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Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी
आज के इस नेट और , मोबाइल की दुनिया में वो दिन लड़ गये जब लोग चूत देख पानी पानी हो जाया करते थे ... अब तो चूत के पानी से ही दिन चर्या शूरू होती है और रात की रंगीनियाँ भी इसी के पानी से ख़तम ..हा हा हा हा !! क्या पानी है ... इस का कोई सानी नहीं ...
हां दोस्तो आज सही में चूत सस्ती है और महँगा है पानी ... आइए मेरे इस नये थ्रेड में इसी पानी का भरपूर आनंद लीजिए ,,कुछ नमकीन , कुछ लिस लिसा ..कुछ खट्टा तो कुछ मीठा ..उफफफफ्फ़ क्या स्वाद है चूत की पानी का .. बस चूत रिस्ति रहे और और आप मुँह खोले इसे पीते रहें ...गटकते रहें ..चूस्ते रहें ...चूत उछलती रहे और आप उसे थामे चाट ते रहें , इस कुदरत के अनमोल रस का पान करते रहें ..
हां तो चलें इस रंगीन , लिस लाइज़ , नमकीन और स्वादिष्ट चूत के सफ़र में... ये सफ़र मेरे अपने संस्मरण हैं ..मेरी कहानी .... मेरी ज़ुबानी ... कैसे किया मैने चूतो को पानी पानी ..हा हा हा!!
मैं किशोर ..लोग मुझे किश के नाम से जानते हैं ...हा हा हा...हां ये किस के बहुत करीब है..शायद इसलिए मुझे औरतें किस-एक्सपर्ट समझती हैं .... ...
ये कहानी शूरू होती है जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था .... और मेरी कज़िन (मेरे मामा की बेटी) 32 साल की ....तीन बच्चो की माँ ,,भरपूर चूचियाँ..उछलते नितंब ...भरे होंठ ....चिकने सपाट और मांसल गोरे पेट की स्वामिनी ..जब वो चलती ..मेरे पॅंट के अंदर खलबली मच जाती ....
कहानी चूत और उसके नशीले और लिस लीसे पानी का है ....और चूत से पानी यूँ ही नहीं निकलता ..चूत को सहला के , चाट के , जीभ फिरा के , उंगलियों से मसल के उसे इस अवस्था में लाना पड़ता है..और अगर थोड़े शब्दों में कहें तो पृष्ठभूमि तैय्यार करनी पड़ती है ...
मेरी कज़िन पायल की चूत से भी पानी निकले और लगातार निकले इसकी भी पृष्ठभूमि तैय्यर करनी पड़ेगी ना ..तो चलिए चलते हैं कुछ साल पहले और देखते हैं हमारी तैय्यारि ...
मैं एक बहुत ही सुशील , सीधा सादा अपने माँ बाप का लाड़ला एकलौती संतान था . बड़े लड़ प्यार और स्नेह से मुझे रखा जाता ..किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होती ....और पायल मेरे मामा की इक लौति संतान .....बड़ी नटखट , शरारती और सारे घर को अपने सर पर उठाने वाली ....
मेरे मामा भी हमारे साथ ही रहते ... उनकी नौकरी भी हमारे ही शहेर में थी..और हमारा घर काफ़ी बड़ा ... माँ ने ज़िद कर मामा को भी अपने साथ रहने को मजबूर कर दिया ...
पायल दीदी भले ही शरारती और नटखट हो ..पर मेरे साथ बड़े स्नेह और प्यार से रहती ...हमारी उम्र में भी काफ़ी अंतर था ...वो मुझे किशू बुलाती ...
मुझे अपने हाथों से खिलाती ...मेरे स्कूल का बस्ता तैय्यार करती ... मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती ...
हम दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो जाता ...मैं जब स्कूल से आता ..मेरी आँखें पायल दीदी को ढूँढती ...घर के चारों ओर मैं उन्हें ढूंढता ....जब वो सामने दिखतीं ...मेरे सांस में सांस आता ...मैं सीधा उनकी गोद में बैठ जाता ..वो प्यार से मेरे बाल सहलाती ..मेरे दिन भर की थकान उनके स्पर्श से ही गायब हो जाती ... मैं खिल उठता ....
उन दिनों पायल दीदी 20-22 साल की एक आल्मास्ट , दुनिया से बेख़बर, जवानी के नशे में झूमती लहराती रहती.... और मेरे मामा उनकी शादी की चिंता मे डूबे रहते .....
हाइ स्कूल की पढ़ाई के बाद वो घर में ही रहती ... घर के कम काज़ में हाथ बटाना तो दूर ...अपने में ही खोई रहती ...कहानियाँ पढ़ती , फिल्मी मॅगज़ीन्स पढ़ती ( जिन्हें मैं अपनी किताबों के बस्ते में छुपा कर लाता ..और उसी तरह दीदी के पढ़ने के बाद दूकानवाले को वापस कर देता ) ...
मामा ..मामी की डाँट का उन पर कोई असर नहीं होता...
" अरे कुछ तो शर्म कर ...कल को तेरी शादी होगी ...ससुराल में हमारी नाक काटेगी ये लड़की .."
मामी के इस तकियकलाम शब्दों को पायल दीदी अन्सूना कर देती ...मुझे अपने हाथों से अपने बगल चिपकाते हुए बोलती
"किशू...तेरी पढ़ाई हो गयी....? "
"हां दीदी.."
"तो फिर चल लुडो खेलते हैं .."
मेरे लिए उनके ये शब्द जादू का काम करते..मैं फटाफट अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लुडो का बोर्ड बिछा देता ...हम दोनों आमने सामने बैठ जाते ..इतने पास कि दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूती ....इसमें स्नेह की गर्मी , निस्चल प्यार का स्पर्श और उनकी मदमस्त जवानी का झोंका भी शामिल रहता ..मुझे बहुत भाता ...
उन दिनों टीवी नहीं था ..रेडियो का प्रचलन था ....मेरे अलावा पायल दीदी का ये दूसरा चहेता था ..उस समय की फिल्मों का एक-एक गाना उनकी ज़ुबान पे होता ....हमेशा गुनगुनाती रहती अपनी सुरीली और मीठी आवाज़ में ...
