Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:18 PM,
#31
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-29

घर से निकलते हुए मैने पलटकर देखा तो नाज़ी मुझे रसोई मे खड़ी गुस्से से देख रही थी. जिसके गुस्से का मेरे पास कोई जवाब नही था इसलिए मैने वापिस गर्दन सीधी की ऑर हीना के साथ उसकी कार की तरफ चल पड़ा. आज जाने क्यो इस तरह नाज़ी का बर्ताव मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि वो एक खुश-मिज़ाज़ ऑर तमीज़दार लड़की थी लेकिन आज जाने उसको क्या हो गया था जो वो हीना के साथ ऐसे पेश आ रही थी. अभी मैं अपनी इन्ही सोचो मे गुम था कि मुझे हीना की आवाज़ आई...

हीना : जनाब अब सारी रात कार के सामने ही खड़ा रहना है या चलना भी है.

मैं : (हीना की तरफ चोंक कर देखते हुए) क्या..... हाँ चलो बैठो.

हीना : आप भी ना...(मुस्कुराते हुए)

मैं : मैं भी क्या....

हीना : कुछ नही जल्दी बैठो.

मैं : अच्छा

उसके बाद मैं ओर हीना कार मे बैठे ऑर मैने कार स्टार्ट कर दी ऑर कुछ देर बिना कुछ बोले कार चलता रहा थोड़ी देर मे ही हम हवेली के पास आ गये.

हीना : अर्रे हवेली क्यो ले आए मुझे (रोने जैसी शक़ल बनाके)

मैं : घर नही जाना आपने.

हीना : बाबा ने कुछ ऑर भी कहा था ना आप भूल गये क्या (मुस्कुराते हुए)

मैं : ऑर क्या कहा था बाबा ने यही कहा था कि हीना को घर छोड़ आओ बस...

हीना : (अपने सिर पर हाथ रखते हुए) ओुंओ... बाबा ने ये भी तो कहा था कि कार चलानी भी सीखा देना मुझे... भूल गये क्या.

मैं : अर्रे हाँ मैं तो भूल ही गया था.

हीना : अब चलो गाड़ी घूमाओ मैदान की तरफ अभी इतनी जल्दी नही मैने घर जाना .

मैं : अच्छा.... (मुस्कुराते हुए)

उसके बाद मैने कार को मोड़ लिया ऑर वही से ही हम मैदान की तरफ निकल गये हीना मुझे बार-बार देखकर आज मुस्कुरा रही थी ऑर काफ़ी खुश लग रही थी. मैने कार चलाते हुए देखा कि वो बार-बार मेरी पहनी हुई कमीज़ को देख रही थी...

मैं : एक बात बोलू हीना जी अगर आपको बुरा ना लगे तो...

हीना : आज तक आपकी कोई बात का बुरा माना है जो अब मानूँगी बोलो...(मुस्कुराते हुए)

मैं : आप पर मेरे कपड़े बहुत अच्छे लग रहे हैं...(मुस्कुराते हुए)

हीना : अगर आपको बुरा ना लगे तो ये कपड़े मैं रख लूँ.

मैं : क्यो नही ज़रूर अगर आपको पसंद है तो.... लेकिन आप मेरे कपड़ो का करेंगी क्या...

हीना : शुक्रिया... पसंद भी आए हैं ऑर....

मैं : ऑर क्या...

हीना : इन कपड़ो मे आपकी महक भी है जो मुझे बहुत पसंद है (नज़रे झुका कर मुस्कुराते हुए)

मैं : लेकिन आप इनका करेंगी क्या ये तो मर्दाना कपड़े है....

हीना : आप पास होते हो तो खुद को बहुत महफूज़ महसूस करती हूँ... ये कपड़े जब मेरे पास होंगे तो ऐसा लगेगा आप मेरे पास हो.

मैं : अच्छा जैसा आपको अच्छा लगे (मुस्कुराते हुए)

हीना : नीर दवाई तो टाइम पर ले रहे हो ना जो हमने शहर से ली थी.

मैं: कौनसी दवाई (कुछ सोचते हुए) अर्रे हाँ याद आया

हीना : शूकर है याद तो आ गया (मुस्कुराते हुए) अब बताओ दवाई ली या नही.

मैं : (उदास मुँह बनाके ना मे सिर हिलाते हुए) भूल गया.

हीना : ऊओुंओ.... क्या करूँ मैं तुम्हारा (रोने जैसा मुँह बनाके)

मैं : कुछ नही करना क्या है (मुस्कुराते हुए) अब याद नही रहता तो क्या करू मैं भी.

हीना : अच्छा तुम एक काम कर सकते हो
मैं : क्या
हीना : कल से अपनी दवाइयाँ मुझे लाके देदो मैं आपको रोज़ दवाई दे जाया करूँगी

मैं: लेकिन अगर आप रोज़ घर आएँगी तो शायद नाज़ी ऑर फ़िज़ा को अच्छा नही लगेगा.

हीना : (कुछ सोचते हुए) हम्म..ये तो है... ऐसा करूँगी सुबह आप खेत मे अकेले होते हो ना दिन मे आपको खेत मे आके आपकी दवाई दे जाया करूँगी ऑर शाम को कार मे दे दिया करूँगी फिर तो ठीक है....वैसे भी हम मिलते तो रोज़ ही है. (मुस्कुराते हुए)

मैं : हाँ ये ठीक रहेगा.


ऐसे ही बाते करते हुए हम कुछ ही देर मे हम उसी कच्चे रास्ते पर पहुँच गये जो रास्ता मैदान की तरफ जाता था. हीना भी उस रास्ते को देखकर एक दम खामोश हो गई शायद उसको उस दिन वाली बात याद आ गई थी जब वो मेरी गोद मे बैठी थी ऑर उसके उच्छलने से मेरा लंड उसकी गान्ड मे ज़ोर से चुभा था. मैने एक नज़र हीना की तरफ देखा ऑर फिर गाड़ी उसी कच्चे रास्ते पर बढ़ा दी कुछ देर उच्छलने के बाद हम मैदान मे आ गये इसलिए मैने कार रोक दी.

मैं : हीना जी मैदान आ गया अब आप मेरी सीट पर बैठ जाएँ ऑर कार चलानी शुरू करें जैसा मैने आपको उस दिन सिखाया था.

हीना : उस दिन जैसे गाड़ी नही सीखा सकते.

मैं : उस दिन जैसे कैसे मैं समझा नही.

हीना बिना कुछ बोले मेरे दोनो हाथ स्टारिंग व्हील से हटा कर धीरे से सरक कर मेरे पास आई ऑर थोड़ी सी कार के अंदर ही खड़ी होके मेरी एक टाँग पर बैठ गई ऑर फिर अपनी गान्ड को थोड़ा सा खिसका कर मेरी दोनो टाँगो पर बैठ गई.

हीना : ऐसे सीखने को कह रही थी...

मैं : अच्छा ठीक है अब आप चलाओ.

हीना के मेरी गोद मे बैठ ते ही उसके नाज़ुक बदन का वही गरम अहसास मुझे अपनी टाँगो पर होने लगा. मैने अपने दोनो हाथ उसकी कमर से निकाले ऑर वापिस स्टारिंग व्हील पर उसके हाथो के उपर रखे दिए उसकी नरम ऑर नाज़ुक टांगे मेरी टाँगो के साथ जुड़ी हुई थी जो मुझे बेहद मज़ा दे रही थी. कुछ देर ऐसे ही कार चलाने के बाद उसने खुद ही मेरे हाथ स्टारिंग व्हील से हटाकर अपनी जाँघो पर रख दिए जिसे मैने फॉरन थाम लिया मेरे हाथो के छुने से शायद उसको झटका सा लगा जिससे वो थोड़ा सा हिल गई लेकिन बिना कुछ बोले वो कार चलाती रही अब मुझसे भी सबर नही हो रहा था इसलिए मैने धीरे-धीरे उसकी जाँघो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया जिससे उसने अपनी टांगे चौड़ी कर ली. मेरा चेहरा उसकी गर्दन पर था जिससे चूमने का मुझे बार-बार मन कर रहा था इसलिए मैने अपने चेहरे को हल्का सा नीचे की तरफ झुकाया ऑर अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए उसको भी शायद मेरे होंठों का अहसास अपनी गर्दन पर हो गया था लेकिन वो बिना कुछ बोले गाड़ी चलाती रही नीचे से मेरे लंड ने भी जागना शुरू कर दिया था जो उसके टांगे फैला लेने की वजह से सीधा उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था वो भी शायद मेरे लंड को नीचे से महसूस कर रही थी इसलिए बार-बार अपनी गान्ड को हिला कर उसको अपनी चूत के उपर अड्जस्ट करने की कोशिश कर रही थी. तमाम अमल मे हम दोनो ही खामोश थे मैं लगातार उसकी जाँघो पर हाथ फेर रहा था ऑर वो बिना कुछ बोले गाड़ी चला रही थी तभी उसकी धीमी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई....

हीना : एक हाथ से आप भी स्टारिंग पकड़ लो मुझसे अकेले संभाला नही जा रहा

मैं : (बिना कुछ बोले एक हाथ उसकी जाँघ (रान) से उठाकर स्टारिंग पकड़ते हुए) हमम्म...

अब उसने अपना दायां हाथ नीचे कर लिया ऑर मेरा बायां हाथ जो उसकी जाँघ (रान) पर था उस पर रख दिया. मुझे लगा शायद उसको मेरा छुना बुरा लगा है इसलिए उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा है इसलिए मैने अपना हाथ वही उसकी जाँघ पर ही रोक दिया ऑर बिना कोई हरकत किए वही रखा रहने दिया जबकि बाएँ हाथ से मैं गाड़ी चला रहा था. लेकिन मैं ग़लत था जब मैने हाथ रोका तो उसने खुद ही मेरे हाथ को पकड़कर अपनी जाँघ पर उपर-नीचे फेरना शुरू कर दिया ऑर हाथ को उपर की तरफ ले जाने लगी जिससे मेरा हाथ उसके पेट पर आ गया मैने अपना हाथ उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया तभी मुझे उसकी नाभि का छेद महसूस हुआ जिस पर मैने अपनी उंगली रोक दी ऑर नाभि के चारो तरफ गोल-गोल घुमाने लगा जिससे उसकी साँस एक दम तेज़ हो गई ऑर उसने अपनी गर्दन उपर की तरफ करके अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया. अब उसने खुद ही बिना कुछ बोले अपना दूसरा हाथ भी स्टारिंग से हटा लिया ऑर अपनी कमीज़ थोड़ी सी उपर उठाके मेरा हाथ पकड़कर अपनी कमीज़ मे डाल दिया. उसके पेट का गरम ऑर नाज़ुक लंज़ मेरे हाथो को मिलते ही मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ उसका पेट बेहद नाज़ुक ऑर किसी मखमल की तरह मुलायम था. अब मैं सीधा उसके पेट पर हाथ फेर रहा था ऑर वो आँखें बंद किए मेरे कंधे पर सिर रखे बैठी थी.

धीरे-धीरे मेरा हाथ उपर की तरफ जाने लगा जिससे उसकी साँस ऑर तेज़ चलने लगी अब उसका गाड़ी चलाने पर कोई ध्यान नही था इसलिए मैने गाड़ी को रोक दिया ऑर बंद कर दिया लेकिन वो अब भी वैसे ही बैठी रही. मैने अपना दूसरा हाथ भी स्टारिंग से हटा लिया ऑर उसकी जाँघो (जाँघो) पर रख दिया ऑर हाथ उपर से नीचे फेरने लगा. अब जो हाथ मेरा उसकी कमीज़ के अंदर था उसको मैने उपर की जानिब बढ़ाना शुरू किया ऑर थोड़ा सा उपर जाके मेरे हाथ उसकी ब्रा तक पहुँच गया जिसके उपर से ही मैने उसके दाएँ मम्मे को थाम लिया ऑर धीरे से दबा दिया जिससे उसको एक झटका सा लगा ऑर उसके मुँह से एक तेज़ सस्सस्स आअहह निकल गई. शायद मेरा हाथ उसको अपने मम्मों पर अच्छा लगा था उसके मम्मे काफ़ी बड़े थे जो मेरे एक हाथ मे पूरे नही आ रहे थे लेकिन फिर भी मम्मा जितना हाथ मे आ रहा था मैं उसको लगातार दबाए जा रहा था. तभी मैने अपना दूसरा हाथ उसकी जाँघो के दरम्यान चूत के उपर रख दिया उसको मेरे इस हमले की उम्मीद नही थी इसलिए उसने अपने दोनो हाथो से मेरे हाथ को पकड़ लिया ऑर अपनी दोनो टांगे बंद कर ली. मैने अपने होंठों से धीरे-धीरे उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया ऑर उसकी गर्दन से बढ़ते हुए मेरे होंठ उसके गालों पर आ गये ऑर अब मैं वहाँ धीरे-धीरे चूम रहा था वो अपनी आँखें बंद किए मेरी गोद मे बैठी थी मेरे कंधे पर सिर रख कर ऑर मेरे हाथ उसके बदन पर अपना कमाल दिखा रहे थे.
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07-30-2019, 01:19 PM,
#32
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-30

कुछ देर बाद मैने धीरे से अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डालने की कोशिश की लेकिन अज़रबंद बँधा होने की वजह से हाथ अंदर नही जा पा रहा था इसलिए उसने खुद ही अपना पेट अंदर की तरफ सिकोड लिया ताकि हाथ अंदर जाने की जगह मिल सके अब मेरा हाथ धीरे-धीरे अंदर की तरफ जाने लगा ऑर मेरी उंगलियों पर अब उसकी चूत के बाल टकराने लगे. अब मैने अपना हाथ थोड़ा ऑर आगे को सरकाया तो मेरा हाथ उसकी नर्म ऑर नाज़ुक चूत तक पहुँच गया जिससे उसको एक झटका सा लगा ऑर उसके मुँह से सिर्फ़ सस्सस्स हमम्म्मम ही निकल पाया. मेरा अब एक हाथ उसके ब्रा के उपर से मम्मों को दबा रहा रहा ऑर दूसरा हाथ उसकी सलवार मे घुसा उसकी चूत के साथ छेड़-छाड़ कर रहा था. उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी जिससे मेरे पूरे हाथ की उंगलियाँ गीली हो चुकी थी. लेकिन मैं फिर भी उसकी चूत के दाने पर अपनी उंगली से कमाल दिखाता रहा. कुछ ही देर मे उसकी टांगे काँपने लगी उसने अचानक मेरी तरफ अपना चेहरा किया ऑर मेरे गालो को हल्के-हल्के चूमना शुरू कर दिया ऑर फिर अचानक जैसे उसकी साँस रुक गई हो उसने अपनी आँखें ज़ोर से बंद कर ली ऑर अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठा दिया मेरा पूरा हाथ उसकी चूत के निकलने वाले पानी से भीग चुका था अब कुछ देर गान्ड को हवा मे उठाए झटके खाने के बाद एक दम से मेरी गोद मे वापिस गिर गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी मैने भी अपना हाथ उसकी चूत पर रोक लिया लेकिन दूसरे हाथ से हल्के-हल्के उसके मम्मों को दबाता रहा. अब वो आँखें बंद किए मेरे कंधे पर अपना सिर रखे बैठी ऑर मुस्कुरा रही थी शायद वो फारिग हो गई थी. मैने अब अपना बायाँ हाथ उसकी सलवार मे से दायां हाथ उसकी कमीज़ मे से निकाल लिया ऑर उसे उसकी कमर से पकड़कर थोड़ा उपर उठा दिया ताकि मैं उसकी सलवार खिचकर थोड़ा नीचे कर सकूँ. जैसे ही मैने उसकी सलवार को थोड़ा नीचे की तरफ खिचा उसने मेरे दोनो हाथो पर अपने हाथ रख दिए ऑर मेरी आँखो मे देखने लगी उसकी आँखें उस वक़्त नशे ऑर वासना से एक दम नशीली हुई पड़ी थी. अचानक उसने अपना दाया हाथ उपर किया ऑर मेरे सिर के पीछे ले जाकर मेरे चेहरे को अपने चेहरे पर झुका दिया ऑर मेरे होंठों पर उसने अपने होंठ रख दिए उसके होंठ एक दम गुलाब की पंखुड़ियो के जैसे नाज़ुक ऑर रस भरे थे. मैने फॉरन अपना थोड़ा सा मुँह खोलकर उसके दोनो नाज़ुक होंठों को अपने मुँह मे क़ैद कर लिया ऑर जबरदस्त तरीके से चूसने लगा कुछ देर तो वो अपना मुँह सख्ती से बंद करके बैठी रही फिर उसने भी अपना मुँह खोल दिया जिससे मेरी जीभ को उसके मुँह मे जाने का रास्ता मिल गया. वो किसी भूखी शेरनी की तरफ मेरी जीभ पर टूट पड़ी ऑर बहुत ज़ोर से मेरी ज़ुबान को चूसने लगी.

ऐसा नही था कि मैने पहले किसी के होंठ नही चूसे थे लेकिन जो क़शिष उसके होंठ चूसने मे आ रही थी वैसा मज़ा ना फ़िज़ा के होंठों मे आया था ना ही नाज़ी के होंठों से वो लगातार मेरे होंठों को बुरी तरफ चूस ऑर काट रही थी. अचानक उसने खुद ही अपनी गान्ड थोड़ी सी उपर की ऑर मेरी गोद मे बैठे-बैठे ही अपनी सलवार को घुटने तक खींचकर उतार दिया. अब उसने खुद ही मेरा हाथ अपनी नरम ऑर हद से ज़्यादा गोरी टाँगो पर रख दिया उसका बदन मेरी सोच से भी ज़्यादा गोरा था. हलकी जहाँ हम थे वहाँ एक दम अंधेरा था लेकिन फिर भी उसका बदन इस कदर चमक रहा था कि मुझे उसकी गोरी जांघे अंधेरे मे भी सॉफ नज़र आ रही थी. मैं उसकी चूत देखना चाहता था लेकिन उसने मेरी पहनी हुई कमीज़ को आगे की तरफ किया हुआ था जिससे मैं उसकी चूत नही देख पा रहा था. लेकिन उसकी गान्ड नीचे से लगातार अपना कमाल दिखा रही थी जिसने मेरे लंड को एक दम लोहे जैसा खड़ा कर दिया था. अब की बार मैने उसकी जाँघो को सहलाते हुए अपना हाथ कमीज़ के अंदर लेजा कर अपना हाथ उसकी नरम ऑर नाज़ुक किसी गुलाब के फूल की तरह खिली हुई चूत पर रख दिया जो हद से ज़्यादा पानी छोड़ रही थी मैने कुछ देर उसकी चूत को सहलाया जिससे उसके मुँह मे से एक म्म्म्म म सस्स्सस्स की आवाज़ निकली जो मेरे मुँह मे ही दब गई. अब मैने हीना को उसकी कमर से पकड़ा ऑर थोड़ा उपर किया ताकि अपना पाजामा भी नीचे कर सकूँ. मेरे इशारे को समझते हुए उसने जल्दी से अपनी कमर को थोड़ा सा हवा मे उठा दिया जिससे मैने जल्दी से अपना पाजामा ऑर अंडरवेर नीचे कर दिया.

लंड आज़ाद होते ही किसी भूखे शेर की तरह सिर उठाए खड़ा हो गया जो किसी स्प्रिंग की तरह उपर को हुआ ऑर सीधा हीना की चूत को चूम कर नीचे आ गया. मेरे लंड का अपनी चूत पर अहसास होते ही उसने फिर से एक ऊऊऊओ किया सख्ती से मेरे बाजू को पकड़ लिया जो मैने उसकी कमर पर डाला था. अब मैने उसकी कमीज़ को गान्ड से थोड़ा उपर किया ऑर उसे फिर से अपनी गोद मे बिठा लिया अब मेरा लंड सीधा उसकी चूत के मुँह पर दस्तक दे रहा था ऑर अंदर जाने के लिए मुझसे बग़ावत कर रहा था शायद उस साले को मुझसे भी ज़्यादा जल्दी थी. इसलिए मैने भी उससे ज़्यादा इंतज़ार करवाना मुनासिब नही समझा ऑर अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी ऑर अपनी टाँगो को पूरी तरह फैला दिया ताकि लंड ऑर चूत का मिलन हो सके ऑर साथ ही अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया. हीना की चूत मेरी उम्मीद से भी ज़्यादा पानी छोड़ रही थी. जिसने कुछ ही पॅलो मे मेरे लंड को एक दम गीला कर दिया. हम दोनो मे ये जो कुछ भी हो रहा था एक दम खामोशी से हो रहा था ना वो कुछ बोल रही थी ना मैं. जब कुछ देर तक मैं अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ता रहा तो उसका सबर जवाब देने लगा ऑर आख़िर उसने मेरे कान मे धीरे से कहा...

हीना : नीर पिछे की सीट पर चले अब मुझसे ऑर बर्दाश्त नही हो रहा.

मैं : हमम्म चलो.

उसके बाद हम दोनो आगे वाली सीट को थोड़ा नीचे करके कार के अंदर से ही पिछे वाली सीट पर आ गये. हीना को मुझसे ज़्यादा जल्दी थी इसलिए वो मुझसे पहले पिछे चली गई ऑर जल्दी से अपनी कमीज़ उपर करके पिछे से अपनी ब्रा को भी खोल दिया ऑर अपने बड़े-बड़े मम्मों आज़ाद कर दिया जो ब्रा की क़ैद से आज़ाद होते ही किसी खरगोश की तरह उच्छल कर बाहर आ गये. उनको देखकर मेरे भी मुँह मे पानी आ गया ऑर मैं पिछे जाते ही उसके मम्मों पर टूट पड़ा मैने उसका एक मम्मा अपने हाथ से पकड़ लिया ऑर दूसरा मम्मा अपने मुँह मे लेके चूसने लगा ऑर वो मेरे नीचे लेटी मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी ऑर अपने मुँह से सस्सस्स ऊऊऊहह आआआआहह नीईएरर्र्र्र्र्र्ररर करते रहो हो ऑर पता नही क्या-क्या बोले जा रही थी. मैं बारी-बारी उसके दोनों मम्मो के साथ इंसाफ़ कर रहा था क्योंकि मैं नही चाहता था कि दोनो मे से कोई भी मुझसे नाराज़ हो कि मैने किसी एक पर ज़्यादा मेहनत की ऑर दूसरे पर कम मेहनत की.

