Indian XXX नेहा बह के कारनामे
03-04-2021, 10:23 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
सुभाष ने तुरंत हल्के से अपने होंठों को नेहा के गाल पर लगाया और तब तक उसने हाथ की उंगलियां नेहा की टी-शर्ट पर उसकी चूची को हल्के से छू रही थीं। सुभाष ने नेहा के गाल पर किस किया 'मुआहह' और उसकी चूची को थोड़ा जोर से दबाया चुम्मी लेते वक्त।

जब नेहा ने उसका हाथ अपनी चूची को दबाते हुए महसूस किया तो थोड़ा सा चिहुँकी और कहा- “आउच... बेशर्म जाओ यहाँ से, बदमाश कहीं का, अब खुश हुए तुम..."

अपनी कामयाबी पर सुभाष का चेहरा खिल उठा और एक बड़ी मुश्कुराहट के साथ नेहा के चेहरे में देखते हुए अपने हथेली को नेहा की गाण्ड पर फेरा... मतलब जाते-जाते उसने उसकी गाण्ड पर अपना हाथ फेरा और जवाब दिया- "बहत खुश... भाभी, मैं बहत खुश हआ, मगर साथ में अगर आपने भी वापस किस किया होता तो और ज्यादा खुश होता मैं..."

नेहा ने जवाब में कहा- “नहीं, मैं तुम जैसे नटखट बेशर्म लड़कों को किस नहीं करती जो किसी लड़की के जिश्म पर ऐसे चारों तरफ अपने हाथ फेरते हो। चलो जाओ..."

मगर सुभाष ने चलना रोक दिया और उसके पास ही खड़ा रह गया क्योंकी नेहा जवाब दे रही थी और नेहा की आखिरी लाइन को सुनकर तो सुभाष और नटखट होते हुए उसकी पूरी चूची को हाथ में लेकर दबाया जोर से तब वहाँ से दौड़ते हुए निकला और चंद कदम आगे जाकर, मुड़कर नेहा को एक शैतानी हँसी के साथ देखा।

जिस वक्त उसने नेहा की चूची दबाया तो नेहा ने हाथ उठाया उसको मारने के लिए मगर जिस रफ्तार से वो वहाँ से निकला नेहा ने उसको मारना मिस कर दिया और हवा में हाथ मारा उसने। नेहा को उसमें प्रवींद्र की नटखट अदायें दिखाई दी। वो लड़का बिल्कुल प्रवींद्र की तरह व्यवहार कर रहा था। और नेहा प्रवींद्र को सोचने लगी, सुभाष की नटखट अदाओं से कंपेयर करते हुए।

गैरेज में वापस जाते ही दूसरों ने सुभाष को घेर लिया और उससे जानकारी प्राप्त करने लगे।

अपनी जगह से नेहा ने भी गैरेज में देखा कि सबने सुभाष को घेर रखा है और वो उस वक्त अपनी कामयाबी का ढोल पीट रहा होगा कि वो कितना बड़ा हीरो है लड़की पटाने में। मगर अचानक नेहा ने सोचा की तब तो वहाँ के दूसरे लोग भी उसके साथ वैसा ही करना चाहेंगे। फिर नेहा ने खुद से कहा कि सुभाष सब डीटेल्स तो नहीं बताएगा अपने दोस्तों को।

आधे घंटे के बाद नेहा आँगन के एक तार पर धुले हुए कपड़े टाँगने लगी सूखने के लिए और वहाँ से वो गैरेज के
और करीब थी। उस समय वहाँ के सब लोग सिर्फ नेहा को ही देख रहे थे और सुभाष अपने हाथों से इशारे कर रहा था नेहा को, जैसे वो उसका आशिक था और नेहा उसकी कोई गर्लफ्रेंड थी।

नेहा करती भी क्या वो बस मुश्कुरा रही थी उसके साथ। जब नेहा झुक करके नीचे जमीन पर रखे हुए बाल्टी में से धुले हुए कपड़े ले रही थी, तब वहाँ के चारों मर्द नेहा की चूचियां को देख रहे थे, काली ब्रा और स्ट्रैप्स के अंदर। मगर नेहा बे-फिक्र होकर अपना काम करती रही गैरेज की तरफ देखते हए। उसने देखा कि चारों उसको ही देख रहे हैं मगर नेहा ने कोई परवाह नहीं किया।
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03-04-2021, 10:23 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा करती भी क्या वो बस मुश्कुरा रही थी उसके साथ। जब नेहा झुक करके नीचे जमीन पर रखे हुए बाल्टी में से धुले हुए कपड़े ले रही थी, तब वहाँ के चारों मर्द नेहा की चूचियां को देख रहे थे, काली ब्रा और स्ट्रैप्स के अंदर। मगर नेहा बे-फिक्र होकर अपना काम करती रही गैरेज की तरफ देखते हए। उसने देखा कि चारों उसको ही देख रहे हैं मगर नेहा ने कोई परवाह नहीं किया।

