kamukta Kaamdev ki Leela
10-05-2020, 01:27 PM,
#51
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
राहुल : ओह दादी! उफ़! आप सच में शैतान हो चुकी हो! (मुरझाए हुए लिंग को बेडशीट से साफ करता हुआ)

यशोधा : (बाजू में बैठकर) हाए! तू तो शैतान और मासूम के बीच में है! अब देख, मुझे एक बात सच सच बताना!

राहुल : क्या? (दादी से चिपक कर)

यशोधा : मुझे छोड़कर, कितनो से लीला कर चुका है, मेरे लाल? सच बताना अपने दादी को! झूठ कहेगा तो मार खाएगा तू! (पोते के पीठ सहलाती हुई)

राहुल : झूठ नहीं बोलूंगा आपसे दादी! सच तो यह है के....

यशोधा : अरे बोल भी दे! तेरे जैसे सांड का पेट आसानी से नहीं भरेगा! दादा पे गया है तू

राहुल : वोह..…..दरअसल... दीदी और रिमी भी शामिल है!

यशोधा की पैरो तले जमीन खिसक गई "क्या??? क्या बोल रहा है तू??" उनकी मन विचलित हो उठी और योनि हल्का सा गीली होने लगी। गीली योनि को सारे पर से ही दबोच के बोली "हाय री!!! तू तो बड़ा..... उफ़ क्या ये सच है??" एक चटपटी खबर मानो मिल गई हो किसी अखबार पड़ने वाली को, उसी तरह चंचल हो उठी यशोधा। राहुल अपने सारे के सारे दास्तां सुना दी अपने दादी को, कैसे और कब दीदी और रिमी को उसने भोगा था। पूरी कथन को सुनते वक्त यशोधा अपनी मोटी मोटी जांघे दबाए रखी।

यशोधा : उफ़! तेरा मै क्या करू!! अब तो लगता है, तेरी मा का भी खैर नहीं! अरे बेटा!! कुछ रेहम कर अपने मा पर! कहीं तू भी उसपे चड़ गया तो यह बचरी पूरी के पूरी रण्डी ही हो जाएगी! उफ़ यह घर कहीं रंडीखाना ना हो जाए!!! (अपनी योनि को मसलने लगी)

दादी की शब्दो से राहुल फिर कामुक हो उठा और अपने दादी को बाहों में लेके, एक कस के चुम्बन सीधे होंठ पर जमा देता है। वहीं आशा के बाजू दोनों बैठे एक दूसरे को फिर चूमने लगे और फिर चुम्बन से अलग होके, बचे कुछ लाली को होंठो पे से ज़ुबान फिरवाके, यशोधा कामुक के साथ साथ भावुक भी हो उठी "हाय! तू कितना प्यारा है! उफ़! तू मुझे जवानी में क्यों नहीं मिला री!! इस उम्र में मुझे परदादी बन्नी चाहिए! और तू मुझे कमसिन जवानी बना रहा है!! ओह इस लड़के का क्या करू ऊपरवाले!!"

दादी के शब्दो से राहुल हंस परा "अब जाने भी दो दादी! कलयुग का निर्माण हो चुका है!"

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10-05-2020, 01:27 PM,
#52
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
पोते की हरकत और बातों से यशोधा देवी और नटखट हो गई और उनकी मोटी उभगरे हुए जांघो को राहुल प्यार से सहलाने लगा "दादी, मेरी एक छोटी सी इच्छा है! अगर आप कहो, तो बताऊं!"। पोते के स्पर्श को महसूस करती हुई यशोधा खुद मस्त हो रही थी "बताना! शरमा क्यों रहा है! अब कोई परदा थोड़ी ना है!"। राहुल अपने चेहरे को उनके और करीब लाया और कान में हल्के से बोलने लगा "अगर आप एक बार रिमी और नमिता दीदी, तीनों एक साथ मुझे अपने आगोश में लेले, तो मज़ा आ जाए दादी!!!!" इतना सुनना था के यशोधा की घुटने पिघल ने लगी और योनि के दुआर में से रस का बरसात होने लगा "क्या????"

राहुल ने उनके फूले हुए गालों को चूम लिया और जवाब का इंतज़ार करने लगा। यशोधा की गाल टमाटर की तरह फूल चुके थे और उनकी सासें तेज़ हो गई "हाय! यह मुझसे नहीं होगा! उफ्फ तू और तेरी चिन्ताधारा!!!! अरे रेहम कर इस बुढ़िया पे" बहुत बुरी तरह धर्मा रही थी यशोधा देवी, पोते के प्रस्ताव सुनके। यह दोनों इस बात से अनजान थे, के पास में ही लेती आशा भी सोने के नाटक करके, बाते सुन रही थी उन दोनों की। मन में वोह खुद बोल परी "हाय मा! यह मेरा बेटा मेरे सास के साथ भी रंगरेलिया मना चुकी है! ओह! घोर कलयुग है यह सच में! और इतना ही नहीं! अपनी बहनों को भी नहीं बक्षा! और तो और.... यह क्या बोल रहा है के...... एक साथ मिलके!! नहीं नहीं घोर अनर्थ है यह!" सोचती हुई वोह आगे आगे सुनने लगी, सोने का नाटक करती हुई।

यशोधा : तू इस घर का रुख ही बदल के ही मानेगा! अरे गंदे गंदे किताबे पड़ना बन्द कर दे!

राहुल : अगर में कहू के में आप तीनों के साथ एक पवित्र बन्धन में घुलना चाहता हूं, तो! (दादी के स्तन को मसलने लगा)

यशोधा : उफ़! मेरी स्तन को अब अकेला छोड़! अब इनको और फुलाने का इरादा है क्या! (होंठ दबाती हुई)

राहुल : उफ़! दादी!!! तुम यू हरकते करती हो, के बस दिल में आता है के और बहुत कुछ करू!!

यशोधा : लेकिन तू इस पूरी लीला में, अपनी चाची और उसकी बेटी को अब तक शामिल क्यों नहीं की?? अरे तेरी चाची क्या कम तरसती है!

राहुल : (रमोला के जिस्म को याद करके) उफ़! सच कह रही है दादी तुम! चाची भी कम नहीं है किसी से भी! (फिर स्तन को हल्का मसलता हुए) कुछ करो दादी! चाची की भी पटाने में मदात करो!

यशोधा : सांड कहीं का! मुझे क्या दलाल समझ रखा है?? जाके खुद बात कर! (एक कातिल मुस्कान) वैसे..... मुश्किल भी नहीं है! क्योंकि मैंने खुद उसकी आंखो में काफी प्यास देखी है और वोह भी किसी नए स्पेश के तलाश में है!