उस वक़्त कार मे काफ़ी अंधेरा था उपर से मेरी हाइट ज़्यादा होने की वजह से मैं कार मे पूरा भी नही आ रहा था इसलिए मैने पिछे का दरवाज़ा खोल दिया ऑर नीचे बैठकर उसकी चूत को देखने की कोशिश करने लगा. मैं चाहता तो था कि मैं उसके खूबसूरत बदन के एक-एक हिस्से के साथ खेलु लेकिन एक तो हमारे पास वक़्त कम था ऑर दूसरा अंधेरा भी काफ़ी था इसलिए मुझे कुछ भी नज़र नही आ रहा था. इसलिए मैं अंदाज़े से उसकी टाँगो के बीच बैठ गया ऑर उसकी चूत जिस पर थोड़े-थोड़े बाल उगे हुए थे उससे चूम लिया जिसका असर हीना पर काफ़ी हुआ ऑर उसके मुँह से एक तेज़ सस्स्स्स्स्स्सस्स आआआआहह न्ईएरर्र्ररर निकली अब मैने उसकी टांगे थोड़ा फोल्ड की ऑर उन्हे खोल दिया ऑर नीचे बैठकर उसकी चूत को चूसने लगा अभी मुझे कुछ ही मिनिट हुए थे उसकी चूत को चूस्ते हुए कि उसने एक दम से मुझे बालों से पकड़ लिया ऑर उपर की तरफ खींच लिया उसका पूरा बदन किसी सूखे पत्ते की तरह काँप रहा था उसने अंदाज़े से मेरा चेहरा पकड़ा ऑर फिर से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया ऑर फिर मुझे अपने गले से लगा लिया साथ ही हीना की एक मीठी से आवाज़ मेरे कानो मे मुझे सुनाई दी.

हीना : नीर मुझे अपनी बना लो मैं तुम्हारे प्यार के लिए कब से तड़प रही हूँ.

मैं : पक्का....

हीना (हां मे सिर हिलाते हुए) हमम्म पक्का... जल्दी करो मुझसे अब ऑर बर्दाश्त नही हो रहा.

मैने भी उसे ऑर इंतज़ार करवाना मुनासिब नही समझा ऑर अपना एक हाथ नीच ले जाकर उसे उसकी चूत के मुँह पर रख दिया लंड का टोपा चूत पर टच होते ही हीना ने मुझे अपनी बाहों मे कस के पकड़ लिया ऑर फिर से मेरे कान मे उसकी धीरे से आवाज़ आई.

हीना : नीर आराम से करना मैं अब तक कुँवारी हूँ.

मैं : अच्छा.

उसके बाद मैं अपने घुटनो पर बैठ गया ऑर अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया वैसे तो उसकी चूत से इतना पानी बह रहा था कि मुझे मेरे लंड को ऑर गीला करने की कोई ज़रूरत नही थी लेकिन फिर भी एहतियात के लिए मैने अपने लंड को गीला कर लिया ऑर उसकी चूत के मुँह पर रखकर हल्का सा ज़ोर लगाया जिससे उसके मुँह से फिर एक सस्स्सस्स आराम से नीर.... निकला. उसकी चूत काफ़ी तंग थी जिससे मेरा टोपा फिसल कर नीचे की तरफ चला गया. मैने फिर से अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा ऑर अंदाज़े से हल्का सा झटका लगाया जिससे लंड का टोपा अंदर चला गया साथ ही उसके मुँह से फिर एक आआययययीीईईईई आराम से नीर दर्द हो रहा है.... की आवाज़ निकली मैने उसकी तरफ कोई ध्यान ना देकर अपने टोपे को चूत मे ही रहने दिया ऑर उसके कुछ नॉर्मल होने के इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद जैसे ही वो थोड़ा नॉर्मल हुई मैं उसके उपर लेट गया ऑर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी तभी मैने एक ऑर झटका मारा ऑर मेरा 1/4 लंड अंदर चला गया उसने जल्दी से मेरे मुँह से अपना मुँह हटाया ऑर फिर से चीखना शुरू कर दिया साथ ही मुझे धक्का देकर अपने उपर से हटाने लगी..

हीना : आआययईीीई..... नीर बहुत दर्द हो रहा है मुझसे नही होगा जल्दी से बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है.

मैं : (उसके सिर पर हाथ फेरते हुए) बस हो गया थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो फिर मज़ा आने लगेगा. अगला झटका मैं तब ही मारूँगा जब तुम खुद बोलोगि..... जब तक दर्द कम नही होता तब तक हम ऐसे ही रहेंगे.

हीना : ऑर अंदर मत करना कुछ देर ऐसे ही रहो बहुत दर्द हो रहा है.

उसके बाद मैं कुछ देर वैसे ही रहा ऑर उसके दोनो मम्मों को चूस कर उसका दर्द कुछ कम करने लगा कुछ ही देर मे उसकी भी दर्द भरी चीखे आहो मे बदलने लगी ऑर वो फिर से मुझसे अपने मम्मे चुस्वकार गरम होने लगी साथ ही मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाने लगी.

हीना : अब कुछ आराम है नीर अब करो लेकिन धीरे करना अभी भी दर्द हो रहा है.

मैं : अच्छा

उसके इतना कहते ही मैने अपने दोनो हाथ उसके मोटे मम्मों पर रखे ऑर एक ऑर ज़ोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर चला गया. इसके साथ ही उसने कार मे अपने पैर पटकने शुरू कर दिए लेकिन मेरे समझाने पर वो फिर से नॉर्मल हो गई ऑर मैं उसका दर्द कम करने के लिए फिर से उसके मम्मे चूसने लगा. कुछ देर बाद जब वो नॉर्मल हुई तो मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला जो उसकी चूत के खून ऑर ढेर सारे पानी से नहाया हुआ था.

मैं : हीना कोई गंदा कपड़ा होगा कार मे?

हीना : हाँ शायद होगा कार की सीट के नीचे चेक करो.

मैने अंधेरे मे अंदाज़े से कार की सीट के नीचे हाथ घुमाया तो मुझे एक कपड़ा मिल गया अब जाने वो क्या था लेकिन मैने उससे अपना लंड ऑर हीना की चूत अच्छे से सॉफ की ऑर फिर से अपने लंड पर थूक लगाके हीना की चूत मे अपना आधा लंड डाल दिया. जिससे उसके मुँह से फिर एक तेज़ आआआययययीीई सस्स्स्स्सस्स आराम से करो दर्द हो रहा है..... की आवाज़ निकली जिस पर मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया ऑर फिर से उसके मम्मे चूसने लगा कुछ ही देर मे उसे भी मज़ा आने लगा तो उसने भी नीचे से अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया जिसके जवाब मे मैने भी अपना आधा लंड उसकी चूत मे धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. कुछ ही देर मे हीना फिर से मेरा साथ देने लगी. अब मेरा लंड करीब 3/4 हीना की चूत के अंदर बाहर हो रहा था ऑर वो हल्के फुल्के दर्द ऑर मज़े के साथ चुदाई का मज़ा ले रही थी साथ मे सस्स्सस्स आआअहह ऊऊओह जैसी आवाज़े निकाल रही थी. कुछ ही धक्को के बाद उसका बदन अकड़ने लग गया ऑर उसने मुझे कस कर गले से लगा लिया साथ ही फिर से मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए अब वो भी अपनी गान्ड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी इसलिए मैने भी अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी जिससे कुछ ही देर मे मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा. जैसे ही मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे गया उसकी चूत ने एक जबरदस्त झटके खाना शुरू कर दिया ऑर कुछ ही धक्को मे वो झड गई. अब मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला ऑर उसे डॉगी स्टाइल मे कर लिया ऑर पिछे से अपना लंड उसकी चूत पर अड्जस्ट करके उसकी चूत मे धक्के मारने लगा. उसकी मोटी गान्ड अब मेरे हाथ मे थी ऑर मेरा लंड उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था. मैं उस वक़्त कार के बाहर खड़ा था ऑर वो कार के अंदर डॉगी स्टाइल मे चुदवा रही थी साथ ही उसके मुँह से लगातार सस्सस्स आआअहह ज़ोर से करो न्ईएरररर....... जैसी आवाज़े निकाल रही थी. मैं अब पूरी रफ़्तार से उसकी चूत मे धक्के लगा रहा था ऑर उसके नीचे की तरफ बड़े-बड़े मम्मों को पकड़कर मसल रहा रहा था तभी उसका बदल फिर से अकड़ने लगा ऑर उसकी सिसकारियाँ भी बढ़ने लगी कुछ ही देर मे वो फिर से झड गई जिससे उसकी टांगे काँपने लगी ऑर वो कार के अंदर ही पेट के बल लेटकर लंबे-लंबे साँस लेने लगी हम दोनो के ही बदन उस वक़्त पसीने मे नहाए हुए थे. अब वो फिर से सीधी होके पीठ के बल लेट गई ऑर उसने खुद ही अपने दोनो हाथो से अपनी टांगे पकड़कर कार की छत से लगा दी मैने अब अपनी दोनो टांगे कार की सीट पर रखी ऑर फिर से अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया ऑर धक्के मारने लगा उसने मुझे फिर से अपने उपर खींच लिया ऑर मेरे मुँह को अपने मम्मों पर दबाने लगी मैं भी किसी भूखे बच्चे की तरह उसके मम्मों पर टूट पड़ा. अब मेरा मुँह उसके मम्मों पर कमाल दिखा रहा था ऑर नीचे मेरा लंड उसकी चूत मे अपना जलवा दिखा रहा था. तभी हमें दूर से एक हेड लाइट चमकती हुई नज़र आई ऑर एक हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी जिसे हीना ने फॉरन पहचान लिया.

हीना : ये तो अब्बू की जीप का हॉर्न है.

मैं : जल्दी से कपड़े पहनो

साथ ही मैने कार का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया ऑर हम दोनो जल्दी से अपने-अपने कपड़े पहनने लगे. (उस वक़्त दोस्तो यक़ीन करो अगर मेरे हाथ मे बंदूक होती तो गोली मार देता कमीनो को सालो ने क्या टाइम पर एंट्री मारी थी पूरे मूड की ऐसी तैसी करके रख दी थी. मेरा ये दर्द मेरा वही रीडर भाई समझ सकता है जिसके साथ ऐसा हुआ हो बाकी सब को तो इस वक़्त हँसी आ रही होगी कि बिचारे के साथ केएलपीडी हो गया)
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07-30-2019, 01:19 PM,
#33
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-31

हीना जल्दी से उठकर कार के अंदर से ही आगे वाली सीट पर चली गई ऑर जल्दी से अपनी सलवार पहनने लगी ऑर अपने कपड़े ठीक करने लगी तब तक मैं भी अपने कपड़े पहन कर आगे वाली ड्राइविंग सीट पर आ चुका था...

हीना : ये तो अब्बू की जीप है ये यहाँ कैसे आ गये अब क्या होगा.

मैं : डर लग रहा है (मुस्कुरा कर)

हीना : जब आप साथ होते हो तब डर नही लगता (मुस्कुरा कर)

इतना मे वो जीप हमारे पास आके रुकी ऑर उसमे से एक आदमी निकलकर बाहर आया.

आदमी : (गाड़ी के दरवाज़े पर हाथ से नीचे इशारा करते हुए) छोटी मालकिन आप अभी तक गाड़ी सीख रही है बड़े मालिक आपको बुला रहे हैं उन्होने कहा है कि बाकी कल सीख लेना.

हीना : अच्छा... तुम चलो हम इसी कार मे आ रहे हैं

आदमी : जी जैसी आपकी मर्ज़ी मालकिन...

फिर वो आदमी वापिस जीप मे बैठ गया ऑर हमने भी उसके पिछे ही अपनी कार दौड़ा ली. हीना पूरे रास्ते मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर बैठी रही ऑर मुझे देखकर मुस्कुराती रही ऑर कभी-कभी मेरे गाल पर चूम लेती. कुछ देर मे हवेली आ गई तो बाहर खड़े दरबान ने हमारी कार देखते ही बड़ा दरवाजा जल्दी से खोल दिया मैं गाड़ी हवेली के अंदर ले गया ऑर गाड़िया खड़ी करने की जगह पर गाड़ी रोक दी. तभी सरपंच वहाँ आ गया. जिसे देखते ही हीना जल्दी से कार से उतर गई. हालाकी उसे चलने मे तक़लीफ़ हो रही थी लेकिन उसने अपने अब्बू पर कुछ भी जाहिर नही होने दिया.

सरपंच : बेटी आज तो बहुत देर करदी मुझे फिकर हो रही थी.

हीना : अब मैं बच्ची नही हूँ अब्बू... बड़ी हो गई हूँ ऐसे फिकर ना किया करो ऑर वैसे भी नीर मेरे साथ ही तो थे. (मुस्कुरा कर)

सरपंच : अर्रे ये किसके कपड़े पहने है. हाहहहहहाहा

हीना : वो मैं इनको लेने इनके घर गई थी तो वहाँ बाबा जी चाय पी कर जाने की ज़िद्द करने लगे वहाँ चाय पकड़ते हुए मेरे हाथ से चाय का कप गिर गया था जो मेरे कपड़ो पर गिर गया (हीना ने झूठ बोला) इसलिए इन्होने मुझे अपने कपड़े दे दिए पहन ने के लिए.... अच्छे है ना (मुस्कुराते हुए)

सरपंच : अच्छा...अच्छा अब तारीफे बंद करो ऑर चलो मैने खाना नही खाया तुम्हारी वजह से. (हीना के सिर पर हाथ फेरते हुए)

मैं गाड़ी से उतरते हुए दोनो बाप बेटी को बाते करते हुए देख रहा था ऑर उन दोनो की बाते सुनकर मुस्कुरा रहा था.

मैं : माफ़ कीजिए सरपंच जी आज थोड़ा देर हो गई. ये लीजिए आपकी अमानत की चाबी.

सरपंच : (चाबी पकड़ते हुए) कोई बात नही.... अर्रे ये तुम्हारे सिर मे क्या हुआ

मैं : कुछ नही वो ज़रा चोट लग गई थी.(अपने माथे पर हाथ फेरते हुए)

सरपंच : (मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए) अपना ख्याल रखा करो

मैं : जी ज़रूर...

हीना : अब्बू वो गाड़ी वाली बात भी तो करो ना इनसे.

सरपंच : अर्रे हाँ मैं तो भूल ही गया.... बेटा वो हीना कितने दिन से पिछे पड़ी है इसको नयी गाड़ी लेके देनी है... तो मुझे समझ नही आ रहा था कि कौनसी गाड़ी इसे लेके दूं तुम बताओ इसके लिए कौनसी गाड़ी अच्छी रहेगी.

मैं : कोई भी गाड़ी ले दीजिए... बस इतना ख़याल रखना कि गाड़ी छोटी हो जिससे इनको (हीना को) भी चलाने मे आसानी रहेगी.

हीना : अब्बू आप असल बात तो भूल ही गये ये वाली नही साथ जाने वाली बात पुछो ना.....

सरपंच : आप खुद ही पूछ लो महारानी साहिबा... (हीना के आगे हाथ जोड़ते हुए)

हीना : नीर जी वो मैं सोच रही थी कि आप को हम से ज़्यादा समझ है गाडियो की तो आप भी हमारे साथ ही शहर चलें ना नयी गाड़ी लेने के लिए (मुस्कुराते हुए)

मैं : (चोन्कते हुए) मैं... मैं कैसे.... नही आप लोग ही ले आइए मुझे खेतो मे भी काम होता है ना.

सरपंच : अर्रे बेटा मान जाओ नही तो ये सारा घर सिर पर उठा लेगी. जहाँ तक खेतो की बात है तो मैं अपने मुलाज़िम भेज दूँगा 1-2 दिन के लिए वो लोग तुम्हारे खेत का ख्याल रखेंगे जब तक तुम हमारे साथ शहर रहोगे.

मैं : ठीक है.. लेकिन एक बार बाबा से पूछ लूँगा तो बेहतर होगा.

सरपंच : तुम्हारे बाबा की फिकर तुम ना करो मैं हूँ ना मैं कल ही जाके बात कर आउगा फिर परसो हम शहर चलेंगे. अब तो कोई ऐतराज़ नही तुमको.

मैं : जी नही... अच्छा सरपंच जी अब इजाज़त दीजिए काफ़ी रात हो गई है सब लोग खाने पर इंतज़ार कर रहे होंगे.

सरपंच : ठीक है.... रूको तुमको मानसिंघ छोड़ आएगा... मानसिंघ... (अपने मुलाज़िम को आवाज़ लगाते हुए)

मानसिंघ : जी मालिक (दौड़कर सरपंच के सामने आते हुए)

सरपंच : नीर को उनके घर छोड़ आओ जीप पर.

मानसिंघ : जी... ठीक है मालिक.

उसके बाद मानसिंघ मुझे जीप पर घर तक छोड़ गया ऑर मेरे घर आते ही नाज़ी मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर-घूर कर देखने लगी लेकिन वो बोल कुछ नही रही थी ऑर ऐसे ही गुस्से से मुझे घुरती हुई चुप-चाप फ़िज़ा के कमरे मे चली गई. तभी फ़िज़ा भी रसोई मे से आ गई...

फ़िज़ा : आ गये नीर बहुत देर करदी.(मुस्कुराते हुए)

मैं : कुछ नही वो ज़रा हीना को गाड़ी सीखा रहा था तो देर हो गई.

फ़िज़ा : तुम्हारे इतनी चोट लगी है एक दिन नही सीखते तो क्या हो जाना था.

मैं : नही वो बाबा ने हीना को बोल दिया था तो मैं मना कैसे करता इसलिए सोचा जब आ गया हूँ तो गाड़ी चलानी भी सीखा ही देता हूँ.

फ़िज़ा : वो सब तो ठीक है लेकिन कुछ अपना भी ख्याल रखा करो.

मैं : (चारो तरफ देखते हुए) तुम हो ना मेरा ख्याल रखने के लिए...(मुस्कुराकर)

फ़िज़ा : अच्छा अब ज़्यादा प्यार दिखाने की ज़रूरत नही है चलो जाओ जाके नहा लो फिर साथ मे खाना खाएँगे.

मैं : अच्छा....

उसके बाद मैं नहाने चला गया ऑर फ़िज़ा भी वापिस रसोई मे चली गई. कुछ देर बाद मैं जब नहा कर बाहर आया तो फ़िज़ा अकेली ही खाने का सब समान टेबल पर रख रही थी.

मैं : नाज़ी दिखाई नही दे रही वो कहाँ है.

फ़िज़ा : वो अंदर है कमरे मे कह रही थी भूख नही है इसलिए खाना नही खाएगी. अब तुम तो जल्दी आओ मुझे बहुत भूख लगी है चलो आज हम दोनो खाना खा लेते हैं.(मुस्कुरा कर)

मैं : तुम खाना शुरू करो मैं ज़रा नाज़ी को देखकर आता हूँ.

फ़िज़ा : अच्छा...

मैं जब फ़िज़ा के कमरे मे गया तो नाज़ी अंदर उल्टी होके गान्ड उपर करके लेटी थी ऑर बार-बार तकिये को तोड़-मरोड़ रही थी. मैने एक नज़र उसको देखा ऑर वापिस खाने के टेबल के पास आ गया.

मैं : फ़िज़ा ज़रा नाज़ी की खाने की थाली बना दो मैं अभी उसको खाना खिला कर आता हूँ.

फ़िज़ा : ठीक है...लेकिन वो तो कह रही थी भूख नही है.

मैं : तुम खाना तो लगाओ बाकी मैं खिला लूँगा उसको

फ़िज़ा : ठीक है.

फिर फ़िज़ा ने नाज़ी की खाने की थाली मुझे दे दी ऑर मैं वो थाली लेके कमरे मे चला गया अंदर अभी भी नाज़ी वैसी ही उल्टी होके लेटी हुई थी.

मैं : लगता है आज बहुत गुस्सा हो (मुस्कुराते हुए)

नाज़ी : तुमसे मतलब...

मैं : अच्छा तो मुझसे गुस्सा हो...

नाज़ी : मैं क्यो किसी से गुस्सा होने लगी.

मैं : अच्छा... तो फिर खाना खाने क्यो नही आई...

नाज़ी : मुझे भूख नही है

मैं : ठीक है थोड़ा सा खा लो मैं तुम्हारे लिए खाना लेके आया हूँ.

नाज़ी : (उठकर बैठते हुए) किसने बोला था खाने लाने को नही खाना मुझे तुम जाओ यहाँ से.

मैं : ऐसे कैसे जाउ तुमको खाना खिलाए बिना तो नही जाउन्गा. (मुस्कुराते हुए)

नाज़ी : अब मेरे पास क्या लेने आए हो जाओ उसी बंदरिया को जाके खाना खिलाओ जिसके साथ बड़ी हँस-हँस के बाते हो रही थी.

मैं : अच्छा....तो इसलिए नाराज़ हो...हाहहहहाहा

नाज़ी : हँसो मत मुझे बहुत गुस्सा चढ़ा हुआ है.

मैं : ठीक है गुस्सा मुझ पर उतारो ना फिर खाने ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है देखो कैसे मायूस होके थाली मे पड़ा है बिचारा.

नाज़ी : (हँसते हुए) नीर तुम जाओ ना मुझे भूख नही है.

मैं : अच्छा चलो आज सुबह जैसे करते हैं.

नाज़ी : सुबह जैसे क्या

मैं : जैसे तुमने मुझे खाना खिलाया था अपने हाथो से मैं भी तुमको वैसे ही खिलाता हूँ फिर तो ठीक है.

नाज़ी : तुम जाओ ना नीर मुझे नही खाना.

मैं : (बेड पर बैठ ते हुए ऑर थाली मे से रोटी का टुकड़ा तोड़कर नाज़ी के मुँह के सामने करते हुए) मैने तुमसे पूछा नही कि तुमको भूख है या नही चलो अब मुँह खोलो....

नाज़ी : (मुस्कुराकर मुँह खोले हुए) आपने खाया...

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए)

नाज़ी : क्या... चलो आप भी मुँह खोलो मैं खिलाती हूँ (मुस्कुराकर)

उसके बाद ऐसे ही हमने एक दूसरे को खाना खिलाया ऑर एक दूसरे को प्यार से देखते रहे.

मैं : वैसे तुम हीना से किस बात पर गुस्सा थी.

नाज़ी : जानते हो उस कमीनी ने कौन्से कपड़े पहने थे मेरे चाय गिराने के बाद.

मैं : मेरे कपड़े पहने थे तो क्या हुआ.

नाज़ी : ना सिर्फ़ आपके कपड़े पहने थे बल्कि उसने वो कपड़े पहने थे जो मैने खुद आपके लिए
बड़े प्यार से सिले थे. इसलिए मुझे गुस्सा आ रहा था.

मैं : कोई बात नही उसको कपड़ो से खुश हो लेने दो तुम्हारे पास तो तुम्हारा नीर खुद है फिर किसी से जलन कैसी....है ना

नाज़ी : (खुश हो कर मुझे गले से लगाते हुए) अब गुस्सा नही करूँगी.

मैं : चलो अब जल्दी से खाना ख़तम करो फिर सोना भी है बहुत रात हो गई है ना.

नाज़ी : एक बात बोलूं बुरा नही मनोगे तो....

मैं : हाँ बोलो

नाज़ी : वो जब आपके साथ होती है तो मुझे ऐसा लगता है जैसे आप मुझसे दूर हो गये हो.

मैं : किसी से बात कर लेने का मतलब ये नही होता नाज़ी कि मैं उसका हूँ... मैं सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ इस घर का हूँ बॅस मुझे इतना पता है.

नाज़ी : मतलब सिर्फ़ मेरे हो. (मुस्कुराते हुए)

मैं : अच्छा अब दूर होके बैठो फ़िज़ा देख लेगी तो क्या सोचेगी.

नाज़ी : (दूर होके बैठ ते हुए) ये तो मैने सोचा ही नही...हाहहाहा

मैं : इसलिए कहता हूँ तुम मे अभी बच्पना है

नाज़ी : (नज़रे झुकाकर मुस्कुराते हुए)

मैं : अच्छा अब मैं चलता हूँ ठीक है बहुत रात हो गई है तुम भी सो जाओ अब.

