Indian Sex Story बदसूरत
02-03-2019, 11:53 AM,
#31
RE: Indian Sex Story बदसूरत
थोड़ी देर में नर्स आयी और उसने एक और सलाइन शुरू कर दी...और थोडा नींद का इंजेक्शन भी दे दिया।

उसने कहा की ये सलाइन अब रात भर चलेगी...और अगर वो लोग सोना चाहे तो सो सकते है...और कुछ प्रॉब्लम लगा तो बेल बजा दे...


सुहानी:- पापा आप सो जाइए मैं जागती हु थोड़ी देर फिर आप को जगा के। मैं सो जाउंगी...

अविनाश:- नही ठीक है मुझे नींद नही आ रही...

माहोल ही कुछ ऐसा था की दोनों को नींद नही आ रही थी।

अविनाश:- ये ड्रेस तुमने उस दिन भी पहना था ना...कार में??

सुहानी:- हा..क्यू??

अविनाश:-कुछ नही..

सुहानी:- फिर क्यू पुचब्रह थे??

अविनाश:- अरे ऐसेही पूछा...अच्छा है ये ड्रेस

सुहानी शरमा गई...उसे पता था अविनाश को भी वो कार वाला सिन याद आ गया होगा...और अब ऑलमोस्ट एक हफ्ता बीत गया था उस बात को...

सुहानी:- क्यू..बाकी के अच्छे नहीं क्या??

अविनाश:- अच्छे है..उए ढीला ढीला कम्फ़र्टेबल रहता है...और वो तुम्हारे टाइट ड्रेस भी अच्छे है...उसमे तो तुम और भी अच्छी लगती हो..

सुहानी:- अच्छा??

अविनाश:- हा...तुम्हारी फिगर अच्छेसे नजर आती है उन टाइट ड्रेस में...

सुहानी:-पापा....सुहानी हैरानी से देखती है...

अविनाश:- हा ना..क्यू क्या हुआ??

सुहानी:- आप भी ना..कुछ भी बोल देते हो..

अविनाश:- अरे सच ही तो कहा...जब कभी वो टाइट वाले कपडे पहनोगी तो देखना आईने में..

सुहानी:- चुप रहिये..आप मेरे साथ ऐसे बात नही कर सकते...

अविनाश:- क्यू??उस दिन ही तो कहा ना...हम फ्रेंड्स है...

सुहानी:- फिर भी नही...

अविनाश:- ओके बाबा..नही कहूँगा...अब अपनी बेटी की तारीफ करना भी अल्लोवुड नही है..

सुहानी:- ओह्ह्ह तो ये तारीफ थी...

अविनाश:- नही तो क्या??

सुहानी:-ओके...

अविनाश:- सुहानी ठण्ड थोड़ी बढ़ गयी है ना??

अविनाश अब सुहानी को अपने करीब लाना चाहता था क्यू की उसे मौका नजर आने लगा था...

सुहानी:- हा...जल्दबाजी में स्वेटर लाना भूल गयी...

अविनाश:- कोई बात नहीं...ये ब्लैंकेट ले लो...और मुझे भी दे दो...

सुहानी की बत्ती अब जली ...उसने नीता की और। *देखा वो आराम से सो रही थी...वो उठी और उसने ब्लैंकेट अविनाश को दी...नीता के पास जाकर उसने चेक किया...अब नीता ठीक लग रही थी। उसने अच्छेसे उसके ऊपर ब्लैंकेट डाला और वापस सोफे पे आके बैठ गयी...तब तक अविनाश ने टिपॉय को सरका लिया था और उसपे पैर रख दिए थे...सुहानी भी वैसेही टिपॉय पे पैर रख दिए और सोफे को पीठ टिका के बैठ गयी...अविनाश ने दोनों के ऊपर रजाई ओढ़ ली।

अविनाश ने अपना एक हाथ सुहानी के सर के ऊपर से सोफे पे रखा हुआ था...

सुहानी:- ये अच्छा हो गया...अब हम दोनों ऐसे आराम से बैठ सकते है...

अविनाश:- हा...तुम चाहो तो सो जाओ...मेरे साइन पे सर रैह दो...एयर उसने उसके जवाब का इन्तजार किये बगैर उसका सर अपने सिने पे रख लिया...और अपना हाथ उसके बाह को पकड़ लिया।

सुहानी उठ के सीधा हो गयी..

सुहानी:- जब नींद आएगी तब सो जाउंगी ऐसे...फिलहाल ऐसेही बैठती हु...

अविनाश:-ओके...

सुहानी वहा अविनाश को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी क्यू की वो जगह और सिचुएशन सही नही थी।

लेकिन अविनाश कहा मानने वाला था...

अविनाश:- चाहो तो मेरे गोद में सर। रख के सो जाओ...उस गार्डन वाली लड़की जैसे...

सुहानी के आँखों के सामने वो सिन आ गया...

सुहानी:- नहीं..कोई जरुरत नहीं...मैं ठीक हु...

अविनाश:- क्यू?? सिर्फ अपने बॉयफ्रेंड के गोद में सर रख के सोओगी?? मुझे आज अपना बॉयफ्रेंड समझलो...

सुहानी:- मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...आपको पता है..

अविनाश:- इसीलिए तो बोल रहा हु...

सुहानी ने अविनाश की तरफ देखा...वो हस रहा था...उसकी मुस्कान बहोत कामिनी थी।

सुहानी:- नाहीईईई....पापा आपको क्या हो गया है??

अविनाश:- अरे मजाक कर रहा हु..अच्छा सर नहीं तो पैर रख दो...बस तुम अच्छेसे सो जाओ।।

सुहानी:- पापा मैं ठीक हु...

अविनाश:- तुम ठीक हो लेकिन मैं ठीक नही हु...

सुहानी:- क्यू क्या हुआ??

अविनाश:- अब क्या बताऊ...क्या क्या हो रहा है...

सुहानी:- ओह्ह्ह ...इसलिए बोल रही हु की आप सो जाओ ...मैं बैठती हु...

अविनाश:-ओके...थोड़ी देर बैठते है फिर मैं सो जाऊँगा...बूढ़ा आदमी हु...तुम तो जवान हो...मुझसे नही होगा...

सुहानी:- अच्छा कोण कहता है आप बूढ़े हो?? अभी भी देखो मेरे पापा कितने हैंडसम है...

अविनाश:- हम्म्म्म्म अच्छा??

सुहानी:- हा..वो नर्स देखा नहीं कैसे घूर रही थी आपको...

अविनाश:- नहीं मैंने तो नही देखा...अच्छी है वैसे...

सुहानी:- हा...

अविनाश:- तो उसका बॉयफ्रेंड बन जाता हु...

सुहानी:- हा बन जाइए...

अविनाश:- नहीं बनना...मुझे तो बस तुम्हारा बॉयफ्रेंड बनना है....अविनाश ने सुहानी के कंधे को पकड़कर अपनी और खिंचा...

सुहानी:- नही आप उस नर्स का ही बनो...

*वो आगे कुछ बोल पाते तभी नीता नींद में थोड़ी खांसी आयीं...सुहानी झट से उठी और उसे देखने लगी। उसके पास जा के उसके सर पे हाथ लगा के देखा...अब वो बिलकुल ठीक लग रही थी। सुहानी ने उसे दो तिन बार आवाज दी लेकिन वो कुछ नहीं बोली। सुहानी फिर से सोफे पे आके बैठ गयी।

अविनाश:- उसे सोने दो...नींद का इंजेक्शन लगाया हुआ है...और अब तुम भी सो जाओ...

अविनाश एक कोने पप सरक गया...सुहानी को भी लगा अब सोना चाहिए....वो सोफे पे लेट गयी लेकिन उसे अपने पैर सिकुड़ने पड़े क्यू की वहा अविनाश बैठा हुआ था...थोड़ी देर ऐसेही। बिता...दोनों सोने की कोशिस कर रहे थे...तभी अविनाश ने सुहानी के पैर को छुआ...सुहानी ने अपनी आँखे खोली...

अविनाश:- बेटा पैर सीधा कर दो...कोई बात नही...

सुहानी:- नही पापा...आपको मेरे पैर छुए ये मुझे अच्छा नही लगेगा...

अविनाश:- तो बेटा सर इस साइड कर लो...सुहानी को अब करना ही पड़ा...उसने सिर्फ अपना सर उसकी एक जांघ पे रखा...अविनाश ने देखा की सुहानी उसके लंड से बहोत दूर थी। उसने उसके सर पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा...थोड़ी देर बाद सुहानी कोलग जैसे अविनाश के पैर कांप रहे है...

सुहानी:- क्या हुआ पापा?? आप कांप क्यू रहे हो...??

अविनाश:- अरे कुछ नही तू सो जा...वो शायद ठण्ड की वजह से हुआ होगा...

सुहानी:- आप ये ब्लैंकेट ले लीजिये...

अविनाश:- नही ठीक है...

सुहानी:- आप लेते हो या...ठीक है मैं भी नही लुंगी...

अविनाश:- अरे बेटा अब किसी एक तो बिना ब्लैंकेट के रहना पड़ेगा..हमने तभी सोहन से मंगा लेना चाहिए था..

सुहानी:- हा...

अविनाश:- वैसे सोफे बहोत बड़ा है..हम दोनों सो सकते अगर तुम मोटी नही होती...

सुहानी:- आआआ पापाआआआ...मैं मोटी हु?? तभी तो कह रहे थे मेरी फिगर कितनी अछि है....

अविनाश:- हा वो तो है...मैंने कहा की तुम मोटि हो...लेकिन सही जगहों पे..

अविनाश सुहानी की चुचियो को देखते हुए कहा..सुहानी को समझ गया की अविनाश कहा देख रहा है।

सुहानी:- मतलब...??? सुहानी ने जानबुज के पूछा।

अविनाश:-अरे देखो फिगर तभी सही दिखती है जब वो सही जगह पे मोटी हो ...

सुहानी:- नहीं समझी...सुहानी ने देखा की अविनाश थोडा हड़बड़ा गया है और उसे ऐसा देख के उसे मजा आ रहा था।

अविनाश:- सही जगह पे मोटी मतलब तुम्हारे हिप्स और....अविनाश चुप हो गया।

सुहानी:- और..??

अविनाश:- और...वो..

सुहानी:- छी पापा..क्या आप भी...अब सुहानी को लगा की अगर वो उसे नही रोकेगी तो वो बोल देगा।

अविनाश:- अरे तुमने ही पूछा...

सुहानी:- ह्म्म्म मुझे पता है...सब लड़के बस उसी को तो देखते है...सुहानी के मुह से अनजाने में निकल गया।

अविनाश को तो बस मौका चाहिए था।

अविनाश:- हा..अब जो चीज देखने लायक होगी उसी को देखेंगे ना...अविनाश ने धीरे से और कुछ अलग ही अंदाज में कहा।

सुहानी:- हा क्या..देखेंगे भी और मोटी भी कहेंगे...

अविनाश:- अरे नही बेटा...अच्छा तुम मोटी नही हो..अब ठीक है?? तो चलो हम दोनों इस सोफे पे सो जाते है।

अब सुहानी को भी लगा की कोई दूसरा रास्ता नही है...उसके मन में डर तो था ही लेकिन अलग सी ख़ुशी भी थी...वो अविनाश के साथ उस छोटे से सोफे पे सोने वाली थी....पता नहीं आगे क्या क्या होने वाला था...अविनाश के मन तो लड्डू फुट रहे थे। आज सात दिन बाद उसे मौका मिला था....
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02-03-2019, 11:57 AM,
#32
RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी का। मन नहीं मान रहा था लेकिन उसे दूसरा रास्ता नजर नही आ रहा था...और उसे लगा की शायद अविनाश कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा क्यू की वो हॉस्पिटल में थे।


अविनाश सोफे पे लेट गया...सुहानी उसके बगल में लेट गयी...सुहानी ने टीपॉय को नजदीक खीच लिया था ताकि वो नींद में निचे ना गिरे...और सोफे पे जगह भी तो कम थी। अविनाश ने ब्लैंकेट दोनों के ऊपर ले लिया और सुहानी की तरफ पीठ कर दी। सुहानी ने राहत की सांस ली वो भी उसकी और पीठ कर दी। दोनों की गांड एक दूसरे के गांड से टकरा रही थी। अविनाश को उसकी गांड का स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था। नरम मांसल गांड की गर्माहट उसे भलीभांति महसूस हो रहीं थी। थोड़ी देर ऐसेही गुजरा...लेकिन कोई भी एक पोजीशन में कितनी देर तक सोता रह सकता है...ये चीज दोनों को जल्द ही समझ आ गयी। अविनाश थोडा हिला...सुहानी का दिल जोर से धककक किया...उसे लगा की अविनाश अब कुछ करेगा लेकिन वो शांत हो गया। सुहानी कुछ समझ नही प् रही थी उसका दिल क्या चाहता था उसे भी नहीं पता था। एक तो वो डर रही थी की अविनाश कुछ हरकत ना करे...और दूसरी और इंतजार कर रही थी की अविनाश कुछ करे...कुछ टाइम ऐसेही बिता।

अविनाश से रहा नहीं गया...सुहानी उसके इतने नजदीक थी...उसने अपना उप्प्पर वाला हाथ जो उसने अपनी जांघो पे रखा हुआ था...उसे थोडा फिसला दिया और वैसेही रखा। वो सुहानी की गांड को टच हो रहा था...सुहानी को एक झटका सा लगा क्यू। की वो अभीतक सोई नही थी।

उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा...

सुहानी:-ओह्ह्ह तो पापा शुरू हो गए...अब क्या करू..???

लेकिन अगले कुछ वक़्त तक कोई हरकत नहीं की थी। अविनाश ने...तो सुहानी को लगा की अविनाश सो गया है और हाथ गलती से लग गया होगा।

लेकिन अगले ही पल अविनाश ने अपने हाथ के पिछले हिस्से से सुहानी की गांड को एक दो धीरे से सहलाया...सुहानी समझ गयी की ये गलती से नही हुआ था...सुहानी को क्या करे कुछ समझ नही आ रहा था। सुहानी की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं होता देख अविनाश की हिम्मत बढ़ गयी...उसे लगा की सुहानी सो गयी है।

अविनाश:- ओह्ह्ह लगता है सो गयी...नींद के मामले में ये अपनी मम्मी पे गयी है...एक बार सो जाती है इसे पता भी नही रहता इसके साथ क्या हो रहा है।

अविनाश ने अपना हाथ टर्न किया और सुहानी की गांड पे रख दिया...और फिर धीरे धीरे उसकी गांड सहलाने लगा...धीरे से एक दो बार दबाया...

सुहानी:- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स अब क्या करू?? ये पापा तो समझते ही नहीं कुछ...

सुहानी अपनी गांड पे अविनाश के हाथो स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था लेकिन वो यहाँ कुछ करने देना नही चाहती थी।

अविनाश:- स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह क्या मस्त मांसल गांड है उम्म्म्म्म

अविनाश मस्त मजे ले रहा था सुहानी के गांड को छूने का...लेकिन वो जादा देर तक मजे नही ले पाया....सुहानी थोड़ी हलचल की..और उलये जताने की कोशिस की ..की वो जग रही है या जग जायेगी। सुहानी की ये चाल कामयाब हुई...अविनाश ने अपना हाथ पीछे ले लिया...लेकिन थोड़ी देर बाद फिरसे अविनाश अपना हाथ उसकी गांड पे रख दिया...इस बार अविनाश सुहानी की गांड को सिर्फ सहला और दबा नहीं रहा था बल्कि उसकी गांड की दरार में अपनी बिच की ऊँगली थोड़ी अंदर घुसा के धीरे धीरे घुमा रहा था....सुहानी अविनाश की इस हरकत से सिहर उठी...वो उत्तेजित होने लगी...वो खुद चाहती थी की ये सब हो बस जगह और सिचुएशन की वजह से खुद को रोके हुई थी...लेकिन अब उस ऊँगली ने अपना काम कर दिया था...सुहानी बहक चुकी थी...वो चुपचाप लेटी रही।

सुहानी की चूत गीली होने लगी थी। वो अपनी गांड की दरार में से घूमती ऊँगली को एन्जॉय कर रही थी।लेकिन अविनाश का हाथ दर्द करने लगा था क्यू की उसका हाथ उसे उल्टा करना पड़ रहा था।

उसने अपना हाथ वापस खिंच लिया...थोड़ी देर ऐसेही रहने के बाद...अविनाश धीरे से पलटा...और अपना चेहरा सुहानी की पीठ किबतर्फ कर दिया...सुहानी अपना एक हाथ तकिये की तरह लेके सोई हुई थी अविनाश भी वैसे ही सो गया।

अविनाश का खड़ा लंड सुहानी की गांड से बस कुछ इंच ही दूर था...सुहानी कू समझ गया था की अविनाश पलट गया है...उसका दिल अब बहोत जोर से धड़क रहा था...क्यू की उसे पता रहा अविनाश अब क्या करने वाला है...उसे पूनम के चाचाजी की साथ वाली घटना याद गयी।

लेकिन अविनाश अपना लंड सुहानी के गांड को टच नही होने दे रहा था। उसने अपना हाथ सुहानी की गांड पे रखा और इत्मीनान से सहलाने लगा।

अब उसे आसानी हो रही थी। दुबारा वो अपनी बिच की ऊँगली सुहानी की गांड की दरार में से घुमाने लगा। सुहानी की हालत खराब होते जा रही थी।

फिर अविनाश ने अपना हाथ अपने लंड पे रखा और उसे सिधा किया और धीरे से सुहानी के गांड की दरार में रख दिया और अपना हाथ उसकी कमर पे रख दिया और धीरे से अपना लंड दबाया.......................सुहानी इसके लिए तैयार ही थी...वो उत्तेजना के सातवे आसमान में थी...


