kamukta Kaamdev ki Leela
10-05-2020, 01:30 PM,
#61
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
अब राहुल की उंगली धीरे धीरे स्तन के निप्पलों से हिते हुए, नीचे नाभि की और जाने लगा। गहरी नाभि पे मनी उंगली डुबकी लगने की कोशिश कर रहा था, गहराई के इर्द गिर्द एक भ्टके हुए मुसाफिर की भांति घूमने लगा और रमोला की सांसे भी अब और तेज़ तेज़ होने लगी। वक्त मानो एक हसीन लम्हे में तब्दील हो चुका था, और उसी वक्त राहुल ने वोह हसीन खता कर दी, जिससे रमोला और आशा दोनों एक साथ सिसक उठे। पेटकोट की नाड़ा अब उंगलियों के गिरफ्त में आ चुका था और राहुल एक कामुक मुस्कान देता हुए, नाड़े को धीला कर देंता है, और इतना ही नहीं, बल्कि पेटिकोट को भी नीचे एक झटके में घुटनों तक सरका देता है।

रमोला को अपनी परिस्थिति का पूरा जानकारी थी, उसे अब यह भी पता थी कि आगे आगे अब उसके साथ क्या क्या होने वाली थी। बस एक कामुक मुस्कान राहुल की तरफ देके, वोह अंगराई लेने लगी और राहुल खुश था चाची के रजामंदी से। फिर क्या! राहुल बिना झिझक के अपने कच्चे से भी अब आज़ाद होने लगा। अपनी नज़रों के सामने जामुनी रंग की राक्षासी लिंग को देखकर रमोला मानो एकदम से हलचल करने लगी। उसकी माथे पर पसीना ही पसीना आ पड़े और आंखे चौड़ी के चौड़ी "उई मा! यह क्या है राहुल! इतना काला और भयानक!" लेकिन नज़रे लिंग से हट ही नहीं रहे थे। "लिंग तो काला ही होगा चाची! लेकिन घबराओ मत! काटेगा नहीं!" बड़ी कामुकता से राहुल अपने चाची के हाथ को प्यार से लता हुआ बोल परा।

आशा भी मुग्ध होकर बेटे के लिंग को निहारने लगी। जीभ मानो लाली से भर गए थे और आंखों में प्यास और ज़्यादा बड़ चुकी थी। फिर जैसे ही राहुल लिंग को चाची के पैंटी के उपर सहलाने लगा, तभी रमोला एक अंगराई लेती हुई फौरन उस लिंग को जकड़ लेती है और धीरे धीरे उसे सहलाने लगी।

राहुल ने भांप ली थी के चाची के मन में क्या चल रही थी। वहा बाहर, आशा की दिल भी जोरों से धड़क उठी, जेठानी के हाथ में बेटे के लिंग, और लबों पे कामुक मुस्कान को देखकर।

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10-05-2020, 01:30 PM,
#62
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
रमोला और राहुल के स्तिथि को देखकर आशा अब इतनी कामुक हो उठी, के मानो वहीं के वहीं निर्वस्त्र होके बस अपनी जिस्म को सहलाना चाहती थी। जब रमोला के हाथ भयानक रूप लिए लिंग को जकड़ लेती है, तो समय मानो वहीं के वहीं थम जाता है और एक तेज़ लहर के उत्तेजना गुजर गई आशा के दिलो दिमाग में, और जब रमोला उस सुपाड़े को प्यार से अपनी होंठो के पास लाई, तो बस आशा और कस के परदे को जकड़ लेती है। सुपाड़े पे हल्के से चूम ली और पिर प्यार से उसे मुंह के अंदर लाने लगीं रमोला, जिससे राहुल का तापमान और ज़्यादा बड़ गया, इतना ज़्यादा के उसके हाथ अपने आप ही चाची के सर के पीछे जाकर, उन गेसुओं को सहलाने लगा।

मीठी मीठी आवाज़ कमरे के चारो और गूंज उठी, जैसे जैसे रमोला उस लिंग को चूसती गई। राहुल दिल खोलकर, नीचे नज़रे किए इस कामुक दृश्य को देखने लग गया और लुफ्त उठने लगा इस एहसास का। बेटे के उम्र की नौजवान की और देखकर रमोला बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो उठी और प्यार और नम्रता से लिंग को चूसती गई, कुछ इस हद तक के वोह लिंग और मोटा होने लगा उसकी मुंह में। उत्तेजित होकर, वोह और ज़्यादा रुचि दिखाए, चूसने लगी। आशा आगे आगे देखती गई और साथ साथ स्तन को मसलने में भी मगन थी।

अजय अब पागल होने लगा, चाचिं के इस कामुक हमले से, डर तो उसे इस बात का था के कहीं इस मु चुसाई के करन ही उसके हंडी ना फुट पड़े। ना जाने कितनी बार उसका लिंग मुंह के आगोश में चल गया था और बार बार यही विचार आ रहा था दिल में के मुहे को ही ना योनि का दुआर समझें ले। अपने आप पर पूरा नियंत्रण रखते हुए वोह इस चुसाई का आनंद लेने लगा और फिर हुआ यह के रमोला तुरंत अपने मुंह को आज़ाद कर देती है और लपलपाते हुए थूक से गीले लिंग की और गौर से देखने लगीं "इस मुआ को बोल, ज़रा धार्य रखे! अभी तो और बहुत कुछ इसे देखनी है!"

कामुक मुस्कान दिए रमोला राहुल की और देखने लगी और होंठ दबाए एक अंगराई लेने लगी। कामुक होके राहुल भी अब रमोला की और आगे बड़ा और इससे पहले वोह लिंग से योनि दर्शन कर सके, उसने सोचा क्यों ना पहले चाची का ऋण चुकाया जाए। चेहरे पर कामुक मुस्कान कायम रखे वोह झुकर फिर एक बार चाची के होंठ चूम लिए, और फिर नीचे झुक कर पैंटी को आज़ाद करने में लग गया। कोशिश सफल हो गई और अब रमोला की पूर्ण नग्न जिस्म राहुल के आंखो के बिल्कुल सामने! अब बेटे और जेठानी को पूर्ण नग्न अवस्था में देखकर आशा खुद गरम हो गई, क्योंकि पहली बार अपनी जेठानी की मदमस्त जिस्म की और उसने नजर डाली हुई थी, गोल गोल सुडौल जिस्म एकदम कातिल बना रही थी रमोला को। वोह अभी अभी अंगराई लिए अपनी नंगी जिस्म का प्रदर्शन करने लगी राहुल के सामने।

दोनों आशा और रमोला अपने अपने होंठ दबाए आगे आगे देखते गए, और तब बिना झिझक के राहुल नीचे की और चला गया, जहां अब उसका मुंह एकदम रमोला की बालों से घनघोर योनि की और जाके रुक गया। राहुल के गरम गरम सांसे अपनी योनि के झांट पर साफ साफ महसूस कर रही थी रमोला, और इस एहसास से वोह अपने आंखे मूंद लेती है। "बस मज़े लेती रहो चाची! कुछ मत कहना!" इतना कहना था के राहुल अपने होंठ से योनि के होंठ चूसने लग गया, बहुत बहुत धीरे और हौले हौले, जिससे हुआ यह के रमोला की सांसे और ज़्यादा तेज़ हो गई। कस के उसने तकिए को जकड़ ली और राहुल योनि को चूसता गया, चूमता गया।

जैसे जैसे राहुल आगे की और चूसने लगा, वैसे वैसे अब रमोला अपनी जिस्म को हिलती गई, सिसकियां देती गईं। जेठानी के सिसकियों को देखकर आशा खुद भी बेहद कामुक हो उठ रही थी। उसने कमरे के चौखट पर अपनी पैरो को जमाए रखे, यह सब कुछ देखनी लगी। राहुल अब दीवानों की तरह योनि को चूसती गई और वैसे वैसे रमोला भी सिसकती गई। अब उसने अपने हाथो से राहुल के सिर को जकड़ दी, और उसे निरन्तर चुसाई करने के लिए प्रोत्साहित करने लगी "ओह!! राहुल और चूस इसे! उफ़ yeh कैसा एहसास है!!!! ओह!!"

