Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
11-04-2019, 01:25 PM,
#21
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
दीपू - तनु, जरा मेरा पैजामा निकाल दो... अब जरा रीलैक्स किया जाए। वैसे भी रात में फ़िर एक-दो घन्टे मेहनत करनी है"।
तनु - आपको तो बस, अब यही एक बात है।

दीपू भैया हँसते हुए अपने टी-शर्ट को उतार कर वार्डरोब खोल कर उसमें डाल दिया और फ़िर आराम से अपने जींस को भी उतार कर एक गंजी और अंडर्वीयर में खडे हो गये। तनु चट से जा कर पहले दरवाजा लौक की। तब तक दीपू भैया ने अपना जींस भी वार्डरोब में रखने के लिए एक हैंगर निकाला और उनकी नजर मेरे मैगजीन के कलेक्शन पर पडी। उन्होंने उसमें से दो-तीन निकाल ली और कहा।

दीपू - तनु, यह कमरा तो राज का है ना?
तनु - हाँ, क्यों...।
दीपू - अपने भैया का कारनामा देखी हो... यह सब देखो।
तनु - क्या है?... ओह....
दीपू - बहुत जबरदस्त कलेक्शन है इसका तो।
तनु - अब मुझे क्या पता यह सब...।

अब तनु भी वार्डरोब के पास खडी हो गयी थी और मेरा यह सब खजाना देख रही थी दीपू भैया के साथ। तभी दीपू भैया को वहाँ तीन पैन्टी भी दिखी। इन तीन पैन्टी में दो तो तनु की ही थी और एक बब्ली की थी।

दीपू - यह सब तुम्हारी है? (तब संयोग से उनके हाथ में बब्ली वाली पैन्टी थी)
तनु - नहीं, मुझे इतना छोटा थोडे न आएगा।
दीपू - क्यों... पुरानी होगी तुम्हारी?
तनु - नहीं, मैं कभी ७५ साईज का ऐसा पहनी ही नहीं। ऐसी लो-वेस्ट पैन्टी मैं ८० साईज का होने के बाद पहनना शुरु की। उसके पहले मैं रेगुलर पैन्टी ही पहनती थी। वो इतना नीचे नहीं रहता है।
दीपू - मतलब हुआ यह कि साले साहब किसी स्कूली छोकडी को पटाए हुए हैं, क्या पता गर्मी उसी से शान्त करते हों। वैसे जनाब के पास दो और पैन्टी जमा है। लगता है कि छोकड़ी को चोदने के बाद उसको बिना पैन्टी ही विदा कर देते हैं श्रीमानसालेसाहब।
तनु - अब छोड़िए उनका कि वो क्या करते हैं क्या नहीं, आप यह पकडिए पैजामा और आराम कीजिए।

मेरी किस्मत अच्छी थी कि तनु अपने दोनों पैन्टी को नहीं देख पाई, वर्ना वो समझ जाती कि उसकी वो पैन्टी गयी किधर। पहली बार जब मैंने चुराई तब तो बात उठी ही नहीं, पर जब दूसरी गायब हुई तो तनु ने इसका जिक्र किया मम्मी से और तब खोज भी हुआ पर मान लिया गया कि शायद हवा में उड कर कहीं नीचे गिर गया होगा। मैंने अपने को एक चपत लगाया कि मैं कैसे यह भूल गया कि वारड्रोब में मैंने तनु की चुराई हुई पैन्टी भी रखी हुई है। खैर अब अपना पैजामा पहन कर बिस्तर पर आराम करने लगे थे, साथ में तीन मैगजीन भी ले कर वो लेटे थे। तनु भी उनके बगल में लेट गयी थी औत तभी उसने भी एक मैगजीन उठा लिया। तनु के हाथ में एक Hustler था जिसमें चुदाई की तस्वीरें भरी पडी थी और साथ में मस्त कैप्शन और कहानियाँ भी थीं। तभी तनु की नजर उस पेज पर गयी जहाँ पाठकों के पत्र थे और उनका जवाब पत्रिका के विशेष्ज्ञ ने दिया था। मैंने देखा कि तनु ने अपने पति का ध्यान उस पेज पर दिलाया। दीपू भैया ने जो पढा वो मैंने साफ़ सुना|

दीपू - "हाऊ टू ऐसफ़क अ टीनगर्ल (How to assfuck a teengirl" (जवान लडकी की गाँड़ कैसे मारे?)
तनु - यह लगता है कि आपके काम का है...?
दीपू - तुम्हारे ज्यादा काम का है... आज रात में डलवाना है ना तुमको अपनी गाँड में...।
तनु - कुछ दिन रूक जाते प्लीज.... अब यहाँ अपने घर पर यह सब करते अच्छा नहीं लगेगा मुझे।
दीपू - नहीं मेरा बाबू... अब रुका नहीं जा रहा। तुम कितनी सेक्सी हो, यह तुमको भी नहीं पता है यार।
तनु - मैं तो नौर्मल सेक्स के लिए तैयार हूँ ही। आप जितना बार कहेंगे करूँगी, पर यह वाला, क्या कुछ दिन बाद नहीं हो सकता?
दीपू - नौर्मल सेक्स तो हम करेंगे ही, पर एक बार जरा तुम्हारा पिछवाडा भी तो चखना है न। आखिर तुम मेरी बीवी हो कि नहीं?
तनु - तो क्या, सब बीवी के साथ यह सब होता है? (वो अब चिंतित दिखी।)
दीपू - अब के जमाने में तो सब लडकी की गाँड़ मारी ही जाती है। मेरे सब दोस्त अपनी-अपनी बीवी की गाँड़ सप्ताह में एक बार
जरूर मारते हैं। तुम अपनी सहेलियों से नहीं पूछी हो कभी यह सब?
तनु - मेरे एक ही सहेली कि शादी हुई है अभी तक, वो बताई थी कि उसको पहली ही रात में यह सब करना पड़ा था।
दीपू - तब... देखो तो। यहाँ तुम्हारी शादी का तो कई रात बीत गया है। अच्छा देखो.... इस लेख में क्या लिखा गया है।


इसके बाद दोनों उस लेख को पढने लगे जिसमें लडकी की गाँड मारने के तरीके के बारे में लिखा गया था। मैं अब यह बात लगभग तय मान रहा था कि आज मेरी बहन की गाँड पहली बार मारी जानी है। मेरा लन्ड यह सब सोचते हुए टनटना गया था। मेरी इच्छा नहीं थी कि मैं अभी मूठ मारूँ, सो मैं वहाँ से हट कर बाथरूम चला गया और फ़िर अपने लन्ड के छेद को सहलाते हुए कोशिश मेम लग गया कि पेशाब हो जाए। थोडी देर में पेशाब निकल गया और फ़िर मेरा लन्ड भी थोडा शान्त हो गया। मैं जान गया था कि अभी कुछ नहीं होने वाला तो मैं रात में सब आराम से देखने के लिए अभी थोडा सोने का मन बना कर बिस्तर पर लेट गया और फ़िर मुझे झपकी आ गयी।

