RE: kamukta औरत का सबसे मंहगा गहना
मैं कभी कंट्रोल कर लेता था और कभी घर आकर हाथों से ही हल्का हो जाता था।
लेकिन किमी के शरीर का रंग अभी भी ज्यादा नहीं बदला था, इसलिए अब मैंने उसे पूरी बाडी पर लेप लगाने को कहा। जाहिर सी बात है.. उससे खुद लगाते तो बनता नहीं और थकान की वजह से उसे रोज-रोज खुद से लगाने का मन भी नहीं करता, इसलिए उसने मुझे लगाने को कहा।
मैंने तभी कहा- सोच लो मेरे सामने पूरे कपड़े उतारने पड़ेंगे.. तभी लगाते बनेगा!
वो सोच में पड़ गई.. और चुप ही रही।
फिर मैंने बात को संवारते हुए कहा- अब मुझसे शर्माने झिझकने की जरूरत नहीं है.. और मुझे अपनी हद का पता है, तुम निश्चिंत होकर कपड़े उतारो और लेट जाओ।
मैंने लेप और मालिश के लिए एक अच्छा सा टेबल लगा रखा था, जिसमें अभी तक किमी लेट कर मुझसे पैर, सर और हाथों की मालिश करवाया करती थी।
उस टेबल पर आज पहली बार वो सिर्फ अंतर्वस्त्र में लेटी हुई थी। उसने कपड़े बहुत संकोच करते हुए उतारे थे, इसलिए मेरा एकदम खुला व्यवहार किमी को नाराज कर सकता था।
उसे बिना कपड़ों के या कम कपड़ों में मैंने स्वीमिंग के वक्त ही देखा था, उस वक्त भी पहली बार मेरा रोम-रोम झंकरित हो उठा था। अब इतने करीब से ऐसी हालत में किमी को देखना मेरे सब्र का इम्तिहान था।
फिर भी मैंने मन ही मन भगवान से प्राथना की कि हे प्रभु मुझे खुद पर काबू पाने की शक्ति दें। क्योंकि जवान लड़का निर्वस्त्र लड़की को देख कर खुद को कैसे संभालेगा.. आप सोच सकते हैं।
अब सबसे पहले मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा और लेप उसके पैरों से होते हुए जांघों तक और गर्दन से होते हुए कमर तक लगाया। इस बीच ब्रा की परेशानी तो आई, पर अभी उसे उतारने को कहना उचित नहीं था।
मैंने अब किमी को सीधा किया और उसके पेट, चेहरे, कंधे में अच्छी तरह से लेप लगाया। शायद किमी के शरीर में झुरझुरी सी हुई होगी, क्योंकि ऐसा करते हुए मेरे रोंये तो खड़े हो गए थे.. लिंग भी अकड़ गया था।
मैंने लेप के सूखने तक उसे ऐसे ही लेटे रहने को कहा और मैं बाथरूम में जाकर फिर हल्का हो आया।
यह सिलसिला तीन-चार दिन ही चला था कि अब मैंने किमी को ब्रा उतारने को भी कह दिया। वो मुझे चौंक कर देखने लगी.. पर उसने मना नहीं किया, लेकिन उतारी भी नहीं।
मैं समझ गया कि मुझे ही कुछ करना होगा, मैंने आज लेप लगाते वक्त ब्रा का हुक खोल दिया।
किमी- संदीप नहीं.. रुक जाओ..