राहुल का दिल गदगद हो गया खुशी से, और वोह अपने दादी से लिपट जाता है। दोनों फिर उसी बिस्तर पर आशा के बाजू ही लेट जाते है और एक दूसरे को चूमने लगते है। यशोधा देवी अपने गद्देदार जिस्म में राहुल को ऐसे सुला देती है, मानो कोई मैट्रेस पे राहुल सो रहा हो, अपनी भारी जिस्म पे गर्व करती हुई, वोह खुद और मस्त मगन हो उठी और इस बहाने रीहुल अपने नंगे लिंग से उनकी सारी में कैसे योनि को टोकता गया। सच में राहुल खुश तो इतना था के जैसे दुनिया जीत ली हो "ओह दादी!" । "अब दादी मत बोला कर!! मुझे यशोधा बुला ले अकेले में!!" बुरी तेरह शरमा गई यशोधा यह कहकर और एक बार फिर राहुल उनकी प्यासे लबों और उंगली फिराने लगा "ओह! यशोधा यह होंठ त तेरे!! उफ़"।

यशोधा : यह होंठ? (ज़बान फिराने लगी)

राहुल : मुझे यकीन है! हम पिछले जनम के बिछरे हुए साथी थे! लेकिन अब! तुम मेरी हो यशोधा!! (लब को हलके चूम लेता है)

यशोधा : (राहुल का खेल का आनंद लेती हुई) हां!! तू सच कह रहा है! में तो कमसिन जवानी हूं, इस जिस्म मै कैद! मुझे तृप्त करदे राहुल बेटा! और प्यार दे मुझे!!!

अब क्या! दोनों दादी और पोते में प्यार उभेर के अागाया और फिर राहुल पल्लू को आखिर में कंधो से हटा ही देता है और झ्ट से ब्लाउस के हुक खोलने ही वाला था के यशोधा उसे रोक देती है "थोड़ा इंतज़ार कर ले! यह हवस अब अपनी चाची के लिए बचा के रख!" इतना करहना था के वोह एक कातिल मुस्कुराहट देती हुई बिस्तर में से खुद को एडजस्ट करती हुई खड़ी हो गई और वहा लेता राहुल एक ज़ोर की अंगराई लेने लगा "दादी! आई लव यू!!!"

एक बलखाती चाल लिए यशोधा मटक मटक के कमरे में से बाहर निकल जाती है और फौरन अपने कमरे की और जाने लगी। अपनी बिस्तर पर पहुंचकर उन्होंने गौर की इस बात की के रामधीर अभी भी चैन की नींद लेटे हुए थे। हैरनजनक जब यशोधा अपने पति को उठाने की कोशिश की तो वोह बेजान बाजू के तरफ लेट गए, मानो जिस्म पूरा धीला था। "हाय! यह क्या हों गया इन्हे!! अजी उठिए!!!!!" लेकिन रामधीर की तरफ से कोई आवाज़ नहीं आया।

.......

पूरा का पूरा घर इखट्टा हो गया कमरे में, महेश और गौरव भी ऑफिस से आ गए थे। इस बात को जानने में देर नहीं हुई के रामधीर अब नहीं रहे थे। पूरे घर में एक मायूसी का माहौल छा गया और यशोधा देवी भी खुद निराश हो गई। उनको संभालने के लिए आशा और रमोला दोनों उनके पीठ को सहलाने लगे। लेकिन फिर मातम का माहौल और कब तक रहता भला! कुछ हफ्ते बीत गए इस बात को और सब कुछ नॉरमल होने लगा।

एक दिन हुआ यू, के कमरे में एकेली यशोधा देवी, सफेद साड़ी में लिपटी हुई अपनी पति की तस्वीर देखने लगी और मन ही मन खुश हो उठी के आशा को भोगना उनकी हमेशा से इच्छा रहा था, जो पूरी हो भी गई थीं, और उन्हें यकीन थी इस बात की, के उनके पति के आत्मा भी शांति में ही थे। गौर से तस्वीर की और देखने लगी "में तो इस बात से खुश हूं, के आप का अंतिम इच्छा में पूरी कर पाई! पर अब आप अपने पोते राहुल को आशीर्वाद दीजिए! के वोह हम सब महिलाओं को सम्भल पाए! उफ़! आप नहीं जानते, आपकी पत्नी खुद उनके दीवानी हो चुकी है!"

इतना कहना था के वोह मन ही मन मुस्कुराने लगी और सोचने लगी के लिए रमोला को राहुल भोग पाएगा या नहीं!
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10-05-2020, 01:27 PM,
#53
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
दूसरे और रमोला हमेशा की तरह अपने भोग जीवन से उदास थी। वजह इतनी ही थी के गौरव के जरिए अब कुछ खास सुख प्राप्ति हो नहीं रही थी बिस्तर पर। इतना ही नहीं, बल्कि रात को भी पति के खराटे के अवजो से वोह और चिर जाती थी। ना जाने कितनी बार वोह खुद की जिस्म को सहला सहला के, शांत की थी। एक चिंतित अवस्था में, वोह बरामदे के रेलिंग पकड़कर खड़ी रही। "क्या में ऐसी ही रहूंगी! क्या कोई आके मेरी प्यास नहीं बुझाएगी?? ओह! कया करू! कुछ भी समझ नहीं आ रहा!"। बिल्कुल ऐसे समय में नीचे तीनों बहने आपस में गप्पे लड़ा रहे थे, रिमी, नमिता और रेवती अपने अपने गप्पो में मगन थी।

नमिता : कुछ भी केहले! मुझे तो लगता है के रेवती का कुछ चक्कर ज़रूर है! क्यों रिमी!

रिमी : हां! वोह तो है!! देखो तो कैसी खोई खोई सी रहती है! (रेवती की गाल दबा कर)

रेवती : स्टॉप इट! तुम लोग ना बस!! कुछ भी बोल देते हो!! ऐसी कोय बात नहीं है। (अपने बहनों किं और देखकर) उल्टा! तुम लोग मुझे ज़्यादा खिली खिली लग रही हो!! बात क्या है महारानियो!

रेवती की कथन से, दोनों के दोनों मुस्कुरा उठे। दोनों एक साथ ही बोल परे "यह राज की बात है जानू!" और एक दूसरे को आंख मारने लगी।

रेवती : यह क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनों में?? क्या चल रहा है यार! बोलो भी, कैसी राज???

रिमी : यह एक अजीब सी क्रीम है रेवती दी! जिसे हम दोनों ने एप्लाई की, और नतीजा देखो! हम दोनों कितने खिले खिले लग रहे है! हाय ना? वैसे........ (अपनी लट से खेलती हुई) तुम चाहो तो वोह क्रीम तुम्हे भी मिल सकती है!लेकिन बदले में! तुझे नोट्स देनी पड़ेगी मुझे। जब कभी भी मै मंगु!