करीब ५ बजे मेरी नीद खुली जब दीपू भैया मेरे कमरे में आए और मुझे पहली बार "साले बाबू" कहते हुए जगाया। मैं हडबड़ा कर उठा और फ़िर पैर समेटे तो दीपू भैया मेरे बिस्तर पर बैठ गये और कहा, "उठो मेरे साले बाबू, आपकी बहन चाय लाने गयी है"। मैं उठ बैठा था और तभी तनु चाय का ट्रे लेकर आई और फ़िर वो भी बिस्तर पर चाय का ट्रे रखते हुए बैठ गयी। ट्रे रखते हुए जब वो झुकी तो मैं फ़िर से उसके ब्लाऊज से झाँकती गोरी गोलाइयों को देखने लग गया। तनु को तो जैसे इस बात की कोई फ़िक्र ही नहीं थी, पर मैं हीं ऐसे उसकी गोलाइयों को घुरने के बाद झेंपते हुए नजर नीचे करके चाय उठा लिया और चुस्की लेने लगा। हम तीनों अब इधर-ऊधर की बातें करते हुए चाय पीने लगे और फ़िर सब नीचे आ गये। माँ अपने बेटी-दामाद के स्वागत में किचेन में लगी हुई थी और पापा टीवी देख रहे थे। मैं और दीपू भैया शाम को टहलते हुए घर के बाहर निकल लिए। दीपू भैया इसके बाद पास के बाजार की तरफ़ मुड़ गये और मैं भी उनके साथ बात करते हुए चलने लगा। तभी दीपू भैया एक दवा की दुकान पर गये और एक "सुपर डौटेड कंडोम" का पैकेट माँगा। इसके बाद फ़िर उन्होंने "के-वाई जेली" माँगा। मुझे पता था कि यह एक फ़िसलन वाली क्रीम है जो आम तौर पर किसी मरीज की गाँड को चिकनी बना कर उसमें कुछ दवा या नली या एनीमा जैसा कुछ घुसाने के लिए प्रयोग किया जाता है। दुकानदार ने पूछा था, "जेली का छोटा पैक लेना है या रेगुलर?" वह शायद समझ रहा था कि इस जेली का कौन सा उपयोग होना है। दीपू भैया को कुछ समझ में आया नहीं तो वो चुप ही थे सोचते हुए कि क्या बोलें कि तभी दुकानदार ने बताया, "छोटा वाला एक बार के लिए काफ़ी है.... वैसे रेगुलर तो क्म्पाऊन्डर वगैरह ले जाते हैं। ऐसे आम लड़कों के लिए लोगों के लिए छोटा पैक से काम चल जाता है"। वो अब यह समझ रहा था कि दीपू भैया और मैं दोनों होमोसेक्सुअल हैं। मैं उसके इस सोच से घबडा गया और फ़िर बोल गया, "नहीं... असल में भैया की अभी पिछले सप्ताह ही शादी हुए है तो..."। वो अब मुस्कुराते हुए बोला, "ओह... समझ गया। फ़िर तो आप ऐनाल्जेसिक पैक ले जाइए, अभी तो शुरु में महीने भर तो जरूरत पडेगा ही और लगाने के बाद करीब १५-२० मिनट रूक जाइएगा। भाभी जी को भी कोई परेशानी नहीं होगी, इस पैक का फ़ायदा भी यही है कि इसके कारण दर्द भी कम हो जाता है"। उसने यह सब कहते हुए हमें पैकेट के साथ बिल थमा दिया २९० रू. का। दीपू भैया ने पैसे दिये और हम बाहर आ गये।
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11-04-2019, 01:25 PM,
#22
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मेरा दिल अब बल्लियों उछल रहा था कि अब दीपू भैया किसी कीमत पर रुकने वाले नहीं थी और मेरी बहन भी "नहीं" के लिए तो कभी नहीं बोली थी, बस थोड़ा ऊहापोह में थी और दीपू भैया पक्का उसकी हाँ करवा लेने वाले थे। अब तय था कि आज मुझे अपनी बहन की कोरी गाँड में पहली बार लन्ड घुसते हुए देखने को मिलेगा ही। मैंने अपनी बहन तनु की कुँवारी बूर को पहली बार चुदते हुए देखा था और अब बडी बेसब्री से रात को अपनी बहन की पहली गाँड मराई देखने के लिए इंतजार में था। मैंने अब दीपू भैया से कहा, "भैया... कंडोम तो ठीक है समझ में आता है, पर क्रीम क्या है?" दीपू भैया मुस्कुराए और बोले, "यह मियाँ-बीवी के बीच की बात है, तुम अलग ही रहो इस सब से"। मैं तो अब हल्के से नशे में जैसे आ गया था तो उनको छेडा, "अरे तो आपकी बीवी मेरी बहन भी तो है, बल्कि वो पहले मेरी बहन ही है... बीवी तो वो बाद में बनी है"। अब दीपू भैया भी मुझसे थोड़ा खुलते हुए बोले, "असल में साले बाबू.... यह क्रीम न किसी चीज को फ़िसलन-दार बनाने के लिए लगाया जाता है। ज्यादातर इस क्रीम से से पैखाने के रास्ते को फ़िसलन वाली बना कर डाक्टर उस रास्ते से कोई नली या ट्युब भीतर घुसा कर जाँच करती है।" मैंने अब थोड़ा चौंकने की एक्टिंग करते हुए बोला, "हाँ... तो फ़िर इसका आप क्या कीजिएगा?" अब दीपू भैया थोड़ा जोश में बोले, "अबे साले बाबू, अभी तो हमारी आधी सुहागरात ही हुई है.... अब आज रात में पूरा सुहागरात मनाना है। अब तुमसे क्या सब बताउँ यार, तुम तो मेरे छोटे भाई के जैसे हो.... बस इतना ही काफ़ी है कि लड़की की कुछ छेद तो खुल जाती है और कुछ छेद को खोलना पडता है।" फ़िर उन्होंने मेरे पीठ पर एक हल्का सा धौल जमाते हुए कहा, "गन्दी किताबों की इतनी बड़ी लाईब्रेरी रखे हो, वारड्रोब में स्कूली लडकी की छोटी से पैन्टी जमा करके रखे हो.... तो क्या खाली हाथ ही हिलाते हो या लड़की की छेद भी खोले हो?" मैं अब सच में झेंप गया और चुप हो गया। हम घर की तरफ़ लौट रहे थे, मैं बस इतना ही कहा, "तनु से उन किताबों और उस पैन्टी को बचा दीजिएगा प्लीज...." और वो बोले, "अरे यार... अब तुम यह सब छोड़ो, अब उसकी शादी हो गयी है, वो सुहागरात मना चुकी है और जानती है कि मर्द का मतलब क्या? तुमको क्या लगता है कि इतना समय वो मेरे साथ कमरे में बीता चुकी है तो क्या मैं उसको कुछ सीखाया नहीं होऊँगा?" मैं अब समझ गया कि दीपू भैया पर अभी सिर्फ़ मेरी बहन की चूत का बुखार चढ़ा हुआ है और उनको तनु के नंगे बदन से ज्यादा कुछ नहीं समझ में आने वाला।

हम अब घर आ गये थे और पापा के साथ बैठ कर समाचार देखने लगे थे। वो कंडोम और क्रीम अभी भी दीपू भैया के कुर्ते की जेब में था। करीब नौ बजे हमने खाना खाया और फ़िर थोडी देर टीवी देखने के बाद दीपू भैया ऊपर चल दिए और साथ में मैं भी। मम्मी ने अब तनु को कहा, "तुम भी अब जाओ और आराम करो"। वो बोली, "बस यह सीरियल खत्म हो जाए... दस मिनट और"। मैं सीढ़ी चढते हुए, सोचा.... "आज तो तुम्हारी गाँड फ़टेगी मेरी प्यारी बहना.... आ जाओ ऊपर, रात भर नंगा हो कर तुम्हारी पहली गाँड़ मराई को सीधा अपनी आँखों से देखुँगा और फ़िर कल तुम्हारे देवर को बताऊँगा"। हमदोनों अभी मेरे कमरे में ही थे कि करीब दस मिनट बाद तनु भी वहीं मेरे ही कमरे में ऊपर आ गयी और अपने पति से बोली।


तनु: चलिए... अपने कमरे में।
(उसको यह शायद ध्यान ही नहीं रहा कि उसके इस बात का क्या अर्थ निकल सकता है।)
दीपू : वाह एक सप्ताह में ही मर्द का ऐसा तलब लग गया है कि बिना मर्द के कमरे में भी नहीं जा सकती!!!
(हम दोनों भाई-बहन उनकी इस बात का अर्थ समझ गये और कुछ प्रतिक्रिया करते कि वो आगे बोले)
दीपू: इसी भाई के साथ बचपन से रही हो और अब एक बार मेरे साथ सोने क्या लगी कि अब वही भैया पराया हो गया... चलो
बिस्तर तैयार करो, मैं आ रहा हूँ।
(बेचारी तनु अब शर्म से लाल होकर चट से कमरे से बाहर निकल गयी, और तब मैंने दीपू भैया से कहा)
मैं: क्या भैया...आप भी न। बेचारी तनु को क्या-क्या बोल दिए आप?
दीपू: अरे तो इसमें गलत क्या बोल दिए? जो सच है, वही तो बोला ना। उसको भी पता है कि बिस्तर तैयार करने का मतलब
उसको तैयार होना है सेक्स के लिए, मतलब उसको पेशाब करके अपना प्राईवेट अंग धोकर बिस्तर पर आना है।
मैं: धत्त भैया.... आप भी ना। अरे बहन है वो मेरी।
दीपू: साले बाबू... आप जितना हमको मूर्ख समझ रहे हो मैं उतना हूँ नहीं। मुझे पता है कि उस वार्ड्रोब में जो पैन्टी है, उसमें दो
तनु की है। तनु के कपड़ों में मुझे वैसी ही और उसी ब्रान्ड की पैन्टी दिख रही है। इसी बात की घबड़ारहट है न तुम्हें?

मेरे पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था, सो चुप रहने में ही अपनी भलाई मैंने समझी।

दीपू: तनु तो कुँवारी थी जब मेरे बिस्तर पर आई, मतलब तुम उसकी पैन्टी चुराए थे, और उसका क्या करते थे यह एक लडका
होने के कारण मुझे खुब पता है। अब तुम बस सीधे-सीधे बताओ कि वो छोटीवाली किसकी है, ज्यादा पुरानी भी नहीं है वो?

