Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
03-23-2019, 12:44 PM,
#11
RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
फिर कोई सत्रह अठारह दिन बाद उसका फोन आया. उस टाइम मैं ऑफिस में था- हाँ, शालिनी बिटिया. कैसी है तू? बहुत दिनों बाद फोन किया?
‘ठीक हूँ अंकल. कल मम्मी पापा एक शादी में जा रहे हैं. मेरे मामा के लड़के की शादी है.’
‘अच्छा… फिर?’
‘मैं और गुड्डू भैय्या नहीं जा रहे!’
‘अच्छा क्यों, तुम लोग भी चले जाओ, तुम्हारे भाई की शादी है खूब एन्जॉय करना!’
‘नहीं अंकल जी, मेरा मन नहीं कर रहा जाने का इन मुहाँसों की वजह से मुझे इन्फीरियरिटी काम्प्लेक्स फील होता है. किसी से ठीक से बात भी नहीं कर सकती क्योंकि सबकी नज़र मेरे इन मुहाँसों पर ही होती है. कई लोग तो कमेंट्स भी पास करते हैं. इसलिए मैंने पापा से मना कर दिया है कि मेरे टेस्ट्स हैं कॉलेज में… इसलिए मैं नहीं जा रही!’

‘चलो ठीक है, तो फिर पढ़ाई करो अच्छे से!’ मैंने उसकी बातों का मतलब समझते हुए भी भोला बना रहा.

‘पढ़ाई तो ठीक है अंकल जी, वो आपसे उस दिन आपके ऑफिस के पास हम लोग बात कर रहे थे न…’
‘अच्छा, हाँ… वो वाली बात. अब याद आया मुझे!’
‘अंकल जी मैंने सोचा है कि एक बार वो भी ट्राई करके देख लूं जो आप कह रहे थे…’ वो बड़ी मुश्किल से कह पाई.
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03-23-2019, 12:44 PM,
#12
RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
‘स्वीटी, मैं तुम्हारी बात का मतलब समझ नहीं पा रहा थोड़ा खुल के कहो ना?’ मैंने बात बनाई.
‘अंकल जी, वो उस दिन आप वेजाइना लिकिंग के फायदे बता रहे थे न जैसे उस विडियो में दिखाया था आपने…’
‘अच्छा अच्छा वो वाला वीडियो जिसमें वो लड़की दादा जी से चटवाती है… हाँ हाँ तो?’
‘अंकल जी, मैं तीन दिनों तक दिन में अकेली रहूँगी. मम्मी पापा शादी में गये हैं और गुड्डू भैय्या स्कूल चला जाया करेगा. आप चाहो तो आ जाना मेरी वेजाइना ट्रीट करने के लिए अगर आपके पास थोड़ा टाइम हो तो…’ उसकी आवाज में कम्पन और थरथराहट साफ़ झलक रही थी.

‘जरूर आऊंगा बिटिया रानी. भगवान ने चाहा तो तुम्हारे मुंहासे हमेशा के लिए चले जायेंगे. बोलो, कितने बजे आऊं?’
‘अंकल जी, गुड्डू भैय्या सुबह नौ बजे स्कूल चला जाता है स्कूल के बाद वो कोचिंग पढ़ के शाम को साढ़े छह तक घर लौटता है, इस बीच आप कभी भी आ जाना!’
‘ठीक है शालिनी… मैं दोपहर में किसी टाइम आ जाऊंगा, आने के पहले तुम्हें मिस्ड कॉल दूंगा.’ मैंने खुश होकर कहा.
‘थैंक यू अंकल जी. मैं इंतज़ार करूंगी. आप भूलना नहीं!’ उसने जल्दी से कहा और फोन काट दिया.

तो साथियो और सहेलियो मेरी कहानी उस मोड़ तक आ चुकी है जहाँ से आगे मेरी तमन्ना पूरी होने वाली है. कमसिन कली शालिनी का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के आगोश में होगा, अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो!

अगले दिन मैं शालिनी से मिलने को तैयार हुआ. सबसे पहले मैंने सुबह की चाय के बाद अपनी बीवी को पकड़ के एक बार रगड़ रगड़ के चोद डाला. वो न न करती रह गई कि सुबह सुबह ये क्या सूझी मुझे.
अब उसे क्या बताता कि मुझे क्या सूझ रही थी. एक बार की चुदाई के बाद सेकंड राउंड की चुदाई में बहुत टाइम लगता है मुझे इसीलिए एक बार बीवी को चोद लिया था कि अगर शालिनी चोदने को मिली तो उसे अधिक से अधिक देर तक बिना झड़े चोद सकूं.

उसके बाद मैंने अपनी झांटों को कैंची से कुतर कर नाखून जितना कर लिया. छोटी छोटी खूंटे सी उगी झांटें अगली की चूत में जो रगड़ का मज़ा देती हैं उसकी बात ही अलग है.

घर से निकल कर मैं ऑफिस अपने समय से पहुँच गया. थोड़ी देर काम करके बहाना बना के बाहर निकल लिया और शालिनी को मिस्ड कॉल दी.
अपनी बाइक मैंने ऑफिस में ही खड़ी रहने दी और रिक्शे से शालिनी के घर से थोड़ी दूर उतर गया.

लोगों की नज़रों से छुपते बचते मैं शालिनी के घर के सामने जा पहुँचा और घंटी बजाने को हाथ ऊपर किया. मैं घंटी बजा पाता उससे पहले ही शालिनी ने दरवाजा खोल दिया. जाहिर था वो टकटकी लगाए मेरी ही बाट जोह रही थी.

‘नमस्ते अंकल जी!’ वो बोली.
‘नमस्ते शालिनी बिटिया, कैसी हो?’ मैंने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा.
‘ठीक हूँ अंकल जी!’

मैंने उस गौर से देखा. वो थोड़ी असामान्य और घबराई सी लग रही थी. जिस काम के लिए उसने मुझे बुलाया था वैसे में उसकी घबराहट स्वाभाविक ही थी. साधारण सा सलवार कुर्ता पहन रखा था उसने, मम्में भी दुपट्टे से ढक रखे थे, बाल पोनी टेल स्टाइल में बंधे हुए थे. कुल मिलाकर जैसे आमतौर पर लड़कियाँ घर में सिंपल तरीके से रहती हैं उसी तरह से लगी वो मुझे…
मेरे कहने का मतलब मुझसे मिलने की चाह में उसने कोई किसी तरह का बनाव सिंगार या मेकअप वगैरह नहीं किया था.
मुझे अच्छी लगी ये बात.

‘बैठिये अंकल जी. मैं पानी लाती हूँ!’
‘अरे ये चाय पानी वगैरह रहने दो, फिर कभी पी लूंगा. अभी तो जिस काम के लिए आया हूँ, वो शुरू करते हैं!’
मेरी बात सुनकर उसने सिर झुका लिया और चुप खड़ी रह गई.

‘इधर आ मेरे पास बैठ!’ मैंने सोफे पर बैठते हुए कहा तो वो हिचकते हुए मुझसे दूरी बना कर बैठ गई.
‘अंकल जी, मुझे बहुत डर लग रहा है. कुछ होगा तो नहीं न मुझे?’
‘होगा, होगा क्यों नहीं. अरे तेरे ये मुहाँसे मिट जायेंगे देख लेना और मज़ा ही ऐसा आयेगा कि तुझे अभी तक नहीं आया होगा!’
मेरी बात सुनके वो चुप रह गई.
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03-23-2019, 12:44 PM,
#13
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‘मेरे पास आ के बैठो न शालिनी!’ मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने नजदीक सटा लिया और उसके गले में बांह डाल कर हौले से उसका बायाँ गाल चूम लिया.
उसका बदन हौले से कांपा और उसने मुझसे दूर हटने का प्रयास किया लेकिन मैंने उसे थामे रखा और उसकी गर्दन पर एक चुम्मा जड़ दिया.

‘मत करो अंकल जी ऐसे. मुझे डर लग रहा है!’
‘अरे बेटा, डरने की क्या बात है. अब जिस काम के लिए मुझे बुलाया है वो तो मुझे ठीक से करने दो न… देखो शालिनी, अगर तुम ठीक से कोआपरेट करोगी तो सब कुछ अच्छे से होगा, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मुझे भी. नहीं तो अभी भी समय है तुम चाहो तो पीछे हट सकती हो, मैं वापस चला जाता हूँ. भूल जाना इन बातों को!’

मैंने शालिनी जैन को समझाया- बेटी, डरने की बात नहीं है. जिस काम के लिए मैं आया हूँ, वो मुझे ठीक से करने दो… अगर तुम कोआपरेट करोगी तो सब कुछ सही होगा, तुम को भी अच्छा लगेगा और मुझको भी!
उसने सहमति में सिर हिला के मुझे ग्रीन सिग्नल दिया पर मुंह से कुछ न बोली.

उसकी सहमति पाकर मैंने फिर से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने से लिपटा लिया उसे और धीरे धीरे उसकी पीठ सहलाने लगा. मेरी हथेली उसकी कमर से लेकर ऊपर गर्दन तक फिसलती रही, बीच में कहीं कोई अवरोध महसूस नहीं हुआ, मतलब साफ़ था कि वो ब्रा नहीं पहने थी.

