Indian XXX नेहा बह के कारनामे
03-04-2021, 10:25 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा की समझ में नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे? पिछले 35 दिनों से नेहा ने भी सेक्स नहीं किया था
और वो भी गरम होने लगी थी। मगर पंडितजी की इज्जत, धर्म कर्म, और रीति रिवाज और परंपरा इन सबको सोचते हुए नेहा दुविधा में पड़ गई थी, धार्मिक मामलों को भी सोच रही थी और इन सब चीज़ों को सोचते हुए उसके दिमाग में कुछ नहीं सूझ रहा था। नेहा बहत कन्फ्यू ज्ड थी मगर साथ-साथ उसके जिश्म की गर्मी भी बढ़ी हुई थी, वो प्यासी भी था सेक्स के लिए, एक मर्द की छुवन थी और खासकर उम्र वाला एक मर्द था वहाँ और उसका लण्ड रगड़ रहा था उसके जिश्म पर। नेहा उसको पश नहीं कर रही थी मगर आदर और इज्जत से बात करने की कोशिश कर रही था ।

नेहा ने कहा- “पंडितजी, आप एक पंडित हो और यह आपको शोभा नहीं देता। आपको अपनी इज्जत और स्टेटस का खयाल करना चाहिए...”

मगर तब तक पंडित ने नेहा के आँचल को खींच दिया था। नेहा की ब्लाउज़ उसकी कड़क चूचियों से उभरी हुई थी, उसके निपल्स जैसे एक खड़े हए लण्ड की तरह ब्रा के बाहर निकलना चाहते थे। पंडित नेहा के पीछे, उसके कंधों के ऊपर से उसकी क्लीवेज को देखते हुए अपने लण्ड को और जोर से दबाते हुए उसके चूतरों पर रगड़ते
जा रहा था। और कहा- “नेहा बिटिया, इस वक्त भूल जाओ कि मैं कोई पंडित हूँ, इस वक्त मैं एक भूखा इंसान हूँ और तुम्हारे पास वो खाने वाली चीज है जो तुम मुझे खिला सकती हो, बाकी सब कुछ बिल्कुल भूल जाओ तुम। मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हारे पूरे शरीर में भी वोही भूख है, क्योंकी पिछले 35 दिनों से तुम व्रत रख रही हो ना इसके लिए। क्यों अपने शरीर पर अत्याचार कर रही हो बिटिया?"

नेहा ने अपने जिश्म को पूरी तरह से पंडितजी के सामने घुमा लिया और अब पंडितजी का लण्ड नेहा के पेट के नीचे चूत के बहुत करीब छू रहा था दबाते हुए। और नेहा अब आमने सामने थी पंडितजी के और नेहा के लबों पर एक हल्की सी मुस्स्कान जैसी थी।

उस मुश्कान को देखकर पंडितजी ने खुद के मन में कहा- “हाँ... अब यह मुझे करने देगी, अलबत्ता यह गरम हो गई लगता है। है तो एक बहुत ही गरम माल यह लड़की, मुझे बस और ज्यादा बातों में उलझाना है इसे अब। रास्ते में आ रही है यह। इसको भी जरूरत है एक लण्ड की मुझे पक्का यकीन है..."

पंडित ने अपने चेहरे को नेहा की छाती पर रगड़ते हुए भुनभुनाते हुये कहा- “तुम इस वक्त एक बेहद खूबसूरत परी की तरह हो जिसको ऊपर वाले मालिक ने मेरी प्यास बुझाने के लिए ही भेजा है। मैं पछता रहा हूँ कि क्यों शुरू में ही मैंने तुमको अपनी तरफ नहीं किया? कई बार हम दोनों ने बहुत मजा कर लिया होता अब तक.."

यह सुनकर नेहा ने उसकी बाहों में जकड़े हुए ही उससे पूछा- “क्या आप शुरू से ही मुझको उस नजर से देखते थे? इससे पहले ही कि मैंने आपको यह सब कुछ कहा..."

पंडितजी ने नेहा की कमर को और ज्यादा अपने नीचे वाले हिस्से से दबाते हुए जवाब दिया- “बेशक... मैं तुमको निहारा करता था, तुम हो ही इतनी गरम, सेक्सी कि दुनियां का कोई भी मर्द तुमको उस नजर से देखेगा, अपने बिस्तर पर लेटना चाहेगा...”

तब तक नेहा ने तकरीबन अपने आपको पंडितजी को समर्पण कर दिया था और वो खुद को पंडितजी कि बातों में रंगने दे रही थी और उसकी रगड़ से लुत्फ़ उठाने लगी थी छोटी-छोटी सिसकारियों के साथ।

उस मौके का फायदा उठाते हुए पंडित अपने लण्ड को नेहा की चूत के ऊपर दबा रहा था, नेहा के चेहरे में देखते हए कि क्या वो कोई शिकायत करेगी उसके लण्ड को अपनी चूत पर महसूस करके। साड़ी में लिपटी पेटीकोट के अंदर ही सही पंडितजी अपने धोती के अंदर से ही फिर भी नेहा की चूत पर अपने लण्ड को दबाए जा रहा था हल्के-हल्के रगड़ते हुए। फिर धीरे से पंडित ने अपनी धोती को हटाकर अपने लण्ड को हाथ से नेहा का पेटीकोट उठाकर उसकी जांघों पर दबाया, नेहा के चेहरे में देखते हुए।

नेहा ने कुछ नहीं कहा और पंडितजी के लण्ड को महसूस करते हुए अपनी आँखों को बंद कर लिया।

पंडित समझ गया कि अब नेहा बिल्कुल तैयार हो गई है, तो पंडितजी ने नेहा को बाहों में उठाया और उसके बिस्तर पर लेटा दिया और नेहा चुपचाप लेट गई पंडितजी के सामने। अपने बिस्तर पर नेहा लेटी हुई थी, अपने पाँव लटकाए हुए एक अंगड़ाई ले रही थी। जबकी पंडित ने अपने वेस्ट निकाला और जल्दी से धोती को उतरा नेहा के जिश्म को बिस्तर पर अपनी आँखों के सामने उस तरह से लेटे देखते हए। और नेहा भी पंडितजी को वासना भरी नजरों से देखने लगी थी तब तक।

पंडित ने जल्दी से फिर नेहा की टाँगों को ऊपर उठाते हए उसकी साड़ी और पेटिकोट को उसके पैरों से ऊपर उठाया उसकी गोरी टाँगों को निहारते हुए उसकी लार टपक पड़ी, जब नेहा के घुटनों को देखा और धीरे-धीरे ऊपर और ऊपर उसकी सफेद गदराई जांघों पर उसकी नजर पड़े। जब पंडित नेहा की जांघे देख रहा था तो नेहा पंडित के चेहरे में उस खुशी को देख रही थी और समझ रही थी कि वो कितनी खुशी इस वक्त उस पंडित को देने वाली थी।

पंडित नेहा की गोरी चमड़ी पर अपनी हथेली फेरता गया बहुत प्यार और आराम से निहारते हुए और अपना पूरा टाइम लेते हुए बिल्कुल संतुष्ट होकर सब कुछ कर रहा था इस नायाब जिश्म को अपने हाथ में लेकर जिसको भगवान ने उसके झोली में अचानक डाल दिया था। पंडित सोच रहा था भगवान ने उसको एक नायाब तोहफा दे दिया है इस उम्र में। यह एक बिन माँगी दुआ थी जो कुबूल हो गई थी।

और नेहा पंडित के चेहरे में वो खुशी देखते हुए सोच रही थी कि कितनी सख्त जरूरत उस पंडित को है आज उसके कामुक जिश्म से प्यार करने की। फिर नेहा को भी लगा कि यह कदरट का खेल था। किश्मत ने जानबूझ कर आज उन दोनों को एक साथ किया था। दोनों तरफ से बराबर की आग लगी हुई थी, दोनों प्यासे थे, दोनों के शरीर को सेक्स की सख़्त जरूरत थी।

नेहा सोच रही थी कि पंडित से ज्यादा तो शायद उसको जिश्म की आग बुझाने की जरूरत थी। और नेहा ने यह भी सोचा कि शायद उसकी किश्मत में ही ऐसा लिखा है कि वो उम्र वाले लोगों कि प्यास को ज्यादा बुझाए। वो सोचने लगी कि वो बूढ़े लोगों के साथ इतना एंजाय करती थी हर बार कि इसको एक सेक्स का खेल समझ लिया और सोचा कि यह भी एक खेल ही है।

फिर महीनों से भूखे एक भेड़िये की तरह पंडित नेहा की गदराई जांघों को चाटने चूसने लगा। पंडित नेहा की पैंटी तक पहुँचा और पैंटी को ही चूसने लगा जो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। पंडित ने सोचा- “पता नहीं कब से गीली हो चुकी है उसके छुवन से, मतलब चुदवाने की इच्छा खुद थी नेहा को पहले से ही.."

असल में जब चटाई पर बैठे दोनों बातें कर रहे थे और पंडित ने नेहा के हाथ को अपने लण्ड के पास किया था धोती के ऊपर, तभी से नेहा का पानी निकलना शुरू हो गया था। फिर उसके बाद जब पंडित ने नेहा को जकड़ा
और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड पर रगड़ना शुरू किया तो नेहा और भी भीगती गई नीचे। पंडित ने पैंटी को चाटा, चूसा, और आखिर में उसको निकाल फेंका।

फिर पंडित ने अपनी जीभ से काम किया नेहा की चूत पर पंखुड़ियों को उंगलियों से हटाते हुए और अपनी जीभ
को चूत के अंदर डाला। नेहा बेड को रगड़ने लगी अपने जिश्म को साँप की तरह ऐंठते हुए जैसे कि उसको जिंदगी में पहली बार कोई चूस रहा था, ऐसा महसूस हो रहा था उसे। जोरों से सिसकारियां लेते हुए तड़पती जा रही थी। नेहा को वोही सब फीलिंग्स हो रही थी जो उसको पहली बार हुई थी, जिस रात को उसके ससुर ने उसको चोदा था।
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03-04-2021, 10:25 AM,
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यह 35 दिनों के व्रत की वजह से था। नेहा को लगता था कि उसका जिश्म फिर से एक कुँवारी के जिश्म में तब्दील हो गया है उस वक्त। एक के बाद एक और जोरदार तड़पती आवाज देती जा रही थी जोरों से नेहा।
आवाजें आ रही थी काफी जोर से- “ओहह... आआहह... आहह... आहह... उफफ्फ़... हाँ, बढ़ते चलो पंडितजी, आप बहुत अच्छा कर रहे हो.. हाँ हाँ हाँ... करते रहो, करते रहो... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है... मुझे ये चाहिये... मुझे इसकी बहुत सख्त जरूरत है... पंडितजी और करो और करो, मुझको खुश करो... मेरी गहराई में घुस के समा जाओ पंडितजी... उफफ्फ़... उइइ माँ... इस्स्श...”