मुझे तो अब जैसे चक्कर सा आने लगा, कैसे कहता कि वह पैन्टी उनकी बहन बब्ली की है... पर कुछ तो कहना था तो मेरा दिमाग तेजी से चलने लगा और मुझे नेहा याद आ गई, मेरी मौसेरी बहन जो अभी आठवीं में थी और मैं इधर उसको याद करते हुए भी मूठ मारने लगा था। चौदह साल की उस खुबसूरत नेहा का कच्ची कली सरीखा बदन उस पैन्टी के हिसाब से फ़िट था।


मैं: ज ज्जी.... वो नेहा का है। मेरी मौसेरी बहन... बहुत सुन्दर है।
दीपू: इत्ती सुन्दर है इस साईज में ही तुम उसकी चुरा लिए। देखना पडेगा तब तो अपनी इस साली को।
मैं: जी भैया.... बहुत सुन्दर है और एकदम बेदाग गोरी।
दीपू: मतलब... साले साहब ने उसको लिटा लिया है क्या अपने नीचे? (वो अब मुस्कुरा रहे थे)
मैं: कहाँ भैया...? अपनी ऐसी किस्मत कहाँ कि कोई लड़की के साथ हम सो सकें। (मैंने रुँआसे होते हुए कहा)
दीपू: एक बात कहूँ... जब तक यह चस्का नहीं लगा है तभी तक। जहाँ एक बार लडकी के बदन का चस्का लगा कि मेरी वाली
हालत हो जाएगी। देख लो.... शादी के पहले तो यह सब बकवास लगता था, पर अब तनु के साथ के बाद रोज दिमाग में नया-
नया खुराफ़ात सुझता रहता है। नेहा जब ऐसे सुन्दर है और पसंद है तो मेरे तरह उल्लूपना मत करो, अगले मौके पर ही लपेट
लो उसको।
मैं: अपनी मौसेरी बहन है न... सो कुछ पक्का जुगाड़ हो नहीं सकता है। मैं तो सोच रहा था कि थोडा और बडी हो जाए तो मैं
बब्लू से उसकी शादी की बात चला दूँ। ऐसी सुन्दर लड़की किसी अनजान के हाथ क्यों लगे। मेरा तो मानना है कि सबसे अपनी
तरक्की की सोचो, और अगर यह ना हो सके तो अपने वालों की तरक्की की। उसमें भी अपना भी कुछ फ़ायदा होता ही है।
दीपू: हा हा हा.... सही बात है। अच्छा चलता हूँ, आज तनु की छेद को खोलने में भी मेहनत करना है। (आँख मारते हुए वो बोले)
मैं: मतलब.... अभी तक आपने उसके साथ पूरा सेक्स नहीं किया है? (मैं अब खुल कर बोलने में नहीं हिचका)
दीपू: नहीं रे, तुम समझे नहीं...तनु की बूर में तो सेक्स कर लिया है, आज उसका पिछवाडा का उद्घाटन करना है।
मैं: ओह देवा...., बेचारी..... थोड़ा दया दिखाइएगा प्लीज। (मैं यह सब जानता था, पर अभी दिखावे के लिए नाटक किया)
दीपू: अरे तुम तो अपनी बहन को जवानी में नंगा देखे ही नहीं होगे न कभी, इसीलिए ऐसा बोल रहे हो। उसका नंगा बदन ऐसा
नशा चढाता है कि सब होश-हवाश गुम हो जाता है और हवस की आग जल जाती है बदन में। बूरा मत मानता, मैं यह तुम्हारे
बहन की तारीफ़ ही कर रहा हूँ। वैसे वो भी तैयार है अब अपना वो छेद खुलवाने के लिए... इसलिए अब कोई दया की जरुरत
नहीं है। वैसे भी आज-न-कल मैं तो उसकी गाँड मारूँगा ही।
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11-04-2019, 01:27 PM,
#23
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
अगली सुबह मेरी आँख खुली जब दीपू भैया मेरे कमरे में आए। मुझे जागते देख बोले।


दीपू भैया: गुड मौर्निंग, साले साहब।
मैं: गुड मौर्निंग, दीपू भैया... रात में तो बहुत हल्ला कर रहे थे आपलोग? सब साफ़-साफ़ यहाँ सुनाई दे रहा था, इस पार्टीशन से।
दीपू: तुम्हारी बहन ही चिल्ला रही थी यार...।
मैं: आप भी तो बेचारी पर पिल गये थे, सीधा-सीधा ही कर लेते, अब तो वो आपकी बीवी ही है।
दीपू: हाँ... यार, पर तुम्हारी बहन न बहुत ही सेक्सी है। उसको देख कर दिल मानता ही नहीं है।
मैं: अरे तो क्या हुआ? अब तो उसको आपके साथ ही जीवन बिताना है तो किसी और दिन कर लेते यह सब।
दीपू: अरे साले बाबू, आप तो अपनी बहन की पैन्टी चुरा कर मस्ती लेते रहे, और मुझे कह रहे हो कि मैं रुक जाऊँ... वाह भई।
मैं: अरे तो उसकी पैन्टी लेकर आप भी हिला लेते जीजाजी.... (मैं हँसने लगा था)
दीपू: तुम्हारे लिए तो मजबूरी थी फ़िर भी पैन्टी चुरा लाए, मेरे लिए क्या मजबूरी थी, मुझे तो लाईसेंस मिल गया है उसका।
मैं: हाँ, यह भी सही है.... पर बेचारी को दर्द बहुत हुआ था न, मुझे यहा~म सब सुन कर ही दया आ रही थी।
दीपू: अरे तो आ जाते न दया दिखाने। भाई के सामने ही बहन की गाँड मारने का नसीब सब का थोडे ना होता है।
मैं: धत्त... आप भी न, कैसे-कैसी बात कह देते हैं आराम से। आप तो ऐसे न थे?
दीपू: सब तुम्हारी बहन का कमाल है, मुझे तो सिर्फ़ उस लौंडिया की चूत ही दिखती है सब तरफ़।
मैं: छीः... ऐसे मत बोलिए दीपू भैया।
दीपू: अरे दोस्त.... मेरे दोस्तों ने कहा था कि बेटी को उसके मायके में जरूर चोदना चाहिए और वो भी बेहिचक कि घर पर उसके
माँ-बाप और घरवाले भी होंगे। घर के बाहर तो लड़की ऐसे भी चुदेगी, पर उसके घर पर जाकर उसको चोदना वो भी उसके सब
रिस्तेदार के रहते.... तभी तो पति का हक मिलेगा। बस यही सोच थी कि उसको यहाँ मैं ऐसे चोद रहा हूँ। इस कमरे में मम्मी-
पापा रहते, तब भी मैं ऐसे ही तनु को चोदता।
मैं: खैर, अच्छा है कि मम्मी-पापा का कमरा साथ में नहीं है। मेरा क्या है...? मैं तो.... आप जानते ही हैं।
दीपू: अच्छा साले, एक बात बताओ.... तनु का नंगा बदन देखे हो कभी?

(उनको कहाँ पता था कि मैं कैसे-कैसे इंतजाम से सब देखता हूँ)

मैं: नहीं.... कभी नहीं।
दीपू: अच्छा... फ़िर जब बहन की पैन्टी से खेलते थे, तब क्या ख्याल रहता था दिमाग में?
मैं: बस... ऐसे ही.... कि क्या, कैसा दिखता होगा बदन बिना कपडों के।
दीपू: हा हा हा.... मतलब, बहन को नंगा देखने की हसरत है... है ना? अरे अब तो सब खुल कर बताओ, अब क्या पर्दा?
(मुझे लगा कि अब समय आ गया है थोडा खुलने का)
मैं: आप कह सकते हैं? वैसे... अभी तनु क्या सो रही है?
दीपू: नहीं.... नीचे गयी है कि चाय ले कर आती हूँ। सुनो, अब दो रात और रहना है यहाँ और इन दोनों रात को मैं तो उसको रोज
ही चोदुँगा... यह तो तुम समझ ही सकते हो। तुमको मन है क्या?
मैं: मन है.....? मतलब?
दीपू: मतलब.... कुछ प्लान करके, दिखा देंगे तुमको तुम्हारे बहन की चुदाई और क्या? पर हाँ कहने से पहले सोच लेना, कहीं बहन
के नंगे सेक्सी बदन को देख कर दिल काबू में नहीं रहा तब क्या होगा?
मैं: यह तो है... पर दीपू भैया, मन तो है कि एक बार तनु का बदन देखूँ ठीक से..... बाद में तो पता नहीं उसका शरीर कैसा हो
जाएगा जब पूरा औरत बन जाएगी। अभी तो कम-से-कम लड़की जैसी ही है, सिर्फ़ स्प्ताह ही तो हुआ है उसका।
दीपू: चल ठीक है.... देखता हूँ। आज उसके आँख पर पट्टी बाँध कर उसको चोदूँगा, और तब तुम भी आ जाना भीतर। मैं जोर से
बोलूँगा - "मस्त माल, टंच माल" - और तुम कमरे में आ जाना। अगर बहन को चोदने का मन होगा तो नंगे ही आना, वर्ना
कपड़ा पहन कर आना।
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11-04-2019, 01:29 PM,
#24
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मैं: जी... ठीक है, आज मैं सोच लूँगा कि कैसे कमरे में जाना है।
दीपू: अरे सोचना क्या है? चोद लेना एक बार अपनी बहन को। अब वैसे भी वो रोज चुद ही रही है तो एक बार अगर तुम्हारा लन्ड
ले लेगी भीतर तो ऐसा कुछ घिस थोडे ना जाएगा, वैसे भी उसके आँखों पर मैं पट्टी बाँध दूँगा और उसको अभी ऐसी आदत भी
नहीं हुई है मेरे लन्ड की जो वो अपनी चूत से तुम्हारे लन्ड को पहचान ले... बस मुँह बन्द रखना उसको चोदते समय।