नमिता केवल मुस्कुराई और रेवती की और देखने लगी "हम.. बिल्कुल! ऑफर अच्छा है रेव!"। रिमी भी एक कातिल अंदाज़ से अपनी दीदी की tef देखने लगी और रेवती एक गहरी सोच में पर गई, फिर कुछ पल के बाद, उसने उन दोनों के तरफ देखी और अपनी होंठो को दबाने के बाद, फिर एक बार पूछ लिं "क्या सच में कमल की है क्रीम??। उसकी यह सवाल पर नमिता खुद आगे गई आर रेवती की गाल को प्यार से सहलाने लगी "क्यों! मुझे देख ज़रा! मेरी पूरी जिस्म और चेहरा क्या निखरी नहीं?"।

बात में दम तो थी नमिता की, यह तब रेवती समझी जब उसने गौर क्या आपने दीदी कि जिस्म पर, जो थोड़ी सी और गड्राय गई थी पहले से और स्तन भी थोड़े बड़ गए थे पहले के मुकाबले। "और में भी तो निखरी हूं!" कहके रिमी भी आगे आने लगी और एक बलखाती पोज लिए खड़ी हो गई। अपनी छोटी बहन के भी प्रगति करती हुई देह देखकर रेवती को यकीन हो चला कि उस क्रीम में कुछ तो बात है। "ठीक है! तुझे नोट्स मिलेंगे, लेकिन क्रीम पक्का मुझे चाहिए!" रिमी की और देखकर रेवती नखरे करती हुई बोल परी।

रिमी उसकी फूल जैसी गालों को चूम लेती है "ऑफकोर्स दीदी! यूं विल नोट रिग्रेट इट!"

मन ही मन में, रिमी और नमिता एक प्लेन बनाने लगी।

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10-05-2020, 01:27 PM,
#54
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
करीब दो हफ्ते बीत गए, रामधीर की देहांत को, और अब धीरे धीरे उनकी यादें भी अतीत की तरफ चले गए थे। आशा जब भी अपने ससुर के तस्वीर को प्रणाम करती, तो अक्सर वोह हसीन रात उसे याद आने लग जाती थीं। "आप तो चले गए! अब लगता है शायद खुद को ही मुझे संभालनी पड़ेगी!" बस बिल्कुल ऐसे समाय में कमरे में किसी की आहट उसे सुनाई दी। जब मुड़ी तो राहुल बिल्कुल पीछे खड़ा था और अपने हाथो से उसकी कंधो को मसलने लगा "मा! में हूं ना! आप को कमी कमी महसूस नही होंगी!"। आशा समझ गई थी राहुल किस विषय पे बातें कर रहा था, लेकिन एक मा होके, यह सब करना... क्या यह इतना आसान थी!

आशा : (अपने कंधो से बेटे के हाथ को हटा कर) नहीं! यह ठीक नहीं राहुल! तू जो सोच रहा है, वोह मुमकिन नहीं

राहुल : (अब झुक के अपने नाक से गले को सहलाने लगा) तुम ऐसी क्यों सोच रही हो! मुझे मालूम है तुम मेरे बारे में सब जान गई हो! तुम यह भी जानती हो के दादा का पूरा आशिर्वाद भी मेरे साथ है!

आशा : (पसीना पसीना होके) कया कहना चाहता है तू?

राहुल : यही के भोग विलास में आप भी शामिल हो जाओ! (अब धीरे से गले को अपने हाथो से सहलाने लगा) लेकिन आप को ज़ोर नहीं करूंगा! अपनी मर्ज़ी से आप आओगी!

आशा कुछ कहीं नहीं, बस वहा से चल दी अपनी कमरे में और राहुल मन ही मन खुद को बोलने लगा "अब तो, तुम जब मानोगी! तभी में आऊंगा मा! और वोह भी बहुत जल्द!" इतना करहने के बाद वोह मुड़ कर जा ही रहा था के सीधे रमोला से तड़कराती है और ऐसे में उसकी मोटी मोटी पपीते सीधा जाकर राहुल के सीने से धस जाती है "ओह! देख कर चल बेटा!" बोल परी रमोला, खुद को स्माभलती हुई। राहुल के नजर सीधे जाके अपने चाची के ब्लाउस पर टिक गया, जहा पल्लू थोड़ी सी सड़क चुकी थी और दरार का हल्का सा दर्शन भी हो रहा था।

राहुल : वैसे (ब्लाउस को गौर से देखें) आजकल काफी लचक आगर्इ है आपके चाल में चाची! (आंख मारता हुए)

रमोला : (पीठ पे थपकी देती हुई) बदमाश!! बहुत बोलने लगा है आजकल! लगता है मीनल रुठ गई है तुझसे! जो चाची पे ही लाइन मार राहा है!

राहुल : अरे उसे रहने दो! अपनी सुनाओ चाची! बढ़ती उम्र की बात ही कुछ और होती है वैसे! (थोड़ा करीब जाता हुआ)

रमोला : लगता है दीदी को इस बारे में कुछ केहनी पारेगी! हाथ से निकला जा रहा है तू! (फ्लर्ट करती हुई)

राहुल : अरे मा का किया! उसे में मना लूंगा! दो मिनिट में वोह भी। (रमोला के खुले गेसुओ को सुंगता हुआ) वैसे चाची, आप कौन सा शैंपू या तेल इस्तेमाल करती हो? कितनी बढ़िया महक है!

रमोला : (थोड़ी बेचैनी से) नॉरमल वाली ही करती हूं! नहीं मतलब! तू क्या....

राहुल अब चाची की पीछे जाके खड़ा हो गया "कुछ मत कहो चाची! मुझे यकीन है के, चाचाजी ज़रूर इन गेसुओं की तारीफ करते रहते है!" और इतना कहके वोह वहीं के वहीं खड़ा होकर गरम सासें छोरने लगा उनकी गर्दन पर, जिससे रमोला अब थोड़ी सी सिसक रही थी "नहीं ऐसी बात नहीं!"

राहुल : मतलब?

रमोला : (मन की पीड़ा को हल्का करती हुई) तू नहीं जानता! तेरे चाचा किसी काम के नहीं!

राहुल : भला ऐसा क्यों? (अब धीरे से अपने हाथो से पीठ को सहलाता हुआ) दिल को हल्का कर दो चाची!

रेनिला : (मन में) तुझे क्या क्या बता दू! यही के तेरे चाचा मेरी और देखते भी नहीं! यही के ना जाने कितने रात गए, मै ठीक से भोगी भी नहीं गई!! (फिर राहुल की और देखकर) रहने भी दे! तू क्या हल निकलेगा! (नटखट होके)

राहुल (सीधे पीछे चिपक दिया छाती को पीठ पर) चाची माई डार्लिग! अब हम नौजवानों को तो ज़िम्मा उठने भी दो! एक तो अजय होस्टल गया हुआ है! और तुम कहो तो, मा के साथ साथ तुम्हे भी में संभाल सकता हूं!

रमोला : (चंचल मुस्कुराहट से) सच?

राहुल : आजमा के देखलो!

रमोला भी अब अपनी जिस्म में कुछ तरंगे महसूस करने लगी, अब वोह पीछे पूरी के पूरी मुड़ गई और राहुल के गले में अपनी हाथो को पसारे खड़ी रही "वैसे! अपनी मा और मेरा खयाल कैसे रखेगा तू? मतलब किस अंदाज़ से!" अब आंखे आंखो से जैसे मिल चुकी हो। राहुल भी प्यार से चाची की आंखो में डुबकी लगा रहा था "जैसे हर हीरो करता है! फिल्मों में, जैसे हर वोह बलवान करता है, जंगलों में अपने कसिबा के नारियों के साथ! में एक मर्द की भूमिका के बारे में बात कर रहा हूं चाची!"