फिर नेहा खुद ही अपनी साड़ी उतारने लगी और जल्दी से अपनी ब्लाउज़ और ब्रा भी निकाल फेंका नेहा ने, और
अपने आपको बिल्कुल नंगी कर दिया पंडितजी के लिए। तब नेहा ने पंडित का सर अपने हाथ में थामा और उसको अपनी प्यासे चूचियों के पास किया। उसके मुँह को अपनी चूचियां पर दबाया नेहा ने।

नेहा की मजबूत भारी-भारी चूचियों को देखकर पंडित को अपने पूरे वीर्य को छोड़ देने का मन किया। चूचियों को मन भरकर मसला पंडित ने और चूसना शुरू किया, जिससे नेहा की तड़प और सिसक बढ़ती गई और वो बेहाल होती गई अपने छाती को पूरी तरह से पंडित के हवाले करते हुए, अपनी जिश्म को ऐंठती गई बिस्तर को बुरी तरह से रगड़ते हुए। अपनी फूली हुए निपल्स पर पंडित की जीभ को महसूस करते हुए नेहा बेकाबू होती जा रही थी। फिर कुछ देर बाद बिना कुछ बोले नेहा ने खुद पंडित की अंडरवेर को निकाला और उसके तने हुए लण्ड को अपने मुँह में ले लिया।

पंडित ने एक अजीब सी आवाज निकाली अपने लण्ड को नेहा के गरम मुँह में महसूस करते हुए और गुर्राते हुए कहा- “जिंदगी में किसी ने उसको कभी भी नहीं चूसा है आज तक...” वो तड़पता गया, उसका शरीर काँपने लगा जब तक नेहा ने उसके लण्ड को खूब चूसा।

इतने दिनों बाद नेहा ने एक लण्ड को बेहद एंजाय किया अपनी नाजुक उंगलियों में लेकर, उसको बहुत प्यार से सहलाया, अपनी उंगलियों को फेरा, इस तरह से उसको प्यार किया जैसे किसी मूर्ति की पूजा करते हैं, इस कदर प्यार और भक्ति से नेहा ने उस लण्ड को पूजा, तब चाटना और चूसना शुरू किया। अपनी जीभ को उसकी पूरी लंबाई तक फेरा। नेहा ने पंडित के नीचे के बाल्स को भी चाटा और चूसा, फिर लण्ड चूसते वक्त अपने हाथ से लग रहा था कि नेहा लण्ड को खा जाएगी. चबा जाएगी। लगता था बरसों से भूखी थी एक लण्ड के लिए इस कदर उसे चूसे जा रही थी।

और बहुत जल्द ही पंडित चिल्लाया- “रुको, रुको बिटिया, वरना तुम्हारे मुँह में अभी झड़ जाऊँगा मैं..."

नेहा रुकी और कहा- “नहीं प्लीज... अभी मत झड़ना, आपको अभी मेरे अंदर घुसना है, मुझे इसकी सख़्त जरूरत है मेरे अंदर अभी... आप कंट्रोल कीजिए, अपने आपको संभालिए और झड़ने मत दीजिए अभी..."

पंडित ने खुद को संभाला और रुक गया अपने आप पर कंट्रोल करते हुए, मगर काफी मुश्किल से। और नेहा ने पंडित को पीठ के बल लेटने को कहा और फिर उसके ऊपर चढ़ गई। नेहा ने अपने टाँगें फैलाई, पंडित के लण्ड को अपने हाथ में लिया और खुद अपनी चूत में दाखिल करते हुए उसपर बैठ गई, पंडित के लण्ड की लंबाई को अपने अंदर धीरे-धीरे घुसाते हुए, महसूस करते हुए, एक अजीब सिसकारी और तड़पती आवाज के साथ। फिर नेहा घोड़े की सवार करने लगी पंडित के लण्ड पर बैठकर।

बिल्कुल लग रहा था कि नेहा एक घोड़े पर बैठी थी और जिस कदर हिल और उछल रही थी गाण्ड उछालते हुए, लग रहा था कि घोड़े की सवारी ही कर रही थी। दोनों इतने प्यासे थे कि बिल्कुल देरी नहीं हुई, बहुत ही जल्द चंद लम्हों में ही सिर्फ 10-12 धक्कों के बाद ही नेहा को झड़ने का एहसास होने लगा, क्योंकी 35 दिनों तक नहीं किया था ना।

फिर बहुत जोरों की आवाज में नेहा तड़पी- “आआहह... हाँन्न्न मेरे प्यारे पंडितजी, कमाल के हो आप भी इस्स्स्स ... आपने मुझे चोद ही दिया पंडितजी... पंडित होकर आपने एक अबला नारी को चोद ही दिया पंडितजी... क्या बात है वाहह, एक विधवा को चोद दिया आपने पंडितजी, क्या किश्मत पाया है आपने भी... पंडितजी बड़े ठर्की निकले आप.. पंडितजी, चुदक्कड़ निकले आप तो... आअहह... उफफ्फ़... उईई मेरी माँ... मैं तो झड़ गई री..."

फिर हाँफते हए जब पंडित झड़ने वाला था तो नेहा ने उससे कहा- “आप बेफिकर होकर अपने वीर्य को मेरी कोख के अंदर ही छोड़ सकते हो, प्रेग्नेंट हूँ ना तो कोई फर्क नहीं पड़ता.. बेफिकर मेरे अंदर ही झड़ जाओ पंडितजी.."

फिर पंडितजी ने अपने लण्ड को नेहा के अंदर धंसाते हुए अपने वीर्य को उसकी चूत की गहराई में छोड़ा तड़पते, हाँफते और काँपते हुए। उसने नेहा की कमर को जोर से दबोचा हुआ था और उसकी दोनों टाँगें थरथराकर काँपने लगी थी झड़ते वक्त। उसने अपनी गर्दन उठाकर नेहा के मुँह को अपने मुँह में लिया और उसकी जीभ को चूसने लगा। जबकि उसका लण्ड नेहा की गहराई में अपना पानी छोड़ रहा था।

पंडितजी बेहद खुश हुए। उसको एक पछतावा यह था कि पिछले 35 दिनों तक उसने कुछ भी नहीं किया था। मगर उसने सोचा कि अब तो दरवाजा खुल गया है तो अगले 5 दिनों के लिये और उसके बाद भी क्यों नहीं आकर मजा ले सकेगा अब। तो पंडित वहीं लेटा रहा नेहा के बगल में करने के बाद और नेहा उठी और खुद को अपनी साड़ी में लपेटा उसने, ब्रा और ब्लाउज़ नहीं पहना उसने बस साड़ी में खुद को लिपटा तो पंडित ने नेहा की चूचियों को उसकी साड़ी में उस तरह से लिपटे वासना भरी नजरों से देखा और सोचा कि उसका ससुर सही करता था उसको चोदकर, क्योंकी नेहा चीज ही ऐसी थी कि कोई उसको चोदे बिना नहीं छोड़ सकता था। वो शायद बनाई ही गई थी मर्दो को खुश करने के लिए, ऐसा पंडित ने सोचा उस वक्त नेहा को निहारते हुए।

| तो नेहा बोली- "मैंने ब्लाउज़ नहीं पहना क्योंकी अब जब नेहा ने पंडित को उसको उस नजर से दे नहाने जाना है ना...”

पंडित ने कुछ देर और नेहा से बात किया। उसकी शादी के बारे में बात किया प्रवींद्र से जो होने वाली थी।

नेहा ने पंडित से कहा कि उसने अभी तक प्रवींद्र से अपनी प्रेग्नेन्सी के बारे में कुछ नहीं बताया है।

पंडित ने पूछा- क्या वो उसको बोलेगी कि बच्चा उसके बाप का है?

नेहा नहीं चाहती थी कि पंडित को पता चले कि अपने देवर के साथ भी उसका वैसा ही रिश्ता है तो नेहा ने कहा कि नहीं बताएगी प्रवींद्र को।

पंडित ने कहा- “हाँ सही है, दुनियां को यही लगना चाहिए कि तुम अपने पति से प्रेग्नेंट हो, फिर सब ठीक हो जाएगा, और फिर मैं गवाही दूंगा कि मुझे पता था कि तुम अपने पति से प्रेग्नेंट थी शुरू से ही। मैं कहूँगा कि तुम और तुम्हारे पति ने उसके देहांत से पहले मुझे अपनी प्रेग्नेन्सी के बारे में बताया था, क्योंकी तुम लोग किसी तावीज के लिए आए थे मेरे पास उस वक्त..."

नेहा को आइडिया अच्छा लगा और पंडित को बैंक्स किया। असल में नेहा को प्रवींद्र से सब कुछ सच-सच बताना था, वो सही मौके की इंतेजार में थी उसको इस बात को बताने के लिए।

पंडित ने नेहा को एक बड़ी सी किस करके उससे विदा लिया और कल के लिए तैयार रहने को कहा। और नेहा नहाने चली गई।
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03-04-2021, 10:26 AM,
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सुभाष के साथ धुलाई के पत्थर के पास

नेहा के घर के सामने गैरेज वाले उसके आंगन में बार-बार ताक रहे थे कि काश नेहा की एक झलक देखने को मिल जाए। ज्ञान ने खुद से कहा कि वो बहुत बदनसीब था कि सिर्फ एक बार नेहा को बिस्तर पर लेटा पाया, क्योंकी दूसरे सुबह को भी वो तो नेहा के यहाँ आने वाला ही था जबकि नेहा ने खुद उसको आने के लिए कहा

था और उसी सुबह को उसके ससुर की गाड़ी जा टकराई थी। ज्ञान को बड़ी बेसब्री थी नेहा के बिस्तर पर दोबारा चढ़ने को और उसको अपने नीचे लेने को उसी दिन से। वो इंतेजार में था और बेसब्र भी था पिछले 35 दिनों से। तकरीबन हर रोज मूठ मारता था नेहा के गरम जिश्म को सोचकर और उस दिन वाले नेहा के साथ हर गुजारे हुए पलों को सोचकर।

उसकी आँखों के सामने अब भी नेहा का नंगी जिश्म, उसकी मुश्कुराहट, उसकी नटखट अदायें और उसकी सुरीली आवाज गूंजती थी। वो आशिक हो गया था उसके जिश्म का, उसकी आवाज का और उसके बदन की खुशबू का... आज भी उसको नेहा के जिश्म की खुशबू महकती थी जब वो उसको याद करके मूठ मारता था, उसके कानों में नेहा की मीठी आवाज सुनाई देती थी, उसकी मुश्कुराहट दिखाई देती थी। इन सबको सोच-सोचकर ज्ञान दीवाना होता जा रहा था बड़े मुश्किल से खुद को संभाल रहा था और अपने आपको काबू में रखा हुआ था पिछले 35 दिनों से।

तो इस दिन को मुदत बाद सभी गैरेज वालों ने नेहा को एक टी-शर्ट और स्कर्ट में कपड़े धोने वाले पत्थर के पास जाते देखा, हाथ में कपड़े की बाल्टी लिए हुए। उसके बाल भीगे हुए थे और पानी की बूंदें टपक रही थीं उसकी पीठ पर टी-शर्ट को भिगोते हुए, क्योंकी वो अभी-अभी नहाकर निकली हुई थी पंडित के जाने के बाद।

सुभाष ने उसको सबसे पहले देखा और बहुत खुश होते हुए ज्ञान से कहा- “नेहा आज टी-शर्ट और स्कर्ट में बाहर आई है, 40 दिन हो गये क्या?"