मेरा लन्ड अब इस नयी बात को सुन कर फ़नफ़नाने लगा था और मैं इसके बाद कुछ बोलता कि तनु कमरे में ट्रे लेकर आ गयी। मैंने अपने पैर मोड़ते हुए उसके लिए बिस्तर कर जगह बनाया और तनु मेरे बिल्कुल सामने ट्रे रख कर बैठ गयी। मैंने पानी का ग्लास उठाया और यह कहते हुए बिस्तर से उठा कि मैं पेशाब करके आता हूँ। जब मैं अपने बदन से चादर हटाते हुए बिस्तर से उतरा, तब मेरा लन्ड मेरे पैजामे में टेंट बनाए हुए थे और मैं जान-बूझ कर तनु के सामने ही अपने टेंट को उसको दिखाते हुए खड़ा हुआ, पानी पी और अपने कमरे से बाहर निकल गया। मेरा बाथरूम तो छत के दूसरी तरफ़ था। पेशाब करने के बाद मेरा लन्ड थोडा ढीला होने लगा था और मैं अब आराम से वापस कमरे में आया जहाँ मेरी बहन और बहनोई चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे।

मैं भी अब थोड़ा रीलैक्स हो गया था और मन ही मन खुश भी था उस प्रस्ताव के बारे में सोच कर जो अभी-अभी दीपू भैया ने मुझे बोला था। मैं तनु के ठीक सामने बैठा था और तब गैर से देखा कि वो सिर्फ़ एक नाईटी पहने हुए थी जो उसकी चूच्ची पर कसा हुआ था और उसका निप्पल एक बडे किशमिश की साईज का साफ़ दिख रहा था। गोलाइयाँ अलग अपना नजारा करा रही थी। मेरी नजर अब उसकी फ़ुली हुई छाती पर बार-बार जा रहा था। दीपू भैया ने बात शुरु की।

दीपू: कल तो तनु तुम इतना हल्ला की हो कि यहाँ तुम्हारा भाई मुझसे शिकायत कर रहा है। (तनु की नजर झुक गयी) अब से
ध्यान रखना तुम, रात में..... बगल के कमरे में सो रहे लोग को परेशानी ना हो।
मैं: क्या दीपू भैया.... आप भी न। अब बस भी कीजिए।
दीपू: ठीक है भई.... वैसे तनु अब सब ठीक तो है?
तनु: जी....
दीपू: कुछ दर्द-वर्द तो अब नहीं है ना? अरे तुम बताओगी तभी तो हम कुछ उपाय करेंगे, कोई दवा लाएँगे कि जल्दी आराम हो।
मैं: हाँ तनु, अब शादी के बाद तो यह सब पति के साथ होता ही है सब के साथ यह बात है.... तो तुम्हें कोई तकलीफ़ हो तो
अपने पति को ही बताओगी न।
तनु: नहीं.... कोई परेशानी नहीं है। (उसकी नजरें झुकी हुई थी)
दीपू: चलो फ़िर बढिया है.... आज रात को फ़िर से कल वाला ही खेल खेलेंगे।

(दीपू भैया मुस्कुराए और तनु घबड़ाई और चेहरा ऊपर की। उसकी आँखों में अब एक डर सा उभरा.... वो समझ गयी कि आज रात को फ़िर से उसकी गाँड़ में लौंड़ा पेलेगा उसका पति। कल के दर्द से वो डर गयी थी सो घबड़ा गई। मैंने उसको समझाया।)

मैं: अरे तनु... तुम घबड़ाओ मत.... जो बात है बेहिचक कह दो। मुझसे शर्माने की जरुरत नहीं है। मैं तो रोज सब सुन ही रहा हूँ
का तुम्हारे कमरे में जो हो रहा है। (तनु की आँखें डबडबा गयी)
तनु: जी.... अभी भी दर्द है, ऐसे बैठते हुए दर्द हो रहा है। पूरा वजन दे कर नहीं बैठ सकती।
मैं: बैठने में क्यों परेशानी है? ऐसे तो चलने या खड़ा होने में कुछ परेशानी हो सकती है, जहाँ तक मुझे पता है।
(मैं सब जान कर अन्जान बनने का दिखावा कर रहा था)
दीपू: अरे साले बाबू.... कल आपकी बहन के पिछवाड़े का उद्घाटन कर दिया है, इसीलिए तनु को बैठने में परेशानी है। आप सही
कह रहे हैं, अगर सीधा-सीधा डालता तनु के भीतर तब तो चलने में परेशानी होती न। अब तो वो समय निकल गया जब पहली
बार तनु सेक्स की थी। अब तो जितना डलवाएगी, मजा ही पाएगी। वो तो कल पीछे से जो डाला ना, सो उसको कुछ अनुभव
नहीं था इसीलिए वो इतना चीख रही थी।
मैं: लेकिन दीपू भैया, आप भी बिल्कुल बेदर्द की तरह लग गये तनु पर। दो-चार रोज बाद ही पीछे करते तो क्या हो जाता?
दीपू: अरे यार.... तुम्हारे मम्मी-पापा ने अपनी बेटी मुझे दी ही है, इसी के लिए। तुम क्या जानो इसका रस? कहा भी जाता है कि
"बेटी में कितना रस है यह दामाद से पूछना चाहिए"।
मैं: अरे तो "रस" का मतलब है कि आप बेटी को रुला-रुला कर यह सब कीजिए... अजीब बात है।
दीपू: देखो यार.... आज हो या कल, जब भी किसी लडकी का पिछवाड़ा में डलेगा तो थोड़ा-बहुत दर्द होगा। तुम्हें तो खुश होना
चाहिए कि घर की बेटी एक सही मर्द के बिस्तर पर गयी है जो उसको शादी के बाद के पहले पीरियड्स के पहले ही आगे-पीछे
दोनों का मजा उसको दे दिया है। ऐसे भी, पति का यही धर्म है कि वो अपनी पत्नी को सेक्स करके पूरी तरह से संतुष्ट करे,
सो मैंने किया।
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11-04-2019, 01:29 PM,
#25
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मैं: फ़िर भी दीपू भैया, आपको तनु से पूछना तो था...।
दीपू: अरे यार.... यह तो तुमको भी पता है कि अगर लड़की से सब बात पूछते रहे तो लडकी जीवन भर कुँवारी ही रह जाएगी दर्द
के डर से। लडकी की बूर को भी चोदा जाता है तब भी उसको दर्द सहना ही होता है पहली बार। (पहली बार गन्दे शब्द)
मैं: फ़िर भी पिछवाड़ा.... तो बहुत ही दर्द.... क्या तनु, दोनों दर्द एक ही तरह का था। (तनु शर्म से लाल हो गई) बोलो तनु?
तनु: दर्द तो होता है, पर.... पीछे ये इतना जल्द करेंगे, अंदाजा नहीं था।
दीपू: अरे रानी अब तुम परेशान मत होओ। जैसे बूर चुदाते अब कोई परेशानी नहीं होती, वैसे ही गाँड मरवाते हुए भी अब दर्द कम
होता जाएगा और ३-४ बार के बाद तुम अपने भी गाँड़ को खोलना जान जाओगी। अब तो हर लडकी को अपना दोनों छेद देना
ही पड़ता है मर्दों को। वो हमारी मम्मियों का जमाना था जब गांड़ कभी-कभार मारा जाता था। अब तो सब लड़की की गाँड़ भी
रेगुलरली मारी जाती है, जैसे उनकी बूर चोदी जाती है।
मैं: छोड़ो तनु यह सब बात अब.... तुम ना एक बार बोरोलिन लगा लो थोड़ा चुपड़ कर। मेरे शेविंग बौक्स में रखा है बोरोलिन।
दीपू: हाँ, वो चमड़ी तन गई होगी ज्यादा सो छिल गयी होगी। बोरोलिन लगाने से आराम हो जाएगा। वैसे तुम अब चिंता मत करो,
अब सिर्फ़ बूर ही चोदूँगा इस महीने। अब गाँड की बारी अगले महिने ही आएगी।

