Indian XXX नेहा बह के कारनामे
03-04-2021, 10:07 AM,
#1
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नेहा बह के कारनामे

लेखक - Casinar
दोस्तों, यह कहानी नेहा बहू की है। अब सिर्फ़ अकेली उसकी कहानी तो हो ही नहीं सकती। दर असल जितने लोग उनसे जुड़े हुए हैं किसी भी तरह, यह उन सबकी कहानी है। हाँ मुख्य किरदार नेहा है। तो इसे ट्रेलर समझिए
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उसकी शादी 18 साल की उम्र में रवींद्र से हो गई थी। रवींद्र दूर एक गाँव का था और किसान था, जो अपने बाप और छोटे भाई प्रवींद्र के साथ रहता था। माँ चल बसी थी। रवींद्र के पिता ने उसकी शादी 19 साल की उम्र में ही करवा दिया क्योंकी घर में एक औरत की सख्त जरूरत थी जो घर के काम-काज कर सके और घर संभाल सके।

रवींद्र एक बहुत अजीब तरह का लड़का था जो किसी से कभी बात वगैरह नहीं करता था और अपने आप में गम, खामोश, खोया रहता था। उसको एक किश्म की दिमागी प्राब्लम थी। दिमाग के अंदर की नसों में कुछ गड़बड़ था। कभी-कभी एक दौरा जैसा पड़ता था मगर खतरे वाली बात बिल्कुल नहीं थी। जब उसको किसी मुश्किल का सामना करना पड़ता था तो उसके हाथ और उंगलियां थरथराने लगते थे और साथ में उसका सर भी हिलने लगता था और उसके पशीने छूटते थे।

उसका वो रोग देखने परिवार की औरतें आती हैं। अब क्योंकी रवींद्र की माँ नहीं थी तो रिश्तेदारों में जो भी
औरतें थी उन्होंने यह काम किया।

रवींद्र के पिता पहले से ही दुविधा में थे, यह सोचकरके की पता नहीं रवींद्र सुहागरात सही से मना पाया या नहीं... क्योंकी उसको तो पता था की उसका बेटा ऐसे मौकों पर थरथराने लगता है और अपने आप में खुद को बंद कर लेता है। पिता को डर था की औरतें कहीं कमरे से वापस आकर यह ना कहें की खून नहीं है चादर पर। रवींद्र के पिता ने याद किया की जिस दिन नेहा को पहली बार देखने के लिए रवींद्र को गाँव ले गया था तो किस तरह से रवींद्र काँपने लगा था, जब नेहा उसको काफी सर्व करने आई थी। पिता को और रिश्तेदारों को रवींद्र के रोग के बारे में पता था।

मगर सब यही कहते थे की एक बार उसकी शादी हो जाएगी तो रोग गायब हो जाएगा। सबका यही खयाल था की शादी के बाद उसकी थरथरी, कंपन, पशीने का छटना सब खतम हो जाएगा।
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03-04-2021, 10:07 AM,
#2
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
सुबह को उसके कमरे से औरतें वापस आई तो पता चला की उनके बिस्तर के चादर पर कहीं एक कतरा खून भी नहीं दिखाई दिया। बाद में पूछताछ के बाद पता चला की रवींद्र ने सेक्स ही नहीं किया नेहा के साथ, वो नेहा की तरफ पीठ करके सोया रात भर।

औरतों ने नेहा से बात किया। सबने नेहा को समझाया- “की उसे अपने पति को रिझाना चाहिए उसको अपनी तरफ खींचना चाहिए वगैरह-वगैरह..."

खैर, दिन गुजरते गये मगर कुछ भी नहीं हुआ, रवींद्र और नेहा के बेडरूम में। सुहागरात अब भी बाकी था। शादी के एक हफ्ते के बाद से रवींद्र के पिता खुद बिस्तर चेक करने जाता था, जब नेहा नहाने चली जाती थी तब। यह काम रवींद्र की एक फूपी ने सौंपा था उसको और कहा था की जिस दिन खून दिखे उसको खबर करने को ताकी वो रस्मों को पूरा करने के लिये कुछ औरतों को लेकर आए।

अब छोटे भाई प्रवींद्र को सब पता था की क्या माजरा है। उसको पता था की उसके बड़ा भाई ने सुहागरात नहीं मनाई है, हालांकी एक हफ़्ता गुजर गया था। अब प्रवींद्र उस सिचुयेशन को सोचते हुए अपने दिमाग में गंदे खयालात पालने लगा था। खुद से कहता रहता- “काश मुझको ही एक रात के लिए भाई बुला ले अपने बेडरूम में तो भाभी की चादर को मैं ही लाल कर दूं और भाई क्रेडिट ले जाए। काश ऐसा हो सकता?” प्रवींद्र भी 18 साल का था, बिल्कुल अपनी भाभी नेहा का हम-उम्र।

नेहा एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी। ना और पतली, ना मोटी, पतली कमर, फिगर बिल्कुल कमला की थी, गोरा रंग, जान लेवा मुश्कुराहट, उससे भी और कातिलाना आँखें, आवाज तो ऐसी की कानों में शहद घुल जाए। कोई भी मर्द उसपर जान निसार कर दे, ऐसी थी नेहा। उसकी अदाएं बहुत आकर्षक थीं। उसको रिझाना आता था
और वो बहुत सेडक्टिव और कामुक दिखती थी। उसके होंठ और आँखें जैसे निमंत्रण दे रही हों। उसकी चूचियां बहत ही नाप तौलकर जैसे बनायी गई हों, ना और बड़ी और ना ही छोटी, जिसे देखकर कोई भी मर्द उसकी तरफ खिंचा चला जाता।

