Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 12:53 PM,
#1
Star  Kamukta Kahani अहसान
अहसान


दोस्तो काफ़ी दिनों से मैं यहाँ कहानिया पढ़ता आ रहा हूँ . मैने राजशर्मास्टॉरीज पर एक से बढ़ कर एक कहानियाँ पढ़ी है
तो मैने सोचा मैं भी एक कहानी पोस्ट कर ही दूं क्या पता मेरी ये कोशिस आप सब को पसंद आए

दोस्तो सबसे पहले मैं इस कहानी के मेन कॅरक्टर्स का थोड़ा सा इंट्रोडक्षन देना चाहूँगा ताकि सब लोगो को कहानी ऑर उनके कॅरक्टर्स अच्छे से समझ मे आ जाए....

नीर (शेरा) :- एज- 26 साल, हाइट - 6.1" (मेन हीरो)
हैदर अली (बाबा) :- एज 65 साल, दुबला ओर पतला (बूढ़ा साइड रोल मे ही रहेगा)
नाज़ (नाज़ी) :- एज- 22 साल, हाइट- 5.6" फिगर- 34-28-36 (बाबा की बेटी)
क़ासिम :- एज- 31 साल, हाइट- 5.8" (बाबा का बेटा एक शराबी ऑर लोंड़िया बाज़ जो अब उनके साथ नही रहता )
फ़िज़ा :- एज-29 साल, हाइट- 5.2" फिगर- 36-30-38 (बाबा की बहू)


(बाकी ऑर भी कॅरक्टर्स इस कहानी मे आएँगे उनका इंट्रो मैं उनके रोल के साथ-साथ देता रहूँगा. मेरी पहली कोशिश आपकी खिदमत मे हाजिर है.)

बात आज से कुछ साल पुरानी है. रात का वक़्त था ओर पहाड़ी रास्ता था वारिस बोहोत तेज़ हो रही थी. सुनसान सड़क पर मैं तेज़ रफ़्तार से अपनी कार भगा रहा था. पोलीस मेरा पीछा कर रही थी ऑर मेरी गाड़ी पर गोलियो की बोछार हो रही थी मेरी पीठ पर ऑर कंधे पर भी 2 गोली लगी हुई थी लेकिन मैं फिर भी बोहोत तेज़ रफ़्तार से कार चला रहा था कि अचानक किसी पोलीस वाले की गोली मेरी कार के टाइयर पर लगी ऑर मेरी गाड़ी जो कि तेज़ रफ़्तार मे थी जाके एक पहाड़ी से ढलान की तरफ नीचे बढ़ने लगी ऑर एक पेड़ के सहारे मेरी कार हवा मे लटक गई अब मैं ऑर मेरी कार एक गहरी खाई की ओर एक कमज़ोर से पेड़ पर लटक रहे थे मैने बोहोत कोशिश करके कार को पिछे की तरफ रिवर्स किया ऑर गाड़ी को खाई मे जाने से बचा लिया लेकिन इससे पहले कि मैं कार से बाहर निकलता पोलीस की जीप खाई के पास आके रुक गई ऑर तभी मेरी आँखो के सामने भी अंधेरा छाने लगा उसके कुछ पल बाद जब मुझे होश आया तो मुझे अपने सीने मे तेज़ दर्द हो रहा था ऑर मेरी पूरी कमीज़ खून से भीग गई थी शायद उन पोलीस वालों ने मुझे कार से उतारकर गोली मार दी थी ऑर फिर मुझे वापिस कार मे बिठा कर ढलान की तरफ कार को धक्का दे रहे थे.

मैं उस वक़्त आधा बेहोश था और आधा होश मे था फिर भी खुद को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा था. मैने कार को संभालने की बोहोत कोशिश की लेकिन संभाल नही पा रहा था ब्रेक पर अपने पाओ का पूरा दबाव देने के बावजूद भी गाड़ी घिसट कर पहाड़ी से नीचे जा गिरी ऑर धदाम की आवाज़ के साथ पानी मे गिर गई ऑर कार का स्टारिंग मेरे सिर मे लगा ऑर बेहोशी ने मुझे अपनी आगोश मे पूरी तरह ले लिया उसके बाद क्या हुआ क्या नही मुझे कुछ नही याद. मैं नही जानता मैं कब तक उस पानी मे रहा ऑर पानी का तेज़ बहाव मुझे ऑर मेरी गाड़ी को कहाँ तक बहा कर ले गया. जब आँख खुली तो खुद को एक छोटे से कमरे मे पाया लेकिन जब मैने चारपाई से उठने की कोशिश की तो मेरे हाथ-पैर मेरा साथ नही दे रहे थे ऑर ज़ोर लगाने पर पूरे शरीर मे दर्द की एक लहर दौड़ गई. इतने मे अचानक एक बूढ़ा आदमी मेरे पास जल्दी से आया ऑर मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे लेटने का इशारा किया.

बाबा: बेटा तुम कौन हो क्या नाम है तुम्हारा?
मैं: (मुझे कुछ भी याद नही था कि मैं कौन हूँ बोहोत याद करने पर भी कुछ याद नही आ रहा था कि मेरी पिच्छली जिंदगी क्या थी ऑर मैं कौन हूँ.इसलिए बस उस बूढ़े आदमी को ऑर इस जगह को देख रहा था कि अचानक एक आवाज़ मेरे कानो से टकराई)
बाबा: क्या हुआ बेटा बताओ ना कौन हो तुम कहाँ से आए हो?
मैं: मुझे कुछ याद नही है कि मैं कौन हूँ.....(अपने सिर पर हाथ रखकर) यह जगह कोन्सि है
बाबा: बेटा हम ने तुम्हे पानी से निकाला है मेरी बेटी अक्सर नदी किनारे जाती है वहाँ उसको किनारे पर पड़े तुम मिले. जब तुम उनको मिले तो बोहोत बुरी तरह ज़ख़्मी ओर बेहोश थे वो ऑर मेरी बहू तुम्हे यहाँ ले आई.
मैं: अच्छा!!!!!! बाबा मैं यहाँ कितने दिन से हूँ?
बाबा: बेटा तुमको यहाँ 3 महीने से ज़्यादा होने वाले हैं तुम इतने दिन यहाँ बेहोश पड़े थे. जितना हो सका मेरी बेटी ऑर बहू ने तुम्हारा इलाज किया हम ग़रीबो से जितना हो सका हम ने तुम्हारी खिदमत की.
मैं: ऐसा मत कहिए बाबा आपने जो मेरे लिए किया आप सबका बोहोत-बोहोत शुक्रिया. लेकिन मुझे कुछ भी याद क्यो नही है.
बाबा: बेटा तुम्हारे सिर मे बोहोत गहरी चोट थी जिसको भरने मे बोहोत वक़्त लग गया मुमकिन है उस घाव की वजह से तुम्हारी याददाश्त चली गई हो.


इतने मे एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी....बाबा अकेले-अकेले किससे बात कर रहे हो....सठिया गये हो क्या ऑर कमरे मे आ गई. (मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मैने सिर से पैर तक उसको देखा ऑर उसका पूरा जायेज़ा लिया) दिखने मे पतली सी लेकिन लंबी, काले बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, गोरा रंग, काले रंग का सलवार कमीज़ जिसपर छोटे-छोटे फूल बने थे ऑर कंधे से कमर पर बँधा हुआ दुपट्टा चाल मे अज़ीब सा बे-ढांगापन.

बाबा :- देख बेटी इनको होश आ गया (खुश होते हुए)
नाज़ी :- अर्रे!!! आपको होश आ गया अब कैसे हो...क्या नाम है आपका....कहाँ से आए हो आप (एक साथ कई सवाल)
बाबा : बेटी ज़रा साँस तो ले इतने सारे सवाल एक साथ पुछ लिए पहले पूरी बात तो सुना कर.
नाज़ी :- (मूह बनाकर) अच्छा बोलो क्या है?
बाबा :- बेटी इनको होश तो आ गया है लेकिन इनको याद कुछ भी नही है यह सब अपना पिच्छला भूल चुके हैं.
नाज़ी :- (अपने मूह पर हाथ रखते हुए) हाए! अब इनके घरवालो को कैसे ढूंढ़ेंगे?

इतने मे बाबा मेरी तरफ देखते हुए.

बाबा:- बेटा तुम अभी ठीक नही हो ऑर बोहोत कमजोर हो इसलिए आराम करो यह मेरी बेटी है नाज़ी यह तुम्हारी अच्छे से देख-भाल करेगी ऑर तुम फिकर ना करो सब ठीक हो जाएगा. हम सब तुम्हारे लिए दुआ करेंगे.(ऑर दोनो बाप बेटी कमरे से बाहर चले गये)

यह बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी कि ना तो मुझे यह पता था कि मैं कौन हूँ ऑर नही कुछ मुझे मेरा पिच्छला कुछ याद था उपर से मैं 3 महीने से यहाँ पड़ा हुआ था. एक ही सवाल मेरे दिमाग़ मे बार-बार आ रहा था कि मैं कौन हूँ....आख़िर कौन हूँ मैं अचानक मेरे सिर मे दर्द होने लगा इसलिए मैने अपनी पुरानी ज़िंदगी के बारे मे ज़्यादा नही सोचा ऑर अपने ज़ख़्मो को देखने लगा मेरी बॉडी की काफ़ी जगह पर पट्टी बँधी हुई थी. मैं इस परिवार के बारे मे सोच रहा था कि कितने नेक़ लोग है जिन्होने यह जानते हुए कि मैं एक अजनबी हूँ ना सिर्फ़ मुझे बचाया बल्कि इतने महीने तक मुझे संभाला भी ऑर मेरी देख-भाल भी की.मैं अपनी सोचो मे ही गुम्म था कि अचानक मुझे किसी के क़दमो की आवाज़ सुनाई दी. मैने सिर उठाके देखा तो एक लड़की कमरे मे आती हुई नज़र आई यह कोई दूसरी लड़की थी बाबा के साथ जो आई थी वो नही थी वो शायद भागकर आई थी इसलिए उसका साँस चढ़ा हुआ था...यह फ़िज़ा थी जो यह सुनकर भागती हुई आई थी कि मुझे होश आ गया है.

मैने नज़र भरके उसे देखा....दिखने मे ना ज़्यादा लंबी ना ज़्यादा छोटी, रंग गोरा, नशीली सी आँखें, पीले रंग का सलवार कमीज़ ऑर सिर पर सलीके से दुपट्टा ओढ़े हुए लेकिन वो दुपट्टा भी उसकी छातियों की बनावट को छुपाने मे नाकाम था) मैं अभी उसके रूप रंग ही गोर से देख रहा था की अचानक एक आवाज़ ने मुझे चोंका दिया.
Reply
07-30-2019, 12:53 PM,
#2
RE: Kamukta Kahani अहसान
फ़िज़ा: अब कैसे हो?
मैं: ठीक हूँ....आपने जो मेरे लिए किया उसका बोहोत-बोहोत शुक्रिया.
फ़िज़ा: कैसी बात कर रहे हो...यह तो मेरा फ़र्ज़ था...लेकिन मुझे बाबा ने बताया कि आपको कुछ भी याद नही?
मैं: (नही मे गर्दन हिलाते हुए)जी नही.
फ़िज़ा: कोई बात नही आप फिकर ना करो आप जल्द ही अच्छे हो जाओगे
मैं: आपका नाम क्या है?
फ़िज़ा: (अपना दुपट्टा सर पर ठीक करते हुए)मेरा नाम फ़िज़ा है मैं बाबा की बहू हूँ
मैं: अच्छा.....आपके पति कहाँ है?
फ़िज़ा : वो तो शहर मे एक मिल मे काम करते हैं इसलिए साल मे 1-2 बार ही आ पाते हैं.(फ़िज़ा ने मुझसे झूठ बोला)
मैं: क्या मैं बाहर जा सकता हूँ?
फ़िज़ा: हिला तो जा नही रहा बाहर जाओगे कोई ज़रूरत नही चुप करके यही पड़े रहो ओर फिर जाओगे भी कहाँ अभी तो आपने कहा कि कुछ भी याद नही है कुछ दिन आराम करो इस बीच क्या पता आपको कुछ याद ही आ जाए तो हम आपके घरवालो को आपकी खबर पहुँचा सके.
मैं : ठीक है.
फ़िज़ा: भूख लगी हो तो कुछ खाने को लाउ?
मैं : नही मैं ठीक हूँ.
फ़िज़ा: ठीक है फिर आप आराम करो कुछ चाहिए हो तो मुझे आवाज़ लगा लेना.

इस तरह वो कमरे से बाहर चली गई ऑर मैं पीछे से उसको देखता रहा. मैं हालाकी चल नही सकता था लेकिन फिर भी मैने हिम्मत करके उठने की कोशिश की ऑर बेड पर बैठ गया ऑर खिड़की से बाहर देखने लगा ऑर ठंडी हवा का मज़ा लेने लगा. बाहर की हसीन वादियाँ उँचे पहाड़ ऑर उन पर सफेद चादर की तरह फैली हुई बर्फ ऑर उन पहाड़ो के बीच डूबता हुआ सूरज किसी का भी दिल मोह लेने के लिए काफ़ी थे मेरी आँखें बस इसी हसीन मंज़र को मन ही मन निहार रही थी. मैं काफ़ी देर बाहर क़ुदरत की सुंदरता को देखता रहा ऑर फिर धीरे-धीरे सूरज को पहाड़ो ने अपनी आगोश मे ले लिया ऑर नीले सॉफ आसमान मे छोटे-छोटे मोतियो जैसे तारे टिम-तिमाने लगे. मैं यह तो नही जानता कि मैं कौन हूँ ऑर कहाँ से आया हूँ लेकिन दिल मे अभी भी यही आस थी कि कैसे भी मुझे मेरी जिंदगी का कुछ तो याद आए ताकि मैं भी मेरे परिवार मेरे अपनो के पास जा सकूँ. जाने उनका मेरा बिना क्या हाल हो रहा होगा. मैं अपनी इन्ही सोचो मे गुम था कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे चोंका दिया.