ज्ञान जल्दी से खड़ा हआ नेहा को देखने के लिए और नेहा ने गैरेज की तरफ देखते हुए सबको एक बहुत खूबसूरत प्यारी सी स्माइल किया।

तुरंत बाद सुभाष गया नेहा से मिलने, पानी भरने के बहाने। नेहा उम्मीद कर रही थी की वो आएगा। नल के पास पहँचा सुभाष। आज फिर से नेहा वैसे ही झुक कर कपड़े धो रही थी और उसकी क्लीवेज पूरी तरह से दिख रही थी। सुभाष से रहा ना गया, और उसने नेहा के पिछवाड़े पर अपना पूरा हाथ फेरा आज। नेहा ने कुछ नहीं कहा बस मुश्कुराती रही, और सुभाष को झूठी गुस्से भरी नजर से देखा। पिछली बार जब सुभाष ने नेहा के साथ ऐसे लम्हे बिताए थे, तभी वो नेहा को पा सकता था ज्ञान से पहले ही। मगर ज्ञान ने होशियारी किया था उस सुबह को सुभाष से पहले सवेरे गैरेज आकर।

अभी नेहा ने नहाया था, उसके बल भीगे हुए थे, पीठ पर टी-शर्ट भीगी हुई थी, उसके जिश्म से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी और सुभाष उसके पास खड़ा था उसको सूंघते हुए। नेहा के जिश्म से आती खुशबू ने सुभाष के लण्ड को कड़क खड़ा कर दिया पल भर में ही। सुभाष ने अपने होंठों को नेहा की गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर फेरा तो तुरंत नेहा ने गैरेज की तरफ देखा कि कहीं ज्ञान ने सुभाष को वैसा करते तो नहीं देखा।

फिर सुभाष ने कहा- “भाभी, पिछली बार जब मैं यहाँ से गया था तो आपके बारे में सोचता रहा, आपको ऐसे कपड़े धोते हुए देखना बहुत ही पसंद है मुझे। आपको हमेशा ऐसे देखते रहने को मन करता है मेरा, और जब आप झुक कर बाल्टी में से कपड़े लेती हो तब भी आपको देखना बेहद पसंद करता हूँ, आप बहुत ही उत्तेजक लगती हो भाभी..'

नेहा उसको देखकर हँस रही थी फिर कहा- “देखो कहानियां मत सुनाओ मुझे और बहाने मत बनाओ, मुझे अच्छी तरह से पता है कि तुम क्या देखते हो और तुम मुझसे क्या चाहते हो? सब पता है मुझे.."

सुभाष ने तुरंत नेहा के ठीक पीछे खड़े होते हुए उसको पीछे से ही जकड़ा, अपने हाथों को उसके पेट पर करते हए और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड पर दबाया। फिर अपनी जीभ को नेहा के पीछे गर्दन पर उसके भीगे बालों को हटाकर फेरते हुए कहा- "नेहा भाभी, आप कितनी अच्छी महक रही हो..”

नेहा अब भी बहुत गरम थी 35 दिनों के व्रत के बाद। और फिर से रास्ते के उस पार गैरेज में देखने के बाद नेहा बोली- “तुम्हारा बास ज्ञान, वहाँ से हमको देख नहीं पाएगा... क्या तुमको वहाँ से मैं दिखती हूँ जब यहाँ होती
हूँ तो..."

सुभाष ने कहा- “नहीं, यहाँ नहीं दिखता, फिर भी थोड़ा उस तरफ चलते हैं, उधर गैरेज में से बिल्कुल नहीं दिखता..."

नेहा सुभाष का हाथ थामे चंद कदम और बगल में गई जिस जगह पहली बार प्रवींद्र ने उसको खड़े-खड़े चोदा था, जब वो कपड़े धोने को आई थी इस जगह। दोनों को सब कुछ जल्दी करना था क्योंकी गैरेज से और कोई भी आ सकता था वहाँ।

और देर ना करते हुए सुभाष ने नेहा को बाहों में भर लिया और उसकी जीभ नेहा के मुंह में थी। दोनों एक दूसरे के जीभ को चूसरहे थे। सुभाष के हाथ नेहा की नर्म स्कर्ट उठा रहे थे उसकी गाण्ड पर से, उसकी पैंटी को अपनी हथेली पर महसूस करते हुए। नेहा को इसकी सख्त जरूरत थी, पंडित से करने के बाद उसके जिश्म की आग शांत नहीं हुई थी बल्की और भड़क गाइ थी, तो उसको और भी ज्यादा प्यास बुझानी थी। साफ शब्दों में नेहा को चुदाई की और सख़्त जरूरत थी। जब सुभाष का हाथ उसकी पैंटी पर पहुँचा, उसकी चूत के पास तो नेहा फिर से बिल्कुल गीली हो गई।

अब क्योंकी दोनों बाहर थे तो सब कुछ बहुत जल्दी, तेजी से करना था। जल्दी से सुभाष ने नेहा की बाहों को ऊपर उठाकर उसकी टी-शर्ट को बाहर निकाला और अपने सर को उसकी दोनों चूचियों के बीच में घुसाया और अपने चेहरे को उसकी नर्म चूचियां पर महसूस करते हुए सुभाष को जैसे जन्नत का सफर करने को मिल गया। नेहा ने उससे जल्दी करने को कहा, तो सुभाष बिना अप्रीशियेट किए जल्दी से उसकी चूचियों को चूसने लगा अपने हाथों से उन्हें मसलते हुए।

सुभाष भूखा लग रहा था, प्यासा लग रहा था, कहा- "इनको पीने का मन कर रहा है भाभी, दूध है यह पिला दो ना भाभी..."

नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “7 महीने बाद अपना दूध पिला दूंगी तुमको...'

सुभाष ने नेहा की बातों पर ध्यान नहीं दिया और चूसता चाटता गया उसकी दोनों चूचियों को मजे लेते हुए।

और लगे हाथ सुभाष उसकी ब्रा को अनहक करता जा रहा था जब तक उसको बिल्कुल निकालकर जमीन पर गिरा ना दिया, और नेहा बार-बार बाहर झाँक रही थी।

फिर सुभाष नीचे बैठ गया नेहा की टाँगों के आगे, वो खड़ी थी दीवार से पीठ किए हुए। सुभाष ने नेहा की पैंटी को नीचे खींचा और उसकी शेवन चिकनी चूत पर उसका मुँह गया। सुभाष ने ऊपर से चूत को चाटना शुरू किया और धीरे-धीरे नीचे चाटता गया जब तक कि उसका जीभ नेहा के गीले हिस्से पर पहुँचा तो सुभाष को नमकीन लज्जत आई जीभ पर तो उसके जिश्म में एक कंपकंपी सी उठी, पर वो चाटता गया और जीभ को चूत के छेद पर घुमाया सुभाष ने। नेहा धीरे-धीरे सीसकने लगी तड़पते हुए। फिर उसकी तड़प बढ़ने लगी और उसका जिश्म ऐंठने लगा सुभाष के बालों को अपनी मुट्ठी में जकड़े।

फिर सुभाष खड़ा हुआ और अपने पैंट की जिप खोला और अपने लण्ड को नेहा के पेट पर दबाया फिर रगड़ा, मगर तब तक नेहा नीचे बैठ गई थी और उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सुभाष मुश्कुराया, फिर हँसा और नेहा के मुँह में लण्ड अंदर-बाहर करने लगा खड़े पोजीशन में ही। नेहा के एक हाथ ने सुभाष का लण्ड पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ सुभाष की कमर, बल्की उसकी गाण्ड पर थअ। उसके मुँह में सुभाष के लण्ड का आना जाना था।

क्योंकी सब जल्दी-जल्दी कर रहे थे, इसलिये नेहा को फिर से खड़ा होना पड़ा क्योंकी सुभाष इंतेजार कर रहा था उसके अंदर लण्ड घुसाने के लिए। सुभाष ने नेहा की एक टांग को ऊपर उठाकर उसकी जाँघ पकड़े हुए थामा, और अपना लण्ड नेहा की चूत में ठूसा जो आसानी से अंदर घुस गया गीली होने के कारण। तब सुभाष ने नेहा को जरा सा ऊपर उठाया उसकी गाण्ड पकड़कर, और नेहा ने अपनी दोनों टाँगों को सुभाष की कमर पर क्रॉस कर दिया, उसकी चूत के अंदर उसके लण्ड के साथ। फिर नेहा ने अपनी बाहों को सुभाष के कंधे पर करके उसको जकड़ा।

अब नेहा का मुँह सुभाष का जीभ खा रही थी और नीचे उसकी चूत सुभाष का लण्ड खा रही थी। एक के बाद एक जबरदस्त धक्का दिए जा रहा था सुभाष और हॉफने लगा था, उसको बेहद मजा आ रहा था इतनी खूबसूरत जवान भाभी को चोदते हुए, साथ-साथ नेहा की जीभ, गाल, गला, चूचियों को चूस भी रहा था, चूत में धक्का देते हुए। फिर बहुत ही जल्द सुभाष झड़ने को आया और गुर्राया कि वो झड़ने वाला है।

नेहा ने अपनी नर्म आवाज में उसके कानों में धीरे से तड़पती आवाज में कहा- “मेरे अंदर ही झड़ सकते हो फिकर की कोई बात नहीं कुछ नहीं होगा, मेरी गहराई में वीर्य छोड़ो सुभाष, ऊओहह.. इस्स्स्स... आआह्ह.."
... ओऊव्वव...

और सुभाष ने अपनी तरफ से तड़पती आवाज में आवाजें निकाली- “अरे वाहह... वाह... हाँ... सस्स्स्स बहुत मजा आ रहा है भाभी... ओहह... माई गोड, यू अरे ग्रेट नेहा भाभी... हाँ आहह... इस्स्स्स ..."

और सब हो गया बहुत जल्दी, सब तेजी के साथ हुआ, जैसे अचानक था सब कुछ, बिना सोचे समझे, बिना प्लान किए बस सब हो गया जल्दी-जल्दी। फिर बड़ी तेजी से नेहा ने अपनी टी-शर्ट बिना ब्रा के पहना और ब्रा और पैंटी को टब में डाल दिया धोने के लिए, फिर जल्दी से बाहर देखते हुए कि कोई देख तो नहीं रहा, कपड़े धोने वाले पत्थर के पास चली गई।

पर हाँ दो टीनेजर्स जो गैरेज में अप्रैटिस थे वह दोनों नेहा की तरफ देख रहे थे पत्थर के पास आते हुए।

फिर सुभाष ने लौटने से पहले नेहा को किस किया, नेहा ने उस किस को रेस्पांड किया और उससे कहा- “अपने बास से कहना कि वो मुझसे मिले आज। उस शाप वाले ने रेंटल के बारे में कुछ बातें बताने को कहा है उसको.."

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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
और ज्ञान दुबारा अब सुभाष ने गैरेज वापस जाकर ज्ञान से कहा कि नेहा उससे मिलना चाहती है किसी जरूरी काम के लिए। अब नेहा क्यों ज्ञान से मिलना चाहती थी यह तो जाहिर है। इन 35 दिनों के उपवास के बाद नेहा इतनी गरम हो गई थी कि उसका मन ही नहीं भर रहा था, वो दिन भर चुदना चाहती थी अब।

कुछ देर बाद जब नेहा तार पर कपड़े सूखने के लिए टाँगने लगी तो ज्ञान वहाँ आंगन में गया उससे बात करने। ज्ञान बहुत खुश था नेहा को एक टी-शर्ट और स्कर्ट में देखने को ना कि उस सफेद साड़ी में जिसमें उसका मातम दिखाई देता था। इतने दिनों तक जब नेहा सफेद साड़ी पहना किया करती थी तब एक किश्म की इज्जत करते
थे सब उसकी, मगर अब उस टी-शर्ट और स्कर्ट में वो बहुत गरम और सेक्सी दिखती थी, अब कोई इज्जत विज्जत कहाँ करता कोई, अब तो उसको वैसे देखकर कोई भी सिर्फ उसको चोदने के लिए मन में सोचेगा।

ज्ञान नेहा को सेन्युयली देखते हुए उसके पास गया। नेहा ने ज्ञान को मुश्कुराते हुए देखा और होंठों को दाँत में दबाए नेहा ने रास्ते के उस पार देखा कि अब वहाँ से कोई उसको देख तो नहीं रहा। पर वह अप्रैटिस टीनेजर्स नेहा को लगातार देखे जा रहे थे।

ज्ञान ने पूछा- “40 दिन खतम हो गये?"