हर शाम को घर वापस जाने से पहले गैरेज के सभी लोग नेहा के उसी नल के पास आकर हाथ पैर धोते हैं, नेहा का साबुन इश्तेमाल करते हैं हर रोज। जोरों से बातें करते हैं और शोर शराबा किया करते हैं। हर रोज चारों एक साथ आते हैं उस वक़्त, शाम को 4:00 बजे। और आज सब कर्मचारी बातें कर रहे थे सुभाष और नेहा को लेकर। सुभाष की टांग खिंचाई कर रहे थे सब।
नेहा किचेन के अंदर से सब कुछ सुन रही थी और मुश्कुरा रही थी।
एक ने जोर से कहा- “सुभाष, तुमको तो इस गाँव में एक गर्लफ्रेंड मिल गई है, शहर में तो अंडा है। तो तुमको यहीं गैरेज में रहना चाहिए, तब तुमको हसीन मौके मिलेंगे बिताने को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ.."
तब बास ने कहा- “हाँ... तब मुझको भी हर सुबह जल्दी नहीं आना पड़ेगा गैरेज खोलने के लिए, हमारे आने से पहले तुम गैरेज को खोलकर साफ सफाई भी कर देना..”
नेहा अंदर सब कुछ सुनती जा रही थी हँसते हुए।
फिर उन दोस्तों में से एक ने कहा- “अरे सुभाष, तुम अपनी गर्लफ्रेंड को 'भाभी' बुलाते हो हाहाहाहा.. क्या उसका नाम 'भाभी' है?"
सुभाष ने कहा- “अरे यार, मैंने तो उसका नाम ही नहीं पूछा, धत्त तेरी की, मुझको पूछ लेना चाहिए था ना..."
तब बास ने कहा- “हाँ बड़ा आया रोमियो, जिसको अपनी गर्लफ्रेंड का नाम तक नहीं मालूम, कमाल है..."
और नेहा ने तुरंत किचेन का पीछे वाला दरवाजा खोला, जो ठीक कपड़े धोने वाले पत्थर पर खुलता है और उन सबसे कहा- “हेलो, उसको क्यों छेड़ रहे हो आप सब? मेरा नाम नेहा है, आप सबसे मिलकर खशी हई मझे...”
सब चिहक गये और सबकी बोलती बंद हो गई अचानक उस तरह से नेहा को सामने देखकर। फिर नेहा ने दरवाजा बंद कर लिया मुश्कराते हए। तब सबके सब हँसने लगे, और धीरे-धीरे बातें करने लगे। उन लोगों को पता ही नहीं था कि नेहा अंदर से सब कुछ सुन रही होगी।
सब धीरे-धीरे कहने लगे- “अरे यार, वो हमारी सारी बातें सुन रही थी। अरे यार सुभाष, उसने तुमको अपना नाम बता दिया यार मुबारक हो... अब उसको नेहा भाभी बुलाना हेहेहेहे..."
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मगर उस वक्त गैरेज वाला, वोही मोटा पेट वाला सांवला सा मोटा बास ने सब कुछ सुना और सब बातों को सोचते और समझते हुए सोचा कि इससे पहले कि सुभाष या किसी और ने नेहा को पाया, उससे पहले उसको हाथ मार लेना चाहिए, क्योंकी वो सबका बास है। वो नेहा को सुभाष से पहले पाना चाहता था। सब कुछ देखकर
उसको लगा कि नेहा आसानी से हाथ आने वाली है. तो जरूर उसको भी मिल जाएगी वो।
सब घर वापस चले गये, जाते वक्त रास्ते में बास सिर्फ वोही बातें सोचते जा रहा था। उसने याद किया की किस तरह सुबह को जब वो उसके घर की तरफ देख रहा था तो नेहा ने नाइटी में खिड़की खोली थी, और किस
तरह से मुश्कुराकर बात की थे उसके साथ। फिर उसने सोचा जो कुछ सुभाष ने कहा कि किस तरह से उसने उसकी चूचियों को भी दबाया था, कैसे उसने उससे किस किया था, तो यह सब याद करते हए उसने सोचा कि यह नेहा जरूर आसानी से चोदने देगी। तो उसने निश्चय किया कि कल सुबह उसके वर्कर्स के आने से पहले ही वो नेहा को चोदने जाएगा।
नेहा के घर के तीनों मर्द काम से वापस थके हारे आए। नेहा ने सबकी सेवा की, और घर के काम काज में लग गई मगर गैरेज के लोगों वाली बात किसी को नहीं बताई नेहा ने। प्रवींद्र को भी कुछ नहीं कहा नेहा ने। और रात को दोनों मर्दो में से किसी के पास भी नहीं गई नेहा इस रात को। और ना ससुर ना ही प्रवींद्र नेहा को लेने आए क्योंकी दोनों बहुत थके हुए थे और जल्द ही नींद आ गई उनको भी।
सुबह हुई, और नेहा की सुबह वाली जल्दी... कभी इसको देखना, कभी उसको, कभी इसको जगाना, तो कभी उसको, किचेन में यह करना, वो करना सब झटपट निभा रही थी नेहा। और जल्द ही तीनों मर्द घर से निकल गये काम के लिए। सुबह 6:00 बजे सब चले गये।
हर सुबह की तरह आज भी नेहा अपनी नाइटी में थी, और नाइटी में वो कभी ब्रा नहीं पहनती थी। उसकी निपल नाइटी की साफ्ट मेटीरियल से रगड़ रही होती है तो नेहा को एक अच्छी कामुक सेन्सेशन महसूस होती है। वो आईने के सामने अपने बाल में कंघी कर रही थी तो गैरेज के शटर्स को खुलते हुए सुना नेहा ने। बहुत जल्दी था, उस वक़्त तो गैरेज के शट्स कभी नहीं खुलते थे। वो लोग तो करीब 9:00 बजे आते हैं काम करने, और अभी तो सिर्फ 7:00 बजे थे। नेहा चलकर लाउंज में गई जहाँ से रास्ते पर साफ दिखाई देता था और गैरेज भी दिखता था।
नेहा ने देखा कि वो गैरेज वाला, वोही कुछ मोटा सा, मोटा पेट वाला 40 साल के लगभग वाला आदमी फिर से उसके घर के सामने रास्ते पर खड़ा था। वो गेट के पास उसके मकान की तरफ देख रहा था। नेहा सोचने लगी कि क्यों वो कल भी और आज भी उस तरफ वैसे देख रहा है? नेहा ने उससे पूछना चाहा कि क्या उसे किसी चीज की जरूरत है? मगर वो हिचकिचाई क्योंकी वो उसके उतना करीब नहीं थी नेहा। अगर सुभाष होता तो शायद पूछ लेती। अपने हाथ में कंघी लिए नेहा उस आदमी को देखती रही, और अपने लंबे काले बालों में कंघी करती रही उसको देखते हुए।
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03-04-2021, 10:23 AM,
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गैरेज के बास जिसका नाम ज्ञान था, घर की तरफ देखते हए खुद से पूछ रहा था- “क्या इस वक्त इस घर के मर्द अब तक यहीं होंगे या सब चले गये काम पर?" उसका जी कर रहा था अंदर जाकर दरवाजा नाक करे, मगर वो हिचकिचा रहा था। सोचा कि अगर किसी मर्द ने दरवाजा खोला तो क्या कहेगा? और अगर नेहा ने खोला तब तो बहुत कुछ कह सकेगा। उसने पहले से सोच रखा था कि क्या बातें करेगा कि उसको घर के अंदर दाखिल होने का मौका मिले, मगर पहले उसको यकीन होना चाहिए था कि घर का कोई भी मर्द घर पर नहीं है।

सूरज अभी-अभी नीले आसमान में उग रहा था, चिड़िया आसमान में उड़ रही थी चहचहाते हुए और एक ठंडी प्यारी सी हवा बह रही थी जिससे ज्ञान को ठंड लगने लगी क्योंकी जिस शहर से वो था, उधर बहुत गर्मी होती है, गाँव की ठंडी हवा में उसको ठंडा लगने लगा। 15 मिनट के इंतेजार के बाद ज्ञान ने अंदर जाने का फैसला किया।

तब तक नेहा अपने कमरे में चली गई थी। आईने के सामने थोड़ा बहत मेकप लगा रही थी और अपने आपको निहार रही थी आईने में खुद को देखते हुए। ऐसा लगता था कि नेहा किसी को रिसीव करने के लिए तैयार हो रही थी, लगता था कोई आशिक या प्रेमी उससे मिलने आने वाला है। कुछ अच्छी सी परफ्यूम्स भी लगाई नेहा ने और चलकर फिर लाउंज में आ गई रास्ते पर देखने के लिए। और देखा कि ज्ञान गेट खोलकर आँगन में। अंदर आ रहा था। उसने सोचा किसी चीज की जरूरत होगी तो वो माँगने आ रहा है। फिर इससे पहले कि ज्ञान वहाँ पहुँचता नेहा ने उसके पहुंचने से पहले ही दरवाजा खोल दिया।

नेहा को अपने चौखट पर देखकर ज्ञान थोड़ा हड़बड़ा गया, क्योंकी उसने बिल्कुल नहीं सोचा था कि उसके खटखटाने से पहले ही वो दरवाजा खोल देगी।

दोनों ने एक दूसरे के चेहरे में देखा और हँसमुख नेहा ने अपनी मामूल मुश्कुराहट के साथ उससे पूछा- “क्या
आपको किसी चीज की जरूरत है जी? मैंने काफी देर से देखा आपको रास्ते पर मगर मेरी समझ में नहीं आई कि आप किसी का इंतेजार कर रहे हैं या किसी चीज की जरूरत है आपको। किसी किश्म की मदद चाहिए थी क्या आपको?"

नेहा की स्वागत देखकर ज्ञान वो सब कुछ भूल गया जो कहना चाहता था और हकलाते हुए कहा- “हम्म्म नहीं... मैं... वो... बस ऐसे ही... आपसे.." ऐसे ही वो हकलाता जा रहा था कि उसकी नजर नेहा की खूबसूरत सेक्सी नाइटी पर पड़ी। उस नाइटी के पतले-पतले स्ट्रैप्स नेहा के कंधे पर और भी खूबसूरत लग रहे थे। एक पल में ही ज्ञान ने देख लिया कि नेहा ने ब्रा नहीं पहनी हुई है और उसकी चूचियों के कड़क निपल उस महीन नाइटी पर साफ दिख रहे थे, एक अंगूर के दाने जैसे नाइटी पर नजर आ रहे थे नेहा के निपल्स। नेहा के कंधे और नंगी खूबसूरत बाहों पर ज्ञान की नजरें दौड़ी, फिर उसकी नरम, मुलायम क्लीवेज भी दिखी ज्ञान को, वो अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था वहाँ से। ज्ञान का बिल्कुल खड़ा हो गया था।

नेहा ने उसकी आँखों में उस लस्ट, ठरकपन को देख लिया, तो तुरंत नेहा ने अपना एक हाथ अपनी छाती पर रखा और नर्मी से दोहराया- “आपको कुछ चाहिए था?" नेहा ने यह एक नरम आवाज में कहा और अपने सर को नीचे झुका लिया पूछने के बाद।

तब नेहा ने रियलाइज किया कि वो अपनी नाइटी में है और एक अजनबी के सामने उस हालत में सामने आ गई है और उसकी वो हालत उस अजनबी को आकर्षित कर रही है, यह नेहा की समझ में बिल्कुल आ गई उसी वक्त। नेहा तो एक अजनबी की मदद करने के इरादे से आई थी, उसने बिल्कुल कुछ ऐसी वैसी बात नहीं सोची थी, क्योंकी वो आदमी इस गाँव में नया था तो नेहा ने बस उसकी मदद के लिए जल्दबाजी में दरवाजा खोल दिया था।

मगर उस आदमी की नजरों में ठरकपन देखकर नेहा ने सोचा कि उसने गलत किया शायद इसलिए उसने दरवाजे को फिर से बंद कर लिया इससे पहले कि ज्ञान वहाँ तक पहँचता। तब तक ज्ञान समझ गया कि घर में कोई भी मर्द नहीं है वरना वह लोग देखने जरूर आते कि नेहा किससे बात कर रही है।

जबकि नेहा ने दरवाजे के पर्दे को खींचकर अपने जिश्म को ढंका।

तब ज्ञान ने बात किया और इस बार हकलाया नहीं बिल्कुल कान्फिडेंटली बात किया उसने, कहा- “देखिए आज मैं कुछ और सवेरे ही निकल गया शहर से और कुछ चाय वाए नहीं पिया तो पूछना था कि एक कप चाय या काफी मिल सकती है क्या?"