फ़िज़ा: खाना तैयार है अगर भूख लगी हो तो खाना लेकर आउ

मैं: नही मुझे भूख नही है

फ़िज़ा: हाए अल्लाह!!!! आपने इतने दिन से कुछ नही खाया है खुद को देखो ज़रा कितने ज़ख़्मी ऑर कमज़ोर हो अगर खाना नही खाओगे तो ठीक कैसे होगे बोलो...

मैं: लेकिन मुझे भूख नही है आप लोग खा लो...

फ़िज़ा: ऐसे कैसे नही खाएँगे अगर आप खाना नही खाओगे तो हम भी नही खाएँगे हमारे यहाँ मेहमान भूखा नही सो सकता

मैं: अच्छा ऐसा है क्या.... ठीक है फिर आप मेरा खाना डालकर रख दो मुझे जब भूख होगी मैं खा लूँगा

फ़िज़ा: (अपनी कमर पर हाथ रखकर) जी नही!!!! मैं अभी खाना डाल कर ला रही हूँ आप अभी मेरे सामने खाना खाएँगे उसके बाद आपको लेप भी लगाना है.

मैं: ठीक है जी जैसे आपकी मर्ज़ी.(कुछ सोचते हुए) सुनिए ज़रा!!!!

फ़िज़ा : हंजी(पलटकर मुझे देखते हुए) अब क्या हुआ?

मैं: कुछ नही यह लेप कॉन्सा लगाएँगी आप मेरे

फ़िज़ा : (मुस्कुराते हुए) आपके जो यह ज़ख़्म है इन पर दवा लगाने की बात कर रही थी मैं.
मैं: अच्छा (ऑर मेरी नज़रे फ़िज़ा को कमरे से बाहर जाते हुए देखती रही)

कुछ ही देर मे फ़िज़ा खाना ले आई ओर मैने आज जाने कितने दिन बाद पेट भर खाना खाया था. कुछ देर बाद नाज़ी खाने की थाली ले गई ऑर फ़िज़ा ऑर नाज़ी दोनो कमरे मे आ गई एक कटोरा हाथ मे लिए.

फ़िज़ा: अर्रे आप अभी तक लेटे नही...खाना खा लिया ना

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हंजी खाना खा लिया बोहोत अच्छा बनाया था खाना

फ़िज़ा :शुक्रिया!!! अब चलिए लेट जाइए ताकि हम दोनो आपके लेप लगा सकें (ऑर फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने मुझे मिलकर लिटा दिया)

मैं : जब मैं बेहोश था तब भी आप दोनो ही मुझे दवाई लगाती थी?

नाज़ी: जी हाँ ओर कौन है यहाँ

मैं : मेरा मतलब है कोई आदमी नही लगाता था मुझे

नाज़ी: जी नही बाबा तो अब खुद ही बड़ी मुश्किल से चल-फिर पाते हैं ऑर भाई जान बाहर ही रहते हैं घर कम ही आते हैं ज़्यादातर इसलिए हम दोनो ही आपको दवाई लगाती थी ऑर.....

मैं: ऑर क्या?

नाज़ी: कपड़े भी हम ही आपके बदलती थी(नज़रें झुकाते हुए)

मैं: अच्छा

फ़िज़ा : अच्छा छोड़ो यह सब वो वाली बात तो करो ना इनसे

मैं: कोन्सि बात?

फ़िज़ा: वो हमें आपका असल नाम तो पता नही है इसलिए हम दोनो ने आपका एक नाम सोचा है अगर आपको अच्छा लगे तो....

मैं: क्या नाम बताइए?

फ़िज़ा: "नीर" नाम कैसा लगा आपको?

मैं: जो आपको अच्छा लगे रख लीजिए मुझे तो कोई भी नाम याद नही वैसे यह नाम रखने कोई खास वजह?

फ़िज़ा : आप मौत को मात देकर फिर से इस दुनिया मे लौटे हो ओर हमें पानी मे बहते हुए मिले थे इसलिए हम ने सोचा कि आपका नाम भी हम "नीर" ही रख दे.

मैं: मौत को मात से क्या मतलब है आपका?

नाज़ी : अर्रे कुछ नही भाभी तो बस कही भी शुरू हो जाती है आप बताइए आपको नाम कैसा लगा?

मैं: अगर आप लोगो पसंद है तो मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है

फ़िज़ा: तो फिर ठीक है.... आज से जब तक आपको अपना असल नाम याद नही आ जाता हम सब के लिए आप "नीर" हो.

मैं: जैसी आपकी मर्ज़ी (हल्की सी मुस्कुराहट के साथ)

फ़िज़ा: नाज़ी कल याद करवाना मुझे इनकी दाढ़ी ऑर बाल भी काटेंगे इतने महीनो से यह बेहोश थे तो देखो इनकी दाढ़ी ऑर बाल कितने बड़े हो गये हैं बुरा मत मानना लेकिन अभी आप किसी जोगी-बाबा से कम नही लग रहे हो कोई अजनबी देखे तो डर ही जाए (दोनो आपस मे ही हँसने लगी)

नाज़ी: कोई बात नही भाभी यह काम मैं कर दूँगी बाबा की दाढ़ी बनाते ऑर बाल काट ते हुए मैं अब माहिर हो गई हूँ इस काम मे

मैं : ( मैने दोनो का चेहरा देख कर सिर्फ़ हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है

नाज़ी: चलो "नीर" जी कपड़े उतारो

मैं: (चोन्क्ते हुए) क्यो कपड़े क्यो उतारू?

नाज़ी: दवाई नही लगवानी आपने?

मैं: अर्रे हाँ मैं तो भूल ही गया (ऑर अपनी कमीज़ के बटन खोलने की कोशिश करने लगा)

फ़िज़ा: आप रहने दीजिए रोज़ हम खुद ही यह सब काम कर लेती थी आज भी कर लेंगी आप अपने हाथ-पैर ज़्यादा हिलाइए मत नही तो दर्द होगा.

मैं: (खामोशी से सिर्फ़ हाँ में सिर हिलाते हुए)

नाज़ी: फिकर मत कीजिए हम रोज़ आप चद्दर डाल देते थे दवाई लगाने से पहले (उसके चेहरे पर यह बात कहते हुए मुस्कुराहट ऑर शरम दोनो थी)

दोनो ने मेरी कमीज़ उतारी ऑर पाजामा भी उतार दिया जो मेरे पैर से थोड़ा उँचा था शायद फ़िज़ा के पति का होगा या फिर बाबा का होगा ओर मेरी टाँगो पर एक चद्दर डाल दी. मैं दवाई लगवाते हुए भी अपनी पिच्छली जिंदगी के बारे मे सोच रहा था लेकिन मुझे कोशिश करने पर भी कुछ याद नही आ रहा था......मैं बस अपनी ही सोचो मे गुम था कि अचानक मुझे एक कोमल हाथ अपने सिर पर ऑर आँखो पर घूमता महसूस हुआ साथ ही (एक आवाज़ आई कि अब आँखें मत खोलना) फिर दूसरा हाथ अपनी बाजू पर ऑर 2 हाथ एक साथ चद्दर के अंदर आते हुए मेरी टाँगो से रेंगते हुए जाँघो पर महसूस हुए मेरी आँखें बंद थी फिर भी मैं सॉफ महसूस कर रहा था कि जब 2 हाथ मेरी जाँघो पर चल रहे थे तो मेरे लंड मे कुछ हरकत हुई जो कि अकड़ रहा था ऑर इस हरकत के बाद जो हाथ मेरी जाँघो पर दवाई लगा रहे थे उनमे एक अजीब सी कंपन मैने महसूस की.....मुझे उस वक़्त नही पता था कि यह अहसास क्या है लेकिन मुझे उससे सुकून भी मिल रहा था ऑर एक अजीब सी बेचैनी भी हो रही थी...इस मिले-जुले अहसास को शायद मैं समझ नही पा रहा था कि यह मेरे साथ क्या अजीब सी बात हुई ऑर चन्द सेकेंड्स मे मेरा लंड पूरी तरफ खड़ा होके छत को सलामी दे रहा था ऑर लंड महाराज ने चद्दर मे एक तंबू बना दिया था. अचानक एक हाथ मेरे लंड से टकराया कुछ पल के लिए उसने मेरे लंड को पकड़ा ऑर फिर एक दम से छोड़ दिया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई. भाभी बाकी लेप आप ही लगा दो मैने नीचे तो लगा दिया है अब मैं सोने जा रही हूँ. शायद यह आवाज़ नाज़ी की थी. उसके बाद मुझे नीचे वो अजीब से मज़े वाला अहसास नही महसूस हुआ मैं वैसे ही आज बिना किसी कपड़े के सिर्फ़ चादर मे लिपटा हुआ सो रहा था

फ़िज़ा जाते हुए 2 कंबल भी मेरे उपेर डाल गई यह कहकर कि यहाँ रात मे अक्सर ठंड हो जाती है. फ़िज़ा ने भी मुझे कपड़े नही पहनाए ऑर ऐसे ही खिड़की बंद करके चली गई शायद उसकी नज़र भी मेरे खड़े हुए लंड पर पड़ गई थी मेरी उस वक़्त आँखें तो बंद थी लेकिन पैरो की दूर होती हुई आवाज़ से मैने अंदाज़ा लगा लिया था कि शायद अब कमरे मे कोई नही सिवाए मेरे ऑर मेरी तन्हाई के.रात को मुझे नींद ने कब अपनी आगोश मे ले लिया मैं नही जानता.सुबह मुझे नाश्ता करवाने के बाद फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने मेरी शेव भी की ऑर बाल भी काट दिए. शीशे मे अपना यह नया रूप देखकर मुझे खुशी भी हो रही थी ऑर बेचैनी भी हुई. लेकिन दिल मे अब यही सवाल बार-बार आके मुझे बेचैन कर देता था कि मैं कौन हूँ....आख़िर कौन हूँ मैं.
Reply
07-30-2019, 12:53 PM,
#3
RE: Kamukta Kahani अहसान
ऐसे ही दिन गुज़रने लगे अब मेरे जखम भी काफ़ी भर गये थे ऑर अब मैं चलने-फिरने के क़ाबिल हो गया था. लेकिन 1 बात मुझे हमेशा परेशान करती वो थे मेरे सीने पर गोली के निशान... ज़ख़्म भर गया था लेकिन निशान अभी भी बाक़ी था मैं जब भी नाज़ी या फ़िज़ा से उस निशान के बारे मे पुछ्ता तो वो बात गोल कर जाती ऑर मुझे उस निशान के बारे मे कुछ भी नही बतती मैं बाबा से यह बात नही पूछ सकता था क्योकि उमर के साथ उनकी नज़र बोहोत कमजोर हो चुकी थी इसलिए उन्हे दिखाई भी कम देता था. मैं सारा दिन या तो खिड़की के सामने खड़ा बाहर के नज़ारे देखता या फिर घर मे दोनो लड़कियो को घर का काम करते देखता रहता लेकिन फिर भी फ़िज़ा मुझे घर से बाहर नही जाने देती थी. मुझे पुराना कुछ भी याद नही था मेरी पुरानी जिंदगी अब भी मेरे लिए एक क़ोरा काग़ज़ ही थी. नाज़ी अब मुझे दवाई नही लगाती थी लेकिन फ़िज़ा रोज़ मुझे दवाई लगाने आती थी ऑर ऐसे ही बिना कपड़ो के उपेर कंबल डाल कर सुला जाती. आज दवाई लगाते हुए फ़िज़ा बोहोत खुश थी ऑर बार-बार मुस्कुरा रही थी उसकी इस खुशी का राज़ पुच्छे बिना मैं खुद को रोक नही पाया.

मैं: क्या बात है आज बोहोत खुश लग रही हो आप

फ़िज़ा: जी आज मेरे शोहार आ रहे है 5 महीने बाद

मैं: अर्रे वाह यह तो बोहोत खुशी की बात है.

फ़िज़ा: हंजी (नज़रें झुका कर मुस्कुराते हुए) आप से एक बात कहूँ तो आप बुरा तो नही मानेंगे?

मैं: नही बिल्कुल नही बोलिए क्या कर सकता हूँ मैं आपके लिए?

फ़िज़ा: वो आज मेरे शोहार क़ासिम आ रहे हैं तो अगर आप बुरा ना माने तो आप कुछ दिन उपेर वाली कोठारी मे रह लेंगे...ऑर हो सके तो उनके सामने ना आना.

मैं: (बात मेरी समझ मे नही आई) क्यो उनके सामने आ जाउन्गा तो क्या हो जाएगा?

फ़िज़ा: बस उनके सामने मत आना नही तो वो मुझे ऑर नाज़ी को ग़लत समझेंगे ऑर शक़ करेंगे असल मे वैसे तो वो बोहोत नेक़-दिल है लेकिन ऐसे उनकी गैर-हाजरी मे हम ने एक मर्द को रखा है घर मे तो वो आपके बारे मे ग़लत भी सोच सकते हैं ना इसलिए.

मैं: क्या आपने उनको मेरे बारे मे नही बताया हुआ?