हालांकी कपड़े के अंदर ही क्यों ना हो, नेहा का जिश्म भी जैसे ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया हो। उसकी कमर, गाण्ड, पीठ, गला, सब कुछ जिश्म का हर एक हिस्सा जानलेवा था। 18 साल की उम्र की ऐसी जवान थी वो, जिसमें एक बच्ची और एक औरत भी नजर आती थी। जब वो चाहती थी तो एक कम उम्र की बच्ची की तरह पेश आती, वरना एक औरत की तरह दिखती।

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03-04-2021, 10:07 AM,
#3
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
प्रवींद्र की बहुत ही जल्द नेहा से अच्छी दोस्ती हो गई और दोनों में छेड़खानी भी शुरू हो गई घर में। दोनों एक दूसरे से खुली छेड़खानी करते, अपने पिता और रवींद्र की हाजिरी में भी। हाथों से भी एक दूसरे को मारते, कभी प्रवींद्र नेहा का बाल खिंचता या नेहा कभी मुट्ठी बाँध करके प्रवींद्र को मारती। यह सब पिता और बड़े भाई रवींद्र के सामने भी होता था। उन दोनों को उस तरह से छेड़खानी करते देखकर रवींद्र सोचता की दोनों भाई और बहन की तरह खेलते हैं और पिता भी उसी नजर से दोनों को देखता था।
मगर रवींद्र के पिता को इस बात की बहुत चिंता हो रही थी की नयी बहु घर में आ तो गई मगर अभी तक कँवारी बैठी है। दूसरा हफ़्ता हो गया था। वो हर सुबह उन दोनों के कमरे में जाता और चादर चेक करता मगर किसी भी दिन खून का कोई निशान उसे नहीं मिला। इस तरह धीरे-धीरे एक महीना गुजर गया। उधर से बाकी
तेदार रवींद्र के पिता से हर रोज खेत में उस बारे में बात करते, यहाँ तक की रवींद्र के पिता तंग आ गये और खुद नेहा से बात करने का फैसला किया।

तो एक रात को मौके का फायदा उठाकर रवींद्र के पिता ने नेहा से रवींद्र को रिझाने को कहा। अपने तरीके से उसने नेहा से कहा की वो रवींद्र के करीब जाए, उसको सहलाये, चूमे, उसके जिश्म पर अपना हाथ फेरे वगैरह वगैरह।

नेहा को ससुर से ऐसी बातें सुनकर बहुत ही शर्म आई और उसका चेहरा ऐसा लाल हुआ जैसे अब खून टपक पड़ेगा, उसके गालों से। मगर नेहा समझती थी और उसे पता था की उसको एक प्राब्लम हल करना है, और बहुत और दिन गुजर चुके हैं। वो समझती थी की उसके ससुर ने उसी की भलाई के लिए सब कुछ कहा उससे। दिन, हफ्ते, महीने गुजरते गये।

अब प्रवींद्र नेहा को ठरक भरी नजरों से देखने लगा और उसको अपने बिस्तर पर लेटाने को सोचने लगा। जब भी नेहा नहाने के लिए जाती तो रवींद्र का छोटा भाई, प्रवींद्र अपनी भाभी को किसी ना किसी तरह से झाँकने जाता। अपने पिता के बाहर जाने का हमेशा प्रवींद्र इंतेजार करता और जल्दी से नेहा के साथ में वक्त गुजारता वो। फिर एक दिन प्रवींद्र ने बहुत हिम्मत करके अपनी नेहा भाभी को पीछे से अपनी बाहों में जकड़ा, जब वो नहाने के बाद अपने बालों को सुखा रही थी। एक पल के लिए नेहा को लगा की वो हर रोज की तरह मजाक में छेड़खानी कर रहा था, मगर तुरंत बाद नेहा को झटका लगा, और प्रवींद्र को जोर से धक्का देते हुए ठीक से व्वहार करने को कहा उसको।

मगर प्रवींद्र नहीं माना और नेहा का हाथ पकड़कर उसको अपनी बाहों में जोर से खींचा।

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03-04-2021, 10:08 AM,
#4
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा उसकी बाहों से निकलने के लिए छटपटाने लगी। मगर प्रवींद्र नेहा के गले और गाल पर अपनी जीभ फेरने लगा और नेहा उसकी बाहों से निकलने के लिए मचलने लगी। घर में कोई भी नहीं था, उन दोनों के इलावा उस वक्त। प्रवींद्र ने अपनी भाभी के चेहरे को एक हाथ में पकड़ा और और नेहा को किस करने को कह। पर नेहा ने अपना मुँह बंद कर लिया।

तो प्रवींद्र ने उसके होंठों को चूसा और कहा- “भाभी, तुम बहुत ही गरम हो, मैं तुमको तब से चाहने लगा हूँ, जिस दिन तुम पहली बार इस घर में आई। भैया तुमको खुश नहीं कर सकता, मुझे सब पता है, तो मैं वो काम
पूरा करूँगा अब, क्यों भाभी ठीक रहेगा ना?"