लेकिन तभी नीता फिरसे नींद में खांसी आयीं...सुहानी एकदम से उस आसमान से निचे आ गिरी...नीता की खांसी थोड़ी जादा थी...सुहानी ने आँखे खोली...अविनाश भी थोडा रुक गया था...सुहानी ने ऐसे दिखाया जैसे वो नीता की खांसी की वजह से जाग गयी है...वो झट से उठी और नीता के पास चली गयी...उसने नीता के सर पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगी...उसने थोडा पानी लिया और नीता को जगाया...लेकिन नीता अभी भी दवाई के असर में थी...उसने कैसे तो भी अपनी आँखे खोली और पानी पिया...और फिर से सो गयी।

सुहानी को बहोत बुरा लग रहा था...वो एक दूसरी चेयर लेके वही नीता के सर के पास बैठ गयी...उसने देखा अविनाश आँखे बंद किये पड़ा हुआ था। सुहानी वही पे दिवार से अपना सर लगा के आँखे बंद कर ली।


थोड़ी देर बाद अविनाश ने देखा की सुहानी वाही नीता के पास एक चेयर पे बैठ बैठे ही सो गयी है तो वो भी सोफे पे सो गया...उसने अब सुहानी से बात करना या कुछ कहना उचित नहीं समझा...क्यू की उसे भी थोडा बुरा लग रहा था।


सुबह जब अविनाश की आँखे खुली तो देखा 7 बज चुके थे। सोहन आ चूका था...उसने बाहर किसी होटल से चाय और नास्ता लाया था। नीता भी जग गयी थी। अब वो ठीक महसूस कर रही थी।

अविनाश भी फ्रेश हो के चाय नास्ता किया...थोड़ी देर बाद सुहानी घर चली गयी और नहा धो के खाना बना के लेके आ गयी। अविनाश वाही हॉस्पिटल में था उसका सब सामान सोहन ले अआया था।


सब लोग उस दिन दिन भर हॉस्पिटल में ही थे। रात होते होते नीता बिलकुल ठीक हो गयी थी।

लेकिन अविनाश ने देखा की सुहानी थोड़ी अपसेट थी।

रात को सुहानी जब खाना लाने घर गयी तो वो साथ में एक मैट और ब्लैंकेट लेके आ गयी।


उस रात सोहन वहा रुका और अविनाश घर चला गया..


अगले दिन सुहानी जल्दी ही घर वे गयी और सब काम निपटा लिए...अविनाश ने देखा की वो उससे जादा बात नही कर रही थी...अविनाश को ये बात चुभ रही थी...लेकिन उसने सुहानी से कुछ नही कहा।

नीता अब बिलकुल ठीक हो गयी थी। सुहानी को अर्जेंट काम के लिए ऑफिस जाना था इसलिए वो छुट्टी नही ले पायी...और अविनाश को भी ऑफिस जाना था। उस दिन सोहन ही वहा दिनभर रुका हुआ था।

रात कको जब सुहानी हॉस्पिटल आयी तो उसने देखा नीता बिलकुल ठीक हो गयी है और कल सुबह उसे डिस्चार्ज मिलने वाला है तो वो बहोत खुश हुई। अविनाश उसे ऐसे खुश देख के थोडा राहत महसूस की क्यू की उसे लग रहा था की सुहानी उसकी वजह से अपसेट है।


उस रात सोहन ने सुहानी से कहा की वो नीता के पास रुक जाएगा...उसे थोडा आराम भी मिल जाएगा ...अविनाश तो वैसे भी घर पे ही रुका हुआ था...सोहन ने अपने एक दोस्त को बुला लिया था।

नीता भी उसे जाने के लिए कहने लगी तो सुहानी को मानना पड़ा...और खुद सुहानी भी बहोत थकी हुई महसूस कर रही थी तो वो उन सब को बाय बोल के घर पे आ गयी।

सुहानी को घर पे देख के अविनाश खुश हो गया...एयर सुहानी का मुड़ भी उसे अच्छा लग रहा था।

दोनों के बिच औपचारिक बाते हुई...सुहानी ने बताया की कल सुबह नीता को डिस्चार्ज मिल जाएगा।

अविनाश:- एक बात पुछु??

सुहानी:- हा पूछिये...

अविनाश:- तुम मुझसे नाराज हो क्या किसी बात के लिए...

सुहानी:- नही तो...किस बात के लिए नाराज रहूंगी।

अविनाश:-( ओह्ह चलो ये मुझसे नाराज नहीं है) फिर तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है दो दिन से??

सुहानी:-वो मम्मी बीमार है..और ऊपर से ऑफिस घर सब बहोत थक गयी हु...चलो एक कप कॉफ़ी बना लेती हु...सुहानी उठी किचन में जाने के लिए।

अविनाश भी खड़ा हो गया...उसने सुहानी को रोका...उसके चहरे को हथेली में लिया और माथे पे किस किया...सुहानी को ये बहोत ही अच्छा लगा...उसके प्रति अविनाश का प्यार देख के वो बहोत खुश हुई क्यू की इस किस में उसे कही वासना हवस नजर नहीं आयीं।

अविनाश:- डोंट वरी बेटा अब नीता ठीक है...कल घर भी आ जायेगी...

सुहानी:- हा पापा..मम्मी के बगैर ये घर अच्छा नही लगता...

सुहानी खुद ही उसके बाहो में चली गयी...

अविनाश ने उसे प्यार से सहलाया...

अविनाश:- ह्म्म्म चलो अब कल से सब रूटीन पे आ जाएगा...
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02-03-2019, 11:57 AM,
#33
RE: Indian Sex Story बदसूरत
अविनाश को अब सुहानी ई जिस्म की गरमी से कुछ होने लगा था...उसकी चुचिया का दबाव उसे अपने छाती पे महसूस हो रहा था...वो फिर से बहकने लगा...

सुहानी:- हा..चलिए मैं कॉफ़ी बनाती हु...आप पिएंगे??

अविनाश:- नही...उसने सुहानी को अपनी बाहो से आजाद कर दिया।

सुहानी किचेन में चली गयी। भी उसके पीछे पीछे अविनाश भी चला गया


अविनाश को किचेन में देख के सुहानी बोली " आपको भी चाहिये क्या कॉफ़ी?""

अविनाश:- नही...

सुहानी:-फिर क्या चाहिये??

अविनाश:- मुझे तो दूध चाहिए...सुहानी ककी चुचियो को देखते हुए कहा।अविनाश अपने औकात पे आने लगा...

सुहानी:-(लो पापा फिर शुरू हो गए) दूध तो नहीं...वो सुबह गड़बड़ी में गरम करना भूल गयी तो ख़राब हो गया...

अविनाश:- ह्म्म्म कोई बात नहीं आज नहीं कल पि लूंगा...

सुहानी:- ठीक है...कल पि लेना...

अविनाश:- ह्म्म्म्म लेकिन मेरा मुड़ तो आज ही हो रहा है...

सुहानी:-आपका मुड़ तो कभी भी कुछ भी करने का हो जाता है...

अविनाश:- हा अब क्या करू...और एक बार मुड़ हो गया तो कण्ट्रोल नहीं होता...

सुहानी:- ह्म्म्म पता है...

अविनाश:- क्या पता है??

सुहानी थोडा हड़बड़ा गयी।

सुहानी:- कुछ नहीं...

अविनाश:- चलो दूध नहीं तो क्या हुआ...ये लड्डू ही खा लेता हु..

अविनाश सुहानी के पीछे खड़ा हुआ था...वो आगे बढ़ा और सुहानी को पीछे से चिपक गया और एक हाथ उसको कमर पप रखा और दूसरा हाथ ऊपर ले जा के लड्डू वाला डब्बा निकलने लगा। डब्बा निचे लिया और उसको खोल के एक लड्डू निकाल।लिया और डब्बा बंद करके वापस रखने के लिए फिरसे सुहानी के पिछेसे चिपक गया...इस बार थोडा जादा ही...सुहानी को अविनाश का ऐसे पीछेसे चिपकना अच्छा लग रहा था...भले ही वो दो दिन से थोड़ी अपसेट थी लेकिन अब उसके पास कोई वजह नहीं थी...और उस दिन वो इतना उत्तेजित हो गयी थी की उसका असर आज भी था...और आज वही सिचुएशन फिर से थी उस वक़्त लेटी हुई थी और आज खड़ी है...स7हानि कुछ नही बोली...अविनाश ने डब्बा रखा दिया और पीछे हट गया और लड्डू खाने लगा...सुहानी की कॉफी तैयार हो गयी थी...वो निचे झुकी और ड्रावर से कप लेने लगी...लेकिन जल्दी में वो भूल गयी की अविनाश बिलकुल उसके पीछे खड़ा था....उसकी गांड सीधा अविनाश के लंड से जा टकराई....जो थोडा थोडा खड़ा हो रहा था...सुहानी को समझ आ गया की वो पीछे अविनाश से टकरा गयी...अविनाश ने भी मौके का फायदा उठाया और अपना लंड सुहानी की गांड पे थोडा और दबा दिया....सुहानी के जिस्म जैसे करंट दौड़ गया...उसने कप लिया और सीधा खड़ी हो गयी...

अविनाश:- सुहानी अगर थोड़ी जादा है तो मुझे भी दे दो...मैं भी पी लूंगा थोड़ी...

सुहानी समझ गयी की वो फिर से कप निकलने के लिए झुकनि चाहिए इसलिए वो बोल रहे है...सुहानी मन ही मन मुस्कुरा उठी...उसने बड़े ही मादक अंदाज में पीछे मुड़ ककए अविनाश की आँखों में देखा और निचे झुक गयी....अविनाश तो तैयार था ही...उसने झट से अपना लंड सुहानी के गांड पे लगा दिया...सुहानी को अहसास हुआ की अबकी बार अविनाश का लंड पूरा खड़ा हो चूका था...सुहानी अपने आप ही थोडा पीछे हो गयी....अविनाश भी थोडा आगे की और अपना लंड दबाया...सुहानी ने कप लिया और खड़ी हो गयी...लेकिन अविनाश अब आगे बढ़ा और फिर से उसने खड़े खड़े ही अपना लंड सुहानी के गांड पे दबाया...

अविनाश:- बस थोडा ही देना...

सुहानी निचे देख के शरमा के मुस्कुरा रही थी...

सुहानी:- जी पापा...इतनी बस हो गयी या और चाहिए...इतने से हो जाएगा आपका??

अविनाश:- इतने से मेरा कुछ नही होता...पर काम चला लूंगा...अविनाश ने थोडा अपना लंड दबाते हुए कहा...

सुहानी समझ रही थी की अविनाश किस बारे में बात कर रहा था।

स7हानि:- हा आज इतने से काम चला लीजिये...सुहानी ने काम शब्द पे जोर दिया...सुहानी को भी मजा आने लगा था।

अविनाश:- हा...लेकिन दूध मिल जाता तो मजा आ जाता...सुहानी पलट के उसे कप दे रही थी और वो उसकी चुचियो को देख रहा था...सुहानी को समझ गया की वो किस दूध की बात कर रहा है...

सुहानी:- मिल जाएगा...थोडा सब्र कीजिये...सुहानी ने शरमाते हुए धीरे से कहा...सुहानी का ये अंदाज देख अविनाश को झटका सा लगा...वो समझ गया की सुहानी उसकी बातो का जवाब दे रही है।

अविनाश:- सब्र तो नहीं होता...बहोत दिन हो गए...दूध पिए..

सुहानी:- क्यू मम्मी नही पिलाती क्या?? सुहानी ने उसी अंदाज में कहा।

अविनाश:- नही ना...इसिलए तो तुमसे कह रहा हु...पिला दो ना..

सुहानी:- अब नहीं है तो कहा से पिलाऊँ?? सुहानी अविनाश के ऐसे डायरेक्ट बातो से बहोत जादा शरमा गयी थी...

अविनाश:-कोई बात नहीं तड़पाओ मुझे...

सुहानी:- आपकी कॉफी खत्म हो गयी?? जाइए मैं ये सब समेट के आती हु।

सुहानी ने बात को घुमा दिया। अविनाश ने कप सुहानी को दिया और खुद हॉल में जाके बैठ गया। सुहानी ने सब समेटा और अविनाश को बोल दिया की वो सोने जा रही है।


सुहानी अपने कमरे में चली गयी....उसने चेंज किया...उसने एक ढीली सी धोती पहनी और अंदर जानबुज के पैंटी नही पहनी और एक टाइट टॉप और ब्रा भी नहीं पहनी।

सुहानी:- आज घर पे कोई नहीं है...आज पापा जरूर मेरे रुम में आएंगे...और इसलिए ब्रा पॅंटी नहीं पहनती...मजे करने दो आज पापा को।


सुहानी को क्या हो गया था वो खुद समझ नहीं पा रही थी। अविनाश को मजे दिलाने के आड़ में वो खुद मजे करना चाहती थी। और हो भी क्यू ना जब से वो जवान हुई थी बस उसने किस्से सुने थे। खुद उस चीज का अनुभव तो वो अब ले रही थी उसका उतयेजित होना लाजमी था...


सुहानी ने लाइट बंद किया और बिस्तर पर लेट गयी...और अविनाश का इन्तजार करने लगी।


जैसा की उसने सोचा था थोड़ी देर बाद अविनाश ने दरवाजे पे नॉक किया। सुहानी उठी और उसने लाइट ओन किया और दरवाजा खोला।


सुहानी मुस्कुरा रही थी...अविनाश ने उसे देखा...उसको देखते ही पहली नजर उसकी चुचियो पे गयी...सुहानी के निप्प्ल्स टाइट हो चुके थे एक तो ठण्ड थी और ऊपर से जिस्म की आग दोनों की वजह से उसके निप्प्ल्स टाइट हो चुके थे...अविनाश थोड़ी देर के लिए उसके बड़े से निप्प्ल्स को देखता ही रहा।

सुहानी:- क्या हुआ पापा??कुछ चाहिए क्या??

अविनाश का ध्यान भंग हुआ।

अविनाश:- अ..न..नही...मैं..वो...वो नींद नहीं आ रही थी तो सोचा अगर तुम सोई नही तो थोड़ी बातचीत कर लू। तुम सो गयी थी क्या??

सुहानी ने अ0ने दोनों हाथ ऊपर किये और अंगड़ाई लेते हुए कहा"" नही बस सोने ही वाली थी...बहोत थक गयी हु दो दिन से आराम नही मिला।


उसे एस्तरह अंगड़ाई लेते देख अविनाश का लंड भी पैंट में अंगड़ाई लेने लगा था।

अविनाश:- ठीक है तुम सो जाओ...मैं टीवी देखता हु...अकेले नींद नहीं आती...

सुहानी:- ह्म्म्म्म हा मम्मी। नहीं है तो ...समझ सकती हु ...

अविनाश:- हा...इसलिए सोचा की क्यू ना आज तुम्हारे साथ ही सो जाउ...