दिन गुज़रते गये और मैं पायल दीदी के स्नेह और प्यार के बंधन में जकड़ता गया...हम दोनों के लिए एक दूसरे के लिए एक अटूट आकर्षण , बंधन , प्यार और स्नेह पनपता गया .....
और फिर एक दिन जब मैं स्कूल से वापस आया ,,दीदी ने मेरे लिए दरवाज़ा नहीं खोला ... दरवाज़ा भिड़ा था ..मेरे धक्का देते ही खूल गया..पर दीदी के बजाय अंदर सन्नाटे ने मेरा स्वागत किया.. दीदी की प्यार भरी बाहों की जगह एक घनघोर चुप्पी ने मुझे जाकड़ लिया .... मैं तड़प उठा ..दीदी कहाँ गयीं..??
मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ा .... अंदर झाँका ..दीदी अपने पलंग पर लेटी थीं .....मैं और नज़दीक गया ..
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RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
मैं बेतहाशा उनकी ओर बढ़ा .... पायल दीदी पेट के बल लेटी थी , सर तकिये पर रखे सूबक सूबक कर रो रहीं थी ...उनका चेहरा मेरी ओर था ..उनके गुलाबी गाल आँसुओं से सराबोर थे ...तकिया गीला था ... आख़िर क्या बात हो गयी ..?? क्या हुआ आज दिन भर में ..??? जिस चेहरे पर हमेशा खिलखिलाहट और मुस्कान छाई रहती ..आज आँसुओं से सराबोर है ..आख़िर क्यों..??? किसी ने कुछ कहा ...?? मेरे मन में हलचल मची थी ...
मैं उनके बगल बैठ गया और पूछा " दीदी क्या हुआ ..आप रो क्यूँ रही हैं ..?? "
मेरी आवाज़ भी रुआंसी थी ...
दीदी ने मेरी तरफ चेहरा किया और उठ कर बैठ गयीं , मुझे अपनी छाती से लगाया ..मुझे भींच लिया और फिर और सूबक सूबक कर रोने लगीं ...
मैं हैरान परेशान था , पर उनकी छाती की गर्मी और स्तनों की नर्मी से बड़ा अच्छा भी लगा ...मैं एक बहुत ही अलग अनुभूति में डूबा था ...उनके साथ चिपके रहने का आनंद , पर उनके रोने से परेशान ... दो बिल्कुल अलग अनुभव थे ...मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ ..दीदी को चूप कराऊँ या फिर उनकी छाती से चिपके इस जन्नत में खोया रहूं ... पायल दीदी के शरीर की सुगंध ..उनके आँसू और पसीने की मिली जुली नमकीन खूशबू , मेरा मुँह उनकी छाती से इस तरेह चिपका था के मेरी नाक उनकी आर्म्पाइट की तरफ था ..उफ़फ्फ़ वहाँ से भी एक अजीब मादक सी खूशबू आ रही थी ....वोई पसीने की ...मैं एक अजीब ही स्तिथि में था ..क्या करूँ क्या ना करूँ ...पायल दीदी आप रोते हुए भी मुझे इतना सूख दे सकती हैं....दीदी दीदी ........मेरा रोम रोम उनके लिए तड़प रहा था ..उन्हें कैसे शांत करूँ ..मैं क्या करूँ ......
मेरी इस उधेड़बून का हल,भी आख़िर दीदी ने ही निकाला ... उन्होने मुझे अपनी छाती से अलग किया ..मेरे चेहरे को अपने नर्म हथेलियों से थाम लिया और मुझे बेतहाशा चूम ने लगीं ... मेरे गालों पर अपने मुलायम होंठों से चुंबनों की वर्षा कर दी .... ये भी मेरे लिए एक नया ही अनुभव था ..... पायल दीदी मुझे चूमे जा रहीं थी पर उनका रोना अब हिचक़ियों में तब्दील हो गया था ... और बीच बीच में मुझ से पूछती
" किशू ..किशू .....मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी ..?? "
मैं फिर परेशानी में आ गया ..आख़िर इन्हें मेरे बिना रहने की क्या ज़रूरत आ पड़ी ..?? मेरे छोटे से मश्तिश्क में हज़ारों सवाल थे ..जिनका जवाब मुझे मिल नहीं रहा था ..और मैं उलझनों में डूबता जाता ..पर दीदी के प्यार और निकट ता से शूकून भी मिल रहा था ....
और तभी मुझे अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया ....
मेरी मामी ने कमरे में कदम रखा और भाई बहेन का प्यार , खास कर दीदी का रोना देख वो बोल उठीं ..
"वाह रे वा पायल रानी..अभी तेरी सिर्फ़ शादी की बात पक्की हुई है और इतना रोना धोना ..अरे जब तेरी विदाई होगी तू क्या करेगी ....बस बस बहुत हो गया ..अब चूप भी कर ..देख बेचारा किशू स्कूल से कब का आ चूका है ...उठ और उसे कुछ खिला ,,बेचारा कब का भूखा है..तुम्हारे रोने से इतना परेशान है....."
ह्म्म्म्ममम तो ये बात थी पायल दीदी के रोने के पीछे..उनकी शादी .... पर इस बात ने मुझे और उलझन में डाल दिया ... जितना मुझे मालूम था ...जितना मेरी छोटी सी मासूम जिंदगी ने मुझे बताया था ...शादी की बात से सारी लड़कियाँ खुशी से झूम उठती हैं .... पर यहाँ तो बिल्कुल ही अलग माजरा था ....खुशी से झूमना तो अलग दीदी दुख और दर्द का रोना ले बैठी थीं....
मामी की बातों ने जादू का असर किया .. मेरे भूखे रहने की बात से उनका रोना धोना एक झटके में ही रुक गया ...उन्होने मुझे बड़े प्यार से अलग किया ..अपनी आँचल से अपना चेहरा और आँखें पोन्छि ....और मुझे कहा
" अले ..अले ..मेला बच्चा अभी तक भूखा है ...उफ़फ्फ़ मैं भी कितनी पागल हूँ ..किशू यहीं बैठ ..मैं 5 मिनिट में तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ ...."
इतना कहते हुए वो रसोई की तरफ भागती हुई चली गयीं ..कमरे में मामी और मैं रह गये ....
मैने मामी से पूछा "मामी ..दीदी शादी की बात से क्यूँ रो रही थी..??? शादी की बात से तो सब खुश होते हैं ना..??"