इन दोनों को देख, आशा खुद अपनी योनि को दबोचने लगी सारी के उपर से ही, और मुंह से लगातार हल्की हल्की सिसकियां निकल रही थी। दिल बेचैन हो रही थी यह जानने के लिए के, आखिर और किस हद तक यह दोनों जा सकते थे और ना जाने क्या क्या देखना बाकी था।

दूसरे और कुछ हद तक चुसाई के बाद, अब रमोला की जिस्म झाटके देने लगी और लगातार तीन बार जिस्म हिलोरे मारने के बाद, अपनी योनि रस को सीधा राहुल के मुंह पर सौम्प दी। हल्की हल्की नमकीन बूंद को अपने चेहरे के चारो और लिए राहुल अपने चाची को देखकर मुस्कुराया "सच में! काफी कुछ छुपा रखी थी आपने!"।

जवाब में रमोला अपनी होंठ को दबाए, फिर एक अंगराई लेने लगी "अब और देर ना कर! आजा मेरे अंदर!"।
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10-05-2020, 01:30 PM,
#63
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
राहुल समझ चुका था के अब चाची को भोगने का समय आ चुका है। बिना किसी संकोच के, वोह अब उसके गद्रये जिस्म पर चढ़ने लगा और अखिरकर, अपने छाती को उसकी स्तन के बराबर ले आया और धस दिया उनमें। साथ साथ फिर एक बार अपने लबों को उनसे मिला दिया और एक बार फिर एक गहरी चुंबन में उलझ गए दोनों। बेटे के होंठ की चुसाई देखकर आशा खुद अपनी होंठो को ज़ीब से भिगोने लगी, मानो उन्हें भी चुस्वाना चाहती हो। लेकिन फ़िलहाल, वोह आगे आगे देखना चाहती थी।

अब राहुल अपने लिंग को सीधे योनि दुआर की और लेके गया और हल्का सा दुआर को सुपाड़े से सहलाया। उफ़! आक्रमण का पैग़ाम मिल चुकी थी अब रमोला को! बेचारी प्यासी और सिसक उठी घुस्से में "बस कर! आगे भी तो बड़!!!"। लेकिन राहुल भी सताने में माहिर था,। उसने घुसाया तो नहीं, वहीं सुपाड़े से सहलाने लगा, मलने लगा और हल्के हल्के ठिकड़े मारने लगा। वहा उसके नीचे घुस्से में तपते रमोला से और रहा नहीं गई! वोह खुद लिंग को जकड़े, सीधे अपनी योनि पे घुसाने लगी।

चाची की उत्साह देखकर राहुल ने और विलंब नहीं की, और अब खुद एकदम से योनि में घुस गया। "ओह!" रमोला की आंखें फिर मूंद हो गई, चेहरे पर एक असीम आनन्द का भगवा जाग उठी। आखिरकार राहुल अब धीरे धीरे अपना गति बढ़ाने लगा। पूरी कमरे में एक कामुक परिवेश बनने लगा और वैसे वैसे राहुल और रमोला अपने आलिंगन में खोए रहे। दो जिस्म अब पसीने से लपलप हो चुके और चुदाई बरकरार रही।

उन दिनों को देखकर, आशा भी सिसकियां देने लगी, घुस्से में, तो कभी वासना में। फिर कुछ पल के बाद! राहुल अब हुंकार पे हुंकार भरने लगा "ओह चाची!!!! ओह में आने वाला हूं!"। "मै सैफ हूं! आजा मेरे अंदर!!! ओह!"।

इतना काफी था राहुल के लिए, और वोह अपनी चाची के जिस्म को जकड़े, एक के बाद एक मलाई की बरसात करने लगी योनि के अंदर। गरमागरम पद्रथ का एहसास करके रमोला भी गदगद हो गई खुशी और तृप्ति से। उसने राहुल को कस के बाहों में जकड़ ली और धीरे धीरे दोनों नींद की आगोश में चले गाएं।

बाहर खड़ी आशा भी खुद झद चुकी थीं यह सब देखकर। आंख में से आंसू निकल गए उसके, क्योंकि हर लम्हे में उसने अपने आप को अपनी जेठानी के जगह महसूस की थी। बेटे के प्रति बसनादायक विचार से वोह बहुत शरमा जाती है, और अपनी कमरे कि और चली जाती है।

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10-05-2020, 01:30 PM,
#64
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
"अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है सब्जेक्ट में!" हस के रेवती अपनी बहन रिमी की और देखकर बोली। पिछले कहीं दिनों से वादे के मुताबिक, वोह रिमी की नोट्स में सहायता करने लगी, जिसके बदले उसे आज वोह सरप्राइज मिलने वाली थी, जिसका उसे कबसे इंतज़ार थी। अब अपनी किताबो को बाजू में रखती गई, रिमी रेवती के भी किताबों को छीन लेती है "एब बस करो दीदी! बहुत हो गया! अब मुझे भी अपना वादा पूरा करने तो दो!" इतना कहना था कि वोह अपने बड़ी बहन की गालों को दबा देती है हल्के से।

गाल दबाए जाने से रेवती भी प्यार से अपनी चश्मे को एडजस्ट करके रिमी की और देखने लगी "बहुत बदमाश है तू! उफ़, अब एक आखरी चैप्टर तो बाकी है!"। "उसे पेंडिंग ही रहने दो दी! पहले मुझे आपको वोह गिफ्ट देनी है, जिस के लिए मैंने और नमिता दीदी ने बहुत पहले से ही सविंग्स की है!" खुशी खुशी रिमी अपनी दीदी के गाल को प्यार से चूम के बोली। रेवती कुछ ज़्यादा ही महसूस कर रही थी के उसकी छोटी बहन कुछ ज़रूर छुपा रही थी उससे। लेकिन बार बार उसकी निखरती हुई जवानी देखकर, वोह चाहती थी के उसे भी अपनी छोटी बहन की बिउटी राज का पता चले।

ऐसे में तभी कमरे में नमिता की भी प्रवेश होती है "क्या चल रही है दोनों में? हम?" बड़ी अदा के साथ अपनी सुडौल जिस्म लिए वोह कमरे में प्रवेश को और कमर पर हाथ थामे एक पोज लिए खड़ी रहीं और बार बार अपनी चश्मे को एडजस्ट करती हुई रेवती अपनी उसकी मोटी मोटी पहाड़ों को देखने लगी। सच में उसके पहले के मुकाबले कुछ ज़्यादा ही बड़ गए थे और टीशर्ट को मानो बुरी हालत थी।

नमिता अपनी बहन की नजर भांप लेती है और मुस्कुराने लगीं "शरमा मत! खुल कर देख मुझे! मेरी इन स्तन को ही देख रही है ना?" धीरे धीरे वोह नज़दीक आने लगी और कुछ हद तक ऐसी झुकी के अपनी बहन की और प्यार से देखने लगी "देख गौर से देख!"। रेवती शर्मा गई "धत दीदी! कुछ भी बोलती हो आप! ऐसी बात..."। नमिता की स्तन की दरार से नज़रे फिराए तो भी कैसे, रेवती खुद कमजोर हो रही थी इस दृश्य की और। रिमी भी चिराने लगी "लगता है रेवती दी को आपके यह पपीते पसंद अगाए दीदी!" अपनी छोटी बहन की और देखकर नमिता भी बजी मारने लगी "मै नहीं मानता! अरे इसे खुद बोलने दे! बता रेवती, कैसी लगी तुझे मेरी यह स्तन?"।

रेवती फिर अपने चश्मे के रिम को एडजस्ट करती हुई दीदी कि दरार की और गौर से देखने लगी "सच कहूं दीदी! आप के खाई को देखकर कुछ कुछ होती है, मुझे अपनी आमो से शर्म आती है!" एक मायूस चेहरा लिए रेवती बोल परी। नमिता भी एक गाल को फौरन चूम लेती है और उसे ऊपर उठती हुई, गले लग जाती है। स्तन से स्तन जब धस जाती है, तो रेवती को ना जाने क्यों कुछ मस्त सा लगने लगती है। अचानक ही सही पीछे से रिमी भी उसे जकड़ लेती है और यू कहिए के रेवती अब रिमी और नमिता के बीच सैंडविच बन चुकी थी। बड़ी अदा के साथ, नमिता उसकी चश्मे को चेहरे से हटकर, पास में बिस्तर पर फेंक देती है।

दो दो पपीतों का एहसास अपने पीठ और स्तन पे महसूस करके रेवती को भी कुछ कुछ होने लगी थीं। हुआ यूं के अब रिमी अपनी होंठ को उसके कंधो पर चलाने लगी और दूसरे और नमिता अपनी होंठ को उसकी गर्दन पर चलने लगी। हैरानी से रेवती वहा से सड़कना चाहती थी, लेकिन दोनों बाजू से उसकी बहनों ने उसे जकड़ ली। अब रिमी कंधे से लेकर गले के पीछे तक अपनी जॉब फिराने लग गई और जैसे नमिता अपनी होंठ को उसके होंठ के नजदीक लई, रेवती जैसे चौंक गई "दीदी तू.…." लेकिन यह वाक्य पूरा हो तब ना! फटक से रिमी अपनी हाथो को उसकी स्तन तक ले आयी और प्यार से दबा दी, जिससे रेवती बात को पूरी करने के बदले में, एक गहरी सिसकी दे उठी। इस बात का फायदा उठाएं नमिता बिना विलंब किए अपनी होंठ को उससे जोड़ देती है और एक करेंट सी दौड़ ने लगी रेवती की जिस्म से। बेचारी की स्तन के पीछे ही पड़ गई रिमी और वहा सामने से एक गहरी चुम्बन में जुट गए नमिता। एक तृप्ति सा होने लगी उसकी जिस्म के अंदर ही अंदर।

अब रिमी की हाथ रेवती की टीशर्ट के अंदर जाते हुए उसकी स्तन को प्यार से सहलाने लगी और इस बार मदहोशी का आलम बढ़ने लगी माहौल में। जैसे जैसे धीरे धीरे नमिता अपने होंठ को उससे आज़ाद कर लेती है, वैसे वैसे रेवती भी आंखे मुंडे अभी भी अपनी होंठो की और जीब फिरा रही थी, मानो चुम्बन को और टिकाए रखना चाहती हो। इस बात से नमिता मुस्कुराई और एक उंगली को आगे कर दी उसकी मुंह की तरफ, और सीधे होठ की और फिराने लगीं प्यार से। बिना झिझक के उंगली को चूसने लग गई रेवती, और वहा पीछे से बेझिझक पीठ, कंधे और गले को चूमती गई रिमी।