तनु भी चुपचाप उठी, पहले मेरे शेविंग बौक्स से बोरोलिन निकाला और फ़िर अपने कमरे की तरह चली गई। थोड़ी देर में बोरोलिन के ट्यूब के साथ ही लौटी और फ़िर चाय के खाली प्याले को लेकर लौट गयी। हम दोनों भी अब उसके पीछे-पीछे नीचे आ गये। आज मुझे दिन भर पापा के साथ कई तरह के काम करने थे तो सुबह करीब ग्यारह बजे निकलने के बाद घर लौटते-लौटते करीब पाँच बज गए। तनु अपने पति के साथ ५.३० की शो में फ़िल्म देखने चली गई थी। मेरे नहीं रहने से दीपू भैया बोर हो रहे थे तो वो फ़िल्म देखने चले गये हैं। वो दोनों करीब साढे नौ बजे घर लौटे। तनु अब ज्यादा खुश और फ़्रेश लग रही थी। वैसे भी उसको फ़िल्म देखना पसंद था। उसने एक गुलाबी लेगिंग्स के साथ प्रिंटेड पीली कुर्ती पहन रखी थी जो उसके गदराये बदन पर खुब कसा हुआ था और उसमें से लाल ब्रा की झलक हम सब को मिल रही थी। मैं यह देख कर हौरान हो रहा था कि कल तक जो तनु अपने उभरों को छूपाती चलती थी अपने ढीले कपडों में, ब्रा की झलक देना तो दूर की बात है... शादी होते ही कैसे सेक्सी दिवा बन कर अपने बदन की नुमाईश करने लगी थी। हद तो यह कि अब मम्मी को भी इस सब में कुछ गडबड़ नहीं दिख रहा था, वर्ना मुझे याद है कि यही तनु जब एक बार टीशर्ट पहनी थी और ऊपर का बटन बन्द नहीं की थी तो कैसे मम्मी ने उसको डाँटा था। आज तनु इस तरह से अपने उभारों को हल्की पारदर्शी कुर्ती और कसी हुई लेगिंग्स में प्रदर्शित कर रही थी। वो जब बैठी तब मेरी नजर उसकी जाँघों और चुतडों के देख रहा था कि पैन्टी किस रंग की पहनी है इसने। लाख कोशिश के बाद भी मुझे कुछ दिखा नहीं, तो मैं समझा कि वो बिना पैन्टी के ही है अभी। (हालाँकि मैं गलत था, जो मुझे बाद में पता चला।) बेटी की शादी हो गयी थी तो मम्मी भी अब बेफ़िक्र थी, अब तनु अपना बदन दिखाए या छुपाए... सब अब उसके पति की जिम्मेदारी थी। मेरी घूरती नजर बार-बार तनु की छाती पर जा रही थी और दो-एक बार ऐसा भी हुआ कि तनु ने यह नोटिश भी किया, पर वो भी बस मुस्कुरा कर रह गयी। सुबाह की बात-चीत ने उसको मेरे साथ अब थोडा कंफ़र्टेबल कर दिया था। मम्मी ने उनके आते ही खाना लगाना शुरु कर दिया। खाने के बाद हम सब ने साथ में कौफ़ी पी और फ़िर करीब दस बजे दीपू भैया मेरे साथ ऊपर अपने कमरे में चल दिये, जबकि मम्मी किचेन साफ़ करने में लग गई। सीढी पर चलते हुए दीपू भैया ने फ़ुसफ़ुसाते हुए पूछा।


दीपू: तब..., क्या सोचा तुमने?

मैं: किस बारे में?

हम अब उनके और तनु के कमरे में आ गये थे।

दीपू: वही.... तनु को चोदने के बारे में?
मैं: पर भैया.... अगर वो...
दीपू: अरे क्या अगर-मगर कर रहे हो भाई? उसके आँख पर पट्टी रहेगी और मैं उसके हाथ भी बाँध दूँगा, यह कह कर की अंग्रेजी-
स्टाईल में सेक्स करना है। फ़िर तो वो अपनी पट्टी हटा भी नहीं पाएगी....और तुम बेहिचक उसको चोद लेना। मैं भी देख लूँगा,
जब लडकी चुदती है तो उसकी चूत कैसे खुलती है।
मैं: पर अगर... मैं कुछ बोल गया तो...।
दीपू: फ़िर तो... तुम जानो, वैसे ज्यादा लफ़ड़ा नहीं है क्योंकि तनु को भी पता रहेगा न कि इसमें उसके पति की मर्जी है।
मैं: ठीक है दीपू भैया, पर आप भी उसको कुछ ऐसे समझाना कि वो ज्यादा बात-चीत ना करे।
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11-04-2019, 01:29 PM,
#26
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मैं अब उनके कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा था कि तभी तनु आ गई और मुझे देख कर एक बार मुस्कुराई और कहा, "सौरी भैया... वो कल आपको परेशानी हुई। पहली बार था न, सो डर और दर्द दोनों के कारण...।" वो समझ रही थी कि आज फ़िर मैं उसकी चुदाई होते समय सब सुनूँगा। पर मेरी भोली बहन को यह अंदाजा ही नहीं था कि आज तो उसको मैं ही चोदने वाला हूँ। मैंने उसको बस इतना कहा, "कोई बात नहीं तनु... मैं समझ सकता हूँ। वैसे भी नई-नई शादी हुई है तो यह सब होगा ही... औल द बेस्ट..." और मैं अपने कमरे में आ गया। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि यह जो मैं तनु को आज चोदने वाला हूँ यह ठीक हो रहा है या नहीं। फ़िर मेरे दिमाग ने ही मुझे समझाया कि यह जो हो रहा है वो तो उसके पति की मर्जी से हो रहा है तो जैसा भी हो एक बार हो जाने दिया जाए। जिस तनु के लिए मैं पिछले सात-आठ साल से मूठ मार रहा हूँ, आज जब मौका मिला है तो क्यों न उसको चोद लूँ। बहन है तो क्या हुआ... लडकी भी तो है, वो भी सेक्सी बदन वाली। बस अब मैं तैयार हो गया कि आज अपनी बहन को उसके पति के सामने ही चोद लेना है, बस....। मैं दीवार में बनी छेद से बगल के कमर में झाँकने लगा और उनकी बातें सुनने लगा।


तनु: आती हूँ जरा बाथरूम से.... ड्रेस चेंज करके।
दीपू: ड़ेस क्या चेंज करोगी, वो तो उतर ही जानी है डार्लिंग.... यह तो पता है न?
तनु: आप भी न.... कपडा उतारना और ऐसे ही नंगी रहना - दो अलग-अलग बात है।
दीपू: आह्ह्ह्ह्ह्ह.... काश कि तुम हमेशा ही नंगी रहती। तुम्हारे बदन की झलक लगातार मिलती रहती।
तनु: धत्त.... घर पर और लोग भी तो हैं। सिर्फ़ हम दोनों रहें तो शायद किसी दिन ऐसे रह भी जाऊँ। (मेरा लन्ड ठनक गया)
दीपू: अरे तो अभी कम-से-कम अपने कमरे में तो नंगी रह ही सकती हो। खोल दो अपने कपडे और ऐसे ही बाथरूम से हो आओ।

तनु अब मुस्कुराई और फ़िर अपना कुर्ती पहले निकाली फ़िर अपने लेगिंग्स को कमर से नीचे ससारा और मैंने अब देखा कि जैसी लाल कढ़ाई वाली वो ब्रा पहने थी वैसी ही एक बिल्कुल छोटी सी पैन्टी भी वो पहने थी जो दो इंच की पट्टी से उसकी चूत को ढ़के हुए था जो एक धागे से उसकी कमर से चिपका हुआ था। वह धागा उसकी गाँड़ की गहराइयों में घुस जाने से दिख भी नहीं रहा था और इसीलिए मुझे शाम में लग रहा था कि उसने पैन्टी नहीं पहनी है। फ़िर उसने अपनी ब्रा खोल दी और जब वो अपना पैन्टी उतारी तो दीपू भैया ने उसको अपने हाथ में लेकर अपने मुँह में रख लिया और हल्के-ह्लके चबाने लगे। तनु उनके इस कारनामे को देख कर बडी अदा से मुस्कुराई और फ़िर बाथरूम की तरफ़ अपनी सेक्सी गाँड को मटकाते हुए चली गई। थोडी देर में वो लौटी तो दीपू भैया को आराम से बैठे देख कर बोली।

तनु: आप अभी तक अपना कपडा नहीं उतारे हैं?
दीपू: उतार दूँगा रानी, पहले यह तो तय हो कि आज कैसे-कैसे क्या-क्या करना है?

तनु अपने बालों में लगे क्लीप और हेयर बैंड को खोलती हुई बोली:

तनु: क्या-क्या.... का क्या मतलब? आज मैं वो कल जैसे नहीं करूँगी, पक्का।
दीपू: ठीक है भई, जैसे तुम्हारी मर्जी... फ़िर तो दो बार अपना बूर तुम्हें चुदाना पड़ेगा... बोलो मंजूर।
तनु: दो बार क्या... आप चार बार कर लीजिए, पर प्लीज अब पीछे नहीं डलवाऊँगी।
दीपू: अबे यार.... अब तो खुल कर बोलो न कि तुम चार-चार बार चुदवाओगी। तुम अब तक चुदाई बोलना नहीं सीखी। अगली बार
जो ऐसी गलती कि तो फ़िर मैं तुम्हारी गाँड तुमको पटक कर मारूँगा समझ लेना कह दे रहा हूँ।
तनु: अरे नहीं बाबा.... सौरी, मुझे अपनी गाँड नहीं मरवाना। आपको जितना चोदना हो, मैं चुदवाने के लिए तैयार हूँ।
दीपू: मैं अपने यार-दोस्तों से भी चुदवाऊँगा... अगर जरा भी ना-नुकर की तो फ़िर समझ लेना... गाँड फ़ाड़ दूँगा फ़िर से।
तनु: बाप रे.... मेरी गाँड बची रहनी चाहिए कैसे भी। आपकी मर्जी... अब आपकी बीवी हूँ तो आप खुद चोदिए या जिससे मन चुदा
दीजिए.... कभी ना नहीं करूँगी। सच्ची.... बहुत मजा आता है ऐसे चुदाने में।