नेहा ने कहा- “मैं पिताजी को सब बताऊँगी, जो कुछ तुमने अभी किया और जो भी तुमने मुझसे कहा.."

प्रवींद्र ने नेहा को छोड़ दिया और जाते हुए मुश्कुराकर कहा- “तुम यह नहीं कर सकती। मुझे पता है की तुम कुछ भी नहीं बताओगी पिताजी को, और मुझे पूरा यकीन है की आखिर में तुम मेरे पास ही आओगी मेरी प्यारी भाभी। और यह मेरा दावा है की तुम खुद सब कुछ बहुत पसंद करोगी मेरे साथ.."
Update 1 - Ravindra & Neha
Usski shaadi 18 saal ki umr mein Ravindra se ho gayi thi. Ravindra door ek gaon ka tha aur kisaan tha, jo apne baap aur chota bhai Pravin ke saath rehta tha. Maa chal bassi thi. Ravindra ke pita ne usski shaadi 19 saal ki umar mein hi karwa diya kyunke ghar mein ek aurat ki sakht zaroorat thi jo ghar ke kaam kaaj kar sake aur ghar sambhaal sake. Ravindra ek bahot ajeeb tarah ka ladka tha jo kissi se kabhi baat vaghaira nahin karta tha aur apne aap mein gum, khamosh khoya rahta tha. Aur ussko ek kissam ki neurological problem tha. Dimaagh ke andar ke nasson mein kuch gadbad tha. Kabhi kabhi ek dauda jeisa padta tha magar bilkool khatre wale baat nahin thi. Jab ussko kissi mushkil ka saamna karna padta tha to usske haath aur ugliyan thartharaaney lagte the aur saath mein usska sar bhi hillne lagta tha aur usske pasine chuthte the. Usse wo rog anuvanshik roop se apni maa dwara virasat mein mili thi. Usski patni (Bahu) ka naam tha Neha. Wo beshak Ravindra se bahot ziada honshiyaar thi. Wo padhi likhi thi. Neha ke pita ne Ravidra se usski shaadi karne ko iss liye raazi hue kyunke Ravindra ke pita ke paas bahot saare zammen the jiss mein ganne ki cultivation hote the, aur usske paas ek 4x4 bhi tha, matlab Neha ke sasur ke paas; aur weh amir log the halaan ke kisaan the. Ab kisaan kia takriban 500 kisaan Ravindra ke pita ke liye kaam karte the khet mein.

Shaadi ki pehli raat ke baad wali subha ko, Ravindra ke taraf ke mahila rishtedaar unn ke bistar ki chaadar ko check karne ke liye gaye, kyunke wahan ek parampara ki tarah follow kiya jaata tha suhaag raat ki pehli subha ko dulhan ki bistar ki safed chaadar dekha jaata tha ke uss par khoon hai ya nahin. Khoon dulhan ki virginity saabit karta tha. Sadiyon se uss gaon mein eisa hi chala ata tha. Aur agar dulhan virgin hote to chaadar par khoon ke dhabe dikhaayi dete. Har nayi naveli dulhan ko bhi iss baat ka pata hota tha ke suhaag raat ki subha ko chaadar dekhne family ke auratein ate hein. Ab kyunke Ravindra ki maa nahin thi to rishtedaaron mein jo bhi auratein the unhon ne yeh kaam kiya subha ko.

Ravindra ke pita pehle se hi duvidha mein the yeh sochkar ke pata nahin Ravindra ne suhaag raat sahi se mana paaya ya nahin kyunke ussko to pata tha ke usska beta eise maukon par thartharaaney lagta hai aur apne aap mein khud ko band kar leta hai. Pita ko darr tha ke auratein kahin kamre se wapas aakar yeh nah kahen ke khoon nahin hai chaadar par. Ravindra ke pita ne yaad kiya ke jiss din Neha ko pehli baar dekhne ke liye usske gaon le gaya tha Ravindra ko, to kiss tarah se Ravindra kaampne laga tha jab Neha ussko coffee serve karnne aayi thi. Pita ko aur rishtedaaron ko Ravindra ki rog ke bare mein pata tha, magar sab yehi kehte the ke ek baar usski shaadi ho jaegi to rog ghaayab ho jaega. Sab ka yehi khayaal tha ke shaadi ke baad usski thartharri, kampan, pasine ka chutthna sab khatam ho jaega.

Subha ko usske kamre se auratein wapas aaye to pata chala ke unn ke bistar ke chaadar par kahin ek katra khoon bhi nahin dikhaayi diya.

Baad mein pooch taj ke baad pata chala ke Pravidra ne sex hi nahin kiya Neha ke saath, ussne Neha se peeth kar ke soya raat bhar.

Auraton ne Neha se baat kiye. Sab ne Neha ko samjhaya ke apne pati ko rijhana chahiye ussko apne taraf khiinchna chahiye vaghaira…..

Khair, din guzarte gaye magar kuch bhai nahin hua Ravindra aur Neha ke bedroom mein. Suhaag raat ab bhi baaki tha. Ek hafte baad Ravindra ke pita khud bistar check karne jaata tha jab Neha nahane chali jaati thi tab. Yeh kaam Ravindra ki ek phoopi ne sompa tha ussko aur kaha tha jiss din khoon dikhe ussko khabar karne ko taake wo rasmon ko pura karne ke liya kuch auraton ko lekar aegi.

