो के जोड़ से पेशाब की धार बह निकली कुछ पेशाब नीचे गिरने लगा कुछ उसकी टाँगो पर रिसने लगा सौरभ के लिए बड़ा ही सेक्सी नज़ारा था वो अब उसको अपने तने हुए लंड को जल्दी ही ढीला करना था नसें इतनी फूल गयी थी कि कहीं फट ही ना जाए

अपनी मम्मी के अन्द्रुनि अंगो को देख कर सौरभ बहुत मुश्किल से खुद पर काबू कर पा रहा था अगर वो उसकी मम्मी ना होती तो पक्का अब तक वो उसको ज़बरदस्ती चोद चुका होता पर अभी भी उनके बीच मे मर्यादा की डोरी थी जिसे टूट ने मे थोड़ा वक़्त लग ना था अगले दिन सौरभ का बापू जल्दी ही घर आ गया तो फिर सौरभ को कुछ ज़्यादा मोका नही मिला विनीता के करीब रहने का , जबकि उषा ने तो वापिस घर जाने की रट लगा दी तो हार कर सुधा को तैयार ही होना पड़ा वापिस आने को

जब माँ बेटी वापिस आ रही थी तो बस मे बहुत ही भीड़ थी सुधा ने जवान बेटी को तो किसी तरह सीट पर बिठा दिया पर उसे खड़ा ही होना पड़ा उसके पीछे एक प्रेम की ही उमर का लड़का खड़ा था बस झटके ले ले कर चल रही थी सुधा को परेशानी तो बहुत हो रही थी पर मजबूरी थी सफ़र भी तो करना था, और वो लड़का भी बेशरम उस से बिल्कुल चिपक ही रहा था सुधा को जल्दी ही अपनी मस्तानी गान्ड पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ तो वो समझ गयी कि वो क्या है पर बस में वो कोई तमाशा नही खड़ा करनी चाहती थी
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01-12-2020, 12:09 PM,
#12
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
जवान बेटी साथ मे थी तो उसके सामने क्या इज़्ज़त रहती ये सोच कर वो चुपचाप खड़ी रही कुछ देर मे बस दो चार जगहो पर और रुकी और भीड़ और बढ़ गयी तो उस लड़के को भी मोका मिल गया वो तो जैसे सुधा की गान्ड मे घुसने को बेताब हो रहा था उसको भी किस्मत ने आज मस्त मोका दिया था ऐसी मस्त औरत के चुतड़ों का मज़ा लेने का अब सुधा भी औरत थी ये अलग बात थी कि प्रेम के बापू के मरने के बाद उसने कभी लंड नही लिया था पर अब उस लड़के के लंड ने उसके अंदर हलचल सी मचानी शुरू कर दी

पता नही क्यो सुधा ने भी अपनी गान्ड को थोड़ा सा पीछे को कर दिया और लुफ्त लेने लगी उसकी चूत कामरस से फूलने लगी और उसकी कच्छी को गीला करने लगी उस गीलेपन को वो अपनी टाँगो के जोड़ पर महसूस करने लगी थी अब बार बार वो अपनी गान्ड को पीछे को करके उस लड़के के लोड्‍े को महस्सूस कर रही थी पर ये सब ज़्यादा देर नही चला उस लड़के का स्टॉप आ गया था तो वो उतर गया खैर माँ बेटी का सफ़र भी ख़तम हुआ और वो भी अपने गाँव पहुच ही गयी

जब सुधा को विनीता के बारे मे पता चला तो वो उस से मिलने चली गयी जबकि उषा रसोई मे चाइ बना ने लगी, प्रेम भी रसोई मे चला गया और उषा के पीछे जा कर खड़ा हो गया दोनो के बीच मे दूरी बहुत ही कम थी तभी उसने उपर वाली स्लेप से बिस्कट उतारने का बहाना लिया और थोड़ा सा आगे होते हुए उषा की गान्ड पर अपने आगे वाले हिस्से को घिस दिया तो उषा आगे को होकर स्लेप से सट गयी प्रेम के दवाब से उसको बहुत ही अच्छा लगा उसका मन किया कि प्रेम अभी उसको चोद दे

चूँकि सुधा और विनीता पक्की सहेलिया थी तो सुधा ने कहा कि जब तक विनीता ठीक नही हो जाती वो उसके घर ही सोएगी ताकि उसकी मदद कर सके, ये बात सुनकर सौरभ तो जैसे मर ही गया जबकि उषा की आँखो मे चमक आ गयी उसने फ़ौरन फ़ैसला ले लिया कि इन्ही दिनो मे वो अपनी चूत अपने भाई को देकर ही रहेगी जबकि प्रेम भी उषा को चोदने का सोच रहा था

सब अपनी अपनी सेट्टिंग मे थे पर सौरभ बेचारे को अभी अपना लंड हिलाना था सुधा विनीता के घर जा चुकी थी कुछ देर पहले ही बरसात सुरू हो गयी थी तो बिजली चली गयी थी आज शायद तकदीर भी उषा को सिग्नल दे रही थी तो उषा ने कहा कि भाई आंधरे मे मुझे डर लगेगा तो तू मेरे कमरे मे ही सोजा अब प्रेम तो कुछ ऐसा ही चाहता था तो अब दोनो भाई बहन एक ही बिस्तर पर लेट गये

उषा ने लालटेन बुझा दी और प्रेम से बाते करने लगी बाते करते करते उसने जान बुझ कर प्रेम के लंड को टच कर दिया जिस से प्रेम के तन बदन मे मे आग लग गयी पर दोनो शुरुआत करने मे डर रहे थे पर आज उनके बीच का रिश्ता भाई बहन से होकर एक औरत और मर्द का होने वाला था बाहर दूर कहीं बिजली कडकी और उषा थोड़ा सा और प्रेम की तरफ सरक गयी बरसात के उस आलम मे बिस्तर के अंदर गर्मी कुछ बढ़ सी गयी थी

थोड़ी देर बाद प्रेम ने सोचा कि दीदी शायद सो गयी है जबकि हक़ीकत ये थी कि उषा अपनी सांसो को दबाए जागी पड़ी थी प्रेम ने अब उषा के पेट पर से उसके सूट को थोड़ा सा सरकाया और उसके गुदाज गोरे मखमली पेट पर अपना हाथ फिराने लगा उषा के जिस्म को आज से पहले कभी इस तरह से पुरुष के छूने का अनुभव नही हुआ था और अपने भाई के स्पर्श से तो उसके बदन मे दुगना रोमांच हो गया प्रेम थोड़ा सा और आगे को सरका

और उषा के कुल्हो से बिल्कुल सट गया उसका पाजामे मे तना हुआ लंड उषा के कुल्हो से छूने लगा बेशक अभी उनके बीच मे कपड़ो की दीवार थी पर फिर भी तन-मन मे तरंग चल गयी थी प्रेम ने उसके पेट पे हाथ डालके उसको थोड़ा सा अपनी ओर खीचा तो उषा के मुँह से एक आह निकल गयी प्रेम डरते डरते दीदी के पेट को सहलाते जा रहा था उसी बीच उषा ने अपने कुल्हो को थोड़ा सा अड्जस्ट किया और प्रेम का लंड उसकी गान्ड की दरार मे बिल्कुल फिट हो गया रोमांच से उषा का बदन कांप रहा था

प्रेम धीरे धीरे उसके पेट को सहलाता रहा फिर उसकी गहरी नाभि मे अपनी उंगली फिराने लगा उषा अपने उपर से कंट्रोल खोने लगी वो किसी बेजान की बुत की तरह पड़ी थी प्रेम अब अपना हाथ थोड़ा सा उपर को ले गया और सूट के अंदर ब्रा के उपर से ही उसके 34 इंच के अनटच बोबो को सहलाने लगा पर पुरुष के उस मधुर स्पर्श से उषा बुरी तरह से पिघलने लगी थी पर वो अभी शर्मो हया की दीवार को नही तोड़ना चाहती थी वो देखना चाहती थी कि भाई अभी और क्या करता है कितना आगे बढ़ता है

बोबो को धीरे धीरे दबाते हुए प्रेम ने जब दीदी के कान के पिछले हिस्से पर किस किया तो उषा अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाई वो पलटी और अपनी बाहें भाई के गले मे लपेट दी और उस से चिपक गयी उसका अपनी सांसो पर कंट्रोल ख़तम हो गया था उषा ने दो कदम आगे बढ़ते हुए अपने होठ प्रेम के होंठो से मिला दिए और दीवानो की तरह उसको चूसने लगी दोनो भाई बहन एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे प्रेम दीदी की मस्त गान्ड को दबाने लगा था


प्रेम ने पलटी खाई और उषा के उपर आ गया और मज़े से उसको चूमने लगा उषा ने उसके पाजामे मे हाथ डाल दिया और उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया कड़क गरम लंड को हाथ मे भर कर उषा को बहुत अच्छा लग रहा था वो लंड की खाल को अपने नाखूनो से रगड़ने लगी तो प्रेम ने उसके निचले होठ पर दाँतों से काट लिया शरम की दीवार अब ध्वस्त हो चुकी थी दोनो भाई बहन अब खुल कर एक दूजे के सामने आ गये थे दोनो एक दूजे मे सामने को बेताब थे बस कुछ पलों की बात थी और फिर उनका नाता हमेशा के लिए बदल जाने वाला था पर तभी.......