मेरा तो लन्ड अब पूरे शबाब पर था, तनु को ऐसे बातें करते देख कर।

दीपू: ठीक है फ़िर, आज तुमको एक अलग टाईप का मजा देते हैं चुदाई का। इधर आओ, आज तुम्हें बिस्तर से बाँध कर चोदेंगे।
तनु: हैंएँ.... ऐसा क्या?
दीपू: हाँ ऐसा ही....। लडकी की हवस को बढा कर तड़पाने के बाद उसको चोदने का मजा ही कुछ और है। "फ़िफ़्टी शेड्स और ग्रे" - कभी सुनी हो इस किताब के बारे में?
तनु: नहीं.... क्यों
दीपू: इसमें नायक ऐसे ही अलग-अलग नायाब तरीके से इसकी नायिका को चोद कर मजा लेता है। मेरे पास है इसका पूरा सेट, मैं
दूँगा पढ़ने के लिए.... फ़िर देखना सेक्स का असल मजा हम दोनों मिल कर लूटेंगे।
तनु: अच्छा.... अब समझी कि आपको इतना सब कैसे आता है सेक्स के बारे में।
दीपू: रस्सी है करीब ३-४ फ़ीट?
तनु: यहाँ कहाँ से रस्सी रहेगा, यह तो भैया का कमरा है। बगल वाले कमरे में जहाँ भैया हैं वहाँ हो सकता है क्योंकि उस कमरे में
ऐसी ही बेकार सामान कोने में रखा हुआ है।
दीपू: ठीक है.... मैं ले कर आता हूँ।
तनु: ओह.... एक मिनट मैं जरा नाईटी पहन लूँ। कहीं भैया साथ आ गये तो?
दीपू: हाँ - हाँ क्यों नहीं? तुम्हारे भाई को भी तो मन हो ही जाएगा यह जान कर कि मैं उसकी बहन को बिस्तर से बाँधने वाला हूँ
और तब तो वो जरूर ही आएगा ना तुम्हारी चुदाई देखने.... बेवकूफ़ लडकी।
मैं ऐसा मूर्ख हूँ क्या कि उसको साथ लाऊँगा?
तनु: ओह.... हाँ.... समझ गई, मैं भी कैसी मूर्ख हूँ।

दीपू भैया इसके बाद मेरे कमरे में आए और फ़िर मैंने उनको एक करीब ४ फ़ीट की रस्सी दे दी और वो मुझे इशारे से न्योता दे कर चले गए। मैंने छेद से देखा कि वो तनु की दोनों कलाईयों को पहले साथ में बाँध दिये और फ़िर उसको बिस्तर पर लिटा दिया। इसके बाद उसके हाथों को उपर करके बिस्तर के सिरहाने में कस कर बाँध दिया। तनु हल्के-हल्के झटके दे कर अपने हाथ निकालना चाह रही थी पर दीपू भैया ने उसको अच्छे से बाँधा था। इसके बाद दीपू भैया ने अपने बैग से सोने के लिए जो काली पट्टी आँख पर लगाते है, वो वाली पट्टी निकाली और फ़िर कहा।
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11-04-2019, 01:29 PM,
#27
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
दीपू: अब इसको भी तुम्हारी आँख पर बाँध दूँगा इसके बाद मैं कुछ नहीं बोलूँगा, बस चुप-चाप तुम्हारे बदन से खेलते हुए तुमको
चोदूँगा। बिल्कुल उस किताब के हीरो की तरह, और तुम आजाद हो जब जो बोलना हो बोल सकती हो, चीख सकती हो, गाली
दे सकती हो.... तुम इस मामले में आजाद हो।
तनु: बोलना है ही नहीं अब.... कल भैया सब सुन लिए तो आज तो अब सवाल ही नहीं उठता है।

तनु अब आँख पर पट्टी लग जाने से पूरी तरह से अंधी हो गई थी और मजबूर भी, उसके चेहरे पर घबड़ाहट थी। दीपू भैया ने उसको सांत्वना देते हुए कहा, "घबड़ाओ मत.... बस अपनी जवानी के मजे लूटो और मुझे भी मजे कराओ। तुम मस्त माल हो, टंच माल"। ये शब्द मेरे लिए एक सिग्नल थे कि अब वो पूरी तरह से काबू में है और मैं अब कमरे में आ सकता हूँ। मैंने अपने कमरे में ही अपने कपड़े उतार दिये और फ़िर नंगा हो कर अपनी बहन को चोदने के लिए उसके कमरे में घुस गया। दीपू भैया मेरेबगल में आकर फ़ुसफ़ुसाए, "अब तनु तेरी है राज.... जैसे चोदना है वैसे चोद, मैं आराम से सब देखूँगा। जब तुम चोद कर चला जाएगा तब मैं उसको चोदूँगा।" सामने बिस्तर पर मेरी छोटी बहन नंगी बँधी पडी थी और उसके इस सेक्सी गोरे बदन को देख-देख कर मेरा तो गला सूखा जा रहा था। मेरा लन्ड फ़नफ़नाया हुआ था। दीपू भैया ने मेरे खडे लन्ड को देख कर एक थम्स-अप दिया और इशारा किया कि मैं बिस्तर पर चला जाऊँ।


मैं जैसे ही बिस्तर पर चढा, तनु बोली, "आ गए क्या?" मैंने अपना मुँह बन्द रखा और तनु के गोरे सपाट पेट को पहली बार छुआ। अपनी बहन के नंगे पेट को ऐसे छूते ही मेरा लन्ड एक ठुनकी मारा जबकि तनु भी अपने बदन में सिहरन महसूस की और अपना पेट भीतर की तरफ़ हल्के से खींचा। मैंने अब अपनी पूरी हथेली उसके पेट पर रख दी तो उसके बदन के कंपन को मह्सूस किया। अब जब एक बार मैंने अपनी बहन के जवान नंगे जिस्म को छू लिया तो मेरा भी आत्मविश्वास बढ़ गया कि तनु को अब कुछ पता नहीं लगने वाला है। मैं अब झुका और उसकी मस्त नारंगी जैसी चूच्ची को एक हाथ से सहलाया और फ़िर उसके निप्पल को मुँह में ले कर चोसने लगा। एक निप्पल मेरे मुँह में रहता और दूसरे की घुंडी को मैं अपनी चुटकी से हल्के-हल्के मसलता रहता। तनु बस कुछ सेकेन्ड में ही सिसकी भरने लगी.... आहह्ह्ह्ह...इइइइइइइस्स्स्स्स्स्स्स्स। मैं अब तनु के साथ खुल कर सेक्स करने की मानसिकता में आ गया था, जबकि दीपू भैया अब अपना कपड़ा उतार रहे थे। मैंने अब अपना पूरा धयान तनु की तरफ़ लगाया और इस बार जब उसके मुँह से एक सेक्सी "आह्ह्ह" निकली तो मैं उठा और फ़िर उसकी छाती के दोनों तरफ़ घुटने टिका कर अपना खड़ा लन्ड अपनी बहन के होठ से सटा दिया और वो मासूम, बिना यह जाने कि यह लन्ड उसके बड़े भाई का है, अपना सर तकिए से हल्का सा उठा कर अपने मुँह में लेने की कोशिश की तो मैंने बिना देर किए अपना लन्ड उसके मुँह में घुसा कर उसके ऊपर झुक गया।