उसके शरीर की तपन मुझमें गजब की मस्ती भरने लगी और मैंने उसकी गर्दन के पिछले भाग पर अपने होंठ जमा दिए और वहाँ चूमने लगा. फिर कान के नीचे और फिर कान की लौ अपने होठों में दबा ली मैंने और उसे जीभ से छेड़ा.
बस इतने से ही उसके बदन ने झुरझुरी ली और लगा कि उसका रोम रोम तन गया.

उसके कान की लौ चुभलाते हुए मैंने उसका दायाँ स्तन कुर्ते के ऊपर से ही अपनी हथेली से ढक दिया, विरोध स्वरूप उसका हाथ मेरे हाथ पर आया और दूर हटाने को लड़ने लगा, हाथापाई करने लगा, पर जीत मेरे ही हाथ की होनी थी और हुई भी… जीत की ख़ुशी कुछ यूं जैसे मैंने वो क्षेत्र, वो प्रदेश, वो अंग जीत लिया हो. फिर जैसे मालिकाना हक़ से मैंने अपना हाथ कुर्ते के भीतर घुसा कर उसका नग्न स्तन दबोच लिया, लगा जैसे कोई फूलों का गुच्छा पकड़ लिया हो, फिर बहुत ही हौले से स्तन को दबाया. फिर दूसरे वाले को भी दबाया, मसला.
रुई के फाहे जैसे सुकोमल स्तन जैसे थरथरा कर रह गये, आनन्द की लहरें उनमें हिलौरें लेने लगीं और उसके निप्पल या चूचुक पहली बार उत्तेजित होकर कड़क हो गये जिन्हें मैं अपनी चुटकी में ले के प्यार से यूं उमेठने लगा जैसे घड़ी में चाभी भरते हैं.

‘अंकल जी बस!’ उसके मुंह से अस्फुट से स्वर निकले.
उसका यूं कहना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी. पहली बार वो किसी मर्द के पहलू में यूं बैठी थी और मर्दाना हाथ उसकी कामनाओं को जगा रहे थे. उसका बदन पहली बार नये नये तजुर्बों से गुजर रहा था नई नई अनुभूतियाँ उसके तन मन में बिजलियाँ चमका रहीं थी.

अंकल जी, ये सब करने की बात नहीं हुई थी. आप चीटिंग कर रहे हैं!’
‘नहीं स्वीटी, ये चीटिंग नहीं है, उसी क्रिया का पार्ट है!’
‘नहीं… आप तो वही ट्रीटमेंट दे दो जिसकी बात हुई थी, और कुछ मत करो!’
‘अरे वही सब तो कर रहा हूँ जो तुम्हें उस वीडियो में दिखाया था, शुरुआत तो ऐसे ही होती है न!’

‘लेकिन मुझे पता नहीं कैसा कैसा लग रहा है और घबराहट सी भी हो रही है.’
‘देखो शालिनी बेटा, तुम किसी बात का टेंशन मत लो. जो हो रहा है उसे होने दो और एन्जॉय करो. अपना तन और मन पूरी तरह से मुझे सौंप दो, फिर देखना बहुत जल्दी तेरे मुंहासे गायब हो जायेंगे जैसे कभी थे ही नहीं!’
‘ठीक है अंकल जी. तो फिर जल्दी जल्दी कर लो जो जो करना है!’ वो बोली.
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03-23-2019, 12:44 PM,
#14
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फिर मैंने उसे बाहों में उठा लिया और बेडरूम में लेजाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर मैं चढ़ गया और उसके होंठ अपने होठों की गिरफ्त में ले लिये. फूल से कोमल कुंवारे होंठों का वो रस आज भी भूल नहीं पाता मैं…
बहुत देर तक मैं उसके ऊपर लेटा हुआ उसके दोनों मम्में अपनी मुट्ठियों में भर कर उसके अधरों का रसपान करता रहा, उसके गालों को चूमता चाटता काटता रहा और वो मेरे नीचे बेसुध सी पड़ी यौवन की इन प्रथम अनुभूतियों से परिचित होती रही, अपने अंग प्रत्यंग में हो रही सनसनी और उत्तेजना को वो आँखें मूंदे महसूस करती रही.
इधर मेरा लंड भी दम से खड़ा हो गया था और मुझे कपड़ों के नीचे से परेशान करने लगा था.

जब मैंने उसका कुर्ता उतारा तो उसने मामूली सा विरोध किया जैसे मुझे अपना विरोध जता दिया हो. कोई ख़ास प्रतिरोध नहीं किया.
ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी. कमर से ऊपर उसका बदन नग्न हो चुका था. जैसे ही उसका कुर्ता उतरा, उसने अपने पैर एक के ऊपर एक रख के कस कर भींच लिए जैसे अपनी लाज के अंतिम आवरण को बचाये रखना चाहती हो.

उसके मम्मे ज्यादा बड़े नहीं थे यही कोई 28-30 साइज़ के रहे होंगे जो उसके बदन के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट थे. मुझे वैसे भी कमसिन छोरियों के छोटे छोटे बूब्स ही ज्यादा पसन्द हैं जिन्हें दोनों मुट्ठियों में भींच के धुआंधार चुदाई कर सकूं.
उसके मम्मे… लगता था जैसे दो मुलायम गुलाबी संतरे उग आये थे उसके सीने पर… किशमिश जैसे निप्पल और उनका घेरा हल्के भूरे से रंग का था.
मैंने बिना देर किये एक निप्पल अपने होठों में भर लिया और चूसने लगा और दूसरे वाले मम्मे से खेलने लगा.
स्तन चूसने और उन्हें मसलने उनसे खेलने का ऐसा आनन्द जीवन में मुझे इससे पहले कभी नहीं मिला था. मैं किसी अबोध शिशु की तरह उसके दूधों से लिपटा हुआ अमृत पान करता रहा और वो मेरे सिर को सहलाती हुई, बालों में उंगलियाँ पिरो कर कंघी करती हुई अपना स्नेह जताती रही.

बीच बीच में मैं उसके होंठ भी चूसता जाता और गाल भी चूमता काटता जाता. लड़की के होंठ, मम्में और लगभग सारा बदन ही किसी सिस्टम के तहत उसकी चूत से जुड़ा होता है. बदन पर कहीं भी प्यार करो, चूमो या सहलाओ लड़की की चूत इन अठखेलियों का स्वतः संज्ञान ले लेती है और गीली हो जाती है, लंड के स्वागत के लिए उसका प्रवेश सुगम बनाने के लिए रस का सिंचन करने लगती है.

सो मेरी कामकेलि से शालिनी जल्दी ही चुदासी हो उठी और उसने अपने पैर जो आपस में भींच रखे थे, खोल दिए और अपनी जांघें दायें बाएं फैला कर अपनी चूत को जैसे कैद से आजाद कर दिया.

अब मैं उसे चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ चला उसका समतल चिकना पेट, गहरी नाभि कूप चूमने के बाद मैं उसके पैरों के पास बैठ गया और और दोनों पैर उठा कर तलवे चूमने चाटने लगा, पैरों की उंगलियाँ अपने मुंह में भर के चूसने लगा.

मेरे ऐसा करते ही वो जल बिन मछली की तरह मचलने लगी और अपना एक पैर मेरी गर्दन के पीछे फंसा कर मुझे अपने ऊपर दबाने लगी- उफ्फ अंकल जी… अब सहन नहीं होता, जल्दी से ट्रीटमेन्ट दे दो मुझे!
‘बस थोड़ी देर और… फिर ट्रीट करता हूँ तुम्हारी चूत को!’ मैं उसकी पिंडलियाँ चूमते हुए बोला.
फिर मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी दोनों जांघें चूम डालीं और और हल्के हल्के काटने लगा.

उसकी सलवार का नाड़ा मेरी नाक के ठीक ऊपर ही बंधा था सो मैंने उसे दांतों से पकड़ कर खींचना शुरू किया.
‘अंकल जी, पहले एक वादा करो?’ उसने अपना नाड़ा खुलने से पहले ही पकड़ लिया.
‘हाँ बोलो स्वीटी रानी?’
‘पहले वादा करो कि आप मेरे साथ सेक्स नहीं करोगे. मेरा कुंवारापन छीनोगे नहीं!’
‘ठीक है, वादा करता हूँ!’ मैं बोला.
‘ऐसे नहीं ठीक से बोल के वादा करो!’
‘शालिनी, मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती सेक्स या ऐसा कोई भी काम नहीं करूंगा जिसमें तुम्हारी मर्जी न हो!’
‘भगवान की कसम खा के कहो?’
‘मैं भगवान की कसम खा के कहता हूँ कि तुम्हारे साथ जबरदस्ती संभोग नहीं करूंगा. ओके नाउ?’
‘हाँ अब ठीक है!’ वो बोली और उसने खुद सलवार के नाड़े का एक सिरा ऊपर तक खींच दिया.