बाहर किसी ने ज़ोर ज़ोर से दरवाजा पीटना शुरू किया तो दोनो झट से अलग हो गये उषा ने लालटेन जलाई प्रेम बाहर आ गया तो देखा कि गेट पर सौरभ था प्रेम को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर उसने कंट्रोल किया और बोला तू इस टाइम तो सौरभ ने कहा कि यार खेतो पर चलना होगा वो ताइजी ने कहा है कि खेत की मेड कच्ची है और सूखा चारा भी बाहर ही पड़ा है तो भाई जल्दी चल प्रेम को गुस्सा तो इतना आ रहा था कि इस की गान्ड तोड़ दे पर क्या करे मजबूरी थी तो उसने छतरी ली और दोनो जने खेतो की ओर भरी बरसात मे दौड़ लिए
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01-12-2020, 12:09 PM,
#13
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उषा अपनी फूटी किस्मत को कोसने लगी बस थोड़ी देर की ही तो बात थी वो चुदने ही वाली थी पर हाई रे किस्मत तो दोनो टाँगो के बीच तकिया दबाया और वो सो गयी जब वो दोनो खेतो पर पहुचे तो काफ़ी चारा भीग गया था दोनो ने किसी तरह से उसको समेटा और कुँए पर बने कमरे मे रखा बरसात बहुत तेज हो रही थी तो दोनो ने वही रुकने का सोचा और चारपाई पर लेट गये

खेत मे पड़े पड़े प्रेम सोच रहा था कि कहाँ इस सौरभ की माँ चुद गयी ये भोसड़ी का नही आता तो शायद उषा दीदी को चोद दिया होता अब तक तो बाहर बारिश बड़ी ज़ोर दार हो रही थी सौरभ तो नींद मे सोया पड़ा था पर प्रेम को नींद नही आ रही थी कुछ ऐसा ही हाल उषा था जो अपने कंबल के अंदर बिल्कुल नंगी पड़ी थी कभी अपने बोबो को सहलाती कभी अपनी चूत को ऐसे ही रात कट गयी प्रेम उठा और बाहर को आया बारिश काफ़ी हद तक कम हो गई थी बस रह रह कर कुछ हल्की बूंदे गिर जाती थी

बाहर आकर उसने देखा कि काफ़ी नुकसान हो गया था उसकी फसल तो समझो गयी थी काम से खेत मे बहुत ज़्यादा पानी भर गया था उसने जल्दी से सौरभ को उठाया और दोनो जाने लग गये काम मे काम करते करते कब दोपहर हो गयी पता ही नही चला सुधा घर आ गयी थी वो समझ गयी थी कि प्रेम खेत पर काम कर रहा होगा जाना तो उसको भी था पर विनीता की वजह से वो नही गयी तो उसने उषा से कहा कि तू प्रेम और सौरभ का खाना लेकर खेत पर चली जाना तो उसने कहा ठीक है

उषा ने फटाफट से खाना बनाया और खेत पर चल पड़ी दोनो जने भूखे थे तो खाने पर टूट पड़े प्रेम कुछ देर सुस्ताने के लिए लेट गया और उसकी आँख लग गयी उषा को तभी पेशाब लगा तो वो कमरे के पीछे की ओर चली गयी सौरभ ने तभी देखा की बिजली का तार टूटा पड़ा है तो उसने सोचा कि जोड़ देता हूँ और वो छत पर चला गया नीचे उषा को बड़ी तेज मुतास लगी थी कमरे के पीछे की खुली जगह पर जाते ही उसने झट से अपनी सलवार का नाडा खोला और बैठ गयी

चूत की दोनो फांको को फैलाते हुवे पेशाब रूपी नदी की धारा हर बंधन को तोड़ कर बाहर को बह चली तभी उपर तार सही करते हुए सौरभ की निगाह पीछे को गयी तो उसके रोंगटे खड़े हो गये उषा दीदी की मस्त गोल मटोल गान्ड के दर्शन कर के लगा कि तीरथ ही नहा लिया था वो वो झट से मुन्डेर के पास छुपा और उषा की गान्ड को देख ने लगा उसका लंड झट से ही तन गया अब उषा उठी और अपनी टाँगो को थोड़ा सा फैलाते हुए पोछने लगी इतने सेक्सी सीन को देख कर सौरभ का लंड खुद पर काबू ना कर सका और उसने पॅंट मे ही पिचकारी छोड़ दी

उषा अब अंदर आई तो देखा कि प्रेम नींद मे सोया पड़ा है कितना मासूम लगता है मेरा भाई उसने सोचा और उसके पास गयी और प्यार से उसके गाल को चूम लिया उषा चाहती थी कि वो प्रेम के पास ही रुक जाए पर कबाब मे हड्डी सौरभ भी साथ था तो उसने कुछ आइडिया सोचा और सौरभ से कहा भाई तू घर को चला जा रात से यहीं है मैं घास वग़ैरा काट कर आउन्गि तू घर पर थोड़ा देख लेना तो सौरभ घर को चला गया बचे अब दो चुदाई के प्यासे भाई बहन

उषा ने सोच लिया था कि इस से बेहतर मौका नही मिलेगा उसको अपनी चूत मरवाने का तो जब उसने पक्का कर लिया कि सौरभ चला गया है और अब दोपहर के टाइम मे अब कोई इधर आने से रहा तो उसने दरवाजे की कुण्डी लगाई और प्रेम के पास जाकर खाट पर बैठ गयी उषा का दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था पर ये जिस्म की आग उस से आज एक पाप करवाने ही वाली थी काँपते हाथ को उसने प्रेम के लंड पर रख दिया और पॅंट के उपर से ही उसको मसल्ने लगी

काफ़ी मोटा लगता है सोचा उसने और मुस्कुरा पड़ी प्रेम के लंड को फील करते ही उसकी चूत गीली होने लगी थी उषा अपना कंट्रोल खोने लगी थी उसने धीरे से पॅंट की चैन को खोला और लंड को बाहर नेकाल लिया जो अभी सोया पड़ा था पर फिर भी काफ़ी मोटा देख रहा था उषा अब सारी लाज शरम छोड़ कर अपने भाई के लंड को सहला रही थी जल्दी ही लंड मे भी करंट आने लगा और वो पूरी तरह से उत्तेजित हो गया पर वो उसी तरह से लेटा रहा

उषा ने एक प्यारा सा किस लंड पर किया और फिर अपना मुँह थोड़ा सा खोल कर सुपाडे को अंदर ले लिया मुँह के अंदर की गर्मी मे प्रेम के लंड का बुरा हाल होने लगा मस्ती से उसके बदन मे आनंद भर गया हो उस पल उषा की नाज़ुक नरम उंगलिया प्रेम के लंड के निचले हिस्से को सहला रही थी और उपर से वो उसके लोड्‍े को चूस रही थी तो प्रेम के लिए ज़्यादा कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था उषा की लपलपाति जीभ अपने भाई का जीना हराम करे हुए थी अब आख़िर कब तक प्रेम कंट्रोल करता आख़िर उसने अपने हाथो से उषा के चेहरे को लंड पर पूरी तरह से झुका दिया