नाज़ी : मेरे वाले कमरे मे जाके सोना आज ठीक है.

मैं : हम्म अच्छा... (थाली लेके खड़ा होते हुए)

नाज़ी : अर्रे ये आप क्यो लेके जा रहे हो छोड़ो मैं ले जाउन्गी (थाली मुझसे लेते हुए)

मैं : ठीक है

उसके बाद मैं खड़ा हुआ ऑर जैसे ही कमरे से बाहर जाने लगा नाज़ी की आवाज़ मेरे कानो से टकराई जिसने मेरे कदम रोक दिए.

नाज़ी : आज मुँह मीठा नही करना (मुस्कुरा कर)

मैं : करना तो है लेकिन....फ़िज़ा देख सकती है इसलिए अभी रहने देते हैं (मुस्कुराकर)

नाज़ी : सोच लो.... ऐसा मोक़ा फिर नही दूँगी (मुस्कुराते हुए)

मैं : कोई बात नही मुझे कुछ करने के लिए मोक़े की ज़रूरत नही सिर्फ़ मर्ज़ी होनी चाहिए.

इतने मे फ़िज़ा की आवाज़ आ गई तो हम दोनो चुप हो गये....

फ़िज़ा : (कमरे मे आते हुए) अर्रे नाज़ी ने खाना खाया या नही.

मैं : खा लिया (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : क्या बात है जब मैने बोला था तो नही खाया तुम आए तो खा भी लिया.

नाज़ी : ऐसा कुछ नही है भाभी वो बस ये ज़िद्द करके बैठ गये तो खाना पड़ा.

फ़िज़ा : अच्छा अब चलो रसोई मे थोड़ा काम करवा दो मेरे साथ फिर सोना भी है.

नाज़ी : अच्छा अभी आई भाभी.

मैं : मेरे लिए ऑर कोई हुकुम सरकार....(मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : जी... आप जाइए ऑर जाके अपने नये कमरे मे सो जाइए आराम से (मुस्कुरा कर)

मैं : जो हुकुम.... आज बाबा के पास नही सोना क्या.

फ़िज़ा : नही वो बाबा कह रहे थे कि अगर नीर दूसरे कमरे मे सोना चाहे तो सुला देना नही तो यहाँ भी (बाबा के कमरे मे) सोएगा तो मुझे कोई ऐतराज़ नही.

मैं : तो मैं कहा सो फिर...

फ़िज़ा : जहाँ तुम चाहते हो सो जाओ आज तो सारा दिन मैं अकेली ही लगी रही नाज़ी भी तुम्हारे साथ शहर चली गई थी तो मुझे भी बहुत नींद आ रही है.

नाज़ी : तो भाभी आप सो जाओ ना वैसे भी बाबा ने ज़्यादा काम करने से मना किया है ना आपको.

फ़िज़ा : तो फिर घर का बाकी बचा हुआ काम कौन करेगा.

नाज़ी : मैं हूँ ना संभाल लूँगी आप जाओ जाके सो जाओ.(मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : अच्छा... ठीक है (मुस्कुराते हुए) नाज़ी सोने से पहले याद से नीर को दूध गरम करके दे देना मैने उसमे दवाई डाल दी है.

नाज़ी : अच्छा भाभी.

उसके बाद नाज़ी रसोई मे चली गई ऑर फ़िज़ा अपना बिस्तर करने लगी मैं भी अपने नये कमरे मे जाके लेट गया ऑर सोने की कोशिश करने लगा ऑर दिन भर हुए सारे कामो के बारे मे सोचने लगा. थोड़ी देर मैं ऐसे ही बिस्तर पर लेटा करवटें बदलता रहा लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी. कुछ देर बाद नाज़ी भी दूध का लेके मेरे कमरे मे आ गई.

नाज़ी : सो गये क्या.

मैं : नही जाग रहा हूँ क्या हुआ

नाज़ी : ये दवाई वाला दूध लाई हूँ आपके लिए पी लो.
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07-30-2019, 01:19 PM,
#34
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-32

मैने बिना कुछ बोले दूध पकड़ लिया ऑर पीने लगा. ऑर नाज़ी ऐसे ही मेरे पास खड़ी मुझे देखती रही ऑर मुस्कुराती रही.

मैं : लो जी ये दूध तो हो गया अब आपके दूध की बारी है.

नाज़ी : (चोन्कते हुए) मेरा कौनसा दूध

मैं : पास आओ

नाज़ी : (ना मे सिर हिलाते हुए) अब कोई शरारत मत करना भाभी जाग ना जाए.

मैं : जाके देख कर आओ अगर वो सो गई तो वापिस आ जाना. (मुस्कुराते हुए)

नाज़ी : मैं अभी देखकर आई हूँ भाभी तो कब की सो गई है

मैने जल्दी से नाज़ी की बाजू पकड़कर अपनी तरफ खींचा जिससे वो खुद को संभाल नही सकी ऑर मेरे उपर आके गिरी जिसको मैने अपनी दोनो बाजू मे थाम लिए.

नाज़ी : क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे भाभी जाग जाएगी.

मैं : नही जागेगी अभी तुम खुद ही तो देखकर आई हो.

नाज़ी : फिर भी जाग गई तो...मुझे डर लगता है छोड़ो ना

मैं : अच्छा मुँह मीठा करवाओ फिर जाने दूँगा.

नाज़ी : लेकिन सिर्फ़ एक ठीक है.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हम्म...

नाज़ी मेरे उपर लेटी हुई थी ऑर उसने भी अपनी सहमति मे आँखें बंद कर ली फिर मैने उसके चेहरे को अपने हाथ से पकड़ा ऑर अपने होंठ उसके नाज़ुक ऑर रसीले होंठों पर रख दिए. मेरे होंठ उसके होंठों के साथ मिलते ही उसने अपना पूरा बदन ढीला छोड़ दिया जिससे मैने उसके होंठ चूस्ते हुए अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख दिए ऑर सख्ती से उसको अपनी बाजू मे क़ैद कर लिया अब मैं कभी उसके नीचे वाला होंठ चूस रहा था कभी उसके उपर वाला होंठ चूस रहा था वो बस अपनी आँखें बंद किए हुए मेरे उपर लेटी हुई थी ऑर अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर रखे हुए थे. मुझे उसका नाज़ुक ऑर नरम बदन मदहोश सा करता जा रहा था जिससे मैं खुद पर काबू नही कर पा रहा था इसलिए मैने उसके होंठ चूस्ते हुए ही उसको पलटाया ऑर बिस्तर की दूसरी तरफ गिरा दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया उसकी साँस लगातार तेज़ चल रही थी ऑर अब वो भी मेरी पीठ पर अपने हाथ फेर रही थी. मैं हीना के साथ हुई चुदाई से वैसे ही गरम था उस पर मुझे नाज़ी जैसा नाज़ुक बदन फिर से मिल गया इसलिए मैं बहुत जल्दी गरम हो गया.

अब मेरा एक हाथ नाज़ी की गर्दन पर घूम रहा था ऑर दूसरा हाथ उसके सिर के नीचे था जिससे मैने उसके सिर को उपर उठा रखा था ताकि होंठ चूसने मे आसानी रहे. नीचे मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था जो नाज़ी की टाँगो के बीच मे फसा हुआ था अब मैने अपने एक हाथ जो उसकी गर्दन पर था उससे नीचे ले जाना शुरू किया ऑर उसके एक मम्मे को पकड़ लिया जिसे नाज़ी ने फॉरन अपने हाथ से झटक दिया मैने फिर से अपना हाथ उपर ले जाकर दुबारा उसके मम्मे को थाम लिया ऑर दबाने लगा जिसे एक बार फिर नाज़ी ने पकड़ लिया ऑर नीचे को झटक दिया साथ ही आँखें खोल कर मेरी आँखो मे देखा ऑर ना मे इशारा किया लेकिन मैं उस वक़्त इतना गरम हो गया था कि कुछ भी समझने की हालत मे नही था इसलिए मैने एक बार फिर नाज़ी के मम्मे को सख्ती से थाम लिया इस बार नाज़ी ने कुछ नही कहा ऑर मेरी आँखों मे देखकर मुझे ना इशारा करती रही.

फिर मैने अपना हाथ नीचे ले जाकर नाज़ी की कमीज़ ज़रा उपर की ऑर अपना हाथ अंदर डालने की कोशिश करना लगा जिससे नाज़ी ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए ऑर अपने दोनो हाथो से मेरा हाथ पकड़ लिया.

नाज़ी : मत करो ना

मैं : कुछ नही होता मेरा दिल है.
उसके बाद मैने नाज़ी के दोनो हाथो को अपने एक हाथ से पकड़ लिया ऑर उपर कर दिया साथ ही दूसरा हाथ नीचे लेजा कर ज़बरदस्ती उसकी कमीज़ मे डाल दिया ऑर उसके पेट पर फेरने लगा साथ ही दुबारा उसके होंठ चूसने लगा. मेरा हाथ जैसे ही उसकी ब्रा तक पहुँचा उसने अपना एक हाथ छुड़ा लिया ऑर मेरे मुँह पर थप्पड़ मार दिया साथ ही डर कर अपना एक हाथ अपने मुँह पर रख लिया.

नाज़ी : नीर माफ़ कर दो मैने जान-बूझकर नही मारा वो ग़लती से हाथ उठ गया.

मैं : (नाज़ी के उपर से हट ते हुए) जाओ यहाँ से...

नाज़ी : नीर माफ़ कर दो मैने जान बूझकर नही मारा.

मैं : (गुस्से मे) मैने बोला ना जाओ यहाँ से.

इतना बोलने के साथ ही मैने उसकी बाजू पकड़ी ऑर अपने बिस्तर से उसको खड़ा कर दिया.

नाज़ी : नीर ज़्यादा ज़ोर से लगा क्या.

मैं : जाओ यहाँ से ग़लती मेरी थी जो तुम पर अपना हक़ जाता रहा था.

नाज़ी : (रोते हुए) ऐसा मत बोलो नीर ग़लती तो मुझसे हो गई माफ़ कर दो. (मेरा हाथ पकड़ते हुए) मुझे वहाँ किसीने कभी छुआ नही इसलिए ग़लती से हाथ उठ गया. अब कुछ भी कर लो मैं कुछ नही कहूँगी.

मैं : मुझे बहुत नींद आई है तुम जाओ ऑर जाके सो जाओ मुझे अब कुछ नही करना जो मिला इतना काफ़ी है.(अपना हाथ नाज़ी के हाथ से झटकते हुए)

उसके बाद मैं वापिस अपने बिस्तर पर लेट गया ऑर नाज़ी रोती हुई कमरे से चली गई. मुझे उस वक़्त सच मे बहुत गुस्सा आ गया था क्योंकि मैने नाज़ी से ऐसे-कुछ की कभी उम्मीद नही की थी लेकिन उसके इस तरह मुझ पर हाथ उठाने से जाने क्यो मुझे बहुत बुरा लगा. कुछ देर ऐसे ही मैं बिस्तर पर लेटा रहा ओर फिर थोड़ी ही देर मे मुझे नींद आ गई लेकिन आधी रात को अचानक मुझे अजीब बैचैनि सी महसूस होने लगी ऑर मेरी नींद खुल गई मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा पड़ा था मेरे सिर मे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था जैसे अभी फॅट जाएगा ऑर मुझे बहुत तेज़ चक्कर भी आ रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे पूरा कमरा घूम रहा हो. मेरा पूरा बदन टूटने लगा मैं हिम्मत करके उठा लड़खड़ाते हुए पास पड़े मटके से थोड़ा सा पानी पी लिया ऑर कुछ अपने सिर मे भी डाल लिया थोड़ी देर बार मुझे एक उल्टी आई तो थोड़ा सुकून आया उसके बाद मैं आके फिर से बिस्तर पर लेट गया. पानी पीने से मुझे कुछ सुकून मिला ऑर कुछ ही देर मे मुझे फिर से नींद आ गई.

सुबह किसी के हिलाने से मेरी नींद खुली तो देखा फ़िज़ा मुझे उठा रही थी मेरे सिर मे अब भी तेज़ बहुत दर्द था ऑर मेरा पूरा बदन टूट रहा था मुझसे आँखें खोली नही जा रही थी ओर उनमे तेज़ जलन हो रही थी. जब मैने आँखें खोली तो बाबा नाज़ी ऑर फ़िज़ा मेरे पास ही खड़े थे. वो तीनो बड़ी फिकर-मंदी से मुझे देख रहे थे.

फ़िज़ा : नीर तुम्हे तो बहुत तेज़ बुखार है

मैं : पता नही हो गया होगा मेरे सिर मे भी बहुत दर्द हो रहा है.

फ़िज़ा : ये लो दवाई खा लो ठीक हो जाओगे.

नाज़ी : मैं सिर दबा दूँ.

मैं : ज़रूरत नही है.

बाबा : आज बेटा खेत नही जाना ऑर घर पर ही आराम करना.

मैं : जी बाबा.

उसके बाद मैने दवाई खाई ऑर सबने मुझे खेत नही जाने दिया ऑर घर मे ही आराम करने का बोल दिया. इसलिए अब मैं बाहर नही जा सकता था ओर दिन भर घर मे अपने कमरे मे ही बैठा रहा. कुछ देर फ़िज़ा मेरा सिर अपनी गोद मे रखकर दबाती रही जिससे मुझे काफ़ी आराम मिल रहा था फिर जब मुझे थोड़ा सुकून मिला तो मैने फ़िज़ा को रोक दिया ऑर वो भी बाहर चली गई ऑर घर के बाकी कामो मे लग गई. नाज़ी बार-बार मेरे सामने आ रही थी ऑर अपने कान पकड़कर माफी माँग रही थी लेकिन रात का वाक़या याद आते ही मेरे चेहरे पर उसके लिए गुस्सा आ जाता ऑर मैं उसकी तरफ देखता भी नही था. दुपहर को हीना मुझसे मिलने घर आ गई जिसे फ़िज़ा ने सीधा मेरे कमरे मे ही भेज दिया.

हीना : क्या हुआ नीर आज खेत नही गये आप मैं तो आपको दवाई देने खेत गई थी.

मैं : कुछ नही वो ज़रा बुखार आ गया था इसलिए...

हीना : क्या.... ओर आपने मुझे बताना भी ज़रूरी नही समझा.

मैं : अर्रे इसमे बताने जैसा क्या था हल्का सा बुखार था शाम तक ठीक हो जाएगा.

हीना : दवाई ली?

मैं : हाँ सुबह फ़िज़ा ने दे दी थी.

हीना : अच्छा आप आराम करो शाम को मैं फिर आउन्गि.(मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए)

उसके बाद हीना चली गई ऑर मैं उसको कमरे से बाहर निकलते हुए देखता रहा. सारा दिन ऐसे ही कमरे मे गुज़र गया ऑर शाम को हीना अपने वादे के मुताबिक़ फिर आ गई लेकिन इस बार उसके साथ एक डॉक्टर भी था. कुछ देर वो लोग बाहर बाबा के पास बैठे रहे ऑर फिर डॉक्टर , हीना, ऑर फ़िज़ा कमरे मे आ गये. ये वही डॉक्टर था जिसके पास हीना मुझे शहर मे दिखाने के लए लेके गई थी जिसको मैने देखते ही पहचान लिया. डॉक्टर ने आते ही पहले मेरा चेक-अप किया ऑर फिर मुझ दी हुई दवाई के बारे मे पुच्छने लगा जो डॉक्टर रिज़वाना ने मुझे रोज़ खिलाने के लिए दी थी.

डॉक्टर : आपको ये दवाइयाँ किसने दी है.

फ़िज़ा : जी शहर से इनके एक दोस्त आए थे उनके साथ एक डॉक्टर आई थी उसने दी है...क्यो क्या हुआ.

डॉक्टर : आप जानती है ये दवाई किस काम के लिए हैं.

फ़िज़ा : हंजी डॉक्टर ने इनकी याददाश्त के लिए इन्हे ये दवाइयाँ दी है ये हर बात भूल जाते हैं इसलिए....

डॉक्टर: (मुस्कुराते हुए) ये दवाइयाँ याददाश्त वापस लाने के लिए नही बल्कि दिमाग़ की तमाम याददाश्त को ख़तम करने के लिए है.

फ़िज़ा : (चोन्कते हुए) क्या.....

डॉक्टर : ये तो अच्छा हुआ कि इनके ब्लड मे शराब इतनी ज़्यादा है जिस वजह से जब इन्होने दवाई खाई तो दवाई इनको सूट नही हुई ऑर इनकी तबीयत खराब हो गई नही तो ये अगर रोज़ ऐसे ही ये दवाई लेते रहते तो इनको जो अब थोड़ा बहुत याद है वो भी सॉफ हो जाना था.

ये बात हम सब के लिए किसी झटके से कम नही थी. सबके दिमाग़ मे एक ही बात थी कि क्यो डॉक्टर रिज़वाना ने मुझे ग़लत दवाई दी. आख़िर क्यो ख़ान जैसा नेक़ ऑर ईमानदार इंसान मेरे साथ ऐसा कर रहा है. अब मेरी समझ मे आ रहा था कि रात को मुझे इतनी बचैनि क्यो हुई आख़िर क्यो मेरे सिर मे इतना जबरदस्त दर्द हुआ ये सब डॉक्टर रिज़वाना की दी हुई दवाई का ही कमाल था. अभी मैं इसी बात पर सोच ही रहा था कि हीना की आवाज़ आई.

हीना : ये कौन्से बेफ़्कूफ़ डॉक्टर के पास लेके गये थे आप लोग नीर को अगर इन्हे कुछ हो जाता तो कभी सोचा है.

फ़िज़ा : (परेशान होते हुए) मुझे तो खुद कुछ समझ नही आ रहा नही तो इनका बुरा तो हम सोच भी नही सकते.

डॉक्टर : कोई बात नही अभी तो सिर्फ़ एक ही डोज अंदर गई थी इसलिए ज़्यादा कुछ असर नही हुआ. ये मैं आपको कुछ दवाई लिखकर देता हूँ आप लोग ले आइए ऑर इन्हे देना शुरू कर दीजिए ऑर बाकी ये वाली दवाई इन्हे दुबारा मत देना.

हीना : (दवाई की पर्ची पकड़कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) कोई बात नही मैं किसी को भेज कर अभी शहर से मंगवा लेती हूँ.

फ़िज़ा : हमें माफ़ कर दो नीर हमे नही पता था कि उस खबीज ने तुमको ग़लत दवाई दी है हम तो उससे नेक़ इंसान समझकर भरोसा कर बैठे.

मैं : कोई बात नही इसमे आपका क्या कसूर है. अब जवाब तो ख़ान को देना है.

फ़िज़ा : अब घर मे घुसकर तो दिखाए कमीना टांगे तोड़ दूँगी उसकी.

मैं : कोई कुछ नही बोलेगा उसको... अभी मुझे ये बात जानने दो कि उसने ऐसा क्यो किया.

फिर डॉक्टर ने मुझे एक इंजेक्षन लगाया जिससे कुछ ही देर मे मेरा बुखार भी उतर गया उसके बाद हीना ने भी अपने ड्राइवर को डॉक्टर को शहर छोड़ने के लिए भेज दिया साथ ही वो दवाई की पर्ची भी उसको दे दी. जब तक ड्राइवर नही आया हीना ऑर फ़िज़ा मेरे पास ही बैठी रही लेकिन नाज़ी कमरे के बाहर ही खड़ी रही उसको सब अंदर बुलाते रहे लेकिन वो अंदर नही आई बस दरवाज़े पर खड़ी मुझे देखती रही.

मेरे दिमाग़ मे बस इनस्पेक्टर ख़ान ऑर डॉक्टर रिज़वाना का ही ख़याल था मेरे दिमाग़ मे इस वक़्त एक साथ कई सवाल चल रहे थे. फिर अचानक इस डॉक्टर की कही हुई बात याद आई कि मुझे मेरे खून मे मिली शराब ने बचाया. लेकिन मैं तो शराब पीता ही नही फिर मेरे खून मे शराब कैसे आई. ऐसे ही कई सवाल थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे मुझे सिर्फ़ एक ही इंसान पता था जो मेरी बीती हुई जिंदगी के बारे मे जानता था जिससे मैं अपने बारे मे जान सकता था कि मैं कौन हूँ ओर मेरी असलियत क्या है इसलिए मैने सोच लिया था कि अब इनस्पेक्टर ख़ान से ही अपनी असलियत पता करूँगा.


हीना ऑर फ़िज़ा मेरे पास बैठी रही ऑर मेरे बारे मे ही बाते करती रही लेकिन मैं बस अपने ही ख्यालो मे गुम था ऑर आने वाले वक़्त के बारे मे सोच रहा था. जाने कब मुझे नींद आ गई ऑर मैं सो गया मुझे पता ही नही चला. रात को जब मेरी नींद खुली तो मैं उठकर बैठ गया मेरे पास ही कुर्सी पर फ़िज़ा बैठी-बैठी ही सो गई थी मैं उठ कर खड़ा हुआ तो मैने खुद को बहुत ताज़ा महसूस किया जैसे मुझे कुछ हुआ ही नही. मैने फ़िज़ा को उठाना सही नही समझा इसलिए उसको धीरे से सीधा करके कुर्सी पर बिठाया ऑर एक बाजू उसकी गर्दन मे डाली ऑर दूसरी उसकी टाँगो के नीचे से लेजा कर उसे गोद मे उठा लिया ऑर बेड पर अच्छे से लिटा दिया वो अब भी नींद मे थी ऑर सोई हुई बहुत मासूम लग रही थी. उसके चेहरे पर आने वाली लट उसकी खूबसूरती को ऑर निखार रही थी मैने उसके खूबसूरत चेहरे से वो बाल की लट को उंगली से साइड पर किया ऑर उसके मासूम चेहरे को देखने लगा ऑर दिन भर हुए सारे हालात के बारे मे सोचने लगा कि कैसे फ़िज़ा ने सारा दिन मेरी खिदमत की. वो शायद ठीक ही कहती थी कि दुनिया के लिए उसका शोहार क़ासिम था लेकिन असल मे वो मुझे अपना शोहार मानती थी. एक वाफ्फ़ादर बीवी की तरह हमेशा मेरा इतना ख्याल रखती थी. मैने हल्के से उसके होंठों को चूम लिया जिससे उसकी आँखें खुल गई ऑर वो मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी.
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07-30-2019, 01:20 PM,
#35
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-33

फ़िज़ा : आप उठ गये जान... अब कैसा महसूस कर रहे हैं.
मैं: बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ जैसे कुछ हुआ ही नही मुझे. लेकिन यार तुम क्यों जाग गई सो जाओ अभी बहुत रात बाकी है.

फ़िज़ा : मैं तो आपके पास ही बैठी थी.... जान पता ही नही चला कब आँख लग गई.

मैं : कोई बात नही अब तुम आराम करो.

फ़िज़ा : नही आप यहाँ सो जाओ मैं अब उस कमरे मे जाके सो जाउन्गी.

मैं : क्यो यहाँ सो जाओगी तो कुछ हो जाएगा.