सुहानी:- (हे। भगवान उफ्फ्फ उस दिन तो भी हॉस्पिटल में थे आज तो ....मर गयी) अ..वो...पापा...ओके...

सुहानी झिझक रही थी। क्यू की आज घर पर कोई नहीं था।

अविनाश:- आगे बढ़ा और बिस्तर पर जाके लेट गया।

सुहानी ने एक एक्स्ट्रा तकिया निकाला और अविनाश को दिया...बेड बहोत बड़ा था...सुहानी बेड के एक कोने पे अपना तकिया और ब्लैंकेट लेके सो गयी।*
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02-03-2019, 11:58 AM,
#34
RE: Indian Sex Story बदसूरत
दोनों छत की तरफ देखते हुए सो रहे थे...एकदूसरे से थोड़ी दुरी पे थे मगर एक ही ब्लैंकेट के अंदर थे।


अविनाश:- सुहानी ये सोहन की तरफ थोडा ध्यान देनेनकी जरुरत है...


सुहानी:- क्यू क्या हुआ??


अविनाश:- अरे देखा नहीं तुमने पढाई में ध्यान नहीं है उसका...तुम कितना पढती थी...


सुहानी:- हा देखते है रिजल्ट आएगा तब पता चल ही जाएगा...


अविनाश:- तुम भी तो सेम कॉलेज में थी...जा के एक बार मिल के आना पड़ेगा...तुम भी साथ चलना।


सुहानी:- ओके पापा...


अविनाश:- पता तो चले की पढाई करता भी है या सिर्फ लडकियो के पीछे पीछे घूमता है...


सुहानी:- क्या आप भी...फिकर मत क8जिए वो आप पे नही गया है...मम्मी ने बताया था मुझे की आपकी कितनी सारी लडकिया फ्रेंड थी...शादी के बाद भी मिलने आती थी आपसे...सुहानी ने हस्ते हुए कहा।


अविनाश:- ह्म्म्म तुम्हारी मम्मी तो बस...ऐसा कुछ नहीं था...तुम्हारी मम्मी के होते हुए किसी और लड़की को क्यू देखु...


सुहानी:- हा वो भी है...मम्मी है ही इतनी खूबसूरत...


अविनाश:- तुम्हे पता है तुम्हारी और नीता की फिगर बिलकुल सेम थी जब मैंने उसे पहली बार देखा था...और वैसेही थी अभी कुछ सालो पहले तक...


सुहानी:- हा मैंने देखा है...मुझे याद है...बस फिगर हिब्समे है...सुहानी ने उदास होते हुए कहा....अविनाश समझ गया की वो उदास हो रही है...


अविनाश:- अरे फिर तुम उस बात को लेके बैठ गयी....


अविनाश पलटा और अंदर ही उसके हाथ पे हाथ रख दिया...


अविनाश:- मैंने कहा ना..तुम्हें इस बातबसे दुखी होने की जरुरत नहीं...सुहानी का हाथ उसे पेट पे था...उसके ऊपर अविनाश ने अपना हाथ रख दिया था...


सुहानी:- सॉरी पापा...लेकिन फिर भी ये तो सच्चाई है...


अविनाश :- कोई सच्चाई नही...तूम तो मेरी प्यारी बेटि हो...अविनाश ने उसके सर पे हाथ रखा और एक दो बार सहलाया और उसके माथे को चूम लिया और वही हाथ उसके गर्दन के निचे ले गया...और फिर वो खुद निचे तैय पे सर रख के छत की तरफ मुह करके सो गया और और थोडा सुहानी की और खिसक गया। उसका हाथ सुहानी के कंधे पे था...उसने थोडा उसे अपनी और खिंचा...सुहानी समझ गयी की वो क्या चाहता है...वो पलटी और उसने अपना एक हाथ अविनाश के पेट परख दिया और अपना सर उसककी छाती पे रख दिया।सुहानी:- थैंक्स पापा...आप बहोत अच्छे हो।


अविनाश सुहानी को अपने इतने नजदीक पा के खुश हो रहा था। उसका हाथ उसकी पीठ पे था और वो उसे सहला रहा था...


अविनाश:- ह्म्म्म चलो इसी बहाने मेरी एक और हसरत आज पूरी हो गयी...तुम्हे इस तरह अपनी बहो में लेके सोने की...बचपन में तो सिर्फ मम्मी के पास सोती थी तुम ऐसे।


सुहानी:- चलिए..आप का हाथ दर्द करने लग जाएगा...सुहानी ने उठाने की कोशिस की...


अविनाश ने उसे रोकते हुए कहा " कुछ नही होगा..थोड़ी देर ऐसेही रहो"


सुहानी चुप्पचाप लेटी रही। अविनाश ने थोडा हलचल की और एडजस्ट करने के बहाने से सुहानी को अपने आप से चिपक लिया...सुहानी ने पैर मोड़ रखे थे लेकिन अब उसकी चुचिया अविनाश के के छाती के साइड पे दब रही थी। ठण्ड का मौसम और साथ में गरम जवान जिस्म अविनाश का लंड खड़ा होने लगा...सुहानी भी गरम होने लगी थी। दोनों ने आँखे बन्द कर राखी थी।


अविनाश:- सुहानी ...उसने धीरे से आवाज दी।


सुहानी:- ऊऊऊ सुहानी ने भी धीरे सिर्फ आवाज की।


अविनाश:- सो गयी क्या?


सुहानी:- नही...


अविनाश:- क्या सोच रही हो??


सुहानी:- कुछ नही..


अविनाश:- तो फिर कुछ सोचो..


सुहानी:- क्या सोचु??


अविनाश:- ह्म्म्म सोचो की अगर मेरी जगह तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड होता तो??


सुहानी:- ओह्ह पापा..आप फिर शुरू हो गए...मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...और मुझे सोचना भी नही है...वो सब गंदे होते है।


अविनाश:- क्यू क्या हुआ??


सुहानी:-वो सब गन्दी गन्दी बाते करते है...


अविनाश:- अच्छा??क्या गन्दी बाते?? हमारे टाइम तो बीएस हाथ पकड़के घंटो बैठे रहते थे...अब क्या होता है?? और तुम्हे किसने बताया??


सुहानी:- फ्रेंड्स ने...और कोण बताएगा?


अविनाश:- बताओ तो क्या बाते करते है...


सुहानी:- पापा प्लीज़ ना...आपको कैसे बोलू??


अविनाश:- अरे मैं भी फ्रेंड हु ना..


सुहानी:- हो...लेकिन नहीं बता सकती...


अविनाश:- क्या वो किस करते है??


सुहानी:- पापा प्लीज़...


अविनाश:- अरे तो किस तो नार्मल है...बताया न उस दिन...


सुहानी:- और भी बहोत कुछ करते है...


अविनाश:- जैसे की??


सुहानी:- मुझे नही बताना...आप सो जाइए मुझे भी सोने दीजिये...


अविनाश:-बताओ तो...क्या करते है?? सेक्स?


सुहानी:- छी...पापा आप भी ना...सुहानी ने एक हल्का सा थाप्प्पड़ उसके पेट पे मारा।


अविनाश:- क्या छी?? बताओगी नहीं तो कैसे पता चलेगा..


सुहानी:- हा...


अविनाश:- ओह्ह्ह ह्म्म्म*


सुहानी:- लेकिन ये गलत है..


अविनाश:- हा गलत तो है...पर..


सुहानी:- पर क्या?? शादी से पहले ये सब करना...


अविनाश:- हा...पर...बहक जाते है कई बार जवान लोग...


सुहानी:- मैं तो नहीं बहकी...सुहानी के मुह से निकल गया।


अविनाश:- तुम?? मतलब??


सुहानी:- वो..मैं..वो मैं ये कह रही थी की मैं नहीं बहकुंगी...


अविनाश:- अच्छा?? अछि बात है...लेकिन ये ऐसे डिसाइड नही कर सकते...कोई तुम्हे किस करे..तुम्हे छुए..तो तुम भी बहक सकती हो...ये नेचुरल है।


सुहानी:- नही बहकुंगी...


अविनाश:- ट्राय करके देखु क्या?


सुहानी:- पापाआआआ क्याआआआ?? कुछ भी...


अविनाश:- मजाक कर रहा था...वैसे बहाने में एक्सपर्ट हु मैं...


सुहानी:- पता है...
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02-03-2019, 11:58 AM,
#35
RE: Indian Sex Story बदसूरत
अविनाश:- कैसे पता है?? मैंने तो कुछ भी नही किया तुम्हारे साथ...


सुहानी:- कुचवकरने की जरुरत थोड़ी होती है...पता चल जाता है..


अविनाश:- ओह्ह्ह इसलिये तुम घबरा रही हो...


सुहानी:- नही...लेकिन आप जो बोल रहे हो वो लॉजिकल नहीं है...आप मेरे पापा हो...


अविनाश:-( ह्म्म्म जब मजे लेती हो तब नही याद आता)) हा तो क्या हुआ?? एक्सपेरिमेंट की बात हो रही है...


सुहानी:- मुझे नही करना...(ये पापा तो पिक्जे ही पड़ गए...लगता है आज कुछ करके ही मानेंगे...उफ्फ्फ्फ़ मेरी तो जान निकली जा रही है)


अविनाश:- ह्म्म्म लगता है डर गयी...अविनाश टर्न हुआ और थोडा निचे खिसक के उसके चहरे के सामने अपना चेहरा लाते हुए बोला...सुहानी की आँखे बंद थी लेकिन जैसे ही उसे अविनाश के साँसे अपने चहरे पे महसूस हुई उसने अपनई आँखे खोली...


सुहानी:- नहीं मैं नहीं डरती...सुहानी ने धीरे से कहा।


अविनाश:-अच्छा?? तो आओ मेरे पास...उसने सुहानी की कमर को पकड़ कर उसे अपनी और खिंचा...


सुहानी:- पापा...क्या कर रहे हो छोड़ दीजिये...सुहानी बस बोल रही थी *कर कुछ भी नहीं रहि थी..


अविनाश:- क्यू डर लग रहा है??


सुहानी:- नही..लेकिन आप ...


अविनाश:- मैं क्या...अविनाश ने उसे और अपनी तरफ खिंचा और अपना टाइट लंड उसकी चूत के आस पास वाले एरिया पे रगड़ा।


सुहानी:- आप ये जो कर रहे हो ये गलत है...छोड़ दीजिये मुझे प्लीज़...सुहानी अविनाश से दूर होने की कोशिस की और उसकी छाती पे अपने दोनों हाथ रखे और उसे दूर धकेलने लगी।


अविनाश ने उसे छोड़ दिया...क्यू की वो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो सुहानी पे जबरदस्ती कर रहा है।


अविनाश:- डरपोक कही की...बोलती है मुझे डर नही लगता...


सुहानी:- पापा आप ना आज बहोत ही नॉटी हो रहे हो...


अविनाश:-ह्म्म्म कुछ भी...नॉटी होना किसे कहते है तुम्हे पता ही नही...


सुहानी:- पता है....मुझे सब पता है...


अविनाश:- कुछ नही पता...मैंने तो बस तुम्हे अपनी बाहो में लिया था...सिर्फ इसको तुम नॉटी बोल रही हो...अविनाश उसकी और टर्न हुआ और अपना एक हाथ को फोल्ड किया और अपना हाथ पे अपना सर रख दिया। सुहानी छत की तरफ मुह करके लेटी थी...उसने टर्न करके अविनाश किंतर्फ देखा...


सुहानी:- फिर आपके हिसाब से क्या है??


अविनाश:- हम्म मेरे हिसाब से?? मेरे हिसाब से तो यहां (दूसरा हाथ ऊपर लेते हुए उसके होठो पे रखते हुए) किस करना...फिर बूब्स को छूना....


सुहानी:- ईईईए पापाआआआ चुप बैठो...


अविनाश:- लो खुद ही पूछती हो और...


सुहानी:- अपना चेहरा शरमाके दूसरी और करते हुए...मुझे नहीं सुनना( पापा बूब्स बोल रहे है शरम भी नहीं आती इनको)*


अविनाश:- अब बूब्स को बूब्स ही बोलते है ना....और उसे छूना और दबाना नॉटी हरकत होती है...


सुहानी:- ईई छी छी पापा...मुझे नहीं बात करनी आपसे...सुहानी टर्न हुई और अपना चेहरा ब्लैंकेट के अंदर छुपा लिया...


अविनाश:- फिर क्या कहते है?? मुझे बताओ... अविनाश ने ब्लैंकेट के ऊपर से उसके कंधे को पकड़ कर अपनी और उसका चेहरा करने की कोशिश की।


सुहानी:- मुझे नहीं पता...सो जाओ...


सुहानी ने ब्लैंकेट के अंदर से हि जवाब दिया।


अविनाश वापस सीधा हुआ और लेट गया।


सुहानी:- आज पापा तो बड़े ही मुड़ में लग रहे है...क्या क्या बोल रहे हो...कल तक तो सिर्फ चुपके चुपके था अब मेरे सामने खुले आम ...बापरे...


अविनाश:-ह्म्म्म्म चुपके चुपके मजा लेती है और ऐसा कुछ बोलो तो मुह छुपा लेती है...



अविनाश बहोत कोशिश कर रहा था खुल के बात करने की लेकिन थोड़ी झिझक उसके मन में भी थी। सुहानी का शर्माना लाजमी था...आग दोनों तरफ लगी थी लेकिन पहला कदम कोण उठाएगा ये सवाल था...


अविनाश उठा और बाथरूम चला गया। सुहानी ने देखा अविनाश बाथरूम चला गया है तो वो सीधी हो के लेट गयी। अविनाश बाथरूम से आकर ब्लैंकेट के अंदर चला गया और सीधा लेट गया। * सुहानी इस बार खुद ही उसका हाथ पकड़ा और उसके छाती पे सर रख दिया अपना हाथ उसके पेट पे रख के सो गयी।


अविनाश:- क्या हुआ सुहानी??


सुहानी:- कुछ। नही...ऐसे सोना अच्छा लग रहा था...लेकिन आप हो की...


अविनाश:- अरे वो तो मैं ऐसेही....


सुहानी:- बहक गए थे क्या ही ही ही...सुहानी ने फिर उसे छेड़ा।


अविनाश:- हा थोडासा....


सुहानी:- छी पापा...


अविनाश:- देखा खुद ही बात निकालती हो फिर खुद ही छि ई करने लगती हो।


सुहानी:- ठीक है...अब सो जाइए...11 बज गए है। और मुझे बहोत नींद आ रही है।


अविनाश:- थिक् है...


दोनों चुपचाप लेट गए और सोने लगे...लेकिन दोनों जानते थे की नींद तो उनको आने से रही।


अविनाश ने अपना हाथ सुहानी के हाथ पे रखा और दूसरा पीठ पे।...उन दोनों के चहरे ब्लैंकेट से बाहर थे बाकि बदन ब्लैंकेट के अंदर। थोड़ी देर बाद सुहानी खुद ही थोडा आगे खिसकी और उससे चिपक गयी।


अविनाश को उसकी जांघे अपनी जांघो से रगड़ खाती महसूस हुई...


अविनाश:- ओह्ह्ह ये तो खुद ही चिपक रही है...लगता है मचल रही है ...चलो अगर ये ऐसेही मजे लेना चाहती है तो ऐसेही सही...


दरसल जब अविनाश बाथरूम गया था तब सुहानी ने सोचा की बात करके बोल के आगे बढ़ना उससे नही होगा लेकिन खामोश रह कर अविनाश को सिग्नल तो दे सकती है...इसलिए वो अब खुद उससे चिपक रही थी।



अविनाश थोड़ी देर ऐसेही लेता रहा...फिर उसने अपना हाथ जो उसने सुहानी के हाथ पे रखा था उसे उठाया और सुहानी के चूची पे रखा लेकिन वो ठीक से छु नहीं पा रहा था...ये चीज सुहानी ने नोटिस की वो खुद ही सीधी लेट गयी। अविनाश का हाथ अपने आप ही उसी चुचियो पे आ गया....अविनाश धीरे धीरे दबाने लगा...