रमोला की दिल अब जोरों से धड़क उठी इन शब्दो को सुनके, उसकी माथे पर पसीना ही पसीना आ गई और होंठ कांप उठे "क्या इरादा है तेरा??"। अब माहौल रोमांचक होने चला था, इतना रोमांचक के राहुल अब हल्का हल्का मसाज करने लगा अपने चाची की कंधो का, और फिर अपने होंठ को जैसे उनके गले पर चिपका देता है, रमोला सिसक उठी वहीं के वही। अचानक हुआ यूं के उसे अब जोरों कि पिशाब लग गई थी। वोह हिल पा नहीं रही थी क्योंकि मानो किसी अनदेखी दौड़ से राहुल उसे बांधे हुए रेखे थे।

रमोला : (सिसक सिसक के) राहुल जाने दे मुझे! कुछ काम है!

राहुल (कस के चाची को और थोड़ी जकड़ लेता है) नहीं चाची! ऐसे सिसकियां देती हुई मत जाओ! सच का सामना करो! देखो मेरी और! लुक एट मी!!

रमोला : (पेशाब को पकड़ती हुई) राहुल!! समझने की कोशिश कर! मुझे बाथरूम जानी है! अभी इसी वक़्त! जाने दे बेटा!

लेकिन कामुकता की इतनी हद पार करने के बाद कोई कैसे रुके! यही हाल था राहुल का, वोह और नए नए अनुभव के लिए विचलित हो रहा था। उसने रमोला को जाने ही नहीं दिया और उल्टा कस के जकड़े रखा अपने बाहों में और दूसरे और रमोला घबरा रही थी कि कहीं कोई अनर्थ ना हो जाए। ऐसी परिस्थिति में वोह कभी पहले नहीं आई थी। उसकी पूरी के पूरी जिस्म अब भीगने लगी थी घबराहट के मारे।
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10-05-2020, 01:27 PM,
#55
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
"देख! अगर तू मुझे जाने नहीं देगा! तो कुछ अन शन घट सकता है अभी इसी वक़्त!" बिनती करती हुई रमोला अब राहुल के आंखो में आंखे डाली खड़ी रही और जवाब में राहुल उसकी कान तक अपने होंठ ले जाता है "मुतोगी ना चाची! है ना?" शब्दो को इस प्रकार कहा गया जैसे मानो कोई मीठी मिठी कांटे चुबा रहा हो किसी के जिस्म में चारो और। फिर हुआ यू के राहुल के मुंह से अचानक ही निकल गया "अपने विचारो को पकड़े मत रखो चाची! जाने दो इन्हे! उड़ने दो!" ना जाने इन शब्दो का क्या असर हुआ रमोला पे, के उसकी घुटने दुखने लगी और बही कस कर राहुल को जकड़े हुए अपनी योनि से धर धर पेशाब वहीं के वहीं खड़ी खड़ी करने लगी।

जैसे जैसे पेटीकोट को भिगोती हुई पेशाब नीचे टाइल्स की और गिरने लगी, रमोला शर्म के मारे लाल लाल हो गई और राहुल नटखट अंदाज़ से मुस्कुराने लगा अपने चाची की हरकत पर। उसने कस के गाल को चूमा और अलग होगया "मुझे जवाब मिल गया है चाची!" इतना कहना था के वोह वहा से चलता बना और रमोला वहीं खड़ी खड़ी शर्म से नीचे देखकर खुद पे घिन आने लगी और जल्द से जल्द पेशाब को साफ करके बरहरम की और भागने लगी। अंदर पहुंचते ही वोह अपनी सारी के सारी वस्त्र उतार दी और अपनी नग्न जिस्म को आइने में निहारने लगी।

गौर से रमोला अपनी सुडौल जिस्म की और देखने लगी। उसकी स्तन काफी हद तक बड़ी थी और मानो मसलने के लिए बनी गई हो! इतना ही नहीं, उसकी कांधे और कमर में एक सुदोलोंता थी, जिससे एक लचक सी आती थी उनमें, मानो कोई खजुराओ की अप्सरा हो। अपनी जिस्म को निहारती गई और फिर राहुल के बातो को याद करती हुई शर्मा जाती है "कामिना कहीं का! मुटवा भी दी मुझसे खड़ी खड़ी!" मूतने के घटने को याद करके वोह और सिसक जाती है और अपनी मुनिया पर एक थपकी देने लगी "शैतान कहीं की! कर दी ना मेरी बेजती!"। इतना कहने के बाद वोह अपने आप ही मुस्कुराई और नहाने में मगन हो गई।

.....

वहा दूसरे और, रेवती बहुत ज़्यादा उत्सुक थीं उस क्रीम के लिए। वोह मन ही मन सोचने लगी के ऐसी भला क्या निखार आ गई थी उसकी बहनों में, के वोह जल के राख होने लगीं उनकी खिलती हुई जवानी देखें। क्योंकि दोनों नमिता और रिमी बाहर गए हुए थे और वोह अकेली थी कमरे में, उसके मन में कहीं सवाल पैदा होने लगी, लेकिन उससे भी ज़्यादा उसकी मन में कहीं उमंगे भी जाग उठी। मन में नमिता दीदी की अल्फाज़ मंडराने लगी "तू भी निखर जाएगी रेव! एक बार वोह क्रीम का अनुभव तो होने दे!" एक विचलित और उत्तेजना से भरपूर मन लिए वोह अपनी जिस्म को आइने में निहारने लगी। "इतनी नहीं बुरी नहीं हूं!" लेकिन जैसे नज़रे अपनी आमो पर गई, तो थोड़ी सी निराश होने लगी, क्योंकि उनकी तुलना वोह नमिता दीदी के मोटे वालो से करने लगीं। "हाय! दीदी के कितने बड़े है! उफ़! ना जाने कौन से तेल से मसाज करती होगी!"।

फिर उसकी मन रिमी की और जाने लगी "यह छुटकी की भी आम कितने मस्त है! केवल क्रीम ही नहीं! में तो वोह मसाज वाली तेल भी लेके रहूंगी!" इतने कहके वोह अपनी नाक को पूरी तेवर में पोक कर देती है, जैसे मानो वोह अपनी ज़िद्द पूरी करके ही रहेगी।

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10-05-2020, 01:28 PM,
#56
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
आज स्टोर रूम का माहौल बरा रंगीन था। हर दीवार बस एक ही दिशा की और देख रहे थे, जहा राहुल और नमिता एक बार फिर चुदाई के खेल में मगन हो गए। अपनी मोटी मोटी टांगो को कस के अपने भाई के नितम्ब पर, उछल रही थी नमिता, जिससे उसकी पपीते भी हिल रहे थे एक मस्त अंदाज में। "और चोद मुझे राहुल! ओह और मसल मुझे!" खिली खिली पपीतों को प्यार से सहलाना अब राहुल का मनपसंद कार्य हो गया था। बड़ी प्यार से निप्पलों और स्तन के मास को अपने हाथो से सेहलता हुआ राहुल अपने दीदी को चोदने लगा। मज़े की बात यह थी के आज चुदाई में राहुल कुछ ज़्यादा ही फुर्तीला था, मानो काफी ज़्यादा उत्तेजित हो।