फ़िज़ा: नही मैने आपके बारे मे उनको कुछ भी नही बताया कभी. मुझे ग़लत मत समझना लेकिन मेरी भी मजबूरी थी

मैं: कोई बात नही!!! ठीक है जैसा आप ठीक समझे

फ़िज़ा: मैं अभी आपका बिस्तर कोठारी मे लगा देती हूँ वहाँ मैं आपको खाना भी वही दे जाउन्गी कुछ चाहिए हो तो रोशनदान मे से आवाज़ लगा देना रसोई मे ऑर किसी कमरे मे नही याद रखना भूलना मत ठीक है.

मैं: (मैं सिर हाँ मे हिलाते हुए) फ़िज़ा जी आपके मुझ पर इतने अहसान है अगर आप ना होती तो आज शायद मैं ज़िंदा भी नही होता अगर मैं आपके कुछ काम आ सकूँ तो यह मेरी खुश किस्मती होगी. आप मेरी तरफ से बे-फिकर रहे मेरी वजह से आपको कोई परेशानी नही होगी.

फ़िज़ा: आपका बोहोत-बोहोत शुक्रिया आपने तो एक पल मे मेरी इतनी बड़ी परेशानी ही आसान करदी.

फिर वो बाहर चली गई ऑर मैं बस उसे जाते हुए देखता रहा. मैं वापिस अपने बेड पर लेट गया थोड़ी देर मे मेरा बिस्तर भी कोठरी मे लग गया ऑर मैं उपेर कोठरी मे जाके लेट गया. कोठरी ज़्यादा बड़ी नही थी फिर भी मेरे लिए काफ़ी थी मैं उसमे आराम से लेट सकता था ऑर घूम फिर भी सकता था. वहाँ मेरा बिस्तर भी बड़े स्लीके से लगा हुआ था अब मैं ऐसी जगह पर था जहाँ से मुझे कोई नही देख सकता था लेकिन मैं सारे घर मे देख सकता था क्योकि यह कोठरी घर के एक दम बीच मे थी ऑर घर के हर कमरे मे हवा के लिए खुले हुए रोशनदान से मैं किसी भी कमरे मे झाँक कर देख सकता था. आप यह समझ सकते हैं कि वो सारे घर की एक बंद छत थी. फ़िज़ा के जाने के कुछ देर बाद मैने बारी-बारी हर रोशनदान को खोलकर देखा ऑर हर कमरे का जायज़ा लेने लगा. पहले रोशनदान से झाँका तो वहाँ बाबा अपनी चारपाई पर बैठे हुए हूक्का पी रहे थे. दूसरे रोशनदान से मैं रसोई मे देख सकता था. तीसरा कमरा शायद नाज़ी का था जहाँ वो बेड पर बैठी शायद काग़ज़ पर किसी की तस्वीर बना रही थी पेन्सिल से. चोथा कमरा मेरा था जहाँ पहले मैं लेटा हुआ था जो अब फ़िज़ा सॉफ कर रही थी शायद यह फ़िज़ा ऑर क़ासिम का था इसलिए. कोठरी के पिछे वाला रोशनदान खोलकर देखा तो वहाँ से मुझे घर के बाहर का सब नज़र आया यहाँ से मैं कौन घर मे आया है कौन बाहर गया है सब कुछ देख सकता था.

मैं अभी बिस्तेर पर आके लेटा ही था ऑर अपनी ही सोचो मे गुम था कि अचानक एक तांगा घर के बाहर आके रुका ऑर उसमे से एक आदमी हाथ मे लाल अतेची लिए उतरा. शायद यह क़ासिम था जिसके बारे मे फ़िज़ा ने मुझे बताया था. देखने मे क़ासिम कोई खास नही था छोटे से क़द का एक दुबला पतला सा आदमी था फ़िज़ा उसके मुक़ाबले कहीं ज़्यादा सुन्दर थी. वो तांगे से उतरकर घर मे दाखिल हो गया मैं भी वापिस अपनी जगह पर आके वापिस लेट गया ऑर मेरी कब आँख लगी मुझे पता नही चला. शाम को अचानक किसी के चिल्लाने से मेरी नींद खुल गई मैने उठकर देखा तो क़ासिम बोहोत गंदी-गंदी गलियाँ दे रहा था ऑर फ़िज़ा से पैसे माँग रहा था. फ़िज़ा लगातार रोए जा रही थी ऑर उसको कहीं जाने के लिए मना कर रही थी. लेकिन वो बार-बार कहीं जाने की बात कर रहा था ऑर फ़िज़ा से पैसे माँग रहा था अचानक उसने फ़िज़ा को थप्पड़ मारा ऑर गालियाँ देने लगा ऑर कहा कि अपनी औकात मे रहा कर रंडी मेरे मामलो मे टाँग अड़ाई तो उठाके घर से बाहर फेंक दूँगा 5 महीने मे साली की बोहोत ज़ुबान चलने लगी है. तुझे तो आके ठीक करूँगा. ऑर क़ासिम तेज़ क़दमों के साथ घर के बाहर निकल गया. फ़िज़ा वही बेड पर बैठी रो रही थी. यह देखकर मुझे बोहोत बुरा ल्गा लेकिन मैं मजबूर था फ़िज़ा ने ही मुझे घर के नीचे आने से मना किया था इसलिए मैं बस उसको रोते हुए देखता रहा ऑर क़ासिम के बारे मे सोचने लगा. फ़िज़ा हमेशा मेरे सामने क़ासिम की तारीफ करती थी ऑर उसने मुझे क़ासिम एक नेक़-दिल इंसान बताया था उसके इस तरह के बर्ताव ने यह सॉफ कर दिया कि फ़िज़ा ने मुझे क़ासिम के बारे मे झूठ बोला था. काफ़ी देर तक फ़िज़ा कमरे मे रोती रही ऑर मैं उसको देखता रहा.
Reply
07-30-2019, 12:53 PM,
#4
RE: Kamukta Kahani अहसान
रात को फ़िज़ा मेरे लिए खाना लेके आई ऑर चेहरे पर अपनी सदाबहार मुस्कान के साथ. लेकिन मैं इस मुस्कान के पिछे का दर्द जान गया था इसलिए शायद फ़िज़ा की हालत पर उदास था फिर भी मैं नही चाहता था कि उसको मेरी वजह से किसी क़िस्म का दुख हो इसलिए उसको कुछ नही कहा. लेकिन ना चाहते हुए भी मेरे मूह से यह सवाल निकल गया.

मैं: आपके शोहर आ गये?

फ़िज़ा: हंजी आ गये तभी तो आज मैं बोहोत खुश हूँ.(बनावटी मुस्कुराहट के साथ)

मैं:अच्छी बात है मैं तो चाहता हूँ आप सब लोग हमेशा ही खुश रहें.

फ़िज़ा: मैं आपके लिए खाना लाई हूँ जल्दी से खाना खा लो नही तो ठंडा हो जाएगा

मैं: आपने खा लिया

फ़िज़ा: हंजी मैने क़ासिम के साथ ही खा लिया था

मैं: मेरा तो आपको देखकर ही पेट भर गया अब इस खाने की ज़रूरत मुझे भी नही

फ़िज़ा: (चोन्कते हुए) क्या मतलब?

मैं: आपने मुझसे झूठ क्यो बोला था क़ासिम के बारे मे... माफ़ करना लेकिन मैने आपके कमरे मे झाँक लिया था.

फ़िज़ा यह सुनकर खामोश हो गई ऑर मूह नीचे करके अचानक रो पड़ी. मेरी समझ मे नही आया कि उसको चुप कैसे करवाऊ इसलिए पास पड़ा पानी का ग्लास उसके आगे कर दिया. कुछ देर रोने के बाद फ़िज़ा चुप हो गई ऑर पानी का ग्लास हाथ मे पकड़ लिया.

मैं: जब आपको पता था कि क़ासिम ऐसा घटिया इंसान है तो आपने उससे शादी ही क्यो की?

फ़िज़ा: हर चीज़ पर हमारा ज़ोर नही होता मुझे जो मिला है वो मेरा नसीब है

मैं: आप चाहे तो मुझसे अपनी दिल की बात कर सकती है आपके दिल का बोझ हल्का हो जाएगा

फ़िज़ा: (नज़रे झुका कर कुछ सोचते हुए) इस दिल का बोझ शायद कभी हल्का नही होगा. शादी के शुरू मे क़ासिम ठीक था फिर उसकी दोस्ती गाव के सरपंच के खेतो मे काम करने वाले लोगो से हुई उनके साथ रहकर यह रोज़ शराब पीने लगा जुआ खेलने लगा इसके घटिया दोस्तो ने क़ासिम को कोठे पर भी ले जाना शुरू कर दिया. क़ासिम रात-रात भर घर नही आता था. लेकिन मैं सब कुछ चुप-चाप सहती रही कहती भी तो किसको मुझ अनाथ का था भी कौन जो मेरी मदद करता. वक़्त के साथ-साथ क़ासिम ऑर बुरा होता गया ऑर वो रोज़ शराब पीकर घर आता ऑर कोठे पर जाने के लिए मुझसे पैसे माँगता. हम जो खेती करके थोडा बोहोट पैसा कमाते हैं वो भी छीन कर ले जाता. एक दिन क़ासिम ने मुझसे कहा कि मैं उसके दोस्तो के साथ रात गुजारू जब मैने मना किया तो क़ासिम ने मुझे बोहोत मारा ऑर घर छोड़ कर चला गया. कुछ दिन बाद क़ासिम ने चौधरी के गोदाम से अपने दोस्तो के साथ मिलकर अनाज की कुछ बोरिया चुराई ऑर बेच दी अपने रंडीबाजी के शॉंक के लिए. सुबह पोलीस इसको ऑर इसके दोस्तो को पकड़ कर ले गई ऑर इसको 5 महीने की सज़ा हो गई. अब यह बाहर आया है जैल से तो अब भी वैसा है मैने सोचा था शायद जैल मे यह सुधर जाएगा लेकिन नही मेरी तो किस्मत ही खराब है (ऑर फ़िज़ा फिर से रोने लग गई)

मैं: (फ़िज़ा के कंधे पर हाथ रखकर) फिकर मत करो सब ठीक हो जाएगा. अगर मैं आपके किसी भी काम आ सकूँ तो मेरी खुश-किस्मती समझूंगा.

फ़िज़ा: (मेरे कंधे पर अपने गाल सहला कर) आपने कह दिया मेरे लिए इतना ही काफ़ी है

मैं: पहले जो हो गया वो हो गया लेकिन अब खुद को अकेला मत समझना मैं आपके साथ हूँ

फ़िज़ा: कब तक साथ हो आप.... तब तक ही ना जब तक आपकी याददाश्त नही आती उसके बाद?

मैं: (कुछ सोचते हुए) अगर यहाँ से जाना भी पड़ा तो भी जब भी आप लोगो को मेरी ज़रूरत होगी मैं आउन्गा यह मेरा वादा है

फ़िज़ा: (हैरानी से मुझे देखते हुए) चलो इस दुनिया मे कोई तो है जो मेरा भी सोचता है...(मुस्कुराते हुए)शुक्रिया!!!

उसके बाद कोठरी मे खामोशी छा गई ऑर जब तक मैं खाना ख़ाता रहा फ़िज़ा मुझे देखती रही. फिर वो भी मुझे दवाई लगा कर नीचे चली गई. आज भी मैं सिर्फ़ एक कंबल मे पड़ा था अंदर जिस्म नंगा था मेरा. मैं अब नीचे फ़िज़ा को बिस्तर पर अकेले लेटा हुआ देख रहा था. शायद क़ासिम आज भी घर नही आया था इस बार जो फ़िज़ा ने क़ासिम के बारे मे बताया था वो सही था. फ़िज़ा अभी भी जाग रही थी ऑर बार-बार रोशनदान की तरफ देख रही थी शायद वो कुछ सोच रही थी लेकिन उसे नही पता था कि मैं भी उसको देख रहा हूँ. ऐसे ही काफ़ी देर तक मैं उसे देखता रहा फिर मुझे नींद आने लग गई ऑर मैं सोने के लिए वापिस अपने बिस्तर पर लेट गया कुछ ही देर मे मुझे नींद आ गई.

आधी रात को जब मैं गहरी नींद मे सो रहा था कि अचानक किसी के धीरे से कोठरी का दरवाज़ा खोलने से मेरी नींद खुल गई. लालटेन बंद थी इसलिए मैं अंधेरा होने के कारण यह देख नही सकता था कि यह कॉन है इससे पहले कि मैं पूछ पाता उस इंसान ने मेरे पैर को धीरे से हिलाया. मुझे कुछ समझ नही आया कि ये कौन है ऑर इस वक़्त यहाँ क्या कर रहा है. मैं यह जानना चाहता था कि ये इस वक़्त यहाँ क्या करने आया है इसलिए खामोश होके लेटा रहा. फिर मुझे मेरी टाँगो पर उस इंसान के लंबे बाल महसूस हुए. इससे मुझे इतना तो पता चल ही गया था कि यह कोई लड़की है. यह या तो फ़िज़ा थी या फिर नाज़ी क्योकि इस वक़्त घर मे यही 2 लड़किया मोजूद थी. मगर मेरे दिल मे अभी यह सवाल था कि यह यहाँ इस वक़्त क्या करने आई है.