वो अपना सर अब फ़िर से आराम से तकिए पर रख ली थी और मैं अब उसके मुँह को चोदने लगा था। तनु अब "ऊँह ऊँह" करते हुए कभी लन्ड को लौलिपौप जैसे चूसती तो कभी चाटती। करीब एक मिनट चुसवाने के बाद मुझे लगा कि अब ज्यादा हुआ तो मुँह में ही मेरा लन्ड ब्लास्ट कर जाएगा, तो मैं अब अपना लन्ड उसके होठों से आजाद करके उसकी बूर की तरफ़ ध्यान दिया। मेरा बायाँ हाथ पहले उसकी बूर तक पहुँचा और मैंने उसकी क्लीटोरिस को सहलाना शुरु कर दिया और मेरी बहन मस्ती से कराह उठी। मैंने अपनी ऊँगली उसकी बूर में घुसा दी। मैं अब बिल्कुल भूल गया कि यह कसी हुई बूर किसी और लडकी की नहीं बल्कि मेरी अपनी छोटी बहन तनु की है। हम दोनों एक ही माँ की कोख से पैदा हुए हैं। तनु अब मस्ती से भर गयी थी और अब वो अपने हाथ छुडा कर अपनी पट्टी हटाने के चक्कर में थी। पर वो खुद से तो यह सब कर नहीं सकती थी, और न मैं और न ही दीपू भैया इस मूड में थे कि तनु की इच्छा पूरी की जाए। वो अब गिडगिडाते हुए अपने हाथ खोलने के लिए बोल रही थी, साथ ही गले से अलग-अलग किस्म की सेक्सी आवाजें निकाल रही थी। मैं अब उसके दोनों टाँगों को खोल कर उसके बीच में बैठ गया था उर फ़िर उसकी गीली बूर को अपने जीभ से चाटने लगा था। मजबूरी और मस्ती से भर कर अब वो चीख रही थी। उसका बदन गर्म हो कर जलने लगा था और मैं अब उसके बदन की गर्मी को महसूस कर रहा था। अब वो खुले शब्दों में कह रही थी, "आह्ह्ह्ह्ह्ह.... अब चोदो न....आह अब नहीं रहा जाता...जीभ हटाओ.... ओ माँ...मम्मीईईईईईए.... इइइइस्स्स्स्स प्लीज चोद दीजिए....प्लीज अब जल्दी से चोद कर मुझे खोल दीजिए न" उसकी बोली सुन कर लग रहा था कि वो अब रो देगी।
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11-04-2019, 01:30 PM,
#28
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मैंने अब अपना लन्ड उसकी गीली बूर पर सटाया तो वो थोडा शान्त हो गयी और तब मैंने जोर के धक्के के साथ अपना आधा लन्ड अपनी बहन की बूर में पेल दिया। वो ऐसे झटके के लिए शायद तैयार नहीं थी सो एक बारगी उसके मुँह से चीख निकली, "ओ माँ रे...", मैंने अगले ही क्षण दूसरा धक्का लगाया और अपना पूरा साढे सात इंच का लन्ड अपनी बहन की बूर में ठाँस दिया। उसने एक गहरी साँस ली जबकि मैंने अब उसकी चुदाई शुरु कर दी थी। सच में तनु को अंदाजा भी नहीं हुआ था कि उसकी चुदाई उसके पति के लन्ड से नहीं हो रही है। वो तो बिस्तर पर बँधी हुई कसमसाते हुए अपनी चूत को मेरे लन्ड से चुदवा रही थी। अचानक मेरे दिमाग में आया कि अब 69 भी कर ही लिया जाए, तो मैंने अपना लन्ड उसकी बूर से बाहर खींच लिया और फ़िर उसके ऊपर औंधा हो कर अपना लन्ड, जिसपर उसकी चूत का रस लिपसा हुआ था, उसके मुँह में घुसा दिया और खुद झुक कर उसकी अभी-अभी हो रही चुदाई से भरपूर पनियाई हुई बूर को अपने मुँह से चुभलाते हुए चूसने लगा। तनु की चूत की उस खट्टे महक से मैं फ़िर से जोश में भर गया और फ़िर एक बार उसके ऊपर झुक कर उसकी चुदाई करने लगा। तनु अब दूसरी बार झड़ने के कगार पर आ कर बोली, "आह्ह्ह्ह...... अब मैं हो ली....अब आप भी अपना गिरा दीजिई प्लीज, अब जान छोडिए मेरी....प्लीज" और उसका बदन काँपने लगा। जैसे ही मैं समझा कि बो अब झड रही है, वैसे ही मेरा लन्ड भी झडने लगा और मैं चट से अपना लन्ड उसकी बूर से बाहर खीँच लिया और उसके मुँह में दे दिया। वो भी इशारा समझ कर लन्ड को जोर-जोर से चूसने लगी। मैं भी कुछ ही सेकेन्ड में अपना पानी उसकी मुँह में गिराने लगा। मेरा प्यारी बहन आज मेरा ही लन्ड का पानी निगल गयी थी और मेरी बरसों की साध आज पूरी हो गयी थी। जब मेरा लन्ड शान्त हो गया तब मैं झुक कर आखिरी बार उसके होठों को खूब प्यार से चूमा और उसने भी वैसे ही सेक्सी अंदाज में मेरे चुम्मा का जवाब दिया। दीपू भैया ने अब मुझे जाने का इशारा किया और मैं बिना कुछ सोचे, चट से उस कमरे से निकल कर अपने कमरे में आ गया। दीपू भैया अब तनु के ऊपर चढ़ गये थे और अपना लन्ड उसकी बूर में डाल कर तेज रफ़्तार में चोदे जा रहे थे। तनु बेचारी तुरंत ही झड़ी थी और अब थकी होने के कारण सोच रही थी कि अब उसको खोल दिया जाएगा, पर दीपू भैया उसको बिना रूके चोदे जा रहे थे और वो लगातार चीख रही थी। ये चीखें उसके दर्द को नहीं बल्कि उसके मजे का अंदाजा करा रही थीं। आखिर तनु एकदम नयी-नयी जवान हुई लड़की थी तो इतना कस-बल तो उसमें था कि वो एक साथ दो-दो मर्दों को शान्त कर दे। दीपू भैया भी पाँच मिनट की ऐसी तेज धक्कम-पेल चुदाई के बाद झड गये। उन्होंने अपना पानी तनु की पेट पर निकाला और फ़िर तनु के आँख से पट्टी खोल दी। दोनों अब तेज-तेज साँसे ले रहे थे। मैं अब ऐसा थका हुआ महसूस कर रहा था कि बस सो जाना चाहता था, सो कमरे का दरवाजा बन्द किया, बिस्तर पर आया और नंगा ही सो गया।


अगली सुबह मैं उठा तो मुझे पता नहीं क्या लगा कि मैं बगल वाले कमरे की तरफ़ चल दिया। मुझे उम्मीद थी को वो लोग उठ गए होंगे सो मैंने दरवाजे को हल्के से ठेला और वो खुल गया। कमरें में बिस्तर पर मेरी बहन सोयी हुई थी अकेली, मैं उसे आवाज लगाने की सोच ही रहा था कि बाथरूम का दरवाजे से दीपू भैया आते दिखे। उनके कमर में सिर्फ़ एक तौलिया था। वो अब तनु को जगाने के लिए आवाज लगाए और तनु जागी, फ़िर मुझे कमरे में देख कर बुरी तरह शर्माई। जल्दी से उठकर वो बाथरूम में भागी। वो अभी एक नाईटी पहने हुए थी। दीपू भैया ने मुझे बैठने का इशारा किया और हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए। उसी बिस्तर पर तनु की कल वाली ब्रा और वो सुपर छोटी पैन्टी पडी हुई थी। हम दोनों अब एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे, जैसे एक-दूसरे से पूछ रहे हों - मजा आया?


दीपू: तब बताओ.... कल नींद आई?
मैं: बहुत गहरी.... अभी मिजाज एकदम से फ़्रेश हो गया है। आपको?
दीपू: सेक्स करने के बाद वैसे भी जबर्दस्त नींद आने लगी है आजकल...।

तनु तभी कमरे में आई और तब मैंने उसको सही से घूरा। उसके बदन से यह नाईटी जैसे चिपकी हुई थी। मैंने यह नाईटी कभी देखी नहीं थी उसके पास। गला तो छोटा था उसका पर बाँह के लिए गहरा कटा हुआ था। स्लीवलेस नाईटी होने से उसकी चूचियाँ अच्छी खासी उन बाँहों के कटाव से दिख रही थी। मेरी बहन तनु, शादी के एक सप्ताह होते-होते अपने बदन से बेफ़िक्र हो चली थी और जब उसने मुझे उसकी छाती को ऐसे घूरते देखा तो पास से एक दुपट्टा ले कर अपने को लपेट लिया, मुस्कुरा कर बोली, "मैं चाय ले कर आती हूँ"।

दीपू: अरे जनाब.... एक ही रात बहन का बदन देखा और बहन को ताडने लगे?
मैं: नहीं दीपू भैया.... वो बात...नहीं है। अस्ल में बस ऐसे ही नजर रूक गई। यह नाईटी भी उसके लिए जता ज्यादा ही टाईट थी।
दीपू: यह नाईटी और ये ब्रा-पैन्टी मैंने ही गिफ़्ट की थी तनु को उसकी पहली रात को जब वो मेरे पास सोने आई थी। वो पहनी
कल पहली बार, जैसे अपने भाई से चुदाने के लिए ही वो स्पेशल पैन्टी पहनी थी। काश उसको तुम उतारते उसकी चूत पर से।
मैं: हाँ भैया... सच में, बड़ा अच्छा लगा उसके साथ।
दीपू: हाँ भाई... तनु का बदन है ही बहुत रसीला। जिस अंग को चाटोगे, मजेदार... एकदम नया स्वाद मिलेगा।
मैं: उसका रस सच में स्वादिष्ट है... खूब चिकना और हल्का नमकीन।
दीपू: उसके हर अंग का अलग स्वाद है। अभी तो सिर्फ़ बूर का स्वाद तुम लिए हो। कभी उसकी काँख चाटना, अजीब फ़ीका तीखा
स्वाद मिलेगा। मैं तो उसकी काँख को दो-चार बार चाट ही लेता हूँ।
मैं: ओह.... आपको बताना था न। अब फ़िर पता नहीं कब मौका मिलेगा तनु के साथ...।
दीपू: अरे कोई टेंशन नहीं लेना है। एक बार जब चुद गई है तुमसे तो फ़िर अब दूसरी बार भी चुद ही जाएगी।
मैं: हाँ.... पर कैसे? इस टाईम उसको थोडे ना पता है कि उसको मैं चोद रहा था।
दीपू: अरे अगली बार, खुल्लम-खुल्ला उसको तुमसे चुदवा देंगे... क्यों फ़िक्र कर रहे हो। उसको मैंने बता दिया है कि उसकी २३ की
उम्र तक उसको खुब चुदना है लगातार..... उसके बाद ही बच्चा पैदा करना है।
मैं: देखते हैं....
दीपू: तनु भी अब खुब मजे लेकर चुदाती है। पहली बार जरा ना-नुकर था, पर अब तो तुम भी देखे ना, कैसे बेचैन होती है चुदाई
के लिए, जब गर्म हो जाती है।
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11-04-2019, 01:30 PM,
#29
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
तनु तभी चाय लेकर आ गयी। मैंने बिस्तर पर पड़े तनु की उस सेक्सी पैन्टी को अपने हाथ से एक तरफ़ हटाया और फ़िर तनु को बैठने के लिए इशारा किया। तनु थोडा झिझकते हुए उस पैन्टी की तरफ़ हाथ बढ़ाई कि उसको वो मेरी नजरों से दूर कर सके और तभी मैंने कहा।