नेहा ने कहा- “नहीं अभी बाकी हैं.."

ज्ञान ने पूछा- “तो फिर क्यों और कैसे तुम सफेद साड़ी में नहीं हो आज इतने दिनों के बाद.."

नेहा ने फिर कहा- “क्यों.. तुम मुझको उस सफेद साड़ी में ही देखना चाहते हो?"

ज्ञान ने कहा- “अरे नहीं बिल्कुल नहीं, ऐसे बहुत अच्छी दिखती हो, ऐसे ही रहो हमेशा तुम, तुमको बेहद सूट करते हैं ऐसे लिबास..."

तब नेहा पीछे की तरफ चलती गई ताकी उसको कोई नहीं देख सके और ज्ञान को इशारे से बुलाया। ज्ञान करीब पहुँचा तो नेहा मुश्कुराते हुए बोली- “तुमको याद है आखिरी बार तुम शाम को रहना चाहते थे मेरे यहाँ... तो आज वोही करना, सब वर्कर्स को जाने देना और तुम लेट जाना, सब चले जाएं तो यहाँ आना ठीक है...”

यह सुनकर ज्ञान इतना खुश हुआ कि तुरंत नेहा को बाहों में भरकर खुशी के मारे किस कर लिया, उसका मोटा पेट नेहा के पेट पर दबाते हुए।

नेहा ने चुलबुलाते हुए, हँसते हुए कहा- “तुम्हारा पेट बहुत फन्नी है आई लाइक इट.."

ज्ञान ने कहा- “तुमको पता है कि मैंने तुमको कितना मिस किया इन दिनों को... तुमको सोच-सोचकर हर रात को मूठ मारता हूँ मेरी जान... कैसे तुमने अचानक निश्चय कर लिया मुझसे मिलने के लिए हम्म्म... यह मेरा लकी डे है आज क्या?"

इतना कहकर ज्ञान ने नेहा को हल्के से धकेलकर दीवार से सटाया और झट से अपने हाथ को उसकी स्कर्ट के नीचे डाला तो पता लगा कि नेहा ने पैंटी पहनी ही नहीं है, (याद है सभाष से चुदने के बाद नेहा ने पैंटी और ब्रा को टब में डाल दिया था धोने के लिए।)

जब ज्ञान ने देखा कि उसने पैंटी नहीं पहनी है तो चमकते चेहरे में कहा- “वाह तुम तो अभी से ही तैयार हो गई हो..” ज्ञान को इस बात का इल्म नहीं था कि कुछ देर पहले उसको सुभाष ने चोदा था। ज्ञान उसको उसी पल चोदना चाहता था मगर नेहा इनकार कर रही थी और उसको शाम को आने को कहा ताकी बेड पर बिल्कुल आराम से करेंगे।

तब तक दोनों अप्रैटिस आ रहे थे पानी भरने के लिए।

और ज्ञान और नेहा दीवार के पीछे थे बगल में, नेहा की स्कर्ट ऊपर उठी हए थे और ज्ञान का हाथ नेहा की सेक्सी गदराए जांघों पर फिर रहे थे और उसका मुँह नेहा की चूचियों को चूस रहा था।

उन दोनों टीनेजर्स ने सब कुछ देखा और वहाँ से भागकर गैरेज वापस गये बिना किसी को कुछ बताए। वह दोनों छोटे लड़के थे उम्र कम थी दोनों के। दोनों के खड़े हो गये थे नेहा कि चूचियों को ज्ञान के मुँह में देखकर, और नेहा की इतनी खूबसूरत सेक्सी इन्वाइटिंग जांघों को देखकर दोनों टीनेजर्स पागल हुए जा रहे थे। दोनों लड़के मूठ मारने गये नेहा के जिश्म को सोचते हुए और जो कुछ देखा वो सब कल्पना करते हुए। उस दिन से वह दोनों भी नेहा के लिए मन में तरह-तरह के खयाल पालने लगे इस दिन से।

शाम को ज्ञान ने सभी अपने वर्कर्स को वापस जाने का इंतेजार किया और जब सब चले गये तो वो गया नेहा का दरवाजा खटखटाने।
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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा अंदर उसका इंतेजार कर रही थी। वो एक दूसरी स्कर्ट और टी-शर्ट में थी। स्कर्ट छोटी थी, उसके घुटनों के ऊपर थी जिसमें उसकी जांघे बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थीं, उसने जानबूझ कर वैसे पहनी थी ज्ञान को उत्तेजित करने के लिए। और टी-शर्ट का क्या कहना, एक डीप वी-कट थी जिसमें उसकी परी क्लीवेज सामने थे। ब्रा नहीं पहनी थी नेहा ने, यह भी जानबूझ कर, और उस टी-शर्ट पर उसकी निपल के अंगूर का दाना साफ नजर आ रहा था।

ज्ञान ने बिल्कुल देर ना करते हुए नेहा को अपनी बाहों में जोर से भर लिया और उसको गोद में उठाकर उसके कमरे में लेजाकर बेड पर लेटा दिया। जैसे ही वो लेटी, स्कर्ट एक तो छोटी थी मिनी स्कर्ट के जैसी वो लेटने की वजह से और ऊपर उठ गई और उसकी पैंटी नजर आने लगी, उसकी गोल-गोल, गोरी, सफेद रंग की गदराए जांघों के बीच। ज्ञान बेड पर नेहा की टाँगों के बगल में बैठा और अपने सर को उसकी दोनों टाँगों के बीच किया फिर उसके घुटनों से चाटना और चूमना शुरू किया। वैसा करते धीरे-धीरे ज्ञान ऊपर बढ़ता गया नेहा के खूबसूरत जांघों को चूमते चाटते हए, कहीं-कहीं लाल लाल निशान बना दिया नेहा की जांघों पर, हल्की-हल्की और गहरी नहीं। जो पल में मिट जाएंगे वैसे निशान। और जब नेहा की पैंटी तक ज्ञान पहुँचा तो वोही होना था। हाँ... नेहा फिर से गीली हो गई थी, पैंटी भीगी हुई पाया ज्ञान ने।

ज्ञान समझ गया कि नेहा बहुत गरम हो चुकी है और चुदाई की जरूरत है उसको भी। ज्ञान जल्दी से एक जंगली की तरह ऊपर गया और नेहा की टी-शर्ट को जोश में खींचकर निकाल फेंका और उसकी चूचियों को दबोचने लगा, भर मुँह नेहा की चूचियों को लेकर चूसा और लगता था जैसे एक टुकड़ा गोश्त मिल गया था उसे और अब उसे खा जाएगा।

खुशी और तड़प के मारे नेहा काँप उठी और सिसकने लगी। ज्ञान आगे बढ़ता गया अपना काम करते हए उसके जिश्म पर और नेहा और भी तड़पती गई, मचलती गई, जिश्म ऐंठती गई उसके नीचे। फिर नेहा को उस हालत में देखते हुए ज्ञान का हौसला और भी बढ़ा और उसको समझ में आ गया कि नेहा को बहुत ही बेसब्री है। फिर धीरे-धीरे ज्ञान ने नेहा की स्कर्ट और पैंटी उतारी और उसको बिल्कुल नंगी लेटाया और खुद नंगा होकर बेड पर चढ़कर अपने लण्ड को नेहा के मुंह के पास किया।

नेहा को जैसे बहत भूख थी उस लंबे, मोटे, काले गोश्त के टुकड़े को खाने की। उसने उसको सहलाया, बड़े प्यार से उसको निहारा, फिर अपनी जीभ फेरा लण्ड के ऊपर से नीचे बाल्स तक। अपनी जीभ से बाल को नेहा ने चूसा लण्ड को हाथ में ऊपर पकड़कर और ज्ञान के चेहरे में देखते हुए यह सब किया।

ज्ञान अपने घुटनों पर खड़ा हो गया और जितना नेहा उसके बाल पर अपनी जीभ चला रही थी उतना ही ज्ञान तड़पते, गुर्राते जा रहा था। फिर नेहा ने लण्ड के बाल को कुछ इस तरह हल्के से दबाया कि अंदर का एक अंडा उसके मुँह में चला गया और उसको चूसा मुँह के अंदर लेकर नेहा ने। ज्ञान बेहाल होता जा रहा था उस आक्सन से- “आआहह... इस्स्स्स ..” करते हुए।

नेहा को बड़ा मजा आ रहा था ज्ञान को उस पोजीशन में देखते हुए और आखिर में उसने ज्ञान के लण्ड को मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी। ज्ञान उसके मुँह में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा और बहुत ही मजा आने लगा था उसे। कोई 5 मिनट तक ज्ञान नेहा के मुँह में वैसे धक्का देता गया और नेहा ने अपनी जीभ पर उसके नमकीन प्री-कम को महसूस किया तो फिर से अपनी आँखें ऊपर उठाकर उसके चेहरे में देखा नेहा ने चुसाई बरकरार रखते हुए।

और एक बढ़िया ब्लो-जाब देने के बाद नेहा बेड पर लेटी और ज्ञान ने उसकी चूत पर वोही काम शुरू किया। नेहा की दोनों टाँगों को फैलाकर ज्ञान भूखे भूड़िये की तरह उसकी चूत पर टूट पड़ा और इतना चूसा और चाटा उसकी पंखुड़ियों को भर मुँह लेते हुए कि नेहा कसमसाती गई तड़पते हुए उसके सर को अपनी जांघों के बीच दबाकर। जितना पानी निकाल सका ज्ञान ने निकाला नेहा की चूत से। 10 मिनट तक ज्ञान उसकी चूत को चूसता गया
और नेहा दो बार झड़ गई उस दौरान चादर को भिगोते हुए।

आखिरकार, दोनों नार्मल पोजीशन में आए तो ज्ञान ने अपने लण्ड को उसकी चूत में डाला जो फिसलते हुए अंदर घुस गया, और चुदाई शुरू हो गई। नेहा जैसे किसी और दुनियां में थी, उसको इतना मजा आ रहा था...
अगर उस पल प्रवींद्र वापस आ जाता तो भी नेहा को पता नहीं चलता. एक बेहोशी का आलम था, डूबी हुई थी नेहा उस चुदाई के खुमार में। तड़प रही थी, जिश्म बेहाल थी बेड पर ज्ञान के नीचे, उसके लण्ड को भरपूर एंजाय कर रही अपने अंदर नेहा, बेड की चादर को अपने मुट्ठी में भरकर खींच रही
थी, लंबी-लंबी साँसें लेती जा रही थी, हाँफ रही थी, बेकाबू हो रही थी।