Ab chote bhai Pravindra ko sab pata tha ke kia maajera hai, ussko pata tha ke usske bada bhai ne suhaag raat nahin manaayi hai halaan ke ek hafta guzar gaya tha. Ab Pravindra uss situation ko sochte hue apne dimaagh mein gande khayaalaat paalne lage the. Khud se kehta rehta, “Kaash mujhko hi ek raat ke liye bhai bula le apne bedroom mein to bhabi ki chaadar ko main hi laal kardun aur bhai credit le jaye kaash eisa ho sakta.” Pravindra bhi 18 saal ka tha bilkool apni bhabi Neha ka humumar.

Neha ek bahot hi khubsurat ladki thi. Na ziada patli, na moti, patli kamar, figure bilkool kamaal ki thi, gora rang, jaan lewa muskuraahat, uss se bhi jiada kaatilaana enkhen, awaaz to eisi ke kaanon mein shehed ghul jaye. Koyi bhi mard uss par jaaan nisaar karde, eisi thi Neha. Usski adaaein bahot attractive thi. Ussko rijhana ata tha aur wo bahot seductive aur sensual dikhti thi. Usske honth aur enkhen jeise invitation de rahe hon! Usske breasts bahot hi naap taul kar jeise banaya gaya ho, na ziada bada aur nah hi chota jisse dekh kar koyi bhi mard usske taraf khinncha jaata halaan ke kapde ke andar hi kyun na ho! Neha ka jism bhi jeise upar wale ne bade fursat se banaaye ho, usski kamar, gaand, peeth, gala, sab kuch jism ke har ek hissa jaan lewa tha. 18 saal ki umar ki eisi jawaan thi wo jiss mein ek bachchi aur ek aurat bhi nazar ate the. Jab wo chahti thi to ek kum umar ki bachi ki tarah pesh ati varna ek aurat ki tarah dikhti.

Pravindra ki bahot hi jald Neha se achchi dosti ho gayi aur donon mein ched chaani bhi shuru ho gayi ghar mein. Donon ek dusre se openly ched chaani karte! Apne pita aur Ravindra ke haziri mein bhi. Haathon se bhi ek dusre ko maarte, kabhi Pravindra Neha ka baal khiinchta ya Neha kabhi muthi bandh karke Pravindra ko maarti. Yeh sab pita aur bade bhai Ravindra ke saamne bhi hota tha. Unn donon ko uss tarah se ched chaani karte dekh kar Ravindra sochta ke donon bhai aur behen ki tarah khelte hein aur pita bhi ussi nazar se donon ko dekhta tha.

Magar Ravindra ke pita ko iss baat ka baahot chinta ho raha tha ke nayi bahu ghar mein aa to gayi magar abhi tak kunwari baithi hai. Dusra hafta ho gaya tha. Wo har subha unn dono ke kamre mein jaata aur chaadar check karta magar kissi bhi din khoon ki koyi nishaan nahin miltaa usse. Is tarah dhire dhire ek mahina guzar gaya. Udhar se baaki ke aurat rishtedaar Ravindra ke pita ko har roz khet mein uss bare mein baat karte yahan tak ke Ravindra ke pita tang agaya aur khud Neha se baat karne ka faisla kiya!

To ek raat ko ek mauke ka faeda utha kar Ravindra ke pita ne Neha se Ravindra ko rijhaane ko kaha. Apne tarike se ussne Neha se kaha ke wo Ravindra ke kareeb jae, ussko caress Karen, chumein…. Usske jism par apna haath ferrrein .. vaghaira…. Neha ko sasur se eise batein sunkar bahot hi sharam aayi aur usska chehra eisa laal hua jeise ab khoon tapak padenge ussske gaalon se! Magar Neha samajhti thi aur usse paata tha ke ussko ek problem solve karna hai aur bahot ziada din guzar chuke hein. Wo samajhti thi ke usska sasur ussi ke bhalaayi ke liye sab kuch kaha uss se.

Din, hafte, mahine guzarte gaye aur Pravindra Neha ko tharak bhare nazron se dekhne laga aur ussko apne bistar par leytaane ko sochne laga… Jab bhi Neha nahane ke liye jaati to Ravindra ka chota bhai, Pravindra apni bhabi ko kissi na kissi taarah se jhaankne jaata. Apne pita ko baahar jaane ka hamesha Pravindra intezaar karta aur jaldi se Neha ki company mein waqt guzaarta wo. Aur ek din Pravindra ne bahot himat karke apni Neha bhabi ko pichey se apne bahon mein jakra jab wo nahane ke baad apne baalon ko sukha rahi thi. Ek pal ke liye Neha ko laga ke wo har roz ki tarah mazaak mein ched chaani kar raha tha magar turant baad Neha ko jhatka laga; aur Pravindra ko zor se dhakka dete hue behave karne ko kaha ussko. Magar Pravindra nahin maana aur Neha ke haath pakar kar ussko apne baahon mein zor se khiincha jabke Neha usske baahon se nikalne ke liye struggle karne lagi. Magar Pravindra Neha ke gale aur gaal par apne jeeb ferrne laga aur Neha usske baahon se nikalne ke liye machalne lagi. Ghar mein koyi bhi nahin the unn donon ke ilawa uss waqt. Pravindra ne apni bhabi ke chehre ko ek haath mein pakra aur kiss karne ko keh raha tha Neha ko, par Neha ne apna muhn bandh kar liya to Pravindra ne usske honthon ko chussa aur kaha;

“Bhabi tum bahot hi hot ho, main tumko tab se chahne laga jiss din tum pehli baaar iss ghar mein aayi. Bhaiya tumko khush nahin kar sakta, mujhe sab paata hai, to main wo kaam pura karungaa ab, kyun bhabi thik rahega nah?”