मामी ने झल्लाते हुए कहा " किशू बेटा ..अब मैं क्या जानूं इस पागल के दिमाग़ में क्या है ...... तू ही पूछ ले उस से ...तुम दोनों भाई बहेन की बात तुम ही जानो ......"
और बड़बड़ाती हुई वो भी कमरे से बाहर चली गयीं .
"ठीक है " मैने सोचा " आने दो उनको उन से ही पूछता हूँ.."
और मैं दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए पायल दीदी का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था .......
अब तक दीदी के रोने धोने के मारे मैं अपनी भूख-प्यास भूल चूका था .... वरना स्कूल से घर आते ही मुझे जोरों की भूख लगती थी , जो स्वाभाविक है... और दीदी भी हमेशा तैय्यार रहती थी मेरे पेट की भूख शांत करने को .
मैं हाथ मुँह धो कर आता ..दीदी थाली भर नाश्ता ले आतीं और मैं उनकी गोद में उनके हाथों से नाश्ता करता ..खूब बातें करता .... अपने स्कूल की , उनकी पढ़ी किसी नयी कहानी की ....या फिर फिल्म-मॅगज़ीन से किसी आक्टर आक्ट्रेस की गॉसिप ...मीना कुमारी और मधुबाला उनकी फॅवुरेट थीं ..उन दोनों की एक एक बात उन्हें मालूम रहती ... बड़े मज़े ले ले कर पायल दीदी मुझे उनके नये फिल्मों के बारे बताती ...
उस दिन पहली बार इस रुटीन में रुकावट आई ....
पर अब जब मामला शांत था ..मेरी भूख फिर से जाग उठी .... मैने दरवाजे की तरफ देखा ..दीदी एक हाथ से थाली और दूसरे हाथ से पानी का ग्लास थामे चली आ रही थीं ...
मैने उन की ओर देखा ..पता नहीं क्यों मुझे उस दिन वो कुछ बदली बदली सी नज़र आईं... उनकी चाल में वो पहले वाली अल्हाड़पन, शोखी , मस्ती नहीं थी ..बड़े नपे तुले कदम थे ... और चेहरा भी काफ़ी सीरीयस था ... मुझे समझ नहीं आ रहा था एक ही दिन में ऐसा क्या हो गया ..?? शादी की बात से ऐसा क्या हो गया दीदी को..?? क्या शादी इतनी बूरी चीज़ होती है ...पर बाकी सभी लड़कियाँ तो कितनी खुश होती हैं .....
क्रमशः..............................................
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RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
मैं समझ नहीं पा रहा था ..एक ही दिन में उन्होने मुझे दो बार सीने से लगाया और हर बार उनका तरीका कितना अलग था .....
"किस उधेड़बून में खो जाता है रे तू..?? चल आज रात को तेरी सारी उलझनें दूर कर दूँगी ...अब जा तू नहा धो और पढ़ाई कर .."
मैं दीदी के साथ रात होनेवाली बातों की कल्पना में खोया अपने रूम के अंदर चला गया.....
मैं कमरे में आने के बाद नाहया , फ्रेश हुआ , कुछ हल्का महसूस किया ..पर मन अभी भी बेचैन सा था ..पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था ...मैने किताब खोली ..पर दिमाग़ में अभी भी दीदी के आज के दो रूप मेरे मश्तिस्क पटल पर बार बार आते जाते ..जैसे किसी फिल्म की सीन बार बार दोहराई जा रही हो..
एक तो उनका वो रोना और मुझे अपने सीने से लगाना.... इस तरह जैसे वो मुझ से अलग नहीं होना चाहती ..मुझे अपने बाहों में भर मुझे हमेशा के लिए अपने साथ कर लेना चाहती हों .ज़रा भी दूर नहीं होने देना चाहती हों .. मुझ से अलग होने का दर्द और तड़प भरा था उस आलिंगन में .
.और दूसरी बार सुरीली धुन गुनगुनाते हुए मुझे अपनी छाती से चिपकाना ..इसमें कितना आनंद था ...मेरे साथ का आनंद .. मेरे साथ का सुख ..मुझे भी कितना अछा लगा ... पर इस दूसरी बार मुझे कुछ और भी महसूस हुआ ..उनके भरे भरे गोलाकार मुलायम स्तनों का दबाब मेरे सीने पर ... इसके पहले आज तक मेरा ध्यान इस तरह के आनंद पर कभी नहीं गायक़ था ..उस दिन क्यूँ ..?? ये महसूस अभी भी मेरे सीने पर था .. मुलायम स्तनों का दबाब , याद करते मेरे पॅंट के अंदर हलचल सी महसूस हुई ...कुछ कडपन महसूस हुआ ..नीचे झाँका तो देखा मेरा पॅंट उभरा हुआ है ...
मैने सामने के बटन खोले ....मेरा लंड खड़ा था ...
हे भगवान ये क्या हो रहा है ... मैने अपने हाथ से उसे शांत करने को थामा और सहलाया ... पर ये तो और भी कड़क हो गया और मुझे अच्छा लगा ... मैं उसे ऐसे ही थामे रहा ..एक दो बार उत्सुकतावश उसकी चॅम्डी उपर नीचे की ..और भी अच्छा महसूस हुआ ...मेरे पूरे शरीर में सिहरन हो उठी ...( मैने अपने स्कूल में कुछ लड़कों को ये बात करते सूना था के चॅम्डी उपर नीचे करने से बड़ा मज़ा आता है ) ..मैने इसे आज़माना चाहा ...
मैने चॅम्डी उपर नीचे करना जारी रखा ..एक असीम आनंद में मैं डूबा था ..दीदी का चेहरा और भरे स्तनों का मेरे सीने पर दबाब याद करते मैं लगातार चॅम्डी उपर नीचे कर रहा था , अचानक मेरा लंड काफ़ी कड़ा हो गया और फिर मुझे ऐसा लगा मानो पूरे शरीर से कुछ वहाँ मेरे लंड के अंदर आ रहा है , कुछ जमा हो रहा है ..मेरे चॅम्डी उपर नीचे करने की गति अपने आप तेज़ हो गयी ..तेज़ और तेज़ और तेज़ और उस के बाद पेशाब वाले छेद से एक दम से गाढ़ा सफेद पानी जैसा पिचकारी छूटने लगा ...मेरा शरीर कांप रहा था ...लंड झटके खा रहा था और थोड़ी देर बाद वो शांत हो कर सिकूड गया ..मुझे काफ़ी राहत महसूस हुआ ..