मैं अभी अपनी ही सोचो मे गुम था कि अचानक वो लड़की मेरे साथ आके लेट गई ऑर मेरे गालो को सहलाने लगी. अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नज़र नही आ रहा था. फिर अचनाक वो हाथ मेरी गालो से रेंगता हुआ मेरी छाती पर आ गया ऑर मेरी छाती के बालो को सहलाने ल्गा ऑर हाथ नीचे की तरफ जाने लगा मैने हाथ को पकड़ लिया तो शायद उस लड़की को यह अहसास हो गया कि मैं जाग रहा हूँ इसलिए कुछ देर के लिए वो रुक गई ऑर अपना हाथ पिछे खींच लिया. मैने धीरे से पूछा कि कौन हो तुम ऑर इस वक़्त क्या कर रही हो. तो हाथ फिर से मेरे सीने से होता हुआ मेरे होंठो पर आया ऑर एक उंगली मेरे होंठो पर आके रुक गई जैसे वो मुझे चुप रहने का इशारा कर रही हो. मेरी अभी भी कुछ समझ मे नही आ रहा था कि वो लड़की जो अभी मेरे साथ बैठी हुई थी धीरे से उसने कंबल एक तरफ से उठाया ऑर खिसक कर कंबल मे मेरे साथ आ गई उसके इस तरह मुझसे चिपकने से ऑर उसके गरम शरीर के अहसास से मेरे शरीर मे भी हरकत होने लगी ऑर मेरे सोए हुए लंड मे जान आने लगी यह एक अजीब सा मज़ा था जो मैं ना तो समझ पा रहा था ना ही कुछ बोल पा रहा था. फिर उसकी एक टाँग मेरी टाँगो को सहलाने लगी ऑर उस लड़की का हाथ मेरे गले से होता हुआ छाती ऑर पेट पर घूमने लगा ऑर अचानक वो लड़की मेरे उपेर आ गई ऑर मेरे गालो को धीरे-धीरे चूमना शुरू कर दिया. मज़े से मेरी आँखे बंद हो रही थी उस लड़की के होंठो का गरम अहसास मेरे लिए बेहद मज़ेदार था उसके होठ मेरी गर्दन ऑर गालो को चूस ऑर चूम रहे थे. साथ मे नीचे मेरे लंड पर वो लड़की अपनी चूत रगड़ रही थी जिससे मेरा लंड लोहे जैसा कड़क हो गया था. मैं मज़े की वादियो मे खो रहा था कि अचानक एक मीठी सी लेकिन बेहद धीमी आवाज़ मेरे कानो से टकराई. तुम मुझे पहले क्यो नही मिले नीर मैं जाने कब से प्यासी हूँ मेरी प्यास बुझा दो. आज मुझे खुद पर काबू नही है मैं एक आग जल रही हूँ मुझे सुकून चाहिए मुझे आज प्यार चाहिए.

मैं बस इतना ही कह पाया कि क्या करू मैं. तो उस लड़की ने मेरा चेहरा अपने हाथो मे थाम लिया ऑर धीरे से अपने निचले होठ से मेरे दोनो होंठो को छू लिया ऑर कहा प्यार करो मुझे तुमने कहा था ना कि जब भी मुझे तुम्हारी ज़रूरत होगी मेरी मदद करोगे तो आज मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है मैं जल रही हूँ मेरे अंदर की आग को बुझा दो. यह बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी क्योकि यह बात मैने फ़िज़ा को कही थी. इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता फ़िज़ा ने अपने गरम होठ मेरे होंठो पर रख कर उन्हे चूम लिया ऑर मेरे सूखे हुए होंठो पर अपनी रसीली जीभ से उन्हे गीला करना शुरू कर दिया. मैने भी अपने दोनो हाथ उसकी कमर के इर्द-गिर्द बाँध लिए ऑर अपनी आँखे बंद कर ली ऑर अपने तपते होठ उसके होंठो से मिला दिए जिसे फ़िज़ा ने चूमते हुए धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया.
Reply
07-30-2019, 12:54 PM,
#5
RE: Kamukta Kahani अहसान
कुछ ही देर मे हम दोनो एक दूसरे के होंठों को बुरी तरह चूस ऑर चाट रहे थे वो मेरे होंठों को बुरी तरह चूस रही थी ऑर उनको काट रही थी कभी वो मेरा निचला होंठ चुस्ती ऑर काट लेती कभी उपर वाला होंठ चुस्ती फिर काट लेती. हम जिस मज़े की दुनिया मे थे उसमे ना उसे कोई होश था ना ही मुझे हम बस दोनो ही एक दूसरे मे समा जाना चाहते थे. मेरे दोनो हाथ उसकी पीठ की रीड की हड्डी को सहला रहे थे ऑर उसकी गान्ड लगातार मेरे लंड को मसल रही थी. अचानक उसने मेरे दोनो हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिए ऑर मेरे हाथो को अपनी छाती पर दबाने लगी मैने भी उसके ठोस ऑर बड़े मम्मों को थाम लिया ओर उन्हे ज़ोर से दबाने लगा जिससे उसके मुँह से एक सस्सिईईईईईईईईईई की आवाज़ ही निकल गई ओर वो फिर मेरे होंठों को चूसने लग गई मेरा हाथ बार-बार उसकी छाती से रेंगता हुआ उसकी कमर तक जाता ऑर फिर उसके मोटे मम्मों को थाम लेता अचानक वो रुक गई ऑर लगभग मेरे लंड पर अपनी बड़ी गान्ड रख कर बैठ गई ऑर अपनी कमीज़ ऑर ब्रा को एकसाथ उपर कर दिया ऑर फिर मेरी छाती के उपर लेट गई उसके नाज़ुक ऑर गरम मम्मे जो हर तरह से बे-परदा मेरी छाती से चिपके हुए थे उन्होने मुझे एक अजीब सा मज़ा दिया अब मैं उसके नंगे मम्मों को दबा रहा था ओर उसकी नंगी कमर को सहला रहा था उसको निपल अंगूर की तरह सख़्त हो चुके थे जिन्हे जब मैने पकड़ा तो एक आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उसके मुँह से निकल गई ऑर उसने मेरे कान के पास मुँह लेक कहा कि "इन्हे चूँसो नीर अब रहा नही जा रहा" मैने थोड़ा नीचे सरक कर उसके एक मम्मे को थाम लिया ऑर अंगूठे से उसके निपल को कुरेदने लगा ऑर अंदाज़े से उसके मम्मे का जायेज़ा लेने लगा वो काफ़ी बड़े थे लेकिन उसके निपल छोटे मगर बोहोत सख़्त हो गये थे. उसका मम्मा मेरे एक हाथ मे पूरा नही आ रहा था अचानक उसने मेरे सिर के बाल पकड़ कर मेरे मुँह को अपने मम्मे पर ज़ोर से दबा दिया ऑर मैने अपना मुँह खोलकर उसके निपल को अपने मुँह मे जाने का रास्ता दे दिया मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उसके निपल को चूस रहा था ऑर काट रहा था वो लगातार मुँह से अजीब से आवाज़े निकाल रही थी. अचानक उसने अपनी कमीज़ ऑर ब्रा दोनो एक साथ पूरी तरफ से उतार दी लेकिन सलवार अभी भी उसने पहनी हुई थी. मैं लगातार ज़ोर-ज़ोर से उसके निपल को चूस ऑर काट रहा था ऑर मेरे हाथ उसकी गान्ड की दोनो ठोस पहाड़ियो को बार-बार दबा रहे थे उसका बदन बेहद नाज़ुक ओर मुलायम था. वो बस मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी ओर मेरे माथे को बार-बार चूम रही थी.

अचानक मुझे याद आया कि मैं एक लड़की को बालो से पकड़कर बुरी तरह ज़ोर-ज़ोर से चोदा करता था ऑर वो चिल्लाया करती थी. दोस्तो ये वो पहली याद थी जो मुझे वापिस मिली थी वो भी फ़िज़ा की वजह से. मैने फॉरन उसकी सलवार को खोल दिया ओर फ़िज़ा को उसके खुले बालो से पकड़कर नीचे पटक दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया. शायद मेरे अंदर का सेक्स का जानवर फिर से जाग गया था इससे पहले कि फ़िज़ा कुछ कह पाती मैने उसकी दोनो टांगे उठाई उपर हवा मे ऑर अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया जो उसके लिए किसी झटके से कम नही था उसके मुँह से एक जोरदार आआअहह निकली ओर उसने मेरे सिर को दोनो हाथो से थाम लिया ऑर अपनी चूत पर दबा दिया मैं लगातार उसकी चूत को चूस रहा था ओर उपर लगे दाने को काट रहा था ऑर अपनी जीभ से छेड़ रहा था. उससे बेहद मज़ा आ रहा था जिसकी वजह से उसकी चूत बोहोत ज़्यादा पानी छोड़ रही थी ऑर मेरा पूरा मुँह उसकी चूत से निकले पानी से भीग चुका था फिर भी मैं लगातार उसकी चूत को चूसे जा रहा था अचानक उसकी टांगे अकड़ गई ऑर उसने अपनी टाँगो मे मेरे मुँह को दबाकर अपनी गान्ड हवा मे उठा ली मैं साँस भी नही ले पा रहा था फिर भी मैने उसकी चूत को चूसना जारी रखा. अचानक उसकी गान्ड ने उपर की तरफ एक झटका लिया अब उसकी टांगे लग-भग बुरी तरह काँप रही थी ऑर कुछ सेकेंड्स के बाद वो धडाम से नीचे गिर गई ओर मेरे मुँह उसकी टाँगो की गिरफ़्त से आज़ाद हो गया. अब वो बिस्तर पर पड़ी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी मैं अब भी उसकी चूत को चूस रहा था लेकिन अब वो शांत हो गई थी अचानक उसने मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो से थामा ऑर इशारे से उपर आने को कहा.

मैं उसके उपर आ गया ऑर अपने हाथ से अपने मुँह पर लगा उसकी चूत का पानी सॉफ करने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ओर एक तरफ कर दिया ऑर मेरे चेहरे को फिर से थाम कर मेरे होंठों को फिर से चूसना शुरू कर दिया अब लगभग वो मेरा पूरा चेहरा चाट रही थी. कुछ ही देर मे वो फिर से गरम होने लगी ऑर थोड़ी देर पहले नीचे जो हरकत उसकी गान्ड मेरे लंड के साथ कर रही थी अब वही हरकत उसकी चूत ने मेरे लंड के साथ करनी शुरू कर दी थी वो बार-बार नीचे से अपनी गान्ड उठाकर मेरे लंड पर अपनी चूत के होंठ रगड़ रही थी मुझे उसकी इस हरकत से बहुत मज़ा मिल रहा था मैने फिर से उसके मम्मों को थाम लिया ओर चूसना शुरू कर दिया अब वो भी नीचे से ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी शायद उसकी चूत अब चुदवाने के लिए लंड चाहती थी. जाने कितने वक़्त की प्यासी चूत थी एक बार झड़ने से कहाँ शांत होने वाली थी. मैं जब उसके मम्मे के निपल को चूसने ऑर काटने मे लगा था तो उसने अपना हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को थाम लिया ओर अचानक उसके मुँह से निकल गया...इतना बड़ा ............... उसने दूसरा हाथ मेरे कंधे पर रखा ऑर मेरा चेहरा उपर किया ऑर कान मे बोला

फ़िज़ा: नीर ये इतना बड़ा ऑर मोटा कैसे हो गया...दवाई लगाते हुए तो कभी इतना बड़ा नही हुआ था.

मैं: पता नही शायद आज हम इस तरह साथ है इसलिए हो गया होगा

फ़िज़ा: मैं चाहती हूँ तुम अपना ये मेरे अंदर डालो ओर मुझे खूब प्यार करो लेकिन आराम से अंदर डालना मैने बोहोत वक़्त से किया नही ऑर तुम्हारा है भी बोहोत बड़ा.

मैं: (हां मे सिर हिलाते हुए)ठीक है

उसने मेरे लंड को सेट करके उसको अपनी चूत के छेद पर रख दिया ऑर दूसरा हाथ धीरे से मेरी गान्ड पर रखकर दबा दिया अब लंड का टोपा ही उसकी चूत से छुआ था कि उसने एक आआहह भरी ऑर मेरे कान मे बोली धीरे से डालो जब रुकने को बोलूं तो रुक जाना. मैने थोड़ा ज़ोर लगाया तो लंड स्लिप होके उपर को चला गया उसने मेरे लंड को पकड़के फिर निशाने पर रखा ओर कहा अब लगाओ ज़ोर. मैने फिर एक कोशिश की इस बार लंड का टोपा अंदर चला गया ऑर उसने मुझे रोकने के लिए दूसरे हाथ से मेरे कंधे को दबा दिया. मैं कुछ देर के लिए रुक गया फिर कुछ देर बाद उसने फिर से ज़ोर लगाने का कहा तो मैने एक झटका मारा जिससे मेरा 1/4 लंड अंदर चला गया ऑर उसके मुँह से बस एक सस्स्सिईईईईईईईईईई रूको-रूको एक बार बाहर निकालो की आवाज़ निकली.