हालांकि सलवार का नाड़ा खुल चुका था परन्तु अभी भी अटका हुआ था. मैंने शालिनी की कमर के नीचे से सलवार खिसकाई तो उसने भी सहयोग देते हुए कमर को ऊपर उठा कर सलवार नीचे से निकल जाने दी.
उसने पेंटी भी नहीं पहन रखी थी, उसके चिकने मुलायम नितम्बों को मैंने मसल दिया. बदले में उसके मुंह से सिसकारी निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
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03-23-2019, 12:45 PM,
#15
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सलवार नीचे से निकल चुकी थी लेकिन उसकी चूत के ऊपर अभी भी अटकी हुई थी. उसकी चूत के दर्शन अब होने ही वाले थे, मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई वो नज़ारा मेरे सामने अब आने ही वाला था जिसकी कल्पना कर कर के न जाने कितनी बार मैंने मुठ मारी थी, कितनी ही बार मैंने इसी चूत की सोच सोच के अपनी बीवी को चोदा था. मैंने एक गहरी सांस ली और थोड़ा रुक गया.
मित्रो लड़की के बूब्स के बाद उसकी चूत ही ऐसा अंग है जिसे देखने छूने की हसरत हम सभी की होती है.

मैंने आँखें बंद करके उसकी सलवार उतार कर एक तरफ फेंक दी और उसके दोनों घुटने पकड़ कर पेट की तरफ मोड़ कर जांघें दायें बाएं फैला दीं. फिर आँखें खोल कर उसकी चूत को निहारा.
‘वाह…’ मेरे मुंह से अपने आप ही निकल गया.

शालिनी की सेक्सी चुत फूली हुई कचौड़ी की तरह गुदगुदी और उभरी हुई सी थी, चूत के दोनों होंठ आपस में चिपके हुए थे और बीच की दरार में से रस सा रिस रहा था. उसकी चूत पर छोटी छोटी रेशमी झांटें थी जो मुझे बेहद पसन्द हैं.

मित्रो, पिछले एक दो वर्ष से चूत के बारे में मेरी पसन्द बदल गई है. पहले मुझे चिकनी क्लीन शेव्ड चूत पसन्द हुआ करती थी लेकिन अब मुझे झांटों वाली चूत ज्यादा सेक्सी ज्यादा मनोहर लगती है. झांटें छोटी छोटी हों जिनमें से चूत के लिप्स की स्किन भी दिखती रहे, ज्यादा घनी नहीं!
नेट पर पोर्न देखने के मामले में भी मैं काली झांटों वाली लड़की ज्यादा प्रेफर करता हूँ.

लड़की की भग (चूत) अगर मुग्ध भाव से देखो, निहारो तो भग का सौन्दर्य, इसका ऐश्वर्य विलक्षण होता है, आप इसे एकटक देखते रहिये आपको अनजाना सा अलौकिक आनन्द मिलेगा. लेकिन इस नज़र से कम लोग ही चूत का दर्शन कर पाते हैं. ज्यादातर लोगों अनुसार चूत ‘मारने’ के लिए होती है बस… उनके पास वो सौन्दर्य बोध वो दृष्टि ही नहीं होती जो उन्हें चूत के मनोहारी रूप के दर्शन करा सके.
ओह सॉरी मित्रो, मन भी कहाँ इन दार्शनिक बातों में भटक गया लिखते लिखते!

‘शालिनी बिटिया, अपनी चूत खोल के तो दिखा जरा!’ मैंने कहा.
पहले तो उसने इन्कार में सिर हिलाया लेकिन बाद में शर्माते हुए अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर रखे और हौले से पट खोल दिए.

चूत के भीतर रसीले लाल तरबूज जैसा नजारा था. उसकी चूत की नाक पेन्सिल जितनी मोटी कोई आधा पौना इंच लम्बी थी जिसकी टिप पर उसका दाना मटर के दाने जितना बड़ा था जो उसके अत्यधिक कामुक और चुदासी होने का ऐलान कर रहा था.
चूत के दाने के नीचे कुछ गहराई सी थी जिसमें से उसका चिपका हुआ छेद दिख रहा था जिसमें लंड घुसाते हैं. उसकी चूत के छेद और नीचे गांड के छेद में मुश्किल से दो अंगुल का फासला रहा होगा. चूत की कुल लम्बाई या चीरा कोई तीन चार अंगुल के बीच रही होगी. हाँ उसकी चूत के होंठों की रंगत सांवली सी थी जैसी कि अपनी भारतीय लड़कियों की होती ही है.

कोई लड़की जब इस तरह अपने दोनों हाथों से अपनी चूत खोल के सामने लेटती है तो वो सीन गजब का सेक्सी लगता है.

मैंने बरबस ही झुक कर उसकी चूत को धीरे से चूम लिया और दरार को नीचे से ऊपर तक चाटा, कई कई बार चाटा और समूची चूत को मुंह में भर लिया और झिंझोड़ डाला.
आनन्द के मारे शालिनी के मुंह से किलकारी निकल गई. फिर ऊपर हाथ ले जाकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और चूत का दाना, वो छोटा सा भागंकुर अपनी जीभ से टटोलने लगा और इसे अपनी मुंह में लेकर चूसा और चूत की गहराई में जीभ घुसा कर प्यार से, बहुत ही निष्ठा पूर्वक उसकी शर्बती चूत चाटने लगा.

वो बेचारी इतना सब कैसे सहन कर पाती, बदले में वो अपनी चूत उठा उठा कर मेरे मुंह पे मारने लगी.

अब मैं अपनी नाक चूत की गहराई में रगड़ता हुआ चाटने लगा.
मुश्किल से एक ही मिनट बीता होगा की वो आ गई… भलभला कर झड़ गई.
‘हाय अंकल…’ वो इतना ही बोल पाई और अपनी जांघें ताकत से मेरे सिर पर लपेट दीं और झड़ने लगी.

चूत रस का नमकीन स्वाद मेरे मुंह में आ गया. करीब दो तीन मिनट तक वो यूं ही मेरे सिर को अपनी चूत पर जांघों से दबोचे रही फिर धीरे से पैर खोल दिए और चित लेट के गहरी गहरी साँसें लेने लगी.
मैं उसकी जांघ पर सर रखे हुए लेटा रहा.

‘अंकल जी, मेरे पास आओ!’ उसकी आवाज बदली बदली सी थी जैसे किसी कुएं के भीतर से बुला रही हो.
मैं ऊपर खिसक कर उसके पहलू में लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया. वो मासूम अबोध किशोरी सी मुझसे चिपक गई और अपनी अंगुली से मेरी छाती पर जैसे कुछ लिखती रही.

‘क्या लिखा मेरे सीने पर?’ मैंने उसका सिर प्यार से सहलाते हुए पूछा
‘ऊं हूँ!’
‘बता ना?’
‘म्मम्म कुछ नहीं…’ वो बोली और मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
‘कैसा लगा ये सब?’ मैंने उसे चूमते हुए पूछा
‘बहुत अच्छा बहुत ही प्यारा प्यारा. जब आप मेरी उसको चाट रहे थे तो जैसे मेरे बॉडी में फूल ही फूल खिल गये थे, सारे बदन में रंगीन फुलझड़ियाँ सी झर रहीं थीं. मैंने सोचा भी नहीं था कि ये सब इतना मस्त मस्त लगेगा!’ वो बोली.

‘और अब कैसा लग रहा है?’
‘लग रहा है मैं बहुत हल्की फुल्की सी हो गई हूँ. मेरे भीतर से कुछ बह के निकल गया है जो मुझे हरदम बेचैन किये रहता था.’ उसने बताया.

मेरा लंड खड़े खड़े कपड़ों के भीतर अब दुखने सा लगा था. एक बार तो मन किया कि ये मेरी बाहों में नंगी ही तो पड़ी है, मैं भी कपड़े उतार के पूरा नंगा हो जाऊं और टांगें खोल के लंड पेल दूं इसकी चूत में… बुरा मानेगी तो मान जाय मेरी बला से. मेरी तमन्ना तो पूरी हो ही जायेगी.’
‘लेकिन नहीं, मेरी अंतरात्मा ने मुझे झिड़का ऐसे विचार पर इसके अलावा मैंने उससे वादा किया था कि उसे चोदूंगा नहीं. अतः उसे जबरदस्ती चोदने का विचार मैंने दिमाग से झटक दिया.’

‘अच्छा शालिनी बेटा, अब मैं चलता हूँ, तीन बजने वाले हैं. तुम्हारा भाई भी आने वाला होगा अब!’ मैंने उससे अलग होते हुए कहा.
‘इतनी जल्दी मत जाओ अंकल जी. भाई तो छह साढ़े छह तक ही आयेगा. अभी बहुत टाइम है अपने पास!’ वो मुझसे लिपटते हुए बोली.
‘तुझे ट्रीटमेंट दे तो दिया है. अब जाने दो मुझे!’
‘अभी दिल नहीं भरा. वन्स इस नॉट एनफ. आई नीड मोर. अंकल, लिक मी अगेन प्लीज!’
‘प्लीज अंकल जी एक बार और वैसे ही कर दो ना प्लीज!’

