RE: Indian Sex Kahani प्यास बुझती ही नही
प्यास बुझती ही नही-19
गतान्क से आगे.............................
ताले खोलने के एक्सपार्टीस को देखते हुए अनिता ने कहा; ताले खोलने मे तुम एक्ष्पर्त हो.....ऐसा लगता है काफ़ी ताले खोल चुके हो...
राज: हस्ते हुए.....कोई शक़ है?
अनिता: हस्ते हुए....नही पर मेरा ताला जब खॉलोगे तो देखेंगे?
राज: देख लेना मेरी जान...फिलहाल घर के अंदर तो चलो......काफ़ी अंधेरा है..............कॅंडल भी नही है और ना ही मोबाइल काम कर रहा है....ये तो सुबह से स्वितचॉफ्फ़ है...तुम अपना मोबाइल ऑन करो...........अनिता ने कहा...मेरा भी मोबाइल काम नही कर रहा है....लगता है पानी चला गया है................अब क्या करे?
राज: देखते है...क्या कर सकते है...तभी दोनो एक शख्त चीज़ से टकरा गये. और दोनो फर्स पर गिर गये.....दोनो एक दूसरे पर ऐसा गिरे कि दोनो के होंठ मिल गये.राज मौके का फयडा उठाने लगा और एक जोरदार किस कर दिया....
अनिता:ह्म्म्म्मम ये नही चलेगी मिस्टर.....बिहेव युवर सेल्फ़.
राज: अरे यार ताला खोलने के बदले कुच्छ नही दोगी...
अनिता: वेरी क्लीवर.....पहले लाइट का इंतज़ाम करो..............
तभी अनिता का दाया हाथ किसी लोहे की शख्त चीज़ से टकरा गया.....उसने उसे टटोलते हुए देखा..............ये कोई हथियार था जिसे हम "कुल्हाड़ी" कहते है
अनिता: अरे...ये क्या है????? ये तो कुल्हाड़ी है?
राज: कुल्हाड़ी??? यान्हा कुल्हाड़ी का क्या काम है...और वो भी कुल्हाड़ी को टटोलने लगा.......................वाकई ये तो कुल्हाड़ी है.....जब वो मुट्ते को च्छुआ तो उसपे चिपचिपा सा लगा हुआ था.......जब वो चिपचिपा अपनी नाक से सूँघा तो उसका माथा ठनका...ये तो खून धब्बे है.............ओह माइ गॉड....लगता है किसी का खून हुआ है इस कमरे मे .............भागो.......अनिता.....यान्हा से......पर जब दोनो दरवाजे तक आए...दरवाजा बाहर से लॉक हो चुका था................
राज और अनिता ..ज़ोर ज़ोर से चीखने लगे.....खोलो....दरवाजा, बचाओ...बचाओ...अनिता तो मानो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.......................पर अब किया क्या जा सकता है............................ये सोचना होगा.....
राज ने सोचा......कौन है जो बाहर से दरवाजा बंद किया.... जब वो शेड मे थे तो कोई और वन्हा नही था.....दूर दूर तक सिर्फ़ ये दोनो ही थे....और फिर कमरे मे बाहर से लॉक क्यो था........तभी उसने अनिता से कहा "हमे लगता है कोई हमे फसा रहा है" बहुत बारीकी से सोचना होगा...इस कमरे मे तहकीकात करना होगा...कि आख़िर इस कमरे मे क्या है...? हो सकता है इस कमरे मे किसी की डेड-बॉडी भी होगी....? तुम शांत हो जाओ...मे हू ना तुम्हारे साथ? चलो ढूँढते है...और दोनो एक एक चीज़ को टटोलकर कमरे को सर्च करने लगे.....