फ़िज़ा: नीर ये बहुत बड़ा ऑर मोटा है थोड़ा गीला कर लो नही तो मुझे दर्द होगा

मैं: ठीक है तुम कर दो गीला
Reply
07-30-2019, 12:54 PM,
#6
RE: Kamukta Kahani अहसान
उसने थोड़ा सा थूक अपने हाथ मे जमा किया ऑर मेरे लंड पर अच्छी तरह थूक लगा दिया ऑर गीला कर दिया बाकी बचा थूक उसने अपनी चूत पर मल दिया. अब फिर से उसने लंड को निशाने पर रखा ऑर मेरी गान्ड को दबा दिया ये इशारा था कि मैं फिर से ज़ोर लगाऊ इस बार जब मैने झटका मारा तो लंड फिसलता हुआ आधा अंदर चला गया ऑर रुक गया. उसके मुँह से फिर एक ससिईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकली ऑर उसने मेरे कान मे कहा "ये तो बहुत मोटा है मुझे दर्द हो रहा है थोड़ा आराम से करो"

अब मैने उसके मुँह को पकड़के उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए ताकि अगले झटके पर वो चीख ना दे अब उसके दोनो होंठ मेरे मुँह मे क़ैद थे ओर मैने एक जोरदार झटका लगाया जो कि उसकी चूत की दीवारो को पिछे धकेल्ता हुआ पूरा लंड अंदर चला गया उसने अचानक से अपना मुँह उपर की तरफ कर लिया ऑर उसका मुँह एक दम से खुल गया ऑर एक तेज़ आआहह उसके मुँह मे ही दबके रह गई उसने अपने सिर को दाए-बाए मारना शुरू कर दिया इसलिए मैने अब उसके मुँह को आज़ाद कर दिया तो उसके मुँह से निकला सीईईईईईई आईईई मर गई अम्मिईीईईईईईई आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. मेरा अंदाज़ा सही था क्योकि अगर उसका मुँह आज़ाद होता तो नीचे से कोई भी उसकी चीख सुन सकता था. ऐसा नही था कि फ़िज़ा कुँवारी थी लेकिन शायद उसके पति का लंड काफ़ी छोटा था या फिर वो इतने वक़्त से चुदि नही थी तो उसकी चूत अंदर से बंद हो गई थी इसलिए उसको ज़्यादा दर्द हो रहा था. अब मैं कुछ देर के लिए फिर रुक गया ऑर लंड को अंदर अपनी जगह बनाने के लिए थोडा वक़्त दिया ताकि चूत मेरे लंड को पूरी तरह आक्सेप्ट कर ले ऑर फ़िज़ा को दर्द ना हो.

अब मैं लंड फ़िज़ा की चूत मे डाले आराम से उसके मम्मे चूस रहा था ऑर फ़िज़ा मेरे सिर पर ऑर पीठ पर अपने नाज़ुक हाथ फेर रही थी अब फ़िज़ा का दर्द भी ठीक हो गया था इसलिए उसने नीचे से अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया मैने भी धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए. कुछ देर बाद हम दोनो की एक लय सी बन गई जब लंड बाहर को जाता तो वो अपनी गान्ड भी नीचे को ले जाती जब लंड अंदर को दाखिल होता तो वो भी अपनी गान्ड उपर को उठा देती हम दोनो मज़े की वादियो मे खोए हुए थे एक दूसरे को बुरी तरह चूम ऑर चाट रहे थे. अचानक फ़िज़ा ने मुझे ज़ोर से झटके मारने को कहा मैने भी धीरे-धीरे अपने झटको मे तेज़ी पैदा की अब नीचे ठप्प्प...ठप्प्प...ठप्प्प की आवाज़े आ रही थी फ़िज़ा की चूत बुरी तरह पानी छोड़ थी अब उसने अपनी गान्ड को नीचे से ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया मैं भी अब उसको ऑर तेज़ी से झटके लगा रहा था .


फ़िज़ा ने अपनी दोनो टांगे हवा मे उठाके मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट ली अचानक उसकी टांगे फिर से काँपने लगी ऑर उसने मुझे ज़ोर से अपने गले से लगा लिया मैं नीचे से लगातार ज़ोर से झटके लगाए जा रहा था ऑर एक तेज़ आआहह नीर मेरिइईईई जानंननननणणन् हेययीयीयियीयियी कहती हुई फ़िज़ा ठंडी पड़ गई मैं अभी भी ठंडा होने के कही करीब भी नही था इसलिए झटके लगाता रहा अब फ़िज़ा ने मुझे उपर से हटने का इशारा किया ऑर खुद मेरे उपर आ गई ऑर मेरे लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर सेट करके एक आअहह के साथ लंड पर बैठती चली गई. अब उसकी चूत ने एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर ले लिया था बिना फ़िज़ा को किसी क़िस्म का दर्द दिए शायद अब उसकी चूत खुल गई थी. अब वो मेरे उपर थी ऑर मैं नीचे लेटा था फ़िज़ा उपर नीचे हो रही थी उसके इस तरह से करने से उसकी बड़ी गान्ड थप्प्प्प.....थप्प्प्प की आवाज़ पैदा कर रही थी अब वो मेरे उपर लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी नीचे से उसकी गान्ड लगातार झटके लगा रही थी मैने उसके मम्मों को अपने दोनो हाथो से थाम लिया ऑर उसकी निपल्स को अपने अंगूठे ऑर उंगली की मदद से मरोड़ने लगा जिसमे उसे शायद बोहोत मज़ा आ रहा था कुछ ही देर मे उसके झटके जोरदार हो गये वो लगातार तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी


मैने भी नीचे से अब झटके लगाना शुरू कर दिया था वो मज़े से मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी ऑर झटके लगा रही थी कुछ ही देर मे वो आअहह.....आअहह करती हुई फिर से ठंडी पड़ गई ओर मेरी छाती पर ही लुडक गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी. थोड़ी देर लेटने के बाद उसने मेरे कान मे कहा नीर आपका हुआ नही मैने ना मे सिर हिला दिया उसने फिर मेरे कान मे बोला आदमी हो या जानवर मेरा शोहर इतनी देर मे 5 बार ठंडा हो जाता आप एक बार भी नही हुए लगता है आज मुझे भी मेरा असल मर्द मिल ही गया ऑर इतना कहकर उसने फिर से मेरे होंठ चूम लिए ऑर मुझे अपने उपर आने को कहा.

मैं अब अपनी पुरानी आई हुई याद की तरह उसको चोदना चाहता था इसलिए उसकी बाजू पकड़ कर उसको उठाया ऑर घुमा कर उसको दोनो घुटनो पर दोनो हाथो पर किसी जानवर की तरह खड़ा कर दिया उसको कुछ समझ नही आ रहा था क्योकि ये तरीका उसके लिए शायद नया था. मैने अंधेरे मे अंदाज़े से उसकी चूत को ढूँढ कर लंड को निशाने पर रखकर एक जोरदार झटका लगाया मेरा लंड उसकी चूत को खोलता हुआ अंदर चला गया उसके मुँह से एक "आआययईीीईईईई सस्सिईईईईई आराम से करो" की आवाज़ निकली. अब मैने उसकी बड़ी सी गान्ड को अपने दोनो हाथो मे थामा ऑर तेज़-तेज़ झटके लगाने शुरू कर दिए जो उसको ऑर भी मज़ेदार लगे. अब मैने एक हाथ से उसके लंबे बालो को पकड़ लिया था ऑर दूसरे हाथ से उसकी गान्ड पर थप्पड़ मारते हुए उसको बुरी तरह चोदना शुरू कर दिया उसके लिए ये सब नया था इसलिए उसको मेरे ऐसा करने से दर्द भी हो रहा था ऑर मज़ा भी बोहोत आ रहा था इसलिए उसने एक हाथ से अपना मुँह बंद कर लिया ताकि आवाज़ नीचे ना जाए अब मैं बुरी तरह से उसको चोद रहा था ऑर उसके मुँह से सिर्फ़ एम्म्म....एम्म्म की आवाज़ निकल रही थी मेरे इन तेज़ झटको से वो 2 बार ऑर झड चुकी थी लेकिन मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई से वो फिर गरम हो जाती थी अब मैं भी मंज़िल के करीब ही था इसलिए अपनी रफ़्तार मे ऑर इज़ाफ़ा कर दिया अब मैने एक हाथ से उसके लंबे बाल पकड़े थे ऑर दूसरा हाथ नीचे से उसके मम्मे को थामे ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था ऑर अचानक एक तेज़ बहाव मेरे लंड मे पैदा हुआ मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे लंड मे से कुछ निकलने वाला है इसलिए मैने अपनी रफ़्तार फुल स्पीड मे करदी...पूरी कोठरी मे तेज़ थप्प्प.....थप्प्प की आवाज़ आ रही थी. लेकिन अब हमें नीचे आवाज़ जाने की भी परवाह नही थी ऑर हम दोनो अपनी मंज़िल को पाना चाहते थे अचानक मेरे लंड ने पहला झटका लिया ऑर एक पिचकारी मेरे लंड से निकली ऑर फ़िज़ा की चूत मे गिरी पहली के बाद दूसरी फिर तीसरी फिर चौथी ऐसे ही मेरे लंड ने कई झटके खाए ओर काफ़ी सारा गाढ़ा माल फ़िज़ा की चूत मे ही छोड़ दिया फ़िज़ा भी अब ठंडी हो चुकी थी लेकिन उसकी चूत अब भी मेरे लंड को अंदर की तरफ दबा रही थी जैसे मेरे लंड को अंदर से चूस रही हो ऑर एक भी कतरा बाहर निकालना उसे मंजूर ना हो. फ़िज़ा अब अपना मुँह बिस्तर पर गिराए हाँफ रही थी मैं भी तेज़-तेज़ साँस ले रहा था मज़े का ये तूफान थम चुका था. हम दोनो ही तेज़ सांसो के साथ एक साथ बिस्तर पर लेटे थे फ़िज़ा मेरे सीने पर सिर रखे मेरे पेट पर हाथ फेर रही थी ओर मेरे सीने को उसके होंठ चूम रहे थे.
Reply
07-30-2019, 12:54 PM,
#7
RE: Kamukta Kahani अहसान
अचानक दरवाज़े पर किसी की दस्तक हुई तो हम दोनो ही चोंक गये अंधेरे मे जल्दी-जल्दी फ़िज़ा अपने कपड़े ढूँढने लगी ऑर अपने साथ मे मेरे भी कपड़े उठाके नीचे भाग गई. दरवाज़े पर लगातार दस्तक हो रही थी लेकिन इस हालत मे फ़िज़ा दरवाज़ा नही खोल सकती थी लिहाजा उसने पहले कपड़े पहने फिर दरवाज़ा खोल दिया मैने रोशनदान से देखा तो ये क़ासिम था जो घर आया था अंदर दाखिल होते ही उसने फ़िज़ा को धक्का मारा ओर अंदर दाखिल हो गया ओर फ़िज़ा को गालियाँ देने लगा कि कहाँ मर गई थी इतनी देर से दरवाज़ा खट-खटा रहा था. चल जा ऑर मेरे लिए खाना बना भूख लगी है मुझे. ये बात मुझे बहुत बुरी लगी क्योंकि क़ासिम फ़िज़ा से ऐसे बात कर रहा था लेकिन मैं कुछ नही कर सकता था. फ़िज़ा भी सिर झुकाए रसोई मे चली गई. मैने कुछ देर फ़िज़ा को रसोई मे देखा जहाँ वो क़ासिम के लिए खाना परोस रही थी. लेकिन आज एक नयी चीज़ मैने उसमे देखी थी अक्सर जो फ़िज़ा क़ासिम की गालियाँ सुनकर रोने लग जाती थी आज वोई फ़िज़ा मंद-मंद मुस्कुरा रही थी ऑर बार-बार रोशनदान की तरफ देख रही थी. शायद वो मेरे बारे मे सोच रही थी. कुछ देर मैं फ़िज़ा को देखता रहा फिर बिस्तर पर आके नंगा ही लेट गया. कब नींद ने मुझे अपनी आगोश मे लिया मुझे पता ही नही चला.

आज मैं काफ़ी देर तक सोता रहा. जब आँख खुली तो उसी कोठारी मे खुद को पाया ऑर रात वाला सारा सीन किसी फिल्म की तरह मेरी आँखो के सामने आ गया लेकिन अभी भी दिल मे कई सवाल थे कि रात ऐसा क्यो हुआ आख़िर फ़िज़ा ने ऐसा क्यो किया. मैं अपनी सोचो मे ही गुम था कि किसी ने कोठारी का दरवाज़ा खट-खाटाया तो मेरा ध्यान खुद पर गया क्योंकि रात के बाद मैं नंगा ही सो गया था मैने जल्दी से सामने पड़े कपड़े पहने ऑर धीमी सी आवाज़ मे आ जाओ कहा. मेरे कहने के साथ ही दरवाजा खुल गया ऑर नाज़ी कोठारी मे आ गई.

नाज़ी: आज तो जनाब बहुत देर तक सोते रहे(मुस्कुराते हुए).

मैं: हां वो आज नींद ही नही खुली (सिर पर हाथ फेरते हुए)

नाज़ी: चलो अच्छी बात है वैसे भी आपने कौनसा कहीं जाना है

मैं: आज आप दूध कैसे ले आई रोज़ तो फ़िज़ा जी लाती है ना

नाज़ी: क्यों मेरे हाथ से दूध पी लेने से कुछ हो जाएगा क्या.

मैं: नही ऐसी बात तो नही है

नाज़ी: भाभी आज रसोई के काम मे मशरूफ थी इसलिए उन्होने मुझे दूध दे कर भेज दिया

मैं: अच्छा...वैसे नाज़ जी मुझे आपसे एक बात करनी थी अगर आप सब को बुरा ना लगे तो.....

नाज़ी: मुझे भी आपको कुछ बताना है

मैं : जी बोलिए क्या बात है

नाज़ी: वो हम कल से खेत जा रहे हैं फसल की कटाई शुरू करनी है फसल तैयार हो गई है इसलिए...

मैं: ये तो बहुत अच्छी बात है.... क्या मैं भी आपकी मदद कर सकता हूँ?

नाज़ी: (हँसते हुए) आप चलने फिरने लग गये हो इसका मतलब ये नही कि आप ठीक हो गये हो अभी कोई काम नही चुप करके आराम करो

मैं: सारा दिन यहाँ पड़े-पड़े क्या करूँ आपकी बड़ी मेहरबानी होगी अगर आप मुझे भी अपने साथ खेतों मे ले जाए वहाँ मैं आप सबको काम करता देखता रहूँगा तो मेरा दिल भी बहल जाएगा ले चलिए ना साथ मुझे भी.