उस दिन मैने जिंदगी में पहली बार मूठ मारी .
मैं हैरान था अपने में इस बदलाओ को देख ..पायल दीदी के बारे ऐसी सोच ...क्या हो गया है मुझे..??? अगर उनको मालूम हुआ , वो क्या सोचेंगी ..??
मैं आँखें बंद किए कुर्सी पर सर पीछे किए हाँफ रहा था ...
थोड़ी देर बाद मैं नॉर्मल हुआ ..कुर्सी से .उठा अपने रूमाल से लंड को पोन्छा और फर्श पर जो सफेद गाढ़ा पानी गिरा था ..उसे भी सॉफ किया ... मुझे अब तक उस पानी का नाम तक नहीं मालूम था ....
तभी दीदी की आवाज़ आई ...." किशू पढ़ाई ख़त्म हो गयी ..???" और वो अंदर आ गयीं .
मैं अपनी किस्मेत सराह रहा था ..अगर थोड़ी देर पहले आतीं तो मेरी क्या हालत होती..??
"हां दीदी स्कूल की पढ़ाई तो ख़त्म हो गयी .पर अभी आप से बहुत कुछ पढ़ना बाकी है.."
"मुझ से पढ़ाई ....क्या मतलब ..???'
" अरे कुछ नहीं दीदी ..आप ने ही कहा था ना आप मेरी सारी उलझनें दूर करनेवाली हो ..??"
"ओह ..हां ..चल पहले खाना खा लो ..फिर बातें करते हैं .."
उस वक़्त उनके बोलने का लहज़ा बिल्कुल नॉर्मल था.... फिर वोई हँसी..खीखिलाहट और मस्ती ..मैं एक तक उन्हें देख रहा था ...
उफफफफफ्फ़..कितनी अछी लग रहीं थी ..पर उस वक़्त मुझे दीदी कुछ और भी लग रही थी....
"अरे ऐसे टकटकी लगाए क्या देख रहा है ... पहले कभी देखा नहीं है क्या .."
मैने मन ही मन में कहा " देखा तो है पर इस नज़र से नहीं .."
पर दीदी से कहा " नहीं दीदी ..अभी आपकी रोनेवाली सूरत नहीं है ना ... इसलिए आप हँसती हुई कितनी अच्छी लग रहीं हैं.."
दीदी थोड़ी देर मुझे देखती रहीं ...मेरे कंधे पे हाथ रखा .." अब नहीं रोउंगी ..कभी नहीं ... चल अब खाना खा ले " इतना कहते कहते उन्होने मुझे मेरे कंधों से जाकड़ लिया और साथ साथ किचन की तरफ हम जाने लगे ...
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RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
दीदी किचन में अंदर आते ही एक बड़ी थाली में अपने और मेरे लिए खाना लगाया और कहा
" चल किशू मेरे रूम में ,,यहाँ माँ और बुआ आते रहेंगे ...बात करने का मज़ा नहीं रहेगा ..."
"हां दीदी चलिए .." मैने तपाक से जवाब दिया ...
अपने रूम में पायल दीदी नीचे बैठ गयीं , रोज की तरह उन्होने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया ...पर आज जब मैं उनकी जांघों पर बैठा ,, मुझे पहली बार आज कुछ अजीब सा लगा ... कुछ हिचकिचाहट सी हुई ... पर दीदी को बूरा ना लगे इस वाज़ेह मैं चुपचाप बैठ गया ..
उनके मुलायम मांसल जांघों में बैठने का एक अजीब ही मज़ा आ रहा था ..इसके पहले मैने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था ..उनकी गोद में बैठना मेरे लिए बहुत ही साधारण बात थी ... पर आज येई एक बहुत अजीब ही अनुभव था... मेरे हिप्स उनकी जाँघ में धँसी थी ...मुझे उनके शरीर की गर्मी , उनके साँसों का स्पर्श महसूस हो रहा था ...उनके शरीर की मादक खूशबू , इन सब से मुझमें एक मस्ती का आलम छा रहा था ...मैं इस स्वर्गिक आनंद में खो सा गया था ..
" अरे बाबा कहाँ खो गया ... खाना तो खा ले किशू ..क्या बात है आज तू इतना खोया खोया सा क्यूँ है ..कुछ बात है तो बोल ना ... शाम को नाश्ते के टाइम भी कुछ ऐसा ही था ....क्या मुझ से अभी भी नाराज़ है..??"
"नहीं दीदी ..आप कभी ऐसा मत सोचना ..मैं आप से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ ... कोई बात नहीं है .. **
" हां लो ....मेरा भी बहुत दिल है तुम से खूल कर बातें करने की ... तू मुझ से कुछ छुपा रहा है....आज तू काफ़ी बदला बदला सा नज़र आ रहा है ... देख किशू मैं तुम्हारी दीदी ही नहीं , दोस्त भी हूँ ....मुझ से कुछ भी मत छुपाना ... चाहे कुछ भी हो मैं कभी बूरा नहीं मानूँगी ...तेरे मन में जो कुछ भी है मुझे बता दे ....
वो बोलती भी जा रहीं थी और मुझे एक कौर खिलाती और दूसरा खूद भी खाती जाती ...
'" हां दीदी ..आप तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं .." मैं भी खाता जा रहा था और उन्हें जवाब भी देता जा रहा था ... "मेरे मन में भी बहुत सारे सवाल हैं दीदी ... जिनका जवाब सिर्फ़ आप ही दे सकती हो ..."
"हां बिल्कुल ठीक समझा रे तू...हम दोस्त भी हैं ....और भी एक बात किशू ...अब तो मैं यहाँ कुछ दिनों की ही मेहमान हूँ, बस जो तुझे बोलना है..करना है ..बोल ले और कर ले ..मन में कुछ भी मत रख ..." और फिर उनके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी .
उनकी इस बात पर "जो करना है कर ले " मैं चौंक उठा ....आख़िर दीदी का मतलब क्या है ..क्या करने को बोल रही हैं ..??
"दीदी ...बोलने की बात तो मैं समझता हूँ..पर करना क्या है..????"