अविनाश:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह क्या मस्त माल है स्स्स्स कितना भी दबाओ मन ही नही भरता...थोड़ी देर वो ऐसेही सुहानी की। चुचिया दबाता रहा...लेकिन वो पोजीशन ठीक नही थी...इसे दिक्कत हो रही थी...उसने अपना हाथ जो सुहानी के गर्दन के निचे दबा हुआ था उसे निक्काला और सुहानी की तरफ टर्न हो गया...उसने देखा सुहानी आँखे बंद किये हुए पड़ी है...उसने धीरे से ब्लैंकेट को निचे खिंचा...उसने देखा की सुहानी इधर मुह करके सो रही थी।


अविनाश:- वाओ क्या मस्त लग रही है इसकी चुचिया स्स्स्स्स्...अविनाश अपना हाथ फोल्ड करके हथेली पे अपना सर रख दिया...एयर अपना दूसरा हाथ चुचियो पे रख दिया...और धीरे धीरे उन्हें दबाने लगा...


सुहानी:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है स्स्स्स


अविनाश:- आज पता चल रहा है इनका ओरिजिनल साइज़ उफ्फ्फ्फ़ कितनी बड़ी बड़ी है स्सस्सस्स नीता से भी बड़ी है उम्म्म्म्म्म


अविनाश एक एक करके उसकी चुचिया सहला रहा था दबा रहा था....फिर उसने निप्पल को पकड़ा और धीरे से दबाया...


सुहानी:-मन में.... अह्ह्ह्ह पापा निप्पल नही स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म


अविनाश:- स्स्स्स्स् कितना मोटा है निप्पल इसका उम्म्म्म्म


सुहानी को बहोत मजा आ रहा था...लेककिं अपनी सिसकियो की वो कैसे रोक। रही थी सिर्फ उसे ही पता था।


अविनाश पपागल हो चूका था....वो जी भर के उसकी चुचियो को दबा रहा था....अब उसने सुहानी के पेट पे हाथ रखा और उसका टॉप ऊपर करने लगा...धीरे धीरे ऊपर खिंच रहा था...वो जनता था सुहानी जग रही है...उसे किसी बात का डर नही था...उसने टॉप को पूरा ऊपर कर दिया....उसने देखा नील बल्ब के रोशनी में सुहानी की सावले रंग की एकदम गोल एयर सुडोल चुचिया चमक रही थी...उसपे वो काले रंग के बड़े बड़े निप्पल जामुन के जैसे लग रहे थे...अविनाश ने अपना हाथ आगे बढ़ाया...उसके हाथ काँप रहे थे...उसने अपना हाथ एक चूची पे रखा...
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02-03-2019, 11:58 AM, (This post was last modified: 12-10-2023, 01:21 AM by desiaks.)
#36
RE: Indian Sex Story बदसूरत
दोनों छत की तरफ देखते हुए सो रहे थे...एकदूसरे से थोड़ी दुरी पे थे मगर एक ही ब्लैंकेट के अंदर थे।


अविनाश:- सुहानी ये सोहन की तरफ थोडा ध्यान देनेनकी जरुरत है...


सुहानी:- क्यू क्या हुआ??


अविनाश:- अरे देखा नहीं तुमने पढाई में ध्यान नहीं है उसका...तुम कितना पढती थी...


सुहानी:- हा देखते है रिजल्ट आएगा तब पता चल ही जाएगा...


अविनाश:- तुम भी तो सेम कॉलेज में थी...जा के एक बार मिल के आना पड़ेगा...तुम भी साथ चलना।


सुहानी:- ओके पापा...


अविनाश:- पता तो चले की पढाई करता भी है या सिर्फ लडकियो के पीछे पीछे घूमता है...


सुहानी:- क्या आप भी...फिकर मत क8जिए वो आप पे नही गया है...मम्मी ने बताया था मुझे की आपकी कितनी सारी लडकिया फ्रेंड थी...शादी के बाद भी मिलने आती थी आपसे...सुहानी ने हस्ते हुए कहा।


अविनाश:- ह्म्म्म तुम्हारी मम्मी तो बस...ऐसा कुछ नहीं था...तुम्हारी मम्मी के होते हुए किसी और लड़की को क्यू देखु...


सुहानी:- हा वो भी है...मम्मी है ही इतनी खूबसूरत...


अविनाश:- तुम्हे पता है तुम्हारी और नीता की फिगर बिलकुल सेम थी जब मैंने उसे पहली बार देखा था...और वैसेही थी अभी कुछ सालो पहले तक...


सुहानी:- हा मैंने देखा है...मुझे याद है...बस फिगर हिब्समे है...सुहानी ने उदास होते हुए कहा....अविनाश समझ गया की वो उदास हो रही है...


अविनाश:- अरे फिर तुम उस बात को लेके बैठ गयी....


अविनाश पलटा और अंदर ही उसके हाथ पे हाथ रख दिया...


अविनाश:- मैंने कहा ना..तुम्हें इस बातबसे दुखी होने की जरुरत नहीं...सुहानी का हाथ उसे पेट पे था...उसके ऊपर अविनाश ने अपना हाथ रख दिया था...


सुहानी:- सॉरी पापा...लेकिन फिर भी ये तो सच्चाई है...


अविनाश :- कोई सच्चाई नही...तूम तो मेरी प्यारी बेटि हो...अविनाश ने उसके सर पे हाथ रखा और एक दो बार सहलाया और उसके माथे को चूम लिया और वही हाथ उसके गर्दन के निचे ले गया...और फिर वो खुद निचे तैय पे सर रख के छत की तरफ मुह करके सो गया और और थोडा सुहानी की और खिसक गया। उसका हाथ सुहानी के कंधे पे था...उसने थोडा उसे अपनी और खिंचा...सुहानी समझ गयी की वो क्या चाहता है...वो पलटी और उसने अपना एक हाथ अविनाश के पेट परख दिया और अपना सर उसककी छाती पे रख दिया।सुहानी:- थैंक्स पापा...आप बहोत अच्छे हो।


अविनाश सुहानी को अपने इतने नजदीक पा के खुश हो रहा था। उसका हाथ उसकी पीठ पे था और वो उसे सहला रहा था...


अविनाश:- ह्म्म्म चलो इसी बहाने मेरी एक और हसरत आज पूरी हो गयी...तुम्हे इस तरह अपनी बहो में लेके सोने की...बचपन में तो सिर्फ मम्मी के पास सोती थी तुम ऐसे।


सुहानी:- चलिए..आप का हाथ दर्द करने लग जाएगा...सुहानी ने उठाने की कोशिस की...


अविनाश ने उसे रोकते हुए कहा " कुछ नही होगा..थोड़ी देर ऐसेही रहो"


सुहानी चुप्पचाप लेटी रही। अविनाश ने थोडा हलचल की और एडजस्ट करने के बहाने से सुहानी को अपने आप से चिपक लिया...सुहानी ने पैर मोड़ रखे थे लेकिन अब उसकी चुचिया अविनाश के के छाती के साइड पे दब रही थी। ठण्ड का मौसम और साथ में गरम जवान जिस्म अविनाश का लंड खड़ा होने लगा...सुहानी भी गरम होने लगी थी। दोनों ने आँखे बन्द कर राखी थी।


अविनाश:- सुहानी ...उसने धीरे से आवाज दी।


सुहानी:- ऊऊऊ सुहानी ने भी धीरे सिर्फ आवाज की।


अविनाश:- सो गयी क्या?


सुहानी:- नही...


अविनाश:- क्या सोच रही हो??


सुहानी:- कुछ नही..


अविनाश:- तो फिर कुछ सोचो..


सुहानी:- क्या सोचु??


अविनाश:- ह्म्म्म सोचो की अगर मेरी जगह तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड होता तो??


सुहानी:- ओह्ह पापा..आप फिर शुरू हो गए...मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...और मुझे सोचना भी नही है...वो सब गंदे होते है।


अविनाश:- क्यू क्या हुआ??


सुहानी:-वो सब गन्दी गन्दी बाते करते है...


अविनाश:- अच्छा??क्या गन्दी बाते?? हमारे टाइम तो बीएस हाथ पकड़के घंटो बैठे रहते थे...अब क्या होता है?? और तुम्हे किसने बताया??


सुहानी:- फ्रेंड्स ने...और कोण बताएगा?


अविनाश:- बताओ तो क्या बाते करते है...


सुहानी:- पापा प्लीज़ ना...आपको कैसे बोलू??


अविनाश:- अरे मैं भी फ्रेंड हु ना..


सुहानी:- हो...लेकिन नहीं बता सकती...


अविनाश:- क्या वो किस करते है??


सुहानी:- पापा प्लीज़...


अविनाश:- अरे तो किस तो नार्मल है...बताया न उस दिन...


सुहानी:- और भी बहोत कुछ करते है...


अविनाश:- जैसे की??


सुहानी:- मुझे नही बताना...आप सो जाइए मुझे भी सोने दीजिये...


अविनाश:-बताओ तो...क्या करते है?? सेक्स?


सुहानी:- छी...पापा आप भी ना...सुहानी ने एक हल्का सा थाप्प्पड़ उसके पेट पे मारा।


अविनाश:- क्या छी?? बताओगी नहीं तो कैसे पता चलेगा..


सुहानी:- हा...


अविनाश:- ओह्ह्ह ह्म्म्म*


सुहानी:- लेकिन ये गलत है..


अविनाश:- हा गलत तो है...पर..


सुहानी:- पर क्या?? शादी से पहले ये सब करना...


अविनाश:- हा...पर...बहक जाते है कई बार जवान लोग...


सुहानी:- मैं तो नहीं बहकी...सुहानी के मुह से निकल गया।


अविनाश:- तुम?? मतलब??


सुहानी:- वो..मैं..वो मैं ये कह रही थी की मैं नहीं बहकुंगी...


अविनाश:- अच्छा?? अछि बात है...लेकिन ये ऐसे डिसाइड नही कर सकते...कोई तुम्हे किस करे..तुम्हे छुए..तो तुम भी बहक सकती हो...ये नेचुरल है।


सुहानी:- नही बहकुंगी...


अविनाश:- ट्राय करके देखु क्या?


सुहानी:- पापाआआआ क्याआआआ?? कुछ भी...


अविनाश:- मजाक कर रहा था...वैसे बहाने में एक्सपर्ट हु मैं...


सुहानी:- पता है...

मस्त राम मस्ती में 
आग लगे चाहे बस्ती मे.

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mastramPlatinum MemberPosts: 1774Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: बदसूरत

Post by mastram » 18 Jul 2018 14:55

अविनाश:- कैसे पता है?? मैंने तो कुछ भी नही किया तुम्हारे साथ...


सुहानी:- कुचवकरने की जरुरत थोड़ी होती है...पता चल जाता है..


अविनाश:- ओह्ह्ह इसलिये तुम घबरा रही हो...


सुहानी:- नही...लेकिन आप जो बोल रहे हो वो लॉजिकल नहीं है...आप मेरे पापा हो...


अविनाश:-( ह्म्म्म जब मजे लेती हो तब नही याद आता)) हा तो क्या हुआ?? एक्सपेरिमेंट की बात हो रही है...


सुहानी:- मुझे नही करना...(ये पापा तो पिक्जे ही पड़ गए...लगता है आज कुछ करके ही मानेंगे...उफ्फ्फ्फ़ मेरी तो जान निकली जा रही है)


अविनाश:- ह्म्म्म लगता है डर गयी...अविनाश टर्न हुआ और थोडा निचे खिसक के उसके चहरे के सामने अपना चेहरा लाते हुए बोला...सुहानी की आँखे बंद थी लेकिन जैसे ही उसे अविनाश के साँसे अपने चहरे पे महसूस हुई उसने अपनई आँखे खोली...


सुहानी:- नहीं मैं नहीं डरती...सुहानी ने धीरे से कहा।


अविनाश:-अच्छा?? तो आओ मेरे पास...उसने सुहानी की कमर को पकड़ कर उसे अपनी और खिंचा...


सुहानी:- पापा...क्या कर रहे हो छोड़ दीजिये...सुहानी बस बोल रही थी *कर कुछ भी नहीं रहि थी..


अविनाश:- क्यू डर लग रहा है??


सुहानी:- नही..लेकिन आप ...


अविनाश:- मैं क्या...अविनाश ने उसे और अपनी तरफ खिंचा और अपना टाइट लंड उसकी चूत के आस पास वाले एरिया पे रगड़ा।


सुहानी:- आप ये जो कर रहे हो ये गलत है...छोड़ दीजिये मुझे प्लीज़...सुहानी अविनाश से दूर होने की कोशिस की और उसकी छाती पे अपने दोनों हाथ रखे और उसे दूर धकेलने लगी।


अविनाश ने उसे छोड़ दिया...क्यू की वो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो सुहानी पे जबरदस्ती कर रहा है।


अविनाश:- डरपोक कही की...बोलती है मुझे डर नही लगता...


सुहानी:- पापा आप ना आज बहोत ही नॉटी हो रहे हो...


अविनाश:-ह्म्म्म कुछ भी...नॉटी होना किसे कहते है तुम्हे पता ही नही...


सुहानी:- पता है....मुझे सब पता है...


अविनाश:- कुछ नही पता...मैंने तो बस तुम्हे अपनी बाहो में लिया था...सिर्फ इसको तुम नॉटी बोल रही हो...अविनाश उसकी और टर्न हुआ और अपना एक हाथ को फोल्ड किया और अपना हाथ पे अपना सर रख दिया। सुहानी छत की तरफ मुह करके लेटी थी...उसने टर्न करके अविनाश किंतर्फ देखा...


सुहानी:- फिर आपके हिसाब से क्या है??


अविनाश:- हम्म मेरे हिसाब से?? मेरे हिसाब से तो यहां (दूसरा हाथ ऊपर लेते हुए उसके होठो पे रखते हुए) किस करना...फिर बूब्स को छूना....


सुहानी:- ईईईए पापाआआआ चुप बैठो...


अविनाश:- लो खुद ही पूछती हो और...


सुहानी:- अपना चेहरा शरमाके दूसरी और करते हुए...मुझे नहीं सुनना( पापा बूब्स बोल रहे है शरम भी नहीं आती इनको)*


अविनाश:- अब बूब्स को बूब्स ही बोलते है ना....और उसे छूना और दबाना नॉटी हरकत होती है...


सुहानी:- ईई छी छी पापा...मुझे नहीं बात करनी आपसे...सुहानी टर्न हुई और अपना चेहरा ब्लैंकेट के अंदर छुपा लिया...


अविनाश:- फिर क्या कहते है?? मुझे बताओ... अविनाश ने ब्लैंकेट के ऊपर से उसके कंधे को पकड़ कर अपनी और उसका चेहरा करने की कोशिश की।


सुहानी:- मुझे नहीं पता...सो जाओ...


सुहानी ने ब्लैंकेट के अंदर से हि जवाब दिया।


अविनाश वापस सीधा हुआ और लेट गया।


सुहानी:- आज पापा तो बड़े ही मुड़ में लग रहे है...क्या क्या बोल रहे हो...कल तक तो सिर्फ चुपके चुपके था अब मेरे सामने खुले आम ...बापरे...


अविनाश:-ह्म्म्म्म चुपके चुपके मजा लेती है और ऐसा कुछ बोलो तो मुह छुपा लेती है...



अविनाश बहोत कोशिश कर रहा था खुल के बात करने की लेकिन थोड़ी झिझक उसके मन में भी थी। सुहानी का शर्माना लाजमी था...आग दोनों तरफ लगी थी लेकिन पहला कदम कोण उठाएगा ये सवाल था...


अविनाश उठा और बाथरूम चला गया। सुहानी ने देखा अविनाश बाथरूम चला गया है तो वो सीधी हो के लेट गयी। अविनाश बाथरूम से आकर ब्लैंकेट के अंदर चला गया और सीधा लेट गया। * सुहानी इस बार खुद ही उसका हाथ पकड़ा और उसके छाती पे सर रख दिया अपना हाथ उसके पेट पे रख के सो गयी।


अविनाश:- क्या हुआ सुहानी??


सुहानी:- कुछ। नही...ऐसे सोना अच्छा लग रहा था...लेकिन आप हो की...


अविनाश:- अरे वो तो मैं ऐसेही....


सुहानी:- बहक गए थे क्या ही ही ही...सुहानी ने फिर उसे छेड़ा।


अविनाश:- हा थोडासा....


सुहानी:- छी पापा...


अविनाश:- देखा खुद ही बात निकालती हो फिर खुद ही छि ई करने लगती हो।


सुहानी:- ठीक है...अब सो जाइए...11 बज गए है। और मुझे बहोत नींद आ रही है।


अविनाश:- थिक् है...


