RE: kamukta Kaamdev ki Leela
एक तरफ जहां आशा रुआसी बने, तकिए को अपनी गिरफ्त में कर चुकी थी, वहा दूसरे तरफ उपर कमरे में तीनों के तीनों लड़कियों अब पूरी नग्न अवस्था में एक कामुक आलिंगन में जुड़ गए थे। बिस्तर पर लेटी रही रेवती, जिसके ऊपर बैठी थी नमिता और नीचे के तरफ अपनी घुटनों के बल बैठी थी रिमी। तीनों के तेनी अपने कार्य में व्यस्त थे। एक तरफ जहां नमिता सिसकियों पे सिसकियां दे रही थी, वहा दूसरे और रिमी की मुंह रेवती की योनि में व्यस्त थी, तो रेवती की मुंह प्राय नमिता की जांघो से दबी हुई थी।
रेवती अपनी दीदी की मदमस्त गांड़ को जकड़े, अपनी मूह को उसकी योनि में दबाए रखी, तो नीचे रिमी भी अपनी मूह से अपने प्यारी रेवती दी कि योनि को प्यार से चूसती गई। तीनों के तीनों किसी कामसूत्र के मूर्तियों से कम नहीं लग रहे थे। फिर कुछ पल के बाद जब नमिता के मुंह से निकली "अब बस कर! वरना तेरी चेहरे पे ही मूत दूंगी में!!" तो रेवती घबराकर अपनी चेहरा हटा देती है, बस यह देखने के लिए के कैसे उसकी दीदी की जिस्म हिलोरे मारने लगती है और यह तीन तीन बार हुई उसके साथ, फिर जाके कहीं रुकी।
यहां, दूसरे और अब बारी रेवती की थी झडने की, वोह बार बार अपनी जिस्म को हिलाने में लग गई और नीचे रिमी भी उसकी कमर को कसे, अपनी होंठ को बरकरार रखी उसकी योनि पर। "ओह!!!!!! रिमी!!!!" एक लम्बी सिसकी देती हुई वोह बुरी तरह से झड गई अपनी लाडली बेहना के मुंह पे। दो, दो भीगे हुए चेहरों को देखकर नमिता भी चैन की सांस ली और अब सीधे खड़ी होकर, उन दोनों को आपस में लिटा दी। फिर खुद घुटनों के बल बैठी हुई, दों दो योनियों का दर्शन करने लगी, जो बिल्कुल उसके मुंह के करीब थे।
दोनों के योनि होंठ एकदम फूले हुए थे, और एक नमकीन सा गंध आ रही थी दोनों से, जिसे नमिता प्यार से सुन्हने लगी "बदिया है! एकदम.... आज तो पेट भरकर तुम दोनों को खाने का इरादा है!" बड़ी बहन वाली आवाज़ में नमिता बोली और आदेश मानती हुई यह दोनों लड़कियां, अपने अपने हाथो से अपनी योनियों की होंठो को अलग किए, अपनी मुख्य दुआर दिखाने लगी अपनी बड़ी दीदी को! "दीदी! हमे कुबूल करो!" एक साथ ही दोनों बोल परे, और नमिता हंस देती है "बिलकुल करूंगी!" और फिर दोनों के दोनों योनियों पे हवा फूकने लगी।
अपने अपने छेद के अंदर हवा के प्रवेश से, दोनों बहने एक साथ सिसकियां देने लगी, लेकिन किसी ने हाथो को अपने योनियों से हटाई नहीं। अब नमिता प्यार से दो दो उंगली दोनों दिशाओं के और लेकर गई और हर एक योनि के अंदर एक उंगली प्यार से घुसा दी। उंगलियों के आक्रमण से रिमी और रेवती, एक दूसरे की और देखकर, कामुक अंदाज़ से मुंह खुले रखे और लम्बी लंबी सांसे लेने लगी। वहा नीचे नमिता, दोनों के योनि में उंगली करती हुई, अंतर देखने लगी। जहा एक तरफ बहुत फूले हुए होंठ के साथ साथ दुआर की लकीर भी ज़्यादा खुले हुए थे रिमी की, तो दूसरे तरफ थोड़ी टाईट सी थी रेवती की, जो शायद बहुत जल्द ही खुलने वाली थी, इतना यकीन थी नमिता को। एक कामुक मुस्कुराहट के साथ वोह दिनों को बराबर उंगली करती गई।