ज्ञान धक्कों का रफ्तार बढ़ाता गया कि आखीर में जल्द ही दोनों अपने आगंजम को पहुँचे। ज्ञान अपने लण्ड को बाहर खींचने जा रहा था वीर्य छोड़ने के लिए। मगर नेहा ने उसकी कमर को कसके पकड़ा अपने ऊपर दबाते हुए
और ज्ञान से उसके अंदर ही डिस,चार्ज होने को कहा।

ज्ञान उसकी चूत की गहराई में वीर्य छोड़ता गया और चिल्लाया- “आआहह... आहह... आह्ह... इस्स्स्स आई आम कमिंग। इस्स्स्स ... हाँ आह्ह..."
चिल्लाई- “ओहह... इस्स्स्स
... उंम्मम... ओहह... गोड... इट्स कमिंग।

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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
दिन भर में 3 बार चुदवा लिया था नेहा ने सुबह से शाम तक। उसने खुद सोचा कि अगर मुमकिन होता तो शायद वो आज 10 आदमियों से भी चुदवा सकती थी। 35 दिन की उपवास उस जैसी गरम लड़की के लिए हद से ज्यादा थी। और नेहा ने सोच लिया था कि आज रात को प्रवींद्र से भी चुदेगी तो आज की चौथी बार चुदाई होगी उसकी 24 घंटों में।

फिर शाम के 6:00 बजे प्रवींद्र काम से वापस आया। ज्ञान 5:00 बजे वापस चला गया था। हर रोज की तरह प्रवींद्र ने नहाने के बाद डिनर किया और दोनों लाउंज में टीवी देख रहे थे।

नेहा को सफेद साड़ी में नहीं पाकर प्रवींद्र को कुछ अजीब लगा, मगर उसने नेहा को कुछ नहीं कहा। वो भी बेसब्री से उसके 40 दिन पूरे होने का इंतेजार कर रहा था इसलिए नेहा से कोई सेक्सुअल फेवर की माँग नहीं कर रहा था। हालांकी वो भी बेसब्री से नेहा के साथ सोने का इंतेजार कर रहा था। आज तक यह बिल्कुल नहीं हआ था कि वो नेहा के साथ रात भर सो सके। अपने पिता और भाई की मौत के बाद अगर वह दोनों साथ सोते हैं तो यह पहली बार होगी।

पहले तो कभी भी एक साथ पूरी रात नहीं गुजारे हैं इन दोनों ने आज तक, सिर्फ घंटों भर साथ रहे हैं हर बार सेक्स के लिए। पहले 15 दिनों तक आक्सिडेंट और फ्यूनरल के बाद तो प्रवींद्र खुद सेक्स के लिए नेहा की तरफ नहीं बढ़ा था क्योंकी वो उस आक्सिडेंट और बाप और भाई की मौत से बहुत दुखी था। उसकी जिंदगी में एक नयी बदलाव हुई थी और वो दिमागी तौर पर बिल्कुल अफेक्टेड हुआ था तो खुद को धीरे-धीरे संभाल रहा था।
और अब 35 दिनों के बाद कुछ-कुछ संभाल गया था।

मगर आक्सिडेंट के 20 दिन के बाद से ही वो नेहा को सेक्स की नजर से देखने लगा था फिर से, पर नेहा नहीं चाहती थी क्योंकी वो शोक कर रही थी, ससुर और पति दोनों के लिए। पिछले दिनों से अक्सर प्रवींद्र नेहा को प्यार भरी नजरों से देखता था, उसको बाहों में भरना चाहता था, उसको सगलेरना चाहता था, दिल में वैसी ख्वाहिशें उभरते थीं मगर इसलिए के नेहा एक किश्म के उपवास पर थी तो प्रवींद्र खुद को रोक लेता था, मगर मन में बहुत चाह थी नेहा से प्यार करने की उसको। मगर नेहा खुद उससे दूर रहती थी क्योंकी नेहा तब समझती थी कि 40 दिन से पहले यह सब करना ठीक नहीं होगा। तो प्रवींद्र भी: करार रख रहा था।

मगर इस रात को नेहा तैयार थी और अपने पिछले गुजरे हुए पलों को प्रवींद्र के साथ गुजारे गये लम्हों को नेहा सोच रही थी, और दोबारा उन पलों को जीने के लिए तैयार थी। नेहा ने एक टाप पहनी हुई थी जो उसकी नाभि तक पहुँचती थी और जिसके कंधे पर पतली स्ट्रैप्स थे। और एक स्कर्ट में थी जो उसके घुटनों तक पहुँचती थी। प्रवींद्र उसको उस ड्रेस में देखकर उत्तेजित हुआ तो था और अपने उन दिनों को सोच रहा था जब चोरी छुपे दोनों सेक्स किया करते थे।

उसने नेहा को अपने बाप और चाचा के साथ भी सोचा। फिर अचानक प्रवींद्र के दिमाग में यह बात आई कि, क्या उसका चाचा नेहा से मिलने आता होगा जब वो काम पर होता है तो। वो चाचा प्रवींद्र के पिता का अपना खून था, उसका सगा भाई था, और नेहा को खूब एंजाय किया था उसने भी और अब प्रवींद्र उसको नेहा के साथ सोच रहा था, और सोच रहा था कि जब नेहा उसकी पत्नी बन जाएगी तो क्या तब भी उसका चाचा उसको चोदने आएगा। यह सोचकर प्रवींद्र को कुछ अजीब सा महसूस हुआ।

मगर फिर प्रवींद्र ने खुद से कहा कि हालांकी वो नेहा से शादी कर लेगा तब भी वो अपनी फैंटेसीस को नेहा से पूरी करवा सकता है अगर नेहा ने सहयोग किया तो। यह सब सोच-सोचकर उसका लण्ड एकदम से कड़क खड़ा हो गया था। उसकी नजरें नेहा पर गईं जो प्रवींद्र को सिड्यूस कर रही थी वहाँ से किचेन में आते जाते हए, कुछ लाने और वापस रखने के बहाने करते हए। उसकी चाल में एक चंचलता थी जो असल में प्रवींद्र को रिझा रही थीं जिस तरह से नेहा ड्रेस्ड थी उसमें उसकी गाण्ड मटक रही थी, जब वो चल रही थी तो उसकी कमर नजर आ रही थी और उसके चूचियां भी।

मगर प्रवींद्र को उस पल पता नहीं था कि नेहा उसको रिझा ही रही है, वो तो सोच रहा था कि अभी 5 दिन बाकी हैं। प्रवींद्र उसको देखता गया और उसको उसे जोर से जकड़ने का मन किया। और फिर एक बार जब नेहा किचेन से वापस आई तो प्रवींद्र ने उसको अपने पास आकर बैठने को कहा।

अपने दाँतों में होंठों को दबाए हुए नेहा उसके पास आकर बैठने से पहले बोली- “क्या है?"

प्रवींद्र जो उस वक्त सोफे पर बैठा हुआ था और नेहा सामने आकर खड़ी हुई थी, तो प्रवींद्र ने अपने बाजू को उसकी कमर पर करके उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया।

नेहा मुश्कुराते हुए बैठ गई उसके जांघों पर और पूछा- “क्या हुआ, आज बड़े रोमँटिक लग रहे हो?"

प्रवींद्र ने अपनी नाक को उसके गले पे रगड़ा और उसको सूंघते भुनभुनाते हुए कहा- “भाभी बहुत दिन हो गये.."

नेहा ने हल्के से मुड़कर अपनी चूचियों को उसके चेहरे पर रगड़ते हुए कहा- “किसने तुमको मना किया है भला?”

तब तुरंत एक प्यासे की तरह प्रवींद्र ने नेहा के मुँह को अपने मुँह में लिया और दोनों एक लंबी पैशनेट किस में खो गये, जैसे की पहली बार दोनों किस कर रहे हों। किस करते वक़्त धीरे-धीरे नेहा को प्रवींद्र ने सोफे पर लेटा दिया और उसके हाथ फिरने लगे थे नेहा के जिश्म पर उसकि कमर को छूकर हाथ से सहलाते हुए, उसकी
चूचियां को प्रेस करते हुए, उसकी गाण्ड को दबाते हुए प्रवींद्र आगे बढ़ता जा रहा था। दोनों के मुँह ऐसे चिपके हए थे जैसे फेविकोल से चिपकाया गया हो। मगर एक दूसरे के हाथ दोनों के जिश्म पर फिर रहे थे वैसे ही।

नेहा का एक हाथ उसके लण्ड पर पहुँचा और उसको उसकी चड्डी से बाहर निकालने की कोशिश की, जबकि प्रवींद्र नेहा की टाप निकालने की कोशिश में था, यह सब किस करते हुए किए जा रहे थे। और पल भर में दोनों ने एक दूसरे को नंगा कर दिए। दोनों नंगे लाउंज की ट्यूबलाइट की रोशनी में सोफे पर एक दूसरे को जकड़े जीभ का रस निचोड़ रहे थे सोफे पर करवट बदलते हुए।

नेहा जैसे भूखी या प्यासी थी क्योंकी वो सिर्फ प्रवींद्र के लण्ड को ही तलाश रही थी, उसके हाथ लण्ड पर जा रहे थी हर बार, और आखिर में उसने लण्ड को अपने मुँह में ले ही लिया और एक जबरदस्त चुसाई दिया प्रवींद्र को। प्रवींद्र ने भी पिछले 35 दिनों से कुछ नहीं किया था तो चुसाई के वक्त पहली बार लण्ड की चुसाई वाली जैसी । तड़प और सिसकारियों में डूब गया उस दौरान। उसने नेहा के मुँह की गर्मी और थूक की नमी में अपने लण्ड को पिघलते महसूस किया।

तड़पती आवाज में वो गर्राते हए कहता गया- "आश हानन्न् भाभी, कमाल का मजा आ रहा है, हाँन्न उफफ्फ़...
और गहराई में ले लो मुझे भाभी, आअहह..”
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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा ने अपनी नजरें ऊपर करते हुए उसके चेहरे में देखा और उसको वैसा तड़पते हुए देखकर उसकी गर्मी और प्यास और भी बढ़ गई। उसकी चूत पानी बहने लगी थी और प्रवींद्र का हाथ वहीं नीचे पहुँचा उस गीलेपन को महसूस करते हुए।

फिर जल्द ही प्रवींद्र ने उसको एक 69 पोज में घुमाया सोफे पर ही। फिर क्या था... दोनों एक दूसरे के सेक्स को चाट, चूस, खाते रहे काफी देर तक, दोनों एक दूसरे का नमकीन रस चख रहे थे उस नायाब लज्जत से अपने उत्तेजना को और भी बढ़ा रहे थे। जब नेहा उसको जबरदस्त चूस रही थी तो उधर प्रवींद्र उसकी चूत में दो उंगली घुसाए उसकी चूत की पंखुड़ियों को जैसे चबा रहा था उसके रस को निगलते हुए। तकरीबन 10-15 मिनट तक दोनों वैसे ही एक दूसरे को चूसते चाटते रहे।
और आखीर में प्रवींद्र गुर्राया- “भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ.."