उषा को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नही थी तो लंड सीधा उसके गले मे जाकर लगा जिस से उसकी आँखो मे आँसू आ गये और उसको ख़ासी आ गयी उसने प्रेम के लंड को बाहर निकाला और थूकने लगी गुस्से से उसने प्रेम को देखा और गाली बकते हुए बोली ऐसा कोई करता है क्या भला प्रेम ने अब उसको अपनी बाहों मे ले लिया और उसकी चूची को मसल्ते हुए बोला दीदी अब जाने भी दो ना जब प्यार करना है तो खुलम खुला करो ना और उषा के लाल सुराख होंठो पर अपने होठ रख कर पीने लगा
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01-12-2020, 12:09 PM,
#14
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उषा ने सोचा नही था कि प्रेम इतनी जल्दी अपनी शरम छोड़ देगा उसका अपना भाई उसके होंठो का रस पी रहा था इस बात से ही वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी उसकी आँखे अपने आप बंद हो गयी और उसने अपना मुँह थोडा सा खोलकर अपनी जीभ प्रेम के मुँह मे सरका दी दो जवान जिस्म एक बंद कमरे मे एक दूसरे मे समा जाने को बेताब होकर एक दूसरे की बाहों मे खोए हुए थे दोनो पिघल रहे थे हौले हौले पर तभी बाहर किसी ने किवाड़ खड़काया तो हड़बड़ाते हुए दोनो अलग हो गये



उषा ने अपने कपड़े सही किए और दरवाजा खोला तो सौरभ खड़ा था, उसने कहा मैं अपनी घड़ी इधर ही भूल गया था प्रेम का मन तो किया कि इसकी गान्ड मे लंड दे दे पर अब क्या करे फिर थोड़ी देर बाद तीनो भाई बहन घर की ओर चल पड़े प्रेम सोच रहा था कि आज की रात दीदी उसकी बाहों मे होगी पूरी रात रागडूंगा उसको उसका लंड पॅंट मे ही तंबू बनाए हुए था इधर सौरभ चलते चलते सोच रहा था कि किवाड़ बंद करके दोनो क्या कर रहे थे



उसे लग रहा था कि कही भाई बहन मे कुछ लफडा हो तो नही गया कही प्रेम अकेला ही मलाई खा रहा हो उसको भूल ही जाए बेचारा सौरभ कहाँ जनता था कि प्रेम कहाँ कहाँ मलाई खा चुका है उषा आगे चल रही थी तो दोनो लड़के उसकी गोल मटोल गान्ड को देख कर अपने अपने सपने बुन रहे थे दूसरी तरफ सुधा चाइ बनाने गयी हुई थी विनीता बिस्तर पर लेटी हुई अपनी चूत को खुज़ला रही थी सोच रही थी कि कब प्रेम उसको चोदेगा उस से चुदने के बाद विनीता की चूत कुछ ज़्यादा ही फुदक रही थी



चाइ बनाते बनाते सुधा अपने ख़यालो मे गुम थी , अपने भाई के घर पर उसने अपने भतीजे को मूत ते हुए देख लिया था उसके लंड को देख कर उसे अपने दिन याद आ गये जैसे तैसे करके कई सालो से उसने अपनी वासना की आग को दबा रखा था पर अब पता नही क्यो उसकी मुनिया भी उछल कूद करने लग गयी थी और फिर उसे याद आया कि प्रेम का लंड भी कितना मस्त है अंजाने ही उसे विचार आ गया कि काश उसका लंड वो अपनी चूत मे ले पाती तो मज़ा ही आजाता , अपने आप मे ही वो मुस्कुरा पड़ी



सुधा जब चाइ लेकर आई तो उसने देखा कि विनीता का हाथ अपने घाघरे मे है और वो अपनी मुनिया को हाथ से सहला रही है तो सुधा हँसते हुए बोली- करम्जलि, खाट मे पड़ी है फिर भी आग लगी है इसके भोस्डे मे कामिनी कम से कम इस टाइम तो सबर कर ले ठीक होज़ा फिर देवेर जी से दब के चुदवा लियो



विनीता बेशर्मी से बोली- क्या करू जीजी, ये साली भी बहुत खुजा रही है चैन लेने ही नही दे रही जब तक इसको खुराक नही मिलती इसको चैन मिलता ही नही

सुधा हँसने लगी और उसको चाइ का कप दिया दोनो हसी मज़ाक करने लगी विनीता की सेक्सी बातों से सुधा की झान्टे सुलग गयी थी उसकी कच्छी चूत के पानी से बहुत ज़्यादा गीली हो गयी थी टाँगो के बीच चिपचिपा पन बढ़ गया था तो वो वहाँ से उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी तभी घर मे सौरभ का आना हुआ उसने सोचा कि पहले हाथ मुँह धो लेता हूँ फिर सोउंगा थोड़ी देर



घर मे कोई था नही तो सुधा ने दरवाजा बंद नही किया था उसने अपनी साड़ी घुटनो तक उठा रखी थी उसकी पैंटी उसके घुटनो तक सर्की हुई थी वैसे सुधा अपनी आग को दबा लिया करती थी पर पिछले कुछ दिनो की घटनाओ से उसका धीरज भी टूट ता जा रहा था तो आज उसने चूत की आग को उंगली से ठंडा करने का सोच लिया था अपनी आँखे बंद किए तेज़ी से चूत मे दो उंगलियो को अंदर बाहर करते हुए सुधा अपने काम मे लगी थी दूसरी तरफ बेख़बर सौरभ बाथरूम तक आ ही पहुचा था



सुधा की साँसे बहुत भारी हो गयी थी उसका बदन अकड़ने वाला था पूरा बदन गरम हो गया था चूत से गाढ़ा पानी बहकर उसकी जाँघो को गीला कर रहा था बस दो चार पलों की बात ही थी कि उसका पानी छूटने ही वाला था सुधा इस समय सातवे आसमान पर पहुच गयी थी और फिर उसका पूरा बदन कांप गया चूत से गरम पानी बह चला उसकी मस्ती बढ़ गयी और ठीक उसी पल सौरभ ने दरवाजा खोल दिया सुधा की चूत से रस टपक रहा था उसकी सिचुयेशन ऐसी थी कि वो कुछ कर ना पाई





सौरभ का तो बुरा हाल हो गया ये नज़ारा देख कर उसके पाँव जैसे वही पर जम गये सुधा तो शरम के मारे जैसे ज़मीन पर ही गढ़ गयी थी जल्दी से उसने अपने कपड़ो को सही किया और तेज़ी से बाहर निकल कर विनीता के कमरे मे भाग गयी सौरभ को कुछ समझ नही आया पर उसका लंड खड़ा हो चुका था उसने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और देखने लगा दो मिनिट पहले ही उसकी ताइजी अपनी चूत मे उंगली कर रही थी यही पर उसकी ताइजी की खुश्बू बाथरूम मे फैली हुई थी सौरभ ने लंड को बाहर निकाला और मूठ मारने लगा

सौरभ दो बार अपने लंड को हिला चुका था पर उसके दिमाग़ मे सुधा के मस्ताने बदन का नशा चढ़ गया था अपने कमरे मे बैठा हुआ हो गहरी सोच मे डूबा हुआ था कि उसकी ताइजी का शरीर तो उसकी मम्मी से भी मस्त है बार बार सुधा की चूत का नज़ारा उसकी आँखो के सामने आ रहा था रसोई मे खाना बनाते हुए सुधा सोच रही थी कि जो भी हुआ ठीक नही हुआ घर के बच्चे बड़े हो रहे है जब इतने सालो से उसने अपनी आग को दबाया हुआ था तो फिर आज क्यो बहक गयी वो और सौरभ क्या सोचेगा उसके बारे मे कैसे नज़रें मिला पाएगी वो उस से

सुधा का पूरा ध्यान अपने ख़यालो पर था उसे पता ही नही चला कि कब प्रेम आकर रसोई मे खड़ा हो गया जब वो पलटी तो सीधा प्रेम से टकरा गयी उसके बोबे प्रेम की छाती मे घुस गये दोनो के मुँह से एक साथ आह सी निकल गयी प्रेम ने गिरने से बचने के लिए अपनी माँ की कमर मे हाथ डाल लिया और सुधा उसकी मजबूत बाहों मे झूल सी गयी अपनी माँ की नाज़ुक कमर को छूने से प्रेम का लंड उत्तेजित हो गया और वो सुधा की चूत के अगले हिस्से पर चुभने लगा सुधा को थोड़ी देर बाद पता चला कि प्रेम का खड़ा लंड उसे टच हो रहा है तो वो उस से दूर हो गयी