Neha ne kaha;

“Main pitaji ko sab bataungi, jo kuch tum ne abhi kiya aur jo bhi tumne mujhse kaha” Pravindra ne Neha ko chorra aur jaate hue muskura kar kaha;

“Tum yeh nahin kar sakti aur mujhe pata hai tum kuch bhi nahin bataogi pita ji ko; aur mujhe pura yakeen hai aakhir mein tum mere paas aogi pyari bhabi meri aur yeh mera daavaa hai ke tum khud sab kuch bahot passand karogi mere saath”

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03-04-2021, 10:08 AM,
#5
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
कड़ी_02

अपनी भाभी के साथ वैसा करने के बाद, प्रवींद्र को शाम को अपने पिता और रवींद्र के घर लौटने के बाद थोड़ी बहत फिकर होने लगी की कहीं सच में नेहा उन लोगों को कुछ बोल ना दे। सब लाउंज में इकट्ठे बैठे थे टीवी देखने के लिए और प्रवींद्र की नजरें टीवी पर नहीं बल्की नेहा पर थीं।

नेहा को पता था, और बाकी लोगों से नजरें बचाते हुए नेहा ने इशारे से प्रवींद्र से पूछा- “मैं सबको बता दूँ की दिन में तुमने क्या किया था आज?"

घबड़ाते हुए प्रवींद्र ने भी इशारों में कहा- “नहीं, तुम वैसा नहीं करोगी.."

पर नेहा ने धीरे से कहा- “कहूँगी.."

तब प्रवींद्र बोला- “ठीक है बता दो फिर देखना इस परिवार का क्या होगा उसके बाद?"

और नेहा ने नार्मल आवाज में कहा- “पिताजी आपको पता है आज प्रवींद्र ने क्या किया?"

ससुर ने नजरें नेहा पर करते हुए पूछा- “क्या किया उसने बहू?"

यह सब सुनकर प्रवींद्र की फटने लगी, गर्मी महसूस करने लगा वो, और नेहा की तरफ देखते हुए दोनों हाथों को जोड़कर इशारे से नेहा को रुकने के लिए विनती किया।

फिर नेहा ने शैतानी नजरों से प्रवींद्र की तरफ देखकर अपने ससुर से कहा- “पिताजी, प्रवींद्र मुझको बहुत छेड़ता रहता है। दिनभर एक छोटे बच्चे की तरह, मुझको तंग करता रहता है, मुझसे लड़ता है, और खाता नहीं है, एक बच्चे की तरह मुझे उसको अपने हाथ से खिलाना पड़ता है..."

यह सुनकर ससुर को हँसी आई और वो जोर से हँसा भी, फिर नेहा को जवाब देते हुए कहा- “बहू, वो आखिरी है ना, तो लाड़ला है और थोड़ा बिगड़ा हुआ भी। माँ का प्यार नहीं मिला उसको शायद इसीलिए तुम्हारे साथ वैसा करता है। उसकी शरारतों को नजर अंदाज करना बह। वो बदल जाएगा फिकर नहीं करने का.."

और नेहा उस वक्त प्रवींद्र को देखते हुए चुलबुलाते हुए हँसती जा रही थी। उसकी उस मुश्कुराहट ने खुद उसको धोखा दिया। क्योंकी प्रवींद्र को पता चल गया की अब तो नेहा कुछ नहीं बोलेगी उस बारे में। खुद से प्रवींद्र बोला- “यह हुई ना बात भाभी आप मुझको धोखा नहीं दे सकती, मुझको बचाने के लिए आपने झूठ बोला.." और बात बनाकर बोला- “जो कुछ मैंने तुम्हारे साथ किया वो तो नहीं कहा, मतलब अब भी चान्स है मुझे या?" प्रवींद्र को बहुत खुशी हुई की नेहा ने कुछ नहीं बताया।

दिन गुजरते गये और जब-जब प्रवींद्र घर में नेहा के साथ अकेले होता तो वो मौके का फायदा जरूर उठाता था।
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03-04-2021, 10:08 AM,
#6
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा को छूता था, उसके जिश्म के किसी भी हिस्से पर अपना हाथ फेरता रहता, उसको किस करता, उसकी गाण्ड पर अपना हाथ फेरता, उसको बाहों में जकड़ता और बहुत कुछ। मगर नेहा इससे और उसको कुछ नहीं करने देती थी, हर बार उसके चुंगल से निकल जाती थी।

और हर बार नेहा को छूने, जकड़ने और चूमने के बाद प्रवींद्र जाकर मूठ मारता था, अपनी भाभी को और उसके जिश्म को याद करके, उसकी क्लीवेज को सोचता और उसकी जांघों को और छुपे हुए उन अंगों को जो झपटा
झपटी में उसको नजर आते थे। जैसे की एक बार प्रवींद्र जब नेहा को धोए हए भीगे कपड़े को झुक कर निचोड़ता हुआ देख रहा था, उस वक्त नेहा धुले हुए कपड़े सूखने को डाल रही थी एक रस्सी पर। प्रवींद्र को नेहा की मस्त
चूचियां नजर आ गईं।