मैं: रहने दो तनु, मैं समझ सकता हूँ। नये पति-पत्नी के कमरे में ऐसी चीज सब का होना स्वभाविक है।
दीपू: देखो.... तुम्हारा भाई कितना समझदार है, और एक तुम हो... (तनु झेपं गई)
तनु: जी....चाय लीजिए।
मैं: हा हा हा... मुझे पता है, अभी इस कमरे में कंडोम भी मिलेगा पक्का।
दीपू: जादूगर हो भई तुम तो (उन्होंने तकिये के नीचे से कंडोम का पैकेट निकाला और सामने रख दिया। पैकेट बन्द ही था)
दीपू: देख लो, अभी तक बन्द ही है।
मैं: मतलब दो पैकेट था?
दीपू: नहीं यार... तुम्हारी बहन को मेरे चमड़े से अपना चमडा रगडना होता है हमेशा।
मैं: ओह.... फ़िर तो तनु, तुम जल्दी ही प्रीग्नेंट हो जाओगी।
दीपू: अभी तो बेचारी शुरु ही की है, अभी तो तीन-चार साल तक तो इसकी जवानी का रस चूसना है फ़िर बच्चे पैदा करूँगा।
मैं: पर दीपू भैया, ऐसे बिना कोई प्रोटेक्शन?
दीपू: बस थोडा ध्यान रखना पड़ता है, बाहर पेट पर या मुँह में निकालना पडता है।
तनु: छीः.... चुप रहिए अब।
दीपू: क्यों??? अरे राज ऐसा बच्चा भी नहीं है और दोस्त ही है, फ़िर इससे कैसा पर्दा? वैसे भी बगल में यह सब तो सुन ही लेता
होगा ना, तो फ़िर क्यों पर्दा करें इससे। क्यों राज?
मैं: हाँ दीपू भैया... सुनाई तो आपलोग का सब देता है, बिल्कुल साफ़-साफ़। लकडी के पार्टिशन से कितना पर्दा होगा।
तनु: धत्त भैया, आप भी न। मुझे इतना शर्म लग रहा है अब।
दीपू: हा हा हा... अब शर्म-वर्म छोड़ो और जवानी के मजे लो। मेरा तो मन है कि राज को भी साथ में ही सुला लें। एक तरफ़ मैं
और दूसरी तरफ़ राज, बीच में तुम.... क्यों, क्या बोलती हो? (मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी, यह ज्यादा हो गया था)
तनु: भैट.... आपको भी पता नहीं कहाँ-कहाँ से शैतानी सुझता रहता है? (फ़िर मुझे बोली)
तनु: जानते हैं भैया??? कल रात में ये मेरा हाथ बाँध दिये और आँख पर पट्टी भी.... फ़िर किए।
दीपू: तुम्हें मजा आया ना?
मैं: अरे तनु, यह तो खुशी की बात है कि तुम्हें ऐसा मजेदार पति मिला है जो तुमको लगातार नया-नया मजा दे रहा है। मुझे सब
पता है कि कल तुम्हारे साथ क्या सब हुआ...। हमेशा खुश रहो, और ऐसे ही तुम्हारा पति रोज-रोज अलग-अलग तरीके से
तुम्हें इस सब का मजा देता रहे।
दीपू: अच्छा राज, एक बात बताओ...? तुम भी लडकी के साथ सेक्स करते हो?
मैं: आप भी क्या पूछ रहे है? तनु मेरी बहन है...।
दीपू: अरे तो मैं तुमसे बहन को चोदने की बात थोड़े ना पूछ रहा हूँ, मैं तो पूछ रहा हूँ कि तुम लडकी को चोदते हो कि नहीं?
मैं: जी भैया, चोदता तो हूँ मैं भी कभी-कभी।
दीपू: देख लो तनु, लडकी का बदन तुम्हारे भाई को भी खींच लिया वो भी शादी के पहले ही, और तुम शर्माते रहो।
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11-04-2019, 01:30 PM,
#30
RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
तनु भी चुप और मैं भी। तभी मम्मी की आवाज सुनाई दी, वो हम सब को नीचे बुला रही थी तो हम सब नीचे आ गये और फ़िर हमारा दिन शुरु हो गया। मुझे पता था कि आज की रात तनु की हमारे घर पर आखिरी रात थी और अब जब मैं तनु को चोद लिया था तो तनु को मैं फ़िर से चोदने की सोचने लगा था। दिन में मौका मिलते ही मैंने यह बात दीपू भैया को बताई।

मै: भैया, काल तो आपलोग अपने घर चले जाएँगे?
दीपू: हाँ, और अब तो काम पर भी ज्वाईन करना है...क्यों?
मैं: अच्छा नहीं लग रहा है। अब तो तनु भी कभी-कभी ही आ पाएगी ना?
दीपू: ऐसी बात नहीं है, लोकल ही है तो आती ही रहेगी। असल में अगले महिने मैं उसको न्यूजीलैंड ले जा रहा हूँ। यह उसके लिए
सर्प्राईज है, तुम भी मत बताना। अभी यह बात सिर्फ़ मैं और तुम ही जानते हैं और कोई नहीं। उसको यही पता है
कि हम नैनिताल जाने वाले हैं।
मैं: वाह.... इंटरनेशनल हनिमून...।
दीपू: वो भी सबसे बेशर्म वाला। वहाँ खुल्लम्खुल्ला सी-बीच पर चोदना है उसको। एक न्यूडिस्ट कैंप में चार दिन की बूकिंग करवा
ली है। उसके ब्रोशर में तो ग्रूप सेक्स और स्वैपिंग की भी बात लिखी हुई है। अब जाने के पहले उसको जरा बेशर्म बना देना है
कि वहाँ कुछ तमाशा ना बन जाए। तुम भी अब कुछ मदद करो न।
मैं: उउउम्म्म्म्म... मैं कैसे?
दीपू: एकबार उसको खुल्लम-खुल्ला चोदो ना। कोशिश तो करो.... गर चुद गई तो पक्का हो जाएगा कि अब वहाँ वो शर्माएगी नहीं।
मैंने तो तुम्हें मौका दिना तो तुम डरते ही रहे और मैंने उसकी पट्टी नहीं खोली। तुमको थोडा ज्यादा बोल्ड बनना होगा।
मैं: अब इतना सब मेरे साथ नहीं हो पाएगा। आप बब्लू से कहिएगा न...।
दीपू: देखो राजू, बब्लू तनु का देवर है और तुम हो उसके भाई। देवर के साथ अगर ज्यादा खुल गई तो रिस्क है कि वो मेरा बेटा
पैदा करेगी कि अपने देवर का। तुम्हारे साथ यह पका है कि वो तुम्हारा बच्चा तो पैदा नहीं ही करेगी। वैसे भी उसका देवर के
साथ संबंध हो इससे ज्यादा बेशरमी की बात उसके लिए होगी कि वो अपने भाई के साथ संबंध बनाए। इसीलिए मेरा मन है कि
यहाँ से जाने के पहले कम-से-कम एक बार वो अपनी रजामन्दी से तुम्हारे साथ सेक्स करे। तुम कोशिश तो करो, मैं तुम्हारी
भरसक मदद करूँगा।

मेरा मन भी अब जरा बहकने लगा था और मैंने एक छोटा सा "ठीक है" कहा। तय हुआ कि आज तनु को दीपू भैया खुली छत पर ले आएँगे उसकी आँख बाँध कर और उस खुली छत पर उसको मैं चोदुँगा, जब मेरा लन्ड उसकी बूर में घुसा हुआ अर्हेगा तभी दीपू भैया उसके आँख की पट्टी खोल देंगे जिससे वो देख ले कि उसके बूर में मेरा लन्ड है। इसके बाद, सब कुछ उसके प्रतिक्रिया पर निर्भर करे। दो बातें होनी थी, या तो वो मेरी चुदाई का मजा लेगी, या फ़िर विरोध करेगी। वैसे भी मैं अब अपने जौब इंटरव्यू के लिए निकलने वाला था और फ़िर कहीं सेट होना था और उसको भी अगली सुबह ही अपने ससुराल निकल जाना था।
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