और इस बात पर दीदी ने अपने मस्ती भरे अंदाज़ में जोरदार ठहाका लगाया ...और मुझे चिपकाते हुए कहा
"तू सही में एक दम भोले राजा है रे ..एक दम भोला भाला .."
फिर एक दम से चूप हो गयीं . मेरी ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा और कहा "पर अब उतना भोला नहीं रहा रे तू ...." और फिर से हँसने लगीं ...
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ..आज दीदी को क्या हो गया है...कैसी बातें कर रहीं हैं ...
"हा हा हा ..अरे तू टेन्षन मत ले ..खाना खा ले अभी फिर तेरी सारी टेन्षन मैं दूर कर दूँगी ..." और एक नीवाला बड़े प्यार से मेरे मुँह में डाल दिया ..
तभी खाना खिलाते खिलाते उनकी साड़ी का आँचल नीचे आ गया ..उनका सीना अब उघ्ड़ा था ..उनके स्तनों की गोलाईयो के बीच की घाटी सॉफ सॉफ दिख रही थी .... मेरी नज़र उस पर पड़ी ... उनकी साँसों के साथ उनके स्तन भी उपर नीचे हो रहे थे ... मैं एक टक उधर ही देख रहा था ...
क्रमशः……………………………….
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RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
कामुक-कहानियाँ
महँगी चूत सस्ता पानी--3
गतान्क से आगे…………………………….
दीदी की नज़रें मुझ से मिलीं ..उन्होने शायद मेरी नज़र ताड़ ली थीं ..पर बड़ी अजीब बात हुई ..उन्होने कुछ नहीं किया ... आँचल ठीक नहीं किया वैसे ही गिरे रहने दिया .... इसके पहले कभी भी ऐसा होता तो वो आँचल फ़ौरन ठीक कर लेती थी ..पर आज नहीं ..... क्यूँ ..????
मैने चुप चाप बिना कुछ रिक्ट किए अपनी नज़रें हटा ली ....
दीदी मुस्कुरा रहीं थी ...
मैने जानबूझ कर ऐसा दिखाया जैसे मैने कुछ देखा नहीं ,,
खाना ख़त्म हो चूका था ..." और लाऊँ किशू ...?"
"नहीं दीदी......"
और हम दोनों उठ गये .
" देख तू हाथ मुँह हाथ धो ले और सीधा मेरे कमरे में आ जाना ..मैं बस आई .."
मैने फटाफट मुँह हाथ धो कर उनके कमरे में चला गया..
मैं एक अजीब ही उधेड़बून में था ...उस दिन सब कुछ बदला बदला सा था ...दीदी कहती थी मैं बदला बदला नज़र आ रहा हूँ ..और मेरी नज़र में दीदी अब वो दीदी नहीं थी ..एक ही दिन में सब कुछ बदल गया ..आख़िर क्या हुआ ... ???
मैं सोच ही रहा था तब तक दीदी आ गयीं और मेरे बिल्कुल सामने बैठ गयीं ....इतनी करीब की हमारी साँसें एक दूसरे को छू रही थी ...
थोड़ी देर तक वो अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे देखती रही और एक भाव शून्य आवाज़ में मुझ से सीधा सवाल किया..
" तू आज शाम को जब मैं तेरे कमरे में आई उसके पहले क्या कर रहा था ..??''
मैं एक दम से सकते में आ गया ..क्या मेरा मूठ मारना दीदी ने देख लिया ?? मेरे चेहरे पे घबड़ाहट थी ...पर फिर भी काफ़ी कोशिश की घबड़ाहट छुपाने की और जवाब दिया ..
"कुछ भी तो नहीं दीदी ..मैं तो होमवर्क कर रहा था ...."
दीदी को जोरों से हँसी आ गयी मेरे इस जवाब से ..हंसते हुए उन्होने कहा
" हां ये तो सही है तू होम वर्क कर रहा था ..पर तेरे हाथ में कलम की बजाए कुछ और ही था .....है ना ...??"
मेरी तो सिट्टी पिटी गुम थी ..मैं समझ गया मेरी हरकतों का दीदी को पता चल गया है....मैं एक दम से चूप था ..मेरे मुँह से कुछ आवाज़ नहीं निकल रही थी ...मेरी हालत पतली थी ...
मैने हकलाते हुए कहा " दीदी ...वो ..वो ..""
"हा हा हा ..अरे मेरे भोले राजा ..घबडा मत ..मैं समझती हूँ .इस उम्र में ये सभी नॉर्मल लड़कों के साथ होता है ...मुझे तो खुशी हुई के मेरा किशू भी नॉर्मल है .... "
मेरी जान में जान आई , पर दीदी के इस रवैय्ये से फिर मैं हैरान था ... और इसी हैरानी में मैने पूछा
"पर दीदी आप को कैसे मालूम हुआ ??.."
'मैं तेरे कमरे में आ रही थी , पर जैसे ही अंदर पैर रखा ..मैने तेरी हालत देखी ..तू हिल रहा था और कांप रहा था और तेरा हाथ जोरों से उपर नीचे हो रहा था ...मैं समझ गयी ..पर मैने तेरे मज़े में तुझे डिस्टर्ब करना नहीं चाहा ..दबे पावं वापस चली गयी ....और फिर थोड़ी देर बाद आई ..पर भोले राजा कमरा तो कम से कम बंद कर लिया होता ...." और फिर से हँसने लगीं
दीदी की बातों से मैं आश्वस्त हो गया के दीदी भी कुछ कम नहीं ....ये सब उनकी रोमॅंटिक कहानियों की किताबों में डूबे रहने का नतीज़ा था ....
" पर दीदी मैं क्या करता ... मैं काफ़ी परेशान था.... "
"क्या परेशानी थी किशू को ..ज़रा मैं भी तो सूनू..??"
" मैं नहीं बताता .....आप बूरा मान जाओगी .."
" अरे वाह ..?? अगर बूरा मान ना होता तो क्या तेरी हरकत को देख मैं तुम्हें डाँट ती नहीं ..?? मैं तो चाहती हूँ के हम दोनों एक दूसरे से कुछ भी ना छुपाए ..चल बता ना .....डर मत ..प्ल्ज़्ज़ ..."