फ़िज़ा : होगा तो कुछ नही पर अभी आपको आराम की ज़रूरत है.

मैं : तुम्हारे उपर लेट जाता हूँ ना इससे ज़्यादा आराम तो दुनिया मे नही होगा.

फ़िज़ा : (मेरे दोनो गाल पकड़ कर खींचते हुए)ठीक होते ही बदमाशी शुरू करदी (मुस्कुराते हुए) अब आप उपर लेटना तो भूल ही जाइए कुछ वक़्त के लिए.

मैं : क्यों.....

फ़िज़ा : वो इसलिए क्योंकि अब मेरे साथ कोई ऑर भी है...मैं नही चाहती मेरे छोटे नीर को आपकी किसी शरारत की वजह से तक़लीफ़ हो. (मुस्कुराते हुए) लेकिन हाँ साथ ज़रूर लेट सकती हूँ.

मैं : अच्छा मतलब अब प्यार करना भी बंद...(रोने जैसा मुँह बनाते हुए)

फ़िज़ा : सिर्फ़ कुछ महीनो के लिए उसके बाद जैसे चाहे प्यार कर लेना. (मेरे होंठ चूमते हुए)

उसके बाद हम ऐसे ही कुछ देर बाते करते रहे ऑर फिर फ़िज़ा अपने कमरे मे जाके सो गई ओर मैं भी वापिस अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर कुछ देर मे दवाई के नशे की वजह से दुबारा सो गया. मेरे 2-3 दिन ऐसे ही गुज़रे बाबा ने मुझे खेत पर भी नही जाने दिया ऑर मैं सारा दिन घर पर ही बैठा रहता. लेकिन नाज़ी से अब मैं दूरी बनाके रखने लगा था वो हर वक़्त मुझसे बात करने की कोशिश करती लेकिन मैं हर बार उसकी बात को अनसुना कर देता. हाँ इतना ज़रूर था कि रोज़ शाम को हीना मेरा पता लेने आती ऑर मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारती मेरी वजह से वो नयी गाड़ी लेने भी नही गई क्योंकि वो चाहती थी कि मैं ठीक होके उसके साथ शहर चल सकूँ. जितने दिन मैं खेत नही गया उतने दिन हीना ने अपने मुलाज़िमो को मेरे खेत मे लगाए रखा ताकि मेरी गैर-मोजूदगी मे वो लोग मेरे खेत का ख्याल रखे.

मुझे अब घर मे पड़े हुए 3 दिन हो गये थे ऑर फिर अगली सुबह डॉक्टर रिज़वाना आ गई मेरा चेक-अप करने के लिए. उस वक़्त बाबा सैर करने गये हुए थे इसलिए फ़िज़ा ने ऑर नाज़ी ने आते ही उसको सुनानी शुरू करदी. मैं भी उस वक़्त सो रहा था लेकिन फ़िज़ा ऑर नाज़ी की ऊँची आवाज़ से मेरी नींद खुल गई ऑर मैं उठकर अपने कमरे से बाहर चला गया तो वहाँ फ़िज़ा ऑर नाज़ी डॉक्टर रिज़वाना से झगड़ रही थी ऑर रिज़वाना नज़रे झुकाकर सब सुन रही थी.

मैं : क्या हुआ शोर क्यो मचा रखा है.(आँखें मलते हुए)

फ़िज़ा : तुम अंदर जाओ नीर मुझे बात करने दो. (गुस्से मे)

रिज़वाना : अब आप कैसे हैं.

मैं : अर्रे डॉक्टर आप... जी मैं एक दम ठीक हूँ. (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : ये झूठी हम-दरदी अगर आप ना दिखाए तो ही अच्छा है अगर आपको नीर की इतनी ही फिकर होती तो आप उसको कभी ग़लत दवाई ना देती. हमने आप पर ऑर इनस्पेक्टर ख़ान पर इतना भरोसा किया ऑर आपने हमारे साथ कितना फरेब किया. कभी आपने सोचा अगर आपकी ग़लत दवाई से इनको कुछ हो जाता तो....

रिज़वाना : जी कुछ नही होता इनको.... आप लोग एक बार मेरी बात सुन लीजिए.

नाज़ी : हमे अब आपकी कोई बात नही सुननी मेहरबानी करके आप यहाँ से चली जाओ.

रिज़वाना : (परेशान होके अपने पर्स से मोबाइल निकलते हुए) अच्छा ठीक है मैं चली जाउन्गी लेकिन एक बार मेरी बात सुन लीजिए प्लज़्ज़्ज़.

नाज़ी : अब क्या झूठी कहानी सुननी है.

रिज़वाना : (फोन पर नंबर डायल करते हुए) बस 2 मिंट दीजिए मुझे.

रिज़वाना : (फोन पर) कहाँ हो तुम..... जल्दी से शेरा के घर आओ.... मुझे नही पता.... हाँ ठीक है.... अच्छा..... ओके (फोन रखते हुए)

फ़िज़ा, नाज़ी ऑर मैं हम तीनो रिज़वाना के जवाब का इंतज़ार कर रहे थे ऑर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देख रहे थे.

रिज़वाना : देखिए मैने कोई भी काम ग़लत नही किया मैने वही किया जो मुझे इनस्पेक्टर ख़ान ने कहा. नीर जैसा अब है वैसा ही सारी उम्र रहे इसलिए इसकी पुरानी याददाश्त मिटनी ज़रूरी थी क्योंकि अगर इसकी यादशत वापिस आती है तो फिर ये आज जैसा नही रहेगा मुमकिन है फिर ये नीर भी ना रहे ऑर फिर से शेरा बन जाए. क्योंकि इसकी पुरानी जिंदगी मे ये एक बहुत बड़ा अपराधी है. ख़ान को भी इसकी ऐसे ही ज़रूरत है वो पुराने शेरा पर भरोसा नही कर सकता लेकिन नीर पर कर सकता है क्योंकि वो इसको एक ऐसे मिशन पर भेजना चाहता है जहाँ ये जाएगा शेरा बनकर लेकिन होगा नीर ही.

फ़िज़ा : मेरी तो कुछ समझ नही आ रहा आप क्या कह रही है. (परेशान होते हुए)

रिज़वाना : नीर आज एक नेक़-दिल इंसान है इसमे कोई शक़ नही मैने ही इसका लाइ डिटेक्टर टेस्ट किया था उसमे इसने मुझे वही सब बताया जो आप लोगो ने ख़ान को बताया था. लेकिन इसके दिमाग़ की स्कॅनिंग करके मुझे पता चला कि इसकी याददाश्त वापिस आ सकती है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी याद करवाई जाए तो ऑर आज भी इसके दिमाग़ के सिर्फ़ एक हिस्से से याददाश्त ख़तम हुई है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी मे वापिस लेके जाया जाए तो इसकी वो याददाश्त वापिस आ सकती है ऑर इसी वजह से आज भी इसको अपनी पुरानी जिंदगी की काफ़ी चीज़े आज ही याद है ऑर इसके दिमाग़ के इंटर्नल मेमोरी मे स्टोर है इसलिए आज भी ये लड़ाई करना, गाड़ी चलाना, हथियार चलाना ऑर बाकी काम जो ये बचपन से करता आया है इसको आज भी याद है ऑर आज भी ये वैसे ही बहुत महारत के साथ सब काम कर लेता है अगर ये वहाँ जाके शेरा बन गया तो फिर ये हमारे किसी का काम नही रहेगा.

फ़िज़ा : इनको भेजना कहाँ है (सवालिया नज़रों से)

रिज़वाना : वही तो मैं बता रही हूँ कि ख़ान इसको इसके गॅंग तक पहुँचा देगा जहाँ ये ख़ान का इनफॉर्मर बनकर इसके गॅंग की खबर हम तक पहुँच जाए. इससे ख़ान इसके सारे गॅंग को ख़तम कर सकता है.

अभी रिज़वाना बात ही कर रही थी कि घर के सामने एक जीप आके रुकी ऑर सब लोग एक साथ दरवाज़े के बाहर देखने लगे. जीप मे से ख़ान उतरा ऑर सीधा घर के अंदर आ गया फ़िज़ा ऑर नाज़ी अब भी उससे गुस्से से देख रही थी.

रिज़वाना : अच्छा हुआ तुम आ गये इनको दवाई के ऑर मिशन के बारे मे बताओ. (गुस्से से)

ख़ान : माफ़ कीजिए मैने आपसे कुछ बाते राज़ रखी लेकिन मैने आपके बाबा को सब बता दिया था ऑर उनकी इजाज़त से ही इसको याददाश्त की दवाई दिलवाई थी.

फ़िज़ा : (हैरानी से) बाबा जानते थे ग़लत दवाई के बारे मे.

ख़ान : जी जानते थे... मैने ही उनको मना किया था कि अभी किसी से कुछ ना कहे.

नाज़ी : आने दो बाबा को भी इनसे तो हम बात करेंगी पहले तुम ये बताओ ये डॉक्टरनी क्या कह रही है नीर के बारे मे इनको कहाँ भेजना है तुमने.

ख़ान : मैने आपसे पहले ही कहा था कि आज नीर कुछ भी है लेकिन इसके पुराने पाप इसको इतनी आसानी से नही छोड़ेंगे इसको क़ानून की मदद करनी पड़ेगी तभी ये आज़ाद हो सकता है.

मैं : (जो इतनी देर से खामोश सबकी बाते सुन रहा था) क्या करना होगा मुझे.

ख़ान : हमारी मदद करनी होगी तुम्हारे गॅंग का सफ़ाया करने मे.

मैं : गॅंग कौनसा गॅंग

ख़ान : (अपने कोट का बटन बंद करते हुए) ये लोग हर बुरा काम करते हैं ड्रग्स बेचने से लेके हथियार बेचने तक हर गुनाह मे इनका नाम है. इनके नाम अन-गिनत केस हैं लेकिन कोई सबूत नही है इसलिए हमेशा बरी हो जाते हैं.

मैं : तो आप मुझसे क्या चाहते हैं.

ख़ान : मुझे सबूत चाहिए जो मुझे सिर्फ़ तुम ही लाके दे सकते हो.

मैं : मैं ही क्यो आपके पास तो इतने लोग है किसी को भी शामिल कर दीजिए उन लोगो मे....

ख़ान : क्योंकि तुम इनके पुराने आदमी हो तुम पर वो लोग आसानी से भरोसा कर लेंगे नये आदमी को वो अपने पास तक नही आने देते. तुम अपनी पुरानी जिंदगी मे शेख साहब या तुम्हारे लिए बाबा के राइट-हॅंड थे इसलिए जहाँ तुम पहुँच सकते हो मेरा कोई आदमी नही पहुँच सकता.

मैं : ठीक है लेकिन उसके लिए मेरी याददाश्त ख़तम करने क़ी क्या ज़रूरत थी मैं तो वैसे भी आपका काम करने के लिए तैयार था.

रिज़वाना : क्योंकि तुम्हारे दिमाग़ की स्क़ेनिंग करके मुझे पता चला कि अगर तुमको तुम्हारी पुरानी ज़िंदगी मे लेके जाया जाए तो तुम्हारी याददाश्त लौट सकती है फिर ना तुम नीर रहोगे ना ही ये तुम्हारे घरवाले. मतलब सॉफ है फिर तुम उन लोगो मे जाके हमारी मदद नही करोगे अपनी पुरानी जिंदगी मे ही लौट जाओगे बस इसलिए तुम्हारी पुरानी याददाश्त मिटा रहे थे ताकि तुमको तुम्हारे ये घरवाले ओर तुम्हारी नेक़ी याद रहे.

ख़ान : सीधी सी बात है हम को नीर पर ऐतबार है शेरा पर नही.


तभी बाबा भी घर आ गये....

बाबा : अर्रे ख़ान साहब आप कब आए.

ख़ान : (अदब से सलाम करते हुए) जी बस अभी वो थोड़ा समस्या हो गया था.

नाज़ी : बाबा आपको सब पता था तो हम को क्यो नही बताया (गुस्से से)

बाबा : बेटी मैने जो किया इसके भले के लिए किया मैं नही चाहता था कि ये भी क़ासिम की तरह जैल मे अपनी जिंदगी गुज़ारे.

मैं : बाबा आपने जो किया ठीक किया लेकिन मुझे इस दवाई की ज़रूरत नही है मैं आपका बेटा हूँ ऑर आपका ही बेटा रहूँगा ऑर यक़ीन कीजिए मैं ख़ान का हर हालत मे साथ दूँगा.

ख़ान : सोच लो.. तुम पर मैं बहुत बड़ा दाव खेलने जा रहा हूँ कुछ गड़बड़ हुई तो....

मैं : (बीच मे बोलते हुए) आप को मुझ पर भरोसा करना होगा.

ख़ान : ठीक है... वैसे भी मेरे पास ऑर कोई रास्ता है भी नही....

मैं : तो कब जाना है मुझे फिर...

ख़ान : अर्रे इतनी जल्दी भी क्या है तुम अभी इस लायक़ नही हो कि वहाँ तक भेज दूँ उसके लिए पहले तुमको ट्रेंड करना पड़ेगा हर चीज़ सीखनी पड़ेगी.

रिज़वाना : क्यो ना आप कुछ दिन के लिए हमारे पास शहर आ जाए वहाँ हम आपको सब कुछ सिखा भी देंगे.

फ़िज़ा : कितने दिन का काम है. (परेशान होते हुए)

ख़ान : ज़्यादा नही बस कुछ ही दिन की बात है.

बाबा : ख़ान साहब आपको हम से एक वादा करना होगा

ख़ान : (सवालिया नज़रों से बाबा को देखते हुए) कैसा वादा जनाब...

बाबा : यही कि आपका मिशन पूरा हो जाने के बाद आप सही सलामत नीर को वापिस भेज देंगे. अब ये हमारी अमानत है आपके पास.

ख़ान : जी बे-फिकर रहिए मेरा काम होते ही मैं खुद इसे आज़ाद कर दूँगा ऑर यहाँ तक कि पोलीस रेकॉर्ड्स से इसका नाम भी मिटा दूँगा. उसके बाद पोलीस रेकॉर्ड्स मे शेरा मर जाएगा ऑर फिर ये नीर बनके अपनी सारी जिंदगी चैन से आप सब के साथ गुज़ार सकता है.

बाबा : ठीक है.

ख़ान : कुछ दिन के लिए नीर को मेरे पास भेज दीजिए ताकि इसको मैं इसका काम सीखा सकूँ उसके बाद इसको मैं मिशन पर भेज दूँगा.

मैं : मेरे जाने के बाद इनका ख्याल कौन रखेगा.

ख़ान : तुम इनकी बिल्कुल फिकर ना करो ये अब मेरी ज़िम्मेदारी है इनको किसी चीज़ की कमी नही होगी ये मैं वादा करता हूँ.

मैं : ठीक है फिर मैं कल ही आ जाता हूँ

ख़ान : जैसा तुम ठीक समझो. अच्छा जनाब (बाबा की तरफ देखते हुए) अब इजाज़त दीजिए.

बाबा : अच्छा ख़ान साहब.

उसके बाद डॉक्टर रिज़वाना ऑर ख़ान दोनो चले गये ऑर मैं दोनो को जाते हुए देखता रहा. बाबा एक दम शांत होके कुर्सी पर बैठे थे जैसे वो किसी गहरी सोच मे हो.

मैं : क्या हुआ बाबा

बाबा : बेटा मुझे समझ नही आ रहा कि तुमको ऐसी ख़तरनाक जगह पर भेजू या नही.

मैं : अर्रे बाबा आप फिकर क्यो करते हैं अपने बेटे पर भरोसा रखिए कुछ नही होगा.

बाबा : एक तुम पर ही तो भरोसा है बेटा....लेकिन तुम्हारी फिकर भी है कही तुमको कुछ हो गया तो मुझ ग़रीब के पास क्या बचेगा.

मैं : कुछ नही होगा बाबा.

फ़िज़ा : बाबा आपको इतने ख़तरनाक काम के लिए ख़ान को हाँ नही बोलना चाहिए था जाने वो लोग कैसे होंगे.

बाबा : शायद तुम ठीक कह रही हो बेटी लेकिन मैं भी क्या करता एक बेटा आगे ही जैल मे बैठा है दूसरे को भी जैल कैसे भेज देता इसलिए मजबूर होके मैने हाँ कहा था.

नाज़ी : लेकिन बाबा अगर वहाँ नीर को कुछ हो गया तो....

फ़िज़ा : (बीच मे बोलते हुए) ऐसी बाते ना करो नाज़ी वैसे ही मुझे डर लग रहा है.

मैं : अर्रे आप सब तो ऐसे ही घबरा रहे हो कुछ नही होगा... मुझे बस आप लोगो की ही फिकर है.

बाबा : तुम बस अपना ख्याल रखना बेटा..... हमें ऑर कुछ नही चाहिए (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए)

ऐसे ही हम काफ़ी देर तक बाते करते रहे शाम को हीना फिर से मेरा पता लेने आ गई मैने उससे कुछ दिन इलाज करवाने का बता कर शहर जाने का बहाना बना दिया जिस पर पहले वो नाराज़ हुई लेकिन फिर वो मान गई ऑर कुछ वक़्त उसके साथ बिताने के बाद वो भी चली गई. अगले दिन वादे के मुताबिक़ सुबह ख़ान ने जीप भेजदी मुझे लेने के लिए. बाबा नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने मुझे बहुत सारी दुआएँ ऑर भीगी आँखों के साथ रुखसत किया. मैं तमाम रास्ते नाज़ी. बाबा, फ़िज़ा ऑर हीना के बारे मे ही सोचता रहा ऑर इनके साथ बिताए वक़्त के बारे मे ही याद करता रहा. मुझे नही पता था कि जहाँ मैं जेया रहा हूँ वहाँ से वापिस आउन्गा या नही लेकिन इन लोगो के साथ बिताए वक़्त ने मेरे दिल मे इन लोगो के लिए बे-इंतेहा प्यार पैदा कर दिया था. वैसे तो ये लोग मेरे कोई नही थे लेकिन फिर भी ये मुझे मेरे अपनो से बढ़कर थे ऑर आज मैं जो कुछ भी करने जा रहा था इन लोगो के लिए ही करने जा रहा था. आज मेरे पास जो जिंदगी थी वो इन लोगो का ही "अहसान" था. ऐसी ही मैं अपनी ही सोचो मे गुम्म था कि मुझे पता ही नही चला कब हम शहर आ गये ऑर कब एक घर के बाहर गाड़ी रुकी.

मैं : ये कौनसी जगह है ये तो ख़ान का दफ़्तर नही है.

ड्राइवर : आपको ख़ान साहब ने यही बुलाया है.

मैं : अच्छा...

उसके बाद मैं जीप से उतरा ऑर उस घर मे चला गया जो देखने मे सरपंच की हवेली जैसा बड़ा नही था लेकिन काफ़ी शानदार बना हुआ था. गेट के बाहर 2 पोलीस वाले बंदूक थामे खड़े थे जिन्होने मुझे देखते ही छोटा गेट खोल दिया. मैं जब अंदर गया तो घर के चारो तरफ लगे खुश्बुदार फूलों ने मेरा वेलकम किया सामने एक काँच का बड़ा सा गेट लगा था जिसे मैं धकेल्ता हुआ अंदर चला गया. घर काफ़ी खूबसूरती से सजाया गया था मैं चारो तरफ नज़रें घूमाकर घर की खूबसूरती देख रहा था तभी एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई....

रिज़वाना : घर अच्छा लगा (मुस्कुराते हुए)

मैं : जी बहुत खूबसूरत घर है....क्या ये ख़ान साहब का घर है (चारो तरफ देखते हुए)

रिज़वाना : जी नही ये मेरा घर है...अर्रे आप खड़े क्यो हो बैठो.

मैं : लेकिन मुझे तो ख़ान साहब ने बुलाया था

रिज़वाना : अब कुछ दिन आपको भी यही रहना है यही हम आपकी ट्रैनिंग भी मुकम्मल करवाएँगे ऑर ये एक सीक्रेट मिशन है इसलिए ख़ान ने दफ़्तर मे किसी को भी इसके बारे मे नही बताया.

मैं : अच्छा... लेकिन ख़ान साहब है कहा.

रिज़वाना : आप बैठिए वो आते ही होंगे.

मैं : ठीक है.

रिज़वाना : यहाँ आपको रहने मे कोई ऐतराज़ तो नही.

मैं : जी नही मुझे क्या ऐतराज़ होगा मैं तो कहीं भी रह लूँगा.

अभी मैं ऑर रिज़वाना बाते ही कर रहे थे कि ख़ान भी अपने हाथ मे एक फाइल थामे हुए आ गया ऑर आते ही टेबल पर फाइल फेंक दी ऑर धम्म से सोफे पर गिर गया.

ख़ान : हंजी जनाब आ गये

मैं : जी... बताइए अब मुझे क्या करना है

ख़ान : यार तुम हर वक़्त जल्दी मे ही रहते हो क्या....

मैं : नही...वो आपने काम के लिए बुलाया था तो सोचा पहले काम ही कर ले.

ख़ान : कुछ खाओगे....

मैं : जी नही मेहरबानी.

ख़ान : यार शरमाओ मत अपना ही घर है....

मैं : जी नही मैं घर से खा कर आया था...

ख़ान : चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी... अच्छा ये देखो तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ.

मैं : (सवालिया नज़रों से ख़ान को देखते हुए) जी क्या...

ख़ान : (उठकर मेरे साथ सोफे पर बैठ ते हुए) ये तुम्हारे पुराने दोस्तो की तस्वीरे हैं जिनके साथ अब तुमको काम क्रना है. (फाइल खोलते हुए)

यहाँ से दोस्तो मे कुछ नये लोगो का इंट्रोडक्षन आप सब से करवा दूँ ताकि आगे भी आपको कहानी समझ आती रहे:-
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07-30-2019, 01:20 PM,
#36
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-34

दोस्तो यहाँ से कुछ नये करेक्टर का परिचय कराता हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,



शेख साब {बाबा} :- एज- 58 साल, दिखने मे काफ़ी रौबदार इंसान, काम- गॅंग का मैं लीडर, शेरा जैसे बाकी सब लोग इसके लिए ही काम करते हैं.

अनीस (छोटा शेख):- एज- 32 साल, शेख का बेटा ऑर एक ला-परवाह किस्म का इंसान इसलिए शेख कोई भी काम इसको सोंपना ज़रूरी नही समझता. हर वक़्त ड्रग्स के नशे मे ऑर लड़कियो मे डूबा रहता है.

मुन्ना (जापानी):- एज- 28 साल, शेरा का जिगरी दोस्त है ऑर देखने मे जापानी जैसा लगता है इसलिए जापानी नाम से अंडरवर्ल्ड मे मशहूर, काम- ड्रग्स एजेंट ऑर आर्म्स एजेंट के साथ डील फिक्स करना ऑर फाइट क्लब मे शेरा का पार्ट्नर.

रसूल :- एज-34 साल, काम- शेरा के बाद शेरा का सारा काम यही संभालता है.

सूमा :- एज-25 साल, काम- विदेशी क्लाइंट्स के साथ ड्रग्स ऑर आर्म्स की डील फिक्स करना ओर तमाम एजेंट्स से पैसा कलेक्ट करके शेख साहब तक पहुँचना.