दोनों चुपचाप लेट गए और सोने लगे...लेकिन दोनों जानते थे की नींद तो उनको आने से रही।


अविनाश ने अपना हाथ सुहानी के हाथ पे रखा और दूसरा पीठ पे।...उन दोनों के चहरे ब्लैंकेट से बाहर थे बाकि बदन ब्लैंकेट के अंदर। थोड़ी देर बाद सुहानी खुद ही थोडा आगे खिसकी और उससे चिपक गयी।


अविनाश को उसकी जांघे अपनी जांघो से रगड़ खाती महसूस हुई...


अविनाश:- ओह्ह्ह ये तो खुद ही चिपक रही है...लगता है मचल रही है ...चलो अगर ये ऐसेही मजे लेना चाहती है तो ऐसेही सही...


दरसल जब अविनाश बाथरूम गया था तब सुहानी ने सोचा की बात करके बोल के आगे बढ़ना उससे नही होगा लेकिन खामोश रह कर अविनाश को सिग्नल तो दे सकती है...इसलिए वो अब खुद उससे चिपक रही थी।



अविनाश थोड़ी देर ऐसेही लेता रहा...फिर उसने अपना हाथ जो उसने सुहानी के हाथ पे रखा था उसे उठाया और सुहानी के चूची पे रखा लेकिन वो ठीक से छु नहीं पा रहा था...ये चीज सुहानी ने नोटिस की वो खुद ही सीधी लेट गयी। अविनाश का हाथ अपने आप ही उसी चुचियो पे आ गया....अविनाश धीरे धीरे दबाने लगा...


अविनाश:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह क्या मस्त माल है स्स्स्स कितना भी दबाओ मन ही नही भरता...थोड़ी देर वो ऐसेही सुहानी की। चुचिया दबाता रहा...लेकिन वो पोजीशन ठीक नही थी...इसे दिक्कत हो रही थी...उसने अपना हाथ जो सुहानी के गर्दन के निचे दबा हुआ था उसे निक्काला और सुहानी की तरफ टर्न हो गया...उसने देखा सुहानी आँखे बंद किये हुए पड़ी है...उसने धीरे से ब्लैंकेट को निचे खिंचा...उसने देखा की सुहानी इधर मुह करके सो रही थी।


अविनाश:- वाओ क्या मस्त लग रही है इसकी चुचिया स्स्स्स्स्...अविनाश अपना हाथ फोल्ड करके हथेली पे अपना सर रख दिया...एयर अपना दूसरा हाथ चुचियो पे रख दिया...और धीरे धीरे उन्हें दबाने लगा...


सुहानी:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है स्स्स्स


अविनाश:- आज पता चल रहा है इनका ओरिजिनल साइज़ उफ्फ्फ्फ़ कितनी बड़ी बड़ी है स्सस्सस्स नीता से भी बड़ी है उम्म्म्म्म्म


अविनाश एक एक करके उसकी चुचिया सहला रहा था दबा रहा था....फिर उसने निप्पल को पकड़ा और धीरे से दबाया...


सुहानी:-मन में.... अह्ह्ह्ह पापा निप्पल नही स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म


अविनाश:- स्स्स्स्स् कितना मोटा है निप्पल इसका उम्म्म्म्म


सुहानी को बहोत मजा आ रहा था...लेककिं अपनी सिसकियो की वो कैसे रोक। रही थी सिर्फ उसे ही पता था।


अविनाश पपागल हो चूका था....वो जी भर के उसकी चुचियो को दबा रहा था....अब उसने सुहानी के पेट पे हाथ रखा और उसका टॉप ऊपर करने लगा...धीरे धीरे ऊपर खिंच रहा था...वो जनता था सुहानी जग रही है...उसे किसी बात का डर नही था...उसने टॉप को पूरा ऊपर कर दिया....उसने देखा नील बल्ब के रोशनी में सुहानी की सावले रंग की एकदम गोल एयर सुडोल चुचिया चमक रही थी...उसपे वो काले रंग के बड़े बड़े निप्पल जामुन के जैसे लग रहे थे...अविनाश ने अपना हाथ आगे बढ़ाया...उसके हाथ काँप रहे थे...उसने अपना हाथ एक चूची पे रखा...

मस्त राम मस्ती में 
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mastramPlatinum MemberPosts: 1774Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: बदसूरत

Post by mastram » 18 Jul 2018 14:58
सुहानी:-मन में....स्सस्सस्स आह्ह्ह्ह मर गयी उफ्फ्फ्फ्फ्फ पापा प्लीज़ बस कीजिये उम्म्म्म्म्म मर जाउंगी मैं अह्ह्ह्ह्ह


अविनाश:- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह *उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् कितनी सुन्दर है ...आज पहली बार पूरी चुचिया देख रहा हु स्स्स्स्स् अह्ह्ह


अविनाश ने देखा सुहानी दूसरी तरफ मुह करके सो रही है....अविनाश एक एकक करके चुचियो को दबा रहा था...सुहानी सख्त बड़ी बड़ी चुचिया उसके इ हाथ में समां नही रही थी। उसका लंड किसी रॉड की तरह कड़क हो गया था। सुहानी का भी वही हाल था...अविनाश के गरम और सख्त हाथो का स्पर्श अपनी चुचियो पे पाकर वो उत्तेजना के सागर में डुबकी लगा रही थी...अविनाश ने थोड़ी देर उसकी चुचियो खूब दबाया और सहलाया...


अविनाश:- (निप्प्ल्स को पकड़ते हुए) स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह कितने मोटे है स्स्स्स्स् इनको चूसने का मन कर रहा है....


अविनाश ने *सुहानी की एक चूची को दबाया और अपना मुह उसकी निप्पल पे रख दिया ...उसे धीरे से किस किया...और फिर उसको अपने होठो पे पकड़ा और जुबान से धीरे *धीरे छेड़ने लगा...


सुहानी:- मन में....अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ स्स्स्स हा पापा उफ्फ्फ ऐसेही उम्म्म्म चूसो और अह्ह्ह्ह्ह बहोत अच्छा लग रहा है स्सस्सस्स मर गयी अह्ह्ह्ह*


अविनाश:-मन में...स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ़ वोव्व्व् उम्म्म्म जवान चुचियो की बात ही कुछ और होती है स्सस्सस्सस


*अविनाश ने अब उसकी दूसरी चूची का निप्पल अपने मुह में लेके चूसने लगा...और अपना एक हाथ सुहानी के पेट पे रख दिया और उसकी नाभि में डाल दिया...


सुहानी:-स्स्स्स अह्ह्ह्ह उम्म्म ओह्ह्ह्ह मेरी नाभि के साथ खेलमरहे है स्सस्सस्स कही चूत पे हाथ न ले जाय बहोत गीली हो चुकी है स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह*


सुहानी का शक सही था...अविनाश ने धीरे धीरे अपना हाथ निचे ले जाना शुरू क्किया और आखिर में सुहानी के चूत पे रखा...पॅंटी नही होने के कारण उसका हाथ उस सलवार के ऊपर से सीधा उसकी गीली चूत को हो रहा था।

अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ये तो कितनी गीली है स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ लगता है बहोत मजा आ रहा है उम्म्म्म्म आँखे खोलो सुहानी स्स्स्स्स् खुल के मजा लो स्स्स्स्स्स्स्स


सुहानी:- ओह्ह्ह्ह्ह मम्मी मर गयी स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह नहीं अह्ह्ह्ह अब बर्दास्त नही हो रहा स्स्स्स्स्स्स्स हे भगवान् अह्ह्ह्ह क्या करू उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़


अविनाश उसकी चूत के गीलेपन को अच्छेसे देख रहा था...उसकी फूली हुई गर्म चूत को के ऊपर से अपना हाथ घुमा रहा था।



अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् कितनी चिकनी चूत है इसकी स्सस्सस्सस्सस्स अह्ह्ह्ह और गीली आह्ह्ह्ह काश इसको चाट सकता उफ्फ्फ्फ्फ़ मजा आ जाता...कोई नही इसे ऐसे खेलता हु की खुद उठ के कहेगी की चाटो चोदो उम्म्म्म्म्म


सुहानी:- अह्ह्ह अह्ह्ह्ह नो प्लीज़ उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्स


सुहानी ये सब किस तरह बर्दास्त कर रही थी उसे ही पता था....अविनाश ने अपनी बिच की उंगली को उसकी चूत के ऊपर निचे से ऊपर ता घुमाया...सुहानी को उसका ऐसा करना बहोत अच्छा लग रहा था ।अविनाश ने उसके चूत के दाने को सहलाया...सुहानी के मुह से आह निकल गयी...सुहानी ने झट से खुद को रोक और टर्न हो गयी...अविनाश अब रुकने वाला नही था...उसने अपना हाथ एक बार फिर ऊपर लाया और उसकी चुचिया दबाने लगा....और अपना लंड सुहानी के गांड पे रगड़ने लगा.....


अविनाश:- सुहानी...सुहानी...(अविनाश ने उसे आवाज दी लेकिन सुहानी ने कोई जवाब नही दिया) स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह्ह 7फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्


अविनाश स7हानि के गांड पे लंड के धीरे धीरे झटके मार रहा था। चुचियो को। दबाते हुए वो अपना लंड सुहानी की गांड पे रगड़ रहा था...अगर वो पैंट और सलवार ना होता तो उसका लंड सुहानी की गांड में घुस चूका होता।

सुहानी किसी बूत की तरह लेटी अपनि आहे और सिस्कारिया कण्ट्रोल करने में लगी थी।


अविनाश ने अपना हाथ निचे लिया और फिरसे उसकी चूत पे रखने लगा लेकिन सुहानी इस तरह सोई थी की उसका हाथ उसकी चूत तक नही पहोंच पा रहा था...



अविनाश:-उम्म्म्म अगर इसको अब पूरा गरम करना है तो इसकी चूत को छूना ही पड़ेगा और अपना लंड भी इसके हाथ में देना पड़ेगा...



अविनाश ने ब्लैंकेट पूरा हटाया और सुहानी को सीधा किया...सुहानी भी चुपचाप सीधी हो गयी...अविनाश ने अपना पैंट और अंडरवियर निचे किया और लंड बाहर निकाला....अविनाश वासना में अँधा हो चूका था...हवस उसपे हावी हो चुकी थी...उसने। सुहानी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पे रख दिया। सुहानी को एक तेज तर्रार झटका लगा...उसने बिना कुछ किये अपना हाथ उसके लंड पे वैसेहहि रहने दिया जैसा उसने रखा था...



सुहानी:- omg उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये क्या पापा ने मेरा हाथ सीधा अपने नंगे लंड पे रख दिया...उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना गरम है ये स्स्स्स्स्स्स्स और कितना टाइट ओह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म अंकल के लंड से मोटा। और लंबा भी स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह


अविनाश सुहानी के कोमल हाथो का स्पर्श अपने लंड पे पा के उत्तेजना ककी चरम सीमा तक पहोंच गया था...उसने सुहानी के हाथ को अपने लंड के इर्द गिर्द लपेटा और उसका हाथ पकड़ के मुठ मारने लगा....

अविनाश:-अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ कितना तड़पा हु मैं इस पल के लिए अह्ह्ह्ह्ह सुहानी अह्ह्ह्ह आँखे। खोलो स्स्स्स अह्ह्ह मजा आ रहा है ना???? उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह


अविनाश ने अपना हाथ सुहानी की चूत पे रखा और अपनि बिच की उंगली सलवार समेत अंदर डालने की कोशिस करने लगा...सुहानी भी अब बहोत गरम हो चुकी थी....सुहानी का हाथ अब भी अविनाश के लंड पे था....लेकिन वो कुछ। कर नही रही थी लेकिन उसे अविनाश के लंड को ऐसे पकड़ के बहोत मजा आ रहा था....अब अविनाश सुहानी के चूत के दाने को अपनी उंगली से गोल गोल घुमा के मसल रहा था....और बिच बिच में अपना *लंड सुहानी के मुट्ठी में आगे पीछे कर रहा था....दोनों सब कुछ भूल चुके थे वो बीएस चरम सुख पाने के लिए तड़प रहे थे....सुहानी के पैर अकड़ने लगे थे और साथ ही उसकी पकड़ लंड पे कसी जा रही थी....अविनाश को समझ गया की अब सुहानी को मजा आने लगा है....वो भी धीरे धीरे साथ देने लगी है....


अविनाश:+अह्ह्ह्ह सुहानी उम्म्म्म और कसके पकड़ो अह्ह्ह्ह स्स्स्स ऊपर निचे करो बहोत मजा आ रहा है...अविनाश सुहानी कण के पास जा के धीरे से बोला....


सुहानी उस वासना भरे पल के उन्माद में जो अविनाश ने बोला वो करने लगी...वो लंड को ऊपर निचे करने लगी....अविनाश ये देख के बहोत खुश हुआ...उसने सुहानी। के चूत के दाने को और तेज रगड़ना शुरू किया....सुहानी का बदन अब पूरा अकड़ने लगा था...वो झड़ने के बेहद करीब थी...और अविनाश भी झड़ने ही वाला था....

कुछ देर में ही वो पल आ गया जब सुहानी अपने पापा के हाथो पहली बार झड़ने वाली थी....उसने अपनी कमर थोड़ी ऊपर उठायी और अगले ही पल वो झड़ने लगी....और इधर अविनाश ने भी अपना वीर्य उगलना शुरू कर दिया....वो इतना तेज झाड़ा की उसके वीर्य की पिचकारियां सुहानी पेट पे बेड पे हाथ पता नही कहा कहा जा गिरी.....सुहानी का भी वही हाल था...सुहानी के झड़ने की वजह से अविनाश का पूरा हाथ गिला हो चूका था...सुहानी तेज तेज सांसे लेते हुए आँखे बंद करके लेटी हुई थी....अविनाश भी धड़ाम से बेड पे गिर गया...कई दिनों बाद वो इतना तेज झड़ रहा था...



आखिर अविनाश और सुहानी ने अपनी मर्यादा लाँघ दी थी...इसमे क्या गलत क्या सही कोई नही बता सकता था...एयर वो दोनों उस पल ये सोचना भी नही चाहते थे क्यू की वो बस उस पल का मजा लेना चाहते थे।
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02-03-2019, 11:58 AM,
#37
RE: Indian Sex Story बदसूरत
थोड़ी देर बाद जब अविनाश नार्मल हुआ तो वो उठा और बाथरूम चला गया...सुहानी ने आँखे खोली और अपने कपडे ठीक किये और एक कपडा लेके अविनाश का वीर्य साफ़ कर दिया और जब उसे लगा की अविनाश वापस आने वाला है तो झट से सो गयी।


अविनाश ने देखा की सुहानी ब्लैंकेट ओढ़ के सो गयी है...

अविनाश:- मन में...अह्ह्ह्ह आज तो मजा गया....सच में कितनी सेक्सी है सुहानी....स्सस्सस्स सिर्फ सूरत थोड़ी अच्छी रहती तो इसे देख के ही पानी निकल जाता...


अविनाश अभी भी सुहानी की बद्सुरती को अपने मन से पूरी तरह निकाल नही पाया था...लेकिन वो आज जो हुआ उससे बहोत खुश था। वो आगे बढ़ा और बिस्तर पर बैठ गया...उसने सुहानी की तरफ देखा....वो सो रही थी....वो उसके पास गया...और झुक के उसके गाल को किस किया....

अविनाश:- सुहानी...सुहानी...अब तो उठ जाओ...इतना सबकुछ हो गया अब क्या शरमाना....

सुहानी कुछ नही बोली...

अविनाश:- प्लीज़ एक बार मेरी तरफ देखो...सुहानी...सुहानी...

अविनाश ने फिर आवाज दी...और उसे सीधा करने की कोशिस की...

सुहानी को। बहोत शरम आ। रही थी। वो सीधे तो हो गयी लेकिन अपनी आँखे नही खोली...अविनाश ने देखा सुहानी शरमा के हल्का हल्का मुस्कुरा रही थी। उसकी आँखे बंद थी।

अविनाश:- (उसके पास गया और फॉर से गालो पे। किस किया)...सुहानी बोलो ना कुछ... मजा आया???

सुहानी फिर से अपना चेहरा दूसरी और कर दिया...

अविनाश:- सुहानी सच में तुम बहोत सेक्सी हो...तुम्हारी ये चुचिया उफ्फ्फ्फ्फ़ तुम्हारे मांसल नितम्ब....स्सस्सस्स और तुम्हारी गीली चिकनी.....