उसकी जवान कुँवारी चूचियां बस जानलेवा थीं। प्रवींद्र को उसी वक्त उन चूचियों को हाथ से मसलने का मन कर रहा था, उनको मुँह में लेकर चूसने को बड़ा मन कर रहा था। बल्की, उस वक्त प्रवींद्र ने खुलकर नेहा से कह दिया था की वो उसके जिश्म से कितना आकर्षित होता है, उसको कितनी उत्तेजना होती है उसका जिश्म देखकर.. प्रवींद्र ने नेहा को उस वक्त जकड़ा था, चूमा था, और बहुत झपटा-झपटी के बाद प्रवींद्र ने अपने मुँह को चूचियों के उपरी हिस्से पर लगाया था, जीभ थोडा सा फेरा था मगर नेहा ने और और आगे नहीं बढ़ने दिया और वहाँ से भाग गई थी।

दिन वैसे गुजर रह थे। लगभग हर रोज ऐसे ही गुजरते थे। नेहा और प्रवींद्र दिन में घर पर अकेले रहते थे।

अक्सर। ससुर और रवींद्र खेत चले जाते थे, और ऐसे ही 5 महीने बीत गये। फिर एक रात में बात यह हुई की प्रवींद्र को जोर से पेशाब लगी और मूतने के लिए वो बीच रात में उठा, टायलेट जाने के लिए। उसका कमरा बाएं तरफ था, रवींद्र का कमरा दाएं तरफ और ससुर का कमरा रवींद्र के कमरे के पीछे था। एक कारिडोर दोनों भाइयों के कमरे को अलग करता था। वो कारिडोर एक तरफ किचेन में जाता था और दूसरी तरफ से लाउंज में।
उसको कारिडोर से होकर तब किचेन से गजरकर बाहर जाना पड़ता था। हाँ टायलेट बाहर था, और प्रवींद्र को इन सब जगहों से गुजरकर बाहर टायलेट को जाना था, मगर रवींद्र के कमरे के पास से भी गुजरना होता था उसको।

तो प्रवींद्र किचेन का दरवाजा खोलने ही वाला था की उसको अपने पिता के रूम से आवाजें सुनाई दी। वो मुश्कराया यह कहकर- “पापा भी ना नींद में बातें कर रहे हैं हेहेहे..” मगर फिर कुछ ऐसी आवाजें आईं जैसे किसी की सिसकारी... और फुसफुसाते हुए जैसी बातें सुनाई दी उसको। प्रवींद्र ने अपने पिता के दरवाजे से कान लगाया तो नेहा की आवाज सुनाई दी उसको।

नेहा कह रही थी- “मुझे अब जाना चाहिए पिताजी..."
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03-04-2021, 10:08 AM,
#7
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
प्रवींद्र को झटका लगा और सोचने लगा की इतनी रात गये नेहा क्या कर रही है पिताजी के कमरे में? और प्रवींद्र ने सोचा की हो सकता है की पिताजी की तबीयत खराब हुई होगी तो नेहा पानी वगैरह देने के लिए गई होगी, या फिर पैर दबाने के लिए गई होगी शायद? फिर भी प्रवींद्र को बहुत हैरानी हुई और अजीब लगा। तो उसने छुपकर नेहा को कमरे से निकलते हुए देखना चाहा। इसलिये प्रवींद्र रेफ्रिजरेटर के पीछे छुप गया क्योंकी
सब लाइटें तो आफ थी, उस वक़्त और कोई उसको देख नहीं पाता। मगर वो उस जगह से अपने पिता के कमरे से किसी को भी निकलते या अंदर जाते हये देख सकता था।

और जब कमरे का दरवाजा खुला तो प्रवींद्र ने देखा की पहले उसका पिता बाहर आया। कारिडोर में दोनों तरफ देखा और फिर नेहा से कहा- “निकल सकती हो कोई नहीं है.."

फिर नेहा बाहर निकली।

प्रवींद्र को बहुत बड़ा झटका लगा यह देखकरके की नेहा ने एक बहुत पतली सी नाइटी पहनी हुई थी जिसपर पतले-पतलि स्ट्रैप्स थे, उसकी चूचियां नजर आ रही थीं और उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, बाल खुले हुए थे, कयामत लग रही थी वो उस वक्त। कमर लचकाते हुए चलकर अपने कमरे तक गई और मुड़कर अपने ससुर को एक बहुत सेक्सी मुश्कुराहट से देखा, और कहा- “ओके... अब आप आराम से सो जाइए पिताजी.."

प्रवींद्र एक तो बिल्कुल सदमे में था, मगर उसका लण्ड जमके खाड़ा हो गया था, नेहा को उस रूप में देखकर। प्रवींद्र ने खुद से कहा- “ओह माइ गोड, पिताजी उसको चोद रहे हैं... और मैं इतने दिनों से झख मार रहा हूँ... नहीं, नहीं... ऐसा नहीं हो सकता। ऐसा हो ही नहीं सकता... मेरे दिमाग में गंदे खयालात इसलिए आ रहे हैं क्योंकी मैं नेहा को उस नजर से देखता हूँ। कोई और बात हुई होगी, मेरे खयालात गंदे हैं, मैं गंदा हूँ.."