ज्ञान की बातें सुनकर उसको अफसोस हुआ कि उसने दरवाजे को बंद कर लिया, उसने सोचा कि वो बेकार में गलत सोचने लगी थी। ये आदमी तो सिर्फ चाय पीना चाहता है खुद से कहा नेहा ने। तो नेहा ने वापस दरवाजा खोल दिया और ज्ञान को अंदर आने को कहा यह कहते हुए- “जी बिल्कुल चाय मिल सकती है क्यों नहीं, अब भी चाय गरम है मैंने अपने पति और परिवार को कुछ देर पहले ही सर्व किया है, आप बैठिए मैं अभी लाई.."

और नेहा कारिडोर में चलकर किचेन की तरफ गई।

ज्ञान ने नेहा को पीछे की तरफ से देखा, उसकी मटकती हुई गाण्ड और पैंटी की ट्राइंग्युलर आकार नाइटी के अंदर, जबकि नेहा बिल्कुल भोली-भाली की तरह सोच रही थी कि बेचारे को सिर्फ चाय की जरूरत थी और कोई इरादा नहीं था उसका। किचेन के अंदर से नेहा को ज्ञान की आवाज सुनाई दी।

ज्ञान ने पूछा- “आपके परिवार के सब लोग काम पर चले गये, बहुत सवेरे सब निकल जाते हैं लगता है.."

नेहा ने आराम से किचेन से ही आवाज थोड़ा ऊँची करके बोली- “हम्म्म... हाँ वो लोग खेत जाते हैं ना तो 6:00 बजे सब निकल जाते हैं कभी-कभी उससे पहले भी..."

ज्ञान अपने लण्ड को पैंट के अंदर सीधा कर रहा था, जब नेहा एक कप चाय लेकर आई, और ज्ञान को सर्व किया अपनी छाती पर एक हाथ रखते हुए ताकी उसकी नाइटी से उसकी चूचियां नजर ना आए झुकते वक्त। ज्ञान चाय की चुस्कियां लेते हुए नेहा के जिश्म को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था। नेहा वहीं खड़ी रही इस इंतेजार में कि वो कप वापस करेगा पीने के बाद।
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03-04-2021, 10:23 AM,
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जब नेहा ने नोटिस किया कि ज्ञान की नजरें उसके जिश्म को घूर रही हैं और बहुत खामोशी था तो उस खामोशी को तोड़ने के लिए नेहा ने बात की। उसने पूछा- “तो आप आज इतने सवेरे कैसे आ गये?"

ज्ञान को तो कुछ और बात करने का मूड नहीं था, बस नेहा को अपनी बाहों में जकड़ने का मन था उस वक्त, फिर भी उसने जवाब दिया- “वो कल रात मैं ठीक से सो नहीं पाया, कुछ बहुत बुरे सपने आए थे मुझे, तो जल्दी उठ गया सुबह को..” उसने चाय खतम किया और नेहा को कप वापस किया।

नेहा कप लेकर किचेन की तरफ जाने लगी तो नेहा ने उसके पीछे कदमों की आहट सुनी कारिडोर में। वो मुड़कर पीछे नहीं देखी मगर अपने कदमों की रफ़्तार को तेज करते हुए किचेन में गई और जब सिंक में कप रखा तो उसके पीछे से दो मजबूत काली बाहों ने उसको जकड़ लिया।

नेहा काँप उठी, उसकी दिल की धड़कनें तेज हुई और गुस्से में उसने कहा- “यह क्या कर रहे हो आप? छोड़िये मुझे वरना मैं चिल्लाऊँगी अभी...”
ज्ञान का लण्ड नेहा की गाण्ड पर रगड़ रहा था और उसका मुँह नेहा के गले और गाल पर फिर रहा था उस पल। नेहा की नाइटी की स्ट्रैप्स खुद-बा-खुद कंधे से सरक गई और ज्ञान की जीभ उसके नंगे बाजू और काँख पर चलने लगी। नेहा स्ट्रगल करने लगी उसकी काली बाहों से निकलने की। ज्ञान काले रंग का था, बिल्कुल काला। नेहा बहुत गोरी थी तो दोनों के जिश्म के कांट्रास्ट हो रहे थ। नेहा की गोरी बाहें उसकी काली बाहों पर झपटा झपटी करते हुए बहुत अजीब लग रही थीं।

नेहा को बहुत ही गुस्सा आ रहा था और उसने सख्ती से दोबारा कहा- “आप मुझे छोड़ते हो या मैं सच में चिल्लाऊँ..”

तब ज्ञान ने अपने लण्ड को और जोर से नेहा की गाण्ड पर दबाते हुए कहा- “कौन तुम्हारी पुकार को सुनेगा यहाँ मेरी जान? तुझ जैसी गरम औरत को मेरे जैसे लण्ड को अपने अंदर घुसाने की सख्त जरूरत है, जिस दिन तुमको पहली बार यहाँ देखा, मुझे उसी दिन से तुमको चोदने का बड़ा ही मन किया, तभी से इंतेजार में था कि कब और कैसे तू हाथ आएगी कि अपना लण्ड तेरे अंदर घुसा सकूँ, हाए रे मेरी किश्मत तुमने खुद मुझे अपने घर के अंदर ले लिया आज, वाह रे वाह... अब चोदने दे, तुझे भी बड़ा मजा आएगा, देखना तू भी बहुत एंजाय करेगी। एक बार इसे अपने अंदर लेकर तो देख रानी..."

और तब तक ज्ञान नेहा की दोनों चूचियों को सख्ती से मसलने लगा अपने लण्ड को उसकी गाण्ड पर जोरों से रगड़ते हुए। लण्ड तब तक उसकी जीन्स के अंदर ही था, ऊपर-ऊपर से ही लण्ड को दबा रहा था उसकी गाण्ड पर। मगर नेहा सब महसस कर रही थी स्ट्रगल करते हए। ज्ञान को रोकने के लिए नेहा नीचे बैठने की भी कोशिश किए जा रही थी मगर ज्ञान बहुत और स्ट्रॉग था और वो हर बार उसको ऊपर उठा लेता था, अपने लण्ड को उसकी गाण्ड पर रखने के लिए। सब कुछ बहुत तेजी के साथ हो रहा था बहुत फास्ट आक्सन्स हो रहे थे।

जब नेहा ने देखा कि उसके बस की बात नहीं है ज्ञान के साथ स्ट्रगल करना तो अब गिड़गिड़ाने लगी- “मुझे छोड़ दो प्लीज... मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ, मैं शादीशुदा हूँ, मेरा पति एक बहुत अच्छा आदमी है, देखो मैंने तुमको चाय पिलाई, मैंने तुम्हारा खयाल रखा, तुम्हारी मदद किया। तुमको यह सब करना शोभा नहीं देता, ऐसा मत करो प्लीज...”

ज्ञान ने नेहा की एक ना सुनी और अपने आप में मगन आगे बढ़ता गया नेहा को चूमते चाटते हुए। उसके काले बड़े-बड़े हाथ नेहा की नाइटी ऊपर उटाने की कोशिश में भी लगे हुए थे। उसके काले हाथ नेहा के गोरी जिश्म पर बहुत जंच रहे थे। उसके वह काले काले हाथ नेहा की गोरी, सफेद जांघों पर फिर रहे थे, और वोही हाथ नेहा की पैंटी तक पहँचे और पैंटी को बाहर निकालने की कोशिश में लग गये। मगर नेहा ने बहत जोर लगाया उसको पैंटी नहीं निकालने देने के लिए।

तब तक जो नाइटी के स्ट्रैप कंधे से सरक गई थी झपटा झपटी में, वहाँ पर ज्ञान ने फिर से काँख को चूसना शुरू किया और एक लाल निशान कर दिया चूसते हुए। दोनों खड़े पोजीशन में ही थे इतनी देर तक और नेहा बहुत कोशिश कर रही थी उसके चंगुल से निकलने की मगर असफल थी।

ज्ञान ने थोड़ा गुस्से में कहा- “इतना ड्रामा क्यों कर रही हो? शादीशुदा हो तो चुदाई क्या होती है यह तो पता ही है, कोई कुंवारी तो नहीं हो जो इतने नखरे दिखा रही हो। अपने पति के साथ तो बहुत एंजाय करती होगी ना तुम। और क्या सती सावित्री बनने चली हो तुम? हाँ... इस तरह एक नाइटी में एक गैर मर्द को अपने घर के अंदर आने देती हो, तुम्हारी चूचियां साफ दिख रही हैं गोल-गोल, तुम्हारे निपल्स को देखो कैसे मुझको चूसने के लिए बुला रहे हैं। अगर इतनी ही सती सावित्री होती तो कपड़े बदलने के बाद मुझको घर के अंदर आने देती ना...