वो अपने लण्ड को नेहा के मुंह से बाहर निकालने वाला था, मगर नेहा ने उसके लण्ड को अपने मुँह में जैसे कैद कर रखा तो प्रवींद्र ने जोरों से तड़पती आवाज में अपने वीर्य को नेहा के मुंह के अंदर ही छोड़ा काँपते हुए जिश्म से और जोरों से हाँफते हुए। फिर नेहा ने उसके वीर्य को नीचे जमीन पर थूका। प्रवींद्र सिसक गया थरथराते हुए।

हँसते हए नेहा ने कहा- “बदमाश कहीं का, लग रहा है एक बच्चा हो जिसने आज ज़िंदगी में पहली बार अपने
लण्ड को चुसवाया है...”

प्रवींद्र ने सारी कहते हुए कहा- “भाभी, बात यह है कि 20 दिनों के बाद आज..."

नेहा ने उसको करेक्ट किया- “20 दिन नहीं 35 दिनों के बाद आज तुमने यह किया है जान मेरी..." नेहा उसके लण्ड के साथ खेलती रही जो एक मरा हुआ साँप का टुकड़ा लग रहा था उसके हाथ में।

प्रवींद्र ने दोबारा कहा- “भाभी, मुझे माफ करना प्लीज... मैं अपने आपको संभाल नहीं पाया और आपको खुश नहीं कर पाया, केवल खुद को खुश किया, मगर आप प्यासी रह गई, वेरी सारी भाभी। आपके अंदर डालने से पहले ही मैं झड़ गया...” उसको क्या पता था कि नेहा कितनी बार झड़ चुकी है पिछले घंटों में।

मगर नेहा ने उससे कहा- “फिकर मत करो मैं इसको दोबारा खड़ा करती हूँ ना अभी। 35 दिन हो चुके तो यह आज डबल शिफ्ट करेगा मुझे पूरा यकीन है..” उतना कहकर नेहा प्रवींद्र के लण्ड को सहलाती गई फिर चूसने चाटने लगी और उसके डिसचार्ज के 10 मिनट बाद ही लण्ड फिर से धीरे-धीरे अपना रूप लेना शुरू किया और

एक सोए हए हैवान की तरह फिर से मस्त खड़ा हो गया। नेहा की हथेली में लण्ड ने रूप लिया बढ़ते हए और वो उसको निहारती रही और चुलबुलाते हुए प्रवींद्र के एक्सप्रेशन्स को देखा ऊपर सर उठाकर, नेहा को खुशी हुई प्रवींद्र को खुश देखकर और वो अपने जिश्म को सोफे पर स्ट्रेच कर रहा था अपने लण्ड को अपनी भाभी के जिश्म से चिपकाते हुए।

नेहा बोली- “देखा ना, मैं तुम्हारे इस टुकड़े को दोबारा जिंदा करने में कामयाब रही..."

प्रवींद्र मुश्कुराया और कहा- “तुम एक बहुत हार्नी सी शैतान हो भाभी, चलो ठीक है अब यह आपके अंदर घुसेगा, तैयार हो जाओ इसको अपने अंदर लेने के लिए...”

नेहा ने खुशी से कहा- “इसीलिए तो इसको मैंने दोबारा जिंदा किया ना, अपने अंदर घुसाने के लिए." और नेहा ने पोजीशन लिया, लेटकर अपनी टाँगों को फैला दिया और प्रवींद्र उनके बीच गया तो नेहा ने खुद उसके लण्ड को अपने हाथों से अपनी चूत के अंदर डाला। लण्ड उसकी गहराई में फिसलता गया और नेहा की आवाज ऐसी आई- “हम्म्म... आअहह..."

तब प्रवींद्र ने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया, पहले धीरे-धीरे, फिर धीरे-धीरे रफ़्तार बढ़ता गया और उसका लण्ड नेहा की चूत में रफ़्तार से अंदर-बाहर होता गया, और नेहा ने तड़पते हुए प्रवींद्र को अपनी बाहों में जोरों से जकड़ लिया उसके गले को चाटते और कंधे पर जोर से अपने दाँतों को दबाते हए। काफी देर तक प्रवींद्र धक्का देता गया क्योंकी अभी-अभी झड़ा था तो देर लगाया दूसरी बार झड़ने के लिए।

मगर यह तो नेहा के लिए फाएदेमंद था, तब तक वो दो बार झड़ गई तड़पते सिसकते हए, उसका शरीर काँपने लगा प्रवींद्र के नीचे, नेहा के जिश्म में जैसे एक वाइब्रेटर लगी हुई थी जिस तरह से उसका जिश्म थरथरा रहा
था। झड़ने के दौरान दो बार एक के बाद एक आगंजम आई उसे, पल भर में उसकी चूत ने इतना पानी छोड़ा कि प्रवींद्र का लण्ड असानी से अंदर बाहर होने लगा।

नेहा खुशी से चिल्लाती गई काँपते हुए झड़ने के दौरान, कुछ ऐसे शब्द निकले थे नेहा के उस वक्त- “ऊहह... हाँ... इट्स फॅटस्टिक, यू अरे सो गुड... कंटिन्यू, डोंट स्टॉप... आई आम हैविंग माई आगँजम, इट्स ग्रेट... गो ओन, गो ओन... डोंट स्टॉप, आई लोव यू हनी... एसस्स एइस्स्स्स । आई विल कम अगेन... वावव दैटस सुपर्ब.. ओहह... माई गोड... ओह्ह... इस्स्स्स ." फिर प्रवींद्र के नीचे नेहा हाँफती गई जैसे उसका दम घुटने लगा था।

फिर प्रवींद्र की बारी आई और वो भी गाया और लण्ड को बाहर निकालने जा रहा था, जब नेहा ने उसको उसके
अंदर ही झड़ने को कहा, तो प्रवींद्र ने उसकी चूत की गहराई में अपने पानी को छोड़ा हाँफते हुए। फिर अपने जिश्म के पूरे वजन को नेहा के बदन पर छोड़ दिया उसने गहरी साँसें लेते हुए।

नेहा प्रवींद्र के जिश्म के वजन को खुशी से अपने जिश्म पर संभाल रही थी, बिना कोई शिकायत किए। और थोड़ी देर में प्रवींद्र ऊपर उठा हँसते हुए, और दोनों हँसने लगे, एक दूसरे के चेहरे में देखते हुए। नेहा बाथरूम गई तो प्रवींद्र उसके पीछे-पीछे गया। दोनों एक साथ नहाने के बाद वापस बेड पर आए, और नेहा ने बातचीत शुरू किया- “मुझे तुमसे बहुत सारे जरूरी बातें करनी है.."
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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा ने प्रवींद्र को ससुर से प्रेग्नेन्सी के बारे में बताया
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नेहा ने बात शुरू किया, उसने कहा- “मैं प्रेग्नेंट हूँ.."

प्रवींद्र की समझ में नहीं आया कि वो क्या कहे? वो निशब्द नेहा के चेहरे में देखने लगा। एक गहरी साँस लेने के बाद उसने थोड़ा हकलाते हुए पूछा- “तुम प्र...प्रेग्नेंट हो? सीसी... कैसे? कब से?"

उसकी वो हालत देखकर नेहा ने पूछा- “क्यों तुमको फिकर हो रही है? कोई भी प्राब्लम नहीं है, यह तो नार्मल बात है। मैंने पंडितजी को बता दिया और उसने कहा कि फिकर की कोई बात नहीं है सब ठीक हो जाएगा। क्योंकी वो समझता है कि ये मेरे पति का बच्चा है और दुनियां वालों को भी यही लगना चाहिए अब, तो फिकर की क्या बात है?"

तब प्रवींद्र को कुछ आराम महसूस हुआ और पूछा- “तो तुम क्या चाहती हो? बच्चे को रखना है या गर्भपात करोगी..."

नेहा ने गंभीरता से प्रवींद्र के चेहरे में देखते हुए कहा- “क्या तुम चाहते हो कि मैं गर्भपात करूँ..."

प्रवींद्र ने कहा- “नहीं, अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है मगर बाप कौन है? मैं या..”

फिर नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “जानते हो शुरू से जब तुम्हारे बड़े भाई कुछ नहीं कर पा रहे थे तो पिताजी बहुत ही चिंतित हुआ करते थे और मुझसे कहा करते थे कि उनको अपने वंश को आगे बढ़ाना है उनको अपने चौथे बच्चों को देखना है, अपने खून को और बढ़ते हुए देखना है, वो हमेशा कहा करता थे कि अपनी जायदाद के लिए उनको बहुत सारे पोते पोतियां चाहिए। वारिस चाहिए उससे। मगर उनको खुद नहीं पता था कि उन्होंने मेरे पेट के अंदर अपने बीज को बो दिया था..."

यह सुनकर प्रवींद्र को झटका लगा या खुशी हुई? वो उठ खड़ा हुआ यह कहते- “क्या, पिताजी ने तुमको प्रेग्नेंट किया? मारने से पहले एक औलाद और छोड़ गया, मेरा छोटा भाई.. बड़ा मर गया तो छोटा आ गया। अरे वाह
आई आम वेरी हैपी। मुझको एक छोटा भाई या बहन मिलेगा..."

नेहा ने कहा- “हेलो मिस्टर, तुम उसके भाई और बाप भी बनागे। दुनियां के लिए वो तुम्हारा भतीजा होगा, असलियत में तुम्हारा भाई और मुझसे शादी करने के बाद वो तुम्हारा बेटा होगा.."

यह सुनकर प्रवींद्र हँस पड़ा और कहा- “एक साथ इतने सारे रिश्ते एक बच्चे के साथ... कमाल है मैं बाप, चाचा
और भाई एक साथ बनूंगा कितनी अजीब और कमाल की बात है ना?"

प्रवींद्र खुश था कि वो उसके बाप की औलाद था जो नेहा के पेट में पल रहा था। और वो सभी जिम्मेदारी उठाने
के लिए तैयार था उस बच्चे की। फिर भी उसने नेहा से पूछा- “यह सब कब हुआ? कब उसने कन्सीव किया?
और उसको कब पता चला कि वो प्रेग्नेंट है?"

नेहा ने उसको बताया- "ठीक जब उसकी माँ बीमार थी और वो अपने गाँव जा रही थी तभी वो एक महीने लेट थी अपनी मासिक के लिए। और आखिरी मर्द जिसने उसके अंदर वीर्य छोड़ा था, वो था प्रवींद्र का पिता, और एक महीने से पहले कई बार उसने अंदर वीर्य छोड़ा था, तभी से उसको मासिक नहीं हई थी, तो वो अपने पिता के यहाँ गई थी तो आलरेडी प्रेग्नेंट थी..." नेहा ने बताया की उन दिनों खुद प्रवींद्र और उसके चाचा भी उससे सेक्स कर रहे थे इसलिए नेहा अपनी पीरियड्स को बहुत सावधानी से फालो कर रही थी और उसके चाचा और उसने तो वीर्य बिल्कुल अंदर नहीं छोड़ा था, सिर्फ उसके पिता ने छोड़ा था तो उसके पिता के इलावा और किसी ने उसको प्रेग्नेंट नहीं किया है।

प्रवींद्र ने कहा- “हाँ बिल्कुल सही है, उन दिनों तुम मुझको बिल्कुल अंदर नहीं झड़ने देती थी, मतलब तुम छुपी रुस्तम निकली, तुमको पता था कि तुम क्या कर रही थी हम्म्म.."

नेहा ने कहा- “हाँ मुझे पता था कि पिताजी ने अंदर छोड़ा है तो मैं देखना चाहती थी कि रहेगा या नहीं इसीलिए उसके इलावा किसी को अंदर नहीं डालने देती थी, जब तक मेरी पीरियड लेट नहीं हुई थी, और दो दिन अपने गाँव जाने से पहले मुझको पाता चल गया था कि मैं प्रेग्नेंट थी...”