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टायलेट से प्रवींद्र वापस अपने कमरे में जाकर सोच में पड़ जाता है। उसकी नींद बिल्कुल उड़ गई। वो सोचने
लगा खुद से बातें करते हए- “अगर पिताजी और भाभी की अफेयर चल रही है तो कब से? कैसे शुरू हआ होगा? क्या पिताजी ने भी नेहा को वैसे ही अप्रोच किया होगा जैसे मैं करता रहता हूँ? क्या नेहा ने शुरू में इनकार किया फिर स्वीकार कर लिया? क्या नेहा पिताजी के कमरे में सेक्स के लिए गई थी? या मैं वैसा सोच रहा था

क्योंकी मैं खुद वैसा हँ? मगर वो नाइटी में क्यों थी? भाभी ने ब्रा क्यों नहीं पहनी थी? क्यों इतनी सेक्सी स्ट्रैप्स वाली नाइटी में थी, जबकी उसको पता था की उसे पिताजी के कमरे में जाना है? नाइटी छोटी थी जो केवल उसकी जांघों तक पहँच रही थी और उसकी गदराई खुबसूरत जांघे साफ नजर आती थीं उस नाइटी में और वो पिताजी के पास गई थी उस रूप में..."

+
प्रवींद्र बहुत बेचैन था और सुबह तक सोचता रहा इस बारे में। बिल्कुल आँखें नहीं बंद किया उसने और अपनी भाभी को अपने पिता के साथ सोचते हुए उसने दो बार मूठ मारा।
हर सुबह को उसका बड़ा भाई और पिता बहुत सवेरे, 6:00 बजे के करीब घर से निकल जाते हैं खेत के लिए। उस समय प्रवींद्र हर रोज सोया रहता है और करीब 10:00 बजे सोकर उठता है, क्योंकी वो बेकार था और घर पर ही रहता था। उसने अपने पिता की 4जे4 स्टार्ट होते हुए सुना तो उसको पता चल गया की वो लोग खेत के लिए निकल रहे हैं।

गन्ने के खेत जो कोई 10-12 बीघा के थे, वहाँ बहुत सारे लोग उनके लिए काम करते हैं। प्रवींद्र का पिता मालिक था उन सारी जमीनों का तो सबलोग उनके लिए काम करते थे और वो रवींद्र के साथ सब कुछ दिन भर
चेक करते थे, सभी लोगों को, जमीन के इस कोने से उस कोने तक कंट्रोल करते थे। कभी खुद हाथ बटाते भी थे काम में।
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03-04-2021, 10:08 AM,
#8
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
अपनी अपंगता के बावजूद रवींद्र एक किसान का काम बाखूबी करता था और असिस्टेंट बास का भी। बाकी के किसान उसको छोटे मालिक बुलाते थे और बहुत चाहते थे उसे। इसलिए की रवींद्र को काम अच्छी तरह से पता
था तो उसके पिता उसको किसी फील्ड में अकेले छोड़ देते थे और वो किसी दूसरे फील्ड में चले जाते थे मानिटर करने के लिये।
कभी-कभी नेहा उन लोगों के लिए खाना लाती थी खेत में, मगर हामेशा नहीं। अक्सर वह लोग खाना डिब्बे में लेकर जाते थे घर से। और एकाध बार जब नेहा खेत गई तो उसको सभी खेतों को दिखाया गया, सब समझाया गया की कैसे काम होते हैं वगैरह। ससुर गया था नेहा को 4जे4 में घर से खेत में लाने के लिए क्योंकी नेहा खेत देखना चाहती थी।

तो पहले दिन ऐसा हुआ की ससुर ने कहा- “तो ठीक है अगर तुम खेत घूमना चाहती हो तो आज हम खाना नहीं ले जाते हैं। तुम गरमा-गरम क़ाना पका के तैयार रहना मैं तुमको लेने आऊँगा 11:00 बजे, तब खाना लेकर चलेंगे और रवींद्र को तू खिला देना खेत में ही और मैं भी वहीं बैठकर खा लूँगा। खेत में खाने का मजा कुछ और ही है खुली हवा में पेड़ के नीचे बैठकर..."

तो उस दिन के बाद जब-जब नेहा का मन खेत जाने का होता तो उन दिनों को बाप-बेटा खाना लेकर नहीं जाते थे। 11:00 बजे ससुर लेने आता था नेहा को, तब खाना लेकर वापस खेत जाते थे। अब कई बार ऐसा हआ की जिस-जिस दिन को नेहा को ससुर खेत ले गया उन दिनों प्रवींद्र घर पर नहीं होता था।
उसको उसके पिताजी पेस्टिसाइड खरीदने के लिए शहर भेज दिया करते थे। तो प्रवींद्र को पता भी नहीं चलता
था की नेहा खेत गई हुई थी किसी दिन। अब इस दिन को जब प्रवींद्र के पिता और रवींद्र खेत चले गये तो प्रवींद्र को बहुत जल्दी थी नेहा से कल रात वाले बात के बारे में पूछने के लिए। जल्दी से प्रवींद्र उठकर गया नेहा को ढूँढने, तो पाया की वो उन लोगों को हाथ हिलाकर विदा कर रही थी।

प्रवींद्र फ्रेश होने गया और उसको उतना सवेरे जागे हुए देखकर उसके भाभी ने टोका- “अरे वाह... आज सूरज कहीं पश्चिम से तो नहीं उगा... तुम इतने सवेरे कैसे उठ गये आज?"