अविनाश चुप हो गया...वो सुहानी के चहरे के हावभाव पढ़ने लगा....सुहानी अविनाश के मुह से अपने अंगो की तारीफ़ सुन कर उत्तेजित होने लगी थी...उसकी सांस तेज हो रही थी। अवविनाश झुके हुए था...वो धीमी धीमी आवाज में उससे बाते। करने लगा।

अविनाश:- सुहानी मुझे पता है ये सब गलत है....लेकिन मुझसे रहा नही गया....जब से तुम्हे वो ब्रा पॅंटी में देखा तबसे मैं पागल सा गया...और फिर एक बाद एक ऐसी चीजे हुई जिससे मैं अपने। वश में नही रहा....और जब मुझे लगने लगा की तुम्हे भी पसंद आ रहा है तो मैं और भी बेकाबू हो गया....और ये सब कर बैठा....मैं मानता हु सुहानी की आज मैंने बहोत बड़ा पाप किया है...लेकिन सुहानी मैं ये पाप और करना चाहता हु मैं तुम्हे.... ....ओह्ह्ह्ह सुहानी मैं तुम्हे कैसे बताऊ...प्लीज़ आँखे खोलो...एक बार मुझसे बात करो...सुहानी प्लीज़ प्लीज़...

सुहानी अविनाश की बाते सुन रही थी...उसे बहोत ख़ुशी हो रही थी....अविनाश उसको पाने के लिए पागल हो चूका था....

अविनाश:- ओह्ह्ह्ह सुहानी जब भी मैं आँखे बंद करता था तब मेरी आँखों के सामने बस तुम्हारा जिस्म घूमता था....तुम्हे छूना...तुम्हारे चुचियो को दबाना उफ्फ्फ्फ्फ़ सुहानी अह्ह्ह्ह तुम नही जानती मैंने तुम्हारे बारे में क्या क्या नही सोचा....

सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् क्या पापा??

आखिर सुहानी ने जवाब दिया...उसकी आवाज सुन के अविनाश बहोत खुश हुआ...लेकिन सुहानी ने अपनी आँखे नहीं खोली...

अविनाश:-ओह्ह्ह सुहानी सब बताऊंगा लेकिन आँखे तो खोलो...

सुहानी:- नाहीईई...मुझे शर्म आती है...सुहानी ने अपना चेहरा अपने हाथो से छुपाते हुए कहा....

अविनाश ने उसके। हाथो को पकड़ा और अपना चेहरा आगे ले गया...उसने धीरे से उसके हाथो पे किस किया और उसके हाथो को चहरे से हटाया...सुहानी जोर जोर से सांसे ले रही थी...

अविनाश:- सुहानी आँखे खोलो...अविनाश बिलकुल उसके चहरे के पास जाक्के धीरे से बोला...

सुहानी को उसकी साँसे अपने चहरे पे महसूस हो रही थी।

सुहानी ने धीरे से अपनी आँखे खोली....वो अविनाश को देखने लगी....अविनाश उसकी आँखों में देख रहा था...वो उसकी आँखों में देखते हुए थोडा और झुका...वो उसे होटो पे किस करना चाहता था...लेकिन सुहानी ने अपना चेहरा फिर से दूसरी तैअफ कर दिया...अविनाश के होठ उसके गालो को छु गए...,

सुहानी:-स्स्स्स पापाआआआ ....नहीई अह्ह्ह्ह

अविनाश:-इधर देखो सुहानी....मैं चाहता हु की मैं जब तुम्हे बताऊ तब तुम मेरी आँखों में देखो स्स्स्स्स्

सुहानी :- नहीईई मुझे बहोत शर्म आ रही है...

अविनाश:- इसीलिए तो कह रहा हु....की अपनी आँखे खोलो...और मुझे देखो...शर्म अपने आप कम हो जायेगी।

सुहानी ने अपनी आँखे खोली वो एकदूसरे को देखने लगे....

अविनाश:-(अपने होठ उसके होठो के नजदीक लेके गया) मैं तुम्हे किस करना चाहता हु

सुहानी:-पापाSSSSSSSSSSSSS......सुहानी अपने होठ थोडा आगे किये.....

अविनाश:- सुहानी......

सुहानी:-पापा......

दोनों के होठ बिच में सिर्फ एक बाल जितना ही अंतर था......और फिर अविनाश ने अपने तपते होठ सुहानी के कांपते होठो पे रैह दिए...इस बार दोनों की आँखे बंद हो गयी। कुछ पल दोनों ऐसेही रहे....फिर अविनाश ने धीरे से अपने होठ खोले और सुहानी के निचे के होठ को धीरे से चूसा....जैसे ही सुहानी को अविनाश ककए होठो का गीलापन महसूस हुआ उसके होठ अपने आप थोडा खुल गए....अविनाश ने स7हानि के होठो को और थोडा अपने होठो में लिया और धीरे धीरे चूसने लगा......वो कभी निचे का होठ चूसता तो कभी ऊपर का.... थोड़ी देर वो ऐसेही सुहानी को किस करता रहा....फिर वो थोडा उठा और अपनी। आँखे खोली....सुहानी ने भी अपनी आँखे खोली....वो एकदूसरे को देख रहे थे....*

सुहानी:- पापा sssssssss

सुहानी ने जैसे ही ये कहने के लिए मुह खोल अविनाश ने फिर से उसे किस करना शुरू कर दिया....और इस बार सुहानी भी उसका साथ दे रही थी....सुहानी ने अपने हाथ उसके गले में डाल दिए और वो अविनाश को किस करने लगी....अविनाश धीरे धीरे उसका निचला होठ चूस रहा था और सुहानी उसका ऊपर का....दोनों धीरे धीरे बड़े मादकता से एक दूसरे को किस कर रहे थे....अविनाश ने किस करते हुए ब्लैंकेट को सुहानी के ऊपर से हटा दिया....और खुद उसके ऊपर चला गया....सुहानी उसका इरादा समझ गयी थी...उसने धीरे से अपने पैर अलग किये और घुटनो से मोड़ लिया....अविनाश लेटे लेटे और सुहानी को किस करते हुए अपना लंड सुहानी के चूत पे ले गया धीरे धीरे रगड़ने लगा....सुहानी उसके लंड का स्पर्श पाते ही मदहोश हो उठी....वो भी अपनी कमर ऊपर उठा के अपनी चूत जादा से जादा अविनाश के लंड पे रगड़ने लगी....इस दौरान अविनाश ने अपनी जुबान सुहानी के मुह में डाल दी थी....सुहानी उसे चूस रही थी.... पाच मिनट तक वो एक दूसरे को ऐसेही किस करते रहे....जब दोनों की सांस उखड़ने लगी तब दोनों ने एक दूसरे अलग हुए....

सुहानी:- पापा...प्लीज़ हटिये ना ऊपर से....

अविनाश उसके ऊपर से हट गया और बाजु में लेट गया....दोनों जोर जोर से सांसे ले रहे थे....जब अविनाश नार्मल हुआ वो पलट के सुहानी के चेहरे को अपनी और किया....सुहानी उसकी आँखों में देख रही थी....

अविनाश:- अब शर्म दूर हुई??

सुहानी:-शर्मा के...नही...

अविनाश:-ह्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह सुहानी स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह

सुहानी:-क्या हुआ??

अविनाश:- कुछ नही....

सुहानी:-पापा....बताईये ना...

अविनाश:-क्या???

सुहानी:- यही ककी आप मेरे बारे में क्या सोचते थे....

अविनाश:- यही जो अभी किया...

सुहानी:- क्या पापा??

अविनाश:- किस....

सुहानी:- और....

अविनाश:-और?? तुम्हे जानना है?? शरमाओगी तो नही फिर से??

सुहानी:- नही...

अविनाश:- पक्का??

सुहानी:- हा....

*अविनाश:- ओह्ह्ह सुहानी....जब से तुम्हे उन कपड़ो में देखा था तबसे ....तुम्हे एक बार फिर से वैसेही देखना चाहता था....मैं तुम्हारे जिस्म का दीवाना हो गया था....मैं सोचता था की काश मैं तुम्हारे नंगे जिस्म को एक बार छु सकु .....चूम सकु....

सुहानी:-स्सस्सस पापा....

सुहानी सबकुछ उसकी आँखों में देखते हुए सबकुछ सुन रही थी....

अविनाश:-मैं सोचता था की तुम्हारी ये गोल गोल बड़ी सी चुचियो कको ऐसे दबाउ...अविनाश सुहानी की आँखों में देखते हुए उसकी एक चूची के ऊपर हाथ रखा और धीरे से दबाया......और अपना चेहरा सुहानी चेहरे के पास ले गया।

सुहानी:- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म ....सुहानी के मुह से सिसकारी निकल गयी...सुहानी ने उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया

अविनाश:-पहले धीरे धीरे सहलाऊँ एक एक करके और फिर इन्हें थोडा जोर से स्स्स्स्स्स्स्स

सुहानी:-अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्सस्सस्सस पापा धीरे उम्म्म्म्म्म्म्म

अविनाश:-स्सस्सस्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह क्या मस्त चुचिया है अह्ह्ह्ह्ह किसी हेरोइन की भी नही होगी ऐसी अह्ह्ह्ह्ह

अविनाश धीरे से उसे किस करने लगा और साथ में चुचिया दबाने लगा....उसने अपना हाथ टॉप के अंदर डाला और चुचियो को थोडा जोर से भींचने लगा...सुहानी को दर्द का अहसास हो रहा था....

सुहानी। ने किस तोडा...

सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् दर्द होता है उम्म्म्म्म धीरे कीजिये न.....

अविनाश:-सॉरी...वो कण्ट्रोल नही होता...स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह टॉप निकालो न...

सुहानी:- नहीं...मुझे शर्म आती है...

अविनाश:- जी भर के देखना चाहता हु इन्हें अह्ह्ह्ह
Reply
02-03-2019, 11:58 AM,
#38
RE: Indian Sex Story बदसूरत
अविनाश ने सुहानी के जवाब का इंतजार किये बगैर उसका टॉप ऊपर करते हुए निकाल दिया...सुहानी ने शरमा के अपनी चुचिया अपने हाथो से छिपा ली....अविनाश आगे हुआ और सुहानी की आँखों में देखते हुए उसके हाथ हटाने लगा...

अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह सुहानी हटाओ ना अपने हाथ....उफ्फ्फ्फ्फ्फ

सुहानी:- नो पापा प्लीज़ अह्ह्ह्ह्ह

अविनाश ने थिंदा जोर दिया और सुहानी का हाथ हटा दिया....सुहानी की आँखे बंद हो गयी...अविनाश उसकी चुचियो को देख पागल सा हो गया.....सावले रंग की गोल मटोल चुचियो कोंदेख अविनाश से रहा नही गया उसने धीरे अपना हाथ उसकी चुचियो पर घुमाया...अपनी उंगिलयों से उसके बड़े काले निप्पल को को सहलाया और धीरे से उसे पकड़कर दबाया....

सुहानी:-स्स्साहह्ह्...

सुहानी के मुह से हलकी सी सिसकारी निकली....

अविनाश ने फिर धीरे से उसकी एक निप्पल को मुह में लिया और चूसने लगा....अपनी जुबान से उसके साथ खेलने लगा....और दूसरी चूची को दबाने लगा...सुहानी उसके बालू में से हाथ घुमाने लगी...कभी कभी बिच में उसका सर अपनी चुचियो पे दबा देती....अविनाश बारी बारी से उसकी चुचियो को चूसा और मसला....सुहानी को बहोत मजा आ रहा था....उसके मुह से स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह उम्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मर गयी आह्ह्ह्ह ऐसी आवाजे निकल रही थी.....

अविनाश ककाफि देर तक उसकी चुचियो का रसपान करता रहा.....फिर सुहानी को देखा...और फिर उसे किस करने लगा...

अविनाश:-सुहानी अह्ह्ह्ह स्स्स्स मजा आया?

सुहानी शरमा के आँखे बंद क्र ली...

अविनाश:- बोलो सुहानी....अच्छा लग रहा है ना?

सुहानी :-हा पापा.....बहोत अच्छा लग रहा है....

अविनाश:- मजा आ रहा है??

सुहानी:-स्सस्सस्सस हा बहोत उम्म्म्म्म

अविनाश:- मुझे भी उम्म्म्म्म्म...इतना मजा कभी नही आया...स्सस्सस्स *

अविनाश ने फिर से उसे किस किया...और फिर धीरे धीरे उसके गले पे चूमने लगा...फिर धीरे धीरे उसे चूमते हुए निचे जाने लगा...सुहानी जानती थी अविनाश अब क्या करने वाला है...उसकी जान तो जैसे हलक में अटक सी गयी थी...अविनाश सुहानी ककए सपाट पेट को चूम रहा था...उसकी नाभि में जुबान डाल के उसे चाटने लगा....सुहानी का हाल बेहाल हो रहा था...अविनाश से भी अब रहा नही जा रहा था...वो धीरे से उसको सलवार को निचे करके उसकी चूत के ऊपर वाले पेट को चूमने लगा....सुहानी *अविनाश को रोकने लगी....अविनाश ऊपर आया...

अविनाश:- क्या हुआ सुहानी??

सुहानी:- कुछ नही...

अविनाश:- फिर रोक क्यू रही हो??प्लीज़ मत रोको मुझे आज...

सुहानी:-क्यू पापा??

अविनाश:-जो सोचता था आज सच में करने का मौका मिला है...छु लेने दो मुझे आज तुम्हे जी भर के...चूम लेने दो तुम्हारे पुरे जिस्म को....स्स्स्स्स् *अह्ह्ह्ह तुम्हारी चुचियो का रस तो पि चूका हु...अब मैं तुम्हारी...सुहानी....मैं अब ...तुम्हारी इस चूत का रस चखना चाहता हु.....अविनाश ने उसकी चूत को सलवार के ऊपर से सहलाया....

सुहानी:-उफ्फ्फ्फ्फ्फ पापाssssssssssssss

अविनाश के मुह से चूत शब्द सुन के सुहानी पागल सी हो गयी....उसकी उत्तेजना सातवे आसमान पे चली गयी...

अविनाश:- हा सुहानी.... मैं तुम्हारी इस चूत को देखना चाहता हु....उसे चूमना चाहता हु...उसे चाटना चाहता हु....और फिर...और...

अविनाश एक झटके में ये सब बोल गया...लेकिन आगे बोलते वक़्त उसका गला सुक्ख गया....

सुहानी:-स्स्स्स्स् पापा....मत बोलो ये सब उफ्फ्फ्फ्फ्फ मैं पागल हो जाउंगी....

अविनाश:-सुन के इतना अच्छा लग रहा है जब करूँगा तो क्या करोगी??

सुहानी:- स्स्स्स नो...नही प्लीज़....हटिये मुझे सोने दीजिये...

अविनाश:-अपनी चूत इस गीली चूत की आग ठंडी किये बिना सो पाओगी??

सुहानी:-अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स हाथ हटाइये उफ्फ्फ्फ्फ़ और ये सब मत बोलिये....

अविनाश:-क्या नही बोलू...चूत ??

सुहानी:-स्स्स्स बंद कीजिये प्लीज़...

अविनाश:-लेकिन मैं तो खोल चूका हु...

अविनाश ने बातो बातो में सुहानी के सलवार का नाडा खोल चूका था...और अपना हाथ उसके अंदर डाल के चूत पे रख दिया था....

सुहानी:-स्स्स्स्स्स्स्स पापा मत कीजिये अह्ह्ह्ह्ह्ह

सुहानी ने अविनाश का हाथ पकड़ लिया....

अविनाश:-स्स्स्स्स्स्स्स सुहानी कितनी गरम है स्सस्सस्स और कितनी गीली हो रही है उम्म्म्म्म्म

सुहानी:-अह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ हाथ निकालिये स्सस्सस्सस मत कीजिये....

अविनाश:- तुम बोल रही हो मत करो...लेकिन तुम्हारी चूत तो कह रही है और करो....

सुहानी:-ऐसा कुछ नही कह रही है....

अविनाश:- कह रही है...वो कह रही है मुझे छुओ...मुझे चाटो...चूसो....और...

सुहानी:-और....

सुहानी बेकाबू हो रही थी....