‘क्या वैसे कर दूं. साफ़ साफ़ बोल ना?’
‘मेरी वेजाइना को लिक कर दो जैसे अभी किया था!’
‘वेजाइना नहीं, इसे चूत कहते हैं. बोलो चूत?’
‘धत, मैं नहीं बोलती गन्दी बात!’
‘तो मत बोलो. मैं भी चला अपने घर. अब अपने हाथ से कर लो जो करना है!’
‘नहीं अंकल जी. मेरे अच्छे अंकल. मैं अभी नहीं जाने दूंगी.’ वो मेरे ऊपर लेट गई और मुझे अपने पैरों और हाथों से जकड़ लिया और धीमे से मेरे कान में फुसफुसा कर बोली- अंकल जी, मेरी चूत चाटो न फिर से!
‘देखो शालिनी. मेरा लंड भी काफी देर से खड़ा है इससे मेरे पेट में हल्का सा दर्द भी होने लगा है. अब कल आऊंगा.’
‘अंकल जी मैं आपको पेनकिलर दिए देती हूँ. बस एक बार और चाट दो, मेरी आपको मेरी कसम!’
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03-23-2019, 12:45 PM,
#16
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इस तरह अपनी कसम देकर उसने मुझे रुके रहने पर मजबूर कर दिया. ये लड़कियाँ भी ना… जरा सा अपनापन होते ही कसम दे दे के इमोशनल ब्लैकमेल करने लगतीं हैं. उस बेचारी का भी क्या दोष, उसे पहली बार वो सब अनुभव करने को मिला था और वो उस लज्जत को उस मज़े को बार बार लेना चाह रही थी. आखिर सुनसान घर में हम दोनों ही तो थे और ऐसे मौके बार बार तो नहीं मिलते ज़िन्दगी में…

मैंने कुछ देर सोचा कि अब क्या करना चाहिए.
‘ओके स्वीटी रानी, ठीक है एक बार और तुम्हारी चूत को झाड़ देता हूँ लेकिन तुझे भी मेरा एक काम करना पड़ेगा पहले?’ मैं उसकी पीठ और नितम्ब सहलाते हुए बोला.
‘बताओ अंकल जी क्या करना पड़ेगा मुझे, लेकिन सेक्स करने को मत बोलना. वो तो नहीं करने दूंगी मैं!’
‘अरे नहीं बाबा, तुझे चोदने की बात नहीं कर रहा मैं… तू तो मेरी मुठ मार दे अपने हाथों से जिससे मैं भी झड़ जाऊंगा और मेरा लंड बैठ जाएगा. फिर मैं तेरी चूत अच्छे से चाट चाट कर तुझे भी झाड़ दूँगा.’ मैंने समझाया.

‘अंकल जी, आप मेरे मुहाँसे ठीक करने के लिये इतना कुछ कर रहे हैं मेरे लिये… मेरा भी तो आपके प्रति फ़र्ज़ बनता है अब! आप जो कहोगे वो मैं करूंगी. लेकिन ये मुठ मारना क्या होता है. मुझे नहीं पता?’
‘लंड को हाथों से पकड़ कर इसकी चमड़ी को ऊपर नीचे करते हैं. लगातार करते रहते हैं जब तक कि लंड का रस न छूट जाए!’
‘अरे वाह… लाओ बाहर निकालो अपना पेनिस, वो तो मैं अभी कर देती हूँ!’ वो खुश होकर बोली.
‘पेनिस नहीं लंड कहते हैं इसे. लंड कहो पहले?’
‘ठीक है अंकल जी. बाहर निकालो अपना लंड!’ वो बोली.

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बेड से नीचे उतर कर अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया. मेरे लंड ने आजाद होकर खुश होते हुए हवा में उछाल मारी और मैं शालिनी के सामने जा खड़ा हुआ. मेरा लंड उसके सामने बिल्कुल किसी तोप की तरह मुंह उठाये हुए स्थिर अड़ा था.
‘ओ माय गॉड… अंकल जी लंड ऐसा होता है? ये तो चार सेल वाली मोटी टॉर्च की तरह लगता है देखने में. कितना खतरनाक सा लगता है ये, मेरी जैसी पुसी की तो ये चिथड़े चिथड़े कर डालेगा.’ वो अपनी ठोड़ी पर हाथ रखते हुए बोली.

‘मेरी प्यारी बुलबुल, असली लंड ही है ये, और तू डर मत कौन सा तेरी चूत में घुसने वाला है ये?’ मैंने उसके गाल पर चिकोटी काटी और उसे मेरे सामने फर्श पर बैठने को बोला.

मेरे कहने पर वो भी नंगी ही मेरे सामने फर्श पर बैठ गई. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. जैसे ही शालिनी ने मेरा लंड छुआ, वो फूल के और कुप्पा हो गया, लकड़ी के डंडे की तरह अकड़ गया उसकी मुट्ठी में…
ऐसा रोमांच मैंने जीवन में पहले कभी नहीं महसूस किया था.

जिस लड़की का मैं दीवाना था, जिसे एक नज़र भर देखने को तरसता था, जिसकी याद में दसियों बार इसी लंड की मुठ मारी थी और अपनी बीवी को चोदा था, आज वही मेरे सामने पूरी मादरजात नंगी हो के बैठी मेरा लंड पकड़े हुए मेरी तरफ आशा भरी नज़र से देख रही थी.
कितना सुखद अहसास था वो, जैसे जन्मों में किये सभी पुण्य कर्मों का प्रतिफल उस रूप में मिला गया हो!
‘देखो शालिनी बेटा, लंड को ऐसे अच्छे से संभाल के पकड़ते हैं’ मैंने उसे समझाते हुए उसकी अंगुलियाँ अपने लंड पर लपेट दीं

और फिर उसका हाथ दो चार बार ऊपर नीचे किया जिससे सुपारा बार बार बाहर झांकता और फिर छुप जाता अपने खोल में.
‘ऐसे करना है तुझे… समझ गई ना?’
‘हाँ अंकल जी. ये तो बहुत आसान है. लाओ मैं करती हूँ!’ वो बोली और मेरे लंड को फुर्ती से मुठियाने लगी. कभी वो लंड को अपनी सीध में करके मुठ मारती मानो कोई नल पकड़ रखा हो कभी वो लंड को मेरे सीने की तरफ, पेट से झुकाये हुए मुठ मारने लगी; पहले दायें हाथ से फिर बाएं से; जब एक हाथ थक जाता हो दूसरे हाथ से करने लगती!

मैं तो सुबह सुबह ही अपनी बीवी को चोद के आया था तो जल्दी झड़ने का तो सवाल ही नहीं था, वैसे भी हस्तमैथुन में मेरा लंड बहुत देर में झड़ता है.
शालिनी जल्दी ही थक गई, कोमलांगी थी ना… हाथ में पेन पकड़ के लिखना अलग बात है, खाना बनाते समय हाथों का इस्तेमाल अलग टाइप का होता है; लड़की इन कामों की अभ्यस्त हो जाती है और थकती नहीं है लेकिन कठोर लंड तो उसने पहली बार ही लिया था अपने कोमल हाथों में सो उसकी कलाइयाँ जल्दी ही दुखने लगीं.

‘अंकल जी मेरे तो हाथ दुखने लगे… अब आप खुद कर लो जो करना है!’ वो अपने हाथ एक दूसरे से दबाती हुई बोली.
‘कोई बात नहीं. चलो फिर एक काम करो मैं लेट जाता हूँ तुम मेरे ऊपर बैठ के मेरे लंड को अपनी चूत की दरार में दबा के रगड़े लगाओ इससे भी मेरा पानी छूट जाएगा जल्दी!’ मैंने उसे दूसरा तरीका समझाया.

‘धत्त… ऐसे मैं नहीं करूंगी. वो तो सेक्स करना हो जाएगा. आपने भगवान की कसम खाई है अभी अभी कि मेरे साथ सेक्स नहीं करोगे आप!’ उसने विरोध किया.
‘पगली है तू… अरे सेक्स करना तब होता है जब लंड को चूत के भीतर घुसा के चुदाई की जाय. मैं तुझे चोदुंगा थोड़े ही. तुझे तो बस अपनी चूत से मेरे लंड को रगड़ रगड़ के पानी छुटा देना है बस!’
‘नहीं अंकल जी, मैं वो नहीं करूंगी!’

ठीक है तो मत करो, मैं भी जा रहा हूँ. घर जाकर तेरी आंटी को चोदूँगा, तभी चैन मिलेगा मुझे!’ मैंने कहा और उठ कर खड़ा हो गया.
‘नही… ऐसे गुस्सा हो के मत जाओ आप. अच्छा लेटो, मैं कोशिश करती हूँ.’ वो समझौता करते हुए प्यार से बोली.

मैं बेड पर लेट गया और शालिनी भी ऊपर आकर मेरी जाँघों पर बैठ गई. मैंने अपना लंड पेट पर लिटा लिया और इसे पकड़े रहा ताकि उछल कर खड़ा न हो जाए. शालिनी भी आगे की तरफ खिसकी और अपनी चूत मेरे लेटे हुए लंड पर चिपका दी और फिर अपने दोनों हाथों से चूत के लिप्स चौड़े कर के लंड को चूत की दरार में अच्छे से फिट कर लिया.