नाज़ी: बात तो आपकी ठीक है लेकिन क़ासिम भाई को हम सबने आपके बारे मे कुछ नही बताया इस तरह आप हमारे साथ चलोगे तो उनको क्या कहेंगी हम की आप कौन हो ओर फिर बाबा भी पता नही आपको साथ ले जाने की इजाज़त देंगे या नही मैं तो ये भी नही जानती

मैं: वैसे क़ासिम भाई कहाँ है

नाज़ी: (मुँह बनाते हुए) होना कहाँ है होंगे अपने आवारा दोस्तो के साथ वो घर पर कभी टिक कर थोड़ी बैठ ते है. बस नाम का ही बेटा दिया है अल्लाह ने हमे अगर वो काम करने वाले होते तो हम को खेतो मे ये सब काम क्यो करना पड़ता सब नसीब की बात है.

मैं: आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है एक अहसान ऑर कर दीजिए हो सकता है मैं क़ासिम भाई की थोड़ी बहुत कमी ही पूरी कर दूं वैसे भी आप दोनो लड़किया इतना काम अकेले कैसे करोगी मैं आप दोनो की मदद कर दूँगा खेतो मे....मान जाइए ना

नाज़ी: (कुछ सोचते हुए) ठीक है मैं भाभी से ऑर बाबा से बात करती हूँ तब तक आप ये दूध पी लीजिए.

मैं: ठीक है

फिर नाज़ी नीचे चली गई उसने पहले फ़िज़ा से ऑर फिर बाबा से बात की मेरे लिए तो वो लोग मान गये मैं ये सब रोशनदान से बड़े आराम से उपर से बैठा देख रहा था. फिर नाज़ी उपर आई ओर उसने मुझे नीचे बुलाया कि बाबा आपको बुला रहे हैं. मैं बाबा के कमरे मे गया तो बाबा हमेशा की तरह चारपाई पर बैठे हुक्का पी रहे थे ओर कुछ सोच रहे थे.

मैं: हंजी बाबा जी आपने मुझे याद किया

बाबा: हाँ बेटा पहले तो ये बताओ कि अब तुम्हारी तबीयत कैसी है

मैं: बाबा जी बहुत बेहतर हूँ अब मैं. अब तो मेरे तमाम ज़ख़्म भी भर चुके हैं

बाबा: बेटा ये तो बहुत अच्छी बात है. अच्छा मैने तुमसे कुछ बात करने के लिए बुलाया है

मैं: जी बोलिए

बाबा: बेटा मेरे 2 ही बच्चे है एक ये नाज़ी ओर एक मेरा बेटा क़ासिम लेकिन क़ासिम अब हाथ से निकल गया है. सोचा था उसका निकाह हो जाएगा तो सुधर जाएगा लेकिन वो कुछ वक़्त बाद फिर से वैसा हो गया. अब वो 5 महीने बाद जैल से निकल कर आया है तो भी उसमे कोई सुधर नज़र नही आ रहा. मेरे दिल पर ये बोझ है कि अंजाने मे मैने अपनी बहू की जिंदगी भी बर्बाद कर दी ऐसे नकारा इंसान के साथ उसकी शादी करके वो बिचारी एक बहू के साथ-साथ एक बेटे के फ़र्ज़ भी निभाती चली आ रही है जब से इस घर मे आई है. फ़िज़ा ने इस घर को भी संभाला मेरी भी अच्छे से देख-भाल की ओर खेतों का काम भी संभालती है. अब कल से खेतों मे कटाई शुरू हो रही है ऑर हर बार की तरह क़ासिम खेतो का काम संभालने की जगह अपने आवारा दोस्तो के साथ ही घूमता रहता है. ये एक बूढ़े की इल्तिजा ही समझ लो आज मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है अगर तुम बुरा ना मानो तो कुछ दिन जब तक खेतों मे कटाई का काम चल रहा है तब तक तुम इन दोनो लड़कियो के साथ चले जाया करोगे इनकी मदद के लिए.तुम्हारा मुझ बूढ़े पर उपकार होगा.
Reply
07-30-2019, 12:55 PM,
#8
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-7

मैं: बाबा जी आप मुझे ऐसा बोलकर शर्मिंदा ना करे मेरी एक-एक साँस आप सबकी कर्ज़दार है आज मैं ज़िंदा हूँ तो आप सबकी मेहरबानी से हूँ अगर मैं आप लोगो के कुछ काम आ सकूँ तो ये मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है मैं कल से रोज़ इनके साथ खेतों पर चला जाया करूँगा.

बाबा: जीते रहो बेटा अल्लाह तुम्हे लंबी उम्र दे... मुझे तुमसे यही उम्मीद थी आज से तुम भी मेरे बेटे हो (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए)

मैं: लेकिन बाबा क़ासिम भाई से आप क्या कहोगे कि मैं कौन हूँ कहाँ से आया

बाबा: बेटा मैं अब भी इस घर का मालिक हूँ मुझे किसी को कुछ कहने की ज़रूरत नही है

(इतने मे नाज़ी बीच मे बोलते हुए)
नाज़ी: उसकी फिकर आप लोग ना करे मैं हूँ ना मैं संभाल लूँगी क़ासिम भाई को वो कुछ नही कहेंगे

मैं: ठीक है

बाबा: बेटी इनका बिस्तर भी मेरे कमरे मे लगा दो आज से ये भी इस घर का बेटा है अब इसको क़ासिम से छुप कर रहने की कोई ज़रूरत नही है आज से ये भी मेरे साथ मेरे कमरे मे ही सोएगा. तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नही नीर बेटा..???

मैंSadना मे सिर हिलाते) नही मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है

ऐसे ही सारा दिन निकल गया ऑर शाम को मैं बाबा के कमरे मे बैठा उनके पैर दबा रहा था कि क़ासिम घर आ गया. पहले तो वो मुझे देखकर थोड़ा हैरान हुआ फिर बाबा से पूछा कि कौन है तो बाबा ने उससे झूठ बोला कि जब तू जैल मे था तब मेरी तबीयत खराब हो गई थी इस नौजवान ने मेरी बहुत देख-भाल की थी ऑर मुझे संभाला था इस बिचारे का दुनिया मे कोई नही था ये नौकरी की तलाश मे था इसलिए मैं इसको भी अपने घर मे ले आया. क़ासिम ये बात सुनकर आग-बाबूला हो गया ओर कहने लगा कि आप कैसे किसी अजनबी को घर मे उठा के ला सकते हो. वो मेरे सामने ही बाबा से झगड़ा करने लगा मैं वहाँ बस खामोश बैठा सब सुनता रहा. अंत मे बाबा ने ये कहकर बात ख़तम करदी कि मैं अब भी इस घर का मालिक हूँ मुझे किसी से इजाज़त लेने की ज़रूरत नही कि मेरे घर मे कौन रहेगा कौन नही जिसको मेरा फ़ैसला मंजूर नही वो ये घर छोड़ कर जा सकता है. क़ासिम की ये बात सुनकर गुस्से से आँखें लाल हो गई थी लेकिन फिर भी वो खुद को बे-बस सा महसूस करके पैर पटकता हुआ घर से बाहर निकल गया ऑर रात भर घर नही आया.

रात को मैं अपने बिस्तर पर पड़ा आने वाले दिन के बारे मे सोच रहा था ऑर बहुत खुश था कि कल सुबह मुझे भी घर से बाहर निकलने का मोक़ा मिल रहा है क्योंकि इतने महीनो से मैं बस एक खिड़की से ही सारी दुनिया देखा करता था. वैसे तो मैं यहाँ कई महीनो से था लेकिन आज पहली बार मैं इस घर से बाहर निकल रहा था बाहर की दुनिया से मैं एक दम अंजान था. ये सब बाते मुझे एक अजीब सी खुशी दे रही थी. इन्ही सोचो के साथ मैं कब सो गया मुझे पता ही नही चला. लेकिन आधा रात को फिर मेरी नींद खुल गई. फिर वही अजीब सा अहसास मुझे महसूस होने लगा पाजामे के अंदर मेरा लंड फिर से सख़्त हुआ पड़ा था ऑर मुझे बेचैन सा कर रहा था लेकिन आज मुझे मज़े की वादियो मे ले जाने वाली फ़िज़ा साथ नही थी. आज कोई मेरे बदन को चूम नही रहा था. खुद मे एक अजीब सा ख़ालीपन सा महसूस कर रहा था. आज मुझे फिर उसी नाज़ुक बदन की ज़रूरत थी जिसने कल रात मेरे बदन के हर हिस्से के साथ खेला था ऑर एक अजीब सा मज़ा मुझे दिया था. एक पल के लिए मेरे दिल मे आया कि आज अगर फ़िज़ा नही आई तो मैं उसके कमरे मे चला जाउ ऑर फिर उन्ही मज़े की वादियो मे खो जाउ लेकिन मेरी उसके कमरे मे जाने की हिम्मत नही हुई इसलिए बिस्तर पड़ा फ़िज़ा का इंतज़ार करता रहा. लेकिन फ़िज़ा नही आई ऑर मैं फिर से उन्ही नींद की वादियो मे खो गया.

सुबह जब मेरी आँख खुली तो खुद को बहुत खुश महसूस कर रहा था क्योंकि आज मैं बाहर की दुनिया देखने वाला था. मैं जल्दी से बिस्तर से उठा ओर तैयार होने लग गया लेकिन पहन ने के लिए मेरे पास कपड़े नही थे. इसलिए मैं उदास होके वापिस कमरे मे आके बैठ गया. तभी नाज़ी कमरे मे आई ओर मुझे कंधे से हिलाके बोली...

नाज़ी: जाना नही है क्या खेत मे....कल तो इतना बोल रहे थे आज आराम से बैठे हो क्या हुआ?

मैं: कैसे जाउ मेरे पास पहन ने के लिए कपड़े ही नही है

नाज़ी: (हँसती हुई) भाभी ने कल ही क़ासिम भाईजान के कुछ कपड़े निकाल दिए थे आपके लिए. वो जो सामने अलमारी है उसमे सब कपड़े आपके ही है बस पूरे आ जाए आपका क़द कौनसा कम है (हँसते हुए)

मैं: कोई बात नही मैं पहन लूँगा हँसो मत

नाज़ी: ठीक है जल्दी से कपड़े पहन लो फिर खेत में चलेंगे हम आपका बाहर इंतज़ार कर रही है

मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है अब जाओ तो मैं कपड़े पहनु.

नाज़ी: अच्छा जा रही हूँ लम्बूऊऊऊऊ (हस्ती हुई ज़ीभ दिखा कर भाग गई)

फिर मैं जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो गया. कमीज़ मुझे काफ़ी तंग थी इसलिए मैने कमीज़ के बटन खोलकर ही कमीज़ पहन ली ऑर पाजामा मुझे पैरो से काफ़ी उँचा था मैं ऐसे ही कपड़े पहनकर बाहर निकल आया जब मुझे फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने देखा तो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लग गई मैने वजह पूछी तो दोनो ने कुछ नही मे सिर हिला दिया. उसके बाद मैं भी सिर झटक कर नाज़ी ऑर फ़िज़ा के साथ खेत के लिए निकल गया. आज मैं बहुत खुश था ऑर हर तरफ नज़र घुमा के देख रहा था. गाँव के सब लोग मुझे अजीब सी नज़रों से घूर-घूर कर देख रहे थे ऑर हँस रहे थे उसकी वजह शायद मेरा पहनावा थी. लेकिन गाँव वालो के इस तरह मुझ पर हँसने से नाज़ी ऑर फ़िज़ा को बुरा लगा था इसलिए दोनो का चेहरा उतरा हुआ था ऑर चेहरा ज़मीन की तरफ झुका हुआ था. कुछ देर मे हम खेत पहुँच गये वहाँ सरसो के लहलहाते पीले फूल, गेहू की फसल ऑर उसका सुनेहरा रंग ऑर ये खुला आसमान देख कर मेरी खुशी का ठिकाना ही नही था मैं किसी छोटे बच्चे की तरह दोनो बाहें फेलाए खेतो मे भाग रहा था क्योंकि मेरे लिए ये सब नज़ारा नया था. कुछ देर मैं इस क़ुदरत की सुंदरता को निहारता रहा फिर मेरा ध्यान नाज़ी ऑर फ़िज़ा पर गया जो कि खेतो मे काम करने मे लगी थी ऑर मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.


मुझे खुद पर थोड़ी शर्मिंदगी हुई कि मैं यहाँ इनके साथ कम करवाने आया था ऑर यहाँ मस्ती करने लग गया. इसलिए मैं वापिस उनके पास आ गया ऑर उनसे काम के लिए पुच्छने लगा उन्होने जो सरसो ऑर गेहू की फसल काट ली थी ऑर उसकी गठरी सी बना ली थी. जिसको मुझे उठाकर एक जगह जमा करना था ऑर बाद मे सॉफ करके बोरियो मे भरना था. ऐसे ही सारा दिन मैं उनके साथ काम करता रहा. शाम को जब हम घर आ रहे थे तब नाज़ी फ़िज़ा के कान मे कुछ बोल कर कही चली गई ऑर मुझे फ़िज़ा के साथ घर जाने का बोल गई मुझे कुछ समझ नही आया कि नाज़ी कहाँ गई है लेकिन फिर भी मैं ऑर फ़िज़ा घर के लिए चल पड़े. काफ़ी दूर तक हम दोनो खामोशी से चलते रहे अब हम दोनो मे उस रात के बाद एक झिझक थी ऑर अब भी मेरे दिमाग़ मे वही रात वाला सीन था मैं फ़िज़ा से पुछ्ना चाहता था कि उसने ऐसा क्यो किया. लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ बोल पता फ़िज़ा खुद ही बोल पड़ी.