और बोली- बेटे माफ़ करना मैं तुम्हे देख नही पाई
प्रेम- नही माँ मेरी ग़लती थी मुझे तुम्हारे पीछे आकर नही खड़ा होना चाहिए था
प्रेम- माँ बड़ी भूख लगी है जल्दी खाना दो ना
सुधा- हाँ बेटे बस थोड़ी देर और बस तैयार हो ही गया है
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01-12-2020, 12:09 PM,
#15
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
प्रेम अपनी माँ के पास ही खड़ा हो गया और बाते करने लगा जब जब सुधा रोटिया बनाने के लिए थोड़ा सा झुकती तो उसके बड़े बड़े बोबे उसके ब्लाउज की क़ैद को तोड़कर बाहर आने को बेकरार से लगते थे रसोई की गर्मी से ब्लाउज पसीने से गीला सा हो रहा था तो चूचियो को अच्छी तरह से नुमाया हो रही थी प्रेम की आँखे अपनी मम्मी के बोबो से हट ही नही रही थी प्रेम का बेचैन लंड उसकी मुश्किल और भी बढ़ाने लगा था

सुधा ने भी दुनिया देखी थी अपने बेटे की गंदी नज़र को उसने भी पढ़ लिया था पर वो समझती थी कि जवानी के शुरुआती दिनो मे ये सब होता ही है तो फिर उसने इतना ध्यान नही दिया और खाना बनाती रही पर ना जाने क्यो उसका ध्यान भी बार बार प्रेम की निक्कर मे बने हुए तंबू पर जा रहा था उसका मन भी मचलने लगा उसने मन ही मन सोचा कि अभी उषा भी नही है घर पर तो थोडा सा मज़ा प्रेम से ले लेती हूँ देखती हूँ कि बेटा की बेकरारी दिन भर से जो विनीता की सेक्सी बातों ने उसके झान्टो मे आग लगाई थी तो सुधा भी थोड़ी सी बेशर्मी पर उतर आई थी

सुधा ने प्रेम की ओर देखा और एक मादक अंगड़ाई ली जिस से उसके बोबे पूरी तरह से तन गये और उसके निपल्लस खड़े हो गये अपनी माँ की भारी भारी चूचियों को देख कर प्रेम का हाल बुरा हुआ उसका लंड तो जैसे फटने को ही हो गया सुधा ने अपनी चाल चलते हुए कहा बेटा मेरी पीठ मे अचानक से खुजली हो गयी है मेरे हाथो मे आटा लगा है ज़रा तू ही खुज़ला दे,

प्रेम- हाँ माँ अभी खुज़ला देता हूँ और सुधा के बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर खुजलाने लगा
सुधा- बेटे बहुत खुजली हो रही है थोड़ा अच्छी से पास आकर कर ना
प्रेम तोड़ा सा और सरका और बिल्कुल सुधा से चिपक सा ही गया और उसकी पीठ को सहलाने लगा अब लंड तो ठहरा लंड अपनी हरकतों से कहाँ बाज आने वाला था सुधा ने शरारत करते हुए अपनी भारी फूली हुई गान्ड को थोड़ा सा पीछे को उभार दिया उसके कूल्हे प्रेम के उभरे हुए लंड से रगड़ खाने लगे तो प्रेम की सांस गले मे ही अटक ही गयी और सुधा का भी पसीना बह निकला अपने बेटे के भारी लंड को गान्ड की दरार पर महसूस करते ही उसकी चूत गरम होने लगी

दोनो माँ बेटे मे चुप्पी साधे हुए थे सुधा उसके लंड पर धीरे धीरे अपनी गान्ड हिला रही थी प्रेम का लंड इतना टाइट हो गया था कि बस दो पल भी खुद पर काबू ना रख पाएगा वो, उसकी गरम साँसे सुधा के कान और गालो पर पड़ रही थी सुधा ने अपनी आँखो को बंद कर लिया था रोटी बनाना तो वो जैसे भूल ही गयी थी प्रेम ने अब अपना हाथ उसकी पीठ से हटा लिया और अपनी माँ की कमर को थाम लिया और सहलाने लगा सुधा अपने होश खो रही थी उसकी गान्ड अब अपने आप हिल रही थी पतली सी साड़ी जो बीच मे थी वो प्रेम के लंड के दवाब को अपनी माँ की गान्ड पर दवाब डालने से बिल्कुल नही रोक पा रही थी

दोनो माँ बेटे सुध बुध खोकर बस उस अहसास को जी रहे थे कि तभी बाहर से उषा की आवाज़ आई तो फिर दोनो का ध्यान टूटा और प्रेम रसोई से बाहर निकल गया उसने उषा को इशारा किया और उपर आने को कहा, पर उषा पहले रसोई मे गयी माँ से खाने का पूछा और फिर उपर गयी सीढ़ियो पर ही उसे प्रेम ने अपनी बाहों मे दबोच लिया और उसको किस करने लगा उसका दाँत उषा के नरम होठ पर लग गया था जिस से उषा के होठ से खून बहने लगा तो वो प्रेम को पीछे धकेलते हुए बोली- पूरे कमीने हो गये हो तुम ऐसा कोई करता है क्या

प्रेम कुछ नही बोला और उषा को अपने से फिर से चिपका लिया और उसकी गान्ड को मसल्ते हुए बोला- माफ़ करना दीदी खुद पे काबू नही रहता

उषा- मेरे भाई मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही है पर थोड़ा काबू रखो खुद पे देखो मेरा होठ सूज गया है अभी माँ देखेगी तो मैं क्या कहूँगी मैं भी बड़ी बेकरार हूँ तुम्हारी तरह से पर थोड़ी सावधानी तो रखनी ही पड़ेगी ना और फिर बस माँ थोड़ी देर मे ही चाची के घर जाने वाली है फिर मैं तुम्हे तुम्हारी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत तोहफा दूँगी…

प्रेम खुशी से पागल हो रहा था आख़िर उसको घर मे ही चूत जो मिलने जा रही थी

वो भी अपनी सग़ी बहन की इस से ज़्यादा रोमांचित करने वाली बात क्या हो सकती थी

उसके लिए उषा ने उसके लंड को कस कर दबाया और फिर नीचे चली गयी रसोई मे

माँ का हाथ बटाने के लिए .


सौरभ विनीता के पास बैठा हुवा उसके पाँव की

मालिश कर रहा था विनीता की टाँग को उसने अपनी गोदी मे रखा हुआ था जिस से वो

कुछ उँची हो गयी थी और उसका अन्द्रूनि हिस्सा उसको दिख रहा था विनीता अपनी

आँखे बंद करके लेटी हुई थी

मक्खन जैसे घुटनो पर उसका तेल से भीगा हुआ हाथ बड़ी फुर्ती से चल रहा

था विनीता तो वैसे भी एक बहुत ही गरम मिज़ाज की औरत थी सौरभ के कठोर

हाथो का स्पर्श उसकी झान्टो मे आग लगा रहा था अब सौरभ उसकी जाँघो को

सहला रहा था विनीता सोचने लगी कि कब वो ठीक होगी और कब प्रेम से चूत की

आग को मिटवाएगी . अपनी माँ की लाल लाल चूत को देख कर सौरभ का हाल बुरा हो

रहा था उसने धीरे से अपने लंड को सेट किया और मालिश करने लगा चूत का

चिपचिपा पानी उसकी उत्तेजना को भड़काए जा रहा था
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01-12-2020, 12:09 PM,
#16
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
सौरभ- मम्मी कैसा लग रहा है