सच में कमरे का माहौल देखने लायक थी, तीन तीन बेहद हसीन लड़कियां एक दूसरे की और एकदम से जैसे चिपक चुके थे, प्रेनलिला में धस चुके थे। नमिता कुछ इशारा सा करने लगी रेवती को, और वोह समझ चुकी थी के इशारा किस बात पे थी। कुछ झिझकती हुई वोह अपनी हाथो को एक दूसरे पे मलने लगी, के तभी उसी वक्त रिमी उसकी कान में शहद घोल देती है "अरे दी! आगे जाओ, जकड़ो उन्हें! बिंदास! करो भी!"। इस बात को सुनते सुनते रेवती बार बार नमिता की और देख रही थी, जिसने अब अपनी आंखें मूंद ली थी, उत्साह में।

कुछ और झिझक के बाद, रेवती अपनी कांपते हुए हाथो को अपने दीदी कि स्तन की और लाने लगीं, और फिर उन्ही कांपते हुए हाथो से पकड़ने की प्रयत्न की उन पहाड़ों को, लेकिन समा नहीं पाए पूरी के पूरी उन हाथो में। इस बात से और ज़्यादा उत्तेजित हो गई वोह, और उसके गाल लाल लाल हो गए। सुर्ख लाल गालों को एक बार फिर से रिमी चूम लेती है और इस एहसास से गदगद होती हुई रेवती अब नमिता के स्तन की इर्द गिर्द मसलने लगी। प्यार से ही सही, लेकिन नमिता को अपने बहन को डोमिनेट करने में बहुत मज़ा आ रही थी, बिना किसी चिंता के, वोह उसे डांटने लगीं "दबा ठीक से! मार खाएगी तू!"।

दीदी की डांट खाने की आदि थी रेवती, पहले से ही, लेकिन आज इस संदरभ में कुछ अजीब लग रही थी उसकी डांट, और कुछ हद तक रेवती काफी घबरा भी गई थीं। उसकी नज़रे नीचे की और हो गई जहा, उसकी हाथ उन पहाड़ों को दबाने में कुछ अजीब सी मज़ा आने लगीं, कुछ उत्साह सा छाने लगी उसकी जिस्म में। अब वोह पूरी ध्यान अपनी दीदी की मोटे मोटे आकारो पर देने कहीं, उनकी गद्रपन को महसूस करने लगी। बार बार स्तन को दबाबाए वोह यह सोचने लगी के अगर टीशर्ट के जरिए यह एहसास हो रही थी, तो कहीं अगर उसकी दीदी उपर से पूर्ण नग्न हो जाए, तो क्या होगा!

अपने ही सोच से शरमा गई रेवती "छी! यह में क्या सोचने लगी! लेकिन.......ओह! मुझे इतनी अच्छी क्यों लगने लगी!" वोह तो अपनी दीदी को मसलने में अटल थी, लेकिन फिर नमिता भी उसके हाथ को हटाए, अपनी शर्ट उतार के फेंक देती है। इस बात पर रिमी भी अपनी शर्ट उतार देती है और अब नतीजा यह हुई के दो दो नग्न स्तन का एक हसास रेवती को होने लगी! एक पीठ पर, तो दूसरे वाले को अपने हथेलियों पे महसूस की। नज़रे चौड़ी करके वोह अब अपने दीदी कि मस्त सुडौल आकार को पूर्ण नग्न अवस्था में देखने लगी। सच में, घायल कर देने वाली दृश्य थीं।
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10-05-2020, 01:30 PM,
#65
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
"उफ़ दीदी! यह तो...." रेवती के पास सब्द नहीं थे उन पहाड़ों के वर्णन में, और उसकी यह हालत देखकर रिमी भी अपनी माध्यम आकार के स्तन को उसकी पीठ पर दबाने लगी "दी, मेरी भी तो टैरिफ करो!" इतना कहना था के वोह रेवती को अपने और घुमा देती है। अब रिमी भी अपनी नग्न स्तन का दर्शन रेवती को करवा देती है, जिसे देख वोह और उत्तेजित होने लगीं। लेकिन इससे पहले वोह कूह कहती, नमिता उसकी बटन वाली टीशर्ट को ऐसे हड़बड़ी में खोलती है, के शर्ट तो शरीर से अलग हुए ही, लेकिन बटन भी टूट गए साथ साथ, सारे के सारे।

इस चीरने की आवाज़ समेत शर्ट से अलग होने के एहसास से रेवती एक दफा नीचे गिरे हुए अपनी उस शर्ट की और देखने लगी, जो उसने प्यार से एक दफा खरीदी थी। लेकिन अब इस वक्त, उसे यह सब कुछ नहीं चाहिए थी! अब अपने बहनों की तरह वोह भी उपर से ही पूर्ण नग्न थी। तीन तीन स्तन के जोड़े एक दूसरे की और देखने लगे मानो। अब दोनों रेवती और नमिता अपने अपने हाथो को सीधे उसकी स्तन की और लेके अाई और प्यार से सहलाने लगी।

रेवती कुछ बिना कहे अब, आंखे मूंद लेती है और इस बार रिमी अपनी रसीले होंठ उससे जोड़ देती है। तीनों अब इस लीला में मगन थे और दुनिया भुलाए बस एक दूसरे के मज़े लेने लगे।

......

एक तरफ जहां यह माहौल था, तो दूसरे और आशा अपने कमरे में, अपनी बिस्तर पर गुमसुम हुए, बार बार तकिए को सहला रही थी। उसकी आंखो में अभी भी वही रमोला और उसके बेटे का दृश्य बरकाकर थी। उन दोनों के बीच की लीला को देखकर, कहीं सवाल अब उसके मन में आए! "इस पूरी लीला से में इतनी उत्तेजित क्यों हुई?" "क्या राहुल मुझे भी उस नज़र से...?"। एक लहर ताज़गी दौड़ गई उसकी गद्रये जिस्म से, और वोह एक कमसिन कली की तरह तकिए को जकड़ लेती है "नहीं नहीं! यह कुछ ज़्यादा ही हो रही है! राहुल को समझना होगा कि यह सब....."। तभी अचानक हुआ यू के, सामने के आइने से एक तेज़ रोशनी छलक पड़ी और सीधे उसकी आंखो की और।

रोशनी तेज़ होते होते, फिर कम होने लगी और आइने की और देखकर आशा हैरानी से स्तब्ध बैठी रही। आश्चर्यजनक उस आइने में रामधीर खड़ा हुआ था, चेहरे पर मुस्कान और वहीं लंगोट और बनियान पहने। उनका दर्शन किए आशा हैरानी से उस आइने के सामने आने लगी और अपनी आंखे टटोलकर देखने लगी वापस। बिल्कुल सही थी वोह! उसके ससुर की आत्मा उस आइने में प्रकट हुए थे। "कैसी हो बहू?" उनकी आवाज़ में एक गंभीरता आए हुए थे, और जिस्म के इर्द गिर्द भी काफी रोशनी थी, बिल्कुल एक आत्मा के समान।

ससुर की मीठी चुभती हुई आवाज़ को भला आशा कैसे भूल सकती थी! ना जाने किस हसीन अंदाज़ में वोह भोग चुकी थी उसी आवाज़ के तेलें और उस दिन की याद अभी भी उसकी मन में ताज़ा थी "मै ठीक हूं बाबूजी! आप तो फट से चले गए! आपका क्या!"। मुंह मोड़ती हुई आशा यहां वहा देखने लगी, और उसकी ऐसी बातों से रामधीर हंस पड़ा "अरे मेरी प्यारी बिटिया! मै कहा जा सकता हूं! एक बात याद रखना बहू! शक्ति ख़तम नहीं होती, बस तब्दील हो जाती है! तुम शायद समझ चुकी हो, के में किस सन्दर्भ में बात कर रहा हूं! खैर, मेरी आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है!" इतना कहना था, के वोह वहा से गायब हो जाता है एक रोशनी के भांति।

आइने को नॉरमल होते देख, आशा वापस तकिए को लेटे लेटे जकड़ लेती है और बेटे के ख़यालो में खो जाती है। एक फैसला अभी भी लेनी बाकी जो थी।

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10-05-2020, 01:30 PM,
#66
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
एक तरफ जहां आशा रुआसी बने, तकिए को अपनी गिरफ्त में कर चुकी थी, वहा दूसरे तरफ उपर कमरे में तीनों के तीनों लड़कियों अब पूरी नग्न अवस्था में एक कामुक आलिंगन में जुड़ गए थे। बिस्तर पर लेटी रही रेवती, जिसके ऊपर बैठी थी नमिता और नीचे के तरफ अपनी घुटनों के बल बैठी थी रिमी। तीनों के तेनी अपने कार्य में व्यस्त थे। एक तरफ जहां नमिता सिसकियों पे सिसकियां दे रही थी, वहा दूसरे और रिमी की मुंह रेवती की योनि में व्यस्त थी, तो रेवती की मुंह प्राय नमिता की जांघो से दबी हुई थी।

रेवती अपनी दीदी की मदमस्त गांड़ को जकड़े, अपनी मूह को उसकी योनि में दबाए रखी, तो नीचे रिमी भी अपनी मूह से अपने प्यारी रेवती दी कि योनि को प्यार से चूसती गई। तीनों के तीनों किसी कामसूत्र के मूर्तियों से कम नहीं लग रहे थे। फिर कुछ पल के बाद जब नमिता के मुंह से निकली "अब बस कर! वरना तेरी चेहरे पे ही मूत दूंगी में!!" तो रेवती घबराकर अपनी चेहरा हटा देती है, बस यह देखने के लिए के कैसे उसकी दीदी की जिस्म हिलोरे मारने लगती है और यह तीन तीन बार हुई उसके साथ, फिर जाके कहीं रुकी।