" दीदी प्ल्ज़्ज़ .....मैं नहीं बता सकता ...... "
" ठीक है मत बता किशू ,,मैं येई समझूंगी तुम मुझे पराया समझते हो .....मैने क्या समझा था .....और क्या हो रहा है....."
और उनकी आँखों से आँसुओं की बड़ी बड़ी बड़ी बूँदें टपकनी शुरू हो गयी....
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RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
"उफफफ्फ़ ..दीदी आँसू मत बहाओ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़....बताता हूँ बाबा बताता हूँ..पर तुम डांटना ....मत "
और मैने अपने हाथो से उनके आँसू पोंछे ..वो अब मुस्कुरा रही थी ..दीदी भी अजीब ही थीं ..पल में तोला पल में रात्ति .....
"दीदी जब से मैने आपकी शादी की बात सूनी है ना ....."
"हां हां बोल ना ....क्या हुआ मेरी शादी की बात से ..??'"
" दीदी आप मुझे ऐसी लग रहीं जैसे अब आप मेरी बहन नहीं हैं .... "
" अरे बाबा मैं तो वोई पायल रहूंगी ना भोले राजा ....फिर तेरी बहन कैसे नहीं हुई .."
" ओह मैं कैसे समझाऊं दीदी ..... मेरा मतलब आप मुझे अब अछी लगने लगी हो ..""
" अरे बाबा तो क्या मैं पहले बूरी थी ....."
" नहीं दीदी ऐसा नहीं .....उफफफ्फ़ मैं कैसे बताऊं .... मुझे समझ नहीं आ रहा .."
" सॉफ बोल ना किशू ..घबडा मत ..मैं बूरा नहीं मानूँगी ....."
" ठीक है तो सुनो ...." मैने भी सोच लिया के अब चाहे जो भी हो देखा जाएगा ..अपने मन की बात बता ही दी जाए .."दीदी आप मुझे ऐसे लगती हैं जैसे मैं आप से प्यार करूँ ..... "और मैं इतना कहते ही बिल्कुल सन्न था के दीदी ने अब थप्पड़ लगा ही दिया ..
" अरे बाबा प्यार तो तू करता ही है अपनी बहन से ..??"
" नहीं दीदी अब बहन वाला प्यार नहीं ......."
और दीदी मेरी इस बात से थोड़ी चौंक पड़ीं ....उनके चेहरे पे एक आश्चर्या का भाव आया ...... आँखें चौड़ी हो गयीं ..
और मैं आँखें बंद किए अपने गाल पर उनके थप्पड़ का इंतेज़ार कर रहा था........
मैं झन्नाटेदार थप्पड़ की सोच में आँखें बंद किए दीदी की हथेली का अपने गाल पर इंतेज़ार कर रहा था ..उनकी हथेली मेरे गाल पर पड़ी तो ज़रूर ..पर ये झन्नाटेदार थप्पड़ नहीं था ..... एक प्यार भारी हल्की सी चपत थी ... मैं फिर से हैरान था दीदी के इस रवैय्ये से ....
मैं एक टक उन्हें देख रहा था ..... उनकी आँखों में मैने वोई देखा ... जो मेरी आँखों में था ...एक भूख ...
हम दोनों एक दूसरे को उसी भूखी निगाहों से देख रहे थे ....किंतु एक झिझक ..एक संकोच .. अभी भी था जो हमें रोके था .... भाई बहन का रिश्ता अभी भी हावी था ..हम इस रिश्ते से भी काफ़ी आगे निकलना चाह रहे थे ..इस रिश्ते को और भी विस्तृत करना चाह रहे थे ..भाई बहन की सीमाओं को लाँघ कर एक औरत और मर्द का रिश्ता ...ऐसा रिश्ता जहाँ कोई बंधन नहीं ... नारी और पुरुष का रिश्ता ....
मैने सॉफ सॉफ देखा दीदी कांप रही थी , उनके हाथ जैसे तड़प रहे थे मुझे थामने को ...मैं बस चूपचप उन्हें बिना पलक झपकाए देखे जा रहा था ....जैसे मैं उन्हें अपनी आँखों में समा लेना चाहता हूँ ...
और तभी एक झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ा मेरे गाल पर ....जिसकी अपेक्षा मुझे पहले थी ..पर अभी इस वक़्त ??....जब मैं कुछ और ही सोच रहा था ..मेरा सारा नशा कफूर हो गया ..ये क्या हो गया..दीदी के भी अंदाज़ निराले ही होते थे .....
" अरे बेवक़ूफ़ .... सिर्फ़ मुझे तकता रहेगा यह कुछ करेगा भी ..?? मैने कहा था ना जो कहना है जो करना है कर ले ..?? तू क्या चाहता है मैं नंगी हो कर तेरे सामने खड़ी हो जाऊं ....???? " दीदी झल्लाते हुए चीख पड़ीं ...
मैं जैसे सोते से जाग उठा ...उनके थप्पड़ ने मेरी झिझक दूर कर दी....उनके थप्पड़ ने भाई बहन के बीच का परदा चीर डाला .....
मैने उन्हें अपनी बाहों में जाकड़ लिया ..अपने से चिपका लिया ...उनकी छाती और मेरा सीना जैसे एक हो गये हों..उनके स्तन मेरे सीने से ऐसे चिपके ...लगा जैसे सपाट हो गये हों ...आआहह मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कुनकुने पानी से भरा गुब्बारा मेरे सीने में फॅट जाएगा ..थोड़ी देर इसी तरह चिपकाए रहा , उनका सर मेरे कंधे पर इस तरह पड़ा था मानो दीदी ने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया हो ... किसी औरत का इस तरह आत्मसमर्पण ..मेरे लिए एक अजीब ही अनुभव था , मेरी समझ में नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है , पर जो हो रहा था अपने आप हो रहा था ..बस होता जा रहा था ..फिर मैने उन्हें अपने सीने से अलग किया ..उनके कंधों को थामे उनका चेहरा अपने सामने कर लिया ...और टूट पड़ा उनके गालों पर ..उनकी गर्दन , उनका सीना चूम रहा था , चाट रहा था ....मुझे तो ये भी नहीं मालूम था प्यार कैसे किया जाता है ...दीदी की सारी अस्त व्यस्त हो गयी थी ..आँचल बिस्तर से नीचे लटक रहा था ...उनकी साँसें तेज़ थीं ..वो हाँफ रही थी .....