लाला ऑर गानी :- एज-34-28 साल, काम- होटेल्स ऑर क्लब्स संभालना.



मैं बड़े गोर से बारी-बारी सब लोगो की तस्वीरे देख रहा था ऑर उनको पहचाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे किसी का भी चेहरा याद नही आ रहा था. तभी ख़ान ने एक ऐसी तस्वीर टेबल पर फेंकी जिसको मैं उठाए बिना नही रह सका. ये तो मेरी तस्वीर थी लेकिन मैने उस तस्वीर मे मूछ रखी हुई थी इसलिए मेरा हाथ खुद ही अपने चेहरे पर चला गया जैसे मैं अपने हाथ से अपने चेहरे का जायज़ा ले रहा हूँ कि क्या ये मेरी ही तस्वीर है.

ख़ान : क्या हुआ कुछ याद आया अपने बारे मे.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) क्या ये मेरी तस्वीर है

ख़ान : जी हुजूर ये आपकी ही तस्वीर है ऑर इन तस्वीरो को अच्छे से देख लो तुमको अब ऐसा ही फिर से बनना है.

मैं : लेकिन आपने बताया नही मैं वहाँ तक पहचूँगा कैसे.

ख़ान : उसका भी एक रास्ता है

मैं : कौनसा रास्ता

ख़ान : तुम्हारा पुराना दोस्त जापानी जो फाइट क्लब संभालता है वहाँ से तुम तुम्हारी दुनिया मे एंट्री कर सकते हो. वैसे भी शेरा उस फाइट क्लब का सबसे फ़ेवरेट फाइटर हैं (मुस्कुराते हुए)

मैं : तो क्या मुझे वहाँ जाके लड़ना होगा.

ख़ान : (मुस्कुराते हुए) ऐसा ही कुछ.

मैं : मैं समझा नही आप कहना क्या चाहते हैं.

ख़ान : तुमको वहाँ जाके वहाँ के उनके लोगो को मारना होगा ऑर उनका माल लूटना होगा ताकि उन लोगो का ध्यान तुम्हारी तरफ जाए ऑर वो तुमको पहचान ले.

मैं : क्या मैं बिना कोई वजह उनसे लड़ाई करूँ.

ख़ान : वजह मैं बना दूँगा. तुमको तो बस जाके लड़ाई करनी है.

मैं : ठीक है.

उसके बाद वो तस्वीरे मुझे देकर ख़ान वापिस चला गया ऑर अब मैं अकेला बैठा उन तस्वीरो को देख रहा था ऑर अपनी पुरानी जिंदगी को याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे कुछ भी याद नही आ रहा था. ऐसे ही मैं अपनी सोचो मे गुम्म बैठा हुआ तस्वीर देख रहा था कि मुझे पता ही नही चला कब डॉक्टर रिज़वाना मेरे पास आके बैठ गई.

रिज़वाना : कहाँ खो गये जनाब. (मेरे मुँह के सामने चुटकी बजाते हुए)

मैं : जी कही नही बस वो मैं अपनी पुरानी जिंदगी के बारे मे याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ भी याद नही आ रहा.

रिज़वाना : कोई बात नही जैसे-जैसे तुम अपने बारे मे जानोगे तुमको याद आता जाएगा. वैसे तुमको सच मे तुम्हारे घरवालो के बारे मे भी कुछ नही याद.

मैं : (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) आपके घर मे कौन-कौन है.

रिज़वाना : कोई भी नही मेरे अम्मी अब्बू की कार आक्सिडेंट मे डेथ हो गई थी तब से अकेली ही हूँ (मुस्कुरा कर)

मैं : कोई भी नही है. मेरा मतलब पति या बचे.

रिज़वाना : नही....(मुस्कुरा कर) इन सब चीज़ो के लिए वक़्त तब ही मिल सकता है जब ड्यूटी से फ़ुर्सत मिले यहाँ तो सारा दिन हेड क्वॉर्टर मे लोगो का इलाज करने मे ही वक़्त निकल जाता है.

मैं : हाँ जब आपके लोग ऐसे ही किसी पर हमला करेंगे तो इलाज तो करना ही पड़ेगा उनका.

रिज़वाना : अच्छा वो....हाहहहाहा नही ऐसी बात नही है वो तो ख़ान ने तुम्हारा टेस्ट लेना था बस इसलिए.... ऑर वैसे भी तुमने कौनसी कसर छोड़ी थी.

मैं : मैने क्या किया मैं तो बस हल्का फूलका उनको दूर किया था खुद से. (मुस्कुरा कर)

रिज़वाना : रहने दो... रहने दो... उस दिन हेड क्वॉर्टर्स मे तुमने हमारे लोगो की क्या हालत की थी पता है मुझे. मैने ही इलाज किया था उनका बिचारे 5 लोगो के तो फ्रेक्चर तक आ गये थे बॉडी मे. ऐसा भी कोई किसी को मारता है.

मैं : (नज़रे नीचे करके मुस्कुरा कर)वो एक दम मुझ पर हमला हुआ तो मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ इसलिए मैने भी हमला कर दिया.

रिज़वाना : हंजी.... ऑर जो हाथ मे आया उठा के मार दिया...हाहहहहहाहा

मैं : (बिना कुछ बोले मुस्कुरा दिया)

रिज़वाना : चलो तुम बैठो मैं कुछ खाने के लिए लाती हूँ.

मैं : आप क्यो... कोई नौकर नही है यहाँ पर.

रिज़वाना : जी नही आपके ख़ान साहब को किसी पर भरोसा भी तो नही है इसलिए सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा (रोने जैसा मुँह बनाके)

मैं : कोई बात नही मैं हूँ ना मैं आपकी मदद कर दूँगा.

रिज़वाना : (हैरान होते हुए) तुमको खाना बनाना आता है.

मैं : जी फिलहाल तो खाना ही आता है लेकिन आप सिखाएँगी तो बनाना भी सीख जाउन्गा.

रिज़वाना : हाहहहहाहा रहने दो तुम खाते हुए ही अच्छे लगोगे बना मैं खुद लूँगी.

उसके बाद रिज़वाना रसोई की तरफ चली गई ऑर मैं उसको जाते हुए देखता था. लेकिन मेरी शैतानी नज़र का मैं क्या करूँ जो ना चाहते हुए भी ग़लत वक़्त पर ग़लत चीज़ देखती है. रिज़वाना को जाते हुए देखकर मेरी नज़र सीधा उसकी गान्ड पर पड़ी जो उसके चलने से उपर नीचे हो रही थी उसकी जीन्स की फीटिंग से गान्ड की गोलाई के उभार ऑर भी वजह तोर पर नज़र आ रहे थे. जिससे मेरे लंड मे भी हरकत होने लगी ऑर वो जागने लगा. मैने अपने दोनो हाथो से अपने लंड को थाम लिया ऑर एक थप्पड़ मारा की साले हर जगह मुँह उठाके घुसने को तेयार मत हो जाया कर वो डॉक्टर हैं हीना या फ़िज़ा नही जिसकी गहराई मे तू जब चाहे उतर जाए. लेकिन मेरा लंड था कि बैठने का नाम ही नही ले रहा था मेरी नज़रों के सामने बार-बार रिज़वाना की गान्ड की तस्वीर आ रही थी ऑर मेरा दिल चाह रहा था कि उसकी खूबसूरत उभरी हुई गान्ड के दीदार मैं एक बार फिर से करूँ. इसलिए ना चाहते हुए भी मैं खड़ा होके रसोई की तरफ चला गया ताकि चुपके से रिज़वाना की मोटी सी ऑर बाहर को निकली हुई गान्ड को जी-भरकर देख सकूँ.

अभी मैं रसोई के गेट तक ही पहुँचा था कि अचानक रिज़वाना हाथ मे खाने की ट्रे लेके बाहर आ गई ऑर मुझसे टकरा गई जिससे सारी सब्जी की ग्रेवी मुझ पर ऑर रिज़वाना पर गिर गई ऑर कुछ बर्तन भी ज़मीन पर गिरने से टूट गये. सब्जी की ग्रेवी उसके ऑर मेरी दोनो की कमीज़ पर गिर गई थी. वो मेरे सामने प्लेट लेके अब भी खड़ी थी. हम दोनो ही इस अचानक टकराव के लिए तेयार नही थे इसलिए जल्दबाज़ी मे मैने उसके सीने से ग्रेवी सॉफ करने के लिए अपने दोनो हाथ उसकी छाती पर रख दिए ऑर वहाँ से हाथ फेर कर सॉफ करने लगा. मेरे एक दम वहाँ हाथ लगाने से रिज़वाना को जैसे झटका सा लगा ऑर पिछे हो गई साथ ही उसने अपने दोनो हाथ से ट्रे भी छोड़ दी जो सीधा मेरे पैर पर आके गिरी. ये सब इतना अचानक हुआ कि हम दोनो ही कुछ समझ नही पाए.

रिज़वाना : आपको लगी तो नही.(फिकर्मन्दि से)

मैं : जी नही मैं ठीक हूँ माफ़ कीजिए वो मैने आप पर सब्जी गिरा दी.

रिज़वाना : कोई बात नही.... (अपने हाथ से अपने टॉप से ग्रेवी झाड़ते हुए) लेकिन आप यहाँ क्या करने आए थे.

मैं : जी वो मैने सोचा आपकी मदद कर दूं इसलिए आ रहा था (नज़रे झुका कर)

रिज़वाना : (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही... इसलिए मैने आपको कहा था आप खाते हुए ही अच्छे लगेंगे. खाना तो सारा गिर गया अब क्या करे.

मैं : आप कोई फल खा लीजिए मैं तो पानी पीकर भी सो जाउन्गा. (मुस्कुराते हुए)

रिज़वाना : पानी पी कर क्यो सो जाओगे. अब इतनी गई गुज़री भी नही हूँ कि खाना दुबारा नही बना सकती.

मैं : रहने दो रिज़वाना जी दुबारा मेहनत करनी पड़ेगी आपको.

रिज़वाना: खाना तो खाना ही है ना नीर क्या कर सकते हैं. (कुछ सोचते हुए) म्म्म्माम चलो ऐसा करते हैं बाहर चलते हैं

खाने के लिए फिर तो ठीक है. (मुस्कुरा कर)

मैं : जैसी आपकी मर्ज़ी (मुस्कुराकर)

रिज़वाना : चलो फिर तुम भी कपड़े बदल लो मैं भी चेंज करके आती हूँ.

मैं : अच्छा जी.

उसके बाद हम दोनो कपड़े पहनकर तेयार हो गये ऑर मैं बाहर हॉल मे बैठकर रिज़वाना का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद रिज़वाना भी तेयार होके आ गई. उसने सफेद कलर का सूट पहन रखा था जिसमे वो किसी परी से कम नही लग रही थी जैसे ही वो मेरे सामने आके खड़ी हुई तो उसके बदन सी निकलने वाले खुश्बू ने मुझे मदहोश सा कर दिया.

रिज़वाना : मैं कैसी लग रही हूँ. (मुस्कुरा कर)

मैं : एक दम परी जैसी (मुस्कुरा कर)

रिज़वाना : हाहहहाहा शुक्रिया. अर्रे तुमने फिर से वही गाववाले कपड़े पहन लिए.

मैं : जी मेरे पास यही कपड़े हैं

रिज़वाना : (अपने माथे पर हाथ रखते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई थी कि तुमको नये कपड़े भी लेके देने हैं.

मैं : नये कपड़ो की क्या ज़रूरत है मैं ऐसे ही ठीक हूँ.

रिज़वाना : नीर अब तुम शेरा हो ऑर शेरा ऐसे कपड़े नही पहनता ख़ान ने मुझे बोला भी था तुम्हारे कपड़ो के लिए लेकिन मैं भूल ही गई. चलो पहले तुम्हारे लिए कपड़े ही लेते हैं उसके बाद हम खाना खाने जाएँगे ठीक है.

मैं : ठीक है.

फिर हम दोनो रिज़वाना की कार मे बैठ कर बाज़ार चले गये पूरे रास्ते मैं बस रिज़वाना को ही देख रहा. उसके बदन की खुश्बू ने पूरी कार को महका दिया था. उस खुश्बू ने मुझे काफ़ी गरम कर दिया था इसलिए मैं पूरे रास्ते अपने लंड को अपनी टाँगो मे दबाए बैठा रहा ताकि रिज़वाना की नज़र मेरे खड़े लंड पर ना पड़ जाए. अब मुझे रिज़वाना के साथ बैठे हुए हीना के साथ बिताए लम्हे याद आ रहे थे जब मैं उसको कार चलानी सीखाता था. थोड़ी देर बाद हम बाज़ार आ गये ऑर वहाँ रिज़वाना ने पार्किंग मे गाड़ी खड़ी की ऑर फिर वो मुझे एक बड़ी सी दुकान (शोरुम) मे ले गई जहाँ उसने मेरे लिए बहुत सारे कपड़े खरीदे. रिज़वाना के ज़िद करने पर मैने बारी-बारी सब कपड़े पहन कर देखे ऑर रिज़वाना को भी अपना ये नया बदला हुआ रूप दिखाया जिसको देखकर शायद रिज़वाना की भी आँखें खुली की खुली ही रह गई. मैं भी अपने इस नये रूप से बहुत हैरान था क्योंकि अब तक मैने गाँव के सीधे-शाधे कपड़े ही पहने थे. लेकिन खुद को आज ऐसे बदला हुआ देखकर मुझे एक अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था ऑर मैं बार-बार खुद को शीशे मे देख रहा था ऑर खुद ही मुस्कुरा भी रहा था.

मैं : कैसा लगा रहा हूँ रिज़वाना जी.

रिज़वाना : (मुस्कुरा कर मेरी जॅकेट का कलर ठीक करते हुए) ये हुई ना बात अब लग रहा है कि शेरा अपने रंग मे आया है.

मैं : ये भी आपका ही कमाल है (मुस्कुरा कर)

रिज़वाना : चलो अब खाना खाने चलते हैं.

मैं : हंजी चलिए. वैसे भी बहुत भूख लगी है

रिज़वाना : भूख लगी है.....पहले क्यो नही बताया चलो चलें.

उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना शॉपिंग बॅग्स उठाए अपनी कार की तरफ जा रहे थे कि अचानक 4 लोगो ने हम को घेर लिया ऑर रिज़वाना को अपनी तरफ खींचकर उसके गले पर एक नोकदार चाकू लगा दिया मैं इस अचानक हमले को समझ नही पाया कि ये लोग कौन है ओर हम से क्या चाहते हैं.

मैं : कौन हो तुम लोग (गुस्से से)

एक आदमी : सीधी तरीके से सारा माल निकाल ऑर हम को दे नही तो ये लड़की जान से जाएगी.

मैं : ठीक है ये लो सब तुम रख लो (अपने शॉपिंग बॅग उनकी तरफ फेंकते हुए) लेकिन इनको छोड़ दो.

वो आदमी : साले हम को चूतिया समझा ये कचरा नही पैसा निकाल.

मैं : मेरे पास पैसे नही है इनको जाने दो.

मेरा इतना कहना था कि उसने अपने चाकू का दबाव रिज़वाना के गले पर बढ़ा दिया जिससे दर्द से रिज़वाना की आँखें बंद हो गई ऑर उसने कराहते हुए मुझे कहा....

रिज़वाना : आअहह.... (दर्द से कराहते हुए) नीर मारो इनको ये लोग चोर है.

रिज़वाना का इतना कहना था कि मैं उन लोगो पर टूट पड़ा जो मेरे सामने खड़ा था मैं उसको गर्दन से पकड़ लिया ऑर अपना सिर उसकी नाक पर ज़ोर से मारा ऑर वो वही गिर गया. इतने मे साथ खड़े आदमी ने चाकू से मुझ पर हमला किया जिससे मैने उसकी कलाई पकड़कर नाकाम कर दिया ऑर उसको अपनी तरफ खींचकर अपनी कोहनी उसके सिर मे मारी ऑर साथ ही उसका मुँह नीचे करके अपना घुटना उसके मुँह पर मारा वो भी वही गिर गया तभी जिसने रिज़वाना को पकड़ा था उसने रिज़वाना को मुझ पर धकेल दिया ऑर अपने बचे हुए 1 साथी के साथ वहाँ से पार्किंग की तरफ भाग गया. मैने जल्दी से रिज़वाना को थाम लिया ऑर उससे गिरने से बचा लिया.

मैं : आप ठीक हो.

रिज़वाना : (अपने गले पर हाथ रखकर हाँ मे सिर हिलाते हुए)

मैं : क्या हुआ आपको लगी है क्या. (उसका हाथ उसके गले से हटा ते हुए)

मैं : ये तो खून निकल रहा है. मैं उसको छोड़ूँगा नही सालाआ.....

रिज़वाना के कुछ कहने से पहले ही मैं उन लोगो के पिछे भाग गया वो लोग कार पार्किंग मे घुस गये थे. अब मैं उनको जल्दी से जल्दी पकड़ना चाहता था इसलिए मैं कारो के उपर से छलाँग लगाता हुआ उनके पिछे भागने लगा. वो दोनो पार्किंग की अलग-अलग डाइरेक्षन मे भाग रहे थे लेकिन मुझे दूसरे आदमी से कोई मतलब नही था मुझे उस आदमी पर सबसे ज़्यादा गुस्सा था जिसने रिज़वाना के गले पर चाकू रखा था इसलिए मैं उसकी तरफ उसके पिछे भागने लगा जल्दी ही पार्किंग ख़तम हो गई ऑर वो एक दीवार के सामने आके रुक गया मैने जल्दी से एक कार की छत से कूद कर उसके उपर छलाँग लगा दी जिससे मेरे दोनो घुटने उसके पेट मे लगे ऑर वो वही गिर गया मैने फिर उसको खड़ा किया ऑर उसका सर ज़ोर से दीवार मे मारा जिससे दीवार पर गोल-गोल खून का निशान सा बन गया मैने फिर से उसको खड़ा किया ऑर फिर उसको दीवार की तरफ धकेल दिया उसके फिर से सिर टकराया. ऐसे ही मैने कई दफ्फा उसका सिर दीवार मे मारा लेकिन अब वो बेहोश हो चुका था. इतने मे रिज़वाना मेरे पिछे भागती हुई आई ऑर मुझे पकड़ लिया.
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07-30-2019, 01:20 PM,
#37
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-35

रिज़वाना : क्या कर रहे हो नीर छोड़ दो वो मर जाएगा.

मैं : इसने चाकू कैसे लगाया गर्दन पर आपकी.

रिज़वाना : (मुझे पिछे खींचते हुए) मैं अब ठीक हूँ नीर चलो यहाँ से.

उसके बाद लग-भाग खींचती हुई रिज़वाना मुझे पार्किंग से बाहर ले आई. बाहर आके मैं रुक गया ऑर अब मैं काफ़ी शांत हो चुका था. मैने रुक कर अपने दोनो हाथ रिज़वाना की गर्दन की साइड पर रख दिए ऑर उसकी गर्दन उपर करके उसका घाव देखने लगा वो भी किसी बच्चे की तरह मेरे सामने मासूम सा चेहरा लिए अपनी गर्दन उठाए खड़ी हो गई.

मैं : बहुत दर्द हो रहा है क्या.

रिज़वाना : मैं ठीक हूँ नीर फिकर मत करो. (मुस्कुराते हुए)

मैं : चलो घर चलकर मरहम पट्टी करता हूँ आपकी.

रिज़वाना : (बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए) हमम्म

फिर हम दोनो वापिस कार के पास आ गये ऑर मैने अपने ज़मीन पर गिरे हुए शॉपिंग बाग उठाए ऑर वो भी कार मे रख दिए.

मैं : कार मैं चलाऊ.

रिज़वाना : (बिना कुछ बोले चाबी मेरी तरफ करके मुस्कुराते हुए) हमम्म.

फिर मैं ऑर रिज़वाना घर की तरफ निकल गये पूरे रास्ते हम खामोश थे ऑर रिज़वाना मुझे ही देखे जा रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी.

मैं : क्या हुआ ऐसे क्या देख रही हैं.

रिज़वाना : कुछ नही..... एक बात पुछू....

मैं : हाँ पुछिये....

रिज़वाना : तुमने उस आदमी को इतना क्यो मारा

मैं : मारता नही तो क्या प्यार करता.... आपकी गर्दन पर चाकू लगाया उसने ऑर देखो कितना खून भी आ गया था आपके.

रिज़वाना : तुमने सिर्फ़ इसलिए उसको इतना मारा.

मैं : मार खाने वाले काम किए थे इसलिए मारा मैने उसको.

रिज़वाना : इतनी फिकर मेरी आज तक किसी ने नही की. (रोते हुए)

मैं : (गाड़ी को ब्रेक लगाते हुए) अर्रे रिज़वाना जी आप रोने क्यो लगी क्या हुआ.

रिज़वाना : (अपने आँसू सॉफ करते हुए) कुछ नही...

मैं : (पिछे पड़ी पानी की बोतल रिज़वाना को देते हुए) ये लो पानी पी लो.

रिज़वाना : (बोतल पकड़ते हुए) शुक्रिया.

कुछ देर मे वो ठीक हो गई इसलिए मैने फिर कार स्टार्ट की ऑर घर की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया. लेकिन रिज़वाना अब भी मुझे ही देखे जा रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी. अचानक मुझे ख़याल आया.

मैं : रिज़वाना जी....

रिज़वाना : हमम्म

मैं : उन कमीनो के चक्कर मे खाना लेना तो भूल ही गये (मुस्कुरा कर)

रिज़वाना : अरे हाँ... आपको तो भूख भी लगी थी....कोई बात नही यहाँ से लेफ्ट मोड़ लो यहाँ भी एक अच्छा रेस्टोरेंट है वहाँ से ले लेंगे.

मैं : ठीक है.

उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना रेस्टोरेंट चले गये जहाँ से हमने खाना पॅक करवा लिया ऑर फिर हम वापिस घर की तरफ चले गये. घर आके मैने पहले सारा समान कमरे मे रखा ऑर फिर रिज़वाना से मेडिकल बॉक्स लेकर उसके कमरे मे ही उसके जखम पर दवाई लगाने लगा. रिज़वाना मुझे बस देख कर मुस्कुराती रही. फिर हम दोनो ने साथ खाना खाया. खाने के बाद रिज़वाना मेरे साथ बैठकर टीवी देखने की ज़िद्द करने लगी इसलिए मैं भी उसके पास ही बैठकर टीवी देखने लगा. रिज़वाना ऑर मैं हम दोनो साथ मे बैठे टीवी देख रहे थे लेकिन कोई भी ढंग का प्रोग्राम नही आ रहा था इसलिए हमने कुछ देर टीवी देखने के बाद बंद कर दिया.

रिज़वाना : तुमको नींद आ रही है क्या.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) आपको आ रही है.

रिज़वाना : नही...चलो फिर बाते करते हैं....

मैं : अच्छा... जैसी आपकी मर्ज़ी.

रिज़वाना : (कुछ सोचते हुए) तुमको डॅन्स आता है

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे एक ही तरीके से हाथ पैर चलाना आता है वो अभी आप कुछ देर पहले देख ही चुकी है.