प्रवींद्र ने कहा- “मेरी कोई बहन नहीं है। मुझे खुशी होगी अगर यह एक लड़की हुई तो?"

नेहा बोली- “और अफीसियली वो तुम्हारी बेटी होगी हीहीही.."

प्रवींद्र मुश्कुराया और प्रवींद्र की खुशी देखकर नेहा भी खुश हुई और उसकी परेशानी दूर हुई और एक बोझ उतर गया उसके सीने से। क्योंकी नेहा ने सोचा था कि प्रवींद्र यह सब जानकार चिंतित होगा और उसको गर्भपात करने को कहेगा। मगर वो बहुत खुश थी कि प्रवींद्र भी खुश था यह जानकर कि उसके पिता ने एक औलाद दे दिया था उनके जाने से पहले।

फिर दोनों ने अपनी शादी के बारे में बातें की। प्रवींद्र ने कहा- “उसके पिता के 40वें दिन वाली पूजा के रोज सभी परिवार, दोस्त, जान पहचान वालों को और पड़ोस के गाँव के सभी लोगों को इन्वाइट करना पड़ेगा फ्यूनरल सेरेमनी के रोज। तो क्यों ना उसी रोज सभी लोगों की प्रेजेन्स में ही दोनों शादी भी कर लें..."

नेहा को आइडिया अच्छा लगा और उसने कहा- “कल वो पंडितजी से इस बारे में बात करेगी...” और पंडितजी का नाम लेते ही नेहा का जिश्म सिहर सा गया। पल भर के लिए नेहा ने पंडितजी से किए सेक्सुअल एनकाउंटर्स को याद किया और उसके जिश्म में एक मस्ती पैदा हो गई।

प्रवींद्र से दिन भर में यह चौथी बार थी कि नेहा ने सेक्स किया, सुबह से पंडितजी से करने के बाद। तो नेहा ने पंडितजी से, सुभाष से, ज्ञान से और प्रवींद्र से सेक्स किया, कोई 12 घंटों के बीच। फिर भी अभी भी पंडितजी को सोचकर उसको और करने का मन किया। तो सुबह को अगर पंडितजी से फिर सेक्स किया नेहा ने तो वो पाँचवी बार होगी 24 घंटों के बीच नेहा ने सोचा।

दोनों को नींद आने लगी, तो एक साथ बेड पर लेटे रहे दोनों और नेहा खुद को एक नशे की हालत में महसूस करने लगी और उसको चुदने का फिर से मन किया। मगर प्रवींद्र को नींद आ गई और खर्राटे मारने लगा। पर नेहा शीक और रूपचंद को अचानक सोचने लगी। उस दिन उसने बहुत एंजाय किया था, खासकर और एंजाय किया था जब शीक ने उसे दूसरी बार चोदा था, जब प्रवींद्र बाहर गया था रूपचंद के साथ। तब नेहा ने उस होटेल के बारे में सोचा जहाँ उसके दो भाई उसको लेकर गये थे, उस अटेंडेंट को सोचा नेहा ने जो उसको अपने ग्राहकों के लिए चाहता था।

कुछ देर बाद नेहा का हाथ उसकी चूत तक गया और खुद को उंगली करने लगी वो सब सोचते हुए। पहले कभी भी नेहा ने उंगली से काम नहीं चलाई थी। वो उंगली को अपनी चूत पर रगड़ते वक्त खुद को बहत सारे मर्दो के बीच कल्पना की। उसने अपने पिता, अपने भाइयों को याद किया, शीक, रूपचंद, ज्ञान, सुभाष, पंडितजी और अपने ससर को भी सोचा नेहा ने अपनी गीली चूत में अपनी दो उंगलियों को घुसेड़ते हए। बहत गरम हो गई वो और मुड़कर प्रवींद्र की तरफ देखा पर वो खर्राटे जोरों से मार रहा था। तो नेहा ने अपनी टाँगों को फैलाकर अपनी उंगलियों को गोल-गोल घुमाया चूत के थोड़ा ऊपर और फिर से उंगलियों को अंदर डाला। उसको फिर से एक लण्ड की जरूरत महसूस होने लगी।

खुद को संतुष्ट नहीं कर पाई अपनी उंगलियों से तो नेहा उठकर किचेन में गई, वहाँ कुछ ढूँढने लगी जिससे खुद को खुश कर सके। उसकी नजर एक बैगन पर पड़ी, वो एक लण्ड से कुछ और मोटा लग रहा था। नेहा नीचे जमीन पर बैठी, टाँगों को फैलाया और उस बैगन को अपने अंदर डाला। गीली चूत के अंदर बैगन आसानी से घुसा नेहा की सिसकती आहह... के बीच। नेहा ने फिर बैगान को बाहर निकाला और दोबारा अपनी चूत की गहराई में ठूसा। एकाध बार वैसा करने के बाद नेहा उसको तेजी से अंदर-बाहर करने की कोशिश की मगर उसकी नाजुक कलाई दुखने लगी।

"एक लण्ड आखिर लण्ड होता है..." नेहा ने खुद से कहा। फिर भी इतना चुदने की चाह थी उसे कि वो उस वेजिटेबल को अपने अंदर लिए पेट के बल लेट गई फर्श पर और अपनी कमर को चुदाई की तरह हिलाने लगी बैगन को चूत के अंदर लिए हए।

देखने से लग रहा था कि कोई मर्द नेहा के नीचे है और वो एक लण्ड पर बैठी हुई है। और पल भर में नेहा की तड़पती सिसकती आवाज निकली वैसे कमर हिलाते हुए। जमीन पर नेहा रेंगने लगी एक साँप की तरह और वो झड़ने लगी। नेहा एक जगह से दूसरी जगह पहुँच गई फर्श पर खुद के जिश्म को रेंगते हुए चूत में बैगन को लिए। आगजम हुई और हाँफते हुए नेहा उस ठंडी संग-ए-मरमर की फर्श पर पड़ी रही और कुछ पशीने की बूंदें गिरी संग-ए-मरमर पर।

नेहा अपने होंठों को दाँतों में दबाते हुए खुद पर हँसी और काहा- “एक मर्द के बिना भी आज मैं झड़ गई, वाह..."
* * * * * * * * * *
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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
कड़ी_48 ज्ञान ने फिर पंडित ने चोदा

नेहा को सुबह को नेहा सवेरे उठी और प्रवींद्र का टिफिन तैयार किया और एक टैक्सी उसको लेने आई खेतों में चोदने के लिए। जब से उनकी 4जे4 की आक्सिडेंट हुई है टैक्सी ही हर सुबह प्रवींद्र को लेने आती है और शाम को वापस घर चोदती है। प्रवींद्र अपनी खुद की गाड़ी खरीदना चाहता था मगर लीगल पेपर्स तैयार नहीं हुए थे उसके पिता की मौत के बाद। सभी चीज अब भी उसके बाप के नाम पर ही थी, सब कारवाई करना था सब अपने नाम लेने के लिए और अभी तक कुछ तैयार नहीं हुआ था। खेत, जमीन, जायडैड सब उसके अकेले के होने वाले थे। वकील सब कुछ करने में लगा हुआ था और उसके पिता की अंतिम पूजा करवाने के बाद सब कारवाई को अंजाम देना था।

प्रवींद्र ने खयाल नहीं किया मगर जब वो टैक्सी में बैठकर घर से खेत के लिए निकल रहा था तब गैरेज खुल चुका था, और ज्ञान उसके जाने का इंतजार कर रहा था, उसके घर में नेहा से मिलने के लिए।

जैसे ही टैक्सी नजरों से दूर हुई तो ज्ञान ने नेहा के घर का दरवाजा खटखटाया। नेहा उसको एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी फिर भी उसको अंदर आने दिया। ज्ञान तुरंत ही नेहा को बाहों में भरके उसके गाल, मुँह, गला, होंठ चारों तरफ चूमने चाटने लगा। नेहा अब तक अपनी पतली गुलाबी रंग के नाइटी में थी जिसके कंधे पर पतली-पतली स्ट्रैप्स थी और नेहा बिना ब्रा के थी। फिर ज्ञान के मूव्मेंट्स से नेहा की एक स्ट्रैप कंधे से सरक कर बाजू पर चली गई तो नेहा की चची देखकर ज्ञान ने जल्दी से उस चची को मुँह में लेकर एक भखे प्यासे बेबी की तरह उसकी निपल को चूसने लगा जैसे उसमें से दूध पी रहा हो।

दोनों खड़े ही थे उस वक्त और नेहा रेस्पांड कर रही थी मगर उसने कहा- “पंडित जी आ सकते हैं, तुमको जल्दी करना होगा...”

सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी किया गया। जल्द ही नेहा बेड पर बिल्कुल नंगी हो गई और ज्ञान ने भी जल्दी से अपने सभी कपड़े उतारे और नेहा के ऊपर चढ़ गया और उसका मोटा काला लण्ड नेहा की चूत में आने जाने लगा तेजी के साथ। यह सोचते हए कि कहीं पंडित आकर सब मजा किरकिरा ना कर दे, ज्ञान जल्दी से एंजाय कर लेना चाहता था।

नेहा हाँफते हुए उसके नीचे तड़पने लगी और सिसकने भी लगी। जिस तेजी के साथ ज्ञान धक्का दे रहा था नेहा को अजीब सा मजा आने लगा उस रफ्तार से लण्ड को चूत के अंदर महसूस करते हए। और नेहा सब कुछ भूलकर फुल कान्सेंट्रेशन किया उस तेज चुदाई में, बस समझ लो कि एक एक्सप्रेस ट्रेन जा रही है और उसका लुत्फ़ उठना है कुछ ऐसे हालात थे, बाहर पंडित के आने का डर था और जल्दी से ज्ञान को झड़ना था और नेहा को भी झड़ना था।

नेहा तो पंडित से भी आगंजम पा सकती थी मगर इस वक्त कुछ अजीब-ओ-गरिब तरीके से चुदाई हो रही थी उसकी, जो पहले कभी नहीं हुई थी। इसलिए वो एंजाय करने लगी थी। नेहा के गाल को चूसते हुए ज्ञान कमर हिलाते हुए तेजी से धक्का देता जा रहा था उसकी चूत में। और उसका मोटा पेट जो घर्षण दे रहा था नेहा के पेट पर, वो काफी था नेहा की उतेजीना को बढ़ाने के लिए।

फिर अचानक नेहा चिल्लाई- “उउफ्फ मैं झड़ी... बाप रे, इतनी जल्दी कभी नहीं झड़ी मैं.. तुमने तो कमाल कर दिया इतनी जल्दी बाप रे..."

ज्ञान भी अपने जिश्म का वजन नेहा के ऊपर करते हुए गुर्राया। जब नेहा ने उसको लण्ड बाहर नहीं निकालने को कहा तो ज्ञान ने अपना वीर्य उसकी चूत के अंदर ही चोद दिया। फिर जल्दी से ज्ञान गैरेज वापस चला गया क्योंकी नेहा ने उससे कहा कि किसी भी वक्त पंडित आ सकता है। नेहा ने बैठकर सोचा कि पिछले 24 घंटों में यह उसकी पाँचवीं चुदाई थी और अब अगर पंडित भी चोदेगा तो छठी होगी 24 घंटे के अंदर।

नेहा बाथरूम में गई और शावर ले रही थी जब पंडित घर में दाखिल हुआ, क्योंकी नेहा ने दरवाजा खुला चोद दिया था। क्योंकी उससे पता था कि वो आने ही वाला है।

पंडित ने नेहा को नाम से फुकरा।

नेहा ने बाथरूम के अंदर से ही आवाज दिया- “नहा रही हूँ बस आती हूँ.."