बेचारी लाडली बहनों के पास, और क्या चारा थी, सिवाय सिसकियां देने की। दिनों के दोनों, अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी दीदी की मिठी आक्रमण की जी भर के मज़े लेने लगी। दो दो हसीन टांगो की जोड़ी देखकर, नमिता भी और कामुक हो उठी और प्यार से उन तेंगो पर बारी बारी अपनी ज़ुबान से चाटने लग जाती है। "दीदी!!!!! उफ़!!!! ओह!!" सिसकियां पे सिसकियां निकलने लगी, और यह दोनों साथ साथ अपनी जिस्म भी लेटे लेट हिलाने लग गाएं । अपने बहनों की प्रक्रिया देखकर नमिता भी खुशी खुशी उंगली तेज़ चलाने लगी "रेवती, फिक्र मत कर, तेरी दुआर भी और खुलेगी!!" अपनी बहन को मदहोश देखकर नमिता ने अपनी बात को आगे रख दी।
रेवती, जो मदहोशी के आलम में खोई हुई थी, दीदी की इन बातो को सुनके, और भेहेक उठी। रिमी की tef देखकर एक सवाली भाव से उसकी तरफ देखने लगी, तो जवाब में रिमी एक कामुक मुस्कान देने लगी, जैसे कि वोह दीदी की कहीं बातो से सहमति दे रही हो। लेकिन दीदी ने ऐसा क्यों कहा! या रिमिं की अचानक यह मुस्कान..... यह सब कौन सोचता है, जब योनि में एक चंचल उंगली बार बार आक्रमण कर रही हो!
बेचारी रेवती केवल, लम्हे का आनंद लेती हुई, अपनी आंखे मूंद लेती है और नमिता अपनी उंगलियां दोनों बहनों पर कायम रखी। रिमी भी रेवती के साथ साथ कुछ नटखट वर्तलाव में जुट जाती है!
रिमी : रेवती दी! सच सच एक बात तो बताना!
रेवती : (मदहोशी में) हम?
रिमी : आप मन ही मन यही सोच रही है ना के यह उंगली जो आपके अंदर बाहर हो रही है, वोह थोड़ी सी और तगड़ी हो! हम?
रेवती (धसकने तेज़) : क्या??? क्या कह रही है तू?? ऐसा कुछ.....आह! कुछ नहीं!
रिमी : (टांगे और चौड़ी करके) ओह दीदी! और करो ना!! (फिर वापस रेवती की और देखकर) झूठ मत बोलो रेवती दी! देखो (अपनी पिंकी को दिखाती हुई) पिंकी प्रोमिस करो मेरे साथ और कहो के तुम झूठ नहीं बोल रही हो!!! (मासूम होने का ढोंग करते हुए बोली)
रेवती : आह! देख पिंकी प्रोमिस में नहीं कर सकती!!!!!
रिमी : मतलब आप झूठ बोल रही हो! (एक हाथ को लिए सीधे रेवती की एक स्तन को दबा दी) रेवती दीदी इस आ लाईआर!!!!! (मासूम बनने की नाटक जारी रखी)
नमिता दोनों के आलोचना के मज़े लेने लगी और अपनी उंगलियों को जारी रखी, तो वहा उपर लेती रेवती अपनी छोटी बहन की बातो से बहुत क्रोधित हो गई और ज़ोर से बोल परी "हा!!!! मै चाहती हूं! एक तगड़ी सी उंगली अंदर जाए!!!! खुश???"। वासना के मारे प्राय रूआसी हो गई थी बेचारी रेवती! एक तो दीदी की उंगली का अंदर तक जाना और दूसरे और छोटी बहन की शरारतें। वोह इतनी तंग हो चुकी थी के अगर मौका मिले, तो हाथी के सुंड भी आपने अंदर घुसा दे!