बिना कोई जवाब दिए प्रवींद्र अपने कमरे में चला गया, कपड़े बदले, चाय पीने को आया। और चाय पीते वक्त उसकी नजरें नेहा को ऊपर से नीचे घूरे जा रही थीं।

और नेहा को पता था, तो नेहा बोली- “तुम मुझको ऐसा घूरना बंद करो वरना एक लाफा मारूँगी हाँ."

प्रवींद्र बोला- “सच में भाभी... मुझको मारोगी, उसके बाद अफसोस नहीं होगा आपको?”
"
नेहा- “नहीं, एक बुरे लड़के को मारने से मुझको कोई अफसोस नहीं होगा..."

प्रवींद्र- "और आप भाभी, आप क्या अच्छी लड़की हो?"

नेहा- “हाँ बिल्कुल अच्छी हूँ कोई शक है तुम्हें?"
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03-04-2021, 10:08 AM,
#9
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
यह सुनने के बाद प्रवींद्र को कल रात वाली घटना को लेकर, अपनी सोच पर और भी शक हुआ। नेहा तो बहुत भोली दिख रही थी और बिल्कुल नहीं लग रहा था की उसने कुछ बुरा किया होगा। उसने सोचा की नेहा को कोई मतलब नहीं था उसके पिता के साथ, यह उसके दिमाग का वहम था, गंदी सोच थी उसकी। प्रवींद्र ने सोचा की अगर उसने सवाल किया और जवाब नहीं हुआ तो वो शर्म में पड़ जाएगा और मुँह दिखाने लायक नहीं रहेगा। तो प्रवींद्र ने डिसाइड किया की वो कुछ नहीं पूछेगा अपनी भाभी से, बल्की कुछ और प्लान करने लगा प्रवींद्र। उसने
सोचा कि कुछ रातों को वो नहीं सोएगा और उन दोनों पर नजर रखेगा और अगर दोनों के बीच कुछ होगा तो उसको पता चल जाएगा।

प्रवींद्र चलकर नेहा के करीब गया और अपने हाथ को उसकी गाण्ड पर फेरा। नेहा ने उसको मारना चाहा मगर प्रवींद्र भाग निकला वहाँ से। नेहा उस वक्त एक टू-पीस नाइटी में थी और सिंक के पास खड़ी बरतन मांज़ रही थी। तो नेहा ने प्रवींद्र पर नल से पानी फेंका जब वो भाग रहा था तो। और प्रवींद्र के लिए एक खेल बन गया। वो वापस धीरे से आता और उसको छूता, फिर वो उसपर पानी फेंकती... कई बार प्रवींद्र ने ऐसा किया। और जब नेहा बर्तनों को सूखे कपड़े से सुखा रही थी तो प्रवींद्र ने आकर उसको अपनी बाहों में प्यार से जकड़ा और उसके गालों पर किस किया। उसका तन्नाया हुआ लण्ड नेहा की जांघों पर दबा हुआ था और उस दौरान उसके होंठ नेहा के गले पर फिर रहे थे।

नेहा उसको धकेलने लगी, मगर प्रवींद्र और ताकतवर था, तो नेहा को दीवार पर जोर से दबाया। नेहा ने जब उसके लण्ड को अपने जिश्म पर रगड़ता हआ महसूस किया तो नेहा ने पोजीशन बदलने की कोशिश की, तब उसका लण्ड उसकी दूसरे जाँघ पर रगड़ने लगा। फिर एक हाथ से प्रवींद्र अपनी भाभी की स्कर्ट उठाकर हथेली से उसकी जाँघ को महसूस करने लगा, तो उसको रोकने के लिये नेहा जल्दी से नीचे बैठ गई।

अपनी जीभ से प्रवींद्र ने नेहा के पूरे चेहरे को चाटा और फिर नेहा को किस करने की कोशिश किया। मगर नेहा ने मुँह बंद रखा और बिल्कुल रेस्पांड नहीं किया। तो प्रवींद्र तंग आ गया तो थोड़ा गुस्सा करते हुए वहाँ से चला गया। मगर जाते-जाते यह कह गया अपनी भाभी को- “भाभी, मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ, और यह तुमको पता है। मैं बार-बार इस बात को नहीं दोहराऊँगा..."
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03-04-2021, 10:08 AM,
#10
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा ने उसकी इस बात पर सिर्फ एक छोटी सी मुश्कान के साथ सर को झुका लिया। जब नेहा अपने बाकी घर के काम काज में बिजी थी तो प्रवींद्र अपने पिता के कमरे में गया यह देखने की उसको कोई ऐसी जगह दिखे जहाँ से वो रात को बाहर से अंदर देख सके। उस कमरे में खिड़की के इलावा सिर्फ एक बहुत ही छोटी सी जगह थी जहाँ ए.सी. लगाया गया था। वो बाहर जाकर देखा तो उसकी उंचाई बाहर से वहाँ तक नहीं पहुँचती थी। तो उसने अंदर से एक कुर्सी लिया और बाहर ए.सी. के नीचे रखा, फिर कुर्सी पर चढ़कर अपने पिता के कमरे में देखा, तो बेहद खुश हुआ की उस जगह से उसके पिता का पूरा कमरा नजर आ रहा था।
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