फ़िज़ा: नीर उस रात के लिए मुझे माफ़ कर दो मैं जज़्बात मे बह गई थी ऑर खुद पर काबू नही रख पाई

मैं: कोई बात नही लेकिन मुझे तो वो अहसास बहुत अच्छा लगा था

फ़िज़ा: (चोन्कते हुए) नही ये गुनाह है हम वो सब नही कर सकते क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ ऑर उस दिन जो हमारे बीच हुआ वो सिर्फ़ एक शोहार ऑर उसकी बीवी के बीच ही हो सकता है किसी ऑर के साथ ये सब करना गुनाह होता है समझे बुद्धू....

मैं: ठीक है मैं समझ गया

फ़िज़ा: उस रात जो हुआ वो आप भी भुला दीजिए ऑर हो सके तो मुझे माफ़ कर देना मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया था क़ासिम की मार ने मुझे अंदर से तोड़ दिया था लेकिन आपके प्यार के 2 मीठे बोल ने मुझे बहका दिया था. लेकिन आगे से हम ऐसा कुछ नही करेंगे ठीक है

मैं: ठीक है


ऐसे ही बाते करते हुए हम घर आ गये ऑर हमारे घर आने के कुछ देर बाद नाज़ी भी आ गई उसके हाथ मे एक थेला था जिसको उसने छुपा लिया ऑर भागती हुई अपने कमरे मे चली गई मुझे कुछ समझ नही आया कि ये क्या लेके आई है फिर भी चुप रहा ऑर आके बिस्तर पर लेट गया फ़िज़ा रसोई मे चली गई रात खाना बनाने के लिए. इतने मे नाज़ी मेरे पास आ गई एक फीता लेकर ऑर उसने मेरा माप लिया. मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि नाज़ी क्या कर रही है इसलिए हाथ पैर फेलाए खड़ा रहा जैसे वो खड़ा होने को कहती हो रहा था लेकिन वो बस अपने काम किए जा रही थी लेकिन मेरे कोई भी सवाल का जवाब नही दे रही थी. माप लेकर नाज़ी वापिस अपने कमरे मे चली गई ऑर मैं वापिस बिस्तर पर लेट गया.आज मेरा पूरा बदन दर्द से टूट रहा था. रात के खाने के बाद मुझे बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई. शायद किसी ने सच ही कहा है कि जो मज़ा मेहनत करके रोटी खाने मे है वो हराम की रोटी खाने मे नही आ सकता.
Reply
07-30-2019, 12:55 PM,
#9
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-8

अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मेरे बिस्तर के पास 2 नयी जोड़ी कपड़े पड़े थे अब बात मेरी समझ मे आ गई कि नाज़ी ने रात भर जाग कर मेरे लिए नये कपड़े सिले हैं मैं वो कपड़े उठाए बाहर आया ऑर नाज़ी को शुक्रिया कहा. तो उसने सिर्फ़ इतना ही कहा कि अब देखती हूँ तुम पर कौन हँसता है.मैं आज बहुत खुश था ऑर नये कपड़े पहनकर खेत के लिए निकल रहा था. आज कोई मुझ पर नही हँस रहा था लेकिन आज फ़िज़ा ऑर नाज़ी मुझे देख कर बहुत खुश थी. शायद कल गाँव वालो का मुझ पर हँसना उनको बुरा लगा था इसलिए उन्होने मेरे लिए नये कपड़े सिले थे. ऐसे ही मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा तीनो पूरा दिन खेतो के काम मे लगे रहे.

दिन गुज़रने लगे रोज़ मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा के साथ खेत जाता ऑर उनकी मदद करता. क़ासिम रोज़ दिन भर अपने आवारा दोस्तो के साथ घूमता रहता ऑर रात को कोठे पर पड़ा रहता. बाबा मेरे काम से मुझसे बहुत खुश रहते थे लेकिन क़ासिम मुझसे नफ़रत करता था इसलिए मेरी मोजूदगी मे बहुत कम घर पर रहता. लेकिन एक नयी चीज़ जो मैने महसूस की थी वो ये कि अब फ़िज़ा मुझसे दूर-दूर रहने लगी थी लेकिन नाज़ी मेरा बहुत ख़याल रखने लगी थी किसी पत्नी की तरह. जब कभी पास के खेतों मे काम करने वाली कोई औरत मुझसे हँस कर बात कर लेती तो नाज़ी का चेहरा गुस्से ऑर जलन से लाल हो जाता ऑर बिना वजहाँ मुझसे झगड़ने लग जाती. कुछ ही दिन मे हमने मिलकर सारी फसल की कटाई कर दी थी अब फसल बेचने का वक़्त था. इसलिए मैने नाज़ी से पूछा कि अब इस फसल का क्या करेंगे तो उसने कहा कि हम सब गाँव वाले अपनी फसल गाँव के बड़े ज़मींदार को बेचते हैं.

फ़िज़ा: ज़मींदार हर साल अपने हिसाब से फसल की कीमत लगाता है ऑर खरीद लेता है ऐसे ही हम सब का किसी तरह गुज़ारा हो जाता है.

मैं: लेकिन अगर तुम किसी ऑर को ये फसल बेचो तो हो सकता है कि तुमको ज़्यादा पैसे मिले.

नाज़ी: ये बात हम सब जानते हैं लेकिन उसके लिए हम को शहर जाना पड़ेगा जो हमारे लिए मुमकिन नही क्यो कि हम लड़कियाँ अकेली कैसे शहर जाए ऑर ज़मींदार ये बात कभी बर्दाश्त नही करेगा कि गाँव का कोई भी अपनी फसल बाहर बेचे वो अपने गुंडे भेज कर उस किसान को बहुत बुरी तरह से मारता है.

मैं: (ये सुनकर जाने क्यो मुझे गुस्सा आ गया ऑर मेरे मुँह से निकल गया) मर गये मारने वाले...शेर की जान लेने के लिए फौलाद का कलेजा चाहिए.

नाज़ी: (हैरान होती हुई) ऐसी बोली तुमने कहाँ से सीखी?

मैं: पता नही जब तुमने मार-पीट का नाम लिया तो खुद ही मुँह से निकल गई


ऐसे ही बाते करते हुए हम घर आ गये देखा फ़िज़ा कमरे मे बैठी रो रही थी. हम भागकर उसके पास गये ऑर पूछा कि क्या हुआ रो क्यो रही हो.

फ़िज़ा: क़ासिम अभी आया था उसने कहा है कि इस बार सारी फसल बेचने वो जाएगा

मैं: तो इसमे रोने की क्या बात है ये तो अच्छी बात है ना वो घर की ज़िम्मेदारी उठा रहा है

फ़िज़ा: नही वो अगर फसल बेचेगा तो सारा पैसा जूए ऑर शराब ऑर कोठे मे उड़ा देगा फिर साल भर हम सब क्या खाएँगे. कुछ भी हो जाए ये फसल क़ासिम को मत बेचने देना नीर मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.

मैं: तुम घबराओ मत जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा लेकिन रोना बंद करो

इतने मे क़ासिम कुछ आदमियो के साथ घर आया ऑर आनाज़ की बोरिया उठवाने लगा तो बाबा ने उसको मना किया लेकिन वो उनकी बात को अनसुनी करते हुए बोरिया उठवाने मे उन आदमियो की मदद करने लगा. मैं ये सब कुछ बैठा देख रहा था. इतने मे बाबा ने मुझे आवाज़ लगाई ऑर क़ासिम को बोरिया लेजाने से रोकने का कहा तो मैं खड़ा हुआ ऑर दरवाज़े के पास जाके रुक गया,

मैं: क़ासिम जब बाबा मना कर रहे हैं तो तुम क्यों फसल बेच रहे हो बाबा खुद अपने हिसाब से बेच लेंगे ना इन आदमियो को यहाँ से जाने का कहो.

क़ासिम: बकवास मत कर कमीने आया बड़ा दलाल साला अब तू मुझे सिखाएगा कि क्या करना चाहिए ऑर क्या नही पहले मेरे घर पर कब्जा कर लिया अब इस अनाज के पैसे पर कब्जा करेगा ऐसा कभी नही होने दूँगा मैं बुढ्ढा तो पागल है. चल मेरे काम मे दखल ना दे नही तो यही ज़िंदा गाढ दूँगा तुझे.

मैं: देखो क़ासिम प्यार से कह रहा हूँ मान जाओ बाबा की बात मुझे गुस्सा ना दिलाओ

क़ासिम: तू ऐसे नही मानेगा ना रुक तेरा इलाज करता हूँ मैं

उसने उन आदमियो को आवाज़ लगाई तो उन लोगो ने आके मुझे दोनो बाजू से पकड़ लिया ऑर क़ासिम ने ऑर एक ऑर आदमी ने मुझे मारना शुरू कर दिया. मेरे पेट मे ऑर मुँह पर घूसों की जैसे बरसात सी हो गई. मेरे मुँह से खून निकल रहा था आँखें बंद हो रही थी कि अचानक एक लोहे का सरिया मुझे मेरे कंधे पर लगा शायद किसी ने पिछे से मुझे सरिया से मारा था. दर्द की एक तेज़ लहर मेरे पूरे बदन मे बह गई ऑर मुँह से बस एक आअहह ही निकल पाई ऑर मैं ज़मीन पर नीचे गिर गया ऑर सब लोग मुझे देख कर हँस रहे थे. नाज़ी ऑर फ़िज़ा को भी 2 आदमियो ने पकड़ रखा था वो दोनो रो रही थी ऑर क़ासिम को रोक रही थी लेकिन क़ासिम किसी की भी बात सुनने को तैयार नही था. अचानक मेरी आँखे बंद होने लगी ओर मेरी आँखो के सामने एक तस्वीर सी दौड़ गई जिसमे मैं एक साथ कई लोगो को पीट रहा हूँ ये देख कर मैने अचानक से आँखे खोली तो मुझे एक लात मेरी छाती की तरफ बढ़ती हुई महसूस हुई. मेरे हाथ अपने आप उस पैर के नीचे चला गया ऑर मैने अपने दोनो हाथो से उस पैर को ज़ोर से गोल घुमा दिया वो आदमी एक तेज़ दर्द के साथ ज़मीन पर घूम कर गिर गया उसका पैर गिरने के बाद भी वैसा ही उल्टा था शायद उसका मैने पैर पूरी तरह से तोड़ दिया था.

अब मैने अपनी दोनो टांगे हवा मे गोल घुमा के अपने हाथ के सहारे एक झटके से खड़ा हो गया. इतने मे एक ऑर आदमी जिसके हाथ मे सरिया था वो मुझे मारने के लिए मेरी तरफ लपका मैने अपनी एक टाँग हवा मे उठाकर उसके मुँह पर मारी तो वो वही गिर गया ऑर उसके मुँह से जैसे खून का फव्वारा सा निकल गया. जैसे ही मैने पलट कर बाकी आदमियो की तरफ नज़र घुमाई तो सब अपने-अपने हथियार छोड़ कर भाग गये. क़ासिम वही खड़ा मेरे सामने काँप रहा था मैं उसकी तरफ बढ़ा तो नाज़ी ऑर फ़िज़ा बीच मे आ गई ऑर मुझे उसको मारने से मना किया. मैने अपनी उंगली उसके मुँह के पास लाके नही में इशारा किया ऑर फिर नीचे ज़मीन पर पड़ी तमाम अनाज की बोरियो को उनकी जगह पर वापिस रख दिया ऑर वापिस अपने कमरे मे आके बाबा के पास बैठ गया. क़ासिम तेज़ कदमो के साथ घर से बाहर निकल गया अब पूरे घर मे एक शांति सी छा गई कोई कुछ नही बोल रहा था थोड़ी देर मे नाज़ी के साथ फ़िज़ा भी कमरे मे आ गई सब मुझे हैरानी से देख रहे थे.


बाबा: बेटा तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आज तुम ना होते तो मेरी बच्चियों की साल भर की मेहनत जाया हो जाती

मैं: आपने मुझे बेटा कहा था ना तो ये कैसे हो सकता है कि एक बेटे के होते उसके घरवालो की मेहनत जाया हो जाए

बाबा: (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए) तुम सदा खुश रहो बेटा. फ़िज़ा बेटी देखो नीर के कितने चोट लगी है इसको दवा लगा दो

नाज़ी: कोई बात नही बाबा दवा मैं लगा देती हूँ.

फ़िज़ा: (मेरी तरफ देखते हुए)लेकिन आपने ऐसा लड़ना कहाँ सीखा?

मैं: पता नही जब वो लोग मुझे मार रहे थे तो पता नही मेरे सामने एक तस्वीर सी आई जिसमे मैं बहुत सारे लोगो को एक साथ मार रहा था बस उसके बाद क्या हुआ तुमने देखा ही लिया है.

नाज़ी: वैसे कुछ भी कहो मज़ा आ गया क्या मारा है....वाआहह अब वो लोग कम से कम 6 महीने बिस्तर से नही उठेंगे

फ़िज़ा: चल पागल कहीं की तुझे मज़े की आग लगी है मुझे तो अब ये डर लग रहा है कि ज़मींदार क्या करेगा नीर ने उसके आदमियो को मारा है.

मैं: आप फिकर ना करो अब इस घर की तरफ कोई उंगली भी उठाके नही देख सकता ज़मींदार तो क्या उसका बाप भी अब कुछ नही कर सकता.मैं हूँ ना.