उम्म्ह… अहह… हय… याह… कितना सुखद कितना रोमांचकारी, कितना आनन्ददायक पल था वो. उसकी लिसलिसी गरम चूत का मेरे लंड पर प्रथम स्पर्श हुआ. शालिनी के मुंह से भी आनन्दभरी किलकारी निकल गई और उसकी उंगलियाँ मेरे सीने में धंस गईं.
फिर वो धीरे धीरे अपनी चूत मेरे लंड पर आगे पीछे स्लिप करने लगी घिसने लगी. उसकी आँखें स्वतः ही मुंद गईं और उसकी चूत से कामरस बह निकला जो मेरी झांटों को भी गीला करने लगा.
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03-23-2019, 12:45 PM,
#17
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वो मेरे खड़े-पड़े लंड पर ऊपर से नीचे तक फुर्ती से चूत को रगड़ने लगी और चूत का दाना लंड पर घिस घिस कर अपनी कमर और तेज तेज स्पीड से चलाने लगी मैं समझ गया की अब ये झड़ने पे आ गई है.
बस आधा मिनट ही और बीता होगा कि वो मुझ पर हाँफते हुए ढेर हो गई और मुझे अपनी बाहों में कस लिया साथ में अपनी चूत मेरे लंड पर पूरी ताकत से दबा दी उसने!

मैंने एक बात नोट की कि वह झड़ने में ज्यादा समय नहीं लेती थी, बस पांच छः मिनट की रगड़ाई या चूत चुसाई और वो एक्सट्रीम पर आ जाती थी.

‘क्या हुआ स्वीटी? रुक क्यों गईं’
‘बस अंकल, मैं तो आ गई जोर से… अब मेरे बस का कुछ भी नहीं है. ऐसी ही लेटी रहने दो मुझे!’
‘लेकिन अभी मेरा पानी तो निकला ही नहीं ना’ मैंने शिकायत की.
‘मैं थक गई, अब मैं कुछ नहीं कर सकती. बस ऐसे ही लेटी रहने दो मुझे!’ वो बोली और अपनी चूत एक दो बार रगड़ी मेरे लंड पे और फिर शान्त होकर लेटी रही.

मुझे झड़वाने की कोशिश में शालिनी जैन मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी लेकिन वो बहुत जल्दी झड़ जाती थी तो मैं तो नहीं झड़ा लेकिन वो झड़ गई.
करीब पांच सात मिनट वो यूं ही मुझसे चिपकी मेरे ऊपर पड़ी रही, उसके दिल की धक् धक् मैं साफ़ सुन पा रहा था.
फिर उसका बदन कुछ रिलैक्स हुआ और मेरे ऊपर से उतर कर वो मेरी बगल में लेट गई और अपनी एक जांघ मेरी कमर से लपेट कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.

‘शालिनी…’ मैंने उसे चूमते हुए कहा.
‘हाँ अंकल जी?’
‘स्वीटी रानी, मेरा तो अभी हुआ ही नहीं. ये तो चीटिंग है ना!’
‘जो करना हो अब आप ही करो, मेरे से घिस लो अपना पेनिस और निकाल लो पानी, कल मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी!’
‘तो ठीक है, तू चित लेट जा अब!’ मैंने कहा.

वो करवट लेकर पीठ के बल सीधी चित लेट गई.
‘स्वीटी मैं चूत पर लंड रगडूंगा अब… चूत की गर्मी से जल्दी ही मेरा भी हो जाएगा!’
‘नहीं अब वहाँ नहीं. मेरे बूब्स में दबा के कर लो चाहो तो!’
‘नहीं बूब्स में नहीं, चूत पर ही करने दो. इसकी गर्मी से जल्दी झड़ जाऊंगा.’
‘नहीं वहाँ नहीं. मुझे डर लग रहा है!’
‘अरे डर कैसा? अभी तुम मेरे ऊपर आके चूत रगड़ रहीं थी मेरे लंड पर, अब मैं तुम्हारे ऊपर आके चूत पर लंड रगडूंगा, सेम बात हुई ना!’
‘ठीक है अंकल जी. लेकिन ऊपर ही ऊपर. मेरे अन्दर मत घुसा देना कहीं!’
‘ठीक है बेबी तू निश्चिन्त रह… अगर मुझे तेरी मर्जी के बिना चोदना होता तो अभी तक तू चुद चुकी होती मुझसे!’
‘ओह थैंक्स अंकल, देटस सो नाईस ऑफ़ यू!’ वो बोली और पैर खोल के चित लेट गई.

फिर मैं पोजीशन ले के उसके पैरों के बीच में आ गया. लंड काफी देर से खड़ा तो इस कारण पेट के निचले हिस्से में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था अब, पानी जितनी जल्दी निकल जाय उतनी ही जल्दी बैठ जाएगा ये, तभी आराम मिलेगा.
यही सोचते हुए मैंने लंड से उसकी चूत पर तीन चार बार चपत लगाईं और उसके दोनों पैर ऊपर उठा कर घुटने उसके पेट की तरफ मोड़ दिए और एक तकिया उसकी कमर के नीचे लगा दिया जिससे उसकी चूत और अच्छे से मेरे सामने उभर गई.

‘स्वीटी बेटा, अब तुम चूत को खोल दो अच्छी तरह से!’
मेरी सुनकर उसके चेहरे पर लाज की लाली दौड़ गई लेकिन उसने अपनी चूत के दोनों होंठ पूरी तरह से खोल दिए मेरे लिए और अपना मुंह दीवार की तरफ करके परे देखने लगी. पहले तो मैंने उसकी चूत में दो उंगलियाँ घुसा के अच्छी तरह से अन्दर बाहर कीं जिससे उसकी चूत के रस से मेरी उंगलियाँ गीलीं हो गईं. फिर मैंने वही चिकनाहट अपने सुपारे पर चुपड़ ली और लंड को उसकी चूत की दरार में लम्बवत रख के रगड़े लगाने लगा.

शालिनी अभी भी अपनी चूत फैलाये हुए थी और मैं लंड को सटासट उसकी चूत की दरार में चलाये जा रहा था. फिर मैंने लंड का हल्का सा दबाव चूत पर बनाया और स्पीड से लंड का सुपारा चूत के चीरे में चलाने लगा.
ऐसे करने से उसकी चूत बहुत ज्यादा पनिया गई और चूत रस बह बह कर बिस्तर भिगोने लगा.

उधर शालिनी भी बेचैन होने लगी और अपना सिर दायें बायें हिलाने लगी.
फिर उसने बिस्तर की चादर अपनी मुट्ठियों में जकड़ ली और अपनी कमर बार बार ऊपर उचकाने लगी. जिससे मुझे थोड़ी असुविधा होने लगी, साथ में ये भी लगा कि अगर निशाना जरा सा चूका तो लंड सीधा चूत में घुस जायेगा.
लेकिन मैं बड़े ही एहितयात से सावधानी से रगड़े मारता रहा, मेरा प्रयास था कि जल्द से जल्द मैं झड जाऊं और मुक्ति पा लूं!
लेकिन सुबह ही मैंने बीवी को चोदा था इसलिए झड़ने में देर लग रही थी.

उधर शालिनी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और अब अपना निचला होंठ दांतों से दबाये मिसमिसाते हुए नीचे ऊपर खिसकने लगी और खुद चूत को उठा उठा के लंड से लड़ाने लगी और फिर उसे न जाने क्या सूझा कि उसने मेरा लंड अपने हाथ से कसके पकड़ लिया और सुपारा चूत के छेद पर दबाने लगी.

‘अरे ये क्या कर रही हो स्वीटी. छोड़ो लंड को. नहीं तो चूत में घुस जाएगा. छोड़ो इसे!’
‘तो घुसा ही दो अब. मुझे बहुत बेचैनी हो रही है. कब से कोशिश कर रही हूँ कि मेरा भी पानी छूट जाय लेकिन नहीं हो रहा!’
‘नहीं, लंड को घुसाने से तो तुम्हारा कुंवारापन छिन जाएगा.’

‘तो छीन लो न अंकल जी… मुझे नहीं रहना कुंवारी अब. मेरा सब कुछ तो देख, छू लिया आपने अब बचा ही क्या है, बस नाम के लिए कुंवारी हूँ, मुझे नहीं रहना कुंवारी अब; कुंवारी चूत का क्या मैं अचार डालूंगी. ऐसे तो तड़प तड़प के मैं पागल हो जाऊँगी. आप तो जल्दी से अपना लंड घुसा के धक्के मारो चूत में नहीं तो मैं जोर से काट लूंगी आपको!’ वो मिसमिसा कर बोली.

‘नहीं शालिनी, तुमने मुझे भगवान् की कसम दी है. मैं तुम्हें चोद नहीं सकता, मुझे पाप का भागी मत बनाओ. थोड़ा सब्र रखो मैं कोशिश कर ही रहा हूँ, तुम भी जल्दी ही झड़ जाओगी.’
‘अरे अंकल. भाड़ में गई कसम… मैं वापस लेती हूँ अपनी कसम… भगवान् से माफ़ी मांग लूंगी. आप मेरी कसम से मुक्त हो. आप तो जल्दी से फक करो मुझे. लंड घुसा के कुचल दो इस चूत को आज!’
‘ठीक है स्वीटी… फिर से सोच लो, बाद में मुझे दोष मत देना!’
‘ओफ्फो, सोच लिया है सब. फक में नाऊ प्लीज!’
मैं शालिनी को जिस मुकाम पर लाना चाहता था, वहाँ वो आ चुकी थी और खुद लंड मांग रही थी अपनी चूत में…
मैंने तुरन्त उसके दोनों पैर उठा कर उसी को पकड़ा दिए और उन्हें ऊंचा उठाये रखने को बोला. उसने भी झट से अपने दोनों हाथ अपनी जाँघों के नीचे डाल के टाँगें ऊपर उठा लीं.
अब उसकी चूत किसी प्यासी बुलबुल की तरह मुंह बाये मेरे लंड को तक रही थी.