हाफते हुए उन्होने दबी ज़ुबान में चीखते हुए कहा " अरे बेवक़ूफ़ दरवाज़ा तो बंद कर ले....."
मैं फ़ौरन उठा , भागते हुए दरवाज़े से पहले झाँका ...कहीं कोई है तो नहीं ..फिर बंद कर दिया ...वापस पलंग की तरफ बढ़ा ...दीदी लेटी थीं ...उनका आँचल अभी भी नीचे लटक रहा था ..बाल अस्त व्यस्त थे ..सारी घुटनों तक उठी हुई थी ...उफ्फ उनकी गोरी गोरी मांसल पिंदलियाँ ... मैं उनकी पिंदलियाँ चूमने लगा ..चाटने लगा ..वो सिहर उठीं ... मुझे अपने उपर लिटा लिया और मुझे अपनी छाती से लगाया बूरी तरह चिपका लिया .और लगीं मेरे होंठ चूसने ..... उफ़फ्फ़ ऐसा लगा जैसे मेरे दोनों होंठ उनके मुँह के अंदर अब गये तब गये ....हम दोनों पागलों की तरह बस चूमे जा रहे थे ....
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08-19-2018, 02:48 PM,
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RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
फिर उन्होने उसी झटके में अपनी ब्लाउस और ब्रा भी खोल दी ....उफफफफफफफफफफफ्फ़ मैं पागल हो गया था ....अब वो बिल्कुल नंगी , दोनों पैर फैलाए ..उनके पैरों के बीच मैं नंगा ..और मेरे सामने वो नंगी ....उनके चेहरे पर ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं ..एक दम बे-बाक ...
" देख ले ....अच्छे से अपनी दीदी को ...."उनके चेहरे पे शरत भरी मुस्कान थी
मेरी नज़रें दीदी की खूबसूरत जवानी को जैसे पिए जा रही थी ..सुडौल स्तन ..भारी भारी ...एक दम दूधिया रंग और उसके बीच थोड़े थोड़े गुलाबी रंग लिए निपल्स ... घूंदियाँ कड़ी और उठी उठी ...
पेट भारी भारी पर सपाट ..नाभि की गोलाई ऐसी कि उनमें जीभ डाल चाट जाऊं ....भारी भारी सुडौल जंघें ... और जांघों के बीच काले काले बालों को चीरती हुई एक पतली सी फाँक ....दीदी की योनि में भी पानी जैसा रस था .योनि के बालों में मोटी जैसे रस के बूँद चमक रही थी ...जांघों पर भी रस लगा था ..... .मुझ से अब रहा नहीं गया ...मैं उठा और दीदी को हाथों से थामते हुए अपने उपर ले लिया और बूरी तरह चिपका लिया ....किसी नंगी औरत का मेरे नंगे बदन से चिपकना..एक ऐसा अनुुभाव ...बताया जा नहीं सकता .....मैं थोड़ी देर तक उन्हें चिपकाए राहा ..उनके बदन की गर्मी , उनके मांसल शरीर की नर्मी और उनके आँखों की खूबसूरती अपने अंदर लिए जा रहा था....
मैं कुछ कर पता उसके पहले ही दीदी ने अपना कमाल दिखा दिया ..मेरे खड़े लंड पर अपनी गीली सी योनि घिसना शुरू कर दिया ..मेरा पूरा बदन सिहर उठा ...
हे भगवान इस एक दिन में ही क्या से क्या हो गया है..मेरे लिए अपने आप को संभाल पाना मुश्किल हो रहा था ..मेरा लंड उनकी योनि के दबाब से और भी कड़ा होता जा रहा था ...पूरे बदन में सन सनी सी हो रही थी ..दीदी अपने स्तन भी मेरे सीने से लगाए थी ..उनके कड़े कड़े निपल्स मेरे सीने को कुरेद रहे थे .....जिस तरह मुझे मूठ मारते वक़्त लगा था ..अभी बिल्कुल वैसे ही मेरे लंड के अंदर मेरे शरीर से मानो बिजली जैसी कुछ सन सन्नाते हुए जमा होती जा रही थी और मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था ......दीदी भी कराहती जा रही थी .... सिसकियाँ भरे जा रही थी और मेरे लंड को घिसे जा रही थी ......उफफफफफफफफफफ्फ़ डीडीिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई...मैं चिल्ला उठा , उन्हें जाकड़ लिया और अपने आप मेरे लंड ने पिचकारी छ्चोड़ दी ...मेरे चूतड़ उछल रहे थे ..... मैं झटके पे झटका दिए जा रहा था , बार बार डिड़िद्द्द्दडिईईईई डीडीिईईईईईई मेरे मुँह से निकले जा रहा था ..और मैं सुस्त पड़ गया .
"हां हाआँ किशू ....हाआँ मेला बच्चा ..हां हाआँ ......." दीदी प्यार से पूचकारे जा रही थी और उनका घिसना भी जारी था ....और फिर मैने उनके चूतडो के झटकों को अपने लंड पे महसूस किया .....".किशुउऊुुुुुुुुुुउउ....मेला बच्छाआआआअ ...ऊऊऊऊओ ले रे मैं भी गाइिईईईए.."
मैने फिर से अपने लंड पर कुछ गीला सा महसूस किया ....
और दीदी मेरे उपर ढीली हो कर ढेर हो गयीं ....
शायद ये उनका भी पहला अनुभव था ..... दोनों एक दूसरे से चिपके थे .... गर्म साँसें टकरा रही थी ..दीदी और उनका किशू एक हो कर पड़े थे .
मैं तो जैसे किसी स्वप्न लोक में खोया था .......ये सब इतनी जल्दी हो गया ......मुझे विश्वास नही हो रहा था ..... ये सपना है या सच..??? उफफफफ्फ़ दीदी का इस तरह मुझ से लिपटना ..उनके शरीर की गर्मी , उनके मुलायम स्तनों का मेरे सीने पर दाबना ......अभी तक मैं उन्हें अपनी शरीर में अनुभव कर रहा था ...... मैं आँखें बंद किए उस मस्ती भरे आलम का मज़ा ले रहा था .....
