Kamukta kahani अनौखा जाल
09-12-2020, 01:07 PM,
#49
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
इधर,

पुलिस हेडक्वार्टर में,

इंस्पेक्टर दत्ता पुलिस कमिश्नर निरंजन बोस के कमरे में उनके ठीक सामने बैठा हुआ था..

“बोलो दत्ता, क्या कह रहे थे?”

“सर, हमें ख़बर मिली है शहर के दो ऐसी जगहों पर अवैध हथियारों का जखीरा है जहाँ अमूमन आम या ख़ास, किसी का भी जल्द नज़र जाना संभव नहीं है. सही से बता पाना भी अभी संभव नहीं है कि उन हथियारों में क्या क्या और किस किस्म के गोला बारूद और गन हैं.. पर इतना ज़रूर है कि इनसे इस शहर में तबाही आसानी से लाई जा सकती है.....स”

दत्ता की बात को बीच में ही काटते हुए कमिश्नर बोला,

“वन मिनट दत्ता... हमारा शहर बहुत बड़ा नहीं है.. मतलब ये कोई महानगर नहीं है.. पर इतना भी छोटा नहीं है की एक या दो दिन में ही छापा मार कर उन हथियारों को कहीं से भी बरामद कर लिया जाए. जो कुछ भी करना है; जल्द से जल्द और बहुत होशियारी से करना है. कहीं ऐसा न हो की हमने रेड डालने शुरू किए और उन लोगों ने या तो हथियारों को ठिकाने लगा दिया या फ़िर समय से पहले ही इस शहर में कोई बहुत बड़े दुर्घटना को अंजाम दे दिया. समझे?”

“जी सर, मैं समझ गया.. उन हथियारों का और उनसे संबंधित लोगों का पकड़ा जाना वाकई बहुत ज़रूरी है क्योंकि शायद तभी हमें डिकोस्टा के बारे में भी कोई महत्वपूर्ण सूचना मिले..”

डिकोस्टा नाम सुनते ही जैसे कमिश्नर को सांप सूँघ गया.

तुरंत ही अपनी कुर्सी पर सीधा होता हुआ बोला,

“व्हाट?! क्या नाम लिया तुमने अभी.. डिकोस्टा??!!”

“यस सर, दैट इनफेमस मोस्ट वांटेड टेररिस्ट... अंडरवर्ल्ड माफ़िया.. ‘डिकोस्टा’ ... देश के कई बड़े शहरों व नगरों में अपना नेटवर्क फ़ैलाने के बाद उसकी बुरी नज़र अब हमारे इस शांत शहर की ओर है. वो यहाँ क्या करने वाला है ये तो सही सही नहीं कहा जा सकता फ़िलहाल ... पर इतना तो तय है कि उसके इरादे ठीक तो बिल्कुल नहीं है.”

“दत्ता... अगर वह हमारे शहर की ओर नज़र लगाने की कोशिश कर रहा है तो हम भी पूरी मुस्तैदी से उसकी यह नज़र उतारने की कोशिश करेंगे. इन फैक्ट, कोशिश नहीं .. करना ही होगा. हंड्रेड परसेंट रिजल्ट के साथ. क्लियर?”

“यस सर.”

“नाउ यू मे लीव.. नेक्स्ट टाइम आई एक्स्पेक्ट यू टू रिपोर्ट मी विथ सम पॉजिटिव न्यूज़.”

दत्ता कुर्सी से उठ कर सैल्यूट मारता हुआ बोला,

“यस सर. ऐसा ही होगा.”

“हम्म. जय हिन्द.”

“जय हिन्द सर.”

हेडक्वार्टर से निकल कर दत्ता जीप चलाते हुए सीधे अपने थाने पहुँचा.

अपनी कुर्सी पर बैठते हुए टेबल पर रखे घंटी को बजाया.

संतरी गिरधर तुरंत उपस्थित हुआ.

“गिरधर... एक ग्लास पानी लाना.. प्यास से मरा जा रहा हूँ.”