अब मैं घर में आ भी गया तो तुम अपने कमरे के अंदर जाकर अपने कपड़े बदल सकती थी मगर नहीं नाइटी में ही मेरे सामने खड़ी रही जब मैं चाय पी रहा था। मतलब तुम मुझको अपना जिश्म दिखा रही थी। तू चुदवाना चाहती तो है मगर नखरे कर रही है, क्यों, यही बात है ना मेरी जान? बोल। ऊपर से उस सुभाष को तो भाव देती है तू, उसको चुम्मी लेने दिया, उसने तेरी गाण्ड पर हाथ फेरा और तू हँसी थी... मतलब तेरे को यह सब अच्छा लगता है ना? हम्म्म... या मैं बहुत काला और मोटा हूँ इसलिए तुझे सुभाष पसंद है और मैं नहीं क्यों री? मुझसे एक बार चुदवा के देख तो तू मुझे फिर बुलाएगी चुदवाने के लिए। मुझको एक बार चख तो ले रानी। चल तेरे बेडरूम में चलते हैं। तेरे बिस्तर पर बहुत मजा आएगा.." और ज्ञान ने नेहा को आसानी से एक बच्चे की तरह उठाया और उसके कमरे के तरफ जाने लगा।

नेहा स्ट्रगल करते-करते तक गई थी और उसको पता चल गया कि वो उसको छोड़ने वाला तो नहीं है, तो नेहा ने खुद को सरेंडर कर दिया उसके सामने। जब ज्ञान उसको कारिडोर में चलकर ले जा रहा था तभी नेहा खामोश हो गई जैसे एक तूफान शांत होता है, अचानक वैसे बिल्कुल शांत हो गई ज्ञान की कि बाहों में। कारिडोर में ज्ञान को पता नहीं था कौन सा रूम बेडरूम है तो नेहा उसकी गोद में से ही खुद अपने बेडरूम के दरवाजे को खोला। ज्ञान को बहुत अच्छा लगा कि नेहा ने खुद अपने बेडरूम को खोला और वो समझ गया कि अब वो राजी हो गई है, इसीलिए खुद ही दरवाजे को खोल दिया नेहा ने।

रूम में दाखिल होते ही ज्ञान ने नेहा को बेड पर रखा और वो बैठ गई तो ज्ञान जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा नेहा के सामने। नेहा बेड पर बैठी ज्ञान को नंगा होते देख रही थी और अपनी नाइटी की स्ट्रैप जो उसके कंधे पर सरक गई थी उसको नेहा ने ऊपर कंधे पर किया। फिर ज्ञान के मोटे पेट को देखकर नेहा ने चुलबुलाते हुए एक हँसी छोड़ी अपने हाथ को मुँह पर करते हुए।

ज्ञान नहीं समझा कि अचानक क्यों नेहा हँसने लगी थी? उसने नेहा के चेहरे में देखा, तो नेहा दूसरी तरफ देखने लगी अपने हँसी को संभालते हुए। तब तक ज्ञान ने अपने सभी कपड़े उतार दिए और अंडरवेर में नेहा के सामने खड़ा था। नेहा बेड पर देख रही थी एक हाथ अपने मुंह पर दबाए हुए हँसी को रोकने के लिए।

ज्ञान ने पूछा- “क्या हो गया अचानक, ऐसे हँसी क्यों आ गई तुझे?"

नेहा ने जोर से हँसते हुए एक उंगली से उसके पेट के तरफ इशारा करते हुए कहा- “मैंने जिंदगी में ऐसा मोटा पेट कभी नहीं देखा, वो भी इतना काला। हीहीहीही.."

ज्ञान भी हँसने लगा अपने पेट को देखते हुए। फिर ज्ञान ने अपना अंडरवेर निकालते हुए कहा- “ठहरो और अब यह बताओ कि क्या तुमने ऐसा कुछ देखा है कभी?" और उसने अपने मोटे, काले, लंबे लण्ड को अपने हाथ में लिए नेहा कि तरफ करते हए कहा- “अब बोलो..."

नेहा ने अपने मुँह पर दोनों हाथ रखा और एक लंबी साँस लेकर कहा- “ओहह... माई गोड, इतना मोटा उफफ्फ़.."

ज्ञान नेहा को अच्छे मूड में देखकर खुश होते हुए अपने लण्ड को नेहा के मुँह तक ले गया क्योंकी वो बैठी हुई थी और ज्ञान खड़ा था।

उसका लण्ड देखकर नेहा जैसे सब गुस्सा और नाराजगी भूल गई। उत्तेजना ने उसके मन में घर कर लिया, और
क्योंकी पिछले 24 घंटों में किसी से कुछ नहीं किया था तो उसकी जिश्म की गर्मी बढ़ने लगी और उस मोटे लण्ड की चाह अचानक आ गई। नेहा के जिश्म और मन में सब सेक्सुअल फीलिंग्स जाग उठीं और उसको वो जरूरत महसूस होने लगी। खुद ही वो सोचने लगी कि अकेली घर में है वो और एक अजनबी अचानक उसके जिश्म को पाना चाहता है, तो इससे बेहतर तेजक मोमेंट हो ही नहीं सकता, उसके जिश्म की प्यास को बुझाने के लिए और खुद मज़े लेने के लिए।

ऐसा सोचते ही नेहा तड़प उठी सेक्स के लिए और नेहा ने तब ज्ञान की आँखों में देखा और अपनी नाक सिकोड़ते हए ज्ञान को अपनी जीभ निकालकर चिढ़ाया किया और अपनी गोरी हथेली में उसके मोटे काले लण्ड को लेकर नेहा बोली- “बड़े बदमाश हो आप, अगर मैं नहीं करने देती तो आप मेरा रेप करने वाले थे, है ना?"

ज्ञान खुशी से मुश्कुराया एक सिसकारी के साथ, और कहा “ले लो मेरी जान, ले लो अपने मुँह में इसे, तुम्हारे गरम मुंह में जाने के लिए बेताब है मेरा लण्ड...”

नेहा ने उसके लण्ड को सहलाया उसकी पूरे लंबाई पर उसके बाल्स तक। उसकी पतली उंगलियां फिर रही थीं उस मोटे काले लण्ड पर और फिर से उसकी गोरी हथेली और उंगलियां उस काले लण्ड पर बहुत खूबसूरत कंट्रास्ट कर रही थीं गोरा और काला। नेहा ने सर को झुका कर पहले हल्के से अपनी जीभ से उसके लण्ड के ऊपरी हिस्से को भिगोया, फिर धीरे से लण्ड को अपने मुँह में लिया।

ज्ञान तड़प उठा और अपने पाँव की उंगलियों पर खड़ा हो गया तुरंत और गुर्राया- “आगज्गघह... इस्स्स्स जानम ऐसे ही और अंदर लो अपने मुँह में... बड़ा मजा आ रहा है वाह आअगघह..."
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03-04-2021, 10:24 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा ने ज्ञान को चूसना शुरू किया अच्छी तरह से और खुद अपनी पैंटी को गीला महसूस किया। चूसती जा रही थी अपने जिश्म को ऐंठते हुए और बिल्कुल गरम हो रही थी चूसते वक्त, उस लण्ड का असर जबरदस्त पड़ रहा था नेहा पर।

तब तक ज्ञान ने उसकी नाइटी को उसकी कमर तक उठाया जबकि वो चूसती जा रही थी गर्दन हिलाते हुए। ज्ञान ने अपनी मोटी काली उंगली को उसकी गीली पैंटी पर दबाया, ठीक चूत के छेद पर जिससे नेहा तड़पी चूसते हुए ही।