अविनाश:-और....और वो कह रही है की मुझे चोदो....अपना लंड डाल के मुझे खूब चोदो.....

सुहानी:-स्सस्सस्सस्सस्सस्सस नही....उफ्फ्फ्फ्फ्फ*

अविनाश:-स्स्स्स्स् हा सुहानी उसे मेरा लंड चाहिए स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म

सुहानी:- चुप बैठिये ......और हटिये...मुझे बाथरूम जाना है...

अविनाश उसे छोड़ना नही चाहता था क्यू की वो बहोत उत्तेजित थी.....लेकिन उसे सुहानी को छोड़ना पड़ा...

सुहानी उठी उसने अपना टॉप पहना और सलवार का नाड़ा बाँध लिया...


सुहानी बाथरूम चली गयी...

अविनाश बिस्तर पे अपना लंड मसलते हुए पड़ा रहा....

थोड़ी देर बाद सुहानी बाथरूम से बाहर आयी...उसने लाइट ऑन किया...

अविनाश :- क्या हुआ सुहानी???

सुहानी:- आपको अँधेरे में सिर्फ मेरा जिस्म दिखाई दे रहा था....सोचा लाइट ऑन करके एक बार अपना चेहरा दिखा दू...

सुहानी की आवाज में ग़ुस्सा साफ साफ़ झलक रहा था...अविनाश को समझ नही आ रहा था की अचानक सुहानी को क्या हो गया...वो बस उसे देखे जा रहा था...जो लड़की कुछ देर पहले उसकी बाहो में थी...उसे वो सब ख़ुशी ख़ुशी करने दे रही थी और अब अचानक।उसे क्या हो गया...

सुहानी:- क्या देख रहे हो पापा?? चलिए उठिए और अपने कमरे में जाइए...

अविनाश:- क्या हुआ सुहानी??ऐसे क्यू बोल रही हो...??

सुहानी:- आपको क्या लगता है?? ये सब आप जो कर रहे थे वो आप कर रहे थे...नही...ये सब मैं आपसे करवा रही थी....जिस लड़की को आपने कभी नजर भर देखा तक नहीं...क्या कारण था?? क्यू की वो बद्सुरत थी...लेकिन जब उसका जवान जिस्म देखा तो वो आपको अच्छी लगने लगी...आपके मन में जो प्यार उमड़ रहा है ना...वो प्यार नही हवस है...

अविनाश:- ऐसा मत बोलो सुहानी...अविनाश खड़ा हुआ और सुहानी को पकड़ना चाहा...

सुहानी:- दूर रहिये मुझसे....और चले जाइए...

अविनाश:- मेरी बात तो सुनो...

सुहानी:- कुछ नही सुनना मुझे...ये सब मैंने आपको सबक सिखाने के लिए किया...और अब एक पल भी यहाँ रुके तो मम्मी को फ़ोन करके बताउंगी की आप मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिस ककर रहे हो....

अविनाश को कुछ समझ नही आ रहा था...वो चुप चाप उस कमरे से निकल गया...

सुहानी घुस्से से काँप रही थी...वो धड़ाम से बेड पे गिर पड़ी...और फिर फुट फुट कर रोने लगी....


क्या हो गया था सुहानी को?? अविनाश के साथ इतना आगे बढ़ने के बाद वो एकदम से पीछे क्यू हट गयी थी...

और फिर अब वो इसतरह क्यू रो रही थी??

बहोतसे सवाल थे...लेकिन जवाब सिर्फ सुहानी जानती थी....
Reply
02-03-2019, 11:59 AM,
#39
RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी बिस्तर पर लेटे लेटे फुट फुटकर रो रही थी....इतने दिनों से जो मन में दबा हुआ था आज सब आंसुओ के रूप में बाहर आ रहा था....वो उस दिन को याद करने लगी जब वो उस होटल में बैठ के समीर का इन्तजार कर रही थी...बार बार उसे फ़ोन कर रही थी। लेकिन वो नहीं आया..कितने अरमान लेके गयी थी वो वहा...लेकिन सब चकनाचूर हो गए थे...आज उसने अविनाश के अरमानो को उसके चाहत को उसके सपने ठुकरा के उसे राहत महसूस हो रही थी। आज उसने अविनाश को उस सिचुएशन में पहोंचा दिया था जिसमे वो उस दिन थी....लेकिन वो भूल गयी थी की समीर ने जो उसके साथ किया था उसे कोई हक़ नहीं बनता था की वही वो अविनाश के साथ करे....लेकिन ये भी सही था की वो अविनाश को और समीर को एक ही पलड़े में रख के सोच रही थी....अविनाश भी तो उससे वैसेही पेश आता था....आज उसने अविनाश को ऐसा झटका दिया था की वो अब जिंदगी में कभी किसी के साथ भी ऐसा व्यवहार नही करेगा....सुहानी रट हुए और ये सब सोचते हुए सो गयी थी.....


लेकिन इधर अविनाश के आँखों से नींद गायब थी....पहले तो उसे बहोत ग़ुस्सा आ रहा था...वो अपने कमरे में इधर से उधर ग़ुस्से में घूम रहा था और सिगरेट पे सिगरेट पि रहा था....उसे सुहानी की बाते याद आ रही थी की उसके मन में सिर्फ और सिर्फ हवस थी...लेकिन वो ये सोच रहा था की उसे बढ़ावा भी तो सुहानी ने ही दिया था...अब ये तो नार्मल था की कोई लड़की किसीको आकर्षित करे और मर्द उसकी और आकर्षित हो ही जाता है...उसमे उसकी गलती कहा है....पर वो इस बात को साफ़ साफ़ भूल गया था की उसने बचपन से लेके अब तक सुहानी के साथ क्या क्या किया था....

अविनाश:- मुझे उसे छोड़ना ही नही चाहिए था एक बार उसकी चूत में लंड डाल देता तो क्या कर लेती वो....

अविनाश एकदम से चौका....उसे ख़याल आया की वो क्या सोच रहा है....वो धड़ाम से बेड पे बैठ गया....


अविनाश:- मैं ये क्या सोच रहा हु?? इसका मतलब की सुहानी सच बोल रही थी मेरे मन में उसके लोए सिर्फ हवस थी....आज उसने अपने जिस्म के साथ इतना खेलने के बावजूद कुछ करने नही दिया तो मेरे मन में सिर्फ यही ख्याल आ रहा की उसे चोदना चाहिए था...मतलब की मैं सिर्फ उसके प्रति जोनप्यार जता रहा था वो सिर्फ और सिर्फ उसे चोदने के इरादे से...उफ्फ्फ कितना गिरा हुआ इंसान हु मैं....सही पहचान सुहानी ने मुझे...और आज मैंने खुदकु पपहचां लिया...


उसे वो सब याद आने लगा कैसे वो बहाने ढूंढता था उसके नजदीक जाने के...यहाँ तक की नीता हूस्पिटल में थी बीमार थी फिर भी वो सुहानी के साथ वो सब कर रहा था....


अविनाश:- सच में अगर मेरे मन में उसके लिए बेटी वाला प्यार आता तो मैं उसके साथ ऐसी हरकत करने के बारे में नही सोचता....हे भगवान्....मुझसे क्या हो गया....कितना नीच इंसान हु मैं....

अविनाश ये सब सोच के रोने लगा....उसे आज सही मायने में पछतावा हो रहा था....


अविनाश:- मैंने तो उसके बदन को छूने के लिए उन लम्हों का भी सहारा लिया जो सच में एक बाप बेटी के अनमोल होते है...अपने बेटी को गोद में उठाना उसे अपनी बाहो में सुलाना...और मैं वासना में अँधा...उफ्फ्फ्फ़ क्या हो गया मुझसे...सही किया सुहानी ने मेरे साथ...आज अगर वो ऐसा नहीं करती तो मुझे कभी अहसास नहीं होता की मैंने अपनी जिंदगी में कितनी गलतिया की है....आजतक किसी भी बाप ने अपनी बेटी के साथ ऐसा नही किया होगा....बड्डसुरत होना उसकी गलती कभी भी नही थी...लेकिन उसकी सजा मैंने उसे हर रोज दी है...क्या महसूस होता होगा उसे जब वो दुसरो के पापा को अपनी बेटी के साथ देखती होगी....उफ्फ्फ्फ़ ये मुझसे क्या हो गया ...मैं तो अब उससे माफ़ी मागने के लायक भी नही रहा....

अविनाश पछतावे की आग में जल रहा था....उसके आँखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे....


अगले दिन सुबह सुहानी बहोत देर तक सोती रही....अविनाश नीता और सोहन को हॉस्पिटल लेने अकेला ही चला गया था...उसमे अब हिम्मत नही थी की वो सुहानी का सामना कर सके....


सुहानी जब उठी तो उसने देखा नीता और सोहन आ चुके थे...अविनाश ऑफिस के लिए निकल चूका था....सुहानी नीता से मिली...उसके साथ थोड़ी बाते की और वो तैयारी कर के ऑफिस चली गयी....लेकिन उसके दिमाग में रात वाली घटना अब भी चल रही थी....

एक तरफ उसे सुकून मिला था की उसने अविनाश कको सबक सिखाया लेकिन दूसरी और उसे अब लग रहा था की उसने जो किया मतलब की अविनाश के साथ इतनी नजदीकियां बढ़ाना...ये गलत था...

सुहानी:- पापा आज मेरे सामने तक नही आये...न आये मुझे कोई फरक नही पड़ता...और अच्छा ही है ...लेकिन मैंने कुछ जादा ही कर दिया...मुझे उनके इतने नजदीक नहीं जाना चाहिए था...मैं करती भी क्या उनके छूने से मैं बहक जाती थी...मन में कितना भी क्यू न हो की ये सिर्फ उनको सबक सिखाने के लिए नाटक है लेकिन जब वो सारी चीजे आपके साथ होने लगती है तो थोडा बहक जाना स्वाभिविक है...छोडो ...मैं इतना क्यू सोच रही हु...पता नही पापा पे इसका असर हुआ है या नहीं...मुझे तो अब सोहन को सबक सिखाना है...उसे भी तो पता चले की मेरे साथ ऐसा बिहेव करना कितना महंगा पड़ता है....सुहानी के मन में ये ख्याल आते ही उसका मन फिर से ग़ुस्से से भर गया....


सुहानी का ऑफिस जब ख़त्म हुआ और वो जब घर जाने के लिए निकली...तो उसने देखा की अविनाश उसकी कार के पास आके रुक हुआ था.....उसे देख के सुहानी के कदम जगह पर रुक गए...उसे थोडा डर भी लगा...अविनाश ने सुहानी को देखा तो वो थोडा आगे बढ़ा...सुहानी उसको अपनी और आते देख इधर उधर देखने लगी...की कोई पहचान का तो नहीं है..पता नहीं अविनाश क्या करेगा...

अविनाश:- सुहानी...तुमसे थोड़ी बात करनी थी इसलिए यहाँ आ गया...

सुहानी ने एक बार उस्किन्तरफ ग़ुस्से से देखा।

सुहानी:- मुझे आपसे कोई बात नही करनी...और यहाँ कोई तमाशा मत कोजीए...

अविनाश:- बस 5 मिनट शांति से मेरी बात सुनलो..मैं दुबारा तुमसे कोई बात नही करूँगा..

सुहानी:- ठीक है सिर्फ 5 मिनट...या आईये हम साथ घर चलते है..बैठिये कार में...

अविनाश और सुहानी कार में बैठ गए...सुहानी उस्किन्तरफ देख नहीं रही थी।

अविनाश:- सुहानी मुझे पता है मैंने तुम्हारे साथ बहोत गन्दा सुलूक किया है...मैं माफ़ी के लायक तो बिलकुल भी नहीं...और तुमने जो किया वो सही किया....मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं...और ग़ुस्सा तो बिलकुल भी नही...बल्कि ग़ुस्सा मुझे खुद पे आ रहा है...लेकिन अब जो वक़्त बीत गया है मैं उसे वापस नही ला सकता...

सुहानी को ये एक्सपेक्ट नहीं था...उसे लगा की अविनाश बहोत ग़ुस्से में होगा...उसे लगा की जैसा अविनाश का स्वाभाव है उससे तो अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल था की अविनाश क्या करेगा लेकिन वो सब के लिए तैयार थी...लेकिन अविनाश को ऐसे देख के उसे थोडा अजीब लगा...

सुहानी:- इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता...सुहानी ने थोडा रुडली जवाब दिया।


अविनाश:- जनता हु...मैं बस तुमसे एक ही रिक्वेस्ट करना चाहता हु की नीता को ये सब बाते पता ना चले...क्यू की अगर उसने देखा की हम दोनों फिरसे एक दूसरे से बात नही कर रहे तो पता नहीं वो क्या क्या सोचे...बस मैं ये चाहता हु की घर पर हम थोडा नार्मल ही रहे तो अच्छा रहेगा...


सुहानी:- पता नही...लेकिन मुझे नही लगता की मुझसे अब ये होगा...

अविनाश:- मुझे पता है..बहोत मुश्किल है...लेकिन सिर्फ 15 दिनों की बात है...मैंने अपने एक साथ में काम करने वाले दोस्त की ट्रान्सफर खुद ले ली है...15 दिनों में मैं यहाँ से चला जाऊँगा...

सुहानी:-क्या?? आपकी हिम्मत कैसे हुई?? खुद तो हमेशा मुझसे दूर रहे अब मम्मी को भी मुझसे दूर करना चाहते हो...

अविनाश:- इसके सिवा कोई दूसरा रास्ता नजर नही आया...मैं तुम्हारे सामने ऐसे नही रह सकता...मेरा गिल्ट कही मुझे मार ही ना डाले...प्लीज़ सुहानी...


सुहानी ने एक बार अविनाशबकि तरफ देखा उसने आज पहली बार सच में उसके चहरे पे गिल्ट देखा था...उसे उसकी बाते सच लगी...

सुहानी:- ठीक है मैं कोशिस करुँगी...


अविनाश:- सुहानी एक बात और...कभी तुम्हे लगे की तुम मुझे माफ़ कर सको तो...


सुहानी ने उसककी तरफ देखा तो अविनाश ने अपनी नजरे झुका ली।


सुहानी:- पता नहीं...मैं अब ये सब नही सोचती...


सुहानी मन में कहि थोड़ी पिघल गयी थी...उसे अविनाश ने आज जो भी बोला था वो सब सच और दिल से कहि बाते लग रही थी।


वो घर पहोंच गए थे। दोनों कार से निकल कर अपने कमरे में चले गए।


15 दिन युही बीत गए....अविनाश और सुहानी के बिच कुछ झगड़ा या कुछ हुआ है इस बात का अहसास सोहन और नीता को नही हुआ...सुहानी काम का बहाना बना के जादा से जादा टाइम अपने कमरे में रहती...अब सुहानी का ग़ुस्सा थोडा ठंडा हो चूका था...इसबीच उन दोनों में दिखावे के लिए बातचीत होती थी...अविनाश और सुहानी के लिए वो बहोत मुश्किल था...एक के मन में ग़ुस्सा था और दूसरे के मन में पछतावा....


अविनाश का ट्रान्सफर आर्डर आ चूका था...वो नीता को लेके दूसरे शहर चला गया...नीता भी साथ में चली गयी...सुहानी को नीता के बिना रहने की आदत नही थी...उसे बहोत बुरा लग रहा था...उसे लग रहा था की अविनाश को कह दे की ट्रान्सफर कैन्सल कर दे लेकिन वो ऐसा नही कर पायी।

इधर सोहन बहोत खुश था क्यू की उसे अब रोकने वाला कोई नही था...सुहानी को तो वो ऐसे भी नही गिनता था....लेकिन उसे नही पता था की आगे उसके साथ क्या होने वाला था....


देखते देखते 15 दिन और बीत गए...नीता और अविनाश दूसरे शहर सेटल हो गए थे....सुहानी को भी अब आदत हो गयी थी...लेकिन सोहन अब और आवारा हो गया था...कभी भी घर पे आना...या कभी बाहर ही रहना...

जब नीता उनसे मिलने आई तो सुहानी ने उसे सोहन के बारे में बताया....नीता और अविनाश ने उसपे बहोत ग़ुस्सा किया...सोहन ये दलह सुहानी से और भी खफा हो गया...सुहानी इस दौरान अपने एक नए प्रोजेक्ट पे काम कर रही थी...इसलिए उसे बहोत कम टाइम मिलता था बाकी कुछ सोचने का...