अभी उसने इतना ही कहा, पर उसके कहने से पहले हुक खुल चुका था। अभी उसके शरीर में पेंटी बाक़ी थी, लेकिन उसके लिए जल्दबाजी करना उचित नहीं था।
मैंने बैक साईड पर लेप लगाया, आज उसकी चिकनी आजाद पीठ पर लेप लगाने का अलग ही आनन्द आ रहा था।
फिर मैंने किमी को सीधा किया, अब जैसे ही मैंने ब्रा को शरीर से अलग करने की कोशिश की, किमी ने मेरा हाथ झट से पकड़ लिया।
मैंने किमी की आँखों में.. और किमी ने मेरी आँखों में देखा.. हम दोनों ने आँखों ही आँखों में बातें की, उसने अपना सर ‘नहीं’ में हिलाया और मैंने ‘हाँ’ में, फिर मैंने थोड़ा जोर लगा कर ब्रा हटा दी।
उस वक्त उसने भी अपने हाथों की पकड़ ढीली कर दी, पर आँखें बहुत जोर से बंद कर लीं। इस वक्त उसकी धड़कनें बहुत तेज हो गई थीं, क्योंकि पर्वत मालाओं में भूकंप जैसा कंपन साफ नजर आ रहा था।
फिर मैंने लेप को उसके पेट और गले के अलावा उसके उरोजों पर लगाना शुरू किया।
किमी के मम्में भारी तो पहले से ही थे और अब इतने दिनों की मेहनत से वो बहुत सुडौल भी हो गए थे, शायद अब किमी की मरी हुई सेक्स भावना भी जागने लगी थी।
मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उसके चूचुक कड़क होकर आसमान की ओर उठ गए थे, छूने पर सख्ती का भी एहसास हो रहा था।
मैंने पहले किमी के मम्मों के चारों ओर लेप को लगाते हुए हाथों को चूचुक की ओर आहिस्ते से बढ़ाया और ऐसी ही प्रक्रिया हर दिशा से की, शायद उसे सहलाने वाला एहसास हुआ हो।
क्योंकि मैं चाहता भी यही था, इसलिए जानबूझ कर मैं अपने तजुर्बे का इस्तेमाल कर रहा था।
फिर मैंने बहुत ही तन्मयता से उसके पूरे शरीर में लेप लगाया, लेकिन आज मेरा लिंग ज्यादा ही अकड़ने लगा और उम्म्ह… अहह… हय… याह… एक बार तो उसे बिना छुए ही मेरी निक्कर चिपचिपे द्रव्य से भीग गई।
इतने के बाद भी कुछ ही पलों में मेरा लिंग पुनः फुंफकारने लगा था। मैं नहीं चाहता था कि किमी को मेरी हालत का पता चले और मुझे यकीन था कि किमी ने भी अपने आपको बड़ी मुश्किल से ही संभाला होगा।
फिर मैंने एक जुगत लगाई ताकि बाथरूम में जाकर हल्का होने की जरूरत ना पड़े।
अब तक किमी बहुत सुडौल और आकर्षक हो चुकी है, लेकिन मैं किमी को जिस रूप में देखना चाहता हूँ, वो अभी बाक़ी है। इसलिए सारे उपक्रम निरंतर जारी थे। वैसे भी हेल्थ के संबंध में कहा जाता है कि व्यायाम और शरीर को लेकर सारी जागरूकता उम्र के हर पड़ाव में निरंतर रहनी चाहिए।
आप सब तो जानते ही हैं कि किमी के शरीर में लेप लगाते हुए मेरी हालत कैसी हो जाती थी और मुझे बाथरूम जाकर स्खलित होना पड़ता था। इसलिए मैंने एक प्लान किया और मैंने किमी के शरीर में लेप के साथ-साथ आँखों पर भी आलू और खीरे की गोल टुकड़े रख दिए, इससे आँखों के पास के डार्क सर्कल मिटते हैं और इससे मेरा फायदा ये था कि अब किमी मुझे देख नहीं सकती थी। जबकि मैं उसके निर्वस्त्र शरीर को देखते हुए उसके सामने ही अपने लिंग का घर्षण कर सकता था।