बादल की गड़गड़ाहट के साथ बारिश जोरो से हो रही थी…..जब बादल और बिजली कदक्ति थी तो रूम के अंदर रोशनी हो जाती थी जिसकी मदद से घर के दूसरे हिस्से को देख लेता था…राज और अनिता बड़ी सावधानी से कमरे का सर्च कर रहे थे…जहा पर कुल्हाड़ी पड़ी थी उसके 10 कदम पर नोकिया का मोबाइल पड़ा था….अनिता की आँखे चमक गयी उसने नोकिया का फोन उठा लिया और उसे ओन करने की कोशिश करने लगी…पर ये क्या ये तो ऑन ही नही हो रहा…..जब वो मोबाइल के बॅक पे अपनी उंगली ले गयी तो पाया कि मोबाइल की बॅटरी है ही नही…..उसने राज को बोला…..क्या आफ़त है….मे तो पागल हो जाऊंगी….मोबाइल मिला है….और वो भी बिना बॅटरी के…..मोबाइल के नाम पर राज चौंक गया उसने अनिता की ओर देखा और उसे अपनी बाँहो मे भर लिया और कहा…जब मोबाइल मिला है तो बॅटरी भी ज़रूर होगी यही कही…तुम अच्छी तरह चेक करो…मे दूसरी तरफ चेक करता हू……अनिताने एक मगरमच्छ की तरह पूरे फर्स का निरीक्षण किया….तभी उसे बॅटरी और मोबाइल का ढक्कन भी मिला……उसने उसे लिया और ख़ुसी से राज के गले लग गयी….बॅटरी को मोबाइल मे लगाया और ऑन किया………..थोड़ी देर मे मोबाइल ऑन हो गया….दोनो ख़ुसी से पागल हो गये……..राज ने मोबाइल को गौर से देखा…..कि आख़िर ये मोबाइल है किसका पर जब स्क्रीन मे जम देख कर वो बुरी तरह चौंक गया…………ये मोबाइल तो राजेश का है……………राज की धड़कने तेज होने लगी…..उसने मोबाइल का निरीक्षण किया….सेंट, मिस्ड-कॉल आंड इंबॉक्ष……6 मिस्ड-कॉल कोई बॉस लिखा और 2 मिस्ड-कॉल पर ऑफीस लिखा था………….सेंट आइटम मे 4 कॉल रंभा को किया गया था….और इंबॉक्ष मे 23 मे (जिस डेट को राजेश गायब हुआ था) के बाद की कॉल नही आइ थी……
राज को कुच्छ समझ मे नही आ रहा था..कि इस समय क्या किया जाए……तभी उसने सोचा सबसे पहले यान्हा से हमे निकलना चाहिए……तभी उसने सोचा कि मुझे रश्मि को फोन कर बता देना चाहिए कि हम यान्हा है…..जब राज रश्मि को फोन लगा रहा था तभी दरवाजा ज़ोर से खटखाया…..राज और अनिता दोनो एक दूसरे से चिपक गये…..अनिता की तो सिट्टी-पिटी गुम हो गयी वो भगवान से यही फरियाद कर रही थी कि जल्द से जल्द ये………दोनो एक पलंग के नीचे दुबक गये….राज ने देखा ..उस शख्स ने एक मोटी और काली कंबल ओढ़ रखी थी जो कि पानी से गीली थी…पर उस आदमी की शक्ल नही देख पाया…..फिर उसने धीरे से कुच्छ उठाया (कोई बोरे मे रखा समान) और फिर दबे पाँव घर से निकल गया….राज ने सोचा कि उसे दौड़ कर पकड़ लू तभी अनिता ने उसका हाथ खींच लिया…….और वो आदमी बाहर से दरवाजा बंद कर चला गया……………………….
राज: ये क्या किया तुमने??? मे उसे पकड़ सकता था………ना…और फिर वो कौन था और क्या ले जा रहा था…….
अनिता: धीरे से…उसके हाथ मे कॅटर था…जिसे देख कर मे डर गयी…और फिर ये क्यो नही सोचा कि जो समान वो ले जा रहा था वो किसी की लाश थी…………….
राज: लाश??? तुम्हे कैसे पता
अनिता: मेने गौर से देखा….कि जूट के बोरे मे से एक सिर बाहर झाँक रहा था…..वो किसी लड़की का सिर था.
राज: ये तुम दावे के साथ कैसे कह सकती हो???????
अनिता: वो ऐसे इसलिए कि जब मे मोबाइल की बॅटरी खोज रही थी तो मे किसी डेड-बॉडी से टकराई थी….जो कि किसी लड़की के लंबे बाल थे…………………
राज: पर अब क्या करे??? कुच्छ समझ मे नही आ रहा
अनिता: हम दरवाजे की तरफ पुनः चलते है…देखते है क्या कर सकते है…
राज और अनिता दोनो दरवाजे पर गये और ज़ोर ज़ोर से पीटने लगे…पर कुच्छ रेस्पॉन्स नही आ रहा था…हां किसी गाड़ी की स्टार्ट होने की आवाज़ ज़रूर आई…….लगता है वही आदमी लाश लोड कर के जा रहा है कही फेंकने के लिए……………
राज; यार कोई तो रास्ता होगा….
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