कुछ देर कि चुसाई के बाद ज्ञान नीचे फर्श पर बैठा और नेहा की जांघों को फैलाया। अपने सर को उसकी जांघों के बीच किया और उसकी गीली चूत को चूसने, चाटने लगा। ज्ञान की छुवन से उसका पानी चूत से और भी ज्यादा बहने लगा। और बड़े आराम से ज्ञान नेहा का पानी पी रहा था चूसते हुए जैसे आम का रस। उससे नेहा की तड़पती आवाज में उसकी सिसकारियों से कमरा गूंज उठा। नेहा ने ज्ञान का सर जोर से अपने हाथों में दबाते हुए अपने टाँगों को और ज्यादा फैला दिया उसकी चुसाई का आनंद लेते हुए।

फिर धीरे-धीरे ज्ञान ने उसकी पैंटी निकाल फेंका और उसकी नाइटी भी। अब नेहा बिल्कुल नंगी बैठी थी बेड पर उसके सामने जबकि वो उसकी चूत को चूसे जा रहा था, और नेहा के गुलाबी, और गोरे जिश्म को निहारे भी जा रहा था चूसते वक्त, उसके आँखें नेहा की जिश्म का मोआएना भी करती जा रही थीं साथ-साथ। फिर ज्ञान भी बेड पर चढ़ा और नेहा को आराम से अपनी बाहों में भरा, और उसके जीभ ने नेहा के मुँह में रास्ता बनाया और दोनों एक दूसरे की जीभ चूसने लगे एक दूसरे को बाहों में जकड़े। क्या नजारा था एक बिल्कुल कोयले की तरह काला जिश्म और नेहा की बहत ही गोरी जिश्म एक दसरे में जकडे हए। नेहा की पतली गोरी उंगलियां ज्ञान की काली पीठ पर फिरते हए, देखने में अजीब तो लग ही रहा था मगर ज्ञान की उंगलियों को नेहा के जिश्म पर देखकर ऐसा लग रहा था कि दूध में मखी तैर रही है।

फिर होना क्या था, जल्द ही ज्ञान नेहा के ऊपर था, नेहा की दोनों टांगें फैलाए हुए और ज्ञान का लण्ड नेहा की गीली चूत में फिसलते हुए घुस गया। और उसके लण्ड के घुसते ही नेहा ने अपने जिश्म को ऐसे ऐंठा जैसे एक साँप रेंग रहा था बिस्तर पर और उसकी तड़पती आवाज सिसकारियों के साथ और भी माहौल को मजेदार बना रहे थे। नेहा की- “इस्स्स्स ... आअहह... उफफ्फ़... उमाआआ..." यह सब आवाजें ज्ञान का मजा दोगना कर रही थीं चुदाई के लिए। सिसकारियां तो ज्ञान के मुंह से भी आ रही थीं नेहा की चूत में लण्ड को अंदर-बाहर करते हुए, बड़े मजे से चोद रहा था वो नेहा को उसके जिश्म के हर एक अंग को बहुत खुशी से महसूस करते हुए। चोदते वक्त ज्ञान सोच रहा था कि कल तक वो सिर्फ उसके जिश्म को निहार रहा था और कल्पना कर रहा था चोदने की और आज उसकी चूत के अंदर उसके लण्ड का आना जाना था। बहुत एंजाय करते हुए चोद रहा था ज्ञान उस हसीन गोरी जिश्म वाली को।

चुदाई जारी रही और नेहा की तड़पती आवाज और जोरों से बढ़ती गई, जबकि ज्ञान के लण्ड के धक्के और तेज होते गये उसकी चूत में.. ज्ञान का पशीना बह निकला और नेहा उसके पशीने को चाट रही थी, उसके काले जिश्म को चूम रही थी, चूस रही थी, उसके कंधे पर अपने दाँत गड़ा रही थी, कसकर ज्ञान को अपनी नर्म मुलायम बाहों में जकड़े हुए और उसके लण्ड को अपनी चूत में बड़े मजे से महसूस करती जा रही थी नेहा।

फिर अचानक नेहा और भी ज्यादा जोर से ज्ञान को जकड़ते हुए, तड़पती आवाज में चिल्लाई- “हाँ मैं झड़ने वाली हैं और ज्यादा जोर से धक्का मारो... रुकना मत प्लीज... करते जाओ और जोर से... और जोर से आअहह... इस्स्स्स ... आआह्ह... ओह्ह... माई गोड इट्स सुपर्ब... आई लोव इट... बहुत अच्छा लग रहा है और करो, करते जाओ ना... बहुत मजा आ रहा है... इस्स्स्स ..." और नेहा ने अपने सर को ज्ञान के कंधे पर किया उसको चूसते हुए और जोरों से हाँफते हुए।

ज्ञान भी गुर्राते हुए झड़ने वाला था और उसने भी तड़पती आवाज में- “आआह्ह... अघघघ, ओह्ह... हाँ..” फिर झट से उसने अपने लण्ड को चूत से बाहर खींचा और नेहा के मुँह तक ले गया, और अपने गरम वीर्य की पिचकारी को छोड़ा नेहा की चूचियों और गले पर। कुछ वीर्य के कतरे नेहा के गाल और माथे पर भी गये प्रेशर से।

नेहा ने उसके पानी को झट से अपने हाथ से पोंछा। फिर ज्ञान ने लण्ड को नेहा के मुँह के पास किया तो नेहा ने बाकी के वीर्य को अपनी जीभ से चाटकर साफ किया, ज्ञान के चेहरे में एक शैतानी मुश्कुराहट से देखते हए। झड़ने के बाद ज्ञान बहुत खुश हुआ, और जिस तरह से नेहा ने उसके आखिरी वीर्य के कतरे को चूसा और चाटा उससे ज्ञान को बेहद मजा आया, तो वो झुक कर नेहा के मुँह को अपने मुँह में ले लिया और बड़े प्यार से उसको किस किया। जैसे उसको कोई इनाम दे रहा था।
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03-04-2021, 10:24 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
चुदाई बस 15 मिनट के अंदर हो गई थी और वो झड़ गया था, सब बड़ी जल्दी में हुआ क्योंकी वो बहुत ही उतावला था नेहा के लिए पहले से ही।

तब ज्ञान ने अपने अंडरवेर को पहना और बेड पर बैठा जबकी नेहा ने अपनी नाइटी को खींचा पहनने के लिए। तब ज्ञान ने उससे पूछा- “तुम रात को कभी नाइटी नहीं पहनती हो?"

नेहा ने मुश्कुराते हुए ज्ञान को जवाब दिया- “नहीं यह रात को नहीं पहनते हैं चूचियां फ्री रहती हैं और पति को भी तो चाहिए होता है ना.."

ज्ञान नेहा के करीब बैठा और कहा- “क्यों नाइटी को पहन रही हो, ऐसे ही रहो मुझे तुम्हारे अंग-अंग को और निहारने दो, मन नहीं भरा है अभी तुमको देखकर.."

नेहा ने कहा- “क्यो.. इतने देर से नहीं निहारा तुमने क्या?"

तब ज्ञान ने अपनी घड़ी देखी और कहा- “अरे अभी तो बहुत वक्त है 9:00 बजने में। हमने यह सब कुछ सिर्फ 15 मिनट में कर लिया, यकीन नहीं आ रहा। तो अब क्या करें?"

अपनी स्ट्रैप को कंधे पर ठीक करते हुए नेहा को वो लाल निशान दिखे जो ज्ञान ने चूसते वक़्त किए थे तो हैरानी में नेहा बोली- “यह देखो, मेरे ससुर और देवर यह देख लेंगे, क्या किया तुमने यह?” तुरंत नेहा को खयाल आया कि उसने गलत नाम लिए और उसका चेहरा लाल हो गया। फिर सुधारते हुए कहा- “मेरा पति नोटिस कर लेगा इस निशान को और सवाल करेगा..."

कुछ देर तक ज्ञान खयालों में डूबे रहे फिर नेहा के चेहरे में देखते हुए कहा- “तुमने अभी-अभी कहा कि तुम्हारे ससुर और देवर हम्म्म... क्या बात है जी? वह लोग वहाँ तुम्हारी काँख के पास देखेंगे? उन लोगों को भी वहाँ तक देखने को मिलता है। वाह... दोनों बहुत खुशनसीब हैं तब तो हम्म्म...”