विनीता-बेटा अच्छा महसूष हो रहा है मेरे बच्चे मेरी वजह से तुझे कितनी

परेशानी उठानी पड़ रही है

सौरभि- मम्मी परेशानी कैसी आपकी सेवा करना तो मेरा फ़र्ज़ है

विनीता- ख़ुसी से भर गयी और बोली बेटे पर फिर भी तुम्हे कई ऐसे कम करने पड़ रहे

है जिसकी वजह से मुझे शर्मिंदगी होती है शरम आती है


सौरभ- क्या मम्मी आप भी आपने मुझे जनम दिया है आपका ही तो मैं अंग हूँ फिर

मुझ से कैसी शरम
विनीता ये बात सूकर पिघल गयी उसको लगा बेटा अब बड़ा हो गया है

तभी खाना लेकर सुधा आ गयी दोनो ताई-बेटे की नज़रे मिली तो सुधा शर्मा गयी

खाना खाते वक़्त सौरभ की नज़रे ताई जी के बोबो पर ही थी दो दो गरम औरतो

के हुस्न को ताड़ ते हुए उसने अपना खाना ख़तम किया विनीता बोली- बेटे तू भी

इधर ही सो जाया कर तेरी ताई जी भी नींद की गोली लेकर सोती है तो कई बार मुझे

पानी-पेशाब को परोब्लम होती है तुम और ताई जी बेड पर सो जाना मेरा बिस्तर बेड

पर लगा देना ये सुनकर सौरभ अंदर ही अंदर खुश हो गया ताइजी के साथ बेड

पर सोने को लेकर उसके मन मे गुद गुदि सी होने लगी थी



दूसरी तरफ सुधा के जाते ही प्रेम ने गेट को बंद किया और उषा को अपनी बाहों मे

दबोच लिया और पागलो की तरह उसको चूमने लगा उषा भी उसका भरपूर साथ

दे रही थी दोनो भाई बहन आज शरम की हर उस दीवार को तोड़ देना चाहते थे जो

उनके बीच आ रही थी प्रेम ने बहन को गोदी मे उठाया और अपनी दीदी के कमरे

मे आ गया उसने उषा को बिस्तर पर पटका और उसके उपर लेट गया और उसके रसीले

गालो को चूमने लगा उषा की गर्दन पर अपने दाँतों से काटने लगा



काफ़ी देर तक चूमा चाटी के बाद उसने उषा के सूट को उतार दिया और ब्रा मे

क़ैद चूचियों को देखने लगा उसने अपने काँपते हाथ दीदी के बोबो पर रखे और

उनको दबा दिया उषा ने एक आह भरी प्रेम उषा के उपर झुक गया और

चूचियो को दबाने लगा उषा के बदन मे वासना की आग अब भड़कने लगी थी

सलवार के अंदर उसकी छोटी सी चूत का तो और भी बुरा हाल हो रहा था पर आज

उसको अपना साथी मिल जाने वाला था प्रेम अपना हाथ उषा की पीठ पर ले गया और

उसकी ब्रा की हुक को खोल दिया अपनी बहन की गोल मटोल 34डी साइज़ के कसे हुए बोबो

को देख कर उसका लंड अब पाजामे से बाहर आने को तैयार था प्रेम ने अपनी उंगली

से उसकी चूची के निप्पल को दबाया तो उषा को तेज दर्द हुआ पर उसको भी पता

था कि दर्द मे ही मज़ा है प्रेम बारी बारी से उसके बोबो को भीचे जा रहा था

और उषा बिस्तर पर पड़ी पड़ी आने वाले अहसास को सोच कर गीली हुई जा रही थी

काफ़ी देर तक प्रेम बहन के बोबो से ही खेलता रहा उषा के बोबे अब फूल कर टाइट हो चुके थे उसकी घुंडिया बाहर को निकल आई थी जैसे कि किसी ने उनमे हवा भर दी हो अब प्रेम अपना हाथ उसके काँपते पेट पर फिराने लगा तो उषा मचलने लगी अपनी उंगली से दीदी की नाभि को छेड़ने लगा उषा के अन्छुए बदन पर पुरुष का स्पर्श उसकी उत्तेजना को बहुत तेज कर रहा था
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01-12-2020, 12:14 PM,
#17
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
अब प्रेम ने उसकी सलवार के नाडे को अपने हाथ मे लिया और धीरे से उसकी गाँठ को खोल दिया उषा ने देर ना करते हुवे अपने कुल्हो को उपर की ओर उठाया और सलवार उसके बदन से अलग हो गयी गुलाबी पैंटी ही उसके तन पर अंतिम वस्त्र बची थी शरम से उषा ने अपनी टाँगो को सेकोड लिया और थोड़ी सी साइड को हो गयी जिस से उसके कूल्हे प्रेम की साइड हो गये बड़े ही प्यार से प्रेम उनको सहलाने लगा उषा बहुत तेज गरम हो गयी थी उसने प्रेम को बेड पर पटका और उसके उपर चढ़ गयी



दूसरी तरफ सौरभ के घर पर सब लोग गहरी नींद मे सोए थे पर सौरभ की आँखो मे नींद की जगह हवस थी उसकी ताई जी उसके बाजू मे ही सो रही थी जिसे आज उसने नंगी अवस्था मे देखा था अब नींद आए भी तो कैसे पॅंट मे खड़ा लंड चीख चीख कर चूत की डिमॅंड जो कर रहा था तो उसने अपनी चैन खोली और लंड को बाहर निकाल लिया उसने विनीता से सुन लिया था कि सुधा नींद की गोली खाकर सोती है तो उसने चान्स लेने का सोचा



वो सरक कर सुधा के बिल्कुल करीब हो गया सुधा उसकी तरफ पीठ करके सो रही थी तो सोने पे सुहागा हो गया वो ताई जी से बिल्कुल चिपक सा गया था उसने अपना हाथ सुधा के पेट पर रख दिया और उसको सहलाने लगा कोमल थोड़ा फूला हुवा सा पेट उसके नरम नरम पेट पर हाथ फिरा के उसको बड़ा मज़ा आ रहा था अब उसने आगे बढ़ते हुए ताई जी की साड़ी को घुटनो तक उठा दिया और चिकनी जांघों और कुल्हो पर हाथ फिराने लगा



सौरभ के लिए ये बहुत ही मजेदार अनुभव हो रहा था उसने आज से पहले ऐसा कभी नही किया था उसका उत्तेजित लिंग सुधा की गान्ड मे घुसने को बेताब हो रहा था और उनके पैंटी मे क़ैद चुतड़ों पर रगड़ खा रहा था उसके हाथ बार बार जाँघो पर फिसल रहे थे सौरभ डर के मारे बुरी तरह से कांप रहा था पर जिस्म की आग उसे लगातार आगे बढ़ने को बोल रही थी



इधर उषा प्रेम के उपर चढ़ कर उसकी होटो को पी रही थी उषा ने अपनी गरम जीभ प्रेम के मुँह मे सरका दी थी जिसे बड़े मज़े से प्रेम चूस रहा था वो अपना हाथ नीचे ले गयी और प्रेम की पॅंट और कच्छे को सरका दिया और भाई के मजबूत लंड को अपने हाथ मे थाम लिया पहली बार उसने लंड को अपने हाथों मे फील किया था उसे अंदाज़ा नही था कि प्रेम का लंड इतना बड़ा है उसने कस कर उसको अपनी मुट्ठी मे दबाया तो प्रेम ने उसकी जीभ को दाँतों मे दबा लिया



थोड़ी देर चूमने के बाद उषा प्रेम के उपर से हटी और नीचे को सरक आई और अपने गुलाबी होटो से उसके लंड पर एक चुंबन जड़ दिया प्रेम की तो जैसे जान ही निकल गयी उसने बिना देर किए उषा के मुँह को अपने लंड पर झुका दिया उषा ने अपना मुँह खोला और प्रेम के लंड को जितना वो ले सकती थी अपने मुँह मे भर लिया मुँह की गर्मी पाकर लंड और भी शरारती होने लगा था



लंड पर अपनी गरम जीभ फिरा कर उषा अपने भाई को अपनी अदाओं से तडपा रही थी उसकी कच्छी चूत के रस से बहुत ज़्यादा गीली हो चुकी थी उसे देख कर कोई भी नही कह सकता था कि वो पहली बार लंड चूस रही है बड़ी ही कुशलता से वो लंड को पी रही थी प्रेम के लंड से निकलते नमकीन पानी का टेस्ट उसको बहुत ही अच्छा लग रहा था प्रेम बार बार उसके चेहरे को लंड पर दबा रहा था दोनो भाई बहन आज की रात को पूरी तरह से जी लेना चाहते थे



उधर सौरभ अब सुधा से चिपका हुआ उसके बोबो को दबा रहा था सुधा की चूचिया उसके हाथो मे समा ही नही रही थी सौरभ का बस चलता तो आज सुधा को चोद ही डालता वो बड़ी बेदर्दी से वो सुधा के बोबो को मसल रहा था अचानक से सुधा की आँख खुल गयी उसको अपने बदन पर किसी के हाथो का स्पर्श महसूस हो रहा था वो पल भर मे ही समझ गयी थी कि ये सौरभ ही है उसने अपने कुल्हो पर गरम लंड को महसूस किया तो उसकी चूत भी मचलने लगी दरअसल सुधा पिछले कई दिनो से नींद की गोली ले ही नही रही थी ये बात विनीता को पता नही थी बस सौरभ ही ऐसा समझ रहा था