थोड़ी देर बाद आँखें खोली .देखा तो दीदी अपने हाथों को सर के पीछे रखे अपने हथेलियों पर सर रखे सीधी लेटी थी , इस तरह के उनकी आर्म्पाइट्स बिलककुल मेरी आँखों के सामने थी .....उनमें बाल उगे थे .......पर अगाल बगल उनकी त्वचा कितनी सफेद थी ...... और पसीने की बूंदे चमक रही थी ....
किसी औरत की आर्म्पाइट भी इतनी कामुक हो सकती है .....मैने अपना मुँह उधर घूमाया .... अपने हाथों से दीदी को सीधे लेते हुए ही जाकड़ लिया , उन्हें अपनी तरफ खींचा और उनके आर्म्पाइट में मुँह लगा उसे चूसने लगा .........जीभ फिराने लगा ...उफफफफ्फ़ क्या स्वाद था दीदी के पसीने का ..
मेरे अचानक इस हमले से दीदी चौंक पड़ीं ..पर फिर चूप चाप उसी तरह हाथ सर के पीछे रखी रही और मुझे अपनी हवस पूरी करने में किसी भी तरह कोई रुकावट नहीं की ..सिर्फ़ इतना कहा
" अरे भोलू राम ज़रा धीरे धीरे जीभ फिरा ...मुझे बहुत गुद गुदि हो रहे है........और ये भी कोई चूसने की जागेह है ..... ??'
"उम्म्म्मम दीदी बहुत अच्छा लग रहा है ..आप का पसीना भी इतना टेस्टी है ..और यहाँ आपकी जागेह कितनी मुलायम है " और मैने अपने दाँतों से वहाँ उनकी आर्म्पाइट पर हल्के से काट लिया ......" मन तो किया के पूरे का पूरा खा जाऊं .....
" अरे .... वहाँ गंदा है किशू ....ठीक है अगर तुम्हें इतना ही पसंद है ..मैं कल से वहाँ के बाल साफ कर दूँगी ..फिर चाटना वहाँ ....अब हट जा ...."
" नहीं दीदी ..कल की कल देखी जाएगी अभी तो चाटने दो ना प्ल्ज़्ज़ ..अभी तो दूसरी तरफ वाली तो बाकी है....."
और मैं झट उनके दूसरी तरफ उठ कर चला गया , और फिर लेट कर वहाँ मुँह लगा दिया
" तू भी ना किशू ......ठीक है बाबा कर ले मन मानी ...." और अपने हाथ और भी उपर कर लिए ..उनकी आर्म्पाइट अब और भी खूल गये थे
मैने आर्म्पाइट चाट ते हुए पूछा , "पर दीदी ..एक बात बताइए ज़रा ..आप को इतनी सब बातें मालूम कैसे हुई ..??"
दीदी हँसने लगी ......"तू आम खा ना ...पेड़ गिन ने से क्या मतलब ..?? "
"दीदी बताइए ना .... आप ही ने कहा था ना हमें एक दूसरे से कुछ छुपाना नहीं चाहिए ..????"
और अब मेरा मुँह उनकी आर्म्पाइट में था , और एक हाथ जो उनके सीने पर था ..जाने कब उपर आ गया उनके स्तनों पर ....उनके स्तनों के स्पर्श का आज पहला मौका था ..इतना सॉफ्ट और साथ में कुछ भरा भरा भी .....मैने उसे हल्के से दबाया ....उफफफफफफफ्फ़ मेरे हाथ में जैसे कोई स्पंज जिसमें गर्मी हो....नर्मी हो ..एक अजीब सी मस्ती मेरी हाथेलि में थी ...दीदी की मुँह से " अया ......" निकल गयी .....उनकी आँखें बंद हो गयी ....
" ओओओओओह्ह्ह्ह दीदी आप के स्तन ........मन करता है इन्हें भी खा जाऊं ........"
मेरी बातों पर दीदी जोरों से हंस पड़ीं .... कहाँ तो इतना रोमॅंटिक मूड था मेरा ......और दीदी हंस रही थीं ..सारा मूड किर कीरा हो गया ....
"क्या दीदी ...आप भी ना ..क्या मेरा आप के स्तनों को सहलाना अच्छा नहीं लगा ...???"
" अरे नहीं नहीं ..बहुत अच्छा लग रहा है ...सही में ..और ज़ोर से दबाओ ना ......उफफफफफ्फ़ ..तू बहुत अच्छे से दबा रहा है ..."
"फिर आप हँसी क्यूँ.."" मैने और जोरों से उनके स्तन दबाते हुए कहा .....
"उईईईईईईईईईईईईईईईईईई,,माअं , अरे इतने ज़ोर से नहीं रे......मैं हँसी तुम्हारी बातों से .......अरे किताबी शब्दों को ऐसे समय मत बोला कर ..... एक दम चालू वर्ड्स यूज़ कर ..तुम ने इसे ,( अपने स्तनों को अपने हाथों से पकड़ उन्न्होने मेरे सामने कर दिया )..... स्तन कहा ..मज़ा नहीं आता यार ..इसे चूची बोल ..क्या बोलेगा इसे अब ..???"
" चू- -ची ......" मैने धीरे से कहा ..पहली बार ऐसे शब्द मेरे मुँह से इतने फ़र्राटे से नहीं निकल पा रहे थे
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"हाआँ अब ठीक है ..पर ज़रा गला खोल के बोल , ले मेरी चूचियाँ चूस ..आर्म्पाइट्स बहुत चूस लिया ....."
और एक चूची मेरे मुँह में ठूंस दी उन्होने ......."जैसे आम चूस्ता है ना ..बस वैसे ही चूस" ......
मैं एक अग्यकारी शिष्या की तरह झट छापड़ छापड़ उनकी चूची चूस रहा था .......जीभ नीचे और होंठ उपर लगाए ..मानो उसका सारा रस अंदर ले लूँ ..उन्होने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपनी दूसरी चूची पर रख दिया ...
" ले इसे दबा ....एक को चूस और दूसरे को दबा ....हां हां रे........उउफफफफफफफफफ्फ़ ..बड़ी जल्दी सीख लिया रे तू ..बड़ा होशियार है ......आआआआआआआ ......उईईईईईईई हां बस ऐसे ही ....मज़ा आ रहा है रे ........"
"आआप जैसी गुरु हों तो सीखना ही पड़ता है ना दीदी ...." और मैं फिर से लग गया अपने काम में ....
क्रमशः……………………
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