रिज़वाना : चलो मैं सिखाती हूँ दूसरे तरीके से भी हाथ पैर हिलाए जा सकते हैं.(मुस्कुराते हुए)

उसके बाद रिज़वाना ने एक म्यूज़िक चला दिया ऑर मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया फिर मेरा एक हाथ अपनी कमर पर रख दिया ऑर दूसरा हाथ अपने हाथ मे थाम लिया ऑर उसने अपने एक हाथ मेरे कंधे पर रख लिया ऑर रिज़वाना ने मुझे धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया मैं भी जैसे वो मुझे हिला रही थी हिलना शुरू हो गया.

जब रिज़वाना मेरे साथ मुझसे चिपक कर खड़ी थी तब मुझे डॅन्स का नही उसके जिस्म का मेरे जिस्म के साथ जुड़े होना ज़्यादा मज़ा दे रहा था. वो बड़े प्यार मेरे कंधे पर हाथ फेर रही ऑर मेरा हाथ खुद-ब-खुद उसकी कमर को सहला रहा था मज़े से मेरी आँखें बंद हो गई थी ऑर मैने उसे कमर से पकड़ कर अपने ऑर करीब कर लिया जिससे उसके नुकीले मम्मे मुझे अपनी छाती पर चुभते हुए महसूस होने लगे इससे मुझे भी मेरी जीन्स पॅंट मे हलचल सी महसूस होने लगी लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि मेरा लंड सही से खड़ा नही हो पा रहा था बस जीन्स के अंदर ही मचल रहा था ऑर बाहर आने का रास्ता तलाश कर रहा था. कुछ देर हम ऐसे ही एक दूसरे का हाथ थामे नाचते रहे फिर उसने मेरा हाथ छोड़ दिया ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल दी ऐसे ही मेरी आँखों मे देखती हुई अपना ऑर मेरा बदन धीरे-धीरे हिलाने लगी.

रिज़वाना : एक बात बोलूं

मैं : हमम्म

रिज़वाना : तुम्हारी आँखें बहुत अच्छी है नशीली सी.. (मुस्कुराते हुए)

मैं : मुझे तो आपकी आँखें पसंद है कितनी बड़ी-बड़ी है जैसे किसी हिरनी की आँखें हो.

रिज़वाना : (शर्मा कर नज़रें झुकाते हुए) शुक्रिया

फिर कुछ देर के लिए हम दोनो खामोश हो गये ऑर ऐसे ही डॅन्स करते रहे. डॅन्स तो उसके लिए था मैं तो उसके जिस्म की गर्मी का मज़ा ले रहा था. हम दोनो एक दूसरे से एक दम चिपके हुए थे बस हम दोनो के चेहरे कुछ इंच के फ़ासले पर थे लेकिन फिर भी हम एक दूसरे की साँसों की गरमी अपने चेहरे पर महसूस कर रहे थे. अब मुझसे भी ऑर बर्दाश्त नही हो रहा था इसलिए मैं आगे बढ़ने का सोच की रहा था कि अचानक लाइट चली गई ऑर पूरे कमरे मे अंधेरा हो गया जिससे हम दोनो का ध्यान एक दूसरे से हटकर अंधेरे की तरफ गया इसलिए मेरे ना चाहते हुए भी रिज़वाना मुझसे अलग हो गई....

रिज़वाना : ओह्हुनो फिर से लाइट चली गई....तुम रूको मैं रोशनी के लिए कुछ लेके आती हूँ

मैं : रहने दो ना ऐसे ही ठीक है अंधेरे मे क्या नज़र आएगा

रिज़वाना : मुझे अंधेरे मे डर लगता है...बस 2 मिंट मे आ रही हूँ

मैं : ठीक है जल्दी आना...

रिज़वाना : बस 2 मिंट ऐसे गई ऑर ऐसे आई.

मैं क्या सोच रहा था ऑर क्या हो गया जैसे किसी ने मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया हो मैं अपने दिल मे बिजली वालो को गालियाँ निकाल रहा था कि हरामखोरो ने अभी लाइट बंद करनी थी कुछ देर रुक जाते तो इनके बाप का क्या जाता था. पूरे कमरे मे चारो तरफ अंधेरा था बस खिड़की से हल्की सी चाँद की रोशनी कमरे के अंदर आ रही थी. वो भी बहुत कम क्योंकि खिड़की के आगे परदा लगा हुआ था. मैने सोचा कि कमरे मे गरमी हो रही है इसलिए खिड़की से परदा हटा दूं ताकि ताज़ी हवा भी आ सके ऑर रोशनी भी. अभी मैं परदा हटाने के लिए एक कदम ही आगे बढ़ाया था कि अचानक मुझे रिज़वाना की चीख सुनाई दी मैने फॉरन चीख की तरफ भागता हुआ गया. एक तो अंधेरा था उपर से कुछ नज़र भी नही आ रहा था इसलिए मैं नीचे पड़ी चीज़ो से टकराता हुआ दीवार को पकड़ कर आगे की तरफ बढ़ने लगा.

आवाज़ रसोई की तरफ से आई थी इसलिए मैं अंदाज़े से उस तरफ बढ़ रहा था. एक तो आज मेरा यहाँ पहला दिन था उपर से जगह भी मेरे लिए नयी थी इसलिए मुझे सही से रास्ते का अंदाज़ा नही हो रहा था इसी वजह से जगह-जगह चीज़े मुझसे टकरा रही थी कुछ देर बाद मैं रिज़वाना को आवाज़ लगाता हुआ रसोई के पास आ ही गया.

मैं: रिज़वाना जी कहाँ हो आप

रिज़वाना : (कराहते हुए) मैं यहाँ हूँ आयईयीई....ससिईईई....

मैं : क्या हुआ चोट लगी क्या

रिज़वाना : (रोते हुए) हाँ बहुत ज़ोर से लगी है

मैं : (बर्तनो से टकराते हुए) क्या हुआ चोट कैसे लग गई.

रिज़वाना : नीर उस तरफ नही दूसरी तरफ आओ जहाँ तुम हो वहाँ बर्तन है....

मैं : (घूमते हुए) अच्छा...

रिज़वाना : वो शाम को जो सब्जी गिरी थी ना मैने बाज़ार जाने की जल्दी मे उठाई नही थी बस उस पर ही पैर फिसल गया ऑर मैं गिर गई. मुझसे उठा नही जा रहा.... (रोते हुए)

मैं जैसे ही रिज़वाना के पास पहुँचा मैने नीचे बैठकर अंधेरे मे हाथ इधर-उधर घुमाए तो रिज़वाना के चेहरे से मेरा हाथ टकराया मैने जल्दी से बिना कुछ बोले उसको अपनी गोद मे उठा लिया ऑर खड़ा हो गया.

रिज़वाना : (कराहते हुए) अययईीी.....आराम से...

मैं : अब जाना किस तरफ है

रिज़वाना : तुम चलो मैं बताती हूँ

मैं : क्या पहेलिनुमा घर बनाया है

रिज़वाना : (अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे डालते हुए) मैने थोड़ी बनाया है जैसा गवरमेंट. ने मुझे दिया मैने ले लिया.

मैं : इससे अच्छा तो मेरा घर था जहाँ कम से कम हाथ पैर तो नही टकराते थे अंधेरे मे

रिज़वाना : तुमको भी चोट लगी क्या

मैं : थोड़ी सी पैर मे लगी है वो आप चिल्लाई तो मैं घबरा गया कि जाने क्या हुआ है इसलिए जल्दी से आपकी आवाज़ की तरफ भागा बस इसी जल्दी मे मेज़ से पैर टकरा गया.

रिज़वाना : ज़्यादा चोट तो नही लगी

मैं : पता नही मैने देखा नही.

रिज़वाना : यहाँ से अब लेफ्ट घूम जाओ....मेरे कमरे मे चलकर मुझे दिखाओ कितनी चोट लगी है.

मैं : (हँसते हुए) देखोगी कैसे हाथ को हाथ नज़र तो आ नही रहा चोट क्या दिखेगी.

रिज़वाना : फिकर मत करो यहाँ अक्सर लाइट चली जाती है फिर थोड़ी देर मे आ जाती है.

ऐसे ही हम बाते करते हुए धीरे-धीरे रिज़वाना के कमरे मे आ गये ओर रिज़वाना ने ही गेट खोला ऑर फिर मैने रिज़वाना को धीरे से उसके बेड पर रख दिया....

रिज़वाना : (दर्द से कहते हुए) आयईीई... नीर कमर मे ऑर पीछे बहुत दर्द हो रही है हिला भी नही जा रहा.

मैं : अब अंधेरे मे तो कुछ कर भी नही सकते यार लाइट आने दो फिर देखते हैं.

रिज़वाना : अर्रे यार जिस काम के लिए गये थे वो तो किया ही नही.

मैं : कौनसा काम

रिज़वाना : मोमबत्ती यार (हँसते हुए)

मैं : जाने दो कोई बात नही आगे ही मोमबत्ती के चक्कर मे इतना तमाशा हो गया अब ऐसे ही ठीक है. देखा मैने मना किया था ना लेकिन आप ही बोल रही थी कि 2 मिंट का काम है. अब देखो आपका ही काम हो गया (हँसते हुए)

रिज़वाना : (मेरे कंधे पर थप्पड़ मारते हुए) एक तो मुझे चोट लग गई है उपर से मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो जाओ मैं नही बोलती तुमसे.

मैं : अच्छा-अच्छा माफी डॉक्टरनी साहिबा.

रिज़वाना : जाओ माफ़ किया... अच्छा ये तुम मुझे डॉक्टरनी साहिबा क्यो बुलाते रहते हो

मैं : अब आप डॉक्टरनी हो तो डॉक्टर ही बुलाउन्गा ना

रिज़वाना : डॉक्टर मैं सिर्फ़ हेड-क्वार्टेर के मेरे क्लिनिक मे हूँ यहाँ घर पर नही

मैं : तो फिर मैं यहाँ आपको क्या बुलाऊ.

रिज़वाना : म्म्म्मयम सिर्फ़ रिज़वाना बुला सकते हो

मैं : अच्छा तो सिर्फ़ रिज़वाना जी अब ठीक है (हँसते हुए)

रिज़वाना : (हँसते हुए) नीर तुम जानते हो आज बहुत मुद्दत के बाद मैने इतनी खुशी पाई है तुम क्या आए मेरी जिंदगी मे ऐसा लगता है जिंदगी फिर से रोशन हो गई.

मैं : मैने भी आज पहली बार इतनी मस्ती की है.

रिज़वाना : (कराहते हुए) आहह मेरी पीठ सस्सस्स

मैं : क्या हुआ बहुत दर्द है क्या.

रिज़वाना : अगर कमर को हिलाती हूँ तो दर्द होता है वैसे ठीक है

मैं : रूको लगता है कमर अटक गई है.

रिज़वाना : मुझे भी ऐसा ही लगता है.... एक काम करो मेरी कमर को झटका दो ठीक हो जाएगी.

मैं : ठीक है आप मेरा सहारा लेके खड़ी होने की कोशिश करे

रिज़वाना : मैं गिर जाउन्गी नीर

मैं : मैं हूँ ना फिकर मत करो इस बार पकड़ लूँगा आपको. नही गिरोगि बस मेरा हाथ मत छोड़ना.

रिज़वाना : ठीक है

उसके बाद रिज़वाना मेरे हाथ के सहारे बेड पर धीरे-धीरे घुटने के बल खड़ी होने लगी लेकिन उसको खड़े होने मे दर्द हो रहा था इसलिए मैने अपने दोनो हाथ उसकी कमर मे डाले ओर उसकी दोनो बाजू अपने गर्दन पर लपेट ली अब मैने झटके से रिज़वाना को खड़ा किया...

रिज़वाना : आअहह ससस्स

मैं : अब कैसा लग रहा है

रिज़वाना : पहले से बेहतर है लेकिन दर्द अभी भी हल्की-हल्की हो रही है.

मैने बिना रिज़वाना से पुछे उसकी पिछे से कमीज़ उठाई ऑर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा रिज़वाना को शायद इस तरह मेरे हाथ लगाने की उम्मीद नही थी इसलिए उसको एक झटका सा लगा ऑर वो मुझसे ऑर ज़ोर से चिपक गई. अब मैं उसकी कमर को प्यार से सहला रहा था ऑर वो खामोश होके मेरे गले मे अपनी बाहे डाले घुटने के बल खड़ी थी. कुछ ही देर मे हम दोनो की साँस तेज़ होने लगी ऑर रिज़वाना ने मेरे कंधे पर अपना सिर रख लिया उसकी तेज़ होती सांसो की गरमी मैं अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था. मैने भी इस मोक़े का फायेदा उठाना ही मुनासिब समझा ऑर अपना हाथ उपर की जानिब बढ़ाने लगा. अब मेरा हाथ उसकी ब्रा के स्ट्रॅप के नीचे के तमाम हिस्से की सैर कर रहा था. शायद उसको भी मज़ा आ रहा था इसलिए वो खामोश होके बस मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर लेटी हुई थी उसके नाज़ुक होंठों का लांस मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रहा था. मैं चाहता था कि वो मेरी गर्दन को चूमे लेकिन वो बस मेरी गर्दन से अपने होंठ जोड़े खड़ी थी ऑर आगे नही बढ़ रही थी इसलिए मैने ही पहल करना मुनासिब समझा मैने अब अपने दोनो हाथ उसकी कमीज़ मे डाल लिए ऑर दोनो को उसकी पीठ पर उपर-नीचे घुमाने लगा साथ ही मैने अपनी गर्दन हल्की सी नीच को झुका कर अपने होंठ उसकी गालो पर रख दिया ओर धीरे-धीरे अपने होंठ उसकी गालो पर घुमाने लगा ये अमल शायद उसको भी मज़ा दे रहा था इसलिए उसने अपना चेहरा थोड़ा सा उपर की जानिब कर लिया ताकि मेरे होंठ अच्छे से उसकी गाल को च्छू सके.
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07-30-2019, 01:21 PM,
#38
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-36

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था इसलिए मैने धीरे-धीरे उसकी गाल को चूमना शुरू कर दिया. अब मेरे हाथ नीचे उसकी कमर पर अपना कमाल दिखा रहे थे ऑर होंठ उसकी गाल पर. उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैने आगे बढ़ने का सोचा ऑर उसकी गाल से होता हुआ साइड से उसके होंठों को भी चूमने लगा पहले तो उसने अपने होंठ सख्ती से बंद कर लिए लेकिन बार-बार मेरे वहाँ चूमने पर उसने भी अपने होंठों को थोड़ा सा खोल दिया. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने अपना एक हाथ आगे की तरफ किया ऑर उसके पेट को सहलाने लगा उसका नर्म-ओ-नाज़ुक पेट मुझे ऑर भी मज़ा दे रहा था. मेरा ऐसा करना शायद उसके सबर के बाँध को तोड़ने के लिए काफ़ी था उसने अपनी एक बाजू मेरी गर्दन से निकाली ऑर मेरी कमर मे डालकर मुझे ऑर ज़ोर से अपने से चिपका लिया. ऑर अपनी गर्दन को दूसरी तरफ करके मेरे दूसरे कंधे पर रख लिया. शायद अब वो चाहती थी कि मैं उसकी दूसरी गाल को भी वैसे ही चुमू इसलिए मैने वही अमल उसके दूसरे गाल के साथ भी शुरू कर दिया लेकिन इस बार वो खुद अपनी गाल को मेरे होंठों से जोड़ रही थी ऑर कोशिश कर रही थी कि जल्दी से जल्दी मैं उसके होंठों तक आउ लेकिन मैं इस बार उसके गाल को ही चूम रहा था. नीचे मेरा लंड पूरी तरह जाग गया था ऑर जीन्स मे झटपटा रहा था बाहर निकलने के लिए. अब एक नयी चीज़ हुई उसने जो हाथ मेरी कमर पर रखा था पिछे से उसको मेरी टी-शर्ट मे डाल दिया ऑर मेरी पीठ को सहलाने लगी दूसरा हाथ उसका अब भी मेरी गर्दन पर ही लिपटा हुआ था मैने मोक़े की नज़ाकत को समझते हुए अपना हाथ जो उसकी पीठ सहला रहा था उसको थोड़ा उपर की तरफ करने की कोशिश की लेकिन उसकी कमीज़ पेट से बेहद तंग होने की वजह से मेरा हाथ उपर की तरफ नही जा रहा था क्योंकि उसने टाइट फीतिंग का सूट पहना हुआ था. इसलिए मैने उसकी कमीज़ उतारने की कोशिश की लेकिन इस बार उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर गर्दन को नही मे हिलाया. लेकिन अब मुझसे सबर करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने अपने एक हाथ से उसका चेहरा उपर किया ऑर अपने चेहरे के सामने ले आया अब हम दोनो की साँसे एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी मैने अपनी नाक उसकी नाक से हल्की सी टकराई ऑर फिर पिछे को हो गया उसने जल्दी से मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ लिया ऑर मेरे होंठों को पहले हल्के से चूम लिया ऑर फिर बुरी तरह चूसने लगी. अब मैने अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख लिया ऑर उसने फिर से अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरफ डाल लिए ऑर लगातार मेरे होंठों को चूसने लगी उसके चूमने मे इतनी क़शिष थी कि मुझे साँस लेने मे भी तक़लीफ़ होने लगी थी इसलिए मैने अपना चेहरा पिछे कर लिया लेकिन उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़ लिया ऑर मेरे होंठों पर टूट पड़ी अब उसने अपने दोनो हाथ मेरी टी-शर्ट के गोल गले पर रख लिया जैसे अपने दोनो हाथो को मेरी टी-शर्ट के गले से लटका दिया हो.

मैं समझ चुका था कि अब वो मुकम्मल गरम हो चुकी है इसलिए मैने एक बार फिर उसकी कमीज़ को उपर उठाने की कोशिश की इस बार उसने मेरा हाथ नही पकड़ा लेकिन मेरे होंठों को चूस्ते हुए ही गर्दन को नही मे हिलाने लगी. मैने अपना मुँह पिछे कर लिया उसने फिर से मेरे होंठ चूसने चाहे तो मैने गर्दन मोड़ ली इस बार उसने ज़बरदस्ती मेरी गर्दन को अपने दोनो हाथो से पकड़ा ऑर मेरे फिर से होंठ चूसने लगी साथ ही मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने दाएँ मम्मे पर रख दिया. उसके मम्मी को छुते ही मुझे ऑर उसको भी जैसे करेंट सा लगा क्योंकि उसका मम्मे हीना के मम्मों से भी बड़े थे उनको दबाने से ही मम्मो की सख्ती का अंदाज़ा लगाया जा सकता था. मैं अब दोनो हाथो से उसकी कमीज़ के उपर से उसके मम्मे दबा रहा था ऑर वो मेरे होंठ चूस रही थी. तभी अचानक लाइट आ गई. (यक़ीन करो दोस्तो उस वक़्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा था बीजली वालो पर कि कोई बीजली बोर्ड का मुलाज़िम सामने होता तो साले का लंड काट कर फैंक देता. कमीनो ने हर बार ग़लत टाइमिंग पर ही एंट्री मारी.कुछ गुस्सा मुझे अपनी किस्मत पर भी आ रहा था कि साला हर बार मेरे साथ ही ऐसा क्यो होता है.) लाइट आने का नतीज़ा ये हुआ कि जो रिज़वाना पूरी-क़शिष से मेरे होंठ चूस रही थी ऑर मुझसे मम्मे मसलवा रही थी वो एक दम रोशनी हो जाने से घबरा गई ऑर मुझसे दूर हो गई ऑर बेड पर बैठकर अपने सिर पर हाथ रख लिया. मैं समझ नही पा रहा था कि रिज़वाना को अचानक क्या हो गया अभी तो ये एक दम ठीक थी.

मैं : क्या हुआ रिज़वाना

रिज़वाना : (परेशान होते हुए)तुम जाओ यहाँ से.

मैं : लेकिन हुआ क्या

रिज़वाना : (चिल्लाते हुए) मैने कहा ना तुम जाओ यहाँ से एक बार मे बात समझ नही आती.

उसका इस तरह मुझ पर चिल्लाना मुझे अच्छा नही लगा इसलिए मैं बिना कोई जवाब दिया उसके कमरे का गेट ज़ोर से दीवार पर मारता हुआ बाहर निकल गया ऑर अपने कमरे मे जाके लेट गया. मेरा दिल बीजली वालो को हज़ार गालियाँ दे रहा था ऑर खुद पर अफ़सोस भी हो रहा था कि मेरे पास 2 इतने हसीन मोक़े आए जो मैने ऐसे ही ज़ाया कर दिए. साथ ही मुझे रिज़वाना का बर्ताव भी परेशान कर रहा था क्योंकि मैने उसको जब भी देखा था मुस्कराते हुए देखा था लेकिन आज अचानक उसको गुस्सा किस बात पर आया आख़िर क्यो उसने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया. मुझे लगा शायद मैने जल्दी कर दी इसलिए वो नाराज़ थी ऑर मेरी सबसे बड़ी ग़लती ये थी कि मैं हर लड़की को फ़िज़ा ऑर हीना जैसा ही समझ रहा था मुमकिन था वो मुझे पसंद नही करती. ऑर आख़िर पसंद करती भी क्यो उसकी नज़र मे मैं एक अपराधी हूँ अनपढ़-गवार हूँ जिसको कपड़े पहनने तक की अक़ल नही ऑर वो खुद इतनी बड़ी डॉक्टर है इतनी खूबसूरत है... भला वो मुझे पसंद क्यो करेगी इसलिए मैने वहाँ रहना मुनासिब ना समझा ऑर अपना बॅग पॅक करने लगा साथ ही जल्दी से अपने गाँव वाले थैले मे से इनस्प्टेक्टर ख़ान का कार्ड निकाला ऑर बेड के पास पड़े फोन से ख़ान का नंबर डायल कर दिया.

ख़ान : हेलो...हाँ रिज़वाना बोलो इस वक़्त कैसे फोन किया.

मैं : जी मैं नीर बोल रहा हूँ.

ख़ान : हाँ नीर बोलो क्या हुआ कुछ चाहिए क्या.

मैं : जी आप मेरे रहने का इंतज़ाम कहीं ओर कर देंगे तो बेहतर होगा.

ख़ान : अर्रे क्या हुआ रिज़वाना ने कुछ कह दिया क्या.

मैं : जी नही उन्होने कुछ नही कहा बस मेरा यहाँ दिल नही लग रहा आप ऐसा करे मुझे मेरे गाँव ही भिजवा दे तो बेहतर होगा यहाँ बड़े लोगो मे मुझे अजीब सा लगता है मैं ठहरा ज़ाहील-गवार भला मेरा यहाँ क्या काम.

ख़ान : कैसी बच्चों जैसी बात कर रहे हो मैने वहाँ तुमको इसलिए रखा है कि कल से तुम्हारी ट्रैनिंग करवा सकूँ ना की तुमको वहाँ छुट्टियाँ बिताने के लिए समझे.

मैं : जी मुझे आपकी हर बात मंज़ूर है लेकिन अब यहाँ नही रहना चाहता आप चाहे तो मैं आपके दफ़्तर मे सोफे पर सो जाउन्गा लेकिन यहाँ मुझे नही रहना.

ख़ान : तुम रिज़वाना से बात कर्वाओ मेरी.