आखिर क्या मिली उसे यह पदाई और किताबो के चक्कर में! आज और अभी जो तृप्ति हो रही थी उसकी जिस्म में, वोह भी अपने ही बहनों के बदौलत, वोह तो वर्णन के बाहर ही थी।
वहा दूसरे और, रमोला राहुल के कमरे से अपनी हुलिया को ठीक किय जा ही रही थी अपने कमरे की और के सामने से उसे रोक देती है आशा। गौर से अपनी जेठानी की चुदाई से तृप्त हुलिए को देखकर आशा को यकीन थी के राहुल ने अपने चाची को जी भरकर राहत दी थी। सच तो यह थी के रेवती के चेहरे पर लगे सुकून की छवि देखकर वोह खुद जलन महसूस करने लगी थी। लेकिन अपनी कमजोरी बयां करे तो भी कैसे?
बड़ी बहू जो ठहरी!
आशा : (नॉरमल होकर) यह क्या रमोला! तुम राहुल के कमरे में?
रमोला (मनें में) अच्छी नाटक कर लेती हो दीदी! खुद तो दीवार के उस पार खड़ी होकर पूरी टेलीकास्ट देख ली, और अब यह नाटक! (फिर दीदी की और जवाब में) वोह....दरअसल! कुछ काम थी तो, अरे हां! एक स्वेटर बुन रही हूं उसके लिए, सोचा क्यों ना... माप ली जाए उसका! (गाल सुर्ख लाल)
आशा : (मन में) माप तो ले ही ली तूने! पूरी जिस्म का माप और अपनी माप भी तो देके अाई हो! कामिनी कहीं की! (फिर जवाब में) ठीक है, कोई बात नहीं! चलो आओ अभी रसोई में!
फिर दोनों के दिनों अपने अपने कमर मटकते हुए रसोई की और जाने लगी। मज़े की बात यह थी के वहा उनकी सास यशोधा देवी पहले से ही मौजूद थीं, एक पीली रंग की साड़ी और लाल रंग की ब्लाउस पहनी हुई, बालों को डाई की हुए, जैसे खुद अपनी बहुओं की उम्र की हो, कुछ ऐसी व्यवहर लिए वोह आज पनीर पका रही थीं। "अरे आगाए तुम दोनों! आओ!"। एक विधवा होकर भी मानो कोई नई नवेली के तरह बर्ताव कर रही थी, और यह देखकर दिनों आशा और रमोला हैरान रह गए।
जहा आशा बहुत ही हैरान थीं, वहा दूसरे तरफ रमोला जान चुकी थी राहुल और उसकी सास के चक्कर के बारे में, मन ही मन मुस्कुराए वोह आगे गई और अपनी सास को पीछे से झप्पी देने लगी "माजी! आपकी उम्र तो दिन पे दिन मानो घट रही है! सच कहती हू! कुछ महीनों बाद, आप अपनी पोतियों के बराबर हो जाएंगी!" अपनी सास को अपनी और मुड़ने पे मजबुर की और उनकी तरफ देखकर आंख मारने लगी।
यशोधा भी अपनी छोटी बहू को गले लगा देती है "हाय! तेरी मुंह में घी शक्कर! कितनी मीठी मिठी बातें करती है तू!" और फिर रमोला भी काम में जुट जाती है।
सास की रवाइए को देखकर आशा को महसूस होती है के कुछ तो बात थी इस निखार के पीछे! कयोंकि उसके ससुर को गुज़रे, अब काफी समय हो चुके थे। फिर, अचानक ही मन में बेटे के तस्वीर फिर आने लगी और फिर एक नजर अपनी सास की और डालने लगी। जो संभावना मन में अाई, उससे आशा की मोटी जांघो के बीच एक तिनका निकल गया सीधे पैरो के तरफ।
फिर खुद पे काबू रखे, सास और जेठानी की सहायता करने में जुट गई।
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