नेहा बेड से कहते हुए उतरी कि टायलेट जा रही है और कहा “ऐसे ही उसके मुँह से ससुर और देवर निकल गया था और वैसे जब सुबह को मैं नाइटी में रहती हूँ, उन सबको सर्व करती रहती हूँ तो सब देखेंगे नहीं क्या? मेरी गोरी चमड़ी पर साफ-साफ लाल धब्बा दिख रहा है। मैं यही कहना चाहती थी जब ससुर और देवर का नाम लिया तो.” और वो टायलेट चली गई।

ज्ञान को लगा कि वो कुछ छुपा रही है। ज्ञान अपने मन की गहराई में सोचने लगा कि नेहा एक बहुत ही गरम लड़की लग रही है तो क्या पाता कि उसके ससुर और देवर दोनों उसको चोदते होंगे। यह सोचते हए ज्ञान ने महसूस किया कि उसका फिर से खड़ा होने लगा है और नेहा को एक बूढ़े से चुदते हुए कल्पना करने लगा। ज्ञान ने सोचा कि एक उम्र वाला आदमी कितना खुश होता होगा नेहा जैसी इतनी ज्यादा खूबसूरत, हसीन, गोरी, सेक्सी लड़की को चोदते हुए? नेहा का जिश्म और कामुकता इतनी जबरदस्त है कि नेहा को एक बार चोदने से बिल्कुल मन नहीं भरता, एक खालीपन सा लगता है और बार-बार उसके साथ लेटने को मन चाहता है। नेहा इतनी अच्छी भी है, ऊपर से उसकी कातिलाना अदायें, उसकी हसीन मुश्कुराहट, उसकी नाजुक बच्चे जैसे आवाज, उसकी बोलने की अदा, यह सब मिलाकर नेहा की खूबसूरती को इतना जबरदस्त कर देती हैं कि फरिश्ते भी बहक जाएं, नेहा को अपने सामने पाकर। यह सब सोचते हए ज्ञान का फिर से जमकर खड़ा हो गया और सोचा कि वो एक बार और नेहा को चोद सकेगा, क्योंकी उसके पास अब भी बहुत वक्त था गैरेज को खुलने में और वर्कर्स के आने में।

टायलेट में नेहा सोच रही थी कि कैसे उसके मुँह से गलत नाम निकल गये जबकि उसको कभी अपने ससुर और देवर का नाम नहीं लेना चाहिए था। उसने सोचा कि ज्ञान इसी के बारे में सोचता होगा और उसको यकीन हो । गया होगा कि उसके तालुकात हैं उसके देवर और ससुर के साथ। वो फिकर करने लगी थी। उसको गरम महसूस हो रही थी जिस तरह से उसने देवर और ससुर का नाम ले लिया ज्ञान के सामने। उसकी इतनी आदत हो गई थी ससुर और देवर के साथ सेक्स को लेकर कि उन्हीं के नाम पहले आते हैं, जब सेक्स की चर्चा होती है, क्योंकी इस घर में वह दोनों ही तो उससे सेक्स करते थे, पति तो नहीं करता था कभी।

जब नेहा टायलेट से वापस आई तो उम्मीद कर रही थी कि ज्ञान तैयार हो गया होगा वापस जाने के लिए, मगर उसको हैरानी हई देखकर कि वो अब भी बेड पर ही बैठा हआ था और उसका अंडर || तो वो समझ गई कि उसका फिर से खड़ा हो गया है। नेहा को ज्ञान से शुरू में डर तो लगी थी मगर करने के बाद एक लगाओ सा हो गया। वो बहुत नर्मी से पेश आया था सेक्स के दौरान और प्यार से किया था नेहा से और मीठी मीठी बातें कर रहा था जिसने नेहा का मन मोह लिया था, तो नेहा के दिल में ज्ञान ने जगह बना लिया था उस एक पल में ही। वो नेहा को पसंद आ गया था।
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03-04-2021, 10:24 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
जब नेहा टायलेट से वापस आई तो उम्मीद कर रही थी कि ज्ञान तैयार हो गया होगा वापस जाने के लिए, मगर उसको हैरानी हई देखकर कि वो अब भी बेड पर ही बैठा हआ था और उसका अंडर || तो वो समझ गई कि उसका फिर से खड़ा हो गया है। नेहा को ज्ञान से शुरू में डर तो लगी थी मगर करने के बाद एक लगाओ सा हो गया। वो बहुत नर्मी से पेश आया था सेक्स के दौरान और प्यार से किया था नेहा से और मीठी मीठी बातें कर रहा था जिसने नेहा का मन मोह लिया था, तो नेहा के दिल में ज्ञान ने जगह बना लिया था उस एक पल में ही। वो नेहा को पसंद आ गया था।

कहते हैं ना 'थे कांट्ररी अट्रैक्ट्स' तो उसका काला जिश्म, मोटापन और नेहा का गोरा रसीला बदन शायद ज्ञान के जिश्म से आकर्षित हो गये थे किसी तरह।

जब नेहा बेड के पास से गुजरी तो ज्ञान ने झट से नेहा का हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींचा और भुनभुनाया उसके कानों में- “तो तुम अपने बूढे ससुर को भी खुश करती हो? हम्म्म... बहुत खुशनसीब है वो बूढ़ा तो। बोलो ना मेरी जान तुमको बूढ़े लण्ड पसंद हैं क्या? हम्म्म..”

नेहा ने उसकी बाहों में स्ट्रगल किया और कहा कि वो उसपर झूठा इल्ज़ाम लगा रहा है।

ज्ञान नेहा के गले पर किस करने लगा और उसको पहले की तरह चूसा, इस बार गले के पीछे गर्दन पर जो उसके बालों से छुपे रहेंगे, और ज्ञान के हाथ उसके जिश्म पर चारों तरफ फिरसे फिरने लगे, उसको अपने जिश्म से चिपकाए हुए, और ज्ञान की साँसें तेज होने लगीं। नेहा की जिश्म की गर्मी को अपने जिश्म पर दोबारा उस तरह से महसूस करते हुए ज्ञान अपने आपको नहीं संभाल पाया, और ज्ञान ने उसकी नाइटी को फिर से उतारने की कोशिश किया। और दूसरे पल में ज्ञान ने नेहा को फिर से बेड पर लेटा दिया था और उसकी स्ट्रैप्स को कंधे से नीचे करते हुए उसके गोरे कंधों को चूस रहा था।

ज्ञान का मोटा पेट नेहा के सपाट पेट पर उस वक्त दबा हुआ था तो नेहा हँस पड़ी। और कहा- "तुम्हारे इस मोटे पेट को तो देखो ना जरा हीहीही... मेरे पेट को दबा रहा है और सख्त है, इतना मोटा पेट क्यों है तुम्हारा? हाँ...
और ऊपर से तुम मोटे हो, कभी भी मेरे साथ किसी मोटे आदमी ने यह सब नहीं किया, यह पहली बार है। और कभी भी किसी इतने काले आदमी के साथ मैं नहीं सोई, यह भी पहली बार है। मैं हमेशा सोचा करती थी कि एक मोटा आदमी कैसे करता होगा अपनी पत्नी के साथ? हीहीही...”

पता नहीं क्यों नेहा को ज्ञान से बात करते हुए एक अपनापन सा महसूस हो रहा था, जैसे वो उसको पहले से जानती हो, जैसे एक नाता था उसके साथ।

ज्ञान ने पूछा- “बोलो मेरी जान, कितने गोरे लोगों के साथ सो चुकी हो? मुझको बिल्कुल लग रहा है कि तुम बहुतों के साथ यह सब कर चुकी हो, सही कह रहा हूँ ना मैं? बहुत होशियार लड़की हो तुम क्यों? लण्ड की बहुत पहचान है तुमको, कितना अच्छी चूसती हो, बड़ी आदत है तुमको, सब कुछ जानती हो कि एक मर्द को कैसे खुश करते हैं, सब पता है तुमको। हालांकी उम्र ज्यादा नहीं है तुम्हारी अभी। बहुत गरम हो, कामुक हो, चुदवाना बहुत पसंद करती हो, क्यों है ना जानी?”

नेहा ने उसको सख्ती से धकेला और कहा- “मुझे ऐसे गंदे शब्द बिल्कुल नहीं पसंद, अश्लील बातें नहीं करती मैं, मुझे बिल्कुल पसंद नहीं, और मैं तुमको क्यों बताऊँ कि मैं किसी और के साथ सो चुकी हूँ भला? यह मेरा व्यक्तिगत मामला हैं काले कौव्वे.." नेहा ने यह सब गुस्से में नहीं बल्की परेशान होते हुए तंग आकर उसको कहा।

ज्ञान को मजा आया जिस अदा से नटखट होते हुए नेहा ने उसको वो सब कहा, और नेहा को बाहों में जकड़कर ज्ञान ने उससे कहा- “तुम किसी से भी चुदवा सकती हो क्या? किसी भी मर्द को अपनी चूत दे दोगी चोदने के लिए? बोलो..."

इस बार नेहा ने ज्ञान को डांटते हुए कहा- “शटप यू डार्क ब्लैक डाग.."