मैंने अपनी उंगलियाँ उसके चूतरस में भिगो कर सुपारे को तर किया फिर इसे उसकी चूत के छेद पर टिका दिया और चमड़ी पीछे खींच कर सुपारे को दबा के उसकी बुर में भर दिया.
‘हाय अंकल जी, धीरे!’ वो डरते हुए बोली.

‘डरो मत स्वीटी बेटा… धीरे धीरे ही चोदूँगा तुम्हें, प्यार से लूंगा तुम्हारी!’ मैंने उसे तसल्ली दी.
और फिर उसके दोनों मम्में मुट्ठी में दबोच के लंड को धकेल दिया उसकी चूत में. चूत की मांसपेशियाँ अपनी पूरी लिमिट तक फैल गईं और लगभग एक तिहाई लंड चूत में दाखिल हो गया.

उम्म्ह… अहह… हय… याह… वेदना के चिह्न उसके चेहरे पर उभरे, साथ में उसने मुझसे छूटने की कोशिश में पीछे खिसकने का प्रयास किया. लेकिन मैं उसे कस के दबोचे रहा और पूरी ताकत से एक धक्का और मार दिया.
‘ओई मम्मीं रे… मर गई. आह निकाल लो अंकल इसे मुझे नहीं करवाना आपसे. छोड़ो मुझे!’ उसकी आँखों में आंसू आ गये और वो मुझसे छूटने की भरपूर कोशिश करने लगी.
हालांकि उसकी चूत कोई सील बन्द कली तो नहीं थी जैसे कि उसने खुद बताया था कि वो कोई चीज घुसा के हस्तमैथुन करती रहती है.
लड़की जब अपने हाथों से हस्तमैथुन करती है तो कण्ट्रोल खुद उसके हाथ में रहता है वो खुद को दर्द नहीं होने देती लेकिन लंड की बात अलग होती है. मोटे कठोर लंड का प्रहार चूत की नसों को अधिकतम सीमा तक पसार देता है जिससे खिंचाव और दर्द होता है चूत को.
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03-23-2019, 12:46 PM,
#18
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ऐसी परिस्थिति से मैं परिचित था तो उसके दर्द की परवाह किये बगैर मैं उसे अपने नीचे दबोचे रहा और लंड को हिलाता डुलाता रहा.
उसकी चूत मेरे लंड को यूं कसे हुये थी जैसे वो किसी शिकंजे में फंसा हुआ था. अब जरूरत इस बात की थी कि उसकी चूत खूब रसीली हो उठे ताकि लंड उसमें सरपट आगे पीछे दौड़ सके.
अतः मैंने उसकी दाईं वाली चूची अपने मुंह में भर ली और उसे चुभलाने लगा और बाईं वाले मम्मे को दबाने मसलने लगा; साथ ही साथ उसके निचले होंठ को भी चूस रहा था.

इन सब का फ़ौरन असर हुआ और उसकी बुर फिर से पनिया गई और मेरे लंड को लगा कि चूत की गिरफ्त कुछ ढीली हुई है. अब मैंने लंड को थोड़ा सा बैक लिया और फिर से आगे पेल दिया ऐसे तीन चार बार करने से रास्ता काफी आसान हो गया.
शालिनी ने भी एक गहरी सांस ली और अपनी कमर उछाल कर लंड को जवाब दिया. यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था, मैंने अपने घुटनों को ठीक से जमाया और उसकी चूत को ठोकना शुरू किया.

जल्दी ही उसकी चूत उछल उछल कर मेरे लंड का का अभिवादन करने लगी.
‘अंकल, मज़ा आ गया. और दम से पेलो!’
‘ये लो मेरी शालिनी, मेरी जान …ये ले तेरी चूत में मेरा लंड!’
‘हाय अंकल राजा… मस्त मस्त फीलिंग्स आ रहीं हैं. चोद डालो, खोद डालो मेरी बुर को अच्छी तरह से बहुत सताया है इसने मुझे!’

मैं भी पूरे तैश में था, मुझे भी झड़ जाने की जल्दी थी तो मैंने उसकी चूत में लंड से चक्की चलानी शुरू की, पहले क्लॉक वाइज फिर एंटी क्लॉक वाइज… फिर आड़े तिरछे शॉट्स मारे…
‘अंकल..लल्ल… हाँ ऐसे ही; कुचल डालो इसे… फ़क मी वाइल्डली नाउ… फाड़ डालो. ऍम योर व्होर नाउ… ट्रीट मी लाइक अ बिच… या वंडरफुल… गिम्मी मोर… हाँ..’ ऐसे ही कितनी देर तक वो मस्ती में आ के चहकती रही और लंड लीलती रही.

अब मैं अपनी झांटों से चूत का दाना दबा दबा के घिसने लगा. अपने क्लाइटोरिस पर इस तरह लंड की रगड़ उसे बर्दाश्त नहीं हुई और वो एकदम से डिस्चार्ज हो गई, झड़ने लगी. मुझसे कसके लिपट गई और अपनी टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं.
मुझे लगा कि जैसे उसकी चूत से रस की बरसात हुई हो, मेरी झांटें तक नहा गईं.

मैंने भी अंतिम कुछ शॉट्स खेले और और फिर मैं भी झड गया, उसकी चूत अपने वीर्य की पिचकारियों से लबालब भर दी. उसकी चूत भी रह रह के मेरे लंड को जकड़ती रही. कभी उसकी चूत का कसाव ढीला पड़ता कभी फिर से कस लेती लंड को; इस तरह उसकी चूत ने मेरे लंड से वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ ली.

अच्छे से स्खलित होने के बाद शालिनी के भुज बंधन, उसका बाहूपाश ढीला पड़ गया और वो शिथिल होकर रह गई.
मैं भी गहरी गहरी साँसें लेता उसके स्तनों में मुंह छुपाये पड़ा रहा.

‘अंकल जी अब तो मेरे मुहाँसे पक्का ठीक हो जायेंगे ना?’ उसने जैसे मुझे चुदने के बाद उलाहना सा दिया.
‘हाँ मेरी जान पक्का. बस जब तक तेरे मम्मी पापा नहीं लौटते ऐसे ही चुदवाती रहना मुझसे!’
‘ओके अंकल जी. अब तो मैं आपकी हो ही गई हूँ जैसे चाहो करो मेरे साथ!’

हम लोग ऐसे ही बातें कर रहे थे कि उसकी चूत सिकुड़ गई और मेरे लंड बाहर निकल गया. साथ ही उसकी चूत से मेरा वीर्य और उसके रज का मिश्रण बह निकला.
‘स्वीटी बेटा, अपनी चूत पोंछ लो और मेरा लंड भी पौंछ दे टॉवल से. फिर मैं जाता हूँ.’

मेरे कहने पर उसने नेपकिन लाकर खुद को और मुझे साफ़ किया. मैंने कपड़े पहन लिए. साढ़े पांच बजने वाले थे, मैं वापिस जाने के लिए चल दिया.
शालिनी मुझे दरवाजे तक छोड़ने आई और फिर मेरे गले में बाहें पिरो को मुझे एक लम्बा सा चुम्बन दिया होंठों पर… मैंने भी उसका निचला होंठ ले लिया अपने मुंह में, फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में दे दी इस तरह तीन चार मिनट तक चूमा चाटी चलती रही.

‘अंकल जी कल जरूर जरूर आना. मैं इंतज़ार करूंगी.’
‘ओके मेरी जान!’ मैंने उसके दूध पकड़ कर उससे फिर से आने का वादा किया और सावधानी से बाहर निकल गया.

तो मित्रो, शालिनी और मेरी कहानी कुछ इस तरह से थी अब तक जो आपने पढ़ी.

उस दिन के बाद मैं रोज शालिनी के घर चोरी छिपे जाता रहा जब तक उसके मम्मी पापा नहीं आ गये. इस दौरान मैंने उसे अलग अलग तरह के आसनों में चोदा और उसे लंड चूसना भी सिखाया. शुरू में तो उसने ना ना की लेकिन मैंने प्यार से लंड पर उसी के हाथों शहद लगवाया फिर उसे लंड से शहद चटवाया; इस तरह उसकी लंड मुंह में लेने की झिझक मैंने दूर की.

अब तो वो चुदाई में सिद्धहस्त और पारंगत हो चुकी है, चूत को कैसे अधिकतम मज़ा मिले ये सब गुण आ गये हैं उसमें; लंड भी अब मजे से बेझिझक चाटती चूसती है.

हाँ, उसके मम्मी पापा के आने के बाद हमारा मिलना मुश्किल हो गया. हालांकि वो जिद करती थी कि शहर से कहीं दूर ले जा के चोदो मुझे. उसे चुदाई की लत लग चुकी थी. लेकिन मुझे अपने से ज्यादा उसकी इज्जत की फिकर रहती थी हमेशा… लड़की जात एक बार बदनाम हुई तो मुश्किल हो जायेगी जिंदगी.
फिर भी डरते डरते कई बार उसे कोचिंग के टाइम बाइक पर बैठा कर दूर जंगल में ले जा के या पास में बांध की तलहटी में चोद कर उसकी प्यास बुझाई भी!