अब मैं रोज ही किमी के शरीर पर लेप लगाने के बाद उसके आँखों पर खीरा-आलू के टुकड़े रख देता और नस फाड़ने को आतुर हो चुके लिंग को किमी के सामने ही निक्कर से से निकाल कर रगड़ने लगता था। किमी को इस बात का पता चलता था या नहीं.. मैं नहीं जानता और ना ही जानना चाहता था, क्योंकि उस वक्त मैं कामांध हो चुका होता था।
फिर भी मेरी शराफत यही थी कि मैंने किमी को हवस का शिकार नहीं बनाया। कई बार स्खलन के दौरान मेरे मुँह से हल्की आवाजें निकल जाती थीं और मेरे लिंगामृत की बूँदें भी किमी के ऊपर ही छिटक जाती थीं।
यह सिलसिला लगभग पंद्रह दिनों तक चला।
अब तक हमारी छुट्टी के तीन महीने भी बीत गए, अब हमें सारी चीजों के साथ साथ ऑफिस के लिए भी वक्त निकालना था और जिन्दगी बहुत ज्यादा वयस्त होने लगी।
इन 15 दिनों में किमी के व्यवहार में बहुत परिवर्तन आ गया था, आता भी क्यों नहीं.. क्योंकि अब वो सुंदर सी.. स्फूर्ति भरी, सबकी नजरों को भाने वाली लड़की जो बन चुकी थी।
उसके ऑफिस में तो कई लोगों ने उसके शारीरिक परिवर्तन और रंग में बदलाव की वजह से उसे पहचाना भी नहीं।
एक रविवार को जब मैं लेप लगा रहा था, किमी ने मुझसे कहा- संदीप मेरे शरीर का एक हिस्सा अभी भी लेप और खूबसूरती से वंचित है, उसे कब खूबसूरत बनाओगे?
इतना कहते ही वो खुद शरमा भी गई। मैं समझ गया कि ये पेंटी वाले हिस्से को लेकर कह रही है, क्योंकि उसके शरीर में लेप के दौरान एक मात्र वही कपड़ा शेष रह जाता था। उसे उतारना तो मैं भी चाहता था.. लेकिन जल्दबाजी नहीं कर रहा था।
आज मेरे से पहले ही किमी का धैर्य टूट गया, मैं बहुत खुश था और हतप्रभ भी।
मैंने कहा- हाँ किमी.. आज से वहाँ भी लेप लगा दूंगा।
वो कुछ न बोली, वो हमेशा की तरह अपने बाक़ी कपड़ों को उतार कर लेट गई।
अब मैंने पहले उसकी पीठ की ओर से लेप लगाना शुरू किया, पहले कंधों पर मालिश करते हुए चिकनी पीठ और सुडौल हो चुकी कमर पर लेप लगाया। उसके शरीर में कंपन हो रही थी और मेरे रोंये भी खड़े हो जाते थे। हालांकि उत्तेजना रोज ही होती थी, पर आज पेंटी भी उतरने वाली है.. यही सोच कर शायद हम दोनों ही नर्वस हो रहे थे, या कहो कि अतिउत्तेजित हो रहे थे।
मैंने किमी की जांघों पिंडलियों और पंजों पर लेप लगाया, फिर किमी को सीधा लेटाया और उसके चेहरे से होते हुए तने हुए उरोजों पर लेप लगाया। आज मैंने लेप लगाते हुए उसके उरोजों को दबा भी दिया, इस पर वो थोड़ा कसमसाई तो.. पर उसने कुछ कहा नहीं।
इस तरह मेरी हिम्मत बढ़ रही थी, मैंने अब उसके सपाट पेट पर लेप लगाया और उसकी नाभि में उंगली रख कर घुमा दी तो वो फिर कसमसा के रह गई।