यहां, दूसरे और अब बारी रेवती की थी झडने की, वोह बार बार अपनी जिस्म को हिलाने में लग गई और नीचे रिमी भी उसकी कमर को कसे, अपनी होंठ को बरकरार रखी उसकी योनि पर। "ओह!!!!!! रिमी!!!!" एक लम्बी सिसकी देती हुई वोह बुरी तरह से झड गई अपनी लाडली बेहना के मुंह पे। दो, दो भीगे हुए चेहरों को देखकर नमिता भी चैन की सांस ली और अब सीधे खड़ी होकर, उन दोनों को आपस में लिटा दी। फिर खुद घुटनों के बल बैठी हुई, दों दो योनियों का दर्शन करने लगी, जो बिल्कुल उसके मुंह के करीब थे।

दोनों के योनि होंठ एकदम फूले हुए थे, और एक नमकीन सा गंध आ रही थी दोनों से, जिसे नमिता प्यार से सुन्हने लगी "बदिया है! एकदम.... आज तो पेट भरकर तुम दोनों को खाने का इरादा है!" बड़ी बहन वाली आवाज़ में नमिता बोली और आदेश मानती हुई यह दोनों लड़कियां, अपने अपने हाथो से अपनी योनियों की होंठो को अलग किए, अपनी मुख्य दुआर दिखाने लगी अपनी बड़ी दीदी को! "दीदी! हमे कुबूल करो!" एक साथ ही दोनों बोल परे, और नमिता हंस देती है "बिलकुल करूंगी!" और फिर दोनों के दोनों योनियों पे हवा फूकने लगी।

अपने अपने छेद के अंदर हवा के प्रवेश से, दोनों बहने एक साथ सिसकियां देने लगी, लेकिन किसी ने हाथो को अपने योनियों से हटाई नहीं। अब नमिता प्यार से दो दो उंगली दोनों दिशाओं के और लेकर गई और हर एक योनि के अंदर एक उंगली प्यार से घुसा दी। उंगलियों के आक्रमण से रिमी और रेवती, एक दूसरे की और देखकर, कामुक अंदाज़ से मुंह खुले रखे और लम्बी लंबी सांसे लेने लगी। वहा नीचे नमिता, दोनों के योनि में उंगली करती हुई, अंतर देखने लगी। जहा एक तरफ बहुत फूले हुए होंठ के साथ साथ दुआर की लकीर भी ज़्यादा खुले हुए थे रिमी की, तो दूसरे तरफ थोड़ी टाईट सी थी रेवती की, जो शायद बहुत जल्द ही खुलने वाली थी, इतना यकीन थी नमिता को। एक कामुक मुस्कुराहट के साथ वोह दिनों को बराबर उंगली करती गई।

बेचारी लाडली बहनों के पास, और क्या चारा थी, सिवाय सिसकियां देने की। दिनों के दोनों, अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी दीदी की मिठी आक्रमण की जी भर के मज़े लेने लगी। दो दो हसीन टांगो की जोड़ी देखकर, नमिता भी और कामुक हो उठी और प्यार से उन तेंगो पर बारी बारी अपनी ज़ुबान से चाटने लग जाती है। "दीदी!!!!! उफ़!!!! ओह!!" सिसकियां पे सिसकियां निकलने लगी, और यह दोनों साथ साथ अपनी जिस्म भी लेटे लेट हिलाने लग गाएं । अपने बहनों की प्रक्रिया देखकर नमिता भी खुशी खुशी उंगली तेज़ चलाने लगी "रेवती, फिक्र मत कर, तेरी दुआर भी और खुलेगी!!" अपनी बहन को मदहोश देखकर नमिता ने अपनी बात को आगे रख दी।

रेवती, जो मदहोशी के आलम में खोई हुई थी, दीदी की इन बातो को सुनके, और भेहेक उठी। रिमी की tef देखकर एक सवाली भाव से उसकी तरफ देखने लगी, तो जवाब में रिमी एक कामुक मुस्कान देने लगी, जैसे कि वोह दीदी की कहीं बातो से सहमति दे रही हो। लेकिन दीदी ने ऐसा क्यों कहा! या रिमिं की अचानक यह मुस्कान..... यह सब कौन सोचता है, जब योनि में एक चंचल उंगली बार बार आक्रमण कर रही हो!

बेचारी रेवती केवल, लम्हे का आनंद लेती हुई, अपनी आंखे मूंद लेती है और नमिता अपनी उंगलियां दोनों बहनों पर कायम रखी। रिमी भी रेवती के साथ साथ कुछ नटखट वर्तलाव में जुट जाती है!

रिमी : रेवती दी! सच सच एक बात तो बताना!

रेवती : (मदहोशी में) हम?

रिमी : आप मन ही मन यही सोच रही है ना के यह उंगली जो आपके अंदर बाहर हो रही है, वोह थोड़ी सी और तगड़ी हो! हम?

रेवती (धसकने तेज़) : क्या??? क्या कह रही है तू?? ऐसा कुछ.....आह! कुछ नहीं!

रिमी : (टांगे और चौड़ी करके) ओह दीदी! और करो ना!! (फिर वापस रेवती की और देखकर) झूठ मत बोलो रेवती दी! देखो (अपनी पिंकी को दिखाती हुई) पिंकी प्रोमिस करो मेरे साथ और कहो के तुम झूठ नहीं बोल रही हो!!! (मासूम होने का ढोंग करते हुए बोली)

रेवती : आह! देख पिंकी प्रोमिस में नहीं कर सकती!!!!!

रिमी : मतलब आप झूठ बोल रही हो! (एक हाथ को लिए सीधे रेवती की एक स्तन को दबा दी) रेवती दीदी इस आ लाईआर!!!!! (मासूम बनने की नाटक जारी रखी)

नमिता दोनों के आलोचना के मज़े लेने लगी और अपनी उंगलियों को जारी रखी, तो वहा उपर लेती रेवती अपनी छोटी बहन की बातो से बहुत क्रोधित हो गई और ज़ोर से बोल परी "हा!!!! मै चाहती हूं! एक तगड़ी सी उंगली अंदर जाए!!!! खुश???"। वासना के मारे प्राय रूआसी हो गई थी बेचारी रेवती! एक तो दीदी की उंगली का अंदर तक जाना और दूसरे और छोटी बहन की शरारतें। वोह इतनी तंग हो चुकी थी के अगर मौका मिले, तो हाथी के सुंड भी आपने अंदर घुसा दे!

आखिर क्या मिली उसे यह पदाई और किताबो के चक्कर में! आज और अभी जो तृप्ति हो रही थी उसकी जिस्म में, वोह भी अपने ही बहनों के बदौलत, वोह तो वर्णन के बाहर ही थी।

वहा दूसरे और, रमोला राहुल के कमरे से अपनी हुलिया को ठीक किय जा ही रही थी अपने कमरे की और के सामने से उसे रोक देती है आशा। गौर से अपनी जेठानी की चुदाई से तृप्त हुलिए को देखकर आशा को यकीन थी के राहुल ने अपने चाची को जी भरकर राहत दी थी। सच तो यह थी के रेवती के चेहरे पर लगे सुकून की छवि देखकर वोह खुद जलन महसूस करने लगी थी। लेकिन अपनी कमजोरी बयां करे तो भी कैसे?

बड़ी बहू जो ठहरी!

आशा : (नॉरमल होकर) यह क्या रमोला! तुम राहुल के कमरे में?

रमोला (मनें में) अच्छी नाटक कर लेती हो दीदी! खुद तो दीवार के उस पार खड़ी होकर पूरी टेलीकास्ट देख ली, और अब यह नाटक! (फिर दीदी की और जवाब में) वोह....दरअसल! कुछ काम थी तो, अरे हां! एक स्वेटर बुन रही हूं उसके लिए, सोचा क्यों ना... माप ली जाए उसका! (गाल सुर्ख लाल)

आशा : (मन में) माप तो ले ही ली तूने! पूरी जिस्म का माप और अपनी माप भी तो देके अाई हो! कामिनी कहीं की! (फिर जवाब में) ठीक है, कोई बात नहीं! चलो आओ अभी रसोई में!