इसके लिए मैंने उसे टिप्स दीं थी कि वो सिर्फ सलवार कुर्ता पहन के आयेगी और इनके नीचे ब्रा या पेंटी नहीं पहनेगी साथ में मैंने उसे ये भी सिखाया कि चूत के सामने जो सलवार का हिस्सा होता है वो वहाँ की सिलाई उधेड़ दे जिससे बिना कपड़े उतारे उसकी चूत में मैं लंड पेल सकूं.

मैंने अपने लिए भी एक ड्रेस कोड बनाया था; मैं भी टीशर्ट और बरमूडा पहन के उसे चोदने जाता था, चड्डी बनियान मैं भी नहीं पहिनता था और मेरे बरमूडा में इलास्टिक थी, झट से नीचे खिसकाया और जरूरत पड़ने पर फट से ऊपर… ना नाड़ा बाँधने का झंझट ना कोई और अवरोध!

इसी तरह हमने बहुतों बार चुदाई की, जहाँ भी सुनसान जगह मिलती, वो मेरी बाइक पकड़ कर झुक जाती या किसी पेड़ का सहारा लेकर एक पैर उठा कर मेरे कंधे पर रख लेती और मैं सलवार के छेद में से उसकी चूत में लंड घुसा के चुदाई करने लगता.
इस तरह से चुदना उसे भी पसन्द आया क्योंकि इसमें कम से कम रिस्क था; अचानक कोई आ भी जाए तो हम कुछ ही सेकंड्स में नार्मल दिख सकते थे.

हाँ, एक बात तो बताना ही भूल गया. इस तरह की कई कई बार की चुदाई से शालिनी के मुहाँसे बिल्कुल से गायब हो गये जैसे कभी थे ही नहीं और उसका रूप रंग और भी निखर गया. इससे शालिनी बहुत खुश थी और मेरा अहसान भी मानने लगी थी.

जिंदगी इसी तरह चलती रही. इसी बीच उसके एग्जाम्स हो गये रिजल्ट भी आ गया और वो फर्स्ट डिवीज़न में पास भी हो गई.
आगे की पढ़ाई के लिए उसके घर वालों ने उसे पास के शहर भोपाल भेज दिया क्योंकि यहाँ पालम पुर में उसकी पसन्द का कोई भी कॉलेज नहीं था.
भोपाल में उसके पापा ने उनकी जान पहचान के एक जैन परिवार में उसे किराए का कमरा दिला दिया और वो वहीं रह कर अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने लगी.

जुलाई-अगस्त में कॉलेज खुलते ही शालिनी ने B.Sc की पढ़ाई हेतु भोपाल के एक प्रसिद्ध कालेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया.
वो मुझे चार छह दिन में फोन भी करती रहती थी. मैं हमेशा उससे उसकी पढ़ाई की ही बात करता था और उसे अच्छा करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता रहता था. सेक्स की बातें वो कभी छेड़ती भी
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03-23-2019, 12:46 PM,
#19
RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
भोपाल जाने के कोई दो महीने बाद सितम्बर/अक्टूबर में उसने मुझे बार बार फोन किया और मुझे भोपाल आने की लिए जिद करने लगी, अपनी चाहत बताने लगी कि वो तड़प रही है मिलने (चुदने) के लिए!
लेकिन मैं जानबूझ के नहीं गया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे कारण उसके चरित्र पर या उसके जीवन पर कोई दाग धब्बा लगे. लेकिन उसकी तो चढ़ती जवानी थी, उसका जोबन खुद उसके बस में नहीं था, मुझसे लगभग बीस पच्चीस बार चुदने के बाद उसकी काम पिपासा और भी भड़की हुई थी; जमाने की ऊँच नीच की उसे परवाह ही कहाँ थी. उसकी चूत को मेरे लंड की लत लग चुकी थी और पिछले दो माह से बिना चुदे जैसे तैसे खुद को संभाले हुए थी.

मैंने तो उससे एक बार फोन पर हंसी हंसी में कहा भी कि वो कोई बॉय फ्रेंड ढूँढ ले और अपनी तमन्ना पूरी कर ले.
लेकिन उसने साफ़ मना कर दिया, कहने लगी कि लड़के विश्वास के काबिल नहीं होते धोखा देते हैं, लड़की की इज्जत करना नहीं जानते!

इसी सम्बन्ध में उसने अपनी क्लासमेट डॉली का किस्सा भी बताया कि वो अपने एक बॉय फ्रेंड से चुदवाती थी लेकिन उसके बॉयफ्रेंड ने उसे जबरदस्त धोखा दिया, बहाने से अपने घर बुलाया और अपने दो दोस्तों को भी चुपके से बुला लिया और उसको सबसे चुदवा दिया. किसी ने चूत में लंड पेला, दूसरे ने गांड में तीसरे ने मुंह में. इस तरह तीन लड़कों ने एक साथ दो घंटों तक उसे तरह तरह से पोर्न फिल्म की स्टाइल में चोदा फिर अपना पानी भी उसके बालों में मुंह में चूत में गांड में सब जगह भर दिया.
बेचारी करती भी क्या, चुद गई और किसी तरह गिरती पड़ती अपने घर पहुंची.

शालिनी इस तरह मुझे बार बार फोन करती. कभी उलाहना भी देने लगती कि मुझसे दिल भर गया ना आपका; और कोई मिल गई होगी कमसिन कच्ची कली… उसी से खेल रहे होगे आप, तभी तो अब मेरी परवाह नहीं करते आप… इस तरह वो इमोशनल बातें करती रहती.
लड़कियों की तो आदत ही होती है ऐसे अपनेपन से शिकायत और प्यार जताने की!

मित्रो, उसी साल नवम्बर के दूसरे हफ्ते में दीवाली थी; मुझे याद है कि फर्स्ट वीक में उसका फोन आया था. मुझे उसने अपनी जान की कसम देकर कहा कि एक बार तो भोपाल आना ही होगा. साथ में ये भी कहा कि भोपाल में मुझे बढ़िया सरप्राइज भी मिलेगा.
जब मैंने सरप्राइज के बारे में पूछा तो वो टाल गई, बस अपनी कसमें दे दे कर आने को कहती रही.

इस बार मैंने उसकी कसम से मजबूर होकर हाँ कर दी और बोला कि सिर्फ एक बार ही भोपाल आऊंगा उससे मिलने, इसके बाद वो मुझे नहीं बुलायेगी, न मैं कभी फिर दुबारा आऊंगा.
और वो मान गई मेरी ये बात.

हमने प्लान बनाया कि कैसे कहाँ मिलना है. तो वो बोली कि जिस किराए के कमरे में वो रहती है वहीं पर मुझे आना है.
जब मैंने प्रश्न किया कि वो मेरे बारे में मकान मालिक को क्या परिचय देगी तो उसने कहा कि कह दूंगी कि मेरी पालम पुर वाली सहेली के पापा हैं, किसी काम से आ रहे थे तो मैंने अपने यहाँ रुकने को बुला लिया. इस तरह किसी को कोई शक नहीं होगा.
मैंने भी इस पर विचार करके हाँ कह दी और जाने की तारीख भी तय कर ली, नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी से अपना आरक्षण भी करवा लिया.

जिस दिन मुझे भोपाल जाना था, उस दिन शनिवार था. ऐसे तो शताब्दी के पालम पुर आने का टाइम दोपहर में साढ़े बारह के करीब है लेकिन उस दिन वो डेढ़ घंटे की देरी से आई; खैर जाना तो था ही तो चढ़ गया.
भोपाल पहुँचते पहुँचते कोई पांच बज गये.

भोपाल उतर कर मैंने शालिनी को रिंग किया कि मैं आ गया हूँ.
वो तो जैसे तैयार ही बैठी थी मेरा फोन सुनने के लिये… ‘हाय अंकल जी, जल्दी से आ जाओ अब!’
‘अरे आ तो गया ही हूँ लेकिन आना कहाँ है, भोपाल तो मैं पहली बार आया हूँ मुझे यहाँ का कुछ नहीं पता!’
‘अंकल जी, आप एक नंबर प्लेटफोर्म के बाईं तरफ वाले गेट से बाहर आ जाओ, फिर किसी ऑटो वाले से मेरी बात कराओ, मैं उसे समझा दूंगी कि कहाँ आना है.’
‘ओके बेबी…’ मैंने कहा.

और जैसे उसने कहा था, मैं प्लेटफोर्म से बाहर निकला और एक खाली ऑटो वाले से शालिनी की बात कराई और बैठ कर निकल लिया.
ऑटो रिक्शा से भोपाल शहर का नजारा काफी अच्छा लगा. चौड़ी सड़कें, वाहनों की भीड़, सजीधजी दुकानें, सड़क की साइड में फल, चाट वालों के ठेले. मध्यप्रदेश की राजधानी के हिसाब से भोपाल की रौनक अच्छी लगी.

कोई पंद्रह बीस मिनट बाद ऑटो रुका. शालिनी मुझे दरवाजे पर ही खड़ी मिली, मरून कलर की मेक्सी पहन रखी थी उसने, जिसमें से उसके मम्मों का आकर्षक उभार साफ़ साफ़ दिख रहा था.
लगता था कि उसके मम्मे पहले से बड़े बड़े हो गये थे.
मुझे देखते ही उसने अपने होंठो से हवा में ही मुझे चूमा और मेरा बैग मुझसे ले कर घर के भीतर ले गई मुझे!