जबकि वो अब जाग गयी थी अब वो सौराभको मना भी नही कर सकती थी पास ही विनीता सो रही थी अगर वो जाग जाती तो क्या सोचती यही सोचो कर वो चुप चाप लेटी रही बोबो को दबाने के कारण उसके जिस्म मे भी करंट दौड़ने लगा पिछले कुछ दिनो से जो हरकते हो रही थी तो उसकी चूत वैसे ही बेचैन हो रही थी और अब सौरभ उस से चिपका पड़ा था उसकी हरकतों से सुधा भी गरम होने लगी थी
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01-12-2020, 12:14 PM,
#18
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
अब सौरभ ने अपना हाथ सुधा की चूत पर रख दिया और कच्छी के उपर से ही उसको दबाने लगा सुधा के पूरे बदन मे बिजली ही दौड़ गयी थी वो ही जानती थी कि कैसे उसने अपनी सिसकारी को रोका था सौरभ ने पैंटी को थोड़ा सा साइड मे किया और अपना हाथ अंदर घुसा दिया कई सालो बाद अपनी चूत पर पुरुष का हाथ पाकर सुधा का बदन हिलने लगा उसकी टाँगे अपने आप खुल गयी ताकि सौरभ अच्छे से उसकी चूत को मसल सके



गहरे बालो से भरी चूत को सहला कर सौरब पूरी तरह से मस्त हो गया था पर उसमे अभी इतनी हिम्मत नही थी कि सीधा ताई को चोद दे तो उसने एक हाथ से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ को सुधा की चूत की दरार पर फिराने लगा चूत से गाढ़ा पानी रिसने लगा था सौरभ की उंगली फिसल कर चूत मे घुस गयी थी सुधा ने अपनी टाँगो को भीच लिया तो सौरभ को लगा कि कहीं ताई जी जाग तो नही गयी है तो उसने जल्दी से अपनी उंगली को बाहर निकाल लिया और फॉरन ही उधर से दूर होकर सो गया सुधा सोचने लगी काश उसे ऐसा नही करना चाहिए था लेटी रहती चुपचाप पर उसकी चूत मे हलचल मची गयी थी

इधर उषा प्रेम के लंड पर अपने होटो का कहर ढाए हुए थी प्रेम को लगने लगा था कि बस थोड़ी देर मे वो ढेर होने ही वाला है तो उसने उषा को अपने लंड से हटा दिया और उषा को बिस्तर पर लिटा दिया उसकी कच्छी की इलास्टिक मे हाथ डाला और उस एकमात्र बचे हुए वस्त्र को भी उषा के जिस्म से आज़ाद कर दिया उषा बोली- लाइट तो बंद कर लो प्रेम बोला नही देखने दो मुझे इस जिस्म को आज इस को अपना बना लेना चाहता हूँ मैं उषा ने शरम से अपने चेहरे को अपने हाथो मे छिपा लिया पर ये रात कोई शरमो हया वाली रात तो थी नही

प्रेम ने अपनी बहन की टाँगो को खोला और अपने लंड को उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया चूत बहुत ज़्यादा गीली हो रही थी और उपर से लंड की गर्मी तो उषा की बदन मे चींटिया रेंगने लगी थी , अब बस दो जिस्म एक होने मे कुछ ही देरी थी उषा ने कहा भाई अब डाल भी दे अंदर अब रहा नही जा रहा है बना दे मुझे लड़की से औरत प्रेम तो वैसे ही बेकरार हो रहा था उसने लंड पर थूक लगाया और उसको चूत के छेद पर लगा कर कर दिया कसकर प्रहार

चूत की नाज़ुक दीवार के कवच को तहस नहस करते हुए लंड का सुपाडा उषा की चूत मे घुस गया जहा उषा मस्ताई पड़ी थी, अब उसके जिस्म को दर्द की लहर ने अपनी गिरफ़्त मे ले लिया उसके होठ उसकी चीख को रोक ना पाए आँखो से आँसू बह चले उसकी आवाज़ गले मे अटक गयी लगा कि जैसे किसी ने चूत मे चाकू चला दिया हो वो कुछ बोल पाती उस से पहले ही प्रेम के अगले शॉट से उसका लंड और आगे को सरक गया उषा की आँखे बाहर ही निकल आई उस पल

दर्द से पागल हुई वो प्रेम के चेहरे को खुद से दूर हटा ने लगी पर प्रेम की मजबूत बाहों मे क़ैद थी वो चूत फट गयी थी उसकी खून की बूंदे टपकती हुई चादर पर अपने निशान छोड़ने लगी थी जितना वो प्रेम को खुद से दूर करना चाहती थी उतना ही वो उसके अंदर समाता जा रहा था उषा का दर्द बहुत ही बढ़ गया था पर प्रेम लगातार लंड को अंदर की तरफ सरकाए जा रहा था उषा अपने विरोध स्वरूप प्रेम के कंधो पर अपने लंबे नाखूनों से खरोचने लगी थी पर उसको कोई फ़र्क नही पड़ रहा था

और ऐसे थोड़ा थोड़ा करके उषा की चूत के अंदर पूरा का पूरा लंड सरका दिया गया था चूत मे बहुत तेज टीस मार रही थी अब प्रेम पूरी तरह से दीदी के उपर झुक गया और उषा के गालो पर लुढ़क आए आँसुओ को अपनी गरम जीभ से चाटने लगा दीदी को सुकून मिला वो अब दीदी को चूमता कभी गालो पर कभी होंठो पर धीरे धीरे उषा को भी आराम सा होने लगा अब प्रेम धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाते हुए धक्के लगाने लगा था उषा का दर्द अब उसको मज़ा देने लगा था

अपने भाई की बाहों मे पिसते हुए उसको बड़ी शांति मिल रही थी आख़िर उसने अपना कुँवारा पन आज खो जो दिया था प्रेम ने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और फिर तेज शॉट मारा तो उषा की सांस अटक सी ही गयी प्रेम के कंधे पर अपने दाँतों के काट ते हुए वो बोली अया जान ही निकाल डाली है कतल ही करो गे क्या मेरा पर अब वो कहाँ रुकने वाला था गरम खून उसकी नसों मे उबल रहा था बड़ी बेदर्दी से उसने अपनी बहन को रोंदना शुरू किया और धीरे धीरे उषा की चीखे मस्ती भरी आहों मे बदल ती चली गयी

उषा ने अपनी टाँगो को खोला और भाई की कमर पर उठा कर रख दिया और खुद भी नीचे से धक्के लगाने लगी उषा इतनी गरम और मदमस्त हो गयी थी कि वो किसी ख़ूँख़ार जंगली बिल्ली की तरह प्रेम के कंधो और उसकी पीठ पर अपने नाख़ून चला रही थी आज हर उस पर्दे की दीवार ढह गयी थी दोनो भाई बहन ने दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते की धज्जिया उड़ा डाली थी, उस बंद कमरे मे एक नये रिश्ते की इबारत लिखी जा रही थी जिसके गवाह बस ये दोनो ही थे भाई बहन ने आज एक दूजे को बिस्तर का साथी स्वीकार कर लिया था

प्रेम के धक्को की रफ़्तार अब बढ़ती ही जा रही थी और उसके साथ ही उषा भी अपने चरम सुख की ओर बढ़ने लगी थी उषा की आँखे अपने आप बंद होती जा रही थी ना जाने कैसा वो नशा था जिसने उसको अपनी गिरफ़्त मे ले लिया था उसकी बाहें भाई की पीठ पर कस्ति जा रही थी बस उसे इसी तरह पिसना था अपने भाई की बाहो मे उसकी छोटी सी चूत को तहस नहस करता हुआ लंड पूरी रफ़्तार से आगे पीछे होते हुए उसको जन्नत की सैर करवा रहा था उषा ने अपने मुँह को थोड़ा सा उपर की तरफ किया और प्रेम के होटो को फिर से अपने होटो से जोड़ लिया
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01-12-2020, 12:14 PM,
#19
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उषा की चूत किसी गरम भट्टी की तरह दहक रही थी जिस से प्रेम के लंड की खाल थोड़ी सी छिल गयी थी पर अभी अगर कुछ था तो वो जोश वो भूख जिसे जितना भी मिटाओ उतनी ही वो भड़कती जाती है पर हर एक शुरुआत की तरह इस खेल का अंत भी होना था उषा को ऐसा एहसास पहले कभी नही हुआ था अचानक से लगा कि उसका बदन जैसे बहुत हल्का हो गया था उसकी टाँगो मे एक कसाव सा आ गया था और उसकी साँसे जैसे रुक ही गयी थी दो चार पलों के लिए उसका जिस्म अकडा और फिर चूत से रस बहकर बाहर को गिरने लगा उषा को फिर कुछ याद नही रहा बस हो इस सुखद पल को जी भर कर जीना चाहती थी और तभी उसे अपनी चूत मे कुछ गरम गरम सा पानी गिरता महसूस हुआ