नमिता ने यह उत्तेजना भांप ली थी, अपने भाई के लौड़े पर नितम्ब कस कस के रगड़ती हुई वोह गौर से उसकी और देखने लगी "कुछ ज़्यादा ही खुजली है आज तुझे! सच बता बात क्या है?" अपने मस्त गांड़ लौड़े पे थपथपाती हुई वोह सीधे राहुल के होंठ से होंठ मिला दी। कुछ हद तक चुम्बन के बाद राहुल स्वयंम बोल ए "यह मत पूछो दीदी! लगता है इस लीला क्लब में अब चाची भी बहुत जल्द शामिल होने वाली है!" इतना कहना था के अब ताबड़तोड़ धक्के पे धक्का देने लगा राहुल अपने दीदी कि योनि में। भाई के बातों को सुनके नमिता भी और उत्तेजित हो गई "सच में! बहुत कामीना हो गया है तू!!!"।

राहुल : (स्तन मसलता हुए) सच दीदी! चाची तो अब मेरी चंगुल में आ ही गई है! उफ़ उनकी जिस्म तो सच में!

नमिता : कहने को तो, तू दादी को भी चोद चुका है! तो बहुरानी को भी चोद ले! किस ने मना किया!

राहुल : उफ़ यह घर अब किसी शबाबखना से कम नहीं है दीदी! लेकिन इसको रंडीखाना कहना ज़्यादा अच्छा होगा!! उफ़ में तो जीते जागते स्वर्ग पहुंच गया हूं दीदी!!!!!! ओह मेरा अब निकालने वाला है!

नमिता : निकाल ले! रस से वापस तृप्त कर दे मुझे! ओह!

अपनी मोटी टांगो को वापस अपने भाई की और जकड़ ली और अपनी बच्चेदानी के भीतर मलाई भरने लगी। एक चुदाई को सम्पत करते हुए फिर से दोनों भाई बहन एक गहरी चुम्बन में उलझ जाते है और कुछ पल तक दोनों वहीं उसी पुराने खटिए पे लेटे रहे। नमिता अपनी भाई के कान को अपनी रसीले लबों से चूमती हुई बोली "जब दादी को तूने भोग ही लिया है! तो उनकी बहुएं क्या चीज़ है!"। "बहुए" से इशारा आरती के तरफ भी था, यह राहुल समझ चुका था। उसने और कस के जकड़ लिया अपने दीदी को बाहों में और अपने मुरझाए हुए लिंग को भीतर ही रखा "सच में! तुम भी कम कामिनी नहीं हो दीदी!"।

दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे के तभी रूम में चुपके से आती है रिमी "ओह माय! ज़रा देखो तो इन प्रेमियों को! सो क्यूट।" इतना कहके वोह भी अपनी सारी के सारी वस्त्र उतार देती है, टीशर्ट, शर्टस और ब्रा को फटक से अपनी जिस्म से अलग करके रिमी एक लम्बी सांस लेने लगीं, जिससे हल्का सा हलचल उसकी नए नए उभर पे होने लगी "लेट में ज्वाइन यू गियस!" कहके वोह भी दोनों के बाजू में लेट गई। अब हुआ यू के मुरझे गए राहुल के लिंग की और देखकर रिमी हस परी और नमिता भी खिलखिला उठी। दोनों बहनों को देखकर राहुल प्यार वाले नाराजगी से बोल परा "ओय तुम दोनों! क्या चल रहा है!"

रिमी : (अपनी कोहनी के बल पर उठ के बैठी) सोरी भइया! बात यह है के मुर्झे हुए लिंग बहुत ही प्यारी दिखती है! क्यों दीदी?

नमिता कुछ बोली नहीं, बस चुपके से मुस्कुरा रही थी। राहुल तो एकदम से चिड गया दोनों पे और खास कर के रिमी पर। उसने फौरन अपनी छोटी बहन को अपने और खींच ली, और हुए यू के अब तीनों एक दूसरे के आगोश में जम गए थे। राहुल अब बारी बरी दोनों के लबों को चूमने लगा और वह दोनों भी अपने भाई का भरपूर साथ दे रहे थे। अब राहुल के दो दो हाथ दो अलग अलग स्तन को मसलने में लग गए। धीरे धीरे हुआ यू के उसका सोया लिंग भी अब वापस जागने लगा और अब बरी बारी राहुल दोनों के गर्दन और गालों को चूमने चाटने लगा था। माहौल सच में काफी रंगीन हो चला था।

ऐसे ही कुछ चुंबनों के बाद अब हुआ यह के दिनों बहनों ने राहुल को नीचे लेटा दी और यह दोनों चड गए उपर के और जिससे हुआ यह के दोनों के मस्त उभरे अब उसके छाती से रगड़ रहे थे। एक माध्यम आकार के तो एक मोटी अमरूद प्रकार की। राहुल के छाती पे उनके निप्पलों का भी एहसास पागल कर दे रहा था। राहुल अब चैन से आंखे मूंद लेता है क्योंकि अब बारी बारी दिनों बहने उसके गले से लेकर छाती की इर्द गिर्द चूम रहे थे। दो दो रसीले होंठो का जोड़े को अपने जिस्म पर महसूस करके राहुल और उत्तेजित हो उठा। आंखे तो खोलना चाहा लेकिन रिमी हाथ आगे करके उसके आंखो को फिर धक देता है "बस महसूस करो!"।

राहुल तो बिना झिझक के आंखे मूंद ली लेकिन फिर एक बहुत ही मस्त एहसास से वोह सिसक उठा लेटे लेट। यह एहसास इस बात से थी के अब उसके वापस से जागृत हुई मोटे लौड़े पर दो दो जबान चल रहे थे। राहुल एकदम से पागल हो उठा, एक ऐसी मनमोहक दृश्य का सामना किया, जो केवल सपनों तक सीमित था। रिमी और नमिता दोनों अब बरी बारी लिंग के इर्द गिर्द चूम रहे थे और फिर धीरे धीरे अपने अपने ज़बान को सुपाड़े तक लेके आए। इस एहसास से राहुल एकदम गदगद हो उठा।