फिर दोनों के दिनों अपने अपने कमर मटकते हुए रसोई की और जाने लगी। मज़े की बात यह थी के वहा उनकी सास यशोधा देवी पहले से ही मौजूद थीं, एक पीली रंग की साड़ी और लाल रंग की ब्लाउस पहनी हुई, बालों को डाई की हुए, जैसे खुद अपनी बहुओं की उम्र की हो, कुछ ऐसी व्यवहर लिए वोह आज पनीर पका रही थीं। "अरे आगाए तुम दोनों! आओ!"। एक विधवा होकर भी मानो कोई नई नवेली के तरह बर्ताव कर रही थी, और यह देखकर दिनों आशा और रमोला हैरान रह गए।

जहा आशा बहुत ही हैरान थीं, वहा दूसरे तरफ रमोला जान चुकी थी राहुल और उसकी सास के चक्कर के बारे में, मन ही मन मुस्कुराए वोह आगे गई और अपनी सास को पीछे से झप्पी देने लगी "माजी! आपकी उम्र तो दिन पे दिन मानो घट रही है! सच कहती हू! कुछ महीनों बाद, आप अपनी पोतियों के बराबर हो जाएंगी!" अपनी सास को अपनी और मुड़ने पे मजबुर की और उनकी तरफ देखकर आंख मारने लगी।

यशोधा भी अपनी छोटी बहू को गले लगा देती है "हाय! तेरी मुंह में घी शक्कर! कितनी मीठी मिठी बातें करती है तू!" और फिर रमोला भी काम में जुट जाती है।

सास की रवाइए को देखकर आशा को महसूस होती है के कुछ तो बात थी इस निखार के पीछे! कयोंकि उसके ससुर को गुज़रे, अब काफी समय हो चुके थे। फिर, अचानक ही मन में बेटे के तस्वीर फिर आने लगी और फिर एक नजर अपनी सास की और डालने लगी। जो संभावना मन में अाई, उससे आशा की मोटी जांघो के बीच एक तिनका निकल गया सीधे पैरो के तरफ।

फिर खुद पे काबू रखे, सास और जेठानी की सहायता करने में जुट गई।

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10-05-2020, 01:31 PM,
#67
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
राहुल आज जल्दी कॉलेज की और जा चुका था, और बाकी सब डाइनिंग टेबल की और जाने लगे। खाने के वक्त आशा और रमोला गौर से उन तीन तीन नटखट लड़कियों को देखी जा रही थी, रिमी, नमिता और रेवती, जो पूरी तरह थकी हुई नज़र आ रही थीं। सच में, जो कुछ भी हुआ था कमरे में, अंदाज़ा लगाया जा सकता था के काफी हद तक थकावट होना लाजमी था। खैर, भूख तो इन तीनों को काफी लगी थी, और खास करके रेवती, जो अभी भी मानसिक दौर पे उत्तेजित थी। बार बार वोह चमच को एक अनदेखा सा लिंग समाझकर टटोल रही थी, और इस बरताव से दोनों रिमी और नमिता मुस्कुरा उठे। बात कुछ इस तरह थी के, अभी भी रेवती की खयालों में रिमी की कहीं बातें गूंज रही थी "उंगली और तगड़ी होती तो!"

इन शब्दो को याद करती हुई, बार बार वोह उस चमच को उंगलियों में उलझने लगी, उससे खेलने लगी। उसके यह हरकत को देखकर रमोला बोल परी "अरे, क्या हुआ? क्या देख रही ऐसे चमच के साथ?" रेवती सच में मानो कोई उधेड़बुन में उलझी थी, और बस अपने मा की और देखकर मुस्कुराई। लेकिन पास में ही बैठी यशोधा देवी गौर से अपनी इस प्यारी पोती को देखे जा रही थी, और यह भी देख रही थी के किस अंदाज़ में वोह चमच के साथ खेल रही थी। ताजुरबेदार तो वोह इतनी थी के बीन लिफाफा खोले, चिट्ठी भांप लेती थी, और अपने पोती की खुफिया इरादों को भी जान गई थी।

अपने बहू के तरफ देखकर, यशोधा प्यार से बोली "अरे, रमोला, खेलने दे उसे, इस उम्र में इन सब करियो में अलग ही लुफ्त मिलती है, क्यों मेरी बच्ची?" रेवती की और देखकर वोह इस अंदाज़ में बोली, के दादी की बातो से बहुत शरमा जाती है वोह। सुर्ख लाल गाल लिए, वोह नॉरमल अंदाज़ में चमच से खाने लगती है। उसके यह हरकत देखकर, नमिता और रिमी एक दूसरे को आंख मारने लगी। रिमी खास करके खुद काफी शरारती अंदाज में थीं आज "आज नमिता दीदी ने जम के रेवती दी कि क्लास ली थी, बेचारी बहुत थक चुकी है!"।

आशा परोसते हुए अपने छोटी बेटी को डांट दि "अब बस भी करो! कया लगाया रखी है! दीदी को खाने भी तो दो!"। तभी वकालत करती हुई
यशोधा बोल परी "अरे बहू रहने दो, बात में तो वैसे बहुत दम है! वैसे, देखा जाए तो चमच से खेलने का ही उम्र है, तू भी खेली थी, में भी तो अपने वक्त में" इतना करके वहीं सबके सामने यशोधा देवी एक लंबी अंगराई लेती है, बेशर्मी से। इनकी यह हरकत देखकर, आशा अपनी हाथ को मु पे रख देती है, और मन ही मन सोचने लगी "हाय री! यह घर ही बदल रहा है धीरे धीरे", लेकिन सच पहुंचिए तो चोर सबके मन में बराबर थी।

दादी के शब्दो से, रमोला भी खिलखिला उठी, पता नहीं क्यों, रेवती की और देखकर, उसके मुंह से ऐसे ही निकल गई "अरे चमच से क्या होगा बेटी! कड़ाई वगेरह भी हाथ में लेकर देख, मज़ा आता है", यह कहते वक्त कुछ अजीब सा खुमारी थी उसकी चेहरे पर, और यह थी राहुल की चुदाई के वजह से। रेवती बार बार अपनी मा की ऐसी स्तिथि देख रही थी, औरे उसे लगा कुछ तो बात है के मा और दादी, दोनों ऐसी अजीब हरकते क्यों कर रही थी।

खैर, खाने के बाद अब के सब अपने अपने कमरे में विराजमान हुए और वहा कॉलेज में राहुल बार बार वहीं वीडियो देख रही थी जिसमे नमिता, रिमी और रेवती, टेनो का लीला चल रही थी। बात यह था, के नमिता ने खुफिया तौर पे सारे के सारे लम्हे को रिकॉर्ड की थी अपनी फोन कैमरा से, दूर शेल्फ पे रखकर। इस बात का ना तो रिमी को पता थी, और ना ही रेवती को। उभरे हुए लिंग लिए वोह बार बार उसी क्लिप को देखे जा रहा था, के तभी दूर से आती है मीनल।

मीनल : जनाब क्या देखे जा रहे हों?

राहुल : (हड़बड़ाकर फोन से क्लिप क्लोज करके) कुछ नहीं... नहीं बस ऐसे ही! तुम कब अाई??

मीनल : बरसो होगाए! तुम तो देखना भी भूल गए मुझे!

मीनल झूठ मूठ की रूठ गई थी राहुल से। लेकिन सच तो यह थी के आज वोह कयामत लग रही थी लाल रंग की टॉप और काली जीन्स जो खुद हद तक स्किन टाईट थी। और यह राहुल भला कैसे ना देखता। वोह सीधा मीनल को बाहों में लेकर, उसके रस भरे होंठो को चूमने लग जाता है। बदले में मीनल भी भरपूर साथ देने लगी। मीनल जो प्यार से राहुल को चूमे जा रही थी, आज अचानक से हुआ यूं के उसकी हाथ नीचे जाती हुई राहुल के हाथ पकड़े सीधे अपनी सुडौल गांड़ पर रख देती है। यह पहली बार हुआ था के मीनल ने यह नियोता दिया था उसे।

इस बात से बहुत खुश होता हुआ राहुल भी उस गांड़ के आकार को जीन्स के उपर से ही महसूस करने लग गया और बहुत प्यार से मसलने लग जाता है उसे। अब उंगली से सीधे हाथ को खींचना तो इंसान की फितरत थी! गांड़ से हाथ जब उपर होते होते स्तन की और जाने लगा तो फौरन मीनल रोक देती है, अलग होकर "नो! सोरी मिस्टर! इतनी जल्दी भी नहीं!"। राहुल समझ गया था के मीनल के कदम धीरे धीरे ही बढ़ेंगे, लेकिन जल्दी तो उसे भी नहीं था, और होगा भी क्यों! जो माहौल अब उसके घर में था, वोह तो बस काफी था राहुल के लिए।

दोनों पार्क के एक कोने में बैठे रहे। राहुल गौर कर रहा था के मीनल कुछ ज़्यादा ही खुश थीं। उसने उसके हाथ अपने हाथ में लिए और चूम लिया "क्या बात है? कुछ ज़्यादा ही खुश लग रही हो?"। इस सवाल पर मीनल ने फौरन उसे गले लगा ली "खुश तो मै हूं ही! मा खुद हमारी शादी को लेकर बहुत खुश है!! क्या तुम्हारे घर में.."। राहुल ने फिर से वोह हाथ चूम की "बिल्कुल! मा भी राज़ी है!"। राहुल मुस्कुरा ही रहा था के उसे मीनल अचानक टोक देती है "वैसे तुम फोन पे इतने गौर से क्या देख रहे थे?", यह सुनके राहुल पसीना पसीना हो गया और हड़बड़ाकर "नहीं कुछ खास नहीं... बस ऐसे ही", लेकिन मीनल कहां मानने वाली थी "डोंट लाई! शो मी!"। राहुल मीनल की और देखकर, नज़रें झुकाए स्क्रीन को उसकी तरफ दिखने लगा।

स्क्रीन की और देखकर मीनल की आंखे चौड़ी हो गई और दिल जोरों से धड़क उठी।

राहुल के फोन पे एक क्लिप थी जहा मीनल बारिश का मज़ा लिए हुए एक प्यारी सी पोज में खड़ी थीं, जुल्फे भीगे भीगे और हाथ छत्री के बगैर। जी हां! यही वोह क्लिप थी जो इस वक्त मीनल देख रही थी राहुल के फोन पे। खुशी से वोह शरमा गई "यह कब लिया तुमने!?"। राहुल ने फिर से जोड़ दिए और कुछ कहने, या सुनने की जरूरत नहीं थी।

दोनों फिर यहां वहा के बाते करने लग गए और हाथ में हाथ डाले शाम भी हो गया।

......