प्रेम भी झड गया था एक के बाद एक कई पिचकारिया उषा की चूत मे गिरने लगी हांफता हुआ प्रेम उसके उपर गिर गया उषा ने उसको अपनी बाहों मे भर लिया दोनो भाई बहन अपनी अपनी उखड़ी हुई सांसो को संभालने लगे………

सुबह हुई, तो उषा की आँखे खुली उसने देखा प्रेम वहाँ नही था उसने उठने की कोशिश की पर उठ नही पाई,उसके बदन का हर एक हिस्सा दर्द से दुख रहा था पूरा शरीर जैसे तप रहा था उसने पास मे पड़े अपने कपड़ो की तरफ हाथ बढ़ाया और किसी तरह से उन्हे पहनकर जल्दी से बाथ रूम मे घुस गयी वहाँ पर जाकर उसने अपनी चूत को देखा तो बुरी तरह से सूजी हुई थी वो और खून के निशान उसकी जाँघो पर और योनि के बालो मे भी थे

कल रात की चुदाई ने उसके बदन को बुरी तरह से निचोड़ डाला था उसने कल की बात को याद करते हुए नहाना शुरू किया तो उसको अच्छा लगने लगा एक ही रात मे बस एक बार की चुदाई से ही जैसे वो खिल ही गयी थी पर चूत अभी भी दर्द से कराह रही थी, जब वो नहा कर आई तो सुधा घर आ चुकी थी तो उषा थोड़ी सावधान हो गयी पर उसे क्या पता था कि उसकी माँ तो खुद अपने ख़यालो मे खोई हुई थी

खाना खाकर उषा अपने कमरे मे आकर सो गयी पर प्रेम अभी तक घर नही आया था तो सुधा ने सोचा कि चल खेत पर ही उसको खाना दे आती हूँ, और चल पड़ी खेतो की ओर इधर घर पर विनीता अकेली थी सौरभ स्कूल मे गया हुआ था विनीता सोच रही थी कि कहाँ फँस गयी मैं अच्छा ख़ासा प्रेम के साथ मज़े पे मज़े ले रही थी ना ये चोट लगती ना इधर पड़े रहना पड़ता पर तकदीर का क्या कर सकते हैं

सुधा जब खेत पर पहुचि तो उसने देखा कि प्रेम कुँए पर नहा रहा हैं उसका कसरती बदन धूप मे चमक रहा था सुधा की नज़र उसके गीले कच्छे से ढके लंड पर पड़ी जो कि सोई हुई हालत मे भी काफ़ी मोटा लग रहा था सुधा के बदन मे लहर सी दौड़ गयी प्रेम ने भी अपनी माँ को आते हुए देख लिया था तो जल्दी से उसने तौलिया लपेटा और सुधा के पास आ गया
सुधा- कितना काम करता है मेरा बेटा खाना खाने का भी होश नही रहता
प्रेम- माँ मैं बस थोड़ी देर मे घर ही आ रहा था
सुधा- कोई बात नही बेटे वैसे भी काफ़ी दिन हो गये इधर आना हो ही नही पाया तो इसी बहाने से इधर भी आ गयी जल्दी से आजा और खाना खा ले ठंडा हो रहा हैं

प्रेम खाना खाने लगा सुधा नीम के पेड़ के नीचे पड़ी खाट पर लेट गयी और हवा के झोंको से उसकी नींद सी लग गयी , रोटी खाने के बाद प्रेम पानी पी रहा था तो उसकी निगाह सोती हुई माँ पर गयी उफफफफफफफफफफ्फ़ कितनी खूबसूरत लग रही थी प्रेम ने सोचा कि माँ बिना किसी शृंगार के ही इतनी सुंदर हैं तो अगर वो सजी सँवरी रहे तो ना जाने कितने लोगो पर बिजलिया ही गिरा देगी वो अपनी माँ के पास आया और उसको देखने लगा

सुधा के पतले पतले गुलाबी होठ और उनपर बना हुआ तिल किसी पर भी अपना जादू एक पल मे ही चला सकते थे, उसकी मोटी मोटी छातिया जो ब्लाउज से बाहर आने को हमेशा ही तैयार रहती थी सुधा की साड़ी उसके घुटनो तक सरक आई थी माँ की सुंदर सुडोल पिंडलियो को देख कर प्रेम का लंड बुरी तरह से उछलने लगा प्रेम का बस चलता तो सुधा को भी चोद चुका होता वो पर उसकी अभी इतनी हिम्मत नही थी पर खड़े लंड का भी कुछ तो करना ही था

तो वो भाग कर अपने कमरे मे गया और लंड को हिलने लगा तभी पास चर रहे पशुओ ने शोर मचाना शुरू कर दिया जिस से सुधा की आँख खुल गयी उसे प्रेम नही दिखा तो वो अंदर कमरे की तरफ चल पड़ी दरवाजा खुला पड़ा था जैसे ही वो थोड़ा सा आगे को बड़ी उसके कानों को कुछ ऐसा सुनाई दिया जिसे सुन कर उसकी झान्टे सुलग ही गयी

ऊऊऊहह माआआआआआआआआआआआआआ तुम कितनी सुंदर हो कितनी मस्त गान्ड हैं तुम्हारी कब चोद पाउन्गा तुम्हे ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माआआआआआआआआआआआआआआआआआअ प्रेम ऐसे बड़बड़ाते हुए अपने लंड को हिला रहा था सुधा के पाँव जैसे जम ही गये थे, उसका अपना बेटा उसको चोदने का सोच कर लंड हिला रहा था, सुधा जो पिछले कुछ दिनो से अपनी चूत की बढ़ती खुजली से परेशान थी पर सीधे सीधे जाके बेटे के लंड को अपनी चूत मे भी तो नही ले सकती थी ना तो दबे पाँव वो वापिस आकर बैठ गयी


थोड़ी देर बाद प्रेम भी अपना काम पूरा करके बाहर आ गया और सुधा को जागे हुए देख कर चौंक गया और बोला- माँ, तुम कब जागी

सुधा- बस अभी अभी , खाना खा लिया तो चल घर चलते हैं

और दोनो घर को चल दिए

सौरभ स्कूल से आ चुका था और विनीता के पास बैठा था,
सौरभ- मम्मी, आप कुछ परेशान सी लग रही हैं,
विनीता- हाँ बेटा वो दरअसल आज तेरी ताई जी सुबह से नही आई हैं और मैं आज नहाई नही हूँ तो पूरे बदन मे खुजली सी मची पड़ी हैं, चैन नही मिल रहा हैं

सोरभ- तो क्या हुआ, मैं आपकी मदद कर देता हूँ, वैसे भी ताई नही थी तो भी तो आप नहाती थी ना चलो फिर नहा लो आपको आराम मिलेगा

विनीता- अरे नही बेटा, कोई बात नही तुम परेशान ना होओ
सौरभ- नही आप एक मिनिट रूको मैं सब कर देता हूँ उसने अलमारी खोली और विनीता के लिए एक अच्छी सी साड़ी बाहर निकाल दी , और जब वो उसके ब्रा-पैंटी उठा रहा था तो विनीता शरम से लाल हो गयी पर उसकी भी मजबूरी थी सौरभ उसको सहारा देकर बाथरूम तक ले गया पर पिछली बार विनीता अकेले मे गिर गयी थी और सुधा होती तो अलग बात थी पर अब क्या करे
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01-12-2020, 12:14 PM,
#20
RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
मम्मी की परेशानी समझ कर सौरभ बोला मम्मी मैं आपकी मदद करता हूँ और विनीता के साथ बाथरूम मे आ गया
विनीता संकोच से बोली- पर बेटा मैं तुम्हारे सामने कैसे………