फ़िज़ा: लेकिन हम को आपकी भी तो फिकर है ना...आपको कुछ हो गया तो.... देखो आज भी आपको कितनी चोट लग गई है कही कुछ हो जाता तो....वो तो गुंडे मवाली है उनका ना आगे कोई ना पिछे कोई लेकिन आपका अब एक परिवार है.

मैं: अर्रे आप लोग फिकर क्यो कर रहे हो कुछ नही हुआ मुझे थोड़ी सी खराश आई सब ठीक हो जाएगा कुछ दिन मे.
Reply
07-30-2019, 12:55 PM,
#10
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-9

ऐसे ही कुछ देर बाद नाज़ी ने मेरे दवाई लगा दी. ऑर फिर हम सब खाना ख़ाके सो गये अगले दिन मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा शहर जाके फसल बेच आए ऑर हमें ज़मींदार से दुगुनी कीमत मिली फसल की जिससे सब लोग बहुत खुश थे. फिर हमने शहर से ही घर का ज़रूरी समान खरीदा ऑर नाज़ी कहने लगी कि उसको नये कपड़े लेने है सबके लिए. उसकी ज़िद के कारण हम तीनो एक दुकान पर गये जहाँ सबके लिए कपड़े खरीदने लग गये. इतने मे फ़िज़ा को एक चक्कर सा आया ऑर वो मेरे कंधे पर गिर गई जिसे मैने ज़मीन पर गिरने से पहले ही संभाल लिया. उसने सिर्फ़ इतना ही कहा कि कमज़ोरी की वजह से चक्कर आ गया होगा ऑर हम सब फिर से कपड़े देखने मे लग गये. ऐसे ही सारा दिन खरीद दारी करने के बाद बस मे घर आ गये. आज घर मे सब बहुत खुश थे सिवाए क़ासिम के. मैने एक जोड़ी कपड़े उठाए ओर क़ासिम को देने उसके कमरे मे चला गया लेकिन उसने वो कपड़े ज़मीन पर फेंक दिए. मैने भी ज़्यादा उसको कुछ नही कहा ऑर कमरे से बाहर आके बाबा के पास बैठ गया जहाँ नाज़ी बाबा को नये कपड़े दिखा रही थी. थोड़ी देर बाद मैं ऑर बाबा ही कमरे मे बैठे थे. रात को सबने मिलकर खाना खाया ऑर सो गये क़ासिम आज भी घर मे नही था. अभी मेरी आँख ही लगी थी कि किसी ने मुझे कंधे से पकड़कर हिलाया तो मेरी नींद खुल गई. ये फ़िज़ा थी जो मुझे उठा रही थी ऑर बाहर चलने का इशारा कर रही थी. मैं उसके पिछे-पिछे कमरे के बाहर आ गया.

मैं: क्या हुआ इतनी रात को क्या काम है

फ़िज़ा: मुझे आपसे एक ज़रूरी बात करनी थी

मैं: इस वक़्त...बोलो क्या काम है

फ़िज़ा: एक गड़-बड हो गई है समझ नही आ रहा है कैसे कहूँ

मैं: क्या हुआ खुलकर बताओ ना

फ़िज़ा: वो मैं माँ बनने वाली हूँ

मैं: तो ये तो खुशी की बात है इसमे मेरी नींद क्यो खराब की ये बात तो तुम सुबह भी बता सकती थी

फ़िज़ा: (झुंझलाते हुए) आप बात नही समझ रहे....मैं आपके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ

मैं: क्या.......(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है....

फ़िज़ा: उस दिन वो सब हुआ था ना शायद तब ही हो गया.

मैं : ये भी तो सकता है कि ये क़ासिम का बच्चा हो

फ़िज़ा: मुझे पूरा यक़ीन है ये आपका बच्चा है क्योंकि क़ासिम जबसे जैल से आया है उसने मुझे हाथ तक नही लगाया. जाने उस दिन मुझे क्या हो गया था....(ये कहते हुए वो चुप हो गई)

मैं: तो किसी को क्या पता ये किसका बच्चा है तुम बोल देना क़ासिम का है ऑर क्या. मैं भी किसी से कुछ नही कहूँगा

फ़िज़ा: नही क़ासिम को पता चल जाएगा ऑर वो सबको बोल देगा कि ये मेरा बच्चा नही है. क्योंकि उसने तो मुझे छुआ भी नही तो मैं माँ कैसे बन गई (परेशान होते हुए)

मैं: चलो जो होगा देखा जाएगा अभी तुम भी सो जाओ बहुत रात हो गई है हम सुबह कुछ सोच लेंगे तुम फिकर ना करो मैं तुम्हारे साथ हूँ

फ़िज़ा: पक्का मेरे साथ हो ना

मैं: हाँ बाबा

फ़िज़ा: मुझे छोड़ कर कभी मत जाना नीर मैं तुम्हारे बिना बहुत अकेली हूँ (मुझे गले लगाते हुए ऑर रोते हुए)

मैं: नही जाउन्गा मेरी जान चुप हो जाओ (उसके माथे को चूमते हुए)अब जाओ जाके तुम भी सो जाओ बहुत रात हो गई

फ़िज़ा: (हाँ मे सिर हिलाते हुए ओर मेरे गाल को चूम कर) अच्छा आप सो जाओ अब.


फिर हम एक दूसरे से अलग हुए ओर अपने-अपने कमरे मे जाके बिस्तर पर लेट गये नींद दोनो की आँखो से कोसो दूर थी शायद आज हम दोनो ही एक ही चीज़ के बारे मे सोच रहे थे. मेरे अंदर उस दिन के सोए जज़्बात आज फिर जाग गये थे. लंड फिर से खड़ा हो गया था फिर वही एक अजीब सा अहसास महसूस होने लग गया था लेकिन खुद को काबू करते हुए मैने आँखे बंद कर ली ऑर सोने की कोशिश करने लगा. मैं अब बस आने वाले दिन के बारे मे सोच रहा था मेरे दिमाग़ मे कई सारे सवाल थे जिनका जवाब सिर्फ़ आने वाले वक़्त के पास था.

मैं अपनी सोचो के साथ बिस्तर पर आके लेट गया ऑर जल्दी ही नींद ने अपनी आगोश मे मुझे ले लिया. सुबह बाबा जल्दी जाग जाते थे ऑर उनकी आवाज़ से मेरी भी आँख खुल जाती थी. मैं दिन के ज़रूरी कामों से फारिग होके फ़िज़ा ऑर नाज़ी के साथ खेत पर काम के लिए निकल गया. दिन भर हम तीनो खेतो मे काम करते रहे ऑर शाम को जब घर आए तो बाबा ने हम सब को गहरी फिकर मे डाल दिया. क्योंकि क़ासिम कल रात से घर नही आया था ये सुनकर हम तीनो के होश भी उड़ गये क्योंकि लाख लड़ने -झगड़ने के बाद भी वो दिन मे कम से कम एक बार तो घर आ ही जाता था. बाबा की बात सुन कर मुझे भी क़ासिम की चिंता हो रही थी ऑर मैं उसको ढूँढने के बारे मे ही सोच रहा था. कि बाबा ने मुझे कहा......


बाबा : नीर बेटा क़ासिम रात से घर नही आया है.... जाने इस ला-परवाह इंसान को कब अक़ल आएगी.

मैं : बाबा आप फिकर ना करे मैं अभी जाता हूँ ऑर क़ासिम को ढूँढ कर लाता हूँ.

फ़िज़ा : मैं भी आपके साथ चलूं?

मैं : नही आप घर मे ही रूको बाबा के पास मैं अभी क़ासिम भाई को लेकर आता हूँ.

फ़िज़ा : आप अपना भी ख़याल रखना

मैं : अच्छा

फिर मैं क़ासिम को गाँव भर मे ढूंढता रहा शाम से रात हो गई थी लेकिन क़ासिम नही मिला था. मैने उसके तमाम अड्डो पर भी देखा जहाँ वो अक्सर शराब पीने ओर जुआ खेलने जाता था लेकिन वहाँ भी किसी को क़ासिम के बारे मे कुछ नही पता था. तभी मुझे एक आदमी मिला जिसने मुझे बताया कि क़ासिम अक्सर कोठे पर भी जाता है. मैने क़ासिम को बरहाल वही ढूँढने जाने का फ़ैसला किया. आज मैं पहली बार ऐसी किसी जगह की तरफ जा रहा था. मेरे दिल मे हज़ारो सवाल थे लेकिन इस वक़्त मुझे क़ासिम को ढूँढना था इसलिए अपने अंदर की बैचैनि को मैने दर-किनार कर दिया ऑर कोठे की तरफ बढ़ गया.


मैं तेज़ कदमो के साथ कोठे की तरफ जा रहा था ऑर दिल मे डर भी था कि कहीं कोई ये बात फ़िज़ा या नाज़ी को ना बता दे कि मैं भी कोठे पर गया था जाने वो मेरे बारे मे क्या सोचेगी. मैं अपनी सोचो मे ही गुम था कि अचानक मुझे एक इमारत नज़र आई जो पूरी तरह जग-मगा रही थी लाइट की रोशनी के साथ मानो सिर्फ़ उस इमारत के लिए अभी भी दिन है बाकी तमाम गाँव की रात हो चुकी है. इमारत से बहुत शोर आ रहा था मेरी समझ मे भी नही आ रहा था कि क़ासिम के बारे मे किससे पुछू. मैने गेट के सामने खड़े एक काले से आदमी से क़ासिम के बारे मे पूछा....

मैं : सुनिए

आदमी : अंदर आ जाओ जनाब बाहर क्यों खड़े हो

मैं : नही मैं बाहर ही ठीक हूँ मुझे बस क़ासिम के बारे मे पुच्छना था वो कही यहाँ तो नही आया

आदमी : (ज़ोर से हँसते हुए) साहब यहाँ तो कितने ही क़ासिम रोज़ आते हैं ओर रोज़ चले जाते हैं. आपको अगर पुच्छना है तो अंदर अमीना बाई से पूछो.

मैं : ठीक है आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.

उस आदमी ने मुझे अंदर जाने के लिए रास्ता दिया ऑर मैने अपने जोरो से धड़कते दिल के साथ चारो तरफ नज़र दौड़ा कर देखा कि कही मुझे कोई देख तो नही रहा ऑर फिर सीढ़िया चढ़ गया. अंदर बहुत तेज़ गानों का शोर था ऑर लोगो की वाह-वाही की आवाज़े आ रही थी. जैसे ही मैं अंदर पहुँचा तो वहाँ एक बहुत ही सुन्दर सी लड़की छोटे-छोटे कपड़ो मे नाच रही थी ऑर उसके चारो तरफ बैठे लोग उस पर नोटो की बारिश सी कर रहे थे. कोई आदमी उसकी चोली मे नोट डाल रहा था तो कोई उसके घाघरे की डोरी के साथ नोट लटका रहा था. वो लड़की बस मस्त होके गोल-गोल घूमे जा रही थी जैसे उसको किसी के भी हाथ लगाने की कोई परवाह ही ना हो . अचानक वो लड़की नाचती हुई मेरी ओर आई ऑर खुद को संभाल ना सकी ऑर मुझ पर गिरने को हुई मैने फॉरन आगे बढ़कर उस लड़की को थाम लिया ऑर गिरने से बचाया. जब मैंने उसे नज़र भरके देखा तो वो पसीने से लथ-पथ थी ऑर उसकी साँस भी फूली हुई थी.

मैं : आप ठीक तो है आपको लगी तो नही?

लड़की : हाए...अब जाके तो क़रार आया है आपने जो थाम लिया है.

मैं : (मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या जवाब दूं इसलिए बस मुस्कुरा दिया)

लड़की : हाए तुम्हारा बदन कितना कॅसा हुआ है....कौन हो तुम.... यहाँ पहली बार देखा है

मैं : मेरा नाम नीर है मैं क़ासिम भाई को ढूँढने के लिए आया हूँ वो तो कल रात से घर नही आया...

लड़की : ओह अच्छा वो क़ासिम.... आप अंदर चले जाइए ऑर शबनम से पूछिए वो उसका खास है (आँख मार के)

मैं : शुक्रिया आपकी बहुत मेहरबानी जी


मैं अंदर कमरे मे चला गया जहाँ बहुत सारी लड़कियाँ बैठी हुई थी. मैं वहाँ शबनम का पुच्छने जाने लगा तो एक बुढ़िया ने मुझे रोक दिया कि ओ नवाबजादे अंदर कहाँ घुसा चला आया है ये लड़किया इंतज़ार मे है कोई ऑर बाहर वाली मे से कोई ढूँढ जाके. मुझे उसकी कही हुई बात समझ नही आई इसलिए उसी से पूछा कि मैं शबनम जी को ढूँढ रहा हूँ.


बुढ़िया : शबनम जी (ज़ोर से हँसती हुई) कौन है रे तू चिकने ?

मैं : मेरा नाम नीर है ऑर शबनम जी से मिलना है

शबनम : बोल चिकने क्या काम है मैं हूँ शबनम

मैं : जी मैं क़ासिम को ढूँढ रहा था तो बाहर वाली लड़की ने बताया कि आपको मालूम होगा क़ासिम के बारे मे वो रात से घर नही आया है घर मे सब उसकी फिकर कर रहे है.

शबनम : वो तो काफ़ी दिन से यहाँ भी नही आया. वैसे भी उस कंगाल के पास था क्या... ना साले की जेब मे दम था ना हथियार मे (बुरा सा मुँह बना के).
मैं : यहाँ नही आया तो कहाँ गया
शबनम : मुझे क्या पता उसकी बीवी को जाके पूछ.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,250,621 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 516,844 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,131,119 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 857,712 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,513,886 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,963,335 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,755,535 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,369,103 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,773,700 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 261,385 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)