वहा दूसरे और, घर पे रेवती की मन पड़ाईं पे बिल्कुल भी नहीं लग रही थी, उसकी यह दशा देखकर नमिता और रिमी, दोनों उसके आजू बाजू बैठ जाते है। नमिता की हाथ में एक लैपटॉप थी और रिमी भी कुछ ज़्यादा ही मुस्कुरा रही थी "बहुत हो गया पड़ाई रेवती दी! चलो इट्स गर्ल्स हैव फन टाइम!!"। नमिता भी साथ देने लगी "बिल्कुल! चलो मज़े करते है!" इतना कहना था के वोह लैपटॉप पे एक वेबसाइट पर जाती है, जो पॉर्न साइट थी। पोर्न साइट पे आते ही, कुछ क्लिप्स दिख गए, जिसे देख रेवती की सांसे तेज़ हो गई "दीदी यह तो..."।

"उफ़ चुप भी हो जा! और चल मज़े लेते है!" नमिता जान बूझकर एक पुरुष स्त्री की क्लिप चला लेती है जहा पहले तो वोह लड़की उस पुरुष के लिंग को ३चूस रही थी। यह घिनौनी चीज देखकर रेवती को कुछ अजीब लगने लगी "छी! यह सब क्या है दीदी???" हैरानी से वोह नमिता की और देखने लगी, तो रिमी उसकी कमर पर चीकोटी मारने लगी "अरे दी! एन्जॉय करो, देखो उस लड़की की और, जैसे लोलीपोप की तरह (होंठ को कान की और लेजाकर) चूस रही है!"। रेवती कुछ बोलने ही वाली थी के उसकी कमर की दूसरे और नमिता
चीकोटी मारने लगीं "अरे गौर से देख! क्या कर थी है तू! इट्स ओके टू सी!" रेवती हैरानी से अपने दीदी कि और देख रही थी, और फिर ना चाहते हुए भी, उसकी नज़रे बार बार उस क्लिप में लड़की की चुसाई की और जाने लगी।

गौर से अब तेनों उस क्लिप में जैसे खो गए। वोह लड़की लड़के के लिंग को दिल से एैसे चूस रही थी, के मानो खा ही जाएगी अभी के अभी, और केवल इतना ही नहीं, चूसती हुई वोह कमेरा की और भी देख रही थी, कुछ हद तक ऐसा लगा रेवती को, के मानो वोह लड़की मुंह में लीग को लिए उसे ही देख रही हो। उसके आजू बाजू बैठी रिमी और नमिता उसे और उकसाने में लग गई।

नमिता : मस्त है ना रेव?

रिमी : कितना मोटा और बड़ा लिंग है ना!

नमिता : मेरी..... उंगली से कहीं ज़्यादा तगड़ी है ना!

रिमी : रेवती दी! (मासूम बनकर) वोह लड़की है ना! आप से कुछ कहना चाहती है!! देखो तो, कब से आप को ही देखे जा रही है!!!!

नमिता : (और आग देती हुई) मुझे तो लगती है के वोह तेरे साथ यह शेयर करना चाहती है, क्यों रिमी!

रिमी : हम्म! आई थिंक सो टू!

बीच में बैठी रेवती की तो मानो जैसे हालात खराब हो रही थीं। सच तो यह थी के उसकी नज़रें उस लड़की से हट ही नहीं रहे थे। चुसाई के आवाज़ रेवती की कानो में मानो शहद घोल रहे हो। बार बार वोह नज़रे हटाने की कोशिश करती रही क्लिप में से, लेकिन फिर उतनी ही बार, वोह फैल होने लगी। यह इंसान की प्रक्कृत थीं के ऐसी कामुक दृश्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता था। जहा रिमी और नमिता प्राय दो दो बार भोगे जा चुके थे राहुल से, वहा रेवती अभी भी बेजान बंजर ज़मीन थी, जिसपे राहुल ने अब तक हल नहीं चलाया था।

खैर, उस चुसाई के बाद अब बारी थी लड़के का, जो अब उस लड़की के स्तन को चूसने लग जाता है और वैसे वैसे लड़की फिर से कैमरा की और देखकर सिसकियां देने लगी, जिसका असर भी रेवती की मन में हो रही थी। बहुत उत्सुक और व्याकुल हो रही थी अब वोह। उसकी यह व्याकुलता को नमिता और रिमी भांप लेती है और पीठ के पीछे से, दोनों हाई फाइव करने लगे।

फिर क्लिप आगे जाते हुए, सीधे उस मोड़ पर अगया जब लड़का लड़की को चोदने वाला था। यह दृश्य देखकर रेवती की आंखे और चौड़ी हो गई, और सासें भी काफी तेज हो गई। दोनों बहनों ने उसके एक एक स्तन अपने हाथ में लिए और एक कस के दबाई दे दी, जिससे रेवती और सिसक उठी "ओह! दिस्ट्रब मत करो दीदी!" वोह खुद नहीं जानती थी के कितनी उत्सकुता से वोह उस क्लिप में खो चुकी थी, और जब लड़के ने लिंग को योनि में धकेला, तो एक कतरा इस रेवती की जांग पे फैल गई, उसके ट्रैकपंट के अंदर।

फिर धीरे धीरे चुदाई और गंभीर होता गया, इस बार रिमी और नमिता दो दो क्लिप के मज़े ले रहे थे। जहां एक तरफ क्लिप की चुदाई, वहा दूसरे तरफ उनके बीच बैठी रेवती, अपनी पैंट को नीचे किए हुए, अपनी योनि में उंगली किए जा रही थी लगातार। जैसे तैसे, उसे यह खुजली मिटानी थी, क्योंकि क्लिप में उस लड़की के मुंह से "आई फॅक मी!!!" उसे पागल कर रही थीं।

उस चुदाई के दौरान नमिता बार बार अपनी बहन को उकसाने लगी "उंगली से तगड़ी है ना?"। रेवती अपनी उंगली को मगन रखती हुई केवल प्यार से से हिलाई। दोनों, नमिता और रिमी खुश थे, के अब राहुल के चंगुल ने रवति को लाना कोई बड़ी बात नहीं होगी।

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10-05-2020, 01:31 PM,
#68
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
घर आते ही, राहुल हरबारी में अपने जूते उतारने लगा और कमरे कि और जा ही रहा था के उसके सीने से अचानक आशा तकड़ा जाती है, कुछ इस तरह के वोह गीर ही रही थी के, राहुल उसे अपने बाहों में थाम लेता है। समय मानो वहीं का वही रुक गया हो और बड़े अदा के साथ आशा वहीं के वहीं उसके बाहों में ऐसी थामे रही, मानो दो प्रेमी एक दूसरे के गिरफ्त में जैसे अगए हो।

आशा : (शर्माकर नज़रे चुराए) अब मुझे उठाएगा भी या ऐसा ही पोज लिए खड़ा रहेगा?

राहुल : (धीमे स्वर में) नज़रे चूराओ मत मा! देखो मेरी तरफ। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं, आपको इस दशा में रहने देने के लिए!

आशा : (थोड़ी नटखट होती हुई) देख! मेरी वजन तुझसे संभाली नहीं जाएगी बेटा!

राहुल : (और कस के थाम लेता है, पीठ की और हाथ थामे) किस ने कहा मा? तुम कहो तो, तुम्हे गोदी में उठाकर बताऊं?

आशा : हट! बदमाश कहीं का, इतना आसान थोड़ी ना है! पहले तो तेरे बाप मुझे उठा लेता था! (एक लम्बी सास लेती हुई) पर अब! मुझे मोटी को कैसे संभालेगा तू?

कमाल की बात यह थी के, आशा वैसे के वैसा राहुल के गिरफ्त में लेटी रही, ना राहुल उन्हें सीधा उठा रहा था, और ना ही वोह बाहों को छोड़ना चाहती थी। कुछ तो कशिश थी इस लम्हे में, के मा बेटे बस एक दूसरे को देखते ही रह गए। आंखो आंखों में, ना शब्द और ना ही आवाज़। बार बार आशा की आंखो में रमोला और उसके बेटे के रंगरेलिया समा रही थीं, इसलिए ऐसे पोज में वोह और ज़्यादा शर्मा जाती है। फिर धीरे से बोली "अब उठा भी दे बेटा! रात का खाना भी तो बनानी है!"। कुछ पल के बाद, राहुल खुद ही मा को सीधा खड़ा कर देता है और उपर अपने कमरे की और दौड़ परा।

अपने पल्लू को एडजस्ट करती हुई, आशा बार बार इस हसीन लम्हे को मन में समय, दबी दबी सी मुस्कान लिए रसोई की और कमर मटकते हुई जाने लगी। बर्तनों ध्यान कम थी, और बेटे के खयाल ज़्यादा! इतना के, उसके दिल के कोने से आवाज़ आई के काश राहुल उसे वैसे ही थामे रहता कुछ देर और। बस थोड़ी देर और! अनजाने में ही सही, उसके होंठ अपने आप बिरबिरा रहे थे "मुझे छोर मत बेटा, थामे रख मुझको! बहुत अकेली हू.... मुझे छो...." सारे के सारे अल्फाज़ बार बार कह रही थी वोह अपने आप से और तभी रसोई में रमोला की प्रवेश होती है "दीदी वोह.......", वोह गौर से देख रही थी के आशा मन ही मन बारबरा रही है और काम में मन कम लगी थी।