अब मैं उसके पैरों की तरफ खड़ा होकर उसके पंजों से ऊपर की ओर बढ़ते हुए लेप लगाने लगा और उसकी जांघों सहलाते, दबाते हुए उसकी पेंटी के नीचे वाली इलास्टिक तक अपने हाथों के अंगूठे को ले जाने लगा। मुझे पेंटी में चिपकी उसकी योनि रोज नजर आती थी, पर आज वहाँ मुझे गीलेपन का एहसास हो रहा था, इसका मतलब आज किमी की योनि अतिप्रसन्नता में रस बहाने लगी थी।
अब मैंने अपने दोनों हाथ किमी के पेट पर रखे और नीचे की ओर सरकाते हुए, कमर को सहलाते, दबाते हुए, पेंटी में अपनी उंगलियाँ फंसाई और गोल लपेटने जैसा करते हुए, पेंटी को फोल्ड किया। जैसे ही दो-तीन इंच पेंटी फोल्ड हुई किमी की क्लीन सेव योनि के ऊपर का हिस्सा दिखने लगा।
मैं पेंटी को फोल्ड करना रोक कर.. उस जगह को आहिस्ते से ऐसे छूने लगा, जैसे मैं किसी नवजात शिशु को सहला रहा होऊँ।
अब पहली बार किमी के मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज निकली और मेरी बेचैनी बढ़ गई। मैंने पेंटी को और फोल्ड किया.. अब लगभग पूरी पेंटी फोल्ड हो गई और मुझे किमी की कयामत भरी योनि के प्रथम दर्शन मिल गए। पर उसकी जांघें अभी भी आपस में चिपकी हुई थीं, इसलिए योनि की सिर्फ दरार नजर आ रही थी।
किमी की थोड़ी सांवली पर बालों रहित मखमली योनि बहुत ही उत्तेजक लग रही थी। पेंटी से ढकी उस जगह की चमक और आभा का वर्णन मेरे बस का नहीं, इसलिए वह कल्पना आप ही कीजिए।
आप बस इतना जान लीजिए कि बिना कुछ किए ही मैं स्खलित हो गया पर लिंग राज ने स्खलन के बावजूद तनाव नहीं छोड़ा था।
अब मैंने योनि की दरार के नीचे अपनी उंगली लगाई और जिस तरह हम दो लकड़ी के ज्वांइट को भरने फेविकोल लगाते हैं.. वैसे ही उसके कामरस की एक बूंद को उसकी योनि के ऊपर तक आहिस्ते से फिरा दिया।
मेरा इतना करना था कि किमी कसमसा उठी और वो ‘ओह… संदीप.. बस..’ इतना ही कह पाई।
अब मैंने उसकी पेंटी में फिर से उंगली फंसाई और किमी की मदद से पेंटी को अलग कर दिया और बड़े गौर से उस हसीन जगह का मुआयना करने लगा। मैं उस पल को वहीं ठहरा देना चाहता था, जिसकी चाहत में मैं ये सारे उपक्रम कर रहा था। हालांकि मैं सारी चीजें किमी के लिए कर रहा था, पर मेरा भी स्वार्थ था, यह भी सच है।
अब मैंने दोनों हाथों की उंगलियों को उसकी योनि के दोनों ओर ले जाकर योनि को दबाया और योनि के लबों के जोड़ को आपस में रगड़ा। मैं यह सब इतने प्यार से कर रहा था कि किमी की सिसकारियाँ निकलने लगीं।
फिर मैंने उसके पैरों को मोड़ कर फैला दिया, उसकी गुलाब की पंखुड़ियों जैसी फांकों को देख कर मन मचल उठा, पर मैंने खुद पर काबू किया और लेप को पेंटी से ढके भागों पर बड़े इत्मिनान से लगाने लगा।
किमी ने अपने ऊपर काबू पाने के लिए टेबल को कस के जकड़ लिया था। मैंने किमी शरीर के हर हिस्से में लेप लगाया फिर आलू-खीरा काट लाया और जब मैं उसे किमी की आँखों में रखने वाला था, तब किमी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
उसने कहा- संदीप तुम मेरी आँखों में ये लगाकर क्या करते हो.. मैं सब जानती हूँ!