ज्ञान ने हँसते हुए कहा- “अरे गोरी, मुझको इंग्लिश भी आती है...” तब तक ज्ञान ने नेहा की नाइटी के स्ट्रैप्स को उसके पेट तक नीचे कर दिया था और उसकी फूली हुए चूचियों को चूस रहा था, अपनी जीभ उसके निपल्स पर गोल-गोल घुमा रहा था।

नेहा नकली गुस्सा करते हुए उसको धकेल रही थी थोड़ी बहुत तड़पते हुए।
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03-04-2021, 10:24 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
ज्ञान हर पल को एंजाय कर रहा था और नेहा की आँखों में देखते हुए कहा- “सुनो, चलो एक खेल खेलते हैं..."

“कौन सा खेल?" नेहा ने पूछा।

ज्ञान ने कहा- “मैं तुम्हारा ससुर बनता हूँ और तुम मेरे बेटे की पत्नी हो, मैं तुमको चोदना चाहता हूँ मगर तुम इनकार कर रही हो फिर भी तुमको जबरदस्ती चोदूंगा.."

नेहा ने कहा- “नहीं, मैं वो नहीं करूँगी..."

ज्ञान बहुत उत्तेजित महसूस कर रहा था और एक सिसकारी लेते हुए ठरकपन में कहा- “ओहह... चलो ना करते हैं वैसा ही, तुम शमिल हो जाओ इस खेल में। देखना कितना मजा आएगा, तुम खुद बहुत एंजाय करोगी यकीन करो मेरा.."

नेहा ने कहा- “क्या फर्क पड़ेगा मैं नहीं भी भाग लूं तो, तब भी तो तुम करोगे ही..."

ज्ञान ने अपनी हथेली को उल्टा करके नेहा के गाल पर फेरते हुए कहा- “अगर तुम मेरी बहू बनने का नाटक करके करोगी तो बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा, मैं चाहता हूँ कि तुम नेचुरल महसूस करो, बिल्कुल एक घर की बहू बनने की आक्टिंग करो, और मैं तुम्हारा ससुर बनता हूँ जिसको तुम चाय सर्व करने आती हो इसी कमरे में और मैं तुमको जकडूंगा इसी बेड पर..."

नेहा हिचकिचा रही थी मगर ज्ञान ने नेहा को बेड से उतारा, उसको ड्रेस फिर से पहनाया, और उसे बाहर जाने को कहा और फिर दरवाजा खोलकर अंदर वापस आने को कहा और उसको 'पिताजी' बुलाने को कहा।

नेहा परेशान होकर पूछा- “यह सब क्या है भला?”

ज्ञान की आवाज में बहुत उत्तेजना थी और बहुत थ्रिल्ड होते हुए उसने नेहा से कहा- “तुम करके तो देखो ना रानी, बहुत मजा आएगा... बस करो जो मैं कह रहा हूँ फिर कहना... मैं यहाँ बेड पर लेटा हुआ हूँ इस अंडरवेर में और तुम अपनी नाइटी में मुझको चाय देने आओगी इस कमरे में, तुम अपने ससुर को इसी नाइटी में ऐसे चाय सर्व करने आओ यहाँ। और मैं तुमको ऐसे देखकर चोदना चाहूँगा, तुम इनकार करोगी मगर मैं जबरन तुमको चोदूंगा। तुम मना करती जाओगी मगर मैं जबरदस्ती करते हुए तुम्हें चोदूंगा। और तुम सिर्फ आखिरी पल में सरेंडर करोगी, जब तुम झड़ने लगोगी तब, चलो बाहर निकलो और सच में एक कप चाय लेकर वापस अंदर आओ, मुझे ससुर समझकर देने के लिए। चलो करो ना प्लीज... मैं इसको रियल महसूस करना चाहता हूँ बहुत ही मजा आएगा मेरी जान.."

ना चाहते हुए भी नेहा मान गई। नेहा ने एक अच्छी बह के रूप में अपने आपको ढाला, एक ऐसी बहू जिसको किसी और ने नहीं छुआ उसके पति के सिवा। और अपने ससुर के लिए चाय लेने गई।

ज्ञान ने बेड पर एक पेपर लिया और जैसे उस पेपर को पढ़ रहा हो वैसा नाटक किया कमरे के अंदर।

नेहा ने नाक किया और बाहर से ही पूछा- “पिताजी क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"

ज्ञान ने यह तो नहीं पूछने को कहा था नेहा से और उसको खुशी हुई कि नेहा खुद आक्टिंग कर रही थी अपने आपसे। तो उसने अंदर से जवाब दिया- “हाँ बेटी, आ जाओ तुम.."
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03-04-2021, 10:24 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
ज्ञान ने यह तो नहीं पूछने को कहा था नेहा से और उसको खुशी हुई कि नेहा खुद आक्टिंग कर रही थी अपने आपसे। तो उसने अंदर से जवाब दिया- “हाँ बेटी, आ जाओ तुम.."

जैसे ही नेहा अंदर दाखिल हुई हाथ में एक कप चाय लिए हुए, उसने नेहा को देखना शुरू किया सर से पाँव तक। और नेहा की पतली नाइटी के अंदर झाँका। नेहा को थोड़ी बहुत हँसी आ रही थी क्योंकी वो आक्टिंग कर रही थी। नेहा ने चाय का कप उसके पास रखते हुए कहा- “यह रही आपकी चाय पिताजी.”

और ज्ञान ने नेहा से कहा- “मेरे अंडरवेर पर देखो और शर्मा जाओ फिर मेरी आँखों में शर्माते हुए देखो..."

नेहा ने सच में ज्ञान के अंडरवेर पर उसके लण्ड के पास देखा और शर्माते हए ज्ञान के चेहरे में देखा। नेहा को महसूस हुआ कि सच में वो शर्मा रही है और सच में अपने ससुर के कमरे में उसको उस हालत में देखकर शर्मा रही है। नेहा को लगा के वो सच में इस आदमी की बहू है और उसका खड़ा हुआ लण्ड देख रही है उसके अंडरवेर में। और सच में नेहा का चेहरा लाल हो गया और वो एक तरफ देखने लगी।

जब नेहा ने वैसा किया तो ज्ञान ने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा। नेहा ने उस रोल प्ले में डूबते हुए कहा- “पिताजी यह कैसी बात है? छोड़िये मेरा हाथ आप.."

ज्ञान खुश हुआ और अपने बाजू को नेहा के कंधे पर रखते हुए कहा- “ओहह... मेरी प्यारी सेक्सी बहू, आज यह पिताजी तुमको पाना चाहता है। आओ इस बूढ़े ससुर के और पास आओ ना मेरी प्यारी बहू..."

नेहा ने उसको मारते हुए उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की तो ज्ञान को खड़े होकर नेहा को थामना पड़ा क्योंकी अब वो हिंसक हो रहा था, सख्ती से काम ले रहा था। एक बड़ा स्ट्रगल शुरू हुआ। नेहा उसको मारती जा रही थी और ज्ञान उसको काबू में करने की कोशिश में लगा हुआ था। लगे हाथ ज्ञान अपने हाथ को उसकी नाइटी के नीचे उसकी जांघों और गाण्ड पर फेरता गया, जबकी नेहा स्ट्रगल करती गई। ज्ञान साथ-साथ नेहा के कंधे, गाल, चूचियां और चारों तरफ अपना मुँह फेर रहा था स्ट्रगल के दौरान। नेहा के बल खुल गये और उसके जिश्म पर फैल गये स्ट्रगल के दौरान। झपटा झपटी हो रही थी... कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक चले गये दोनों स्ट्रगल करते हए। नेहा को महसूस हो रहा था कि सच में वो अपने ससुर के साथ है और वो उसके साथ जबरदस्ती कर रहा है और वो मना कर रही है। एक रियल फाइट सीन लगने लगा था। नेहा नीचे फर्श पर बैठ गई उसके हाथों को उसके जिश्म के अंदर जाने से रोकने के लिए।

जबकि ज्ञान ने उसको मजबूती से जकड़ा हुआ था और अपने हाथों को उसके जिश्म पर चारों तरफ दबा रहा था, मसल रहा था। फिर उसने गुर्राते हुए कहा- “तुम अपने ससुर को इस महीन पतली सी नाइटी में चाय सर्व करने को आई हो, बिना ब्रा के मुझको अपने चूचियां दिखाते हुए और चाहती हो कि मैं यह सब नहीं करूँ? मुझको अपना गरम सेक्सी जिश्म देखने का निमंत्रण दे रही हो, तो अब चोदने तो दो... मेरा खड़ा हो गया यह सब देखकर और अब मैं तुम्हें चोदे बिना जाने नहीं दूंगा। अब चलो चुदाई करते हैं बहू रानी..” और इतनी सख्ती से ज्ञान ने उसकी नाइटी को खींचा की उसकी स्ट्रैप्स टूट गये, और कहीं-कहीं फट भी गई नेहा की नाइटी। ज्ञान हिंसक हो रहा था।