थोड़ी नज़दीक जाने के बाद, रमोला को यकीन हुई के आशा राहुल का नाम का माला जप रही थी, धीमे धीमे आवाज़ में। मन ही मन वोह मुस्कुराई और एक खांसी कि आवाज़ देती हुई बोली "दीदी! दाल!!!", और तभी हुआ यह के आशा वापस हकीकत में आजाती है और फौरन कड़ाई की और देखने लगी, और फिर पीछे रमोला की और "क्या हुआ? ज़ोर से क्यों आवाज़ दी??" अपने तेंद्र भंग किए, वोह एक क्रोध भरी नज़र से रमोला की और देखने लगी "कल्मुही कहीं की, इतनी शराफत की ढोग! और वहा बिस्तर पर मेरे बेटे के साथ!!" मन में सोचने लगी आशा और अपने काम से काम रखने लगीं।

वहा दूसरे और, राहुल बार बार अपने मा से टकराते हुए लम्हे को मन में समाने लगा, और ना चाहते हुए भी उसके हाथ अपने पैंट में उभर की और जाने लगा। सुडौल बदन और चौड़ी पीठ को पल पल याद करते हुए, उसके हाथ धीरे धीरे लिंग को कपड़े के ऊपर से ही मसलने लगा और आंखे भी मूंद कर लिया देखते ही देखते। ना जाने उस लम्हे में क्या बात थी, के राहुल को खुद लग रहा था जैसे उसकी मा खुद उस आलिंगन को तोड़ना नहीं चाहती थी। अब मामला यह हो गया के पैंट को उतारना ही पड़ा, और वोह भी कच्छा समेत!

लिंग इतना मोटा फूल गया था, के उसे नग्न करके राहुल को एक सुकून सा मिला। बार बार अब उस सुडौल महिला, जो उसकी मा थी, उसे याद करके, वोह अपने चरमसुख पे खो गया था। बार बार वोह यही सोच रहा था, के कुछ कशिश ज़रूर थी सुडौल गद्रय महिलाओं में, चाहे वोह उसकी दादी हो या चाची! लेकिन अब अपने मा को भी आजमाने का शौक होने लगा उसे। उन मोटे मोटे स्तन और चौड़ी पीठ के तले, ना जाने और क्या क्या खजाने थी, यह राहुल को देखना था। ऐसी ही, आशा की छवि मन में लिए, वोह अपने लिंग को हिलाता गया, के तभी उसकी चौखट पे एक शकस अपनी सास थामे, यह दृश्य देखने लगीं।

वोह और कोई नहीं, बल्कि रेवती थी, जिसकी आंखे इस वक्त बहुत बड़ी बड़ी चुकी थी, और धड़कने तेज़ होने लगीं। यह होना लाजमी थी, क्योंकि सामने उसके, उसके भाई राहुल का मोटा सवला लिंग पे हाथ उपर नीचे, उपर नीचे हो रहा था। जैसे, जैसे लिंग पे हाथ के पसीने लग रहे थे, वैसे वैसे रेवती की माथे पर पसीना आने लगीं, उसके होंठ कांप उठे, और उत्साह के मारे वोह उन होंठो को दांत से हल्की दबा भी देती है, कमबख्त उस सामने का दृश्य का करे भी तो क्या करे!

मन ही मन वोह के परी "ओह नो! राहुल भइया! छी! गंदे कहीं के...... ऐसे कैसे!" उसे समझ नहीं आ रही थी के उसकी भावनाए क्रोध के तरफ थे या कौतोहल के तरफ।

सामने उसके राहुल, बिस्तर पर लेटे, आंखे मूंदे अपने लौड़े को मसलता गया, इस बात की उसे ज़रा भी एहसास नहीं के, उसकी बहन वहीं खड़ी थी, जो अब पूरी व्याकुलता और उत्तेजना के मारे मजबुर हुई थोड़ी सी आगे आने के लिए, और उस नज़ारे को और करीब से देखने लग गई। नस नस से फूले हुए सावले लिंग पे हाथ जैसे पिस्टन को तरह चलने लगा, और रेवती की आंखो की गुठलियों भी उसी दिशा में उपर से नीचे हो रहे थे। सुबह जो क्लिप उसकी दिखाई गई थी सेक्स का, उससे तो वोह काफी उत्तेजित हो चुकी थी, और अब यह वास्तविक दृश्य को देखकर वोह और उत्तेजित हो रही थी।

बिना किसी संकोच के, उसके हाथ अपने आप ही अपनी स्तन की और चली जाती है, टीशर्ट के ऊपर से ही, और उसे धीरे धीरे मसलने लगी। एक प्यारी सी सिसकी निकल आई उसकी मुंह से, लेकिन फिर दूसरे हाथ को वोह अपने मुंह पर थामे रखी, ताकि राहुल को ज़रा भी उसके मौजूदगी का भनक ना परे। लेकिन जनाब तो दुनिया से दूर, अपने मा की यादों में खोया था, उसे क्या पता उसके यह हरकत से कोई और भी सुख की दिशा में जा रही थी!

रेवती इतनी बेचैन हो रही थीं के, अब एक हाथ से वोह अपनी स्तन को मसलने में लग गई, तो दूसरे हाथ से वोह अपनी ट्रैक पेंट्स में फेस मुनिया को भी साथ साथ सहलाने लगी। बड़ी प्यार से वोह यह सब कर रही थीं, और नज़रे थे जो लोग और उसपर चल रहे मुट्ठी पर टिके हुए थे।
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10-05-2020, 01:31 PM,
#69
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
अब धीरे धीरे वोह घरी आने लगा, जब राहुल झडने के कगार पर पहुंचें लगा, और दूसरे और रेवती भी खुद को मसलती हुई, और थोड़ी सी हिम्मत जुटाकर आगे जाने लगी। राहुल के उंगलियां तक सुपाड़े के नरम चमड़े को मसलने में मगन था। बेचारी रेवती को इस बात का एहसास भी नहीं के अब सुपाड़े का मुंह उसके पेट के बहुत नज़दीक होने लगा, क्योंकि वोह तो आगे आगे आने लगी थी।

अब राहुल के हाथ ने सीधे नीचे जाकर अपने गुठलियों को मसलने में लग गया, जिसे रेवती और ज़्यादा गौर से देखने लगी। दिनों गेंदे मलाई से भरे आलू की तरह फूल चुके थे, और हल्के हल्के बलो में भरे दोनों बॉल को देखकर रेवती और उत्तेजित होने लगी। वैसे भी लिंग के प्रति उसका एक प्राकृतिक आकर्षण हो चुकी थी, और अब आंखो देखी वास्तविक लिंग देखकर, वोह खुद को रोक नहीं पाई और हिम्मत जुटाकर, एक हाथ को आगे बढ़ाकर बस उस राहुल के मुट्ठी के उपर से ही लिंग को ज़रा सा क्या छू ली बस!

फटक!!

राहुल का जिस्म एक झाटका मारने लगा और गरमागरम वीर्य सुपाड़े के मुंह से लपकर सीधा उपर की तरफ छलांग मारी और कुछ उसके खुद के पेट पर गिरा, तो कुछ रेवती की पेट की और!

गहबरकर रेवती नीचे टीशर्ट की हुलिया देखकर, वहा से भाग गई और यहां राहुल एक सुकून से अपने आंखे खोल दिए। मन में उसके बस एक ही खयाल आने लगा के, उसके लिंग पर डबल प्रेशर आया तो कैसे आया! वोह पास में परे हुए रुमाल से अपना मलाई साफ ही रहा था के नीचे नज़रे एक और रुमाल पे टिक जाता है, जो कुछ ही दूरी पे परा हुआ था। बिस्तर से उठकर जैसे वोह उस रुमाल को उठकर परखने लगा, तो एक मुस्कान आने लगा उसके चेहरे पर।

रुमाल पे कर्सिव लेखनी में R नामक एक हस्ताक्षर थी, जिसे राहुल बरखुबी पहचान गया था के, रेवती की थी।

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10-05-2020, 01:31 PM,
#70
RE: kamukta Kaamdev ki Leela
रेवती झट से अपनी कमरे में आके, तुरंत अपने बिस्तर पर लेटकर, मन में राहुल को बसाने लगा। वोह इतनी बेचैनी किए सास ले रही थी के बाजू में बेटी रिमी और बिस्तर के बाजू स्टडी टेबल पे पड़ती हुई नमिता भी उसकी और ध्यान देने लगी। रेवती इतनी उत्तेजित हो गई के, आस पास अपने बहनों के मौजूदगी से, उसे शर्म आने लगी और पास में परी एक टेडी बियार को अपने गोद में कसने लगी। अपनी दीदी को ऐसे देखकर, रिमी को कुछ कुछ ऐसी लगी के मानो उसने कुछ उत्साहित देख ली हो।
चुपके से वोह रेवती की कान के पास जाके, उसकी lat को झटकली "रेवती दी! कुछ हुआ क्या?" शहद की तरह रिमी की मीठी वाणी जैसे रेवती की कानो को पिघला रही थी।