अन्दर से अच्छा साफ़ सुथरा घर था, घर के आंगन के बगल में बरामदा और किचन था. किचन से खाना बनने की महक उठ रही थी. शालिनी के मकान मालिक के परिवार के लोग वहीं बरामदे में बैठे थे, हमारा आपस में परिचय हुआ, मेरे बारे में तो शालिनी ने सबको बता ही दिया था कि मैं उसका अंकल, उसकी सहेली डॉली का पापा हूँ.
लैंड लार्ड की फॅमिली में एक बुजुर्ग दंपत्ति और एक बेटा बहू थे बस!

सबसे परिचय होते होते एक स्त्री माथे तक घूंघट डाले मेरे सामने चाय, बिस्किट और पानी रख गई. कुछ ही देर बाद घर के पुरुष विदा हो गये कि उन्हें अपनी दूकान पर जाना है और वो बुजुर्ग महिला भी ये कह कर चली गई कि उनका मंदिर जाने का टाइम हो गया.

जलपान के बाद शालिनी मुझे अपने रूम में ले गई, उसका रूम तीसरी मंजिल पर था. एक अच्छा ख़ासा बड़ा कमरा था साथ में अटैच्ड वाशरूम था, आगे खुली छत थी जिसके नीचे झाँकने पर बाजार की चहल पहल दिखती थी.
‘बढ़िया जगह है!’ मैंने सोचा.

शालिनी ने मेरा बैग टेबल पर रखा और मेरे सीने से लग गई. मैंने भी उसे अपने बाहुपाश में कैद कर लिया. काफी देर तक कोई कुछ नहीं बोला, बस एक दूजे के दिलों की धक् धक् सुनते रहे.
‘कितना मनाने के बाद आये हो ना!’ उसने शिकायत की.
‘अब आ तो गया ना… आज की सारी रात कल का सारा दिन और रात तुम्हारे पास रहूँगा!’ मैंने बोला और मैक्सी के ऊपर से ही उसके मम्में दबोच के उन्हें मसलने लगा.

‘सब्र करो ना थोड़ा सा. पहले फ्रेश हो लो, चाहो तो नहा लो, सफ़र की थकान उतर जायेगी!’ वो बोली.

मैंने वैसा ही किया, नहा कर बाहर आया और खुली छत पर कुर्सी ले के बैठ गया. बढ़िया मस्त हवा चल रही थी; भोपाल का मौसम अच्छा लगा मुझे. सर्दियों का मौसम शुरू हो रहा था हवा में हल्की सी सिहरन महसूस होने लगी थी.
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03-23-2019, 12:46 PM,
#20
RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
शालिनी भी एक चेयर ले के मेरे सामने ही बैठ गई. अब मैंने उसे गौर से निहारा, उसके चिकने गुलाबी गाल यौवन के उल्लास से दमक रहे थे. उसके हाथ पांव भी पहले की अपेछा भरे भरे से लगे. मैक्सी उसकी जांघों में घुस गई थी जिससे उसकी पुष्ट सुडौल जंघाओं का उभार बड़ा ही मादक लग रहा था और उनके बीच बसी उसकी चूत की कल्पना करते ही मेरे लंड में तनाव भरने लगा.

मैंने अपनी कुर्सी शालिनी के बगल में रख ली और उसके गले में हाथ डाल के उसे किस करने लगा और मैक्सी में हाथ घुसा के उसके दूध टटोलने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी, जल्दी ही वो मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही मसलने लगी.
मैंने भी उसकी मैक्सी जाँघों तक खिसका दी, नीचे से वो एकदम नंगी थी; उसकी गर्म गर्म चूत को मैं सहलाने लगा. मेरे छूने मात्र से ही उसकी चूत गीली रसीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ चूत रस से भीग गईं.

‘पैंटी ब्रा वगैरह नहीं पहनती घर में?’ मैंने उसकी झांटो में उंगलियाँ पिरोते हुए पूछा.
‘पहनती तो हूँ. बस आज ही नहीं पहनी. आप का इंतज़ार था कि आप आओ और…’ वो चहकी.
‘तो ये लो मेरी जान…’ मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाल के उसे थमा दिया.

लंड मिलते ही वो उस पर झुक गई और गप्प से मुंह में लेकर चूसने लगी.
‘चलो अंकल जी रूम में चलो! एक राऊँड जल्दी से लगा लेते हैं फिर खाना खायेंगे!’
‘रूम में नहीं स्वीटी. यहीं छत पर चोदूँगा तुम्हें. देखो न कितनी मस्त हवा चल रही है’
‘ठीक है जैसे आप चाहो!’ वो बोली और जीने का दरवाजा छत की तरफ से बंद कर के आई और मैक्सी उतार के फेंक दी और नंगी होकर मेरे सामने खड़ी हो गई.
फिर उसने एक मादक अंगड़ाई ली, हाथों के साथ साथ उसके मम्में उठ गये और कांख के बाल दिखने लगे. एक मस्त नजारा सामने से गुजर गया.

मैंने चारों ओर देखा आसपास के छतों से देखे जाने का कोई खतरा नहीं था क्योंकि सब मकान नीचे ही थे वैसे भी अब अँधेरा घिरने लगा था तो किसी के देखे जाने की कोई सम्भावना नहीं थी.

मैंने भी अपने कपड़े फुर्ती में उतार फेंके और उसे गले लगा लिया. उसके बदन का गर्म गर्म स्पर्श बहुत प्यारा लग रहा था. फिर मैंने उसे छत पर लगी लोहे की रेलिंग पर झुका दिया और पीछे से ही उसकी चूत में एक ही बार में लंड पेल दिया.
‘ऊई अंकल जी… धीरे, आराम से घुसाओ न!’

लेकिन मैंने उसकी परवाह न करते हुए लंड को थोड़ा पीछे खींचा और फिर एक करारा शॉट लगा दिया इस बार लंड अच्छी तरह से उसकी चूत में गहराई तक फिट हो गया और उसकी बगल में हाथ डाल कर उसके मम्में पकड़ लिए.
‘हाई… मम्मी मर गई. कैसी बेरहमी से घुसेड़ दिया न फिर से!’
लेकिन मैंने उसके बोलने की परवाह किये बगैर चूत की चुदाई ठुकाई शुरू कर दी.

जल्दी ही वो भी अपनी चूत से लंड को जवाब देने लगी. जब हम लोग थक गये तो थोड़ा रुक गये. रेलिंग से नीचे झाँक कर देखा तो बाजार की चहल पहल, दुकानों की रंग बिरंगी रोशनी, ट्रैफिक की भीड़भाड़ और शोर… शालिनी की चूत में लंड फंसाए हुए ये सब देखना बहुत ही रोमांचकारी, आह्लादकारी लग रहा था.
‘शालिनी, नीचे सड़क पर झांको, कितना मस्त नजारा है.’ मैंने उसके मम्में निचोड़ते हुए कहा.

‘हाँ सच में अंकल जी. मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं कभी इस तरह छत पर इस पोज़ में सेक्स करूंगी.’ वो बोली और अपनी कमर आगे पीछे करने लगी; मैं स्थिर ही खड़ा रहा था लेकिन वो मस्ती में डूबी हुई अपनी ही धुन में चूत को आगे पीछे करते हुए लंड को लीलती रही.

कुछ देर तक ऐसे ही चुदने के बाद वो अलग हट गई और घूम कर मेरे सामने आ गई. मैंने उसका एक पैर बहुत ऊपर उठा कर उसकी एड़ी अपने कंधे पर रख ली. इससे उसकी खुली हुई बुर मेरे लंड के सीध में आ गई. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींचा और फचाक से लंड फिर से घुसाया और उसकी चूत मारने लगा.
उसने भी एक हाथ रेलिंग पर रखा और दूसरा हाथ से मेरे कंधे का सहारा ले लिया.

अब चुदाई एक्सप्रेस अपनी पूरी रफ़्तार से मंजिल की ओर दौड़ पड़ी.

‘अंकल जी जल्दी… मैं आने वाली हूँ.’ कुछ ही देर बाद वो बोली और मिसमिसा कर अपनी उंगलियाँ मेरे कंधे में गड़ा दीं और झड़ने लगी. इधर मेरा काम भी करीब ही था, आठ दस धक्के और.. और मैं भी झड़ गया उसकी चूत में!
फिर हम लोग अलग हट गये और कुर्सी पर बैठ कर सुस्ताने लगे.

आह अंकल जी, मज़ा आ गया. कब से तड़प रही थी इस सुख के लिए आज तृप्त हुई जा के… लेकिन आपने मेरे भीतर ही भर दिया न अपना रस, मैं प्रेगनेंट हो गई तो?’ वो शिकायत भरे स्वर में बोली.
‘तू चिंता मत कर, मैं प्रेगनेंसी को रोकने वाली गोली लाया हूँ अभी खा लेना!’ मैंने कहा.
‘ओके, अभी खा लूंगी सोते समय. अंकल जी. कब से इन्तजार था इस पल का. थैंक्स कि आप आये!’ वो अपना सर मेरे कंधे पर रखते हुए बोली.
मैं चुप रहा और उसे दुलारता रहा.
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