और नेहा बिल्कुल अच्छी तरह से भाग ले कर रही थी, जैसे कि सच में उसके ससुर ने उसपर हमला किया था। दोनों रोल को निभा रहे थे बिल्कुल सही तरीके से। फिर ज्ञान ने नेहा को अपनी मजबूत बाहों में उठाया और बिस्तर पर लेटाया। नेहा ने अपने हाथों को अपनी छाती पर रखा और पेट के बल हो गई बेड पर, अपनी चूचियों को छुपाते हुए। वो उस वक्त सिर्फ अपनी पैंटी में थी पेट के बल बेड पर लेटी, उसकी पीठ बिल्कुल नंगी थी। ज्ञान ने उसकी पीठ को किस किया और अपनी जीभ को उसकी रीढ़ की हड्डी पर फेरा ऊपर से नीचे तक। नेहा वापस पलटी और ज्ञान के चेहरे पर एक थप्पड़ मारा।

ज्ञान ने नेहा के दोनों हाथों को अपने हाथ में जकड़ा और पीछे दबा दिया बेड पर और एक जंगली की तरह नेहा की चूचियां को चूसने चाटने लगा।
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03-04-2021, 10:24 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
फिर नेहा ने चिल्लाते हुए कहा- “पिताजी, शर्म करो, क्या कर रहे हो आप? मैं आपकी बहू हूँ, आपकी अपनी बेटी की तरह हूँ मैं। कौन सा हैवान सवार हो गया है आप में?"

ज्ञान ने गुर्राते हुए कहा- “मैं इस बहू को चोदना चाहता हूँ और चोदने जा रहा हूँ, अब मुँह बंद करो और चुदाई करो अपने ससुर के साथ.." और ज्ञान ने नेहा की पैंटी को खींच फेंका और अपना अंडरवेर भी निकाल फेंका।
और अपने काले मोटे लण्ड को नेहा की गोरी चूत पर रगड़ा।

नेहा स्ट्रगल करती रही, हाँफने लगी, और ज्ञान ने अपना लण्ड उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया। उसका लण्ड
अपने अंदर लिए हए भी नेहा स्ट्रगल करती रही, मना करती रही, उसको रोकने की कोशिश करती गई। ज्ञान ने नेहा का सर नीचे बेड पर दबाया और अपने लण्ड के धक्के देने लगा उसकी चूत के अंदर। मगर नेहा तब भी उसके लण्ड को अपने अंदर से बाहर करने की कोशिश में लगी हुई थी और अपनी कमर हिलाकर अगल-बगल होने की कोशिश किया, लण्ड को चूत के बाहर निकालने के लिए, मगर असफल रही।

तब नेहा बोली- “उफ्फ... अब मैं थक गई.." और हॉफने लगी।

ज्ञान बड़े मजे से उसकी चूत को चोदता जा रहा था उसकी चूचियों को चूसते हुए और कंधे और गले को चाटते हए। नेहा थोड़ी देर खामोश रही और अचानक एक जोर से धक्का देते हुए उठने की कोशिश उसने की तो लण्ड चूत से बाहर निकल गया। फिर नेहा ने बेड से उतरने की कोशिश की, मगर ज्ञान की मजबूत बाहों ने नेहा को इस बार खींचकर लेटाया तो नेहा पेट के बल गिरी बेड पर। अब ज्ञान के सामने नेहा की गाण्ड थी तो उसको नेहा की गाण्ड मारने का मन किया। तब ज्ञान ने नेहा के दोनों टाँगों को फैलाया जबरदस्ती से और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद के ऊपर थूक लगाकर रगड़ा पहले।

नेहा ने गर्दन मोड़कर पीछे देखना चाहा कि ज्ञान क्या करना चाह रहा था? वो समझ गई कि वो उसकी गाण्ड में घुसाना चाह रहा था, तो नेहा चिल्लाई- “नहीं, वहाँ नहीं..."

मगर ज्ञान कहाँ से सुनने वाला था। उस वक्त उसपर एक जुनून सा सवार था, उसने लण्ड को गाण्ड के बीच जोर से मसला, और थूक लगाया लण्ड के ऊपर, फिर नेहा की गाण्ड के छेद पर थूका ज्ञान ने और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद पर धीरे से दबाया तो लण्ड थोड़ा सा घुसा, नेहा ने शिकवे किए मगर ज्ञान ने लण्ड को और दबाया तो आधा घुसा, फिर थोड़ा सा बाहर खींचा ज्ञान ने और फिर से धक्का दिया और उसका लण्ड नेहा की गाण्ड के अंदर पूरा चला गया। जिससे नेहा की चीख निकली और ज्ञान गाण्ड मारने लगा मजे से। नेहा तड़पती गई, सिसकारियां लेते हुए, उफ्फ उई आह्ह.. करते हुए और ज्ञान अपने आप में मगन चोदता गया नेहा की गाण्ड को।

नेहा की गाण्ड बहुत टाइट थी और ज्ञान को बेहद मजा आ रहा था अपने लण्ड को उसमें आते जाते देखकर। जितना नेहा तड़प रही थी ज्ञान को उतना ही मजा आ रहा था। और आखिर में नेहा खामोश लेट गई उसके नीचे... मतलब अब नेहा की इकरार थी।

तभी एक शेर की तरह ज्ञान गर्राने लगा और वोही गुर्राने की आवाज में कहा- हम्म्म... बेटी, मेरी प्यारी बह
रानी, मैंने आज तेरी गाण्ड मारी, कितनी टाइट है तेरी गाण्ड... बाहर निकालने की जरूरत नहीं अंदर ही झड़ रहा हूँ अघघ्गघ्य... इस्स्स्स ... वाह मेरी बहू... आगज्गघह..."

नेहा ने शिकायत की एक बचकानी आवाज में- “आप बहुत गंदे हो पिताजी, आपको वहाँ नहीं करना चाहिए था। बहुत बुरे हो आप, अब मैं आपके बेटे को क्या मुँह दिखाऊँगी पिताजी? हम्म्म..' फिर एक पल के बाद दोनों हँसने लगे। नेहा ने कहा- “उसको सच में बहुत मजा आया यह रोल प्ले करते हुए और उसने खूब एंजाय किया..."

ज्ञान नेहा के साथ और 15 मिनट तक रहा फिर अपने वर्कर्स के आने से पहले चला गया। नेहा ने उसको याद दिलाया कि किसी से या वर्कर्स से कुछ नहीं कहने का, खासकर सुभाष को कुछ नहीं बताना।

सुभाष नेहा के बाहर आने का इंतेजार कर रहा था बोतल में पानी भरने जाने के लिए। वैसे हर रोज तकरीबन 10:00 बजे नेहा बाहर आती है मगर आज 11:00 बज गये थे और वो नहीं दिख रही थी। वर्कर्स लोग अपने आपसे बातें कर रहे थे कि हो सकता है कि नेहा आज कहीं बाहर गई हुई है घर पर नहीं है।

ज्ञान सब सुन रहा था मगर खामोश था। अंदर ही अंदर ज्ञान खुश हो रहा था कि उसने दो बार नेहा के साथ एंजाय किया और सुभाष जो खुद को बड़ा रोमियो समझता है, मगर उसके लिए अभी तक घंटा है।

सुभाष सोच रहा था कि किस तरह से कल उसने नेहा को किस किया था और उसकी चूचियां दबाया था उसने, वो उसको पाने के करीब था और सोचा था कि आज नेहा को पा लेगा, मगर सुभाष बहुत निराश हुआ नेहा की गैरहाजिरी से।

उधर अपने घर के अंदर से नेहा गैरेज में देख रही थी, उसको पता था कि सुभाष उसको ढूँढ़ रहा होगा। नेहा ने
सोचा कि अगर आज ज्ञान ने उसको नहीं चोदा होता तो शायद इस वक्त सुभाष उसके कमरे में होता इस वक्त। सुभाष के लिए नेहा को अफसोस हो रही थी क्योंकी वो उसको पसंद करने लगी थी। क्योंकी उसमें नेहा को प्रवींद्र
और उसकी अदायें नजर आती थीं। नेहा ने सोचा शायद किसी दिन सुभाष को उसके साथ चान्स मिलेगा।
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