रिमी, को रेवती फटक से धकेल देती है "रिमी! स्टॉप इट, कुछ भी नहीं हुई है!!" टेडी को जकड़ती हुई वोह बोल परी। उस दौरान नमिता भी वही बिस्तर की दूसरी और लेट गईं, और सताने में रिमी की साथ देने लगी "सच सच कहना रेव! कहीं तू राहुल के कमरे से तो होके नहीं आ रही है ना??", इतना कहना था के वोह उसकी स्तन प्यार से मसलती है, तो हुए यू के पहले से ही गरम रेवती और भी बहकने लागी इस एहसास से। उसकी यह रिएक्शन देखकर रिमी भी नटखट होने लगी थीं, के तभी उसकी नज़रे नीचे उसकी टीशर्ट की और जाती है, जहा कुछ गीले सूखे सफेद तिनके चिपके हुए थे।

एक गीले पैच पर उंगली फिरती हुई रेवती समझ जाती है के आखिर बात क्या हुई थी! हौले से मुस्कुराकर, वोह अपने दीदी को अपनी गीली उंगली दिखाने लगीं, और उसे देख नमिता घुस्से का नाटक करती हुई, सीधे रेवती की कान को मदोद देती है "बदमाश कहीं की! यह सब क्या है???"। रेवती अब बुरी तरह शरमा जाती है और अब वोह खुद नखरे दिखाने लगी "डोंट नो!"। नमिता फिर कान को मदोड़ती है "डोंट नो की बच्ची! सीधे सीधे बता, वरना!"। रेवती देख रही थी के उसके दीदी के हाथ द्रवायर को खोले, वहीं नकली लिंग के बक्से को छू रही थी, जिससे अब एक डर सा आने लगी उसमे "दीदी!!!! रुको बताती हूं!"।

रिमी यह देखकर, नमिता की तारीफ में फूल ही फूल बरसाने लगी "यह हुई ना बात दीदी! आखिर रेवती दी मान ही गई!!!" प्यार से उसने रेवती की गाल को चूम ली, वैसे भी बेचारी अपने दो दो बहनों के बीच बैठे, सैंडविच बन चुकी थीं। दोनों ने अपने अपने मुंह उसके करीब लाए, और नर्वस महसूस करती रेवती के होंठ हिल गए "भइया के वहा....ग ए ई थी...."। अब और क्या! पूरा छवि साफ हो चुकी थी, वोह दोनों कुछ कहने ही वाले थे, के कमरे में एक आहट महसूस होती है तीनों को। दरवाज़े पे एक श्क्स का प्रवेश होता है, और वोह और कोई नहीं बल्कि राहुल था! चेहरे पर मुस्कान, और हाथ में रेवती की रुमाल, जो वोह भूल अाई थी।

राहुल : रेवती!

मानो! एक खामोशी सी छा गई पूरी कमरे में! तीनों के तीनों, राहुल की और देखने लगे, और रेवती तो मानो पूरी पसीना पसीना हो रही थीं, वोह कुछ बोली नहीं, लेकिन चेहरे का भाव बता रही थी, के वोह कुछ सुनना चाहती थी।

राहुल : (थोड़ा और करीब जाता हुआ) यह रुमाल तेरी है ना?

रेवती बस हा में सर को हिलाई, वोह भी पूरी नर्वस होकर। रेवती और नमिता अब कभी उसकी तरफ देख रहे थे, तो कभी राहुल की और, फिर नमिता आंखो आंखों में उसे और करीब आने का इशारा करती है। राहुल बेझिझक और नज़दीक जाने लगा, और वैसे वैसे रेवती की सांसे और तेज़ होती गई। अपनी नज़रे नमिता की और फिराई और बहुत हल्के से "प्लीज" बोलती हुई अपनी होंठ हिलाई, लेकिन वोह ठहरी बड़ी बहन! डोमिनेट करना उसकी हक थी। इस लम्हे को और गरम करने के लिए, नमिता ज़ोर से ही बोल दी "क्या रेवती! मुझसे क्यों करह रही है, राहुल से केहदे!"।

इस वाक्य के अंत में नमिता मुकुसराई और साथ में रिमी भी, लेकिन बेचारी रेवती बीच में फस गई। राहुल अब रुमाल को अपने नाक तक लेजाकर सुंगनें लगा, और अब बिस्तर के बहुत करीब आ चुका था।

राहुल : सच बता रेवती! क्या तूने सब कुछ देख ली थी?

रेवती जो बहुत कामुक हो उठी थी, अचानक ही टेडी को जकड़े, प्यार से सर हिकाके, हा में इशारा की। रिमी और नमिता कुछ खास समझ नहीं रहे थे, लेकिन यकीन दोनों को थी, के कुछ तो हुआ था राहुल और रेवती के बीच में। इस शुभ घरी में, राहुल और आग लगाता गया, जब तक पूरी छवि क्लियर नहीं होती गई बाकी दो बहनों को। राहुल उनको कमरे से जाने का इशारा किया, तो दोनों के दोनों उसे आंख मारे, कमरे में से निकल गए, और जाते जाते रिमी दरवाजा को लेच कर गई।

राहुल : (अब हाथ लिंग की उभर को तरफ लेजाकर) क्या तुझे अच्छी लगी?

रेवती : (चुपके से) क्या?

राहुल : जो तूने देखी!

रेवती : पता नहीं!

राहुल : सच सच बोल!

रेवती : जाओ आप यहां से!!! प्लीज भइया! (बहुत नर्वस होती गई)

राहुल : में कहीं नहीं जाऊंगा! आज इस पल को जप्त कर लूंगा में पूरी तरह से! (अब अपने ट्राउजर को नीचे की और ले आने लगा)

अब मामला यह हुआ के राहुल के ट्राउजर घुटनों तक आ चुके थे, और कच्चे में उसका उभर रेवती को साफ साफ दिखने लगी। उस नग्न लिंग का दृश्य उसकी मन में बार बार आने लगी, और अब वही घटना दोबारा घटने वाली थी मानो। राहुल अब और विलंब ना किए हुए, वोह टेडी को उसके बाहों से छीन लेता है, और उसके हाथ को अपने हाथ में प्यार से थाम लेता है। रेवती की कोमल हाथ, और उसकी माथे और होंठ के पसीने को देखकर राहुल का लिंग और उभरने लगा कच्चे में।

अब वोह अपने उभर को मसलता हुआ, रेवती की हाथ को आगे की और ले आने लगा, रेवती मानो किसी काल की तरह राहुल की और चली जा रही थी। वोह तब तक नहीं रुकी, जब तक वोह अपनी चेहरे को पूरी तरह से राहुल के नज़दीक नहीं ले आई। और फिर बही हसीन पल आई जब राहुल ने प्यार से अपने होंठ को उससे जोड़ डिएं। रेवती की आंखे चौड़ी हो गई, लेकिन मज़े से वोह भी चूम रही थी।

राहुल और उसके होंठ मानो आपस में ऐसे जुड़ गए, के अलग होना शायद आसान नहीं था। नरम गुलाबी होठ के रस का आनंद लेता हुए राहुल अब प्यार से अपने हाथो से अपने बहन के बालों के क्लिप की के जाने लगा, और क्लिप को खुलते ही, लंबे गेसू खुल उठे, नीचे की और गीर गए। उनपे हाथ फेरता हुआ राहुल अब पूरी शिद्दत के साथ रेवती को चूमता गया, और वोह भी अपने भइया का पूरा साथ देने लगी।

रेवती जो पहले से ही गरम थी, अब अपने हाथ को धीरे धीरे राहुल के ट्राउजर तक लाने लगी और उस उभर को खुद ही मसलने लगी। इस एहसास से राहुल बहुत उत्तेजित हो जाता है, फिर अपने होंठ को अलग करता हुआ, वोह अब प्यार से रेवती को उपर अपने बाहों में कस लेता है, और उसके गाल, कंधे और गर्दन को चूमने लग जाता है। मदहोशी में रेवती भी अपनी आंखे मूंद लेती है और एक अजब दुनिया में खोने लगी।

इससे पहले अब राहुल कुछ करता, रेवती उसे चुप रहने के लिए कहीं, और फिर नीचे की और जाने लगी, अपनी घुटनों के बल पर। पहले तो प्यार से उस उभर को ट्राउजर के उपर से ही सहलाने लगी, फिर उसे वैसे ही अवस्था मै मसलने लगीं। अपनी बहन के ऐसे हरकते देखकर राहुल बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो उठा, और इसके गेसुओं पे हाथ फेरने लगा, मानो बरवा दे रहा हो उसे। रेवती एक मासूम बिल्ली की तेरह उपर अपने भइया से नज़रे मिलाई और मानो जैसे पूछ रही हो के कहीं वोह अंदर का सांप उसे दस तो नहीं देगी!

जवाब में राहुल भी उसकी और देखकर इशारों में कह डाला के नहीं। "सच्ची?" शैतानी सी मासूमियत लिए रेवती राहुल से आंखे मिलाई रही। "मुच्ची!" प्यार से राहुल अब उसके गेसुओं को सहलाए अब अपने कच्चे को भी नीचे नीचे ले आने लगा, और वैसे वैसे रेवती की सांस उपर नीचे होने लेगी।

वोह दोनों इस बात से बेखबर थे, के बाहर की होल से कभी रिमी झांक रही थी, तो कभी नमिता, दोनों के हाथ हाथ अपने अपने मुनिया पर बरकरार।।
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