मैं : जी वो अपने कमरे मे सो रही है.

ख़ान : ठीक है फिर सुबह होते ही उसको बोलना मुझसे बात करे. ऑर नीर यार आज की रात तुम कैसे भी वहाँ गुज़ार लो कल मैं तुम्हारा कही ऑर इंतज़ाम कर दूँगा ठीक है.

मैं : जी शुक्रिया.

उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर वही सोफे पर बैठा गर्दन नीचे किए आँखें बंद करके अपनी ग़लती पर पछटाने लगा कि मैं यहाँ आया ही क्यो था. तभी मुझे कुछ गीलापन अपने पैर पर महसूस हुआ मैने आँखें खोलकर देखा तो रिज़वाना मेरे पैरो के पास मुँह नीचे करके बैठी थी ऑर शायद रो रही थी इसलिए उसके आँसू मेरे पैरो पर गिर रहे थे.

मैं : अर्रे रिज़वाना जी आप...आप रो रही है....देखिए मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ आगे से ऐसी ग़लती नही होगी.

रिज़वाना : (रोते हुए) हाँ ग़लती होगी भी कैसे मुझे छोड़कर जो जा रहे हो.

मैं : जीिीइ...क्या

रिज़वाना : मैने सब सुन लिया है जो तुम ख़ान को बोल रहे थे.

मैं : जी मेरी ग़लती थी इसलिए मेरा यहाँ रहना सही नही है. मुनासिब होगा मैं यहाँ से चला जाउ. आप रोइए मत अगर आप कहेंगी तो मैं अभी चला जाउन्गा लेकिन आप रोइए मत.

रिज़वाना : जाके भी दिखाओ.....(मेरे दोनो हाथ मज़बूती से पकड़ते हुए) मुझे माफ़ नही कर सकते नीर (रोते हुए मेरे घुटने पर अपने चेहरा रखते हुए)

मैं : (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप क्या कह रही है मुझे कुछ समझ नही आ रहा.

रिज़वाना : मैं एक दम घबरा गई थी नीर ऑर उसी चक्कर मे तुम पर गुस्सा हो गई. तुमसे पहले कोई मेरे इतना करीब नही आया कभी इसलिए अचानक जब तुम पास आए तो मैं डर गई थी ओर सब कुछ भूलकर तुम पर गुस्सा हो गई.

मैं : कोई बात नही वैसे भी ग़लती मेरी थी (मुस्कुराते हुए) आप नीचे क्यो बैठी है पहले आप उपर आके बैठो ऑर रोना बंद करो

रिज़वाना : (मेरे साथ बैठते हुए ऑर बिना कुछ बोले मुझे गले लगाते हुए) आम सॉरी नीर मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नही चाहिए था.

मैं : कोई बात नही... वैसे मैं आपसे नाराज़ नही हूँ रिज़वाना जी.

रिज़वाना : फिर मुझे छोड़कर क्यो जाना चाहते हो.

मैं : (रिज़वाना की बाजू अपने गले से निकालते हुए)ताकि वो ग़लती दुबारा ना हो.

रिज़वाना : अगर कोई अब तुम्हारे बिना ना रह सकता हो तो....ऑर अब तुम कुछ भी कर लो मैं मना नही करूँगी मैं डर गई थी सॉरी....

मैं : कोई किसी के बिना नही मरता रिज़वाना जी.....ऑर आपने ठीक किया. मेरे जैसा अनपढ़-गवार आपके किसी काम का नही.

रिज़वाना : (फिर से मुझे गले लगाते हुए) मुझे नही पता तुम मे ऐसा क्या है लेकिन अब मैं तुमसे दूर नही रह सकती. 1 दिन मे जाने तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है. मुझे छोड़कर मत जाओ प्लीज़....

मैं : लेकिन अब तो मैने ख़ान को बोल दिया है

रिज़वाना : उसकी फिकर तुम मत करो मैं हूँ ना ख़ान को मैं देख लूँगी बस कल तुम नही जाओगे समझे. यही रहोगे मेरे पास....

मैं : जैसी आपकी मर्ज़ी....लेकिन आज के बाद मैं आपके कमरे मे नही आउन्गा.

रिज़वाना : ठीक है मत आना अब मैं भी उस कमरे मे नही जाउन्गी वही रहूंगी जहाँ तुम रहोगे. चलो अब मेरी कसम खाओ मुझे छोड़कर नही जाओगे.

मैं : आप जब जानती है कि जो चीज़ हो नही सकती फिर उसके लिए कसम क्यो दे रही है.

रिज़वाना : तुम ख़ान का काम कर दो फिर तुम आज़ाद हो उसके बाद हम दोनो रह सकते हैं यहाँ हमेशा के लिए.

मैं : जी नही मैं यहाँ नही रह सकता काम होने के बाद मैं मेरे घर चला जाउन्गा मेरे गाँव मे मेरी ये जिंदगी अब उनकी दी हुई है. आज अगर मैं ज़िंदा हूँ तो ये उनका ''अहसान" है मुझ पर.

रिज़वाना : क्या मैं भी उस परिवार का हिस्सा नही बन सकती. मैं तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तेयार हूँ.

मैं : (हँसते हुए) कहना बहुत आसान है रिज़वाना जी लेकिन करना बहुत मुश्किल.

रिज़वाना : ठीक है फिर तुम ख़ान का काम कर दो उसके बाद मैं भी ये नौकरी छोड़ दूँगी जहाँ तुम रखोगे जिस हाल मैं रखोगे मैं रहने को तैयार हूँ. ऑर आज के बाद खुद को अनपढ़-गवार मत कहना.

मैं : लेकिन मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नही है अपना घर भी नही सब कुछ बाबा का है.

रिज़वाना : कौन कहता है तुम्हारे पास कुछ नही तुम्हारे पास इतना प्यार करने वाला दिल है ऑर एक लड़की को इससे ज़्यादा कुछ नही चाहिए होता. तुम नही जानते नीर इतने साल मैने कैसे गुज़ारे है आज मेरे पास सब कुछ होके भी कुछ नही है. बचपन मे ही माँ-बाप गुज़र गये फिर बड़ी हुई तो डॉक्टर बन गई ऑर अब सारा दिन दूसरो का ख्याल रखती हूँ लेकिन असल मे आज तक किसी ने मेरा ख्याल नही रखा मैं बचपन से अकेली ही रहती आ रही हूँ. आज तुम आए मेरी जिंदगी मे ऑर जैसे मेरा ख्याल रखा ऐसा कभी किसी ने नही किया मेरे लिए. अब मेरी किस्मत देखो एक इंसान मिला जो मेरी इतनी फिकर करता है मेरे लिए लड़ता है ऑर मैने उसको भी नाराज़ कर दिया ऑर अब तुम भी मुझे छोड़कर चले जाओगे. (फिर से रोते हुए)

मैं : नही जाउन्गा अब रोना बंद करो चलो. (रिज़वाना की गाल पर लगे आँसू सॉफ करते हुए)

रिज़वाना : मेरी कसम खाओ.

मैं : अगर लौटकर वापिस आ गया तो नही जाउन्गा अगर नही आ सका तो....

रिज़वाना : (मेरे मुँह पर हाथ रखते हुए) ऐसा मत बोलो (फिर से मुझे गले लगाते हुए)

मैं : अच्छा ठीक है रिज़वाना जी काफ़ी रात हो गई है अब आप सोने जाओ मैं भी सो जाता हूँ सुबह ख़ान ने बुलाया भी है.

रिज़वाना : ठीक है.

वो बिना कुछ बोले उठी ऑर मेरे बिस्तर पर जाके बैठ गई ऑर मैं बस उसको देख रहा था.

मैं : रिज़वाना जी आप यहाँ सोएंगी.

रिज़वाना : (बिना कुछ बोले हाँ मे सिर हिलाते हुए)

मैं : ठीक है फिर मैं यहाँ सो जाता हूँ. (सोफे पर लेट ते हुए)

रिज़वाना : चुप करके यहाँ आओ नही तो मैं फिर से रोने लग जाउन्गी.

मैं : (सोफे से उठते हुए) अब क्या हुआ

रिज़वाना : लाइट ऑफ करो ऑर यहाँ आके लेटो मेरे साथ. (मुस्कराते हुए)

मैं : लेकीन्न्न....
रिज़वाना : लेकिन-वेकीन कुछ नही चलो लाइट ऑफ करके यहाँ आओ.

मैं बिना कुछ बोले गया ऑर लाइट ऑफ करके आ गया ऑर बिना कुछ बोले रिज़वाना के साथ लेट गया रिज़वाना मेरी तरफ मुँह करके लेटी थी ऑर मुस्कुरा रही थी.

रिज़वाना : नीर अभी तक नाराज़ हो.

मैं : नही तो.....क्यो.

रिज़वाना : पास आओ ना मेरे.

मैं : (करवट बदलकर रिज़वाना के करीब जाते हुए) अब ठीक है

रिज़वाना : (मेरे होंठ चूमते हुए) रात को भी जीन्स टी-शर्ट पहनकर सोने का मूड है.

मैं : तो क्या पहनु तुमने ही तो गाँव वाले कपड़े पहन ने से मना किया था.

रिज़वाना : अर्रे आज ही तो इतने सारे कपड़े लेके आए हैं जाओ जाके शॉर्ट्स पहन लो.

मैं : (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे)शॉर्ट्स क्या...

रिज़वाना : रूको मैं लेकर आती हूँ.

रिज़वाना उठी ऑर जाके मेरे शॉपिंग बॅग्स मे झाँकने लगी 5-6 बॅग्स मे देखने के बाद उसने एक मे हाथ डाला ऑर देखकर मेरी तरफ फेंक दिया.

रिज़वाना : जाओ ये पहन आओ...रात को टाइट कपड़े पहनकर नही सोना चाहिए.

मैं : अच्छा... (उठकर बाथरूम मे जाते हुए)

जब मैं कपड़े बदलकर वापिस आया तो रिज़वाना एक चद्दर लिए लेटी हुई थी.

मैं : अर्रे इतनी गर्मी मे चद्दर क्यो ली है.

रिज़वाना : पास आओगे तो पता चलेगा ना...

मैं : (बिना कुछ बोले बेड पर लेट ते हुए) अब ठीक है.

रिज़वाना : (मेरी चेस्ट पर हाथ फेरते हुए) एम्म्म बॉडी अच्छी बनाई है.

मैं : शुक्रिया.

रिज़वाना : चलो अब तुम भी चद्दर मे ही आ जाओ.

मैं : क्यो...

रिज़वाना : आओगे तो पता चलेगा ना.
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07-30-2019, 01:22 PM,
#39
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-37

मैं बिना कुछ बोले रिज़वाना के साथ चद्दर के अंदर आके लेट गया ऑर अंदर जाते ही मुझे एक झटका सा लगा क्योंकि रिज़वाना ने अंदर कुछ नही पहना था ऑर एक दम नंगी थी. वो मेरे चद्दर के अंदर आते ही मुझसे लिपट गई उसकी बड़ी ऑर ठोस छातीया मेरे सीने मे धँसने लगी उसके निपल एक दम सख़्त हुए पड़े थे जो मुझे अपने सीने पर महसूस हो रहे थे. उसके नाज़ुक जिस्म का अहसास मिलते ही मुझ पर एक अजीब सी मदहोशी छाने लगी ऑर मैने उसको अपनी बाहो मे जाकड़ लिया. अब इस बार वो मेरी गाल को चूम रही थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी. धीरे-धीरे वो मेरे उपर आके लेट गई ऑर मेरे चेहरे को चूमने लगी नीचे मेरा लंड फिर से जाग गया था ऑर शॉर्ट्स मे टेंट बनाए खड़ा हो गया था. जिसको रिज़वाना ने अपनी जाँघो मे क़ैद कर रखा था. अब वो धीरे-धीरे मेरी गालो से होते हुए मेरी गर्दन पर चूम रही थी ऑर नीचे की तरफ जा रही थी कुछ ही देर मे वो मेरी छाती पर आ गई ऑर चूमने लगी.

मुझ पर एक अजीब सा मदहोशी का नशा हावी हो रहा था इसलिए मैने उसको कमर से पकड़ लिए ऑर उपर की तरफ खींचा. मेरे इशारे को समझते हुए वो वापिस उपर आ गई ऑर मेरी आँखों मे देखने लगी ऑर मेरे होंठों को चूमने लगी मैने जल्दी से उसे कमर से पकड़कर पलट दिया अब वो मेरे नीचे थी ऑर मैं उसके उपर. मैने उसके होंठ चूसने शुरू किए जिसका उसने भी भरपूर साथ दिया उसका एक हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था ऑर दूसरा हाथ मेरे सिर के बालो से खेल रहा था. हम दोनो को ही इस वक़्त कोई होश नही था उसके होंठ चूस्ते हुए मैने उसके एक मम्मे को अपने हाथ मे थाम लिया ऑर उसको दबाने लगा. कुछ देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने मेरे सिर को अपने एक हाथ से नीचे की तरफ दबाया शायद वो चाहती थी कि मैं अब उसके मम्मों को भी उसके होंठों की तरह चुसू. मैं जल्दी से नीचे जाके किसी जंगली की तरह उसके बड़े-बड़े मम्मों पर टूट पड़ा ऑर उसके निपल्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. वो किसी बिन पानी की मछली की तरह मेरे नीचे पड़ी तड़प रही थी ऑर सस्सिईइ..... सस्सिईइ..... की आवाज़ निकल रही थी वो कभी मेरा सिर पकड़ कर एक मम्मे पर रखती तो कभी दूसरे मम्मे पर. मैं भी उसके दोंनो मम्मों को बारी-बारी चूस्ता जा रहा था. थोड़ी देर मम्मे चूसने के बाद मैं थोडा ऑर नीचे की तरफ जाने लगा ऑर उसके पेट पर चूमने ऑर चूसने लगा. मैने जैसे ही अपनी ज़ुबान उसकी नाभि (नेवेल) मे डाली उसको एक झटका सा लगा ऑर उसने अपना पेट अंदर की तरफ खींच लिया ऑर मेरा सिर पकड़ कर अपने पेट पर दबा दिया शायद उसको भी मज़ा आ रहा था कुछ देर उसकी नाभि को चूसने चाटने के बाद मैं ऑर नीचे जाने लगा ऑर उसकी चूत के उपर जहाँ बाल (हेर्स) थे वहाँ चूमने लगा मेरा ऐसा करने से उसने अपनी दोनो टांगे आपस मे जोड़ ली. मैने एक झलक गर्दन उठाके उपर की तरफ देखा तो उसकी आँखें बंद थी मैने उसकी दोनो जाँघो पर अपने हाथ रखे ऑर धीरे-धीरे उन्हे खोलने लगा मेरा इशारा मिलते ही वो किसी चाबी लगे खिलोने की तरह अपनी दोनो टांगे खोलती चली गई उसकी चूत एक दम सॉफ ऑर क्लीन थी उस पर बाल का कोई नामो-निशान नही था आज तक मैने जितनी भी चूत को चोदा था सब पर जंगल उगा हुआ था यहाँ तक कि हीना की चूत पर भी थोड़े-थोड़े बाल थे लेकिन रिज़वाना की चूत एक दम सॉफ ऑर गोरी चिट्टी थी. अब मैने अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर रखा ऑर वहाँ चूम लिया. उसकी चूत लगातार पानी छोड़ने की वजह से बहुत गीली हो गई थी ऑर मेरे चूमने से कुछ पानी मेरे होंठों पर भी लग गया था. लेकिन मेरा चूत पर चूमना रिज़वाना के लिए किसी झटके से कम नही था वो एक दम उच्छल सी गई ऑर अपना सिर उपर की तरफ उठा दिया. मैने अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उससे फिर से लिटा दिया ऑर वापिस उसकी चूत को चूमने लगा उसकी टांगे काँपने लगी थी ऑर बार-बार वो अपनी टांगे बंद करने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैने उसकी दोनो टाँगो को मज़बूती से पकड़ रखा था.

कुछ देर बाद जब वो थोड़ी ठीक हो गई तो मैने अपना मुँह खोला ओर उसकी पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया ओर चूसने लगा उसके मुँह से एक जोरदार सस्स्स्सस्स ऊहह की आवाज़ निकली ऑर उसने मेरा सिर अपनी चूत पर दबा दिया साथ ही अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाने लगी. मैं अब लगातार उसकी चूत को चूस रहा था ऑर उसका एक हाथ ने सख्ती से मुझे मेरे बालो से पकड़ रखा था ऑर अपनी चूत पर दबा रही थी कुछ देर चूसने के बाद उसके जिस्म ने एक झटका खाया फिर दूसरा झटका ऑर ऐसे ही झटके खाती हुई उसने हवा मे अपनी गान्ड उपर को उठा ली ओर कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद वो एक दम से बेड पर गिर गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी शायद वो फारिग हो गई थी.

अब उसने मुझे मेरे बालो से पकड़ा ओर उपर की तरफ खींचा मैं जैसे ही उपर को हुआ वो फिर से मेरे होंठों पर टूट पड़ी ऑर बेतहाशा मुझे चूमने ऑर मेरे होंठ चूसने लगी. शायद उसको ऐसा करने से बे-ईतेहाँ मज़ा आया था कुछ देर मुझे चूमने के बाद उसने अपने हाथ नीचे किया ऑर पिछे से मेरी शॉर्ट्स को नीचे कर दिया ऑर मेरी गान्ड पर अपना हाथ फेरने लगी. फिर अपना हाथ आगे लाकर आगे से भी मेरे शॉर्ट्स को नीचे कर दिया ऑर फिर अपने पैर की मदद से शॉर्ट्स को मेरी टाँगो से आज़ाद कर दिया अब हम दोनो सिर्फ़ एक चद्दर मे क़ैद थे उसने अपनी टांगे फैलाई हुई थी ऑर मेरा लंड सीधा उसकी चूत के मुँह पर अपनी दस्तक दे रहा था. उसके होंठ चूस्ते हुए ही मैने अपना हाथ नीचे किया ऑर अपना लंड पकड़कर निशाने पर रख दिया. उसने जल्दी से अपना मुँह मेरे होंठों से आज़ाद किया ऑर मेरे कान मे धीरे से बोली....

रिज़वाना : नीर आराम से करना मैने पहले कभी किया नही.

मैं : कभी भी नही.

रिज़वाना : (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) उऊहहुउऊ.

मैने फिर से उसके होंठों को अपने होंठों मे क़ैद कर लिया ओर धीरे से अपने लंड का दबाव उसकी चूत की छेद पर दिया लेकिन उसकी चूत का छेद इतना तंग था कि मेरा लंड फिसलकर उपर की तरफ चला गया मैने फिर से अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया ऑर फिर लंड को निशाने पर रखा लेकिन लंड फिर से फिसल कर उपर को चला गया.

मैं : तुम पकड़कर खुद डालो.

रिज़वाना : (मुस्कुरा कर) अच्छा...

रिज़वाना ने मेरे लंड को पकड़ा ओर धीरे से मेरे कान मे बोली.

रिज़वाना : ये तो बहुत बड़ा है अंदर कैसे जाएगा.

मैं : चला जाएगा पहली बार तक़लीफ़ होगी फिर आराम से चला जाएगा.

रिज़वाना : मुझे मत सिख़ाओ मैं डॉक्टर हूँ. लेकिन नीर ये सच मे बड़ा है ऑर मोटा भी ज़्यादा लग रहा है बहुत दर्द होगा.

मैं : मैं आराम से करूँगा.

रिज़वाना : ठीक है जल्दी मत करना प्लज़्ज़्ज़.

फिर मैने अपने लंड को निशाने पर रखा ऑर इस बार ज़रा ज़ोर से झटका दिया जिससे लंड की टोपी अंदर चली गई ऑर रिज़वाना ने एक सस्स्सस्स के साथ अपनी आँखें बंद कर ली अब मैं कुछ देर रुका ऑर फिर से एक झटका दिया इस बार थोड़ा सा ऑर लंड अंदर गया ऑर कही जाके अटक गया मैं ज़ोर लगा रहा था लेकिन अंदर नही जा रहा था मैने अपना लंड बाहर निकाला उस पर फिर से थूक लगाया ऑर इस बार ज़रा ज़ोर से झटका दिया इस बार लंड कुछ आगे चला गया लेकिन रिज़वाना की दर्द से चीख निकल गई सस्स्स्सस्स आआययईीीई बहुत दर्द हो रहा है नीर जल्दी बाहर निकालो (रोते हुए) मेरी जान निकल रही है प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़.... उसने अपने दोनो हाथो के बड़े-बड़े नाख़ून मेरे कंधो मे गढ़ा दिए. जिससे मुझे भी बेहद दर्द हुआ.

मैं : बस हो गया इतना ही दर्द था अब नही होगा.

रिज़वाना : एक बार बाहर निकालो प्ल्ज़्ज़ मेरी दर्द से जान निकल रही है.

मैने बिना कुछ बोले लंड बाहर निकाल लिया ऑर रिज़वाना लगातार रोए जा रही थी मैं बस उसके उपर लेटा उसको चुप करवा रहा था ऑर उसको चूम रहा था. वो काफ़ी देर ऐसे ही रोती रही.

रिज़वाना : मेरा मुँह सूख रहा है प्यास लगी है

मैने बिना कुछ बोले पास पड़ा पानी का ग्लास उठाया ऑर पानी को मुँह मे भर लिया ऑर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए वो दर्द से कराह रही थी ऑर सस्स...सस्स कर रही थी मैने अपने होंठ जैसे ही उसके होंठों पर रखे तो उसने अपनी आँखें खोल दी अब मैं अपने मुँह वाला पानी उसके मुँह मे गिराने लगा ऑर वो बिना कोई हरकत किए वो पानी पीने लगी जब पानी ख़तम हो गया तो मैने ग्लास उसको दिया ताकि वो पानी पी सके.

रिज़वाना : ग्लास से नही मुँह से पिलाओ.

मैं कुछ देर उसको ऐसे ही अपने मुँह मे भरकर पानी पिलाता रहा उसको शायद मेरा ऐसा करना बहुत अच्छा लगा था अब वो भी मुस्कुरा रही थी ऑर आराम से पानी पी रही थी.

रिज़वाना : बसस्स अब आगे भी ऐसे ही पानी पिया करूँगी (मुस्कुराते हुए)

मैं : अब दर्द ठीक है

रिज़वाना : दर्द अब पहले से कुछ काम है लेकिन अभी भी बहुत तेज़ जलन हो रही है अंदर

मैं : एक बार पूरा डाल लोगि फिर दर्द नही होगा.

रिज़वाना : मैने बोला भी था आराम से करना लेकिन तुम तो एक दम जंगली हो.

मैं बिना कुछ बोले उसको देखता रहा ऑर उसके होंठ चूमकर अपना लंड फिर से निशाने पर रखा ऑर हल्का सा झटका दिया अब लंड टोपी से थोड़ा ऑर आगे तक बिना कोई रुकावट अंदर चला गया लेकिन रिज़वाना को अभी भी दर्द हो रहा था.

रिज़वाना : कुछ देर ऐसे ही रहो जब दर्द ठीक हो जाएगा फिर हिलाना अंदर.
मैं : अच्छा.