“यस सर.”

मुड़ कर तेज़ी से बाहर गया और फ़ौरन ही एक ग्लास पानी के साथ अंदर आया गिरधर.

ग्लास थमाने के बाद वहीँ खड़ा रहा वो.

दो घूँट पानी पी कर दत्ता उसकी ओर देखते हुए पूछा,

“क्या बात है गिरधर... कुछ कहना है?”

“जी सर.. एक लड़के का बार बार फ़ोन आ रहा था.. आपको ढूँढ रहा था.. मैंने कहा भी की अगर कोई बहुत ज़रूरी बात है तो मुझे बता सकता है पर वो माना नहीं. अभी कुछ देर पहले भी उसका फ़ोन आया था. तब मैंने कह दिया की एक घंटे बाद करे .. तो उसने आधे घंटे बाद फ़िर फ़ोन करने की बात कह कर फ़ोन काट दिया.”

“ओह.. कोई नाम वाम बताया उसने अपना?” पानी पीते हुए दत्ता ने पूछा.

“जी सर... गोविंद... गोविंद नाम बताया था उसने अपना.”

गोविंद नाम सुनते ही दत्ता एकदम से चौंक उठा.

कुछ बोलता या सोचता.. की तभी उसके टेबल पर रखा फ़ोन घनघना उठा.

लपक कर फ़ोन उठाया दत्ता ने..

“हैलो..” कहते हुए दत्ता ने हाथ के इशारे से गिरधर को जाने को कहा.

“हैलो ... दत्ता सर?”

“हाँ बोल रहा हूँ.. आप कौन?”

“सर... मैं ... मैं ... गोविंद..”

“हाँ गोविंद .. बोलो.. क्या बात है?”

“सर........”

उधर से गोविंद ज्यों ज्यों कुछ बोलता गया .. त्यों त्यों कभी दत्ता की पेशानियों में बल पड़े तो कभी बड़ी सी मुस्कान उनके चेहरे पर छा गई.

अंत में,

‘गुड.. वैरी गुड’ बोल कर दत्ता ने रिसीवर क्रेडल पर रखा और चेयर से पीठ टिका कर आराम से बैठते – मुस्कुराते हुए कुछ सोचने लगा.

दूसरी ओर,

रात के दस बजे,

अपने घर की छत पर खड़ा मैं दूर क्षितिज की ओर देखता हुआ सिगरेट सुलगा रहा था... एक साथ दिमाग में कई नाम और चेहरे आ और जा रहे थे. साथ ही अपने बनाए प्लान पर कुछ से कुछ सोच रहा था....

वहीँ,

शहर में ही एक बड़े से बिल्डिंग में... अपने आलिशान कमरे में .... सिल्क गाउन में.. अपने बिस्तर पर पसर कर टाँगें फैलाए, हाथों में ब्रैंडी की ग्लास लिए ... उससे थोड़ा थोड़ा सिप लेती मोना के दिमाग में भी कुछ चल रहा था...

पूरा परिदृश्य ही मानो..

एक फ्रेम में आ गया हो... और उस फ्रेम के तीन भाग हो गए हों... बाएँ वाले भाग में .. थाने में अपने कमरे में .. चेयर में बैठा दत्ता.. दाएँ वाले में भाग में थोड़ा थोड़ा कर के ब्रैंडी पीती मोना ... और बीच वाले भाग में .. मैं.... छत पर खड़ा.. धुआँ उड़ाता हुआ...

तीनों के ही दिमाग में कुछ बन पक रहा था.. तीनों ही जैसे अपने अपने दिमाग में कोई प्लान.. कोई जाल बुन रहे थे..

या तो तीनों के बनाए प्लान ... जाल ... में से कोई एक सफ़ल होगा...

या फ़िर तीनों ही सफ़ल होंगे...

या फ़िर,

शायद बने कोई.... अद्भुत जाल....!

क्रमशः

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RE: Kamukta kahani अनौखा जाल - by desiaks - 09-12-2020, 01:07 PM

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