दोनों ने कुछ भी नहीं कहा, बस अपने अपने काम में मगन थे। अब उनके होंठ धीरे धीरे सुपाड़े के नरम त्वचा पर आक्रमण करने लगे और शुरू हो गई चुसाई का अजब प्रतियोगिता।
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10-05-2020, 01:29 PM,
#57
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
राहुल तो मानो जन्नत पे हो चला था। उसने तुरंत ही दोनों के सर को पकड़कर अपने और खींचने लगा। सावले रेंग के लिंग पर मखमली लबों के एहसास से पागल हो उठा राहुल। पूरी कमरे में अब चुसाई के आवाज़ गूंज उठे। कभी कभी रिमी चूस लेती तो कभी नमिता। "दीदी! मुझे तो ठीक से करने भी दो! खुद ही..." "*ग्लोब ग्लोब* अरे रुक तो! तू अकेला ही करेगी क्या! में दीदी हूं तेरी! *ग्लोब*"। ऐसी चिकनी चुपड़ी बातो से दोनों बहने आपस में मस्ती करने लगी और यहां राहुल पागल हो उठा दोनों के चुसाई से।

अब हुआ यू के वक़्त धीरे धीरे उस नाज़ुक स्तिथि के और जाने लगा, जहां राहुल अब अपना नियंत्रण खोने लगा। "ओह!! तुम दोनों ने अगर नहीं रुका! तो में कभी भी ओह!!!!" इतना ही के कह पाया और जिम एक हिलिरा मारने लगा और सुपाड़े में से रस च्छिरक के सीधा उन दिनों के मुंह पर गिरने लगा। दोनों के चेहरे अब समान समान विरयो से भीगे हुए थे और हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे, फिर राहुल के और।

राहुल एक लम्बी सांस लेके केवल मुस्कुराया "तुम दोनों बस!....उफ़!"।

.......

वहा दूसरे और रेवती अब बेचैन हो रही थी। वादे के अनुसार उसने रिमी को सारे के सारे नोट्स दे दिए थे और वैसे भी यह आखरी सेमेस्टर थी। अब उसे वोह तोहफा मिलने वाली थी जिसका उसे बेसब्री से इंतजार थी। आखिर अपने रूप निखारना किस लड़की को अच्छा नहीं लगता! कल के सपने लिए वोह आज खुशी खुशी अपनी पढ़ाई करने लगी, चश्मे के रिम एडजस्ट किए।

इक तरफ यह खुश बेटी, तो दूसरे तरफ बलखाती हुई चाल लिए रमोला रसोई में खाना बनाने लगी तो आशा ने अपनी जेठानी के अंदाज़ पे गौर किया। "ना जाने इतनी खुश क्यों है अचानक!" सोचने लगी वोह जैसे ही कानो में उसकी मधुर मधुर धुन जाने लगी, जो खुद रमोला गुनगुना रही थी। उसी वक्त रसोई में उनकी सास यशोधा देवी आ जाती है। वोह बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित दिख रही थी और रमोला की खुशनुमा चेहरे पर नज़र डालते ही वोह समझ गई थी के राहुल ने उसे पटा ही लिया।

......

वहा उपर स्टोर रूम में राहुल अपनी बहनों के प्लान सुनके एकदम से उत्तेजित हो गया। मलाई से भरी चेहरों पे कातिल मुस्कान एक अजब माहौल बना रहा था कमरे में।

राहुल : क्या वोह मान जायगी??

नमिता : (कपड़े से चेहरे को साफ करती हुई) बिलकुल!

रिमी : (वहीं कपड़ा लेती हुई) भइया!! चिल! अब रेवती दी भी जल्द शामिल हो जाएगी यह प्लान बेकार नहीं जाएगी।

राहुल मन ही मन सोचने लगा "यहां में चाची के पीछे पड़ा हूं और यह दोनों बेटी का भी आयोजन कर रहे है! उफ़" वोह मन ही मन खुश हो गया और तीनों एक बार फिर गले मिल गए एक दूसरे से। बरी बारी लबों को चूमकर, तेनो बाहों पे बाहे डाले एक दूसरे से liore वहीं सो गए।

_______
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10-05-2020, 01:29 PM,
#58
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
अगले दिन भी कुछ यू हुआ के राहुल के सीने से अब रमोला जान बूझ कर टकड़ा गई और बड़ी अदा के साथ दोनों एक दूसरे को देखने लगे। "लगता तो ऐसे है के मानो कोई किसी पे मर मिटा हो! यू नज़रे ना चुराओ हमसे! हम भी आंखो को खोज ही लेते है!" कहके राहुल एक बार फिर रमोला को कस के अपने बाहों में ले लिया। "उफ़, तू नहीं सुधरेगा! लगता है अब आशा दीदी से शिकायत करनी ही पड़ेगी!" एक कामुक अंदाज़ में रमोला बोल परी और राहुल ने भी मु तोड़ जवाब दिया "क्यों नहीं चाची! बिल्कुल ही थिक है यह! मा को बता ही दो के कैसे में सांड बने तुम्हारे पीछे पीछे पड़ा हुआ हू! चलिए में आप के साथ ही आता हूं!" राहुल के दीवानगी भरी अंदाज़ देखकर रमोला को शक सा होने लगी के कहीं आशा को भी ना यह सब पता है!

रमोला अब और कामुक होके अपनी बाहें उसके बाहों में थाम ली "वैसे जनाब को अपने मा से डर नहीं लगता है क्या?"। राहुल भी अपने छाती को उसकी छाती से धस के बोल परा "यह तो पता नहीं! लेकिन सच कहूं चाची! तो मा और तुम, दोनों मुझे प्यारे हो!" इतना कहना था के राहुल ने हल्के से पप्पी लेली अपने चाची के रस भरे होंठो का। इस हरकत से रमोला सिहर उठी और एक प्यार भरे थपकी लगा दी उसके गालों पे "बदमाश! हट यहां से! जाने दे मुझे! वरना तेरी दादी को भी खबर कर दूंगी!" यह कथन रमोला की समाप्त ही हुई थी के एक मीठी हंसी की आवाज़ आने लगी उन दोनों के कानो पे।

यह मधुर सी आवाज़ थी यशोधा देवी की, जो कुछ ही दूरी से चलती आ रही थीं "क्या चल रहा है चाची भतीजे में? ज़रा में भी तो सूनू!" इतना कहना था के वोह उनके और नज़दीक आके खड़ी हो गई, जिससे रमोला थोड़ी घबरा गई "वोह माजी! वोह दरअसल.…."। *अरे बहू! अब ऐसी भी क्या झिझक? अगर तुम्हे छेर रहा था, तो साफ साफ बोल दो! वैसे तुम हो भी उस लायक!" इतना कहकर यशोधा हस परी और रमोला बुरी तरह शरमा गई "माजी धत! क्या आप भी! राहुल के सामने यह सब!"।

यशोधा : (एक पान हाथ में लिए, अपनी मूह में घुसेड़ दी) अरे क्या में नहीं जानती मेरा बेटा कितना निकम्मा है इस मामले में! तभी तो यह बेचारा तेरे आग को ठंडा करने के कोशिश कर रहा है!

रमोला : (हैरानी से) क्या बोल रहे हो आप यह सब???? आप ठीक तो है ना??

राहुल दो दो गड्राए महिलाओं के बीच खड़ा, यह सब सुन रहा था और मुस्कुराने लगा। अब बेचारी रमोला को क्या पता के उसकी सास भी भोग चुकी थी उस नटखट बालक से!