कुछ देर मैं ऐसे ही अंदर लंड डाले उसके उपर पड़ा रहा ऑर हम एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे थोड़ी देर बाद उसने खुद ही नीचे से अपनी गान्ड को हिलाना शुरू कर दिया तो मैं समझ गया कि अब उसका दर्द कम हो गया है इसलिए मैने भी धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा लेकिन चूत अब भी काफ़ी तंग थी इसलिए मेरा आधे से थोड़ा कम लंड भी अंदर फस-फस कर जा रहा था. कुछ देर धीरे-धीरे झटके लगाने के बाद जब उसके चेहरे पर से दर्द ख़तम हो गया तो मैने अपनी रफ़्तार कुछ तेज़ करदी ऑर लंड को भी ऑर अंदर तक डालने की कोशिश करने लगा. लेकिन अब रिज़वाना को इतना दर्द नही हो रहा था या शायद वो दर्द को बर्दाश्त कर रही थी.

रिज़वाना : ऑर कितना रह गया है बाहर.

मैं : बस थोड़ा सा ही बाक़ी है.

रिज़वाना : ऐसा करो एक ही बार मे पूरा डाल दो मैं दर्द बर्दाश्त कर लूँगी.

मैं : पक्का

रिज़वाना : (बिना कुछ बोले मेरे होंठ चूमकर हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म.

मैं अपने लंड को टोपी तक बाहर निकाला ऑर एक ही बार मे जोरदार झटका चूत के अंदर मारा लंड पूरे से थोड़ा सा कम अंदर तक चला गया लेकिन कुछ लंड अभी भी बाहर बाकी था. लेकिन रिज़वाना के मुँह से एक बार फिर से ससस्स....आयईयीई....... की आवाज़े निकलने लगी.

रिज़वाना : रुक जाओ नीर बस ऐसे ही रहो अब हिलना मत.

मैं : (उसके माथे पर हाथ फेरते हुए) ठीक है.

कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद उसका इशारा मिलते ही मैं फिर से शुरू हो गया और इस बार मैं झटके भी थोड़े तेज़ लगा रहा था. अब रिज़वाना का दर्द भी पहले से बहुत कम हो गया था ऑर वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी कुछ देर ऐसे ही झटके लगाने के बाद एक बार फिर से उसका जिस्म अक़ड गया ऑर उसने अपनी गान्ड को हवा मे उठा लिया ऑर झटके खाने लगी ऑर फिर बेड पर ढेर होके तेज़-तेज़ साँस लेने लगी. अब मैं उसको उपर से हट गया ऑर उसको उठा कर उल्टा लिटा दिया ऑर उसकी गान्ड को उपर को उठाया मेरा इशारा समझ कर वो घोड़ी के जैसे अपने हाथ ऑर घुटनो के सहारे बेड पर खड़ी हो गई अब मैं उसके पिछे आ गया ऑर अपना लंड फिर से उसकी चूत के मुँह पर रखा ऑर धीरे-धीरे लंड को अंदर डालने लगा उसको अब भी लंड डालने पर दर्द हो रहा था जिस वजह से उसके मुँह से एक सस्स्स्सस्स की आवाज़ निकल रही थी. अब मैने एक हाथ से उसके बाल पकड़ लिए ऑर दूसरा हाथ उसकी गान्ड पर रख कर झटके लगाने लगा उसको शायद ऐसा करने से बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए कुछ देर मे वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी अब उसको अपने दर्द की कोई परवाह नही थी ऑर मुझे बार-बार ज़ोर से करो नीर .....ज़ोर से करो नीर ..... बोल रही थी मैं भी अब अपनी पूरी रफ़्तार से झटके लगा रहा था उसको चोदते हुए मेरा उसके बाल खींचना काफ़ी पसंद आया था शायद इसलिए जब भी मैं उसके बालो से हाथ हटा लेता तो वो खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर अपने बालो पर रख लेती. इसलिए मैं भी अब उसके बाल पकड़ कर तेज़-तेज़ झटके लगा रहा था पूरा कमरा उसकी सस्सस्स.....सस्स्सस्स.....आआहह.....ऊऊहह.....आयईयीई.... की आवाज़ो से गूँज रहा था. अब हम दोनो मज़े मे खोए हुए थे मैं अब फारिग होने के करीब था इसलिए मैं अब अपनी पूरी रफ़्तार से झटके लगा रहा था. कुछ ही देर मे मैं अपनी मंज़िल पर आ गया ऑर साथ ही एक बार फिर उसका जिस्म भी झटके खाने लगा ऑर हम दोनो एक साथ ही फारिग हो गये मैं फारिग होने के बाद बहुत थक गया था इसलिए उसकी पीठ पर ही ढेर हो गया वो भी वैसे ही बेड पर उल्टी ही लेट गई ऑर अब हम दोनो अपनी सांसो को दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे थे. मैं अपनी आँखें बंद किए रिज़वाना के उपर लेटा था ऑर वो अपने एक हाथ पिछे ले जाकर मेरे सिर पर अपने हाथ फेर रही थी कुछ देर बाद जब हम दोनो की साँस ठीक हो गई तो मैं उसके उपर से हटकर साइड पर लेट गया वो भी वैसे ही मुझसे लिपट कर सो गई. उस रात बहुत मज़े की नींद आई हम दोनो को ही होश नही था कि कहाँ पड़े हैं.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो रिज़वाना किसी मासूम बच्चे की तरह मेरे साथ लेटी थी ओर मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी.

मैं : (अपनी आँखें मलते हुए) सुबह हो गई.

रिज़वाना : हंजी सुबह हो गई..... गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट.

मैं : तुम कब उठी.

रिज़वाना : थोड़ी देर पहले.

मैं : मुझे उठाया क्यो नही.

रिज़वाना : तुम सोए हुए इतने प्यारे लग रहे थे कि उठाने का दिल ही नही किया.

मैं : अर्रे चलो तेयार हो जाओ ख़ान ने बुलाया था उसके पास भी जाना है.

रिज़वाना : (मुझे गले लगाते हुए) एम्म्म आज कहीं नही जाना आज मैं मेरी जान के साथ रहूंगी बस आज कोई काम नही करना.

मैं : वो तो ठीक है लेकिन अगर नही जाएँगे तो ख़ान गुस्सा हो जाएगा ना.

रिज़वाना : मैं क्या करूँ मुझसे उठा ही नही जा रहा.

मैं : क्यो क्या हुआ

रिज़वाना : (हँसते हुए) अच्छा क्या हुआ मुझे...कल रात क्या हुआ था... याद करो....चलो...चलो....

मैं : (कुछ सोचते हुए) अच्छा वो.... ज़्यादा दर्द हो रहा है.

रिज़वाना : (मेरे होंठ चूमकर ना मे सिर हिलाते हुए) उऊहहुउऊ...

मैं : चलो फिर आज साथ मे नहाते हैं

रिज़वाना : हमम्म लेकिन नीचे जलन हो रही है लगता है आज तो क्लिनिक जाना ही पड़ेगा.

मैं : क्यो क्लिनिक मे क्या है...

रिज़वाना : वहाँ से एक क्रीम लानी है वो लगाउन्गी तो ठीक हो जाएगी.

मैं : तुम आज आराम करो घर पर मुझे बता दो कौनसी क्रीम है मैं ले आउन्गा.

रिज़वाना : हमम्म अच्छा ऑर जब नर्स पुछेगि तो क्या बोलोगे.

मैं : बोल दूँगा रिज़वाना ने मँगवाई है.

रिज़वाना : हुह...रहने दो मैं खुद ही ले आउन्गि...तुम तो जिसको नही भी पता चलना होगा उसको भी बता दोगे. (हँसते हुए)

मैं : चलो फिर तैयार हो जाते हैं जाना भी है

रिज़वाना : ठीक है चलो. अच्छा सुनो हेड-क्वॉर्टर्स जाके किसी को हमारे बारे मे कुछ मत बताना अभी. मुनासिब वक़्त आने पर हम सबको बताएँगे ठीक है अभी चुप रहना ऑर हमारे बारे मे किसी से कोई बात ना करना.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
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07-30-2019, 01:22 PM,
#40
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-38

उसके बाद मैने जैसे चद्दर हटाई बेड पर एक खून का निशान लगा हुआ था जिसको मैं ऑर रिज़वाना दोनो देख रहे थे ऑर मुस्कुरा रहे थे रिज़वाना से ठीक से चला नही जा रहा था इसलिए वो अपनी टाँग को थोड़ी चौड़ी करके चल रही थी उसके इस तरह चलने पर मैं अपनी हँसी रोक नही पाया ऑर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा.

रिज़वाना : (मुस्कुराते हुए) हँसो मत सब तुम्हारा ही किया हुआ है
मैं : मैने बोला था कपड़े उतार कर मेरे साथ सोने को.
रिज़वाना : अच्छा...अच्छा...ठीक है अब मुझे बाथरूम तक लेके चलो दर्द हो रही है. (चूत को सहलाते हुए)

उसके बाद मैने उसको गोद मे उठाया ऑर हम दोनो नहाने चले गये वहाँ हम दोनो साथ नहाए मेरा लंड तो एक बार फिर से खड़ा हो गया था लेकिन रिज़वाना की हालत देखकर मैं अपने जज़्बात काबू कर लिए ऑर फिर हम दोनो तेयार होके हेडक्वॉर्टर्स चले गये. नाश्ता भी हमने रास्ते मे ही किया. हेड क्वॉर्टर जाते ही ख़ान मेरे सामने अपने सवालो की दुकान खोले खड़ा हो गया.

ख़ान : आ गये जनाब रात को क्या हुआ था यार
रिज़वाना : कुछ नही घरवाले याद आ रहे थे जनाब को मैने समझा दिया है अब सब सेट है.
ख़ान : देख लो अगर कोई समस्या है तो मेरे साथ तुम रह सकते हो.
मैं : नही कोई समस्या नही वो मुझे बस घरवालो की याद आ रही थी.
ख़ान : (रिज़वाना को देखते हुए )ये तुमको क्या हुआ पैर मे चोट लगी है क्या
रिज़वाना : हाँ रात को लाइट चली गई थी मैं मोमबत्ती लेने गई तो वहाँ सब्जी पर पैर स्लिप हो गया ऑर पैर मे मोच आ गई. नीर नही होता तो मैं उठ भी नही सकती थी.
ख़ान : अपना ख्याल रखा करो यार ऑर तुमको मैने कितनी बार बोला है कोई नौकरानी रख लो.
रिज़वाना : अर्रे अकेली तो हूँ मैं अब एक इंसान के लिए क्या नौकरानी रखू.
ख़ान : चलो जाओ डॉक्टर साहिबा पहले अपना इलाज करो तब तक मैं थोड़ा नीर साहब से बात कर लूँ.
रिज़वाना : हमम्म.... (मेरी तरफ देखते हुए) जब तुम्हारा काम ख़तम हो जाए तो मेरे पास क्लिनिक मे आ जाना ठीक है.
मैं : अच्छा जी

उसके बाद ख़ान मुझे एक अजीब सी जगह ले गया जहाँ बहुत सारी मशीन्स पड़ी थी मेरे लिए ये जगह एक दम नयी थी इसलिए मैं चारो तरफ बड़े गौर से देख रहा था वहाँ काफ़ी सारे लोग हाथ मे छोटी-छोटी मशीन्स पकड़े बैठे थे ऑर उसके साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे.

मैं : ख़ान साहब हम यहाँ क्यो आए हैं

ख़ान : यहाँ मैं तुमको हर क़िस्म का स्पाइ डिवाइस इस्तेमाल करना सिखाउन्गा जो आगे जाके तुम्हारे काम आएगा. ऑर इनकी मदद से तुम मुझ तक उस गॅंग की इन्फर्मेशन भी भेज सकते हो.
मैं : अच्छा...

उसके बाद पूरा दिन वो मुझे अलग-अलग क़िस्म की छोटी-छोटी मशीन्स के बारे मे बताता रहा ऑर मुझे उनको इस्तेमाल करना भी सीखाता रहा मैं हर चीज़ को बड़े ध्यान से समझ रहा था ऑर उसको अपने दिमाग़ मे बिताने की कोशिश कर रहा था. वहाँ बैठे लोग मुझे उन औज़ारो को इस्तेमाल करना भी सीखा रहे थे ऑर मेरी ज़रूरत के मुताबिक़ मुझे वो समान दे भी रहे थे जिसको मैं खुद एक बार इस्तेमाल करके देख रहा था ऑर फिर मैं एक छोटे से बॅग मे वो तमाम समान को डाल रहा था.

मेरा पूरा दिन वही डिवाइसस को देखने ऑर वो कैसे काम करते हैं उसको समझने मे ही गुज़रा उसके बाद शाम को मैं ऑर रिज़वाना घर आ गये. आते ही रिज़वाना मुझ पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी ऑर हम फिर से चुदाई मे लग गये. अब ये हमारा रोज़ का रुटीन सा हो गया था कि दिन मे मैं ख़ान से ट्रैनिंग लेता ऑर शाम से लेकर सुबह तक हम को बस बहाना चाहिए था चुदाई करने का अब रिज़वाना मेरे बिना एक पल भी नही रहती थी. कुछ ही दिन मे वो मुझ से बहुत ज़्यादा जूड सी गई थी ओर मुझे बे-पनाह प्यार करने लगी थी. अक्सर जब भी मैं ख़ान से ट्रैनिंग ले रहा होता तो रिज़वाना किसी ना किसी बहाने से मेरे पास आ जाती. मुझे पता ही नही चला कि 15 दिन कैसे गुज़र गये ऑर मेरी ट्रनिंग भी मुकम्मल हो गई आखरी दिन ख़ान ने ऐसे ही मुझे अपने कॅबिन मे बुलाया वहाँ उसके पास एक आदमी बैठा था जो मुझे देखते ही खड़ा हो गया ऑर हैरानी से घूर्ने लगा.

ख़ान : बैठो-बैठो यार अब ये अपना ही आदमी है इससे डरने की ज़रूरत नही.
मैं : ख़ान साहब आपने मुझे बुलाया था.
ख़ान : हाँ नीर अब तुम्हारी ट्रैनिंग तो पूरी हो ही गई है इसलिए मैने सोचा तुम्हारे जाने का इंतज़ाम भी कर दूं.
मैं : (चोन्कते हुए) जाने का...कहाँ जाना है मुझे.
ख़ान : अर्रे भाई तुमको तुम्हारे गॅंग तक नही पहुँचना क्या....
मैं : ओह्ह्ह अच्छा हाँ... तो बताइए कब जाना है
ख़ान : कल जाना है
मैं : (कुर्सी से खड़ा होते हुए) कलल्ल्ल.... इतनी जल्दी...
ख़ान : क्यो क्या हुआ कल जाने मे कोई परेशानी है क्या.
मैं : जी नही एस बात नही है बस मैं एक बार वहाँ जाने से पहले अपने घरवालो से मिलना चाहता था.
ख़ान : ठीक है फिर तुम आज ही अपने गाव हो आओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ लेकिन सुबह तक वापिस आ जाना क्योंकि मुझे खबर मिली है कि कल रात को तुम्हारे पुराने साथी लाला, गानी ऑर सूमा शहर मे आ रहे हैं ड्रूग्स की डील करने के लिए ऑर तुमको उनकी नज़रों के सामने लाना ज़रूरी है. तभी तुम उस गॅंग तक पहुँच पाओगे.
मैं : जी अच्छा... लेकिन मैं उनके सामने पहुँचुँगा कैसे.
ख़ान : इसलिए तो तुमको यहाँ बुलाया है इनसे मिलो ये है राणा (सामने कुर्सी पर बैठे उस आदमी की तरफ इशारा करते हुए)


राणा : सलाम शेरा भाई (मुझसे हाथ मिलाते हुए)
मैं : वालेकुम.सलाम जनाब.
ख़ान : ये पेशे से एक ड्रग डीलर है ऑर हमारा खबरी भी है. तुम इसके साथ वहाँ डील करने जाओगे ऑर वहाँ उनके लोगो का माल लूटोगे ऑर उनके आदमियो को ख़तम करोगे बाकी सब काम मैने इसको समझा दिया है.
मैं : जी ठीक है.
ख़ान : अब तुम गाव चले जाओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ.
मैं : ठीक है.
ख़ान : ऑर सुनो... हमारे पास वक़्त नही है इसलिए सुबह तक याद से वापिस आ जाना क्योंकि सुबह होते ही तुमको राणा के साथ जाना है.
मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जी अच्छा...

उसके बाद वो दोनो कमरे मे बैठे रहे ऑर मैं बाहर आ गया. मुझे ये सब इतने जल्दी होने की उम्मीद नही थी मैने तो सोचा था कुछ दिन ऑर मैं अपने घरवालो के पास रह लूँगा लेकिन यहाँ तो ख़ान ने मुझे बस एक रात का ही वक़्त दिया है ऑर अब तो रिज़वाना भी है जो मुझे बे-इंतेहा मुहब्बत करती है उसको मैं कैसे सम्झाउन्गा. मैं अपनी इन्ही सोचो मे था कि मेरे कदम खुद ही रिज़वाना के कॅबिन की तरफ मुझे ले गये.

मैं : क्या मैं अंदर आ सकता हूँ डॉक्टरनी साहिबा.
रिज़वाना : (मुस्कुराते हुए) अर्रे तुम आज इतनी जल्दी फ्री हो गये. ऑर ये क्या तुमको अंदर आने के लिए मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत कब से पड़ने लग गई... चलो अंदर आओ.
मैं : वैसे ही सोचा तुम कोई काम कर रही होगी.
रिज़वाना : (अपनी कुर्सी से खड़े होके मेरे पिछे आते हुए) मेरी जान तुम्हारे लिए तो वक़्त ही वक़्त है बताओ क्या खिदमत करू मेरी जान की... (पिछे से मेरी गाल चूमते हुए)
मैं : मुझे तुमसे कुछ कहना है.
रिज़वाना : क्या हुआ तुम परेशान लग रहे हो सब ठीक तो है.
मैं : मैं आज गाव जा रहा हूँ उसके बाद कल सुबह मुझे मिशन के लिए निकलना है.
रिज़वाना : (मेरी कुर्सी को अपनी तरफ घूमाते हुए) क्या....इतनी जल्दी....
मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हम्म...


उसके बाद हम दोनो खामोश हो गये ऑर रिज़वाना वापिस अपनी जगह पर जाके बैठ गई ऑर अपना समान समेटने लगी. मुझे उसका इस तरह का बर्ताव अजीब सा लगा.

मैं : क्या हुआ नाराज़ हो.
रिज़वाना : नही...नाराज़ क्यो होना है बस थोड़ी सी उदास हूँ सोचा नही था तुम इतनी जल्दी चले जाओगे.
मैं : उदास क्यो हो... अर्रे मैं जल्दी वापिस आ जाउन्गा ना.
रिज़वाना : मैने सोचा था तुम कुछ दिन मेरे पास ही रुकोगे.
मैं : ख़ान ने आज ही मुझे बताया मैं भी क्या करू.
रिज़वाना : (अपना सारा समान अपने बॅग मे डालते हुए) चलो चलें.
मैं : कहाँ चलें
रिज़वाना : घर मे तुम्हारी पॅकिंग करने ऑर कहाँ
मैं : ऑर तुम्हारा काम....
रिज़वाना : आज कोई काम नही बस आज मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.

उसके बाद रिज़वाना ने जल्दी छुट्टी लेली ऑर हम दोनो घर के लिए निकल गये. रिज़वाना पूरे रास्ते खामोश ऑर उदास ही बैठी थी जो मुझे सच मे अच्छा नही लग रहा था.

मैं : क्या हुआ है रिज़वाना अब ऐसे उदास मत बैठो यार.
रिज़वाना : मैं ठीक हूँ (मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए)
मैं : एक बात बोलू...
रिज़वाना : हमम्म्म
मैं : तुम ऐसे उदास बैठी अच्छी नही लगती
रिज़वाना : तो क्या तुम्हारे जाने की खुशियाँ मनाऊ.
मैं : तुमको पता है तुम जब हँसती हो तो बहुत सेक्सी लगती हो मेरी तो नियत ही खराब हो जाती है.
रिज़वाना : (हँसते हुए) उूुउउ..... तंग मत करो ना नीर . एक तो पहले मूड खराब कर दिया अब हंसा रहे हो.
मैं : मैने क्या किया यार ये तो ख़ान ने ही मुझे जो बोला मैने तुमको बता दिया.
रिज़वाना : (रोने जैसा मुँह बनाते हुए)मत जाओ ना....नीर .
मैं : जाना तो पड़ेगा क्या करे मजबूरी है.
रिज़वाना : मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी कभी सोचा है.
मैं : एम्म्म चलो एक काम करते हैं तुम भी मेरे साथ ही चलो.
रिज़वाना : कहाँ चलु...
मैं : मेरे गाव ऑर कहाँ... रात वहाँ ही रहेंगे ऑर सुबह तक वापिस आ जाएँगे.
रिज़वाना : मैं....मैं कैसे...
मैं : क्यो गाँव जाने मे क्या परेशानी है
रिज़वाना : परेशानी वाली बात नही है तुम्हारे घरवाले मुझे पसंद नही करते इसलिए उनको शायद मेरा वहाँ रहना अच्छा ना लगे.
मैं : अर्रे वो लोग बहुत अच्छे हैं यार तुम फिकर मत करो कोई कुछ नही कहेगा.
रिज़वाना : लेकिन...
मैं: लेकिन-वेकीन कुछ नही तुम साथ आ रही हो... मतलब आ रही हो... वैसे भी मेरे पास एक ही दिन बचा है कल सुबह को तो मिशन के लिए निकलना है ऑर मैं चाहता हूँ मैं अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने चाहने वालो के साथ गुज़ारु जिनमे अब तुम भी हो.
रिज़वाना : (मुस्कुरकर मेरी गाल चूमते हुए ) अच्छा....ठीक है मैं भी चलती हूँ.
मैं : ये हुई ना बात
रिज़वाना : तुमको पता है तुम बहुत ज़िद्दी हो.
मैं: हाँ हूँ...कोई ऐतराज़
रिज़वाना : (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) उुउऊहहुउऊ....
मैं : अच्छा रिज़वाना मैं सोच रहा था जाने से पहले घरवालो के लिए थोड़ा समान खरीद लू तो क्या हम पहले बाज़ार चलें अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो.
रिज़वाना : हाँ-हाँ ज़रूर क्यो नही वैसे भी इतने दिन बाद घर जा रहे हो खाली हाथ थोड़ी ना जाओगे.

उसके बाद कोई खास बात नही हुई हम हेड-क्वॉर्टर से सीधा मार्केट चले गये वहाँ मैने नाज़ी,फ़िज़ा ऑर बाबा के लिए बहुत सारा समान खरीदा. फिर हम घर आ गये ऑर आते ही रिज़वाना मुझ पर टूट पड़ी ऑर पागलो की तरह मुझे चूमने लगी फिर हमने एक बार सेक्स किया ऑर उसके बाद मैं थक कर सो गया लेकिन रिज़वाना मेरी ओर अपनी पॅकिंग करने लगी रही. शाम को जब मैं सो कर उठा तो रिज़वाना ने सब कुछ रेडी कर दिया था उसके बाद मैं भी नहा कर तेयार हुआ ऑर फिर हम दोनो गाव के लिए निकल पड़े.

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