तब पंडित चलकर बाथरूम के दरवाजे तक गया और वहीं खड़े होकर कहा- "बिटिया खोल दो दरवाजे को जरा देखने दो कैसी दिखती हो नहाते वक्त."

नेहा हँसी और कहा- “मगर मैंने तकरीबन नहा लिया है, निकालने ही वाली हूँ अब तो.."

पंडितजी ने अपने धोती पर हाथ फेरा लण्ड के ऊपर जो खड़ा हो गया था, और उसको नेहा को उस हालत में नहाते हुए देखने का बड़ा मन किया। तो उसने विनती किया- "बिटिया, कुछ मत पहनो अभी, मुझे पहले तुझे उस हालत में भीगे हुए देख लेने दो ना... तब कपड़े पहनना तुम। मेरे लिए इतना तो कर सकती हो..”

फिर नेहा ने दरवाजा खोल दिया। वो बिल्कुल सर से पैर तक भीगी हुई थी, पानी उसके पूरे नंगे शरीर पर बह रहा था, कहीं बूंदें तो कहीं बहता पानी। उसके लंबे भीगे काले बाल उसकी पीठ पर चिपके हुए थे, भीगकर और
और भी ज्यादा सट गये थे उसके जिश्म पर, थोड़ा पीठ पर, थोड़ा उसकी चूचियों पर, आंशिक रूप से उनको ढके हुए।

पंडित जी से रहा ना गया, अंदर एक कदम रखा तो नेहा अपनी बहुत खूबसूरत मुश्कान से उसको बुला कर रही
थी वासने भरी नजरों से।

नेहा ने पूछा- “अंदर आने के बाद आपने सामने का दरवाजा लाक किया था ना?"

पंडित ने कहा- “नहीं.."
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03-04-2021, 10:26 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
तब नेहा ने उसको वापस जाकर दरवाजा लाक करके वापस आने को कहा। पंडित गया, लाउंज में मेनडोर को लाक किया और वापस आया। इस बार अपने सारे कपड़े उतारकर तब बाथरूम में घुसा नेहा के पास। बाथरूम का दरवाजा खुला ही चोद दिया गया और नेहा ने खुद पंडित जी को अपनी बाहों में भरा और उनके गले को चूमने चाटने लगी खड़े पोजीशन में ही। और पंडित अपने बूढ़े मोटे लण्ड को नेहा की जांघों पर दबाने लगा थोड़ा सा घुटनों को टेढ़ा करके।

नेहा फिर से चुदासी हो गई, उसकी आँखें नशीले हो गईं, और नेहा ने अपने एक हाथ को पंडित जी के लण्ड पर रखा जब उसका मुँह पंडित के मुँह को चाट रहा था। मतलब पंडित को किस करते हुए नेहा उसके लण्ड पर। अपना हाथ चलाती जा रही थी जैसे मूठ मारते हैं उसी तरह और दोनों किस किए जा रहे थे एक दूसरे को खड़े हुए बाथरूम में।

नेहा के शैम्पू की खुशबू उसके जिश्म से आ रही थी, जो पंडित को और भी आकर्षित किए जा रही थी, ऊपर से उसके भीगे बालों से उत्तेजित होना लाजमी था। अपनी उंगलियों से पंडित बार-बार नेहा के भीगे बालों को कभी इधर तो कभी उधर हटा रहा था, उसके जिश्म के हर अंग को चूमते चाटते हए। क्या अजीब मजा आता है एक भीगी हुए नंगी औरत को बाहों में लेकर... उसी को पता होगा जिसने कभी नहाते वक्त, नदी में या समुंदर में तन्हाई में ऐसे किसी लड़की के भीगी जिश्म का आनंद लिया हो, सिर्फ वोही समझ सकता है। यह एक अजीब
ओ-गरिब स्पेशल मौका होता है और बेहद उत्तेजक होता है।

नर और मादा दोनों बहत ही उतेजित हो जाते हैं और उन्हें सेक्स के अलावा और कुछ नहीं सूझता ऐसे मौकों पर... हाँ रोमांटिक भी होते हैं ऐसे मौके, मगर उससे बहुत ज्यादा उत्तेजक होते हैं ऐसे लम्हें।

तब पंडित जी का हाथ नेहा की गाण्ड पर गया, और अपने पंजे में उसकी गाण्ड की एक फांक को दबोचा और दूसरे हाथ की एक उंगली को नेहा की गाण्ड के छेद में डालने की कोशिश किया पंडितजी ने। उसके वेसा करने से नेहा अपने पैर की टोस पर खड़ी हो गई और अपनी बाहों में पंडित को ज्यादा जोर से जकड़ लिया, पंडित के कान की 'लोब' अपने मुँह में लेकर चूसते हुए। फिर पंडित ने अपने मुँह नेहा की चूचियों पर किया और उसपर बहते पानी को पिया फिर उसकी चूचियों को चूसा और उसकी निपल को एक दूध पीते बच्चे की तरह चूसने लगा।

उसके वैसा करने से नेहा के जिश्म में थरथराहट हो उठी। फिर कुछ पल बाद पंडित ने नेहा की गर्दन थामे उसके सर को अपने लण्ड के तरफ किया, तो नेहा बैठ गई नीचे और पंडित का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। पहले नेहा ने लण्ड के ऊपरी हिसे को चाटा फिर नजरें ऊपर उठाकर पंडित के चेहरे में उसके एक्सप्रेशन्स को देखा, फिर मुश्कराई। तब लण्ड की टिप को मुँह में लिया, जिससे पंडित को अबकी बार अपने टोस पर खड़ा होना पड़ा और उसकी सिसकारी निकल पड़ी।

नेहा ने फिर से उसके चेहरे में देखा, तब आधे लण्ड को अपने मुँह के अंदर लिया, पंडित के चेहरे में देखते हए। नेहा उसकी एक्सप्रेशन्स और एंजायमेंट का नशा देखना चाहती थी पंडित के चेहरे पर। पंडित गुर्राया और “उऊहह... उहह... उहह... इस्स्स्स ..” करने लगा मजा लेते हुए, और नेहा लण्ड को अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी चूसते हुए और एक हाथ से लण्ड को सहलाते हुए। पंडित को उस तरह से तड़पते देखकर नेहा को मजा आ रहा था।

पंडित के हाथ उस वक्त नेहा के कंधे पर थे और नेहा घुटनों के बल थी बाथरूम के फर्श के संगमरमर पर, चूसे जा रही थी और बार-बार सर ऊपर उठाकर पंडित को देखती जा रही थी। फिर पंडित अपनी कमर हिलाकर लण्ड को नेहा के मुँह में अंदर-बाहर करने लगा जैसे उसके मुँह को चोद रहा था। ऐसा कुछ देर तक चला और नेहा ने आखिर में मुश्कुराते हुए कहा- “मेरा मुँह दुखने लगा अब पंडित जी.."

अब बारी थी पंडित की नेहा की इन्वाइटिंग चूत के सामने बैठने की। उसने नेहा के घुटनों से शुरू किया वहाँ से चाटते हुए ऊपर बढ़ता गया, नेहा की गडराइ जांघों से गुजरते हुए और उसकी मोटी चूत तक पहुँचा। अपनी उंगलियों से चूत की पंखुड़ियों को खोला और उसपर अपनी जीभ को फेरा, नेहा का पानी निकल चुका था तो पंडित ने उस नमकीन लज्जत को आज भी चाटा उसको महसूस करते हुए जैसे पानी में नमक डाला गया हो। चूसते चाटते वक्त पंडित ने काई बार अपनी जीभ को उसके छेद के अंदर डाला और निकाला।

नेहा पंडित के सर पर हाथ रखे उसको जोरों से दबाते हुए खुद के जिश्म को जैसे वाइब्रेट किया, नेहा थरथर कांपी, उसके पैर भी काँप उठे जिश्म के साथ-साथ। पंडित के उस तरह से चूसने से नेहा को जो मजा और आनंद मिल रहा था वो बयान करना नामुमकिन है, वो सिर्फ नेहा ही समझ सकती थी। नेहा अपने चूतड़ों को कभी दायें तो कभी बायीं तरफ लचका रही थी, जैसे नाच रही हो। पंडित उसकी चूत को नहीं चोद रहा था और नेहा जैसे अंगराइयां लेते हुए उस मजा दिये जा रही थी।

फिर कुछ देर बाद पंडित खड़ा हुआ, अपने लण्ड को नेहा की चूत के ऊपर रगड़ा, नेहा के मुँह को अपने मुँह में लिया, और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में पिघलने लगी। पंडित को अपने घुटनों को टेढ़ा करना पड़ा अपने लण्ड को नेहा की चूत तक लाने में, क्योंकी वो नेहा से कद में कूचा था, फिर उसने अपने लण्ड को नेहा की चूत में घुसाया जो फिसलते हुए अंदर चला गया।

नेहा की चीख निकल गई तड़पते हुए- “आआह्ह... इस्स्स्स
.."
पंडित ने कमर हिलाना शुरू किया जिससे लण्ड अंदर-बाहर होने लगा मगर ज्यादा उमर होने के कारण पंडित थक गया उस पोजीशन में खड़े होकर चोदने से। तो उसने नेहा को एक बच्चे की तरह गोद में उठाकर उसके बेडरूम के तरफ बढ़ने लगा। दोनों बिल्कुल नंगे कारिडोर में चलते हए नेहा के बेड पर गये। नेहा को बिस्तर पर लेटाया पंडित ने और जल्दी से नेहा ने अपनी टाँगों को फैलाया। उसको जल्दी थी वो खुद को संभाल नहीं पा रही
हों को पंडित के जिश्म पर किया और उसका लण्ड फिर से नेहा के चत में आने जाने लगा तेजी से। उस दौरान दोनों एक दूसरे की जीभ का रस पिए जा रहे थे, जब उसकी चूत लण्ड खा रही थी। फिर दोनों जल्द ही अंजाम तक आ गए।

और पंडित ने तड़पते आवाज में कराहते हुए दबे गले की आवाज में कुछ ऐसी आवाज निकली- “उउहह. अगघघ..” वो नेहा की चूत की गहराई में अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था और नेहा उसके नीचे जैसे कोई नृत्य करने लगी थी।

इस कदर वो पंडित के नीचे मचल रही थी झड़ते हुए, उसका जिश्म ऐंठ रहा था, जबकि बूढ़े का लण्ड उसके अंदर उल्टी कर रहा था। फिर तुरंत नेहा ने अपने जिश्म को अधमरा छोड़ा बेड पर हाँफते हए जैसे उसका दम घट गया था और वो तेजी से लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। फिर नेहा पंडित के चेहरे में देखकर हँसने लगी।

पंडित भी हँसा और कहा- “अब मुझको स्नान करना होगा पूजा की विधी शुरू करने से पहले.."

फिर नेहा ने खुद से कहा- “24 घंटे में 6 बार..."
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