यशोधा : (अंगराई लेती हुई) हाय! लगता है मुझे अपनी दास्तां सुननी ही पड़ेगी! क्यों राहुल! सुना दू?

राहुल कुछ बोला नहीं, धीरे से आगे गया और अपने दादी पे पीछे जैसे खड़ा हुआ, रमोला की आंखे चौड़ी हो गई और वोह सास थामे आगे आगे देखती गई। राहुल ने अब अपने हाथो को अपने दादी के मोटी सुडौल कमर पर थामा और उसे हल्का हल्का दबा ने लगा "चाची तो नाराज़ है मुझसे!"। यशोधा भी सिसकियां देने लगी इस दबाव से "अरे होगी ही तो! उसने अमृत जो नहीं चखी अब तक!"। रमोला को कुछ समझ नहीं आ रही थी, एक अजीब कामुक दृश्य सामने दिख रही थी, जिसे वोह खुद हजम नहीं कर पा रही थीं, बस केवल खड़ी रह गई।

अब राहुल कमर को सहलाते सहलाते अपने दादी के गेसुओं पे हवा फूंकने लगा, जिससे यशोधा और सिसक उठी, और सीधे नज़रे मिला दी रमोला से, जो लम्बी लंबी सास ले रही थी, बस। उसे यकीन करना मुश्किल लग रही थीं जो कुछ भी उसके सामने हो चली थी। सच में राहुल आज कल चौंका रहा था। इससे पहले वोह कुछ बोल पाती, तुरंत ही राहुल और उसके दादी अपने होंठ एक कर लेते है वहीं के वहीं। यह दृश्य देख रमोला की पैरो तले जमीन खिसक जाती हैं "माजी???"

यशोधा और राहुल कुछ प पल तक बेतहाशा चूमने के बाद, अलग अलग होके बेचारी रमोला की और देखने लगी, जो स्नन होके खड़ी थी, ना कोई आवाज़ और ना कोइ हरकते! केवल आंखे चौड़ी बनें एक दादी और पोते को एक कामुक स्तिथि में देख रही थी। दोनों यशोधा और राहुल उसे देख मुस्कुरा उठे और इस बार यशोधा खुद अपने बहू के पास जाके उसकी हाथ कस के थाम की, फिर अपने पोते की और देखने लगी "आं इधर! थाम ले इसकी हाथ!" रमोला की अब पूरी के पूरी बदन पसीने से भर ने लगी और जैसे ही राहुल आगे आके उसके हाथ को जकड़ लिया, उसी दौरान एक लम्बी सिसकी निकल गई उसकी मुंह से, जिसे सुन राहुल अब कस के अपनी xhachi को जकड़ लेती है "चाची! ओह चाची!!"।

रमोला भी क्या करती, बेचैन होके, वापस राहुल को जकड़ ली बाहों में "राहुल!"

यशोधा : (रमोला को देखकर) याद है! तुझे एक बार वोह सपने के बारे में बताई थी!

रमोला : (राहुल के छाती से लिपटे) हा माजी!

यशोधा : वोह सपना नहीं थी मेरी बहू! हकीकत थी!!! (शर्माती) हाय! वोह मुआ यह कमबख्त ही तो था!! (राहुल की और देखकर)

इतना सुनने के बाद रमोला की सास और तेज़ी से दौड़ने लगी, और फिर राहुल ने वोह किया को रमोला ने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी! उसे सीधे अपने बाहों में ही लिए उपर उठता हुए राहुल अब अपने कमरे की और जाने लगा। यशोधा यह दृश्य देख खुश होकर अपने पति के तस्वीर की और देखने लगी "हाय! आपका पोता तो आप पर ही गया है एकदम! खैर, उसको जी भर के आशीर्वाद कीजिए!" इतनी सी बात कहके, वोह गुनगुनाती हुई अपने कमरे की और चल दी।

....

अब राहुल के कमरे का दृश्य बहुत ही मनमोहक था। रमोला अपने सारी से आजाद हो चुकी थी और केवल ब्लाउस में थी राहुल के सामने, जो खुद ऊपर से पूरा नग्न था, अपने सारे टीशर्ट और बनियान उतार कर। धीरे धीरे उसके हाथ अपने चाची के गालों से होता हुआ नीचे बड़े बड़े स्तन की और जाने लगा और अब हल्का हल्का दबा ने लग गया। इस अजब एहसास से रमोला अपनी आंखे मूंद लेती है और उसकी सिसकियां शुरू हो जाती है।

राहुल प्यार और नम्रता से मोटे मोटे पपीतों को सहलाता गया और चाची के होंठों के करीब आने लगा।
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10-05-2020, 01:29 PM,
#59
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
राहुल के गरमाहट को अपने और करीब महसूस करने लगी रमोला, जो अब अपनी आंखे खोलने लगी धीरे से बस इतना देखने के लिए की एक झट्टके में राहुल सीधे अपने होठ उससे मिला देता है। दूर दूर तक मानो हर नदी में सेहलब होने लगा और ऐसी ही एहसास हो रही थी रमोला को, जिसने भी हैरणजनक कोई भी विरूद्ध नहीं की, बल्कि पूरा का पूरा साथ देने कहीं राहुल का। दिनों मानो अब एक दूसरे के लाली को चखने में मगन थे। चाची के लबों का नर्महट को महसूस करके राहुल एकदम गदगद हो उठा।

कुछ पल तक दिनों ऐसी ही चूमते गए और अब राहुल ब्लाउस के बटनों के पीछे पड़ गया। बटनों को टटोलता हुआ राहुल ऐसी तीखे अंदाज़ से रमोला की और देखने लगा, के वोह बहुत शरमा जाती है और आहे भरने लगी फौरन। राहुल जब ब्लाउस से छुटकारा पा लेता है, तभी ब्रा में कैद मस्त मस्त पपीतों को देखकर जैसे एकदम से पागल हो गया और फौरन बना किसी संकोच के उनमें टूट परा। अब कमरे का दृश्य बेहद कामुक था, एक नौजवा युवक एक माध्यम उम्र की महिला के मदमस्त फूले हुए स्तन पर अकर्मन करने लगा, ब्रा के उपरी हिस्से के इर्द गिर्द चूमने लगा और वैसे वैसे रमोला की सासें चड़ती गई।

"ओह राहुल!!" एक लम्बी सिसिकी लेती हुई, वोह उसके सर को अपनी स्तन की और खींचने लगीं और वैसे वैसे राहुल उन पहाड़ों में डूबता गया। समाय का एहसास ना रहा उन दोनों को और यह भी एहसास नहीं रही के कमरे के बाहर दरवाजे के कोने से उन दिनों को बड़े गौर से देख रही थी आशा! जिसकी खुद के सासें अब फूलने लगी थी और खुद के मोटी मोटी अमरूद में हिलाव महसूस कर रही थी।

"हाय! यह रमोला तो चुड़ैल निकली! कैसे मेरे बेटे को बाहों में जकड़ ली!!", बेटे के कामुकता को नजर अंदाज करके, वोह आगे आगे देखती गई।
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10-05-2020, 01:29 PM,
#60
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
जैसे जैसे रमोला राहुल के आगोश में आने लगा, वैसे वैसे आशा भी और उत्सुक होके आगे आगे देखती गई। अब हाल यह हुआ के राहुल के हाथ धीरे धीरे अपने चाची के ब्रा को भी टटोलने लगा और प्यासी रमोला भी अपनी सास को थामे आगे आगे देखना चाहती थीं। अब प्यार और बातें दोनों चालू हो गए इन दोनों के दरमिया।

राहुल : (रमोला की ब्रा को पूर्ण खोलकर) मज़ा आ गया चाची! उफ़! इन पपीतों के दर्शन के लिए में कबसे पागल हो रहा था!!