उसका प्रोजेक्ट अब पूरा हो चूका था....जिस दिन उसका प्रोजेक्ट पूरा हुआ उस दिन उसके बॉस ने एक पार्टी राखी थी। सुहानी उस पार्टी में गयी...उसने एक रेड कलर का टाइट फिटिंग वाला गाउन पहना था। सुहानी उस ड्रेस में बहोत सेक्सी लग रही थी। सब लोग पार्टी एन्जॉय कर रहे थे। सुहानी अपने कलीग से बाते करते हुए खड़ी थी। तभी उसके ऑफिस में काम करने वाला उसका एक जूनियर आया और सुहानी को प्रोजेक्ट पूरा होने की बधाई देने लगा....

जूनियर:- हेल्लो मॅम मैं करण...आपका जूनियर हु...पता नहीं आप मुझे जानती हो भी या नहीं...

सुहानी:- जानती हु ओफ्कोर्स....

करण:- वो मॅम आप से कभी बात नहीं होती...इसलिए...

सुहानी:- तो बात क्यू नही करते??

करण:- डर लगता है...आप बहोत स्ट्रिक्ट हो ना...

सुहानी:- हस्ते हुए...किसने कहा??

करण:- सभी कहते है...आप अपने काम में बिजी रहते हो ...किसीसे बात नही करते जादा...

सुहानी:- तो इसका मतलब मैं स्ट्रिक्ट हु?? एक्चुअली मुझसे कोई बिना काम के बात नही करता...इसमें मैं क्या कर सकती हु??

करण:- वो मॅम आप का वर्क के लिए पैशन देख के मैं बहोत इम्प्रेस हुआ हु आपसे...आप बहोत इंटलिजेंट और हार्ड वर्किंग हो...इंस्पिरेशन हो मेरे जैसे जूनियर के लिए...

सुहानी:- पहली बात...मुझे मॅम मत बोलो...एयर दूसरी बात मैं तुमसे सिर्फ 6 महीने पहले इस कंपनी में काम कर रही हु...

करण:- यही तो खास बात है मॅम...की इतने आईएम टाइम में आपको इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिला और आ0ने उसे कम्पलीट भी कर लिया...

स7हानि:- बीएस करो मेरी तारीफ....

करण:- सॉरी...वो मैं थोडा नर्वस फील कर रहा था...सब ने कहा था की आप ...मेरा मतलब है की...

सुहानी:- ह्म्म्म्म अब तो समझ आ गया ना...

करण:- हा...मॅम क्या आप मेरे साथ डांस करेंगी??

सुहानी:- मुझे डांस नही आता...

करण:- कोई बात नही..मैं सिख दूंगा...आसान है..

सुहानी:- अरे भाई जाओ..खूबसूरत लडकिया है कितनी सारी उनके साथ डांस करो...

करण:- प्लीज़ मॅम...


करण सुहानी को बिनती करने लगा तो सुहानी को डांस करना ही पड़ा।


सुहानी पहली बार किसी के साथ डांस कर रही थी। सुहानी को करण ने कमर से पकड़ रखा था...सुहानी को बहोत दिनों बाद कोई मर्द छु रहा था...भले ही करण का इंटेंशन गलत नही था पर सुहानी एक प्यासी लड़की थी...जिसका जिस्म चुदाई के लिए तरस रहा था...करण का छूना उसे अविनाश के साथ हुए बातो को याद दिलाने लगा....उसने झट से करन को दूर किया...और कहा की उसे और डांस नही करना...पार्टी खत्म हई...सुहानी घर पे आयी...अब सोहन और सुहानी के पास अपनी अपनी चाबियां थी...सुहानी ने दरवाजा खोला और अंदर आ गयी...सोहन अपने कमरे में था...सुहानी अपने कमरे में गयी और चेंज करके बेड पे लेट गयी....


सुहानी सोचने लगी....

सुहानी:- आज पार्टी में करण के छूने से अजीब सी हलचल मच गयी...पापा के साथ वाले वो पल याद आ गए...चाहे भले ही वो मैंने नाटक किया था...पर बहोत बार बहक गयी थी मैं...ह्म्म्म लेकिन अब क्या?? पापा को तो अहसास दिला दिया...अब सोहन को कैसे फसाउ?? एक तो वो कॉलेज जाता है...उसकी गर्लफ्रेंड भी होगी...तो फिर अगर मैं उसे अ0न जिस्म दिखाउंगी भी तो उसे शायद ही कोई फरक पड़े या वो देखे भी ना...और वैसे भी वो रहता कहा है घर पे...मेरा और उसका टाइमिंग भी तो बहोत अलग है...जब मैं जाती हु वो भी जाता है...मैं जब आती हु वो अ0ने कमरे में रहता है...उसे कोई लेना देना नही है मुझसे...बस वो सिर्फ मेरा बनाया हुआ खाना खाता है...सुबह सिर्फ 10 मिनट के लिए मिलते है हम और वो भी सिर्फ खाना खाता है और निकल जाता है...रात को वो कब आता है पता नही...ममी पापा के डांट के बाद भी नही सुधरा...फिर भी कुछ तो करना होगा....सुहानी सोच में पड़ गयी थी...


सुहानी ये सोच रही थी की सोहन को अविनाश जैसे ही तड़पाएगी लेकिन सुहानी को भी पता था की ये इतना आसान नही था...अविनाश तो फिर भी सेक्स का प्यासा था...लेकिन सोहन जवान था..और सुहानी को ये भी पता नही था की उसकी कोई गर्लफ्रेंड है भी या नही...


लेकिन सुहानी ने तो ठान ली थी की वो सोहन को तड़पा तड़पा के अपनी बे8ज्जति का बदला लेगी....


सुहानी ने एक गलती तो कर दी थी....अब वो दुबारा वही गलती करने जा रही थी...लेकिन उसे नही पता था की इस बार उसे इस गलती की क्या कीमत चुकानी पड़ने वाली थी....
Reply
02-03-2019, 11:59 AM,
#40
RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी ये सोच सोच के परेशान थी की वो सोहन को कैसे रिझाये...क्यू की सोहन उसकी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देता था....सुहानी ने एक दो बार अपने बूब्स दिखने की कोशिस की....एक दो बार जानबुज के उसपे गिरी उसके बॉडी से अपनी बदन रगड़ा लेकिन वो उतयेजित होने की बजाय गुस्सा हो जाता....सुहानी को समझ नही आ रहा था...लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ की सोहन को सुहानी की जरुरत पड़ी और उस चीज का सुहानी को बहोत फायदा हुआ...


तो हुआ यु की सोहन कक रिजल्ट आ गया था...फर्स्ट सेमिस्टर में उसका एक भी सब्जेक्ट नहीं निकला था...सोहन को कॉलेज के प्रिंसिप्ले ने अपने पापा को बुलाने को कहा...लेकिन अविनाश तो अब दूसरे शहर में रहता था...तो सोहन ने सुहानी को फ़ोन किया एयर उसे बुला लिया...सुहानी ने उसी कॉलेज से अपनी डिग्री पूरी को थी और प्रिंसिप्ल सुहानी को जानता भी था और मानता भी था क्यू की सुहानी कॉलेज की टोपर रह चुकी थी....

सुहानी सोहन को लेके प्रिंसिपल के ऑफिस गयी...प्रिंसिपल सुहानी ओ देख के बहोत खुश हुआ...उसने बतया की सोहन फेल हो चूका है....उसका ध्यान बिलकुल भी पढ़ाई में नहीं रहता....सुहानी ने पप्रिन्सिपल से कहा की वो अब सोहन की पढाई का ध्यान रखेगी....प्रिंसिपल ने सोहन को चार बाते सुनाई और फिर सुहानी सोहन को लेके बाहर आ गयी।


दोनों पार्किंग में आके बात करने लगे।

सुहानी:- पापा को पता चला न तो तुम्हारी खाल उधेड़ देंगे। एक सब्जेक्ट नहीं निकाला...क्या करते हो तुम कॉलेज में और घर पे तो अपने रुम में ही रहते हो हमेशा...

सोहन:- पेपर बहोत डिफिकल्ट थे इस बार...

सुहानी:- ये फालतू। *बाते मुझे मत बताओ...और अब से पढाई पे ध्यान दो...तुम्हारी कोई इज्जत नहीं कॉलेज में ये तो आज पता चल गया मुझे लेकिन मेरी है...तुम्हे यहाँ मेरा भाई करके। जानते है सब टीचर...

सोहन:- हा ठीक है लेक्चर मत दो...

सुहानी:- ठीक है नही देती...फिर पापा से सुन लेना...और बाकि तो भगवान् ही जाने क्या क्या होगा...

सोहन सुहानी की बात सुनके थोडा घबरा गया...

सोहन:- सॉरी दीदी ...प्लीज़ पापा को मत बताओ...मैं अब अछेसे पढ़ाई करूँगा...

सुहानी:- नही मुझे कुछ नही पता...वो पापा ही करेंगे जो करना है...


सोहन:- प्लीज़ दीदी...पापा मुझे कॉलेज से निकलवा देंगे....

सुहानी:- थिक् है लेकिन तुम्महारी पढाई ककी तरफ ध्यान मुझे देना पड़ेगा..,और तुम्हे मेरी बात सुननी पड़ेगी....

सोहन:-ठीक है दीदी...

सुहानी:- ठीक है...चलो मुझे ऑफिस जाना है...शाम को *घर पे ही रुकना...कही आवारागर्दी करने चले मत जाना...

सोहन:- ठीक है...


सोहन फंस चूका था...उसके पास सुहानी की बाते मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था....


सुहानी खुश थी की कोई तो बात थी जिसकी वजह से वो सोहन को कण्ट्रोल करने वाली थी।


सुरवात के कुछ दिन सुहानी सिर्फ उसे पढ़ाती रही...सोहन को सुहानी का पढ़ाना अच्छा लगने लगा था क्यू की वो बहोत अच्छेसे समझती थी...उसे अब इंट्रेस्ट आने लगा था और ऊपर से डर भी था...सोहन और सुहानी के बिच अब एक दोस्त टाइप रिश्ता बन गया था....दोनों काफी वक़्त जब घर पे रहते तो साथ ही रहते....सोहन को भी सुहानी के साथ रहना अब अच्छा लगने लगा था....दोनों अक्सर अब साथ में घूमने बाहर जाने लगे थे...सुहानी ने बातो बातो में ये पता कर लिया था की उसकी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं...सोहन की कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी...सुहानी ने देखा की सोहन उसके साथ अब बहोत फ्रेंडली हो गया था....लेकिन सुहानी का जिस्म दिखाने का या उसपे कोई असर ही नहीं हो रहा था...सोहन ध्यान भी नहीं देता था...वो बस अपनी पढाई कर लेता उसे। जो समझना है समझ लेता और चला जाता....सुहानी को समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे..सुहानी को तो शक होने लगा था की कही उसे लड़कियो में इंट्रेस्ट है भी या नहीं.....


लेकिन ऐसा नहीं था...सोहन कब 10th में था तब से ही सेक्स के बारे में उसे बहोत जानकारी थी...दोस्तों से बाते और किताबे देखना...उसे देख के मुठ मारना ये सब जो नॉर्मली लड़को में होता है...लेंकिन वो लड़कियो के मामले में वो थोडा फट्टू था...किसी लड़की से बात करना या उसे पटाने की कोशिस करने में उसकी फटती थी....और यही कारण था की सोहन सुहानी के तरफ भी ठीक से देख नहीं पाता था...उसे डर लगा रहता था को कही वो उसके। अंगो किंतर्फ देखते हुए पकड़ा ना जाय...और सुहानी उसपे गुस्सा ना हो जाय....


सुहानी एक दिन ऑफिस से आने के बाद सीधा नहाने चली गयी..विंटर खत्म हो चूका था...गर्मी काफी बढ़ने लगी थी...सुहानी अब अक्सर ओफ्फुस से आने के बाद पहले नहा लेती फिर खाना बनती....सोहन उस वक़्त घर पर ही था और टीवी देख रहा था...तभी उसके फ़ोन पे नीता का फ़ोन आया...नीता ने उससे बात की और सुहानी को फ़ोन देने के लिए कहा...वो फ़ोन लेके उसके रूम में गया...सुहानी ने उसे बताया की वो अभी नहा रही है वापस फ़ोन करेगी....सोहन ने नीता को बताया और फ़ोन काट दिया लेकिन वो वही खड़ा रहा और सुहानी ने कोई नई किताब लायी थी वो देलहने लगा...सुहानी को नहीं पता था की सोहन वही कमरे में है...वो नंगी ही बाथरूम से बाहर निकली...सोहन ने जब दरवाजा खुलने को आवाज सुनी तो उसने पलट के देखा....सुहानी बिना कपड़ो की नंगी उसके सामने खड़ी थी...उसको उस तरह नंगी देख के वो फ्रीज़ हो गया...सुहानी को भी ये अपेक्षित नहीं था...वो भी कुछ पल के लिए वैसेही खड़ी रही...सोहन सुहानी को ऊपर से निचे देख रहा था...सुहानी ने झट से वापस अंदर गयी और दरवाजा बंद कर लिया...सोहन भी होश में आया और रूम से भाग के हॉल में बैठ गया....सुहानी ने टॉवल लपेटा और एक बार देखा की सोहन है या नहीं एयर फिर बाहर आ गयी....सुहानी ने ये ताड़ लिया था की सोहन ने उसे अच्छेसे देख लिया है...और उसे ये भी पता चल गया था की वो उसे दलह के शॉक था...सुहानी ने कपडे पहने और वो हॉल में चली गयी....


उसने सोहन को देखा...सोहन ने सुहानी को देखा और नजरे घुमा ली।


सुहानी:- बद्तमीज...तुझे समझ नहीं आता क्या??


सोहन थोडा घबरा गया....

सोहन:- वो..दी..दीदी..मैं..मैं...वो..

सुहानी:- क्या मैं मैं कर रहा है...

सोहन:- सॉरी दीदी मैं तो वो बुक देख रहा था...मुझे क्या पता आप ऐसेही नंगे बाहर आ जाओगे...

सुहानी उसकी बात सुनकर खासकर नंगी सुनकर हस पड़ी...

सुहानी:- चुपकर...पागल कही का....चल बता क्या खायेगा??

सोहन ये देख के थोडा नार्मल हुआ ककी सुहानी ग़ुस्सा नहीं है....

सोहन:- जो आप खिला दो खा लूंगा...

सुहानी:- अच्छा...तेरी तो बड़ी डिमांड रहती थी...ये नहीं खाऊंगा वो नहीं खाऊंगा...अब आज क्या हो गया??

सोहन:- वो दीदी आज भूक नहीं है...

सुहानी:- क्यू पेट भर गया क्या....मुझे देखकर...सुहानी लास्ट वर्ड धीरे बोला लेकिन वो सोहन ने सुन लिया....

सोहन:- क्या?? क्या बोला??

सुहानी:- हस्ते हुए...कुछ नही...अब बताएगा या ...

सोहन:- दीदी बना दो ना जो बनाना है...

सुहानी ने जल्दी से खाना बनाया और दोनों ने खा लिया...और फिर सुहानी अपने काम में लग गयी और बिच बिच में सोहन को पढ़ा देती।

*थोड़ी देर बाद दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए....

सोहन जब सोने के लिए अपनी आँखे बंद किया तोनुसके आँखों के सामने सुहानी आने लगी...उसका भीग हुआ नंगा जिस्म उसके नजरो के सामने से हट नही रहा था....


सोहन:- ये क्या हो रहा है...दीदी क्यू मेरे नजरो के सामने आ रही है?? और मेरा ये लंड क्यू खड़ा हो रहा है?? मुझे ऐसा नहींसोचना चाहिए...पर क्या करू आँखे बंद कर रहा हु तो....लेकिन दीदी की फिगर सच में किसी पोर्न स्टार की तरह है....

पोर्न का नाम दिमाग में आते ही उसने मोबाइल उठाया और उसपे पोर्न देखने लगा....ऐसेही एक एक पोर्न देखते देखते उसकी नजर एक एबोनी एक्ट्रेस पे पड़ी...

सोहन:- ह्म्म्म्म ये तो बिलकुल दीदी की तरह ही लग रही है...बिलकुल ऐसेही बूब्स...ऐसेही फिगर....और ऐसीही चूत....उफ्फ्फ्फ्फ़
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