सौरभ- मम्मी मुझे भी आपकी मजबूरी का पता है और फिर मुझ से क्या शरमाना वैसे भी मैं आपको ऐसी हालत मे पहले भी देख चुका हूँ तो फिर मुझसे कैसी शरम …
विनीता ने सोचा कोई पराया तो हैं नही मेरा अपना बेटा है और फिर सही हैं पहले भी तो ये मुझे नंगी देख चुका है अब कम से कब ब्रा पैंटी तो होंगे मेरे बदन पर वैसे भी प्रेम के सामने तो फटाक से नंगी हो जाती हूँ और अब अपने बेटे की मदद भी नही ले सकती क्या ये सोचकर विनीता कहती है- हाँ बेटे, तुमसे क्या शरमाना चलो तुम्ही नहला दो मुझे अब ये खुजली बर्दास्त नही होती हैं सौरभ की खुशी का ठिकाना नही रहा और वो सहारा देकर विनीता को अंदर बाथरूम मे लेके गया

और एक कुर्सी को फवारे के नीचे रख कर उसपर विनीता को बिठा दिया और उसको चला दिया पानी की बूंदे विनीता के बदन को भिगोने लगी और जल्दी ही वो कपड़ो समेत गीली हो गयी उसके बोबे गीले ब्लाउज मे बड़े ही मस्त लग रहे थे विनीता सौरभ की भूखी नज़रो को अपने बदन पर महसूस कर रही थी पर वो एक जवान होते हुए बेटे की भावनाओ को भी अच्छे समझ रही थी उसने मन ही मन सोच लिया कि जब और लोग भी उसको घूरते है तो फिर उसके बेटे का हक तो सबसे पहले है उस पर तो अगर वो मेरे बदन को निहार भी ले तो मुझे ख़ुसी होगी

विनीता ने खुद अपना ब्लाउज उतार कर साइड मे रख दिया गुलाबी ब्रा मे क़ैद बेहद ही गोरी गोरी चूचियो को देख कर सौरभ का लंड उसके पायजामे मे टॅंट हो गया विनीता ने भी उसके खड़े लंड को देख लिया था और मंद मंद मुस्कुरा पड़ी उसने कहा बेट- ज़रा साड़ी उतारने मे मेरी मदद तो करो सौरभ को यकीन ही नही हो रहा था कि आज वो इस नज़ारे का ऐसी हालत मे लुफ्त उठाएगा उसने बिना देर किए विनीता को खड़ी किया और उसकी साड़ी और पेटिकोट को उतार कर फेक दिया ब्रा और पैंटी मे विनीता अपने बेटे की बाहों मे झूल रही थी

सौरभ का एक हाथ उसकी मम्मी की पीठ पर था और दूसरा हाथ उसके नरम कुल्हो पर उसका खड़ा लंड विनीता की टाँगो के जोड़ की जगह पर चुभ रहा था सौरभ ने अपनी बाहों का दवाब मम्मी पर डाला और विनीता भी पिघलने लगी उसकी गरमा गरम साँसे सौरभ के चेहरे पर टकरा रही थी दोनो जने माँ बेटे से ज़्यादा एक औरत मर्द के रिश्ते को फील कर रहे थे पर विनीता इस तरह अपने बेटे को कोई मोका नही देना चाहती थी इसलिए उसने सोरभ को अपने से दूर करते हुए कहा बेटा अब कब तक ऐसे ही लिए खड़ी रखेगा

जल्दी से नहाने मे मेरी मदद कर हाँ माँ हकलाते हुवे सौरभ ने कहा और विनीता को सहारा देकर कुर्सी पर बिठा दिया गुलाबी ब्रा-पैंटी मे किसी प्यारी सी गुड़िया जैसे लग रही थी उसकी मम्मी पर उसके होश तो तब उड़े जब उसकी नज़र मम्मी की पैंटी पर पड़ी कितनी छोटी सी पैंटी थी बस नाम की ही कुल्हो पर से एक लाइन ही थी जो गान्ड की दरार मे घुसी हुवी थी सौरभ का खुद पर कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल हो रहा था

खुद को भीगने से बचाने के लिए उसने फव्वारा बंद किया और फिर बाल्टी से ठंडा पानी अपनी मम्मी के उपर डाला वैसे तो विनीता गीली ही थी पर जैसे ही पानी उसकी त्वचा से छुआ उसकी सिसकी निकल गयी विनीता बोली ला साबुन दे उपर मैं खुद लगा लूँगी तू फिर पाँवो पर लगा देना दरअसल विनीता सौरभ को उसकी चूचियों को छूने का मोका नही देना चाहती थी , तो उसने अपने हाथो पर साबुन लगाई और फिर अपने गोरे पेट पर अब बारी आई बोबो की

वो ब्रा के उपर से ही साबुन लगाने लगी पर वो अपना हाथ पीठ पर ले गयी पर उधर साबुन तभी लगता जब वो ब्रा उतार देती अब विनीता फँसी कशमकश मे उतारे या ना उतारे, उसकी उलझन देख कर सौरभ बोला मम्मी मैं आपकी हालत समझ रहा हूँ आप ब्रा उतार दो बेशक मैं बड़ा हो गया हूँ पर बचपन मे इन चूचिओ का दूध पीकर ही बड़ा हुआ हूँ तो एक बार फिर से अगर मैं देख लूँगा तो कोई आफ़त थोड़ी ना आने वाली है

बेशक ये बात उसने अपनी मम्मी को सहज करने के लिए कही थी पर इधर उसके पयज़ामे मे झूलते लंड को देख कर विनीता की चूत मे जहाँ कुछ कुछ हो रहा था उसके मन मे भावनाओ का एक तूफान चल रहा था पर हाई रे ये जालिम मजबूरी अब करे भी तो क्या करे एक स्टॅंड लेते हुए सौरभ पीछे की ओर आया और ब्रा के हुको को खोल कर उसको उतार दिया उसने विनीता के हाथों से साबुन लिया और उसकी चिकनी पीठ पर लगाने लगा

विनीता के मन को मिले जुले भाव ने घेरा हुआ था आख़िर वो भी एक औरत थी और वो भी बहुत ही कामुक मिज़ाज की औरत ना जाने कितने लोग रात को उसका ही ख़याल करके अपने लंड को हिलाया करते थे साबुन लगाते लगाते सौरभ का हाथ उसके बोबो से भी टच होने लगा था तो विनीता के बदन मे चिंगारिया भरने लगी थी हर पल उसकी आँखे जैसे किसी नशे मे डूबती जा रही थी सौरभ अब बिना किसी संकोच के अपने दोनो हाथो को आगे लाया और उसके बोबो पर साबुन लगाने लगा

36 इंच की मस्त गोलाइयाँ उसके अपने बेटे के हाथ मे थी विनीता ये सोचकर पता नही क्यो रोमांचित होने लगी थी साबुन के झाग से उसकी चूचियाँ बड़ी चिकनी हो रही थी और उसका अपना बेटा हौले हौले उन्हे दबा रहा था विनीता अपना होश खोने लगी थी अपनी आँखे बंद किए अपने दाँतों से होटो को काट ते हुए वो अपने बॉब्बे दबवा रही थी

सौरभ की उंगलिया उसके निप्पल्स को रगड़ रही थी आनंद मे विनीता की आँखे डूबी जा रही थी पर उसे अपनी भावनाओ पर कंट्रोल करना था और साथ ही बेटे को भी बहकने से रोकना था तो उसने कहा- बस कर बेटा कितनी साबुन लगाएगा यहाँ पर अब ज़रा पैरो पर भी लगा दे ये सुनकर सौरभ जैसे नींद से जागा और उसने अपनी मम्मी के बोबो को हसरत भरी निगाओ से देखा और ठंडी सांस लेकर पाँवो की तरफ आ गया

धीरे धीरे मम्मी की पिंडलियो पर साबुन लगा ने लगा विनीता के बदन को उसके पति ने भी खूब रगड़ा था और प्रेम ने भी अपनी बाहों मे मसला था पर उसको अपने बदन पर बेटे के हाथो का स्पर्श बहुत ही अच्छा लग रहा था मस्ती धीरे धीरे उसके उपर छा रही थी पर एक माँ होने की शरम उसके बहकते कदमो को रोक रही थी सौरभ के हाथ उसकी जाँघो पर आ चुके थे विनीता की टाँगे थर थराने लगी पल पल सौरभ के हाथ उपर और उपर आते जा रहे थे आख़िर अब बेटे के हाथ माँ की पैंटी पर आ गये दोनो की आँखे मिली
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