रमोला : हट बदमाश! कुछ भी बोलता है!!! मुझे अच्छी तरह मालूम है के किन पपीतों पे तेरी नजर है! नाम मत बुलावा मुझसे!!

राहुल : (ब्रा से आजाद होके अब गौर से नग्न पपीतों को देखकर आंखे बड़े किए हुए) ओह!!! चाची इन्हे आज के आज मुझे खाने है! ना मत करना!!

रमोला : तो मैंने कब रोका तुझे! (बाजू में चेहरा करती हुई) कुछ भी कर इन्हे तू! लेकिन हा, तेरी मा के मुकाबले थोड़े कम ही है!!

राहुल: (अब और उत्तेजित होकर स्तन के मास को यहां वहा चूमने लगा) ओह! तुम अपने ख्यालों की कुछ काबू में रेखा करो चाची!!! में तो वैसे ही इन्हे देखकर पागल हो रहा हूं! उपर से (निप्पलों को चूसकर) तुम और उकसा रही हो मुझे!

रमोला : सच तो सच होता हूं मुआ! (और कस के राहुल के चेहरे को जकड़ ली) खैर, अपने काम से फिलहाल काम रखो!

राहुल अब अपने चाची को यहां वहा चूमने लग जाता है, कभी गर्दन, तो कभी चेहरा, तो कभी वापस स्तन की चुसाई! यह सिलसिला चलता गया और फिर वोह अपने चेहरे को नीचे की और ले जाता है, पेट के तरफ। अब पेट और कमर के सुडौल आकार पर अपने होंठ चलाने लगा राहुल, जिस वजह से हुआ यूं के रमोला तकिए को और कस kr जकड़ लेती है, और फिर बस लम्बी लंबी सिसकियां लेने लगी, उसकी मन बेकाबू हो रही थी और वहां दूसरे और आशा के हाथ भी खुद बा खुद अपनी ब्लाउस में कैद आफत को मसलने लगी। बेटा तो बड़ा हो चुका था! इसमें अब उसे कोई शक नहीं थीं।

रमोला के पेट से होके अब राहुल धीरे धीरे पेटिकोट के दौर को धिला करके, उसके नाभि वाले हिस्से को बाहर लाने लगा। सुडौल पेट पर गहरी नाभि की दर्शन करके राहुल तो मुग्ध हुए ही, रमोला भी और ज़्यादा शरमा गई, बुरी तरह से। उसने अपनी होंठ दबाए, नीचे की और देखने लगी, जहां राहुल का सुनहरा चेहरा उसकी और देख रहा था "अाई लव यू चाची!" इतने कहके वोह उस नाभि के दीदार करने में लग गया। पहले तो उस गोल खाई के चारो और अपनी ज़बान को फिराया, फिर धीरे से उस खाई में अपनी ज़बान को ऐसे पीसने लगा, मानो कोई गोंध पीस रहा हो।

मज़े के बात तो यह थी के, यह सब देखकर आशा भी काफी मनोरंजित हो रही थी। मन ही मन कहीं ना कहीं वोह अपने आप को रमोला की जगह महसूस करना चाहती थी। उफ़! बेटे के नग्न अवस्था देखकर वोह खुद इतनी कामुक हो उठ रही थी, की मानो अभी इसी वक्त वोह रमोला को धक्का देकर, खुद अपने बेटे के आगोश में जाना चाहती थी। पर फिलहाल वोह इस कार्यक्रम का लुफ्त उठाना चाहती थीं। वोह आगे आगे देखती गई के कैसे राहुल अब अपने ट्रैक पैंट से आज़ाद हो जाता है, और उसे बाजू में फेंक देता है, जिससे हुआ यह के केवल कच्चे में अब पोज लिए खड़ा था राहुल अपने घुटनों के बल, बिल्कुल रमोला के पैरो के करीब। उसके गठीले नग्न जिस्म को रमोला और आशा, दोनों लाली फैलाए देखती गई। दोनों के मुंह से मानो एक साथ ही "हाय" धीरे से निकल अाई।

राहुल : (हीरो जैसा पोज देता हुआ) क्यों चाची! आजमाना है मुझे? (अपने दिलों का प्रदर्शन करने लगा)

रमोला : (उसे ऊपर से नीचे देखकर) उफ़! किस आफत में आ परी में! यह दीदी ने भी क्या क्या खा कर तुझे पैदा किया! आज तो में गई! रेहम कर मुझेपे राहुल! (नाटक करके, नटखट अंदाज़ में)

यह देख राहुल केवल मुस्कुराया और धीरे से, हौले से अपने चाची के उपर लेट गया, और बेइंतेहा उसकी गार्डन और स्तन के आस पास चूमने लगा, मानो कोई पागल प्रेमी हो। एक गठीले नौजवान को अपने ऊपर इस अवस्था में देखकर रमोला उसे और कस के जकड़ लेती है और खुद ही अपने होंठ उससे जोड़ देती है। अब एक मीठी मीठी चुम्बन बरसात की वाणी पूरी कमरे में फैल गई! दोनों एक दूसरे के रस चखने में मगन थे और दुनिया से बिलकुल बेखबर, बिंदास एक दूसरे को चूमते गए। उनके चुम्बन लीला देखकर आशा जल भून कर क्रोधित हो गई। वहीं खड़ी खड़ी दरवाज़े पर लगे पर्दे को कस के जकड़ की और मानो उसके टुकड़े टुकड़े करना चाहती थी।

बेटे और जेठानी को ऐसी अलनग्न में देखकर, उसकी अंदर की औरत बहुत ज़्यादा प्यासी हो गई! जी में तो बहुत कुछ आ रही थी, लेकिन धर्या रखना भी जरूरी थी। वोह आगे आगे देखना चाहती थी, की किस हद तक यह दोनों गीर सकते थे। एक हाथ से स्तन दबाए और दूसरे हाथ से पर्दे को जकड़े, आंखो में प्यास लिए वोह आगे आगे देखती गई के कैसे राहुल और रमोला, चुम्बन से आज़ाद होकर, बस एक दूसरे को हवासी नज़रों से देखने लगे। राहुल अब अपने चाची के चहरे की और एक उंगली को फिराने लगा। जैसे जैसे उंगली घूमने लगी, रमोला सिसक उठी बार बार।
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