मैं स्तब्ध था, मेरे पास कहने को कुछ नहीं था।
तब उसी ने फिर कहा- ऐसी परिस्थितियों में तुम्हारा ऐसा करना स्वाभाविक ही है। तुम अच्छे इंसान हो.. इसलिए अब तक मुझसे दूर रहे, कोई और होता तो सबसे पहले मेरे शरीर से खेलने की ही बात सोचता और शायद ऐसे ही लोगों की वजह से सेक्स के प्रति मेरी रुचि खत्म हो गई थी। हम दोनों जानते हैं कि सेक्स दो शरीर का मिलन नहीं होता, ये तो आत्माओं, विचारों, भावनाओं का, मिलन होता है। मेरे अन्दर सेक्स की भावना को तुमने जागृत किया है, मेरे खोये हुए आत्मविश्वास को तुमने जगाया है, मेरी तन्हाई को दूर किया है, जीवन में आनन्द लेकर जीना सिखाया है, मेरे शरीर का रोम-रोम और आत्मा का सूक्ष्म अंश भी तुम्हारा ऋणी है। मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ संदीप.. तुम जो चाहो कर सकते हो।
ऐसा कहते हुए उसकी आँखों से अश्रुधार बह निकली।
मैंने उसे संभाला और कहा- मैं तो सिर्फ तुम्हारे चेहरे पर खुशी देखना चाहता हूँ, अन्दर की खुशी..! बस और कुछ नहीं, सिर्फ उतना ही मेरा लक्ष्य है।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- थैंक्स संदीप तुम बहुत अच्छे हो!
वो मुझसे लिपट गई। हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे और बहुत देर बाद उसने अपना सर उठाया और मेरी आँखों में देखते हुए कहा- संदीप एक बात कहूं..?
मैंने ‘हाँ’ में अपना सर हिलाया.. तो उसने कहा- मुझे बचा हुआ अंतिम सुख भी दे दो।
मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं..!
उसने कहा- समझ तो तुम गए हो.. पर स्पष्ट सुनना चाहते हो.. तो सुनो, मैं तुम्हारे साथ संभोग करना चाहती हूँ, ऐसी कामक्रीड़ा करना चाहती हूँ.. जैसा कामदेव और रति ने भी न किया हो।
मैं मुस्कुरा उठा.. मैंने कहा- देखो किमी हम दोनों ही पहले भी सेक्स कर चुके हैं और मैंने किमी से यह भी कहा कि मैं तुम्हारे साथ कामक्रीड़ा के चरम तक पहुँचना चाहता हूँ और वो तभी हो सकता है, जब हमारे मन में एक दूसरे के अतीत को जानने के बाद भी कोई गिला शिकवा न हो।
तो किमी ने कहा- संदीप तुमने मेरे लिए जो किया, उसके बाद तो तुम मेरे सब कुछ हो गए हो। अगर तुम चाहते ही हो कि मैं तुम्हारा अतीत जानूं, तो तुम मुझे वो बातें फिर कभी बता देना, पर अभी नहीं..! अभी तो बस मुझे इस लम्हे को जी लेने दो और तुम मेरा यकीन करो मुझे तुम्हारे किसी अतीत से कोई परेशानी नहीं है।
ये बातें हम मालिश टेबल पर ही कर रहे थे, यहाँ से किमी को नहाने जाना था।
अब मैं खुशी से झूम उठा और मैंने किमी को अपनी गोद में उठा लिया। पहले यह संभव नहीं था.. पर अब किमी का बीस किलो वजन कम हुआ है और अब वह 56 किलो की 5.3 इंच हाईट वाली गहरे पेट, पिछाड़ी निकली हुई, सीना उभरा हुआ और शक्ल तीखी, आँखें नशीली, निप्पल काले.. परंतु घेराव कम वाली माल बन चुकी थी। कुल मिला कर अब किमी आकर्षक सुंदरी बन चुकी थी और किसी सुंदरी का भार.. किसी भी नौजवान को भारी नहीं लगता, तो मैंने भी किमी को गोद में उठा लिया।
किमी ने भी अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल लिया और कहा- अब क्या इरादा है जनाब..?
मैंने भी कहा- बस देखते जाओ जानेमन.. थोड़ी देर में सब पता चल जाएगा।
मैंने उसे कुर्सी पर बिठा दिया और आँखों पर आलू-खीरा रख कर उसे बैठे रहने को कहा।
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